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ऊर्ध्वबाहु अभय-मुद्रा में मेरे दोनों हाथ ऊपर उठ गये। जाने कितने ही विनत मस्तकों की पंक्तियाँ सामने दिखाई पड़ी।
सब से आगे खड़े थे, पार्खापत्य दैवज्ञ उत्पल शर्मा । अष्टांग निमित्तज्ञानी वे ज्योतिविद् बोले :
‘अवसर्पिणीकाल के अन्तिम तीर्थकर, उत्पल के प्रणाम स्वीकारें । धन्य हैं महाश्रमण वर्द्धमान, जो अस्थि-पिंजर हो गये अस्थिकग्राम को फिर अपनी धर्मज्योति से अपने मूल वर्द्धमान स्वरूप में लौटा लाये ।
'स्वामिन्, क्या यह सत्य है कि विगत रात्रि के अन्तिम प्रहर में आपने दस स्वप्न देखे हैं • • • ?'
मैं चुप, स्थिर मुस्कुरा आया। उत्पल भावित हो कर बोले 'प्रभु की आज्ञा ले कर मैं उन स्वप्नों का फल कहना चाहता हूँ । अपनी गति आप स्वयम् जानते हैं, अन्तर्यामिन् ! फिर भी भक्तिवश निवेदन करता हूँ। कृपा कर सुनें, भन्ते । • पहले स्वप्न में आपने तालपिशाच का हनन किया है : तो जाने लोकजन कि योगीश्वर महावीर एक दिन मोह का निर्मूल नाश कर देंगे । दूसरे स्वप्न में आपने शुक्ल पक्षी देखा है : तो स्वामी परमोत्कृष्ट शुक्ल ध्यान में आरूढ़ होंगे। तीसरे स्वप्न में आपने जो चित्र-विचित्र कोकिल देखा है, वह बताता है कि प्रभु के श्रीमुख से द्वादशांगी जिनवाणी उच्चरित होगी । पाँचवें स्वप्न में प्रभु ने गोवर्ग देखा है : सो उसके फल-स्वरूप चतुर्विध धर्मसंघ आपका अनुसरण करेगा।
'और सुनें भगवन्, छठे स्वप्न में देखा पद्म सरोवर सूचित करता है कि सोलहों स्वर्गों के देव तीर्थंकर प्रभु की सेवा में नियुक्त होंगे । सातवें स्वप्न में देवार्य समुद्र तर गये : सो ये महावीर भव समुद्र तर जायेंगे । आठवें स्वप्न में आपने लोकशीर्ष पर सूर्योदय होते देखा : सो प्रभु केवलज्ञान के महासूर्य होकर लोकालोक को प्रकाशित करेंगे । नौवें स्वप्न में, हे नाथ, आपने मानुषोत्तर पर्वत को अपनी आँतों से आवेष्ठित देखा : सो आपकी कैवल्य कीति से तीनों लोक झलमला उठेंगे । दसवें स्वप्न में आपने अपने को मेरुगिरि के शिखर पर आरूढ़ देखा : तो सर्व लोकजन जानें कि ये भगवान त्रिलोक और त्रिकाल के सिंहासन पर आसीन होकर, सर्व चराचर को अपनी धर्मदेशना से आलोकित करेंगे । . लेकिन हे भगवन्, चौथे स्वप्न में जो आपने सुगन्धित पुष्पों की दो एक-सी मालाएँ देखीं हैं, उनका रहस्य मैं नहीं समझ सका · · ?' . कहकर दैवज्ञ उत्पल जिज्ञासु दृष्टि से मेरी ओर देखते रह गये। मैंने अपना दायाँ हाथ, सीधा ऊपर उठा दिया और बाँयें हाथ से नीचे की ओर इंगित किया। अंतरिक्ष में से उत्तर ध्वनित हुआ :
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