Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
Catalog link: https://jainqq.org/explore/003571/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवंगसुत्ताणि [ खण्ड २] , चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निस्यावलियाओ, कप्पवाडिसिया, पुप्फयाओं, पु FOREENEEEEE वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी वहिदाओ संपादक युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रज्ञापर्व वर्ष के उपलक्ष्य में निग्गंथं पावयणं उवंगसुत्ताणि (खण्ड २) पण्णवण्णा • जंबुद्दीवपण्णत्ती • चंदपण्णत्ती. सूरपण्णत्ती • उवंगा निरयावलियाओ • कप्पडिसियाओ • पुफियाओ. पुफिचूलियाओ • वहिदसाओ वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी सम्पादक युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक जैन विश्व भारती लाडनूं [राजस्थान Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक : जैन विश्व भारती लाडनूं [ राजस्थान ] प्रबन्ध-सम्पादक : श्रीचंद रामपुरिया अर्थ सौजन्य : श्री रामलाल हंसराज गोलछा विराटनगर (नेपाल) प्रकाशन तिथि: विक्रम सम्वत् २०४५ ( मर्यादा महोत्सव ) ईस्वी सन् १९८६ पृष्ठांक ११७० : जैन विश्व भारती मूल्य ६००/ मुद्रक : मित्र परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सौजन्य से स्थापित जैन विश्व भारती प्रेस, लाडनूं (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ On the occasion of Pragyaprav Year Niggantham Pāvayaṇam UVANGA SUTTANI IV (PART II) PAṆŅAVAŅĀ. JAMBUDDĪVAPAŅŅATTI. CANDAPANNATTI. SŪRAPANNATTI. NIRAYĀVALIYAO. KAPPAVADIMSIYÃO. PUPPHIYAO. PUPPHACŪLIYÃO. VAṆHIDASÃO (Original Text Critically Edited) Vâcana-pramukha: ACARYA TULSI Editor! YUVACARYA MAHĀPRAJÑA Publisher : JAIN VISHVA BHARATI LADNUN (RAJASTHAN) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Publisher : JAIN VISHVA BHARATI. Ladnun-341 306 Managing Editor : Shrichand Rampuria, By Munificence : Shri Ramlal Hansraj Golchha Viratnagar (Nepal) Year of Publication : Vikram Samvat 2045 (Maryada Mahotsava) 1989 A.D. Pages : 1170 जैन विश्व भारती TĘOOM Printers : JAIN VISHVA BHARATI PRESS, [Established through the financial co-operation of Mitra Parishad, Calcutta) Ladnun (Rajasthan) Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्तस्तोष अन्तस्तोष अनिर्वचनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित हुमनिकुंज को पल्लवित पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तूलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है। चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन आगमों का शोधपूर्ण सम्पादन हो और मेरे जीवन के बहुधमी क्षण उसमें लगे संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार उस कार्य में संलग्न हो गया । अतः मेरे इस अन्तस्तोष में मैं उन सवको समभागी बनाना चाहता हूं, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहें हैं। संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार है : संपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ पाठ-संशोधन सहयोगी मुनि सुदर्शन मुनि हीरालाल मुनि श्रीचन्द्र 'कमल' 11 शब्दकोश संविभाग हमारा धर्म है जिन-जिनने इस गुस्तर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं और कामना करता हूं कि उनका भविष्य इस महान् कार्य का भविष्य बने । आचार्य तुलसी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समर्पण पुट्ठो वि पण्णा-पुरिसो सुदक्खो, आणा-पहाणो जणि जस्स निच्चं । सच्चप्पओगे पवरासयस्स, भिक्खुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥ जिसका प्रज्ञा-पुरुष पुष्ट पटु; होकर भी आगम-प्रधान था । सत्य-योग में प्रवर चित्त था, उसी भिक्षु को विमल भाव से ।। विलोडियं आगमदुद्धमेव, लद्धं सुलद्धं णवणीयमच्छं । सज्झाय-सज्झाण-रयस्स निच्चं, जयस्स तस्स पणिहाणपुव्वं ॥ जिसने आगम-दोहन कर कर, पाया प्रवर प्रचुर नवनीत । श्रुत-सद्ध्यान लीन चिर चिन्तन, जयाचार्य को विमल भाव से। पवाहिया जेण सुयस्स धारा, गणे समत्थे मम माणसे वि। जो हेउभूओ स्स पवायणस्स, कालुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं । जिसने श्रुत की धार बहाई, सकल संघ में मेरे मन में। हेतुभूत श्रुत-सम्पादन में, कालुगणी को विमल भाव से। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत ग्रन्थ उवांगसुत्ताणि ४ का द्वितीय खण्ड है। इस में नो आगम समाहित हैं १. पण्णवण। २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पडिसियाओ ७. पुप्फियाओ ८. पुप्फचूलियाओ ६. वहिदसाओ। आगम संपादन एवं प्रकाशन की योजना इस प्रकार है१. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला -मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुती करण। २. आगम-अनुसंधान ग्रन्थमाला-मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण । ३. आगम-अनुशीलन ग्रंथमाला--आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला--आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और अनुवाद । ५. वर्गीकृत-आगम ग्रन्धमाला—आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिंदी अनुवाद के संस्करण । प्रथम आगम-सुत्त ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो च के हैं(१) अंगसुत्ताणि (१)-इसमें आयारो, सुयगडो, ठाणं, समवाओ-~ये चार अंग समाहित हैं। (२) अंगसुत्ताणि (२)- इसमें पंचम अंग भगवई प्रकाशित है। (३) अंगसुत्ताणि (३)- इसमें नायाधम्मकहाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोव वाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुयं-ये ६ अंग हैं। (४) उवंगसुत्ताणि (४) (खं० १)) -इसमें (१) ओवाइयं (२) रायपसेणियं और (३) जीवाजीवाभिगमे-ये तीन आगम ग्रन्थ हैं। (५) उवंगसुत्ताणि (४) (खण्ड २)-प्रस्तुत ग्रन्थ । इसमें पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंद पण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरयावलियाओ, कप्पवडिसियाओ, तुफियाओ, पुप्फचूलियाभो, वहिदसाओ प्रकाशित हो रहे हैं। (६) नवसुत्ताणि (५)-...इसमें आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्झयणाणि, नंदी, अणओग दाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहझयणं-ये नौ आगम ग्रन्थ हैं। द्वितीय आगम अनुसंधान ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं(१) दसवेालियं १. इस ग्रंथमाला के अन्र्तगत (१) दसवेआलियं तह उत्तरज्झयणाणि, (२) आयरो तह आयारचूला, (३) निसीहज्झयणं, (४) मोवाइयं, (५) समवाओ-ये ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा भी प्रकाशित हुए थे। Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) उत्तरज्झयणाणि (भाग १ और २) (३) ठाणं (४) समवाओ (५) सुयगडो (भाग १ और भाग २) उक्त में से द्वितीय ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुआ है। तीसरी आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला में निम्न दो ग्रन्थ निकल चुके हैं..... (१) दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन । (२) उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन । चौथी आगम-कथा ग्रन्थमाला में अभी तक कोई ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो पाया है। पांचवीं वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला में दो ग्रन्थ निकल चुके हैं। (१) दसवैकालिक वर्गीकृत (धर्म प्रज्ञत्ति खं०१) (२) उत्तराध्ययन वर्गीकृत (धर्मप्रज्ञप्ति खं० २) छठी केवल आगम हिंदी अनुवाद ग्रन्थमाला में एक 'दशवकालिक और उत्तराध्ययन' ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है। उक्त प्रकाशनों के अतिरिक्त दसर्वकालिक एवं उत्तराध्ययन (मूल पाठ मात्र) गुटकों के रूप में प्रकाशित किए जा चुके हैं। उक्त विवरण से पाठकों को विदित होगा कि भूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित ३२ आगम ग्रंथ आगमसुत्त ग्रंथमाला के अर्न्तगत प्रकाशित हो चुके हैं। ३२ आगमों का इस प्रकार का आलोचनात्मक प्रकाशन आगम प्रकाशन के इतिहास में प्रथम बार ही सम्मुख आया है। आगम प्रकाशन कार्य की योजना में निम्न महानुभावों का सहयोग रहा --- (१) सरावगी चेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविदालालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी)। (२) रामलालजी हंसराजजी गोलछा, विराटनगर । (३) स्व० जयचंदलालजी गोठी, सरदारशहर। (४) रामपुरिया चेरिटेबल ट्रस्ट, कलकत्ता। (५) बेगराज भंवरलाल चोरडिया चेरिटेबल ट्रस्ट । यह ग्रन्थ जैन विश्व भारती के निजी मुद्रणालय में मुद्रित होकर प्रकाशित हो रहा है । मुद्रणालय के स्थापना में मित्र-परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सहयोग का सौजन्य रहा, जिसके लिए उक्त संस्था को अनेक धन्यवाद । आगम-संपादन के विविध आयामों के वाचना-प्रमुख हैं आचार्य श्री तुलसी और प्रधान संपादक तथा विवेचक हैं यूवाचार्यश्री महाप्रज्ञजी। इस कार्य में अनेक साधु-साध्वी सहयोगी रहे हैं। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इस तरह अथक परिश्रम के द्वारा प्रस्तुत इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सुयोग पाकर जैन विश्व भारती अत्यंत कृतज्ञ है । जैन विश्व भारती २६-६-८७ लाडनूं ( राज० ) ११ श्रीचंद रामपुरिया कुलपति Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं-- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पडिसियाओ ७. पुफियाओ ८. पुष्फचलियाओ ६. वण्हिदसाओ। उपांग बारह हैं । उवंगसुत्ताणि भाग ४ खण्ड १ में तीन उपांग प्रकाशित हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में शेष नौ उपांगों का मूल-पाठ पाठान्तरसहित सम्मिलित है। अंगसुत्ताणि की शब्दसूची एक स्वतन्त्र पुस्तक (आगम शब्दकोश) में मुद्रित है। पाठक और शोधकर्ताओं की सुविधा की दृष्टि से इस खण्ड में उपर्युक्त नौ आगमों की संयुक्त शब्दसूची संलग्न है। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन के साथ बत्तीस आगमों के प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हो जाता है। इस आगम सुत्त ग्रन्थमाला के सात ग्रन्थ सम्पन्न हो रहे हैं:१. अंगसुत्ताणि भाग-१ आयारो, सूयगडो, ठाणं, समवाओ। २. अंगसुत्ताणि भाग-२ भगवई। ३. अंगसुत्ताणि भाग-३ नायाधम्मकहाओ, उवासमदसाओ, अंतगडदसाओ, अणत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुयं । ४. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड १ ओदाइयं, रायपसेणियं, जीवाजीवाभिगमे । ५. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड २ पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरियावलियाओ, कप्पवडिसियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, वहिदसाओ । ६. नवसुत्ताणि भाग-५ आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्झयणाणि, नंदी, अणुओगदाराइं, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहझयणं । ७. आगम शब्दकोश (अंगसुत्ताणि शब्दसूची) इस मूलपाठ की ग्रन्थमाला के अन्तर्गत अन्य ग्रन्धों के सम्पादन का कार्य अभी चल रहा है। उनमें प्रकीर्णक, नियुक्ति और भाष्य सम्भावित हैं। विक्रम संवत् २०१२ (सन् १९५५) महावीर जयन्ती के दिन आचार्य श्री ने आगम-सम्पादन की घोषणा की। सम्पादन का कार्य उसी वर्ष चतुर्मास में प्रारम्भ हुआ । शुद्ध पाठ के बिना सम्पादनकार्य में अवरोध आए । तब पाठ-शोधन की ओर ध्यान गया। पाठ-शोधन का कार्य वि० सं० Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१४ (सन् १९५७) में प्रारम्भ हुआ। यह कार्य वि० सं० २०३७ (सन् १९८०) में सम्पन्न हुआ। इसका विवरण इस प्रकार है: .... दसवेआलियं उत्तरज्झयणाणि नंदी, अनुओगदाराई ओवाइय, रायपसेणियं ठाणं समवाओ सूयगडो नायाधम्मकहाओ आयारो, आयारचूला उवासगदसाओ, अंतगडदसामो अनुत्तरोववाइयदसाओ विपाक पण्हावागरणाई निरयावलियाओ भगवई पपणवणा दसाओ, पज्जोसवणाकप्पो कप्पो ववहारो जीवाजीवाभिगमे जंबूद्दीवपण्णत्ती निसीहज्झयणं चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती वि० सं० २०१४ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०२० वि० सं० २०२२ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०३० वि० सं० २०३१ वि० सं० २०३२ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३४ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३७ सम्पादन का कार्य सरल नहीं है-यह उन्हें सुविदित है, जिन्होंने इस दिशा में कोई प्रयत्न किया है । दो-ढाई हजार वर्ष पुराने ग्रन्थों के सम्पादन का कार्य और भी जटिल है, जिनकी भाषा और भाव-धारा आज की भाषा और भाव-धारा से बहुत व्यवधान पा चुकी है। इतिहास की यह अपवाद-शून्य गति है कि जो विचार या आचार जिस आकार में आरब्ध होता है, वह उसी आकार में स्थिर नहीं रहता। या तो वह बड़ा हो जाता है या छोटा । यह ह्रास और विकास की कहानी ही परिवर्तन की कहानी है। और कोई भी आकार ऐसा नहीं है, जो कृत है और परिवर्तनशील नहीं है । परिवर्तनशील घटनाओं, तथ्यों, विचारों और आचारों के प्रति अपरिवर्तनशीलता का आग्रह मनुष्य को असत्य की ओर ले जाता है। सत्य का केन्द्र-बिन्दु यह है कि जो कृत है, वह सब परिवर्तनशील है । कृत या शाश्वत भी ऐसा क्या है जहां परिवर्तन का स्पर्श न हो। इस विश्व में जो है, वह वही है जिसकी सत्ता शाश्वत और परिवर्तन की धारा से सर्वथा विभक्त नहीं है। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ शब्द की परिधि में बंधने वाला कोई भी सत्य क्या ऐसा हो सकता है जो तीनों कालों में समान रूप से प्रकाशित रह सके ? शब्द के अर्थ का उत्कर्ष या अपकर्ष होता है भाषा-शास्त्र के इस नियम को जानने वाला यह आग्रह नहीं रख सकता कि दो हजार वर्ष पुराने शब्द का आज वही अर्थ सही है, जो आज प्रचलित है । 'पाषण्ड' शब्द का जो अर्थ आगम-ग्रंथों और अशोक के शिलालेखों में है, वह आज के श्रमण-साहित्य में नहीं है । आज उसका अपकर्ष हो चुका है । आगम साहित्य के सैकड़ों शब्दों की यही कहानी है कि वे आज अपने मौलिक अर्थ का प्रकाश नहीं दे रहे हैं। इस स्थिति में हर चिन्तनशील व्यक्ति अनुभव कर सकता है कि प्राचीन साहित्य के सम्पादन का काम कितना दुरूह है। मनुष्य अपनी शक्ति में विश्वास करता है और अपने पौरुष से खेलता है, अत: वह किसी भी कार्य को इसलिए नहीं छोड़ देता कि वह दुरूह है। यदि यह पलायन की प्रवृत्ति होती तो प्राप्य की सम्भावना नष्ट ही नहीं हो जाती किन्तु आज जो प्राप्त है, वह अतीत के किसी भी क्षण में विलुप्त हो जाता। आज से हजार वर्ष पहले नवांगी टीकाकार (अभयदेव सूरि) के सामने अनेक कठिनाइयां थीं। उन्होंने उनकी चर्चा करते हुए लिखा है : ---- १. सत् सम्प्रदाय (अर्थ बोध की सम्यक् गुरु-परम्परा) प्राप्त नहीं है। २. सत् ऊह (अर्थ की आलोचनात्मक कृति या स्थिति) प्राप्त नहीं है। ३. अनेक वाचनाएं (आगमिक अध्यापन की पद्धतियां) हैं। ४. पुस्तकें अशुद्ध हैं। ५. कृतियां सूत्रात्मक होने के कारण बहुत गंभीर है। ६. अर्थ विषयक मतभेद भी हैं । इन सारी कठिनाइयों के उपरान्त भी उन्होंने अपना प्रयत्न नहीं छोडा और वे कुछ कर गए। कठिनाइयां आज भी कम नहीं हैं । किन्तु उनके होते हुए भी आचार्यश्री तुलसी ने आगम-सम्पादन के कार्य को अपने हाथों में ले लिया। उनके शक्तिशाली हाथों का स्पर्श पाकर निष्प्राण भी प्राणवान बन जाता है तो भला आगम-साहित्य जो स्वयं प्राणवान् है, उसमें प्राण-संचार करना क्या बड़ी बात है ? बड़ी बात यह है कि आचार्य श्री ने उसमें प्राण-संचार मेरी और मेरे सहयोगी साधु-साध्वियों की असमर्थ अंगुलियों द्वारा कराने का प्रयत्न किया है। संपादन कार्य में हमें आचार्यश्री का आशीर्वाद ही प्राप्त नहीं है किन्तु मार्ग-दर्शन और सक्रिय योग भी प्राप्त है। आचार्यवर ने इस कार्य को प्राथमिकता दी है और इसकी परिपूर्णता के लिए अपना पर्याप्त समय दिया है। उनके मार्ग-दर्शन, चिन्तन और प्रोत्साहन का संबल पा हम अनेक दुस्तर धाराओं का पार पाने में समर्थ हुए हैं। पाठ सम्पादन-पद्धति पण्णवणा प्रज्ञापना के पाठ-शोधन में चार हस्त-लिखित आदर्श काम में लिए गए । आचार्य मलयगिरि की वत्ति का भी उसमें उपयोग किया गया। मुनि पूण्यविजयजी द्वारा सम्पादित प्रज्ञापना भी हमारे सामने रही। किन्तु हम किसी एक प्रति को आधार मानकर नहीं चलते। टीका की व्याख्या, अन्य आगम तथा शब्दों का अर्थ-ये सब पाठ-शोधन के महत्त्वपूर्ण आधार-बिन्दु रहे हैं। इसलिए हमारे सम्पादन में पाठ-शुद्धि के अनेक विशेष विमर्श उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए गण्ठी शब्द प्रस्तुत है : ."वत्थुल कच्छुल सेवाल गण्ठी"। यहां 'गण्ठी' पद अशुद्ध है । शुद्ध पाठ है 'गत्यी । पाठ-शोधन Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ में प्रयुक्त हस्तलिखित आदर्शों तथा मुनिश्री पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित आगमों में 'गण्ठी' पाठ ही उपलब्ध है। इस पाठ का शोधन जीवीजीवाभिगम और जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति के आधार पर किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत आगम का ११३८ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। दुसरा उदाहरण है-.-'तिट्टाणवडिते' । इसके स्थान पर कुछ आदशों में 'चउट्ठाणवडिते' पाठ मिलता है। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने भी 'चउट्ठाणवडिते' पाठ स्वीकार किया है। किन्तु हमने 'तिट्ठाणवडिते' पाठ वृत्ति के आधार पर मान्य किया है। इसका समर्थन पण्णवणा ५११५, ११६, की वृत्ति से होता है। प्रज्ञापनावृत्ति पत्र १९५-१९६ तथा पण्णवणा ५॥११५ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति इसके पाठ-शोधन में सात प्रतियों और तीन टीकाओं का उपयोग किया गया है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र की वृत्ति तथा हीरविजय वृत्ति में अनेक पाठान्तर और उनकी टिषणियां मिलती हैं । देखें ---४११५६ का पाद-टिप्पण। यह पाठान्तर-बहुल आगम है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र ने वाचना-भेद की विस्तृत चर्चा की है। उदाहरण के लिए ११२ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य हैं। कहीं-कहीं अशुद्ध पाठ के कारण व्याख्या भी अशुद्ध हुई है। देखें---४।४६ का पाद-टिप्पण । चन्द्रप्राप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति इनके पाठ-शोधन में पांच हस्तलिखित आदशों तथा चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति की वृत्तियों का उपयोग किया गया है। एक आदर्श का क्वचित् प्रयोग किया गया है। चन्द्रप्रज्ञप्ति का पूर्ण रूप उपलब्ध नहीं है। उसका सूर्यप्रज्ञप्ति से जो भेद है वह एक परिशिष्ट में दिया गया है। कुछ हस्तलिखित आदर्श चन्द्रप्रज्ञप्ति के नाम से उपलब्ध हैं। उनके पाठ-भेद सूर्यप्रज्ञप्ति के पाद-टिप्पण में दिए हुए हैं। निरयावलिका निरयावलिका आदि पांच वर्गों के पाठ-शोधन में तीन हस्तलिखित आदशों तथा श्रीचन्द्रसूरिकृत वृत्ति का प्रयोग किया गया है। १. शान्तिचन्द्रीयवृत्ति पत्र ६७ : पाठान्तरं-वाचनाभेदस्तगतपरिमाणान्तरमाह-मूले द्वादश योजनानि विष्कम्भेन मध्येऽष्ट योजनानि विष्कम्भेन उपरि चत्वारि योजनानि विष्कम्भेन, अत्रापि विष्कम्भायामतः साधिकत्रिगुणं मूलमध्यान्तपरिधिमानं सूत्रोक्तं सुबोधं । अत्राह परः- एकस्य वस्तुनो विष्कम्भाविपरिमाणे द्वैरुप्यासम्भवेन प्रस्तुतग्रन्थस्य च सातिशयस्थविरप्रणीतत्वेन कथं नान्यतरनिर्णयः ? यदेव स्यापि ऋषभकटपर्वतस्य मूलादावष्टादियोजनविस्तृतत्वादि पुनस्तत्रैवास्य द्वादशादियोजनविस्तृतत्वादीति, सत्यं, जिनभट्टारकरणां सर्वेषां क्षायिकज्ञानवतामेकमेव मतं मूलतः पश्चात्तु कालान्तरेण विस्मृत्यादिनाऽयं वाचनाभेदः, यदुक्तं श्रीमलयगिरिसूरिभिज्योतिष्करण्डकवृत्तौ - "इह स्कन्दिलाचार्य प्रवृ (तिप) तौ दुषमानुभावतो दुभिक्षप्रवृत्त्या साधूनां पठनगुणनादिकं सर्वमप्यनेशत्, ततो दुभिक्षातिकमे सुभिक्षप्रवृत्तौ द्वयोः संघमेलापकोऽभवत्, तद्यथा---एको वलभ्यामेको मथुरायां, तत्र च सूत्रार्थसंघटने परस्परं वाचनाभेदो जातः, विस्मृतयोहि सूत्रार्थयोः स्मृत्वा संघटने भवत्यवश्यं वाचनाभेद" इत्यादि, ततोऽत्रापि दुष्करोऽन्यतरनिर्णयः द्वयोः पक्षयोरुपस्थितयोरनतिशायिज्ञानिभिरनभिनिविष्ट मतिभिः प्रवचनाशातनाभीरुभिः पुण्यपुरुरिति न काचिदनुपपत्तिः । Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ शब्दान्तर और रूपान्तर पण्णवणा श१४ १११४ ०२३ श२६ ११३५ ११३८ ११४८१४७ १९३४ २।१० २२१३ २।४० बैदियः तेंदिय ओसा वायमंडलिया अंकोल्ल कोरंटय बलिमोडओ वीइभयं पडीण तडागेसु चोट्ठि विसेसाहिया दाहिणेणं विभंगणाणीण अहेलोए अस्साता जहा मकसाई एगणवीस पणुवीस (क,ग) (क) (घ) (घ) (क,घ) (क,घ) (ख,म,प) (क) ३१ (क,ग,ध) (घ) (ख,ग) ३७ ३३१०२ ३।१२७ ३।१७४ ३।१८२ ३३१८३ ४।२५५ ४।२७५ ५॥५ ५१५ ५१५ बेइन्दिय तेइन्दिय उस्सा बाउमंडलिया अंकुल्ल कोरिटय (क); कोरेंट पलिमोडओ वीय भयं पयोण (क); पईण तलागेसु चोट्टि विसेसाधिया दक्खिणेणं विहंगणाणीण अहोलोए (ग); अधेलोए असाता जधा सकसादी एकूणवीसं (क,घ); एक्कूणवीस पंचवीसं (ख,घ); पणवीसं जइ (ख,ग,घ); जति मधुर अभइए (क); अब्भतिए 'पडिए मणसे बुढिजति एणठेणं अहिलावो उस्सण्ण आणवणी बिगे सतणं सरीरप्पभवा वोगड अन्वोगडा जदि (पु) (क,ख,घ) (क,ग,घ) अब्भहिए वडिए मणुस्से वढिज्जति एएणछेणं अभिलावो ओसण्ण आणमणी वगे सयण सरीरपहवा वोयड अव्वोयडा ५२१०१ ५.१७६ १२४२ ६।४६ ८८ १११६ ११०२१ १०२५ १११३० १०३७ (ख,घ) (ख,ग,घ) (क,ख,ग,घ) (क,ख,ग,घ) Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११।३७ ११/७२ ११.७५ ११८४ ११३८८ ११३८८ १२/७ १२/७ १३/८ १५/३५ १५/३५ १५.५० १५।५३ १५३५८ १६।१५ १६।३४ १६।५१ १६।५४ १६।५५ १६४५५ १७।२४ १७/१०६ १७११६ १७।१२४ १७।१२५ १७।१२६ १७।१२८ १७।१३२ १७१५० १८११ १८५६ १८६४ २०१२८ २११२५ २१/४७ २१/६२ आणमणी परिवड्ढमाणाई कदलीथंभाण सिरति बितियं भासज्जायं बद्धेल्लया मुक्केल्लया ओसप्पिणीहि अणागारो गोह सादी पेमाणे पेहति "थिग्गले 'ओवचए अहवेगे पच्चत्थिमिल्लं आयरियं सेयंसि माउलंगाण विदुयाण इट्ठे समभिलोएमाणे किण्ह हलधर कइरसारे बालिदगोवे "बलाहए अपिककाणं आगारभाव माताए वेदे वइजोगी सकसाई सवणताए सू ह सगाई १८ याणमणी परिवड्ढे माणाई कदलीखं भाण (ध) (ख, घ) (ग) णिस्सरति ( ख ); णिस्सिरति ( ग ); निसरति (घ) बीयं (क.ग ) (ग) ( क,ख,ग,घ) (ग) ( क, ख ) (ग) (पु) भासजाय बल्लिया मुक्किल्लया अवसप्पिणीह अणायारो° णिग्गोह साती पेहेमाणे पेहेति चिगिले "ओवचते अवेते पच्छिमिल्ल आयरितं सेइंसि मातुलिंगाण तिडुयाण इणमट्ठे (क); तिण ट्ठे समfieldमाणे कण्ह हलहर कयरसारए ( ख, ग ); कतरसारए बालेंदगोपे लाह अपक्काणं आगारभावमायाए ए (क,ग); देते वयजोगी सकसादी (क); सकसाती सवणयाते सूयी" पुहतं समाति (क, घ ) ; सयाई (ख, घ) (क,ख) (पु) (क) (क,ग) (ग) (ग) (ख, घ) (क) (क,घ ) (क, ग, घ ) (घ) (ग) (घ) (क,ख,घ) (क.ग ) (ख, घ) ( ख, घ,पु) (घ) (ख) (क,घ) (ख) (ग) Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णियच्छति कडस्स णीयागोयस्स (ख,ग) (क,घ) खवए २३।३ २३३१३ २३२२२ २३३१६१ २८।४४ ३३११ ३३।१७ ३४।१ ३४।६ ३४/१५ अफासाइज्ज अपडिवाई सगाई परियाइयणया जाणंति सपरियारा निगच्छति (क,घ) निग्गच्छति कतस्स (क,घ); कयस्स णीतागोतस्स खमए अप्फासाइज्ज अपडिवादी सताई (क,घ) सयाति परियादिणया (ख); परियायणया याणंति सपरिचारा जंबुद्दीवपण्णत्ती (क,घ) (क,घ) (ख) (क,ख,ग,घ) (ख,ग) (अ,ख) श८ १११८ ११२३ श२६ श२८ ११४८ विच्छिण्णा °णउय घणुपट्टे पडोयारे पासिं दुहा विस्थिण्णा °णोत° धणुवढें (अ); धणुपुळं पडोगारे पस्सिं दुधा हिस्स उडू (त्रि); उऊ पडोकारे (त्रि,ब) (अ,त्रि,ब) (ख,स) (क,ख) (प) २१४ २।४ मेतिणि वेइगा यत्थ (अ,ब); एस्थ कधक २११४ २।१५ २२२० २।२० २१३२ २१७० २१७८ २।१३१ २११३३ २११३३ पडोयारे मेइणि वेइया इत्थ कहग 'हास वाकरेमाणाणं हाहाभूए वलीविगय टोलाकिति (त्रि,ब) (अ,ब) (क,ख,स) (अ,ख,ब) (म,ख,ब) (प) (अ,क,ख,ब,स) वागरमाणाणं हाहाब्भूते पलीविगय डोलाकिति (अ); डोलागिति टोलागित्ति (त्रि, स); टोलागति सीय उण्ह सीउण्ह २११३३ ३।३ जूय (प) (क,ख,त्रि,ब,स) (क,ख,प,स) (क,ख,प,स) (अ,ब) (अ,ब) ३।११ ३।११ पउसियाओ बब्बरी बहलि व उसीयाओ पप्परी पहलि Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० कडिच्छुय (ख); °कडेच्छुय (अ,ब,स) °कडुच्छ्य दुखहइ बंभयारी (अ,त्रि,ब) दुरुढे ३।११ ३३२० ३१२० ३३२१ ३१२२ ३१२३ ३१२४ ३३२६ ३३३५ ३१३५ ३२३५ बोल 'बालचंद (स) (क,प,स) (क,ख) अंतवाले ° पट्टसंगहिय खिखिणी अयोझ पम्हचारी रूढे (अ); द्रुढे पोल °बालयंद 'तोंड अंतपाले (अ,त्रि,ब); अंतेवाले वसंगहिय किकिणी अजोझ (अ,ब); अओझं अवोझ सोतामणि (क); सोदामणि प्पकासं विस्सुतं (क,ख,स) (क,ख,प,म); (त्रि) (ख,स) (अ,क,ख,त्रि,ब,स) (क,स) ३१३५ ३३३५ ३१३५ ३१७७ ३.११७ ३।११७ ३।१३८ सोयामणि प्पगासं वीसुतं चिधपट्टे সিংহ चिंधवट्टे उऊण हिदय मरीई (त्रि) उदूण (अ,ख,ब); रिदूण (क ,स) हियय (अत्रि,प,ब); हितय' (क,स); हदय निहितो (अ,त्रि,ब); °निहओ (ख,स) अभिसेयपेढं गंठिम (त्रि,प) तिसोमाण (अ,ब) काकिणि (अ); कागिणि” (व); काकणि° (स) (अ,ब) पुवकड ३११७८ ३२१६४ ३।२११ ३।२१४ ३१२२० ३१२२१ ३।२२३ ४१३६ ४१५४ ४१५५ ४१७७ ४१८५ ४१८६ ४१८७ ४।६१ ४१४३ निहिओ अभिसेयपीढं गंथिम तिसोवाण कागणि पुवकय° ईहापोह बावट्टि हस्सतराए दक्खिणेणं हरिवासं संखतल' बायाले णिसहस्स सीतोदा विउत्तरे (त्रि) ईहापुह (अ,क,ख,स); ईहावूह (पुर्व) बासद्धि हस्सतराए दाहिणेणं हरिवस्सं (अ,प,ब) संखदल° (प,शाव,पुवृपा) पायाले (अ,ब) बायालीसे (त्रि) णिसअस्स सीओता (अ,ब); सीओदा (त्रि); सीओआ (प) पिउत्तरे Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ ४।१०२ णिसढ हेमवय-हेरण्णवय दह ४११०३ ४।१०६ ४।१४० ४११४० ४११४२ ४११५७ ४।१८० ४२१० ४॥२३१ श२५ णीलवंतस्स सणिच्चारी उववायसभाए जमगाओ दस णियया परुप्परति सयज्जल पलासो घंटापडेसुया णिसभ° (अ,ब); णिसह (क,ख,स) हेमवएरण्णवय (क,ख,ब,स); हेमवय एरण्णवय (त्रि) णेलवंतस्स (अ,क,ख,ब,स) सणिच्चारी ओतावसभाए (क) जवगाओ (अ,ब); जमिगाओ (अ,क,ख,ब,स) णितिया (अ,क,ख,त्रि,ब,स) परोप्परति (अ,त्रि,ब) सयंजल (त्रि) वलास घंटापर्डेसुका (अ,ब); घंटापडिसुका (क,ख); घंटापडिस्सुया (त्रि); घंटापडंसुया गत्ताई (क,ख); गताई (ब) जाणु उड्ढंमुह (अ,ब); उद्धीमुह (क,ख,प) भावियाया अभिजिदाइया (अ,ब); अभिजादिया (क,स); अभिजादीया समणे (अ,ब) मगसिर अभिती (अ,ब,स); अभिवी (क,ख) पहस्सती (अ,ब); वहप्फई कत्तिकी (अ); कित्तिकी (ख,ब); कित्तिगी (स) आसिणी लांगूलाणं १५८ १५८ ७.३१ ७.१२२ ७:१२६ गायाई जण्णु उड्ढीमुह भावियप्पा अभिजियाइया ७।१२८ ७.१२८ ७।१२६ ७/१३० ७:१५५ ७।१५६ ७.१७८ सवणो मियसर अभिई वहस्सई कत्तिगी अस्सिणी गंगूला सूरपण्णतो (ग,घ) (ट) इहगतस्स चउरुत्तरे पिहला पोग्गला ओयसंठिती ओयाए रयणिखेत्तस्स इदगतस्स चउत्तरे पिधुला (क); पुहुलो पुग्गला तोतसंठिती ओताए रतणिखेत्तस्स (क,ग,प); रातिखेत्तस्स (ट,व) (ट) Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ १०१२ १०१५ १०१७ १०१० १०७७ १०७८ १०७६ १०८७ १०1८६ १०११३६ १०११४७ १०.१७३ १४१२ १॥३१ १८१३४ २०११ २०१२ सदा वयं....वदामो सवणे सायं आसोई अमोइण्णं आदिच्चेहि बम्ह सवणे बितिया दुविहा तिही पातो उवाइणावेत्ता सयावि कहं अहियं मेहणवत्तियं अहे वइयरिए सता (ग,घ,ट,) वतं....वतामो (ब) समणो (ग,घ) साग अस्सोती अस्सोदिपण आतिच्चे हि (व) बंभ (क,ग,घ) समणे (ट,व) बिदिया दुविधा तिधी पादो (क,घ,व) उवादिणावेत्ता (क,ग,घ); उवातिणावेत्ता (ट,व) सताधि (क,ग,घ,ब); सदावि (ग) कधं (क,ग,घ) अधियं (क,ग,घ); अहितं मेधुणवत्तियं (क) वतिचरिए अधो निरयावलियाओ अण्णया जणवदं ऊसए पिइसोएणं पट्टे अंदोलावेइ निच्छुहावेद लेच्छा सुब्धयाओ (ग) ११४२ ११६६ ११७२ १९९१ श६७ १९६७ १२११७ १११२७ ३।११५ ३११३४ ४१६ ४१२१ ५२६ ५११० (क) अण्णदा (क); अण्णता जणवयं ऊसवे पितसोएण प्पिळे (क); पुढे अंदोडावेइ निच्छुभावेइ लेच्छती सुब्वदाओ जुवलं (ख); जुगलं तिट्ठा "पाओसिया सव्वोय आधेवच्चं (क) जुयल इट्ठा (ग) 'बाओसिया सव्वोउय आहेबच्च (क,ग) (क,ग) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ पण्णवणा प्रति- परिचय क) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित ) यह प्रति पूनमचन्दजी बुधमलजी दूघोड़िया 'छापर' के संग्रहालय की है। इसकी पत्र संख्या ३०२ है | इसकी लम्बाई १०१ इन्च व चौड़ाई ४ || इन्च है । लगभग प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३३ से ४१ अक्षर हैं। प्रति सुन्दरतम व शुद्ध है । यह प्रति लगभग १५ वीं शताब्दी की लिखी हुई है। प्रति के अन्त में केवल प्रस्थान ७७८७ लिखा हुआ है। (ख) पण्णवणा टम्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्वभारती हस्तलिखित ग्रंथालय, लाडनूं की है । इसमें मूल पाठ तथा स्तबक लिखा हुआ है । इसकी पत्र संख्या ४६५ है । इसकी लम्बाई 8 || इंच तथा चौड़ाई ४ इंच है । प्रत्येक पत्र में भूल पाठ की पंक्तियां ७ व प्रत्येक पंक्ति में ३५ से ३९ अक्षर हैं। प्रति अति सुन्दर लिखी हुई है। प्रति के अन्त में 'प्रत्यक्षरगणनया अनुष्ठपच्छंदः समानमिदं ग्रन्थाग्रं ७७८७ प्रमाणं' लिखा हुआ है। आगे स्तबककर के ६ श्लोक हैं संवत् १७७८ वर्षे फाल्गुन मासे शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिचौ रविवारे पंडित ईश्वरेण लिपी चक्रे श्री वेन्नातट नगर मध्ये..... श्री रस्तु कल्याणमस्तुः शुभं भूयास्लेषक पाठकयो: । । (ग) पण्णवणा त्रिपाठी (हस्तलिखित) मूलपाठ सहित वृत्ति यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित ग्रंथ भंडार लाडनूं' की है। इसमें मध्य में नूल पाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है। इसकी पत्र संख्या ४४८ है इसकी लम्बाई ६ ||| इंच तथा चौड़ाई ४ इंच है । प्रत्येक पत्र में मूल पाठ की पंक्तियां १ से १६ तक है । कुछ पत्रों में केवल वृत्ति ही है । प्रत्येक पंक्ति में ३७ से ४५ तक अक्षर हैं । ग्रंथाग्र मूल पाठ ७७८७ तथा वृत्ति का ग्रन्थाय १६००० । प्रति सुन्दर व शुद्ध है । लगभग १७ वीं शताब्दी की प्रति होनी चाहिए । (घ) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्दजी गणेशदासजी वर्धया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १३८ है । इसकी लम्बाई १३|| इंच तथा चौड़ाई ५ इंच है। प्रत्येक पत्र में बीच में तथा हासिए के बाहर चित्र सा किया हुआ है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ६० से ६५ के लगभग अक्षर हैं । प्रति सुन्दर तथा शुद्ध है । यह १६ वीं शताब्दी की लिखी हुई प्रतीत होती है । ग्रंथाग्रं ७७८७ के सिवाय अन्त में कुछ लिखा हुआ नहीं है । ( गव्) 'ग' संकेतित प्रति में लिखित वृत्ति के पाठान्तर (वृ) हस्तलिखित वृत्ति I यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गया सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १५९ लिपि संवत् १५७७ । वैशाख शुक्ला १० । (मवृ) मलयगिरि वृत्ति -- प्रकाशक आगमोदय समिति (मवृपा ) मलयगिरि द्वारा गृहीत पाठान्तर ( हव) श्री हरिभद्र सूरि सूत्रित प्रदेश व्याख्या संकलितं प्रकाशक श्री ऋषभदेव केशरीमलजी रतलाम पूर्व भाग पर ११ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ जंबद्दीवपण्णत्ती प्रति-परिचय (अ) जंबुद्दीवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार की ताडपत्रीय (फोटोप्रिंट) मदनचन्द जी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र १६४ और पृष्ठ ३२८ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां है। कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी लिखी हुई हैं। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३० से ३५ तक हैं। अन्त में ग्रंथान ४१४६ इतना ही लिखा हुआ है । इसके साथवाली प्रति के आधार पर यह प्रति १४ वीं शती की होनी चाहिए। (ब) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) __यह प्रति जेसलमेर भंडार ताडपत्रीय (फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ६७ व पृष्ठ १६४ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ४७ से ५० तक अक्षर हैं। लिपि सं० १३७८ लिखा हुआ है। (स) जंबुद्दोवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार पत्राकार (फोटोप्रिन्ट) मदन चन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४६ व पृ. ६२ हैं। प्रत्येक पत्र में २० पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ७० से ७४ तक अक्षर हैं। लिपि सं. १६४६ लिखा हुआ है। प्रति बहत महीन लिखी हुई है। (क) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) पत्र संख्या ७३ श्रीचंद गणेशदास गधया संग्रहालय (सरदारशहर) (ख) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रंथालय 'लाडनूं' की है। इसके पत्र १०१ व पृष्ठ २०२ हैं। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ५० से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति प्राचीन व सुंदर लिखी हुई है। लिपि संवत् नहीं है । (ग) जंबुद्दोवपण्णत्ती त्रिपाठी, मूलपाठ व वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय 'लाइन' की है। इसके पत्र ३५८ व पृष्ठ ७१६ है। प्रति के मध्य में मूलपाठ व ऊपर नीचे टीका लिखी हुई है। लिपि संवत् १९१३ अंकित है । प्रति सुंदर लिखी हुई है। इसके ६६-७० दो पत्र प्राप्त नहीं हैं। (होवृ) हीरविजयसूरि विरचित वृत्ति त्रिपाठी (हस्तलिखित) (हीवृपा) हीरविजय सूरि द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति शासन ग्रंथ भंडार 'लाडनू' की है। इसकी पत्र संख्या ५८२ है । बीच में मूलपाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है । लिपि संवत् १६१६ । (पुव) खरतरगच्छीय जिनहंसगणि शिष्य महोपाध्याय पुण्यसागर विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) (पुवृपा) पुण्यसागर द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र २४३ व पृष्ठ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ ४८६ हैं । लिपि सं. १५७५ । प्रति सुन्दर लिखी हुई है। ( शावृ) तपागच्छीय होरविजयसूरि परशिष्य शान्त्याचार्य विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधेया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। लिपि सं. १५५१ ( शावृपा ) शान्त्याचार्य द्वारा गृहीत पाठान्तर सूरपण्णत्ती प्रति परिचय (क) सूरपण्णत्ती मूल यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदाबाद' की है। इसकी क्रमांक डा. २ ५७ है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई १२ ।। x ५ इंच है । इसकी पत्र संख्या ६२ है । प्रथम पत्र नहीं है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्ति व प्रत्येक पंक्ति में ४८ से ७० तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर व सुवाच्य है। प्रति के बीच में हरी व लाल स्याही से चित्र चित्रण परन्तु प्रति प्राचीन है लगभग १७ वीं शताब्दी की होनी श्लोक प्राकृत में लिखे हुए हैं । किया हुआ है । लिपि संवत् नहीं दिया है । चाहिए। प्रति के अन्त में प्रशस्ति के २५ (ग) सूरपण्णत्ती मूल नंबर ६० (हस्तलिखित ) यह प्रति भी पूर्व उल्लिखित 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ८७ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १० X ४ इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां हैं । प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३३ से ४१ तक है । प्रति की लिपि सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल प्रति है । लिपि सं. १५७० ॥ (घ) सूरपण्णसी मूल नम्बर ६०७ ( हस्तलिखित ) यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६६ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १० x ४ इंच है । प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां है। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३४ से ४२ तक हैं । प्रति की लिपि सुंदर पर अशुद्धि बहुल है । लिपि सं. १६७३ है । उपर्युक्त तीनों प्रतियों के बीच में बावड़ी है । ( सूवृ) सूरपण्णत्तो टोका नं. ४८ यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, 'अहमदावाद' की है। इसकी लम्बाई चौडाई १२।१ x ५ इंच है। पत्र संख्या २२४ है । प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ४४-६० अक्षर हैं । प्रति सुन्दर व स्पष्ट लिखी हुई है। लिपि संम्वत् १५७४ है । चन्द्रप्रज्ञप्ति प्रति-परिचय (क) चंदपण्णत्ती मूल नं. ६०० ( हस्तलिखित ) यह प्रति भी लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६८ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १० x ४ । इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३२ से ४१ तक अक्षर है । यह प्रति भी सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल है। इसमें पत्र के बीच में बावडी है । लिपि संवत् १५७० है । Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ (चंव) चंदपण्णत्ती टोका (हस्तलिखित) यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित भण्डार 'लाडन' की है इसकी पत्र संख्या १७६ है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई १०४४॥ इच की है। प्रत्येक पत्र में पंक्ति ६ व प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ५० करीब है। प्रति सुन्दर है । लिपि संवत् १७६२ । (2) चंदपण्णत्ती टब्बा (हस्तलिखित) जैन विश्व भारती लाडनूं हस्तलिखित ग्रंथालय ! पत्र ५७ । निरयावलियाओ प्रति-परिचय (क) निरयावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर भंडार की ताडपत्रीय (फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है । इसके पत्र २५ व पृष्ठ ५० हैं। फोटो प्रिंट के पत्र है । एक पत्र में ६ पृष्ठों के फोटो है। किसी में न्यूनाधिक भी है । प्रत्येक पत्र १२ इंच लम्बा व ३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में पाठ की पांच पंक्तियां हैं, किसी पत्र में दो-दो तीन-तीन पंक्तियां भी हैं। कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी भी हैं । प्रत्येक पंक्ति में करीब ४५ से ५० तक अक्षर है। प्रति के अंत में प्रशस्ति नहीं है। (ख) निरयावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र १६ तथा पृष्ठ ३८ हैं । प्रति १३३ इंच लम्बी व ५ इंच चौड़ी है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तिया तथा प्रत्येक पंक्ति में करीब ७१ से ७५ तक अक्षर हैं । प्रति काली स्याही से लिखी हुई है। प्रति के मध्य भाग में बावड़ी व उसके बीच में लाल स्याही का टीका लगा हुआ है। लेखन संवत् नहीं है। परन्तु उसके साथ की प्रति के आधार पर अनुमानित १६ वीं शताब्दी की है। प्रति सुंदर, स्पष्ट तया शुद्ध लिखी हुई है। (ग) निरयावलियाओ टब्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय, लाडनूं की है। इसके पत्र ६३ तथा पृष्ठ १२६ है। प्रत्येक पत्र में पाठ की ७ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में अक्षर करीब ३५ से ४५ तक हैं। यह प्रति १०३ इंच लम्बी तथा ४३ इंच चौड़ी है । लिपि सं० १८३३ । (ब) निरयावलियाओ वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र हैं। यह १३३ इंच लंबी ५ इंच चौड़ी है । लिपि संम्वत् १५७५ है । (मव) मुद्रित वृत्ति ____ए. एस. गोपाणी एण्ड वी. जे. चोकसी। प्रकाशित-शंभूभाईजगसीशाह, गुर्जर ग्रन्थरल कार्यालय, गांधी रोड़ अहमदाबाद प्रकाशन १९३४ । सहयोगानुभूति जैन परम्परा में वाचना का इतिहास बहत प्राचीन है। आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ की चार वाचनाएं हो चुकी हैं । देवद्धि गणि के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नहीं हुई। अनेक वाचना-काल में जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में बहुत ही अव्यवस्थित हो गए हैं। उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी। आचार्य श्री तुलसी ने सुनियोजित सामूहिक बाचना के लिए प्रयत्न भी किया था। परंतु वह पूर्ण नहीं हो सका । अन्तत हम उसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारी वाचना अनुसंधानपूर्ण, गवेषणापूर्ण, तटस्थ दृष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने आप सामूहिक हो जाएगी। इसी निर्णय के आधार पर हमारा यह आगमवाचना का कार्य आरंभ हुआ। हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्य श्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन कर्म के अनेक अंग हैं .. पाठ का अनुसंधान, भाषान्तर, समीक्षात्मक अध्ययन, तुलनात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवृत्तियों में हमें आचार्य श्री का सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है। यही हमारा गुरुतर कार्य में प्रवृत होने का शक्ति-बीज है । मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन कर भार मुक्त होऊ, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-संबल पा और अधिक भारी बनूं । प्रस्तुत पुस्तक के अन्तर्गत नौ उपांगो के पाठ-शोधन में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी, का पर्याप्त योग रहा है। पण्णवणा में मुनि बालचंदजी, निरयावलियाओ में मुनि मधुकरजी का भी योग रहा है। प्रतिलिपि शोधन में स्व. मन्नालालाजी बोरड़ भी इसमें सहयोगी रहे हैं। पष्णवणा की शब्दसूची मुनि श्रीचन्द जी, जंबुद्दीवपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती की मुनि सुदर्शन जी तथा निरयावलियाओ की मुनि हीरालालजी ने तैयार की है। इस ग्रन्थ के प्रथम परिशिष्ट व इसका ग्रन्थ परिमाण मुनि हीरालाल जी ने तैयार किया है। पण्णवणा व जंबुद्दीवपण्णत्ती की शब्दसूची में क्रमश: साध्वी जिनप्रभाजी व साध्वी चन्दनबालाजी का भी योग रहा है। प्रूफ निरीक्षण में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी. मुनि दुलहराजजी तथा समणी कुसुमप्रज्ञा संलग्न रही है। कहीं मुनि विमलकुमारजी, मुनि सम्पतमलजी भी सहयोगी रहे हैं । पाठ के पुननिरीक्षण के समय मुनि हीरालालजी विशेषतः संलग्न रहे हैं । __ आगम बत्तीसी के पाठ-सम्पादन कार्य में नामोल्लेख के अतिरिक्त जिनका यत्किञ्चित् योग रहा है, उन सबके प्रति हम कृतज्ञता वा भाव व्यक्त करते हैं। सम्पादन कार्य में संघीयभंडार के अतिरिक्त एल० डी० इन्स्टीट्यूट अहमदाबाद, श्रीचंद गणेशदास गधैया पुस्तक भंडार सरदाशहर, तेरापंथी सभा सरदारशहर, पूनमचंद बुद्ध मल दूधोडिया छापर, घेवर पुस्तकालय सुजानगढ़, जैन विश्व भारती ग्रंथालय लाडनूं , जेसलमेर भंडार, इन सब संस्थानों से प्राप्त हस्तलिखित आदर्शों का हमने प्रयोग किया। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने 'नन्दी' की संशोषित प्रति भी हमें उपलब्ध कराई थी। इन सबका योग हमारे कार्य में मूल्यवान बना। आचार्य श्री के वाचना-प्रमुखत्व में आगम-वाचना का जो कार्य प्रारंभ हुआ था उसका एक पर्व संशोधित पाठयुक्त आगम बत्तीसी के साथ सम्पन्न हो रहा है । बत्तीस आगमों का संशोधित पाठ पहली बार विद्वान् पाठकों के लिए सुलभ हो रहा है । यह हमारे लिए उल्लास का विषय है। Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९ वि. सं. २०१२ उज्जैन में आगम-सम्पादन का कार्य प्रारंभ हुआ। उसी वर्ष प्रायः बत्तीस आगमों की शब्द सूचियां तैयार हो गई। इस कार्य में अनेक साधु और साध्वियां संलग्न हुए । चारचार या तीन-तीन साधु-साध्वियों के वर्ग बने और उन्होंने इस कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न किया । मुनि चौथमलजी, सोहनलालजी (चूरू) जैसे प्रौढ़ सन्त इस कार्य में लगे, वहां उनके सहयोगी के रूप में छोटे-छोटे साधु भी जुट गए। एक अभियान जैसा कार्य चला और सब में एक नयी भावना जागृत हो गई । पहले पाठ-शोधन नहीं हुआ था इसलिए उनका पूरा उपयोग नहीं हो सका। शब्द-सूचियां फिर से बनानी पड़ी, किन्तु जो काम हुआ वह अत्यंत श्लाघनीय है। इस सम्पादन की एक उल्लेखनीय बात यह है कि यह सारा कार्य साधु-साध्वियों के द्वारा ही सम्पादित हुआ, किसी गृहस्थ विद्वान् का इसमें योग नहीं रहा । आचार्यश्री का नेतृत्व और तेरापंथ धर्मसंघ का संगठन ही इसके लिए श्रेयोभागी बनता है। आगमविद् और संपादन के कार्य में सहयोगी स्व. श्री मदनचंदजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो इस कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता। आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया (कुलपति, जैन विश्व भारती) प्रारंभ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं। आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं। अपने सुव्यवस्थित वकालात कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर वे अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष खेमचंदजी सेठिया और मंत्री श्रीचंद बैंगानी का भी इस कार्य में योग रहा है। संपादकीय और भूमिका का अंग्रेजी अनुवाद डा. नथमल टाटिया ने तैयार किया है। एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूर्ति मात्र है। वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। अणुव्रत भवन (दिल्ली) २२ अक्टूबर, १९८७ युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका पण्णवणा नाम-बोध प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं। उसमें पहला है पण्णवणा (प्रज्ञापना)। इसमें जीव और अजीव इन दो तत्त्वों का विस्तार से प्रज्ञापन किया गया है। इसके प्रथम पद का नाम प्रज्ञापना है। संभवतः इस आदि पद के कारण ही इसका नाम प्रज्ञापना रखा गया है। प्रज्ञापना का एक कार्य प्रश्नोत्तर के माध्यम से तत्त्व का प्रतिपादन करना है। प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तर के द्वारा तत्त्व का प्रतिपादन किया गया है। इसलिए भी इसका नाम प्रज्ञापना हो सकता है। प्रारंभिक गाथाओं में इस आगम को "अध्ययन" भी कहा गया है। इससे प्रतीत होता है कि इसका एक नाम 'अध्ययन" रहा है। इसका संबंध दृष्टिवाद (बारहवें अंग) से है इसलिए इसे दृष्टिवाद का नि:स्यन्द या सार कहा गया है। विषयवस्तु प्रस्तुत आगम के ३६ पद हैं। उनमें जीव और अजीव के विभिन्न पर्यायों का प्रतिपादन किया गया है । यह तत्त्व-विद्या का अर्णव-ग्रन्थ है । इसके अध्ययन से भारतीय तत्त्व-विद्या के गहन स्वरूप को समझा जा सकता है । प्रथम पद में वनस्पति जीवों के दो वर्गीकरण उपलब्ध हैं:--प्रत्येकशरीरी और साधारणशरीरी ।' साधारणशरीरी का चित्र समाजवाद का ऐसा अनूठा चित्र है जिसकी मनुष्यसमाज में कल्पना नहीं की जा सकती। इसमें आर्य और म्लेच्छ का विशद वर्णन है।। प्रस्तुत आगम तत्त्व-ज्ञान का आकर-ग्रन्थ है। भगवती अंगप्रविष्ट आगम है और यह उपांग कोटि का आगम है। ये दोनों तत्त्व-ज्ञान की दृष्टि से परस्पर जुड़े हुए हैं। देवधिगणी ने भगवती में प्रज्ञापना के अधिकांश भाग का समावेश किया है। वहां बार-बार "जहा पण्णवणाए" का उल्लेख है। प्रस्तुत आगम के प्रत्येक पद में गूढ़ तत्त्वों की एक व्यूह-रचना सी उपलब्ध है। इसमें लेश्या और कर्म के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण सूत्र मिलते हैं। नन्दीसूत्र में आगमों के दो वर्गीकरण किए गए हैं ...अंगप्रविष्ट और अंगबाह्य । अंगबाह्य के दो प्रकार हैं .- आवश्यक और आवश्यकव्यतिरिक्त । आवश्यकव्यतिरिक्त के फिर दो प्रकार बतलाए गए है -कालिक और उत्कालिक । प्रस्तुत आगम अंगबाह्य, आवश्यकव्यतिरिक्त और उत्कालिक है।' नंदी में अंग और अंगबाह्य के संबंध की कोई चर्चा नहीं है । आगम-व्यवस्था के उत्तरकाल में अंग और १. पण्णवणा, गा०२ २. वही, , ३ ३. वही, ११३२ ४. नन्दी, ७३-७७ Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० अंगबाह्य की संबंध-योजना निर्धारित की गई। उसके अनुसार प्रज्ञापना समवायांग का उपांग है। यह सम्बन्ध-योजना किस आधार पर की गई, यह अन्वेषण का विषय है । यदि प्रज्ञापना को "भगवती" का उपांग माना जाता तो अधिक बुद्धिगम्य होता। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम "दृष्टिवाद" का निःस्यन्द है, इस उक्ति से यह अनुमान किया जा सकता है कि इसका विषय "दृष्टिवाद" से संग्रहीत किया गया है। इसके रचनाकार आर्य श्याम हैं। वे सुधर्मास्वामी के तेवीसवें पद्रधर थे। वे वाचकवंश की परंपरा के शक्तिशाली वाचक थे। उनका अस्तित्वकाल वीर-निर्वाण की चौथी शताब्दी है। प्रस्तुत आगम का रचनाकाल वीर-निर्वाण के ३३५ से ३७५ के बीच का संभव है। नंदी में महाप्रज्ञापना का उल्लेख किया गया है । वह अभी अनुपलब्ध है। महाप्रज्ञापना और प्रज्ञापना दोनों स्वतंत्र हैं। प्रज्ञापना महाप्रज्ञापना का अवतरण है अथवा इसमें कोई नया विषय है, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता । बारह उपांगों में प्रज्ञापना का एक विशिष्ट स्थान है। इससे प्रतीत होता है कि इसका रचनाकाल वह है जब पूर्वो की विस्मति हो रही थी और उसके अवशिष्ट अंशों को स्मति शेष थी। वैसे ही समय में “षट्खण्डागम" की रचना हुई थी। शेष उपांग प्रज्ञापना की रचना के उत्तरकाल में लिखे गए थे। उनकी विषयवस्तु के आधार पर यह संभावना की जा सकती है। उमास्वाति का अस्तित्व-काल वीर निर्वाण की पांचवी शताब्दी है । उन्होंने तत्वार्थसूत्र में "आर्या म्लेच्छाश्च" सूत्र लिया है। उसका आधार प्रज्ञापना का पहला पद हो सकता है। वहां जो आर्य और म्लेच्छ की स्पष्ट अवधारणा एवं परिभाषा है वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। इस आधार पर इसका रचनाकाल उमास्वाति से पूर्ववर्ती है। व्याख्या-ग्रंथ प्रस्तुत आगम के व्याख्या-ग्रंथ अनेक हैं। सबसे पहला ग्रन्थ हरिभद्रसूरि का है ! व्याख्या-ग्रन्थ की तालिका इस प्रकार है:व्याख्या-ग्रंथ ग्रन्थान ग्रन्थकर्ता समय (वि० सं०) १. प्रदेशव्याख्या ३७२८ हरिभद्रसूरि ८ वीं शताब्दी २. तृतीय पद संग्रहणी १३३ अभयदेवसूरि १२ वीं शताब्दी का पूर्वाध ३. विवृति १४५०० मलयगिरि १३ वीं शताब्दी ४. अभयदेवसूरि कृत तृतीयपद कुलमण्डनगणी १८ वीं शताब्दी संग्रहणी अवचूणि ५. बृत्ति সকান १. प्रज्ञापना, वृ०प० ४७-१. आर्यश्यामो यदेव ग्रन्थान्तरेष आसालिगा प्रतिपादकं गौतमप्रश्न भगवन्निर्वचनरूपं सूत्रमस्ति तदेवागम बहुमानतः पठति । प्रज्ञापना, ३० प०७२–भगवान् आर्यश्यामोऽपि इत्थमेव सूत्रं रचयति ।" २. तस्वार्थ सूत्र ३।३६ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६. वनस्पति सप्ततिका अथवा वनस्पति विचार मुनिचन्द्र पद्मसूरि धनविमल अनुमानित १७ वीं शताब्दी जीवविजय १७८४ १८७६ ५५० १८७८ इनके अतिरिक्त प्रज्ञापना से संबद्ध कुछ लघुकाय ग्रन्थों का विवरण मिलता है। मुनि पुण्यविजयजी ने हर्षं कुलगणी द्वारा विरचित "बीजक" का उल्लेख किया है ।' मुनिपुण्यविजयजी द्वारा लिखित प्रज्ञापना की प्रस्तावना तथा "जिनरत्नकोश" में "पर्याय" का भी उल्लेख मिलता है। "जिनरत्न कोश" में प्रज्ञापना सूत्र सारोद्धार' का भी उल्लेख मिलता है । ७. अवचूरी ८. बालावबोध ६. बालावबोध १०. स्तबक ११. पण्णवणानी जोड़ ३१ ७१ परमानन्द जयाचार्य आचार्य मलयगिरि ने अपनी विवृति में चूर्णि और 'वृद्धव्याख्या' का उल्लेख किया है । चूर्णि अभी अनुपलब्ध है । उपलब्ध व्याख्याओं में सबसे बड़ी व्याख्या आचार्य मलयगिरि की है । मौलिक और आधारभूत व्याख्या आचार्य हरिभद्रसूरि की है । जंबुद्दीपण्णत्ती १२ वीं शताब्दी नाम-बोध प्रस्तुत आगम का नाम जंबुद्दीवपण्णत्ती ( जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ) है । प्रज्ञप्ति का अर्थ है व्याकरण, उत्तर या निरूपण । इसमें जम्बूद्वीप का व्याकरण है इसलिए इसका नाम जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है। स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियों का उल्लेख है. १. चन्द्रप्रज्ञप्ति, २. सूरप्रज्ञप्ति, ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति 'कसायपाहुड' में प्रज्ञप्तियों को 'दृष्टिवाद' के प्रथम भेद 'परिकर्म' के पांच अधिकार माना गया है- १. चन्द्रप्रज्ञप्ति २. सूरप्रज्ञप्ति ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ४. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति । नंदी में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति को कालिक आगम के वर्गीकरण में रखा गया है ।" १. पण्णवणा सुत्तं, भाग २, प्रस्तावना पृ० १५८ २. वृत्ति प० २६६ - आह च चूर्णिकृत् । वृ० प० २७१ - आह च चूर्णिकृतोऽपि । वृ० प० २७२ यत आह चूर्णिकृत् । वृ० प० २७७ आह च चूर्णिकृत् । वृ० प० ५१७ - 'प्रज्ञापनायाश्चूणौं । वृ० प० ६०० – तत्रैवं वृद्धव्याख्या । ३. ठाणं, ४११८६ ४. कसा पाहुड़, प्रथम अधिकार – पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७ “परियम्मे पंच अत्याहियारा - चंदपण्णत्ती सूरपण्णत्ती जंबुद्दीवपण्णत्ती दीवसायरपण्णत्ती विमाहपण्णत्ती चेदि ।" ५. नन्वी, ७८ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ विषय-वस्तु - इसका मुख्य प्रतिपाद्य जम्बुद्वीप है। पारिपार्श्विक विषयों की सूची बहत लंबी है। भगवान ऋषभ, कुलकर, भरत चक्रवर्ती, कालचक्र, सौरमण्डल आदि अनेक विषय इसमें प्रतिपादित हैं। इनमें भरत चक्रवर्ती का वर्णन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चक्रवर्ती के चौदह रत्नों और नौ निधियों का वर्णन बहुत ही सजीव है। कालचक्र के वर्णन में वर्तमान अवसर्पिणी के छठे अर का जो वर्णन है वह बहुत रोमाञ्चक है । प्रलय की जितनी भविष्य वाणियां उपलब्ध हैं, उनमें यह सर्वाधिक ध्यानाकर्षण करने वाली है। इसे पढ़ते-पढ़ते अणुयुद्ध की विभीषिका सामने आ जाती है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर में बहुत एकरूपता रही है। भगवान् ऋषभ को आदिकाश्यप और भगवान् महावीर को अन्त्यकाश्यप कहा जाता है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर दोनों ने पंच महाव्रत धर्म का प्रतिपादन किया था। भगवान महावीर की भांति भगवान् ऋषभ भी एक वर्ष से कुछ अधिक समय तब सवस्त्र रहे. फिर अचेल हो गए। भरत चक्रवर्ती काच के महल में बैठे थे। वे काच में अपना प्रतिबिंब देख रहे थे । देखते-देखते उन्हें कैवल्य प्राप्त हो गया। उत्तरवर्ती ग्रन्थों में इस कथा का विकास हुआ है। अंगुली की अंगूठी गिर जाने पर सौन्दर्य की कमी का अनुभव हुआ और उस चितन की गहराई में गए, अन्तत: केवली हो गए। योगलिक व्यवस्था की समाप्ति, समाज और राज्य-व्यवस्था के प्रारंभ का सुन्दर चित्र प्रस्तुत आगम में उपलब्ध है। भगवान् ऋषभ के सर्वतोमुखी व्यक्तित्व को समझने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका "श्रीमद्भागवत" में वणित ऋषभ के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना बहुत महत्त्वपूर्ण प्रस्तुत आगम सात अध्यायों में विभक्त है । इन अध्यायों को "वक्खारो" या "वक्षस्कार" कहा गया है। उनके विषय इस प्रकार हैं---- १. जम्बूद्वीप २. कालचक्र और ऋषभ-चरित ३. भरत-चरित १. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २११३०-१३७ २. धनञ्जय नाममाला, ११४, पृ० ५७ वर्षीयान् वृषभो ज्यायान् पुनराधः प्रजापतिः । ऐक्ष्वाकुः काश्यपो ब्रह्मा गौतमो नाभिजोऽग्रजः ॥ धनञ्जय नाम माला, ११५, पृ० ५८ सन्मतिमहती:रो महावीरोऽन्त्यकाश्यपः । नाथान्वयो वर्षमानो यत्तीर्थमिह साम्प्रतम् ।। ३. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २१६६ ४. वही, ३१२१२, २२२ ५. आवश्यक चूणि, पृ० २२७ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४. जम्बूद्वीप का विस्तृत वर्णन ५. तीर्थंकर का जन्माभिषेक ६. जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति ७. ज्योतिश्चक रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम उपोग के वर्गीकरण का सम्ध है। इससे यह स्पष्ट है कि इसकी रचना भगवान् महावीर के निर्वाणोत्तर काल में हुई है । इसके रचनाकार कोई स्थविर थे । उनका नाम अज्ञात है । रचना का काल भी ज्ञात नहीं है । जीवाजीवाभिगम स्थविरों द्वारा कृत है । उसमें कल्पवृक्षों का विस्तृत वर्णन है । इसमें उनका संक्षिप्त रूप उपलब्ध है। विस्तार की सूचना 'जाव' पद के द्वारा दी गई है। इससे प्रतीत होता है कि यह जीवाजीवाभिगम के उत्तरकाल की रचना है। संभवतः श्वेताम्बर और दिगम्बर का स्पष्ट भेद होने के पूर्वकाल की रचना है। जंबूदीप के विषय में दोनों परंपराओं में प्रायः ऐकमत्य है । इस आधार पर इसका रचनाकाल वीर निर्वाण की चौथी पांचवीं शताब्दी के आस-पास अनुमित किया जा सकता है। व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत आगम पर नौ उपास्याएं उपलब्ध हैं। उनमें केवल शांतिचन्द्रीयवृत्ति मुद्रित है, शेष अप्रकाशित हैं। शान्तिचन्द्र ने यह उल्लेख किया है कि मलयगिरि की टीका काल-दोष से विच्छिन्न हो गई है । किन्तु आधुनिक विद्वानों ने उसे खोज निकाला है। वह जैसलमेर के भण्डार में उपलब्ध है ।" शान्तिचन्द्रीय और पुण्यसागरीय वृत्ति में धूणि का भी उल्लेख है ।" इन व्याख्या ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार है- ग्रन्थान्र ग्रन्थ १. चूर्णि २. टीका ( प्राकृतभाषा ) ३. टीका ४. वृति ५. वृत्ति ६. टीका (प्रमेयरत्नमञ्जूषा ) ३३ १४२५२ १३२७५ १८००० कर्ता अज्ञातकर्तुक हरिभद्रसूरि मलयगिरि हीरविजयसूरि पुण्यसागर शान्तिचन्द्र १६६० १. शान्तिचन्द्रया वृत्ति पत्र २ तत्र प्रस्तुतोपाङ्गस्य वृत्तिः श्रीमलयगिरिकृताऽपि संप्रति काल दोषेण व्यवच्छिन्ना । २. द्रष्टव्य जैन रत्नकोश, पृ० १३० ३. शान्तिचन्द्रीया वृत्ति, पत्र १६, परिध्यानयनोपायस्त्वयं चूर्णिकारोक्तः । वृ० प० ५३, २५२, २७८ पुण्यसागरीयवृत्ति पत्र १२२" एतच्चूर्णो च ।" रचनाकाल वि० [सं० १६३९ १६४५. " Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. टीका १५००० ब्रह्ममुनि ८. वृत्ति १८३५२ धर्मसागर और वानरऋषि " १६३६ ६. वृत्ति अज्ञातकर्तृक __गुजराती भाषा में धर्मसीमुनि ने इस पर स्तबक (टब्बा या बालावबोध) भी लिखा है। इन व्याख्या-ग्रन्थों की अधिकता से प्रतीत होता है कि प्रस्तुत आगम बहुत पठनीय रहा है। चन्दपण्णत्ती और सूरपण्णत्ती नाम बोध स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियां बतलाई गई हैं। उनमें प्रथम प्रज्ञप्ति का नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति और दूसरी का सूरप्रज्ञप्ति है । कषायपाहुड में भी इसी क्रम से नामोल्लेख मिलता है। प्रथम प्रज्ञप्ति में चन्द्र की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति है और द्वितीय प्रज्ञप्ति में सूर्य की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम सूरप्रज्ञप्ति है। विषय-वस्तु आगम की प्राचीन सूचियों से पता चलता है कि चन्द्रप्रज्ञप्ति और सुरप्रज्ञप्ति दो आगम हैं। 'नन्दी' की आगम सूची में चन्द्रप्रज्ञप्ति को कालिक और सूरप्रज्ञप्ति को उत्कालिक बतलाया गया है।' इस भेद का हेतु क्या है, यह अभी अन्वेषणीय है । चन्द्रप्रज्ञप्ति वर्तमान में प्राय: उपलब्ध नहीं है। उसका थोड़ा-सा प्रारंभिक भाग मिलता है । यद्यपि कुछ हस्तलिखित आदर्श 'चन्द्रप्रज्ञप्ति' के नाम से उपलब्ध होते हैं और कुछ आदर्श सूर्यप्रज्ञप्ति के नाम से मिलते हैं, किन्तु प्रारंभिक सूत्र को छोड़कर इनका पाठ एक जैसा है । आचार्य मलयगिरि ने इन दोनों की व्याख्याएं लिखी हैं, उनमें भी प्रायः समानता है। वर्तमान धारणा के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति आज उपलब्ध नहीं है । जो उपलब्ध है, वह सूरप्रज्ञप्ति है । डा. वाल्टर शुकिंग ने एक प्रकल्पना प्रस्तुत की है--सूरप्रज्ञप्ति के १० वें पाहड़ से आगे सूर्य की अपेक्षा चन्द्र और ताराओं को अधिक महत्त्व दिया गया है अतः हम यह अनुमान करते हैं कि दसवे पाहुड़' से चन्द्रप्रज्ञप्ति का प्रारम्भ हुआ है।" किन्तु चन्द्रप्रज्ञप्ति की समग्र विषयवस्तु की जानकारी के अभाव में शुब्रिग के निष्कर्ष को सहसा निर्णायक नहीं माना जा सकता । फिर भी उसमें विचार के लिए अवकाश है। व्याख्या-ग्रंथ चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूरप्रज्ञप्ति दोनों पर मलयगिरि-कृत टीकाएं उपलब्ध हैं। दोनों टीकाएं प्राय: समान हैं। उनमें जो अन्तर है, वह परिशिष्ट में दिया हुआ है। जिनरत्नकोश' के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६५००" तथा सूरप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६००० है। भद्रबाह-कृत १. ठाणं, ४११८६ २. कषायपाहुड़, प्रथम अधिकार, पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७ ३. नंदी, ७७, ७८ ४. Doctrine of the Jains P. 102 ५. जिनरत्नकोश, पृ० ११८ ६. वही पृ० ४५२ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नियुक्तियों में सूरप्रज्ञप्ति की नियुक्ति का उल्लेख है। किन्तु वह मलयगिरि के समय में अनुपलब्ध थी। उन्होंने अपनी टीका में पूर्वाचार्यों के मत का भी उल्लेख किया है।' निरयावलियाओ नाम-बोध प्रस्तुत आगम एक श्रुतस्कन्ध है । इस का प्राचीनतम नाम उपांग प्रतीत होता है । जम्बूस्वामी ने उपांग का क्या अर्थ है, यह प्रश्न पूछा । सुधर्मा स्वामी ने इसके उत्तर में कहा-उपांग के पांच वर्ग हैं -निरयावलिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा ।। 'उपांग' शब्द का बहुवचन में प्रयोग किया गया है। उपांग पांच वर्गों का एक श्रुतस्कन्ध है। इसलिए संभवत: बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसका मूल अंग कौन-सा है, इसके बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं है । वर्तमान में प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के लिए "उपांग' शब्द प्रचलित नहीं है। अभी 'उपांग' शब्द के द्वारा बारह आगमों का संग्रहण है। 'नन्दी' सूत्र की आगमसूची में 'उपांग' शब्द का उल्लेख नहीं है। वहां 'निरयावलिया' आदि पांचों स्वतंत्र आगम के रूप में उल्लिखित हैं । अनुमान किया जा सकता है कि 'नन्दी' सूत्र की रचना के उत्तरकाल में पांचों आगमों की एक श्रुतस्कन्ध के रूप में व्यवस्था की गई और श्रुतस्कन्ध का नाम 'उपांग' रखा गया। प्रो. विन्टरनित्ज के अनुसार ये पांचों आगम निरयावलिका के नाम से प्रसिद्ध थे। अंग और उपांग की व्यवस्था के समय से वे अलग-अलग गिने जाने लगे। 'निरयावलिया' का दूसरा नाम ‘कल्पिका' मिलता है। नंदी के कुछ आदर्शों में वह उपलब्ध है । आचार्य हरिभद्रसूरि और आचार्य मलयगिरि ने नंदी की वृत्ति में 'कल्पिका' का ही उल्लेख किया है।' यह संभावना की जा सकती है कि 'उदंगा' के प्रथम वर्ग का नाम 'कल्पिका' था, किन्तु नरक-परिणाम वाले कमों का वर्णन होने के कारण इसका दूसरा नाम 'निरयावलिका' रख दिया गया । इस प्रकार प्रथम वर्ग के दो नाम हो गए--निरयावलिका और कल्पिका। विषय-वस्तु निरयावलिका श्रुतस्कन्ध का प्रतिपाद्य विषय है—शुभ-अशुभ आचरण, शुभ-अशुभ कर्म और उनका विपाक । १. आवश्यक नियुक्ति, गाथा ८५ २. सूर्यप्रज्ञप्ति, वृत्ति पत्र, १, गाथा ५ अस्या नियुक्तिरभूत् पूर्व श्रीभद्रबाहुसूरिकृता। कलिदोषात् साऽनेशद्, व्याचक्षे केवलं सूत्रम् ॥ ३. सूर्यप्रज्ञप्ति, व. प०१६८.-."तदेवं यथा पूर्वाचायरिदमेव पर्वसूत्रमवलम्ब्य पर्वविषयं व्याख्यानं कृतं तथा मया विनेयजनानुग्रहाय स्वमत्यनुसारेणोपदशितम ।" ४. निरयावलियाओ १४, ५ ५. History of Indian Literature, Second edition, Vol II PP. 457-458 ६. नन्दी, सूत्र ७८ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम वर्ग में चेटक और कोणिक के भयंकर युद्ध का वर्णन है। इसका उल्लेख भगवती और आवश्यक चणि' में भी मिलता है। बौद्ध साहित्य में भी इस युद्ध का उल्लेख मिलता है। यह आश्चर्य का विषय है कि इतिहास में इस युद्ध का कोई उल्लेख नहीं है। युद्ध आत्मरक्षा से लिए अनिवार्य हो सकता है ! उस हिंसा को एक गृहस्थ के लिए आवश्यक कहा जा सकता है। फिर भी हिंसा हिंसा है, उसे अहिंसा नहीं माना जा सकता । प्रस्तुत वर्ग में यह युद्धविरोधी स्वर उभरकर सामने आया है और वह युद्ध को धार्मिक रूप देने के प्रतिपक्ष में एक सशक्त उद्घोष है। दूसरे वर्ग में धर्म की आराधना करने वाले श्रेणिक के दस पौत्रों की सद्गति का वर्णन है। तीसरे वर्ग में संयम और सम्यक्त्व की आराधना और विराधना का प्रतिपादन है। चौथे वर्ग में पार्श्वनाथ की दश शिष्याओं का निरूपण है। पांचवें वर्ग में वृष्णि-वंश के बारह राजकुमारों की चारित्र-आराधना और 'सर्वार्थसिद्धि' में उत्पत्ति का निरूपण है। इस प्रकार इस लघुकाय उपांग या निरयावलिका श्रुतस्कन्ध में अनेक रुचिपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण विषयों का प्रतिपादन हुआ है। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के रचनाकार और रचनाकाल के बारे में कोई निश्चित जानकारी प्राप्त नहीं है। यह अंगबाह्य श्रुतस्कन्ध है। इससे यह निश्चित है कि यह किसी स्थविर की रचना है। इसमें भगवती, ज्ञाता, उपासकदशा, औपपातिक और राजप्रश्नीय से संबंधित विषयों की चर्चा मिलती है। किन्तु इस आधार पर रचनाकाल का निर्णय नहीं किया जा सकता। आगमसूत्रों के व्यवस्थाकाल में पूर्ववर्ती आगमों में उत्तरवर्ती आगमों के नाम उल्लिखित किए गए हैं, अतः वे रचनाकाल के पौर्वापर्य के निर्णायक नहीं बनते । व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध पर एक संस्कृत व्याख्या उपलब्ध है । विक्रम संवत् १२२८ में श्री चन्द्र सूरि ने इसकी व्याख्या लिखी थी। वह बहत संक्षिप्त है। मुनि धर्मसी (धर्मसिंह) ने इस पर गुजराती में एक टब्बा (स्तबक) लिखा था। कार्य-संपूर्ति प्रस्तुत ग्रन्थ के संपादन का बहुत कुछ श्रेय युवाचार्य महाप्रज्ञ को है, क्योंकि इस कार्य में अहनिश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य संपन्न हो सका है, अन्यथा यह गुरुतर कार्य बड़ा दुरूह होता । इनकी वृत्ति मूलत: योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है। सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने में इनकी मेधा काफी पैनी हो गई है। विनयशीलता, श्रमपरायणता, और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण-भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वत्ति में क्रमशः वर्धमानता ही पाई है। इनकी कार्यक्षमता और कर्तव्यपरता ने मुझे बहुत संतोष दिया है। १. भगवती, ७.१७३, २१० २. आवश्यकचूणि, भाग २, पृ० १७४ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बलबूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया था। प्रस्तुत आगमों के पाठ संसोधन में अनेक मुनियों का योग रहा। उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं कि उनकी कार्येजा शक्ति और अधिक विकसित हो । यह बृहत् कार्य सम्यत् रूप से सम्पन्न हो सका, इसका मुझे परम हर्ष है। अणुव्रत भवन (नई दिल्ली) २२ अक्टूबर १९८७ -आचार्य तुलसी Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Editorial The present volume consists of nine āgamas :- 1. Pappavanā, 2. Jambuddivapannatti, 3. Candapannatti, 4. Sūrapannatti, 5. Nirayāyaliyão, 6. Kappavadim. siyão. 7. Pupphiyao, 8. Pupphacūliyão, and 9. Vanhidasão. The upäřgas are twelve in number. Three upāngas have already been included in the 'Uvangasuttăņi', Part 4, Volume 1. The original text of the remaining nine upangas, with variant readings, has been incorporated in the present volume. "The word index of Angasuttani has already been published as a separate book (Agama śabda-kośa). To provide convenience to readers as well as the research scholars a joint word index of the above-mentioned nine āgamas is appended in this volume. With the publication of this volume, the publication work of all the 32 canons is now over. This Agama-sūtra series at present contains seven volumes as under :-- 1. Angasutiāni, Part I: Āyāro, Süyagado, Thāṇam, Samavão. 2. Angasultāņi, Part II : Bhagaval. 3. Angasultäni, Part III : Näyādhammakahão, Uvasagadasão, Antagadadasão, Anuttarovaväiyadasão, Pannāvāgaraņāim, Vivāgasuyam. 4. Uvařgasuttaņi, Part IV, Volume I: Ovāiyam, Räyapaseniyam, Jiväjiväbhigame. 5. Uvangasuttani, Part IV, Volume II : Pannavaņā, Jambuddivapaņņatti, Candapannatti, Särapannatti, Niraya. valiyão, Kappavadimsiyão, Pupphiyão, Pupphacūliyão, Vanhidasão. 6. Nayasuttăni, Part V: Avassayam, Dasaveāliyam, Uttarajjhayaņāņi, Nandi, Aņuogadārāim, Dasão, Kappo, Vavahāro, Nisihajjhayanam. 7. Agama Sabda Kosa (Angasuttāņi Sabdasüci). Under this series of original texts, the work of editing the other canons too is in progress. They are likely to contain prakirnaka, niryukti and bhâsya. On Mahāvīra Jayanti of 2012 Vikram Samvat (1955 A.D.), Acāryasri Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2018 declared his intention to edit the agamas, and the assignment was taken up in the caturmāsa of the same year. Many obstacles were faced in the work of editing for want of the correct versions. Consequently we thought of correcting the text to begin with. The work was actually started in 2014 V.S. (1957 A D.) and brought to completion in 2037 V.S. (1980 A D.) as follows: Dasavedliyam Vikram Samvat 2014 Uttarajjhayanāni 2016 Nandi, Anuogadārāim Ovãiyam, Rāyapaseniyam 2018 Thānam 2018 Samavão 2018 Suyagado 2019 Nāyādhammakahão 2020 Āyāro, Ayāracula 2022 Uvāsagadasão, Antagadadasão 2026 Anuttarovavāiyadasão 2026 Vipaka 2028 Panhāvāgaraņāim 2028 Nirayāvaliyão 2029 Bhagavai 2030 Pannavaņā 2031 Dasão, Pajjosavaņākappo 2032 Kappo 2033 Vavahāro 2033 Jlvājlvābhigame 2034 Jambuddiva pannatti 2035 Nisihajjhayanam 2035 Candapannatti, Sürapannatti 2037 It is well known to all working in this field that editing is the most difficult job, specially when the texts to be edited are separated by a gap of several millennia in respect of language, style and thought. It is unexceptionally true that a thought or a custom does not continue in its original shape through the ages. It invariably expands or contracts. The story of expansion and contraction is the story of change. What is made up' is necessarily amenable to change. The insistence on the eternality of events, facts, thoughts and customs that are subject to change leads one to untruth and false imagination. The truth is 'what is made up' is necessarily transient. Whether 'made up or 'eternal', it must needs be susceptible of change. Whatever there is must be of a nature that is not absolutely divorced from the stream of eternity and change. It is possible that an idea or truth expressed by a particular word is capable Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ of being expressed with its original connotation at all times? The semantic change is a necessary phenomenon and so no one with a knowledge of linguistics will insist that a word continues to have the same connotation through a period of two thousand years. For example, the expression păşanda has not the same meaning in modern śrumanic literature as it had in the times of the Agamas and Ashoka's inscriptions. It has acquired a derogatory nuance. Hundreds of words in the ancient Agama literature have shared the same fate. Under the circumstances, any thoughtful person will appreciate the difficulties in the task of an editor of ancient literature. Self confidence is an innate virtue of human beings who take great pride in the exercise of their courage, and do not shirk from responsibility however ardous. Were escapism a human virtue, not only the achievement of any enduring value would have been impossible, but whatever had been achieved in the past would have been lost at any time. About a millennium ago, Abhayadevasūri, the great commentator of the nine Angas was confronted with a great many obstacles which he had detailed as follows: (i) Absence of authentic tradition (sampradāya, about the meaning of the texts). (ii) Lack of authentic ratiocination (üha). (iii) Conflictiog modes of recitation (vācana). (iv) Vitiated manuscripts. (v) Unfathomable depth of the sutras. (vi) Differences of opinion (about the readings and the meaning). In spite of all these difficulties and hurdles, he did not draw back from the Herculean task, but on the contrary achieved something that was of a permanent value. Even today the difficulties are not fewer, but as the work of editing has been taken up by Acaryasri Tulsī himself, the task has acquired a new dimension. Any programme that is undertaken by him opens up new vistas, what to speak of the editing of the canonical literature which is by itself full of new possibilities. What is most conspicuous is that Ācāryasri has infused life in the programme through me and my colleagues, monks and puns, who were quite tyros in the field. Not only are his inarticulate blessings with us but also his concrete guidance and active co-operation are always available to us. He has given priority to the work and devoted plenty of time to it. Under his direction, deliberative counsel and encouragement, we could solve the problemas, however formidable, that cropped up from time to time in the course of our dificult enterprise. Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ** Procedure adopted in editing the text Pannavana In editing the text of Prajñapana, four Ms. Adarśas were consulted, Acarya Malayagiri's Vṛtti was also used for this purpose. Muni Punyavijaya's edition was also before us. But we do not take for granted a single particular edition or manuscript for our work. The important basic points for us are the critical exposition of the commentary, other parallel agamic texts and the meanings of words. Accordingly, the reader will find many a deliberation in our edition. for the purpose of arriving at correct readings. For example, take the word "ganthi" in 'vatthula kaochula sevala ganthi. Here 'ganth' is incorrect. The correct version should be 'gatthi'. We have come across the reading 'ganthi' alone in all the available manuscripts as also in the agamas edited by Muni Punyavijayaji. This reading has been revised on the basis of Jiväjiväbhigama and Jambudvipaprajñapti. Please refer to the footnote of 1/38 of this agama. Another instance is 'titthagavadite', in place of which some âdaršas contain. the reading as "cautthagavadite", and Muni Punyavijayaji too has accepted the latter reading. But on the basis of the Vitti, we have preferred 'titthäpavadite", which is endorsed by the viti of Pappavana, 5/115,116. Please refer to Prajñāpana Vitti patra 195-196 as also the footnote of Pappavana, 5/115. Jambudvipaprajñapti Seven different texts and three commentaries were consulted in the revision of the text. We find many variant readings and notes thereon in the vṛttis of Upadhyaya Santicandra and Hiravijaya. Please refer to the footnote of 4/159. This agama abounds in variant readings. Upadhyaya Santicandra has described in detail the variant readings, as is evident from the footnote of 2/12. At other 1. Santicandryavṛtti, patra 87: Variation of text-vacanābhedastadgata paripämäntaramaha-mü e dvādaśa yojanāni viskambhena madhye'stayojanani viskambhena upari catvari yojanani viskambhena, atrapi viskambhāyāmatab sadhikatrigupam múlamadhyäntaparidhimanar sūtroktam subodham. atraha paraḥ-ekasya vastuno viskambhādiparimane dvairupyasambhavena prastutagranthasya ca sätiśayasthavirapranitatvena katham nanyataranirnayah ? yadekasyäpi rşabhakutaparvatarya mülădăvaştädiyojanavistṛtatvädi punastraiväsya dvādaśädiyojanavistṛtatvadīti, satyam jinabhaṭṭārakapām sarveṣām kṣāyikajñānavatāmekameva matam mülatab paścāttu kālāntarepa vismrtyädipa'yam vacanābhedab, yaduktam śrimalayagirisüribhirjyotiskarandakavṛttau-"ha skandilācārya pravṛ (tipa)ttau duşşamanubhavato durbhikṣapravṛttyä sädhūnām pathanagunanadikam sarvamapyanesat, tato durbhikşätikrame subhikşapravṛttau dvayoh sanghamelǎpako' bhavat, tadyatha-eko valabhyameko mathurāyām, tatra ca süträrthasaraghatane parasparar vacanābhedo jätab, vismṛtayorhi sūtrarthayoḥ smrtva sanghaṭane bhavatyavasyam vācanābheda" ityadi, tato'trápi duşkaro'nyataranis payah dvayoh paksayorupasthitayoranatiéyijäänibhiranabbinivistamatibhiḥ pravacanãsátanābhtrubhib punyapuruşairiti na käcidanupa pattib. Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ places we come across incorrect explanation due to faulty text, as is given in footnote 4:49. Cundraprajñapti and Suryaprajñapri In order to revise the text, we consulted five manuscripts and the vșttis of these agamas. We rarely depended on a particular ādarśa. The complete text of Candraprajñapti is not available. Its variation from Suryaprajñapti has been given in an Appendix. We come across some manuscripts which have passed for Candraprajñapti. Their variant readings are contained in the footnotes of Süryaprajñapti. Nirayavalikā Three manuscripts and the Vitti by Sricandra sūri have been consulted in revising the text of the five chapters of Nirayávaliki. Transformation of Words and Metamorphosis PAŅŅAVAŅĀ 1/14 bendiya beindiya (ka, kha) 1/14 tendiyao teindiya (kha) 1/23 os ussa (ka, ga) 1/29 vāyamandaliya vāumandaliya (ka) 1/35 aikolla aokulla (gha) 1/38 koranțaya korinţaya (ka) korenţa (gha) 1/48/47 balimodao palimodao (ka, gha) 11934 viibhayari viyabhayam (ka, gha) 2/10 padiņa payīņa (ka) paina (kha, ga, gha) 2/13 tadāgesu talāgesu (ka) covathin cosatthim visesahiya visesadhiya (gha, pu) 317 dāhinena dakkhipenam (ka, kha, gha) 3102 vibhangaạånina vibanganāņiņa (ka, ga, gha) 3/127 aheloe aholoe (ga) adheioe (gha) 31174 asātā (kha, ga) 3/182 jaha jadhā (kha, gha) 3/183 sakasai sakasādi (ka) 4255 egunavisam ekūņavisam (ka, gha) ekkūnavisam (kha) 4/275 panuvīsam pancavisam (kha, gha) 2/40 3/1 assātā Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5/5 panavisam jai jadi gati 5/5 315 mahurao abbhanie 5/7 5/101 3/179 5/242 6/46 818 11/6 11/21 11/25 11/30 11/37 11/37 11/72 11/75 11/84 ovadie matusse vaddhijjanti eenatthenam abhilāvo osanna Panamani vage sayanam sarirapahavā voyada avvoyadā anamani parivaddhamāņāim kadalithambhana Disarati madhuro abbhaie abbhatie padie maņuse vuddhijjanti enasthenam ahilão ussanna Pāņavani vige satanam satirappabhavā vogada avvogadā yānamaņi parivado hemāņāim kadalikhambhāpa pissarati nissirati nisarati biyam bhāsajāya baddhillayā mukkillaya (ga) (kha, ga, gha) (pu) (ka, kha) (ka) (pu) (ka) (ka, kha, gha) (ka, ga, gha) (ka, kha) (kha, gha) (ka) (kha, ga, gha) (ka, kha, ga, gha) (ka) (ka, kha, ga, gha) (ka) (gha) (kha, gha) (ga) (kha) (ga) (gha) (ka, ga) 11/88 11/88 12/7 (ga) (ka, kha, ga, gha) 12/7 1318 15/35 15/35 15/50 15/53 15,58 16/15 16/34 16/51 16/54 16/55 16/55 1724 bitiyam bhāsajjāyam baddhellaya mukkellayā osappiņīhi aņāgaroo paggohao sadi pehamăge pehati othiggale ovacaye ahavege paccatthimillam ayariyam seyansi māulungāņa tinduyāna inatthe avasappinihi aņāyāroo Diggohao sāti pehemāne peheti 'thiggile ovacate ahavete pacchimillam ayaritam seinsi mātulingana tiņduyāna . ipamatthe (ga) (ka, kba) (ga) (pu) (ga) (kha) (kha, gha) (ka, kha) (pu) (ka) (ka, ga) (ga) (ga) (ka) Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17/106 17/119 17/124 17/125 17/126 17/128 17/132 17/150 18/1 18/56 18/64 suio 20/28 21/25 21/47 21/92 (kha, gha) (ka) (ka, gha) (ka, ga, gha) (kha, ga) (gha) (ga) (gha) (ka, kha, gha) (ka, ga) (ka, ga) (kha, gha) (kha, gha, pu) (ka) (gha) (kha) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ga) (ka, gha) (ka) (ka, gha) (kha, ga) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ka, gha) (ka, gha) (kha) (kha) (ka, ga) (ka, kha, ga, gha) (kha, ga) tinaţthe samabhiloemäņe samabhilotemäße kisha kapha haladharao halahara kairasāre kayarasārae katarasärae bālindagove bålendagope balāhae "balahate apikkānam apakkāņam agarabhāvamätze āgārabhävamayac vede vee vete vaijogi vayajogi sakasai saka sādi sakasāti savanate savapayāte sūyio dhapupuhattam dhanuha puhattam sagāim sagāti sayāim niyacchati nigacchati niggacchati kadassa katassa kayassa niyāgoyassa nitāgotassa khavae khamae aphāsāijja apphāsäijja apadivai apadivādi sagāim sataim sayātim pariyāiyanayā pariyādiņayā pariyâyanaya jāņanti yāṇanti sapariyātā saparicārā JAMBUDDIVAPAŅŅATTI vicchinnä vitthiņņā onauya naotao dhapupaţtham dhapuvattham dhanuputtham 'padoyāre 'padogāre pāsim passim duhā dudhā 2313 23/13 23/22 23/191 28/44 33/1 33/17 34/1 3416 34/15 1/8 1/18 1/23 (a, kha) (a, ka, ba) (a) (kha) (tri, ba) (a, tri, ba) (kha, sa) 1/26 1/28 1/48 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 hatthassa udú (ka, kha) (tri) 2/4 (pa) 2/14 2/15 2/20 padoyāre meini ittha 2/32 2/70 2/78 2/131 2/133 2/133 (ba) (tri, ba) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, kha, ba) (a, kha, ba) (pa) (a, ka, kha, ba, sa) kahaga 'hāsa väkaremāņānam hähàbhüe valīvigaya tolākiti (a) (ka, kha) (tri, sa) (pa) siunha juva 2/133 3/3 3/11 3/11 3/11 3/11 pausiyão babbari bahali kaducchuyao hitthassa udú ūu paçokāre metini yattha ettha kadhaka hassa vāgaramāņāņam hāhābbhūte palivigaya dolākiti dolāgiti tolāgitti rolagati siyaunha jūya vausīyāo pappar! pahali okadicchuya kadecchuya druhai pamhacări rūdhe drudhe pola obālayanda 'tondam antapäle antevāle ovațiasangahiya kinkiņio ajojjham aojjham avojjham sotamani sodāmaņi 'ppakäsam vissuttam 3/20 3/20 3/21 duruhai bambhayāri durúdhe 3/22 3/23 3/24 3/26 bola bālacanda otundam antavāle (ka, kha, tri, ba, sa) (ka, kha, pa, sa) (ka, kha, pa, sa) (a, ba) (a, ba) (kha) (a, ba, sa) (a, ba) (a, tri, ba) (a) (ba) (a, ba) (sa) (ka, pa, sa) (a, tri, ba) (ka, kha) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, ba) (ka, kha, pa, sa) (tri) (ka) (kha, sa) (a, ka, kha, tri. ba, sa) (ka, sa) 3/35 3/35 3/35 Spaţtasangahiya okhinkhinio ayojjham 3/35 soyāmaņi 3/35 3/35 oppagāsamo visutam Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3/77 3/117 3/117 3/138 3/178 3/194 3/211 3/214 3/220 3/221 3/223 4/36 4/54 4/55 4/77 4/85 4/86 4/87 4/91 4/93 4/96 4/102 4/103 4/109 4/140 4/140 4/142 4/157 'cindhapatte *mirli uūņa "hidaya" nihie abhiseyapidham ganthim tisovana kāgani puvvakaya ihapoha bāva thim hrassatarãe dakkhinenam harivāsam sankhatala bāyāle Disahassa sītodā viuttare Disadba" pilavantassa saniocări uvavāyasabhāe jamagão ४७ dasa piyaya *cindhavatte *marli udüna riduna hiyaya "hitaya "hadaya" °nihito nihao abhiseyapedham ganthim tisomāna kākini kägini käkani puvvakada Thapaha Jhâvüha basalihim hassatarãe dāhinepam harivassam sankhadala pāyāle bäyälise nisaassa hemavaya-herappavaya hemavaraṇavaya hemavaya eranṇavaya nelavantassa sani mccārī otāvasabhie slotā slodā sioā piuttare nisabha pisaha javagão jamigão daha pitiya (ba) (tri) (a, kha, ba) (ka, sa) (a, tri, pa, ba) (ka, sa) (kha) (a, tri, ba) (kha, sa) (a, ba) (tri, pa) (a, ba) (a) (b) (sa) (ka, sa) (a, ka, kha, sa) (pu, vṛ) (pa) (pa) (tri) (a, pa, ba) (pa, savṛ, puvṛpā) (a, ba) (tri) (a, ba) (a, ba) (tri) (pa) (ba) (a, ba) (ka, kha, sa) (ka, kha, ba, sa) (tri) (a, ka, kha, ba, sa) (pa) (ka) (a, ba) (kha) (a, ka, kha, ba, sa) (a, ka, kha, tri, ba, są) Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 85 4/180 4/210 4/231 5/25 (a, tri, ba) (tri) (ba) (a, ba) (ka, kha) (tri) (sa) 5/58 5/58 7/31 7/122 7/126 (ka, kha) (ba) (tri) (a, ba) (ka, kha, pa) (kha) (a, ba) (ka, sa) (kha) (a, ba) (ba) (a, ba, sa) (ka, kha) (a, ba) (tri) (a) (kha, ba) 7/128 8/128 71129 parupparanti paropparanti sayajjala sayañjala palaso valāsa ghanţāpadensuyão ghanţăpadensukā ghanțāpačinsukao ghantāpadissuyā ghanţāpadaysuyao gāyāim gattâm gatäim janpu° jāņuo uddhimuha uddhammuha uddhimuhao bhāviyappa bhāviyāyā abhijiyāiyā abhijidāiya abhijādiya abhijadiya savano samane miyasara magasirao abhii abhiti abivi vahassai pahassati vahapphal kattigi kattiki kittiki kittigi assiņi asini nangulāņam lâögūlānam SURAPANNATTI ihagatassa idagatassa cauruttare caut tare pihula pidhulā puhulo poggala puggalā oyasanthiti totasanthiti oyãe otāe rayanikhettassa ratapikhettassa rātikhettassa sada sata vayam...vadāmo vatam... vatāmo savane samaño sāyam sagam 7/130 7/155 (sa) 7/159 7/178 (ba) (pa) 2/3 2/3 4/3 611 (ga, gha) (ta) (ka) (ta) (ka, ga, gha) (ta, va) (ta) (ka, ga, gha) 6/1 611 811 9/3 10/2 1015 (ga, gha, ţa, va) (va) (ga, gha) (va) Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10/7 10/10 10/77 10/78 10/79 10/87 10,89 10/136 10/147 10/173 14/2 15/31 18/34 20/1 20/2 1/42 1/66 1/72 1/91 1/97 1/97 1/117 1/127 3/115 3/134 4/19 4/21 5/6 5/10 (*) ǎsol asoinnam ādiccehim bamba savage bitiya duvihā tihi päto uvaipävettä sayavi Place kaham ahiyam mehupavattiyam ahe vaiyarie apnaya janavadam úsae piisoenam patthe andolávei nicchuhāvei lecchai suvvayão juyalarh itthä *baosiya savvouya ahevaccam ४६ assoti assodiņņam äticcehim bambha samaņe bidiya duvidha tidhi pado uvadiņävettä uvätiņävettä satävi sadāvi kadham adhiyam ahitam medhunavattiyam adho vaticarie NIRAYAVALIYÃO annada appata janavayam ūsave pitasoetam ppitthe putthe andodávei nicchubhāvei lecchati suvvadão juvalam jugalam titthå pãosiya savvoduya adhevaccam PANNAVANA Text (manuscript) (va) (ga, gha) (va) (ka, ga, gha) DESCRIPTION OF MANUSCRIPTS AND PRINTED VERSIONS PANNAVANA (ta, va) (ka, gha) (ka) (ka, gha, va) (ka, ga, gha) (ta, ba) (ka, ga, gha, va) (ga) (ka, ga, gha) (ka, ga, gha) (ta) (ka, ga, gha) (ka) (ta) (ka) (kha) (kha) (kha) (kha) (ka) (ga) (ka) (ka) (ka) (ka) (kha) (ga) (ka) (ka, ga) (ka, ga) (kha) Punamchand Budhmal Dudhoria, Chhapar. Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Size 101 x 41 No. of folios 302 patras Lines per page 11 No. of letters per line 33 to 41 Script Most beautiful and correct. Special information It belongs to 15th century approximately. It ends only with the mention of granthā. gra 7787. PANNAVANA Tabbā (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. Size 94" x 4" No. of folios 465 patras Lines per page No. of letters per line 35 to 39 Script Beautiful Colophon "Pratyakaşaragañanaya anusthapacchandah samānamida granthāgram 7787 pramanam". Six verses of stabaka :-- "Samvat 1778 varșe phālguna mase suklapakse pratipadā tithau ravivāre pandita īśvareņa lipi cakre éri vennātața nagara madhye"-śrirastu kalyanamastu : Subham bhūyallekhakapāthakayoh.” Special Information It contains the text and stabaka. Ms. PANNAVAŅĀ TRIPATHI with Text and Vstti Place Order's Ms. Grantha Bhandara, Ladnun, Size 9% x 411 No. of folios 448 patras Lipes per page 1 to 16 No. of letters per line 37 to 45 Special Information Text is given in the middle, with vịtti up and down. Some pages have vitti alone. Granthägra of text is 7787 and that of vštti is 16000. The Ms. is beautiful and faultless. It must belong to 17th cen. approximately. PANNAVAŅĀ Text (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. 131" x 5" (c) Size Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ No. of folios 138 patras. Lines per page 15 No. of letters per line 60 to 65 Script Beautiful and correct. Special Information Every patra is illustrated in the middle and out of the margin too. It appears to belong to 16th cen. Nothing else is mentioned at the end except 'grantbågram 7787). (a) Variations of Výtti written in Ms. bearing sign. (a) Vğiti (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios 159 patras. Special Information Manuscript, Scribing year 1977, Vai. sākha Sukla 10 (99) Variation as approved by Malayagiri. (6) Compliled with 'Pradeśa' commentary by Haribhadra süri'. Publisher --Shri Rşabhadeva Kesarimal, Ratlam, Part I; verses 11 JAMBUDDIVAPAŅŅATTI (3) Jambuddivapaņgatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (photoprint) Ms. of Jaisalmer. Bhandāra, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 164, 328 Lines per page 2 to 6 No. of letters per line 30 to 35 Special Information Some of the lines are incomplete. The Ms. ends only with the mention of Granthāgra 4146. It must be belonging to 14th century in view of its accompany. ing ms. Jambuddivapaņpatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (Photoprint) Ms. belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 97 and 194 Lines per page 2 to 6 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ Letters per line 47 to 50 Script year Samvat 1378 Jambuddivapaņpatti Text (Manuscript) Place Paim-leaf (Photoprint) of Jaisalmer Bhandāra, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 46 & 92 Lines per page 20 Letters per lines 70 to 74 Script year Samvat 1646 Special Information The size of letters is very small. Jambuddivapanpatti Text (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of patras 73 Jambuddïvapanpatti Text (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun No. of folios & pages 101 & 202 Lines per page 13 Letters per line 50 to 55 Special Information Ms. is antiquated and beautifully scribed. Script year is not mentioned. Jambuddivapanpatti Tripathi, Text and Vftti (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. No. of folios & pages 358 & 716 Pages 69-70 missing. Scribing year Samvat 1913 Special Information Original text scribed in the middle, with commentary at top and bottom margin. Script beautifully written. (a ) Vrtti Tripățhi by Hiravijaya Sūri (Manuscript) (tag) Variant readings as approved by Hiravijaya Sūri Place Order's Library, Ladnun. No. of patras 582 Scribing year Samvat 1919 Sepecial Information Original text scribed in the middle and Vịtti at top and bottom margin (a) Vrtti by Mahopädbyāya Punyasāgara, the disciple of Jinahansagani of Kharataragaccha (Manuscript). Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place (999) Variant readings as approved by Punyasāgara. Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios & pages 243 and 486 Scribing year Samvat 1575 Special Information Beautifully scribed. ( a) Vrtti by Säntyācārya, the disciple of Hiravijaya Sūri of 'Tapāgaccha Order (Manuscript). Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library Sardarshanar. Scribing year Sarvat 1551 (straf) Variant readings as approved by Santyacārya. SORAPANNATTI 13 Ink sūrapanpatti Text Place L D. Institute of Indology, Ahmedabad. Serial No. of Ms. Dā 2/57 Size 121" x 50 No. of folios 62 [The first leaf is missing). Lines in each page Letters in each line 48 to 70 Picture drawing in Green and Red ink in the centre of each page. Scribing year Not mentioned. Special Information It is beautiful and easily legible. It is a very antiquated Ms. belonging to about 17th century. It ends with 25 verses in Prakrit language. Sūrapannatti, Original, No. 60 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 4.1 No. of patras 87 Line in each page Letters in each line 33 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Script is beautiful, but abounds in mis takes. Sūrapannatti, Original, No. 607 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 10" x 4" No. of patras (T) 66 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place 11 Lines per page 13 Letters per line 34 to 42 Scribing year Samvat 1673 Special Information Beautiful script but abounds in mistakes. (9) Sürapannatti, Commentary, No. 48. L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 125" x 5 No. of patras 224 Lines per page 13 Letters per line 44 to 60 Scribing year Samvat 1574 Special Information Script beautiful and distinct. CANDRAPRAJN APTI Candapannatti Original No. 600 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 17" No. of patras 68 Lines per page Letters per line 32 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Beautiful script, but abounds in errors. A bävadi in the middle of the page. (a) Candapannatti Commentary (Manuscript) Place Order's Ms. Library, Ladnun. Size 10" X 4' No. of patras 179 Lines per page Letters per line about 50 Scribing year Samvat 1762 Special Information Script beautiful Caadapannatti Țabbá (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnu. No. of patras NIRAYĀVALIYÃO Nirayāvaliyão Text (Manuscript) Place Palin-leaf (Photoprint) copy of Jaisalmer Bhandara, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshanar. Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 No. of folios & pages 25 & 50. Nine patras are photoprinted. Each page contains photos of six pages. Somewhere it is less or more. Size 12 x Lines per page 5 lines of the text. Some patra contains 2 or 3 lines also. Some lines are even incomplete. Letters per line 45 to 50 Special Information No colophon at the end. Nirayāyaliyão Text (Manuscript) Place Srichand Ganesh dass Gadhaiya Library, Sardarshahar. Size 131x 5' No. of folios & pages 19 & 38 Lines per page 15 Letters per line 71 to 75 Ink Black colour. A bävadi in the middle portion and a thojn Red ink in its centre. Scribing year Not mentioned Special Information It should belong to 16th cen. approximately on the basis of the copy accompanying Nirayāvaliyão Tabbá (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. No. of folios & pages 63 and 126 Lines per page Letters per line 35 to 45 Size 103" x 41 Scribing year Samvat 1833 Nirayāvaliyão Vịtti (Manuscript) Place Srichand Ganesbdass Gadhaiya Library, Sardarshahar No. of patras Size 13}" x 5" Soribing year Samvat 1575 Printed Vitti Editors A.S. Gopani & V.J. Choksi Publisher Shambubhai J. Shah, Gurjar Granthratna Karyalaya, Gandhi Road, Ahmedabad. Year of publication 1934 A.D. (2) Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acknowledgement of Collaboration The tradition of councils in Jainism is very old. As many as four councils had been held before the period that ended ere a millennium and a half from now. After the time of Devardhigani no well-organised council was held. The Agamas committed to writing in his time were disorganised to a very great extent in this long interval. A fresh council was therefore a desideratum. Ācārya Sri Tulsi made an attempt at holding a Comprehensive Consentaneous Council, but could not succeed. Ultimately we arrived at the view that our Council will serve the same purpose, if it was based on impartial research and complete dedication to the cause of truth. We started our work in accordance with this resolution. The chief inspiration to this council is the Acarya Sri. The council is a deliberative assembly headed by an eminent personality who combines in him. self a variety of functions, the chief among them being teaching and instruction, translation, investigation, critical study, sorting out correct reading and so on. We enjoyed the active cooperation, guidance and encouragement in all these activities from the Acārya Sri. This indeed was our strength and support for undertaking such an arduous task Instead of feeling relieved of the burden by expressing my gratitude to the Acārya Sri, it would be better for me to feel more burdened by the support of his blessing for the future work and responsibility. In editing the text of the nine upãngas in the present volume I received sufficient cooperation from Muni Sudarshanji and Muni Hiralalji. In the work of ascertaining the readings in Pannavanā and Nirayāvaliyão, Muni Balchandji and Muni Madhukarji respectively offered assistance. In preparing the press copy, Late Mannala lji Borad also proved helpful. The work index of Pannavaņā has been prepared by Muni Srichandji, of Jambuddivapannatti, Sūrapannaiti and Candapannatti by Muni Sudarshanji and of Nirayāvaliyão by Muni Hiralalji. The first Appendix and the extent of the text was determined by Muni Hiralalji. In preparing the word indexes of Pannavanā and Jambuddivapaņgatti, Sadhvi Jinaprabhā and Sadhvi Chandanbālā respectively contributed a lot. In proof-reading Muni Sudarshanji, Muni Hiralalji, Muni Dulaharajji and Samaņi Kusumprajña actively cooperated. At certain stages Muni Vimalkumarji and Muni Sampatmalji also proved helpful. Muni Hiralalji was specially engaged in revising the text again. I express sentiments of gratitude for all those, in addition to the names already mentioned, who contributed whatever little they could in editing the text of the 32 agamas. In this task we utilised the muss. belonging to the institutions such as L. D. Institute of Indology, Ahmedabad, Shrichand Ganeshdass Gadhaiya Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७ Pustak Bhandara, Sardarshahar, Terapantha Sabha, Sardarshahar, Punamchand Buddhamai Dudhoriya, Chhapar, Ghewar Pustakalaya, Sujangarh, Jain Vishva Bharti, Ladnun and Jaisalmer Bhandara, in addition to Order's Bhandara. The text of Nandl revised by Muni Punyavijayaji was also made available to us. this proved a valuable assistance to us. An important stage of the publication of the revised text of 32 agamas, which began under the able stewardship of Acarya Sri Tulsi as Vacana-pramukha, is completing today. For the first time the revised and authorised version of the 32 agamas is being made available to the scholars. It is a matter of ineffable joy for us. The work of the editing of agamas first started in V.S. 2012 at Ujjain. In that year the word indexes of almost all the 32 agamas had been prepared. Several monks and nuns were actively engaged in it. Groups, each containing three or four monks or nuns, were formed and they finished the assignment without any loss of time. On the one hand the aged monks like Muni Chauthmalji, Muni Sohanlalji (Churu) etc. were actively engaged in it while on the other hand the younger monks too devoted themselves wholeheartedly to this job, which was like a campaign and every participant was full of the awakening of a new spirit. The text was unrevised so far, so it could not be utilised fully well. Word-indexes had got to be prepared anew, but whatever line of action was chalked out, was quite commendable. One special and worth-mentioning characteristic of this editing is that everything was done by the monks themselves and no external help from any scholar-householder was required. The whole credit goes to the leadership of Acarya Srl as also to the Terapanth Religious Order. I cannot afford to forget on this occasion the services rendered by the late Madanchandji Gothi who had a very sound knowledge of agamas and was exceedingly helpful in revising the text of agamas. Had he been alive, he would have felt satisfied on the publication of this volume. The Managing Director of the Agama series, Sri Srichand Rampuria (Vice-Chancellor, Jain Vishva Bharti) has been taking interest in this work since its inception. He is ever devoted to the task of popularising the Agamic lore. After retiring completely from his well-established profession, he has been devoting a major part of his time to the service of Agama literature. Sri Khemchand Sethia and Sri Srichand Bengani, the President and the Secretary respectively of Jain Vishva Bharti have cooperated a lot towards the successful completion of this task. The English rendering of 'Editorial' and 'Introduction' has been made by Dr. Nathmal Tatia. The mention of the cooperation of the co-workers in a common enterprise is only a formality. In fact it was a sacred duty of all of us and that we have fulfilled. Anuvrata Bhawan, Delhi. -Yuvacārya Mahaprajña 22nd Oct., 1987. Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ The present volume consists of nine agamas -uvangas-Pantavaņā, Jambuddivapagbatt, Candapappatti, Sarapannatti, Nirayavaliyão (five in number). PANNAVANA The canon under review is Paṛṇavaṇā (Prajñāpanā). It treats extensively the two substances-sentient being (jiva) and insentient being (ajiva). The term used in the beginning is prajñāpana', hence the whole canon bears the name 'Prajñāpanā". One of its aims is to interpret the Reality through QuestionAnswer method, and the same thing has been done in this canonical text. That also justifies its nomenclature as Prajñāpona. In the opening gathās, this agama has been named as 'Adhyayana' which shows that one of its names is 'Adhyayana" also. It relates to Drstivada, the twelfth anga, so it has been called as the essence or niḥsyanda of Drstivada. Subject-Matter It contains 36 topics (padas) which discuss the various aspects (paryayas) of soul (jiva) and non-soul (ajiva). It is like an ocean of the Science of Reality (tativa vidya) through which the deeper meaning of Indian Science of Reality can be appreciated. The first topic (pada) provides two classifications of vegetable-bodied beings-the individual-bodied (pratyekaśarlrl) and commonbodied (sadharanasariri). The common-bodied presents such a unique picture of Socialism which cannot even be imagined in human society. It deals in greater details with the dryas and the mlecchas. This canon is the source book of the Science of Truth (tattvajñāna). Whereas the Bhagavar is an anga-pravista canon, the Pannavana is an Upanga. Both these Agamas are inter-related on account of their common theme of the Science of Truth. Most of the Prajñāpana has been included in Bhagavat! by Devarddhigani, as is evident from the use of Jaha pannavande time and again. Its every pada is like the embodiment of abstruse metaphysical problems. It contains various important sutras about lesya and karma. Nandisutra gives us the two classifications of Agamas-angapravista and 1. Pannavana, gatha 2 21 2. 3 3. 1/32 Introduction " " " Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ angabāhya. The former is again twofold- Āvasyaka and Avasyaka-yyatirikta. 'The latter is again classificd as kálika and utkalika. Thus Pannavanā is Angabahya, Āvaśyaka-vyatirikta and Utkāliku. Nandi does not contain any reference to Ariga and Angubahya. In the latter part of the Agama age the interrelation between Ariga and Angabahya was determined. Accordingly, Prajñāpanā turns to be the upanga of Samayāyanga. On what basis this interrelationship was determined is a matter of research. It would have been all the more intelligible if Prajñāpanā had been recognised as Upanga of Bhagavati. Autbor and the Period of Composition Pannavaņā is the sum and substance (nihsyanda) of Drslivada. We can thus infer that its subject matter has been derived from Drspivāda. Its author is Arya Syāma ? l!e was the 23rd in lineage from Acārya Sudharmásvámi He was a powerful våcaka in the tradition of the lineage of vacakas. He flourished in the 4th century of Vira-nirvana. The date of composition of Pannavanā is probably between the year 335 and 375 of Vira-nirvana. Nandi mentions the 'Maháprajñāpanâ' which is now extinct. Both Mahaprajñāpanā and Prajñāpană are independent works. It cannot be said definitely whether the former is the progenitor of the latter or the latter contains any new topic. Among the twelve upângas, Prajñāpanā holds a unique position. We can guess from this that it was composed at the period when the Purvas were passing into oblivion and their remaining portions alone were in memory Satkhaņdāgama too came into existence at such a period. The remaining upāngas were composed in the period subsequent to the composition of Prajñāpanā. All this conjecture has been made on the basis of their subjectmatter. Umāsvāti flourished in 5th century of Vira-nirvana. His Tattvärthasutra mentions the sūtra "äryä mlecchāśca", 3 which must be based on the first 'pada' of Prajñāpanā. The clearcut idea and definition of 'arya' and 'mleccha' appearing there is not to be found elsewhere. On this basis Pannavaņā precedes the period of Umāsvāti. Commentaries Many commentaries of Pannavaņā are available. They are as follows :Commentaries Granthāgra Autbor Date 1. Pradeśa-commentary 3728 Haribhadrasūri 8th Cen. 2 Trriya-pada-Sangrahani 133 Abhayadevasúti First half of 12th Cen. gautama. 1. Nandi, 73-77 2. Prajñāpana Vr. patra, 47/1, aryašvāmo yadeva granthàntareşu asaligă pratipadakam praśnabhagavannirvacanarūpam sūtramasri taderāgama bahumängtah pathati. Prajnåpana Vr. Patra, 72; bhagavān dryasyamo'pi itthameya satram racayati. 3. Tattvärthasútra, 3/36 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Tavāna 3. Vivsti 14500 Malayagiri 13th Cen. 4. Abhayadeva's Titium-pada-sangrahoni avacūmi Kulamandariagani 15th Cen. 5. Vyti Anonymous 6. Vanaspoti-siplikā or Vanaspati.' icara Municandra 1/?th Ce: 7 Avucuri Padmasuri S. Bulanabodha . Dhanavimala 17th Cen Jivavijaya Year 1785 10. Stahaka Parmānanda ► 1876 11. Pannuruna ni Joda 550 Jayācārya 1978 In additioa to this, we also find some smaller commentaries of Pannavana. Muni Punyavijaya has meitioned the commentary named “Bījaka' by Harsakulagani'.! In Muni Punyavijaya's "Introduction to Prajñāpana" and in Jinaratnakośa' we find mention of 'puryāya'. "Prajñāpanā-sútra-sároddhara" is also mentioned in Jiniratnakośa'. Acarya Malayagiri mentio:as cūrņi and Vyddhayrakhya in his Vrtti? Cúrņi is untraceable at present. Malayagiri's commentary is the most elaborate among all the available commentariesĀcārya Haribhadra Sūri's commentary is the most origiual and basic too. JAMBUDDIYAPANNATTI Nomenclature This canon is known as Jambuddivapannatti (Jambūdvipaprajñapri). Prajñāpti means exposition, information or treatment. It contains the cxposition of Jambūdvīpa, hence it is called Jambūdvipap ajñapti. Sthānanga sutra mentions four ungabāhya prajñapris---(1) Candraprajñupti, (2) Süryaprajñapti, (3) Jumbidvípaprajñapti, and (4) Drīpasāgaraprajñupti.' In Kasāyopõhudu, projñaptis have been classified as the five arthadhikaras of 'parikarma' which is the first division of Drsțivada-(i) Candraprajñapti, (2) Suryaprajñapti, (3) Jambūdvipuprajñapti, (4) Dvipasāgara prajñapti and (5) Vyākhyāprujñapti.* In Nandi, Jumbūdvipaprujñapti 1. Pannavana Sattam, Part II, Introduction, p. 158 1. Vrati patra, 269: aha ca cürnikt. * 271 : äha ca cürnikrlo'pi. " " 272: yadah cūrniks!. > " 277: aha ca cürnikri. " S7:prajiāpanāyāốcũrno. ” ” 600 : tatrāivam vrddhavyakhya. 1. Thanam, 4/189 2. Kasayepähudla, Adhikara I, pejjadosavihalti, p. 137; parivamme pañca atthähirarā-randapannalla sarapannalli jamhuddivapannatti divasāyarapannarri viyahapannatti cedi. Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ has been categorised as Kālika āgama. Subject matter Its main theme is Jambūdvipa. The list of peripheral and incidental topics is very long. Lord Rşabha, Kulakara, Bharata Cakravarti, Kālacakra, Sauramandala, and many others are the subjects dealt with in it. The description about Bharata Cakravarti's fourteen jewels and nine treasures has been described here in a lively manner. Under the 'wheel of eternity' (kalacakra), thrilling account has been given about the sixth spoke of the present descending cycle. Of all the available forecasts about the universal annihilation, it invites our attention most effect ively. By going through it one is confronted with the horrors of the atomic warfare. Both Lord Rşabha and Lord Mahavira have similarity in various respects. The former is called Adi Kāśyapa while the latter is called Antyakāśyapa. Both propounded the path of five Great Vows. Like Lord Mahavira, Lord Rşabha also put on garment for more than a year, followed by absolute nudity.. Bharata Cakravarti was seated in his palace of glass. While he was looking at his reflection in the mirror, he attained liberation. In later literature this incident is developed in a number of ways. At the loss of his finger-ring he felt the diminution of his beauty, which led him to deeper thought culminating into the attainment of a kevalihood. The canon gives us a beautiful picture of the termination of the 'yaugalika' state, and the beginning of social life and political administration, It is a very important document to get a clear idea of the multifaceted personality of Lord Rşabha. A comparative study of the delineation of Rşabha in the present text with that in the Srimadbhagavata is bound to be very fruitful. The canon is divided into seven chapters which are called 'vakkhäro' or ‘vakşaskāra'. Some of the topics are :-- 1. Jambůdvipa 2. Kālacakra & Rşabha-carita 3. Bharata-Carita 4. Jambūdvipa : detailed description 1. Nandi, 78 2. Jambuddivapannatli, 2/130-137 3. Dhananjaya-namamala, 114, page 57 : vharsiyan vrşabho jyäyän punaradyah prajapatih / aik svakuh kasyapo brahma gautamo nabhijo'grajah // Ibid, 115, p. 58: sarmalirmahatirviro mahaviro'ntyakaśyapah/ nathanvayo vardhamano yatirthamika sampratam // 4. Jambuddivapannatti, 2/66 5. Ibid, 3/221,222 6. Avasyakacūrni, p. 227 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 Birth Celebration of Tirtharkara 6. Geographical condition of 7. Syotiścakra. Jambūdvipa Author and Date This canon has been categorised as Upanga which shows that it was composed at a later period after Lord Mahavira's nirvana. Its author must be some anonymous elderly monk. The date of composition too is unknown. Jivājīvābhigame, containing detailed accounts of the Kalpavrkşas, was also composed by the elders. Jambúdvipaprojñupti gives only a brief account of them indicating the details through jāva'. This shows that Jambūdvīpaprajñapti was composed at a later period than that of Jivājīvābhigume. Possibly we may ascribe it to an earlier date than the emergence of a clear-cut distinction between Svetāmbara and Digambara schools which are mostly unanimous about the contents of Jambūdvīpaprajnapti. On this basis we can guess it to belong to the 4th-5th century of Vīranirvana. Commentaries About nine commentaries are available on this canon. Out of them, the V i by Sānticandra alone, has been printed; the remaining ones are unpublished. Sānticandra has mentioned that Malayagiri's commentary was lost with the passage of time, but noderii scholars have traced it out in the Jaisalmer Bhandāra. The Vrttis by Sánticandra and Punyasagara bear the mention of Cūrni. These Commentaries are as follows:--- SN. Canon Granthāgra Author Date 1. Cūrni Anonymous 2. Țikā (in Prakrit) Haribhadrasuri 3. Malayagiri - 4. Vrati 14252 Hiravijayasuri 1639 (Vikram Sam, 5. Vrati 13275 Punyasagara 1645 6. Tika 18000 Sánticandra 1660 (Prumeyaratnamañjūşa) 7. Țikā I 5000 Brahma Muni 8. Vrtti 18352 Dharmasagara and 1639 Vānara Rşi 9. Vriti Anonymous 1. Sänticandra : Vrtti patra 2: "latra prastuto'pārgasya vittih frimalayagirikytapi sampratikāla doseņu vyavacchinna." 2 Sce, Jinaratnakośa, p. 130. 3. (a) Sänticandra. Vrtti patra, 19 : "paridhyānayanopayastyayam cürnikaroktah." (b) Vr. p. 53,252,278. (c) Punyasagari vrtti, patra, 122: "etaccūrno ca." Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Muni Dharmasi has composed stubaka (labbā or bālavabodha) on it ul Gujarati. The abundance of commentaries reveals that this ca.101 was síudied very frequently CANDAPANNATTI AND SŪRAPANNATTI Nomenclature Shānanga mentions four angababya prajñaptis, of which the first is Candraprajñapri and the second is Súrraprujnapti. Kusayapähuda also mentions them in the same order. As the name comiotes, the first prajñapti deals with the moon while the second one deals with the sun, so they are named as Candruprajiapti and Sūryoprajñupti respectively, Subject Matter The list of ūgumes contains both these águmas--Candraprajñupti and Süryaprajñpti. Nandi's Agama-list too tells of Candraprajñapri as Kalika and Süryapruji-pri as Uikalika.“ 'The cause of this distinction demands investigation. The former is not available at prese it but for a very small portion of its beginning. We come across some manuscripts entitled Candrup ajñapri and Süryoprojñapti but their text throughout is identical except the initial sutra. Acārya Maluyagiri has composed cominentaries on both of them did they are almost identical "The general impressio, prevailing at present is that Cundruprujñopri is not at all available these days. Whatever is available is Süryaprajñupti alonc. Dr. Walter Schubring has put forward a conjectureSuryaprajñapti, from its 71 puhuda Ojiwards, ascribes more importance to the moon and ihe stars, so we imagine thui! Candraprajñupri begins from the 10th pāludu.' But in the absence of the whole subject matter of Candruprojiupti, Schubring's conclusions cannot be taken as authoritative outright. Even then there is much toom for consideration. Commentaries Malayagiri's commentaries are availabic On boin-Cund aprajñopli and Süty prujñopii. The commentaries are identical and whatever iheir difference is has been noted in the Appendix. According to Jinaratnak ośu, the granthägra of the commentaries of these agamus is 9300 and 9000% respectively. Bhadrabāhu's Nirvukiis mention the Niryukti on Sú paprajñop i,? which was, liowever, 1101 1. Thunani, 41189. 2 Kasayapāhida, Chapter 1-"pejjuulosa rihatti". p. 137 3. Nandi, 77,78 4. Schutring : The Doctrine of the Juina, p. 102 5. Jinaratnakosa, p. 118 6 Ibid, P 452 7. Avasyaka-niryukti, gatha, 85 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ traceable in Malayagiri's period. He has mentioned the views of his foregoing ācāryas also in his commentary. NIRAYAVALIYO Nomenclature This agama is a śrutaskandha- Its oldest name seems to be upanga Jambūsvāmi enquired of Sudharmāsvāmi the meaning of upanga, whereon the latter repliců—“Upānga is fivefold-Nirayávalika, Kalpavatamśikā, Puspikā, Puspacūlika, Vrsnidaśa. The term 'upānga' is here used in plural number. It is a frutaskundha consisting of five sections. The plural number is probably used on this reason. We do not know about its original anga. The term 'upangu' is not in vogue at present for the text. Upānga stands for the 'collection of twelve agamas.' Nandi's list of canons does not mention the term 'upanga', but only Nirayāvaliyão' etc. are mentioned as five independent äganas. It may be supposed that the five canons were regarded as a śrutaskundha in later times after the composition of the Nuindi, and the śrutaskandha was named as upanga. According to Prof. Winternitz, these five agamas were earlier known as 'Niravavalika'. They were regarded as separate entities when the contents of angas and upangas were determined. Nirayávaliyao is also known as kalpikā, as we find this in some manuscripts of Nandi. The same term has been used in the writi of Nundi by Acārya Haribhajrasürj and Ācārya Maiayagiri : It is just possible that the first group of the 'uvarigā' was namel as 'kalpika', but as it related to the karmas leading to heli, it was given the second name Nirāyāva lika. In this way, the two names viz. Nirayāvalika' and 'kalpika' originated. Subject-matier The main theme of the Niruyávalikā śrutaskandha is the auspicious and inauspicious conduct and karma and their vipāku. In the first section we find the description of fierce battle between Cetaka 1. Vitti p. 1, gatha 5 usya niryuklirabhüpürvam śribhadrubahusürikria / kaluloso sa nesada yvacak şe kevalam sitram !! 2. Sir yaprajnapti, Vrtip 168: tallevam yuthi purvācâr yairidunieva pūrvasātrumavalanıbya piirvuvisayum vyakhyanam krtam tarha moyi vineyajananugrahüy'u s umat yanusareitopadaršitam // 3. Nirayuvaliyão, 1/4,5 4. listory of Indian Literature, II Edn, Vol. II, pp. 457-458 5. Nandi, 78 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ and Srenika, which has been referred to not only in the Bhagavarii and the Avaśyaka cūrņi", but in the Buddhist literature too. It is surprising that history does not record this battle. Battle may be indispensable for self-protection, and the consequent violence may be regarded as inevitable for a householder. Even then none can deny that violence is, for all purposes, but violence and it can never masquerade as nonviolence. In the section under review, this anti-war attitude has come to the forefront, and it is a spiritual edict against the religious justification of holy wars. The second section contains the description of the salvation of Sreņika's ten grandchildren, who adopted the path of religious austerities. The third section propounds the obscrvance and non-observance of restraint and equanimity. The fourth section contains the description of the ten nuns (disciples) of Parśvanātha. We find the description of the observance of conduct by the twelve princes of Vţşņi dynasty and their birth in 'Survärthasiddhi' in the fifth section. Thus various interesting and important topics have been propounded in this small-sized upanga, that is, Nirayavalikā śrutaskandha. Author and Date of Composition No definite information is available about the author and the date of composition of this angahāhya śrutaskandha. It is, however, certain that some elderly monk composed it. It deals with the topics related with Bhagavari, jñātā, Upāsakudasā, Aupapātiku and Rajapraśniya, but this is 110t a sufficient ground to determine the date of its composition. When the Āgamas were analysed, it was found that thc earlier agamas contain the names of the later āgamas, so they cannot determine which agamas were composed carlier and which at a later date. Commentaries A Sanskrit commentary is available on this śrutuskandha. Sricandrasuri wrote its commentary, a very abridged piece of composition, in the Vikram era 1228. A fabbá (stabaka) was composed on it in Gujarati by Muni Dharmasi (Dharmasingh). Completion of the Assignment The overall credit of its editing goes to Yuväcărya Mahaprajña. The work has come to successful completion due to the single-mindedness with which he applied himself to the task day and night, without which this gigantic task would have been insurmountable Being a yogi basically, he is able to ever maintain concentration of mind. Engaged as he has been in the cditing of the agamas for a 1. Bhagavati, 7/173,210 2. Avašyaka cúrni, part II, p. 174 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ very long period, he is eminently endowed with the power to penetrate into the deeper mysteries of the canonical texts. Modesty, perseverance and complete dedication to the guru have contributed to the development of these merits in him. Such merits were inherent in him since childhood. Since the time he came to me, I have found gradual intensification of these merits. I have derived utmost satisfaction from his capability and wholehearted devotion to duty. Many other mo: ks also contributed towards the editing of the text of these canons 1 bless them all with the wish that their working capacity may be all the more developed. I had embarked upon this Herculean work of agamas, having complete faith in my disciples--the monks and nuts of the Order. I feel highly satisfied that this gigantic task has been accomplished successfully in a right way. Anuvrata Bhawan, New Delhi, - Acharya Tulsi 22nd October, 1987 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषयानुक्रम पण्णवणा पढमं पण्णवणापयं सू०१ से १३८ पृ० ३ से ३६. मंगल-पदं, अभिवेयपदं, पदाभिधाण-पदं, उवखेव-पदं १, अजीवपण्णवणा-पदं २, जीवपण्णवणापदं १०, पुढयीकाय-गदं १६, आउक्काय-पदं-२१, ते उक्काच पदं २४, बाउकाय-पदं २६, वणस्सइकायपदं ३०, पाइण्णगं ४८१८, अणंतजीवलक्खणं ४८।१०, पत्तेपगारी रजीवलखणं ४८।२०, छल्ली-अणंतजीवलक्खणं ४८१३० छल्ली-पत्ते यसरजीवलखणं ४८।३४, अणंतजीवलक्खणं ४८।३८, पइण्णगं ४८६४०, माहरणारीरलपखणं ४८॥५३, जीवरमाणं ४८।५८, बेइंदियजीव-पदं ४६, तेइंदियजीव-पदं ५०, चउरिदियजीव-दं ५१, पंचिदिय जीव-पदं ५२, नेरक्यनीय-पदं ५३, तिरिक्खजोणियजीव-पद ५४, गणुस्सजीव-पदं ८२, मिलक्खु-पदं ८६, आरिय-पदं ६.०, खेत्तारिय-पदं १, जातिआरिय-पदं ६४, कुलारिय-पदं ६५, कम्मारित-पदं ६६, सिपारिय-दं ७, भासारिय-पदं १८, णाणारिय-पदं ६६, सणारिय-पदं १००, देवजीव-पदं १३०. बिइयं ठाणपयं सू०१ से ६७ पृ०४० से ६८ पुढधिकायठाण-पदं १, आरक्कायठाण-पदं ४, तेउकायठाण-पदं ७, वाउक्कायटाण-पदं १०, वणस्सइकायवाण-पदं १३, वेइंदियठाण-पदं १६, तेइंदियठाण-पदं १७, चरिदियठाण-पदं १८, पंचिदियठाण-पदं १६, नेरइयठाण-पदं २०, पंचिदियतिरिक्खजोणियठाण-पदं २८, मणस्सठाण-पदं २६, भवणयासिदेवठाण-पदं ३०, वाणमंतरदेवटाण-पदं ४१, जोइसियदेवाण-पदं ४८, वेमाणियदेवठाण-पदं ४६, सिद्धठाण-पदं ६४. तइयं बहुअत्तव्वयपदं सू०१ से १८३ पृ०६६ से १२ दिसि-पदं १, गति-पदं ३८, इंदिय-पदं ४०, काय-पदं ५०, जोग-पदं १६, वेद-पदं ९७, कसायपदं १८, लेस्सा-पदं ६६, सम्भत्त-पदं १००, णाण-पदं १०१, सण-पदं १०४, संजय-पदं १०५, उवओगपदं १०६, आहार-पदं १०७, भासग-पदं १०८, परित्त-पदं १०६, पज्जत्त-पदं ११०, सुहम-पदं १११, सण्णि-पदं ११२, भव-पदं ११३, अस्थिकाय-पदं ११४, चरिम-गदं १२३, जीव-पदं १२४, खेत-पदं १२५, बंध-पदं १७४, पोरगल-पदं १७५, महादंडय-पदं १८३. चउत्थं ठिइपयं सू०१ से २६६ पृ०६३ से १११ नेरइपछि इ-पदं १, देवठिइ-पदं २५, भवणवासिठिइ-पदं ३१, एगिदियठिइ-पदं ५६, बेइंदियटिइपदं ६५, तेइंदियठिइ-पदं १८, चउरिदियठिइ-पदं १०१, पंचिदियतिरिक्खजोणियठिइ-पदं १०४, मणुस्सठिइ-पदं १५८, वाणमंतरठिड्-पदं १६५, जोइसिय ठिइ-पदं १७१, वेमाणियठिइ-पदं २०७. पंचमं विसेसपा सू०१ से २४४ पृ० ११२ से १३२ पज्जव-पदं १, जीवपज्जव-पदं २, नेरइयाणं पज्जव-पदं ४, भवणवासीणं पञ्जव-पदं . Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगिदियाणं प्रज्जव-पदं, विगलिदियाणं पज्जव-पदं १६, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जव-पदं २२. मकस्साणं पज्जव-पदं २३, वाणमंतराणं पज्जव-पदं २५, जोइसिय-बेमाणियाणं पज्जव-पदं २६, ओगाहणाई पडच्च नेरइयाणं पज्जय-पदं २७, ओगाहणाई पडुच्च भवणवासीणं पज्जव-पदं ४८, ओगाहणाई पडुच्च एगिदियाणं पज्जब-पद ५२, ओगाहणाई पडुच्च विगलि दियाणं पज्जव-पदं ६७, ओगाहणाई पडच्च पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जव-पदं ८२, ओगाहणाइं पडुच्च मणुस्साणं पज्जवपदं १००, ओगाहणाई पडुच्च वाणमंतराईणं पज्जव-पदं १२१, अजीवधज्जव-पदं १२३. छठें धक्कंतिपयं सू० १ से १२३ पृ० १३३ से १४८ वारसदारं उववाय-उवट्टणा-विरह-पदं १, चउबीसाई दारं उववाय-उवट्टणा-विरह-पदं १० संतरदारं उववाय-उव्वट्टणा-पदं ४७, एगसमयदारं उबवाय-उन्बट्टणा-पदं ६०, फत्तोदारं उववायउबटणा-पदं ७०, उब्बट्टणादारं उबट्टणःपुठवं उबवाय-पदं ६६, परभवियाउयदार परभवायुबंधकाल-पदं ११४, आगरिसदारं आउयबंधस्स आगरिम-पदं ११८. सत्तमं उस्सासपर्य __ सू० १ से ३० पृ० १४६ से १५१ चवीसदंडएसु उस्सासविरहकाल-पदं १. अट्टमं सण्णापयं सू० १ से ११ पृ० १५२, १५३ सण्णाभेय-पदं १, नेरझ्याईणं सण्णा-पदं २, नेरइयाणं सण्णादियार-पदं ४, तिरिवखजोणियाणं सण्णावियार-पदं ६, मणुस्साणं सण्णावियार-पदं ८, देवाणं सण्णावियार-पदं १०. नवमं जोणीपयं सू०१ से२६ पृ० १५४ से १५६ सीयाइजोणि-पदं १, सचित्ताइजोणि-पदं १३, संवुडाइजोणि-पदं २० कुम्मुण्णयाइजोणि-पदं २६. दसमं चरिमपयं सू०१ से ५३ पृ० १५७ से १६७ चरिमाचरिमविभाग-पदं १ चरिमाचरिमपयाणं अप्पबहुत्त-पदं ३, परमाणुपोग्गलाईणं चरिमाइविभाग-पदं ६, संठाणाणं चरिमाइविभाग-पदं १५. गतिचरिमाइ-पदं ३१, ठितिचरिमाइ-पदं ३४, भवचरिमाइ-पद- ३६, भासाचरिमाइ-पदं ३८, आणापाणुचरिमाइ-पदं ४०, आहारचरिमाइ-पदं ४२, भावचरिमाइ-पदं ४४, वण्णचरिमाइ-पदं ४६, गंधचरिमाइ-पदं ४८, रसचरिमाइ-पदं ५०, फासचरिमाइ-पदं ५२. एक्कारसमं भासापयं सू०१ से १० पृ० १६८ से१७८ ओहारिणीभासा-पदं १, पण्णवणीभासा-पदं ४, मंदकुमाराइभासासग्णा-पदं ११, एगवयणाइभासा-पदं २१, भासासरूव-पदं ३०, भासाभेय-पदं ३१, भासगाभासग-पदं ३८, भासज्जाय-पद ४२, भासदधगहण-निसिरण-पदं ४७ सोलसविहवयण-पदं ८६. बारसमं सरीरपयं सू० १ से ३८ पृ० १७६ से १८२ सरीरभेय-पदं १, चउवीसदंडएसु सरीर-पदं २, ओहेण बद्ध-मुक्कसरीर-पदं ७, चउवीसदंडएसु बद्ध-मुक्कसरीर-पदं ११. Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ શ तेरसमं परिणामपयं सू० १ से ३१ पृ० १८३ से १८६ परिणामभेय-पदं १, जीवपरिणाम-मदं २, चडवीसदंडएस परिणाम-पदं १४, अजीवपरिणाम पदं २१. चोदसमं कसायप सू० १ से २८ पृ० १८७, १८८ कसायय-पदं १, चउदीसदंडएसु कसायपरूवण-पदं २, कसायपइट्ठा-पदं ३, कसायउप्पत्ति-पदं ५, कसायभेय-पदं ७, कसाएहिं कम्मचयोवचयादि-पदं ११. पणरसमं इंदियपयं सू० १ से १४३ पृ० १८६ से २०४ इंदियाणं भेद-पदं १, संठाण-पदं २, बाहल्ल-पदं ७, पोहत्त-पदं ८ कतिपएस -पदं ११, ओगाढ पदं १२, अप्पाबहुय पदं १३, चउवीसदंडएसु संठाणाइ पदं १७, पुट्ठ-पदं ३६, पविट्ठ- पदं ३६, विसय-पदं ४० अणगारदारे निज्जरापोग्गल-पदं ४३, आहारदारे निज्जरापोग्गलपदं ४६, अद्दायाइदारसतगे पडिबि पेहा-पदं ५०, कंबल फुसणा-पदं ५१, थूणादारे ओगाहणा-पदं ५२ थिग्गलदारे फुड पदं ५३, वहिदा फुड पदं ५४, लोगदारे फुङ-पदं ५६, अलोगदारे फुङ-पदं ५७, इंदियाणं उवचय-पदं ५८, निव्वत्तणः पदं ६०, वित्तापय-प ६१ लद्धि - ६२ उपयोगद्वा-पदं ६३, उपओगद्ध अन्वयपदं ६४, अगाहण-पदं ६५, अवाय-पदं ६६, ईहा-मदं ६७, उग्गह-पदं ६८, दव्व-भाव-पदं ७६, दव्वंदिय-पदं ७७, भाविदिय-पदं १३३. सोलसमं पओगपयं सू० १ से ५५ पृ० २०६ से २१५ पओगभेय-पदं १, जीवेसु आहेणं पओग-पदं २, चउवीसदंएस आहेणं पओग-पदं ३, जीवेसु विभागेणं पओग-पदं १०, चउवीसदंडएस विभागेणं पओग-पदं ११, गइप्पदाय-पदं १७, पओगगइ-पदं १८, ततग इ-पदं २२, बंधणच्छेदनगइ पदं २३, उववायगइ पदं २४, विहायगति-पदं ३८, सत्तरसमं लेस्सापयं सू० १ १७२ पृ० २१६ से २३८ नेरइएसु समाहारादि-पदं १, भवणवामिसु समाहारादि-पदं - १४, एगिदिय-विगलिदिएसु समाहारादि-पदं १८, पंचिदियतिरिवखजोगिएसु समाहारादि-पदं २३, मणुस्सेसु समाहारादि-पदं २४, वाणमंतराइ समाहारादि-पदं २६, लेस्सेसु चउवीसदंडएस समाहारादि-पदं २८ लेस्सा पदं ३६ चउवीसदंडएसु लेस्सापरूवण-पदं ३७, अप्पाबहुय-पदं ५६ इड्ढि अप्पाबहुय-पदं ८४, उबवाय उब्वट्टणा- पद ६०, ओहेणं उबवाय उब्वट्टणा-पदं ९२, विभागेणं उववाय उब्वट्टणा-पदं १००, कण्हाइलेस्मेसु नेरइएसु ओहिखेत्त पदं १०६ णाण-पदं १९२ लेस्सा-पदं ११४, लेस्माणं परिणति-पदं ११५, वण्ण-पदं १२३, रस-पदं १३०, गंधादि पदं १३६, परिणाम-पदं १३६ पदेस-पदं १४०, अवगाह-पदं १४१, वग्गण-पदं १४२, ठाण-पदं १४३, अप्पबहु-पदं १४४, लेस्सा-पदं १४७, परिणमणभाव-पदं १४८, लेस्सा-पदं १५६, मणुस्सेसु लेस्सा-पदं १५७, लेस्सं पडुच्च गब्भुप्पत्ति-पदं १६६. अट्टारसमं कार्यप सू० १ से १२७ पृ० २३६ से २४६ जीव-पदं १, गइ-पदं२, इंदिय-पदं १३, काय-पदं २५, जोग-पदं ५५, वेद-पदं ५६, कसाय-पदं ६४, लेस्सा-पदं ६८ सम्मत्त-पदं ७६, णाण-पदं ७६, दंसण-पदं ८५, संजय-पदं ८६, उचओग-पदं ६३, आहार-पदं ६४, भासग-पदं १०४, परित्त पदं १०६, पज्जत्त पदं ११३, सुहुम-पदं ११६, सण्णि-पदं Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६, भवसिद्धिय-पदं १२२, अस्थिकाय-पदं १२५, चरिम-पदं १२६. एगणवोसइमं सम्मत्तपयं सू० १ से ५ पृ० २५० वीसहम अंतकिरियापयं स०१ से ६४ पृ० २५१ से २५८ अंजकिरिया-पदं १, अणंतर-पदं ६, एगसमय-पदं ६, उच्च-पदं १४, तित्थगर-पदं ३८, चकवट्टिपदं ५०, बलदेव-पदं ५५, वासुदेव-पदं ५६, मंडलिय-पदं ५७, रयण-पदं ५८, देवउववाय-पदं ६१, असष्णिआउय-पदं ६२. एगवीसइमं ओगाहणसंठाणपयं सू० १ से १०५ पृ० २५६ से २७३ सरीर-पदं १, ओरालियसरीरे विहि-पदं २, ओरालियसरीरे संठाण-पदं २१, ओरालियसरीरे पमाण-पदं ३८ वेउब्वियसरीरे विहि-पदं ४६, वेउब्धियसरीरे संलाण-पदं ५६, वेउब्वियसरीरे पमाणपदं ६३, आहारमसरीरे विहि-पदं ७२, आहारगसरीरे संठाण-दं ७३. अहार गसरीरे पमाण-पदं ७४, तेयगसरीरे विहि-पदं ६५, तेयमसरीरे संठाण-पदं ७८, तेवगसरीरे पमाण-पदं ८४, कम्ममसरीर-पद १४, पोग्गलचिणणा-पदं ८५, सरीरसजोग-पदं १८, दब्ब-पएसप बहु-पदं, १०४, सरीरओगाहणप्पबहुपदं १०५. बावोलइमं किरियापयं सू०१ से १०१ पृ० २७४ से २८३ किरियाभेय-पदं १ सफिरिवत्त-किरियत्त-पदं ७, किरियाविसय-पदं ६, किरियाहेऊहिं कम्मपगडिबंध-पदं १२, कम्मबंधमाहिकिच्चकिरिया-पदं २६, एगत्त-पुत्तेहि फिरिया-पदं २६,किरिया-सहभाव-पद ४६, आओजिकिरिया-पदं ५७, पृट्टापदभाद-पदं ५६, किरियामा मित्त-पदं ६०, किरियाण सहभाब-पदं ६७, पाबदाणपिर इ-पदं ७७, कम्पपगडिबंध-पदं ८३, किरियाभेय-पदं ६१, अप्पाबहय-पदं तेपोत इस कानपाडिपकं सू०१ से २०२ पृ० २८४ से ३०२ कतिपयहि-पद, कहबंधा-पदं ३. कनिमण-गदं६, कहिपडिवेद-पदं , कतिविधाण भाव-पदं १३. ममोत्तरपडि-पदं २४, कम्पायडीणं इि-पदं ६, एगिदिए कम्मपयडीण ठिइवध-पदं १३४, दिएस कम्पयडीण ठिवध-पदं १५५, तेईएस कम्पपडीणं ठिबंध पदं १६०, चरिदिएस दम्भपढीणं ठिबंध-पदं १६४, असणीसु का पथडीणं ठिबंध-पदं १६७, सणीसु कम्मपयडीणं ठिबंध-पदं १७६, जहण्यठिबंधग-पदं १८१, उकोसटिबंधम-पदं १६४. चवीसहरं कम्मबंधपयं सू०१ से १५ पृ० ३०४, ३०५ पंबवीसइमं कम्मबंधवेयपयं पृ० ३०६ छन्वीसइमं कम्मवेयबंधपयं सू० १ से १२ पृ० ३०७, ३०८ सत्तावीसइमं कम्मवेयवेयगपयं सू० १से ६ पृ० ३०६ अट्ठावोसइमं आहारपद सू०१ से १४५ पृ० ३१० से ३२३ सचित्ताहार-पदं १. ने इएमु आहारट्ठिाइसत्तग-गदं ३, भवणवासीसु आहारट्ठिाइसत्तग-पदं २५, एगिदिसु आहारदिवाइसत्तम-पदं २८, विलिंगदिएस आहारट्रिमा इसत्तग-पदं ३७ पंचिदिय Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरिक्खजोणिएसु आहारटिआइसत्तग-पदं ४७ मणुस्सेसु आहारट्ठिआइसत्तग-पदं ४६, देवेसु आहारट्टिआइसत्तग-पदं ७२, लोमाहार-पदं १०२, मणभक्खि-पदं १०४, आहारदारे आहारगादि-पदं१०६, भवियदारे आहारगादि-पदं १११, सपिणदारे आहारगादि-पदं ११५, लेस्सादारे आहारगादि-पदं १२२, दिट्ठिदारे आहारगादि पदं १२५, संजयदारे आहारगादि-पदं१२८, कसायदारे आहारगादि-पदं १३२, माणदारे आहारगादि-पदं १३५. जोगदारे आहारमादि-पदं १३८, उवओगदारे आहारगादि-पदं १३६, वेददारे आहारगादि-पदं १४०, सरीरदारे आहारगादि-पदं १४१, पज्जत्तिदारे आहारगादि-पदं १४२. एगणतीसइमं उवओगपयं सू०१ से २२ पृ० ३२४ से ३२६ तीसइमं पासणयापयं सू०१ से२८ पृ० ३२७ से ३२६ एगतीसइमं सण्णिपयं सू० १ से ६ पृ० ३३० बत्तीसइमं संजमपयं सू०१ से ६ पृ० ३३१ तेत्तीसइमं ओहिपयं सू०१ से ३७ पृ० ३३२ से ३३४ ओहिय-पदं १, ओहिविसय-पपं २, ओहि संठाण-पयं १६, ओहिअभितर-बाहिर-पदं २७, देससव्वोहि-पदं ३१, ओहिस्स खयवुड्ढिआदि पदं ३५. चउत्तीसइमं पवियारणापर्य सू० १ से २५ पृ० ३३५ से ३३६ अगंतराहार-पदं १, आहाराभोगणा-पदं ५, पोग्गलजाणणा-पदं ६, अज्झवसाण-पदं १३, सम्मत्ताभिगम-पदं १४ परियारणा-पदं १५. पंचतीसइम वेयणापयं सू० १ से २३ पृ० ३४० से ३४३ सीताइवेदणा-पदं १, दवाइवेदणा-पदं ४, सारीराइवेदणा-पदं ६ साताइवेदणा-पदं ८, दुक्खाइवेदणा-पदं १०, अब्भोवगमियाइवेयणा-पदं १२, णि दाइवेदणा-पदं १६. सार छत्तीसइमं समुग्धापयं सू० १ से ६४ पृ० ३४४ से ३५६ सम्मुग्घायभेद-पदं १ समुग्घायकाल-पदं २, समुग्घायसामित्त-पदं ४, एगत्तेणं अतीताइसमुग्घायपदं ८, पुहत्तेणं अतीताइममुग्धाय-पदं १२, तब्भाव एव एगत्तेणं अतीताइसमुग्घाय पदं १८, तब्भाव एव पुहत्तेणं अतीताइसमुग्धाय-पदं ३२, समोहयासमोहयागं अप्पाबहुय-पदं ३५. कसायसमुन्धाय-पदं ४२, छाउमत्थियसमुग्धाय-पदं ५३, ओगाहफासाइ-पदं ५६ केवलिसमुग्घाय-पदं ७६, सिद्धसरूव-पदं १३. Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Uuuauudi Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापयं मंगल-पदं ववगयजर'-मरणभए, सिद्धे अभिवंदिऊण तिविहेणं । वंदामि जिणवरिदं, तेलोक्कगुरुं महावीरं ॥१॥ अभिधेय-पदं सुयरयणनिहाणं जिणवरेण, भवियजणणिव्वुइकरेण । उवदंसिया भयवया, पण्णवणा सव्वभावाणं ॥२॥ अज्झयणमिणं चित्तं, सुयरयणं दिट्ठिवाय-णीसंदं । जह वणियं भगवया, अहमवि तह वण्णइस्सामि ॥३॥ पदाभिधाण-पदं १. पण्णवणा २. ठाणाई ३. वहुवत्तव्वं ४. ठिई ५. विसेसा य । ६. वक्कंती' ७. उस्सासो ८. सण्णा ६. जोणी य १०. चरिमाइं ॥४॥ ११. भासा १२. सरीर १३. परिणाम १४. कसाए १५. इंदिए १६. पओगे य । १७. लेसा १८. कायठिई या १६. सम्मत्ते २०. अंतकिरिया य ।।५।। १. णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं सूचयित्वापि व्याख्यातम् । अनयोः केचित् पाठ णमो उवझायाणं णमो लोए सव्वसाहणं भेदा अपि दृश्यन्ते-बुद्धीण बुद्धीणं (क, ध); ववगय° (क,ख,घ); वृत्त्यो स्ति व्याख्यातः । बुद्धीणा (ख); बुद्धी (ग); समिद्ध२. अतोने ‘ख, ग, घ सङ्केतितादर्शेषु गाथाद्वयं बुद्धीणे' त्यत्र णाशब्दस्य ह्रस्वत्वं द्धिशब्दस्य च लभ्यते दीर्घताऽर्षत्वात् (मवृ)। विएऊण--विऊएण वायगवरवंसाओ तेवीसइमेण धीरपुरिसेण । (ख); विणेऊण (क, घ, पु, मुद्रितमव); दुद्धरधरेण मुणिणा पुटवसुयसमिद्धवुद्धीण ।।१।। हस्तलिखितमलयगिरिवृत्ती विएऊण' इति सुयसागरा विएऊण, जेण सुयरयणमुत्तम दिन्न । पाठो दृश्यते हरिभद्रवृत्तौ च चियेऊण' इति सीसगणस्स भगवओ तस्स नमो अज्जसामरस ॥२॥ पाठोस्ति । वृत्तिकृद्भ्यां इदं गाथायुगलं अन्यकर्तृकमिति ३. वृक्कंती (ख) । Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुस्तं २१. ओगाहणसंठाणे २२. किरिया २३. कम्मे “ति यावरे"। २४. कम्मरस बंधए २५. कम्मवेदए २६. वेदस्स बंधए २७. वेयवेयए ।।६।। २८. आहारे २६. उवओगे ३०. पासणया ३१. सण्णि' ३२. संज मे चेव । ३३. ओही ३४. पवियारण ३५. वैयणा य ३६. तत्तो समुग्घाए ।।७।। उक्खेव-पदं से कि तं पण्णवणा? पण्णवणा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--जीवपण्णवणा य अजीवपण्णवणा य !! अजीवपण्णवणा-पदं २. से कि तं अजीवपण्णवणा ? अजीवपण्णवणा दुविहा पण्णता, तं जहा-रूविअजीवपण्णवणा य अरूविअजीवपण्णवणा य॥ ३. से किं तं अरूविअजीवपण्णवणा ? अरूविअजीवपण्णवणा दस विहा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, आगासस्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे आमासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए। सेत्तं अरूविअजीवपण्णवणा ।। ४. से कि तं रूविअजीवपण्णवणा ? रूविअजीवपण्णवणा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला। ते समासतो पंचविहा पण्णता, तं जहा-वण्णपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठाणपरिणया। जे वण्णपरिणता ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-कालवण्णपरिणता नीलवण्णपरिणता लोहियवण्णपरिणता हालिद्दवण्णपरिणता सुविकलवणपरिणता। जे गंधपरिणता ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुब्भिगंधपरिणता य दुब्भिगंधपरिणता य । जे रसपरिणता ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-तित्तरसपरिणता कडुयरसपरिणता कसायरसपरिणता अंविल रसपरिणता महुररसपरिणता। जे फासपरिणता ते अट्ठविहा पण्णत्ता, तं जहा-कक्खडफासपरिणता मउयफासपरिणता' गरुयफासपरिणता लहुयफासपरिणता सीयफासपरिणता उसिणफासपरिणता निद्धफासपरिणता लक्खफासपरिणता। जे संठाणपरिणता ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा -परिमंडलसंठाणपरिणता वट्टसंठाणपरिणता तंससंठाणपरिणता चउरंससंठाणपरिणता आयतसंठाणपरिणता २५ ॥ ५. जे वण्णओ कालवण्णपरिणता ते गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि १. अवगाहनास्थानं (म)। ३. मउफास (ग), मृदुस्पर्श (मव) । २. इ यावरे (क, ख); इयर (ख) । Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० । जे वणओ नीलवण्णपरिणता ते गंधओ सुब्भिगंधपरिणता' वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिण फासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्ट संठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता बि आयतसं ठाणपरिणता वि २० । जे वण्णओ लोहियवणपरिणता ते गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुनिभगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अविलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २०। जे वण्णओ हालिद्दवण्णपरिणता ते गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडयरसपरिशता वि कसायरसपरिणता वि अंविलरसपरिणता वि महररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० । जे वण्णओ सुविकलवण्णपरिणता ते गंधो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वटसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठागपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २०।१०० ।। ६. जे गंधओ सुबिभगंधपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि णीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुय रसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि १. सुरभि (ग)। Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता विलहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २३ । जे गंधओ दुब्भिगंधपरिणया ते वण्णओ 'कालवष्णपरिणया वि नीलवण्णपरिणया वि लोहियवण्णपरिणया वि हालिद्दवण्णपरिणया वि सुक्किलवण्णपरिणया वि, रसतो तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महरसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसि फासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणया वि वट्टसंठाणपरिणया वि तंसठाणपरिणता वि चउरंसठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणया वि” २३।४६ ॥ ७. जे रसओ तित्तरसपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि णीलवण्णपरिणता वि लोहियणपरिणता व हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुभिगंधपरिणता वि दुभिगंधपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता विरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाओ परिमंडल संठाणपरिणता वि वट्टसं ठाणपरिणता वितंससंठाणपरिणता वि चउरंसठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० ॥ ६ जे रसओ कडुयरसपरिणता ते वृण्णओ कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुभिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफामपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडल संठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० ॥ जे रसओ कसायरसपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहित्रणपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुभिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टठाणपरिणता वि तंसंसंठाणपरिणता वि चउरंसंसंठाणपरिणता वि आयय १. कालवण्णपरिणया वि जाव तृक्किलवण्णपरिगया वि, रसओ तित्तरसपरिणया वि जाव महररसपरिणया वि, फासओ कक्खडफास परिणया वि जाव लुक्खफासपरिणया वि संठाणओ परिमंडल संठाणपरिणया वि जाव आयठाणपरिणया वि (ग, घ ) 1 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं संठाणपरिणता वि २०॥ जे रसओ अंबिलरसपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुन्भिगंधपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २०। जे रसओ महुररसपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता दि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता' वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठापरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २०॥१०॥ ८. जे फासतो कक्खडफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुभिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासतो गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २३ । जे फासतो मउयफासपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणया वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुन्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ गरुयफासपरिणया वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणया वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणया वि २३ ।। जे फासतो गरुयफासपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिहवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफास १. गुरुय (ग,घ)। Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं परिणता वि मउयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठागपरिणता वि वटसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणया वि २३ । जे फासतो लहुयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणता वि गीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुन्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता विमउयफासपरिणया विसीयफासपरिणया विउसिणफासपरिणया वि निद्धफासपरिणया वि लुक्खफासपरिणया वि, संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणया वि वसंठाणपरिणया वि तंससंठाणपरिणया वि चउरंससंठाणपरिणया वि आयतसंठाणपरिणया वि २३ । जे फासतो सीयफासपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २३ । जे फासतो उसिणफासपरिणता ते वणतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किल वण्णपरिणता वि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसतो तित्तरसपरिणया वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अविल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता विमउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहयफासपरिणता वि निद्धफास परिणता वि लूवखफासपरिणता वि, संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणता वि बद्रसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २३ । जे फासतो निद्धफासपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसतो तित्तरसपरिणता वि कडयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउथफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि, संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाण परिणया वि चउरंससंठाणपरिणया वि आयतसंठाणपरिणता वि २३। Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापर्य जे फासतो लुक्खफासपरिणता ते बण्णतो कालवणपरिणता वि नीलवणपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविल रसपरिणता वि महुररमपरिणता बि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गस्यफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि, संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणया वि चउरंससंठाणपरिणया वि आयतसंठाणपरिणता वि २३११८४ ॥ ६. जे संठाणतो परिमंडलसंठाणपरिणता ते वणतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णापरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि मुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसतो तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि णिद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि २० । जे संठाणओ वट्टसं ठाणपरिणता ते वग्णओ कालवणपरिणता वि नीलवणपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधतो सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविल रसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि णिशफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि २० । जे संठाणतो तंससंठाणपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवष्णपरिणता वि हालिवगपरिणता वि सुविकलवगपरिणया वि, गंधओ सब्भिगंधपरिणता वि दभिगंधपरिषता वि, रसओ तित्तरसमरिणता विकडयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता नि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लुक्खफासपरिणता वि २० । जे संठाणओ चउरंससंठाणपरिणता ते बालो कालवणपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिलण्णपरिणता वि सुविकलवण्णपरिणता वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसतो तित्तरसपरिणता वि कड्यरसपरिणता वि कसाय रसपरिणता वि अंबिलरापरिणतः वि महुररसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि भउयफालपरिणता त्रि गरुयफासपरिणता विलयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिफासपरिणता विनिद्धकासपरिणता विलुक्खफासपरिणता वि २० । Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं जे संठाणतो आयतसंठाणपरिणता ते वण्णतो कालवण्णपरिणता वि नीलवण्णपरिणता वि लोहियवण्णपरिणता वि हालिद्दवण्णपरिणता वि सुक्किलवण्णपरिणता वि, गंधतो सुभिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि. रसतो तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंविल रसपरिणता वि महुर रसपरिणता वि, फासतो कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लक्खफासपरिणता वि २०११०० 1 से तं रूविअजीवपण्णवणा 1 से त्तं अजीवपण्णवण्णा ।। जीवपण्णवणा-पदं १०. से किं तं जीवपण्णवणा? जीवपण्णवणा विहा पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमावण्णजीवपण्णवणा य असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य ।। ११.से कि तं असंसारसमावण्णजीवषण्णवणा? असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–अणतरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा य ।। १२. से किं तं अणंतरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? अणंतरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा पन्नरस विहा पण्णत्ता, तं जहा-तित्थ सिद्धा अतित्थसिद्धा तित्थगरसिद्धा अतित्थगरसिद्धा सयंबुद्धसिद्धा पत्तेयबुद्धसिद्धा बुद्धवो हियसिद्धा इत्थीलिंगसिद्धा पुरिसलिंगसिद्धा नपुंसकलिंगसिद्धा सलिंगसिद्धा अण्णलिंगसिद्धा गिहिलिंगसिद्धा एगसिद्धा अणेगसिद्धा ! से तं अणंतरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा ॥ १३. से किं तं परंपरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? परंपरसिद्ध-असंसारसमा. वण्णजीवपण्णवणा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-अपढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसमयसिद्धा चउसमयसिद्धा जाव संखेज्जसमयसिद्धा असंखेज्जसमयसिद्धा अणंतसमयसिद्धा। से त्तं परंपरसिद्ध-असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा। से तं असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा।। १४.से किं तं संसारसमावण्णजीवपण्णवणा? संसारसमावण्णजीवपण्णवणा पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा---एगिदियसंसारसमावग्णजीवपण्णवणा बंदियसंसारसमावग्णजीवपण्णवणा' तेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा'चरिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा पंचेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा ।। १५. से किं तं एगें दियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? एगेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--पुढविकाइया आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया ।। पुढवीकाय-पदं १६. से किं तं पुढविकाइया? पुढविकाइया दुविहा पण्णता, तं जहा --सुहुमपुढविकाइया य वादरपुढविकाइया य ।। १७. से किं तं सुहुमपुढविकाइया ? सुहुमपुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- १. बेइन्दिय” (क,ख)। २. तेइन्दिय (ख)। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापयं पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य । से तं सुहमपुढविकाइया । १८. से किं तं वादरपुढविकाइया ? वादरपुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहासण्हबादरपुढविकाइया य खरबादरपुढविकाइया य ।। १६. से कि तं सहबादरपुढविकाइया? सण्हबादरपुढविकाइया सत्तविहा पण्णत्ता, सं जहा-किण्हमत्तिया नीलमत्तिया लोहियमत्तिया हालिद्दमत्तिया सुक्किलमत्तिया' पंडुमत्तिया पणगमत्तिया । से तं सहवादरपुढविकाइया । २०. से कि तं खरवादरपुढविकाइया? खरवादरपुढविकाइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा पुढवी य सक्करा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय 'तंव तउय" सीसय, रुप्प सुवणे य वइरे य ॥१॥ हरियाले हिंगुलुए, मणोसिला सासगंजण पवाले । अब्भपडलब्भवालय, बादरकाए मणिविहाणा ॥२॥ गोमेज्जए य रुयए, अंके फलिहे य लोहियक्खे य। मरगय मसारगल्ले, भुयमोयग इंदनीले य ॥३॥ चंदण गेरुय हंसे, पुलए सोगंधिए य वोधव्वे । चंदप्पभ वेरुलिए, जलकंते सूरकंते य ॥४॥ जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जतगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेज्जाइं जोणिप्पमुहसतसहस्साई। पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति-- जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखेज्जा। से तं खरबादरपुढविकाइया। से तं वादरपुढविकाइया । से तं पुढविकाइया ।। आउक्काय-पदं २१. से किं तं आउक्काइया ? आउक्काइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमआउक्काइया य वादरआउक्काइया य ।। २२. से किं तं सुहुमआउक्काइया? सुहमआउक्काइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहापज्जत्तसुहुमआउक्काइया य अपज्जत्तसुहुमआउक्काइया य । से तं सुहुमआउक्काइया ।। २३. से किं तं बादरआउक्काइया ? वादरआउक्काइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-ओसा' हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए १. मट्रिया (घ); सक्किल (ख) गोमेज्जए य रुयगे अंको फलिहे य लोहियक्खे य । २. उत्तरज्झयणाणि ३६७३-७६ । चतस्रोपि चंदण गेरुय हंसग भयमो मसारगल्ले य॥७॥। गाथास्तुल्या वर्तन्ते, केवलं 'हंसे' इति पदस्थ चंदप्पह वेरुलिए जलकते चेव सूरकते य। स्थाने 'हंसगठभ' इति पदमस्ति । आचारान- एए खरपुढवीए नाम छत्तीसयं होइ !७६॥ नियुक्ती आद्यं गाथाद्वयं तुल्यमस्ति । अन्त्यं ३. त उय तंब (क, ख, ग, घ)। गाथाद्वयं भिन्नपाठं लभ्यते---- ४. उस्सा (क, ग)। ५. हरतणु (क, ख); हरतणूए (घ) । Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ पण्णवणासुत्तं खट्टोदए अंबिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए घओदए खोतोदए रसोदए। जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णता, तं जहापज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेण गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेज्जाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई । पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमति जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखेज्जा। से तं वादरआउक्काइया । से त्तं आउक्काइया ।। तेउक्काय-पदं २४. से कि तं तेउक्काइया ? तेउकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमतेउक्काइया य वादरतेउक्काइया य॥ २५. से किं तं सुहुमतेउक्काइया ? सुहुमते उक्काइया दुविहा पण्णता, तं जहापज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं सूहमतेउक्काइया ।। २६. से किं तं बादरतेउक्काइया ? बादरतेउक्काइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-- इंगाले जाला मुम्मुरे अच्ची अलाए सुद्धागणी उक्का बिज्जू असणी णिग्याए संघरिससमुट्ठिए सूरकंतमणिणिस्सिए। जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--- पज्जत्तगाय अपज्जत्तगा य। तत्थ ण जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एएसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेण रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, खेज्जाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई । पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति-जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखेज्जा। सेत्तं वादरतेउक्काइया। से तं ते उक्काइया ।। वाउकाय-पदं २७. से कि तं वाउक्काइया ? वाउकाइया दुविहा पण्णता, तं जहा-सुहुमवाउक्काइया य बादरवाउक्काइया य ।। २८. से किं तं सुहुमवा उक्काइया ? सुहुगवा उक्काइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा.-.. पज्जत्तगसुहमवाउबकाइया य अपज्जत्तगगृहमवाउक्काइयाय। से तं सुहमवाउक्काइया ।। २६. से कि तं वादरवाउकाइया ? वादरवाउक्काइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा --पाईणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उड्ढवाए अहोवाए तिरियवाए विदिसीवाए वाउब्भामे बाउक्कलिया वायमंडलिया उक्कलियावाए मंडलियावाए गुजावाए झंझावाए संवट्टगवाए" घणवाए तणुवाए सुद्भवाए । जे यावाणे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता । तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एतेसिणं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं ----- --- १. एतत् पदं वृत्त्या स्ति व्याख्यातम् ।। स्वीकृतोस्ति, (अंगसुत्ताणि भाग २, पृष्ठ २. खातोदग (ख); भगवतीवृत्ती 'ब्राओदयाण' ७०६)। प्रस्तुतसूत्रस्य वृत्तौ--'क्षोदोदक इति पाठो व्याख्यातोस्ति, यथा-खाओदयाण इक्षुसमुद्र' इति व्याख्यातमस्ति । ति खातायां-भूमौ यान्युदकानि तानि खाता- ३. विदिसिवाए (ख) । दकानि । (भ० वृ० पत्र ६६४)। भगवत्या- ४. वाउमंडलिया (क)। दर्शष्वपि एष एव पाठो दृश्यते, अत एष एवं ५. संवट्टवाए (क)। Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढ़मं पण्णवणापयं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेज्जाई जोणिप्पमुहसयसहस्साइं। पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तया वक्कमंति-जत्थ एगो तत्थ णियमा असंखेज्जा। से तं वादरवाउक्काइया। से तं वाउक्काइया॥ वणस्सइकाय-पदं ३०. से किं तं वणस्सइकाइया? वणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–सुहुमवणस्सइकाइया' य बादरवणस्सइकाइया य ।। ३१. से किं तं सुहुमवणस्सइकाइया ? सुहुमवणस्सइकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तसुहुमवणस्सइकाइया य अपज्जत्तसुहमवणस्सइकाइया य । से तं सुहुमवणस्सइकाइया ।। ३२. से किं तं वादरवणस्सइकाइया? वादरवणस्सइकाइया दुविहा पण्णता, तं जहा-पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया य साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया य ।। ३३. से कि तं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया? पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया दुवालसविहा पणत्ता, तं जहा-- __ रुक्ता गुच्छा गुम्मा, लता य वल्ली य पव्वगा चेव । तण वलय हरिय ओसहि, जलरुह कुहणा य बोधव्वा ॥१॥ ३४. से' किं तं रुक्खा ? रुक्खा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–एगट्ठिया य बहुवीयगा य॥ ३५. से किं तं एगट्ठिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा णिबंब जंबु कोसंव, साल अंकोल्ल' पीलु सेलू य । सल्लइ मोयइ मालुय, वउल पलासे करंजे य ॥१॥ पुत्तंजीवयरिठे 'बिभेलए हरडए य भल्लाए । उंबेभरिया खीरिणि बोधव्वे धायइ पियाले ॥२॥ 'पूई य निंबकरए" सेण्हा, तह सीसवा य असणे य । पुण्णाग णागरुक्खे सीवणि तहा असोगे य ॥३॥ 'जे यावणे तहप्पगारा"। एतेसि णं मूला वि असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि १. °वणप्फइ (क) सर्वत्र २. तुलना--आचाराङ्गनियुक्ति, गाथा १२६ । उत्तराध्ययने (३६) असौ गाथा किञ्चिद् भेदेन लभ्यतेरुक्खा गुच्छा य गुम्मा य, लया बल्ली तणा तहा १६४। लयावल या पब्वगा कुहणा, जलरुहा ओसही तणा ।६५! ३. से कितं असंखेज्जजीविया ? असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगट्ठिया य बहु बीयगा य (भ० ८।२१८) ! ४. अंकुल्ल (घ)। ५. बिहेलए हरिडए भिल्लाए (क, घ) । ६. खीरणी (घ) ! ७. पूइकरंज (पु); पूतिकरज्ज (म); पूइयनिवारग (भ० ८।२१६५३; २२१२) । ८. एतद् वाक्यमपूर्णमस्ति । अत्र वृत्तिसूचितं एतद् वाक्यमध्याहर्यम्-ते सर्वेप्येकास्थिका वेदितव्याः (म )। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया। पुप्फा अणेगजीविया। फला एगट्ठिया । से त्तं एग ट्ठिया ॥ ३६. से किं तं बहुबीयगा ? बहुबीयगा अणेगविहा पणत्ता, तं जहा अस्थिय तिदु कविठे, अंबाडग माउलिंग बिल्ले य। आमलग फणस दाडिम, आसोत्थे उंवर वडे य ।।१।। णग्गोह णंदिरुक्खे, पिप्परि सयरी पिलुक्खरुक्खे य । काउंबरि कुत्थंभरि, वोधव्वा देवदाली य ॥२॥ तिलए लउए' छत्तोह सिरीसे, सतिवण्ण' दहिवण्णे। लोद्ध धव चंदणज्जुण, णीमे कुडए कयंबे य ।।३।। जे यावण्णे तहप्पगारा। एएसि णं मला वि असंखेज्जजीविया. कंदा वि खंभा नि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया । पुप्फा अणेगजीविया फला बहवीया। से तं बहुवीयगा । से तं रुक्खा ।। ३७. से कि तं गुच्छा ? गुच्छा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा 'वाइंगण सल्लइ बोंडई" य तह कच्छुरी य जासुमणा। रूवी आढइ नीली, तुलसी तह माउलिंगी य॥१॥ कुत्थुभरि पिप्पलिया, अतसी बिल्ली य कायमाई या। 'चुच्चु पडोला कंदलि", बाउच्चा' वत्थुले" बदरे ॥२॥ पत्तउर सीयउरए, हवति तहा जवसए य बोधन्वे । 'णिग्गुंडि अक्क तूवरि", अट्टई चेव तलऊडा" ॥३॥ सण वाण" कास मद्दग", अग्घाडग साम सिंदुवारे य। करमद्द अट्टरूसग", करीर एरावण महित्थे ॥४॥ जाउलग माल परिली, गयमारिणि कुच्च कारिया भंडी। जावइ केयइ तह गंज पाडला दासि अंकोल्ले ॥५॥ १. लवक (मवृ)। २. सत्तवष्ण (क, ख, ग, घ)। १२. उड्डइ (ख); अद्धई (ग,ध)। ३. तेपि च बहुबीजका मन्तव्याः (मव)। १३. तउडा (क); तलउडा (घ) । ४. गच्छा (क) । १४. पाण (क,ख,ग,घ)। ५. वाइंगणि सल्लइ घुएडइ (क); °वोंदई १५. मुद्दग (क,घ) । (घ); वाइंगणि-अल्लइ-पोडइ (भ० २२।४)। १६. लिपिपरिवर्तनेन संयुक्तटकारस्य स्थाने संयुक्त६. कत्थुभरि (पु)। दकारः प्रचलितोभूत् । स्तबके समालोच्य पाठ७. चंचु (ख); चुन्न (ग, घ)। स्य स्थाने 'अरडूसो' (अडूसा) अर्थः कृतोस्ति । ८. चुच्च पडोल कंद (क)। शालिग्रामनिघण्टमध्ये अस्य वाचकं पदमस्ति ६. विउव्वा (क); वीउच्चा (ग)। आटरूषक: वनस्पतिकोशे च 'अटरूषकः', १०. बबुले (क)। तेनात्र 'अट्टरूसग पाठ एव प्रतीयते । ११. णिग्गुंडि अंक तवरि (क); गिगुंडि यंकत्यबरि Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं जे यावण्णे तहप्पगारा'। से तं गुच्छा ॥ ३८. से कि तं गुम्मा ? गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा सेरियए' णोमालिय कोरंटय' बंधुजीवग मणोज्जे। वीयय बाण' कणइर', कुज्जय तह सिंदुवारे य ॥१॥ जाई मोग्गर तह जूह्यिा य तह मल्लिया य वासंति । वत्थुल कच्छल सेवाल, ऽगत्थि मगदंतिया चेव ॥२॥ चंपग-जाती णवणीइया, य कुंदो तहा महाजाई। एवमणेगागारा, हवंति गुम्मा मुणेयव्वा ॥३॥ से तं गुम्मा ॥ ३६. से कि तं लयाओ ? लयाओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-- पउमलता नागलता, असोग-चंपयलता य चूतलता। वणलय वासंतिलया, अइमुत्तय-कुंद'-सामलता ॥१॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं लयाओ ॥ ४०. से किं तं वल्लीओ? वल्लीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा पूसफली कालिंगी, तुंवी तउसी य एलवालकी । घोसाडई पडोला, पंचंगुलिया य णालीया ॥१॥ 'कंगूया कदुइया'", कक्कोडइ कारियल्लई" सुभगा । कुवधा" य वागली या, पाववल्लि तह देवदारू" य ।।२।। अप्फोया अइमुत्तय- णागलया कण्ह-सूरवल्ली य । संघट्ट सुमणसा वि य, जासुवण कुर्विदवल्ली य॥३॥ १. ते सव्वे गुच्छजातीया इति शेषः । आसु 'बीयय, बाणय, ऽगस्थि' इति पाठोस्ति. २. सेणियए (क) । अत्रापि एवमेव युज्यते । जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ता३. कोरिटय (क); कोरेंटे (ध)। (२।१०) बपि 'बीय, बाण, अगत्यि, इति ४,५,७. प्रस्तुतसूत्रे सर्वेष्वपि आदर्शेषु पीईय, पाठोस्ति । शान्तिचन्द्रगणिनापि तद्वत्तो 'बीयपाण, गंठी' एतानि श्रीणि पदानि अशुद्धानि कगुल्माः बाणगुल्मा, अगस्त्यगुल्माः' इति दृश्यन्ते । जीवाजीवाभिगमवत्ती मलयगिरिणा व्याख्यातमस्ति। 'बीयगगुल्माः बाणगुल्माः अगस्त्यगुल्माः, एवं ६. कणयर (क)। व्याख्यातमस्ति, तत्र तिस्रो गाथा उद्धृताः ८. भूतलता (क,घ)। सन्ति ६. कंद (घ)। सेरियए नोमालियकोरंटयबंधुजीवगमणोज्जा। १०. तयसी (क) । बीययबाणयकणवीरकुज्ज तह सिंदुवारे च॥१॥ ११. केमूयी कडुईया (क)। जाई मोग्गर तह जहिया य तह मल्लिया य बासंती। १२. कारवेल्लई (ख) । वत्थलकत्युलसेवालगत्थिमगदंतिया चेव ।।२॥ १३. कुवया (क) । चंपकजाई नवनाइया य कुंदे तहा महाकुदे । १४. देवदाली (क) । एवमणेगागारा, हवंति गुम्मा मुणेयव्वा ॥३॥ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं मुद्दिय अप्पा भल्ली, छीरविराली जियंति गोवल्ली'। पाणी मासावल्ली', गुंजावली य वच्छाणी ।।४।। ससविंदु गोत्तफुसिया, गिरिकण्णइ मालुया य अंजणई। 'दहफूल्लइ कागणि", मोगली य तह अक्कबोंदी य॥५॥ जे यावण्णे तहप्पगारा । से तं वल्लीओ। ४१. से किं तं पव्वगा? पव्वगा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा इवखू य इक्खुवाडी, वीरण तह एक्कडे भमासे य । संबे सरे य वेत्ते, तिमिरे सतपोरग णले य ।।१।। वंसे वेल कणए, 'कंकावंसे य चाववंसे" य।। 'उदए कुडए विमए, कंडावेल य" कल्लाणे ॥२।। जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं पव्वगा। ४२. से किं तं तणा ? तणा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा सेडिय "भत्तिय होत्तिय", डब्भकुसे पव्वए य पोडइला"। अज्जुण असाढए" रोहियंसे सूय 'वेय खीर भसे ॥२॥ एरंडे कुरुविदे", करकर" सुंठे तहा विभंगू य । महरतण थुरय सिप्पिय, बोधव्वे सुंकलितणा य॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा । से त्तं तणा। ४३. से किं तं वलया? वलया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा--- ताल तमाले तक्कलि, तेय लि" साले“य सारकल्लाणे । सरले जावति केयइ", कंदलि तह धम्मरुक्खें" य ॥१॥ भुयरुक्ख हिंगुरुवखे, लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे । पूयफली खज्जूरी, बोधव्वा नालिएरी य ॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं वलया। १. गोवाली (क,ख,पु)। १०. पोदइल (भ० २१।१६)। २. सामावल्ली (क)। ११. आसाढए (क)। ३. दहिफोल्लई कागल्लि (क); दधिफोल्लइ- १२. वखीर (२१।१६) । __ काकलि (भ० २२१६)। १३. तुसे (पु)। ४. वीरुणा (क)। १४. कुरुकुद (भ०२ ५. सुठे (क, घ)। १५. करके (ख); कक्खड (पु)। ६. कक्कावंस चारुवंस (भ० २११२७) । १६. बुरय (क); छुरय (क,ग,घ); लुणय (पु)। ७. दंडा कुडा विमा कंडा वेलुया (भ० २१:१७)। १७. तेयाली (क,घ)। ८. भंतिय होतिय (क); भंतिय कोंतिय (भ० १५. सालिया (क,ख,ग,घ)। २१११६)। १६. केवइ (क)। ६. दम्भ (क) २०. चम्मरुक्ख (भ० २२३१)। Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहमं पण्णवणापयं ४४. से किं तं हरिया ? हरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-- अब्भोरुह वोडाणे', हरितग तंदुलेज्जग तणे य । वत्थुल पोरग' मज्जार, पाइ बिल्ली य पालक्का ॥१॥ दगपिप्पली य दव्वी, सोत्थिय-साए तहेव मंडुक्की। मूलग सरिसव अंविलसाए य जियंतए चेव ।।२।। तुलसी कण्ह उराले, फणिज्जए अज्जए' य भूयणए । चोरग दमणग" मरुयग, सयपुरिफदीवरे' य तहा ।।३।। जे यावणे तहप्पगारा। से तं हरिया | ४५. से किं तं ओसहीओ ? ओसहीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा साली वीही गोधूम-जवा", जवजवा कल-मसूर-तिल-मुग्गा । मास-निप्फाव-कुलत्थ आलिसंद"-सतीण-पलिमंथा ॥१॥ अयसी-कुसुभ-कोद्दव कंगू रालग-वरसामग"-कोदूसा ! सण-सरिसव-मूलग-वीय-जे यावण्णा तहप्पगारा ॥२॥ से तं ओसहीओ।। ४६. से किं तं जलरुहा ? जलरुहा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-उदए अवए पणए सेवाले कलंबुया हढे कसेरुया 'कच्छा भाणी उप्पले पउमे कुमुदे नलिणे सुभए सुगंधिए पोंडरीए महापोंडरीए सयपत्ते५ सहस्सपत्ते कल्हारे कोकणदे अरविंदे तामरसे भिसे भिसरणाले पोक्खले पोक्खलस्थिभए"। जे यावण्णे तहप्पगारा। से त्तं जलरुहा ।। ४७. से किं तं कुहणा? कुहणा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहाआए काए कुहणे कुणक्के" दव्वहलिया“ सप्काए सज्जाए छत्ताए" 'वंसी पहिया कुरए। जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं कुहणा। णाणाविहसंठाणा, रुक्खाणं एगजीविया पत्ता। खंधो वि एगजीवो, ताल-सरल-नालिएरीणं ॥१॥ १. अज्झोरुह (ख); अज्जोरुह (क, पु), १०. x (ग, पू)। __ अब्भरुह (भ० २१।२०)। ११. अलिसंद (ख, पु)। २. वोयाण (भ० २१।२०) । १२. पलिमंथग (क, घ)। ३. पारग (पु)! १३. वेरासामा (क); सामा (घ)। ४. चिल्ला (ख); चिली (ग); विलीया १४. कच्छताणी (घ)। १५. °वत्ते (घ)। ५. अज्जुणे (ख)। १६. थिभुए (घ)। ६. भुयगणए (ग)। १७. कुंदुरुक्क (भ० २३।४) । ७. वोरग (ग)। १८. उब्वेहलिया (भ० २३१४) । ८. मदणग (ख)। १६. सेत्ताए (ख, घ); सित्ताए (पु)। ६. सयपुष्पि (घ)। २०. वंसाणिय (भ० २३।४) । Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ से त्तं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया' | जह सगलसरिसवाणं, सिलेस मिस्साण वट्टिया वट्टी । पत्तेयसरीराणं, तह होंति सरीरसंघाया ॥२॥ जहवा तिलपप्पडिया, बहुएहि तिलेहि संहिता संती । पत्तेयसरीराणं तह होंति सरीरसंघाया ||३॥ ४८. से किं तं साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया ? साहारणसरीरबादरवणस्सइ काइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा - पणगं अवए पणए सेवाले, 'लोहि णीहू त्थिहू त्थिभगा" । अण्णी' सीहकण्णी, सिउंढि तत्तो मुसुंढी व ॥१॥ रुरु कंडुरिया ́ जारू, छीरविराली तहेव किट्टीया' । हलिद्दा सिंगबेरे य, आलुगा मूलए इ य || २ || कंबू' य कण्हकडबू, 'महु-पोवलई" तहेव महुसिंगी । णिरुहा' सप्पसुगंधा, छिण्णरुहा चेव बीयरुहा ॥३॥ पाढा मियवालुंकी, महुररसा चेव रायवल्ली य । पउमा य 'माढरी दंती", चंडी किट्टि त्ति यावरा ||४|| मासपण्णी मुग्गपण्णी, 'जीविय रसभेय रेणुया" चेव । काओली खीरकाओली, तहा" भंगी नही इ य ॥५॥ किमिरासी" भद्दमुत्था, मंगलई पेलुगा " इय । किन्हे पउले यहढे, हरतणुया" चेव लोयाणी" ॥६॥ कण्हे कंदे वज्जे, सूरणकंदे तहेव खल्लूडे । एए अनंतजीवा, जे यावणे तहाविहा ||७|| तणमूल कंदमूले, वंसमूले" ति यावरे । संखेज्जमसंखेज्जा, बोधव्वाणंतजीवा य ॥८॥ १. वणप्फइ (क, घ, पु) 1 २. लोहिणी विहु विभुगा ( क ) ; लोहिणी मिहू" (ख, पु); लोहिणी निहू (घ ) । ३. अस्स' (क,घ) ४. कुणुरिया ( क ) ; कुंदुरिया (ग); कुंदरीया ११. तथा ( क ) | (घ); कंडरीय ( भ० २३|१) । ५. किट्टिय ( ख ) किट्टिया ( ग ) ; (घ) किट्ठि ( भ० २३३१) | ६. कुंदु ( भ० २३/१ ) ; कंवूया (घ ) । ७. महुओ वलई (पु) ; मधु-पुलयइ ( भ० २३०१ ) पण्णवणासुतं ८. विरुहा (घ) 1 ६. माढसदंती ( ग ) : मोढरिदंति ( भ० २३|१) । १०. जीवग- सरिसव करेण्य ( भ० २३८); रसिकेय" (क)। १२. विमिरासि (क, ध, पु) 1 किट्टीय १३. पलुगा (पु); पग्रुय ( भ० २३1८) | १४. हरेण्या ( भ० २३८ ) | १५. लोहीण ( भ० २३१८ ) | १६. वसीमूले ( क ) 1 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं सिंघाडगस्स गुच्छो, अणेगजीवो उ होति नायव्वो। पत्ता पत्तेयजिया, दोण्णि य जीवा फले भणिता ॥६॥ अणंतजीवलक्षणं जस्स मूलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए। अणंतजीवे उ से मूले, जे यावण्णे तहाविहा ॥१०॥ जस्स कंदस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए। अणंतजीवे उ से कंदे, जे यावण्णे तहाविहा ।।११।। जस्स खंधस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए । अणंतजीवे उ से खंधे, जे यावण्णे तहाविहा ॥१२।। जीसे तयाए भग्गाए, समो भंगो पदीसए । अणंतजीवा तया सा उ, जा यावण्णा तहाविहा ।।१३।। जस्स सालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसई । अणंतजीवे उ से साले, जे यावण्णे तहाविहा ।।१४।। जस्स पवालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसई । अणंतजीवे पवाले से, जे यावण्णे तहाविहा ॥