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केन्द्र
आनन्द
विशुद्धि
दर्शन
ज्ञान (चाक्षुष )
ज्योति
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रंग
उत्तराध्ययनसूत्र
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हरा
नीला
अरूण
पीला
श्वेत
श्याओं का नामकरण रंगों के आधार पर ही किया गया है और जैसा नाम है, वैसा ही ध्यान करते हुए अंतिम लेश्या तक अर्थात् लेश्या के अंतिम रंग तक पहुंचना है। लेश्या के नाम एवं उनके रंग निम्न हैं 121
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1. कृष्ण लेश्या 2. नील लेश्या -
3. कापोत लेश्या 4. तेजोलेश्या
5. पद्म लेश्या पीला रंग
6. शुक्ल लेश्या - श्वेत रंग
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भावना / अनुभव
भावधारा की निर्मलता
वासनाओं का अनुशासन
अन्तर्दृष्टि का जागरण - आनन्द का जागरण
| ज्ञानतंतु की सक्रियता (जागृति )
परम शान्ति - क्रोध, आवेग, उत्तेजनाओं की शान्ति ।
काला रंग नीला रंग
- कापोत (बैंगनी) रंग
काला रंग कृष्ण लेश्या का वर्ण काला है, अतः कृष्ण लेश्या वाले व्यक्ति का ध्यान कृष्ण वर्णी ही होता है। इस लेश्या में रहा हुआ व्यक्ति कभी भी, एक क्षण के लिए भी तनावमुक्ति का अनुभव नहीं कर सकता, क्योंकि उसमें हिंसा, क्रूरता आदि मलिन वृत्तियों का उद्भव होता रहता है। इसी कारण उसका आभामण्डल भी काला होता है। साधना की अपेक्षा से यह कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को काले रंग का अर्थात् अपनी कलुषवृत्ति का परिमार्जन करना चाहिए । वृत्तियों के परिमार्जन से यह काला रंग बैंगनी रंग में परिवर्तित हो जाता है । बैंगनी रंग स्वास्थ्य केन्द्र को संयमित करता है। मनोवैज्ञानिकों के अध्ययन के
लाल (अरूण) रंग
मधुकन मुनि - 34/ 4-9
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