Book Title: Bhagavana  Mahavira Smruti Granth
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Mahavir Nirvan Samiti Lakhnou

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Page 484
________________ । २१ डा. ज्योति प्रसाद जैन, लखनऊ को सौपा गया है। डा. ज्योति प्रसाद जैन ने पूस्तको की सूची अन्य सदस्यों के परामर्श से तैयार कर ली है । २५ पुस्तकालयों का भी चयन कर लिया गया है तथा उन्हें साहित्य भेंट में भेजा जा रहा है। २२-लखनऊ में राज्य स्तर पर महावीर उद्यान एवं स्मारक का निर्माण भारत सरकार ने देहली में केन्द्रीय स्तर के एक महावीर उद्यान एवं पार्क के निर्माण के लिए २५ एकड़ भूमि तथा ५० लाख रुपये का अनुदान दिया है। राज्य समिति ने भी लखनऊ में एक राज्य स्तर के महावीर उद्यान एवं स्मारक के निर्माण की संस्तुति की है। भूमि का चयन कर लिया गया है तथा राज्य सरकार से उसके हस्तान्तरण के लिए लिखा-पढ़ी चल रही है। २३-भगवान महावीर स्मृतिग्रंथ भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव वर्ष की पावन स्मृति में राज्य समिति ने निम्नलिखित प्रकाशनों के आयोजन का निश्चय किया था : १. जैन संस्कृति का भारतीय संस्कृति में योगदान २. शाकाहार के सिद्धांत एवं उनके संबंध में विश्व साहित्य का दिग्दर्शन ३. उत्तर प्रदेश के जैन सांस्कृतिक एवं कला केन्द्र ४. वर्ष की समाप्ति पर एक स्मारिका का प्रकाशन बाद में यह सोचा गया कि उपरोक्त विषयों पर पृथक-पृथक पुस्तकें प्रकाशित करने के बजाय एक स्थायी महत्व के बहद "भगवान महावीर स्मृति ग्रंथ" का प्रकाशन करना अधिक समीचीन होगा और उसमें उपरोक्त सभी विषयों का समावेश कर दिया जाय। इस ग्रंथ के संपादन का गुरु भार राज्य समिति के सदस्य एवं जैन साहित्य तथा संस्कृति के लब्धप्रतिष्ठित विद्वान विद्यावारिधि डा० ज्योति प्रसाद जैन लखनऊ को सौंपा गया । डाक्टर साहिब अनेक सुप्रसिद्ध ग्रंथों के रचयिता हैं तथा शोध पत्रिकाओं के सम्पादक हैं। उनकी सहायता के लिए वाराणसी के सिद्धांताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, डा. मोहनलाल मेहता, श्री शरद कुमार 'साधक' तथा श्री जवाहर लाल, लोढ़ा आगरा का एक सम्पादक मंडल भी गठित कर दिया गया था। इस ग्रंथ में भगवान महावीर की सूक्तियां एवं उपदेश, उनकी स्तुति में रचित प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश व हिन्दी के स्तोत्र एवं स्तवन, उनका जीवन परिचय, उनकी उपलब्धियां एवं धर्म व्यवस्था, जैन दर्शन, साहित्य एवं संस्कृति, शाकाहार की सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक विवेचना, उत्तर प्रदेश में जैन धर्म के उदय एवं विकास, सांस्कृतिक केन्द्र, पुरातत्व-कला वैभव तथा साहित्य एवं समाज पर प्रचुर उपयोगी सामग्री का संकलन किया गया है तथा राज्य समिति के कार्यों एवं उपलब्धियों का भी संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है। जिस अथक परिश्रम एवं रुचि से इस ग्रंथ की संरचना की गई है उसके लिए राज्य समिति डाक्टर साहिब एवं उनके सहयोगियों की आभारी है। २४–राज्य समिति की जितना कुछ कार्य इस पावन वर्ष में करने की योजना एवं आकांक्षा थी उसका एक लघु अंश ही हम पूरा कर पाए हैं । कुछ योजनाएं हमें धनाभाव के कारण छोड़नी पड़ गईं और अन्य कुछ में सन्तोष जनक प्रगति नहीं हो पाई। धीमी प्रगति में अर्थाभाव के अतिरिक्त हमारी स्वयं की अकर्मर्ण्यता भी एकप्रमुख कारण है। फिर भी हमारा यह प्रयास है कि जो योजनाएं प्रारम्भ हो गई हैं उन्हें शीघ्रातिशीघ्र पूरा करा दिया जाय । अन्त में मैं राज्य समिति के कार्याध्यक्ष माननीय डा० रामजीलाल सहायक, उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीरमण आचार्य तथा सचिव श्री शशिभूषण शरण का हृदय से आभार प्रकट करता हूं जिनके समुचित एवं उत्साहवर्द्धक मार्गदर्शन से ही जो कुछ भी थोड़ा बहत कार्य हआ है संभव हो सका। मैं डा. शशिकान्त का भी कृतज्ञ हैं जिन्होंने मेरी अस्वस्थता के दौरान समिति के कार्यों में मेरा हाथ बटाया तथा अपना पूरा सहयोग सभी कार्यों में दिया। -अजित प्रसाद जैन, उपसचिव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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