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महावीर-निर्वाण-काल
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-डा० ज्योति प्रसाद जैन
[गत सौ-सवासी वर्षों में जिन अनेक पाश्चात्य एवं पौर्वात्य प्राच्यविदों और इतिहासकारों ने प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में अथवा स्वतंत्ररूप से, जैनधर्म का ऐतिहासिक परिचय देने का प्रयास किया तो अन्तिम तीर्थंकर महावीर का जीवन परिचय देने और उनका समय निर्धारण करने का भी अल्पाधिक प्रयत्न किया ही। स्वयं जैनों को तो भगवान महावीर के निर्वाण-काल आदि के विषय में प्रायः कभी कोई सन्देह नहीं रहा, किन्तु अनेक प्रसिद्ध जैनेतर विद्वानों ने कतिपय पर्वबद्ध धारणाओं के वश अथवा महात्मा बुद्ध और बौद्धधर्म के इतिहास या राजनैतिक इतिहास की किन्हीं घटनाओं के साथ संगति बैठाने के प्रयत्न में महावीर के समय को विवादास्पद बनाने में योग दिया । इन नवीन मतों का निरसन करने के लिए, वर्तमान शती के तीसरे दशक में सर्वप्रथम मुनि श्री कल्याणविजयजी एवं पं० जुगलकिशोर मुख्तार अग्रेसर हुए । सन् १९५५-५६ में लिखित अपने ग्रन्थ, 'दी जैना सोर्सेज आफ दी हिस्टरी आफ एन्शेण्ट इन्डिया', में हमने इस समस्या पर विस्तार के साथ ऊहापोह किया था। उसके अतिरिक्त शोधांक-२ (नव० १९५६) में हमने प्राचीन पाठों के आधार से 'श्री वीर निर्वाण' का विवरण दिया था, शोघांक-३ (अप्रेल १९५९) में स्व. कस्तुरमल बाठिया का लेख 'महावीर निर्वाणाब्द,' शोधांक-५ (अक्टूबर १९५९) में हमारे लेख 'महावीर निर्वाण संवत्' तथा 'भ० महावीर के समय सम्बन्धी एक नवीन भ्रान्ति', और पं० के० भुजबली शास्त्री का लेख 'प्रचलित वीर निर्वाण संवत् ही ठीक है'
शित हुए। पं० नाथराम प्रेमी, बा. कामता प्रसाद, प्रो० हीरालाल, पण्डित कैलाशचन्द्र, पं० सुखलाल जी, डा० ए० एन० उपाध्ये आदि अन्य अनेक विद्वानों ने भी अपने लेखों में प्रसंगवश इस विषय पर प्रकाश डाला। गत वर्षों में भी, अन्य कई लेखकों के अतिरिक्त यति विजयेन्द्रसूरि जी, मुनि हस्तिमल्ल जी, डा० नेमीचन्द्र शास्त्री, मुनि विद्यानन्द जी एवं डा० मुनि नगराज जी ने इस प्रश्न पर विचार किया है। भाषा, शैली, युक्तियों और प्रमाणाधारों के प्रयोग में अल्पाधिक अन्तर रहते हुए भी प्राय: सभी जैन विद्वानों ने एक मत से महावीर निर्वाण की परम्परा मान्य तिथि, ईसापूर्व ५२७, को ही सिद्ध किया है।
अन्तिम जन तीर्थंकर वर्धमान महावीर की तिथि प्राचीन भारत की ऐतिहासिक कालानुक्रमणिका का एक प्रमुख आद्य पथ-चिन्ह है । जैनेतिहासिक कालानुक्रमणिका की तो वह मूल भित्ति ही है । महावीर-निर्वाण की तिथि ही प्रचलित जैन संवत्, अर्थात महावीर संवत् या महावीर-निर्वाण संवत् के प्रवर्तन की तिथि है, और उसी को आधार मानकर उसकी पूर्ववर्ती एवं परवर्ती समस्त घटनाओं का समय सूचित किया जाता रहा है। यह ऐतिहासिक महत्व की घटना तेइसवें तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ के निर्वाण से दोसौ-पचास वर्ष पश्चात तथा वर्तमान कल्पकाल
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