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[ ३७ जाते हैं । डा० एस० ग्रहेमन, डब्ल्यू० एस० फूलर, डा० पार्मली, लेम्ब, ब्यानिस्टर, ब्रेलर जे० पोटर्र, ए० जे० नाइट और जे० स्मिथ इत्यादि डाक्टर स्वयं मांस खाना छोड़ा देने पर यक्ष्मा, अतिसार, अजीर्णता और मृगी आदि रोगों से विमुक्त होकर सबल और परिश्रमी हुए हैं । इमी प्रकार उन्होंने अन्य रोगियों को मांस छुड़ा कर अच्छा तन्दुरुस्त किया है एवं कई डाक्टरों ने अपने परिवार में मांस खाना छुड़ा दिया है।
जापान सरकार ने अपनी प्रजा के लिए आरोग्यवर्धक नियम प्रकाशित किये । उसके दूसरे नियम में यह लिखा है कि-अच्छा अनाज, फल, शाक और गाय का ताजा दूध तुम अपनी नित्य की खुराक में इस्तेमाल करो। मांस बिल्कुल नहीं खाना, गाय का दूध जहां तक हो सके उसका अधिक उपयोग करना, और अन्न खूब चबाकर गले से नीचे उतारना।
इंग्लैण्ड सरकार की ओर से ब्रिटिश बोर्ड आफ एग्रीकल्चर ने ता० ११-११-१५ के टाइम्स आफ इण्डिया द्वारा अन्न, फल और शाक के महत्व सम्बन्धी एक लेख से अंग्रेजी प्रजा को चेतावनी दी थी कि
'मांसाहार छोड़कर उसके बदले दूध, पनीर, आलू, और मसूर की दाल ग्रहण करो, जो मांस की खुराक की तरह ही शरीर में मांस पैदा करते हैं । मांसाहार जैसे शरीर की शक्ति और हिम्मत कम करता है, एवं तरह-तरह की बीमारियों का मूल कारण है वैसे ही बनस्पत्याहार के साथ कमताकती डरपोकपन और बीमारियों का कोई सम्बन्ध नहीं है।'
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