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ततीय भाग)
वह बार-बार उपवास भी करने लगा। इस प्रकार मेढक होने पर भी उसने अपना जीवन सफल बना लिया ।
एक बार लोगो की बातचीत से उसे मालूम हुआ कि गुणगीलक चैत्य में भगवान महावीर स्वामी पधारे हैं। उसे भगवान् का दर्शन करने की इच्छा हुई और वह उसी समय जल्दी-जल्दी चल दिया।
उधर भगवान का दर्शन करने के लिए राजा श्रेणिक ___ की सवारी निकली। बेचारा मेंढक उस सवारी की झपट में
आ गया । आंते बाहर निकल पडी । मेंढक मर गया।
__इस बार मरते समय उसके मन में बावडी नहीं थी, वल्कि भगवान् महावीर थे । उसने भगवान् को भजते-भजते देह छोडा । इस कारण अब की.बार वह देव हुआ ।
दर्दुरावतसक विमान में से वह कई बार भगवान् महावार के दर्शन करने आया करता था। उसने मरते समय साता का विचार किया था इस कारण यह देव मरकर महाविदेह क्षेत्र में उपजेगा और मोक्ष प्राप्त करेगा।