Book Title: Jain Pathavali Part 03
Author(s): Trilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publisher: Tilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar

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Page 229
________________ - तृतीय भाग) (२२७ . (५) देखो रे देखो रे जैनो . ... महापुरुष देखो रे देखो रे जैनो ! कैसे व्रतधारी, कसे व्रतधारी पहले हुए नर-नारी । देखो० ।। . , देखो देखो जम्बूस्वामी, बालवय मे बोध पामी, तजी राजऋद्धि सारी, तजी आठ नारी, . तजी आठ नारी उनको वदना हमारी । देखो० ॥ गजसुकुमाल प्यारे, माथे सहे हैं अंगारे, अचल रहे वे योगी, डिगे न लगारी, डिगे न लगारी उनको वदना हमारी ।। देखो० ॥ कोशा के मन्दिर मध्य रहे मुनि स्थूलिभद्र, वेश्या घर वसने पर भी, हुए न विकारी ।। । हुए 'न विकारी उनको वदना हमारी । देखो० ।। महासती राजुल जैसी मिले दूसरी न ऐसी,. . पतिव्रत पालन करने, रही वह कुँवारी, रही वहाकुंवारी उनको वदना हमारी । देखो० . 1' : सती थी कलावती महा, शखपुर माहि अहा ! कर निजे कटे तो भी रही टेकधारी, । १ रही टेकदारी उनको वदना हमारी ॥ देखो० ॥ जनकसुता वह सीता, एक युग पूरा वीता,

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