१५॥ जस्स पत्तस्स' भग्गस्स, समो भंगो पदीसई। अणंतजीवे उ से पत्ते, जे यावण्णे तहाविहा ॥१६॥ जस्स पुप्फस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसई। अणंतजीवे उ से पुप्फे, जे यावण्णे तहाविहा ।।१७।। जस्स फलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसती। अणंतजीवे फले से उ, जे यावण्णे तहाविहा ॥१८॥ जस्स बीयस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसई । अणंतजीवे उ से बीए, जे यावण्णे तहा विहा ।।१६।। पत्तेयसरीरजीवलक्षणं जस्स मूलस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवे उ से मूले, जे यावण्णे तहाविहा ॥२०॥ जस्स कंदस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवे उ से कंदे, जे यावण्णे तहाविहा ॥२१॥ जस्स खंधस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवे उ से खंधे, जे यावण्णे तहाविहा ॥२२॥ जीसे तयाए भग्गाए, हीरो भंगे पदीसई । परित्तजीवा तया सा उ, जा यावण्णा तहाविहा ॥२३॥ जस्स सालस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसती। परित्तजीवे उ से साले, जे यावणे तहाविहा ॥२४॥ १. य दीसए (ख,ग,घ) सर्वत्र । ३. पण्णस्स (घ)। २. य दीसई (घ)। ४. भंगो (क) सर्वत्र । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० जस्स पवालस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे पवाले उ, जे यावण्णे तहाविहा ||२५|| जस्स पत्तस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उसे पत्ते, जे यावष्णे तहाविहा ||२६|| जस्स पुप्फस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उसे पुष्फे, जे यावण्णे तहाविहा |२७|| जस्स फलस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे फले से उ, जे यावण्णे तहाविहा ||२८|| जस्स वीयस्स भग्गस्स, हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उसे बीए, जे यावण्णे तहाविहा ॥२६॥ छल्ली - अनंतजीवलक्खणं जस्स मूलस्स कट्ठाओ, छल्ली बहलतरी' भवे । अनंतजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३०|| जस्स कंदस्स कट्ठाओ, छल्ली वहलतरी भवे । अनंतजीवा उसा छल्ली, जा यावण्णा तहाविहा ||३१|| जस्स खंधस्स कट्टाओ, छल्ली बहलतरी भवे । अनंतजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३२|| जीसे सालाए कट्ठाओ, छल्ली बहलतरी भवे । अनंतजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३३|| छल्ली - पत्तेयसरीरजीवलक्खणं जस्स मूलस्स कट्ठाओ, छल्ली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उ सा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३४|| जस्स कंदस्स कट्ठाओ, छल्ली तणुयतरी भवे ! परित्तजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३५|| जस्स खंधस्स कट्ठाओ, छल्ली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३६|| जीसे सालाए कट्ठाओ. छल्ली तणुयतरी भवे । परितजीवा उसा छल्ली जा यावण्णा तहाविहा ||३७|| अनंतजीवलक्खणं चक्कागं भज्जमाणस्स, गंठी चुष्णघणो भवे । पुढवीसरिसभेदेण' अनंतजीवं वियाणाहि ||३८|| गूढ छिरागं पत्तं सच्छीरं जं च होति णिच्छीरं । जंपिय पणट्ठसंधि, अनंतजीवं वियाणाहि ॥ ३६॥ २. पुढवि क,ख,ग ) । १. बहुलतरी (क) सर्वत्र । पण्णवणासुतं Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं पइण्णगं पुप्फा' जलया थलया य, वेंटबद्धा य णालबद्धा य । संखेज्जमसंखेज्जा, बोधव्वाणंतजीवा य ॥४०॥ जे केइ नालियावद्धा, पुप्फा संखेज्जजीविया भणिता । णिहुया अणंतजीवा, जे यावण्णे तहाविहा ।।४१॥ 'पउमुप्पलिणीकंदे, अंतरकंदे" तहेव झिल्ली य । एते अणंतजीवा, एगो जीवो भिस-मुणाले ॥४२॥ 'पलंडू-ल्हसणकंदे" य, कंदली य कुडुंवए। एए परित्तजीवा, जे यावण्णे तहाविहा ॥४३॥ पउमुप्पल-नालणाण, सुभग-सोगंधियाण य । अरविंद-कोकणदाणं', 'सतवत्त-सहस्सवत्ताण ॥४४॥ वेंट वाहिरपत्ता य, कणिया चेव एगजीवस्स । अभितरगा पता, पत्तेयं केसरा" मिजा ॥४५॥ वेणु णल इक्खुवाडिय, 'भमास इखू" य इक्क डेरंडे । करकर सुंठ विहंगु" तणाण तह पव्वगाणं च ॥४६॥ अच्छि पव्वं बलिमोडओ" य एगस्स होति जीवस्स । पत्तेयं पत्ताई, पुप्फाइं अणेगजीवाई ।।४७।। पूरसफल कालिग, तब तउसेलवालु वालुक। घोसाडयं पडोलं, तिंदूयं चेव तेंदूसं ॥४॥ 'विटं भस'"-कडाहं, एयाई होति" एगजीवस्स । पत्तेयं पत्ताई, सकेसरमकेसरं मिजा ॥४६॥ १. पुष्पा (घ)। ६. 'पत्त 'पत्ता (क)। २. 'कदेऽणंत रकंदे (ख); कंदे अजंतरकदे (ग,घ)। ७. केसरं (क) । ३. 'ल्हसू (क)। उत्तगध्ययने पलाण्ड-लशुनकंदे ८. समा इक्खू (ख); समास इक्खू (ग); न अनंतजीवत्वेन निरूपिते स्त: समासइक्खू (घ); मसमा सइक्खू (यु); साहारणसरीरा उ, गहा ते पकित्तिया । लिपिदोषेण अस्य पदस्य अनेकरूपत्वं जातम्, आलुए मूलए चेव सिंगबेरे तहेव य ।। किन्तु पर्वजवनस्पतिसूत्रे (१२४१) 'भमास' हिरिली सिरिली सिस्सिरिली जावई केदकंदली। इति पदं विद्यते । अत्रापि तदेव युक्तम् । पलंदूलसणकंदे य, कंदली य कुटुंबए ।। ६. सुबि (क,ख); सुठि (ग,घ) । (उत्त० ३६।९६,६७)। १०. विहुंगं (ख); विहुंगुं (ग,घ,पु) । जीवाजीवाभिगमे (११७३) पि एवमेव दृश्यते। ११. पलि (क,घ)। ४. कसुंबए (क); कुडंबए (घ); कुसुंबए (पु); १२. घोसालयं (क,घ)। कुस्तुम्बकः (म) । १३. खिह वढमंस (ख); विट समंस (पु); विटं ५. कुकुणाणं (क); कोकणाणं (ग,पु); कोंकणाणं समंस (मव); विटं गिरं (हव)। १४. वंति (क,घ)। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ सफाए ' सज्जाए, उव्वेहलिया य कुहण कंदुक्के । एए अनंतजीवा, कंडुक्के' होति भयणा उ ॥ ५० 'बीए जोणिग्भूए", जीवो वक्कमइ सो व अण्णो वा । जो विय मूले जीवो, सो वि य पत्ते पढमताए ॥५१॥ सव्वो वि किसलओ खलु, उग्गममाणो अनंतओ भणिओ । सो चैव विवढतो, होइ परितो अणतो वा ॥ ५२ ॥ साहारणसरीरलक्खणं जीवयमाणं समयं वक्कताणं, समयं तेसि सरीरनिव्वत्ती । समयं आणुग्गहणं, समयं ऊसास- नीसासे ॥५३॥ एक्कस्स उ जं गहणं, बहूण साहारणाण तं चैव जं वहुयाणं गहणं, समासओ तं पि एगस्स ॥५४॥ साहारणमाहारो, साहारणमाणुपाणगहणं च । साहा रणजीवाणं, साहारणलक्खणं एयं ॥ ५५॥ जह अयगोलो धंतो, जाओ तत्ततवणिज्जसंकासो । सव्वी अगणिपरिणतो, निगोयजीवे तहा जाण ॥ ५६ ॥ एगस्स दोन्ह तिन्ह व संखेज्जाण व न पासिउं सक्का । दीसंति सरीराई, णिगोयजीवाणऽणंताणं ॥५७॥ लोगागासपएसे, णिगोयजीव ठवेहि एक्केवकं । एवं मवेज्ज माणा, हवंति लोया अणंता उ ॥ ५८ ॥ लोगागासपएसे, परितजीवं ठवेहि एक्केक्कं । एवं मविज्जमाणा, हवंति लोया असंखेज्जा ॥५६॥ पत्तेया पज्जत्ता, पयरस्स असंखभागमेत्ता उ । लोगासंखापज्जत्तगाण साहारणमणंता ॥६०॥ जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता । तत्थ णं जेते पज्जत्तगा तेसिं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेज्जाई जोणिप्पमुहसयसहस्साई । पज्जत्तगणिस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति- जत्थ एगो तत्थ सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जासिय अनंता । एएसि णं इमाओ गाहाओ अणुगंतव्वाओ, तं कंदा य कंदमूला य, रुक्खमूला इ यावरे । गुच्छाय गुम्म वल्ली य, वेलुयाणि तणाणि य ॥ ६१ ॥ 'जहा- १. सप्पासे ( ख, ग ) २. कुंडके ( क ); कंदुक्के ३. कंदुक्के (क); कुदुक्के ४. जोभिए बीए (ख, घ, पु) । ५. णिओय (क, घ ) | ६. साहारणमणंता । (घ ) । t पण्णवणासुतं एएहिं सरीरेहि, पच्चक्खं ते परूविया जीवा । सुहमा आणागेज्झा, चक्खुप्फासं न ते एंति ॥ ( कख, ग, घ ) ; अमौ गाथा वृत्तिकृद्भ्यां नास्ति व्याख्याता । ७. गच्छा (क) । Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापर्य पउमुप्पल संघाडे', हढे य सेवाल 'किण्हए पणए । अवए कच्छ भाणी' कंडक्केक्कूणवीसइमे ॥६२।। तय-छल्लि-पवालेसु य, पत्त-पुप्फ-फलेसु य। मूलग्ग-मज्झ-वीएसु, जोणी कस्स य कित्तिया ? ॥६३।। से तं साहारणसरीरवादरवणस्सइकाइया। से त्तं वादरवणस्सइकाइया। से तं वणस्सइकाइया । से तं एगिदिया। बेइंदियजीव-पदं ४६. से किं तं बंदिया ? [से किं तं बेइंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा ? ] बेंदिया [बेइंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा]' अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुला-किमिया कुच्छि-किमिया गंड्यलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा सूईमुहा गोजलोया जलोया जलोउया संखा संखणगा 'घल्ला खुल्ला" वराडा सोत्तिया मोतिया कलुया वासा एगओवत्ता दुहओवत्ता णंदियावत्ता संवक्का माईवाहा सिप्पिसंपुडा चंदणा समुद्दलिक्खा, जे यावण्णे तहप्पगारा । सव्वेते सम्मुच्छिमा नपुंसगा । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहापज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । एएसि णं एवमादियाणं बेइंदियाण पज्जत्तापज्जत्ताणं सत्त जाइकुलकोडिजोणीपमुहमतसहस्सा भवंतीति मक्खातं" । से तं बेइंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवण्णा ।। तेइंदियजीव-पदं ५०. से किं तं तेंदियसंसारसमावण्ण जीवपण्णवणा" ? तेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा अणेगविहा पणत्ता, तं जहा--ओवइया रोहिणीया कुंथू पिपीलिया उसगा उद्देहिया उक्कलिया उप्पाया" उपकडा" उप्पाडा तणाहारा कट्ठाहारा" मालुया पत्ताहारा तणविटिया" पुष्फविटिया फल विटिया वीयविटिया तेदुरणमज्जिया" तउसमिजिया कप्पास द्वि १. सिंघाडे (क)। (घ)। हरिभद्र कृतप्रदेशव्याख्यायां खुल्ला २. कृष्णकावकपनक (मवृ)। खुदा वराडा' इति पाठानुसारेण व्याख्यात३. ताणी (ख,ध)। मस्ति । ४. गूण (क,घ)। है. ते सर्वे द्वीन्द्रिया ज्ञातव्याः (म)। ५. बेइंदिया (क,ख,घ)। १०. मकारोऽलाक्षणिकः (मव)। ६. कोष्ठकतिपाठद्वयं आदर्शेष नोपलभ्यते, वृत्ता- ११. तेइंदिय" (क,ग,ध)। वपि नास्ति व्याख्यातम् तथापि एकेन्द्रियसूत्रे १२. वप्पाया (क,घ)। जीन्द्रियादिसूत्रे च एतादशी एवं रचनाशैली १३. ४ (क,ख,ग,घ)। दश्यते । अवापि तथैव अपेक्षितास्ति । १४. कट्ठहारा (घ)। ७. जालाउया (घ)। जीवाजीवाभिगमस्य वृत्तौ १५. सणवेटिया (ख)! द्वीन्द्रियादीनां प्रकारेषु महान् पाठभेदो विद्यते। १६. तेभुरणमिजिया (क, ग); तेतरुण' (ख); स च यथा स्थानमवलोकनीयः। तेश्रुणु (ध)। ८. घेल्ला फुल्ला गुलया (क,ग); घेला पुल्ला १७. तेउसिमिजिया (क); तेउसमज्जिया (ख); गुलया (ख); धुल्ला खुल्ला गुलया खुल्ली तेओसमिजिया (ग); तेउ (घ)। Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ पण्णवणासुतं समिजिया हिल्लिया झिल्लिया झिगिरा झिगिरिडा' पाहुया सुभगा सोवच्छिया सुविटा इंदिकाइया इंदगोवया उरुहुँचगा' कोत्थलवाहगा' जूया हालाहला पिसुया' सतवाइया गोम्ही हथिसोंडा, जे यावणे तहप्पगारा! सव्वेते सम्मुच्छिमा नपुंसगा। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । एएसि णं एवमाइयाणं तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं अट्ठ जातिकुलकोडिजोणिप्पमुहसतसहस्सा भवंतीति मक्खायं । से तं तेंदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा॥ चरिदियजीव-पदं ५१.से कि तं चरिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा? चरिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा अणेग विहा पण्णता, तं जहा अंधिय पोत्तिय मच्छिय, 'मसगा कीडे"" तहा पयंगे य। ढिकण कक्कड कक्कड़, णंदावते य सिगिरिडे ॥१॥ किण्हपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हलिहपत्ता सुविकलपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा 'ओभंजलिया जलचारिया" गंभीरा णीणिया" तंतवा अच्छिरोडा अच्छिवेहा सारंगा णेउरा" दोला भमरा भरिली" जरुला तोट्टा ६ विच्छता" पत्तविच्छया छाणविच्छ्या जल विच्छ्या पियंगाला कणगा“ गोमयकीडगा, जे यावण्ण तहप्पगारा। सव्वेते सम्मच्छिमा नपुंसगा। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। एतेसि णं एवमाइयाणं चउरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं णव जातिकुलकोडिजोणिप्पमहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं । से तं चउरिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा ।। पंचिदियजीव-पदं ५२. से कि तं पंचिंदियसंसारसमावण्णजोवपण्णवणा ? पंचिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा चउव्विहा पण्णत्ता, त जहा–नेरइयपंचिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा तिरिक्खजोणियपंचिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा, मणुस्सपंचिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा देवपंचिदियसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा।। १. भिगिरा (क); भिगोरिया (ख); भिगोरा १०. मगसिरलाडे (ख); मगमिगकोडे (क, पु); मगसिरकोडे (घ)। २. किंगरिडा (ख); सिगिरिडा (घ); किंगिरिडा ११. ढंकुण (क,ग,घ); टिंकण (ख) । (पु)। १२. ओहंज (क); ओहिंजलिया जलकारी य ३. पहुया लहुया (घ)। (उत्त० ३६३१४८) । ४. इंदकाइया (उत्तरा० ३६।१३८)। १३. गणिया (घ)। ५. उरुतुंभुगा (क,ध); उरुतुंबगा (ख); गुरु- १४. णेउला (पु)। तुंभुगा (ग)। १५. भमरिली (ख)। ६. ४ (ख)। १६. तोट्टा (क,ख,घ) । ७. पिंसुया (ग)। १७. विन्वुता (घ)। ८. सम्मुच्छिम (ख,ग,घ)। १८. कणभा (क)। ६. त्तिय (पु)। Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पदमं पण्णवणापर्य २५ नेरइयजीव-पदं ५३. से कि तं नेरइया ? नेरइया सत्तविहा पणत्ता, तं जहा-रयणप्पभापुढविनेरइया, सक्करप्पभापुढविनेरइया, वालुयप्पभापुढविनेरइया, पंकप्पभापुढविनेरइया, धूमप्पभापुढविनेरइया, तमप्पभापुढविनेरइया, तमतमप्पभापुढविनेरइया। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं नेरइया ॥ तिरिक्खजोणियजीव-पदं ५४. से किं तं पंचिदियतिरिक्खजोणिया? पंचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा---जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया, थलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया, खयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया ।। ५५ से कि तं जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिया ? जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-मच्छा, कच्छभा', गाहा, मगरा, सुंसुमारा' । ५६. से कि तं मच्छा ? मच्छा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा–सण्हमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झिडियमच्छा" हलिमच्छा' मग्गरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरा तिमी तिमिगिला' णक्का तंदलमच्छा कणिक्कामच्छा सालिसच्छियामच्छा लंभणमच्छा पडागा पडागातिपडागा । जे यावण्णे तहप्पगारा । से तं मच्छा । ५७. से किं तं कच्छभा ? कच्छभा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अट्टिकच्छभा य मंसकच्छभा य । से तं कच्छभा ॥ ५८. से कि तं गाहा ? गाहा पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-दिली वेढला मुद्धया" पुलगा सीमागारा। से तं गाहा ।। ५६. से कि तं मगरा ? मगरा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सोंडमगरा य मट्ठमगरा य । से तं मगरा ६०. से कि तं सुसुमारा ? सुसुमारा एगागारा पण्णत्ता । से तं सुसुमारा। 'जे यावण्णे तहप्पगारा" ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा सम्मु च्छिमा य गब्भवक्कंतिया य । तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा । तत्थ गं जेते गब्भवक्कतिया ते तिविहा पण्णत्ता तं जहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा। एतेसि णं एवमाइयाणं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं अद्धतेरस जाइकुलकोडिजोणिप्पमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं । से तं जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया ।। १. तमतमापुढवि (ख,घ)। २. कच्छहा (क,ख,ध,पु)। ३. शिशुमारा: प्राकृतत्वात् सूत्रे 'सुसुमारा' इति पाठः (म)। ४. खतमच्छा (ख)। ५. चिकभडिय° (ख); विभिडिय° (घ) । ६. हालिद्दमच्छा (ख) ७. मगरिमच्छा (क); मगरीमच्छा (ख) । ८. वडगरा कूयागारा (ग)। ९ तिमंगिला (घ)। १०. मुद्धया (क); सुद्धया (ख,ग,घ) । ११. चिन्हाछितं वाक्यं पूर्वसूत्रेषु उत्तरसूत्रेष्वपि च निगमनवाक्यात पूर्व वर्तते । Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं ६१. से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिवखजोणिया ? थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य॥ ६२. से कि तं च उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउविवहा पण्णत्ता, तं जहा-एगखुरा दुखुरा' गंडीपदा सणप्फदा ।। ६३. से किं तं एगखुरा ? एगखरा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दभा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा आवत्ता । जे यावण्णे तहप्पगारा । से तं एगखुरा !! ६४. से किं तं दुखुरा ? दुखुरा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा—उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसया महिसा मिया संवरा वराहा अय-एलग-रुरु-सरभ-चमर-कुरंग-गोकाण्णमादी। 'जे यावण्णे तहप्पगारा" 1 से तं दुखुरा ।। ६५. से कि तं गंडीपया ? गंडीपया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-हत्थी पूयणया' मंकृणहत्थी खग्गा गंडा । जे यावण्ण तहप्पगारा। से तं गंडीपया ।। ६६. से किं तं सणप्फदा ? सणप्फदा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा -सीहा वग्घा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा सियाला विडाला सुणगा कोलसूणगा कोकेतिया ससगा चित्तगा चित्तल मा । जे यावण्णे तहप्पगारा । सेत्तं सणप्फदा । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–सम्मच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य । तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे णसगा। तत्थ गंजेते गब्भवतिया ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-इत्थी परिसा णपंसगा। एतेसि णं एवमादियाणं थलयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं दस जाइकुलकोडिजोणिप्पमूहसयसहस्सा हवंतीति मक्खातं । से तं च उपयथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणिया ॥ ६७. से कि तं परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणिया ? परिस पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य ॥ ६८. से किं तं उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? उरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया चउन्विहा पण्णता, तं जहा-अही अयगरा आसालिया महोरगा ।। ६६. मे कि तं अही? अही दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-दव्वीकरा य मउलिणो य ।। ७०. से किं तं दव्वीकरा ? दव्वीकरा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-आसी विसा दिट्ठीविसा उग्गविसा भोगविसा तयाविसा लालाविसा उस्सासविसा निस्सासविसा कण्हसप्पा सेदसप्पा काओदरा दब्भपुष्फा कोलाहा मेलिमिदा । जे यावण्णे तहप्पगारा। १. विखुरा (क,घ)। ५. चिल्ललगा (क); विल्ललगा (घ)। २. x (क,ख,घ,पु) । ६. लालविस्सा (ग)। ३. हत्यिपूयणया (क,ग,घ); पुयलया (ख) ! ७. दज्भपुष्फा (ग)। ४. अरच्छा (घ)। ८. सेलिसिंदा (ख)। Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पुग्णवणापर्य २७ से त्तं दव्वीकरा॥ ७१. से किं तं मउलिणो ? मउलिणो अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-दिव्वा' गोणसा कसाहिया वइउला चित्तलिणो मंडलिणो मालिणो अही अहिसलागा पडागा' । जे यावण्णे तहप्पगारा । से तं मउलिणो । से तं अही ।। ७२. से किं तं अयगरा? अयगरा एगागारा पण्णत्ता, से तं अयगरा।। ७३. 'से कि तं आसालिया ? आसालिया एगागारा पण्णत्ता ! ७४. कहि णं भंते ! आसालिया सम्मुच्छति" ? गोयमा ! अंतोमणुस्सखित्ते अड्ढाइज्जेसु दीवेसु, निव्वाधाएणं पण्णरससु कम्मभूमीसु, वाघातं पडुच्च पंचसु महाविदेहेसु, चक्कवट्टिखंधावारेसु वासुदेवखंधावारेसु वलदेवखंधावारेसु मंडलियखंधावारेसु महामंडलियखंधावारेसु गामनिवेसेसू नगरनिवेसेसू निगमणिवेसेसु खेडनिवेसेसु कब्वडनिवेसेसु मडंबनिवेसेसु दोण मुहनिवेसेसु पट्टण निवेसेसु आगरनिवेसेसु आसमनिवेसेसु संवाहनिवेसेसु रायहाणीनिवेसेसु एतेसि णं चेव विणासेसु एत्थ णं आसालिया सम्मुच्छति, जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेतीए ओगाहणाए उक्कोसेणं वारसजोयणाई, तयणुरूवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं भुमि दालित्ताणं समुद्रुति अस्सण्णी मिच्छद्दिट्ठी अण्णाणी अंतोमुहत्तद्धाउया चेव कालं करेइ। से तं आसालिया। ७५ से कि तं महोरगा ? महोरगा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा–अत्थेगइया अंगुलं पि अंगलपुहत्तिया वि वियत्थि पि वियत्थिपुहत्तिया वि रयणि पि रयणिपुहत्तिया वि कुच्छि पि कुच्छिपुहत्तिया वि धणुं पि धणुपुहत्तिया वि गाउयं पि गाउयपुहत्तिया वि जोयणं पि जोयणपुहत्तिया वि जोयणसतं पि जोयणसतपुहत्तिया वि जोयणसहस्सं पि । ते णं थले जाता जले वि चरंति थले वि चरंति। ते णस्थि इहं, वाहिरएसु दीव-समुद्दएसु हवंति । जे यावण्णे तहप्पगारा। से तं महोरगा। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--- १. दिव्वागा (क ग,घ)। यदेव ग्रन्थान्तरेषु आसालिगाप्रतिपादक २. कसाहीया (क,घ,पु)! गौतमप्रश्नभगवनिर्वचन रूपं सूत्रमस्ति ३. वासपडागा (ग)। तदेवागमबहुमानत: पठति---'कहि णं भंते ४. से कि तं आसालिया? कहि णं भंते ! इत्यादि (म)। आसालिया सम्मुच्छति ? (क,ग,घ,पु); 'ख' ५. मलयगिरिवृत्ती 'चक्क वट्टिखंधावारेसु' इत्यत प्रति मुक्त्वा अन्येषु आदर्शेषु मलयगिरिवृता- आरभ्य 'रायहाणीनिवेसेसु' इत्यन्तानां पदावपि एप पाठः अपूर्णो दृश्यते । जीवाजीवा- नामनन्तर 'वा' शब्दो व्याख्यातोस्ति–वा भिगमस्य तृतीयप्रतिपत्ती, २१३ सूत्रे शब्द: सर्वत्रापि विकल्पार्थो द्रष्टव्यः । सम्मूच्छिममनुष्याणां एकाकारत्वं प्रतिपादित- ६. मलयगिरिवृत्तौ एतत्पदं नास्ति व्याख्यातम् । मस्ति, तेन 'ख' प्रतिगतपाठस्थ पुष्टिर्जायते । ७. तदेव ग्रन्थान्तरगतं सूत्रं पठित्वा सूत्रकृद् द्रष्टव्यमस्यैव पदस्य ८३ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । उपसंहारमाह-- से तं आसालिया' (म)। मलयगिरिणा एवं विवतमस्ति----से कि तं ८. जोयणसहस्सिया (क,ग)। आसालिया' अथ का सा आसालिया? एवं . चरंति जले जाता जले विचरंति (ख,ग) । शिष्येण प्रश्ने कृते सति भगवान आर्यश्यामो Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं सम्मुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य । तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा । तत्थ णं जेते गब्भवक्कंतिया ते णं तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-इत्थी पुरिसा नसगा। एएसि णं एवमाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताण उरपरिसप्पाणं दस जाइकुलकोडीजोणिप्पमहसतसहस्सा हवंतीति मक्खातं । से तं उरपरिसप्पा ॥ ७६. से किं तं भुयपरिसप्पा ? भुयपरिसप्पा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-णउला गोहा सेहा सरडा सल्ला सरंडा' सारा घरोइला विस्संभरा मूसा मंगुसा पयलाइया छीरविरा लिया जाहा च उप्पाइया । जे यावऽण्णे तहप्पगारा। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- सम्मुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य । तत्थ णं जेते सम्मच्छिमा ते सव्वे णपुंसगा। तत्थ णं जेते गब्भवतिया ते णं तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-इत्थी परिसा नपुंसगा। एतेसि णं एवमाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं भुयपरिसप्पाणं णव जाइकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा हवंतीति मक्खायं। से तं भयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया। से तं परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ।। ७७. से किं तं खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–चम्मपक्खी लोमपवखी समुग्गपक्खी विततपक्खी ।। ७८. से कि तं चम्मपक्खी ? चम्मपक्खी अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-वरंगुली जलोया अडिला भारंडपक्खी जीवंजीवा समुद्दवायसा कण्णत्तिया पक्खिविराली, जे यावण्णे तहप्पगारा । से तं चम्मपक्खी ।। ७६. से किं तं लोमपक्खी ? लोमपक्खी अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-ढंका कंका कुरला वायसा चक्कागा' हंसा कलहंसा पायहंसा रायहंसा अडा सेडी बगा बलागा पारिप्पवा कोंचा सारसा मेसरा मसूरा मयूरा सतवच्छा गहरा पोंडरीया कागा कामंजुगा' वंजुलगा तित्तिरा वट्टगा लावगा कवोया कविजला पारेवया चिडगा चासा कुक्कुडा सुगा वरहिणा 'मदणसलागा कोइला" सेहा वरेल्लगमादी। से तं लोमपक्खी ।। __ ८०. से किं तं समुग्गपक्खी ? समुग्गपक्खी एगागारा पण्णत्ता, ते णं णत्थि इहं, बाहिरएसु दोव-समुद्दएस भवंति । से तं समुग्गपक्खी । ५१. से किं तं विततपक्खी ? विततपक्खी एगागारा पण्णत्ता, ते णं नत्थि इहं, बाहिरएस दीव-समुद्दएसु भवति । से तं विततपक्खी । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सम्मुच्छिमा य गब्भवतिया य ! तत्थ णं जेते सम्मुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा। तत्थ णं जेते गब्भवक्कलिया ते णं तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा। १. ४ (क,ख,ग,घ) ५. अडिल्ला (क)। २. 'ग' संकेतितादर्श स्वीकृतपाठा लभ्यते । जीवा- ६. चक्कग (क,घ); चक्कवागा (ख)। जीवाभिगमे (२६) भुजपरिसर्पप्रकरणे ७. कामिजगा (क); कामिजुगा (घ) । 'सेधाओ' इति पाठो दृश्यते । ८. वट्टागा (क)। ३. सरंठा (क,ख,पु); सरठा (घ)। ६. मद्दणसलागा कोकिला (क); सद्दण (घ) । ४. मंगूसा (क); मुगुस (उवा० २।२१, पण्हा० १०. सामुग्ग (घ) । १८)। Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापयं २१ एएसि णं एवमाइयाणं खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं वारस जातिकुलकोडीजोणिप्पमुहसतसहस्सा' भवंतीति मक्खातं । संगहणी-गाहा सत्त? जातिकुलकोडिलक्ख' नव अद्धतेरसाइं च । दस दस य होंति णवगा, तह बारस चेव बोधव्वा ॥१॥ से तं खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया। से तं पंचेंदियतिरिक्खजोणिया! 'से तं तिरिक्खजोणिया" ८२. से किं तं मणुस्सा ? मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - समुच्छिममणुस्सा य गब्भवतियमणुस्सा य ।। ५३. 'से किं तं सम्मुच्छिममणुस्सा ? सम्मुच्छिममणुस्सा एगागारा पण्णत्ता ।। ८४. कहि णं भंते ! सम्मुच्छिममणुस्सा सम्मुच्छंति ? गोयमा ! अंतोमणुस्सखेत्ते पणतालीसाए जोयणसयसहस्सेसु अड्ढाइज्जेसु दीव-समुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छप्पण्णाए अंतरदीवएसु गम्भवक्कंतियमणुस्साणं चेव उच्चारेसु वा पासवणेसु वा खेलेसु वा सिंघाणेसु' वा वंतेसु वा पित्तेसु वा पूएसु वा सोणिएसु वा सुक्केसु वा सुक्कपोग्गलपरिसाडेसु वा विगतजीवकलेवरेसु वा थी-पुरिससंजोएसु वा [गामणिद्धमणेसु वा ?] णगरणिद्धमणेसु वा सव्वेसु चेव 'असुइएसु ठाणेसु", एत्थ णं सम्मुच्छिममणुस्सा सम्मुच्छंति । अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए ओगाहणाए असण्णी मिच्छद्दिट्ठी अण्णाणी' सव्वाहिं पज्जत्तीहिं अपज्जत्तगा अंतोमुहुत्ता उया चेव कालं करेंति । से तं सम्मुच्छिममणुस्सा ।। ८५. से किं तं गम्भवक्कंतियमणुस्सा ? गब्भवक्कंतियमणुस्सा तिविहा पण्णत्ता, तं १. जाती (क,घ,पु)। २. कोडि होति (क,ख,ग,घ)। ३. मलयगिरिवृत्तौ तदेवमुक्ता पञ्चेन्द्रियतर्यग्यो निका' इत्येव निगमनमस्ति । ४. से कि तं सम्मुच्छिममणुस्सा ? कहि पं भंते ! (क,ख,ग,ध,पु); एष पाठः अपूर्णोस्ति, लिपिदोषेण अन्येन केनापि कारणेण त्रुटितोभूत् । जीवाजीवाभिगमे तृतीयप्रतिपत्ती, २१३ सूत्रे अस्य पूर्णरूपं प्राप्यते--से कि तं सम्मुच्छिममणुस्सा? सम्मुच्छिममणुस्सा एगागारा पण्णत्ता'। एतस्यानन्तरं 'कहि णं भंते सम्मुच्छिममणुस्सा सम्मुच्छंति ?' इति सूत्रमस्ति । वृत्तिकृतापि आदर्शषु अपूर्णः पाठो लब्धः, तेन तत्र इति विवृतम्-अत्रापि समूच्छिममनुष्य विषये प्रवचनबहुमानतः शिष्याणामपि च साक्षाद् भगवतेदमुक्तमिति बहुमानोत्पादनार्थमङ्गान्तर्गतमालापकं पठति'कहि णं भंते' इत्यादि (मवृ)। ५. सिंघाणएसु (घ)। ६. नन्दीसूत्रस्य हारिभद्रीयवृत्तौ (पृ. ३३) मलयगिरिवृत्ती (पत्र १०१, १०२) च उद्धृते प्रज्ञापनायाः पाठे कोष्ठकान्तवत्ति पाठो लभ्यते । तत्र 'पूएसु' इति पदं नैव दृश्यते । जीवाजीवाभिगमस्य मलयगिरिवत्तावपि (पत्र ४५-४६) एष पाठ उद्धृतोस्ति, तत्र कोष्ठकान्तवत्तिपाठो नास्ति । पूरस' इति पदमपि च नास्ति । अनेन आदर्शगती वाचना भेदः सम्भाव्यते । ७. असुयठाणेसु (ग)। ८.४ (क,ख,घ,पु) । Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं जहा-कम्मभूमगा' अकम्मभूमगा' अंतरदीवगा। ___ ८६. से किं तं अंतरदीवया ? अंतरदीवया अट्ठावीसतिविहा पण्णत्ता, तं जहाएगोरुया आभासिया वेसाणिया णंगोली हयकण्णा गयकण्णा गोकण्णा सक्कुलिकण्णा" आयंसमुहा मेंढमुहा अयोमुहा गोमुहा आसमुहा हत्थिमुहा सीहमुहा बग्घमुहा आसकण्णा सीहकण्णा अकण्णा कण्णपाउरणा उक्कामुहा मेहमुहा विज्जुमुहा विज्जुदंता घणदंता लट्ठदंता गूढदंता सुद्धदंता। से तं अंतरदीवगा ॥ ८७. से किं तं अकम्मभूमगा? अकम्मभूमगा तीसति विहा पण्णत्ता, तं जहा-पंचहिं हेमवएहि, पंचहि हिरण्णवएहि, पंचहिं हरिवासेहि, पंचहि रम्मगवासेहि, पंचहिं देवकुरूहि, पंचहि उत्तरकुरूहि । से तं अकम्मभूमगा।। ८८. से किं तं कम्मभूमगा? कम्मभूमगा पण्णरस विहा पण्णत्ता, तं जहा-पंचर्हि भरहेहि, पंचहि एरवतेहि, पंचहि महाविदेहेहिं । ते समासतो दुविहा पण्णता, तं जहाआरिया" य मिलक्खू य ॥ मिलवखु-पदं ८६. से कि तं मिलक्ख ? मिलक्ख अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा सग" जवण चिलाय" सवर वब्वर काय मुरुंड उड्ड भडग णिण्णग पक्कणिय कुलक्ख गोड" सिंहल" १. कम्मभूमिगा (ख,ग)। विसयवासी य पावमतिणो। २. अकम्मभूमिगा (ख,ग)। 'ओवाइयं (७०) सूत्रे कुब्जाप्रकरणे देस३. एगोख्या (ख,ग,ध)। सम्बन्धीनि पदानि लभ्यन्ते, यथा-बहूहिं ४. आहा° (क,ध)। खुज्जाहिं चिलाईहिं वामणीहिं वडभीहिं ५. संकुलीकण्णा (ख)। बनरीहि पउसियाहि जोणियाहि पल्हवियाहिं ६. °कुराहिं (क); °कुरुहि (ध)। ईसिणियाहिं थारुइणियाहिं लासियाहि ७. आयरिया (क,ख,ग,घ)। लउसियाहिं सिंहलीहि दमिलीहिं आरबीहिं ८. पण्हावागरणाइं (१९२१) सूत्रे म्लेच्छजातिना- पुलिंदीहि पक्कणीहि बहलीहिं मरुंडीहिं मानि किञ्चित् संख्याभेदेन पाठभेदेन च प्रति- सबरीहिं पारसीहि जाणादेसीहि । पादितानि सन्ति ---कूरकम्मकारी इमे य बहवे . मिलक्खा (ग)। मिलक्खया कि ते ?-सक जवण सवर बब्बर १०. सगा (क,ग); सक्का (ख) । काय मुरुड उडु भडग निण्णम पक्काणिय ११. पाहावागरमाई (१।२१) सूत्रे एतत् पदं कूलक्ख गोड सोहल पारस कोंच अंध दविल नास्ति अस्निन्नेव सूत्रे चिलायविसयवासी' चिल्लल पुलिद आरोस डोंब पोक्कण गंधहारग एतत्पदं विद्यमानमस्ति तेनास्य पौनरुक्त्यमेव बहलीय जल्ल रोम माय बउस मलया य प्रतीयते। चुचुया य चूलिय कोंकणगा मेद पल्हव मालव १२. मुरुंडोड्ड (क,घ,पु); मुरंड (ग)। मगर आभासिया अणक्क चीण ल्हासिय खस १३. गोड (ग,घ,पु) । खासिय नेदर मरहठ मूट्रिय आरब डोंबिलग १४. सिहर (ख) । कुहण केकय हण रोमग रुरु मरुगा चिलाय Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापर्यं पारस 'गोध कोंच " दमिल चिल्लल पुलिंद हारोस' डोंब' वोक्काण गंधाहारग' वहलिय अज्जल रोम पास पउसा मलया य चुंचुया' य सूर्यालि कोंकणग मेय पल्हव मालव मग्गर "आभासिय णक्क" चीणा व्हसिय 'खस खासिय"" णेहर" मोंढ" डोंबिलग लउस वउस" केक्कया अरबागा हूण 'रोमग भरु मरुय" चिलायाविसयवासी" य एवमादी । से तं मिलक्खू ॥ आरिय-पदं ९०. से किं तं आरिया ? आरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - इड्डिपत्तारिया य अणिढिपत्तारिया य ॥ ६१. से कि तं इढिपत्तारिया ? इड्ढिपत्तारिया छव्विहा पण्णत्ता, तं जहाअरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहा से तं इढिपत्तारिया || ६२. से कि तं अणिढिपत्तारिया ? अगिढिपत्तारिया णवविहा पण्णत्ता, तं जहा --- खेत्तारिया जातिआरिया" कुलारिया कम्मारिया सिप्पारिया भासारिया णाणारिया दंसणारिया चरितारिया || खेत्तारिय-पदं ६३. से किं तं खेत्तारिया ? खेत्तारिया अद्धछव्वीसतिविहा पण्णत्ता, तं जहाँरायगिह" मगह चंपा, अंगा तह तामलित्ति वंगा य । कंचणपुरं कलिंगा, वाणारसि चैव कासी य ॥ १॥ १. गोधाइच्च ( क ) ; गोधोच्च ( ख ); गोधाइ ( ग, घ ) ; गोंधोडंब (पु) 1 २. हारोसा ( ख ) । ३. ढोंच (ख,घ); दोव ( ग ) । ४. गंधाहारवा ( ख ) । ५. पहल ( ख ) ; पहलिल ( ग ) । ६. बंधुया (क, ख, ग, घ ) । ७. सूर्यालि (पु) । 1 ८. सग्गर (क, घ); गग्गर (पु) 1 ६. आभासियाणक्क (क, ख, ग, घ ) 1 १०. खग्गघासिय (क, ख, ग ) ११. दर (ग,घ); १२. मेढ (ख) मंड १३. पओस ( ख ) ; पउस ( क, ग, घ ) । दर ( क ); डूर (पु) 1 (घ), मंड (पु) । १४. एतानि च प्रायो लुप्तवहुवचनानि । १५. रोसग भरु सभयच्छिय° ( क ) : रोसग भरुग- विलाय (पु) | १६. जाता आरिया ( ख ) । ३१ १७. मलयगिरिवृत्तौ जनपदनगरसम्बन्धः इत्थं प्रदर्शितोस्ति -- १. मगधेषु जनपदेषु राजगृहं नगरम् २. अङ्गेषु चम्पा । ३. वङ्गेषु तामलिप्ती ४. कलिङ्गेषु काञ्चनपुरं ५. काशिषु वाराणसी ६. कोशलासु सावे तं ७. कुरुषु गजपुरं ८. कुशावर्तेषु सौरिकं ९. पाञ्चालेषु काम्पिल्यं १०. जङ्गलेषु अहिच्छत्रा ११. सुराष्ट्रेषु द्वारावती १२. विदेहेषु मिथिला १३. वत्सेषु कौशाम्बी १४. शाण्डिल्येषु नन्दिपुरं १५. मलयेषु भद्दिलपुरं १९. वत्सेषु वैराटपुरं १७. वरणेषु अच्छापुरी १८. दशार्णेषु मृत्तिकावती १९. चेदिषु शौक्तिकावती २०. वीतभयं सिधुषु सौवीरेषु २१. मथुरा शूरसेनेषु २२. पापाभङ्गेषु २३. मास (सा) पुरिवट्टा (तयां) २४. कुणालेषु श्रावस्ती २५. लाटासु कोटिवर्ष २६. श्वेताम्बिका केकयजनपदार्द्ध एतावदपविशति जनपदात्मकं क्षेत्रमार्य भणितम् । Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुस्त साएय कोसला गयपुरं च, कुरु सोरियं कुसट्टा' य । कंपिल्लं पंचाला, अहिछत्ता जंगला चेव ॥२॥ 'बारवती य सुरवा, मिहिल विदेहा य वच्छ कोसंबी। णंदिपुरं संडिल्ला, भद्दिलपुरमेव मलया य ॥३॥ वइराड वच्छ वरणा, अच्छा तह मत्तियावइ दसण्णा । सुत्तीमई य चेदी, वीइभयं सिंधुसोवीरा ॥४॥ महुरा य सूरसेणा, पावा भंगी य मासपुरि वट्टा। सावत्थी य कुणाला, कोडीवरिसं च लाढा य ॥५॥ सेयविया वि य णयरी, केयइअद्धंच आरियं भणितं । एत्थुप्पत्ति जिणाणं, चक्कीणं राम-कण्हाणं ॥६॥ से तं खेत्तारिया !! जातिआरिय-पदं १४. से कि तं जातिआरिया' ? जातिआरिया छविहा पण्णत्ता, तं जहा-- अंवट्ठा य कलिंदा, विदेहा वेदगा' इ य । हरिया चुंचुणा' चेव, 'छ एया इन्भजातिओ" ॥१॥ से तं जातिआरिया ।। कुलारिय-पदं ६५. से कि तं कुलारिया'? कुलारिया छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-उग्गा भोगा राइण्णा इक्खागा णाता कोरव्वा । सेत्तं कुलारिया ।। कम्मारिय-पदं से कितं कम्मारिया.? कम्मारिया अणेगविहा पण्णत्ता. तं जहा-दोस्सिया सोत्तिया कप्पासि यालिया भंडवेयालिया कोलालिया परदावणिया"। जे यावण्णे तहप्पगारा। सेत्तं कम्मारिया ।। १. °त्ता (क,द)। ७. चंचूणा (घ)। २. सोरठा बारबइ (ख); वारवती सोरठा (घ)। ८. छप्पया इइजा (क)। ३. सोत्तियवइ (क,ध)। ६. ठाणं ६:३५ सूत्र एतत्संवादी पाठो दृश्यते-- ४. वीयभयं (क,घ)। छव्विहा कुलारिया मणुस्सा पण्णता, तं ५. ठाणं ६।३४ सूत्रे एतत्संवादी पाठो दश्यते-- जहा- उग्गा, भोगा राइण्णा, णाता, कोरव्वा। छव्विहा जाइआरिया मगुस्सा पण्णता, तं १०. अणुओगदाराई ३५६ सूत्रे एततसंवादी पाठो जहा दश्यते--से कि तं कम्मनामे ? कम्मनामेअंबट्टा य कलंदा य, देदेहा वेदिगादिया। दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए हरिता चुचुणा चेव, छप्पेता इन्भजातिया ।। कोलालिए । से तं कम्मनामे । ६. वेंदमा (ख)। ११. परवावष्णिया (ख,घ); नरंदावणिया (ग) । Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापर्य सिप्पारिय-पदं ९७. से कि तं सिप्पारिया' ? सिप्पारिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा - तुण्णामा तंतुवाया पट्टगारा' देवडा वरुट्टा छव्विया कट्टपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा * पोत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिब्भगारा' सेल्लरा' कोडिगारा। जे यावणे तप्पगारा | से त्तं सिप्पारिया || मासारिय-पदं ८. से कि तं भासारिया ? भासारिया जे गं अद्धमागहाए भासाए भासिंति, जत्थ वि य णं बंभी लिवी पवत्तइ । बंभीए" णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्खविहाणे पण्णत्ते, तं जहा - बंभी जवणाणिया ' दोसापुरिया' खरोट्ठी" पुक्खरसारिया भोगवईया" पहराईयाओ य अंतक्खरिया अक्खरपुट्टिया वेणइया णिण्हइया अंकलिवी गणितलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेसरी दामिली पोलिंदी से त्तं भासारिया || I णाणारिय-पदं ६६. से किं तं णाणारिया ? णाणारिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा --आभिणिबोहियपाणारिया सुयणाणारिया ओहिणाणारिया मणपज्जवणाणारिया केवलणाणारिया । से तं णाणारिया || दंसणारिय-पदं १००. से किं तं दंसणारिया ? दंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सरागदंसणारिया य वीयरागदंसणारिया य || १०१. से किं तं सरागदंसणा रिया ? सरागदंसणारिया दसविहा पण्णत्ता, तं जहाfreeyareरुई आणारुइ, सुत्त - बीयरुइ मेव" । अहिगम - वित्थाररुई किरिया संखेव धम्मरुई ॥ १॥ १. अणुओगदाराई ३६० सूत्रे एतत्संवादी पाठो दृश्यते-से किं तं सिप्पनामे ? सिप्पनामेafter तंतिए तुम्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कटुकारे छत्तकारे वञ्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे । २. वड्ढागारा ( क ) ; पट्टागारा ( ख, ग, घ ) । ३. वरुडा ( क ) ; वरुणा ( ख ) ; वरणा (पु); मलयगिरिणा 'वरुट्टा – पिच्छकारा' इति व्याख्यातम् । ४. पभारा ( क ) ; पब्भारा (घ ) । ५. जिन्भारा ( ख ); जिज्झगारा (पु) । ६. सेलारा ( क ) ; सेल्लगारा (पु) | ३३ ७. समवाओ १८१५ सूत्रे एतत्संवादी पाठो दृश्यते-- बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेखविहाणे पण्णत्ते, तं जहा - बंभी जवणालिया दोसऊरिया खरोट्टिया खरसाहिया पहाराइया उच्चत्तरिया अक्खरपुट्टिया भोगवइया वेणइया निण्हइया अंकलिवी गणियलिवी गंधव्वलिवी आयंसलिवी माहेमरी दामिली पोलिदी । ८. जवणालिया (क, ख, घ, पु); मलयगिरिवृत्ती यवनानी । ९. दासा° (क,घ) । १०. खरोट्टी (क, ख, ग, घ ) ११. इया (घ) । १२. चेव (क) । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं भूयत्थेणाधिगया, 'जीवाजीवा य" पुण्णपावं च । सहसम्मुइयासवसंवरो' य रोएइ' उ णिसग्गो ॥२॥ जो जिणदिठे भावे, चउन्विहे सद्दहाइ सयमेव । एमेव णण्णह त्ति य, णिस्सग्गरुइ त्ति णायव्यो ।।३।। एते चेव उ भावे, उवदिठे जो परेण सद्दहइ। छउमत्थेण जिणेण व, उवएसरुइ त्ति नायव्वो।।४।। 'जो हेउमयाणंतो, आणाए रोयए पवयणं तु । एमेव णण्णह त्ति य, एसो आणारुई नाम" ॥५॥ जो सुत्तम हिज्जतो, सुएण ओगाहई उ सम्मत्तं । अंगेण बाहिरेण व, सो सुत्तरुइ त्ति णायव्यो ॥६॥ 'एगपएणगाई, पदाइं जो पसरई उ सम्मत्तं । उदए व्व तेल्लबिंदू, सो बीयरुइ त्ति णायव्वो" ॥७॥ सो होइ अहिगमरुई, सुयणाणं जस्स अत्थओ दिळें । एक्कारस अंगाई, पइण्णगं दिट्ठिवाओ य ॥८॥ दव्वाण सव्वभावा, सव्वपमाणेहिं जस्स उवलद्धा। सव्वाहिं णयविहीहि, वित्थाररुइ त्ति णायव्वो ॥६॥ दंसण-णाण-चरित्ते, तवविणए सच्चसमिइ'- गुत्तीसु । जो किरियाभावरुई. सोखल किरियाई णाम ॥१०॥ अणभिग्गहियकुदिट्ठी, संखेवरुइ त्ति होइ णायव्यो। अविसारओ पवयणे, अणभिग्गहिओ य सेसेसु ॥११॥ जो अत्थिकायधम्म, सुयधम्म खलु चरित्तधम्म च । सदहइ जिणाभिहियं, सो धम्मरुइ त्ति नायव्वो ॥१२॥ परमत्थसंथवों वा, सुदिट्ठपरमत्थसेवणा वा वि । वावण्ण-कुदंसणवज्जणा य सम्मत्तसद्दहणा ।।१३।। निस्संकिय निक्कंखिय, निग्वितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य । उववूह थिरीकरणे वच्छल्ल पभावणे अट्ठ ॥१४॥ से तं सरागदसणारिया ।। १. जीवाजीवा इ (क); जीवाजीवं च (पु); ५. एगेण अणेगाइ, पयाइं जो पसरई उ सम्मत्तं । उत्तरज्झयणाणि २८1१७ 'जीवाजीवा य' इति उदए ब्व तेल्लबिंदू, सो बीयरुइ त्ति नायव्वो।। विद्यते। (उत्त० २८१२२)। २. सहसंमइया (घ); °संवरे (पु) । ६. अभिगमरुई (ग,ध)। ३. रोइओ (क); रोइय (घ)। ७. सव्वसमिइ (क,ग,ध, मव) । ४. रागो दोसो मोहो, अण्णाणं जस्स अवगयं होइ। ८. तदेवं निसर्गाद्युपाधिभेदाद् दशधा रुचिरूपं आणाए रोयंतो, सो खलु आणारुई नाम ।। दर्शनमुक्तं, सम्प्रति लिङ्गरिदमुत्पन्नमस्ति (उत्त० २८०२०) इति निश्चीयते तानि लिङ्गान्युपदर्शयन्नाह (म)। Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापयं १०२. से किं तं वीयरागदसणारिया ? वीयरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--उवसंतकसायवीयरागदसणारिया खीणकसायवीयरागदंसणारिया ॥ १०३. से किं तं उवसंतकसायवीयरागदसणारिया ? उवसंतकसायवीयरागदसणारिया पण्णत्ता, तं जहा पढमसमय उवसंतकसायवीयरागदसणारिया अपढमसमयउवसंतकसायवीयरागर्दसणारिया, अहवा चरिमसमय उवसंतकसायवीयरागदसणारिया' य अचरिमसमय उवसंतकसायवीयरागदसणारिया य ।। १०४. से किं तं खीणकसायवीय रागदंसणारिया ? खीणकसायवीय रागदसणारिया विहा पण्णत्ता, तं जहा-छउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य केवलिखीणकसायवीय रागदसणारिया य॥ १०५. से किं तं छउमत्थखीणकसायवीय रागदसणारिया ? छउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागर्दसणारिया य बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीय रागदसणारिया य॥ १०६. से किं तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया ? सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य अपढमसमयसयंबद्धछ उमत्थखीपकसायवीयरागदसणारिया य अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य । से त्तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया ।। १०७. से किं तं बुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया? बुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य अपढमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया य, अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीण कसायवीयरागदसणारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीय रागदंसणारिया य। से तं बूद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागदसणारिया। से तं छउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया ।। १०८.से कि तं केवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया? केवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया विहा पण्णत्ता, तं जहा-सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य ।।। १०६. से कि तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया ? सजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अपढभसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अडवा चरिमसमयसजोगिकेव लिखीणकसायवीतरागदसणारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलि. खीणकसायवीतरागदसणारिया य । से तं सजोगिकेव लिखीणकसायवीतरागदसणारिया ।। ११०. से कि तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागर्दसणारिया ? अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदसणारिया दुविहा पण्पत्ता, तं जहा--पढमसमयअजोगिकेवलिखीण१. चरम (ख)। Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ पण्णवणासुतं कसायवीतरागदंसणारिया य अपढमसमयअजोगि केवल खीणकसायवीतरागदंसणारिया य अहवा चरिमसमयअजोगिकेव लिखीणकसायवीत रागदंसणारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवल खीणक सायवीयरागदंसणारिया य से त्तं अजोगिकेवलिखीणक सायवीतरागदंसणारिया से तं केवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया से तं खीणकसायवीतरागदंसणारिया । से तं वीयरागदंसणारिया । से तं दंसणारिया || चरितारिय-पदं १११. से किं तं चरितारिया ? चरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा सरागचरितारिया य वीयरागवरितारिया य ॥ ११२. से किं तं सरागचरितारिया ? सरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहासुहुमसंप रायस रागचरितारिया य वायरसंपरायसरागचरितारिया य ।। ११३. से किं तं सुहुमसंपरायसरागचरितारिया ? सुहुमसंपरायसरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- पढमसमयसुहुमसंपरायसरागचरितारिया य अपढमसमयसुहुम संप रायसरागचरितारिया य, अहवा चरिमसमयसुहमसंप रायसरागचरितारिया य अचरिमसमय सुहुम संप रायसरागचरितारिया य अहवा सुहुमसंपरायसरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य से त्तं सुहुमसंपरायसरागचरितारिया || ११४. से किं तं बादरसंप रायसरागचरित्तारिया ? वादरसंपरायसरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पढमसमयवादरसंपरायसरागचरितारिया य अपदमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य, अहवा चरिमसमयवादरसंपरायसरागचरितारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य, अहवा वादरसंप रायसरागच रित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- पडिवाती य अपडिवाती य से त्तं बादरसंपरायसरागचरितारिया । से त्तं सरागचरित्तारिया || ११५. से किं तं वीयरागचरितारिया ? बीयरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - उवसंतकसायवीय रागचरितारिया य खीणकसायवीतरागचरितारिया य ॥ ११६. से किं तं उवसंत कसायवीयरागचरितारिया ? उवसंत कसायवीयरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- पढमसमयउवसंत कसायवीयरागचरितारिया य अपढमसमय उवसंत कसायवीय रागचरितारिया थ, अहवा चरिमसमय उवसंत कसायवीय रागचरितारिया य अचरिमसमयउवसंत कसायवीयराग नरित्तारिया य से त्तं उवसंतकसायवीयरागचरित्तारिया || ११७. से कि तं खीणकसायवीय रागचरितारिया ? खीणकसायवीयरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - छउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया य केवलिखीणकसायवीतरागचरितारिया य ॥ ११८. से किं तं छउमत्थखीण कसायवीतरागचरितारिया ? छउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सयंबुद्धछ उमत्थखीणकसायवीयरागचरित्तारिया य बुद्धबोहियछ उमत्थ खीण कसायवीय रागचरितारिया य ॥ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं पण्णवणापर्यं ३७ ११६. से किं तं सयंबुद्धछउ मत्थखीणक सायवीतरागचरितारिया ? सयंबुद्धछ उमत्थखीण सायवीतरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- पदमसमयस्यं बुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया य अपढमसमय सयं बुद्धछ उमत्थखीणक सायवीतरागचरित्तारिया य, अह्वा चरिमसमयस्यंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीय रागचरितारिया य अचरिमसमय सयं बुद्धछउमत्थखीणक सायवीय रागचरितारिया य से त्तं सयं बुद्धछ उमत्थखीणकसाथ वीतरागचरितारिया || १२०. से किं तं बुद्धबोयिछउमत्थखीणक सायवीतरागचरितारिया ? बुद्धबोहियछउमत्थखीणक सायवीतरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- पढमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया य अपढमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीतरामचरितारिया य, अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछ उमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया य अरिममबुद्धवोहियछ उमत्थखी कसायवीय रागचरितारिया य से तं बुद्धबोहियछउमत्थखोण कसायवीयरागचरित्तारिया । से त्तं छउमत्थखीणकसायवीत रागचरितारिया ॥ १२१. से किं तं केवलिखीणकसायवीतरागचरितारिया ? केवलिखीणकसायवीतरागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा --- सजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागचरितारिया अजोगकेवलिखीणकसायवीय रागचरितारिया य || १२२. से कि तं सजोगिकेव लिखी कसायवीयरागचरितारिया ? सजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागचरितारिया दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा -- पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागचरितारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखी कसायवीयरागचरितारिया य अहवा चरिमसमयसजोगि के वलिखीणक सायवीतरागचरितारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणक सायवीयरागचरितारिया य से त्तं सजोगिकेवलिखी कसायवीयरागचरितारिया || १२३. से किं तं अजोगिकेवलिखी कसायवीयरागचरितारिया ? अजोगिकेवलिखीणकसायवीय रागचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरितारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरितारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगि केवलिखीणक सायवीय रागचरितारिया य अचरिमसमयअजोगिhaलिखी कसायवीतरागचरितारिया य । से त्तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागचरितारिया । से त्तं केवलिखीणकसायवीतरागचरितारिया । से त्तं खीणकसायवीतरागचरितारिया । से तं वीयरागचरितारिया । 1 १२४. अहवा चरितारिया' पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - सामाइयचरितारिया छेदोवद्वावणियचरितारिया परिहारविसुद्धियचरितारिया सुहुमसंपरायचरितारिया अहक्खायचरितारिया || १२५. से कि तं सामाइयचरितारिया ? सामाइयचरितारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - इत्तरियसामाइयचरितारिया य आवकहियसामाइयचरितारिया य । से तं सामाइयचरितारिया || १. चारितारिया (ख, घ) । Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पष्णवणासुतं १२६. से किं तं छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया? छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता. तं जहा-साइयारछेदोवट्ठावणियचरित्तारिया य णिरइयारछेदोवढावणियचरित्तारिया य । से तं छेदोबट्ठावणियचरित्तारिया ॥ १२७. से कि तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया ? परिहारविसुद्धियचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-निविसमाणपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य निविट्ठकाइयपरिहारविसुद्धियचरित्तारिया य । से तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया ॥ १२८. से कि तं सुहमसंपरायचरित्तारिया? सुहमसंपरायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--संकिलिस्समाणसुहुमसंपरायचरित्तारिया य विसुज्झमाणसुहुमसंपरायचरित्तारिया य । से तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया ।। १२६ से कि तं अहक्खायचरित्तारिया ? अहक्खायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-छउमत्थअहक्खायचरित्तारिया य केवलिअहक्खायचरित्तारिया य। से तं अहक्खायचरित्तारिया। से तं चरित्तारिया। से तं अणिडिढपत्तारिया। से तं आरिया। से तं कम्मभूमगा । से तं गब्भवक्कंतिया । से तं मणुस्सा ।। देवजीव-पदं १३०. से कि तं देवा ? देवा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा---भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया ।। १३१. से कि तं भवणवासी ? भवणवासी दसविहा पण्णत्ता, तं जहा--असुरकुमारा नागकुमारा सुवण्णकुमारा विज्जुकुमारा अग्गिकुमारा दीवकुमारा उदहिकुमारा दिसाकुमारा वाउकुमारा थणियकुमारा। ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं भवणवासी॥ १३२. से किं तं वाणमंतरा ? वाणमंतरा अदुविहा पण्णत्ता, तं जहा-किन्नरा किंपरिसा महोरगा गंधवा जक्खा रक्खसा भूया पिसाया । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं वाणमंतरा ।। १३३. से किं तं जोइसिया ? जोइसिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--चंदा सूरा गहा 'नक्खत्ता तारा" 1 ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं जोइसिया।। १३४. से किं तं वेमाणिया? वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–कप्पोवगा य कप्पातीताय ।। १३५. से किं तं कप्पोवगा ? कप्पोवगा वारसविहा पण्णत्ता, तं जहा--सोहम्मा ईसाणा सणंकुमारा माहिंदा बंभलोया लतया सुक्का' सहस्सारा आणता पाणता आरणा अच्चुता । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं कप्पोवगा। १३६. से किं तं कप्पातीया ? कप्पातीया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-गेवेज्जगा य अणुत्तरोववाइया य॥ १. तारा नक्खत्ता (ख)। २. महासुक्का (ग,घ)। Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम पण्णवणापर्य १३७. से किं तं गेवेज्जगा? गेवेज्जगा णवविहा पण्णत्ता, तं जहा--हेट्टिमहेट्टिमगेवेज्जगा हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जगा हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगा मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगा मज्झिममज्झिमगेवेज्जगा मज्झिमउवरिमगेवेज्जगा उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जगा उवरिममज्झिमगेवेज्जगा उवरिम उवरिमगेवेज्जगा । ते समासतो दुविहा पण्णत्ता, तं जहा---पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। से त्तं गेवेज्जगा ॥ १३८. से कि तं अणुत्तरोववाइया ? अणुत्तरोववाइया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा.. विजया वेजयंता जयंता अपराजिता सव्वट्ठसिद्धा। ते समासतो दुविहा पणत्ता, तं जहा-- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । से तं अणुत्तरोववाइया। से तं कप्पाईया । से तं वेमाणिया। से तं देवा । से तं चिदिया। से तं संसारसमावण्णजीवपण्णवणा। से तं जीवपण्णवणा। से तं पण्णवणा॥ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयं पुढविकायठाण-पदं १. कहि णं भंते ! वादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सटाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तं जहा–रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए इसीपब्भाराए । अहोलोए --पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु । उड्ढलोए-कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु । तिरियलोए-टंकेसु कूडेसु सेलेसू सिहरीसू पब्भारेसू विजएस वक्खारेसु वासेसु वासहरपव्वएसु बेलासु वेइयासु दारेसु तोरणेसु दीवेसु समुद्देसु । एत्थ णं बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। २. कहि णं भंते ! बादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णता ? गोयमा ! जत्थेव बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव वादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। ३. कहि णं भंते ! सुहुमपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सुहमपुढविकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णगा पणत्ता समणाउसो ! 11 आउक्कायठाण-पदं ४. कहि णं भंते ! बादरआउक्काइयाणं पज्जत्तगाण ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सट्टाणेणं सत्तसु घणोदधीसु सत्तसु घणोदधिवलएसु। अहोलोए-पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु ! उड्ढलोए-कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु । तिरियलोएअगडेसु तलाएसु नदीसू दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु विलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु । एत्थ णं वादरआउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं' ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइ१. चिल्ललएसु (ख,ग,घ)। ३. पज्जत्ताणं (ग,घ)। २. पल्ललएसु (ग)। ४० Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपर्यं भागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे || ५. कहि णं भंते ! बादरआउक्काइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जत्थेव बादरआउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरआउक्काइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं सव्वलोए, समुग्धाएणं सव्वलोए, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे ॥ ६. कहि णं भंते! सुहुमआउक्काइयाणं 'पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य" ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सुहमआ उक्काइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णगा पण्णत्ता समणाउसो ! || तेक्कायठाण-पदं ७. कहि णं भंते! वादरते उकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सद्वाणं अंतोमणुस्खेत्ते अड्ढाइज्जेसु दीव-समुद्देसु निव्वाघाएणं पण्णरससु कम्मभूमीसु, वाघायं पडुच्च पंचसु महाविदेहेसु, एत्थ णं वादरते उक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । 'उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सद्वाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे" | ८. कहि णं भंते! वादरते उकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जत्थेव वादरते उकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरतेउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स 'दोसु उड्ढकवाडेसु" तिरियलोयतट्टे य, समुग्धाएणं सव्वलोए, सट्टाणेण लोयस्स असंखेज्जइभागे || ६. कहि णं भंते! सुहुमते उकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सुहुमते उकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णमा पण्णत्ता समणाउसो ! || ** वाउकायठाण-पदं १०. कहिणं भंते ! वादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सट्टाणेणं सत्तसु घणवाएसु सत्तसु घणवायवलएसु सत्तसु तणुवाएसु सत्तसु तणुवायवलएसु । अहोलोएपायाले भवणेसु भवगपत्थडेसु भवणछिद्देसु भवणणिक्खुडेसु निरएसु' निरयावलियासु निरयपत्थडेसु निरयछिद्देसु निरयणिक्खुडेसु । उड्ढलोए - कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलि - यासु विमाणपत्थडेसु विमाणछिदेसु विमाणणिक्खुडेंसु । तिरियलोए - पाईण पडी - दाहिणउदीर्ण' सव्वेसु चैव लोगागासछिद्देसु लोगणिक्खुड्डेसु य । एत्थ णं वादरवारकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु || ११. कहिणं भंते! अपज्जत्तवादरवाङकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जत्थेव १. पज्जत्तापज्जत्ताणं (घ ) । २. तीसु वि लोगस्स असंखेज्जतिभागे (हवृ ) | ३. दोसुद्धकवाडे (पु, हव) ४. णिखुडेसु (पु) सर्वत्र हारिभद्रीयवृत्ती 'निकटो' इति पदं मुद्रितं दृश्यते ५. नरएसु ( ख ) । ६. पयीण ( क ) ; पईण ( ख, ग, घ ) । ७. विभक्तिरहितपदम् । Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पष्णवणासुतं बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरवाउकाइयाण अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जेस् भागेसु॥ १२. कहि णं भंते ! सुहमवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सुहुमवाउकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णगा पण्णत्ता समणाउसो!। वणस्सइकायठाण-पदं १३. कहि णं भंते ! वादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता? गोयमा ! सट्टाणणं सत्तसु घणोदहीसु सत्तसु घणोदहिवलएसु। अहोलोए---पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु । उड्ढलोए-कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु। तिरियलोए-- अगडेसु तडागेसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु विलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु । एत्थ णं बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे॥ १४. कहि णं भंते ! बादरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जत्थेव बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव वादरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं सव्वलोए, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे ॥ १५. कहि णं भंते ! सुहुमवणस्सइकाइयाणं प्रज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सुहुमवणस्सइकाइया जे पज्जत्तगा जे य अपज्जतगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावण्णगा पण्णत्ता समणाउसो !॥ बेइंवियठाण-पदं १६. कहि णं भंते ! बेइंदियाण' पज्जत्तगापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! उड्ढलोए तदेक्कदेसभागे। अहोलोए तदेक्कदेसभागे'। तिरियलोए-अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेस विलपंतियास उज्झरेस् निज्झरेस चिल्ललेस पल्ललेस बप्पिणेसू दीवेस समहेस सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु । एत्थ णं बेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोगस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे ॥ तेइंदियठाण-पदं १७. कहि णं भंते ! तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! १. तलागेसु (क)। ४. तदेकदेस (क,घ) सर्वत्र । २. विप्पणेसु (क); वप्पेसु (ख)। ५. X(ख)। ३.दियाणं (क,घ)। Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपर्य उडढलोए तदेवकदेसभाए। अहोलोए तदेक्कदेसभाए। तिरियलोए--अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु विलेसु विलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलढाणेसु । एत्थ णं तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं' ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सटाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे ! चरिदियठाण-पदं १८. कहि णं भंते ! चउरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता? गोयमा ! उड्ढलोए तदेवकदेसभाए ! अहोलोए तदेक्कदेसभाए । तिरियलोए- अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु । एत्थ णं च उरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । चिदियठाण-पदं १६. कहि णं भंते ! पंचिदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! उड्ढलोए' तदेक्कदेसभाए। अहोलोए तदेक्कदेसभाए। तिरियलोए-अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु । एत्थ णं पंचिदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सहाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । नेरइयठाण-पदं २०. कहि णं भंते ! नेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! नेरइया परिवसंति ? गोयमा ! सट्ठाणेणं सत्तसु पुढवीसु, तं जहा–रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए, एत्थ णं णेरइयाणं चउरासीति णिरयावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खायं । ते ण णरगा अंतो वट्टा वाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिता" णिच्चंधयारतमसा ववगयगह-चंद-सूर-णक्खत्त-जोइसपहा' मेद-वसा-पूर्य-रुहिर-मंसचिविखल्ललित्ताणुलेवणतला असुई वीसा' परमदुब्भिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा णरगा असुभा णरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं १. 'पज्जत्ताणं (घ)। २. पुष्करि (क)। ३,४. लोयस्स (घ)। ५. खुरासंठाण (ख)। ६. मलयगिरिवृत्ती समुद्धते पाठे 'जोइसियपहा' इति दृश्यते । ७. पूयपडल (क,ख,ग,घ); समवायाङ्गे (प.सू० १४१) पडल' इति पदं नास्ति । ८.चिवखल्ल° (क,ख,घ) सर्वत्र) । ६. बीभच्छा (म); वीसा (मवपा) । Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं णेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयरस असंखेज्जइभागे । तत्थ गं बहवे णेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकण्हा वण्णेणं पण्णत्ता समणाउसो' ! ते णं तत्थ णिच्च भीता णिच्चं तत्था णिच्चं तसिया णिच्चं उव्विग्गा णिच्चं परममसुहं संवद्धं णरगभयं पच्चणुभवमाणा विहरति ।। २१. कहि णं भंते ! रयणप्पभापूढविणेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! रयणप्पभापुढविणे रइया परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए' उवरि एग जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं रयणप्पभापूढविनेरइयाणं तीसं णिरयावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं णरगा अंतो वदा बाहि चउरंसा अ खुरप्पसंठाणसंठिता णिच्चंधयारतमसः बवगयगह-चंद-सूर-णक्ख तजोइसप्पभा मेद-वसा. पूय'-रुहिर-मंसचिक्खिल्ललित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुभिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा णरगा असुभा णरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं रयणप्पभापुढविणेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धातेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं वहवे रयणप्पभापुढविनेरइया परिवसंति काला कोलोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिण्हा वण्णणं पण्णत्ता समणाउसो ! ते णं णिच्च भीता णिच्च तत्था णिच्च तसिया णिच्चं उव्विग्गा णिच्चं परममसुहं संवद्धं णगभयं पच्चणुभवमाणा विहरति ।। २२. कहि णं भंते ! सक्करप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! सक्करप्पभापुढविनेरइया परिवसंति ? गोयमा ! सक्करप्पभाए पुढवीए बत्तीसुत्तरजोयणसयसहस्सवाहल्लाए उवरि एग जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जित्ता मज्झे तीसुत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं सक्करप्पभापुढविणेरइयाणं पणवीसं णि रयावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खातं । ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिता णिच्चंधयारतमसा ववगयगह-चंद-सूर-णक्खत्तजोइसप्पहा मेदवसा-पूय-रुहिर-मंसचिक्खिल्ललित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुब्भिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कवखडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं सक्कर. प्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयम्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे सक्करप्पभापुढविणेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिण्हा वण्णणं पण्णत्ता समणा उसो ते णं णिच्चं भीता णिच्चं तत्था णिच्चं तसिया णिच्चं उव्विग्गा णिच्चं परममसुहं संवद्धं न रगभयं पच्चणुभवमाणा विहरंति ॥ २३. कहि णं भंते ! वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीसुत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए उरि एगं ३. पूयपडल (क,ख,ग,घ,पु) सर्वत्र। १. ४ (ख)। २. आसीदुत्तर (हदू)। Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयं जोणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे छब्वीसुत्तरे जोयणसतसहर से, एत्थ णं वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं पण्णरस णिरयावाससतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं परगा अंतो वट्टा वाहि चउरंसा आहे खुरप्पसंठाणसंठिता णिच्चधयारतमसा ववगयगहचंद-सूर - नक्खत्तजोइस पहा मेद - वसा- पूय - रुहिर-मंसचि विखल्ल लित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुभिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरएस वेदणाओ, एत्थ णं वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे वालुयप्पभापुढवीनेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिण्हा वण्णेणं पण्णत्ता समणाउसो ! ते णं णिच्च भीता णिच्च तत्था णिच्च तसिता णिच्चं उब्विग्गा णिच्चं परममसुहं संवद्धं णरगभयं पच्चणुभवमाणा विहरंति || २४. कहि णं भंते! पंकप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंकप्पभाए पुढवीए वीमुत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए उदार एवं जोयणसहस् ओमाहित्ता हिट्टा' वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्टारसुत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं पंकप्पापुढविनेरइयाणं दस णिरयावास सतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं णरगा अंतो बट्टा वाहिँ चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिता णिच्चधयारतमसा ववगयगह चंद-सूर-नवखत्तजोइसपहा मेद-वसा-पूय-रुहिर-मंस चिक्खिल्ल लित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुब्भिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं पंकप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे पंकप्पभापुढविनेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिण्हा वण्णेणं पण्णत्ता समणाउसो ! ते णं निच्च भीता निच्च तत्था निच्चं तसिया निच्चं उव्विग्गा निच्चं परमममुहं संवद्धं णरगभयं पच्चणुभवमाणा विहरति ॥ ४५ २५. कहिणं भंते ! धूमप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! धूमप्पभाए पुढवीए अट्ठारसुत्तरजोयणस्य सहसबाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हिट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे सोलसुत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ गं धूमप्पभापुढविनेरइयाणं तिन्नि निरयावास सतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं णरगा अंतो ट्टा वाहिं चरंसा अहे खुरप्प संठाणसंठिता णिच्चधयारतमसा ववगयगह- चंद-सूर-नवखत्तजो सपा मेद-वसा - पूय रुहिर-मंसचिक्खिल्ललित्ताणुलेवणातला असुई वीसा परमदुभिगंधा काऊअगणिवण्णाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं धूमप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्य हवे धूमप्पभापुढविनेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीर लोमहरिसा भीमा १. बहे ( ख ) 1 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं उत्तासणगा परमकिण्हा वण्णणं पणत्ता समणा उसो ! ते णं णिच्चं भीता णिच्चं तत्था णिच्चं तसिता णिच्चं उव्विग्गा णिच्चं परममसुहं संबद्धं णरगभयं पच्चणुभवमाणा विहरंति ।। २६, कहिणं भंते ! तमप्पभापुढविनेरइयाणं' पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! 'तमप्पभाए पुढवीए" सोल सूत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए उरि एग जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हिट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे चोद्दसुत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं तमप्पभापुढविनेरइयाणं एगे पंचूणे णरगावाससतसहस्से हवंतीति' मक्खातं । ते णं परगा अंतो वट्टा वाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिता निच्चंधयारतमसा ववगयगह-चंदसूर-नक्खत्तजोइसप्पहा मेद-वसा-पूय-रुहिर-मंसचिक्खिल्ल लित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुब्भिगधा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेदशाओ, एत्थ णं तमप्पभापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइ. भागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे तमप्पभापुढविणेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिण्हा वणणं पण्णत्ता समणाउसो! ते णं णिच्चं भीता णिच्चं तत्था णिच्चं तसिया णिच्चं उद्विग्गा णिच्चं परममसहं संवद्धं नरगभयं पच्चणभवमाणा विहरंति ॥ २७. कहि ण भंते ! तमतमापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तमतमाए पुढवीए अट्ठोत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उरि अद्धतेवण्णं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता हिट्ठा वि अद्धतेवण्णं जोयणसहस्साई वज्जेत्ता मज्झे तिसुजोयणसहस्सेसु, एत्थ णं तमतमापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं पंच दिसिं पंच अणुत्तरा महइमहालया महाणि रया पण्णत्ता, तं जहा-काले महाकाले रोरुए महारोरुए अपइट्ठाणे । ते णं णरमा अंतो वट्टा वाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिता निच्चंधयारतमसा ववगयगहचंद-सूर-नक्खत्तजोइसपहा मेद-वसा-पूय-रुहिर-मंसचिविखल्ल लित्ताणुलेवणतला असुई वीसा परमदुब्भिगंधा' कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणाओ, एत्थ णं तमतमापुढविनेरइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे तमतमापढविनेरइया परिवसंति काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणया परमकिण्हा वण्णेणं पण्णत्ता समणाउसो! तेणं णिच्च भीता णिच्चं तत्था णिच्चं तसिया णिच्चं उब्विग्गा णिच्चं परममसुहं संवद्ध णरगाभयं पच्चणुभवमाणा विहरंति । संगहणी-गाहा आसीतं बत्तीसं अट्ठावीसं च होइ' वीसं च । अट्ठारस सोलसगं, अठुत्तरमेव हिट्ठिमिया ॥११॥ १. तमा° (क,ख,ग,घ)। ५. तिसुत्तर (ख)। २. तमाए पुढवीए (क,ग,घ); तमापुढवीए (ख)! ६. दुर्लिभगंधा नो काउअगणिवण्णा (ख) । ३. अत्र बहुवचनं प्रवाहपाति दृश्यते । ७. होति (ख,ग,घ)। ४. दुब्भिगंधा नो काउअगणिवण्णाभा (ख)। ८. हिट्ठिमया (पु)। Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयं अठुत्तरं च तीसं, छव्वीसं चेव सतसहस्सं तु । अट्ठारस सोलसगं, चोइसमयिं तु छट्ठीए ॥२॥ अद्धतिवण्णसहस्सा, उवरिमऽहे वज्जिऊण तो भणियं । मज्झे 'उ तिसहस्सेसु", होति' नरगा तमतमाए ॥३॥ तीसा य पण्णवीसा, पण्णरस दसेव सयसहस्साई । तिण्णि य पंचूणेगं, पंचेव अणुत्तरा नरगा ॥४॥ पंचिदियतिरिक्खजोणियठाण-पदं २८. कहि णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? गोयमा ! उड़ढलोए तदेक्कदेसभाए, अहोलोए तदेवक देसभाए, तिरियलोए-अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुवखरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियास सरसरपंतियासु विलेसु विलपंतियासु उज्झरेसु निज्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेस वप्पिणेस दीवेस् सम्स् सव्वेसू चेव जलासएसु जलढाणंसु। एत्थ णं पाँचदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पणत्ता । उववाए लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे।। मणुस्सठाण-पदं २६. कहि णं भंते ! मणुस्साणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा! अंतोमणुस्सखेत्ते पणतालीसाए जोयणसतसहर सेसु अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पण्ण रससु कम्मभूमीसू तीसाए अकम्मभूमीसु छप्पणाए अंतरदीवेसु, एत्थ णं मणुस्साणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ! उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं सव्वलोए, सटाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे। भवणवासिदेवठाण-पदं ३०. कहि गं भंते ! भवणवासीणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि गं भंते ! भवणवासी देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं भवणवासीणं देवाणं सत्त भवणकोडीओ बावत्तरि च भवणावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भवणा वाहिं वट्टा अंतो समचउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किण्णंतरविउलगंभीरखात-परिहा पागारट्टालय-कवाड-तोरण-पडिदुवारदेसभागा जंत-सयग्घि-मुसल-मुसुंढिपरिवारिया १. अद्वत्तरं (क); अठ्ठत्तरि (ग,घ); अडहुत्तरं ६. मलयगिरिवृत्ती समुद्धृते पाठे फिलिहा' इति पदं दृश्यते । समवायाङ्गे (प०सू० १४४) पि २. उ तिसु सहस्सेसु (क); तिसहस्सेसु (ख,ग, एतदेव दृश्यते । ७. कवाडया (ख)। ३. होति उ (ख,ग,ध)। ८. मुसंढि (क,घ); मुसंढिपरियारिया (ख,ग); ४. आसीउत्तर (ख) ! समवायाङ्गे (प०० १४४) 'मुसुंढि' इति ५. उक्किण्णतरगंभीरखात (हाव); समवायांगे पदं दृश्यते। (प०सू० १४४) विपुल' इति पदं दृश्यते । Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ पण्णवणासुतं अओज्झा' 'सदाजता सदागुत्ता अडयालकोट्रगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामरदंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस-सरसरत्तचंदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितला उवचियवंदणकलसा बंदणघडसुकततोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावा पंचवण्णसरससुरहिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिया कालागरु'-पवरकंदुरुक्क - तुरुक्क-धूवमघमघेतगंधुद्धयाभिरामा 'सुगंध-वरगंध-गंधिया" गंधवट्टिभूता अच्छरगण-संघसंविगिण्णा' दिव्वतुडितसद्दसंपणदिता सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा णीरया णिम्मला निप्पंवा निक्ककडच्छाया सप्पहा सस्सिरीया समिरीया' सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा" अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं भवणवासीणं देवाणं पज्जत्तापज्जताणं ठाणा पण्णत्ता । उववाएणं लोगस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोगस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंति, तं जहा असुरा नाग सुवण्णा, विज्जू अगी य दीव उदही य । दिसि पवण थणिय नामा, दसहा एए भवणवासी ॥१॥ चडामणिमउडरयण-भसणणागफडगरुलवइर"-पुण्णकलसंकि उप्फेस"-'सीह-हयवर-गयअंकमगर-वद्धमाण-निज्जुत्तचित्तचिंधगता सुरूवा महिड्ढीया महज्जुतीया महायसा महब्बला महाणुभागा महासोक्खा" हारविराइयवच्छा कडग-तुडियथंभियभुया अंगद-कुंडल-मट्ठगंडतलकण्णपीढधारी" विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमाला-मउलिमउडा कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणलेवणधरा भासरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिवेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेण" दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए १. अउज्झा (क). आउज्झा (ग)। ६. समरिईया (क); ४ (ख); समिरिया २. सदा गुत्ता सदा जेया (ख) (ग); समरिइया (घ)। ३. कालागुरु (ख,ग,घ)। १०. पासाईया (ख); पासातीता (घ.पु)। ४. कंदुरुक्क (क)। ११. दरसणिज्जा (क,ख,घ)। ५. तुरुक्कउज्झत (प० सू० १४४) । १२. °र इया (क); 'रइय (ख,घ); °रयणा (ग)। ६. सुगंधिवरगंधिया (ख); सुगंधवरगंधिया १३. °फण° (ख) १४. °संकितुप्पेसा (क,ध); सविउप्फेस (पु)। ७. संधिगिणा (ख)।; विगिणा (ग); मलय- १५. सीहअस्सगयमयरवद्वमाण (ख); सीहहयवमिरिवृत्ती-संघः समुदायस्तेन सम्यक् रगयंक मगरवरबद्धमाण (व)1 रमणीयतया विकीर्णानि व्याप्तानि अप्सरो १६. महेसक्खा (मव); महासोक्खा, महासक्खा गणसंघविकीर्णानि' इति व्याख्यातमस्ति अत्र (मपा)। सम्यग रमणीयतया इति सं' पदस्यैव व्याख्या १७. धदगड' (ख); मट्टगंडकण्ण' (मव)। संभाव्यते तथापि समस्तपदे विकीर्णानि' इति १८. मालाणु (ख)। पदमेव लिखितं लभ्यते। १६. संधायणेणं (क)। ८. सस्सिरिया (घ)। Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं छाणपयं ४६ जुतीए दिव्याए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं' दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं भवणावाससयसहस्साणं साणं-साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं-साणं तावत्तीसाणं साथ-साणं लोगपालाणं साणं-साणं अग्गमाहिसीणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अणियाणं साणं-साणं अणियाहिवतीणं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च वहूर्ण भवणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्छ पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं' आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहतनट्ट-गीत-वाइत-तंती-तल-ताल-तुडिय-घण-मुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति । ३१. कहि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! असुरकूमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पूढवीए असी उत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए उरि एग जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेढा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अदृहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं चोवट्टि भवणावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खायं । ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकग्णियासंठाणसंठिता उक्किण्णंतरविउलगंभीरखाय-परिहा पागारट्टालय-कवाड-तोरणपडिदुवारदेसभागा जंतसयग्धि-मुसल-मुसुंढिपरिवारिया अओज्झा' सदाजया सदागुत्ता अडयालकोटगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामरदंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस-सरसरत्तचंदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितला उवचितवंदणकलसा वंदणघडसुकयलोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फजोक्यारकलिया कालागरु-पवरकंदुरुक्क-तुरुक्कधवमघमघेतगंधदधयाभिरामा सुगंधवरगंधगंधिया गंधवट्टिभूता अच्छरगणसंघसंविगिरणा दिव्वतुडितसहसंपणदिया सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया समिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा. पत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे असुरकुमारा देवा परिवसंति-काला लोहियवख-विवोट्ठा धवलपुप्फदंता असियकेसा वामेयकुंडलधरा' अद्दचंदणाणुलित्तगत्ता, ईसीसिलिधपुप्फपगासाइं असंकिलिट्ठाइं सुहुमाइं वत्थाई पवर परिहिया, वयं च पढम समइनकंता, बिइयं च असंपत्ता, भद्दे जोव्वणे वटमाणा. तलभंगय-तडित-पवरभसण-निम्मलमणि-रयणमंडितभया दसमुहामंडियग्गहत्था चूडामणि चित्तचिंधगता सुरूवा महिड्ढिया महज्जुइया महायसा महब्बला महाणुभागा" १. भोगेणं (ख); स्तबके 'दिव्यभोग' इति अर्थो ६. समरीइया (क ध)। । दृश्यते । ___७. वामएगकुंडलधरा (क,ख,ग,घ)। २. तायत्तीसाणं (ख,ग,घ); तायत्तीसगाणं (पु) ८. वर° (मवृ) । ३. महयरगत्तं (पु)। १. चूडामणिविचित्त° (क,ख,ग,घ) । ४. °मुयगं° (पु)। १०. महाणुभावा (ख)। ५. उज्मा (क,ख,ग)। Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं महासोक्खा हार विराइयवच्छा कडय-तुडियथंभियभया अंगय-कुंडल-मट्टगंडयल कण्णपीढधारी विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमाला-मउली' कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणुलेवणधरा भासुरवोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिवेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए जुईए दिवाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं भवणावाससतसहस्साणं साथ-साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं-साणं तावत्तीसाणं साणं-साणं लोगपालाणं साणं-साणं अगमहिसीणं साणं-साणं परिसाणं साणं साणं अणियाणं साणं-साणं अणियाधिवतीणं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहणं भवणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भदित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहतपट्ट-गीत-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-धण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं दिवाणं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरति । चमर-बलिणो इत्थ दुवे असुरकुमारिंदा असुरकुमार रायाणो परिवसंति-काला महानीलसरिसा णीलगुलिय-गवल-अयसिकुसुमप्पगासा वियसियसयवत्तणिम्मलईसीसित'-रत्ततंबणयणा गरुलाययउज्जुतुंगणासा ओयवियसिलप्पवाल'-बिवफलसन्निभाहरोहा पंडरससिसगल विमल'-निम्मलदहियण-संख-गोखीर-कुंद-दगरय-मुणालियाधवलदंतसेढी हुयवहगिद्धतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततल-तालु-जीहा अंजण-घणकसिणरुयगरमणिज्जगिद्धकेसा' वामेय कुंडलधरा अद्दचंदणाणुलित्तगत्ता, ईसीसिलिंधयुप्फपगासाइं असंकिलिट्ठाई सुहुमाई वत्थाई पवर परिहिया, वयं च पढमं समइक्कंता, बिइयं तु असंपत्ता, भद्दे जोवणे वट्टमाणा, तलभंगय-तुडित-पवरभूसण-निम्मलमणि-रयणमंडितभुया दसमुद्दामंडितग्गहत्था चूडामणिचित्तचिधगता सुरूवा महिडिढया महज्जइया महायसा महाबला महाणभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडय-तुड़ितथंभियभुया अंगद-कुंडल-मट्टगंडतलकण्णपीढधारी विचिसहत्थाभरणा विचित्तमाला-मउली कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणुलेवणा भासूरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णणं दिव्वेणं गंधणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए जुतीए 'दिव्वाए भासाए" दिवाए छायाए दिव्वाए पहाए दिवाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं भवणावाससतसहस्साणं साणं-साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं-साणं तावत्तीसाणं साणं-साणं लोगपालाणं साणं-साणं अग्गमहि१. त्रिंशत्तमे सूत्रे 'मउलिम उडा' इति पाठोस्ति, ६.कसिणगरुयग° (ग)। मलयगिरिवृत्तौ स व्याख्यातोस्ति। अत्र ७.४ (ग); पूर्वसूत्रे अस्य सूत्रस्य पूर्वालापके आदर्शषु 'मउडा' इति पदं नैव दृश्यते । च दिव्वाए जुती (ई) ए दिवाए पभाए' २. सामिच्चं (पु)। एवं पाठोस्ति 'दिव्वाए भासाए' इति पाठो ३. °इसिं° (क,ग,छ) । नास्ति । 'दिवाए पहाए' इति पाठोप्यत्र ४. उयचिय° (क)। व्युत्क्रमेण वर्तते। ५. पंडर (क,घ); पंडुल° (ख)। Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं वापपर्य १ सीणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अणियाणं साणं-साणं अणियाधिवतीणं साणं-साणं आतरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहणं भवणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेगावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहतनट्ट-गीत-वाइत-तंती-तल-ताल-तुडित-घण-मुइंगपडु-प्पवाइतरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति ॥ ३२. कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! दाहिणिल्ला असुरकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स दाहिणणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जित्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं चोत्तीसं भवणावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं । ते णं भवणा वाहिं वट्टा अंतो चउरंसा, सो च्चेव वण्णओ जाव' पडिरूवा । एत्थ गं दाहिणिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे दाहिणिल्ला असुरकुमारा देवा य देवीओ य परिवसंति-काला लोहियखविबोट्ठा तहेव जाव' भुंजमाणा विहरंति । एतेसि णं तहेव' तावत्तीसगलोगपाला भवंति । एवं सव्वत्थ भाणितव्वं भवणवासीणं । चमरे अत्थ असुरकुमारिदे असुरकुमारराया परिवसति-काले महानीलसरिसे जाव' पभासेमाणे। से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससतसहस्साणं चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए" तावत्तीसाणं चउण्डं लोगपालाणं पंचण्डं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाधिवतीणं चउण्ह य च उसट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च वहूणं दाहिणिल्लाणं देवाण देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव' विहरति ।। ३३. कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला असुरकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उरि एगं जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं उत्तरिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाणं तीसं भवणावाससतसहस्सा भवतात मक्खात । ते ण भवणा वाहि वट्टा अंतो चउरंसा, सेसं जहा दाहिणिल्लाणं जाव' विहरंति। बलि यत्थ वइरोयणिदे वइरोयणराया परिवसति-काले महानीलसरिसे जाव' पभासेमाणे । से णं तत्थ तीसाए भवणावाससयसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं १. प० २।३१ । २.५० २।३१। ३.x (ख)। ४. प० २।३१। ५. तावत्तीसाए (क,ख,घ,पु) । ६. प० २।३० । ७. प० ॥३२॥ ८. एत्थ (ख,ग,घ)। ६. प० २।३१। Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ पण्णवणासुत्तं तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं पंचण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अगियाधिवतीणं चउण्ह य सट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं उत्तरिल्लाणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरवच्चं कुव्वमाणे विहरति । ३४. कहि णं भंते ! णागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! णागकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सवाहल्लाए उरि एग जोयणसहस्सं ओगाहित्ता हेढा वेगं जोयणसहस्सं वज्जित्ता' मज्झे अट्रहत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं णागकमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं चलसीइ भवणावाससयसहस्सा हवंतीति मक्खातं । ते णं भवणा बाहि वडा अंतो चउरंसा जाव'पडिरूवा । तत्थ णं णागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पणत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ गं बहवे णागकुमारा देवा परिवसंति~ महिड्ढीया महाजुतीया, सेसं जहा ओहियाणं जाव' विहरति । धरण-भूयाणंदा एत्थ दुवे णागकुमारिंदा णागकुमाररायाणो परिवसंति-महिड्ढीया, सेसं जहा ओहियाण जाव' विहरति । ३५. कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं पागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! दाहिगिल्ला णागकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उरि एग जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अदृहत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं चोयालीसं भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भवणा वाहिं वट्टा अंतो चउरंसा जाव' पडिरूवा । एत्थ णं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । एत्थ णं बहवे दाहिणिल्ला नागकुमारा देवा परिवसंति -~महिड्ढीया जाव' विहरंति । धरणे यत्थ' णागकुमारिदे णागकुमारराया परिवसति-महिड्ढीए जाव पभासेमाणे । से णं तत्थ चोयालीसाए भवणावाससयसहस्साणं छण्हं सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं पंचण्हं अग्गम हिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्डं अणियाणं सत्तण्ड अणियाधिवतीणं चउव्वीसाए आयरक्ख देवसाहस्सीणं अण्णेसि च वहणं दाहिणिल्लाणं णागकुमाराण देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुब्वमाणे विहरति । १. पूर्वालापकेषु कारेमाणे इति पदमस्ति, अत्र च उत्तरत्तिसंग्रहगाथाभ्योऽवसेयम् । 