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(तृतीय भाग
अर्थ आगमे तिविहे पन्नत्ते- आगम तीन प्रकार का कहा गया है तं जहा
वह इस प्रकार है सुत्तागमे
सूत्र शब्द रूप आगम अत्यागमे
अर्थ रूप आगम तदुभयागमे- दोनो प्रकार का ( सूत्र और अर्थ
रूप) आगम एअस्स सिरिनाणस्स- इस श्री ज्ञान के विषय में जे अइयारा लग्गा- - जो अतिचार लगे हो ते आलोएमि- उनकी आलोचना करत जं वाइद्ध
(१) अगर सूत्र आगे पीछे बोला हो वच्चामेलिय- (२) एक पद को दूसरे पद मे मिला
कर पढा हो । हीणक्खरं- (३) अक्षर कम बोले हो अच्चरखरं
(४) ज्यादा अक्षर वोले हो पयहीणं- (५) पद कम बोले हो--कोई पद छोड
दिया हो विणयहीणं- (६) विनय विना सूत्र बोला हो जोगहीणं
(७) मन, वचन, काय की स्थिरता न
रखकर सूत्र बोला हो घोसहीणं
(८)बिना गुद्ध उच्चारण बोला हो सुदिनं
(९)अविनीत को ज्ञान दिया हो