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1. मन्द पाचन क्रिया : · तनाव के कारण पाचन क्रिया मन्द होने से रक्त
का प्रवाह मांसपेशियों तथा मस्तिष्क की ओर बढ़ने लगता है, जो अपच
की स्थिति से भी ज्यादा खतरनाक होता है। 2. श्वसन क्रिया की तीव्रता :- तनाव की स्थिति में श्वास की गति तेज
हो जाती है, क्योंकि मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती
है।
3. हृदय की धड़कन का बढ़ना :- तनाव के कारण हृदय की धड़कन भी
बढ़ जाती है, साथ ही रक्तचाप भी बढ़ता है।
4. पसीना आना :-- तनाव की स्थिति में व्यक्ति के शरीर से अधिक मात्रा
में पसीना आने लगता है। 5. मांसपेशियों में कड़ापन :- तनाव के कारण मांसपेशियाँ कड़ी हो जाती
6. रासायनिक प्रभाव :- तनाव की स्थिति में रासायनिक पदार्थ रक्त में मिल कर उसका थक्का जमा देते हैं। युवाचार्य महाप्रज्ञ ने भी इस संबंध में कहा है कि तनाव की निरन्तर स्थिति बने रहने पर शारीरिक गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है। इससे शरीर में स्थित दबाव तंत्र निरन्तर सक्रिय रहता है।
जिस प्रकार मोह को कर्मबंध का मूल कारण कहा गया है उसी प्रकार तनाव को भी रोगों का मूल कारण कहा गया है। मानसिक तनाव ही शारीरिक तनाव उत्पन्न करता है। -"श्री ललितप्रभसागरजी ने भी अपनी पुस्तक 'चिंता, क्रोध और तनाव मुक्ति के सरल उपाय' में लिखा है कि विश्व के कई चिकित्सकों ने मन और शरीर के रोगों पर काफी गहरा अनुसंधान किया है। एक बात साफ तौर पर सिद्ध हो गई है कि भय, निराशा, चिंता, ईर्ष्या, बुरे विचार
8. युवाचार्य महाप्रज्ञ, -प्रेक्षाध्यानः कायोत्सर्ग पृ.2
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