Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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मर्मप्रकाशिका टीका श्रुतकंस्ध २ उ. १ स्. २ चतुर्थ भाषाजातमध्ययननिरूपणम् ६१३ अभाषेव भवति तस्या उच्चरित प्रध्वंसित्वेन विनष्टत्वात्- अथ साधूनां सध्वीनाञ्चकृते वक्ष्यमाणानां चतसृणां भाषाणाम् मध्ये द्वितीयतृतीयभाषाजातयो : अभाषणीयत्वमाह- से भिक्खू वा भिक्खुणी वा' स संयमवान् भिक्षुर्वा भिक्षु की वा 'से जं पुण एवं जाणिज्जा' स साधुः साध्वी वा यां पुनः एवंभूतां वक्ष्यमाणरूपां भाषां जानीयात्-तद्यथा 'जा य भासा सच्चा' या च भाषा सत्या वर्तते 'जा य भासा मोसा' या च भाषा मृषा असत्या वतेते, 'जा य भासा सच्चामोसा' या च भाषा सत्यामृषा-किश्चित् सत्या किश्चिचासत्या वर्तते 'जा य भासा असञ्चाऽमोसा' या च भाषा असत्याऽमृषा-नापि सत्या नापि मृषा व्यवहारभाषा इत्यर्थः एतासु चतसृषु भाषामु मृषा सत्यामृषा चेति भाषाद्वयं साधुभिः साध्वीभिश्च न वक्तव्यम् अपि तु सत्या असत्याऽमृषा चेति भाषा द्वयमेव तैः ताभिश्च वक्तव्यम, किन्तु सत्यापि भाषा कर्कशादि युक्तत्वात् सावद्या साधुभिर्नवक्तव्या इति दर्शयामाह-'तहपगारं भासं सावज भी अभाषा ही हो जाती है क्योंकि भाषा रूप शब्दों को उच्चारण के बाद तुरत ही विनष्ट हो जाने से अस्तित्व नहीं रहता है, अब संयमशील साधु और साध्वी के लिये वक्ष्ममाण चारों भाषाओं के मध्य मे द्वितीय तृतीय अभाषणीय ही होती हैं यह बतलाते हैं 'से भिक्खू वा भिक्खुणी वा, से जं पुण एवं जाणिज्जा'-वह पूर्वोक्त भिक्षु संयमशील साधु और भिक्षुकी साध्वी को ऐसा वक्ष्यमाण रूप से जानना चाहिये कि 'जा य भासा सच्चा' जो भाषा सत्य रूपा है एवं 'जाच भासा मोसा' जो भाषामृषा असत्यरूपा है तथा 'जा य भासा सच्चामोसा' जो भाषा सत्यमृषा रूपा है और 'जा य भासा असच्चा मोसा' जो भाषा असत्य अमृषा रूपा है अर्थात् जो भाषा न तो सत्य ही हैं और नापि असत्य ही है ऐसी यह असत्याऽमृषा नाम की चतुर्थीभाषा व्यावहारि की भाषा कही जाती है इन चारों भाषाओं में मृषा और सत्यामृषा इन दोनों भाषाओं का प्रयोग साधु और साध्वी को नहीं करना चाहिये इस तात्पर्य से વીતી ગયા પછી ભૂતકાળની ભાષા પણ અભાષા જ થઈ જાય છે. ભાષા રૂપ શબ્દના ઉચ્ચારણની પછી તરત જ નષ્ટ થઈ જવાથી તેનું અસ્તિત્વ રહેતું નથી.
હવે સાધુ અને સાવીને વફ્ટમાણ ચારે ભાષાઓમાં બીજી અને ત્રીજી ભાષા અભાષણીય હોવાનું સૂત્રકાર કથન કરે છે.
1-से भिक्ख वा भिक्खुणी वा' ते alsत सयमशीस साधु सन साध्वी 'से जं पुण एवं जाणिज्जा' तमो से ते मे -'जा य भासा सच्चा जा य भासा मोसा' २ भाषा सत्य ३५॥ छ भने २ मा। असत्य३५॥ छे. तथा 'जा य भासा सच्चा मोसा जा य भासा असच्चा मोसा' भाषा सत्य भृषा३५॥ छ भने रे मा। અસત્ય અમૃષારૂપ છે અર્થાત્ જે ભાષા સત્યરૂપ નથી તેમ અસત્ય પણ ન હોય એવી આ અસત્યા અમૃષાનામની એથી ભાષા વ્યાવહારિક ભાષા કહેવાય છે. આ ચારે ભાષા
श्री सागसूत्र :४