________________
नेम-राजुल
नवयुवक सुन्दर नेमजी, राजमती वरने गये, आक्रन्द सुन पशु-पक्षियों का लौटकर त्यागी हुए !
कल्याण निज-पर का किया, संयम हृदय मे धार कर। कू हू . . हू .....फि.. फी......हि .हि...... ____ अरे । यह तो दिव्य पाञ्चजन्य शख की आवाज है । श्रीकृष्ण वासुदेव के सिवाय और कौन यह शख फूक सकता है ? लेकिन वासुदेव तो कचहरी मे बैठे है । तो फिर किसने यह आवाज की है ?
लोग चकित होकर आपस में बाचीत करने लगे। वासुदेव भी सोच-विचार मे पड़े हुए थे । उसी समय हाँफता-हांफता एक आदमी आ पहुंचा।
वासुदेव बोले-शखरक्षक । किसने शंख बजाया है ? शखरक्षक ने सास लेने के बाद कहा-श्री नेमिकुमार ने ।
इन नेमिकुमार का असली नाम अरिष्टनेमि था । लोग इन्हे नेमिनाथ भी कहते थे । उनकी माता का नाम शिवादेवी छोटे भाई का नाम रथनेमि और पिता का नाम समुद्रविजय था। समुद्रविजय, के उनसे छोटे नौ भाई और थे । उनमें सब से छोटे वसुदेव थे ।