________________
[ ४७
(६) प्रो० एच० सी० सेठ महावीर निर्वाण की तिथि ई० पू० ४५८ और बुद्ध निर्वाण की ई० पू० ४८७ मानते हैं। कालक्रम सम्बन्धी दिगम्बर एवं श्वेताम्बर अनुध तियों के तुलनात्मक अध्ययन से उनकी धारणा है कि उन्होंने ४० वर्ष का ऐसा अन्तर पकड़ लिया है जिसे महावीर और विक्रम के बीच तथाकथित ४७० वर्ष के अन्तराल में से घटा देना चाहिये 122
(ग) तीसरे वर्ग में उन विद्वानों के मत आते प्रमाणसिद्ध मानते हैं, अथवा उसका समर्थन करते हैं। उसे ई० पू० ५२६ या ५२८ भी कह देते हैं।
(१) स्वर्गीय एम. गोविन्द ने बर्मा की बौद्ध अनुश्रुतियों को आधार बनाकर बुद्ध की बोधि प्राप्ति की तिथि ई० पू० ५४६ और उनके परिनिर्वाण की निधि ई० पू० ५०१ निश्चित की थी। वह इस बौद्ध अनुश्रुति को मान्य करते थे कि महावीर बुद्ध के ज्येष्ठ समकालीन थे, अतएव उनके अनुसार महावीर निर्वाण की तिथि ईसापूर्व ५४६ ओर ५०१ के मध्य रही होनी चाहिए तथा यह कि ईसापूर्व ५२७ की तिथि ही सर्वाधिक सम्भव प्रतीत होती है 1 23
ख - ३
हैं जो परम्परामान्य तिथि, जो परम्परामान्य तिथि अर्थात् ईसापूर्व ५२७ को ही गणना के साधारण से अन्तर के कारण कोई-कोई विद्वान
(२) स्व० आचार्य जुगल किशोर मुख्तार ने ई० पू० ५२७ की परम्परामाम्य तिथि का ही समर्थन किया है । उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि कथित विक्रम सम्वत् का प्रारम्भ न तो विक्रम के जन्म से हुआ और न उसके राज्याभिषेक से, वरन् उसकी मृत्यु के साथ हुआ था, अतएव महावीर निर्वाण और विक्रम सम्वत् के प्रवर्तनकाल के मध्य जो ४७० वर्ष का परम्परानुमोदित अन्तराल है, उसमें कोई भी वृद्धि या हानि करने का प्रश्न नहीं उठता। इस प्रकार उन्होंने जार्ल शारपेन्टियर और काशिप्रसाद जायसवाल, दोनों के मतों का निरसन करने का प्रयास किया है। उनका यह भी विश्वास था कि बुद्ध का निर्वाण महावीर के निर्वाण से सात या आठ वर्ष पूर्व हो चुका था 24 वह शक सम्वत् की प्रवृत्ति भी शकराजा की मृत्यु के समय से मानते थे । अब यदि विक्रम और शक सम्वतों की प्रवृत्ति उक्त राजाओं की मृत्यु के स्थान में उनके जीवन की किसी अन्य घटना के साथ हुई सिद्ध हो जाती है तो मुख्तार साहब क्या कहते नहीं कहा जा सकता। इधर आधुनिक विद्वानों ने बुद्धनिर्वाण की तिथि ई० पू० ४८३ प्राय: सुनिश्चित कर दी है। उसके परिप्रेक्ष्य में भी मुस्तार साहब अपने मत में कुछ संशोधन करते या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता ।
प्रो० हीरालाल जैन ने भी प्रायः मुस्तार साहब जैसी युक्तियों से ई० पू० ५२७ की तिथि का समर्थन किया है। उन्होंने यह मानकर कि विक्रम का जन्म महावीर निर्वाण के ४१० राज्य करने के उपरान्त महावीर निर्वाण सम्वत् ४७० में उसकी मृत्यु हुई होगी, साधने का प्रयत्न किया है । 25 किन्तु उनके मत के साथ भी मुख्तार साहब जैसी आपत्ति बनी रहती है।
22 – जेना एन्टीक्वेरी भा० ११, न० १ ० ६ आदि
23 - प्रबुद्ध कर्णाटक ( मैसूर वि० वि०) में प्रकाशित बुद्ध के परिनिर्वाण की तिथि विषयक उनका लेख 24- भगवान महावीर और उनका समय दिल्ली, १९३४
Jain Education International
वर्ष पश्चात् हुआ और ६० वर्ष आचार्य हेमचन्द्र के साक्ष्य को
1
25 षट्खण्डागम (धवल) I, I i प्रस्तावना तथा नागपुर वि० वि० के जर्नल (१९४० पृ० ५२-५३ ) में प्रकाशित महावीर निर्वाण तिथि विषयक उनका लेख कालान्तर में उन्होंने अपने मत एवं प्रतिपादन में कतिपय संशोधन किये हैं और ई० पू० ५२७ की तिथि को ही मान्य किया है- देखिए वीर जिदि चरिउ ( भा० ज्ञा० पी० १९७४ ) की प्रस्तावना तथा 'महावीर युग और जीवन दर्शन' (भा० ज्ञा० पी० १९७५) । डा० ए. एन. उपाध्ये ने भी उनके अन्तिम मत मे सहमति प्रकट की हैं।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org