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ततीय भाग)
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रही है । इस कहावत मे सचाई मालूम होती है । अभयकुमार बुद्धि का सागर था। उसके पिता भी ऐसे ही थे । उसका नाम था थेणिक । श्रेणिक के पिता का नाम प्रसेनजित था।
• मगध विशाल प्रदेश है। दो हजार वर्ष पहले यह हिंदुस्तान का मुख्य भाग था। मगध मे कुशाग्रपुर नामक एक नगर था । यह नगर राजा प्रसेनजित की राजधानी।
राजा के अनेक पुत्र थे । माता पिताजी को सभी बालक प्यारे लगते हैं, मगर होशियार होने के कारण श्रेणिक, राजा को अधिक प्यारा था।
___ श्रेणिक बडा हुआ। एक दिन प्रसेनजित ने सोचा-~ यह लडका मगध का राजा होने योग्य है । देश की प्रजा का पालन यही कर सकेगा।' यह सोचकर उसने सब लडको की परीक्षा करने का इरादा किया।
खीर का भोजन बनवाकर राजा ने सबको जीमने विटलाया। जीमना शुरू हा ही था कि राजा ने भयानक कुत्ते छोड़ दिये । भयानक कुत्तो को देखकर सब राजकुमार घबराकर भाग खड़े हुए, मगर श्रेणिक नही भागा। वह अपनी जगह पर ही जमा रहा और खाता रहा। वह अपने भाइयो के छोड़े हुए थारु एक के बाद एक कुत्तो के सामने सरकाता रहा। कुत्ते खीर क . कटोरे पाकर लप-लप खाने लगे और श्रेणिक भी मजे मे खी खाता रहा । यह देखकर राजा प्रसेनजित को श्रेणिक के सबध में पूरी खातिरी हो गई।