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रहा हूँ । पुष्पधन्वा के बाण इनकी आत्म-विस्मृत देहों पर पराहत हो गये हैं । लोक में मनुष्य नाना भावों के माध्यम से अपने भीतर बैठे भगवान आत्मा को खोज रहे हैं ।
एकाएक कामाकुल गोशालक चिल्ला पड़ा :
'अरे ओ पाखंडियो, देवता के मंदिर में यह कैसा उच्छू खल अनाचार कर रहे हो ? अपने को स्थविर कहते हो, और धर्म की आड़ में उलंग कामाचरण करते हो । अरे पापात्माओ, धिक्कार है तुम्हें, सौ बार धिक्कार है । . . .
उत्सव में भंग पड़ते देख कर कुछ युवकों ने गोशालक को धक्के देकर, मंदिर से बाहर कर दिया। देख रहा हूँ, वह मूढ़ वहीं खड़ा, शीत पवन के झकोरों में, दन्त-वीणा बजाता हुआ, आरत आँखों से नृत्योत्सव का सुख भोग रहा है । सो कुछ वृद्धों ने उस पर दया कर, फिर उसे अन्दर ले लिया । ठिठुरा शरीर गर्म होते ही फिर गोशालक चीखा :
'अरे उद्दण्डो, तुम्हें तो लज्जा नहीं । पर मैं लज्जा से मरा जा रहा हूँ । मैं ठहरा निग्रंथ श्रमण । पर तुम्हारे स्वच्छन्दाचार से मेरा रक्त भी कामाकुल हो उठा है । अपनी इस नग्न काया को कहाँ छुपाऊँ...! कैसे निर्गति पाऊँ इस नरक से ? हाय, हाय, छि:छि:, असह्य है यह पापाचार । फट पड़ो पृथ्वी माता, और मुझे अपने गर्भ में समालो... मेरी रक्षा करो, माँ ।'
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स्थविरों ने फिर उसे घूंसे मार-मार कर बाहर ढकेल दिया । वह पहले की तरह ही फिर मन्दिर की सीढ़ियों पर खड़ा लुब्ध, लालायित आँखों से नृत्योत्सव का आनन्द लूटने लगा । उसकी दन्त - वीणा का आलाप प्रखरतर होता हुआ, भीतर की संगीतधारा में व्याघात पहुँचाने लगा । तब कुछ युवती स्त्रियों ने उसके आर्त प्राणों पर दया कर, उसे भीतर ला कर, एक कोने में बिठा दिया। कुछ देर चुप रह कर वह फिर नाना अनर्गल प्रलाप करने लगा। फिर बाहर धकेल दिया गया । तीन बार क्रमशः कोप और कृपा का भाजन होकर भी, उसे चैन नहीं आया ।
'अरे व्यभिचारियो, सत्य कहता हूँ, तो तुम मुझ पर कोप करते हो ! पर कहे बिना रहा नहीं जाता । अपने पापों पर कोप करो तो तुम्हारा उद्धार हो जाये । मैं तो स्पष्ट भाषी हूँ। और देखो, मेरी आत्मा अपने ही काम पर भीषण कोप कर रही है ।'
कुछ युवकों ने क्रुद्ध हो कर उसे घेर लिया । मुट्ठियाँ तान कर वे उसका कुट्टन करने को तत्पर हुए । तभी सहसा उन्हें दिखाई पड़ा, कि अरे यह तो कोई नग्न भिक्षुक है । इतना सुन्दर, कोमल, छौना-सा, फिर भी ऐसा ढीठ, उत्पाती ! और आश्चर्य है कि कुटाई-पिटाई झेलने को भी निरीह भाव से प्रस्तुत हो गया है । कोई विक्षिप्त अवधूत जान पड़ता है ।
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