'कुबमाणे' इति पदमस्ति यथा सामित्तं ५.५० २।३०। इत्यादि पदानां सूचकं जाव पदमपि नास्ति। ६.५० २।३०। २. वज्जिऊण (क,घ,पु)। ७,८. प० २।३० । ३. प० २३० । ६. एत्य (घ)। ४. एषां वर्णादिरूपणमत्र नहि दृश्यते । तत् १०.५० २।३० । Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयं ५३ ३६. कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला णागकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ? जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सवाहल्लाए उरि एग जोयणसहस्सं ओगाहेत्ता हेट्ठा वेगं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थे णं उत्तरिल्लाणं णागकुमाराणं देवाणं चत्तालीसं भवणावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं । ते णं भवणा बाहिं वट्टा सेसं जहा दाहिणिल्लाणं जाव' विहरंति। भूयाणंदे यत्थ णागकुमारिदे नागकुमारराया परिवसति-महिड्ढीए जाव' पभासेमाणे । से णं तत्थ चत्तालीसाए भवणावाससतसहस्साणं आहेवच्चं जाव' विहरति ।। ३७. कहि णं भंते'! सुवणकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! सुवण्णकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव' एत्थ णं सुवण्णकुमाराणं देवाणं वावरि भवणावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं । ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव' पडिरूवा । तत्थ णं सुवण्णकुमारणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताण ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे सुवण्णकुमारा देवा परिवसंति- महिड्ढिया, सेसं जहा ओहियाणं जाव" विहरंति । वेणुदेव-वेणुदाली यत्थ दुवे सुवण्णकुमारिंदा सुबकुमाररायाणो परिवसंति---महिढीया जाव' विहरंति ॥ ३८. कहिणं भंते ! दाहिणिल्लाणं सुवण्णकुमाराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! दाहिणिल्ला सुवण्णकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए जाव" मज्झे अद्रहत्तरे जोयणसतसहस्से, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं सुवण्णकमाराणं अद्वतीसं" भवणावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं । ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव" पडिरूवा । एत्थ णं दाहिणिल्लाणं सुवण्णकुमाराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पणत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । एत्थ णं बहवे सुवण्णकुमारा देवा परिवसंति । वेणदेवे यत्थ सूपिणदे सूवण्णकमारराया परिवसइ । सेसं जहा" णामकमाराण।। 38. कहिणं भंते ! उत्तरिल्लाणं सुवण्णकमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला सुवण्णकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए जाव" एत्थ णं उत्तरिल्लाणं सुवण्णकुमाराणं चोत्तीसं भवणावाससतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव" एत्थ णं बहवे उत्तरिल्ला सुवष्णकुमारा १.५० २०३५ । ३.५० २।३०। ३.१०।३०। ४. प० २।३१। ५. प० २।३० । ६. महिड्ढीया (ग)। ७.१०२।३०। ८. य इत्थ (क,ख,ग,ध)। ६. प० २।३०। १०.५०२३१ । ११. अट्ठत्तीस (ग)। १२. प० २।३०। १३. प० २३५ १४.५०।३१। Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ पण्णवणासुतं देवा परिवसंति-महिड्ढिया जाव' विहरति । वेणुदाली यत्थ सुवण्णकुमारिंदे सुवण्णकुमारराया परिवसति-~-महिड्ढीए, सेसं जहा' णागकुमाराणं ॥ ४०. एवं जहा सुवण्णकुमाराणं वत्तव्वया भणिता तहा सेसाण वि चोइसण्हं इंदाणं भाणितव्वा', नवरं--भवणनाणत्तं इंदनाणत्तं वण्णनाणत्तं परिहाणनाणत्तं च इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्वं चोवट्टि असुराणं, चुलसीती चेव होति' णागाणं । बावत्तरि सुवण्णे, वाउकुमाराण छण्णउई ॥१॥ दीव-दिसा-उदहीणं, विज्जुकुमारिद-थणिय-मम्गीण । छण्हं पि जुवलयाणं, छावत्तरिमो' सतसहस्सा ॥२॥ चोत्तीसा चोयाला, अट्ठतीसं च सयसहस्साई। पण्णा चत्तालीसा, दाहिणओ होंति भवणाई ॥३॥ तीसा चत्तालीसा, चोत्तीसं चेव सयसहस्साई। छायाला छत्तीसा, उत्तरओ होंति भवणाई ॥४॥ चउसट्ठी सट्ठी खलु, छच्च सहस्सा उ असुरवज्जाण। सामाणिया उ एए, चउम्गुणा आयरक्खा उ ॥५॥ चमरे धरणे तह वेणुदेव हरिकेत अग्गिसीहे य । पुण्णे जलकते या, अमिय विलंबे य घोसे य ।।६।। बलि भयाणंदे वेणुदालि हरिस्सहे अग्गिमाणव विसिट्ठे।' जलप्पहे अमियवाहण पभंजणे या महाघोसे ।।७।। उत्तरिल्ला जाव विहरंति। काला असुरकुमारा, णागा उदही य पंडरा दो वि। वरकणगणिहसगोरा, होति सुवण्णा दिसा थणिया ॥८॥ उत्तत्तकणगवण्णा विज्जू अग्गी य होंति दीवा य । सामा पियंगुवण्णा, वाउकुमारा मुणेयव्वा ।।६।। असुरेसु होति रत्ता, सिलिधपुप्फप्पभा य नागुदही। आसासगवसणधरा, होति सुवण्णा दिसा थणिया ॥१०॥ णीलाणुरागवसणा, विज्जू अग्गी य होंति दीवा य । संशाणुरागवसणा, वाउकुमारा मुणेयव्वा ॥११॥ १. प० २।३०। जातः। समवायाङ्ग (७६१२) सुत्रेण २. प० २३६ । 'छावत्तरिमो' इति पाठस्यैव पुष्टिर्जायते। ३.१० २०३७-३९। ७. वसिठे (ख,प)। ४. चोस४ि (क)। ८. पांडुरा (ख); पंडुरा (ग,घ) । ५. होंति (ख)। ९. असुरेहि (क)। ६. बावत्तरिमो (ख) एष पाठो लिपिदोषेण अशुद्धो Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं छाणपर्व वाणमंतरदेवठाण-पदं ४१. कहि णं भंते ! वाणमंतराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! वाणमंतरा देवा परिवसंति ? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरि एगं जोयणसतं ओगाहित्ता हेट्ठा वि एग जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु, एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जणगरावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं ! ते णं भोमेज्जा णगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किण्णंतरविउलगंभीरखाय-परिहा पागारट्रालय-कवाड-तोरण-पडिदुवारदेसभागा जंत-सय ग्घि-मुसल-मुसुंढिपरिवारिया' अओज्झा सदाजता सदागुत्ता अडयालकोट्ठगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किकरामरदंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस-सरस रत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितला उचितवंदणकलसा वंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिया कालागरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्कधूवमधमघेतगंधुद्धयाभिरामा सुगंध-वरगंध-गंधिया गंधवट्टिभूता अच्छरगणसंघसंविकिण्णा दिव्वतुडितसद्दसंपणदिता पडागमालाउलाभिरामा सव्वरयणामया अच्छा सोहा लण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया' सउज्जोता पासादीया' दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं वाणमंतराण देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे वाणमंतरा देवा परिवसंति, तं जहा–पिसाया भूया जक्खा रक्खसा किन्नरा किंपुरिसा, भयगवइणो य महाकाया, गंधव्वगणा य निउणगंधव्वगीतरइणो अणवणिय-पणवणिय-इसिवाइय. भयवाइय-कंदित-महाकदिय-कुहंड-पयगदेवा चंचलचल चवलचित्तकीलण-दवप्पिया गहिरहसिय-गीय-णच्चणरई वणमालामेल-मउल-कुंडल-सच्छंदविउव्वियाभरणचारुभसणधरा सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलंवसोहंतकंतवियसंताचित्तवणमाल रइयवच्छा' कामगमा कामरूवदेहधारी णाणाविहवण्णरागवरवत्थ-चित्तचिल्लगणियसणा' विविहदेसिणेवच्छगहियवेसा पमुइयकंदप्प-कलह-केलि-कोलाहल प्पिया हास-बोलबहुला असि-मोग्गर-सत्तिकुंतहत्था अणेगमणि-रयण विविहणिजुत्तविचित्तचिधगया" सुरूवा महिड्ढीया महज्जूतीया महायसा महावला महाणुभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडय-तुडितथंभियभया अंगय"-कुंडल-मट्ठगंडयलकण्णपीढधारी विचित्तहत्थाभरणा" विचित्तमाला-मउली कल्लाणग १. परियारिया (क,ख,घ)। २. ४ (क,ख,ग,घ)। ६. भलत्तिचित्तरूवगणियंसणा (ख); मुद्रितवृत्ती ३. पासातीता (घ)। 'चिल्ललगानि' इति दृश्यते । ४. महाकंदिया य (क,ग,घ,पु)। १०. °देसणेवत्थ° (ख,ग,ध) । ५. गहिरहसियपिय (क,ख,ग,घ)। ११. °णिजुत्तचित्त (क,ख,ग,घ)। ६. मउड (क,ग,घ) 1 १२. महागुभावा (घ)। ७. विहसंत° (घ) । १३. संगय (क,ख,ग,घ)। ८. कामकामा (क,ख,ग, मवपा); कामकमा १४. °वत्था भरणा (घ)। Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ पण्णवणासुतं पवरवत्थपरिहिया कल्लाण गपव रमल्लाणुलेवणधरा भासुरवोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेण संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेण दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए जुतीए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेस्साए दस दिसाओ उज्जीवेमाणा प्रभासेमाणा । ते गं तत्थ साणं- साणं भोमेज्जगणगरावाससतसहस्साणं' साणं- साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं- साणं अग्गमहिसीणं साणं- साणं परिमाणं साणं- साणं अणियाणं साणं साणं अणियाधिवतीगं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सी अण्णेसि च वहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणात्रच्चं कारेमाण। पालेमाणा महयाहृतणट्ट-गीयवाइयतंती-तल-ताल-तुडिय -घणमुइंगपडुप्पवाइय रवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरति ॥ ४२. कहि णं भंते! विसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते! पिसाया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाहल्लस्स उवरि एवं जोयणसतं ओगाहिता हेट्ठा वेगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु, एत्थ णं पिसायाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जाणगरावास सतसहस्सा' 'भवतीति मक्खातं । ते णं भोमेज्जाणगरा वाहि वट्टा जहा ओहिओ भवणवण्णओ तहा भाणितव्वो जाव' पडिरूवा । एत्थ णं पिसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे पिसाया देवा परिवसंतिमहिडिया जहा ओहिया जाव' विहरति । काल-महाकाल यत्थ दुवे पिसायइंदा' पिसायरायाणो परिवसंति-- महिड्डिया महज्जुइया जाव' विहरति ॥ ४३. कहि णं भंते! दाहिणिल्लाणं विसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते! दाहिणिल्ला पिसाया देवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाल्लस्स उवरि एवं जोयणसतं ओगाहिता हेट्टा वेगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोणसएस, एत्थ णं दाहिणिल्लाणं पिसायाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जगनगरावाससतसहस्सा' भवतीति मक्खातं । 'ते णं भोमेज्जगणगरा वाहि वट्टा जहा" ओहिओ भवणवण्णओ तहा" भाणियव्वो जाव" पडिरूवा । एत्थ गं दाहिणिल्लाणं पिसायाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे दाहि १. भोमेज्जणगरा (क, ख ) ; असंखेज्जा भोमेज्जानगरा° (ग) 1 २. भोमेज्ज ( ख, ग, घ ) ; स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धिवर्त्तते । ३. ५० २।३० । ४. प० २१४१ । ५. पिसाइंदा (ख, घ); पिसायंदा ( ग ) । ६. ० २।४१ । ७. ४ ( क,ख,ग ) 1 ८. भोमेज्जनगरा° ( क, ख, ग, घ ) । ६. ते णं भवणा जहा (क, ख, ग, घ ) 1 १०. तहेव ( क ) । ११. ० २।३० । Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ fesयं ठाणपयं जिल्ला पिसाया देवा परिवसंति- महिडिडया जहा ओहिया जाव' विहरति । काले यत्थ पिसायइंदे पिसायराया परिवसति महिड्ढीए जाव' पभासेमाणे । से णं तत्थ तिरियमसंखेज्जाणं भोमेज्जगनगरावाससतसहस्साणं चउन्हं सामाणियसाहस्सीणं चउण्हमग्गमहिसणं' सपरिवाराणं तिण्हं परिमाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाधिवतीगं सोलसण्हं आत रक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च बहूणं दाहिणिल्लाणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्च जाव विहरति ॥ ४४. उत्तरिल्लाणं पुच्छा । गोयमा ! जहेब दाहिणिल्लाणं वत्तव्वया तहेव' उत्तरल्लाणं पि, नवरं -- मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं । १.५० २१४१ ॥ २. प० २१४१ । ३. चउन्हं य अग्ग° (क); चउण्ह य मग्ग (ख) ग); चउण्ह य अग्ग° (घ) ! ४. १० २३० । ५. ५० २।४३ । ६. प० २१४३ । ७. ५० २१४३, ४४ । -- महाकाले यत्थ पिसायइंदे पिसायराया परिवसति जाव' विहरति || ४५. एवं जहा पिसायाणं तहा भूयाणं पिजाव गंधव्वाणं, णवरं - इंदेसु णाणत्तं भागिय इमे विहिणा - भूयाणं सुरूव-पडिरूवा, जवखाणं पुण्णभद्द- माणिभद्दा, रक्खसाणं भीम महाभीमा, किष्णराणं किण्णर- किंपुरिसा, किंपुरिसार्ण सप्पुरिस-महापुरिसा, महोरगाणं अइकाय -महाकाया, गंधव्वाणं गीतरति' - गीतजसे जाव' विहरति । १ काले य महाकाले, २ सुरूव पडिरूव ३ पुण्णभद्दे य अमरवइ माणिभद्दे, ४ भीमे य तहा महाभीमे || १ || ५ किण्णर किंपुरिसे खलु, ६ सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे । ७ अइकाय महाकाए, म गीयरई चैव गीतजसे ॥ २ ॥ ४६. कहि गं भंते ! अणवन्त्रियाणं देवाणं [पज्जत्तापज्जत्ताणं ? ] ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते! अणवणिया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाहल्लस्स 'उवरि हेट्ठा य एवं जोयणसयं वज्जेत्ता मज्झे असु जोयणसतेसु, एत्थ णं अणवणियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जा" जगरावासमय सहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं जावर पडिरूवा, एत्थ णं अणवणियाणं देवाणं ठाणा । उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ गं वहवे अणवनिया देवा परिवसंति - महढिया जहा पिसाया जाव" विहरति । सन्निहिय-सामाणा" यत्थ दुवे अणवण्णदा अणवष्णियकुमाररायाणो परिवसंति महिड्ढीया जहा " काल - महाकाला ॥ ८. गीतरती (क, ग ) 1 ६. ५० २१४३, ४४ १०. उवर जाव अट्ठसु ( ख, ग, घ ) । ११. X ( क, ख, ग, पु) १२. प० २१४१ । १३. ५० २१४२ । १४. सामाणी ( क ) ; सामाणि (ग) 1 १५. प० २४२ । ५७ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासु ४७. एवं जहा काल-महाकालाणं दोन्हं पि दाहिणिल्लाणं उत्तरिल्लाण य भणिया तहा सन्निहिय-सामाणाणं' पि भाणियव्वा' । संगहणिगाहा ५८ १ अणवन्निय, २ पणवत्रिय, ३ इसिवाइय, ४ भूयवाइया चेव । ५ 'कंदिय, ६ महाकंदिय, ७ कुहंड य, ८ पयगा देवा * ॥१॥ इमे इंदा १ सण्णिहिया सामाणा, २ धाय विधाए, ३ इसी य इसिपाले । ४ ईसर महेसरे या, ५ हवइ सुवच्छे विसाले य ॥२॥ ६ हासे हासरई 'विय", ७ सेते य तहा भवे महासेते । ८पयते' 'पपई वि य", नेयव्वा आणुपुव्वीए ॥ ३॥ जोइसियदेवठाण-पदं ४८. कहि णं भंते! जोइसियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते! जोइसिया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रतणप्पभाए पुढवीए बहुसम - रमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्ताणउते जोयणसते उड्ढं उप्पइत्ता दसुत्तरे' जोयण सतबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोतिसत्रिसये, एत्थ गं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा जोइसियविमाणावास सतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं विमाणा अद्धक विट्ठगसंठाणसंठिता सव्व फालियामया अब्भुग्गयमूसियत हसिया इव विविमणि कणग-रतणभत्तिचित्ता बाउद्भुतविजयवेजयंतीपडाग-छत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगणतल मजुलिहमाणसिहरा जालंतररतणपंजरुम्मिलिय व्व मणि-कणगथू भियागा वियसियसयवत्तपुंडरीय'- तिलय रयणद्धचंदचित्ता णाणामणिमयदामालं किया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जरुइलवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीया सुरूवा परसाईया दरिसणिज्जा' अभिरुवा पडिरूवा, एत्थ णं जोइसिया देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखिज्जतिभागे । तत्थ णं बहवे जोइसिया देवा परिवति, तं जहा वहस्सती चंदा सूरा सुक्का सणिच्छरा राहू धूमकेऊ बुहा अंगारा तत्ततवणिज्जकणगवण्णा, जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केतू य गइरइया अट्ठावीसतिविहाय नक्खत्तदेवयगणा, णाणासंठाणसंठियाओ य पंचवण्णाओ तारयाओ, ठितलेस्सा चारिणो अविस्साममंडलगई पत्तेयणामंकपागडियचधमउडा" महिड्ढिया जाव" पभासेमाणा । ते णं तत्थ साणं- साणं विमाणावाससतसहस्साणं साणं- साणं सामाणिय १. सामाणी ( ख, ग ) । ०२४३, ४४ । २. ( ग ) ; ३. कंद्रिय महाकंदिय कुहंडपदेवा इमे इंदा ( ख ) ; यि महादिकोडी पयगए चेव कंदिय महादिय कुड य पयगदेवा य कंद महाकंदिय कुहंडे पययदेवा इमे ईदा (घ ) ; ४. चेव (क); वसे (ख, घ ) । ५. यगे ( क ) ; पयए (घ) 1 (पु) 1 ६. पयते याविय ( ख ) ; पयंग वियते ( ग ) ; ययय पए (घ ) । ७. दसुत्तर (क, ख, ग, घ ) ८. पुंडरीया (पु); 'पुंडरीय' इति पदं गम्यते । ६. दरमणिज्जा ( क ख ) ! १०. पगडिय° (घ) ११. ० २३० । मलयगिरिवृत्त्याश्रयेण Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयें ३६ साहस्सीणं साणं-साणं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अणियाणं साणं-साणं अणियाधिवतीणं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं जोइसियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव' विहरंति।। चंदिम-सूरिया यत्थ दुवे जोइसिंदा जोइसियरायाणो परिवसंति-महिड्ढिया जाव पभासेमाणा । ते णं तत्थ साणं-साणं जोइसिय विमाणावाससतसहस्साणं चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चउण्हं अग्गम हिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाधिवतीणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च बहूणं जोइसियाणं देवाण य देवीण य आहेबच्चं पोरेवच्च जाव विहरति ।। वेमाणियदेवठाण-पदं ४६. कहि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते ! वेमाणिया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रतणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-णक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई बहुई जोयणसयसहस्साई बहुगीओ' जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं सोहम्मीलाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतगमहासुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुत-गेवेज्ज-अणुत्तरेसु, एत्थ णं वेमाणियाणं देवाणं चउरासीइ विमाणावाससतसहस्सा सत्ताणउइं च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खातं । ते णं विमाणा सव्वरतणामया अच्छा सोहा लण्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कड़च्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं वेमाणियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। तिस वि लोयस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे वेमाणिया देवा परिवसंति, तं जहा--सोहम्मीसाणसणंकुमार-माहिद-बंभलोग-लंतग-महासुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुय-गेवेज्जगअणुत्तरोववाइया देवा । ते णं मिग-महिस-वराह-सीह-छगल-ददुर-हय-गयवइ-भुयग-खग्गउसभंक-विडिम-पागडियचिंधमउडा पसढिलवरमउड-तिरीडधारिणो वरकुंडलुज्जोइयाणणा मउडदित्तसिरया रत्ताभा पउमपम्हगोरा सेया सुहवण्ण-गंध-फासा उत्तमवेउविणो पवरवत्थगंध-मल्लाणुलेवणधरा महिड्ढीया महज्जुइया महायसा महाबला महाणुभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडय-तुडियथंभियभुया अंगद-कुंडल-मट्टगंडतलकण्णपीढधारी' विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमाला-मउली कल्लाणगपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणलेवणा भासुरवोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिवेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढोए दिव्बाए जुतीए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिवाए लेस्साए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा! ते णं तत्थ साणं-साणं विमाणावाससयसहस्साणं साणं-साणं सामाणियसाहस्सीगं साणं-साणं तावत्तीसगाणं साणं-साणं लोगपालाणं साणं-साणं सपरिवाराणं अगमहिसीणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अणियाणं साणं-साणं अणियाधिवतीणं साणं १. प० २।३०। २. गहगण (ख,घ)। ३. बहुगाओ (क,ख,ग)। ४. °तलपीठधारी (ध)। Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च बहणं वेमाणियाणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहतनट्ट-गीय-वाइततंती-तल-ताल-तुडित-घणमुइंगपडप्पवाइतरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भंजमाणा विहरंति ॥ ५०. कहिणं भंते ! सोहम्मगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहिणं भंते ! सोहम्मगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुट्टीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स दाहिणणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहनक्खत्ततारारूवाणं वहई जोयणसताणि बहई जोयणसहस्साई बहई जोयणसतसहस्साई वहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढे दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं सोहम्मे णामं कप्पे पण्णत्ते---पाईण-पडीणायते उदीण-दाहिणवित्थिण्णे अद्धचंदसंठाणसंठिते अच्चिमालिभासरासिवण्णाभे असंखेज्जाओ जोयणकोडीओ असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ आयाम-विक्खंभेणं, असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं, सव्वरयणामए अच्छे जावपडिरूवे तत्थ णं सोहम्मगदेवाणं क्त्तीसं विमाणावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खातं । ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं विमाणाणं बहुमज्झदेसभागे पंच वडसया पण्णत्ता,त जहा-असागवडसएसोत्तवण्णवडसए'चपगवडसए चयवडसए मज्झं यत्थ सोहम्मवडेंसए । ते णं वडेंसया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं सोहम्मगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ गं बहवे सोहम्मगदेवा परिवसंति- महिड्डीया जाव' पभासेमाणा। ते गं तत्थ साणं-साणं विमाणावाससतसहस्साणं साथ-साणं सामाणियसाहस्सीणं एवं जहेव ओहियाणं तहेव एतेसि पि भाणितव्वं जाव' आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च वणं सोहम्मगकप्पवासीणं वेमाणियाण देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति । सक्के यत्थ देविदे देवराया परिवसति, वज्जपाणी पुरंदरे सतक्कतू सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणलोगाधिवती वत्तीसविमाणावाससतसहस्साधिवती एरावणवाहणे सरिदे अरयंवरवत्थधरे आलइयमाल-मउडे णवहेमचारुचित्तचंचलकुंडल विलिहिज्जमाणगंडे महिड्डिए जाव पभासेमाणे। से णं तत्य वत्तीसाए विमाणावाससतसहस्साणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाधिवतीणं च उण्हं च उरासीईणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं सोहम्मगकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुव्वमाणे जाव विहरइ ।। ५१. कहिणं भंते ! ईसाणगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते! ईसाणगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-णक्खत्त १. प० २०४६ २. सत्तवग्ण° (ग,घ)। ३,४,.. प० २१४६। ६. ३३ सूत्रे 'कुव्वमाणे' इतिपदानन्तरं जाव' इति पदं नास्ति। Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं ठाणपयं ६१ तारारूवाणं बहूइं जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई जाव' उप्पइत्ता, एत्थ णं ईसाणे णाम कप्पे पण्णत्ते - पाईण-पडीणायते उदीण दाहिणविच्छिण्णे एवं जहा सोहम्मे जाव' पडिरूवे ! तत्थ णं ईसाणगदेवाणं अट्ठावीसं विमाणावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खातं । ते णं विमाणा सव्वरयणामया जाव पडिहवा । तेसि णं बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहाअंकवडेंस फलिहवडेंसए रतणवडेंसए जातरूववडेंसए मज्झे यत्थ ईसाणवडेंसए । तेणं वडेंसया सव्वरयणामया जाव' पडिरूवा. एत्थ णं ईसाणाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जतिभागे । सेसं जहा सोहम्मगदेवाणं जाव विहरति । साणे यत् देविंदे देवराया परिवसति--सुलपाणी वसभवाहणे उत्तरङ्गुलोगाधिवती agrat विमाणावाससतसहस्साधिवती अरयंवरवत्थधरे सेसं जहा सक्कस्स जाव' पभासेमाणे । सेणं तत्थ अट्ठावीसाए विमाणावाससतसहस्साणं असीतीए सामाणियसाहस्तीर्ण तात्तीसार तावत्ती सगाणं चउन्हं लोगपालाणं अट्टहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिमाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाधिवतीणं चउण्हं असीतीणं आयरक्खदेव साहस्सीणं अण्णेसि च बहूणं ईसाणकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्च कुब्वमाणे जाव' विहरति ॥ 1 ५२. कहिणं भंते! सणकुमारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते! सणकुमारदेवा" परिवसंति ? गोयमा ! सोहम्मस्स कप्पस्स उप्पि सपक्खि सपडदिसि 'बहूइं जोयणाई " बहूइं जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साइं बहूइं जोयणसतसहस्साइं बहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं सणंकुमारे णामं कप्पे पाईण-पडीणायते उदीण दाहिणविच्छिणे जहा सोहम्मे जाव' पडिरूवे, एत्थ णं णकुमाराणं देवाणं वारस विमाणावाससतसहस्सा भवतीति मक्खातं । ते णं विमाणा सव्वरयणामया जाव" पडिरूवा । तेसि णं विमाणाणं बहुमज्झदेसभागे पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा - असोगवडेंसए सत्तिवण्णवडेंसए चंपगवडेंसए चूयवडेंसए मज्झे यत्थ सणकुमारवडेंस । तेणं वडेंसया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिख्वा, एत्थ णं सणकुमारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता | तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे सणकुमारा देवा परिवसंति - महिड्डिया जाव" पभासेमाणा विहरंति, णवरंअग्गमहिसीओ णत्थि । सणंकुमारे यत्थ देविंदे देवराया परिवसति--अरयंवरवत्थधरे सेसं जहा " सक्क्स्स । से गं तत्थ वारसहं विमाणावाससतसहस्साणं वावत्तरीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा सक्क अग्ग महिसीवज्जं, णवरं -- चउण्हं वावत्तरीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव विहरइ || १,२. ५० २१५० ३. एत्थ (पु) । ४. १० २४६ ५. प० २।५० । ६. १० २१४६ । ७. सणकुमारा देवा (ग.घ) । ८. 'बहूई जोयणाई' इति पाठ: 'सनत्कुमारमाहेन्द्रब्रह्मलोकालापकेषु एव दृश्यते । ६. प० २।५० । १०,११. ५० २१४६ १२. प० २५० | Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं ५३. कहि णं भते! माहिंदाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते ! माहिंदगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! ईसाणस्स कप्पस्स उप्पि सपविख सपडिदिसि बहूई जोयणाई जाव' बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं माहिंदे णामं कप्पे पायीण-पडीणायए एवं जहेव' सणंकुमारे, णवरं-अढ विमाणावाससतसहस्सा । वडेंसया जहा ईसाणे, णवरं-मज्झे यत्थ माहिंदवडेंसए। एवं सेसं जहा सणकुमारदेवाणं जाव विहरति। माहिदे यत्थ देविदे देवराया परिवसति-अरयंबरवत्थधरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव णवरं--अट्टण्हं विमाणावाससतसहस्साणं सत्तरीए सामाणियसाहस्सीणं चउण्हं सत्तरीणं आय रक्खदेवसाहस्सीणं जाव" विहरइ ।। ५४. कहिणं भंते ! बंभलोगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता? कहिणं भंते! बंभलोगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! सणंकुमार-माहिंदाणं कप्पाणं उप्पि सपक्खि सपडिदिसि बहुइं जोयणाई जाव' उप्पइत्ता, एत्थ णं बंभलोए णाम कप्पे पाईण-पडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिते अच्चिमाली-भासरासिप्पभे अवसेसं जहा" सणंकुमाराणं, णवरं --चत्तारि विमाणावाससतसहस्सा। वडिसगा जहा" सोहम्मवडेंसया, गवर--मज्झे यत्थ बंभलोयडिसए, एत्थ णं बंभलोगाणं देवाणं ठाणा पण्णत्ता । सेसं तहेव जाव' विहरति । बंभे यत्थ देविदे देवराया परिवसति-अरयंबरवत्थधरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव" विहरति, णवरं-च उण्हं विमाणावाससतसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं चउण्ह य सट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं जाव" विहरति ।।। ५५. कहि णं भंते ! लंतगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! लंतगदेवा परिवसंति ? गोयमा ! बंभलोगस्स कप्पस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसिं बहुई जोयणसयाइं जाव" बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं लंतए णामं कप्पे पण्णत्ते-पाईण-पडीणायए जहा बंभलोए, णवरं-पण्णासं' विमाणावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं । वडेंसगा जहा“ ईसाणवडेंसगा, णवरं-मज्झे यत्थ लंतगवडेंसए । देवा तहेव जाव" विहरति ।। लंतए यत्थ देविदे देवराया परिवसति जहा सणंकुमारे, णवरं---पण्णासाए विमाणावाससहस्साणं पण्णासाए सामाणियसाहस्सीणं चउण्ह य पण्णासाणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि च बहूणं जाव" विहरति । ५६. कहि णं भंते ! महासुक्काणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते ! महासक्का देवा परिवसंति ? गोयमा! लंतयस्स कप्पस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसि १,२. प० २१५२ । ६. प० २०५२1 १६. प० २१५४ । ३. प० २१५१ । १०. १०२।५३ । १७. पण्णासा (क)। ४. सणकुमारगदेवाणं (क)। ११. ५० २१२० । १६. प० २०५१। ५,६. प० २१५२ । १२,१३. प० २०५२। १६. प० २५०। ७. प० ।५०। १४. ५० २।५० । २०.५० २०५२। ८. सपक्ख (ग)। १५. प० २१५२। २१. प०२१५०। Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विइयं ठाणपर्य जाव' उप्पइत्ता, एत्थ णं महासुक्के णामं कप्पे पण्णत्ते-पाईण-पडीणायए उदीणदाहिण वित्थिपणे जहा' बंभलोए, णवरं-चत्तालीसं विमाणावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं । वडेंसगा जहा सोहम्मवडेंसगा, णवरं-मज्झे यत्थ महासुक्कवडेंसए जाव विहरति । महासुक्के यत्थ देविदे देवराया जहा सणंकुमारे, णवरं-चत्तालीसाए विमाणावाससहस्साणं चत्तालीसाए सामाणियसाहस्सीणं चउण्ह य चत्तालीसाणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव' विहरति ।।। ५७. कहि णं भंते ! सहस्सारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि णं भंते ! सहस्सारदेवा परिवसंति ? गोयमा ! महासुक्कस्स कप्पस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसिं जाव' उपपइत्ता, एत्थ णं सहस्सारे णामं कप्पे पण्णत्ते-पाईण-पडीणायते जहां बंभलोए, णवरं । छव्विमाणावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं । देवा तहेव जाव वडेंसगा जहा" ईसाणवडेंसगा", णवरं-~मज्झे यत्थ सहस्सारवडेंसए जाव" विहरंति ।। सहस्सारे यत्थ देविदे देवराया परिवसति जहा" सणंकुमारे, गवरं-छण्हं विमाणावाससहस्साणं तीसाए सामाणियसाहस्सीणं च उण्ह य तीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव" आहेबच्चं कारेमाणे विहरति ।। ५८. कहि णं भंते ! आणय-पाणयाणं देवाणं पज्जतापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता? कहि णं भंते ! आणय-पाणया देवा परिवसंति ? गोयमा! सहस्सारस्स कप्पस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसिं जाव" उप्पइत्ता, एत्थ णं आणय-पाणयनामेणं दुवे कप्पा पण्णत्तापाईण-पडीणायता उदीण-दाहिणवित्थिण्णा अद्धचंदसंठाणसंठिता अच्चिमाली-भासरासिप्पभा, सेसं जहा सणंकुमारे" जाव पडिरूवा। तत्थ णं आणय-पाणयदेवाणं चत्तारि विमाणावाससता भवंतीति मक्खायं जाव" पडिरूवा। वडिसगा जहा सोहम्मे, णवरं-- मज्झे पाणयव.सए । ते णं वडेंसगा सव्वरयणामया अच्छा जाव" पडिरूवा, एत्य णं आणयपाणयदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं वहवे आणय-पाणयदेवा परिवसंति-महिड्डीया जावर पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणंसाणं विमाणावाससयाणं जाव विहरंति । पाणए यत्थ देविदे देवराया परिवसति जहा सणंकुमारे, णवरं-चउण्हं विमाणावाससयाणं वीसाए सामाणियसाहस्सीणं असीतीए आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसिं च वहूर्ण जाव" विहरति ॥ ५६. कहि णं भंते ! आरणच्चुताणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ? कहि गं भंते ! आरणच्चुता देवा परिवसंति? गोयमा! आणय-पाणयाणं कप्पाणं १. प० २१५२ । ६. प० २१५४ । १६,१७. ५० २०५२ 1 २. पायीण (क,ख,घ)। १०.५० २१५०। १८. प० २।४६ । ३. प० २।५४ । ११. प० २१५१ । १६. प० २०५०। ४,५. प० २।५०। १२. ईसाणस्स वडेंसगा (ख)। २०,२१. प० २।४६ । ६.५० १५२। १३. प० २५० २२. प०४६। ७. प०२।५०1 १४. प० ।५२। २३. प० २१५२। ८.प. २०५२। १५. प० २१५० २४. प० २१५०। Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૪ पणवणासु aft पक्खि पडिदिसि 'जाव' उपइत्ता", एत्थ णं आरणच्च्या णामं दुवे कप्पा पण्णत्ता - पाईण-पडीणायया उदीण दाहिणविच्छिण्णा अद्धचंदसंठाणसंठिता अच्चिमालीभासरासिवण्णाभा असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ आयाम - विक्खंभेणं असंखेज्जाओ starकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लम्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निष्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिल्वा, एत्थ णं आरणच्चुताणं देवाणं तिष्णि विमाणावाससता हवंतीति मक्खायं । ते गं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निष्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोता पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिवा ! तेसि णं विमाणाणं' बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा -- अंकवडेंसए फलिहवडेंसए रयणवडेंसए जायरूववडेंसए मज्झे यत्थ अच्चुतवडेंसए । तेणं वडेंसया सव्वरयणामया जाव पडिख्वा, एत्थ णं आरणच्चयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे आरणच्चुता देवा जाव* विहरति । अच्चुते यत्थ देविंदे देवराया परिवसति जहा पाणए जाव' विहरति, णवरं - तिन्हं विमाणावाससताणं दसहं सामाणियसाहस्सीणं चत्तालीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं आहेवच्चं कुव्वमाणे जाव' विहरति । वत्तीस अवीसा, बारस अटु चउरो सतसहस्सा । पण्णा चत्तालीसा, छ च्च सहस्सा सहस्सारे ॥ १॥ आणय - पाणयकप्पे, चत्तारि सयारणच्चुए तिण्णि । सत्त विमाणसयाई, चउसु वि एएसु कप्पेसु ॥ २॥ सामाणियसंग्रहणीगाहा चउरासीइ १ असीई २ बावत्तरि ३ सत्तरीय ४ सट्ठी य ५ । पण्णा ६ चत्तालीसा ७ तीसा ८ वीसा ६-१० दस सहस्सा ११-१२ ॥३॥ एते चेव आयरक्खा चउगुणा ॥ ६०. कहि णं भंते ! हेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! हेट्ठिमगेवेज्जा देवा परिवसति ? गोयमा ! आरणच्चुताणं कप्पाणं उपि जाव' उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं हैट्ठिमगेवेज्जगाणं देवाणं तओ गेवेज्जविमाणपत्थडा पण्णत्ता-पाईण-पडीणायया उदीण दाहिणविच्छिण्णा पडिपुण्णचंद संठाणसंठिता अच्चिमाली -भासरासवण्णाभा सेसं जहा बंभलोगे जाव' पडिल्वा । तत्थ णं हेट्ठिमगेवेज्जगाणं देवाणं १. ०२५२ । २. आदर्शेषु असौ पाठो नास्ति, किन्तु पूर्वक्रमेण तथा भगवत्यां ( १४९४ - ६८ ) प्रतिपादितअन्तरसूत्रैश्च अस्य पाठस्य अपेक्षा अनुभूयते । ३. विमाणा कप्पाणं ( ग ); कप्पाणं (घ ) । ४० २२४६ ॥ ५. ५० २।५८ । ६. १० २१५० । ७. ट्ठावीस (क, ग ) । ८. ५० २।५६ । ६. ५० २।५४। Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विश्यं गणपयं 'एक्कारसुत्तरे विमाणावाससते" हवतीति' मक्खातं । ते णं विमाणा सव्वरयणामया जाव' पडिरूवा, एत्थ णं हेट्ठिमगेवेज्जगाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे । तत्थ णं बहवे हेट्ठिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति-सव्वे समिडिया सव्वे समज्जुतीया सव्वे समजसा सव्वे समबला सव्वे समाणुभावा 'सव्वे समसोक्खा" अणिदा अप्पेस्सा अपुरोहिया अहमिदा णामं ते देवगणा पण्णत्ता समणाउसो !॥ ६१. कहिणं भंते ! मज्झिमगाणं गेवेज्जगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! मज्झिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति ? गोयमा ! हेट्ठिमगेवेज्जगाणं उप्पि सविख सपडिदिसि जाव' उप्पइत्ता, एत्थ णं मज्झिमगेवेज्जगदेवाणं तओ गेवेज्जगविमाणपत्थडा पण्णत्ता-पाईण-पडीणायता जहा' हेट्ठिमगेवेज्जगाणं, णवरं-ससुत्तरे विमाणावाससते हवतीति” मक्खातं । ते णं विमाणा जाव' पडिरूवा, एत्थ णं मज्झिमगेवेज्जगाणं देवाणं जाव' तिसु वि लोगस्स असंखेज्जतिभागे। तत्थ णं बहवे मज्झिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति जाव" अहमिदा नाम ते देवगणा पण्णत्ता समणाउसो !॥ ६२. कहि णं भंते ! उवरिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! उवरिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति ? गोयमा ! मज्झिमगेवेज्जगदेवाणं उप्पि जाव" उप्पइत्ता, एत्थ णं उवरिमगेवेज्जगाणं देवाणं तओ गेवेज्जगविमाणपत्थडा पण्णत्ता-- पाईण-पडीणायता सेसं जहा हेट्ठिमगेवेज्जगाणं, नवरं-एगे विमाणावाससते भवतीति" मक्खातं । सेसं तहेव" भाणियव्वं जाव अहमिदा णामं ते देवगणा पण्णत्ता समणाउसो ! एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु, सत्तुत्तरं च मज्झिमए । सयमेगं उवरिमए, पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥१॥ ६३. कहिणं भंते ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ? कहिणं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्त-तारारूवाणं बहूई जोयणसयाई वहुई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसतसहस्साइं बहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय१. एक्कारसुत्तरविमाणवाससया (ग)। (वृत्ति पत्र ३६३) । अनया व्याख्यया 'सब्वे २. हवंतीति (क,ख,ग,घ)। समसोक्खा' इति पाठः एव फलति । एष एवात्र ३.५० २०४६ प्रकरणानुसारी वर्तते । ४. महासोक्खा (क,ख,ग,ध,पु); प्रज्ञापनावृत्तौ ५. प० २।५६ । 'समज्जुइया' इत्यादिपदानि नैव व्याख्यातानि ६. प० २१६०। सन्ति ---एवं 'समज्जुइया' इत्याद्यपि भाव- ७. हवंतीति (क,ख,ग)। नीयम । जीवाजीवाभिगमवत्ती 'समिडढीया' ८. प० २०४६ । इत्यादीनि सर्वाणि पदानि व्याख्यातानि सन्ति- ६,१०. प० २१६० । सर्वे-निरवशेषाः समा ऋद्धिर्येषां ते समद्धिकाः ११. ५० २०५६ । एवं सर्व समद्यतिकाः सर्वे समबलाः सवें १२.१४. प० २१६० । समयशसः सर्वे समानुभागाः सर्वे समसौख्याः १३. भवंतीति (क,ख,ग)। Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं लंतग-सुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुयकप्पा तिण्णि य अट्ठारसुत्तरे गेवेज्जविमाणावाससते वीतीवतित्ता तेण परं दूरं गता णीरया निम्मला वितिमिरा विसुद्धा पंचदिसि पंच अणुत्तरा महतिमहालया विमाणा पण्णत्ता, तं जहा--विजए वेजयंते जयंते अपराजिते सन्वट्ठसिद्धे। ते णं विमाणा सब्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता । तिसु वि लोगस्स असंखेज्जतिभागे । तत्थ णं वहवे अणुत्तरोववाइया देवा परिवसंति--सव्वे समिड्डिया सव्वे समबला सव्वे समाणुभावा 'सव्वे समसोक्खा" अणिदा अप्पेस्सा अपुरोहिता अहमिंदा णामं ते देवगणा पण्णत्ता समणाउसो ! ।। सिद्धठाण-पदं ६४. कहिणं भंते ! सिद्धाणं ठाणा पण्णत्ता ? कहि णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ? गोयमा! सव्वट्ठसिद्धस्स' महाविमाणस्स' उवरिल्लाओ थूभियग्गाओ 'दुवालस जोयणे उड्ढं अबाहाए, एत्थ णं ईसीपब्भारा णामं पुढवी पण्णत्ता-पणतालीसं जोयणसतसहस्साणि आयाम-विक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साई तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसते किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता। ईसीपब्भाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठजोयणाई बाहल्लेणं पण्णत्ते, ततो अणंतरं च णं माताए माताए-पएसपरिहाणीए परिहायमाणी-परिहायमाणी सव्वेसु चरिमंतेसु मच्छियपत्तातो तणुयरी अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं बाहल्लेणं पण्णत्ता ।। ६५. ईसीपब्भाराए पं पुढवीए दुवालस नामधिज्जा पण्णत्ता, तं जहा-ईसी ति वा ईसीपब्भारा ति वा तणू ति वा तणुतणू ति वा सिद्धी ति वा सिद्धालए ति वा मुत्ती इ वा मुत्तालए ति वा लोयग्गे इ वा लोयग्गथूभिया ति वा लोयग्गपडिवुज्झणा इ वा सव्वपाणभूत-जीव-सत्तसुहावहा इ वा ॥ ६६. ईसीपब्भारा णं पुढवी सेता 'संखदल-विमलसोत्थिय"-मुणाल-दगरय-तुसारगोक्खीर-हारवण्णा उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिता सव्वज्जुणसुवण्णमती अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सापभा सस्सिरीया सउज्जोता पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ।। ६७. ईसीपभाराए णं सीताए जोयणम्मि लोगंतो। तस्स णं जोयणस्स जेसे उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउयस्स जेसे उवरिल्ले छन्भागे, एत्थ"णं सिद्धा भगवंतो सादिया" अपज्य १. महासोक्खा (क,ख,ग,घ,पु); द्रष्टव्यं २१६० ५. दुवालसजोयणाइं (ओ० सू० १९२)। सूत्रस्य टिप्पणम् । अत्र ६० सूत्रवतिविशेषण- ६. चरिम-पेरतेसु (ओ० सू० १६२)। द्वयं-'सब्बे समजुतीया सम्वे समजसा' ७. तणुयरी (ओ० सू० १६३)। आदर्शेषु नैव लम्यते । ८. संखतलविमलसोल्लिय (ओ० सू० १९४)। २. सव्वट्ठस्स (क,ख,ग,घ)। ६. णं पुढवीए (ओ० सू० १६५) । ३. विमाणस्स (ग)। १०. तत्थ (ओ० सू० १६५) । ४. सव्वुवरिल्लाओ (ओ० सू० १६२)। . ११. सादीया (क,ख, पु); सातिया (घ)। Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६. बिइयं गणपय मसिता अणेगजाति-जरा-मरण-जोणिसंसारकलंक लीभाव'-पुणब्भवगम्भवसहीपवंचसमतिकंता सासयमणागतद्धं कालं चिट्ठति । तत्थ' वि य ते अवेदा, अवेदणा निम्ममा असंगा य । संसारविप्पमुक्का, पदेसनिव्वत्तसंठाणा ॥१॥ कहिं पडिहता सिद्धा? कहिं सिद्धा पइट्ठिता ? । कहि बोंदि चइत्ताणं? कत्थ' गंतूण सिज्झई ? ॥२॥ अलोए पडिहता सिद्धा, लोयम्गे य पइट्ठिया । इहं वोदि चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झई ॥३॥ दीहं वा हस्सं वा, जं चरिमभवे हवेज्ज संठाणं । तत्तो' तिभागहीणा, सिद्धाणोगाहणा भणिया ॥४॥ जं संठाणं त इहं, भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि । आसी य पदेसघणं, तं संठाणं तहिं तस्स ॥५॥ तिण्णि सया तेत्तीसा, धणुत्तिभागो य होति बोधव्वों। एसा खलु सिद्धाणं, उक्कोसोगाहणा भणिया ॥६॥ चत्तारि य रयणीओ, रयणितिभागूणिया य बोधव्वा । एसा खलु सिद्धाणं, मज्झिम ओगाहणा भणिया ॥७॥ एगा य होइ रयणी, 'अद्वैव य अंगुलाई साहीया" । एसा खलु सिद्धाणं, जहष्ण ओगाहणा भणिया ॥८॥ ओगाहणाए" सिद्धा, भव-त्तिभागेण होति परिहीणा । संठाणमणित्थंथं, जरा-मरणविप्पमुक्काणं ॥६॥ जत्थ य एगो सिद्धो, तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का । अण्णोण्णसमोगाढा, पुट्टा सव्वे वि" लोयते ॥१०॥ फुसइ अणंते सिद्धे, सव्वपएसेहिं नियमसो सिद्धो । ते वि असंखेज्जगुणा, देस-पदेसेहि जे पुट्ठा ॥११॥ असरीरा जीवघणा, उवउत्ता सणे य नाणे य । सागारमणागारं, लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥१२॥ १. जोणि-वेयणं संसारकलंकलीभाव (ओ० सू० ७. औपपातिके (सू० १६५) 'जं संठाणं तु इहं' एषा गाथा 'दीहं वा हसं वा' अस्या गाथायाः २. गम्भवासवसही (क,ख,घ,पु); गब्भवास- पूर्व दृश्यते। बसही-पवंचं अइक्कंता (ओ० स० १६५)। ८. चरम (क,ग)। ३. औपपातिके (सू० १६५) एषा गाथा नैव ६. नायब्बो (क,ख,ग,घ)। दृश्यते। १०. साहीया अंगुलाइ अट्ठभवे (ओ० सू० १६५। ४. कच्छ (क,ख); कहिं (पु)। ५. हुस्सं (क,ख,पु)। ११. ओगाहणा (ग); ओगाहणाइ (घ)। ६. ततो (ख)! १२. य (ओ० सू० १९५६) । Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं केवलणाणवउत्ता, जाणती सव्वभावगुण-भावे । पासंति सव्वतो खलु, केवल दिट्ठीहिणताहि ।।१३।। न वि अस्थि माणुसाणं, तं सोक्खं न वि य सव्वदेवाणं । जं सिद्धाणं सोखं, अव्वाबाहं उवगयाणं ॥१४॥ 'सुरगणसुहं समत्तं", सव्वद्वापिंडितं अणंतगुणं । 'ण वि पावे" मुत्तिसुहं, 'णंताहि वि" वग्गवग्गूहि ॥१५॥ सिद्धस्स सुहो रासी, सव्वद्धा पिंडितो जइ हवेज्जा । सोणंतवग्गभइतो, सव्वागासे ण माएज्जा ॥१६॥ जह णाम कोइ मेच्छो, णगरगुणे बहविहे वियाणतो । न चएइ परिकहेउं, उवमाए तहिं असंतीए ॥१७॥ इय सिद्धाणं सोक्खं, अणोवमं णस्थि तस्स ओवम्मं । किचि विसेसेणेत्तो, सारिक्खमिण' सुणह वोच्छं ॥१८॥ जह सव्वकामगुणित, पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोइ । तण्हा-छुहाविमुक्को, अच्छेज्ज जहा अनियतित्तो ॥१६॥ इय सव्वकालतित्ता, अतुलं णेव्याणमुवगया सिद्धा । सासयमव्वाबाह, चिट्ठति सुही सुहं पत्ता ॥२०॥ सिद्धत्ति य बुद्धत्ति य, पारगतत्ति य परंपरगतत्ति । उम्मुक्ककम्मकवया, अजरा अमरा असंगा य ॥२१॥ णिच्छिण्णसव्वदुक्खा, जाति-जरा-मरणबंधणविमुक्का । अव्वाबाहं सोक्खं, अणुहोंती' सासयं सिद्धा" ॥२२॥ १. दिट्ठीहिणताहि (क,ख,घ); दिट्ठीहणताहि (पु) । २. जं देवाण सोक्खं (ो० सू० १६५।१४)। ३. ण य पावइ (ओ० सू० १६५।१४)। ४. शंताहिं (ग); गंताहिं वि (पु) । ५. सारक्खमिणं (4); भोवम्ममिणं (ओ० सू० १६५।१७) । ६. अणुहंती (क,ख) : अणुहोति (ग)। ७. अतोने औपपातिके (सू० १६५) एषा गाथा दृश्यते-- अतुलसुहसागरगया, अव्वाबाहं अणोवमं पत्ता। सव्वमणागयमद्धं, चिनॊति सुही सुहं पत्ता ॥१॥ Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुबत्तव्वयपयं गाहा १. दिसि २. गति ३. इंदिय ४. काए, ५. जोगे ६. वेदे ७. कसाय ८. लेसा य । ६. सम्मत्त १०. गाण ११. दंसण, १२. संजय १३. उवओग १४. आहारे ।।१।। १५. भासग १६. परित्त १७. पज्जत्त, १८. सुहुम १६. सण्णी २०,२१. भवत्थिए' २२ चरिमे। २३. जीवे य २४. खेत्त २५. बंधे, २६. पोग्गल २७. महदंडए चेव ॥२॥ दिसि-पदं १. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा जीवा पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया', दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ॥ २. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया दाहिणेणं, उत्तरेणं विसेसाहिया, पुरस्थिमेणं विसेसाहिया, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया ।। ३. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा आउक्काइया पच्च त्थिमेणं, पुरथिमेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसा हिया ॥ ४. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउक्काइया दाहिणुत्तरेणं, पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया ।। ___५. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पुरथिमेणं, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया ।। ६. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पच्चत्थिमेणं, पुरथिमेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ।। ७. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा बेइंदिया पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ॥ ८. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ॥ ६. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा घरिदिया पच्चत्थिमेणं, पुरथिमेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ॥ १. लेसे (ख)। ३. विसेसाधिया (घ,पु)। २. भवत्यिमे (क,ख)। ४. दक्खिणेणं (क,ख,घ) । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासु १०. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा नेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा || ११. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा रयणप्पभापुढविनेरइया पुरत्थिम- पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा ॥ १२. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा सक्करपभापुढविनेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणं असंखेज्जगुणा || १३. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वालुयप्पभापुढ दिनेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा ॥ १४. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा पंकप्पभापुढविनेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा ॥ १५. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा धूमप्पभापुढविनेरइया पुरत्थिम- पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणं असंखेज्जगुणा ॥ १६. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा 'तमप्पभापुढविनेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणं असंखेज्जगुणा" ॥ १७. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा आहेसत्तमापुढविनेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणं असंखेज्जगुणा ॥ ७० १८. दाहिणिल्लेहितो' असत्तमापुढविने रइए हितो छट्टीए तमाए पुढवीए नेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा || १६. दाहिणिल्लेहितो तमापुढविणेरइएहितो पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरत्थिम- पच्चत्थिम- उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा ।। २०. दाहिणिल्लेहितो धूमप्पभापुढविने रइए हितो चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरत्थिम-पच्चत्थिम- उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा || २१. दाहिणिहितो पंकप्पभापुढविने रइएहितो तइयाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरत्थिम- पच्चत्थिम- उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखिज्जगुणा || २२. दाहिणिहितो वालुयप्पभापुढविनेरइएहितो दुइयाए सक्करप्पभाए पुढवीए रइया पुरत्थम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखिज्जगुणा || २३. दाहिणिल्लेर्हितो सक्करप्पभापुढविने रइएहितो इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरत्थम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिण्णेणं असंखेज्जगुणा || २४. दिसणुवाणं सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया पच्चत्थिमेणं, पुरत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया || २५. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा मणुस्सा दाहिण-उत्तरेणं, पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया || २६. दिसाणुवाणं सव्वत्थोवा भवणवासी देवा पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा || १. तमप्प । पु । ने । पु । प उ दा । असं ( ग ) | २. दाहिणे हितो (क, ख, ग, घ ) 1 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तन्वयपयं २७. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वाणमंतरा देवा पुरथिमेणं, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया ।। २८. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा जोइसिया देवा पुरथिम-पच्चत्थिमेणं, दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया । २६. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा सोहम्मे कप्पे पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणणं विसेसाहिया । ३०. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा ईसाणे कप्पे पुरथिम-पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणणं विसेसाहिया ।। ३१. दिसाणुवाएणं सब्वत्थोवा देवा सर्णकुमारे कप्पे पुरथिम-पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणणं विसेसाहिया ।। ३२. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा माहिदे कप्पे पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणणं विसेसाहिया ॥ ३३. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा 'देवा बंभलोए कप्पे" पुरत्थिम-पच्चस्थिम-उत्तरेणं, दाहिणणं असंखेज्जगुणा॥ ३४. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा लंतए कप्पे पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणणं असंखेज्जगुणा । ___३५. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा महासुक्के कप्पे पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणणं असंखेज्जगुणा ॥ ३६. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा सहस्सारे कप्पे पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं, दाहिणणं असंखेज्ज गुणा । तेण परं बहुसमोववण्णगा समणाउसो ! ॥ ३७. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा सिद्धा दाहिणुत्तरेणं, पुरथिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया ॥ गति-पवं ३८. एएसि णं भंते! नेरइयाण तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा मगुस्सा, नेरइया असंखेज्जगुणा, देवा असंखेज्जगुणा, सिद्धा अणंतगुणा, तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा ।। ३६. एतेसि णं भंते ! नेरइयाणं तिरिक्खजोणियाण तिरिक्खजोणिणीणं मणुस्साणं मणस्सीणं देवाणं देवीण सिद्धाण य अटुगतिसमासेणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाओ मणुस्सीओ, मणुस्सा असंखेज्जगुणा, नेरइया असंखेज्जगुणा, तिरिक्खजोणिगोओ असंखेज्जगुणाओ, देवा असंखेज्जगुणा, देवीओ संखेज्जगुणाओ, सिद्धा अणंतगुणा, तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा ।। इंदिय-पदं ४०. एतेसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाण तेइंदियाणं चउरिदियाणं १. बंभलोए कप्पे देवा (क,ग)। Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं पंचेंदियाणं अणिदियाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया, चरिदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, बेइंदिया विसेसाहिया, अणिदिया अणंतगुणा, एगिदिया अणंतगुणा, सइंदिया विसेसाहिया ।। ४१. एतेसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचेंदियाणं अपज्जत्तगाणं' कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया अप्पज्जत्तगा, चरिदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, तेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, बेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसा हिया, एगिदिया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, सइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ।। ४२. एतेसिणं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाण पंचेंदियाणं पज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा चउरिदिया पज्जत्तगा, पंचेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, बेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, तेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, एगिदिया पज्जत्तगा अणंतगुणा, सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया ।। ४३. एतेसि गं भंते ! सइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं' कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सइंदिया अपज्जत्तगा, सइंदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ४४. एतेसि णं भंते ! एगिदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदिया अपज्जत्तगा, एगिदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ४५. एतेसि णं भंते ! बैंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बैंदिया पज्जत्तगा, बेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा !! ४६. एतेसि णं भंते ! तेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा तेंदिया' पज्जत्तगा, तेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ ४७. एतेसि भंते ! चरिदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा बा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा चरिदिया पज्जत्तगा, चरिदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ।। ४८. एतेसि णं भंते ! पंचेंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्योवा पंचेंदिया पज्जत्तगा, पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ ४६. एतेसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेंदियाणं तेंदियाणं चारिदियाणं ३. तेइंदिया (क,ख,ग,घ)। १. अपज्जत्तगाणं (ख); अपज्जत्ताणं (घ)। २. पज्जत्ता २ (क); पज्जताणं २ (ग)। Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइयं बहुवत्तन्वयपयं पंचेंदियाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा चरिदिया पज्जत्तगा, पंचेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, बेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, तेइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, चउरिदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, तेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, बंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, एगेंदिया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, सइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, एगिदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सइंदिया विसेसाहिया ॥ काय-पदं ५०. एतेसि णं भंते! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सतिकाइयाणं तसकाइयाणं अकाइयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सब्वत्थोवा तसकाइया, तेउकाइया असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया विसेसाहिया, आउकाइया विसेसाहिया, वाउकाइया विसेसाहिया, अकाइया अणंतगुणा, वणस्सइकाइया अणंतगुणा, सकाइया विसेसाहिया ॥ ५१. एतेसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउ. काइयाणं वणस्सतिकाइयाणं तसकाइयाण य अपज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया अपज्जत्तगा, तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, वाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, वणस्सइकाइया' अपज्ज तगा अणंतगुणा, सकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ॥ ५२. एतेसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाण य पज्जत्तगाणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तेउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, आउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, वाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, वणस्सइकाइया' पज्जत्तगा अणंतगुणा, सकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया ।। ५३. एतेसि णं भंते ! सकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा सकाइया अपज्जत्तगा, सकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा। ५४. एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाह्यिा वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपज्जत्तगा, • पुढविकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा। ५५. एतेसि णं भंते ! आउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा आउकाइया अपज्जत्तगा, आउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ १. वणप्फइ° (क,घ)। २. वणप्फइ (क,घ)! Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ पण्णवणासुत्तं ५६. एतेसि णं भंते ! तेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा तेउकाइया अपज्जत्तगा, तेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ५७. एतेसि णं भंते ! वाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वाउकाइया अपज्जत्तगा, वाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ५८. एते सि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा, वणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ५६. एतेसि णं भंते ! तसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ ६०. एतेसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, वाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, तेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, पूढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, आउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, वाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, ‘सकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया", वणस्सतिकाइया पज्जतगा संखेज्जगुणा, 'सकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सकाइया विसेसाहिया ॥ ६१. एतेसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं' सुहुमणिओयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहमआउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सइकाइया अणंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया ॥ ६२. एतेसि णं भंते ! सुहुमअपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइयापज्जत्तयाणं सहमते उकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयापज्जत्तयाणं सूहमवणस्सइकाइयापज्जत्तयाणं सुहमणिगोदापज्जत्तयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तमा विसेसाहिया, सइंदिया विसेसाहिया,' एतानि पदानि दृश्यन्ते, अत्रापि एतानि युक्तान्ये १,२. मलयगिरिवत्तौ 'सकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सकाइया विसेसाहिया, एतानि त्रीणि पदानि व्याख्यातानि नैव दृश्यते, इन्द्रियद्वारपदे 'सई- दिया अपज्जतगा विसेसाहिया, सइंदिया ३. °वणप्फइ° (क,घ)। Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तव्वयपयं अपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, सुहमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया ॥ ६३. एतेसि णं भंते ! सुहुमपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयपज्जत्तगाणं सुहुमआउकाइयपज्जत्तगाणं सुहमते उकाइयपज्जत्तगाणं सुहुमवाउकाइयपज्जत्तगाणं सुहुमवणस्सइकाइयपज्जत्तगाणं सुहमनिगोदपज्जत्तगाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहमणिओया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा, सुहमा पज्जत्तगा विसेसाहिया ।। ६४. एतेसि णं भंते ! सुहमाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमा अपज्जत्तगा, सुहुमा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा । ६५. एतेसि णं भंते ! सुहमपुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहमपुढविकाइया अपज्जतगा, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ६६. एतेसि णं भंते ! सुहुमआउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमआ उकाइया अपज्जतया, सुहमआउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ६७. एतेसि णं भंते ! सुहुमतेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ।। ६८. एतेसि णं भंते ! सुहुमवाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहमवाउकाइया अपज्जत्तया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ६६. एतेसि णं भंते ! सुहुमवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ७०. एतेसि णं भंते ! सुहमनिगोदाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा, सुहमनिगोदा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ७१. एतेसि णं भंते ! सृहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहमनिगोदाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा सुहुमतेउकाइया आज्जत्तगा, सुहुमपुढविकाइया आज्जतगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया पज्जत्तगा विसेसा हिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमनिगोदा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, सुहुमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सुहमा पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहमा विसेसाहिया ॥ ७२. एतेसि णं भंते ! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं वादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतसकाइयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा सुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरतसकाइया, बादरा तेउकाइया असंखेज्जगणा, पत्तयसरीरवादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगूणा, बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपूढविकाइया असंखेज्जगणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगणा, बादरवणस्सइकाइया अणंतगुणा, बादरा विसेसाहिया ।। ७३. एतेसि णं भंते ! बादरअपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं बादरआउ. काइयअपज्जत्तगाणं बादरतेउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवाउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवणस्सइकाइयअपज्जत्तगाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयअपज्जत्तगाणं वादरनिगोदापज्जत्तगाणं बादरतसकाइयापज्जत्तागाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा, बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा, बादरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया ।। ७४. एतेसि णं भंते! वादरपज्जत्तयाणं वादरपुढविकाइयपज्जत्तयाणं बादरआउकाइयपज्जत्तयाणं बादरतेउकाइयपज्जत्तयाणं वादरवाउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवणस्सइकाइयपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयपज्जत्तयाणं बादरनिगोदपज्जत्तयाणं बादरतसकाइयपज्जत्तयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुय! वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरते उक्काइया पज्जत्तया, बादरतसकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया पज्जत्तगा असंखज्जगुणा, वादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगणा, बादरा पज्जत्तया विसेसाहिया। ७५. एतेसि णं भंते ! वादराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं' कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरा पज्जत्तगा, बादरा अप्पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ १. पज्जत्तापज्जत्तयाणं (ख)। Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुक्त्तन्वयपयं __७६. एतेसि णं भंते ! बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? मोयमा ! सव्वत्थोवा बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा, वादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा । ७७. एतेसि णं भंते ! बादरआउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरआउकाइया पज्जत्तगा, वादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगूणा ॥ ७८. एतेसि णं भंते ! बादरतेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरतेउकाइया पज्जत्तगा, वादरतेउक्काइया अपज्जत्तगा असखज्ज गुणा ।। ७६. एतेसि णं भंते ! वादरवाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसा हिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा वादरवाउकाइया पज्जत्तगा, वादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ।। ८०. एतेसि णं भंते ! वादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा वादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा, बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ ८१. एतेसि णं भंते ! पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा पत्तेय. सरीरबादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा।। ८२. एतेसि णं भंते ! बादरनिगोदाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरनिगोदा पज्जत्तगा, बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ।।। ८३. एतेसि णं भंते ! बादरतसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया पज्जत्तगा, बादरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ॥ ८४. एतेसि णं भंते ! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं वादरआउकाइयाणं वादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं वादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं बादरानगादाण वादरतसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताण कतरे कतरोहतो अप्पा वा वहया वा तल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तगा, बादरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया' पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरवाउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरनिगोदा १. बादरपत्तेयसरीरवण (क,ग); बादरपत्तेयवण° (ख,घ)। Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरपुढ विकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अनंतगुणा, वादरपज्जत्तगा विसेसाहिया, बादरवणस्सइकाइया अपज्ज - त्तगा असंखेज्जगुणा, बादर अपज्जत्तगा विसेसाहिया, वादरा विसेसाहिया || ८५. एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्स इकाइयाणं सुहमनिगोदाणं वादराणं वादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरते उकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं वादरवणस्स इकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवण्णस्सइकाइयाणं वादरनिगोदाणं वादरतसकाइयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादरवणस्स इकाइया असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमते उकाइया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुम आउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुम निगोदा असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया अनंतगुणा, वादरा विसेसाहिया, सुहुभवणस्स इकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमा विसेसाहिया || ८६. एतेसि णं भंते ! सुहुमअपज्जत्तयाणं सुहुमपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं सुहुमआउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमते उकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं सुहमणिगोदापज्जत्तयाणं बादरअपज्जत्तयाणं' 'बादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तयाणं” बादरआउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं वादरते काइयाणं अपज्जत्तयाणं वादरवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं बादरवणस्स इकाइयाणं अपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं बादरणिगोदाणं अपज्जत्तयाणं बादरतसकाइयाणं अपज्जत्तयाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा, वादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरणिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरआउक्काइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अनंतगुणा, बादरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमा अपज्जगाविसेसाहिया || ८७. एसि णं भंते! सुहुमपज्जत्तयाणं सुहुमपुढविकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइज्जत्ताणं सुहुमते उकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमवा उकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमवणस्स इकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमनिगोयपज्जत्तयाणं बादरपज्जत्तयाणं वादरपुढविकाइयपज्जत्तयाणं बादर१. बादरापज्जत्ताणं (क, ख ) । बादरपुढविकाइयअपज्जत्तयाणं ( ग ) । २. बादरपुढविकाइयापज्जत्तयाणं (ख) घ); 5 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इयं बहुवत्तन्वयपयं v६ आउकाइयपज्जत्तयाणं बादरतेउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवाउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवणस्सइकाइयपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयपज्जत्तयायं बादरनिगोदपज्जत्तयाणं वादरतसकाइयपज्जत्तयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरते उकाइया पज्जत्तगा, वादरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरनिगोदा पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, वादरआउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहमपुढविकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया, सूहमआउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा पज्जत्तया असंखेज्जगुणा , वादरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा, बादरा पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमा पज्जत्तया विसेसाहिया ।।। ८८. एएसिणं भंते ! सहमाणं वादराण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरा पज्जत्तगा, बादरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहमा अपज्जत्तगा असंखज्जगुणा, सुहुमा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा।। ८६. एएसि णं भंते ! सुहुमपुढ विकाइयाणं बादरपुढविकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरपुढविकाइया पज्जत्तगा, बादरपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहमपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा ।। १०. एएसिण भंते ! सूहमआउकाइयाणं बादरआउकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरआउकाइया पज्जत्तया, बादरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सहमआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमआउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा ॥ ११. एएसिणं भंते ! सूहमतेउकाइयाणं बादरतेउकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तगा, बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा।। ६२. एएसि णं भंते ! सुहुमवाउकाइयाणं बादरवाउकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताण कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरवाउकाइया पज्जत्तया, बादरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ॥ ६३. एएसि णं भंते ! सुहुमवणस्सतिकाइयाणं बादरवणस्सतिकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सब्वत्थोवा वादरवणस्सइकाइया पज्जत्तया, वादरवणस्सतिकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, कुसुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तया Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० संखेज्जगुणा ॥ ९४. एसेसिणं भंते ! सुहमनिगोदाणं बादरनिगोदाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसा हिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरनिगोदा पज्जत्तगा, बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहमनिगोदा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा || ६५. एएसि णं भंते! सुहुमाणं सुहमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहमनिगोदाणं बादराणं वादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं वादरवाङकाइयाणं वादरवणस्सतिकाइयाणं पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतेजकाइया पज्जत्तया, वादरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरतसकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरी रवादरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, वादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, वादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया पज्जतया असंखेज्जगुणा, बादरते उक्काइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरी रवादरवणस्स इकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बायरणिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, वादरपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, वायरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, वादरवा उकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमते उकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुम आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा', सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहमनिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, सुहमनिगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अनंतगुणा, बादरपज्जत्तगा विसेसाहिया, वादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, बादरअपज्जत्तया विसेसाहिया, बादरा विसेसा - हिया, सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमा अपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सुहुमा पज्जत्तया विसेसाहिया, सुहुमा विसेसाहिया || जोग-पर्द ६६. एतेसि णं भंते! जीवाणं सजोगीणं मणजोगीणं वइजोगीणं कायजोगीणं अजोगीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणजोगी, वइजोगी असंखेज्जगुणा, अजोगी अनंतगुणा, कायजोगी अतगुणा, सजोगी विसेसाहिया || १. असंखेज्जगुणा (ख, घ, पु ) : ततः सूक्ष्मपर्याप्तास्तेजस्कायिकाः संख्येयगुणाः सूक्ष्मेष्वपर्याप्तेभ्यः पर्याप्तानामोषत एव संख्येयगुणत्वात् पण्णवणासुतं (a); स्तबके 'असंख्यातगुणा' इति व्याख्यातमस्ति । असौ व्याख्यावृत्ते भिन्नास्ति । Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तन्वयपयं वेद-पदं ६७. एएसि णं भंते ! जीवाणं सवेदगाणं इत्थीवेदगाणं पुरिसवेदगाणं नपुंसमवेदगाणं अवेदगाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा, इत्थीवेदगा संखेज्जगुणा, अवेदमा अणंतगुणा, नपुंसगवेदगा अणंतगुणा, सवेयगा विसेसाहिया ।। कसाय-पदं १८. एतेसिणं भंते ! जीवाणं सकसाईण' कोहकसाईणं माण कसाईणं मायकसाईणं लोभकसाईणं अकसाईण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अकसाई, माणकसाई अणंतगुणा, कोहकसाई विसेसाहिया, मायकसाई विसेसाहिया, लोहकसाई विसेसाहिया, सकसाई विसेसाहिया ॥ लेस्सा -पदं ___६६. एएसि णं भंते ! जीवाणं सलेस्साण' किण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साणं अलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सूक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा संखेज्जगणा, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, अलेस्सा अणंतगुणा, काउलेस्सा अणतगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, किण्हलेस्सा विसेसाहिया, सलेस्सा विसेसाहिया ।। सम्मत्त-पदं १००. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सम्मद्दिट्ठीणं मिच्छट्ठिीणं' सम्मामिच्छादिट्ठीणं च कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सम्मामिच्छदिट्ठी, सम्मट्टिी अणंतगुणा, मिच्छद्दिट्ठी अणंतगुणा ।। णाण-पदं १०१. एतेसि णं भंते ! जीवाणं अभिणिवोहियणाणीणं सुतणाणीणं ओहिणाणीण मणपज्जवणाणीणं केवलणाणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवणाणी, ओहिणाणी असंखेज्जगुणा, आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी य दो वि तुल्ला विसेसाहिया, केवलणाणी अणंतगुणा ।। १०२. एतेसि णं भंते ! जीवाणं मइअण्णाणीणं सुतअण्णाणीणं विभंगणाणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वः वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा विभंगणाणी, मइअण्णाणी सुतअण्णाणी य दो वि तुल्ला अणंतगुणा ॥ १०३. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिवोहियणाणीणं सुयणाणीणं ओहिणाणीणं मणपज्जवणाणीणं केवलणाणीणं मतिअण्णाणीणं सुतअण्णाणीणं विभंगणाणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवणाणी, ओहिणाणी असंखेज्जगुणा, आभिणिवोहियणाणी सुतणाणी य दो वि १. सकसादी (क)। ४. सम्ममिच्छादिट्ठीणं (क); सम्मामिच्छ° (घ)। २. सलेसाणं (क,ख,घ)! ५. विहंग (क,ग,ध)। ३. मिच्छा (ग)। Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२ पण्णवणासुतं तुल्ला विसेसाहिया, विभंगणाणी असंखेज्जगुणा, केवलणाणी अणंतगुणा, मइअण्णाणी सुतअण्णाणी य दो वि तुल्ला अणंतगुणा ॥ दसण-पदं १०४. एतेसि णं भंते ! जीवाणं चक्खुदंसणीणं अचक्खुदंसणीणं ओहिदंसणीणं केवलदसणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा जीवा ओहिदंसणी, चक्खुदंसणी असंखेज्जगुणा, केवलदसणी अणंतगुणा, अचक्खुदंसणी अणंतगुणा ॥ संजय-पदं १०५. एतेसि णं भंते ! जीवाणं संजयाणं असंजयाणं संजयासंजयाणं नोसंजयनोअसंजय-नोसंजतासंजताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा संजता, संजयासंजया असंखेज्जगुणा, नोसंजत-नोअसंजतनोसंजतासंजता अणंतगुणा, असंजता अणंतगुणा ॥ उवओग-पदं १०६. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सागरोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अणागारोवउत्ता, सागरोवउत्ता संखेज्जगुणा ।। आहार-पदं १०७. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आहारगाणं अणाहारगाण य कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अणाहारगा, आहारगा असंखेज्जगुणा ॥ भासग-पदं १०८. एतेसि णं भंते ! जीवाणं भासगाणं अभासगाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा भासगा, अभासगा अणंतगुणा ।। परित्त-पदं १०६. एतेसि णं भंते ! जीवाणं परित्ताणं अपरित्ताणं नोपरित्त-नोअपरित्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा परित्ता, नोपरित्त-नोअपरित्ता अणंतगुणा, अपरित्ता अणंतगुणा ।। पज्जत्त-पदं ११०. एएसि णं भंते ! जीवाणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं नोपज्जत्त-नोअपज्जत्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा नोपज्जत्त-नोअपज्जत्तगा, अपज्जत्तगा अणंतगुणा, पज्जत्तगा संखेज्जगणा।। सुहम-पदं * १११. एएसि णं भंते ! जीवाणं सुहमाणं वादराणं नोसुहुम-नोबादराण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तव्यपयं नोहुम-नोबादरा, बादरा अनंतगुणा, सुहुमा असंखेज्जगुणा || सणि-पदं ११२. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सण्णीणं असण्णीणं नोसण्णी- नोअसण्णीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सण्णी, नोसण्णी-गोअसण्णी अनंतगुणा, असण्णी अनंतगुणा ॥ भव-पदं ११३. एतेसि णं भंते! जीवाणं भवसिद्धियाणं अभवसिद्धियाणं नोभवसिद्धियगोअभवसिद्धियाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अभवसिद्धिया, नोभवसिद्धिय णोअभवसिद्धिया अनंतगुणा, भवसिद्धिया अनंतगुणा ॥ अस्थिकाय-पदं ८३ ११४. एसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय - अधम्मत्थिकाय - आगासत्थिकाय-जीवत्थिकायपोग्गलत्थिकाय'-अद्भासमयाणं दव्वट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए य एए तिष्णि वितुल्ला दव्वट्टयाए सव्वत्योवा, जीवत्थिकाए दब्वट्टयाए अनंतगुणे, पोग्गल त्थिकाए व्याए अनंतगुणे', अद्धासमए दव्वट्टयाए अनंतगुणे ॥ ११५. एतेसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय - अधम्मत्थिकाय आगासत्थिकाय-जीवत्थिकायपोग्गल त्थिकाय-अद्धासमयाणं पदेसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए य एते गं दो वि तुल्ला पदेस - या सव्वत्थोवा, जीवत्थिकाए पदेसट्टयाए अनंतगुणे, पोग्गलत्थिकाए पदेसट्टयाए अनंतगुणे, अद्धासमए पदेस याए अनंतगुणे, आगासत्थिकाए पदेसट्टयाए अनंतगुणे ॥ ११६. एतस्स णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स दव्वट्ट - पदेसट्टयाए कतरे कतरोहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसा हिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे धम्मत्थिकाए दव्वताए, से चैव पदेसताए असंखेज्जगुणे ॥ ११७. एतस्स णं भंते ! अधम्मत्थिकायस्स दव्बटु-पदेसताए कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे अधम्मथिकाए दव्वताए, से चैव पदेसता असंखेज्जगुणे || ११८. एतस्स णं भंते! आगासत्थिकायस्स दव्वट्ट - पदेसताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे आगासत्थिकाए दव्वट्टताए, से चेव पदेसट्ठताए अनंतगुणे ॥ ११६. एतस्स णं भंते ! जीवत्थिकायस्स दव्वट्ठ- पदेसताए कतरे कतरोहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे जीवत्थिकाए दव्वट्टयाए, से चेव पदेसता असंखेज्जगुणे || १२०. एतस्स णं भंते ! पोग्गलत्थिकायस्स दव्वद्व-पदेसताए कतरे कतरेहिंतो अप्पा १. पुग्गलस्थि० ( क ) । २. अनंतगुणा (क, ख ) 1 Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ पण्णवणासुतं वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे पोग्गल त्थिकाए दवट्टयाए, से चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणे ।।। १२१. अद्धासमए ण पुच्छिज्जइ पदेसाभावा ।। १२२. एतेसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय-आगासत्थिकाय-जीवत्थिकायपोग्गलत्थिकाय-अद्धासमयाण दवट्ठ-पदेसट्टताए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसा हिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासस्थिकाए य एते णं तिणि वि तुल्ला दध्वट्ठयाए सव्वत्थोवा, धम्म स्थिकाए अधम्मस्थिकाए य एते णं दोगिण वि तल्ला पदेसताए असंखेज्जगणा, जीवत्थिकाए दवट्रयाए- अणंतगणे, से चेव पदेसटताए असंखेजगणे, पोग्गलत्थिकाए दव्वट्टयाए अणंतगुणे, से चेव पदेसटुयाए असंखेज्जगणे, अद्धासमए 'दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए" अणंतगुणे, आगासत्थिकाए पएसट्टयाए अणंलगुणे ।। चरिम-पदं १२३. एतेसि ण भंते ! जीवाणं चरिमाणं अचरिमाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अचरिमा, चरिमा अणंतगणा ।। जीव-पदं १२४. एतेसि णं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं अद्धासमयाणं सव्वदव्वाणं सव्वपदेसाणं सव्वपज्जवाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवा जीवा, पोग्गला अणंतगुणा, अद्धासमया अणंतगुणा, सव्वदव्वा विसेसाहिया, सव्वपदेसा अणंतगुणा, सव्वपज्जवा अणंतगणा ॥ खेत्त-पदं १२५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा जीवा उड्ढलोय-तिरियलोए, अहेलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ॥ १२६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा नेरइया तेलोक्के, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए असंखेज्जगुणा ॥ १२७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तिरिवखजोणिया उड्डलोय-तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए' विसेसाहिया ।। १२८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ तिरिक्खजोणिणीओ उड्ढलोए, उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्जगणाओ, तेलोक्के संखेज्जगुणाओ, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणाओ, अहेलोए संखेज्जगुणाओ, तिरियलोए संखेज्जगुणाओ॥ १. दव्वट्टयाए (ख): पूर्वसूत्रे 'पदेसाभावा' इति लभ्यते । उल्लिखितमस्ति, तेन 'अपदेसट्टयाए' इति पाठः २. अहोलोए (ग); अधेलोए (घ); प्रायः सम्भाव्यते । अत्र अकारो लुप्तो दृश्यः । सर्वत्र । क्वचिद् 'दव्वट्ठ-अपदेसट्ठयाए' इति पाठोपि Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तव्वयपयं ८५ १२६. खेताणुवाएणं सव्वत्थोवा मणुस्सा तेलोक्के, उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्ढलोए संखेज्जगुणा, अधेलोए संखेज्जगुणा, ति रियलोए संखेज्जगुणा ॥ १३०. खेत्ताणुवारणं सम्वत्योवाओ मणुस्सीओ तेलोक्के, उड्ढलोय-तिरियलोए संखेज्जगणाओ, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगणाओ, उड्ढलोए संखेज्जगणाओ, अहेलोए संखेज्जगणाओ, तिरियलोए संखेज्जगणाओ।।। १३१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा उड्ढलोए, उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के संखेज्जगणा, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १३२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ देवीओ उड्ढलोए, उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगणाओ, तेलोक्के संखेज्जगणाओ, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणाओ, अहेलोए संखेज्जगुणाओ, तिरियलोए संखेज्जगुणाओ। १३३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा भवणवासी देवा उड्ढलोए, उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के संखेज्जगुणा, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए असंखेज्जगुणा ॥ १३४. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ भवणवासिणीओ देवीओ उड्ढलोए, उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्ज गुणाओ, तेलोक्के संखेज्जगुणाओ, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ, तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ, अहेलोए असंखेज्जगुणाओ॥ १३५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाणमंतरा देवा उड्ढलोए, उड्डलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के संखेज्जगुणा, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ।।। १३६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ वाणमंतरीओ देवीओ उड्ढलोए, उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्जगणाओ, तेलोक्के संखेज्जगणाओ, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ, अहेलोए संखेज्जगुणाओ, तिरियलोए संखेज्जगुणाओ ।। १३७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा जोइसिया देवा उड्ढलोए, उड्ढलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के संखेज्जगुणा, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ।। १३८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ जोइसिणीओ देवीओ उड्ढलोए, उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणाओ, तेलोक्के संखेज्जगुणाओ, अहेलोय-तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ, अहेलोए संखेज्जगुणाओ, तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ।।। १३६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा उड्ढलोय-तिरियलोए, तेलोक्के संखेज्जगुणा, अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा ॥ १४०. खेत्ताणवाएणं सव्वत्थोवाओ वेमाणिणीओ देवीओ उड्ढलोय-तिरियलोए, तेलोक्के संखेज्जगुणाओ, अहे नोय-तिरियलोए संवेजगु गाओ, अहेलोए संखेज्जगुणाओ, Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ तिरियलोए संखेज्जगुणाओ, उड्ढलोए असंखेज्जगुणाओ || १४१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा उड्ढलोय- तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ॥ १४२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा अपज्जत्तगा उड्डलोय - तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोवके असंखेज्जगुणा, अलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || पण्णवणासुतं १४३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा पज्जत्तगा उडलोय-तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जागुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १४४. खेत्ताणुवाणं सव्वत्थोवा बेइंदिया उडलोए, उड्डलोय- तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय- तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १४५. खेत्ताणुवाणं सव्वत्थोवा बेइंदिया अपज्जत्तया उडलोए, उड्डलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १४६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा बेंदिया पज्जत्तया उडलोए, उढलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुण', तेलोवके असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ।। १४७. खेत्ताणुवाणं सव्वत्थोवा तेइंदिया उडलोए, उड्डलोय तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १४८. खेत्ताणुवारणं सव्वत्थोवा तेइंदिया अपज्जत्तगा उडलोए, उड्डलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा || १४६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तगा उडलोए, उड्डलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा || १५०. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चउरिंदिया जीवा उडलोए, उड्डलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १५१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चउरिदिया जीवा अपज्जत्तगा उड्डलोए, उड्डलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १५२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा चउरेंदिया जोत्रा पज्जतथा उडलोए, उड्डलोय Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इयं बहुवत्तन्वयपयं तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, अहेलोय तिरियलोए असंखेज्जगुणा, अलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए संखेज्जगुणा ॥ १५३. खेताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिदिया तेलोक्के, उड्डलोय- तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय- तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा || ५७ १५४. खाणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिदिया अपज्जत्तया तेलोक्के, उड्डलोय तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डूलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा || १५५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिदिया पज्जत्तया उडलोए, उड्डलोय- तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा || १५६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया उडलोय तिरियलोए अहेलोय- तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अहेलो विसेसाहिया || १५७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा पुढविकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोय- तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १५८. खेत्तानुवाणं सव्त्रत्थोवा पुढविकाइया पज्जत्तया उड्ढलोय तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसंसाहिया ॥ १५. खेत्ताणुवाणं सव्वत्थोवा आउकाइया उड्ढलोय - तिरियलोए, अहेलोय- तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ॥ १६०. खेताणुवारणं सव्वत्थोवा आउकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोय तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरिथलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया पज्जत्तया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउकाइया उड्डलोय - तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए बिसेसाहिया, तिरियलाए असंबंज्जगुगा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तेउकाइया अपज्जत्तया उडलोय तिरियलोए, अहेलोय- तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियताएं अवेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्ज गुणा, उढलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ॥ १६४. बेतागुवाएगं यात्रा ते उक्काया तथा उडलोय - तिरियलोए, Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ पण्णवणासुत्तं अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उडुलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोय- तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अलोए विसेसाहिया || १६६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा वाउकाइया अपज्जत्तया उड्ढलोय - तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया पज्जत्तना उडलोय तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तया उडलोय - तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उड्डलए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १७०. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पज्जत्तया उडलोय- तिरियलोए, अहेलोय - तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, तेलोक्के असंखेज्जगुणा, उलोए असंखज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया || १७१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तसकाइया तेलोक्के, उडलोय तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुग, उडलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा || १७२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तसकाइया अपज्जत्तया तेलोक्के, उडलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, अहेलोय - तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा || १७३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तसकाइया पज्जत्तया तेलोक्के, उड्डलोय- तिरियलोए असंखेज्जगुणा', अहेलोय-तिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डुलोए संखेज्जगुणा, अहेलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ॥ बंध-पद १७४. एसि णं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं सुत्ताणं जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सातावेदगाणं असातावेदगाणं इंदियउवउत्ताणं नोइंदियउवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कतरे कतरे हितो इति पदं शुद्धं न प्रतिभाति । १. संखेज्जगुणा ( क ग ); 'इमानि पंचेन्द्रियसूत्रवद् भावनीयानि' इति वृत्त्युल्लेखेन 'संखेज्जगुणा' Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुक्त्तव्वयपयं ८६ अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स बंधगा, अपज्जत्तया संखेज्जगुणा, सुत्ता संखेज्जगुणा, समोहता संखेज्जगुणा, सातावेदगा संखेज्जगुणा, इंदिओवउत्ता संखेज्जगुणा, अणागारोवउत्ता संखेज्जगणा, सागारोवउत्ता संखेज्जगुणा, नोइंदियउवउत्ता विसेसाहिया, अस्सातावेदगा' विसेसाहिया, असमोहता विसेसाहिया, जागरा विसेसाहिया, पज्जत्तया विसेसाहिया, आउयस्स कम्मस्स अबंधगा विसेसाहिया ।। पोग्गल-पदं १७५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पोग्गला तेलोक्के, उललोय-तिरियलोए अणंतगणा, अहेलोय-तिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, उड्डलोए असंखेज्जगुणा, अहेलोए विसेसाहिया ।। १७६. दिसाणवाएणं सव्वत्थोवा पोग्गला उद्बुदिसाए, अहेदिसाए विसेसाहिया, उत्तरपरत्थिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो वि तल्ला असंखेज्जगणा, दाहिणपूरत्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्ला विसेसाहिया, पुरथिमेणं असंखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया, दाहिणणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया ।। १७७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाइं दव्वाइं तेलोक्के, उड्डलोय-तिरियलोए अणंतगुणाई, अहेलोय-तिरियलोए विसेस हियाई, उड्डलोए असंखेज्जगुणाई, अहेलोए अणंतगुणाई, तिरियलोए संखेज्जगुणाई।। १७८. दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवाइं दव्वाइं अहेदिसाए, उडदिसाए अणंतगुणाई, उत्तरपुरत्थिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्लाइं असंखेज्जगुणाई, दाहिणपुरस्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्लाई विसेसाहियाई, पुरत्थिमेणं असंखेज्जगुणाई, पच्चत्थिमेणं विसेसाहियाई, दाहिणणं विसेसाहियाई, उत्तरेणं विसेसाहियाई ॥ १७६. एतेसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेज्जपदेसियाणं असंखेज्जपदेसियाणं अणंतपदेसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए पदेसट्ठयाए दबट्ठ-पदेसट्ठयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दन्वट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा; पदेसट्टयाए । सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए, परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए' अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा; दव्वट्ठपदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, ते चेव पदेसट्टयाए अणंतगुणा, परमाणुपोग्गला दवट्ठ-अपदेसट्टयाए' अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा ।। १८०. एतेसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं संखेज्जपदेसोगाढाणं असंखेज्जपदेसोगाढाण १. असातावेदगा (ख,ग) । ३. पदेसट्टयाए (ख,ग,घ)। २. पदेसट्टयाए (ग,घ)। Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं यपोग्गलाणं दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दव्वट्ट-पदेसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्टया असंखेज्जगुणा; परसट्टयाए - सव्वत्योवा एगपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए, संखेज्जएसो गाढा पोग्गला पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा; दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए -- सव्वत्योवा एगपएसो गाढा पोग्गला दव्वट्ट-पएस ट्टयाए, संखेज्ज एसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा || १८१. एतेसि णं भंते ! एगसमयठितीयाणं संखेज्जसमयठितीयाणं असंखेज्जसमयठितीयाण यपोग्गलाणं दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दब्व पदे सट्टयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा एगसमयठतीया पोग्गला दाए, संखेज्जसमयठितीया पोग्गला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जसमयठितीया पोग्गला दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, पदेसट्टयाए - सव्वत्थोवा एगसमयठितीया पोग्गला अपदेसट्टयाए, संखेज्जसमयठितीया पोग्गला पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जसमयठितीया पोग्गला पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा; दव्त्रट्ठ-पदेसट्टयाए - सव्वत्थोवा एगसमयठितीया पोग्गला दव्वट्ट-अपदेसट्टयाए', संखेज्जसमयठितीया पोग्गला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ते व पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जसमयठितीया पोग्गला दव्बट्टयाए असंखेज्जगुणा, पदेया असंखेज्जगुणा ॥ ६० १८२. एतेसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं संखेज्जगुणकालगाणं असंखेज्जगुणकालगाणं अनंत गुणकालगाण योग्गलाणं दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! जहा परमाणुपोग्गला तहा भाणितव्वा । एवं संखेज्जगुणकालयाण वि । एवं सेसा वि 'वण्णा गंधा रसा" भाणितव्वा । फासाणं कक्खड -मउय गरुय-लहुयाणं जहा एगपदेसोगाढाणं भणति तहा भाणितव्वं । अवसेसा फासा जहा' वण्णा भणिता तहा भातिव्वा ॥ महादंडय-पदं १८३. अह भंते ! सव्वजीवप्पबहुं महादंडयं वत्तइस्सामि -- १. सन्वत्थोवा 'गब्भक्कंतिया मणुस्सा, २ मणुस्सीओ संखेज्जगुणाओ, ३. बादरते उक्काइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, ४. अणुत्तरोववाइया देवा असंखेज्जगुणा, ५. उवरिमगेवेज्जगा देवा संखेज्जगुणा, ६. मज्झिमेवेज्जगा देवा संखेज्जगुणा, ७. हेट्ठिमगे वेज्जगा देवा संखेज्जगुणा, ८. अच्चुते कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ६. आरण कप्पे देवा सं वेज्जगुणा, १०. पाणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ११. आणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, १२. अधेसतमाए पुढवीए ने रइया असंखेज्जगुणा, १. पदेसट्टयाए (क,ख,ग,घ ) । २. प० ३।११८ ३. वष्णगंधरसा (ख, पु) । ४. ५० ३।११६ ५. जधा (ख, घ)। ६. भाणियध्वं ( क, ख घ ) | ७. वण्णइस्सामि (हवृ ) | ८. गभवतियमस्सा (क.ग ) Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं बहुवत्तव्वयपयं १३. छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १४. सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगणा, १५. महासुक्के कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, १६. पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगणा, १७. लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा. १८. चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १६. बंभलोए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, २०. तच्चाए वालुयप्पभाए पढवीए नेरइया असंखेज्जगणा, २१. माहिंदे कप्पे देवा असंखेज्जगणा, २२. सणंकमारे कप्प देवा असंखेज्जगुणा, २३. दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, २४. सम्मुच्छिममणस्सा असंखेज्जगुणा, २५. ईसाणे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, २६ ईसाणे कप्पे देवीओ संखेज्जगुणाओ, २७. सोहम्मे कप्पे देवा संखेज्जगुणा, २८. सोहम्मे कप्पे देवीओ संखेज्जगुणाओ, २६. भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा, ३०. भवणवासिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, ३१. इमीसे रतणप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, ३२. खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा असंखेज्जगुणा, ३३. खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगणाओ, ३४. थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा संखेज्जगणा, ३५. थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, ३६. जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिया पुरिसा संखेज्जगणा, ३७. जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, ३८. वाणमंतरा देवा संखेज्जगणा, ३६. वाणमंतरीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, ४०. जोइसिया देवा संखेज्जगुणा, ४१. जोइसिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, ४२. खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया णपुंसया संखेज्जगणा, ४३. थलयरपंच दियतिरिक्खजोणिया णपसया संखज्जगणा, ४४. जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया णपंसया संखेज्जगणा. ४५. चरिदिया पज्जत्तया संखेज्जगणा ४६. पंचेंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया, ४७. बेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया, ४८. तेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया, ४६. पंचिदिया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, ५०. चउरिदिया अपज्जत्तया विसेसा हिया, ५१. ते इंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया, ५२. बेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया, ५३. पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५४. बादरनिगोदा पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५५. वादरपुढविकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५६. बादरआउकाइया पज्जत्तगा असंखज्जगुणा, ५७. बादरवाउकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५८. बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ५६. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगणा, ६०. बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ६१. बादरपुढविकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ६२. वादरआउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगणा, ६३. बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ६४. सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ६५. सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ६६. सुहमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ६७. सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, ६८. सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, ६६. सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, ७०. सुहमआउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, ७१. सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, ७२. सुहुम निगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, ७३. सुहुमनिगोदा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, ७४. अभवसिद्धिया अणंतगुणा, ७५. पडिवडितसम्मट्ठिी ' अणंतगुणा, ७६. सिद्धा अणंत १. परिवडितसम्मत्ता (ख,पु); परिवडितसम्म (घ)। Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ पण्णवणासुतं गुणा, ७७. बादरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा अणंतगणा, ७८. बादरपज्जत्तया विसेसाहिया, ७६. वादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्ज गुणा, ८०. वाद रअपज्जत्तगा विसेसाहिया, ८१. वादरा विसेसाहिया, ८२. सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा, ८३. सुहमा अपज्जत्तया विसेसाहिया, ८४. सुहमवणस्सइकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा, ८५. सुहमपज्जत्तया विसेसाहिया, ८६. सुहुमा विसेसाहिया, ८७. भवसिद्धिया विसेसाहिया, ८८. निगोदजीवा विसेसाहिया, ८६. वणस्सतिजीवा विसेसाहिया, ६०. एगिदिया विसेसाहिया, ६१. तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया, ६२. मिच्छद्दिट्टी विसेसाहिया, ६३. अविरता विसेसाहिया, १४. सकसाई विसेसाहिया, १५. छउमत्था विसेसाहिया, ६६. सजोगी विसेसाहिया, ६७. संसारत्था विसेसाहिया, १८. सव्वजीवा विसेसाहिया ।। १. सकसादी (क)। Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं नेरइयठिइ-पदं १. नेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई।। - २. अपज्जत्तनेरइयाण' भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ३. पज्जत्तयणे रइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोमेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई।। ४. रयणप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं सागरोवमं ।। ५. अपज्जत्तय रयणप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। पज्जत्तयरयणप्पभापढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णण दस बाससहस्साइं अंतोमुहत्तूणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं अंतोमुहत्तणं ।। ७. सक्करप्पभापुटविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं एग सागरोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाई॥ ८. अपज्जत्तयसक्करप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ६. पज्जत्तयसक्करप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं तिणि सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई। १०. वालुयप्पभापुढविने रइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहणणं तिणि सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई॥ ११. अपज्जत्तयवालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १२. पज्जत्तयवालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ? केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? १. अपज्जत्तनेर° (ख,ग)। २. पज्जत्तणेर (ख,ग)। ६३ Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं गोयमा ! जहणणं तिण्णि सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई॥ १३. पंकप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं सत्त सागरोवमाइं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई ॥ १४. अपज्जत्तयपंकप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। १५. पज्जत्तयपंकप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्त सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेण दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई॥ १६. धूमप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णणं दस सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं।। १७. अपज्जत्तयधूमप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ १८. पज्जत्तयधूमप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णणं दस सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई॥ १६. तमप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाई, उक्कोसेणं वावीसं सागरोवमाई ।। २०. अपज्जत्तयतमप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।।। २१. पज्जत्तयतमप्पभापुढ विनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई॥ २२. अहेसत्तमपुढविनेरइयाण' भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई॥ २३. अपज्जत्तयअहेसत्तमपुढविनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ? जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।।। २४. पज्जत्तयअहेसत्तमपुढ विनेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई।। देवठिइ-पदं २५. देवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ।। २६. अपज्जत्तयदेवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं १. अहेसत्तमापुढवि० (क); अधेसत्तमापुढवि' (ख); अधेसत्तम° (घ) । Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्वं ठिइपयं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ २७. पज्जत्तयदेवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई॥ २८. देवीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं। २६. अपज्जत्तयदेवीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ३०. पज्जत्तयदेवीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई अंतोमुहत्तणाई, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई अंतोमहत्तणाई॥ भवणवासिठिइ-पदं ३१. भवणवासीणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं सातिरेग सागरोवमं ।। ३२. अपज्जत्तयभवणवासीणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ ३३. पज्जत्तयभवणवासीणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं अंतोमुत्तूणं ॥ - ३४. भवणवासिणीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलिओवमाइं॥ ३५. अपज्जत्तियाणं भंते ! भवणवासिणीणं देवीण केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ३६. पज्जत्तियाणं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलिओवमाई अंतोमुत्तूणाई।। ३७. असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं ॥ ३८. अपज्जत्तयअसुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पणता ? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ३६. पज्जत्तयअसुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं साति रेगं सागरोवमं अंतोमुहत्तणं ।। ४०. असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाई ॥ ४१. अपज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहाणेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण दि अंतोमुत्तं ।। ४२. पज्जत्तियाणं असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाई Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं अंतोमुहुत्तूणाई॥ ४३. नागकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेण दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं दो पलिओवभाई देसूणाई ।। ४४. अपज्जत्तयाणं भंते ! नागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहणेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ४५. पज्जत्तयाणं भंते ! नागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं देसूणाई अंतोमुत्तूणाई॥ ४६. नागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवमं ।। ४७. अपज्जत्तियाणं नागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ४८. पज्जत्तियाणं नागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पणता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ।। ४६. सुवण्णकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं देसूणाई।। ५०. अपज्जत्तयाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं ।। ५१. पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तणाई, उक्कोसेणं दो पलिओवमाइं देसूणाई अंतोमुहत्तणाई ।। ५२. सुवण्णकुमारीणं भंते ! देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं देसणं पलिओवमं ॥ ५३. अपज्जत्तियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ५४. पज्जत्तियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमहत्तणाई, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं ।। ५५. एवं एएणं अभिलावेणं आहिय-अपज्जत्त-पज्जत्तसुत्तत्तयं देवाणं देवीण य गेयवं जाव थणिय कुमाराणं जहा' नागकुमाराणं ।। एगिदियठिइ-पदं ५६. पुढविकाइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वावीसं वाससहस्साई॥ ५७. अपज्जत्तयपुढविकाइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहाणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ५८. पज्जत्तयपुढविकाइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहाणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई॥ १.प० ४१४३-४८ । Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्यं ठिइपयं ६७ ५१. सुहुमपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ६०. अपज्जत्तयसुहुमपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतमुत्तं ॥ ६१. पज्जत्तय सुहुमपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण तं ॥ ६२. बादरपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई || ६३. अपज्जत्तयबादरपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि ततं ॥ ६४. पज्जत्तयबादरपुढविकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहष्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥ ६५. आउकाइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं ॥ ६६. अपज्जत्तयआउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोतं ६७. पज्जत्तयआउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥ ६८. सुहुमआउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य जहा सुहुमपुढविकाइया तहा भाणितव्वं ॥ ६६. बादरआउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई || ७०. अपज्जत्तयबादरआउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतहुतं ॥ ७१. पज्जत्तयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई || ७२. ते काइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिणि राति दियाई ॥ ७३. अपज्जत्तयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ७४. पज्जत्तयाणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि रातिदियाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।। ७५. सुहुमते उकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य जहण्पेण वि उक्कोसेवितोमुत्तं ॥ ७६. बादरतेउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि रातिंदियाई ॥ १. ०४|५-६१ । Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं ७७. अपज्जत्तयबादरतेउकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ७८. पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि रातिदियाइं अंतोमुहुत्तूणाई॥ ___ ७६. वाउकाइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिणि वाससहस्साई । ८०. अपज्जत्तयवाउकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ८१. पज्जत्तयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई॥ ८२. सुहमवाउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं ॥ ८३. अपज्जत्तयसुहुमवाउकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ८४. पज्जत्तयाणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ ८५. बादरवाउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्ति वाससहस्साई॥ ८६. अपज्जत्तबादरवाउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ८७. पज्जत्तबादरवाउकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिणि वाससहस्साइं अंतोमुहत्तणाई।। ८८. वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साई ।। ८६. अपज्जत्तवणस्सतिकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ६०. पज्जत्तवणस्सइकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई॥ ६१. सुहुमवणस्सइकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्ताणं पज्जत्ताण य जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ६२. बादरवणस्सइकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं॥ ६३. अपज्जत्तबादरवणस्सइकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ६४. पज्जत्तबादरवणस्सइकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुतूणाई॥ बेइंदियठिइ-पदं ६५. बेइंदियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा! जहणणं अंतो Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्यं ठिप मुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई || ६६. अपज्जत्तबे इंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ६७. पज्जत बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई अंतोमुहुत्तूणाई || तेsदियfor-पदं ६८. तेइंदियाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगुणवण्णं रातिदिया || ६६. अपज्जत्ततेइंद्रियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १००. पज्जत्तते इंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंत्तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगूणवणं रातिंदियाई अंतोमुहुत्तूणाई ॥ EE चरिविठि पदं १०१. चउरिदियाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहृष्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्को सेणं छम्भासा ॥ १०२. अपज्जत्तयचउरिदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतो मुहुतं ॥ १०३. पज्जत्तयचउरिदियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छम्मासा अंतीमुत्तूणा ॥ पाँचदियतिरिक्खजोणियठिइ-पदं १०४. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं अंतमुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलिओ माई || १०५. अपज्जत्तयपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १०६. पज्जत्तय पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई ॥ १०७. सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ॥ १०८. अपज्जत्तयसम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १०६. पज्जत्तयसम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतमुत्तं, उक्को सेणं पुव्वकोडी अंतोमुहत्तूणा || ११०. गब्भवक्कं तियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई || १११. अपज्जत्तयगब्भवक्कं तियपं चें दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणे व उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ११२. पज्जत्तयगब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० पण्णवणासुतं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई अंतोमुहुत्तूणाई ।। ११३. जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी॥ ११४. अपज्जत्तयजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ११५. पज्जत्तयजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुटवकोडी अंतोमुहत्तणा ।। - ११६. सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहष्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी।। ११७. अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ ११८. पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।। ११६. गम्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी।। १२०. अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ १२१. पज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।। १२२. चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई।। १२३. अपज्जत्तयचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १२४. पज्जत्तयचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।। १२५. सम्मुच्छिमत्र उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्त, उक्कोसेणं चउरासीई वाससहस्साई ॥ १२६. अपज्जत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ १२७. पज्जत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ! गोयमा! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं चउरासीई वाससहस्साइं अंतोमहत्तूणाई ।। १२८. गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई ॥ १२६. अपज्जत्तयगब्भवतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं १३०. पज्जत्तयगम्भवक्कंतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणोणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तणाई।। १३१. उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी । १३२. अपज्जत्तय उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १३३. पज्जत्तय उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पूच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुत्तूणा॥ १३४. "सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । 'गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साई" ॥ १३५. सम्मुच्छिमअपज्जत्तयउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ १३६. पज्जत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंच दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साइं अंतोमुहत्तणाई॥ १३७. गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ॥ १३८. अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं ।। १३६. पज्जत्तयगब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहत्तूणा ।। १४०. भुयपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी । १४१. अपज्जत्तयभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं ॥ १४२. पज्जत्तयभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।। - १४३. सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई ।। १४४. अपज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचें दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १४५. पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई अंतोमुहुतूणाई॥ १. सं० पा० ....सम्मुच्छिमसामण्णपुच्छा कायव्वा ! २. मुनिपुण्यविजयजीद्वारासंपादिते प्रज्ञापनापाठे अस्यतिः पर्याप्तकसम्मृच्छिमस्य आधारेण अस्य पाठस्य एकस्मिन्नादर्श उपलब्धिः कृतास्ति । सूचितास्ति । Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ पण्णवणासुतं १४६. गब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी ।। १४७. अपज्जत्तयगम्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुतं ।।। १४८. पज्जत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।। १४६. खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो । १५०. अपज्जत्तयखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंत्तोमुहुत्तं ॥ १५१. पज्जत्तयखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो अंतोमुत्तूणो॥ १५२. सम्मुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साई ।। १५३. अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १५४. पज्जत्तयसम्मुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावरि वाससहस्साइं अंतोमुहत्तूणाई ।। १५५. गब्भवक्कंतियखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमहतं. उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागो । १५६. अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ १५७. पज्जत्तयगब्भवतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पूच्छा। गोयमा ! जहणेणं अतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागो अंतोमुहत्तूणो। मणुस्सठिह-पदं १५८. मणुस्साणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलिओवमाई॥ १५६. अपज्जत्तयमणुस्साणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १६०. पज्जत्तयमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहत्तूणाई॥ १६१. सम्मुच्छिममणुस्साणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १६२. गब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा! जहणणं अंतोमुहुतं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाइं। Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं १६३. अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १६४. पज्जत्तयगव्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलिओ माई अंतोमुहुत्तूणाई ॥ वाणमंतर ठिइ-पदं १०३ १६५. वाणमंतराणं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं पलिओवमं ॥ १६६. अपज्जत्तयवाणमंतराणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहतं ॥ १६७. पज्जत्तयवाणमंतराणं' देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साई अंतमुत्तूणाई, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १६८. वाणमंतरी भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं ॥ १६६. अपज्जत्तियाणं भंते ! वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १७०. पज्जत्तियाणं भंते! वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा ! गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं || जोइसियठइ-पदं १७१. जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवतिय कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं पलिओम भागो', उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्समब्भहियं ॥ १७२. अपज्जत्तयजोइसियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतो मुहुत्तं ॥ १७३. पज्जत्तयजोइसियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं पलिओवमट्ठभागो अंतोमुहुतृणो, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्समम्भहियं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १७४. जोइसिणीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं पलिओम भागो, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासवाससहस्समब्भहियं ॥ १७५. अपज्जत्तियाणं जोइसिणीणं पुच्छा । गोयम ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोतं १७६. पज्जत्तियाणं जोइसिणीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिओ मट्टभागो अंतोमुहुत्तूणो, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहि अमहियं अंतोमुहुत्तणं ॥ १७७. चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं च भागपलिओवमं, उक्को सेणं पलिओवमं वाससतसहस्समब्भहियं ॥ १७८. चंदविमाणे णं भंते! अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि १. पज्जत्तयाणं वाणमंत राणं ( ख, ग, घ ) । २. सातिरेगं अट्टभागपलिओवमं (अणुओगदाराई सू० ४३३ टिप्पण) । Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १७६. चंदविमाणे णं पज्जत्तयदेवाणं' पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूणं ।। १८०. चंदविमाणे णं भंते ! देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्से हिमब्भहियं ॥ १८१. चंदविमाणे णं भंते ! अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ १८२. चंदविमाणे णं भंते! पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्से हि अन्भहियं अंतोमुहुत्तृणं ॥ १८३. सूरविमाणे णं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं च उभागपलिओवमं. उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समम्भहियं ॥ १८४. सूरविमाणे अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंत ॥ १८५. सूरविमाणे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतीमुत्तू, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूर्णं ॥ १८६. सूरविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहि वाससतेहिमन्महियं ॥ १८७. सूरविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्को सेण विअंतीमुतं ॥ १८८. सूरविमाणे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहि वाससतेहि अमहियं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १८६. गहविमाणे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं, उक्को सेणं पलिओदमं ॥ १६०. गहविमाणे अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतमुत्तं ॥ ११. गहविमाणे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतमुत्तू, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १६२. गहविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अपलिओai || १३. गहविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्को सेण वितोमुत्तं ॥ १४. 'गहविमाणे पज्जत्तियाणं” देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलि १. पज्जतवाणं देवाणं ( क ) 1 २. आदर्शषु जतिघाणं गहविमाणे' इति पाठो पण्णवणात्तं दृश्यते । प्रस्तुतक्रमावलोकनेन सम्भाव्यते लिपिकाले पदविपर्ययो जातः । Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ aari forti ओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपतिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १९५. णक्खत्तविमाणे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं ॥ १६६. णक्खत्तविमाणे अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वितोमुत्तं ॥ १९७. णक्खत्त विमाणे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहु तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ १६८. क्खत्तविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगं चउभागपलिओवमं ॥ १०५ १६६. णक्खत्तविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेवितोमुत्तं ॥ २०० क्खत्तविमाणे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं च भागपलिओवमं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेणं सातिरेगं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ २०१. ताराविमाणे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं चउभागपलिओवमं ॥ २०२. ताराविमाणे अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतमुत्तं ॥ २०३. ताराविमाणे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अट्टभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तू, उक्कोसेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ २०४. ताराविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगं अदुभागपलिओवमं ॥ २०५. ताराविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वितोमुत्तं ॥ २०६. ताराविमाणे पज्जत्तिधाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं अट्ठभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेणं सातिरेगं अट्टभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं ॥ माणिfos-पदं २०७. वैमाणियाणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ॥ २०८. अपज्जत्तय वेमाणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंत २०६. पज्जत्तयवेमाणियाणं' पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई || २१०. वेमाणिणीण भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा जहणेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओदमाई ॥ १. पज्जत्तयाणं वेमाणियाणं ( ख, ध ) । Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं २११. अपज्जत्तियाणं वेमाणिणीण देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेण वि उवकोसेण वि अंतोमुत्तं ॥ २१२. पज्जत्तियाणं वेमाणिणीणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं पलिओवमं अंतीमुत्तूर्णं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओ माई अंतोमुहुत्तूणाई || २१३. सोहम्मे णं भंते! कप्पे देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं पलिओवमं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई || २१४. सोहम्मे कप्पे अपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंत || १०६ २१५. सोपे जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई अंतोमुहु तूणाई || २१६. सोहम्मे कप्पे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओ माई ॥ २१७. सोहम्मे कप्पे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं ॥ २१८. सोहम्मे कप्पे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओवमाई अंतोमुहुतूणाई || २१. सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाई ॥ २२०. सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीगं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २२१. सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं पओिवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं सत्त पलिओ माई अंतोमुहुत्तूणाई | २२२. सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं पलिओवमं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओमाई || २२३. सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २२४. सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणे पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पण्णासं पलिओ माई अंतोमुहुत्तूणाई || २२५. ईसा कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं सातिरेगं पलिओवमं, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई ॥ २२६. ईसाणे कप्पे अपज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्को सेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २२७. ईसा कप्पे पज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतमुत्तूणं, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥ २२८. ईसा कप्पे देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं सातिरेगं पलिओवमं, Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं १०७ उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं॥ २२६. ईसाणे कप्पे 'अपज्जत्तियाणं देवीण" पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २३०. ईसाणे कप्पे पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं अंतोमुत्तणाई।। २३१. ईसाणं कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवम, उक्कोसेणं णव पलिओवमाई॥ २३२. ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। २३३. ईसाणे कप्पे परिग्गहियाण पज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहुतूणं, उक्कोसेणं नव पलिओवमाई अंतोमुत्तूणाई॥ २३४. ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं सातिरेगं पलिओवम, उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाई।। २३५. ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।।। २३६. ईसाणे कप्पे 'अपरिग्गहियाणं पज्जत्तियाणं देवीणं" पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं पणपण्ण पलिओवमाइं अंतोमुहत्तणाई।। २३७. सणंकुमारे कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दो सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई॥ २३८. सणकुमारे कप्पे अपज्जताणं देवाणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। २३६. सणंकुमारे कप्पे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दो सागरोवमाई अंतोमहत्तुगाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई।। २४०. माहिदे कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं सातिरेगाइं दो सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्त साहियाइं सागरोवमाई॥ २४१. माहिंदे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २४२. माहिंदे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सातिरेगाई सत्त सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई ।। २४३. बेभलोए कप्पे देवाणं पृच्छा। गोयमा! जहणणं सत्त सागरोवमाई, उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ।। २४४. बंभलोए अपज्जत्ताणं पुच्छा ! गोयमा ! जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १. देवीणं अपज्जतियाणं (क,ख,ग,व)। २. "देवीणं पज्जत्तियाणं (ख, घ) देवीणं अपरिपहियाणं पउजत्तियाणं (ग)। Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ पण्णवणासुतं २४५. बंभलोए पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सत्त सागरोवमाइं अंतोमुहुतूणाई, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई || २४६. लंतए कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! चोट्स सागरोवमाई ॥ जहणेणं दस सागरोवमाई, उक्कोसेणं २४७. लंतए अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ २४८. लंतए पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुतूणाई, उक्कोसेणं चोद्दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई | २४६. महासुक्के देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चोट्स सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाई || २५०. महासुक्के अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोतं २५१. महासुक्के पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं चोट्स सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्को सेणं सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई || २५२. सहस्सा रे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण सत्तरस सागरोवमाई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाई ॥ २५३. सहस्सारे अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतो मुहुसं २५४. सहस्सारे पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं सत्तरस सागरोवमाई अंतीमुत्तूणाई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवभाई अंतोमुहुत्तूणाई || २५५. आणए देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाई, उक्कोसेणं marati' सागरोवमाई । २५६. आणए अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतमुत्तं ॥ २५७. आणए पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं अट्ठारस सागरोवमाइं अंतमुत्तूणाई, उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई || २५८. पाणए कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं एगुणवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाई । २५. पाणए अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोतं २६०. पाणए पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं एगूणवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई ॥ २६१. आरणे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं वीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं एगवीस' सागरोवमाई ॥ २६२. आरणे अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि १. एकूणवीसं (क,घ); एक्कूणवीसं ( ख ) । २. एकवीस ( क, ख ) 1 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं १०६ अंतोमुहुत्तं ॥ २६३. आरणे पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं वीसं सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई, उक्कोसेणं एगवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई॥ २६४. अच्चुए कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगवीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं॥ २६५. अच्चुए अपज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा ! अहणण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं॥ २६६. अच्चुए पज्जत्ताणं देवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहष्णेणं एगवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई॥ २६७. हेद्विमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं' पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई।। २६८. हेछिमहेट्ठिमअपज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ __ २६६. हेट्ठिमहेट्ठिभपज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं, अंतोमुत्तूणाई, उबकोसेणं तेवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई॥ २७०. हेट्ठिभमज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं तेवीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई ॥ २७१. हेटिममज्झिमअपज्जत्तयदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं॥ २७२. हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं तेवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई।। २७३. हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं चउवीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं पणवीसं सागरोमाइं॥ __२७४. हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। २७५. हेट्ठिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं चउवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं पणुवीसं' सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई॥ २७६. मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं छव्वीसं साग रोवमाई ॥ ___ २७७. मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। __२७८. मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं छव्वीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तणाई॥ १. गेवेज्जदेवाणं (क,ख)। २. पंचवीसं (क,ख,ग,घ)! ३. पंचवीसं (ख,घ); पणवीसं (ग) । Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० पण्णवणासुल २७६. मज्झिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं छव्वीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं॥ २८०. मज्झिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। २८१. मज्झिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं छब्बीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई ॥ २८२. मज्जिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं सत्तावीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं॥ २८३. मज्झिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। २८४. मज्झिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं सत्तावीसं सागरोदमाइं अंतोमुहत्तूणाई, उक्कोसेणं अट्ठावीसं साग रोवमाइं अंतोमूहत्तणाई। २८५. उवरिमहेद्विमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाई ॥ २८६. उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। २८७. उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई॥ २८८. उवरिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं एगूणतीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमाइं॥ २८६. उवरिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ २६०. उवरिममज्झिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगूणतीसं सागरोवमाई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई॥ २६१. उवरिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं तीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं॥ २६२. उपरिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।।। २६३. उवरिमउवरिमगेवेज्जगदेवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उदकोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तूणाई ॥ २६४. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिएसु णं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई। २६५. विजय-वैजयंत-जयंत-अपराजियदेवाणं अपज्जत्ताण पुच्छा ! मोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ २६६. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिय देवाणं पज्जत्ताणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तणाई, कोसेणं तेत्तीसं सागरोदमाइं अंतोमुहत्तणाई ।। Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं ठिइपयं २६७. सव्वसिद्धगदेवाणं' भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ।। २६८. सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं अपज्जत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ २६६. सव्वदसिद्धगदेवाणं पज्जत्ताणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई ठिती पण्णता ।। १. सव्वटुगमिद्धदेवाणं (ख); सम्वट्ठगसिद्धगदेवाणं (घ) । Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पज्जव-पदं तं १. कतिविहा गं भंते ! पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पज्जवा पण्णत्ता, जहा - जीवपज्जवा य अजीवपज्जवा य ॥ जीवपज्जव-पदं २. जीवपज्जवा णं भंते ! कि संखेज्जा असंखेज्जा अनंता ? गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता ॥ ३. सेकेणट्टणं भंते ! एवं वच्चति - जीवपज्जवा नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता ? गोयमा ! असंखेज्जा नेरइया, असंखेज्जा असुरा, असंखेज्जा गागा, असंखेज्जा सुवण्णा, असंखेज्जा विज्जुकुमारा, असंखेज्जा अग्गिकुमारा, असंखेज्जा दीवकुमारा, असंखेज्जा उदहिकुमारा, असंखेज्जा दिसाकुमारा, असंखेज्जा वाउकुमारा, असंखेज्जा कुमारा, असंखेज्जा पुढविकाइया, असंखेज्जा आउकाइया, असंखेज्जा तेउकाइया, असंखेज्जा वाउकाइया, अनंता वणस्सइकाइया, असंखेज्जा बेइंदिया, असंखेज्जा तेइ दिया, असंखेज्जा चउरिदिया, असंखेज्जा पंचिदियतिरिक्खजोणिया, असंखेज्जा मणुस्सा, असंखेज्जा वाणमंतरा, असंखेज्जा जोइसिया, असंखेज्जा वेमाणिया, अनंता सिद्धा, से एएणणं गोयमा ! एवं बुच्चति - ते णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता ॥ नेरइयाणं पज्जव-पदं ४. नेरइयाणं भंते ! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अगंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ५. से केणट्ठे भंते! एवं बुच्चति - नेरइयाणं अनंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए सिए हीणे सिय तुल्ले सिय अन्भहिए- जदि' होणे असंखेज्जभागहीणे' वा संखेज्जभागहीणे' वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखेज्जभागमब्भहिए वा संखेज्जभागमब्भहिए' वा १. जइ ( ख, ग, घ ) जति (पु) 1 ३. संखेज्जदिभाग (क); संखेज्जइभाग २. असंखेज्जइभाग (क, ग, घ, पु); अग्रेपि ( ग, घ,पु) । क्वचित् क्वचित् 'असंखेज्जइ संखेज्जइ' इति पाठान्तरं दृश्यते । ४. असंखेज्जभागम्भहिए (ख. घ, पु) 1 ५. संखेज्जभागब्भहिए (ख, घ, पु) । ११२ पंचमं विसेसपर्यं Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं संखेज्ज गुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुणमभहिए वा। ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जइ हीणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीण वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखेज्जभागमभहिए वा संखेज्जभागमभहिए वा संखेज्जगुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुणमब्भहिए वा । कालवण्णपज्जवेहि सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए' - जदि होणे अणंतभागहीणे वा असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा । अह अब्भहिए अणंतभागमब्भहिए वा असंखेज्जभागमभहिए वा संखेज्जभागमब्भहिए वा संखेज्जगुणमन्भहिए वा असंखेज्जगुणम्भहिए वा अणंतगुणमभहिए वा । णीलवण्णपज्जवेहि लोहियवण्णपज्जवेहि हालिहवण्णपज्जवेहिं' सुक्किलवगणपज्ज वेहि य छट्ठाणवडिए । सुब्भिगंधपज्जवेहिं दुब्भिगंधपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए । तित्तरसपज्जवेहिं कडु बरसपज्जवेहिं कसायरसपज्जवेहि अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए । कक्खडफासपज्जवेहि मउयफासपज्जवेहिं गरुयफासपज्जवेहिं लहुयफासपज्जवेहिं सीयफासपज्जवेहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपज्जचेहिं लुक्खफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए। आभिणिवोहियणाणपज्जवेहि सुयणाणपज्जवेहिं ओहिणाणपज्जवेहि मतिअण्णाणपज्जवेहि सुयअण्णाणपज्जवेहि विभंगणाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपज्जवेहि अचक्खुदंसणपज्जवेहिं ओहिदसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। से एएणट्टेणं' गोयमा ! एवं वच्चति---नेरइयाणं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। भवणवासीणं पज्जव-पदं ६. असुरकुमाराणं भंते ! केवतिया पज्जवा पण्णता ? गोयमा! अणंत। पज्जवा पण्णत्ता।। ७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए । ठितीए चउट्ठाणवडिए'। कालवण्णपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए । एवं णीलवण्णपज्जवेहिं लोहियवण्णपज्जवेहि हालिहवण्णपज्जवेहि सुक्किलवण्णपज्जवेहि', सुग्भिगंधपज्जवेहि दुब्भिगंधपज्जवेहि, तित्तरसपज्जवेहि कडुयरसपज्जवेहि कसायरसपज्जवेहि अंविलरसपज्जवेहि महुररसपज्जवेहि, कक्खडफासपज्जवेहि मउयफासपज्जवेहि गरुयफासपज्जवेहि लहुयफासपज्जवेहि सीतफासपज्जवेहि उसिणफासपज्जवेहि निद्धफासपज्जवेहि लुक्खफासपज्जवेहिं, आभिणिबोहियणाणपज्जवेहि सुतणाणपज्जवेहि ओहिणाणपज्जवेहि, मतिअण्णाणपज्जवेहि सुतअण्णाणपज्जवेहिं विभंगणाणपज्जवेहि, चक्खुदंसणपज्जवेहि अचवखुदंसणपज्जवेहि ओहिदसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते! से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-असुरकुमाराणं अणंता पज्जवा पणत्ता ।। १. मन्महिए (ख,घ,पु)। ५. एण→णं (क,ख,ग)। २. अभइए (क); अभतिए (पु) । ६. पडिए (क)। ३. पीयवष्ण° (क,ख) ७. सुकिल्ल° (ग,पु)। ४. मधुर° (क,ख)। Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ पण्णवणासुत्तं ८. एवं जहा नेरइया जहा' असुरकुमारा तहा नागकुमारा वि जाव थणियकुमारा ।। एगिदियाणं पज्जव-पदं ६. पुढविकाइयाणं भंते ! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ १०. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति -- पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! पुढविकाइए पुढविकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए- जदि होणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहोणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा । अह अब्भहिए असंखेज्जभागअन्भहिए वा संखेज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जगुणअब्भहिए वा असंखेज्जगुणअब्भहिए वा । ठितीए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जदि हीणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा। अह अन्भहिए असंखेज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जगुणअब्भहिए वा । वणेहिं गंधेहिं रसेहि फासेहि, मतिअण्णाणपज्जवेहि सुयअण्णाणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि छट्ठाणवडिते॥ ११. आउकाइयाणं भंते ! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा! अगंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १२. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-आउकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णता ? गोयमा! आउकाइए आउकाइयस्स दवट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए तिट्टा वडिते । वण्ण-गंध-रस-फास-मतिअण्णाण-सुतअण्णाणअचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ।। १३. ते उकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १४. से केणठेणं भंते! एवं वुच्चति-तेउकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! तेउकाइए तेउकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तिट्ठाणवडिते । वण्ण-गंध-रस-फास-मतिअण्णाण-सुयअण्णाणअचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ॥ १५. वाउकाइयाणं पूच्छा। गोयमा! वाउकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ १६. से केणठेणं भते ! एवं वुच्चति -वाउकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! वाउकाइए वाउकाइयस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तिट्ठाणवड़िते । वण्ण-गंध-रस-फास-मतिअण्णाण-सुयअण्णाणअचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते॥ १७. वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवतिया प्रज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। १८. से केणटठेणं भंते ! एवं वच्चति-वणस्सइकाइयाणं अणता पज्जवा पण्णत्ता ! गोयमा ! वणस्सइकाइए वणस्सइकाइयस्स दबट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणठ्याए चउट्ठाणवड़िते । ठितीए तिट्ठाणवडिए । व-गंध-रस-फास-मतिअण्णाण १. तहा (क) । Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं ११५ सुयअण्णाण-अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वच्चतिवणस्सतिकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ विलि दियाणं पज्जव-पदं १६. बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णता ।। २०. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ... बेइंदियाणं अणंता पज्जवा पण्णता ? गोयमा ! बेइंदिए बेइंदियस्स दबट्टयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए--जति हीणे असंखेज्ज भागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगणहीणे वा असंखेज्जगूणहीणे वा। अह अब्भहिए असंखेज्जभागमभहिए वा संखेन्जभागमभहिए वा संखेज्जगुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुणमब्भहिए वा । ठितीए तिट्ठाणवडिते । वण - गंध - रस - फास - आभिणिबोयिणाण - सुतणाण- मतिअण्णाण-सुतअण्णाणअचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ॥ २१. एवं तेइंदिया वि । एवं चउरिंदिया वि, णवरं--दो दंसणा- चक्खुदंसणं अचक्खुदंसणं च ।। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जव-पदं २२. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जवा जहा' नेरइयाणं तहा भाणितव्वा ॥ मणुस्साणं पज्जव-पदं - २३. मणुस्साणं भंते ! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ २४. से कणठेणं भंते ! एवं वुच्चति--मणुस्साणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! मणुस्से मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणटुयाए चउढाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते! वण्ण-गंध-रस-फास-आभिणिबोहियणाण-सूतणाणओहिणाण-मणपज्जवणाणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। केवलणाणपज्जवेहिं तुल्ले । तिहिं अण्णाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते । केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले ॥ वाणमंतराणं पज्जव-पदं २५. वाणमंतरा ओगाहणट्ठयाए ठितीए य चउट्ठाणवडिया, वण्णादीहिं छट्टाणवडिता ॥ जाइसिय-वेमाणियाणं पज्जय-पदं २६. जोइसिय-वेमाणिया वि एवं चेव, णवरं-ठितीए तिढाणवडिता ।। ओगाहणाई पडुच्च नेरइयाणं पज्जव-पदं २७. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! नेरझ्याणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता । २८. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-जहण्णोगाहणगाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णोगाह्णए नेरइए जहण्णोगाहणगस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पएसट्टयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले । ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्ण-गंध-रस-फास १. प० ॥४,५। Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं पज्जवेहि तिहिं णाणेहि तिहिं अण्णाणेहि तिहिं दंसणेहि य छट्टाणवडिते॥ २६. उक्कोसोगाहणयाणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णता? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ३०. से केटठेणं भंते ! एवं वच्चति -- उक्कोसोगाहणयाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! उक्कोसोगाहणए नेरइए उक्कोसोगाहणगस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए तुल्ले। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जति हीणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा। अह अमहिए असंखज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जभागअब्भहिए वा। वण-गंध-रस-फासपज्जवेहि तिहि णाणेहिं तिहिं अण्णाणेहि तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते ॥ ३१. अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ३२. से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति-अजहण्णक्कोसोगाहणगाणं नेर इयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयवा ! अजहण्णुक्कोसोगाहणए नेरइए अजहण्णुक्कोसोगाहणगस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए सिए हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जति हीणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा ! अह अब्भहिए असंखेज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जभागअब्भहिए वा संखेज्जगुणअब्भहिए वा असंखेज्जगुणअब्भहिए वा। ठितीए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जति हीणे असंखेज्जभा गहीणे वा संखेज्जभागहोणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा। अह अब्भहिए असंखेज्जभागअन्भहिए वा संखेज्जभागअन्भहिए वा संखेज्जगुणअब्भहिए वा असंखेज्जगुणअब्भहिए वा। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं तिहिं णाणेहि तिहि अण्णाणेहिं तिहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिते। से तेणढेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता। ३३. जहण्णद्वितीयाणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णता ? गोयमा ! अणता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ३४. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जहण द्वितीयाणं ने रइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णद्वितीए नेरइए जहण्ण द्वितीयस्स ने रइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए तुल्ले। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि तिहिं णाणेहिं तिहि अण्णाणेहि तिहि राणेहि य छट्ठाणवडिते ।। ३५. एवं उक्कोसट्ठितीए वि। अजहण्णमणुक्कोसद्वितीए' वि एवं चेव, णवरं--- सट्ठाण चउट्ठाणवडिते ।। ३६. जहण्णगुणकालाणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ३७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-जहण्ण गुणकालयाण ने रइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए ने रइए जहणगुणकालगस्स नेरइयस्स १. अजहष्णुक्कोस (ध,पु)। Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए चउट्ठाणवडिते । कालवण्णपज्जवेहि तुल्ले । अवसेसेहिं बण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि तिहिं णाणेहि तिहि अण्णाणेहिं तिहि सणेहि य छटाणवडिते । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चति - जहण्ण गुणकालयाणं ने रइयाणं अणता पज्जवा पण्णत्ता ।। ३८. एवं उक्कोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुककोसगुणकालए वि एवं चेव, णवरं --- कालवण्णपज्जवेहि छट्ठाणवडिते ।। ३६. एवं अवसेसा चत्तारि वण्णा दो गंधा पंच रसा अद्र फासा भाणितव्वा ॥ ४०. जहण्णाभिणिबोहियणाणीण भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणाभिणिबोहियणाणीणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ४१.सेकेणटठणं भंते ! एवं वच्चति-जहष्णाभिणिकोहियणाणीणं नेरडयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णा भिणिबोहियणाणी नेरइए जहष्णाभिणिबोहियशाणिस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउढाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। आभिणिवोहियणाणपज्जवेहि तुल्ले। सूतणाण-ओहिणाणपज्जवेहि छद्राणवडिते। तिहि दंसह छट्ठाणवडिते॥ ४२. एवं उक्कोसाभिणिवोहियणाणी वि । अजहण्णमणक्कोसाभिणिबोहियणाणी वि एवं चेव, नवरं-आभिणिवोहियणाणपज्जवेहि सदाणे छटाणवडिते ।। ४३. एवं सुतणाणी ओहिणाणी वि, णवरं जस्स णाणा तस्स अण्णाणा णत्थि । जहा नाणा तहा अण्णाणा वि भाणितव्वा, नवरं--जस्स अण्णाण। तस्स नाणा न भवति ।। ४४. जहण्णचक्खदसणीणं भंते ! नेरइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णता? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ४५. से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति जहण्णचक्खुदंसणीणं ने रइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहष्णचक्खुदंसणी णं ने रइए जहण्यचक्खुदंसणिस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठा पवड़िते । ठितीए चउढाणवडिते। वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं तिहिं णाणेहिं तिहिं अण्णाणेहिं छट्ठागावड़िते। चवखुदंसणपज्जवेहिं तुल्ले । अचक्खुदंसणपज्जवेहि ओहिदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ॥ ४६. एवं उक्कोसचवखुदंसणी वि। अजहण्णमणुक्कोस चक्खुदंसणी वि एवं चेव, नवरं-सट्ठाणे छट्ठाणवड़िते ॥ ४७. एवं अचक्खदंसणी वि ओहिदसणी वि ।। ओगाहणाई पडुच्च भवणवासीणं पज्जव-पदं ४८. जहाणोगाणगाणं भंते ! असुरकुमाराणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ४६. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति–जहण्णोगाहणगाणं असुरकुमाराणं अणंता पज्जवा पणत्ता ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए असुरकुमारे जहण्णोगाहणगस्स असुरकुमारस्स १. ओधिनाण" (पु)। Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठायाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए तुल्ले । ठितीए च उट्ठाणवडिते। वण्णादीहिं छट्ठाणवडिते। आभिणिबोहियणाण-सुतणाण-ओहिणाणपज्जवेहिं तिहिं अण्णाणेहिं दसणेहि य छट्ठाणवडिते ।। ५०. एवं उक्कोसोगाणए वि। एवं अजहण्णमणुक्कोसोगाणए' वि, नवरंउक्कोसोगाहणए वि असुरकुमारे ठितीए चउट्ठाणवडिते ।। ५१. एवं जाव' थणियकुमारा॥ ओगाहणाई पड़च्च एगिदियाणं पज्जव-पदं ५२. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! पुढविकाइयाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अगंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ५३. से केगळेणं भंते ! एवं वुच्चति - जहा मोगाहणगाणं पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पणत्ता ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए पुढविकाइए जहण्योगाहणगस्स पुढविकाइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए तिढाणवडिते ! वरणगंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहिं अण्णाणेहि अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ॥ ५४. एवं उक्कोसोगाहणए वि । अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, नवरं-- सट्टाणे चउट्ठाणवडिते ॥ ५५. जहण्ण द्वितीयाणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा ! गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ५६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-जहाणद्वितीयाणं पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णठितीए पुढविकाइए जहण्णठितीयस्स पुढविकाइयस्स दन्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तुल्ले । वण्णगंध-रस-फासपज्जवेहि मतिअण्णाण-सुतअण्णाण-अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्टाणवडिते ।। ५७. एवं उक्कोसट्टितीए वि । अजहण्णमणुक्कोसट्टितीए वि एवं चेव, णवरं-सट्ठाणे तिढाणवडिते ।। ५८. जहण्णगुणकालयाणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। ५६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति–जहण्णगुणकालयाणं पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए पुढविकाइए जहण्णगुणकालगस्स पुढविकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले ! पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवाडिते। ठितीए तिट्ठाणवडिते । कालवण्णपज्जवेहिं तुल्ले । अवसेसेहिं वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते । दोहि अण्णाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवड़िते ।। ६०. एवं उक्कोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि एवं चेव, णवरं-- सट्टाणे छट्ठाणवडिते॥ ६१. एवं पंच वण्णा दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणितव्वा ।। १. अणुक कोनजहाणीगाहपए (ख) । २. असालदेन अपुरकुभारालापके स्थित्यादीनां ग्रहणं तथा शेपभवनवासिनिकायाना ग्रहण च जायते । Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेमपयं ६२. जहण्णमतिअण्णाणीणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। ६३. से केणठेणं भंते ! एवं वच्चति-जहण्णमतिअण्णाणीणं पुढविकाइयाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णमतिअण्णाणी पुढविकाइए जहण्णमतिअण्णाणिस्स पुढविकाइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तिवाणवडिते। वण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। मतिअण्णाणपज्जवेहि तुल्ले । सुयअण्णाणपज्जवेहिं अचखुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवड़िते।।। ६४. एवं उक्कोसमतिअण्णाणी वि। अजहण्णमणुक्कोसमतिअण्णाणी वि एवं चेव, नवरं-सटाणे छडाणवडिते ।। ६५. एवं सुयअषणाणी वि । अवखदंसणी वि एवं चेव ।। ६६. एवं जाव वणस्सइकाइयाणं ।। ओगाहणाई पडुच्च विलिदियाणं पज्जव-पदं ६७. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ ६८. से केणठेणं भंते ! एवं बच्चति--जहण्णोगाहणगाणं बेइंदियाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्योगाहणए बेइंदिए जहणोगाहणगस्स बेइंदियस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए तुल्ले । ठितीए तिढाणवडिते । वण्ण-गंधरस-फासपज्जवेहिं दोहि णाणेहिं दोहि अण्णाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ।। ६६. एवं उक्कोसोगाहणए वि, णवरं–णाणा थि । अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए जहा जहण्णोगाहणए, णवरं- सहाणे ओगाहणाए चउट्ठाणवडिते।।। ७०. जहण्णद्वितीयाणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता पज्जवा पपत्ता ।। ७१. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति .. जहाणद्वितीयाणं बेइंदियाण अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णद्वितीए बेइंदिए जहण्णद्वितीयस्स बेइंदियस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउढाणवडिते । ठितीए तुल्ले । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि दोहिं अण्णाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ॥ ७२. एवं उक्कोसट्टितीए वि, णवरं दो णाणा अब्भहिया । अजहण्णमणुक्कोस द्वितीए जहा उक्कोस द्वितीए, णवरं-ठितीए तिट्ठाणवडिते ।। ७३. जहण्णगुणकालयाणं बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। ७४. से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चति - जहण्णगुणकालयाणं बेइंदियार्ण अणंता पज्जवा पण्णता ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए बेइंदिए जहण्णगुणकालयस्स बेइंदियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले ! ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते ! ठितीए तिढाणवडिते। कालवणपज्जवेहिं तुल्ले । अवसेसेहिं वण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहि गाणेहिं दोहिं अण्णाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते॥ ७५. एवं उक्कोसगुणकालर वि । अजहण्णमणुककोसगुणकालए वि एवं चेव, गवरंसट्टाणे छट्ठाणवडिते॥ Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० पण्णवणासुतं ७६. एवं पंच वण्णा दो गंधा पंच रसा अट्ठ फासा भाणितव्वा । ७७. जहण्णाभिणिबोहियणाणीणं भंते ! बेदियाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? पोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ७८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहणाभिणिवोहियणाणी बेइंदिए जहण्णा भिशिवोहियणाणिस्स बेइंदियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए तिढाणवडिते । वष्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते । आभिणियोहियणाणपज्जवेहि तुल्ले । सुयणाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। अचक्खुदंसणपज्जवेहि छट्राणवडिते ।। ७६. एवं उक्कोसाभिणिवोहियणाणी वि । अजहण्णमणुक्कोसाभिणिवोहियणाणी वि एवं चेव, णवरं -- सट्ठाणे छट्ठाणवडिते !! ८०. एवं सुतणाणी वि, सुतअण्णाणी वि, मतिअण्णाणी वि, अचक्खुदंसणी वि, वरं- जत्थ णाणा तत्थ अण्णाणा णत्थि, जत्थ अण्णाणा तत्थ णाणा णत्थि। जत्थ दंसणं तत्थ णाणा वि अण्णाणा वि ।। ८१. एवं ते इंदियाण वि। चरिदियाण वि एव चेव, णवरं-चक्खदंसणं अब्भहियं ।। ओगाहणाई पडुच्च पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पज्जव-पदं ८२. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पण्णत्ता? गोयमा! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ८३. से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति–जहण्णोगाहणगाणं पचंदियतिरिक्खजोणियाणं अणता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए पंच दियतिरिक्ख जोणिए जहण्योगाहणयस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए तल्ले । ठितीए तिट्राणवडिते । वण्ण-गध-रस-फासपज्जवेहिं दोहिणाणेहिं दोहि अण्णाणेहि दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते ।। ८४. उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, णवरं-तिहिं णाणेहिं तिहिं अण्णाणेहिं तिहि दसणेहिं छट्ठाणवडिते। जहा उक्कोसोगाहणए तहा अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि, गवरओगाहणट्ठयाए च उट्ठाणवडिए । ठिईए चउट्ठाणवडिए । ८५. जहण्ण द्वितीयाणं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ८६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णट्ठितीए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहण्ण द्वितीयस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणटाए च उदाणवडिते। ठितीए तल्ले । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहि अण्णाणेहि दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते॥ ८७. उक्कोस द्वितीए वि एवं चेव, नवरं-दो नाणा दो अण्णाणा दो दसणा। अजहण्णमणुक्कोसद्वितीए वि एवं चेव, नवरं-ठितीए चउट्ठाणवडिते। ति णि णाणा, तिणि अण्णाणा, तिण्णि दसणा । ८८. जहण्णगुणकालगाणं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपर्यं पज्जवा पण्णत्ता ॥ ८६. सेकेणट्ठणं भंते! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए पंचेंदियतिरिक्खजोगिए जहृण्ण गुणकालगस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पएसया तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते । कालवण पज्जवेहि तुल्ले | अवसे से हि वण्ण-गंध-रस- फासपज्जवेहि तिहि गाणेह तिहि अण्णाणेहि तिहि दंसणेहि छाणas || ६०. एवं उक्कोस गुणकालए वि । अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि एवं चैव, णवरं-साणे छट्टाणवडिते ॥ ६१. एवं पंच वण्णा दो गंधा पंच रसा अट्ठ फासा भाणियव्वा' || ६२. जण्णाभिणिबोहियणाणीणं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ९३. से केणट्ठणं भंते! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णाभिणिवोहियणाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जणाभिणिबोहियगाणिस्स पंचेंदियतिखिखजोणियस्स दव्वट्टयाए तुल्ले | पट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्टाणवडिते । ठितीए चउद्वाणवडिते । वणगंध-रस- फासपज्जवेहिं छाणवडिते । आभिणिवोहियणाणपज्जवेहि तुल्ले । सुयणाणपज्जवेहिं छट्टाणवडिते । चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्टाणवडिते ॥ ६४. एवं उक्कोसाभिणिबोहियणाणी वि, णवरं-ठितीए तिट्ठाणवडिते, तिण्णि णाणा, तिष्णि दंसणा, सट्टाणे तुल्ले, सेसेसु छट्टानवडिते । अजहष्णुक्कोसाभिणिवोहियणाणी जहा उक्कोसाभिणिबोयिणाणी, णवरं-ठितीए चउट्ठाणवडिते । सट्टाणे छट्टाणवडिते ॥ १२१ ६५. एवं सुतणाणी वि ॥ ९६. जहणोहिणाणीणं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! अनंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ६७. से केणट्ठणं भंते ! एवं वच्चति ? गोयमा ! जहणोहिणाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिए जहण्णोहिणाणिस्स पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वटुयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहट्टयाए चाणवडिते । ठितीए तिट्ठाणवडिते । वण्ण-गंध-रस- फासपज्जवेहि आभिणिवोहियणाण-सुतणाणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते । ओहिणाणपज्जवेहि तुल्ले । अण्णाणा णत्थि । चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि [ ओहिदंसणपज्जवेहि ? ] ' य छट्टाणवडिते ॥ ६८. एवं उक्कोसोहिणाणी वि । अजहण्णुक्कोसोहिणाणी वि एवं चैव, नवरं - सद्वाणे छाणवते || ६६. जहा आभिणिवोहियणाणी तहा मतिअण्णाणी सुयअण्णाणी य । जहा ओहिणाणी १. x ( क.