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अर्थ
(दुष्ट मन, बस
१६)
. ( तृतीय भाग . मूल मणदुक्कडाए वयदुक्कडाएट मन, वचन कार्य से की हुई
दुक्कडाए कोहाए माणाए- क्रोध से, मान से मायाए लोहाए-- माया से लोभ से की हुई सव्वकालियाए-- सर्व काल सम्बन्धी सव्वमिच्छोवयाराए--
सब प्रकार के मिथ्या उपचार से
भरी हुई सव्वधम्माइक्कमणाए- सर्व धर्म का उल्लघन करने वाली आसायणाए
आसातना से जो मे देवसिओ-- जो मैने दिवस सम्बन्धी अइयारो कओ-- अतिचार किया हो । तस्स खमासमणो
हे क्षमा--श्रमण | उसका पडिक्कमामि-- प्रतिक्रमण करता हूँ (निवृत होता हूँ) निदामि गरिहामि-- निंदा करता हूँ, गर्दा करता हूँ अप्पाणं वोसिरामि- आत्मा को(पापप्रवृत्ति) से हटाता हूँ