Book Title: Tirthankar Charitra Part 1
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 387
________________ तीर्थङ्कर चरित्र भगवान् अरनाथ स्वामी के कुंभ आदि ३३ गणधर, ५०००० साधु, ६०००० साध्वियों, ६१० चौदह पूर्वधर, २६०० अवधिज्ञानी, २५५१ मनःपर्यायज्ञानी, २८०० केवलज्ञानी, ७३०० वैक्रिय लब्धि वाले, १६०० वाद लन्धि वाले, १८४००० श्रावक और ३७२००० श्राविकाएँ हुई। भगवान् अरनाथ स्वामी २०९९७ वर्ष केवलज्ञानी तीर्थंकरपने विचरे । निर्वाण समय निकट जान कर एक हजार मुनियों के साथ सम्मेदशिखर पर्वत पर पधारे और अनशन किया । एक मास के पश्चात् मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को रेवती नक्षत्र में मोक्ष प्राप्त हुए। भगवान् अरनाथ स्वामी २१००० वर्ष कुमार अवस्था में, इतने ही मांडलिक राजा, इतने ही वर्ष चक्रवर्ती सम्राट और इतने ही वर्ष व्रत-पर्याय में रहे। कुल आयु ८४००० वर्ष का था। इन्द्रादि देवों ने भगवान् का निव.".-महोत्सव किया। अठारहवें तीर्थंकर भगवान् ॥ अरनाथजी का चरित्र सम्पूर्ण ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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