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प्रथमः पादः
अव्ययों में और उत्खात इत्यादि शब्दों में, आदि आकार का अ विकल्प से होता है। उदा०--अव्ययों में---जह... 'हा, इत्यादि । उत्खात इत्यादि शब्दों में-- उक्वयं..... खाइरं। ( इनके मूल संस्कृत शब्द क्रम से ऐसे हैं:-) उत्खात...... खादिर, इत्यादि । ब्राह्मण और पूर्वाह्न शब्दों में भी ( आदि मा का विकल्प से म होता है ) ऐसा मत कुछ वैयाकरण व्यक्त करते हैं; (इसलिए-- वम्हणो' 'पुम्बाहो। दवग्गी, दावगी और चडू, चाडू ये रूप तो ( मूल ) भिन्न ( संस्कृत ) शब्दों से ही सिब हुए हैं ( इसलिए उन शब्दों में आ का विकल्प से अ होता है, ऐसा मानने की भावश्यकता नहीं है।)
धवृद्धेर्वा ॥ ६८॥ घनिमित्तो यो वृद्धिरूप आकारस्तस्यादिभूतस्य अद् वा भवति । पवहो' पवाहो। पहरो' पहारो। पयरो पयारो। प्रकारः प्रचारो वा । पत्पवो पत्थावो । क्वचिन्न भवति । रागः राओ।
पन् प्रत्यय लगने से वृद्धि के स्वरूप में जो आकार आता है, वह आदि होने पर, उसका विकल्प से अ होता है। उदा -पवहो.... 'पहारो; पयरो, पयारो ( इन दोनों के मूल संस्कृत शब्द ऐसे हैं-) प्रकार किंवा प्रचार; पत्थवो पत्यायो । क्वचित् ( ऐसे आ का अ नहीं होता है । उदा:-- ) रागः राओ।
महाराष्ट्रे ॥ ६९॥ महाराष्ट्रशब्दे आदेराकारस्य अद् भवति । मरहट्ठे । मरहट्ठो। महाराष्ट्र शब्द में आदि आकार का अ होता है । उदा०-मरहट्ठ, मरहट्ठो ।
मांसादिष्वनुस्वारे ॥ ७० ॥ मांसप्रकारेषु अनुस्वारे सति आदेरातः अद् भवति । मंसं । पंसू । पंसणो। कंसं । कंसिओ। वंसिओ। पंडवो । संसिद्धिओ। संजत्तिओ । अनुस्वार इति किम् । मासं । पासू । मांस । पांसु । पांसन। कांस्य । कांसिक । वांशिक । पांडव । सांसिद्धिक । सांयात्रिक । इत्यादि।
मांस ( इत्यादि ) प्रकार के शब्दों में, भनुस्वार होते समय, आदि आ का म होता है। उदा०--मंसं...''संजत्तिो । अनुस्वार होते समय, ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण यदि इस अनुस्वार का लोप सूत्र १.२९ के अनुस्वार किया हो, तो आ का अ नहीं होता है । उदा.-) मांस, पासू ।
(उपयुक्त शब्दों के मूल संस्कृत शब्द ऐसे हैं-) मांस 'सायात्रिक, इत्यादि । १. प्रवाह ।
२. प्रहार। For Private & Personal Use Only
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