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रंग की अपेक्षा से ध्यान करने योग्य है। कापोत लेश्यावाला व्यक्ति उपर्युक्त दोनों लेश्या की अपेक्षा से तो शुभ है, परन्तु यह भी अशुभ लेश्या ही मानी जाती है, क्योंकि कापोत लेश्या वाला व्यक्ति बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और ही प्रतीत होता है। वह अपने दुर्गुणों को छिपाकर सद्गुणों को प्रकट करता है। कापोत लेश्या वाला व्यक्ति हरे रंग का ध्यान करता है। हरा रंग रक्तवाहिनी, नाड़ियों का तनाव उपशांत करता है।125
जब व्यक्ति में भावनात्मक गड़बड़ी होती है, तब हरे रंग की किरणें मष्तिष्क पर डालकर चिकित्सा की जाती है, किन्तु साथ--साथ यह ईर्ष्या, द्वेष और अंध- विश्वास का सूचक भी है। 126 हरे रंग का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए कि उसके गुणों का ही असर हो।
लाल रंग - लाल रंग शुभ और उत्तम माना जाता है। तेजोलेश्या को भी शुभ लेश्या कहा जाता है। तेजोलेश्या वाला व्यक्ति लाल रंग का ध्यान करता है। लाल रंग निर्माण का रंग है। यह लाल रंग हमारे शरीर में एक ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह ऊर्जा पहले हमारे शरीर के रसायनों में परिवर्तन करती है जिससे धीरे-धीरे हमारी आदतों में भी परिवर्तन आना प्रारम्भ हो जाता है। "ध्यान के माध्यम से जब यह लाल रंग प्रगट होता है, दिखने लग जाता है, तब इस लाल रंग के अनुभव से, तैजस लेश्या के स्पन्दनों की अनुभूति से अन्तर्जगत् की यात्रा प्रारम्भ होती है।127
व्यक्ति में तनाव उत्पन्न होने का स्थल मन है और उसकी अनुभूति मानसिकता को दुर्बल बना देती है। लाल रंग के ध्यान से तेजो लेश्या के परमाणु बनते हैं, तब व्यक्ति में शक्ति का संचार होता है, जिससे उसी सहनशीलता बढ़ती है, मन की दुर्बलता समाप्त हो जाती है। तनावयुक्त स्थिति से बाहर आने की और उनको समाप्त करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है।
123 प्रेक्षा ध्यान : लेश्या ध्यान – आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 22 126 प्रेक्षा ध्यान : लेश्या ध्यान – आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 45 127 प्रेक्षा ध्यान : लेश्या ध्यान - आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 45
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