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का विश्वास है कि ई० पू० ५७ के आस-पास विक्रम नाम का कोई व्यक्ति हुआ ही नहीं, और यह कि महावीर निर्वाण एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्याभिषेक के अन्तराल के सम्बन्ध में अन्य जैन अनुश्रुतियों और हेमचन्द्राचार्य के कयन के बीच ६० वर्ष का मतभेद या अन्तर है। हेमचन्द्र का कथन है कि चन्द्रगुप्त मौर्य महावीर निर्वाण के १५५ वर्ष पश्चात सिंहासन पर बैठा था, अतएव प्रर्चात ई०पू० ५२७ में से ६० वर्ष घटाने पर ई० पू० ४६७ की तिथि निश्चित होती है ।18 इस विद्वान के तर्क में सबसे बड़ा दोष यह है कि उसने जैन अनुश्रुतियों एवं साधनस्रोतों की प्रायः पूर्णतया उपेक्षा की है, सिवाय इसके कि निर्वाणकाल को ६० वर्ष आगे ले आने के लिए उसे भी एक साधन बना लिया।
(३) डा० नीलकण्ठ शास्त्री का भी यही मत है और उसकी पुष्टि में उन्होंने प्रायः वही तर्क दिये हैं जिसका प्रयोग शालपेन्टियर ने किया है, परन्तु उन्होंने यह भी अनुभव किया कि इस मत के मानने में दो बाधाएं हैं-एक तो यह कि इसके अनुसार चन्द्र गुप्त मौर्य का राज्यारोहण ई० पू० ३१२ में ठहराता है, जो बहुमान्य तिथि से ९ या १२ वर्ष परवर्ती हैं, दूसरे इससे बुद्ध का निर्वाण महावीर के पहले निश्चित होता है । पहली बाधा का समाधान तो वह यह कहकर कर लेते हैं कि हेमचन्द्र द्वारा प्रदत्त चन्द्रगुप्त की तिथि (३१२ई०पू०) जैन इतिहास की किसी महत्वपूर्ण घटना से सम्बन्धित होगी जो चन्द्रगुप्त के राज्यारोहण के अति निकट होने से उसके साथ सम्बद्ध कर दी गई। दूसरी बाधा को उन्होंने यह कह कर टाल दिया कि बौद्ध पालि ग्रन्थों के उक्त एकाकी कथन (बुद्ध के जीवन काल में महावीर-निर्माण सम्बन्धी) की उपेक्षा की जा सकती है-यह अयथार्थ हो सकता है ।19
(४) डा. हेमचन्द्र राय चौधरी महावीर-निर्वाण के लिए तीन तिथियों, ईसापूर्व ४७८ या ४८६ और ५३६ की सम्भावना व्यक्त करते हैं, क्रमश: यदि बुद्ध निर्वाण की तिथि कैन्टोनी (चीनी) गणना के अनुसार ई०पू० ४८६ स्वीकार की जाती है, अथवा सिंहली गणनानुसार ई० पू० ५४४ मान्य की जाती है। वर्ष ४७८ और ४८६ में से प्रथम तो हेमचन्द्राचार्य के कथनानुसार चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक को, जो ई०पू० ३२३ में हआ, महावीर निर्वाण से १५५ वर्ष पश्चात हुआ मानने से निश्चित होती है, किन्तु उसे करने से बौद्ध ग्रन्थों के उस स्पष्ट कथन को अमान्य करना होगा जिसके अनुसार महावीर का निर्वाण बद्ध के जीवनकाल में हो गया था। अतः अधिक सम्भावना ई० पू० ४८६ के लगभग महावीर का निर्वाण होने की है, जिसकी संगति जैन एवं बौद्ध अनुश्रुतियों में सम्मत अजातशत्र के राज्याभिषेक की तिथि के साथ बैठ जाती है 120
(५) प्रो० चरणदास चटर्जी भी ई० पू० ४८६ की तिथि के पक्ष में हैं, क्योंकि बुद्ध निर्वाण की तिथि ई० पू० ४८३ सुनिश्चित है और बौद्ध अनुश्रुति के स्पष्ट साक्ष्यानुसार महावीर का निर्वाण बुद्ध के निर्वाण से पूर्व हुआ था। 21
18--इ. ए., भाग ४३ जून-जो०-अग० १९१४, पृ० ११ आदि, तथा दी कैम्ब्रिज हिस्टरी आफ इण्डिया,
खण्ड, १, पृ० १५६ 19-हिस्टरी आफ इण्डिया (मद्रास; १९५०), भा० १, पृ० ३९-४० 20-एन एडवान्स्ड हिस्टरी आफ इण्डिया, पृ०७३ 21-बी. सी. ला वाल्यूम, ख० १, पृ. ६०६, ६०७ तथा फु० नोट३०
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