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तृतीय भाग)
वन्दन,हो शील की रक्षा करने वाली द्रौपदी को । वन्दन हो विद्या और बुद्धि की भण्डार द्रौपदी को ! वन्दन हो पति की सेवा में परायण द्रौपदी को! - वन्दन हो साध्वी-शिरोमणि महासती द्रौपदी को !
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सती दमयन्ती
वल-रूप-गुण के धाम नल भूपेश से ब्याही गई, पर चूत में नलराज की सपत्ति हाय चली गई। पति-सग वन में भी रही पर त्याग पति ने कर दिया, पाला सती ने शील-संयम धर्म करके दृढ़ हिया। हो धन्य दमयन्ती सती, हो वन्दनीय सदैव ही, संयम लिया तज राज-वैभव भव-जलधि में ना वही ।
सती दमयती का नाम तो तुमने सुना ही होगा । कुण्डिनपुर के राजा भीमरथ की वह कन्या थी । अयोध्या के राजा निषधराज के पुत्र नल ने स्वयवर मे उसे वरण किया था ।
___नल और कुबेर दोनो भाई थे । नल बड और कुबेर छोटा भाई था।
नल रूपवान् तो थे ही, वीर भी थे। वहत्तर कलाओ मे कुशल थे । रसिक थे । गुणी थे ।