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तृतीय भाग) .
क्षमा एक बडा गुण है । इस गुण की बदौलत आखिर में शत्रु भी मित्र बन जाता है।
• जो महापुरुष आत्मा और देह को जुदा-जुदा समझ लेता है, वह स्वय आगे बढकर अच्छे काम कर सकता है।
मतलब यह है कि समझदार आदमी दूसरो के दोष नहीं देखता । वह दूसरे के गुणों को देखता है और अपने दोषो को देखता है । और फिर अपने दोपो को दूर कर देता है।