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अध्याय अष्टम : पर्यावरण-प्रबन्धन - इस अध्याय में पर्यावरण की अवधारणा एवं महत्ता को स्पष्ट करते हुए वर्तमान में व्याप्त पर्यावरणीय समस्याओं एवं प्रदूषणों को सविस्तार समझाने का प्रयास किया और साथ ही पर्यावरण-प्रबन्धन के पहलुओं को सुस्पष्ट करने की कोशिश भी की है। अध्याय नवम : समाज-प्रबन्धन – इस अध्याय में जैनधर्म की संघीय व्यवस्थाओं से सम्बन्धित सिद्धान्तों का आलम्बन लेकर समाज-प्रबन्धन विषयक चर्चा की और इसके पूर्व समाज के स्वरूप, महत्त्व एवं प्रकारों का वर्णन करते हुए वर्तमान में व्याप्त सामाजिक-अव्यवस्थाओं के दुष्परिणामों पर भी एक दृष्टि डाली। अध्याय दशम : अर्थ-प्रबन्धन – इस अध्याय में पुरूषार्थ-चतुष्टय के एक महत्त्वपूर्ण पहलू 'अर्थ' की अवधारणा एवं महत्ता को विभिन्न दृष्टिकोणों सहित जैन जीवन-दृष्टि के आधार पर रखने का प्रयास किया और साथ ही, वर्तमान अर्थनीति की विसंगतियों एवं दुष्परिणामों से सावचेत करते हुए जैनआचारमीमांसा के आधार पर अर्थ-प्रबन्धन के उपायों को प्रस्तुत करने की कोशिश की है। अध्याय एकादश : भोगोपभोग-प्रबन्धन – इस अध्याय के प्रारम्भ में भोगोपभोग की अवधारणा एवं महत्त्व के साथ-साथ वर्तमान में प्रचलित उपभोक्ता-संस्कृति एवं उसकी विसंगतियों को स्पष्ट किया और अंत में जैनआचारमीमांसा के आधार पर नियंत्रित भोगोपभोग करने सम्बन्धी सूत्रों को प्रस्तुत करने का प्रयत्न भी किया है। अध्याय द्वादश : धार्मिक व्यवहार-प्रबन्धन - इस अध्याय में धर्म की अवधारणा एवं महत्ता को समझाते हुए धर्म को एक महत्त्वपूर्ण जीवन-मूल्य के रूप में स्थापित करने का प्रयत्न किया, साथ ही अव्यवस्थित धर्मनीति एवं उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए धार्मिक-व्यवहारों का प्रबन्धन किस प्रकार किया जाए, इस विषय को समाविष्ट किया है। अध्याय त्रयोदश : आध्यात्मिक विकास एवं जीवन-प्रबन्धन - यह अध्याय पूर्वोक्त सभी विषयों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसमें आध्यात्मिक-विकास के स्वरूप, उसके विभिन्न स्तरों एवं उसमें विद्यमान साधक, साधन एवं साध्य की एकरूपता को दर्शाया है, साथ ही आध्यात्मिक साधना में आ रही विसंगतियों से बचने के लिए आध्यात्मिक जीवन-प्रबन्धन के पहलुओं को भी सुस्पष्ट किया है। अध्याय अन्तिम : जीवन-प्रबन्धन : एक सारांश - इस अध्याय में पूर्वोक्त सभी अध्यायों की विषय-वस्तु का उपसंहार करते हुए सार रूप में प्रस्तुत ग्रन्थ का कथ्य कहने का प्रयत्न किया है।
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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