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ख - ५
पारस्यदेश का शाह सावरसमहान ( ईसापूर्व ५२९) भारी विजेता और एक महान साम्राज्य का संस्थापक था । वह स्वयं तो शाकाहारी था ही, उसने अपने सैनिकों को भी शाकाहारी भोजन करने का आदेश दिया था, जिसका दृढ़तापूर्वक पालन कराया जाता था। सेनोफेन नामक इतिहासकार के अनुसार १५ वर्ष की आयु तकसायरस का पालन पोषण रोटी शाक-जल पर ही हुआ था, तदुपरान्त उसे शहद और मुनक्का खाने के लिए दिये गये थे ।
- सायरस
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जैसे ही आवश्यकताओं की सीमाओं का उल्लंघन किया जाता है, मांस को पथ्य बनाया जाने लगता है और धनसंग्रह सर्वोच्च प्रयत्न का लक्ष्य होता जाता है।
—सुकरात
मांसभक्षी, मद्यपायी, अपढ़ और मूर्ख मनुष्य पशुओं के समान हैं उनसे धरती माता सदैव दुःखी रहती है।
— चाणक्यनीति
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मानव सीधा-सादा जीवन यापन करे, और जो गेहूं आदि से अपनी भूख मिटाये ऐसे भोजन से मनुष्य दीर्घकाल तक शान्ति से वृद्ध अवस्था का उपभोग कर सकता है, और अपनी सन्तान को उत्तराधिकार में सुखीजीवन दे सकता है।
- प्लेटो (यूनानी वर्शनिक अफलातून)
देखो मैंने पृथ्वी पर सब प्रकार की जड़ी बूटियां तथा उनके बीज दिये हैं। साथ ही, तरह-तरह के फलों से लदे पेड़-पौधे भी दिये हैं तथा उनके बीज भी इन सब शाकाहारी पदार्थों को खाओ। वे तुम्हारे लिए मांस से अधिक लाभप्रद हैं । तुम मेरे निकट सदैव एक पवित्र आत्मा बने रहोगे, यदि तुम किसी का भी मांस न खाओ । - ईसा मसीह सहस्रों सम्पन्न बलि यज्ञों को करने से कहीं श्रेयस्कर है वध किये गये प्राणियों के मांसाहार से विरत
रहना ।
तुम कहते हो, 'हम किसी जीवित प्राणी की हिंसा नहीं करते, केवल वध किये हुए प्राणी का मांस खाते हैं।' मैं कहता हूं यदि कोई मांस क्रय करने ही न आवे तो कौन किसी जीव की हत्या करेगा और उसका मांस बेचेगा ।
-तिदक्कुरल
किसी भी प्रकार का मांस ईश्वर को नहीं पहुंचता, न किसी का रक्त ही परन्तु जितनी कुछ दया तुम पालोगे वही अल्लाहताला को कबूल होगी ।
पैगम्बर मोहम्मद (कुरआन शरीफ) ऐ इन्सान ! पशु-पक्षियों की कब्र तू अपने पेट में मत बना |
- हजरत अली
कसाई को छुरी चलाते देख बकरी ने कहा- हरी घास खाने की मुझे यह सजा मिल रही है, तब मेरा मांस खाने वाले कसाई का क्या हाल होगा ?"
- सूफ़ी सन्त अबुल अला
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मांस अहारी मानवा, परतछ राक्षस अंग । तिनकी संगत मत करो, परत भजन में भंग ॥ जोरि कर जिबह करें, कहते रहें हलाल जब दफ्तर देखेगा दई, तब होगा कौन हवाल ॥
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-महात्मा कबीरवास
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