Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ममंप्रकाशिका टीका श्रुतस्कघ २ उ. २ सू० १ षष्ठ पात्रैषणाध्ययननिरूपणम् ७४९ पात्राणि कावमयानि पात्राणि कांस्यपात्राणि (कांसा) 'संखसिंगपायाणि वा' शङ्खशृङ्गपात्राणि वा-शङ्खमयपात्राणि (शंखमरमर) शृङ्गमयपात्राणि दंतपायाणि वा' दन्तपात्राणि वा-हस्तिदन्तमयपात्राणि 'चेलपायाणि वा' चेलपात्राणि वा-वस्त्रमयपात्राणि 'सेलपायाणि वा' शैलपात्राणि प्रस्तरमयपात्राणि वा-'चम्मपायाणि वा' चर्मपात्राणि वा-चर्ममयपात्राणि 'अन्नयराई वा' अन्यतराणि वा-प्लाष्टिकप्रभृतीनि 'तहपगाराणि' अन्यानि वा तथाप्रकाराणि एतादृशानि बहुमूल्यानि पात्राणि 'विरूवख्वाइं महद्धणमुल्लाणि' विरूपरूपाणि-नानाविधानि महाधन मूल्यानि-बहुमूल्यानि 'पायाणि' पात्राणि-भाजनानि 'अफासुथाई अणेसणिज्जाइं जाव नो पडिगाहिज्जा' अप्रासुकानि-सचित्तानि अनेषणीयानि-आधाकर्मादिदोषयुक्तानि यावद्-मन्यमानो नो प्रतिगृह्णीयात्, उपर्युक्तरूपपात्रग्रहणे साधूनां साध्वीनाञ्च आसक्तिवर्धकतया संयमविराधनासंभवात् तस्माद् बहुमूल्यानि उपर्युक्तरूपाणि पात्राणि साधुः साध्वी वा न प्रती गृह्णो'संखसिंगपायाणि वा' शंख के पात्र हैं या हरिण वगैरह के शृंग मय पात्र हैं अथवा 'दंतपायाणि वा' हाथी के दांतों के पात्र हैं अर्थात् हस्तिदन्तमय पात्र हैं या 'चेलपायाणि वा' वस्त्रमय पात्र हैं अथवा 'सेलपायाणि वा' प्रस्तर मय पात्र हैं, या 'चम्मपायाणि वा' चर्ममय पात्र हैं या 'अन्नयराई वा तहपगाराई' इसी प्रकार के दूसरे भी प्लाष्टिक प्रभृति के पात्र हैं ऐसा जान ले तो इस तरह के विरूवरूवाई महद्धणमुलाणि पायाणि' बहुमूल्यक नानाप्रकार के पात्रों को 'अफासुथाई अणेसणिजाई' अप्रासुक-सचित्त तथा अनेषणीय 'जाव नो पडि. गाहिजा' आधाकर्मादि षोडश दोषों से युक्त समझते हुए साधु को नहीं ग्रहण करना चाहिये क्योंकि उपर्युक्त चांदी सोने वगैरह के बहुमूल्यक पात्रों को ग्रहण करने से साधु और साध्चो को उन बहुमूल्य पात्रों के प्रति आसक्ति बढ जाने से संयम की विराधना होगी, इसलिये उपयुक्त बहुमूल्यक पात्रों को साधु और साध्वी नहीं ग्रहण करें। पात्र छ अथवा मा साना पात्र छे. भया 'संखसिंगपायाणि वा' मा मना पात्र छ १५१। २ विगेरेना गमय । पात्र. ५२१। 'दंतपायाणि वा' 240 यी aiतना पात्र छ पटले, हाथी दांतमय पात्रा छ. 24241 'चेलपायाणि वा' या पसमय पात्र छे. १५वा 'सेलपायाणि वा' ५.५२मय पात्र छे. अथवा 'चम्मपायाणि वा' मा यामान पात्रो छ, अथवा 'अन्नयराई वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई' से । प्रमाणे मीn yey Matels विरेन। १२४ ४१ पात्र छे भने 'महद्धणमुल्लाणि पायाणि' मधीमती भने प्रा२ना पात्राने 'अप्पासुय अणेसणिज्जाई, मासु-सायत्त तथा अनेषणीय भाषामा सो होषापाणा समलने 'जाव नो पडिगाहिज्जा' साधुसे ચહણ કરવા નહીં. કેમ કે ઉપરોક્ત ચાંદી સેના વિગેરેના પાત્રો કે જે ઉંચી કીમતના હેય છે તેને ગ્રહણ કરવાથી સાધુ અને સાવીને એ કીમતી પાત્ર પ્રત્યે આસક્તિ વધી
श्री आया। सूत्र : ४