Book Title: Tirthankar Charitra Part 1
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीर्थकर चरित्र
प्रभु के आदेश को शिरोधर्य कर भरत ने राज्य-भार ग्रहण करना स्वीकार किया और प्रभु के आदेश से अमात्य, सामन्त और सेनापति आदि ने भरतकुमार का राज्याभिषेक किया। भर के अतिरिक्त बाहुबली आदि ९९ पुत्रों को योग्यता के अनुसार पृथक-पृथक देशों का र.ज्य दिया। इसके बाद श्रीऋषभदेवजी ने साम्वत्सरिक दान देना प्रारंभ किया। जब वर्षीदान देना प्रारम्भ हुआ, तो इन्द्र के आदेश से कुबेर ने मुंभक देवों के द्वारा श्रीभण्डार में ऐसा द्रव्य जमा किया कि जो भूमि में, बाग, उद्यान, श्मशान, जलाशय आदि में दबा हो, जिसका कोई स्वामी नहीं हो और जिसकी वंश-परम्परा में कोई नहीं बचा हो।
वर्षीदान प्रारम्भ करने के पूर्व यह उद्घोषणा करवाई कि-जिसे जो वस्तु चाहिए, उसे वह वस्तु दान में दी जायगी। प्रतिदिन प्रातःकाल से लगा कर भोजन के समय तक श्री आदिनाथजी, एक कोटी आठ लाख सोनये का दान करने लगे।
दीक्षा
जब नित्यदान को एक वर्ष पूरा हो गया और प्रव्रजित होने का समय आया, तो शकेन्द्र का आसन चलायमान हुआ । वह भगवान् की सेवा में उपस्थित हुआ और उसने भगवान् का दीक्षाभिषेक किया। 'सुदर्शना' नाम की शिविका में प्रभु बिराजे । प्रथम मनष्यों ने और बाद में देवों ने शिविका उठाई । सुर और असुरों ने मंगल बाजे बजा कर दिशाओं को गुंजा दिया । चामर बिजने लगे । भगवंत का जयजयकार करते हुए भगवान् को सवारी निकली । भमवान् को जाते देख कर वनिता नगरी के लोग उनके पीछे पीछे दौड़ने लगे। देव-गण अपने विमानों में बैठ कर आकाश मार्ग से आने लगे। भगवान् के दोनों ओर भरत और बाहुबली बैठे थे । अन्य अठाणु पुत्र प्रभु के पीछे चल रहे थे । मरु. देवी माता, सुमंगला और सुनन्दा रानी, ब्राह्म-सुन्दरी पुत्री और अन्य स्त्रियें सजल नयन हो पीछे-पीछे चल रही थी। भगवान्, सिद्धार्थ नामक उद्य.न में पधारे और अशोक वृक्ष के नीचे शिविका से उतरे । भगवान् ने अपने आभूाण और वरत्र उतार दिये । उसी समय इन्द्र ने एक देवदूष्य वस्त्र भगवान् के कन्धे पर रख दिया ।
यह चैत्र-कृष्ण अष्टमी का दिन था । चन्द्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आया हुआ था। दिन के अंतिम प्रहर में देवों और मनुष्यों के, बहुत बड़े समूह के सामने प्रभु ने चार मुष्टि लोच किया। प्रभु के केशों को सौधर्मपति शक्रेन्द्र ने अपने दस्त्र में ग्रहण किया । जब
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