________________
बौद्ध धर्मदर्शन में जो इन 52 चैत्तसिकों का जो उल्लेख मिलता है, वह यहाँ मुख्यतः अकुशल चैत्तसिक, कुशल चैत्तसिक और अव्यक्त चैत्तसिक - ऐसे तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। अकुशल चैतसिक चित्त की मलिन अवस्था है, अतः वह तनावयुक्त अवस्था है। व्यक्ति के कुशल चैत्तसिक मुख्यतः तनाव के हेतु न होकर तनावमुक्ति की प्रक्रिया के साधन रूप हैं। जहाँ तक अव्यक्त चैत्तसिकों का प्रश्न है, वस्तुतः वे ज्ञाता-द्रष्टाभाव की स्थिति कहे जा सकते हैं और जो ज्ञाता-द्रष्टा भाव की स्थिति है वह तनाव के हेतुओं के अभाव की स्थिति है। ज्ञाता-द्रष्टाभाव में विकल्प नहीं होते और जहाँ विकल्पों का अभाव होता है, वहाँ तनाव नहीं होता। तनावों का जन्म विकल्पों में ही संभव है, क्योंकि तनाव चाह या इच्छा का परिणाम हैं, और चाह और इच्छा विकल्प रूप ही हैं। बौद्ध दर्शन में यह माना गया है कि शब्द विकल्पजन्य है और विकल्प शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त होते हैं। अतः बौद्धदर्शन के अनुसार तनावमुक्ति के लिए विकल्पों से मुक्ति आवश्यक है। विकल्प वह आधारभूमि है, जिसमें इच्छा या आकांक्षा जन्म लेती है और व्यक्ति की चेतना को तनावग्रस्त बनाती है। अतः बौद्धदर्शन के अनुसार भी तनावों से मुक्त रहने के लिए विकल्पों से उपर आना आवश्यक है। संक्षेप में बावन चैत्तसिकों में जो विकल्पयुक्त हैं, वे तनावयुक्त हैं और जो विकल्पमुक्त हैं, वे तनावमुक्त हैं।
--------000--------
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org