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वही देगा।" - अर्थात् अगर नकारात्मक सोच है तो उसका परिणाम भी
नकारात्मक ही होगा और जो सकारात्मक सोच होगी, तो मानसिक संतुलन बना रहेगा। परिणाम में वह सम्यक् आचार और व्यवहारिक दिशा ही देगा। आज की शैली में कहें तो कम्प्यूटर में जो "डाटा फीड करेंगे, कम्प्यूटर वैसा ही परिणाम
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देगा । नकारात्मक विचार अपने मन को अशांत बैचेन और अशुद्ध बनाते हैं " नकारात्मक सोच व्यक्ति को शक्तिहीन बना देती है, जबकि विधायक विचार आपको शक्ति प्रदान करते हैं और चेतना को शुद्ध बनाते हैं। जब हमारा मन नकारात्मक रूप से आवेशित होता है, तब प्राण के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने लगती है और प्राण प्रवाह में असंतुलन कई विकृतियों को उत्पन्न करता है। यह व्यक्ति को कमजोर और आलसी बना देता हैं। ऐसी स्थिति में वह किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता और परिणाम स्वरूप वह तनावग्रस्त हो जाता है। किन्तु जब मन सकारात्मक रूप से आवेशित होता है तब इसके विपरीत परिणाम होते हैं, प्राण प्रवाह संतुलित होता है। व्यक्ति में एक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो उसके कार्य को सफल बनाती है और सफलता व्यक्ति को तनावमुक्त रखती है। कई तत्त्व ऐसे होते हैं, जो हमारी सोच को प्रभावित करते है । सोच को प्रभावित करने वाली स्थितियों में जो व्यक्ति सकारात्मक विचार करता है वह तनावग्रस्त नहीं होता है, किन्तु नकारात्मक विचार करने वाले व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाते है ।
सोच को प्रभावित करने वाले तत्त्व:
(अ) व्यक्ति की शिक्षा :- व्यक्ति जिस स्तर की शिक्षा प्राप्त करता है, उसकी सोच भी उतनी ही विकसित होती है। शिक्षा सिर्फ आजीविका चलाने या व्यवसाय करने तक ही सीमित नहीं है, शिक्षा से व्यक्ति के विचार व संस्कार भी बनते है । उच्चस्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति की सोच भी उच्च रहती
84 सकारात्मक सोचिए, श्री चन्द्रप्रभ सागर, पृ. 3
85 मन को नियंत्रित कर तनावमुक्त कैसे रहें ?
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एम.के. गुप्ता, पृ. 35
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