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स्थूलभद्र
+ISHS कोगा में अनुरक्त हो, चेते फिर धीमान् । कोशा के प्रेरकाबने, स्थूलभद्र भगवान् ॥ ..
एक था नगर । उसका नाम'' पाटलीपुत्र । वहाँ नन्द राजा राज्य करते थे । वहाँ बहुत से कुएं, बावडियाँ और तालाब थे। पास में ही मजेकी नदी बहती थी। नगर के चहुँ ओर बगीचे थे, वाटिका थी और खेतथे । पानी का सुख था । अनाज का सुख था । उसकी सुन्दरता का क्या पूछना । और वहाँ को आवादा खूब थी । उस नगर में शकडाल मन्त्री रहता था। उसके दो लडके थे। बडे का नाम -स्थूलभद्र और छोटे का नाम श्रयक -था।
मन्त्री ने स्थूलभद्र को पढने- भेजा । वह अक्षर विद्या सीख गया । सगीत भी सीख गया । व्याकरण, गणित, साहित्य और तत्त्वज्ञान भी सीखा । इसके बाद उसे नृत्यकला का शौक लगा।
उसी नगर में रहती थी एक गणिका । उसका नाम कोशा था । कोशा के गले का क्या पूछना | कितना सुन्दर था उमका आलाप । नृत्य कला में तो कोशा की जोडी ही नहीं मिल सकती थी। प्रथम तो स्त्री और फिर मीठा कण्ठ | उसका सगीत शास्त्रीय ढंग का था। नृत्यकला में कुशल होने से कोई