ख. घ ) । २. कोष्ठकवतिपाठः प्रयुक्तादर्णेषु नोपलभ्यते । आगमोदयममितिद्वारा प्रकाशिने प्रस्तुतसूत्रे पाठो दृश्यते । मुनिपुष्यविजयजीद्वारा सम्पादिते एप पाठान्तरे मुद्रितोस्ति । अस्यैव पदस्य ११५ मुत्रे जघन्यावधिमनुग्यस्यालापके अतिहि महि' इति पाठोस्ति; अत्रापि तथैव युज्यते । तेन ओहिदंसणपज्जवेहि' इतिपाठो आवृतः । Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ पण्णवणासुतं तहा विभंगणाणी वि । चक्खुदंसणी अचवखुदंसणी य जहा आभिणिबोहियणाणी। ओहिदसणी जहा ओहिणाणी। जत्थ णाणा तत्थ अण्णाणा णत्थि, जत्थ अण्णाणा तत्थ णाणा णत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणा वि अण्णाणा वि अस्थि त्ति भाणितव्वं ।। ओगाहणाई पडुच्च मणुस्साणं पज्जव-पवं १००. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता। १०१. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जहण्णोगाहणगाणं भणुस्साणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए मणुस्से' जहण्णोगाहणगस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए तिहाणवडिते। वण-गंध-रसफासपज्जवेहि तिहिं णाणेहिं दोहि अण्णाणेहि तिहि सणेहि छढाणवडिते ।। १०२. उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, नवरं---ठितीए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जदि हीणे असंखेज्जभागहीणे । अह अब्भहिए असंखेज्जभागमभहिए । दोणाणा दो अण्णाणा दो दंसणा। अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, गवरं-ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते। आइल्लेहिं च उहि नाणेहि छट्ठाणवडिते। केवलगाणपज्जवेहिं तुल्ले । तिहिं अण्णाणेहि तिहिं दसणेहि छट्ठाणवडिते। केवलदसणपज्जवेहि तुल्ले ॥ - १०३. जहण्णद्वितीयाणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा गण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १०४. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जणद्वितीए मणुस्से जहण्णद्वितीयस्स मणुस्सस्स दबट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए च उट्ठाणवडिते। ठितीए तुल्ले । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहि अण्णाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते ।। १०५. एवं उक्कोसट्टितीए वि, नवरं-दो णाणा, दो अण्णाणा, दो दंसणा। अजहण्णमणुक्कोसट्टितीए वि एवं चेव, नवरं---ठितीए चउट्ठाणवडिते। ओगाहणद्वयाए चउहाणवडिते। आदिल्लेहिं च उनाणेहिं छट्ठाणवडिते। केवल नाणपज्जवेहिं तुल्ले। तिहिं अण्णाणेहिं तिहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिते । केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले ॥ १०६. जहण्णगुणकालयाणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १०७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए मणुस्से जहण्णगुणकालगस्स मणुस्सस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए चउढाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते । कालवण्णपज्जवेहिं तुल्ले । अवसेसेहिं वष्ण-गंधरस-फासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते। चउहिं णाणेहि छट्ठाणवडिते । केवलणाणपज्जवेहिं तुल्ले । तिहिं अण्णाणेहिं तिहिं दसणेहि छट्ठाणवडिते । केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले ॥ १०८. एवं उक्कोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि एवं चेव, नवरं--- सट्ठाणे छट्ठाणवडिते ॥ १. मणूसे (क,ख,घ)। Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं १२३ १०६. एवं पंच वण्णा दो गंधा पंच रसा अट्ठ फासा भाणितव्वा ॥ ११०. जहण्णाभिणिवोहियणाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पपणत्ता ।। १११. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णाभिणिबोहियणाणी मणस्से जहण्णाभिणिवोहियणाणिस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए च उट्ठाणवडिते । ठितीए बउट्ठाणवडिते । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। आभिणिवोहियणाणपज्जवेहिं तुल्ले । सुतणाणपज्जवेहिं तुल्ले । दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिते ।। ११२. एवं उक्कोसाभिणिवोहियणाणी वि, नवरं-आभिणिवोहियणाणपज्जवेहि तुल्ले । ठितीए तिट्ठाणवडिते। तिहिं णाहि तिहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिते । अजहण्णमणकोसाभिणिबोहियणाणी जहा उक्कोसाभिणिवोहियणाणी, णवरं-ठितीए चउढाणवडिते। सट्टाणे छट्ठाणवडिते॥ ११३. एवं सुतणाणी वि॥ ११४. जहण्णोहिणाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। ११५. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा! जहण्णोहिणाणी मणुस्से जहण्णोहिणाणिस्स मणुस्सस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए तिद्वाणवडिते'। ठिईए तिट्ठागवडिते । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं दोहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए । ओहिणाणपज्जवेहि तुल्ले । मणपज्जवणाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए। तिहिं दंसणेहिं छटाणवडिए॥ ११६. एवं उक्कोसोहिणाणी वि । अजहण्णमणुक्कोसोहिणाणी वि एवं चेव, णवरं'ओगाहणट्ठयाए चउढाणवडिते" सट्टाणे छट्ठाणवडिए ।। ११७. जहा ओहिणाणी तहा मणपज्जवणाणी वि भाणितव्वे, नवरं-ओगाहणट्टयाए तिद्राणवडिए । जहा आभिणिवोहियणाणी तहा मतिअराणाणी सुतअण्णाणी य भाणितव्वे । जहा ओहिणाणी तहा विभंगणाणी वि भाणियब्वे । चक्खुदंसणी अचक्खदंसणी य जहा आभिणिवोहियणाणी । ओहिदसणी जहा ओहिणाणी । जत्थ णाणा तत्थ अण्णाणा पत्थि, जत्थ अण्णाणा तत्थ णाणा णत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणा वि अण्णाणा वि।। ११८. केवलणाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ ११६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ केवलणाणीणं मणुस्साणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! केवलनाणी मणुस्से केवलणाणिस्स मणुस्सस्स दवट्टयाए तुल्ले । पदेसट्याए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए च उट्ठाणवडिते । ठितीए तिढाणवड़िते । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते । केवलणाणपज्जवेहिं केवलदसणपज्जवेहि य तुल्ले ।। १. चउट्टाणवडिले (ख,घ); वृत्ती स्वीकृतपाठस्य संवादिविवरण दृश्यते-जवन्यावविरुत्कृष्टा- वधिर्वाऽवगाहनया त्रिस्थानपतितः (मव) । २. ४ (ख,घ,पु)। Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ १२०. एवं केवलदंसणी वि मस्से भाणियव्वे || ओगाहणाई पडुच्च वाणमंतराईणं पज्जव-पदं १२१. वाणमंतरा जहा असुरकुमारा ॥ १२२. एवं जोइसिया वैमाणिया, नवरं - सट्ठाणे ठितीए तिट्ठाणवडिते भाणितब्वे । से तं जीवपज्जवा || अजीवपज्जव पर्द १२३. अजीवपज्जवा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रूविअजीव पज्जवा य अरूविअजीवपज्जवा य । १२४. अरूविअजीवपज्जवा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता; तं जहा--धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मस्थिकाए, अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, आगासत्थिकाए, आगासत्थिकायस्स देसे, आगासत्थि कायस्स पदेसा, अद्धासमए ॥ १२५. रूविअजीवपज्जवा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा' तं जहा -- खंधा खंदेसा खंधपदेसा परमाणुपोग्गले ॥ पण्णत्ता, १२६. ते णं भंते ! किं संखेज्जा असंखेज्जा अनंता ? गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता || पण्णवणासुतं १२७. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वुच्चति-नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ? गोमा ! अनंता परमाणुपोग्गला, अनंता दुपदेसिया खंधा जाव अनंता दसपदेसिया खंधा, अता संखेज्जपदेसिया खंधा, अनंता असंखेज्जपदेसिया खंधा, अनंता अणतपदेसिया खंधा से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति ते गं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा अनंता ।। १२८. परमाणुपोग्गलाणं भंते! केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! परमाणुपोग्गलाणं अनंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ १२६. से क्रेणट्ठणं भंते! एवं वच्चति - परमाणुपोग्गलाणं अनंता पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाते तुल्ले । ओगाहट्टयाए तुल्ले । ठितीए सिथ हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए -जदि होणे असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा । अह अन्भहिए असंखेज्जभागमन्महिए वा संखेज्जभागमन्भहिए वा संखेज्जगुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुण भहिए वा । कालवण्णपज्जवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए -जदि हीणे अनंतभागहीणं वा असंखेज्जभागहीणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेज्जगुणहीणे वा अनंतगुणहीणे वा । अह् अब्भहिए अनंतभागमन्भहिए वा असंखेज्जभागमन्भहिए वा संखेज्जभागमब्भहिए वा संखेज्जगुणमब्भहिए वा असंखेज्जगुणमब्भहिए वा अनंतगुणमन्भहिए वा । एवं अवसेसवण्ण-गंध-रस फासपज्जवेहि छट्टाणवडिते । फासा णं सीय-उसिणनिद्ध-लुक्नेहि छट्टाणवडिते" । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं बुच्चति - परमाणुपोग्गलाणं अनंता १. चउविहा ( क ) 1 २. असौ पाठ: "फासपज्जवेहि छट्टाणवडिते' इति पूर्ववतपाठस्य व्याख्यारूपां दृश्यते । 'फासा' इति प्रथमान्तं पदम् अस्य 'लुक्खेहिं' इति Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम विसेमपयं १२५ पज्जवा पण्णत्ता॥ १३०. दुपदेसियाणं पुच्छा : गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १३१. से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चति ? गोयमा ! दुपदेसिए दुपदेसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहट्ठयाए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जदि हीणे पदेसहीणे । अह अब्भहिए पदेसमभहिए। ठितीए च उट्ठाणवडिते । वण्णादीहिं उवरिल्ले हि चउहि फासेहि य छट्ठाणवडिते।। १३२. एवं तिपएसिए वि, नवरं-ओगाहणटुयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जदि होणे पएसहीणे वा दुपएसहीणे वा । अह अब्भहिए पएसमभहिए वा दुपएसमभहिए वा । एवं जाव दसपएसिए, नवरं-- ओगाहणाए पएसपरिवुड्डी कायव्वा जाव दसपएसिए णवपएसहीणे ति॥ १३३. संखेज्जपदेसियाणं पुच्छा ! गोयमा ! अणंता ।। १३४. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! संखेज्जपए सिए खंधे संखेज्जपएसियस्स खंधम्स दव्वद्रुयाए तुल्ले । पदेसट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अहिए --- जदि हीणे संखेज्जभागहीणे वा संखेज्जगुणहीणे वा । अह अब्भहिए एवं चेव । ओगाहणद्वयाए वि दुट्टाणवडिते । ठितीए चउट्टाणवडिते । वण्णादि उवरिल्लवउफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते ।। १३५. असंखेज्जपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ॥ १३६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ओगाहणयाए चउद्राणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्णादि-उवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिते ।। १३७. अणंतपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणता पज्जवा पण्णत्ता॥ १३८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! अणंतपए सिए खंधे अणंतपएसियस्स खंधस्स दवट्ठयाए तुल्ले। पएसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए चउढाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवड़िते । वण्ण-गंध-रस-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते।। १३६. एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ।। १४०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्टयाए तुल्ले । ठितीए चउढाणवडिते । वण्णादि-उवरिल्ल चउफासेहि य छट्ठाणवडिते॥ १४१. एवं दुपएसोगाढे वि जाव दसपएसोगाढे। १४२. संखेज्जपएसोगाढाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता ।। १४३. से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चति ? गोयमा ! संखेज्जपएसोगाढे पोग्गले तृतीयान्तपदेन सङ्गतिरपि नास्ति । तथा च वृत्ति--परमाण्वादीनामसङ्घघातप्रदेशस्कन्धपर्यन्तानां केषांचिदनन्तप्रादेशिकानामपि स्कन्धानां तथैकप्रदेशावगाढानां यावत सहयातप्रदेशावगाढानां शीतोष्णस्निग्धरूक्षरूपाश्चत्वार एव स्पर्शा इति तरेव परमावादीनां षट्स्थानपतितता वक्तव्या, न शेपः । Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ पण्णवणासुत्तं संखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए दुट्ठाणवडिते। ठितीए च उट्ठाणवडिते। वण्णाइ-उवरिल्लच उफासे हि य छट्ठाणबडिते ।। १४४. असंखेज्जपएसोगाढाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा ।। १४५. से केण?णं भंते ! एवं बुच्चति ? गोयमा ! असंखेज्जपएसोगाढे पोग्गले असंखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलरस दव्वट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए चउट्टाणवडिते । वण्णादि-अट्ठफासेहिं छट्ठाणवडिते ।। १४६. एगसमयद्वितीयाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ १४७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? मोयमा ! एगसमय द्वितीए पोग्गले एगसमयद्वितीयस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तुल्ले । वण्णादि-अट्ठफासेहिं छट्ठाणवडिते ॥ १४८. एवं जाव दससमय दिईए। संखेज्जसमयद्वितीयाणं एवं चेव, नवरं-ठितीए दुट्ठाणवडिते । असंखेज्जसमय द्वितीयाणं एवं चेव, नवरं-ठिईए चउट्ठाणवडिते। १४६. एगगुणकालगाणं पुच्छा। गोयमा ! अणता पज्जवा ।।। १५०. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकाल गस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए चउद्राणवडिते। कालवण्णपज्जवेहिं तुल्ले । अवसे सेहि वण्ण-गंध-रसफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। 'अहिं फासेहिं छट्ठाणवडिते' ।' १५१. एवं जाव दसगुणकालए। संखेज्जगुणकालए वि एवं चेव, नवरं-सटाणे दुट्ठाणवडिते । एवं असंखेज्जगुणकालए वि, णवरं- सट्टाणे चउट्टाणवडिते। एवं अणंतगुणकालए वि, नवरं-सट्ठाणे छट्ठाणवडिते।। १५२. एवं जहा कालवण्णस्स वत्तव्वया भणिया तहा सेसाण वि वष्ण-गंध-रस-फासाणं वत्तव्वया भाणितव्वा जाव अणंतगुणलुक्खे ।। १५३. जहण्णोगाहणगाणं भते ! दुपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता । १५४. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए दुपएसिए खंधे जहण्णोगाहणगस्स दुपए सियस्स खंधस्स दवट्टयाए तुल्ले । पएसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए तुल्ले । ठितीए चउढाणवडिते । कालवण्णपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते। सेसवण्ण-गंधरसपज्जवेहि छट्ठाणवडिते। सीय-उसिण-णिद्ध-लुवखफासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति जहण्णोगाहणगाणं दुपएसियाणं पोग्गलाणं अणंता पज्जवा पण्णत्ता॥ १५५. उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव । अजहण्णमणुक्कोसोगाहणओ नत्थि ।। १५६. जहण्णोगाहणयाणं भंते ! तिपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता पज्जवा ।। १५७. से केण→णं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहा दुपएसिए जहण्णो१. ४ (ख); चिह्नाङ्कितपाठ: 'फासपज्जवेहि दृश्यते । छट्ठाणवडिते' इति पूर्ववर्तिपाटस्य व्याख्यारूपो २. रसफासपज्जवेहि (ख,ग,घ) ! Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं १२७ गाहणए॥ १५८. उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव । एवं अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि ॥ १५६. जहण्णोगाहणयाणं भंते ! चउपएसियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहा जहण्णोगाहणए दुपएसिए तहा जहण्णोगाहणए चउपएसिए । १६०. एवं जहा उक्कोसोगाहणए दुपएसिए तहा उक्कोसोगाहणए चउप्पएसिए वि । एवं अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि चउप्पएसिए, णवरं - ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तल्ले सिय अब्भहिए-जदि हीणे पएसहीणे। अह अब्भहिए पएसमब्भहिए। १६१. एवं जाव दसपएसिए णेयव्वं, गवरं--अजहण्णुक्कोसोगाहणए पदेसपरिवुड्डी कातव्वा जाव दसपएसियस्स सत्त पएसा परिवटिज्जति ।। १६२. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! संखेज्जपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। १६३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए संखेज्जपएसिए जहण्णोगाहणगस्स संखेज्जपएसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पएसट्टयाए दुटाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए चउट्ठाणवडिए। वण्णादि-चउफासपज्जवेहि य छटाणवडिते ।। १६४. एवं उक्कोसोगाहणए वि । अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, णवरंसट्टाणे दुट्ठाणवडिते ॥ १६५. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! असंखेज्जपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। ... १६६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहष्णोगाहणए असंखेज्जपएसिए खंधे जहण्णोगाहणगस्स असंखेज्जपएसियरस खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले। पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए चउट्ठाणवडिते। वण्णादि-उवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिते॥ १६७. एवं उक्कोसोगाहणए वि । अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, नवरंसट्टाणे चउट्ठाणवडिते॥ १६८. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! अणंतपएसियाण पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। १६६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए अणंतपएसिए खंधे जहण्णोगाहणगस्स अणंतपएसियस खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए तुल्ले । ठितीए चउट्ठाणवडिते। वण्णादि-उवरिल्लचउफासेहि छट्ठाणवडिए॥ १७०. उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, नवरं-ठितीए' तुल्ले ॥ १७१. अजहण्णमणुक्कोसोगाहणगाणं भंते ! अणंतपएसियाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता ॥ १७२. से केणठेणं? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए अणंतपएसिए खंधे अजहण्णमणक्कोसोगाहणगस्स अणंतपदेसियस्स खंधस्स दवट्ठयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते। ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्णादि-अट्ठफासेहि छट्ठाणवडिते॥ १. पएसअन्भहिए (क)। २. ठितीए वि (क,ख,ग)। Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ पण्णवणासुतं १७३. जहण्ण द्वितीयाणं भंते ! परमाणपोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता || १७४. से केणठेणं ? गोयमा ! जहण्णट्टितीए परमाणुपोग्गले जहण्ण द्वितीयस्स परमाणुपोग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए तुल्ले। ठितीए तुल्ले । वण्णादि-दुफासेहि य छट्ठाणवडिते॥ १७५. एवं उक्कोसट्टितीए वि । अजहण्णमणुक्कोसट्टितीए वि एवं चेव, नवरं--ठितीए चउट्ठाणवडिते॥ १७६. जहण्ण द्वितीयाणं दुपएसियाणं पुच्छा ! गोयमा ! अणंता ।। १७७. से केणठेणं ? गोयमा ! जहण्णट्टितोए दुपएसिए जहण्णद्वितीयस्स दुपएसियस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जदि हीणे पदेसहीणे । अह अब्भहिए पदेसमब्भहिए । ठितीए तुल्ले । वणादिचउफासेहि य छट्ठाणवडिते ।। १७८. एवं उक्कोसट्टितीए वि । अजहण्णमणुक्कोसद्वितीए वि एवं चेव, नवरंठितीए चउट्ठाणवडिते 11 १७६. एवं जाव दसपदेसिए नवरं–पदेसपरिवुड्डी कातव्वा । ओगाहणट्टयाए तिसु वि गमएसु जाव दसपएसिए णव पएसा वढिज्जति'। १८०. जहण्ण द्वितीयाणं भंते ! संखेज्जपदेसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। १८१. से केणठेणं ? गोयमा ! जहण्णद्वितीए संखेज्जपदेसिए खंधे जहणद्वितीयस्स संखेज्जपएसियस्स खंधस्स दवट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए दुट्ठाणवडिते। ओगाहणट्टयाए दुवाणवडिते । ठितोए तुल्ले । वण्णादि-उवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिते ॥ १८२. एवं उक्कोसट्ठितीए वि । अजहण्णमणुक्कोसद्वितीए वि एवं चेव, नवरं-ठितीए चउट्ठाणवडिते॥ १८३. जहण्णद्वितीयाणं असंखेज्जपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता॥ १८४. से केणठेणं ? गोयमा ! जह्मणद्वितोए असंखेज्जपए सिए जहण्णद्वितीयस्स असंखेज्जपदेसियस्स दव्वट्टयाए तुल्ले। पदेसट्टयाए च उट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तुल्ले । वण्णादि-उवरिल्लच उफासेहि य छट्ठाणवडिते ।। १८५. एवं उक्कोसट्ठिईए वि ! अजहण्णमणुक्कोसट्टितीए वि एवं चेव, नवरं-ठितीए चउट्टाणवडिते॥ १८६. जहष्ण द्वितीयाणं अणंतपदेसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणता ।। १८७. से केणठेणं ? गोयमा! जहण्ण द्वितीए अणंतपएसिए जहण्ण द्वितीयस्स अणंतपएसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए तुल्ले । वण्णादि-अट्ठफासेहि य छट्ठाणवडिते ॥ १८८. एवं उक्कोसट्टितीए वि । अजहण्णमणुक्कोस द्वितीए वि एवं चेव, नवरं-ठितीए च उट्ठाणवडिते॥ १८९. जहण्ण गुणकालयाणं परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। १. बुढिज्जति (क,ग,घ) । Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम विसेसपथ १२६ १६०. से केणठेणं ? गोयमा ! अहण गुणकालए परमाणुपोग्गले जहण्ण गुणकालगस्स परमाणुपोग्गलरस दवाए तुल्ले प्रदेसटुयार तुल्ले ! ओगापट्टयातुल्ले ! ठितीय चट्ठाण वडिने । कालवणपज्जवेहिं ताले ! अबसेसा वण्णा त्थि, गंध-रस-दुफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिते। १६१. एवं उसको गुणकालए वि ! एवमजहणमणुक्कोसगुणकालए वि, शवरं - सटाणे छहाणवड़िते ।। १६२. जहा कथाणं भंते ! दुपए निमाणं पुच्छा ! पोयमा ! अणता !! १९३. से के ठेणं ? गोयमा ! जहण्यगुणकालए दुपएशिए जहण्णगुण कालगस्स दुपएसियस्स दव्य यार तुल्ले । पएसटुयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अमहिए --जदि हीण पदेसहीण । अह अमहिए पएसमभहिए। ठितीए चउढाणवड़िते । कालवणापजहिं तुरले । अवमेसवण्णादि-उरिल्लच उफासेहि य छट्ठाणवडिते ।। १६४. एवं उक्कोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुवकोसगुणकालए वि एवंचेव, नवरंसट्टाणे छट्ठाणवडिते! १६५. एवं जाव दसपएसिए, "वरं -- दस पएसपरिवड्डी, ओगाहणा तहेव ।। १६६. जहण्णगुणकालयाणं भंते ! संखेज्जपए सियागं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। १६७. से केशटठणं ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए संखेज्जपएसिए जहण्णगुणकालगस्स संखेज्जपर सियस्स दवट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए दृट्ठाणवडिते। ओगाहणवयाए दुट्ठाणवडिते। ठितीए उढाणवडिते । कालवणपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वण्णादिउवरिल्लचउफासेहि य छट्ठागवडिते। १६८. एवं उक्कोसगुण कालए वि । एवं अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि, नवरं--- सट्ठाणे छट्ठाणवडिते ।। १६६. जहण्णगुणकालयाणं भंते ! असंखेज्जपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २००. से केणट्टेणं ? गोयमा ! जहण्णगुणकाला? असंखेज्जपए सिए जहण्ण गुणकालगस्स असंखेज्जपएसियस्स दवट्टयाए तुल्ले । पासट्टयाए चउट्ठाणवड़िते। ठितीए च उट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए च उट्टाणवडिते । कालवणपउजवेहिं तुल्ले । अवसेसेहिं वण्णादिउवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिते ।। २०१. एवं उक्कोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुवकोसगुणकालए वि एवं चेव, णवरंसट्ठाणे छट्ठाणवडिते ।। २०२. जहण्णगुणकालयाणं भते ! अगंतपा सियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २०३. से केण ठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोथमा ! जहण्ण गुणकालए अणंतपए सिए जहण्णगुणकालयस्स अणंतपएसियरस दबट्टयाए तुरुले। पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहट्ठयाए चउटाणवड़िते ! ठितीए चउट्ठाणवडिते : कालवाणपज्जवेहिं तुल्ले । अवसेसेहि वण्णादि-अट्ठफासहि य छट्ठाणवडिते॥ २०४. एवं उवकोसगुणकालए वि । अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि एवं चेव, नवरं-- १. फासपज्जवेहि (ख,घ) । Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० पण्णवणासुत्तं सट्ठाणे छट्ठाणवडिते॥ २०५. एवं नील-लोहित-हालिद्द-सुविकल-सुभिगंध-दुनिभगंध-तित्त-कहुय-कसायअंविल-महुर रसपज्ज वेहि य वत्तव्वया भाणियव्वा, नवरं--परमाणुपोग्गलस्स सुब्भिगंधस्स दुब्भिगंधो न भण्णति, दुब्भिगंधस्स सुब्भिगंधो न भणति, तित्तस्स अवसेसा ण भण्णंति । एवं कडुयादीण वि । सेस' तं चेव ।। २०६.जहण्णगुणकक्खडाणं अणंतपएसियाण पृच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २०७. से केणट्टेणं ? गोयमा! जहण्ण गुणकक्खडे अणंतपएसिए जहण्णगुणकक्खडस्स अणंतपदेसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले ! पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते। ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए च उढाणवडिते । वण्ण-गंध-रसेहिं छट्ठाणवडिते। कक्खडफासपज्जवेहिं तुल्ले । अबसेसेहिं सत्तफासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते ।। २०८. एवं उक्कोसगुणकक्खडे वि। अजहण्णमणुक्कोस गुणकक्खडे वि एवं चेत्र, नवरं-सट्टाणे छट्ठाणवडिते ॥ २०६. एवं मउय-गरुय-लहुए वि भाणितव्वे ।। २१०. जहण्णगुणसीयाणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २११. से केण→णं ? गोयमा ! जहण्णगुणसीते परमाणुपोग्गले जहण्णगुणसीतस्स परमाणुपोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए तुल्ले। ठितीए चउट्टाणवडिते वण-गंध-रसेहिं छट्ठाणवडिते। सीतफासपज्जवेहि य तुल्ले । उसिणफासो न भण्णति । णिद्ध-लुक्खफासपज्जवेहि छट्ठाणवडिते ।। २१२. एवं उक्कोसगुणसीते वि । अजहण्णमणुक्कोसगुणसीते वि एवं चेव, नवरं-- सट्टाणे छट्ठाणवडिते। २१३. जहण्णगुणसीयाणं दुपएसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २१४. से केणठेणं ? गोयमा ! जहण्णगुणसीते दुपए सिए जहण्णगुणसीयस्स दुपएसिस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्ठयाए तुल्ले । ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जइ हीणे पएसहीणे । अह अब्भहिए पएसमभहिए। ठिईए चउट्ठाणवडिते। वण्णगंध-रसपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते । सीतफासपज्जवेहिं तुल्ले । उसिण-निद्ध-लुक्खफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिते ॥ २१५. एवं उक्कोसगुणसीए वि । अजहण्णमणुक्कोस गुणसीते वि एवं चेव, नवरंसट्टाणे छट्टाणवडिते॥ २१६. एवं जाव दसपएसिए, नवरं-ओगाहणट्ठयाए पदेसपरिवुड्डी' कायब्वा जाव दसपएसियस्स णव पएसा वड्डिजति ।। २१७. जहण्णगुणसीयाणं संखेज्जपएसियाणं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! अणंता ।। २१८. से केणठेणं ? गोयमा ! जहण्णगुणसीते संखेज्जपएसिए जहण्णगुणसीयस्स संखेज्जपएसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले । पएसट्टयाए दृट्ठाणवडिते । ओगाहणट्ठयाए दृढाणवडिते। ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्णाईहिं छटाणवडिते । सीतफासपज्जवेहि तुल्ले । उसिण-निद्ध १. अवसेस (क) । २. परिवड्ढी (क)। Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं विसेसपयं लुवखेहिं छट्टावडते | २१६. एवं उक्कोसगुणसीए वि । अजष्णमणुक्कोसगुणसीए वि एवं चेव, नवरं - सट्टा छट्टावडते ॥ २२० जहण्णगुणसीताणं असंखेज्जपए सियाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता ॥ २२१. से केणट्ठे ? गोयमा ! जहण्णगुणसीते असंखेज्जपएसिए जहण्ण गुण सीयस्स असंखेज्जप एसियल्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ओगाहणट्टयाए चउट्टाणवडिते । ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्णादिपज्जवेहि छट्टाणवडिते । सीतफासपज्जवेहि तुल्ले | उसिण - निद्ध - लुक्ख फासपज्जहिं छट्टावडते ॥ १३१ २२२ एवं उक्कोसगुण सीते वि । अजहष्णमणुक्कोसगुणसीते वि एवं चेव, नवरं-सट्टा लावते || २२३ जण गुणसीताणं अणतपदेसियाणं पुच्छा । गोयमा ! अनंता || २२४. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! जहण्णगुणसीते अनंतपदेसिए जहण्ण गुणसीतस्स अनंत एसियस्स दव्वट्टयाए तुल्ले | पदेसट्टयाए छट्ठाणवडिते । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए चउट्टाणवडिते । वण्णादिपज्जवेहिं छट्टाणवडिते । सीतफासपज्जवेहिं तुल्ले । अवसे सेहि सत्तफासपज्जवेहि छट्टाणवडिते ।। २२५. एवं उक्कोसगुणसीते वि । अजहष्णमणुक्कोसगुणसीते वि एवं चेव, नवरं— साणे छट्टावडते ॥ २२६. एवं उस निद्धे लुक्खे जहा सीते । परमाणुपोग्गलस्स तहेव पडिवक्खो, सव्वेसि न भण्णइ त्ति भाणितव्वं ।। २२७. जहण्णपदेसियाणं भंते ! खंधाणं पुच्छा । गोयमा ! अनंता || २२८. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! जहण्णपदेसिते खंधे जहण्णपए सिस्स खंधस्स दन्agयाए तुल्ले | पदेसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए -- जदि हीणे पदेसहीणे । अह अब्भहिए पदेसमम्भहिए । ठितीए चउट्ठाणवडिते । वण्ण-गंध-रस-उवरिल्लच उफासपज्जवेहि छट्टागवडते ॥ २२६. उक्कोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं पुच्छा । गोयमा ! अनंता ॥ २३०. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! उक्कोसपए सिए खंधे उक्कोसपएसियस्स बंधस्स दबट्टयाए तुल्ले | पसट्टयाए तुल्ले । ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते । ठितीए चउद्वाणवडते । वण्णादि- अफासपज्जवेहि य छट्टाणवडिते !! २३१. अजहण्णमणुक्कोसपदेसियाणं भंते! खंधाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता । २३२. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसवदेसिए खंधे अजहण्णमणुक्कोसपदेसियस्स खंधस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए छट्टाणवडिते । ओगाहणट्टयाए चट्टानवडिते । कितीए चउट्ठाणवडिते । वण्णादि- अट्ठफासपज्जवेहि य छट्टाणवडिते ॥ २३३. जहण्णोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अनंता ॥ १. भाणितव्वं । साम्प्रतं सामान्य सूत्रमारभ्यते ( क, ख, ग, घ ) | Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पतं २३४. से केगट्ठेणं ? गोगमा ! जणोगाहणए पोग्गले जहणोगागस्स पोग्गलस्स दवाए तुल्ले | पदेसया छट्टाणवडिते । ओगाट्टयाए तुल्ले । ठिलीए नागवडिते । वृष्णादि उवरिल्ला सेहि य द्राणवडिते । १३२ २३५. उनकोमोपम्हणए वि एवं चेत्र नवरं - कितीए तुल्ले ॥ २३६. अजहणमणुक्कोसगाणं भते ! गाणं पुच्छा । गोयमा ! जणंता ॥ २३७ सेकेणट्ठेणं ? गोमा ! अजहृष्णमणको पोले अजहण्णः शुक्को ओोग हष्ट्याए चर सोगणस्स डाडिते । दितीय लम्स दव्वट्टयाए तुल्ले पण गुणवडिते । बप्पादि-बटुकसपज्जवेहिं राणवडिते ॥ २३८. जगणद्वितीयाणं भंते ! पोग्गलाणं पुछा गया ! अनंता । २३६. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! जहणद्वितीए पोगले जहणद्वितीयस्स पोगलस्य व्याए तुल्ले । पदेसट्टयाए छट्टाणवडिते । ओगाहण्याए चट्टानवडिते । द्वितीए तुल्ले । वणादि - अफासपज्जवेहि य छट्टाणवडिते ॥ २४०. एवं उक्कोसतीए वि । अजष्णमणुक्कोसद्वितीए वि एवं चेव, नवरंठिती' चउट्टाणafsa || २४१. जहण्णगुणकालयाणं भंते ! पोग्गलाणं केवतिया पज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता ॥ २४२ सेकेणट्ठेणं ? गोयमा ! जहण्णगुणकालए पोगले जहग्ण गुणकालयस्स पोग्गलस्स दव्वट्टयाए तुल्ले । पदेसट्टयाए छट्टाणवडिते । ओगाहणट्टयाए चउद्वाणवडिते । ठितीए चउद्वाणवडिते । कालवण्णवज्जवेहि तुल्ले | अवसे सेहिं व-गंध-रस- फासपज्जवेहि य छाडि । से एएणणं' गोयमा ! एवं वृच्छति जष्णगुणकालयाणं पोग्गलाणं अनंता पज्जवा पण्णत्ता ॥ २४३. एवं उवकोसगुणकालए वि । अजहृष्णमण्वकोसगुणकालए वि एवं चैव, नवरं - सट्टाणे छाणत्रडिते ॥ २४४. एवं जहा कालदण्णपज्जवाणं वत्तव्वया भणिता तहा सेसाण वि वण्ण-गंध-रसफासपज्जवाणं' वत्तब्वया भणितव्वा जाव अजणमणुक्कोसलक्खे सट्टा छुट्टाणवडिते । त्तं रूविअजीव पज्जवा से त्तं अजीवपज्जवा ॥ १. ठितीए वि ( क ) 1 २. एट्टे (क, ख ) ; वेणट्ठेणं ( ग ) | ३. फवा (..,घ) Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहा छट्ठ वर्कतिपयं १ वारस २ चवीसाई',' ३ सअंतर ४ एगसमय ५ कत्तो य । ६७ परमवियाज्यं ८ अट्ठेव आगरिया ||१|| बारसदार उपवाय उच्वट्टणा-विरह-पदं १. रितो गं भंते ! केवलियं कालं विरहिया उबनाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एवं समयं उक्कोसेणं वारस मुहुत्ता ॥ २. तिरिथगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं एवं समयं उक्कोसेणं बारस मुहता ॥ ३. मणुयगती णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एवं समयं उक्कोसेणं वारसा मुहुता ॥ ४. देवगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एवं समयं उनकोसेणं वारस मुहत्ता ॥ ५. मिती भंते! केवतियं कालं विरहिया सिज्झणया: पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं एवं समयं उनको सेणं छम्मासा | पण्णत्ता ? गोयमा ! ६. निरयगती णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उव्वट्टयाए जणं एवं समयं उक्कोसेणं वारस मुहुत्ता ॥ ७. तिरियगतीणं भंते! केवतियं काल विरहिता उच्चट्टगया जणं एवं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ॥ पण्णत्ता ? गोयमा ! ८. मणुयगती गं भंते! केवतियं कालं विरहिया उव्वट्टणाएं पण्णत्ता ? गोयमा ! जष्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं वारस मुहुत्ता || C. देवगती गं भंते ! केवलियं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एवं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ॥ १. वार यचडीया (क.ख.ग.) । २. तीया ( ख ) 1 ३. उद्वर्तनया । पूर्वसूत्रयोः 'उवट्टणवाएं' इति पदमस्ति नत्र या प्रत्यय: स्वार्थिकोस्ति । १३३ Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ पण्णवणासुत्तं चउवीसाई दारं उववाय-उध्वट्टणा-विरह-पदं १०. रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहरणेणं एग' समयं, उक्कोसेणं च उच्वीसं मुहुत्ता ।। ११. सक्करप्पभापुढविनेरझ्या णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं सत्त रातिदियाणि ॥ १२. वालुयप्पभापुढविने रइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं अद्धमासं । १३ पंकप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं मासं ।। १४. धूमप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उवकोसेणं दो मासा ॥ १५. तमापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं चत्तारि मासा ।। १६. अहेसत्तमापुढविनेरइया णं भते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ।। १७ असुरकुमारा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणेणं एग समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता ।। १८. नागकुमारा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पणत्ता ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। एवं सुवष्णकुमाराणं विज्जुकुमाराणं अग्गिकुमाराणं दीवकुमाराणं 'उदहिकुमाराणं दिसाकुमाराण" वाउकुमाराणं थणियकुमाराण य 'पत्तैयं-पत्तेय" जणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं च उव्वीसं मुहुत्ता ।। १६. पुढविकाइया णं भते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएण पग्णत्ता ? गोयमा ! अणुसमयमविरहियं उववाएणं पण्णत्ता । एवं आउकाइयाण वि तेउकाइयाण वि वाउकाइयाण वि वणप्फइकाइयाण वि अणुसमयं अविरहिया उववाएणं पण्णत्ता ।। २०. बेइंदिया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उबवाणं पण्णता ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उक्कोसेणं अंतोमुत्तं । एवं तेइंदिय-चउरिदिया" ।। - २१. सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं एग समय, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। २२. गब्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं वारस मुहुत्ता। २३. सम्मुच्छिममणुस्सा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं धउव्वीसं मुहत्ता ।। १. एककं (क)। ४. 'चउरिदिय (क,ग,घ); तेइंदियाण चरि२. दिमाकुमाराणं उदहिकुमाराणं (ग,घ) । दियाण (ख)। ३. पतेयं (क,ख,घ)। Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठें वक्कतिपयं २४. गम्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस महत्ता । २५. वाणमंतराणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहत्ता ॥ २६. जोइसियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं एग समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता ॥ २७. 'सोहम्मकप्पे देवा" णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं च उव्वीसं मुहत्ता ।। २८. ईसाणे कप्पे देवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं च उव्वीसं मुहुत्ता ।। २६. सणंकुमारदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं एगं समय, उक्कोसेणं नव रातिदियाई बीसा य मुहुत्ता॥ ३०. माहिंददेवाणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस राइदियाई दस मुहुत्ता। ३१. बंभलोए देवाण पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं अद्धतेवीसं रातिदियाई! ३२. लंतगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं पणतालीसं रातिदियाई ॥ ३३. महासुक्कदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असीति रातिदियाई।। ३४. सहस्सारदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणेणं गं समयं, उक्कोसेणं रातिदियसतं' ।। ३५. आणयदेवाण पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा ।। ३६. पाणयदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा ।। ३७. आरणदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा ३८. अच्चुयदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एग समय, उक्कोसेणं संखेज्जा वासा।। ३६. हेट्ठिमगेवेज्जाणं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससताई ॥ ४०. मज्झिमगेवेज्जाणं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साई॥ वासा ।। १. सोहम्मकप्पदेवा (क,ग,घ) । २. सोराइंदियाई (ग)। Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गणवणासुतं ४१. उवरिमगेवेज्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जणेणं गं समयं, उवकोसेण संखेज्जाई वाससतसहस्साई ।। ४२. बिग-वेजयंत-जयंतापगजियदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणणं गं समय उक्कोसेण असंखेज्जनालं ४३. सवदसिद्धगदेवा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिना उबदारणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहणणं एग समयंकहोसे पलि भोपवमरून संपेज्जहभागी ४४. सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया सिझणया पणता ? गोयमा ! जहणणेणं गं समयं, जोसेणं छम्मासा। ४५. रयणप्पभागृढविनेरइया णं भंते ! येवनियल विरहिया उबदाणा पणत्ता ? गोयमा ! जपणेणं सगं समय, उयकोसेणं च वीस मुहत्ता ।। ४६ एवं सिद्धवज्जा उव्वट्टणा वि भाणितव्वा जाव अणुत्तरोववाझ्य ति, नवरंजोइसिय-वेमाणिएसु चयणं ति अभिलावो' काययो ।। संतरदारं उक्वाय-उध्वट्टणा-पदं ४७. नेरइया णं भंते ! वि संतर उववज्जति ? निरंतरं उववज्जति ? गोयमा ! संतरं शिववज्जति. निरंतरं पिउवबज्जति । ८.तिरिक्खजोणियाण भंते ! कि संतरं उसवज्जति ? निरंतर उवदज्जति ? गोयमा! संतरं पि उबवज्जति, निरंतर पि उववज्जति ।। हमणस्सा ण भंते ! कि संतरं उववजति ? निरंतर उववज्जति ? गोयमा ! संतरमि ज्ववज्जति, निरतर पिउववज्जति ।। ५०. देवाणं भते ! सिंतर अवज्जति ? निरंतर उववज्जति ? गोयमा ! संतरं पि उपवज्जति, निरंतर गि उववज्जति॥ ५२. रयणणभापढविनेर इयाण मते ! कि संतर उवव जति ? निरंतर उवदज्जति ? गोयमा ! संतरं पि उबवति. निरंतरं पि उववजय जाय हेगलनार संतरं पि उववज्जति, निरंतरं पि उज्जति ५२. अनरकमारा णं भते ! देवा" संतर उपयज्जति ? निरतर उपवज्जति? गोयमा ! संतरं पि उववज्जति ? निरंतर मि उबवज्जति । एवं जाय यणियमारा संतरं पि उववज्जंति, निरंतर पि उववज्जति ।। ५३. पूढविकाइया णं भंते ! कि संतरं उववज्जति ? निरंतर उववजति ? गोयमा ! नो संतरं उववज्जति, निरंतरं उज्जति । एवं जाव वणस्सइकाइया नो संतरं ववज्जंति, निरंतरं उववज्जति ।। ५४. बेइंदिया णं भंते ! कि संतरं उववज्जंति ? निरंतर उववज्जति ? गोयमा ! संतरं पि उक्वजति, निरंतरं पियवति । एवं जाव पंचेंदियतिरिनखजोगिया ।। ५५. मणस्या ण भंते ! कि संतरं ववज्जति ? निरंतर उववति ? गोयमा! संतरं पि उववज्जति, निरंतरं पि उबवज्जति ।। १. अहिलावो (ख,घ) । २. मत देवाण (ग), देवा ण भंत (ख,घ) । Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठं वकंलिपयं १३७ ५६. एवं वाणमंतरा जोइसिया सोहम्म-ईसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतगमहासक्तः-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चय ज्जम-मज्झिमगेवेज्जग-उवरिमगेवेज्जग-विजय वेजयंत-जयंत-अपराजित-सचट्टसिद्ध देवा य संतरं पि उववज्जति निरंतर पि उववज्जति ॥ ५७. सिद्धाणं भंते ! कि संतरं सिझंति ? निरंतरं सिज्झंति ? गोयमा ! संतरं पि सिज्झंति, निरंतर पि सिज्झंति । ५८. नेरइया णं भंते ! कि संतरं उव्वदति ? निरंतरं उबटटंति ? गोयमा! संतरं पि उव्वटंति, निरंतरं पि उन्बति ।। ५६. एवं जहा उववाओ भणितो तहा उव्वट्टणा वि सिद्धवज्जा भाणितव्वा जाव वेमाणिया, नवरं--जोइसिय-वेमाणिएमु चयणं ति अभिलावो कातव्यो ।। एगसमयदारं उववाय-उव्वट्टणा-पदं ६०. नेरझ्या ण भंते ! एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा! जहणणं एको वा दो वा तिणिवा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । एवं जाव अहेसत्तमाए। ६१. असुरकुमारा णं भते ! एगसमरणं केवतिया उववज्जंति ? गोयमा ! जहण्णेण एकको वा दो वा तिणि बा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा । एवं नागकुमारा जाव थणियकुमारा वि भाणियब्वा ।। ६२. पुढविकाइया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! अणुसमयं अविरहियं असंखेज्जा उक्वज्जति । एवं जाव वाउकाइया ।। ६३. वणम्सतिकाइया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा! सट्टाणववायं पडुच्च अणुसमयं अविरहिया अणंता उववज्जंति, परवाणुववायं पडुच्च अणसमयं अबिरहिया असंखेज्जा उववज्जति ।। ६४. वेइंदिया ां भंते ! केवतिया एमसभएण उवबज्जति ? गोयमा ! जहण्णणं गोवा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेण संखेज्जा वा असंखेज्जा वा ।। ६५. एवं तेइंदिया चरिदिया सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया गब्भवतियपंचेंदियतिरिक्छ जोणिया सम्मुच्छिममणुस्सा वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाण-सणकुमारमाहिंद-बंभलोय-लंतग-महासुक्क'-सहस्सारकप्पदेवा--एते जहा नेरइया । ६६. गमवक्रतियमणस्सा आणय-पाणय-आरण-अच्चय-गवेज्जग-अणुतगेववाइया य एते जहणणं एक्को वा दो वा तिगिण वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति ।। ६७. सिद्धा णं भंते ! एगसमएण केवतिया सिझंति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं अट्ठसतं ।। ६८. ने रइया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया उन्वट्ठति ? गोयमा ! जहणण एक्को वा दो वा निष्णि वा, उपकासेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उबट्टति ।। ६६. एवं जहा उववाओ भणितो तहा उन्वट्टणा वि सिद्धवज्जा भाणितव्वा जाव १. आरणच्चुन (क,ख,ग,घ) । २. सुक्क (ख, ग, घ)। Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ अणुत्तरोववाइया, णवरं - जोइसिय- वैमाणियाणं चयणेणं अभिलावो कातव्वो । कत्तोदारं उबवाय उन्वट्टणा-पदं ७०. नेरइया णं भंते ! कतोहितो उववज्जंति ? कि नेरहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? मणुस्सेहितो उववज्जति ? देवेहितो उववज्जति ? गोमा !" तो नेरइए हितो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, मणुस्से हितो उववज्जति, नो देवहितो उववज्जंति ॥ पण्णवणासुत्तं ७१. जदि तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं एगिदियतिरिवखजोणिए हितो उववज्जति ? बेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? तेइंदियतिरिवखजोणिएहिंतो उववज्जंति ? चउरिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो नो बेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो नो ते इंदियतिरिक्खजोगिए हितो तो चउरिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, पंचेंद्रियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति । जदि पंचेंदियतिरिवखजोणिएहितो उववज्जति किं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! जलयरपं'चें दियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति, थलय रपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति खह्य रपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति । जदि जलयरपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं सम्मुच्छिमजलय र पंचेंद्रियतिविखजोणिएहितो उववज्जंति ? गन्भवक्कंतियजलय रपंचेंदियतिरिक्खजोणिए हितो उववज्जंति ? गोयमा ! सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिवखजोणिएहितो वि उववज्जंति, गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववज्जति । जदि सम्मुच्छिमजलय रपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किपज्जत्तय सम्मुच्छिमजलय रपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, नो अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलय रपंच दियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति । जदि गव्भवक्कंतियजलय रपंचेंदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं पज्जत्तगगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! पज्जत्तयगव्भवक्कं तियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्त गगब्भवक्कं तियजलयरपंच दियतिरिक्खजोणिएहिंतो उत्रवज्जति । जदि थलयरपंच दियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिएहिंतो उववज्जंति ? गोयमा ! चउप्पयथलय रपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जंति, परिसप्पथलयर१. गोयमा नेइया ( ख ) | Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठें वक्कंतिपयं पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति । जदि चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्वजोणिएहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिमेहितो उववजंति ? गब्भवक्कंतिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति, गब्भवक्कंतियचउम्पएहितो वि उववज्जति । जदि सम्मुच्छिमचउप्पएहिंतो उववज्जति किं पज्जत्तगसम्मुच्छिमच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तगसम्मुच्छिमच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तगसम्मुच्छिमच उप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति । जदि गब्भवतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि संखेज्जवासाउगगब्भवक्कंतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयगब्भवतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! संखज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति, नो असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जति । जदि संखेज्जवासाउयगब्भवतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियच उप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खुजोणिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियच उप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तयसंखेज्जबासाउएहितो उववज्जति । जदि परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएडितो उववज्जति कि उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति। जदि उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिम उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति? गब्भवतिय उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! सम्मुच्छिमेहितो वि उववज्जति, गब्भवक्कंतिएहितो वि उववज्जति । जदि सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तगेहिंतो उववज्जति ? अपज्जत्तरोहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तगसम्मच्छिमेहिंतो उववज्जति, नो अपज्जत्तगसम्मुच्छिम उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति । जदि गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि पज्जत्तएहितो? अपज्जत्तएहितो ? गोयमा ! पज्जत्तगगभवतिएहितो उववज्जंति, नो अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति । जदि भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणिएहितो उबवज्जति किं सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति? गब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति ? गोषमा ! दोहितो वि उबवज्जति ! जदि सम्मुच्छिमभयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोगिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तय Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्त सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणि एहितो उववज्जंति ? गोयमा ! पज्जत्तराहिंतो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति । जदि गभवतिय'भुयपरिमुप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहिलो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति । जदि खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गम्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति । जदि सम्मुच्छिमखयरपंचेंदियतिरिक्वजोणिहितो उववज्जति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति । जदि गभवक्कंतियखयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहिनो उववज्जति कि संखेज्जवासाउएहितो उक्वज्जति ? असंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउएहितो उवव जंति, नो असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जति ।। जदि संखेज्जवासाउयगन्भवतियखयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति कि पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो उवबज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ७२. जदि मणुस्सेहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिममणुस्सेहितो उववज्जति ? गब्भवक्कंतियभणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा! नो सम्मुच्छिममगुस्से हिंतो उववज्जति, गमवक्कंतियमणस्सेहितो उववज्जति। जदि गम्भवतिय मणुस्सेहितो उबवज्जति कि कम्मशुमगगदानवक तियमणु सेहितो' उववज्जति ? अकस्मभूमगगब्भवतियमणस्सेहितो उवव जति ? अंतरदीवगगमवयकत्यिमणस्से हितो उववज्जति ? गोयमा ! कम्मभूमगगभववतियाण सेहितो स्ववज्जति, नो अकम्मभूमगगम्भवतिय मणुस्सेतो उवद जति, नो अंतरदीवगगभवरतियमणुरसेहितो उववज्जति । जदि कम्मभूभगगभवतियभणुस्से हितो उवबज्जति किं संखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? असंखेज्जवासा उएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवक्कंतिय भणुस्सेहितो उववज्जंति, नो असंखेज्जवासा उयक्रम्मभूमगगब्भवतियमणुस्सेहितो उववज्जति । जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगन्भवतियमण से हितो उबवज्जति किं पज्जत्तरोहितो उक्त्रज्जति ? अपज्जत्तगंहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उबवज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ॥ ७३. एवं जहा ओहिया उबवाइया तहा रयणप्पभापुढविने र इथा वि उववाएयव्वा ।। ७४. सक्करम्भापुढविने र इयाण पुच्छ। । गोयमा ! एते वि जहा ओहिया तहेवोववाएयव्वा, नवरं– सम्मुच्छिमेहितो पडिसेहो कातव्यो ।। १. कम्मभूमिगम्भ (ख) । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छट वक्कतिपयं १४१ ७५. वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! कतोहितो उववज्जंति ? गोयमा ! जहा सक्करप्पभापुढ विनेरइया, नवरं भुगपरिसप्पेहितो वि पडिसेहो काब्दो || ७६. पंकप्पभापुढ विनेरइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहा वालुयप्पभापुढविनेरइया, नवरं -- खयरेहितो वि पडिसेहो कातव्वो । ७७. धूगप्पभापुढविनेयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहा पंकप्पभापुढविनेरइया, नवरं उपहितो विपडिसेहो कातव्यो ।। ७८. तमापुढविनेरइया णं भंते ! कर्ताोहितो उववज्जति ? गोत्रमा ! जहा धूमप्पमापुढविनेरइया, नवरं थलय रेहितो वि पडिसेहो कातव्वो । इमेण अभिलावेणं जदि पंचदियतिरिवखजोगिएहितो उवनज्जति किं जजसरपंचदिए तो उववज्जति ? थलयरपंचेदिए हितो उववज्र्ज्जति ? खहयरपंचेदितो उववज्जति ? गोयना ! जलयरपंच दिएहितो उववज्जंति, नो थलय रेहितो तो खयरेहितो उवज्जति ॥ ७६. जदि मणुमेहितो उववज्जंति कि करमभूमएहितो अम्भूमहिंतो अंतरदीवएहितो ? गोयमा ! कम्मभूमहितो उववज्जति, नो अक्रम्मभूमएहितो ज्ववज्जंति, नो अंतरदीवहितो | जदि कम्मभूमएहिंतो उववज्जति किं संखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जेति ? असंखेज्जवासाउएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउए हिंतो उववज्जंति, नो असंखेज्जवासाउएहिंतो उववज्जंति । जदि संखेज्जवासाउएहितो उववज्जंति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जतएहिंतो उववजंति, नो अपज्जत्तएहितो । जदि पज्जत्तयसंखेज्जवासाउयकम्मभूमएहितो उववजति किं इत्थीहितो उववज्जंति ? पुरिसेहितो उववज्जति ? नपुंसएहितो उववज्जति ? गोयमा ! इत्थीहितो वि उववज्जति, पुरिसेहितो वि उववज्जंति, नपुंसएहितो वि उववज्र्ज्जति ॥ ८०. असत्तमापुढविनेरइया णं भंते ! कतोहितो उववज्जति ? गोयमा ! एवं चेत्र, नवरं - इत्थी हितो पडिसेहो कातव्वो । गाहा अस्सण्णी खलु पढमं, दोच्चं च सिरीसवा तइय पक्खी । सीहा जंति चउत्थि, उरगा पुण पंचमिं' पुढवि ॥ १ ॥ छट्ठे च इत्थियाओ, मच्छा मणुया य सत्तमि पुढवि । एसो परमुववाओ, बोधव्वो नरयपुढवीणं ॥ २ ॥ ८१. असुरकुमारा णं भंते! कतोहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, मणुएहितो उववज्जंति, नो देवेहितो उववज्जति । एवं जेहितो नेरइयाणं उववाओ तेहितो असुरकुमाराण वि भाणितव्वो, नवरं असंखेज्जवासाज्य - अकम्मभूमग अंतरदीवगमणुस्सति रिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति । सेसं तं चैव । एवं जाव श्रणियकुमारा ॥ १. पंचमं (क, ख.) । Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ पण्णवणासुतं ८२. पुढविकाइया णं भंते ! कओहितो उववज्जंति ? किं नेरइए हितो जाव देवेहितो उववज्जंति ? गोयमा ! नो नेरइए हितो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहितो मणुस्सेहितो देवहितो वि उववज्र्ज्जति ॥ ८३. जदि तिरिक्खजोणिएहितो उववज्र्ज्जति किं एगिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो वि जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति । जदि एगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पुढविकाइए हितो जाव वणप्फइकाइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पुढविकाइएहितो वि जाव वणप्फइकाइएहितो वि उववज्जति । जदि पुढविकाइएहितो उववज्जंति कि सुहुमपुढविकाइएहितो उववज्जंति ? बादरपुढविकाइएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्र्ज्जति । जदि सुमपुढविकाइए हिंतो उववज्जति किं पज्जत्तयपुढविकाइए हितो उववज्जंति ? अपज्जत्तयपुढविकाइएहिंतो उववज्जंति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्र्ज्जति । दिवादरपुढविकाइएहितो उववज्जति किं पज्जत्तएहितो उववज्जंति ? अपज्जतएहितो उववज्जति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्र्ज्जति । एवं जाव वणस्सतिकाइया चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वा । जदि बेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पज्जत्तयबेई दिएहितो उववज्जंति ? अपज्जत्तयबेइं दिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्जति । एवं ते इंदियचउरिदिए हितो वि उववज्जंति । जदि पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं जलयरपंचेंदिएहितो उववज्जंति ? एवं जेहितो नेरइयाणं उववाओ भणितो तेहितो एतेसि पि भाणितव्वो, नवरं - पज्जत्तगअपज्जत्तगेहितो वि उववज्जंति । सेसं तं चेव ॥ ८४. जदि मणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं सम्मुच्छिममणुस्सेहितो उववज्जंति ? गब्भवक्कतियमणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्र्ज्जति । जदि गभवक्कतियमणुस्सेहितो उववज्जंति किं कम्मभूमगगब्भवक्कंतियम गुस्सेहितो उववज्जति ? अकम्मभूमगगब्भवक्कतिय मणुस्सेहितो उववज्जंति ? सेसं जहा नेरइयाणं, नवरं - अपज्जत्तएहितो वि उववज्जंति ॥ ८५. जदि देवेहितो उववज्जति किं भवणवासि वाण मंतर - जोइ सिय-वेमाणियदेवेहतो उववज्जंति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जंति जाव वेमाणियदेवे हितो वि उववज्जति । जदि भवणवा सिदेवेतिो उववज्जति किं असुरकुमारदेवेहितो जाव थणियकुमार देवे हितो उववज्जंति ? गोयमा ! असुरकुमारदेवहितो वि जाव थणियकुमारदेवहितो वि उववज्जति । जदि वाणमंतरदेवेहिंतो उववज्जति किं पिसाएहितो जाव गंधव्वे हितो उववज्जंति ? गोयमा ! पिसाएहितो वि जाव गंधव्वेहितो वि उववज्जति । जदि जोइसियदेवे हितो उववज्जति किं चंदविमाणेहितो जाव ताराविमाणेहिंतो Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठं वक्कंतिपयं १४३ उववज्जति ? गोयमा ! चंदविमाणजोइसियदेवेहितो वि जाव ताराविमाणजोइसिय देवे हितो वि उववज्जंति । जदि वेमाणियदेवेहितो उववज्जति किं कप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उववज्जति ? कप्पातीतगवेमाणिय देवेहितो ववज्जंति ? गोयमा ! कप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उववज्जति, नो कप्पातीतगवेमाणियदेवेहितो' उववज्जति। जदि कप्पोवगवेमा णियदेवेहितो उववज्जति किं सोहम्मे हितो जाव अच्चुएहितो उववजंति ? गोयमा ! सोहम्मीसाणेहितो उवदज्जति, नो सणंकुमार जाव अच्चुए हितो उववज्जति ।। ८६. एवं आउक्काइया वि । एवं तेउ-वाऊ वि, नवरं-देववज्जेहितो उववज्जति । वणस्सइकाइया जहा पुढविकाइया। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरेंदिया एते जहा तेउ-वाऊ देववज्जेहिंतो भाणितव्वा ।। ८७. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कतोहितो उववज्जति ? किं ने रइएहितो उववज्जति जाव देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नेरइएहितो वि तिरिक्खजोणिएहितो विमणूसे हितो वि देवेहितो वि उववज्जति ॥ ८८. जदि नेरइएहितो उववज्जति कि रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएहितो वि जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो वि उववति ।। ८९. जदि तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं एगिदिएहितो उववज्जति जाव पंचेंदिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! एगिदिएहितो वि जाव पंचें दिएहितो वि उववज्जंति । जदि एगिदिएहितो उववज्जति किं पुढविकाइएहितो उववज्जति ? एवं जहा पुढविकाइयाणं उववाओ भणितो तहेव एएसि पि भाणितव्वो, नवरं-देवेहितो जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो वि उववज्जंति, नो आणयकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो जाव अच्चुएहितो' उववज्जति !! १०. मणुस्सा णं भंते ! कतोहिंतो उववज्जति ? किं नेरइएहितो जाव देवेहितो उबवज्जति ? गोयमा ! नेरइएहितो वि उववज्जति जाव देवेहितो वि उववज्जति ।। ६१. जदि नेरइएहितो उववज्जति किं रयणप्पभापुढविनेरइएहितो जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! रतणप्पभापुढविनेरइएहितो वि जाव तमापूढविनेरइएहितो वि उववज्जति, नो अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववज्जति ॥ ६२. जदि तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? एवं जेहितो पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं उववाओ भणितो तेहिंतो मणस्साण वि मिरवसेसो भाणितव्वो, नवरं-- अहेसत्तमापुढविनेरइय-तेउ-वाउकाइएहितो ण उववज्जति । सव्वदेवेहितो वि उववज्जावेयव्वा' जाव कप्पातीतगवेमाणिय-सव्वट्टसिद्धदेवेहितो वि उववज्जावेयव्वा ॥ ६३. वाणमंतरदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? किं नेरइएहितो जाव देवेहितो १. कप्पातीतवे (क,घ) । ३. उववाओ कायब्वो (ग)। २. हिंतो वि (क,ख,ग) ! Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ पण्णवणासुतं उववज्जति ? गोयमा ! जेहितो असुरकुमारा ।। ६४. जोइसियदेवा गं भंते ! कतोहितो उवज्जति ? गोयमा ! एवं चेव, नवरं..... सम्मुच्छिभअसंखेज्जवासाउथखहयर-अंतरदीवमणस्सवज्जेहितो उववज्जावेयव्वा ।। ६५. 'एवं चेव वेमाणिया वि सोहम्मीसाणगा" भाणितव्वा । एवं 'सणं कुमार गा वि." णवरं - असंखेज्जवासाउयअकम्मभूमगवज्जेहिंो उववज्जति । एवं जाव सहस्सारकप्पोक्गवेमाणियदेवा भाणितन्वा ।। ६६. आणयदेवा णं भंते ! कतोहितो उववज्जति ? किं ने रइएहितो जाव देवहितो उववजनि ? गोयमा ! नो नेर इएहितो उववज्जंति, नो तिरिवखजोणिएहितो उववजंति, मणस्से हितो उववज्जति, नो देवहितो।। ६७. जदि मणुस्सेहितो उववज्जति किं सम्मुच्छिममणुस्सेहितो गन्भवतियमणस्सेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! गम्भवक्कंतियमणुस्से हितो उववज्जति, नो सम्मुच्छिामरणस्सेहितो। जदि गब्भवक्कंतियमणस्से हितो उववज्जति कि कम्मभूमगे हितो उववज्जति ? अकम्मभूमगेहितो उपवज्जति ? अंतरदीवहितो उववति ? गोयमा ! कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिनो उववज्जति, नो अकम्मभूमगेहितो, नो अंतरदीवगेहितो। जदि कम्मभूमगगब्भववतियमणस्सेहितो उववज्जति कि संखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? असंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउएहितो, नो असंखेज्जवासाउएहितो उबवज्जंति। जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमरगमवक्कंतियमणस्से हितो उववज्जति किं पज्जत्तएहितो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उत्रवज्जति, णो अपज्जत्तएहितो। जदि पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवक्कं तियमणुस्से हितो उववज्जति कि सम्मद्दिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगे हितो उववज्जति ? मिच्छद्दिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? सम्मामिच्छद्दिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कं तियमणु सेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! सम्म द्दिछिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उववज्जंति, मिच्छद्दिट्ठिपज्जत्तरोहितो' उववज्जंति, णो सम्मामिच्छादिद्विपज्जत्तरोहितो उववज्जति । जदि सम्मद्दिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्से हितो उववज्जति कि संजतसम्मट्ठिीहितो? असंजतसम्म द्दिट्ठिपज्जत्तए हितो? संजयासंजयसम्म हिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउएहितो उववज्जति ? गोयमा ! तोहितो वि उववज्जति ॥ ८. एवं जाव अच्चुओ कप्पो। एवं गेवेज्जगदेवा वि, णवरं- असंजत-संजतासंजते१. ४ (क)। तिरिक्खणिती उब मणस्सेहितो उव ना २. वेमाणिया ण भने ! कओहिता उवबज्जति ? देवहितो उय। एवं सोहम्मीसाणगदेवा वि कि नेरइएहितो उब कि पंचेंदियतिरिक्खजोणिहितो उव किं मणुस्से हितो उव कि देवेहितो ३. सणकुमारा देवा (ग)। उव गोयमा! नो नेरयहितो उव पंचिदिय- ४ हितो दि (ख) । Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठ्ठे वक्कतिपयं १४५ हितो वि एते पडिसेहेयव्वा । एवं जहेव गेवेज्जगदेवा तहेव अणुत्तरोववाइया वि, नवरं - इमं णाणत्तं - संजया चेव । जदि संजतसम्मद्दिष्ट्ठपज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भववकंतियमणुस्सेहितो उववज्जंति किं मत्त संजतसम्मद्दिद्विपज्जत्तएहितो अपमत्तसंजते हितो उववज्जंति ? गोयमा ! अपमत्तसंजएहितो उववज्जंति नो पमत्तसंजएहिंतो उववज्जति । जदि अपमत्तसंजएहिंतो उववज्जंति किं इड्डिपत्तअपमत्तसंजतेहितो उववज्जंति ? अणि पित्तअपमत्त संजतेहितो उववज्जंति ? गोयमा ! दोहितो वि उववज्जंति || उवट्टणादा उणावं उववाय-पदं ६. नेरइया णं भंते! अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहि उववज्जंति ? कि नेरइएस उववज्जंति ? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति ? मणुस्सेसु उववज्जंति ? देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! णो नेरइएसु उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएस उववज्जंति, मणुस्सेसु उववज्जंति, नो देवेसु उववज्जंति ॥ १००. जदि तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति किं एगिदियतिरिक्खजोगिएसु जाव पंचेंद्रियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जंति ? गोयमा ! नो एगिदिएसु जाव नो चरिदिएसु उववज्जंति, 'पंचेंदिएसु उववज्जंति" । एवं जेहिंतो उववाओ भणितो' तेसु उब्वट्टणा वि भाणितव्वा, नवरं - सम्मुच्छिमेसुण उववज्जति । एवं सव्वपुढवीसु भाणितव्वं, नवरं - अहे - सत्तमाओ मणुस्सेसु ण उववज्जंति ॥ १०१. असुरकुमारा णं भंते! अनंतरं उव्वट्टित्ता कहि गच्छति ? कहि उववज्जंति ? कि नेरइएसु उववज्जंति जाव देवेसु उववज्जंति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति, मणुस्सेसु उववज्जंति, नो देवेसु उववज्जंति ॥ १०२. जदि तिरिक्खजोगिएसु उववज्जति किं एगिदियतिरिक्खजोगिएसु जाव पंचेंदियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जंति ? गोयमा ! एगिंदियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जंति, नो बेइंदिएसु जाव नो चउरिदिएसु उववज्जंति, पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति । जदि एगिदिएस उववज्जंति कि पुढविकाइयए गिदिएसु जाव वणस्सइकाइयएगिदिए सु उववज्जंति ? गोयमा ! पुढविकाइयएगिदिएसु वि आउकाइयएगिदिएसु वि उववज्जंति, नो ते उकाइए नो वाउकाइएसु उववज्जति, वणस्सइकाइएस उववज्र्ज्जति । जदि पुढविकाइएसु उववज्र्ज्जति किं सुहुमपुढविकाइएसु उववज्जंति ? बादरपुढविकाइए उववज्जति ? गोयमा ! 'बादरपुढविकाइएस उववज्जति, नो सुहुमपुढविकाइएसु" । जदि वादरपुढविकाइएसु उववज्जंति किं पज्जत्तगवादरपुढविकाइएसु उववज्जंति ? अपज्जत्तगवायरपुढविकाइएसु उववज्जंति ? गोयमा ! पज्जत्तएसु उववज्जंति, नो अपज्जतसु । एवं आउ-वणस्सतीसु वि भाणितव्वं । १. × (क,ख,घ) । २. प० ६।७१ । ३. नो सुमपुढविकाइएसु उवव० बादरपुढवि काइए उववज्जंति ( क ) 1 ४. १० ६।१०० । Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणवणासुतं पंचेंद्रियतिविखजोणिय - मणुस्सेसु य जहाँ नेरइयाणं उभ्वट्टणा सम्मुच्छिमवज्जा तहा भाणितव्वा । एवं जाव थणियकुमारा || १४६ १०३. पुढविकाइया णं भंते ! अनंतरं उव्वट्टित्ता कहि गच्छन्ति ? कहि उववज्जंति ? कि नेरइएस जाव देवेसु ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिय मणुस्सेसु उववज्जति, नो देवेसु । एवं जहा एतेसि चेव उववाओ तहा उब्वट्टणा वि देववज्जा' भाणितव्वा ॥ १०४. एवं आउ-वणस्सइ-बेइंदिय-तेइंदिय- चउरिदिया वि । एवं तेऊ वाऊ वि नवरंमणुस्तवज्जेसु उववज्जति ॥ १०५. पंचेंद्रियतिरिक्खजोणिया णं भंते! अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छेति कहि उववज्जति ? कि नेरइएस जाव देवेसु ? गोयमा ! नेरइएसु उववज्जति जाव देवेसु उववज्जति ॥ १०६. जदि नेरइएसु उववज्जति कि रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्र्ज्जति जाव असत्तमापुढविनेरइए उववज्जंति ? गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएस वि उववज्जंति जाव असत्तमापुढविनेरइएस वि उववज्जंति ॥ १०७. जदि तिरिक्खजोगिएसु उववज्जंति कि एगिदिएसु जाव पंचिदिए ? गोयमा ! एगिदिए वि उववज्जंति जाव पंचिदिएसु वि उवबज्जति । एवं जहा एतेसि चेव' उववाओ उट्टणावि तहेव भाणितव्वा, नवरं --- असंखेज्जवासाउएसु वि एते उववज्र्ज्जति । १०८. जदि मणुस्सेसु उववज्जति किं सम्मुच्छिममणुस्सेसु उववज्जंति ? गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु उववज्र्ज्जति ? गोयमा ! दोसु वि उववज्र्ज्जति । एवं जहा उववाखो तहेव उव्वणा वि भाषितव्वा, नवरं - अकम्मभूमग अंतरदीवग असंखेज्जवा साउएस वि एते उववज्जति त्ति भाणितव्वं ॥ १०६. जदि देवेसु उववज्जति किं भवणवतीसु' उववज्जंति जाव वेमाणिएसु उववज्जति ? गोयमा ! सव्वेसु चेव उववज्जंति । जदि भवणवतीसु उववज्जंति किं असुरकुमारेसु उववज्जति जाव थणियकुमारेसु उववज्जति ? गोयमा ! सव्वेसु चेव उववज्जति । एवं वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिएसु निरंतरं उववज्जंति जाव सहस्सारो कप्पो त्ति ॥ ११०. मणुस्सा णं भंते ! अनंतरं उब्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहि उववज्जति ? कि नेरइएस उववज्जति जाव देवेसु उववज्जंति ? गोयमा ! नेरइएसु वि उववज्जति जाव देवेसु वि उववज्जति । एवं निरंतरं सव्वेसु ठाणेसु पुच्छा । गोयमा ! सब्वेसु ठाणेसु उववज्जति ण कहित्रि पडिसेहो कायव्वो जाव सव्वगसिद्धदेवेसु वि उववज्जति । अत्थेगतिया सिज्झति वुज्झंति मुच्चति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणं अंत करेंति ॥ १११. वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया सोहम्मीसाणा य जहा असुरकुमारा, नवरं - जोइसियाणं वेमाणियाण य चयंतीति अभिलावो कातव्वो ॥ १. प० ६१८३, ८४ २. × (ख,घ) ! ३. च ( ख ) । ४. भवणवासीसु ( ग ) | Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठ्ठ वक्कंतिपयं १४७ ११२. सणंकुमारदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! जहा असुरकुमारा, नवरं-- एगिदिएसु ण उववज्जति । एवं जाव सहस्सारगदेवा ।। ११३. आणय जाव अणुत्तरोववाइया देवा एवं चेव, णवरं- णो तिरिक्खजोगिएस उववज्जति, मणुस्सेसु पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणुस्सेसु उववज्जति ।। परभवियाउयदारं परभवायुबंधकाल-पदं ११४. नेरइया णं भंते ! कति भागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति' ? गोयमा ! णियमा छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति । एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा॥ ११५. पुढ विकाइया णं भंते! कतिभागावसेसाउया परभवियाच्यं पकरेंति? गोयमा! पुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सोवक्कमाउया य निरुवक्कमाउया या तत्थ पं जेते निरुवक्कम्माउया ते णियमा तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति । तत्थ णं जेते सोववकमाउया ते सिय तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति, सिय तिभागतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेति, सिय तिभागतिभागतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति । आउ-तेउ-वाउ-वणरसकाइयाण बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाण वि एवं चेव ।। ११६. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कतिभागावसेसाउया परभविया उयं पकरेंति ? गोयमा ! पंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संखेज्जवासाउया य असंखेज्जवासाउया य। तत्थ णं जेते असंखेज्जवासाउया ते नियमा छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति । तत्थ णं जेते संखेज्जवासाउया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहासोवक्कमाउया य निरुवक्कमाउया य । तत्थ पं जेते निरुवक्कमाउया ते णियमा तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति। तत्थ णं जेते सोवक्कमाउया ते णं सिय तिभागे परभवियाउयं प्रकाति, सिय तिभागतिभागे य परभवियाउयं पकरेति, सिय तिभागतिभागतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति । एवं मणुस्सावि ।। ११७. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । आगरिसदारं आउयबंधस्स आगरिस-पवं ११८. कतिविधे णं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विधे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा-जातिणामणिहत्ताउए, गइनामणिहत्ताउए, ठितीनामणिहत्ताउए, ओगाहणाणामणिहत्ताउए, पदेसणामणिहत्ताउए, अणुभावणामणिहत्ताउए । ११६. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे आउयबंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा -जातिनामनिहत्ताउए, गतिणामनिहत्ताउए, ठितीणामणिहत्ताउए, ओगाहणानामनिहत्ताउए, पदेसणामनिहत्ताउए, अणुभावणामनिहत्ताउए। एवं जाव वेमाणियाण ॥ १. बंधंति (मवृ)। २. आउबंधे (ग)। Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ पण्णवणासुत्त १२०. जीवा णं भंते ! जातिणामणिहत्ताउयं कतिहिं आगरिसेहिं पकरेंति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं अट्टहिं ।।। १२१. नेरइया ण भंते ! जाइनामनिहत्ताउयं कतिहि आगरिसेहिं पकरेंति ? गोयमा ! जहण्णणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं अहिं । एवं जाव वेमाणिया ।। १२२. एवं गतिणामनिहत्ताउए वि ठितीणामनिहत्ताउए वि ओगाहणाणामनिहत्ताउए वि पदेसणामनिहत्ताउए वि अणुभावणामनिहत्ताउए वि ।।। १२३. एतेसि णं भंते ! जीवाणं जातिनामनिहत्ताउयं जहण्णणं एक्केण वा दोहि वा तीहि बा उक्कोसेणं अहि आगरिसेहिं पकरेमाणाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा जातिणामणिहत्ताउयं अट्ठहिं आगरिसेहि पकरेमाणा, सतहिं आगरिसेहि पक रेमाणा संखेज्जगुणा, छहिं आगरिसे हिं पकरेमाणा संखेज्ज गुणा, एवं पं नहिं संखेज्जगुणा, चउहि संखेज्जगुणा, तिहिं संखेज्जगुणा, दोहिं संखेज्जगुणा, एगेणं आगरिसेण पगरेमाणा संखेज्जगुणा । एवं एतेणं अभिलावेणं जाव अणुभावनिहत्ता उयं । एवं एते छप्पि य अप्पाबहुदंडगा जीवादीया भाणियव्वा ।। Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं उस्सासपयं चउवीसदंडएस उस्सासविरहकाल-पदं १. नेरझ्या णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा? गोयमा ! सततं संतयामेव आणमति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ।। २. असुरकुमारा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ? गोयमा! जहाणेण सत्तण्हं थोवाण, उक्कोसेणं सातिरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ।। ३. णागकूमारा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं सत्तण्हं थोवाणं, उक्कोसेणं मुहत्तपुहत्तस्स' । एवं जाव थणियकुमाराणं ।। ४. पुढविकाइया णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! वेमायाए आणमंति वा जाव नीससंति वा । एवं जाव मणुस्सा ।। ५. वाणमंतरा जहा णागकूमारा । ६. जोइसिया णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा जाव नीससंति वा? गोयमा ! जहण्णेणं मुहुत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेण वि मुहुत्तपुहत्तस्स जाव नीससंति वा ।। ७. वेमाणिया णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहण्णेणं मुहत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। .सोहम्मगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमति वा जाव नीससंति वा? गोयमा ! जहणणेणं मुहत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। ६. ईसाणगदेवा णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहण्णेणं सातिरगेस्स मुहुत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा॥ १०. सणकुमारदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति बा ? गोयमा ! जहण्णेणं दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। ११. माहिंदगदेवा गं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा? गोयमा! १. पुहुत्तस्स (क,ग); पुहुत्त (ख,घ)। १४६ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० पणवणासुतं जणेणं सातिरेगाणं' दोण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं सातिरेगाणं सत्तण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १२. बंभलोगदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं सत्तण्डं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं दसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १३. लंतगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणणं दसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं चोद्दसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १४. महासुक्कदेवा णं भंते! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोमा ! जहणणं चोदसण्हं पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं सत्तरसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १५. सहस्सारगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ? गोमा ! जहणेणं सत्तरसण्ह पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं अट्ठारसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १६. आणयदेवा गं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणणेण अट्ठारसहं पक्खाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ १७. पाणयदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससति वा ? गोयमा ! जहणेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं वीसाए पवखाणं जाव नीससंति वा ॥ १८. आरणदेवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं वीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं एगवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। १६. अच्चयदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणणं एक्कवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं वावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २०. • हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगा देवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं बावीसाए पत्रखाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं तेवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २१. हेट्टिममज्झिमवेज्जगा देवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोमा ! जहणेणं तेवीसाए पदखाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं चवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। २२. हेट्टिमउवरिम वेज्जगा देवा णं भंते! केवतिकालस्स जात्र नीससंति वा ? गोमा ! जहणणं चवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं पणवीसा पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २३. मज्झिमट्ठिमगेवेज्जगा देवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? १. x ( ख, ग ) 1 २. पंचवीसाए ( ग ) । Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं उस्मासपर्य १५१ गोयमा ! जहणेणं पणुवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं छवोसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २४. मज्झिममज्झिमगेवेज्जगा देवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणणं छव्वीसाए पक्खाणं जात्र नीससंति वा उक्कोसेण सत्तावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ।। २५. मज्झिमउवरिमगेवेज्जगा देवा णं भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोमा ! जहणेणं सत्तावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा, उक्कोसेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २६. उवरिमहेट्टिम वेज्जगा देवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा उक्कोसेणं एगुणतीसाए पक्खाणं जाव नोसमति वा ॥ ७. उवरिममज्झिमगेवेज्जगा देवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा? गोयमा ! जहणेणं एगुणतीसाए पक्खाणं जाव नोससति वा, उबकोसेणं तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ २८. उवरिमउवरि गेवेज्जगा देवा ण भंते! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं तीसाए पवखाणं जाव नीससति वा, उक्कोसेणं एक्कतीसाए पक्खाणं जाव नीसति वा ॥ २६. विजय वे जयंत- जयंत अपराजितविमाणेसु णं भंते! देवा केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहणेणं एक्कतीसाए पक्खाणं जाव नीमसंति वा, उक्को सेणं तेत्तीसाए पत्रखाणं जाव नीससंति वा ।। ३०. सव्वसिद्धगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्व जाव नीससंति वा ? गोयमा ! अहमणुक्कोण तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा ॥ Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सण्णापयं सण्णाभय-पदं १. कति णं भंते ! सण्णाओ पणत्ताओ? गोयमा ! दस सण्णाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा लोगसण्णा, ओघसण्णा ।। नेरदयाईण सण्णा-पदं २. नेर इयाणं भंते ! कति सपणाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! दस सण्णाओ पण्णत्ताओ, तं जहा--आहारसण्ण , भयसणणा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा लोगसण्णा, ओघसण्णा ।। ३. असुरकुमाराणं भंते ! कति सण्णाओ पण्णताओ? गोयमा! दस सणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-आहाराणा जाव ओघसण्णा। एवं जाव थणियकुमाराणं । एवं पढविकाइयाणं वेमाणियावसाणाणं णेयव्वं ।। नेरइयाणं सण्णावियार-पदं ४. नेरइया णं भंते ! कि आहारसण्णोवउत्ता भयसण्णोवउत्ता मेहुणसण्णोवउत्ता परिग्गहसण्णोवउत्ता ? गोयमा ! ओसण्णकारणं' पडुच्च भयसण्णोवउत्ता, संतइभावं पडुच्च आहारसण्णोव उत्ता वि जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वि ।। ५. एतेसि णं भंते ! नेर इयाणं आहारसण्णोवउत्ताणं भयसण्णोव उत्ताणं मेहणसण्णोवउत्ताणं परिग्गहसपणोवउत्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया मेहुणसण्णोव उत्ता, आहारसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा, परिग्गहसण्णोवउत्ता संखेज्जगुणा, भयसण्णोवउत्ता संखेज्ज गुणा ।। तिरिक्खजोणियाणं सण्णावियार-पदं ६. तिरिक्खजोणिया णं भंते ! कि आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोव उत्ता? गोयमा ! ओसण्णकारणं पडुच्च आहारसण्णोव उत्ता, संतइभावं पडुच्च आहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वि ।। ७. एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं आहारसण्णोवउत्ताणं जाव परिम्गहसण्णोव उत्ताण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! १. ओगण कारण (ग) सर्वत्र । १५२ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठे अण्णापयं १५३ सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया परिग्गहसण्णोवउत्ता, मेहुणसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा, भयसण्णोवउत्ता संखेज्जगुणा, आहारसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा ।। मणस्साणं सण्णावियार-पदं ८. मणुस्सा शं भंते ! किं आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता ? गोयमा ! ओसण्णकारणं' पडुच्च मेहुणसण्णोव उत्ता, संततिभावं पडुच्च आहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गहसण्णोव उत्ता वि ॥ ९. एतेसि णं भते ! मणुस्साणं आहारसण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गहसण्णोव उत्ताणं य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा मणुस्सा भयसण्णोवउत्ता, आहारसण्डोव उत्ता संखेज्जगुणा, परिग्गहसण्णोवउत्ता संखेज्जगुणा, मेहुणसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा ।। देवाणं सपणाविधार-पदं १०. देवा णं भंते ! किं आहारसपणोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता? गोयमा ! ओसण्णकारणं पडुच्च परिग्गहसण्णोव उत्ता, संततिभावं पडुच्च आहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वि। ११. एतेसि गं भंते ! देवाणं आहारसण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गहसण्णोवउत्ताण य कतरे कतरेहित अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा आहारसण्णोवउत्ता, भयसण्णोवउत्ता संखेज्जगुणा, मेहुणसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा, परिग्गहसण्णोव उत्ता संखेज्जगुणा ।। १. उस्सण (क) । Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णवमं जोणीपयं सोयाइजोणि-पदं १. कति विहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता, तं जहा -सीता जोणी, उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी । २. नेरइयाणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी? सोतोसिणा जोणी ? गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, नो सीतोसिणा जोणी ।। ३. असूरकूमाराणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी ? सीतोसिणा जोणी? गोयमा ! नो सीता, नो उसिणा, सीतोसिणा जोणी । एवं जाव थणियकुमाराणं ।। ४. पुढविकाइयाणं भंते ! कि सीता जोणी ? उसिणा जोणी ? सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी। एवं आउ-बाउवणस्सति-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाण वि पत्तेयं भाणियव्यं ॥ प.तेउवकाइयाणं नो सीता. उसिणा. नो सीतोसिणा॥ ६. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी ? सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी । सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव ।। ७. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी? सीतोसिणा जोणी? गोयमा ! नो सीता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी ।। ८. मणुस्साणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी ? सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! सीता वि जोणी, उसिणा वि जोणी, सीतोसिणा वि जोणी ॥ ____६. सम्मुच्छिममणुस्साणं भंते ! कि सीता जोणी ? उसिणा जोणी ? सीतोसिणा जोणिी ? गोयमा ! तिविहा वि' जोणी ।। १०. गम्भवक्कंतियमगुस्साणं भंते ! किं सोता जोणी ? उसिणा जोणी? सीतोसिणा जोणी ? गोयमा ! नो सीता जोणी, नो उसिणा जोणी, सीतोसिणा जोणी ।। ११. वाणमंतरदेवाणं भंते ! कि सीता जोणी? उसिणा जोणी? सीतोसिणा १. ४ (क,ख)। १५४ Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं जोणीपयं १५५ जोणी? गोयमा! नो सीता, नो उसिणा, सीतोसिणा जोणी। जोइसिय-वेमाणियाण वि एवं चेव ।। १२. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सीतजोणियाणं उसिणजोणियाणं सीतोसिणजोणियाणं अजोणियाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सीतोसिणजोणिया, उसिणजोणिया असंखेज्जगुणा, अजोणिया अणंतगुणा, सीतजोणिया अणंतगुणा ।। सचित्ताइजोणि-पदं १३. कतिविहा गं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता । तं जहा---सचित्ता, अचित्ता, मीसिया॥ १४. नेरइयाणं भंते ! कि सचित्ता जोणी? अचित्ता जोणी? मीसिया जोणी? गोयमा ! नो सचित्ता जोणि, अचित्ता जोणी, णो मीसिया जोणी ।। १५. असुरकुमाराणं भंते ! किं सचित्ता जोणी ? अचित्ता जोणी? मीसिया जोणी ? गोयमा ! नो सचित्ता जोणी, अचित्ता जोणी, नो मीसिया जोगी। एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ १६. पुढविकाइयाणं भंते ! किं सचित्ता जोणी ? अचित्ता जोणी ? मीसिया जोणी ? गोयमा ! सचित्ता वि जोणी, अचित्ता वि जोणी, मीसिया वि जोणी। एवं जाव चरिदियाणं । सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मुच्छिममणुस्साण य एवं चेव ॥ १७. गब्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गब्भवतियमणुस्साण य नो सचित्ता, नो अचित्ता, मीसिया जोणी ॥ १८. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ।। १६. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सचित्तजोणीणं अचित्तजोणीणं मीसजोणीणं अजोणीण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सब्वत्थोवा जीवा मीसजोणिया, अचित्तजोणिया असंखेज्जगुणा, अजोणिया अणंतगुणा, सचित्तजोणिया अणंतगुणा ।। संवडाइजोणि-पदं २०. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णता, तं जहा--संवडा जोणी, वियडा जोणी, संवडवियडा जोणी। २१. नेरइयाणं भंते ! किं संवुडा जोणी? वियडा जोणी ? संवडवियडा जोणी ? गोयमा ! संवुडा गोणी, नो वियडा जोणी, नो संवुडवियडा जोगी। