________________
-
जैन पाठावली) पांच समिति :
(१) ईर्या समिति (२) भाषा समिति (३) एषणा समिति (४) आदाननिक्षेपण समिति (५) परिष्ठापना समिति । समिति की व्याख्या :
(१) किसी भी जीव-जन्तु को दुःख न हो, इस प्रकार सावधानी के साथ चलना "ईर्या समिति" है ।
(२) सत्य, हितकारी, मधुर. परिमित और सन्देह रहित बोलना "भाषा समिति" है।
(३) जीवन के लिए उपयोगी आहार आदि वस्तुएं निर्दोप प्राप्त करना "एपणा समिति" है।
, (४) प्रत्येक वस्तू को बराबर देख भाल कर, पूजकर लेना और रखना "आदान निक्षेपण समिति" है। ।
(५) जीव-जन्तुओ से रहित और किसी को कप्ट न पहुचे, ऐसी जगह मल-मूत्र आदि निरुपयोगी चीजो का त्याग करना परिप्ठापनिका समिति है। गप्ति के भेद और लक्षण
गुप्ति के तीन भेद हैं – (१) मनगृप्ति (२) वचनगुप्ति (३) कायगुप्ति।
विचारपूर्वक मन, वचन और काय खराब मार्ग से रोकना और अच्छे मार्ग में ले जाना, यही गुप्ति को सार्थकता है।
(१) बराय विचार का त्याग करना और अच्छा विचार करना मनोगुप्ति कहलाती है। । ।