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4. क्रोध को शांत करने का एक उपाय यह भी प्रचलित है कि जब क्रोध आए तो एक से सौ तक गिनती गिनें या कोई मंत्र जाप करने लगें । 5. चिन्तन करने से भी क्रोध से बचा जा सकता है। चिन्तन करें कि - यह क्रोध मेरा स्वभाव नहीं है। यह मेरी आत्मा को विभाव दशा में ले जा रहा है ।'
6. हमारे विचारों का हमारी श्वासोच्छवास से सीधा और गहरा सम्बन्ध है । जब क्रोध आता है तो हमारी श्वास सामान्य स्थिति से तेज हो जाती है। इसलिए जब क्रोध आए तो पहले अपने श्वास-प्रश्वास को संयमित करने का प्रयास करें। इससे क्रोध शांत होता है ।
7. क्रोध क्यों आ रहा है ? कैसे आ रहा है ? कहाँ से प्रारम्भ हुआ ? इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढने से मन पर बाह्य परिस्थिति का प्रभाव समाप्त हो जाता है और विचारों में परिवर्तन, स्वाध्याय, चिन्तन, अनुप्रेक्षा आदि के माध्यम से होता है 182
8. क्रोध आने पर थोड़ा विलम्ब करें । प्रतिक्रिया की शीघ्रता मत करो I
9. क्रोध सहनशीलता के अभाव में होता है, अतः अपनी सहनशीलता को
बढ़ाने का प्रयास करें ।
10. आस्रव, संवर एवं निर्जरा - भावना की अनुप्रेक्षा करना ।
11. उत्तराध्ययनसूत्र में कहा है कोहं विजएणं भंते! जीवे किं जाणयई ? उत्तर कोहं विजएणं खंति जवयइ, अर्थात् क्रोध पर विजय करने से क्या प्राप्त होता है ? उत्तर क्रोध पर विजय करने से क्षमाभाव प्रकट होता है84 और योगशास्त्र में कहा है उत्तम आत्मा को क्रोधरूपी अग्नि को तत्काल शान्त करने के लिए एकमात्र क्षमा का ही आश्रय लेना
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82 कषाय : एक तुलनात्मक अध्ययन - साध्वी डॉ. हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 137
83 बारह भावना
84 उत्तराध्ययनसूत्र
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अध्याय 29, गाथा - 68
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