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ख -६
कुरगमा
झांसी जिले में, झांसी रेलवे स्टेशन से लगभग ८ कि० मी० की दूरी पर कुरगमा नाम का छोटा सा गांव है, जिसके बाहर एक बाग में एक पुराना मठ । इस मठ के भौंहरे में १५-१६ प्राचीन मनोज्ञ पाषाण निर्मित तीर्थंकर प्रतिमाएँ हैं, जिनमें से कुछ पार्श्वनाथ की और कुछ भगवान महावीर की हैं, और अधिकतर १२८६ एवं १२८७ ई० की प्रतिष्ठित हैं । स्थान अतिशयपूर्ण है और तीर्थरूप में मान्य किया जाता है ।
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महोबा
हम्मीरपुर जिले में स्थित परमाल चन्देल की प्रसिद्ध राजधानी और लोककथा के वीरों अल्हा ऊदल की क्रीड़ास्थली महोबानगर में प्राचीन जैनमन्दिरों एवं कलापूर्ण जैन मूर्तियों के अनेक अवशेष प्राप्त हुए हैं । चन्देल काल में यह स्थान एक अच्छा जैन केन्द्र रहा है ।
कहाॐ
७५ कि० मी०, खुखुन्दो ( काकंदी) प्राचीन नाम ककुभ था । यह स्थान प्रसिद्ध है । सर्वप्रथम १९वीं शती के
देवरिया जिले में, देवरिया - सलेमपुर मार्ग पर गोरखपुर से लगभग से १३ कि० मी०, सलेमपुर के निकट कहाऊँ नाम का छोटा ग्राम है, जिसका अपने गुप्तकालीन कलापूर्ण पंचजिनेन्द्र-स्तम्भ एवं अन्य जैन अवशेषों के लिए प्रारम्भ में बुचानन का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ था । १८३७ ई० में लिस्टन ने इस स्थान का परिचय प्रकाशित किया और १८६१-६२ में कनिंघम ने सर्वेक्षण करके पूरा विवरण प्रकाशित किया था। उस समय उक्त स्तम्भ के अतिरिक्त दो वस्तप्रायः जैनमन्दिर, कई पुराने कुएँ और सरोवर वहां विद्यमान थे, तथा कहाऊँ गांव सहित ये सब भग्नावशेष एक लगभग ५०० गज लम्बे-चौड़े विस्तृत टीले पर स्थित थे । एक मन्दिर में तीर्थंकर पार्श्वनाथ की पुरुषाकार खड्गासन प्रतिमा थी। गांव के उत्तर की ओर एक ऊँचे स्थल पर भूरे बलुए पत्थर का यह अखंड स्तंभ लगभग २५ फुट ऊँचा था और साढ़े चार फुट ऊँचे आधार पर स्थित था। स्तंभ पर भगवान पार्श्वनाथ की तथा अन्य प्रतिमाएँ उत्कीर्ण है, अन्य मूर्त्ताङ्कनभां हैं, और एक लेख भी अंकित है, जिसके अनुसार 'गुप्त सं० १४१ ( सन् ४६० ई० ) के ज्येष्ठ मास में, सम्राट स्कंदगुप्त के पूवें राज्यवर्ष में, जैनमुनिविहार से पावन हुए ककुभ ग्राम में ब्राह्मणश्रेष्ठ सोमिल के प्रपोत्र, भट्टिसोम के पौत्र और रुद्रसोम के संसार से भयभीत, गुरुभक्त, धर्मात्मा पुत्र मद्र ने अर्हतदेवों के सर्व कल्याणकारी मार्ग का अनुसरण करते हुए यह यशःपुञ्ज उत्तुंग 'पञ्चेन्द्र' स्तंभ स्थापित किया था ।' [विशेष जानकारी के लिए देखें जैना एंटीक्वेरी में प्रकाशित हमारा लेख 'खुखुन्दो एण्ड कहाऊँ' ] ।
कन्नौज
फ़र्रुखाबाद जिले का कस्बा कन्नौज उत्तर भारत की एक प्राचीन महानगरी का सूचक है, जो शताब्दियों तक बड़े-बड़े साम्राज्यों की राजधानी रही । कान्यकुब्ज, गाधिपुर, कुशस्थलपुर, इन्द्रपुर आदि इसके विभिन्न नाम प्राचीन साहित्य में मिलते हैं । जैनधर्म के साथ भी इस नगर का घनिष्ट सम्बंध रहा - अनेक तीर्थंकरों के यहाँ समवसरण आये, अनेक जैन पुराणकथाओं में इस नगर के उल्लेख प्राप्त होते हैं, भगवान पार्श्वनाथ ने कुमारावस्था में एक बर्बर आक्रमणकारी के साथ भीषण युद्ध करके इस नगर की रक्षा की थी । अनेक प्राचीन जैन मन्दिरों और मूर्तियों के अवशेष भी नगर में यत्र-तत्र मिलते रहे हैं ।
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