________________
રૂટ
अनुयोगद्वारवत्रे
आवस्सगवइरितस्स वि अणुओगो ! इमं पुण पटुवणं पडुच्च आवस्सस्स अणुओगो ॥ सू० ५ ॥
छान - यदि उत्कालिकस्य अनुयोग, किमावश्यकस्य अनुयोगः ? आवश्यकव्यतिरिक्तस्य अनुयोगः ? आवश्यकस्यापि अनुयोगः, आवश्यक व्यतिरिक्तस्थापि अनुयोगः । इदं पुनःप्रस्थानं प्रतीत्य आवश्यकस्य अनुयोगः | ० ५|| टीका- 'जइ' इत्यादि
यदि उत्कालिकग्य अनुयोगः किमावश्यकस्य अनुयोगः ? आवश्यक व्यतिरिक्तस्य वाऽनुयोगः ? इति शिष्यप्रश्नः । उत्तरयति - 'आवस्सगस्स वि' इत्यादिना । अनुयोग आवश्यकस्यापि भवति, आवश्यकव्यतिरिक्त स्यापि भवति ।
" जइ उक्कालिय स" इत्यादि ।
शब्दार्थ - (इ) यदि ( उक्कालिय स ) उत्कालिक श्रुत का (अणुओगो) अनुयोग होता है तो (क) क्या ( आवस्सग स अणुओगे ?) आवश्यक का अनुयोग होता है ? या ( आव सगवइरित्तस्स अणुओगो) आवश्यक से व्यतिरिक्त का अनुयोग होता है ? उत्तर - ( आवस्सगस्स वि अणुओगे) आवश्यक का भी अनुयोग होता है । और ( आब सगवइरित्त स वि अणुओगो) जो आवश्यक से भिन्न है उनका भी अनुयोग होता है । (इमं पुण पडवणं पडुच्च आव सगस्स अणुओगो) इस शास्त्र में यह प्रारभ की अपेक्षा लेकर आवश्यक का अनुयोग कहा है ।
भावार्थ - शिष्य पूछ रहा है कि हे भदंत ! यदि उत्कालिक श्रुत का अनुयोग होता है तो किस उत्कालिक श्रुत का - आवश्यक का या आवश्यक
" जइ उकालियम्स " छत्याहि
शब्दार्थ — प्रश्न – (जइ उक्कालियस्स अणुओगो) ले हासिश्रुनो अनुयोग थाय छे, तो (किं आवस्सगस्स अणुओगो) शु आवश्यना अनुयोग थाय छे! (आवरसगसग इरितग्स अणुओगो ?) मावश्याथी भिन्न होय मेवां श्रुतनो અનુયાગ થાય છે.
उत्तर- (रसगस्स वि अणुओगो) भावस्यानो पशु अनुयोग थाय छे, भने (सगवइरित व अणुओगो) ने भावश्यम्थी भिन्न छे तेभनो पशु अनु योग थाय छे. (इमं पुण पट्टवणं पडुच्च आवरसगस्स अणुओगो) आशास्त्रमां आ મારભની અપેક્ષાએ આવશ્યકના અનુયોગ કહ્યો છે.
ભાવા —શિષ્ય અહીં એવા પ્રશ્ન પૂછે છે કે “હે ભગવન્ ! જે ઉત્કાલિક શ્રુતના અનુયાગ થાય છે, તેા કયા ઉત્કાલિક શ્રુતના અનુયાગ થાય છે ૧ શુ આવશ્યકના અનુયોગ થાય છે ૧ કે આવશ્યક સિવાયના જે ઉત્કાલિક શ્રુત છે ?તેમના અનુયાગ થાય છે ?’’