Book Title: Bhagavana  Mahavira Smruti Granth
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Mahavir Nirvan Samiti Lakhnou

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Page 409
________________ 4 ८६ ] ख - ६ बाबू अजित प्रसाद जैन वकील, सहारनपुर- आप का सहारनपुर ही नहीं, प्रान्त एवं केन्द्र की राजनीति में भी उल्लेखनीय स्थान रहा है। आप कांग्रेस की ओर से सन् १९३६ से एसेम्बली के सदस्य रहे और विधान निर्मात्री परिषद में एकमात्र जैन सदस्य थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में खाद्यमंत्री एवं एक राज्य के राज्यपाल भी रहे। उत्तर प्रदेश के किसान कानून के प्रमुख विधाता रहे। श्रीमती लक्ष्मीदेवी जैन, सहारनपुर, धर्मपत्नी श्री अजित प्रसाद जैन- अपने पति के राजनीतिक जीवन में प्रेरक और सहयोगिनी रहीं, कांग्रेस के कार्यों में सदा भाग लेती रहीं और प्रमाणित कांग्रेसी जेल यात्री भी हैं । आप के साथ आप की कुछ मास की पुत्री 'ढोई' भी जेल में रही। श्री विशाल चन्द्र जैन - राष्ट्रीय विचारों के देशभक्त रहे। स्वतन्त्रता के उपरान्त वर्षो आनरेरी मजिस्ट्रेट रहकर जनता की सेवा की है । श्री हुलाश चन्द्र जैन, रामपुर (जि० सहारनपुर ) – १९२० से ही वे कांग्रेस के काम में दिलचस्पी लेने लगे थे । १९३० में देवबन्द तहसील को जलाने में उन्होंने रात-दिन मेहनत की और जेल गये । १९४२ में भी उन्हें काफी दिन जेल में रहना पड़ा । श्री मामचन्द जैन देवबन्द (जि० सहारनपुर ) - - १९३० में वे अपने गम्भीर नारों और मीठे एलानों के के साथ कांग्रेस में आये । एक दिन हथकड़ियाँ पहने वे सहारनपुर जेल पहुंच गये । श्री त्रिलोक चन्द जैन, सहारनपुर- बी० ए० की सार्टीफिकेट ठुकराकर उन्होंने बागी सार्टीफिकेट लिया और तब से वे बराबर कांग्रेस के उत्साही कार्यकर्ता रहे। श्री प्रकाशचन्द्र जैन, सहारनपुर --- १९४२ में कांग्रेस में आये और जेल गये। वहीं इस होनहार युवक की मृत्यु हो गयी । हड़ताल की आहुतियाँ -- ९ अगस्त १९४२ को सब नेता गिरफ्तार हो गये और सहारनपुर में हड़ताल हो गयी । परिणामस्वरूप अनेक लोगों को जेल में ठूंस दिया गया, जिसमें निम्नलिखित जैनों के नाम उल्लेखनीय हैंश्री शिखरचन्द मुनीम –६ मास सख्त कैद, श्री प्रकाशचन्द मुनीम ३ मास सख्त कंद व ३००) रु० का अर्थ- दण्ड, श्री बाबू राम जैन-६ मास सख्त कंद, श्री कैलास चन्द जैन-६ मास सख्त कैद तोड़-फोड़ के अपराध में जैन समाज के यशस्वी तरुण कवि श्री शान्ति स्वरूप जैन 'कुसुम' १९४२ में जिले के उन तरुणों में थे जिन्होंने आन्दोलन के स्थान में क्रांति का रास्ता पकड़ा। कुछ दिनों में वे पुलिस की आंखों में गड़ गये और पकड़े गये । कौलाश प्रसाद, मंगलकिरण आदि अन्य कई अच्छे कार्यकर्त्ता सहारनपुर में रहे हैं । श्री अयोध्या प्रसाद गोयलीय, जो अब सहारनपुर में ही बस गये हैं, किसी समय उग्र स्वतन्त्रता सेनानी रहे और १९३२ के नमक सत्याग्रह में दो वर्ष का कारावास भुगत चुके हैं। बिजनौर जिला बा० रतनलाल जैन वकील, भूतपूर्व एम० एस० सी०बिजनौर जिले के किसानों के प्राण, ढाई हजार रुपये लगान के छोड़ दिये, अपने घर के लगभग २ हजार रुपये के मखमल तंजेब आदि के विदेशी कपड़ों की बिजनौर के बाजार में होली जला दी। जैन समाज के निस्वार्थ राष्ट्रभक्तों में बाबू रतनलाल प्रमुख रहे हैं । वह १९२१ में ही वकालत छोड़कर कांग्रेस के कार्य में जुट गये थे और गिरफ्तार हुए थे तथा ५०० रु० जुर्माना हुआ था, किंतु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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