Book Title: Bhagavana  Mahavira Smruti Granth
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Mahavir Nirvan Samiti Lakhnou

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Page 477
________________ १४ ] ख -७ (६) राज्य समिति के प्रयास से लखनऊ म्यूजियम में कंकाली टीला से प्राप्त अति प्राचीन जैन स्तुप के अवशेषों के आधार पर उक्त स्तूप का एक लघु माडल तैयार कराया जा रहा है । १५-उत्तर प्रदेश में निर्वाण महोत्सव वर्ष में सम्पन्न कार्यक्रम भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव वर्ष के अवसर की गरिमा के अनुरूप शासन तथा जनता के सभी वर्गों के सहयोग से सोल्लास मनाए जाने हेतु प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिला अधिकारी की अध्यक्षता में जिला महावीर निर्वाण समिति का गठन कराया गया तथा इस बात का प्रयास किया गया कि जिला समितियों में न केवल जैन समाज के विभिन्न संप्रदायों का प्रतिनिधित्व हो बल्कि जिले के अन्य विशिष्ठ विद्वानों एवं समाज सेवियों का भी, जो भगवान महावीर की शिक्षाओं में रुचि रखते हों, सहयोग प्राप्त हो । प्रायः प्रत्येक जिले में कलेक्टर तथा अन्य अधिकारियों ने जिला समितियों के कार्यक्रमों में उत्साह पूर्वक योगदान दिया तथा मार्ग दर्शन किया जिसके परिणामस्वरूप अल्मोड़ा जैसे जिलों में भी जहां जैन धर्म के अनुयायियों की संख्या नगण्य है उत्साहपूर्वक कार्यक्रम सम्पन्न हए । निर्वाण महोत्सव वर्ष के कार्यक्रमों का प्रारम्भ राज समिति के सरक्षक महामहिम डा० एम० चेन्ना रेड्डी राज्यपाल, उत्तर प्रदेश, के दिनांक १३ नवम्बर, १९७४ को प्रसारित निम्नलिखित संदेश के साथ किया गया "मुझे यह जान कर बड़ी प्रसन्नता है कि श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश, ने भगवान महावीर का वर्ष व्यापी २५००वां निर्वाण महोत्सव शीघ्र ही प्रारम्भ करने का निश्चय किया है। हमारे देश में जब जब शाश्वत मूल्यों का ह्रास हुआ, भारतीय संस्कृति ने अपने गर्भ से जिन महापुरुषों तथा अवतारों को जन्म दिया, उनमें भगवान महावीर अग्रिम पंक्ति में आते हैं । जिस समय वैदिक धर्म का पतन हो रहा था तथा समाज में अनेक कुरीतियां, अन्धविश्वास तथा बलि एवं नरबलि तक व्याप्त हो रही थी, ऐसे समय भगवान महाबीर ने जन्म लेकर प्रेम, अहिंसा तथा सहिष्णुता का सन्देश देकर तथा अपने महान व्यक्तित्व के प्रभाव से अनेक सम्भ्रान्त राजवंशीय व जनसाधारण को दीक्षित करके भारतीय जनजीवन में नये प्राणों का संचार किया । उनका अहिंसा का सन्देश देश व काल की सीमाओं से परे है तथा मानवीय संस्कृति को विभिन्न नाम व रूपों में उत्प्रेरित करता रहेगा। मैं श्री महावीर निर्वाण समिति के इस अनुष्ठान की प्रशंसा करते हुए, उत्सव की सफलता हेत अपनी हार्दिक शुभकामनायें भेजता हूं।" इस अवसर पर राज्य समिति के कार्याध्यक्ष माननीय डा० रामजी लाल सहायक, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश, ने भी दि० २३ नवम्बर १९५४ को प्रसारित निम्नलिखित संदेश के द्वारा समारोह की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएँ भेंट की "जैन धर्म भारतीय संस्कृति की श्रमण परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। तीर्थंकर वर्धमान महावीर इस परम्परा के अन्तिम प्रस्तोता थे। महावीर ने आज से ढाई सहस्त्र वर्ष पूर्व अपने अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह के सिद्धान्त के निरूपण द्वारा एक सशक्त वैचारिक क्रान्ति उपस्थित की जो आज भी उतनी ही सार्थक है जितनी कि उनके जीवनकाल में थी। उन्होंने कदाग्रह को दूर करने और समाज में ऊँच-नीच एवं जाति वर्ण के भेद भाव को मिटाने के लिये एक सैद्धान्तिक आधार प्रदान किया। उनका पारमार्थिक संदेश लोक में कल्याण का मार्ग निरन्तर प्रदर्शित करता रहा है।। तीर्थंकर महावीर को निर्वाण लाभ किये २५०० वर्ष पूरे हुये। मुझे हर्ष है कि देश भर में महावीर के २५००वां निर्माण समारोह को बड़े उल्लास से मनाया जा रहा है। इस प्रदेश में इन समारोहों का आयोजन श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश, के माध्यम से किया जा रहा है। मुझे आशा है कि प्रदेश की जनता इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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