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है। उसमें यह क्षमता होती है कि वह तनावपूर्ण स्थिति में भी संघर्ष कर तनावमुक्ति को प्राप्त करता है।
(ब) वातावरण :-जिस वातावरण में व्यक्ति रहता है उसकी सोच भी उसी वातावरण के अनुरूप होती है। जैसा वातावरण मिलेगा वैसा ही विकास होगा। बच्चा अगर गलत और कलह के वातावरण में रहेगा तो उसके विचारों में गलत धारणाएं उत्पन्न होगी। उसकी मानसिकता ईष्या, कलह, छल, कपट आदि की होगी। गलत विचार और गलत मानसिकता मानसिक संतुलन को अस्तव्यस्त कर देती है। इसके विपरीत अगर सोच सम्यक् होगी तो जीवन में सुख-शांति रहेगी। (स) जीवन में अर्जित होने वाले अनुभव :- व्यक्ति की सोच और मानसिकता को प्रभावित करने वाला यह तीसरा तत्त्व है। जीवन में लगने वाली ठोकरें ही सम्भलना सिखाती है। अतीत में हुई गलतियों को गलतियों मानकर वर्तमान में जीना तनावमुक्ति के लिए सबसे सरल उपाय है, किन्तु व्यक्ति अतीत में हुए हादसों और गलतियों को भी सही समझ कर गले से लगाए रखता है, जो उसे तनावग्रस्त कर देते हैं तथा व्यक्ति में नकारात्मक सोच उत्पन्न करते हैं। जीवन में अर्जित वाले अनुभव को अनुभव के आधार पर ही रखकर सकारात्मक सोच रखना तनावमुक्ति का सरल उपाय है।
सकारात्मक सोच बनाए रखने के लिए सहायक तत्त्व :1. क्रोध के बजाए शांति को मूल्य दें। क्रोध नकारात्मक सोच को जन्म देता
है, नकारात्मक सोच अशांति को और अशंति दुःख या तनाव को जन्म देती है इसलिए क्रोध को जीवन शैली का अंग नहीं बनाए।
. 2. सुसंस्कारों को ग्रहण करे। व्यक्ति को ऐसे माहौल या वातावारण में रहना
चाहिए जहां अच्छे संस्कार दिए जाते हो।
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