________________
१६८)
(जैन पाठावली धन्ना सवका प्यारा था। बुद्धि का सागर था। विनय मे पूरा था। ऐसे धन्ना का सभी बखान करते थे । मगर उसके बडे भाइयो को उसकी तारीफ नही रुचती थी। वे लोग हमेशा अपने पिता से झगड़ते और कहते-बस, आपतो धन्ना को ही सभी कुछ समझते हैं। आपके लिए अकेला धन्ना चतुर है और हम सब पागल हैं । धन्ना इतना बडा हो गया है, फिर भी उसे व्यापार करना तक तो आता नही। हम व्यापार करते है, कमाते है। इसी से धन्ना खाता, पिता और मौज करता है । लेकिन आप धन्ना की ही तारीफ के पुल बाँधा करते है ।
पिता ने सोचा-इन सब के चित्त मे डाह है। चलो एक बार परीक्षा कर लूं। तभी इन्हे पता चलेगा कि धन्ना कितना होशियार है।
___ उन्ही दिनो गोदावरी मे किराने का एक बडा जहाज आया। किराना वहुत कीमती था, मगर जहाज का मालिक रास्ते मे मर गया था। अत उस जहाज पर राजा का अधिकार हो गया। राजा ने व्यापारियो को बुलाया। धनमार सेठ को भी कहलाया ।
धनसार सेठ ने सोचा-मोका अच्छा है। उसने अपने सब लडको को बुलाकर कहा--राजा का जहाज आया है। मव व्यापारी जा रहे हैं। किराने खरीदने के लिए अपने से भी कहा गया है । कहो, कौन जायगा ?