Book Title: Tirthankar Charitra Part 1
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 375
________________ तीर्थङ्कर चरित्र निर्वाण के बाद अर्ध पल्योपम काल व्यतीत होने पर भ० कुंथु थजी मोक्ष पधारे । प्रभु के स्वयंभू आदि सेंतीस गणधर हुए । ६०००० साधु, ६०६०० साध्वियाँ, ६७० चौदह पूर्वधर, २५०० अवधिज्ञानी, ३३४० मनः पर्यवज्ञानी, ३२०० केवलज्ञानी, ५१०० वैक्रिय - लब्धिवाले, २००० वाद- लब्धिवाले, १७९००० श्रावक और ३८१००० श्राविकाएँ हुई। ३६२ सतरहवें तीर्थंकर भगवान् ॥ कुन्थुनाथजी का चरित्र सम्पूर्ण ॥ * ग्रंथकार ३५ गणधर होना लिखते हैं, परन्तु समवायांग में ३७ लिखें हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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