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं ।। २२. बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! नो संवुडा जोणी, वियडा जोणी, गो संवुडवियडा जोणी । एवं जाव चउरिदियाणं । सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मुच्छिममणुस्साण य एवं चेव ।। २३. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं गब्भवक्कंतियमणुस्साण य नो संवुडा जोणी, नो वियडा जोणी, संवुडवियडा जोणी ।। Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ २४. वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं ॥ २५. एतेसि णं भंते! जीवाणं संवुडजोणियाणं वियडजोणियाणं संवुड वियडजोणिया अजोणियाण य कतरे कतरोहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा संबुडवियडजोणिया, वियडजोणिया असंखेज्जगुणा, अजोणिया अतगुणा, संवुडजोणिया अनंतगुणा || कुम्मुष्णयाइजोणि-पदं २६. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता, तं जहा -- कुम्मुण्णया, संखावत्ता, वंसीपत्ता | कुम्मुण्णया णं जोणी उत्तमपुरिसमाऊणं । कुम्मुण्णयाए णं जोणीए उत्तमपुरिसा गब्भे वक्कमंति, तं जहा - अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा । संखावत्ताणं जोणी इत्थिरयणस्स । संखावत्ताए णं जोणीए बहवे जीवा य पोगलाय वक्कमति विउक्कमंति चयंति उवचयंति, नो चेव णं निष्फज्जति । वंसीपत्ता जोणी पिहुजणस्स | वंसीपत्ताए णं जोणीए पिहुजणा' गब्भे वक्कमंति || १. पहुजणे ( ख, ग, घ ) । पण्णवणासुतं Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं चरिमाचरिम विभाग पदं १. कति णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ट पुढवीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - रयणप्पभा, सक्करप्पभा, वालुयप्पभा, पंकप्पभा, धूमप्पभा, तमप्पभा, तमतमप्पभा, ईसीप भारा ॥ २. इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी कि चरिमा अचरिमा चरिमाई अचरिमाई चरिमंतपदेसा अचरिमंतपदेसा ? गोयमा ! इमा णं रतणप्पभा पुढवी नो चरिमा नो अचरिमा तो चरिमाई नो अचरिमाई नो चरिमंतपदेसा नो अचरिमंतपदेसा, णियमा अचरिमं च चरिमाणि य चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपएसा य । एवं जाव असत्तमा पुढवी | सोहम्मादी जाव अणुत्तरविमाणा एवं चेव । ईसीप भारा वि एवं चेव । लोगे वि एवं चैव । एवं अलोगे वि ॥ चरिमाचरिमपयाणं अप्पबहुत्त-पदं ३. इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपसाण य अचरिमंतपसाण य दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्बट्ट - परसट्टयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवी दट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अचरिमं च चरिमाणि यदो विविसेसाहियाई । पदेसट्टयाए सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए चरिमंतपदेसा, अरिमंत एसा असंखेज्जगुणा, चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया । - पट्टया सव्वत्थोवा इमीसे रतणप्पभाए पुढवीए दव्वट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं असंखेज्जगुणाई, अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, चरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, अचरिमंतपएसा असंखेज्जुगुणा, चरिमंतपएसा य अचरिमंतपसा य दो वि विसेसाहिया । एवं जाव असत्तमा । सोहम्मस्स जाव लोगस्स य एवं चेव || ४. अलोगस्स णं भंते ! अचरिमस्स य चरिमाण य वरिमंतपएसाण य अचरिमंतपसाय व्यापदेसट्टयाए दव्वटु-पदेसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवे अलोगस्स दव्बट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई । पदेस याए सव्वत्थोवा अलोगस्स चरिमंतपदेसा, अचरिमंतपदेसा अनंतगुणा, चरिमंतपदेसा य अचरि १५७ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ पण्णवणासुतं मंत देसाय दो वि विसेसाहिया । दव्वदुपदेसट्टयाए सव्वत्थोवे अलोगस्स दब्बट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, चरिमंतपदेसा असंखेज्जगुणा, अचरिमंतपदेसा अनंतगुणा, चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ॥ ५. लोगालोगस्स णं भंते ! अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपरसाण य अचरिमंतपसाय दव्वट्टयाए पदेसट्टयाए दब्बटु-एसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दव्वट्टयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अलोगस्स चरिमाई विसेसाहियाई लोगस्स य अलोगस्स य अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई । पदेस याए सव्वत्थोवा लोगस्स चरिमंतपदेसा, अलोगस्स चरिमंतपदेसा विसेसाहिया, लोगस्स अचरिमंतपदेसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स अचरिमंतपदेसा अनंतगुणा, लोगस्स य अलोगस्स य चरिमंतपदेसाय अचरिमंतपसा य दो वि विसेसाहिया दव्वटु-पदेसट्टयाए सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दव्वट्टयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अलोगस्स चरिमाइं विसेसाहियाई लोगस्स य अलोगस्स य अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, लोगस्स चरिमंतपएसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स चरिमंतपएसा विसेसाहिया, लोगस्स अरिमंत एसा असंखेज्जगुणा, अलोगस्स अचरिमंतपएसा अनंतगुणा, लोगस्सय अलोगस्स य चरिमंतपसा य अचरिमंतपसा य दो वि विसेसाहिया, सव्वदव्वा विसेसाहिया, सव्वपएस अनंतगुणा, सव्वपज्जवा अनंतगुणा ॥ परमाणुपोग्गलाईणं चरिमाइविभाग-पदं ६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरिमे १ अचरिमे २ अवत्तव्वए ३ ? चरिमाई ४ अरिमाई ५ अवत्तव्वयाई ६ ? उदाहु चरिमेय अचरिमेय ७ उदाहु चरिमेय अचरिमाई च ८ उदाहु चरिमाई च अचरिमे यह उदाहु चरिमाई च अचरिमाई च १० ? [पढमा चभंगी ] । उदाहु चरिमेय अवत्तव्वए य ११ उदाहु चरिमेय अवत्तग्वयाई च १२ उदाहु चरिमाई च अवत्तव्वए य १३ उदाहु चरिमाई च अवत्तव्वयाइं च १४ ? [बीया चउभंगी ] । उदाहु अचरिमेय अवत्तव्वए य १५ उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वयाई व १६ उदाहु अचरिमाइं च अवत्तव्वए य १७ उदाहु अचरिमाई च अवत्तव्वयाई च १८ [ तइया चभंगी ] | ? उदाहु चरिमेय अचरिमेय अवत्तव्वए य १६ उदाहु चरिमेय अचरिमेय अवत्तव्वयाइं च २० उदाहु चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २१ उदाहु चरिमेय अचरिमाइं च अवत्तब्वयाई च २२ उदाहु चरिमाई च अचरिमेय अवत्तव्वए य २३ उदाहु चरिमाई च अरिमेय अवत्तव्वयाइं च २४ उदाहु चरिमाई च अचरिमाई च अवत्तव्वए य २५ उदाहु चरिमाइं च अचरिमाई च अवत्तव्वयाई च २६ ? [ एवं एते छब्बीसं भंगा ] । गोयमा ! परमाणुपोग्गले नो चरिमे १ नो अचरिमे २ नियमा अवत्तव्वए || ३, सेसा भंगा पडिसेयव्वा ॥ ७. दुपए सिए गं भंते ! खंधे पुच्छा । गोयमा ! दुपए सिए खंधे सिय चरिमे |•|| १ Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं १५६ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए .. ३, सेसा भंगा परिसेहेयव्वा । ८. तिपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा! तिपएसिए खंधे सिय चरिमे ... १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए | : ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाइं ५ नो अवत्तव्वयाइं ६, नो चरिमे य अचरिमे य ७ नो चरिमे य अचरिमाइं ८ सिय चरिमाइं च अचरिमें य 01.1.1 नो चरिमाइं च अचरिमाइं च १०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य C.११, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा ।। ६. चउपएसिए णं भंते ! खंखे पुच्छा । गोयमा ! चउपएसिए णं खंधे सिय चरिमे [...] १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए ।। ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाइं ५ नो अवत्तव्वयाइं ६, नो चरिमे य अचरिमे य ७ नो चरिमे य अचरिमाइं च ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य .... | सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च 0.01.1 १०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य ...। ११ सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइं च । १२ नो चरिमाइं च अवत्तव्वए य १३ नो चरिमाई च अवत्तव्वयाई च १४, नो अचरिमे य अवत्तब्बए य १५ नो अचरिमे य अवत्त व्वयाई च १६ नो अचरिमाइंच अवत्तव्वए य१७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च १८, नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य १६ नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च २० नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २१ नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २२ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य ___० | २३, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा ॥ | 0001 १०. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा । गोयमा ! पंचपएसिए णं खंधे सिय चरिमे १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए |:: ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाई ५ नो अवत्तव्वयाइं ६, सिय चरिमे य अचरिमे य न ७ नो चरिमे य अचरिमाइं च ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य ...| सिय चरिमाई च अचरिमाइं च | १०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य |.....। ११, सिय चरिमे य अवत्तव्वयाई च 1.01. १२ सिय चरिमाइं च अवत्तव्वए य १ ३ नो चरिमाइं च अवत्तव्व Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० पण्णवणासुतं याइंच १४, नो अचरिमेय अवतव्वए य १५ नो अचरिमे य अवत्तव्वयाई च १६ नो अचरिमाइंच अवत्तव्वए य १७ नो अचरिमाइंच अवत्तवयाई च १८, नो चरिमेय अचरिमे य अवत्तव्बए य १६ नो चरिम य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च २० नो चरिमे य अचरिमाइंच अवनव्वए य २१ नो चरिमेय अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २२ सिय चरिमाइंच अचरिमेय अवत्तव्वए य २३ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वयाई च । २४ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २५ नो चरिमाइंच अचरिमाई च अवत्तव्वयाईच २६ ॥ . . ११. छप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा ! छप्पएसिए णं खंधे सिय चरिमे १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए ::: ३ नो चरिमाइ ४ नो अचरिमाइं ५ नो अवतव्बयाई ६, सिय चरिमे य अचरिमे य नो अवत्तव्वयाइं ६, सिय चरिमे य अचरिमे य - ७ सिप चरिने म अचरि ७ सिय चरिमेय अचरि माइंच ८ सिय चरिमाइंच अचरिमेय हैसिय चरिमाइं च अचरिमाईच १०. सिय चरिमेय अवत्तव्वए य 1::. ११ सिय चरिमे .. य अवत्तव्वयाई च : य अवत्तव्वयाइंच : १२ सिय चरिमाइं च अवत्तब्वए य ••| १३ सिय |-- १३ सय चरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १४, नो अचरिमे य अवत्तव्वए य १५ नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च १६ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वए य १७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं च १८, सिय चरिमेय अचरिमेय अवत्तव्वए य १९ नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च २० नो चरिमे य अचरिमाई च अवत्तव्वए य २१ नो चरिमे य अचरि माइं च अवत्तब्बयाई च २२ सिय चरिमाई च अचरिमेय अवत्तव्वए य च अवत्तव्वए य Colla सिय चरिमाइं च अचरिमेय अवत्तव्वयाइं च ||: २४ सय चरिमाई च अचरमाई • २६ ॥ चरिमेय अचरिमाई च अचरिमाई ५ नो अवत्तव्वयाई ६, सिय चरिमे य अचरिमे य चरिमाइं च अचरिमाई च 181818 · १२. सत्तएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा । गोयमा ! सत्तपएसिए णं खंधे सिय चरिमे १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए ३ नो चरिमाई ४ नो चरिमेय अवत्तव्वयाइं च | सिय चरिमाई च अवत्तव्वयाई च २५ सिय चरिमाई च अचरिमाई च अवत्तव्वयाई च ८ सय चरिमाई च अचरिमेय | 9881 १०, १६१ सिय चरिमेय अवत्तव्यए य २३ '१२ सिय चरिमाई च अवत्तव्य ७ सिय ६ सिय ११ सिय १३ १४, नो अचरिमेय अवत्तव्वए १५ नो 1 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ पण्णवणासुत्त अचरिमे य अवत्तव याइं च १६ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वए य १७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइंच १८, सिय चरिमे अचरिमेय अवत्तव्यए य १६ सिय चरिमे . य अचरिमेय अवत्तव्वयाई ० सिय चरिमेय अचरिमाइंच अवत्तव्वए २१ नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २२ सिय चरिमाइं च अचरिमेय अवत्तव्वए य २३ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्त ग व्वयाइं च |•BA२४ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वए य २५ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च |JOB २६ ॥ १३. अट्ठपदेसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा ! अट्ठपदेसिए खंधे सिय चरिमे म. १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए : ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाइं ५ नो अवत्तव्वयाई६, सिय चरिमेय अचरिमेय ७सिय चरिमे य अचरिमाइं च •: ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य BHBE सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च THE १०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य ा ११ सिय चरिमे य अवत्तव्वयाई च: न. १२ सिय चरिमाइं च अवत्तव्वए य __.. १३ सिय चरिमाइं च Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं १६३ अवत्तब्वयाइंच-1.. १४, नो अचरिमे य अवत्तव्वए य १५ नो अचरिमे य ग अवत्तव्वयाई च १६ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वए य १७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च १८, सिय चरिमेय अचरिमेय अवत्तब्वए य सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तन्वयाई च २० सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्बए य ना.. २१ सिय चरिने म अचरिमाई च अवलम्वाई चा १ सिय चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्वयाई च. : २२ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य BAB२३ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वयाइंच २४ सिय चरिमाई च अचरिमाइं च अवत्तव्वए २५ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १४. संखेज्जपएसिए असंखेज्जपएसिए अणंतपएसिए खंधे जहेव अटुपदेसिए तहेव पत्तेयं भाणितव्वं । गाहा-- परमाणुम्मि य ततिओ, पढमो ततिओ य होति दुपदेसे । पढमो ततिओ नवमो, एक्कारसमो य तिपदेसे ॥१॥ पढमो ततिओ नवमो, दसमो एक्कारसो य वारसमो। भंगा चउप्पदेसे, तेवीसइमो य बोद्धवो ॥२॥ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं पढमो ततिओ सत्तम, नव दस एक्कार वार तेरसमो। तेवीस चउव्वीसो, पणुवीसइमो य पंचमए ॥३॥ वि चउत्थ पंच छठें, पण्णर' सोलं च सत्तरट्ठारं । वीसेक्कबीस वावीसगं च बज्जेज्ज छट्ठम्मि ॥४॥ वि च उत्थ पंच छठें, पण्णर सोलं च सत्तरट्ठारं । बावीसइमविहणा, सत्तपदेसम्मि खंधम्मि ।।५।। वि च उत्थ पंच छठें, पण्णर सोलं च सत्तरद्वारं । 'एते वज्जिय भंगा, सेसा सेसेसु खंधेसु ॥६॥ संठाणाणं चरिमाइविभाग-पदं १५. कति णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच संठाणा पण्णत्ता, तं जहा-- परिमंडले वटे तंसे चउरंसे आयते ॥ १६. परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता । एवं जाव आयता ।। १७. परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं संखेज्जपएसिए असंखेज्जपएसिए अणंतपएसिए ? गोयमा ! सिय संखेज्जपएसिए सिय असंखेज्जपदेसिए सिय अणंतपदेसिए। एवं जाव आयते ॥ १८. परिमंडले णं भंते ! संठाणे संखेज्जपदेसिए कि संखेज्जपदेसोगाढे असंखेज्जपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ? गोयमा ! संखेज्जपएसोगाढे, नो असंखेज्जपएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे । एवं जाव आयते ।। १६. परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेज्जपदेसिए कि संखेज्जपदेसोगाढे असंखेज्जपदेसोगाढे अणंतपएसोगाढे ? गोयमा ! सिय संखेज्जपएसोगाढे सिय असंखेज्जपदेसोगाढे, जो अणंतपदेसोगाढे । एवं जाव आयते ॥ २०. परिमंडले णं भंते ! संठाणे अणंतपएसिए किं संखेज्जपएसोगाढे असंखेज्जपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ? गोयमा ! सिय संखेज्जपएसोगाढे सिय असंखेज्जपएसोगाढे, नो अणंतपएसोगाढे । एवं जाव आयते ॥ २१. परिमंडले णं भंते ! संठाणे संखेज्जपदेसिए संखेज्जपएसोगाढे कि चरिमे अचरिमे चरिमाइं अचरिमाइं चरिमंतपदेसा अचरिमंतपदेसा? गोयमा ! परिमंडलेणं संठाणे संखेज्जपदेसिए संखज्जपदेसोगाढे नो चरिमे नो अचरिमे नो चरिमाइं नो अचरिमाईनो चरिमंतपदेसा नो अचरिमंतपएसा, नियमा अचरिमं च चरिमाणि य चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य । एवं जाव आयते ॥ २२. परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेज्जपएसिए संखेज्जपदेसोगाढे किं चरिमे पुच्छा । गोयमा ! असंखेज्जपएसिए संखेज्जपएसोगाढे जहा' संखेज्जपएसिए । एवं जाव आयते ॥ १. पण्णरस (क); पण्णा (ख); पणर (घ)। २. अन्ये त्वेवमुत्तरार्द्ध पठन्ति--एए वज्जियभंगा, तेण परमवट्ठिया सेसा (वृ) । ३.५० १०१२१ । Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं २३. परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेज्जपदेसिए असंखेज्जपएसोगाढे किं चरिमे पुच्छा । गोयमा ! असंखेज्जपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे नो चरिमे जहा संखेज्जपदेसोगाढे ! एवं जाव आयते ।। २४. परिमंडले णं भंते ! संठाणे अणंतपएसिए संखेज्जपएसोगाढे किं चरिमे पुच्छा। गोयमा ! तहेव जाव आयते ।। २५. अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे जहा संखेज्जपदेसोगाढे। एवं जाव आयते ।। २६. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपासोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपदेसाण य अचरिमंतपदेसाण य दबट्टयाए पदेसट्ठयाए दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेज्जपदेसियरस संखेज्जपदेसोगाढस्स दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे १ चरिमाइं संखेज्जगुणाई २ अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई ३! पदेसट्टयाए सब्बत्थोवा परिमंडलस्स संठाणम्स संखेज्जपदेसियस्स संखेज्जपदेसोगाढस्स चरिमंतपदेसा १ अचरिमंतपदेसा संखेनगुणा २ चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया ३। दव्व-पदेसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेज्जपदेसियस्स संखेज्जपदेसोगाढस्स दवट्याए एगे अचरिमे १ चरिमाई संखेज्जगुणाई २ अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई ३ चरिमंतपदेसा संखेज्जगुणा ४ अचरिमंतपएसा संखेज्जगुणा ५ चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया ६ । एवं वद्र-तस-चउरस-आयएसू वि जीएयव्व ।। २७. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दन्वट्ठ-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोत्रे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे १ चरिमाइं संखेज्जगुणाई २ अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई ३ । पदेसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स चरिमंतपएसा १ अचरिमंतपएसा संखेज्जगुणा २ चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ३ । दबट्ट-पएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखज्जपएसियस्स संखज्जपएसोगाढस्स दवट्टयाए एगे अचरिमे १ चरिमाइं संखेज्जगुणाई २ अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाइं ३ चरिमंतपएसा संखेज्जगुणा ४ अचरिमंतपएसा संखेज्जगुणा ५ चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ६ ! एवं जाव आयते ।। २८. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेज्जपदेसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठ-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! जहा' रयणप्पभाए अप्यावहुयं तहेब हिरवसेसं भाणियव्वं । । एवं जाव आयते ॥ १.प.१०१२२ । २. १० १०१२१ । ३. प० १०॥३॥ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ पण्णवणासुत्तं २६. परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य परिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दबट्ट-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! जहा' संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स, णवरं-संकमे अणंतगुणा । एवं जाव आयते ॥ ३०. परिमंडलस्य णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स अखंखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य जहा रयणप्पभाए, णवरं-संकमे अणंतगुणा । एवं जाव आयते ।। गतिचरिमाइ-पदं ३१. जीवे णं भंते ! गतिचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे ।। ३२. णेरइए णं भंते ! गतिचरिमेणं कि चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं णिरंतरं जाव वेमाणिए। ३३. णेरइया णं भंते ! गतिचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि । एवं णिरंतरं जाव वेमाणिया॥ ठितिचरिमाइ-पदं ३४. रइए णं भंते ! ठितीचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं णिरंतरं जाव वेमाणिए । ३५. जेरइया णं भंते ! ठितीचरिमेणं कि चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि । एवं निरंतरं जाव वेमाणिया। भवचरिमाइ-पदं ३६.णरइए णं भंते ! भवचरिमेणं कि चरिमे अचरिमे? गोयमा! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ।। ३७. णेरइया णं भंते ! भवचरिमेणं कि चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया । भासाचरिमाई-पदं ३८. णेरइए णं भंते ! भासाचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ।। ३६. रतिया णं भंते ! भासाचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि । एवं एगिदियवज्जा निरंतरं जाव वेमाणिया॥ आणापाणचरिमाइ-पदं । ४०. णेरइए णं भंते ! आणापाणुचरिमेणं कि चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे। एवं णिरंतरं जाव वेमाणिए ।। ४१. णेरइया णं भंते ! आणापाणुचरिमेणं कि चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा १. १०१२६ । २. संकमेणं (क,घ); संकमेण (ख) । Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं चरिमपयं वि अरिमा वि । एवं निरंतरं जाव वैमाणिया || आहारचरमाइ- पदं ४२. रइए णं भंते ! आहारचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे 1 एवं निरंतरं जाव वेमाणिए । ४३. नेइया णं भंते ! आहारचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अरिमावि । एवं निरंतरं जाव वैमाणिया | मावचरिमाइ- पदं ४४. रइए णं भंते ! भावचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ।। ४५. रइया णं भंते ! भावचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 11 वण्णचरिमाइ- पदं ४६. रइए णं भंते ! वष्णचरिमेणं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ॥ ४७. रइया णं भंते ! वण्णचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि । एवं निरंतरं जाव वेमाणिया || गंधचरिमाइ- पदं ४८. रइए णं भंते ! गंधचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए ।। ४६. रइया णं भंते ! गंधचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अचरिमा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया || रसचरिमाइ- पदं ५०. रइए णं भंते! रसचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए । ५१. नेरइया णं भंते ! रसचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अरिमा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया । फासचरिमाचरिमाइं १६७ ५२. रइए णं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे । एवं निरंतरं जाव वेमाणिए || ५३. रइया णं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमा अचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि अरिमा वि । एवं निरंतरं जाव वैमाणिया ॥ संग्रहणीगाहा गति ठिति भवेय भासा, आणपाणुचरिमे' य बोधव्वे । आहार भावचरिमे वृष्ण रस गंध फासे य ॥ १ ॥ १. आणापाणु (क,ग,घ ) ! Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओहरिणी भासा-पदं १. से णणं भंते ! मण्णामीति ओहारिणी भासा ? चितेमीति ओहारिणी भासा ? अह मण्णामीति ओहारिणी भासा ? अह चितेमीति ओहारिणी भासा ? तह मण्णामीति ओहारिणी भासा ? तह चितेमीति ओहारिणी भासा ? हंता गोयमा ! मण्णामीति ओहारिणी भासा, चिंतेमीति ओहारिणी भासा, अह मण्णामीति ओहारिणी भासा, अह चितेमीति ओहारिणी भासा, तह मण्णामीति ओहारिणी भासा, तह चितेमीति ओहारिणी एक्कारसमं भासापयं भासा ॥ २. ओहारिणी णं भंते ! भासा कि सच्चा मोसा सच्चामोसा असच्चामोसा ? गोयमा ! सिय सच्चा, सिय सोसा, सिय सच्चामोसा, सिय असच्चामोसा || ३. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति - ओहारिणी णं भासा सिय सच्चा सिय मोसा far सच्चामोसा सिय असच्चामोसा ? गोयमा ! आराहणी सच्चा, विराहणी मोसा, आराहण-विराहणी सच्चामोसा, जा णेव आराहणी व विराहणी णेव आराहण-विराहणी असच्चामोसा णाम सा चउत्थी भासा । से एतेणट्ठेणं' गोयमा ! एवं बुच्चइ -- ओहारिणी भासासिय सच्चा सिय मोसा सिय सच्चामोसा सिय असच्चामोसा ॥ पण्णवणीमासा-पदं ४. अह' भंते ! गाओ मिया पसू पक्खी पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोमा ! गाओ मिया पसू पक्खी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ॥ ५. अह भंते ! जाय इत्थिवऊ जा य पुमवऊ जा य णपुंसंगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! जाय इत्थिवऊ जा य पुमवऊ जा य पुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा || ६. अह भंते ! जाय इत्थिआणमणी' जा य पुमआणमणी जा य णपुंसगआणमणी पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! जा य इत्थिआणमणी १. जे (क, ख ) 1 २. एणट्ठेणं (ग) । ३. अहणं (ख) सर्वत्र । १६८ ४. इत्थीक्यू ( क ) । ५. आणवणी ( ख, ग, घ ) 1 Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसमं भासापयं जा य पुमआणमणी जा य गपुंसगआणमणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा॥ ७. अह भंते ! जा य इत्थीपण्णवणी जा य पुमपण्णवणी जा य णपुंसगपण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा? हंता गोयमा ! जा य इत्थिपण्णवणी जाय पुमपण्णवणी जा य णपुंसगपण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ॥ ८. अह भंते ! जा जातीति इस्थिवऊ जातीति पुमवऊ जातीति णपुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! जातीति इथिवऊ जातीति पुमवऊ जातीति णपुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा, न एसा भासा मोसा ।। 8. अह भंते ! जातीति इत्थिआणमणो जातीति पमआणमणी जातीति णपंसगाणमणी' पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा? हंता गोयमा ! जातीति इत्थीआणमणी जातोति पुमआणमणी जातीति णपुंसगाणमणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। १०. अह भंते ! जातीति इत्थिपण्णवणी जातीति पुमपण्णवणी जातीति पुंसगपण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! जातीति इत्थिपण्णवणी जातोति पुमपण्णवणी जातीति णसगपण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। मंदकुमाराइभासासण्णा-पदं ११. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणइ बुयमाणे अहमेसे' बुयामि अहमेसे बुयामीति ? गोयमा! णो इणटठे समठे, णण्णत्थ सणिणो॥ १२. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति आहारमाहारेमाणे अहमेसे आहारमाहारेमि अहमेसे आहारमाहारेमि त्ति ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णण्णस्थ सणिणो। १३. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे अम्मा-पियरो अयं मे अम्मा-पियरो त्ति ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णण्णत्थ सणिणो॥ १४. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे अतिराउले अयं मे अतिराउले त्ति ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णण्णत्थ सणिणो । १५. अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे भट्टिदारए अयं मे भट्टिदारए त्ति ? गोयमा ! णो इणठे समझें, णण्णत्थ सण्णिणो॥ १६. अह भंते ! उट्टे गोणे खरे घोडए अए एलए जाणति बुयमाणे अहमेसे बुयामि अहमेसे बुयामि त्ति ? गोयमा ! हो इणठे समठे, णण्णत्थ सणिणो॥ १७. अह भंते ! उट्टे 'गोणे खरे घोडए अए' एलए जाणति आहारेमाणे अहमेसे आहारेमि अहमेसे आहारेमि ति ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णण्णत्थ सण्णिणो॥ १८. अह भंते ! उट्टे गोणे खरे घोडए आए एलए जाणति अयं मे अम्मा-पियरो अयं में अम्मा-पियरो त्ति ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णण्णत्थ सण्णिणो । १. णपुंसआणमणी (ग)। ३. सं० पा०-उट्टे जाव एलए। २. अहमेसा (ख,घ)। Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं १६. अह भंते ! उट्टे गोणे खरे घोडए अए एलए जाणति अयं मे अतिराउले अयं मे अतिराउले त्ति ? गोयमा ! •णो इणठे समठे', णण्णत्थ सणिणो ॥ २०. अह भंते ! उट्टे' गोणे खरे घोडए अए एलए जाणति अयं मे भट्टिदारए अयं मे भट्टिदारए त्ति ? गोयमा ! •णो इणठे समठे, णण्णत्थ सणिणो॥ एगवयणाइमासा-पदं २१. अह भंते ! मणुस्से महिसे आसे हत्थी सीहे वाघे वगे दीविए अच्छे तरच्छे परस्सरे सियाले विराले सुणए कोलसुणए 'कोक्कंतिए ससए" चित्तए चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा एगवऊ ? हंता मोयमा ! मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा एगवऊ ।। २२. अह भंते ! मणुस्सा जाव चिल्ललगा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा बहुवऊ ? हंता गोयमा ! मणुस्सा जाव चिल्ललगा सव्वा सा बहुवऊ ।। २३. अह भंते ! मणुस्सी महिसी बलवा हत्थिणिया सीही बग्घी वगी' दीविया अच्छी तरच्छी परस्सरी सियाली विरालो सुणिया कोलसुणिया कोक्कंतिया ससिया चित्तिया चिल्ल लिया जा यावण्णा तहप्पगारा सव्वा सा इत्थिवऊ ? हंता गोयमा ! मणस्सी जाव चिल्ललिया जा यावाणा तह-पगारा सव्वा सा इत्थवऊ।। • २४. अह भंते ! मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ ? हंता गोयमा ! मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ ।। २५. अह भंते ! कंसं कंसोयं" परिमंडलं सेलं थूभं जालं थालं तार रूवं अच्छि पव्वं कंडं पउमं दुद्धं दहिं णवणीयं आसणं सयणं" भवणं विमाणं छत्तं चामरं भिंगारं अंगणं निरंगणं आभरणं रयणं जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वं तं णपुंसगवऊ ? हंता गोयमा ! कंसं जाव रयणं जे यावण्णे तपगारा सव्वं तं णपुंसगवऊ ।। २६. अह भंते ! पुढवीति इत्थीवऊ आउत्ति पुमवऊ धणेत्ति णपुंसगवऊ पण्णवणी णं एसा भासा? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! पूढवित्ति इत्थिवऊ आउत्ति पुमवऊ, धण्णेत्ति पसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। २७. अह भंते ! पुढवीति इत्थीआणमणी आउत्ति पुमआण मणी धणेत्ति नपुंसगाणमणी" पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! पुढवीति इत्थिआणमणी, आउत्ति पुमआणमणी, धणेत्ति णपुंसगाणमणी, पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ॥ २८. अह भंते ! पुढवीति इत्थिपण्णवणी आउत्ति पुमपण्णवणी धणेत्ति णपुंसगपण्णवणी आराहणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! पुढवीति १. सं० पा०--उट्टे जाव एलए। ७. विगी (क,ख,ग,घ)। २. सं० पा०-गोयमा जाव णण्णत्थ । ८. परस्सरी रासभी (क)। ३. सं० पा०-- उट्टे जाव एलए। ४. सं० पा०--गोयमा जाव णण्णत्थ । १०. संस्कृतकोशेषु 'कंसीयं' इति शब्दो लभ्यते । ५. विगे (क,ख,ग,घ)। ११. सतणं (क)। ६. ससए कोक्कतिए (मवृ)। १२. नपुंसकाणमणी (ग)। Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसमं भासापयं इत्थिपण्णवणी आउत्ति पुमपण्णवणी धणेत्ति णपुंसगपण्णवणी आराहणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। २६. इच्चेवं भंते ! इत्थिवयणं वा पूमवयणं वा णपंसगवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा? ण एसा भासा मोसा? हंता गोयमा ! इथिवयणं वा पुमवयणं वा णपुंसगवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। भासासरूव-पदं ३०. भासा णं भंते ! किमादीया किंपहवा' किंसंठिया किंपज्जवसिया ? गोयमा ! भासा णं जीवादीया सरीरपहवा वज्जसंठिया लोगंतपज्जवसिया पण्णत्ता ।। गाहा भासा कओ य पभवति ? कतिहिं च समएहिं भासती भासं ? भासा कतिप्पगारा ? कति वा भासा अणुमयाओ? ॥१॥ सरीरप्पभवा भासा, दोहि य समएहिं भासती भासं । भासा चउप्पगारा, दोषिण य भासा अणुमयाओ॥२॥ भासामेय-पदं ३१. कतिविहा गं भंते ! भासा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा भासा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तिया य अपज्जत्तिया य।। ३२. प्रज्जत्तिया णं भंते ! भासा कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सच्चा य मोसा य।। ३३. सच्चा णं भंते ! भासा पज्जतिया कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा! दसविता पण्णत्ता, तं जहा-जणवयसच्चा सम्मतसच्चा ठवणासच्चा णामसच्चा रूवसच्चा पडच्चसच्चा ववहारसच्चा भावसच्चा जोगसच्चा ओवम्मसच्चा।। गाहा जणवय सम्मत ठवणा, णामे रूवे पडुच्चसच्चे य । ववहार भाव जोगे, दसमे ओवम्मसच्चे य ।।१।। ३४. मोसा णं भंते ! भासा पज्जत्तिया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दसविता पण्णता. तं जहा-कोहणिस्सिया माणणि स्सिया मायाणि स्सिया लोभणिस्सिया पेज्जणिस्सिया दोसणिस्सिया हासणिस्सिया भयणिस्सिया अक्खाइयाणिस्सिया' उवघायणिस्सिया ॥ गाहा कोहे माणे माया, लोभे पेज्जे तहेव दोसे य। हास भए अक्खाइय, उवघाइयणिस्सिया दसमा ॥१॥ ३५. अपज्जत्तिया णं भंते ! भासा कति विहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सच्चामोसा य असच्चामोसा य ।। १. किंपवहा (ख,ग,घ)। ३. अक्खाइयणि° (क)। २. सरीरप्पभवा (क,ख,ग,ध)। Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ पण्णवणासुतं ३६. सच्चामोसा णं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा---उप्पण्णामिस्सिया, विगयमिस्सिया, उप्पण्णविगय मिस्सिया, जीवमिस्सिया अजीवमिस्सिया जीवाजीवमिस्सिया अणंतमिस्सिया परित्तमिस्सिया. अद्धा मिस्सिया अद्धद्धामिस्सिया ।। ३७. असच्चामोसा णं भंते ! भासा अप्पज्जत्तिया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुवालस विहा पण्णत्ता, तं जहागाहा आमंतणि आणमणी', जायणि तह पुच्छणी य पण्णवणी । पच्चक्खाणी भासा, भासा इच्छाणुलोमा य ॥१॥ अणभिग्गहिया भासा, भासा य अभिग्गहम्मि वोधन्वा । संसयकरणी भासा, 'वोयड अव्वोयडा" चेव ।।२।। भासगाभासग-पदं ३८. जीवा णं भंते ! कि भासगा अभासगा ? गोयमा! जीवा भासगा वि अभासगा वि।। ३६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति–जीवा भासगा वि अभासगा वि ? गोयमा ! पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमावण्णगा य असंसारसमावण्णगा य । तत्थ णं जेते असंसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा। सिद्धा णं अभासगा। तत्थ णं जेते संसारसमावण्णगा ते णं दविहा पण्णता, तं जहा-सेलेसिपडिवण्णगा य असेले सिप डिवण्णगा य। तत्थ णं जेते सेलेसिपडिवण्णगा ते णं अमासगा। तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदिया य अगिदिया य। तत्थ ण जेते एगिदिया ते णं अभासगा। तत्थ णं जेते अणेगिदिया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जेते अपज्जत्तगाते णं अभासगा। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा ते णं भासगा। से एतेणटठेणं' गोयमा ! एवं वुच्चति-जीवा भासगा वि अभासगा वि ।। ४०. नेरइया णं भंते ! किं भासगा अभासगा? गोयमा ! नेरइया भासगा वि अभासगा वि ।। ४१. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति–ने रइया भासगा वि अभासगा वि ? गोयमा ! नेरइया दूविहा पण्णता, तं जहा---पज्जत्तमा य अपज्जतगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं अभासगा। तत्थ णं जेते पज्जतगा ते णं भासगा। से एतेणठेणं गोयमा! एवं बच्च-नेरइया भासगा वि अभासगा वि । एवं एगिदियवज्जाणं णिरंतरं भाणियव्वं ।।। भासज्जाय-पदं ४२. कति णं भंते ! भासज्जाता पण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि भासज्जाता पण्णता, तं जहा-सच्चमेगं भासज्जातं. वितिय मोसं, ततियं सच्चामोसं, चउत्थं असच्चामोसं॥ ४३. जीवा णं भंते ! कि सच्च भासं भासंति ? मोसं भासं भासंति ? सच्चामोसं १. याणमणी (घ)। ३. एणढेणं (क,ग,घ); तेणठेणं (ख) । २. वोगड अव्वोगडा (क)। Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसमं भासापर्यं १७३ भासं भासंति ? असच्चामोसं भासं भासति ? गोयमा ! जीवा सच्च पि भासं भासंति, मोसं पि भासं भाति, सच्चामोस पि भासं भासंति, असच्चामोसं पि भासं भासति ॥ ४४. रइया णं भंते! कि सच्चं भासं भासंति जाव असच्चामोसं भासं भासंति ? गोयमा ! णेरइया णं सच्चं पि भासं भासति जाव असच्चामोसं पि भासं भासंति । एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा ॥ ४५. बेइंदिय-ते इंदिय-चउरिदिया य णो सच्चं णो मोसं गो सच्चामोसं भासं भासंति, असच्चामोसं भासं भासंति ॥ ४६. पंचेंदियतिरिक्खजोगिया णं भंते! कि सच्चं भासं भासंति जाव असच्चामोसं भासं भासंति ? गोयमा ! पंचेंदियतिरिक्खजोगिया णो सच्चं भासं भासंति, णो मोसं भासं भासंति, णो सच्चामोसं भासं भासंति, एगं असच्चामोसं भासं भासंति, णण्णत्य सिक्खापुव्वगं उत्तरगुणद्धि वा पडुच्च सच्चं पि भासं भासंति, मोसं पि जसं भासंति, सच्चामोसं पि भासं भासंति, असच्चामोसं पि भासं भासंति । मणुस्सा जाव वैमाणिया एए जहा जीवा तहा भाणियव्वा || भासादव्वगण-निसिरण-पदं ४७. जीवे णं भंते । जाई दव्वाई भासताए गेण्हति ताई कि ठियाई गेण्हति ? अठियाई गेण्हति ? गोयमा ! ठियाई गेहति, गो अठियाई गेण्हति ॥ ४८. जाई भंते! ठियाई गेव्हति ताई कि दव्वओ गेण्हति ? खेत्तओ गेहति ? कालओ गेहति ? भावओ गेण्हति ? गोयमा ! दव्वओ वि गेण्हति खेत्तओ वि गेहति कालओ वि गेहति भावओ वि गेण्हति ॥ 1 ४६. जाई व्यओ गेहति ताई कि एगपएसियाई गेण्हति दुपए सियाई मेण्हति जाव अनंत एसियाई गेहति ? गोयमा ! णो एगपएसियाई गेहति जाव णो असंखेज्जपएसियाई हति, अनंत एसियाई गेण्हति ॥ ५०. जाई खेत्तओ गेहति ताई किं एगपएसोगाढाई गेण्हति दुपएसोगाढाई गेण्हति जाव असंखेज्जपएसो गाढाई गेण्हति ? गोयमा ! णो एगपएसोगाढाई गेहति जाव गो संखेज्ज एसो गाढाई गेण्हति, असंखेज्जपएसोगाढाई गेण्हति ॥ ५१. जाई कालओ गेष्हति ताई कि एगसमयद्वितीबाई' गेण्हति दुसमयद्वितीयाई गेहति जाव असंखेज्जसमयद्वितीयाई गेहति ? गोयमा ! एगसमयद्वितीयाई पि गेहति, दुसमद्वतीयाई पहति जाव असंखेज्जसमयद्वितीयाई पिति ॥ ५२. जाई भावओ गेहति ताई किं वण्णमंलाई गेहति गंधमंताई गेहति रसमंताई गेहति फासमंताई गेहति ? गोयमा ! वण्णमताई पि गेण्हति जाव फासमंताई पि मेहति ॥ ५३. जाई भावओ वण्णमंताई गेण्हति ताई कि एगवण्णाई गेण्हति जाव पंचवण्णाई गेहति ? गोयमा ! गणदव्वाइं पडुच्च एगवण्णाई पि गेण्हति जाव पंचवण्णाई पि गेहति, सव्वग्ग्रहणं पडुच्च नियमा पंचवण्णाई गेण्हति तं जहा-कालाई नीलाई लोहियाई हालिद्दाई सुक्किलाई ।। १. ५० ११।४३ ॥ २. °ठियाई (क, ख ) 1 Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं ५४. जाई वण्णओ कालाई गेण्हति ताई कि एगगुणकालाई गेण्हति जाव अणंतगुणकालाई गेहति ? गोयमा ! एगगुणकालाई पि गेण्हति जाव अणंतगुणकालाई पि गेण्हति । एवं जाव सुक्किलाई पि ॥ ५५. जाइं भावओ गंधमंताई गेण्हति ताई कि एगगंधाइं गेहति दुगंधाई गेण्हति ? गोयमा ! गहणदव्वाई पडुच्च एगगंधाई पि गेहति दुगंधाई पि गेहति, सन्दग्गहणं पडुच्च नियमा दुगंधाइं गेण्हति ।। ५६. जाइं गंधओ सुब्भिगंधाई गेण्हति ताई कि एगगुणसुब्भिगंधाइं गेण्हति जाव अणंतगुणसुभिगंधाइं गेण्हति ? गोयमा ! एगगुणसुबिभगंधाई पि गेण्हति जाव अणंतगुणसुब्भिगंधाई पि गेण्हति । एवं दुभिगंधाई पि गेण्हति ।। ५७: जाइं भावतो रसमंताई गेण्हति ताई कि एगरसाइं गेण्हति जाव' पंचरसाई गेण्हति ? गोयमा ! गहणदब्वाइं पड़च्च एगरसाई पि गेण्हति जाव पंचरसाई पि गेहति, सव्वगहणं पड्डच्च णियमा पंचरसाइं गेहति ॥ ५८. जाइं रसतो तित्तसाई गेण्हति ताई कि एगगुणतित्तरसाइं गेहति जाव अणंतगुणतित्तरसाइं गेहति ? गोयमा ! एगगुणतित्तरसाई पि गेण्हति जाव अणंतगुणतित्तरसाई पि गेहति । एवं जाव महुरो रसो।।। ५६. जाइं भावतो फासमंताई गेण्हति ताई कि एगफासाइं गेहति जाव अट्टफासाइं गेण्हति ? गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च णो एगफासाइं गेण्हति, दुफासाइं गेण्हति जाव चउफासाइं पि गेण्हति, णो पंचफासाइं गेहति जाव णो अट्ठफासाई पि गेण्हति । सव्वग्गहणं पडुच्च णियमा च उफासाई गेण्ह ति, तं जहा-- सीयफासाई गेण्हति, उसिणफासाई गेण्हति, णिद्धफासाइं गेहति, लुक्खफासाइं गेण्हति ॥ ६०. जाई फासओ सीयाइं गेहति ताइं किं एगगुणसीयाई गेण्हति जाव अणंतगणसीयाइं गेहति ? गोयमा ! एग गुणसीयाई पि गेण्हति जाव अणंतगुणसीयाई पि गेहति । एवं उसिण-णिद्ध-लुक्खाई जाव अणंतगणाई पि गेण्हति ।। ६१. जाई भंते ! जाव अणंतगुणलुक्खाइं गेहति ताई कि पुढाई गेण्हति ? अपुवाई गेण्हति ? गोयमा ! पुढाई गेहति, णो अपुट्ठाई गेण्हति ।। ६२. जाई भंते ! पुढाई गेण्हति ताई कि ओगाढाइं गेण्हति ? अणोगाढाइं गेण्हति ? गोयमा ! ओगाढाइं गेण्हति, णो अणोगाढाइं गेहति ॥ ६३. जाई भंते ! ओगाढाइं गेहति ताई कि अणंतरोगाढाइं गेण्हति ? परंपरोगाढाई गेहति ? गोयमा ! अणंतरोगाढाइं गेहति, णो परंपरोगाढाई गेण्हति ।। ६४. जाइं भंते ! अणंतरोगाढाइं गेण्हति ताई कि अणूइं गेहति ? बादराई गेण्हति ? गोयमा ! अणइं पि गेण्हति. बादराई पि गेण्हति ।। ६५. जाई भंते ! अणुइं पि गेहति बायराइं पि गेण्हति ताई कि उड्ढे गेण्हति ? अहे गेण्हति ? तिरियं गेहति ? गोयमा ! उड्दपि गेहति, अहे वि गेण्हति, तिरियं पि गेहति ।। ६६. जाई भंते ! उड्ड पि गेण्हति अहे वि गेहति तिरियं पि गेहति ताई कि आदि १. जाव किं (क,ख,ग,घ) Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसमं भासापयं १७५ गेहति ? मज्झे गेहति ? पज्जवसाणे गेहति ? गोयमा ! आदि पि गेहति, मज्झे वि गण्हति, पज्जवसाणे वि गेण्हति ।। ६७. जाई भंते ! आदि पि गेण्हति मज्झे वि गेण्हति पज्जवसाणे वि गेण्हति ताई कि सविसए गेहति ? अविसए गेहति ? गोयमा ! सविसए गेहति, णो अविसए मेण्हति ॥ ६८. जाई भंते ! सविसए गेहति ताइं किं आणुपुचि गेण्हति ? अणाणुपुब्बि गेण्हति ? गोयमा ! आणुपुर्दिव गेहति, णो अणागुपुवि गेहति ।। ६६. जाई भंते ! आणुपुवि गेहति ताई किं तिदिसि गेहति जाव छद्दिसि गेण्हति ? गोयमा ! णियमा छदिसि गेण्हति ।। गाहा पुट्ठोगाढ अणंतर, अणू य तह बायरे य उड्डमहे । आदि विसयाणुपुवि, णियमा तह छद्दिसिं चेव ॥१॥ ७०. जीवे णं भंते ! जाई दन्वाइं भासत्ताए गेहति ताई कि संतरं गेहति ? निरंतर गेण्हति ? गोयमा ! संतरं पि गेण्हति, निरंतर पि गेहति । संतरं मिण्हमाणे जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जसमए अंतरं कटु मेण्हति । निरंतरं गिण्हमाणे जहण्णेणं दो समए, उक्कोसेणं असंखेज्जसमए अणसमयं अविरहियं निरंतर गण्हति ।। ७१. जीवे गं भंते ! जाई दवाई भासत्ताए गहियाइं णिसिरति ताई कि संतरं णिसिरति ? णिरंतरं णिसिरति ? गोयमा ! संतरं णिसिरति, णो णिरंतरं णिसिरति । संतरं णिसिरमाणे एगेणं समएणं गेण्हइ एगेणं समएणं णिसिरति' । एएणं गहण-णिसिरणोवाएणं जहण्णेणं दुसमइयं उक्कोसेणं असंखेज्जसमश्यं अंतोमुहत्तयं गहण-णिसिरणं' करेति ।। ७२. जीवे गं भंते ! जाइं दव्वाइं भासत्ताए गहियाई णिसिरति ताई कि भिण्णाई णिसिरति ? अभिण्णाइं णिसिरति ? गोयमा ! भिण्णाई पि गिसिरति अभिण्णाई पि णिसिरति । जाइं भिण्णाई णिसिरति ताई अणंतगुणपरिवूड्डीए 'परिवड्डमाणाई-परिवड्डमाणाई" लोयंतं १. अस्य स्थापना एवं--- नि आदर्शषु अस्य स्थापना अन्यथा पिलभ्यते... २. णिस रणोपायं (क, ख, ग, घ) । ३. परिवड्ढीए (क); परिवुड्ढीए णं (ख,ग,ध)। ४. परिवड्ढेमाणाइ२ (ख,घ) । Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ पण्णवणासुत्तं फुसंति । जाइं अभिण्णाइं णिसिरति ताई असंखेज्जाओ ओगाहणवग्गणाओ गंता भेयमावज्जति, संखेज्जाइं जोयणाई गंता विद्धंसमागच्छंति ।। ७३. तेसि' णं भंते ! दव्वाणं कतिविहे भेए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे भेए पण्णत्ते, तं जडा-खंडाभेए पयराभेए' चुणियाभेए अणुतडियाभेए उक्करियाभेए ।। ___७४. से कि तं खंडाभेए ? खंडाभेए-जण्णं अयखंडाण वा तउखंडाण वा तंवखंडाण वा सोसाखंडाण वा रययखंडाण' वा जायरूवखंडाण वा खंडएण भेदे भवति । से तं खंडाभेदे ।। ७५. से किं तं पयराभेदे ? पयराभेए-जण्णं वंसाण वा वेत्ताण वा णलाण वा कदलीथंभाण' वा अब्भपडलाण वा पयरएणं भेए भवति । से तं पयराभेदे।। ७६. से किं तं चुण्णियाभेए ? चुग्णियाभेए-जण्णं तिलचण्णाण वा मुग्गचुण्णाण वा मासचण्णाण वा पिप्पलि चुण्णाण वा मिरियचुण्णाण' वा सिंगबेरचुण्णाण वा चुणियाए भेदे भवति । से तं चुणियाभेदे ।। ७७. से किं तं अणुतडियाभेदे ? अणु तडियाभेदे - जगणं अगडाण वा तलागाण वा दहाण वा णदीण वा वावीण वा पुक्खरिणीण वा दीहियाण वा गंजालियाण वा सराण वा सरपंतियाण वा सरसरपंतियाण वा अणतडियाए भेदे भवति । सेतं अणतडियाभेदे ।। ___७८. से किं तं उक्करियाभेदे ? उक्करियाभेदे-जण्णं मूसगाण' वा मगूसाण" वा तिलसिंगाण वा मुग्गसिंगाण वा माससिंगाण वा एरंडबीयाण वा फुडित्ता" उक्करियाए भेदे भवति । से त्तं उक्करियाभेदे ।। ७६. एएसि णं भंते ! दवाणं खंडाभेदेणं पयराभेदणं चुष्णियाभेदेणं अणुतडियाभेदेणं उक्करियाभेदेणर य भिज्जमाणाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवाइं दव्वाइं उक्करियाभेदेणं" भिज्जमाणाई, अणुतडियाभेदेणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई चुणियाभेदेणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई, पयराभेदेणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई, खंडाभेदेणं भिज्जमाणाई अणंत गुणाई॥ ८०. रइएणं" भंते ! जाई दवाई भासत्ताए गेण्हति ताई कि ठियाइं गेण्हति ? अट्ठियाइं गेण्हति ? गोयमा ! एवं चेव जहा" जीवे वत्तव्वया भणिया तहा णेरइयस्सवि जाव अप्पाबहुयं । एवं एगिदियवज्जो दंडओ जाव वेमाणिया ॥ ८१. जीवा णं भंते ! जाई दव्वाइं भासत्ताए गेहंति ताई किं ठियाई गेण्हंति ? १. ओगाहणावगहणाओ (ग); ओगाहणाओ६. मूसाण (ग)। १०. मंडूसाण (क,ख,ग,घ)। २. एएसि (ग)। ११. फुडिया (क), फढेता (ख,ध); फुट्टिया ३. पयर (क,ख,ग,घ)। ४. सीस (ग); सीसग (पु)। १२. उक्कारिया (घ)! ५. रयण° (क,ग,घ)। १३. उक्कारिया (ख,ग,घ)। ६. खंभाण (ग)। १४. णेरइयाणं (क)। ७. पयरेणं (ख,ग)। १५. १० १११४७-७६ । ८. मरिय° (क,ग); मिरी (ख,ध)। Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसमं भासापयं १७७ अट्टियाइं गेहंति ? गोयमा ! एवं चेव पुहत्तेण' वि णेयव्वं जाव वेमाणिया । ८२. जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाइं सच्चभासत्ताए गेहति ताई किं ठियाइं गेण्हति ? अट्टियाइं गेण्हति ? गोयमा ! जहा ओहियदंडओ तहा एसो वि, नवरं--विगलें दिया ण पुच्छिज्जति । एवं मोसमासाए वि सच्चामोसभासाए वि ॥ ८३. असच्चामोसभासाए वि एवं चेव, नवरं-- असच्चामोसभासाए विगलि दिया वि पुच्छिज्जति इमेणं अभिलावेणं-विगलिदिए णं भंते ! जाई दव्वाइं असच्चामोसभासत्ताए गेण्हति ताई किं ठियाइं गेण्हति ? अट्ठियाई गेण्हति ? गोयमा ! जहा' ओहियदंडओ। एवं एते एगत्त-पुहत्तेणं दस दंडगा भाणियव्वा ।।। ८४. जीवे णं भंते ! जाइं दवाई सच्चभासत्ताए गेण्डति ताई कि सच्चभासत्ताए णिसिरति ? मोसभासत्ताए णि सिरति ? सच्चामोसभासत्ताए णिसिरति ? असच्चामोसभासत्ताए णि सिरति ? गोयमा ! सच्चभासत्ताए णिसि रति, णो मोसभासत्ताए णिसिरति, णो सच्चामोसभासत्ताए णिसिरति, णो असच्चाभोसभासत्ताए णि सिरति । एवं एगिदियविगलिंदियवज्जो दंडओ जाव वेमाणिए । एवं पुहत्तेण' वि ।। ८५. जीवे णं भंते ! जाई दवाइं मोसभासत्ताए गेण्हति ताई कि सच्चभासत्ताए णिसिरति ? मोसभासत्ताए णिसिरति ? सच्चामोसभासत्ताए णिसिरति ? असच्चामोसभासत्ताए णिसिरति ? गोयमा ! णो सच्चभासत्ताए णिसिरति, मोसभासत्ताए णिसिरति, णो सच्चामोसभात्ताए णिसिरति, णो असच्चामोसभासत्ताए णिसिरति । एवं सच्चामोसभासत्ताए वि । असच्चामोसभासत्ताए वि एवं चेव, णवरं-असच्चामोसभासत्ताए विगलि दिया तहेव पुच्छिज्जंति । जाए चेव गेण्हति ताए चेव णिसिरति । एवं एते एगत्तपुहत्तिया' अट्ठ दंडगा भाणियव्वा ॥ सोलसविहवयण-पदं ८६. कतिविहे णं भंते ! वयणे पण्णत्ते ? गोयमा ! सोलसविहे वयणे पण्णत्ते, तं जहा-एगवयणे दुवयणे बहुवयणे इत्थिवयणे पुमवयणे णसगवयणे अज्झत्थवयणे उवणीयवयणे अवणीयवयणे उवणीयअवणीयबयणे अवणीयउवणीयवयणे तीतवयणे पडुप्पन्नवयणे अणागयवयणे पच्चक्खवयणे परोक्खवयणे । ८७. इच्चेयं भंते ! एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! इच्चेयं एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ।। ८८. कति णं भंते ! भासज्जाया पण्णत्ता ? गोयमा! चत्तारि भासज्जाया पण्णत्ता, तं जहा--सच्चमेगं भासज्जायं वितिय मोसं भासज्जायं ततियं सच्चामोसं भासज्जायं पणा १. बहुत्तेण (घ); पुहत्तेण (पु)। ६. पुहुत्तेण (क,ख,ग,घ)। २. प० १११४७-७६ । ७. पुहुत्तिया (ख,ग);पोहित्तिया (ग)। ३. ५० १११४७-७६ । ८. बीयं (क,ग)। ४. पुहुत्तेण (क,घ)। ६. भासजायं (ग)। ५. णिस्सरति (ख); णिस्सिरति (ग); निसरति (घ)। Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ पण्णवणासुतं चउत्थं असच्चामोसं भासज्जायं ।। ८६. इच्चेयाई भंते ! चत्तारि भासज्जायाई भासमाणे किं आराहए विराहए ? गोयमा ! इच्चेयाइं चत्तारि भासज्जायाई आउत्तं भासमाणे आराहए, णो विगहए। तेण परं 'अस्संजए अविरए" अपडिहय-अपच्चक्खायपावकम्मे सच्चं वा भासं भासतो, मोसं वा सच्चामोसं वा असच्चामोसं वा भासं भासमाणे णो आराहए, विराहए ॥ १०. एतेसि णं भंते ! जीवाणं सच्चभासगाणं मोसभासगाणं सच्चामोसभासगाणं असच्चामोसभासगाणं अभासगाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा सच्चभासगा, सच्चामोसभासगा असंखेज्जगुणा, मोसभासगा असंखेज्जगुणा, असच्चामोसभासगा असंखेज्जगुणा, अभासगा अणंतगुणा ॥ १. अविरय (क,ख,घ); अस्संजय-अविरय (ग)। Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सरीरपयं 1 सरीरभेय-पदं १. कति णं भंते ! सरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरा पणत्ता, तं जहाओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए । चउवीसदंडएसु सरीर-पदं २. णेरइयाणं भंते ! कति सरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! तओ सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-वेउविए तेयए कम्मए । एवं असुरकुमाराणं वि जाव थणियकुमाराणं ।। ३. पुढबिक्काइयाणं भंते ! कति सरीरया पण्णत्ता ? गोयमा! तओ सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए तेयए कम्मए । एवं वाउक्काइयवज्जं जाव चउरिदियाणं ।। ४. वाउक्काइयाणं भंते ! कति सरीरया पण्णता? गोयमा! चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए । एवं पंचिदियतिरिक्खजोणियाण' वि। ५. मणुस्साण भंते ! कति सरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरया पण्णत्ता, तं जहा--ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए । ६. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियाणं जहा णारगाणं ।। ओहेण बद्ध-मुक्कसरीर-पदं ७. केवतिया णं भंते ! ओरालियसरीरया पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–बद्धेल्लया' य मुक्केल्लया' य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जगा, असखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसपप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेतओ असंखेज्जा लोगा। तत्थ णं जेते मुक्केल्लया ते णं अणता, अणताहि उस्स प्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ अणंता लोगा, दव्वओ अभवसिद्धिएहितो अणंतगुणा 'सिद्धाणं अणंतभागो। ८. केवतिया णं भंते ! वेउब्वियसरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं १. जोणिया (ख,ग)। ४. मुक्किल्लया (क,ख,ग,घ)। २. मणूसाणं (क)। ५. अवसप्पिणीहि (ग)। ३. बद्धिल्लया (क,ख,ग,घ) । ६. सिद्धाणणंत° (क)। Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० पण्णवणासुतं उस्सप्पिणि-ओस पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जतिभागो। तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं अणंता, अणंताहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, जहा ओरालियस्स मुक्केल्लया तहेव वेउब्वियस्स वि भाणियव्वा ।। १. केवतिया णं भंते ! आहारगसरीरया पण्णत्ता ? गोयमा! दुविहा पण्णता, तं जहा-वद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते णं सिय अस्थि सिय णत्थि । जति अस्थि जहणणं एक्को वा दो वा तिपिण वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं । तत्थ णं जेते मुक्केल्लया ते णं अणंता जहा ओरालियस्स मुक्केल्लया तहा य भाणियव्वा ।। २०. केवतिया णं भंते ! तेयगसरीरया पण्णता? गोयमा! दविहा पण्णता, तं जहा बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं अणंता, अणंताहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ अणंता लोगा, दबओ सिद्धेहितो अणतगुणा सव्वजीवाणंतभागूणा । तत्थ णं जेते मुक्केल्लया ते गं अणंता, अणंताहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ अणंता लोगा, दव्वओ सव्वजीवेहितो अणंतगुणा, जीववग्गस्स अणंतभागो। एवं कम्मगसरीरा वि भाणियव्वा ।। चउवीसदंडएसु बद्ध-मुक्कसरीर-पदं ११. णेरइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते णं णत्थि । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं अणंता जहाँ ओरालियमुक्केल्लगा तहा भाणियव्वा ॥ १२. णेरइयाणं भंते ! केवइया वे उब्वियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेतओ असंखेज्जाओ सेढीओ पतरस्स असंखेज्जतिभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्ग मूलं वीयवग्गमूलपडप्पण', अहव णं अंगुल वितियवग्गमूलघणप्पमाणमेत्ताओ सेढीओ । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं जहा ओरालियस्स मुक्केल्लगा तहा भाणियव्वा ।। १३. णेरइयाणं भंते ! केवतिया आहारगसरीरा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य। एवं जहा ओरालिया वद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य भणिया तहेव आहारगा वि भाणियव्वा ।। १४. तेया-कम्मगाइं जहा एतेसिं चेव वेउवियाई ॥ १५. असुरकुमाराणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा" णेरइयाणं ओरालिया" भणिया तहेव एतेसि पि भाणियव्वा ।। १६. असुरकुमाराणं भंते ! केवतिया वेउब्वियसरीरा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा, १. पुहुत्तं (क,ख,ग,ग)। २. ५० १२७ । ३. बितीयव (क)। ४. प० १२॥११॥ ५. ओरालियसरीरा (क)। Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सरीरपयं असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पतरस्स असंखेज्जतिभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स संखेज्जतिभागो। तत्थ णं जेते मुक्केल्लया ते णं जहा' ओरालियस्स मुक्केल्लगा तहा भाणियव्वा ।। १७. आहारयसरीरा जहा एतेसि णं चेव ओरालिया तहेव दुविहा भाणियव्वा ।। १८. तेया-कम्मसरीरा दुविहा वि जहा एतेसि णं चेव वेउब्विया ।। १६. एवं जाव थणियकूमारा॥ २०. पुढविकाइयाणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालतो, खेत्तओ असंखेज्जा लोमा । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं अणंता, अणंताहिं उस्सप्पिणि-ओस प्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ अणंता लोगा, अभवसिद्धिएहितो अणंतगुणा, सिद्धाणं अशंतभागो।। २१. पुढविकाइयाणं भंते ! केवतिया वेउव्वियसरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते गं गत्यि । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं जहा एतेसिं चेव ओरालिया भणिया तहेव भाणियन्वा । एवं आहारगसरीरा वि । तेया-कम्मगा जहा एतेसिं चेव ओरालिया। २२. एवं आउक्काइया तेउक्काइया वि ॥ २३. वाउक्काइयाणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य। दुविहा वि जहा पुढविकाइयाणं ओरालिया। २४. वे उब्बियाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा~बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा, समए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागमेत्तेणं कालेणं अवहीरंति, णो चेव णं अवहिया सिया । मुक्केल्लया जहा पुढविक्काइयाणं ॥ २५. आहारय-तेया-कम्मा जहा पुढविकाइयाणं तहा भाणियव्वा ।। २६. वणप्फइकाइयाणं जहा पुढविकाइयाणं, णवरं-तेया-कम्मगा जहा ओहिया तेया-कम्मगा। २७. बेइंदियाणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जतिभागो, तासि णं सेढीणं विक्खं भसूई असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेज्जाइं सेढिवग्गमूलाइं। बेइंदियाणं ओरालियसरीरेहिं बद्धेल्लगेहि पयरो' अवहीरति असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि कालओ, खेत्तओ अंगुलपयरस्स आवलियाए य असंखेज्जतिभागपलिभागेणं । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते जहा' ओहिया ओरालिया १. प० १२१७ २.५० १२११०। ३. पयरं (पु); प्रतरं (वृ)। ४. ५०१२।७। Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ पणवणासुतं मुक्केल्लया ॥ २८. वेउव्विया आहारगा य बद्धेल्लगा गत्थि, मुक्केल्लगा जहा ओहिया ओरालिया मुक्केल्लया। २६. तेया-कम्मगा जहा एतेसिं चेव ओहिया ओरालिया ।। ३०. एवं जाव चउरिदिया ।। ३१. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव, नवरं-वे उव्वियसरीरएसु इमो विसेसो-- पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतिया वेउब्वियसरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा---बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा या तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते ण असंखेज्जा जहा' असुरकुमाराणं, णवरं-तासि णं सेढीण विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेज्जतिभागो। मुक्केल्लगा तहेव ।।। ३२. मणस्साणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा --बधेल्लगा य मुक्केल्लगा य । तत्थ णं जेते बद्धेल्लगा ते णं सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा। जहण्णपए संखेज्जा--संखेज्जाओ कोडाकोडीओ तिजमलपयस्स उरि चउजमलपयस्स हेट्ठा, अहव णं छट्ठो वग्गो पंचमवग्गपडुप्पण्णो, अहव णं छण्णउईछेयणगदाई रासी। उक्कोसपदे असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ. खेत्तओ रूवपक्खित्तेहि मणुस्सेहिं सेढी अवहीरति, 'तीसे सेढीए काल-खेत्तेहिं अवहारो मग्गिज्जइ" ~ असंखेज्जाहि उस्स प्पिणि-ओसप्पिणी हिं कालओ, खेत्तओ अंगुलपढमवग्गमूलं ततियवग्गमूलपडुप्पण्णं । तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते जहा ओरालिया ओहिया मुक्केल्लगा।। ३३. वेउब्वियाणं भंते ! पुच्छा । गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य। तत्थ णं जेते वद्धेल्लगा ते णं संखेज्जा, समए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा संखेज्जेणं कालेणं अवहीरंति, णो चेव णं अवहिया सिया। तत्थ णं जेते मुक्केल्लगा ते णं जहा ओरालिया ओहिया ।। ३४. आहारगसरीरा जहा ओहिया ।। ३५. तेया-कम्मया जहा एतेसिं चेव ओरालिया। ३६. वाणमंतरणं जहा णेरइयाणं ओरालिया आहारगा य। वेउब्वियसरीरगा जहा रइयाणं, णवरं–तासि णं सेढीण विक्खंभसई संखेज्जजोयणसयवग्गपलिभागो पयरस्स। मुक्केल्लया जहा ओह्यिा' ओरालिया । तेया-कम्मया जहा एएसि चेव वेउब्धिया ।। ३७. जोति सियाणं एवं चेव, णवरं--तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई बेछप्पण्णंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स ।। ३८. वेमाणियाणं एवं चेव, णवरं -तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुल वितियवग्गमूलं ततियवग्गमूलपडुप्पण्णं, अहव णं अंगुलततियवग्गमूलघणपमाणमेत्ताओ सेढीओ। सेसं तं चेव ।। १.१० १२६१६ । ४. प० १२।। २. अनुयोगद्दारस्य मल्लधारीयवृत्तौ 'कोडाकोडीओ' ५. x (क,ग,ध)। इति पाठो व्याख्यातोस्ति । 'क' संकेतित ६. आहारंगसरीरा जहा असुरकुमाराणं ते (क)। आदर्शो 'कोडीओ' इति पाठो लभ्यते। ७. वि० (क,घ) । ३. x (घ)। Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं परिणामपयं परिणामभेय-पदं १. कतिविहे गं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे परिणामे पण्णत्ते, तं जहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य ॥ जीवपरिणाम-पदं २. जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहागतिपरिणामे इंदियपरिणामे कसायपरिणामे लेसापरिणामे जोगपरिणामे उवओगपरिणामे 'णाणपरिणामे दंसणपरिणामे" चरित्तपरिणामे वेदपरिणामे ।। ३. गतिपरिणामे गं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-णिरयगतिपरिणामे तिरियगतिपरिणामे मणुयगतिपरिणामे देवगतिपरिणामे ॥ ४. इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ? पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियपरिणामे चक्खिदियपरिणामे घाणिदियपरिणामे जिभिदियपरिणामे फासिदियपरिणामे || ५. कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-कोहकसायपरिणामे माणकसायपरिणामे मायाकसायपरिणामे लोभकसायपरिणामे ॥ ६. लेस्सापरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तं जहा-कण्हलेस्सापरिणामे णीललेस्सापरिणामे काउलेस्सापरिणामे तेउलेस्सापरिणामे पम्हलेस्सापरिणामे सुक्कलेस्सापरिणामे ॥ ७. जोगपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहामणजोगपरिणामे वइजोगपरिणामे कायजोगपरिणामे ।। ८. उवओगपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहासागारोवओगपरिणामे य अणागारोवओगपरिणामे य॥ ६. णाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहाआभिणिवोहियनाणपरिणामे सुयणाणपरिणामे ओहिणाणपरिणामे मणपज्जवणाणपरिणामे केवलणाणपरिणामे॥ १.दसणपरिणामे गाणपरिणामे (घ)। ३. अणायारो° (क,ख)। २. रसनिदिय° (ग)। १८३ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुर्त १०. अण्णाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-मतिअण्णाणपरिणामे सूयअण्णाणपरिणामे विभंगणाणपरिणामे ।। ११. सणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मईसणपरिणामे मिच्छादसणपरिणामे सम्मामिच्छादसणपरिणामे ॥ १२. चरित्तपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा--सामाइयचरित्तपरिणामे छेदोवट्ठावणियचरित्तपरिणाम परिहारविसुद्धियचरित्तपरिणामे सुहमसंपरायचरित्तपरिणाम अहक्खायचरित्तपरिणामे ।। १३. वेयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहाइत्थिवेयपरिणामे पुरिसवेयपरिणामे णपुंसगवेयपरिणामे ।। चउवीसदंडएसु परिणाम-पदं १४. णेरइया गतिपरिणामेणं णिरयगतिया, इंदियपरिणामेणं पंचिदिया, कसायपरिणामेणं कोहकसाई वि जाव लोभकसाई वि, लेस्सापरिणामणं कण्हलेस्सा वि णीललेस्सा वि काउलेस्सा वि, जोगपरिणामेणं मणजोगी वि वइजोगी वि कायजोगी वि, उवओगपरिणामेणं सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता बि, णाणपरिणामेणं आभिणिवोहियगाणी वि सुयणाणी वि ओहिणाणी वि, अण्णाणपरिणामेणं मतिअण्णाणी वि सुयअण्णाणी वि विभंगणाणी वि, दसणपरिणामेणं सम्म ट्ठिी वि मिच्छद्दिट्ठी वि सम्मामिच्छद्दिट्टी वि, चरित्तपरिणामेणं णो चरित्ती णो चरित्ताचरित्ती अचरिती, वेदपरिणामेणं णो इत्थिवेदगा णो पुरिसवेदगा णपुंसगवेदगा। १५. असुरकुमारा वि एवं चेव, नवरं--देवगतिया, कण्हलेसा वि जाव तेउलेसा वि, वेदपरिणामेणं इत्थिवेयगा वि पुरिसवेयगा दि णो णपुंसग वेदगा। सेसं तं वेव। एवं जाव थणियकुमारा॥ १६. पुढविकाइया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया, इंदियपरिणामेणं एगिदिया, सेसं जहा पेरइयाणं, णवरं-लेस्सापरिणामेणं तेउलेस्सा वि, जोगपरिणामेणं कायजोगी, णाणपरिणामो णत्थि, अण्णाणपरिणामेणं मतिअण्णाणी वि सूयअण्णाणी वि, दंसणपरिणामेणं मिच्छदिट्ठी। सेसं तं चेव। एवं आउ-वणप्फइकाइया वि। तेऊ वाऊ एवं चेव, णवरं-लेस्सापरिणामेणं जहा रइया ।। १७. बेइंदिया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया, इंदियपरिणामेणं बेइंदिया, सेसं जहा रइयाणं, गवरं-जोगपरिणामेणं वइयोगी वि काययोगी वि, णाणपरिणामेणं आभिणिबोहियणाणी वि सुयणाणी वि, अण्णाणपरिणामेणं मतिअण्णाणी वि सुयअण्णाणी विणो विभंगणाणी, दसणपरिणामेणं सम्मट्टिी वि मिच्छदिट्ठी वि णो सम्मामिच्छदिट्ठी। सेसं तं चेव । एवं जाव चउरिदिया। णवरं-इंदियपरिवुड्डी' कायव्वा ।। १८. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया । सेसं जहा' णेरइयाणं, णवर-लेस्सापरिणामेणं जाव सुक्कलेस्सा वि, चरित्तपरिणामेणं णो चरित्ती अचरित्ती वि ३. प० १३:१४ १. परिवड्ढी (क,ख,घ)। २. गतीया (घ)। Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तैरसमं परिणामपयं चरिताचरिती वि, वेदपरिणामेणं इत्यीवेदगा वि पुरिसवेदगा वि णपुंसगवेदगा वि ॥ १६. मणुस्सा गतिपरिणामेणं मणुयगतिया, इंदियपरिणामेणं पंचेंदिया अणिदिया वि, कसायपरिणामेणं कोहकसाई व जाव अकसाई वि, लेस्सापरिणामेणं कण्हलेस्साविजाव अलेस्सावि, जोगपरिणामेणं मणजोगी वि जाव अजोगी वि, उवओगपरिणामेणं जहा रइया, णाणपरिणामेणं आभिणिवोहियणाणी वि जाव केवलणाणी वि, अण्णाणपरिणामेणं तिणि वि अण्णाणा, दंसणपरिणामेणं तिण्णि वि दंसणा, चरितपरिणामेण चरिती वि अचरित्ती विचरिताचरित्ती वि, वेदपरिणामेणं इत्थवेदगा वि पुरिसवेदगा वि नपुंसंगवेदगा वि अवेदगा वि ।। २०. वाणमंतरा गतिपरिणामेणं देवगइया जहा' असुरकुमारा । एवं जोतिसिया वि वरं -- लेस्सापरिणामेणं तेउलेस्सा । वेमाणिया वि एवं चेव, णवरं – लेस्सापरिणामेणं तेउलेस्सा वि पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि । से त्तं जीवपरिणामे || अजीव परिणाम-पदं २१. अजीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहा - बंधणपरिणामे गतिपरिणामे संठाणपरिणामे भेदपरिणामे वण्णपरिणामे गंधपरिणामे रसपरिणामे फासपरिणामे अगरुयल हुयपरिणामे सद्दपरिणामे || २२. बंधणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- निबंधणपरिणामे य लुक्खबंधणपरिणामे य । गाहा— मणिया बंधो ण होति, समलुक्खयाए वि ण होति । मायणिद्ध - लुक्खत्तणेण बंधो उ खंधाणं ॥ १॥ free द्वेिण दुयाहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुयाहिएणं । द्धिस्स लुक्खेण उवेइ बंधो, जहण्णवज्जो बिसमो समो वा ॥२॥ २३. गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहाफुसमागतिपरिणामे' य अफुसमाण गतिपरिणामे य, अहवा दीहगइपरिणामे य हस्सगइपरिणामे य ।। १८५ २४. संठाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - परिमंडल संठाणपरिणामे जाव' आययसंठाणपरिणामे || २५. भयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - खंडाभेदपरिणामे जाव' उक्करियाभेदपरिणामे ॥ २६. वण्णपरिणामे णं भंते! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - कालवण्णपरिणामे जाव' सुक्किलवण्णपरिणामे ॥ २७. गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- १. प० १३।१५ २. अगुरु° (क,ग) ! ३. फुसण (घ) 1 ४. १० १२४ ॥ ५. ० १११७३ । ६. प० ११४ । Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ पण्णवणासुत्तं सुब्भिगंधपरिणामे य दुन्भिगंधपरिणामे य ।। २८. रसपरिणाम णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहातित्तरसपरिणामे जाव' महुररसपरिणामे ॥ २६. फासपरिणामे णं भंते ! कति विहे पण्णत्ते ? गोयमा! अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा-कक्खडफासपरिणामे य जाव' लुक्खफासपरिणामे य ।। ___३०. अगरुयलयपरिणाम णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! एगागारे पण्णत्ते ॥ ३१. सद्दपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहासुम्भिसद्दपरिणाम य दुब्भिसद्दपरिणामे य । से तं अजीवपरिणामे ॥ १,२. प० ॥४॥ Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कसायय-पदं १. कति णं भंते ! कसाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तं जहा -- कोहसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए || चवीस दंड चोदसमं कसायपयं कसायपरूवण-पदं २. रइयाणं भंते ! कति कसाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तं जहा – कोहकसाए जाव लोभकसाए । एवं जाव वेमाणियाणं || - कसाय पट्टा पद ३. कतिपतिट्ठिए गं भंते ! कोहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउपतिट्ठिए कोहे पण्णत्ते, तं जहा - आयपतिट्ठिए परपतिट्ठिए तदुभयपतिट्टिए अप्पतिट्टिए | एवं रइयाणं' जाव वेमाणियाणं दंडओ ॥ ४. एवं माणेण दंडओ, मायाए दंडओ, लोभेणं दंडओ ॥ कसायउपपत्ति-पदं ५. 'कतिहि णं" भंते ! ठाणेहिं कोहुप्पत्ती भवति ? गोयमा ! चउहि ठाणेहि कोहुप्पत्ती भवति, तं जहा - खेत्तं पडुच्च, वत्थं पडुच्च, सरीरं पडुच्च, उवहि पडुच्च । एवं रइयाणं जाव वैमाणियाणं || ६. एवं माणेण वि मायाए वि लोभेण वि । एवं एते वि चत्तारि दंडगा || कसापय-पदं ७. कतिविहे णं भंते! कोहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउब्विहे कोहे पण्णत्ते, तं जहा -- ताणुबंधी कोहे अप्पच्चखाणे कोहे पच्चवखाणावरणे कोहे संजलणे कोहे । एवं रइयाणं जाव माणियाणं ॥ ८. एवं माणे मायाए लोभेणं । एए वि चत्तारि दंडगा' || ६. कतिविहे णं भंते! कोहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउब्विहे कोहे पण्णत्ते, तं जहाआभोगणिव्वत्तिए अणाभोगणिव्वत्तिए उवसंते अणुवसंते। एवं णेरइयाणं जाव वैमाणियाणं ॥ ३. दंडगा भाणियव्वा ( ग ) 1 १. रइयादीणं (पु) 1 २. कति विणं ( क, ख, ग ) । १८७ Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ पण्णवणासुतं १०. एवं माणेण वि मायाए वि लोभेण वि चत्तारि दंडगा ॥ कसाएहि कम्मचयोवचयादि-पदं ११. जीवा णं भंते ! कतिहि ठाणेहिं अट्ट कम्मपगडीओ चिणिसु ? गोयमा ! चउहि ठाणेहि अट्ठ कम्मपगडीओ चिणिसु, तं जहा–कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं । एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं'। १२. जीवा णं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ चिणंति ? गोयमा ! चउहिं ठाणेहि तं जहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं । एवं रइया जाव वेमाणिया !! १३. जीवा णं भंते । कतिहि ठाणेहि अट्ट कम्मपगडीओ चिणिस्संति ? गोयमा ! चउहि ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ चिणिस्संति, तं जहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं । एवं रइया जाव वेमाणिया ।। १४. जीवा गं भंते ! कतिहि ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ उवचिणिसु ? गोयमा ! चउहि ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ उवचिणिसु, तं जहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं । एवं णेरइया जाव वेमाणिया ।।। १५. जीवा णं भंते ! पुच्छा ! गोयमा ! चउहि ठाणेहिं उवचिणंति कोहेणं जाव लोभेणं । एवं गैरइया जाव वेमाणिया ।। १६. एवं उवचिणिस्संति ।। १७. जीवा णं भंते ! कतिहि ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ बंधिसु ? गोयमा ! चाहिं ठाणेहि, तं जहा-कोहेणं जाव लोभेणं । २८. एवं रइया जाव वेमाणिया बंधेसु बंधंति बंधिस्संति, उदीरेंसु उदीरंति उदीरिस्संति, वेइंसु वेएंति वेइस्संति', निज्जरेंसु निज्जरंति निजरिस्संति । एवं एते जीवाईया वेमाणियपज्जवसाणा अट्ठारस दंडगा जाव वेमाणिया निजरिसु निज्जरंति निज्जरिस्संति। गाहा आयपइट्ठिय खेत्तं, पडुच्चणंताणुबंधि आभोगे । चिण उवचिण बंध उईर वेय तह निज्जरा चेव ॥१॥ १. अग्रिमसूत्रेषु सर्वत्र प्रथमाविभकोबहुवचनं दृश्यते। २. ११,१३ सूत्रयोः पाठपद्धत्या अत्रापि 'अट्ठकम्म पगडीओ चिणंति' इति पाठो युज्यते । ३. वेदइस्संति (ख,घ)1 ४. निज्जरेंति (क,ग): ५. भगवत्या अष्टादशशतकस्य चतुर्थोद्देशकस्य वृत्तौ-निजरिस्मंति' अस्य पदस्य पूर्ण सूत्रमुल्लिखितमस्ति-वेमाणिया णं भते ! काहि ठाणेहिं अट्ट कम्मपयडीओ निजरिस्संति? गोयमा ! चउहि ठाणेहि, तं जहा--कोहेणं जाव लोभेणं। Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं पढमो उद्देसो गाहा १ संठाणं २ वाहल्लं, ३ पोहत्तं ४ कतिपएस ५ ओगाढे। ६ अप्पाबहु ७ पुट्ठ ८ पविट्ठ', ६ विसय १० अणगार ११ आहारे ॥१॥ १२ अदाय १३ असो १४ य मणी, १५ उडुपाणे १६ तेल्ल १७ फाणिय १८ वसा य। १६ कंबल २० थूणा २१ थिग्गल, २२ दोवोदहि २३,२४ लोगलोगे य ।।२।। इंदियार्ण भेद-पदं १. कति णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहासोइंदिए चक्खिदिए घाणिदिए जिभिदिए फासिदिए । संठाण-पदं २. सोइंदिए णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! कलंबुयापुप्फसंठाणसंठिए पण्णत्ते।। ३. चक्खिदिए णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मसूरचंदसंठाणसंठिए पन्नत्ते । ४. घाणिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! अइमुत्तगचंदसंठाणसंठिए' पण्णत्ते ।। १. पविठ्ठ (क,५)। २. आहारए (ख)। ३. दुद्ध (क,ग,घ); दुटु (ख); हस्तलिखिते मलयगिरिवृत्यादर्श तदनन्तरमसिविषयं, ततो मणिविसयं ततो दुग्धोपलक्षितपान कविषयं, ततस्तैलविषयं, ततः फाणितविषयं, तदनन्तरं वशाविषयं, इति व्याख्याक्रमोस्ति । अस्यानुसारेण षटसूत्राण्येव जायन्ते । एतेषां सूत्राणामालापके मलयगिरिणा षट्सूत्राणामेव सूचनं कृतमस्ति- एवमसिमण्यादि विषयाण्यपि षट् सूत्राणि भावनीयानि। मलयगिरिणा दुग्धपानकं इति एकमेव सूत्र स्वीकृतं, न तु द्वयम् । तस्याचार्यप्रवरस्य सम्मुखे 'दुद्धपाणए' इति पाठ आसीत् तेन तस्यैव व्याख्या कृता । मुनि पुश्यविजयजी द्वारा सम्पादन प्रयुक्तेषु आदर्शषु 'उडुपाणे' इति पाठो दृश्यते। निशीथसूत्रस्य पाठेरपि अस्य पूष्टिर्जायते।। ४. थिग्गिल (ग,ध)। ५. अइमुत्तगसंठाण' (ग)। १८६ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० पण्णवणासुत्तं ५. जिभिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! खुरप्पसंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। ६. फासिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। बाहल्ल-पदं ७. सोइंदिए णं भंते ! केवतियं वाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! अंगुलस्स असंखेज्जतिभाग' बाहल्लेणं पण्णत्ते एवं जाव फासिदिए । पोहत्त-पदं ८. सोइंदिए णं भंते ! केवतियं पोहत्तेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं पोहत्तेणं पण्णत्ते । एवं चक्खिंदिए वि धाणिदिए वि ॥ ६. जिभिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! अंगुलपुहत्तं पोहत्तेणं पण्णत्ते ॥ १०. फासिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ते पोहत्तेणं पण्णत्ते ।। कतिपएस-पदं ११. सोइंदिए णं भंते ! कतिपएसिए पण्णत्ते? गोयमा ! अणंतपएसिए पण्णत्ते । एवं जाव फासिदिए। ओगाढ-पदं १२. सोइंदिए णं भंते ! कतिपएसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जपएसोगाढे पण्णत्ते । एवं जाव फासिदिए । अप्पाबहुय-पदं १३. एएसि णं भंते! सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाण ओगाहणट्ठयाए पएसट्टयाए ओगाहण-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुथा वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्ठयाए, सोइंदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे, घाणिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे, जिभिदिए ओगाहणट्टयाए असंखेज्जगुणे, फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे ; पएसट्टयाए-सव्वत्थोवे चक्खिदिए पएसट्टयाए, सोइदिए पएसटुयाए संखेज्जगुणे, घाणिदिए पएसट्टयाए संखेज्जगुणे, जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेज्जगणे, फासिदिए पएसट्रयाए संखेज्जगणे; ओगाहण-पएसट्रयाएसव्वत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्ठयाए सोइंदिए ओगाहणट्टयाए संखेज्जगुणे, घाणिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे, जिभिदिए ओगाहणट्टयाए असंखेज्जगुणे, फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे, फासिंदियस्स ओगाहणट्टयाएहितो चक्खिदिए पएसट्टयाए अणंत गुणे, सोइंदिए पएसट्ठयाए संखेज्जगुणे, घाणिदिए पएसट्ठयाए संखेज्जगुणे, जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेज्जगुणे, फासिदिए पएसट्ठयाए संखेज्जगुणे ।। १४. सोइंदियस्स णं भंते ! केवतिया कक्खडगरुयगुणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता कवखडगरुयगणा पण्णत्ता । एवं जाव फासिदियस्स ॥ १५. सोइंदियस्स णं भंते ! केवतिया मउयलहुयगुणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता मउयलहयगुणा पण्णत्ता । एवं जाव फासिदियस्स ।। १६. एएसि णं भंते ! सोइंदिय-क्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाणं १. भागे (क); भागो (ख,ग,ध)। Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं १६१ कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाणं कक्खडगरुयगुणमउयलहुयगुणाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वस्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगरुयगुणा, सोइंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, घाणिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, जिभिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंत गुणा; मउयलहुयगुणाणं-सव्वत्थोवा फासि दियस्स मउयलहुयगुणा, जिभिदियस्स मउयल हुयगुणा अणंतगुणा, घाणिदियस्स मउयलय गुणा अणंतगुणा, सोइंदियस्स मउयलहुयगुणा अणतगुणा, चक्खिदियस्स म उयलहुयगुणा अणंतगुणा; कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाण य--सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगरुयगुणा, सोइंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणतगणा, घाणि दियस्स कक्खड़गरुयगुणा अणंतगुणा, जिभिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासिदियस्स कक्खडगरुयगुणेहिंतो तस्स चेव मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, घाणिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, सोइंदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, चक्खिदियस्स भउयलहुयगुणा अणंतगुणा ॥ चउवीसदंडएसु संठाणाइ-पदं १७. रइयाणं भंते ! कति इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचेंदिया पण्णत्ता, तं जहा-- सोइंदिए जाव फासिदिए । १८. रइयाणं भंते ! सोइंदिए किसंठिए पण्णत्ते? गोयमा ! कलंबुयासंगणसंठिए पण्णत्ते । एवं जहा ओहियाणं वत्तव्वया भणिया तहेव णेरइयाणं पि जाव' अप्पाबहुयाणि दोणि वि, पवर--णेरइयाणं भंते ! फासिदिए किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा---भवधारणिज्जे य उत्तरवेउन्विए य। तत्थ णं जेसे भवधारणिज्जे से णं हुंडसंठाणसंठिए पण ते । तत्थ णं जेसे उत्तरवेउन्विए से वि तहेव । सेसं तं चेव ॥ १६. असुरकुमाराणं भंते ! कति इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा! पंचेंदिया पण्णत्ता। एवं जहा ओहियाणं जाव अप्पाबहुयाणि दोण्णि वि, णवरं--फासेंदिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउव्विए य । तत्थ णं जेसे भवधारणिज्जे से णं समचउरंससंठाणसंठिए पण्णत्ते । तत्थ णं जेसे उत्तरवेउविए से णं णाणासंठाणसं ठिए पणत्ते । सेसं तं चेव । एवं जाव थपियकुमाराणं ।। २०. पुढविकाइयाणं भंते ! कति इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! एगे फासिदिए पण्णत्ते ।। २१. पुढविकाइयाणं भंते । फासिदिए किसंठिए' पण्णत्ते ? गोयमा ! मसूरचंदसंठाणसंठिए पण्णत्ते ॥ २२. पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिए केवतियं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! अंगुलस्स असंखेज्जइभागं वाहल्लेणं पण्णत्ते ।। २३. पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिए केवतियं पोहत्तेणं पण्णत्ते गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ते पोहत्तेणं पण्णत्ते ।। १. प० १५॥२-१६ । २. किं संठाणसंठिए (क)। Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२ पण्णवणासुत्तं २४. पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिए कतिपएसिए पण्णत्ते ? गोयमा ! अणंतपएसिए पण्णत्ते ।। २५. पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिए कतिपएसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा! असंखेज्जपएसोगाढे पण्णत्ते ॥ २६. एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं फासिं दियस्स ओगाहण-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवे पुढविकाइयाणं फासिदिए ओगाहणट्टयाए, से चेव पएसट्ठयाए अणंतगुणे ॥ २७. पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदियस्स केवतिया कक्खडगरुयगुणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता । एवं मउयलहुयगुणा वि॥ २८. एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाण फासें दियस्स कक्खडगरुयगुण-मउयल हुयगुणाणं कतरे कतरेहिलो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइयाणं फासें दियस्स कवखडगरुयगुणा, तस्स चेव मयउलहुयगुणा अणंतगुणा ॥ २६. एवं आउक्काइयाणं वि जाव वणस्सइकाइयाणं, णवरं–संठाणे इमो विसेसो दट्ठन्वो-- आउक्काइयाणं थिबुगविंदुसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तेउक्काइयाणं सूईकलावसंठाणसंठिए पण्णत्ते, वाउक्काइयाणं पडागासंठाणसंठिए पग्णत्ते, वणप्फइकाइयाणं गाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ॥ ३०. बेइंदियाणं भंते ! कति इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! दो इंदिया पण्णत्ता, तं जहा---जिभिदिए य फासिदिए य । दोण्हं पि इदियाणं संठाणं बाहल्लं पोहत्तं पदेसा ओगाहणा य जहा' ओहियाणं भणिया तहा भाणियव्वा, णवरं--फासें दिए हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते त्ति इमो विसेसो ॥ ३१. एतेसि णं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदिय-फासें दियाणं ओगाहणट्टयाए पएसट्टयाए ओगाहण-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवे बेइंदियाणं जिभिदिए ओगाहणट्ठयाए, फासेंदिए ओगाहणद्वयाए संखेज्जगुणे । पएसट्टयाए-सव्वत्थोवे बेइंदियाणं जिभिदिए पएसट्टयाए, फासेंदिए पएसद्रुयाए संखेज्जगुणे । ओगाहण-पएसट्टयाए-सव्वत्थोवे बेइंदियस्स जिभिदिए ओगाहणद्वयाए, फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे', फासें दियस्स ओगाहणट्ठयाए हितो जिभिदिए पएसट्टयाए अणंतगुणे, फासिदिए पएसट्ठयाए संखेज्जगणे ॥ ३२. बेइंदियाणं भंते ! जिभिदियस्स केवइया कक्खडगरुयगुणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता । एवं फासें दियस्स वि । एवं मउयलहुयगुणा वि। ३३. एतेसि णं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदिय-फासें दियाणं कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाणं कक्खडगरुयगुण-मउयल हुयगुणाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बेइंदियाणं जिभिदियस्स कक्खड १. प० १५१५-१२ २. असंखेज्ज° (क,ख,घ)। ३. असंखेज्ज° (क,ख,ग.५)। ४. असंखेज्ज° (क,ख,ग,घ) । ५. असंखेज्ज° (क,ख,ग,घ)। Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसम इंदियपयं १६३ गरुयगुणा, फासेंदियस्स कवखडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासेंदियस्स कक्खडगरुयगुणेहितो तस्स चेव मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा ।। ३४. एवं जाव चउरिदिय ति, णवरं- इंदियपरिवुड्डी' कायव्वा। तेइंदियाणं धाणेंदिए थोवे, चरिदियाणं चक्खिदिए थोवे । सेसं तं चेव ।। ३५. पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसाण य जहा णेरइयाणं, णवरं--फासिदिए छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा- समच उरंसे णग्गोहपरिमंडले' सादी खुज्जे वामणे हुंडे । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥ पुट्ठ-पदं ३६. पुट्ठाई भंते ! सद्दाई सुणेइ ? अपुट्ठाई सद्दाइं सुणेइ ? गोयमा ! पुट्ठाइं सद्दाई सुणेइ, नो अपुट्ठाई सद्दाई सुणेइ ॥ ३७. पुट्ठाई भंते ! रूवाइं पासति ? अपुटाई रूवाइं पासति ? गोयमा ! णो पुदाई रूवाइं पासति, अपुटाई रूवाइं पासति ॥ ३८. पुट्ठाई भंते ! गंधाइं अग्धाति ? अपुट्ठाई गंधाई अग्धाति ? गोयमा ! पुढाई गंधाइं अघाति, णो अपुटाई गंधाई अग्घाति । एवं रसाणवि फासाणवि, णवर--रसाई अस्साएइ, फासाइं पडिसंवेदेति त्ति अभिलावो कायव्वो॥ पविट्ठ-पदं ३६. पविट्ठाइं भंते ! सद्दाइं सुणेति ? अपविट्ठाई सद्दाई सुणेति ? गोयमा ! पविट्ठाई सद्दाइं सुणेति, णो अपविट्ठाई सद्दाइं सुणेति । एवं जहा पुट्ठाणि तहा पविठ्ठाणि वि ॥ विसय-पदं ४०. सोइंदियस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागाओं', उक्कोसेणं बारसहिं जोयणेहितो अच्छिण्णे पोग्गले पुढे पविट्ठाई सद्दाइं सुणेति ।। ४१. चक्खिदियस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जतिभागाओ, उक्कोसेणं सातिरेगाओ जोयणसयसहस्साओ अच्छिण्णे पोग्गले अपुढे अपविट्ठाई रूवाई पासति ॥ ४२. धाणिदियस्स पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागातो, उक्कोसेणं णवहिं जोयणे हितो अच्छिण्णे पोग्गले पुछे पविट्टाई गंधाइं अग्धाति । एवं जिभिदियस्स वि फासिदियस्स वि ।। अणगारदारे निज्जरापोग्गल-पदं ४३. अणगारस्स णं भंते ! भाविअप्पणो मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयस्स जे चरिमा १. परिवड्ढी (क,ख,घ)। २. ५० १५॥१७,१८ । ३. णिग्गोह (ग)। ४. साती (यु)। ५. प० १५।१६। ६. पुट्ठाणं (ख); पुट्ठाति (घ)। ७. °भागो (ख,ग,घ) सर्वत्र। मलयगिरिवृत्ती 'अमुलासंख्येयभागात्' इति पञ्चम्यन्तं पदं दृश्यते । Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ पण्णवणासुत्तं णि जरापोर ला सुहमा णं ते पोग्गला पणत्ता समणाउसो ! ? सव्वलोगं पि य णं ते ओगाहित्ता गं चिट्ठति ? हंता गोयमा ! अणगारस्स णं भाविअप्पणो मारणंतियस मुग्धाएणं समोहयस्स जे चरिमा णिज्जगपोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो! सव्वलोगं पि य णं ते ओगाहित्ता ण चिट्ठति ।। ४४. छउमत्थे णं भंते स णिज्जरापोग्गलाणं कि आणत्तं वा णाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति ? गोयमा ! णो इणठे समठे ।। ४५. से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चति-- छ.उमत्थे णं मणसे तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि आणत्तं वा णाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गायत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति ? गोयमा ! देवे वि य णं अत्थेगइए जे णं तेसि णिज्ज रापोग्गलाणं णो किचि आणत्तं वा णाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गस्यत्तं वा लहयत्तं वा जाणति पासति । से एणठेण' गोयमा ! एवं बुच्चति-छउमत्थे णं मणूसे तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि आणत्तं वा णाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयतं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति, सुहमा' गं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्वलोग पि य णं ते ओगाहित्ताणं चिट्ठति ।। आहारवारे निज्जरापोग्गल-पदं ४६. णेरइया णं भंते ! ते णिज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति ? उदाह ण याणति ण पासंति ण आहारति ? गोयमा ! णे रइया णं ते णिज्जरापोग्गले ण जाणंति ण पासंति आहारेति । एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिया' ।। ४७. मणसा णं भंते ! ते णिज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति ? उदाहु ण जाणंति ण पासंति ण आहारति ? गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारैति ।। ___४८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-- अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेति ? अत्थेगइया ण याणंति ण पासंति आहारेति ? गोयमा ! मणूसा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सणिभूया य असण्णिभूया य । तत्थ णं जेते असण्णिभूया ते णं ण जाणंति ण पासंति आहारेति । तत्थ णं जेते सण्णिभूया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-उवउत्ता य अणुवउत्ता य । तत्थ णं जेते अणुवउत्ता ते णं ण याणंति ण पासंति आहारेति । तत्थ णं जेते उवउत्ता ते णं जाणति पासंति आहारेति । से एएणठेणं गोयभा! एवं बुच्चति - 'अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेंति" ! वाणमंतरजोइसिया जहा णेरइया ।। ४६. वेमाणिया णं भंते ! ते णिज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति ? गोयमा ! जहा मणूसा णवरं - वेमाणिया दुविहा पत्ता , तं जहा---माइमिच्छद्दिटि ५. अत्थेगझ्या ण जाणंति ण पासंति आहारति, अत्थेगइया जाणति पामंति आहारति (क,ग, १. इणभट्टे (क,घ)। २. तेणठेणं (क,ख) । ३. एए सुहुमा (क)। ४. 