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का यह विग्रह है । यह शुद्ध और नग्न अन्धकार की मूर्तिमान चुनौती है, जो निरन्तर मेरे ओरेदोरे चक्कर काट रही है। महातमस के लोक में उतरने को यह मुझे प्रतिपल ललकार रहा है । यह वज्रीभूत जड़त्व का अनावरण स्वरूप है। इसके भीतर चैतन्य की जोत उजाले बिना निस्तार नहीं । अज्ञान के ध्वान्त-वलयों में उतरने के लिये, यह सीढ़ी बन कर सदा मेरे सामने चल रहा है । अज्ञान अभाव है। अन्धकार विभाव है। पाप, अन्धकार, अभाव की कोई सत्ता नहीं। वह नास्ति है। उम नास्ति के भ्रान्त भय को भेदे और छेदे बिना, अस्तित्व अपने स्वभाव से आलोकित नहीं हो सकता।
द्रव्य स्वभाव से ही सत् है, पवित्र है, प्रकाशमान है । परमाणु अपने निसर्ग रूप में ही दीप्त है। द्रव्य का वह अव्यक्त स्वभाव , अपने व्यक्त अस्तित्व में प्रकट न हो, ऐसा कैसे हो सकता है ? अन्तत: सभी कुछ ज्योतिर्मय है । कण-कण अपने अन्तर्वम में एक अखण्ड ज्योति से भास्वर है। कई बार ध्यान में, प्रकाश के एक अफाट-विराट् प्रान्तर में अपने को विचरते देखा है । ग्रह-नक्षत्रों में वही आलोक जल रहा है । भूगर्भ के अंधेरों में वही रत्नों के रूप में दीपित है। प्राणि मात्र की आँखें उसी रोशनी से देखती हैं। जलचर, थलचर, नभचरों के शरीरों में, वनौपधियों में, वह जाने कहाँ-कहाँ उद्भासित है । सारे चराचर पदार्थ उसी प्रभा के सहारे जीवन-चर्या कर रहे हैं । अन्ततः ज्योति के सिवाय कहीं कुछ नहीं है । उसे न जानना ही, एकमात्र पाप है, पतन है, अन्धकार है, मृत्य में जीना है । उसे जानना और उसमें जीना ही, स्वभाव है, एकमात्र उत्कर्ष है, आनन्दं है, मोक्ष है।
छह वर्ष बीत गये, अनागार भ्रमण कर रहा हूँ। ताकि अणु-अणु मेरा आगार हो जाये । अपने उस आणविक घर में आदिकाल से जो जाले, धूल, अँधेरा डेरा जमाये हैं, उन्हें साफ करना होगा । उसी को जिनेश्वरों ने कर्मनाश कहा है। अनेक मोहजन्य अभिनिवेश, आसक्तियाँ, संस्कार-जाल अपने घर को मलिन और आवृत किये हुए हैं । मन और इन्द्रियों की जीवनवाही खिड़कियाँ, उनसे आच्छादित हो गई हैं। उस कल्मष को ध्वस्त किये बिना, जीवन निर्बाध, स्वस्थ, सम्वादी, सुखद नहीं हो सकता।
गोशालक के रूप में कर्मों का वही विषम चक्रव्यूह रातदिन मुझे घेर कर चल रहा है । पर इस तमिस्रा के छोर पर जो दीपक अखण्ड जल रहा है, उसे मैं प्रत्यक्ष देख रहा हूँ । इसी से जीवन के इस विडम्बना-चित्र को मैं माया के भ्रामक पर्दो से अधिक कुछ नहीं मानता । गोशालक उसी का समग्र और जीता-जागता
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