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जैनधर्मदर्शन में तनाव प्रबंधन
अध्याय
1. आर्थिक विपन्नता (अभाव होना) और तनाव
तनावों का कारण : जैन दृष्टिकोण
• उत्तराध्ययनसूत्र में "वित्तेण ताणं ण लभे पमत्ते"
2. शोषण की प्रवृत्ति और तनाव
• हरिभद्र के पंचाशक प्रकरण में शोषण नहीं करने के निर्देश
3. पारिवारिक असंतुलन और तनाव
4. सामाजिक विषमताएँ और तनाव
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• उत्तराध्ययन व आचारांग नियुक्ति आदि में वर्ण व्यवस्था
5. तनावों के मनोवैज्ञानिक कारण
• जैनदर्शन में मन, वचन और काया प्रवृत्तियाँ आस्रव का हेतु
हैं ।
6. तनावों के धार्मिक कारण
7. अतीत और भविष्य की कल्पनाएँ और तनाव
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