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( जैन पाठावली
शेष नही रहता है । वहाँ जाने के पश्चात् ससार में । पश्चात् ससार में पुन आने का काम भी नही रहता है । यह मोक्ष पहिले भी था, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा ही । भूतकाल मे भी अनन्त सिद्ध हुए, वर्त्तमानकाल मे भी होते है और भविष्यकाल मे भी होगे । इसलिये कर्मों से मुक्त होने के लिये आत्मशुद्धि के लियेप्रयत्नशील होना चाहिये ।
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मोक्ष किसको प्राप्त होता है ?
स्त्री को, पुरुष को, साधु को, गृहस्थ को, अपने आप धर्म-तत्त्व के ज्ञाता को, गुरुद्वारा प्रतिपादित धर्म मार्गानुसार काम करने वालो को, चाडाल को, क्षत्रिय को, ब्राह्मण को, वैश्य को, याने सभी प्रकार के पुरुषो को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है ।
मोक्ष प्राप्त करने के लिए जाति के, वर्ण के, देश के, अथवा मत-मतान्तर के किसी भी प्रकार के वाडे बाधक नहीं हो सकते हैं । केवल पात्रता और प्रयत्न आवश्यक है, जो पात्र तत्त्व को पचावे, वही उसको प्राप्त कर सकता है ।
मोक्ष प्राप्त करने की पात्रता:
मोक्ष प्राप्त करने का अधिकारी मनुष्य तो होना ही चाहिये, क्योकि अन्य गति मे चारित्र का पालन परिपूर्ण रीति से नही हो सकता है ।