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जैन पाठावली)
अर्थ
भे
अहोकाय- . (आपके) अधोकाय-चरणो का कायसंग.स- अपने काय मस्तक-से स्पर्श (करता हूँ) खमणिज्जो
क्षमा के योग्य हैं
आपको (मेरे स्पर्श से) किलामो
बाधा-पीडा हुई हो, वह अप्पकिलंताणं
अल्प ग्लान-अवस्था में रह कर बहसुभेण भे ! दिवसो- आपका दिवस बहुत समाधि से वइक्कतो?
व्यतीत हुआ है ? जत्ता भे?
आपकी सयम यात्रा (निर्वाध है? ) जवणिज्जं च भे?- आपका शरीर (मन व इद्रियो की)
पोडा से रहित है ? खामेलि खसासमणो !- हे क्षमावान् श्रमण खमाता हूँ देवसिअ वइक्कम- दिवम सबधी अपराधो को आवस्सिाए- आवश्यक मे हुए विपरीत मनुष्ठान से पडिक्कमामि
निवृत्त होता हूँ खमासमणाणं
क्षमा श्रमण की देवसिआए--
दिवस सम्बधी आसायणाए तित्तीसन्नयराए-तेतीस मे मे किमी भी आसातना से जं किचि मिच्छाए-- जो कोई मिथ्याभाव से की हो