________________
(
कथा - विभाग
सती चन्दनबाला
पिता मरा, माता मरी, दासी वन वेचाय, पर रक्खा दृढ धर्म को, रंच न चित्त चलाय । तीन दिवस भूखी रही, मिले वीर भगवान्, कीर्ति बढी, वैभव वढा, पाया पद निर्वाण ॥
ऊँटनी- सवार कोशाम्बी नगरी मे आ पहुँचा । उसने चमुमती को ऊँटनी से नीचे उतारा और बाजार में खडा कर दिया । झुण्ड के झुण्ड लोग वहाँ आये । वसुमती का रूप देखकर मोल करने लगे-' इस कन्या का मोल क्या है
-
सवार
मांग देख कर महँगा होता गया ।
ܙ ܕ
यह वसुमती कौन थी ? उसकी पिछली कथा सुनो । चम्पानगरी के राजा दधिवाहन की वह लडकी थी ।
उसकी माता का नाम धारिणी था। माता-पिता ने पढ़ा-लिखा कर उसे होशियार बनाया था । राजा शतानीक फोन लेकर चढ आया । आमने-सामने लडाई हुई । अन्त मे दधिवाहून मारा गया । शत्रु के हाथ में न पड़ने के विचार से
1