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जन पाठावली) (२०) अनवकाक्ष प्रत्यया-सिद्धान्त का अनादर करके अपनी
अथवा अन्य की जिंदगी को जोखिम में डालने की साहसपूर्वक क्रिया
अथवा शास्त्र के ज्ञान का विरोध । . (२१) प्रेम प्रत्यया-रागमय प्रेम के कारण उत्पन्न होनेवाली
किया। (२२) द्वेप प्रत्यया-द्वेप जन्य क्रिया । (२३) प्रायोगिकी क्रिया-मन, वचन और काया की अगुभ
प्रवृत्ति के कारण लगने वाली किया । (२४) मामुदायिकी क्रिया-अनेक मनुष्य मिलकर एक माध
कर्मों का बन्धन करे ऐसी क्रिया । जैसे कि एक कुटुम्ब दूसरे का अनिष्ट सोचे, बोले अथवा करे, इसी प्रकार समाज अथवा देश को भी समझ लेना चाहिए। ऐसी प्रिया का फल भी प्रत्येक को भोगना ही पड़ता है। जहाज का डूब जाना अनेक मनुष्यो का एक साथ ही दुखी होना, भूकंप होने पर पृथ्वी में अनेको का एक साथ घुस जाना इत्यादि नयोगों का कारण ऐसी ही क्रिया का फल है । ये चौवीस प्रियाएँ भयकर है। (२५) ऐपिथिकी क्रिया-मार्ग गे चलने से होने वालो प्रिया।
जहाँ तक प्रमाद रहे वहाँ तक यह प्रिया संसार को कलाने वाली है और प्रमाद का नारा हो जाने पर सतार को पनाने वाली नही होती है ।