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तृतीय भाग)
(१३३ की सहायता मिल गई । युधिष्ठिर को बुलाकर जुआ खिलाया। जुआ एक बडी बुराई है। उसकी लत पड़ जाना और भी बुरा है।
___ युधिष्ठिर जुए मे फँस गये । धर्म को भूल गये राज-पाट धन-भण्डार सभी कुछ हार बैठे। पर हारा -जुआरी · दुगुना खेलता है । युधिष्ठिर ने अपने भाइयो को दाव पर रख दिया । और अन्त में अपने आपको भी रख दिया।
'हे द्रौपदी ।' कहकर युधिष्ठिर ने पासा फेका। युधिष्ठिर ने सोचा तो यह कि हारा हुआ सब कुछ वापिस ले लं, मगर हुआ उलटा ही। वे द्रौपदी से भी हाथ धो बैठे।
सती द्रौपदी
(२) कचहरी सभासदो से खचाखच भरी है। भीष्म पितामह जैसे बड़े बूढे भी बैठे हैं । द्रोण गुरु भी मौजूद हैं। समर्थ कृपाचार्य साक्षी हैं। पिता के समान धृतराष्ट्र भी उपस्थित हैं। रजस्वलादशा मे द्रौपदी को दूत सभा में ले आता है।
कर्ण दाँत पीसता है। दुर्योधन हुक्म देता है । दुश्शा सन कहता है-'यह वस्त्र उतार और दासी के कपडे पहन ।'
कहाँ महारानी द्रौपदी और कहाँ भरी सभा में यह घोर अपमान' ज्यो ही दुश्शासन सती के शरीर को हाथ लगाता है, ज्यो ही सती का तेज झलक उठता है ।