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3. उच्च स्तर की शिक्षा ग्रहण करे। वैज्ञानिक के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा
भी बच्चों को दे। 4. हर परिस्थिति में प्रसन्न व सकारात्मक सोच रखें। "जो होता है अच्छे के
लिए होता है" ऐसी विचारधारा रखे। 5. अतीत की गलतियों से जागे और सार्थक सोच के साथ वर्तमान क्षण में
जिएं।
मुनि चन्द्रप्रभ जी लिखते हैं -"नकारात्मक विचार अनायास ही चले आते है किन्तु सकारात्मक विचार को स्वयं के प्रयास से लाना होता है। अतः सकारात्मक सोच को लाने का प्रयास करते रहना चाहिए ताकि व्यक्ति तनावमुक्त रहे। सकारात्मक सोच की उपलब्धियां:
सकारात्मक सोच से निराशा, तनाव, घुटन समाप्त हो जाती है, किसी भी कार्य को करने में एक उत्साह उत्पन्न होता है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति में आत्म-विश्वास जाग जाता है, जो उसे सफलता के शिखर पर पहुंचाता है। सार्थक सोच व्यक्ति के क्रोध को नियंत्रण में रखती है। वह व्यक्ति में से ईर्ष्या, बैर, लोभ की भावना को समाप्त कर देती है। विधायक विचार करने से व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेता है। एम.के. गुप्ता जी का कहना है कि -"विधायक मन के बने रहने से व्यक्ति अपने चारों और विधायक स्पंदनों की आभा का सृजन कर लेता है, जिससे स्वयं को ही नहीं, बल्कि जो भी उसके संपर्क में आता है, उसे भी लाभ पहुंचता है।" मनोवैज्ञानिक विधि द्वारा तनाव मुक्ति
तनावमुक्ति के लिए सबसे अधिक प्रचलित उपाय मनोवैज्ञानिकों द्वारा. सुझाये गये हैं। मनोवैज्ञानिकों ने तनाव कम करने के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष
४ सकारात्मक सोचिए – श्री चन्द्रप्रभ सागर, पृ.9
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