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इसकी ओर से मासिक पत्रिका का प्रकाशन हुआ, जिसे कुछ काल बाद प्रसिद्धि मिली। एक समय अन्तर्राष्ट्रीय Saffron यूनियन के मानद् सचिव श्री ओलफ इजिरोड ने वर्षों तक भाषण मालाओं, प्रचार-पत्रों और पकवान के प्रदर्शनों से शाकाहार के आन्दोलन को गतिशील बनाये रखा । डा० मिक्वल हिँडहेडे ने भी शाकाहार का प्रबल प्रचार किया । डा० क्रिस्टीन नाल्फी ने तो किसी भी प्रकार पके हुए भोजन को अस्वीकारते हुए कच्चे भोजन की पैरवी की। इसके अनेक व्यक्ति अनुयायी हुए, पर पके हुए भोजन को पूरी तरह अस्वीकार किये जाने के कारण यह आन्दोलन अधिक नहीं बढ़ सका, फिर भी कुल मिलाकर साधारण व्यक्ति की शाकाहार के प्रति रुचि बढ़ी ।
हालैण्ड
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बोर्ड आप सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कार्य माना जाता है
अध्यक्ष श्री जी० वान नेडरबीन के शब्दों में हालैंड में शाकाहार को यही कारण हैं कि हालैंड के शाकाहारी संसार के सभी शाकाहारियों
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से समन्वय और सम्बन्ध बनाए रखने का प्रयत्न करते हैं ।
वर्तमान उच्च अधिकारियों की भी यही धारणा है कि दुग्ध शाकाहार के रूप में कच्चे फलों का आहार पर्याप्त पथ्य होता है ।
कुछ वर्ष पूर्व केन्द्रीय संस्थान की परिस्थापना से यहां के शाकाहारी प्रसन्न हैं, जहाँ कि शाकाहार 'सम्बन्धी विषयों का अध्ययन किया जाता है और अनुभवों का आदान-प्रदान व समन्वय किया जाता है और दूसरे देशों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में अधिक कार्य करने और मूलभूत समस्याओं पर विचार और उनका हल निकालने की उत्सुकता को क्रियान्वित रूप देने का यत्न किया जाता है । हालैण्ड के शाकाहारी मानते हैं कि इस तरह शाकाहारी सिद्धान्त को वैज्ञानिक आधार दिया जा सकता है।
नावें
नार्वे की शाकाहारी गतिविधियों के विषय में अमेरिकन मेडीकल जर्नल के लन्दन स्थित संवाददाता ने इस प्रकार लिखा है - कुछ वर्ष पूर्व बच्चों को भोजन देने का नया तरीका प्रस्तुत किया गया । प्रयोग के रूप में ओसलो के स्कूल में सामान्य प्रकार का गर्म भोजन देने से अलग घरेलू भोजन में न रहने वाले तत्वों को पूरा करने वाला चुनिन्दा खाद्य-पदार्थों से बना नाश्ता बच्चों को दिया गया। पशु-प्रोटीन के अभाव की पूर्ति बकरी के दूध व मक्खन से की गई, जिससे खनिज पदार्थ और प्रोटीन प्राप्त हुए। विटामिन 'वी' नमक की पूर्ति के लिए पूर्ण रूप से गेहूं की रोटी दी गई। रक्त रोग जो कि उत्तरी देशों में सामान्य रूप से होता है, से बचाव स्वरूप आधा सेब और सन्तरा दिया गया। विटामिन 'ए' और 'डी' के लिए मक्खन, और गाजर चुकन्दर भी दिये गये ।
यह प्रयोग नितान्त सफल रहा। यह 'ओस्लोनाश्ता' इंगलैंड में भी दिया गया जो पूर्णरूपेण सन्तोषजनक पाया गया - 'छोटा बच्चा दिशा दिखाएगा' की कहावत के अनुसार आशा की जाती है कि इस प्रकार के प्रयोग और अभ्यास घरों में भी नियमित होंगे और बच्चे और बूढ़े दोनों ही स्वस्थ रहेंगे ।
अर्जेण्टाइना
ब्यूनस आयर्स अर्जेण्टाइना में शाकाहारी सिद्धान्त का संचालन शाकाहारी संगठनों के सम्मिलित संघ द्वारा सम्पन्न हुआ । ब्यूनर्स आयर्स के प्राकृतिक संस्थान के लगभग एक हजार सदस्य हैं । ये सभी सदस्य क्रियाशील हैं । इसका अपना सभागृह है । प्राकृतिक विधि-विधान के लिए भी स्थान है । पाठ्यक्रम द्वारा शाकाहारी
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