Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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आचारांगसूत्रे
तत्तत्स्थलेषु 'अगारिभिः सागारिभिः सागारिकैः गृहस्थै: 'अगाराई' अगाराणि गृहाणि 'चेतिताई भवति' चेतितानि निर्मितानि भवन्ति 'तं जहा आएसणाणि वा' तद्यथा - आयसानि वा लोहमयानि (आदेशनानि वा ) 'आयतणाणि वा' आयतनानि वा 'देवकुलाणिवा' agart वा 'सहाओवा' सभा वा 'पवाणि वा' प्रपा वा 'जाव भवणगिहाणि वा' यावत्पण्यगृहाणि वा पण्यशाला वा यानगृहाणि यानशाला वा सुधाकर्मान्तानि वा दर्भकर्मान्तानि या वर्द्धकर्मान्तानि वा वल्कलकर्मान्तानि वा स्मशानकर्मान्तानि वा शून्यागारकर्मान्तानि वा गिरिकर्मान्तानि वा कन्दराकर्मान्तानि वा शैलोपस्थापनकर्मान्तानि वा भवनगृहाणि वा तत्र 'जे भयंतारी' ये तावत् भयत्रातारः भवभीतित्राणकर्तारः भगवन्तो जैनमुनयः 'तहप्पगाराई' तथाप्रकाराणि उपर्युक्तरूपाणि 'आएसणाणि वा' आयसानि वा ( आदेशनानि वा) ' आयतउन अत्यावश्यक स्थलों में बहुत से अगार गृहों मठ मंदिरों को बनवा देते है 'तं जहा - आएसणाणि वा' जैसे कि लोह इस्पात के घरों को और 'आयतणाणि चा' आरस पत्थर के टुकडे से बनाये जानेवाले घरों को और आयतनों को या 'देवकुलाणि वा सहाओ वा' या देवकुलों को या सभागृहों को- 'पवाणि वा' या प्रपा-पानीय- शालाओं को 'जाव भवणगिहाणी वा-या यावत् पण्य गृहों को या पण्यशालाओं को या यान गृहों को या रथादि यान शालाओं को सुधा चुना परिस्कारक गृहों कों या दर्भ-कुश डाभ के बनाये जाने वाले कट चटाई के गृहों को या वल्कल छाल वगैरह से बनाये जानेवाले खोरला या टोकरी वगैरह को गृहों को या स्मशान गृहों को या पर्वत के उपर भाग बनाये जाने वाले घरों को कन्दरा गुफा के अंदर के घरों को या पत्थरों के मण्डपों को या भवन गृहों को बनवा देते है, 'जे भयंतारों तहपगाराई आएसणाणि वा, आयतणाणि देव कुलाणि वा जाव भवणगिहाणि वा' जो ये भगवाता संसार के भय से त्राण ४३ स्थामा अगारिहि अगाराई चेतिताई भवति' इस्था द्वारा ने हारना भ भद्विश विगेरे मनावी हे छे. 'तं जड़ा' ते या प्रमाणे 'आएसणाणि वा' मारसना पत्थरे।थी जनावेस धशेने अने 'आयतणाणि वा' आयतनाने 'देवकुलाणि वा' अथवा देव धरीने अथवा 'सहाओ वा' सभा गृहोने अथवा 'पत्राणिवा' ५२५ विगेरे पानीयशाणाने अथवा 'जाव भवणगिहाण व यावत् गृड्डे ने अथवा पय शाजायने अथवा यान ગુડાને અથવા રથ વિગેરે રાખવાની યાનશાળાઓને અથવા ચુને મનાવવાના ગૃહેને અથવા ડાભ ફિગેરેના ટાપલી સાદડી વિગેરે મનાવવાના ગૃહાને અથવા સ્મશાન ગૃહેને અથવા પર્યંતના ઉપરના ભાગમાં મનાવવામાં આવેલ ઘરને અથવા ગુદ્દાની અંદર મનાવેલા ઘરને અથવા પત્થરના મડપેાને અથવા ભવન ગૃહાને બનાવરાવી આપે છે. કે भयंतारो तह पगाराई' संसारना अयथी यथावनार ने साधुओ। भाषा अारना 'ओएस. णाणि वा' मायस गृहोने अथवा 'आयतणाणि वा' भायतनाने अथवा 'देवकुलाणि वा' है।
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૪