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ख - ३
नहीं था कि उक्त विक्रम संवत् का प्रारम्भ ईसापूर्व ५७ में हुआ था, अतएव सिद्ध है कि महावीर निर्वाण ईसा पूर्व ५२७ में हुआ था 140
इसी तिथि (ईसापूर्व ५२७ ) की पुष्टि जैन परम्परा में हुए महान संपभेद से सम्बन्धित अनुश्रुतियाँ भी करती हैं। श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार यह दिगम्बर श्वेताम्बर संघभेद महावीर संवत् ६०९, अर्थात ईस्वी सन् ८२, में हुआ था, 41 और दिगम्बर परम्परा के अनुसार विक्रम संवत् १३६, अर्थात् ईस्वी सन् ७९ में हुआ था । 2
बलभी नगरी में आचार्य देवद्विवणि क्षमाश्रमण द्वारा श्वेताम्बर परम्परा सम्मत आगम-सूत्रों के पुस्तकीकरण की तिथि महावीर निर्वाण संवत् ९८०, मतान्तर से ९९३, अर्थात् ईस्वी सन् ४५३ या ४६६ मान्य की जाती है। इस तिथि की सत्यता में शंका करने के लिए विशेष अवकाश नहीं है, क्योंकि उक्त पुस्तकारूढ़ आगमसूत्रों पर नियुक्तियाँ रचने वाले आवार्य भद्रबाहु जो तन्नाम श्रुतकेवलि से भिन्न एवं पर्याप्त परवर्ती हैं,
40.
41.
42.
43.
वस्तुत:, जैसा कि डा० एडवर्ड टामस का कथन है, 'जैन परम्परा में महावीर निर्वाण की असंदिग्ध एवं सुनिश्चित तिथि सुरक्षित रही है, जो दिगम्बर श्वेताम्बर उभय सम्प्रदायों के अपने-अपने स्वतन्त्र साक्ष्यों से सुनिर्णीत है। दोनों की कालगणना की विधि अपनी-अपनी स्वतन्त्र और एक दूसरे से भिन्न होने के कारण वे विवक्षित तथ्य की दोहरी पुष्टि करते हैं। श्वेताम्बरों ने ईसापूर्व ५७ में प्रारम्भ हुए विक्रम संवत् को अपनी काल गणना का आधार बनाया तो दिगम्बरों ने सन ७८ ई० में प्रारम्भ हुए शक संवत् को, और दोनों ही इस अभिन्न निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि महावीर निर्वाण ईसापूर्व ५२६-७ में हुआ था । अतएव इस तथ्य में सन्देह के लिए अवकाश नहीं है।" ( देखिए - इन्डियन एन्टीक्वेरी, भाग ८, पृष्ठ ३०-३१) छवास सवाई नवस्ताई सिद्धिगयस्स वीरस्स | तो बोडियाण विट्ठी रवीरपुरे समुप्यमा ॥
- आवश्यक मूलभाष्य (६०९ ई०) गा० १४५
छत्तीस वारिस विक्कमरायरस मरणपस्तस्स । सोरठे बलहीए उप्पण्णो सेवडो सेबडो संघी ॥
दर्शनसार (सं० ९९० )
देखिए, ज्यो० प्र० जैन-दी जैना सोर्सेज, पूर्वोक्त, पृ० १५२
समय सुन्दर कृत समाचारीशतक में यह तिथि म० नि० सं० ९५० दी है, म०नि० सं० ९९३ की तिथि
के लिए देखें अनेकान्त, वर्ष ३, अंक
१२, पृष्ठ ६८१-६८२
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