'जोणिया णं (क ग,घ) Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन रसमं इंदियपयं १६५ उववण्णगा य अमाइ सम्म द्दिट्ठिउववरण मा य । तत्थ णं जेते माइमिच्छद्दिट्ठिउववन्नगा ते णं न याणंति न पासंति आहारैति । तत्थ णं जेते अमाइसम्मद्दिटिउववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अणंतरोववण्णगा य परंपरोववण्णगा य । तत्थ णं जेते अणंतरोववण्णगा ते णं ण याणात ण पासात आहारात । तत्थ ण जेते परपरविवण्णगा ते विहा पण्णत्ता, त जहा-- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं ण याणंति ण पासंति आहारेति। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- उव उत्ता य अणुवउत्ता य। तत्थ णं जेते अणुव उत्ता ते णं ण याणंति पा पासंति आहारेति । तत्थ णं जेते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति आहारेति । से एणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-अत्थेगइया जाणंति' 'पासंति आहारेति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेति ।। अहायाइदारसत्तगे पडिबिबपेहा-पदं ५०. अहाए णं भंते ! पेहमाणे मणसे कि अहायं पेहति' ? अत्ताण पेहति ? पलिभागं पेहति ? गोयमा ! नो अद्दायं पेहति णो अत्ताण पेहति, पलिभागं पेहति । एवं एतेणं अभिलावेणं असि मणि उडुपाणं तेल्लं फाणियं वसं ।। कंबल फुसणा-पदं __५१. कंवलसाडए णं भंते ! आवेढिय-परिवेढिए समाणे जावतिय ओवासंतरं फुसित्ता चिट्टति, विरल्लिए वि य गं समाणे तावतियं चेव ओवासंतरं फुसित्ता गं चिदति ? हंता! गोयमा! कंबलसाडए णं आवेढिय-परिवेढिए समाणे जावतियं' •ओवासंतरं फुसित्ता णं चिट्ठति, विरल्लिए वि य णं समाणे तावतियं चेव ओवासंतरं फुसित्ता णं चिट्ठति ॥ थणादारे भोगाहणा-पदं ५२. थूणा णं भंते ! उड्ढं ऊसिया" समाणी जावतियं खेत्तं ओगाहित्ता णं चिट्ठति, तिरियं पि य णं आयता समाणी तावतियं चेव खेत्तं ओगाहित्ता णं चिट्ठति ? हंता गोयमा ! थूणा णं उड्व ऊसिया१ ११.समाणी जावतियं खेत्तं ओगाहित्ता णं चिट्ठति, तिरियं पि य णं आयता समाणी तावति यं चेव खेत्तं ओगाहित्ता णं चिटुति ! थिग्गलवारे फुड-पदं ५३. आगासथिग्गले" णं भंते ! किणा" फुडे ? कइहिं वा काएहिं फुडे-किं धम्मत्थिकारणं फुडे ? किं धम्मत्थिकायस्स देसेणं फुडे ? धम्मस्थिकायस्स पदेसे हिं फुडे ? एवं अधम्मत्थिकाएणं आगासत्थिकाएणं ? एएणं भेदेणं जाव किं पुढविकाइएणं फुडे जाव १. सं० पा०—जाणंति जाव अत्थेगइया । २. x (ख,घ)। ३. पेहेमाणे (ग)। ४. पेहेति (ग)। ५. अद्दाणं (ख) ६. अप्पाणं (ख,ग,घ)। ७. दुद्धं गाणं (क,ख,घ); दुद्धं फाणि (ग)। ८. °साडे (क,ख)। ६. सं० पा०-जावतियं तं चेव । १०. उसासिया (ख)। ११. ऊसासिया (ख); ऊसइया (घ)। १२. संपा०—तं चेव जाव चिट्ठति । १३. थिग्गिले (ख)। १४. किणे (ख)। Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ पण्णवणासुत्तं तसकाएणं फुडे ? अद्धासमएणं फुडे ? गोयमा ! धम्मत्थिकाएणं फुडे, णो धम्मस्थिकायस्स देसेणं फुडे, धम्मत्थिकायस्स पदेसे हिं फुडे । एवं अधम्मस्थिकाएण वि। णो आगासत्थिकाएणं फुडे, आगासथिकायस्स देसेणं फुडे, आगासत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे जाव वणप्फइकाइएणं फुडे । तसकाएणं सिय फुडे, सिय णो फुडे । अद्धासमएणं देसे फुडे, देसे णो फुडे ।। दीवोदहिदारे फुड-पदं ५४. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहिं फुडे-कि धम्मत्थिकारणं जाव आगासत्थिकाएणं फुडे ? गोयमा ! णो धम्मस्थिकाएणं फुडे, धम्मत्थिकायस्स देसेणं फूडे, धम्मत्थिकायस्स पएसेहिं फूडे । एवं अधम्मत्थिकायस्स वि आगासस्थिकायस्स वि। पुढविकाइएणं फुडे जाव वणप्फइकाइएणं फुडे ! तसकारणं सिय फुडे सिय णो फुडे । अद्धासमएणं फुडे ॥ ५५. एवं लवणसमुद्दे धायइसंडे दीवे कालोए समुद्दे अभितरपुक्खरद्धे । बाहिरपुक्खरद्धे एवं चेव, णवरं--अद्धासमएणं णो फुडे । एवं जाव सयंभुरमणे समुद्दे । एसा परिवाडी इमाहि गाहा हिं अणुगंतव्वा, तं जहा जंबुद्दीवे लवणे, धायइ कालोय पुक्खरे वरुणे । खीर घत खोत नंदि य, अरुणवरे कुंडले स्यए॥१॥ आभरण-वत्थ-गंधे, उप्पल-तिलए' य पुढवि-णिहि-रयणे । वासहर-दह-नदीओ, विजया वक्खार-कप्पिदा ॥२॥ कुरु-मंदर-आवासा, कूडा णक्खत्त-चंद-सूरा य । देवे णागे जक्खे, भूए य सयंभुरमणे य ॥३॥ एवं जहा बाहिरपुक्खरद्धे भणितं तहा जाव सयंभुरमणे समुद्दे जाव अद्धासमएणं णोफुडे । लोगदारे फुड-पदं ५६. लोगे णं भंते ! किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहिं ? जहा आगासथिग्गले ॥ अलोगदारे फुड-पदं ५७. अलोए णं भंते ! किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहिं पुच्छा। गोयमा ! णो धम्मत्थिकाएणं फूडे जाव णो आगासत्थिकाएणं फूडे, आगासत्थिकायस्स देसेणं फडे, आगासत्थिकायस्स पदेसे हि फुडे । णो पुढविक्काइएणं फुडे जाव णो अद्धासमएणं फुडे। एगे अजीवदव्वदेसे अगरुलहुए अणंतेहिं अगरुलहुयगुणेहि संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे॥ १. पउम (मवृ); अनुयोगद्वारे (१८५) सूत्रे 'तिलए' पदस्यस्थाने 'पउमे' इति पाठान्तरं लभ्यते । २. अगुरु° (ग) । Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं १६७ बीओ उद्देसो गाहा १ इंदिय-उवचय २ णिव्वत्तणा य ३ समया भवे असंखेज्जा । ४ लद्धी ५ उवओगद्धा, ६ अप्पाबहुए विससहिया' ।।१।। ७ ओगाहणा ८ अवाए ६ ईहा तह १० वंजणोग्गहे चेव । ११ दविदिय १२ भाविदिय, तीया बद्धा पुरेक्खडिया ।।२।। इंदियाणं उवचय-पदं ५८. कतिविहे गं भंते ! इंदिओवचए पण्णते? गोयमा ! पंचविहे इंदिओवचए पण्णत्ते, तं जहा -सोइंदिओवचए' चक्खिदिओवचए घाणिदिओवचए जिभिदिओवचए फासिदिओवचए॥ ५६. जेरइयाणं भंते ! कतिविहे इंदिओवचए पण्णत्ते ? गोयमा ? पंचविहे इंदिओवचए पुण्णत्ते, तं जहा--सोइंदिओवचए जाव फासिदिओवचए। एवं जाव वेमाणियाणं । जस्स जइ इंदिया तस्स तइविहो चेव इंदिओवचयो भाणियन्वो ॥ निव्वत्तणा-पदं ६०. कतिविहा णं भंते ! इंदियनिव्वत्तणा पण्णत्ता ? गोयमा ? पंचविहा इंदियनिव्वत्तणा पण्णत्ता, तं जहा -सोइंदियनिव्वत्तणा जाव फासिंदियनिव्वत्तणा । एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जस्स जतिदिया अस्थि । निव्वत्तणासमय-पदं ६१. सोइंदियणिव्वत्तणाण भंते ! कतिसमइया पण्णत्ता ? गोयमा? असंखिज्जसमइया अंतोमुहुत्तिया घण्णत्ता । एवं जाव फासिदियनिव्वत्तणा । एवं ने रइयाणं जाव वेमाणियाणं ।। लद्धि-पदं ६२. कतिविहा णं भंते ! इंदियलद्धी पण्णत्ता? गोयमा ! पंचविहा इंदियलद्धी पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियलद्धी जाव फासिदियलद्धी । एवं गरइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जस्स जति इंदिया अस्थि तस्स तावतिया लद्धी भाणियव्वा ।। उवओगद्धा-पदं ६३. कतिविहा णं भंते ! इंदियउवओगद्धा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा इंदियउवओगद्धा पण्णत्ता, तं जहा--सोइंदियउवओगद्धा जाव फासिं दियउवओगद्धा। एवं जरइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं--- जस्स जति इंदिया अत्थि ।। उवओगद्ध-अप्पाबहुय-पदं ६४. एतेसि णं भंते ! सोइंदिय-क्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाणं जहणियाए उवओगद्धाए उक्कोसियाए उवओगद्धाए जहण्णुक्कोसियाए उवओगद्धाए कतरे कतरोहितो अप्पा वा बहुया वा सुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा चक्खिदियस्स जण्णिया उवओगद्धा, सोइंदियस्स जहणिया विसेसाहिया, घाणिदियस्स १. साहिया (ख,घ)। २. °चते (ख,घ)। Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ पण्णवणासुत्तं जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, जिभिदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फासेंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया ।। उक्कोसियाए उवओगद्वाए सव्वत्थोदा चविखदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा, सोइंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, घाणिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा बिसेसाहिया, जिभिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फासेदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया। जहष्णुक्कोसियाए उवओगद्धाए सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स जहणिया उवओगद्धा, सोइंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, पाणिदियरस जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, जिभिदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फास दियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया। फासेंदियस्स जहणियाहितो उवोगद्धाहितो चविखदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, सोइंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, घाणिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, जिभिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया, फासेंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया ।। ओगाहण-पदं ६५. कतिविहा णं भंते ! इंदियओगाहणा पण्णत्ता ! गोयमा ? पंचविहा इंदियओगाहणा पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियओगाहणा जाव फासेंदियओगाहणा। एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं- जस्स जइ इंदिया अस्थि ।। अवाय-पदं ६६. कतिविहे ण भंते ? इंदियअवाए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदियअवाए पणते, तं जहा--सोइंदियअवाए जाव फासेंदियअवाए । एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं-..जस्स जत्तिया इंदिया अस्थि ।। ईहा-पदं ६७. कतिविहा णं भंते ! ईहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा ईहा पण्णत्ता, तं जहा सोइंदियईहा जाव फासेंदियईहा। एवं जाव वेमाणियाणं, णवर---जस्स जति इंदिया। उग्गह-पदं ६८. कतिविहे णं भंते ! उग्गहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे उग्गहे पण्णत्ते, तं जहा--- अत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य ।।। ६६. वंजणोग्गहे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियवंजणोग्गहे घाणिदियवंजणोग्गहे जिबिभदियवंजणोग्गहे फासिदियवंजणोग्गहे॥ ७०. अत्थोग्गहे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! छबिहे पण्णत्ते, तं जहा--- सोइंदियअत्थोग्गहे चक्खि दियअत्थोग्गहे धाणिदियअत्थोरगहे जिभिदियअत्थोग्गहे फासिंदियअत्थोग्गहे णोइंदियअत्थोग्गहे ।। ७१. णेरइयाणं भंते ! कतिविहे उग्गहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उग्गहे पणत्ते, Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसम इंदियपयं १९६ तं उहा -अत्थोग्गहे जाव वंजणोग्गहे य । एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं ।। ७२. पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविहे उग्गहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उग्गहे पण्णत्ते, तं जहा · अत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य ।। ७३. पुढविकाइयाणं भंते ! वंजणोम्गहे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगे फासिदियवंजणोग्गहे पण्णते ॥ ७४. पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगे फासिंदियअत्थोगहे पण्णत्ते । एवं जाव वणप्फइकाइयाणं ।। ७५. एवं बेइंदियाण वि, वरं-बेइंदियाणं वंजणोग्गहे दुविहे पण्णत्ते, अत्थोग्गहे दुविहे पण्णत्ते । एवं तेइंदिय-वउरिदियाण वि, गवरं - -इंदियपरिवुड्ढी कायव्वा ! चरिदियाण वंजणोगहे तिविहे पण्णत्ते, अत्थोग्गहे चउविहे पण ते । सेसाणं जहा णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ।। दव्व-भाव-पदं ७६. कतिविहा णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता ! गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहादविदिया य भाविदिया य ।। दविदिय-पदं ७७. कति णं भंते ! दबिदिया पण्णता ? गोयमा ! अट्ठ दविदिया पणत्ता, तं जहा ---दो सोला' दो णेत्ता दो पाणा जीहा फासे ।। ७८. णेरइयाणं भंते ! कति दविदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! अदु, एते चेव । एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराण वि ॥ ७६. पुढविकाइयाणं भंते ! कति दविदिया पण्णता? गोयमा ! एगे फासेंदिए पण्णत्ते । एवं जाव वणस्सतिकाइयाणं ।। ८०. बेइंदियाणं भंते ! कति दबिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! दो दविदिया पण्णत्ता, तं जहा–फासिदिए य जिभिदिए य। ८१. तेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! चत्तारि दविदिया पण्णत्ता, तं जहा-दो घाणा जीहा फासे । ८२. चरिदियाणं पुच्छा । गोयमा ! छ दवि दिया पण्णता, तं जहा-दो णेता दो घाणा जीहा फासे । सेसाणं जहा णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ॥ ५३. एगमेगस्स णं भंते ! रइयस्स केवतिया दविदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता । केवतिया बद्धेल्लगा? गोयमा ! अट्ठ । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अट्ठ वा सोलस्स वा सत्सरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा।। ८४. एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवतिया दबिदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता । केवतिया वद्धेल्लगा? गोयमा ! अट्ठ । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अट्ट वा णव वा' संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियब्वं ॥ ३. वा सत्तरस्स वा (ग)। १. सोता (क)। २. ४ (क,ख,ग,घ)। Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० पण्णवणासुत ८५. एवं पुविक्काइय- आउक्काइय वणस्स इकाइयस्स वि, णवरं - केवतिया बद्धेल्लग ? त्ति 'पुच्छए उत्तरं एक्कं फासिदियं पण्णत्तं । एवं ते उक्काइय-वाउक्काइयस्स वि, णवरं - पुरेक्खडा णव वा दस वा ॥ ८६. एवं बेइंदियाण वि, णवरं -- वद्धेलगपुच्छाए दोणि । एवं तेइंदियस्स वि. वरं - बलगा चत्तारि । एवं चउरिदियस्स वि, णवरं बद्धेललगा छ । ८७. पंचेंद्रियतिरिक्खजोणिय मणूस वाणमंतर - जोइ सिय- सोहम्मीसाणगदेवस्स जहा असुरकुमारस्स, नवरं - मणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि अट्ठा नव वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा ॥ ८८. सणकुमार माहिद- बंभ-लंतग सुक्क सहस्सार- आणय- पाणय- आरण- अच्चुय वेज्जगदेवरस य जहा नेरइयस्स ॥ ८६. एगमेगस्स णं भंते ! विजय वेजयंत जयंत अपराजियदेवस्स केवतिया दव्वंदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! अट्ट । केवतिया पुरेवखडा ? गोयमा ! अटू वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा ॥ ६०. सव्वट्टसिद्धगदेवस्स अतीता अणंता, बद्धेल्लमा अट्ठ, पुरेक्खडा अट्ट || ६१. रइयाणं भंते ! केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ? अनंता । बदेललगा ? गोयमा ! असंखेज्जा । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अनंता । एवं जाव गेवेज्जगदेवाणं, णवरं - मणूसाणं बद्धेललगा सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा || ६२. विजय- वेजयंत - जयंत अपराजियदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! अतीता अनंता, बद्धेललगा असंखेज्जा, पुरेक्खडा असंखेज्जा | ६३. सम्बद्धसिद्धगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! अतीता अनंता, बद्धेल्लमा संखेज्जा, क्खडा संखेज्जा | ६४. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स णेरइअत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेल्लया ? गोयमा ! अट्ठ केवतिया पुरेक्खडा ? गोमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अटु वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा ॥ ६५. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स असुरकुमारते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोमा ! कस्es अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं जाव यणियकुमारते || ६६. एगमेगस्स णं भंते ! रइयस्स पुढविकाइयत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोमा ! अनंता । केवतिया वद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सस्थि एक्को वा दो वा तिष्णि वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । एवं जाव वणय्फइकाइयत्ते ॥ ! ६७. एगमेगस्स णं भंते गोयमा ! अनंता । केवतिया णेरइयम्स बेइंदियत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं २०१ गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि' दो वा वत्तारि वा छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं तेइंदियत्ते वि, णवरं - पुरेक्खडा चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । एवं चउरिदियत्ते वि, नवरं -- पुरेक्खडा छ वा वारस वा अट्ठारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । पंचेंदियतिरिक्खजोणियत्ते जहा असुरकुमारते || ६८. मणूस वि एवं चेव, णवरं - केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वो संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । सव्वेसि मणूसवज्जाणं पुरेक्खडा मणूसत्ते कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि त्ति एवं ण बुच्चति ॥ ६. वाणमंतर - जोइसिय सोहम्मग जाव गेवेज्जगदेवत्ते अतीता अनंता । बद्धेल्लमा णत्थि । पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा चडवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा ॥ १००. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स विजय- वेजयंत- जयंत अपराजियदेवत्ते केवतिया दविदिया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! पथि । केवतिया पुक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ पत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा ॥ 1 १०१. सव्वट्टसिद्धगदेवते अतीता णत्थि । बद्धेललगा णत्थि । पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ट || १०२. एवं जहा रइयदंडओ णीओ तहा असुरकुमारेण वि णेंयव्वो जाव पंचेंद्रिय - तिरिक्खजोणिएणं, णवरं जस्स सद्वाणे जति बद्धेललगा तस्स तइ भाणियव्वा || १०३. एगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स णेरयइत्ते केवतिया दव्वंदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियत्ते, णवरं एगिदिय-विगलिंदिएसु जस्स जत्तिया पुरेक्खडा तस्स तत्तिया भाणियव्वा ॥ १०४. एगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स मणूसत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! अट्ठ । केवतिया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ट वा सोलस वा चउवोसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । वाणमंतर जोतिसिय जाव गेवेज्जगदेवत्ते जहा णेरइयत्ते || १०५. एगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स विजय- वेजयंत जयंत अपराजियदेवत्ते केवतिया विदिया अतीता ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा । केवतिया वल्लगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ गत्थि, जस्सत्थि अटु वा सोलस वा ॥ १०६. एगमेगस्स णं भंते ! मणूस स सव्वसिद्धगदेवत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ । केवतिया बद्धेललगा ? १. जस्पत्थि एको वा ( क, ख घ) 1 -- Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ पण्णवणासुत्त गोमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्लइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ट || १०७. वाणमंतर जोतिसिए जहा रइए || १०८. सोहम्मगदेवे वि जहा णेरइए, णवरं - सोहम्मगदेवस्स विजय-वेजयंत जयंतअपराजियदेवत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सह णत्थि, जस्सत्थि अ । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! सइ अस्थि कस्सइ गत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा । सव्वसिद्धगदेवत्ते जहा णेरइयस्स । एवं जाव गेवेज्जगदेवस्स सव्वसिद्धगदेवत्ते ताव णेयव्वं ॥ १०६. एगमेगस्स णं भंते ! विजय-वेजयंत- जयंत अपराजियदेवस्म णेरइयत्ते केवतिया दविदिया अतीता ? गोयमा ! अगंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । Shafter पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियत्ते ॥ ११०. मणूस अतीता अनंता, बद्धेललगा णत्थि । पुरेक्खडा अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा ॥ १११. वाणमंतर - जोतिसियत्ते जहा ' रइते || ११२. सोहम्मदेवत्ते अतीता अनंता । वद्धेल्लगा णत्थि । पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ बा सोलस बा चउवीसा वा संखेज्जा वा । एवं जाव गेवेज्जगदेवत्तं ॥ ११३. विजय- वेजयंत जयंत अपराजियत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि अट्ठ । केवतिया वल्लगा ? गोयमा ! अट्ठ । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! tas afras पत्थि, जस्सत्थि अट्ठ || ११४. एगमेगस्स णं भंते! विजय वैजयंत- जयंत अपराजियदेवस्स सव्वट्टसिद्ध गदेवत्ते safar दविदिया अतीता ? गोयमा ! णत्थि केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! पत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि जम्सत्थि अट्ठ ॥ ११५. एगमेगस्स णं भंते ! सव्वदुसिद्धगदेवस्स णेरइयत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोवमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । एवं मणूसवज्जं जाव गेवेज्जगदेवत्ते, नवरं - मणूसत्ते अतीता अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अट्ठ ॥ ११६. विजय - वेजयंत जयंत अपराजियदेवत्ते अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ पत्थि, जस्सतिथ अटु । केवतिया बद्धलगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । ११७. एगमेगस्स णं भंते! सव्वट्टसिद्धगदेवस्स सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते केवतिया दविदिया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया बद्धेललगा ? गोयमा ! अट्ठ । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि || ११८. रइयाणं भंते ! रइयत्ते केवतिया दविदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । १. प० १५६४-१०१ । २. १० १५ १०६ । Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं २०३ केवतिया बद्वेल्लगा ? गोयमा ! असंखेज्जा । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अनंता || ११६. णेरइयाणं भंते ! असुरकुमारते केवतिया दव्विदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेल्लगा ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अनंता । एवं जाव वेज्जगदेवत्ते ॥ १२० रइयाणं भंते! विजय- वेजयंत जयंत अपराजियदेवत्तं केवतिया दव्विदिया अतीता ? णत्थि । केवतिया बद्धेललगा ? णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? असंखेजा । एवं सवसिद्धगदेवतेव ॥ १२१ एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोगियाणं सव्वट्टसिद्ध गदेवत्ते भाणियव्वं, णवरंarrasकाइयाणं विजय वैजयंत- जयंत अपराजियदेवत्ते सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते य पुरेक्खडा अनंता । सव्वेसि मणूस सव्वट्टसिद्धगवज्जाणं सट्टाणे बद्धेललगा असंखेज्जा, परद्वाणे वलगा णत्थि । वणस्सइकाइयाणं सट्टाणे बद्धेललगा अनंता || १२२. मणुस्साणं णेरइयत्ते अतीता अनंता । बल्ला पत्थि । पुरेक्खडा अनंता । एवं जाव गेवेज्जगदेवत्ते, णवरं सट्ठाणे अतीता अनंता, बद्धेललगा सिय संखेज्जा, सिय असंखेज्जा, पुरेक्खडा अनंता ॥ १२३. मणूसाणं भते ! विजय वैजयंत- जयंत अपराजियदेवत्ते केवतिया दव्विदिया अतीता ? संखेज्जा । केवतिया बद्धेललगा ? णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? 'सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा । एवं सव्वट्टसिद्धगदेवते वि ॥ १२४. वाणमंतर - जोइसियाणं जहा णेरइयाणं ॥ १२५. सोहम्मगदेवाणं एवं चेव, णवरं – विजय-वेजयंत- जयंत अपराजियदेवत्ते अतीता अखंखेज्जा, बद्वेल्लगा णत्थि, पुरेक्खडा असंखेज्जा" । सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते अतीता णत्थि । बद्धे लगा णत्थि । पुरेक्खडा असंखेज्जा । एवं जाव गवेज्जगदेवाणं ॥ १२६. विजय - वेजयंत- जयंत अपराजियदेवाणं भंते ! णेरइयत्ते केवतिया दव्वेंदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? णत्थि । एवं जाव जोइसियत्ते, णवरमेसि मणूसत्ते अतीता अनंता । केवतिया बद्धेलगा ? णत्थि । पुरेक्खडा असंखेज्जा ।। १२७. एवं जाव गेवेज्जगदेवते । सट्ठाणे अतीता असंखेज्जा । केवतिया बद्धेललगा ? असं खेज्जा । केवितया पुरेक्खडा ? असंखेज्जा ॥ १२८. सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते अतीता णत्थि । बद्धेललगा णत्थि पुरेक्खडा असंखेज्जा | १२६ सव्वट्टसिद्धगदेवाणं भंते ! णेरइयत्ते केवतिया दव्वेंदिया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया बद्धेललगा ? णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? णत्थि । एवं मणूसवज्जं जाव वेज्जगदेवत्ते ॥ १३० मणूसत्ते अतीता अनंता । बद्धेललगा णत्थि । पुरेक्खडा संखेज्जा | १३१. विजय - वेजयंत- जयंत अपराजियदेव त्ते केवतिया दव्वदिया अतीता ? संखेज्जा । केवतिया बद्धेललगा ? णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? णत्थि || १. x (ख, घ) 1 Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ पण्णवणासुत्तं १३२. सव्व सिद्धगदेवाणं भंते ! सव्वदसिद्धगदेवत्ते केवतिया दविदिया अतीता ? णत्थि । केवतिया बद्धेल्लगा ? संखेज्जा । केवतिया पुरेक्खडा ? पत्थि ।। भाविदिय-पदं १३३. कति णं भंते ! भाविदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पच भाविदिया पणत्ता, तं जहा-सोइंदिए जाव फासिदिए । १३४. जेरइयाणं भंते ! कति भाविदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच भाविदिया पण्णत्ता, तं जहा -सोइंदिए जाव फासें दिए । एवं जस्स जति इंदिया तस्स तति' भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं ॥ १३५ एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स केवतिया भावि दिया अतीता? गोयमा ! अणंता । केवतिया बद्धेल्लगा ? पंच । केवतिया पुरेक्खडा ? पंच वा दस वा एक्कारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ।। १३६. एवं असुरकुमारस्स वि, णवरं पुरेक्खडा पंच वा छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं जाव थणियकुमारस्स ।। १३७. एवं पुढविकाइय-आउकाय-वणरसकाइयस्स वि, बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियस्स वि तेउक्काइय-वा उक्काइयस्स वि एवं चेव, णवरं–पुरेक्खडा छ वा सत्त वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ।। १३८. पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स जाव ईसाणस्स जहा असुरकुमारस्स, णवरं-- मणसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्थित्ति भाणियव्वं । सणंकुमार जाव गेवेज्जगस्स जहा जेरइयस्स ।। १३९. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवस्स अतीता अणंता। बद्धलगा पंच । पुरेक्खडा पंच वा दस वा पण्णरस वा संखेज्जा वा' । सबट्ठसिद्धगदेवस्स अतीता अणंता। बदल्लगा पंच । केवतिया पुरेक्खडा ? पंच ॥ १४०. णेरइयाणं भंते ! केवतिया भाविदिया अतीता ? गोयमा ! अणता। केवतिया बद्धेल्लगा? असंखेज्जा। केवतिया पुरेक्खडा ? अणंता । एवं जहा दविदिए सु पोहत्तेणं दंडओ भणिओ तहा भाविदिएसु वि पोहत्तेणं दंडओ भाणियव्वो, णवरंवणप्फइकाइयाणं बद्धेल्लगा वि अणंता ।। १४१. एगमेगस्स णं भंते ! गेरइयस्स णेरइयत्ते केवतिया भाविदिया अतीता? गोयमा ! अणंता। बद्धेल्लगा पंच । पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्यि, जस्सत्थि पंच वा दस वा पण्णरस वा संखज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं असुरकुमारत्ते' जाव थणियकुमारत्ते', णवरंबद्धलगा णत्थि ॥ १४२. पुढविक्काइयत्ते जाव बेइंदियत्ते जहा दविदिया। तेइंदियत्ते तहेव, णवरंपरेक्खडा तिणि वा छ वा णव वा संखेज्जा वा असंखज्जा वा अणंता वा । एवं चरिंदियत्ते १. तत्तिया (ग,घ)। २. वा असंखेज्जा (घ)। ३. असुरकुमाराणं (क,घ)। ४. थणियकुमाराणं (क,घ) । Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनरसमं इंदियपयं २०५ वि णवरं - पुरेक्खडा चत्तारि वा अटु वा बारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा ॥ १४३. एवं एते चैव गमा चत्तारि णेयव्वा जे चेव दव्विदिए । नवरं - तइयग मे जाणिवा जस्स जइ इंदिया ते पुरेक्खडेसु मुणेयव्वा । चउत्थगमे जहेव दव्वें दिया जाव सवसिद्धगदेवाणं सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते केवतिया भाविदिया अतीता ? गत्थि । बद्धेल्लगा संखेज्जा | पुरेक्खडा णत्थि ॥ Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पओगपयं आगभेय-पदं १. कइविहे णं भंते! पओगे पण्णत्ते ? गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा -- सच्च मणप्पओगे, मोसमणप्पओगे, सच्चामोसमणप्पओगे, असच्चामोसमणप्पओगे, एक वइप्पओगे वि चउहा, ओरालियस रीरकायप्पओगे ओरालियमीससरीरकाय पओगे वे उव्वियसरी रकायप्पओगे वेउब्वियमीससरीरकायप्पओगे आहारगमीससरीरकायप्पओगे' कम्मासरीरकायप्पओगे || आहारगसरीरकायप्पओगे' जीवेसु ओहेणं पओग-पदं २. जीवाणं भंते ! कतिविहे पओगे पण्णत्ते ? गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा --- सच्च मणप्पओगे जाव कम्मासरीरकायप्पओगे | चवीसदंडएस आहेणं पआग-पर्व ३. रइयाणं भंते ! कतिविहे पओगे पण्णत्ते ? गोयमा ? ! एक्कारसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा - सच्चमणप्पओगे जाव असच्चामोसवइप्पओगे वेउब्वियसरीरकायप्पओगे वे उव्वियमीससरी रकायप्पओगे कम्मासरीरकायप्पओगे । एवं असुरकुमाराण वि जाव श्रयिकुमाराणं ॥ ४. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! तिविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा - ओरालियसरीरकायप्पओगे ओरालियमीससरीरकायप्पओगे कम्मासरीरकायप्पओगे | एवं जाव वणप्फइकाइयाणं, णवरं - ५. बाउकाड्यानं पंचविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा ओरालि यसरीरकायप्पओगे ओरालियमी ससरीरकायप्पओगे वेउब्विए दुविहे कम्मासरीरकायप्पओगे य ॥ ६. इंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! चउव्विहे पओगे पण्णत्ते. तं जहा - असच्चामोसवइप्पओगे ओरालियसरीरकायप्पओगे ओरालियमीससरीरकायप्पओगे कम्मासरीरकायप्पओगे । एवं जाव चउरिदियाणं ॥ ७. पंचेंदियतिरिवखजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! ते रसविहे पओगे पण्णत्ते, तं जहासच्च मणप्पओगे मोसमणप्पओगे सच्चामोसमणप्पओगे असच्चामोसमणप्पओगे, एवं वइप्पओगे वि, ओरालियसरीरकायप्पओगे ओरालियमीससरीरकायप्पओगे वेउव्विय१. आहारस (घ ) | २. आहारमी (घ ) | २०६ Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पयोगपयं २०७ सरीरकायप्पओगे वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगे कम्मासरीरकायप्पओगे। ८. मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! पण्णरस विहे पओगे पण्णत्ते, तं जहा- सच्चमणप्पओगे जाव कम्मासरीरकायप्पओगे।। __.. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियाणं जहा रइयाणं ॥ जीवेसु विभागेणं पओग-पदं १०. जीवा णं भंते ! किं सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मासरीरकायप्पओगी ? गोयमा ! जीवा सम्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पओगी वि जाव वेउन्वियमीससरीरकायप्पओगी वि कम्मासरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पयोगी य ३ अवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पओगिणो य ४ चउभंगो, अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओरिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य-एए जीवाणं अट्ठ भंगा ॥ चउवीसदंडएसु विभागणं पओग-पदं ११. रइया णं भंते ! कि सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मासरीरकायप्पओगी? गोयमा ! जेरइया सव्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पयोगी वि जाव वेउब्वियमीसासरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ । एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा॥ १२. पुढविकाइया णं भंते ! किं ओरालियसरीरकायप्पओगी ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी' कम्मासरीरकायप्पओगी? गोयमा ! पुढविकाइया णं ओरालियसरीरकायप्पओगी वि ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी वि कम्मासरीरकायप्पओगी वि। एवं जाव वणप्फतिकाइयाणं, णवरं-वाउक्काइया वेउब्वियसरीरकायप्पओगी वि वेउब्वियमीसासरीरकायप्पओगी वि ।। १३. बेइंदिया णं भंते ! किं ओरालियसरीरकायप्पओगी' जाव कम्मासरीरकायप्पओगी? गोयमा ! बेइंदिया सव्वे वि ताव होज्जा असच्चामोसवइप्पओगी वि ओरालियसरीरकायप्पओगी वि ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगी य १ अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २। एवं जाव चउरिदिया ।। १४. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा जेरइया, णवरं-ओरालियसरीरकायप्पओगी वि ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे य क.म्मासरीरकायप्पपोगी य १ अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २॥ १५. मणूसा णं भंते ! कि सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मासरीरकायप्पओगी ? गोयमा ! मणूसा सव्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पओगी वि जाव ओरालियसरीरकायप्पओगी वि वेउब्वियसरीरकायप्पओगी वि वे उब्वियमीसासरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे १. मीस' (क,घ)। २,३. 'पओगी वि (क,घ) Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ पण्णवणासुतं य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगो य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरका ओगिण य २ अहवेगे य आहारगसरीरखायप्पओगी य ३ अवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य आहारगमीसासरीवायप्पओगी य ५ अहवेगे य आहारगमीसासरी रकायप्पओगिणो य ३ अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य कम्मगसरीकायप्पओगिणो य ८ एते अट्ट भंगा पत्तेयं । अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरी र कायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओमिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरी रकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणी य ४- एवं एते चत्तारि भंगा। अवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य १ अवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे ओरालियमीसासरीरकायमप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरी रकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ४ - चत्तारि भंगा | अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरी रकायपओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४- - एते चत्तारि भंगा | अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीससरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरी र कायप्पओगिणो य आहारगमी सासरीरकायप्पओगी य ३ अह्वेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमी सासरीरकायप्पओगिणो य ४ - चत्तारि भंगा। अवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी कम्मगसरीरकायप्पओगी य १ अवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरी र कायप्पओगिणो य ४ - चउरो भंगा । अहवेगे य आहारगमीसगसरी रकायप्पओगी य कम्मगसरीरका यप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगमीस गसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्भगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य ४ – चत्तारि भंगा। एवं चउवीसं भंगा । य अहवेगे' य ओरालियम सगसरी रकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी आहारगमी सासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमोसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य १. महवा एगे (म) सर्वत्र । Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पओगपयं २०६ ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगीय 3 अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरका. यप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ५ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ८-एते अट्ट भंगा। अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगी' य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगिणोय ४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणोय आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगी य ५ अवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्प ओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ८-एते अट्ठ भंगा। अहवेगे य ओरालियमीसासरीकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहागमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य ५ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ८-एते अट्ठ भंगा। अहवेगे' य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसा१. कम्मा (ग); कम्म° (घ)। २. अहवेते (क,ख) सर्वत्र। Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० पण्णवणासुत्तं सरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य आहागसरीरकायप्प ओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य ५ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ८ एवं एते तियसंजोएणं चत्तारि अटुभंगा। सब्वे वि मिलिया बत्तीसं भंगा जाणियव्वा। अहवेगे य ओरालिय मीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणोय २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य ५ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसारीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ८ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगीय कम्मासरीरकायप्पओगी यह अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १० अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ११ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १२ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य १५ अहवेगे १. भाणियब्वा (क)। Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पओगपयं २११ य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य१६-एवं एते चउसंजोएणं सोलस भंगा भवंति । सव्वे वि य णं संपिडिया असीति भंगा भवंति ८० ॥ १६. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ गइप्पवाय-पदं १७. कतिविहे णं भंते ! गइप्पवाए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे' पण्णत्ते, तं जहापओगगती ततगती बंधणच्छेदणगती उववायगती विहायगती ॥ पओगगइ-पदं १८. से कि तं पओगगती ? पओगगती पण्ण रसविहा पण्णत्ता, तं जहा-सच्चमणप्पओगगती एवं जहा पओगे भणिओ तहा एसा वि भाणियव्वा जाव कम्मगसरीरकायप्पओगगती ।। १६. जीवाणं भंते ! कतिविहा पओगगती पण्णत्ता ? गोयमा ! पण्ण रसविहा पण्णता, तं जहा-सच्चमणप्पओगगती जाव कम्मासरीरकायप्पओगगती।। २०. जरइयाणं भंते ! कति विहा पओगगती पण्णत्ता ? गोयमा ! एक्कारसविहा पण्णता, तं जहा- सच्चमणप्पओगगती एवं उवउज्जिऊण' जस्स जतिविहा तस्स ततिविहा भाणितव्वा जाव वेमाणियाणं ।। २१. जीवा णं भंते ! किं सच्चमणप्पओगगती जाव कम्मगसरीरकायप्पओगगती ? गोयमा ! जीवा सव्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पओगगती वि, एवं तं चेव पुन्ववण्णिय भाणियवं. भंगा तहेव जाव वेमाणियाणं । से तं पओगगती ।। ततगइ-पदं २२. से किं तं ततगती ? ततगती-जेणं जं गाम वा जाव' सण्णिवेसं वा संपद्रिते असंपत्ते अंतरापहे वट्टति । से तं ततगती ।। बंधणच्छेदणगइ पदं २३. से किं तं बंधणच्छेदणगती ? बंधणच्छेदणगती-जेणं जीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवाओ। सेत्तं बंधणच्छेदणगती ।। उववायगइ-पदं २४. से किं तं उववायगती ? उववायगती तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-खेत्तोववायगती भवोववायगती णोभवोववायगती॥ २५. से किं तं खेत्तोववायगती? खेत्तोववायगती पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-- णेरइयखेत्तोववायगती तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती मणूसखेत्तोववायगती देवखेत्तोववायगतो सिद्धखेत्तोववायगती ।। २६. से किं तं रइयखेत्तोववायगती? जेरइयखेत्तोववायगती सत्तविहा पण्णत्ता, तं १. असीइ (क,ग) : असीती (ख,घ)। २. पंचविहे गइप्पवाए (क,ग); पंचविहे गइप्पा- वाए (घ)। ३. उववज्जिऊण (क,ख,ग); उववेज्जिऊण (ग)। ४. पुव्वभणियं (ख) ! Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ पण्णवणासुत्तं जहा- रयणप्पभापुढविणेरइयखेत्तोववायगती जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयखेत्तोववायगती। से तं णेरइयखेत्तोववायगती ।। २७. से कि तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती? तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती। से तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती॥ २८. से किं तं मणूसखेत्तोववायगती? मणूसखेत्तोववायगती दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--- सम्मुच्छिममणूसखेत्तोववायगती गब्भवक्कंतियमणूसखेत्तोक्वायगती। से तं मणूसखेत्तोववायगती ॥ २६. से किं तं देवखेत्तोववायगती ? देवखेत्तोववायगती चउन्विहा पण्णत्ता, तं जहाभवणव इदेवखेत्तोववायगती जाव वेमाणियदेवखेत्तोववायगती । से तं देवखेत्तोववायगती ।। ३०. से कि तं सिद्धखेत्तोववायगती ? सिद्धखेत्तोववायगती अणेगविहा पण्णता, तं जहा-जंबहीवे दीवे भरहेरवयवाससपक्खि सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती. जंबडीवे दीवे चुल्लहिमवंत-सिहरिवासहरपव्वयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हेमवय' हेरण्णवयवाससपक्खि' सपडिदिसि सिद्धखेतोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे सद्दावतिवियडावतिवट्टवेयड्ढसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे महाहिमवंतरुप्पिवासहरपव्वयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हरिवास-रम्मगवाससपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे गंधावति-मालवंतपरियायवट्टवेयडढसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे णिसढ-णीलवंतवासहरपव्वयसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे पुब्धविदेह-अवरविदेहसपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे देवकुरूत्तरकुरुसपक्खि सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स सपक्खि सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, लवणसमुद्दे सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, धायइसंडे दीवे पुरिमद्धपच्छिमद्धमंदरपब्वयस्स सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोक्वायगती, कालोयसमुद्दे सपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, पुक्खरवरदीवड्डपुरिमड्डभरहेरवयवाससपक्खि सपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, एवं जाव पुक्खरवरदीवड्डपच्छिमड्डमंदरपव्वयसपक्खि सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती । से तं सिद्धखेत्तोववायगती। से तं खेत्तोववायगती॥ ३१. से कि तं भवोववायगती ? भवोववायगती चउन्विहा पण्णत्ता, तं जहा-नेरइयभवोववायगती जाव देवभवोववायगती ।। 20.से किं तं णेरडयभवोववायगती ? णेरइयभवोववायगती सत्तविहा पण्णत्ता.तं जहा--एवं सिद्धवज्जो भेओ भाणियव्वो, जो चेव खेत्तोववायगतीए सो चेव भवोववायगतीए। से तं भवोववायगती ।। ३३. से किं तं गोभवोववायगती ? णोभवोववायगती दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--- पोग्गलणोभवोववाय गती य सिद्धणोभवोववायगती य॥ ३४. से किं तं पोग्गलणोभवोववायगती ? पोग्गलणोभवोववायगती जण्णं परमाणु१. हिमवंत (ख)। २. हिरण्णवास (क,ख,घ); एरष्णवय (ग) । Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पओगपयं २१३ पोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ पच्चथिमिल्लं' चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, पच्चथिमिल्लाओ वा चरिमंताओ पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, दाहिणिल्लाओ वा चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं, उवरिल्लाओ हेढिल्लं, हेट्ठिल्लाओ वा उवरिल्लं । से तं पोग्गलणोभवोववायगती ॥ ३५. से कि तं सिद्धणोभवोववायगती ? सिद्धणोभवोववायगती दुविहा पण्णत्ता, तं जहाअणंतरसिद्धणोभवोववायगती य परंपरसिद्धणोभवोववायगती य ।। ३६. से किं तं अणंतरसिद्धणोभवोववायगती ? अणंतरसिद्धणोभवोववायगती पन्नरस विहा पण्णता, तं जहा–तित्थसिद्धअणंतरसिद्धणोभवोववायगती' य जाव अणेगसिद्धणोभवोववायगती' य [से तं अणंतरसिद्धणोभवोववायगती ?] ३७. से किं तं परंपरसिद्धणोभवोववायगती? परंपरसिद्धणोभवोववायगती अणेगविज्ञा पण्णत्ता, तं जहा—अपढमसमयसिद्धणोभवोववायगती एवं दुसमयसिद्धणोभवोववायगती जाव अणंतसमयसिद्धणोभवोववायगतो । से तं परंपरसिद्धणोभवोववायगती । से तं सिद्धणोभवोववायगती। से तं णोभवोववायगती। से तं उववायगती।। विहायगति-पदं ३८. से किं तं विहायगती ? विहायगती सत्तरस विहा पण्णत्ता, तं जहा—फुसमाणगती अफुसमाणगती उवसंपज्जमाणगती अणुवसंपज्जमाणगती पोग्गलगती मंड्यगती णावागती णयगती छायागती छायाणुवायगती लेसागती लेस्साणुवायगती उद्दिम्सपविभत्तगती' चउपूरिसपविभत्तगती वंकगती पंकगती बंधणविमोयणगती। ३६. से किं तं फुसमाणगती ? फुसमाणगती-जण्णं परमाणुपोग्गले दुपदेसिय जाव अणंतपदेसियाणं खंधाणं अण्णमण्णं फुसित्ता णं गती पवत्तइ । से तं फुसमाणगती। ४०. से किं तं अफुसमाणगती ? अफुसमाणगती-जण्णं एतेसिं चेव अफुसित्ता णं गती पवत्तइ । से त्तं अफुसमाणगती॥ ४१. से किं तं उवसंपज्जमाणगती? उवसंपज्जमाणगती-जण्णं रायं वा जुवरायं वा ईसरं वा तलवरं वा माडंबियं वा कोडुबियं वा इब्भं वा सेट्टि वा सेणावई वा सत्यवाहं वा उवसंपज्जित्ता णं गच्छति । से तं उवसंपज्जमाणगती॥ ४२. से किं तं अणुवसंपज्जमाणगती ? अणुवसंपज्जमाणगती-जण्णं एतेसिं चेव अण्णमण्णं अणवसंपज्जित्ता णं गच्छति । से तं अणवसंपज्जमाणगती ।। ४३. से किं तं पोग्गलगती ? पोग्गलगती-जण्णं परमाणुपोग्गलाणं जाव' अणंतपएसियाणं खंधाणं गती पवत्तति । से तं पोग्गलगती। उद्दिसिय १. पच्छिमिल्लं (पु)। २. 'अणंतरणो° (ख,ग,घ) ! ३. अस्मिन् पदे 'अणंतरसिद्ध' इति पदं नोल्लि- खितमस्ति । किन्तु पूर्वक्रमेण युज्यते। अग्रिम- सूत्रे 'परंपरसिद्ध' पदस्यापि एषैव स्थिति- रस्ति । ४. उद्दिसियविभत्त' (क,ख,घ); पविभत्त' (ग)। ५ चउपुरिसविभत्त (ख,घ)। ६. बंधणमोयण (ग)। ७. सिद्धिं (घ)। Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ पण्णवणासुतं ___४४. से कि तं मंडूयगती ? मंडूयगती-जण्णं मंडूए उप्फिडिया-उप्फिडिया गच्छति । से तं मंड्यगती॥ ४५. से कि तं णावागती ? गावागती-जण्णं णावा पुववेयालीओ दाहिणवेयालि जलपहेणं गच्छति, दाहिणवेयालीओ वा अवरवेयालि जलपहेणं गच्छति । से तंणावागती। ४६. से किं तं णयगती ? णयगती-जण्णं णेगम-संगह-ववहार-उज्जुसुय-सद्दसमभिरूढ-एवंभूयाणं णयाणं जा गती, अहवा सव्वणया वि जं इच्छंति । से तं णयगती।। ४७. से किं तं छायागती? छायागती जण्णं यच्छायं वा गयच्छायं वा नरच्छायं वा किन्नरच्छायं वा महोरगच्छायं वा गंधव्वच्छायं वा उसहच्छायं वा रहच्छायं वा छत्तच्छायं वा उवसंपज्जित्ताणं गच्छति । से तं छायागती।। ४८. से किं तं छायाणुवायगती ? छायाणुवायगतो --जगणं पुरिसं छाया अणुगच्छति णो पुरिसे छायं अणुगच्छति । से तं छायाणुवायगती ।। ४६. से कि तं लेस्सागती ? लेस्सागती-जण्णं कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवं गीललेस्सा काउलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए परिणमति । एवं काउलेस्सा वि तेउलेस्सं, तेउलेस्सा वि पम्हलेस्सं, पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए परिणमति । से तं लेस्सागती ॥ ५०. से किं तं लेस्साणुवायगती ? लेस्साणवायगती-जल्लेस्साई दवाई परियाइत्ता कालं करेति तल्लेस्सेसु उबवज्जति, तं जहा कण्हलेस्सेसु वा जाव सुक्कलेस्सेसु वा ! से तं लेस्साणुवायगती।। ५१. से कि तं उद्दिस्सपविभत्तगती ? उद्दिस्सपविभत्तगती-जेणं आयरिय' वा उवज्झायं वा थेरं वा पवत्ति वा गणि वा गणहरं वा गणावच्छेइयं वा उद्दिसिय-उद्दिसिय गच्छति । से तं उहिस्सपविभत्तगती। ५२. से कि तं चउपुरिसपविभत्तगती ? च उपुरिसपविभत्तगती से जहाणामए--- चत्तारि पुरिसा 'समगं पट्टिता समगं पज्जुवट्टिया समगं पट्ठिया विसमं पज्जुवट्ठिया विसमं पटिया समगं पज्जुवट्ठिया विसमं पट्ठिया विसमं पज्जुवट्ठिया"। से तं चउपुरिसपविभत्तगती ।। ५३. से किं तं वंकगती? वंकगती चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-घट्टणया थंभणया लेसणया पवडणया। से तं वंकगती ।। ५४. से किं तं पंकगती ? पंकगती से जहाणामए-केइ पुरिसे सेयंसि वा पंकसि वा १. उदिसियवि (ख,घ); उद्दिसियपवि॰ (ग) । २. आयरितं (क)। ३. उद्दिसियपवि (क,ग); उद्दिसियवि पट्ठिया' (ख,घ), 'ग' प्रतौ सर्वत्र पज्जुवट्ठिया' दश्यते । मुनिपुण्यविजयजी सम्पादिते प्रज्ञापनासूत्र मुद्रित वृत्तौ च चतुर्वपिस्थानेषु "पज्जवट्ठिया' इति पदं दृश्यते। हस्तलिखितवृत्ती 'पज्जुब ट्ठिया इति पदं लभ्यते। ५. से इंशि (क,ग) x (ख,घ)। ४. समग पज्जवटिया समर्ग पट्ठिया, विसम पज्जवट्ठिया विसमं पट्ठिया, समगं पज्जवट्ठिया, विसमं पट्टिया समं पज्जवटिया समं Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं पओगपयं २१५ उदयंसि वा कायं उब्बहिया' गच्छति । से तं पंकगती॥ ५५. से कि तंबंधणविमोयणगती? बंधणविमोयणगती-जण्णं अंबाण' वा अंबाडगाण' वा माउलुंगाण' वा विल्लाण वा कविट्ठाण वा भव्वाण' वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडाण' वा चाराण' वा बोराण वा तिदुयाण वा पक्काणं परियागयाणं बंधणाओ विप्पमुक्काणं णिव्वाघाएणं अहे वीससाए गती पवत्तइ । से तं बंधणविमोयणगती। से तं विहायगती। से तं गइप्पवाए ।। १. उविहता (क); उव्विहिया (ख,ग,घ) । २. अंबाणगं (क)। ३. अंबाडाण (ख,घ)। ४. मातुलिंगाण (ग) ! ५. भवाण (क); भद्दाण (ख); भल्लाण (पु)। ६. अखोलाण (क); अक्खेलोण (ख); अक्खे लाण (ग,घ)। ७. चोराण (क); वाराण (ख,घ) ! ८. तंदुयाण (क); तिंडुयाण (ग)। Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं लेस्सापयं पढमो उद्देसओ गाहा १ आहार सम सरीरा, उस्सासे २ कम्म ३ वण्ण ४ ५ समवेदण ६ समकिरिया, ७ समाउया चेव बोधव्वा ॥१॥ नेरइएसु समाहारादि-पदं १.णेरइया णं भंते ! सब्वे समाहारा सव्वे समसरीरा सव्वे समुस्सासणिस्सा ? गोयमा ! णो इणठे समठे ।। २. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति -- जेरइया णो सव्वे समाहारा जाव 'णो सव्वे'२ समुस्सासणिस्सासा ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–महासरीरा य अप्पसरीरा य । तत्थ णं जेते महासरीरा ते णं वहुत राए पोग्गले आहारेंति वहुतराए पोग्गले परिणामेंति वहुतराए पोग्गले ऊससंति' बहुतराए पोग्गले णीससंति, अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामें ति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं णीससंति । तत्थ णं जेते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहरेंति अप्पतराए पोग्गले परिणामें ति अप्पतराए पोग्गले ऊससंति अप्पतराए पोग्गले णीससंति. आहच्च आहारति आढच्च परिणामेंति आबच्च ऊससंति आहच्च णीससंति । से तेणोणं' गोयमा ! एवं बुच्चइ-जेरइया णो सव्वे समाहारा णो सव्वे समसरीरा णो सव्वे समुस्सासणीसासा॥ ३. णेरइया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ? गोयमा ! णो इणठे समठे।।। ४. से केण?णं भंते ! एवं बुच्चति–णेरइया णो सव्वे समकम्मा ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुबोबवण्णगा य पच्छोववण्णगा य । तत्थ णं जेते पव्वोववण्णगा ते णं अप्पकम्मतरागा । तत्थ णं जेते पच्छोववण्णगा ते णं महाकम्मतरागा। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चति--णेरइया णो सव्वे समकम्मा ।।। ५. गेरइया णं भंते ! सव्वे समवण्णा ? गोयमा ! णो इणढे समझें ॥ ६. से केणढणं भंते ! एवं वुच्चति णेरइया णो सव्वे समवण्णा ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुवोववण्णगा य पच्छोववण्णगा य । तत्थ णं जेते पुवोववण्णगा १. लेसासु (क)। ३. उस्ससंति (ग)। २. सब्वे नो (क,ख,घ)। ४. एणट्टेणं (क,ग)। २१६ Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापयं ते णं विसुद्धवण्णतरागा । तत्थ णं जेते पच्छोववण्णगा ते णं अविसद्धवण्णतरागा। से तेणठेणं' गोयमा ! एवं वुच्चति-णेरइया णो सव्वे समवण्णा ।। ७. एवं जहेव वण्णेण भणिया तहेव लेस्सासु वि विसुद्धलेस्सत रागा अविसुद्धलेस्सतरागाय भाणियव्वा ॥ ८. णेरइया गं भंते ! सव्वे समवेदणा? गोयमा ! णो इणठे समठे। ६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-णेरइया णो सव्वे समवेदणा? गोयमा ! रइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सण्णिभूया य असण्णिभूया य । तत्थ गं जेते सम्णिभूया ते णं महावेदणतरागा। तत्थ णं जेते असण्णिभूया ते णं अप्पवेदणतरागा। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति–नेरइया णो सव्वे समवेदणा ।। १०. णेरइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! णो इणठे समझें ॥ ११. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-णेरइया णो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! णेरइया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा–सम्मद्दिट्टी मिच्छद्दिट्ठी सम्मामिच्छद्दिट्ठी। तत्थ णं जेते सम्मट्टिी तेसिणं चत्तारि किरियाओ कजंति, तं जहा-~आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया। तत्थ णं जेते मिच्छद्दिट्ठी जे य' सम्मामिच्छट्टिी तेसि णं णियतियाओ पंच किरियाओ कज्जति, तं जहा-आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चतिणेरइया णो सव्वे समकिरिया ॥ १२. णेरइया णं भंते ! सव्वे समाउया ? गोयमा ! णो इणठे समलैं॥ १३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ? गोयमा ! रइया चउबिहा पण्णत्ता, तं जहा–अत्थेगइया समाउया समोववण्णगा अत्थेगइया समाउया विसमोववण्णमा अत्थेगइया विसमाउया समोववण्णगा अत्थेगइया विसमाउया विसमोववण्णगा । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–णेरइया णो सव्वे समाउया णो सब्वे समोववण्णगा। भवणवासिसु समाहारादि-पदं १४. असुरकुमारा गं भंते ! सव्वे समाहारा ? स चेव पुच्छा । गोयमा ! णो इणढे समठे, जहा' रइया ॥ १५. असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समकम्मा ? गोयमा ! णो इणठे समठे। १६. से केण→णं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुन्वोववण्णगा य पच्छोववण्णगा य । तत्थ णं जेते पुन्वोववण्णगा ते णं महाकम्मतरागा ! तत्थ णं जेते पच्छोववण्णगा ते णं अप्पकम्मतरागा। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वच्चति-असुरकुमारा णो सव्वे समकम्मा ॥ १७. एवं वण्ण-लेस्साए पुच्छा । तत्थ णं जेते पुव्वोववण्णगा ते गं अविसुद्धवण्णतरागा। तत्थ णं जेते पच्छोववण्णगा ते णं विसुद्धवण्णत रागा। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति - १. एएणठेणं (घ)। २. X (क,ख,ग,ध)। ३. णिवतिताओ (क); नियनियाओ (ख,घ), नियताओ (ग)। ४.५० १७१,२। Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ पण्णवणासुत्त असुर कुमारा णो सब्वे समवण्णा । एवं लेस्साए वि । वेदणाए जहाणेरइया । अवसेसं जहा' णेरइया । एवं जाव थणियकुमारा ॥ एगिदिय-विलिदिएसु समाहारादि-पदं १८. पुढविक्काइया आहार-कम्म-वण्णा-लेर साहिं जहा' णेरइया ।। १६. पुढविक्काइया णं भंते ! सवे समवेदणा ? हंता गोयमा ! सव्वे समवेदणा ।। २०. से केणठेणं भंते ! एवं बच्चति ? गोयमा ! पुढविक्काइया सव्वे असण्णी असण्णीभूयं अणिययं वेदणं वेति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ -पुढविक्काइया सव्वे समवेदणा ।। २१. पुढविक्काइया णं भते ! सव्वे समकिरिया ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइया सव्वे समकिरिया । २२. से केणठेणं ? गोयमा ! पुढविक्काइया सव्वे माइमिच्छविट्ठी, तेसि यतियाओ पंच किरियाओ कज्जति, तं जहा----आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया । एवं जाव चरिदिया ।। पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु समाहारदि-पदं । २३. पंचिदियतिरिक्ख जोणिया जहा जेरइया, शवरं-किरियाहि सम्मट्टिी मिच्छट्टिी सम्मामिच्छद्दिट्ठी । तत्थ णं जेते सम्म दिट्टी ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा----- असंजया य संजयासंजया य। तत्थ णं जेते संजयासंजया तेसि णं तिणि किरियाओ कजंति, तं जहा--आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया । तत्थ णं जेते असंजया तेसि णं चत्तारि किरियाओ कज्जति, तं जहा ---आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया । तत्थ णं जेते मिच्छद्दिट्ठी जे य सम्मामिच्छद्दिट्टी तेसि णं णियतियाओ पंच किरियाओ कज्जति, तं जहा ---आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया । सेसं तं चेव ।। मणुस्सेसु समाहारादि-पदं २४. मणूसाणं भंते ! सव्वे समाहारा ? गोयमा ! णो इणठे समठे ।। २५. से केणठेणं ? गोयमा ! मणूसा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- महासरीरा य अप्पसरीरा य । तत्थ णं जेते महासरीरा ते णं बहुतराए पोग्गले आहारेंति जाव बहुतराए पोग्गले णीससंति, आहच्च आहारेति जाव आहच्च णीससंति । तत्थ णं जेते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारेंति जाव अप्पतराए पोग्गले णीससंति, अभिक्खणं आहारेति जाव अभिक्खणं नीससंति । से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चति- मणूसा णो सवे समाहारा । सेसं जहाणेरइयाणं, गवरं --किरियाहि मणूसा तिविहा पणत्ता, तं जहा-. १. १० १७१८,६। २. प० १७११०-१३। ३. प० १७११-७ । ४.४ (ख) 1 ५. प० १७११-१३ ॥ ६. इणमठे (क); तिणळे (ख,घ)। ७. प० १७१२ 1 ८. x (ख,ग,घ)। ६.१० ११२-१३। Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतरसम लेस्सापयं २१६ सम्महिदी मिच्छट्टिी सम्मामिच्छट्टिी । तत्थ णं जे ते सम्माहिटी ते तिविहा पण्णता, तं जहा-~-संजया असंजया संजयासंजया । तत्थ णं जेते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- सरागसंजयां य वीतरागसंजया य । तत्थ णं जेते वीतरागसंजया ते णं अकिरिया। तत्थ णं जेते सरागसंजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--- पमत्तसंजया य अपमत्तसंजया य । तत्थ णं जेते अपमत्तसंजया तेसि एगा मायावत्तिया किरिया कज्जति, तत्थ णं जेते पमत्तसंजया तेसि दो किरियाओ कज्जति, तं जहा- आरंभिया मायावत्तिया य । तत्थ णं जेते संजयासंजया तेसिं तिण्णि किरियाओ कज्जति, तं जहा---आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया । तत्थ णं जेते असंजया तेसिं चत्तारि किरियाओ कज्जति, तं जहा--आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया । तत्थ णं जेते मिच्छद्दिट्ठी जे य सम्मामिच्छद्दिट्ठी तेसि णेयतियाओ पंच किरियाओ कज्जंति, तं जहा --आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया । सेसं जहा'रइयाणं ।। वाणमंतराइसु समाहारादि-पदं २६. बाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं ।। २७. एवं जोइसिय-वेमाणियाण वि, णवरं - ते वेदणाए दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- माइमिच्छट्ठिी उववण्णमा य अमाइसम्मद्दिट्ठी उववण्णगा य । तत्थ णं जेते माइमिच्छद्दिष्ट्रिउववण्णगा ते णं अप्पवेदणतरागा । तत्थ णं जेते अमाइसम्मद्दिट्ठिउववण्णगा ते णं महावेदणतरागा। से तेणळेण गोयमा ! एवं वुच्चइ–सेसं तहेव ।। लेस्सेसु चउवीसदंडएसु समाहारादि-पदं २८. सलेस्सा णं भंते ! जेरइया सव्वे समाहारा समसरीरा समुस्सासणिस्सासा ? स च्चेव पुच्छा । एवं जहा' ओहिओ गमओं तहा सलेस्सगमओ वि गिरवसेसो भाणियव्वो जाव वेमाणिया ॥ २६. कण्हलेस्सा णं भंते ! जेरइया सज्वे समाहारा समसरीरा समुस्सासणिस्सासा पुच्छा ! गोयमा ! जहा ओहिया, णवरं-गोरइया वेदणाए माइमिच्छद्दिटिउववण्णगा य अमाइसम्माहिट्ठिउववण्णगा य भाणियव्वा । सेसं तहेव जहा ओहियाणं ।। ३०. असुरकुमारा जाव वाणमंतरा एते जहा ओहिया, णवरं-मणूसाणं किरियाहिं विसेसो जाव तत्थ णं जेते सम्मट्ठिी ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा—संजया असंजया संजयासंजया य, जहा ओहियाणं । जोइसिय-वेमाणिया आइल्लिगासु तिसु लेस्सासु ण पुच्छिग्जंति ।। ३१. एवं जहा किण्हलेस्सा चारिया तहा णीललेस्सा वि चारियव्वा ।। ३२. काउलेस्सा गैरइएहितो आरब्भ जाव वाणमंतरा, णवरं--काउलेस्सा गैरइया वेदणाए जहा ओहिया ॥ १. प० १७११२,१३ । २. प० १७।१४-१७ । ३.५० १७४१-२७ । ४. गमओ भणिओ (पु)। ५. प० १७॥२५॥ ६. प० १७1८,६। Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० पग्णवणासुतं ३३. तेउलेस्साणं भंते ! असुरकुमाराणं ताओ चेव पुच्छाओ। गोयमा ! जहेव' ओहिया तहेव, णवरं-वेदणाए जहा' जोतिसिया। पुढवि-आउ-वणस्सइ-पंचेंदियतिरिक्खमणूसा जहा' ओहिया तहेव भाणियव्वा, णवरं-मणूसा किरियाहिं जे संजया ते पमत्ता य अपमत्ता य भाणियव्वा, सरागा वीयरागा णस्थि ।। ३४. वाणमंतरा तेउलेस्साए जहा असुरकुमारा एवं जोतिसिय-वेमाणिया वि । सेसं तं चेव ॥ ३५. एवं पम्हलेस्सा वि भाणियव्वा, णवरं-जेसिं अत्थि । सुक्कलेसा वि तहेव जेसि अस्थि । सव्वं तहेव जहा ओहियाणं गमओ, णवरं--पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साओ पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणूस-वैमाणियाणं चेव, ण सेसाणं ति ॥ बीओ उद्देसओ लेस्सा -पदं ३६. कति णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा- कण्हलेस्सा णीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्सा पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सा। चउवीसदंडएसु लेस्सापरूवण-पदं ३७. णेरइयाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! तिग्णि, तं जहा-- किण्हलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा ।। ३८ तिरिक्खजोणियाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! छल्लेस्साओ, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ।। ३६. एगिदियाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ, तं जहा--कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा ! ४०. पुढविक्काइयाणं भंते ! कति लेस्साओ? गोयमा! एवं चेव आउ-बणप्फतिकाइयाण वि एवं चेव । तेउ-वाउ-बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं जहा रइयाणं ।। ४१. पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेस्साओ-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। ४२. सम्मुच्छिपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहा णेरइयाणं ॥ ४३. गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेसाओ, तं जहा कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ।। ४४. तिरिक्खजोणिणीणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेस्साओ एताओ चेव ।। ४५. मणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेसाओ एताओ चेव ।। ३.१० १७११८-२५॥ १.५० १७:१४.१७ । २.५० १७२७॥ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतरसमं लेस्सापयं ४६. सम्मुच्छिम मणुस्साणं पुच्छा । गोयमा ! जहा रइयाणं ॥ ४७. गभवक्कतियमणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! छल्लेसाओ, तं जहा कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेसा ॥ ४८. मणुस्सीणं पुच्छा । गोयमा ! एवं चेव || ४६. देवाणं पुच्छा । गोयमा ! छ एताओ चैव ॥ ५०. देवीणं पुच्छा । गोयमा ! चत्तारि, तं जहा -- कण्हलेस्सा जाब तेउलेस्सा ॥ ५१. भवणवासीणं भंते! देवाणं पुच्छा। गोयमा ! एवं चेव । एवं भवणवासिणीण वि ॥ ५२. वाणमंतर देवाणं पुच्छा । गोयमा ! एवं चैव । एवं वाणमंतरीण वि ॥ ५३. जोइसियाणं पुच्छा । गोयमा ! एगा तेउलेस्सा । एवं जोइसिणीण वि ॥ ५४. वेमाणियाणं पुच्छा । गोयमा ! तिण्णि, तं जहा - तेउलेस्सा पम्हलेस्सा सुक्क २२१ लेस्सा ॥ ५५. वेमाणिणीणं पुच्छा । गोयमा ! एगा तेउलेसा || अप्पाबहुय-पदं ५६. एतेसि णं भंते ! सलेस्साणं जीवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं अलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, अलेस्सा अनंतगुणा, काउलेस्सा अनंतगुणा, गीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, सलेस्सा विसेसाहिया || ५७. एतेसि णं भंते! णेरइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा ! सव्वत्थोवा रइया कण्हलेस्सा, नीललेस्सा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा || ५८. एतेसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा, एवं जहा' ओहिया, णवरं - अलेस्सवज्जा' ॥ ५६. एतेसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा, काउलेस्सा अनंतगुणा, गीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ६०. एतेसि णं भंते ! पुढविक्काइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसा हिया वा ? गोयमा ! जहा ओहिया एगिदिया, गवरं - काउलेस्सा असंखेज्जगुणा । एवं आउक्कायइयाण वि || ६१. एतेसि णं भंते ! तेउक्काइयाणं कण्हलेस्साणं णीललेस्साणं काउलेस्साणं य नवरमलेश्यावर्जास्तिरश्चाम लेश्यानामसम्भ १. प० १७१५६ । २. अलेससले सवज्जा ( क, ख, ग, घ ) ; मलयगिरि - वृत्ती 'अलेश्यावर्जा:' इति पाठ: सम्मतोस्ति वात् । Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ - पण्णवणासुत्तं कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विरोसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा ते उक्काइया काउलेस्सा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एवं वाउक्काइयाण वि ।। ६२. एतेसि णं भंते ! वणप्फइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? जहा एगिदियओहियाणं बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा ते उक्काइयाणं ।। ६३. एतेसि णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाण, णवरं-काउलेस्सा असंखेज्जगुणा। सम्मूच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा तेउक्काइयाणं । गब्भवक्कतियपंचेदियतिरिक्खजोणियाण जहा ओहियाण तिरिक्खजोणियाणं, णवरं-काउलेस्सा संखेज्जगुणा । एवं तिरिक्खजोणिणीण वि।। ६४. एतेसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गब्भवतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया व तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा गमवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, काउलेस्सा संखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्सा सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया ॥ ६५. एतेसि णं भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! जहव' पंचमं तहा इमं पि छळं भाणियव्वं ॥ ६. एतेसि भंते ! गब्भवक्कंतियपंचें दियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण' य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्बत्थोवा गब्भवक्कतियपंचेदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, पम्हलेस्सा गब्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, पम्हलेस्साओ तिरिवखजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, तेउलेस्सा'० संखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ० संखेज्जगुणाओ, काउलेस्सा० संखेज्जगुणा, गीललेस्सा. विसेसाहिया, कण्हलेस्सा० विसेसाहिया, काउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, णीललेस्साओ० विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ० विसेसाहियाओ ।। ६७. एतेसि ण भंते ! सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो १. ५० १७१६४; इदं किल पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाधिकारे षष्ठं सूत्रमनन्तरोक्तं च पंचममत उक्तं जहेव पंचम तहा इमं छठें भाणियन्वं (मवृ)। २. 'गब्भववातियपंचेंदिय' इति पदांशः अध्या ३. तेउलेस्मा' इत्यादिपदानामये 'गब्भवतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाः' इति पदं गम्यमस्ति। एतत् सर्वत्रापि बोध्यम् । Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं लेस्सापयं अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतियपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा सुक्कलेस्साओ तिरिखखजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, पम्हलेस्सा गब्भवक्कुंतियपंचेदियतिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, पम्हलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, तेउलेस्सा गब्भवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोगिया संखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ तिरिवखजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, पीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, काउलेस्सा सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिवखजोगिया असंखेज्जगुणा, गीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ६८. एतेसि णं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोगिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, पहले सा संखेज्जगुणा, पम्हलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, काउलेस्साओ संखेज्जगुनाओ, नीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, पीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ६६. एतेसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोगिणीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! aa rai' अप्पा बहुगं तहा इमं पि, नवरं काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा । एवं एते दसअप्पा बहुगा तिरिक्खजोणियाणं ॥ ७०. एवं मणूसाणं पि अप्पाबहुगा भाणियव्वा, 'णवरं पच्छिमगं अप्पावहुगं णत्थि " ॥ ७१. एतेसि णं भंते ! देवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, पोललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा || ७२. एतासि णं भंते ! देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाओ देवीओ काउलेस्साओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ || १. 'सामान्यतः पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकतिर्यक्स्त्रीविषयं नवमम्' (मवृ)। २. नवरं पश्चिम दशममल्पबहुत्वं नास्ति, मनुष्याणामनन्तत्वाभावात्. तदभावे काउलेस्सा अनन्तगुणा इति पदासम्भवात् । २२३ ३. एतेसि (क, ख, ग, घ, पु ) एतत्पदं 'देवी' पदस्य विशेषणमस्ति अतः एतत् सम्यग् नास्ति । प्रवाहातिलेखनवृत्त्या अस्य प्रयोगो जातः ८२' सुत्रे 'एतासि' इति पदं लब्धमस्ति । तदस्ति समीचीनम् । Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ पण्णवणासुत्तं ७३. एते सि' णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे करेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, णील लेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, तेउलेस्सा देवा संखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ देवीओ संखेज्जगुणाओ ॥ ७४. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा भवणवासी देवा तेउलेस्सा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ७५. एतासि णं भंते ! भवणवासीणीणं देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! एवं चैव ॥ ७६. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा भवणवासी देवा तेउलेस्सा, भवणवासिणीओ तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, काउलेस्सा भवणवासी असंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ भवणवासिणीओ संखेज्जगुणाओ, नीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ || ७७. एवं वाणमंतराण विवि अप्पाबहुया जहेव भवणवासीणं तहेव भाणियव्वा ॥ ७८. एतेसि णं भंते! जोइसियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं कतरे कतरे हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जोइसियदेवा तेउलेस्सा, जोइसिणिदेवीओ तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ || ७६. एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा मणिया सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा ॥ ८०. • एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ वेमाणिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ || ८१. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण य देवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्योवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा; तेउलेस्सा भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्ज १. एवं एतेसि (क, ख, ग, घ ) । Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापयं २२५ गुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया; तेउलेस्सा वाणमंतरा देवा असंखेज्जगुणा, काउलेस्सा असंखेज्ज गुणा, गीललेस्सा विसेसाहिया, किण्हलेस्सा विसेसाहिया; तेउलेस्सा जोइसियदेवा संखेज्जगुणा ।। ८२. एतासि' णं भंते ! भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहिता अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा ! सव्वत्थोवाओ देवीओ वेमाणिणीओ तेउलेस्साओ; भवणवासिणीओ तेउलेस्साओ असंखेज्जगुणाओ, काउलेस्साओ असंखेज्ज गुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ; तेउलेस्साओ वाणमंतरीओ देवीओ असंखेज्जगणाओ, काउलेस्साओ असंखेज्जगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ; तेउलेस्साओ जोइसिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ! ८३. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं जाव वेमाणियाणं देवाण य देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ वेमाणिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ; तेउलेस्सा भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ भवणवासिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ, काउलेस्सा भवणवासी असंखेज्जगुणा, गीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ भवणवासिणीओ संखेज्जगुणाओ, णीललेसाओ विसेसाहियाओ. कण्हलेसाओ विसेसाहियाओः तेउलेस्सा वाणमंतरा असंखेज्जगणा. तेउलेस्साओ वाणमंतरीओ संखेज्जगुणाओ, काउलेस्सा वाणमंतरा असंखेज्जगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ वाणमंतरीओ संखेज्जगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ; तेउलेस्सा जोइसिया संखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ जोइसिणीओ संखेज्जगुणाओ॥ इड्डिअप्पाबहुय-पदं ८४. एतेसि णं भंते ! जीवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पिड्डिया' वा महिड्डिया' वा ? गोयमा ! कण्हलेस्सेहितो णीललेस्सा महिड्डिया, णीललेस्सेहितो काउलेस्सा महिड्डिया, एवं काउलेस्सेहितो तेउलेस्सा महिड्डिया, तेउलेस्सेहितो पम्हलेस्सा महिड्डिया, पम्हलेस्सेहितो सुक्कलेस्सा महिड्डिया । सव्वप्पिड्डिया' जीवा किण्हलेस्सा, सव्वमहिड्डिया जीवा सुक्कलेस्सा ॥ ८५. एतेसि णं भते ! जेरइयाणं कण्हलेसाणं णीललेस्साणं काउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पिड्डिया वा महिड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्सेहिंतो णीललेस्सा महिड्डिया, णीललेस्सेहितो काउलेस्सा महिड्डिया। सव्वप्पिड्डिया णेरइया कण्हलेस्सा, सव्वमहिड्डिया णेरइया काउलेस्सा ॥ ८६. एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे १. एएसि (क,ख,ग)। २. अप्पड्डिया (क,ख,ग,ध) सर्वत्र । ३. महड्डिया (ख,ग) सर्वत्र । ४. सव्वप्पड्डिया (क,ख,ग,घ) सर्वत्र । Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२६ कतरेहितो अपिडिया वा महिड्डिया वा ? गोयमा ! जहा जीवा ॥ ८७. एतेसि णं भंते ! एगिदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अपिडिया वा महिड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्से हितो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो गीललेस्सा महिड्डिया, पीललेस्सेहितो काउलेस्सा महिड्डिया, काउलेस्सेहितो तेउलेस्सा महिड्डिया । सव्वपिडिया एगिदियतिरिक्खजोणिया कण्हलेस्सा, सव्वमहिड्डिया तेउलेस्सा। एवं पुढविक्काइयाण वि ।। ८. एवं एतेणं अभिलावेणं जहेव लेस्साओ भावियाओ तहेव णेयव्वं जाव चउर दिया || ८९. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं सम्मुच्छिमाणं गभवक्कंतियाण य सव्वेसि भाणियव्वं जाव अप्पिड्डिया वेमाणिया देवा तेउलस्सा, सव्वमहिड्डिया वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा 11 [ इ' भांति - चउवीस दंडएणं इड्डी भाणियव्वा । ] तइओ उद्देसओ उववाय उब्वट्टणा-पदं ६०. णेरइए णं भंते ! णेरइएसु उववज्जति ? अणेरइए णेरइएसु उववज्जति ? गोयमा ! णेरइए णेरइएसु उववज्जइ, णो अरइए णेरइएस उववज्जति । एवं जाव मणि' || पण्णवणासुतं १. रइए णं भंते! रइएहितो उव्वट्टति ? अणेरइए णेरइएहितो उब्वट्टति ? गोमा ! अणेरइए रइए हिंतो उव्वदृति णो रइए णेरइएहिंतो उव्वट्टति । एवं जाव माणिए, नवरं - जोतिसिय-वेमाणिएसु चयणं ति अभिलावो कायव्वो ॥ ओहेणं उववाय उच्वट्टणा-पदं ६२. से पूर्ण भंते ! कण्हले से रइए कण्हलेसेसु णेरइएसु उववज्जति ? कण्हलेसे उव्वदृति ? जल्लेस्से उववज्जति तल्लेसे उव्वदृति ? हंता गोयमा ! कण्हले से णेरइए कण्हले से रइएस उववज्जति, कण्हले से उब्वदृति, जल्लेसे उववज्जति तल्ले से उब्वदृति । एवं गीलले से वि काउलेसे वि ॥ ६३. एवं असुरकुमारा' वि जाव थणियकुमारा वि णवरं तेउलेस्सा अब्भहिया || ६४. णूणं भंते! कण्हलेसे पुढविक्काइए कण्हलेस्सेसु पुढविक्काइएस उववज्जति ? कण्हले से उव्वट्टति ? जल्ले से उववज्जति तल्लेसे उव्वदृति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्से पुढविक्काइए कण्हले सेसु पुढविक्काइएस उववज्जति; सिय कण्हलेस्से उव्वदृति, सिय नीले उब्वदृति, सिय काउलेसे उब्वदृति; सिय जल्लेसे उववज्जति तल्ले से उम्वट्टति । एवं पील- काउलेस्सासु वि || १. वृत्तिकृतापि मनुष्यवैमानिकसूत्राणां संकेतः कृतोस्ति -- एवं नैरयिकतिर्यग्योनिकमनुष्य वैमानिकविषयाण्यपि सूत्राणि येषां यावत्यो लेश्यास्तेषां तावती: परिभाव्य भावनीयानि । २. माणियाणं (क, ख, ग, घ, पु); उद्वर्त्तना सूत्रे 'माणिए' इति पदमस्ति अत्रापि तथैव युज्यते किन्तु आदर्शषु नोपलब्धमिदम्, मलयगिरिवृत्तौ ' एवं जाव वेमाणिए' इति पाठो लब्धः । स एव अस्माभिः स्वीकृतः 1 ३. असुरकुमाराण (क, ख, ग, घ ) 1 Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापयं २२७ ६५. से गूणं भंते ! तेउलेस्से पुढविक्काइए तेउलेस्सेसु पुढविक्काइएसु उववज्जइ ? पुच्छा। हंता गोयमा ! तेउले से पुढविकाइए तेउलेसेसु पुढविक्काइएसु उववज्जति ; सिय कण्हलेसे उव्वट्टति, सिय णीललेसे उव्वट्टति, सिय काउलेसे उव्वट्टति ; तेउलेसे उववज्जति, णो चेव णं तेउलेस्से उध्वट्टति ।। ६६. एवं आउक्काइय-वणप्फइकाइया वि । तेऊ वाऊ एवं चेव, णवरं--एतेसिं तेउलेस्सा णत्थि । बि-तिय-चरिदिया एवं चेव १७. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा य जहा' पुढविक्काइया आदिल्लियासु तिसु लेस्सासु भणिया तहा छसु वि लेसासु भाणियन्वा, णवरं-छप्पि लेसाओ चारियव्वाओ।। ६८. वाणमंतरा जहा असुरकुमारा।। ६६. से गूणं भंते ! तेउलेसे जोइसिए तेउलेसेसु जोइसिएसु उववज्जति ? जहेव असूरकमारा। एवं वेमाणिया वि, णवरं दोण्ड वि चयंतीति अभिलावो।। विभागेणं उववाय-उव्वट्टणा-पदं १००. से गुणं भंते ! कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से णेरइए कण्हलेस्सेस् णीललेस्सेसु काउलेस्सेसु गैरइएसु उववज्जति ? कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से उव्वदृति ? जल्लेस्से उववज्जति तल्लेसे उव्वट्टति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्स-णीललेस्स-काउलेस्सेसु उववज्जति, जल्लेसे उववज्जति तल्ले से उव्वट्टति ।। १०१. से णूणं भंते ! कण्हलेस्से जाव तेउलेस्से असुरकुमारे कण्हलेस्सेसु जाव तेउलेस्सेसु असुरकुमारेसु उववज्जति ? एवं जहेव नेरइए तहा असुरकुमारे वि जाव थणियकुमारे वि।। १०२. से गुणं भंते ! कण्हलेस्से जाव तेउलेस्से पुढविकाइए कण्हलेस्सेसु जाव तेउलेस्सेस पुढविक्काइएसु उववज्जति ? एवं पुच्छा जहा असुरकुमाराणं । हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव तेउलेस्से पुढविक्काइए कण्हलेस्सेसु जाव तेउलेस्सेसु पुढविक्काइएसु उववज्जति; सिय कण्हलेस्से उव्वदृति सिय णीललेसे सिय काउलेस्से उध्वट्टति, सिय जल्लेस्से उववज्जति तल्लेसे उव्वट्टति, तेउलेसे उववज्जति, णो चेव णं तेउलेस्से उव्वति । एवं आउक्काइय-वणप्फइकाइया वि भाणिययव्वा ॥ १०३. से णणं भंते ! कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से तेउक्काइए कण्हलेसेसु णीललेसेसु काउलेसेसु ते उक्काइएसु उववज्जति ? कण्हलेसे णीललेसे काउलेसे उव्वदृति ? जल्लेसे उववज्जति तल्लेसे उव्वट्टति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से तेउक्काइए कण्हलेसेसु णीललेसेसु काउलेसेसु तेउक्काइएसु उववज्जति ; सिय कण्हलेसे उव्वट्टति, सिय णीललेसे सिय काउलेस्से उव्वट्टति; सिय जल्लेसे उववज्जति तल्लेसे उन्वट्टति । एवं वाउक्काइया बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया वि भाणियव्वा ।। १०४. से णणं भंते ! कण्हलेसे जाव सुक्कलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेसेसु जाव सुक्कलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? पुच्छा । हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेस्सेसु जाव सुक्कलेस्सेसु पंचेंदियतिरिक्ख १.५० १७१९४१ Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ पण्णवणासुत्तं जोणिएसु उववज्जति; सिय कण्हलेस्से उव्वट्टति जाव सिय सुक्कलेस्से उव्वदृति, सिय जल्लेसे उववज्जति तल्लेसे उन्वट्टति । एवं मणूसे वि ।। १०५. वाणमंतरे जहा असुरकुमारे। जोइसिय-वेमाणिए वि एवं चेव, णवरं-जस्स जल्लेसा। दोण्ह वि चयणं ति भाणियव्वं ।।। कण्हाइलेस्सेसु नेरइएसु ओहिखेत्त-पदं १०६. कण्हलेस्से णं भंते ! रइए कण्हलेस्सं जेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे'-समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणति ? केवतियं खेत्तं पासति ? गोयमा ! णो वहुयं खेत्तं जाणति णो वयं खेत्तं पासति, णो दूरं खेत्तं जाणति णो दूरं खेत्तं पासति, इत्तरिय मेव खेत्तं जाणति इत्तरियमेव खेत्तं पासति ॥ १०७. से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चति-कण्हले से णं णेरइए' 'कण्हलेस्सं जेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-सम भिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाणति णो वहुयं खेत्तं पासति, णो दूरं खेत्तं जाणति णो दूरं खेत्तं पासति, इत्तरियमेव खेत्तं जाणति इत्तरियमेव खेत्तं पासति ? गोयमा ! से जहाणामए- केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागंसि ठिच्चा सव्वओ समंता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे धरणितलगतं पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं •जाणति णो बहयं खेत्तं पासति, णो दरं खेत्तं जाणति णो दरं खेतं पासति, इत्तरियमेव खेत्तं जाणति' इत्तरियमेव खेत्तं पासति । से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चति-कण्हलेसे णं णेरइए' 'कण्हलेस्सं णेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता सम भिलोएमाणे-समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाणति णो बहुयं खेत्तं पासति, णो दूरं खेत्तं जाणति णो दूरं खेत्तं पासति, इत्तरियमेव खेत्तं जाणति' इत्तरियमेव खेत्तं पासति ।। १०८. णीललेसे णं भंते ! णेरइए कण्हलेसं णेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वमओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ ? केवतियं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाणति बहुतरागं खेत्तं पासति, दूरतरागं खेत्तं जाणइ दूरतरागं खेत्तं पासति, वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ, विसुद्धतरागं खेत्तं जाणति विसुद्धतरागं खेतं पासति ।।। १०६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति–णीललेस्से णं णेरइए कण्हलेस्सं णेरइयं पणिहाए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! से जहाणामए–केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ पव्वयं दुरुहति', दुरुहित्ता सव्यओ समंता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति । से तेणठेणं" गोयमा ! एवं वुच्चति–णीललेस्से णेरइए कण्हलेस्सं णेरइयं पणिहाए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति ।। १. समभिलोतेमाणे (क)। ६. सं० पा०-रइए जाव इत्तरिय । २. इतिरियमेव (घ)। ७. पणिहाय (ग)। ३. सं० पा०-णेरइए तं चेव जाव इत्तरिय । ६. बहुतरगं (ख)। ४. केति (क,ख,घ): ६. दुरूहति (ग)। ५. सं० पा०–खेत्तं जाव पासति जाव इत्तरिय। १०. एण?णं (घ)। Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापय २२६ ११०. काउलेसे णं भंते ! जेरइए णीललेस्संणेरइयं पणिहाए व्वओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ ? केवतियं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासई', 'दूरतरागं खेत्तं जाणति दूरतरागं खेत्तं पासति, वितिमिरतरागं खेत्तं जाणति वितिमिरतरागं खेत्तं पासति, विसुद्धतरागं खेत्तं जाणति विसुद्धतराग खेत्तं पासइ ।। १११. से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति - काउलेसे णं जरइए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति ? गोयमा ! से जहाणामए-केइ पुरिस वहुसमरणिज्जाओ भूमिभागाओ पव्वत दूरुहात, दुरुहत्ता रुक्खं दूरुहात, दुरुहित्ता दो वि पादे उच्चाविय' सव्वओ समता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे पव्वतगयं धरणितलगयं च पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे-समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाणति बहुतरागं खेत्तं पासति 'जाव विसुद्धतराग" खेत्तं पासति । से तेणटठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-काउलेस्से णं णेरइए णीललेस्सं जेरइयं पणिधाए तं चेव 'जाव बिसुद्धतराग" खेत्तं पासति ॥ णाण-पदं ११२. कण्हलेस्से णं भंते ! जीवे कतिसु णाणेसु होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा णाणेसु होज्चा दोसु होमाणे आभिणिवोहिय-सुयणाणेसु होज्जा, तिसु होमाणे आभिणिबोहिय-सुयणाण-ओहिणाणेसु होज्जा, अहवा तिसु होमाणे आभिणिवोहिय-सुयणाणमणपज्जवणाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे आभिणिवोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाण-मणपज्जवणाणेसु होज्जा ! एवं जाव पम्हलेस्से ।। ११३. सुक्कलेस्से णं भंते ! जीवे कतिसु णाणेसु होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा एगम्मि वा होज्जा-दोसु होमाणे आभिणिबोहियणाण-' 'सुयणाणेसु होज्जा, तिसु होमाणे आभिणिबोहिय-सुयणाण-ओहिणाणेसु होज्जा, अहवा तिसु होमाणे आभिणिबोहिय-सुयणाण-मणपज्जवणाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे आभिणिवोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाण-मणपज्जवणाणेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे एगम्मि केवलणाणे होज्जा ॥ चउत्थो उद्देसओ गाहा-- परिणाम १ वण्ण २ रस ३ गंध ४, सुद्ध ५ अपसत्थ ६ संकिलिठ्ठण्हा ७, ८ । गति ६ परिणाम १० पदेसावगाह ११,१२ वग्गण १३ ठाणाणमप्पबहुं १४,१५ ॥१॥ लेस्सा -पदं ११४. कति णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ॥ १. सं० पा०—पासइ जाव विसुद्धतराग। जावविसुद्धतरागं खेत पासति' तथा अत्रापि २. उच्चाविया (ग); उच्चावइत्ता (मवृ) । स एव पाठः संगतोस्ति । ३. जाब वितिमिरतरागं (क,ख,ग); X (घ); ४. वितिमिरतराग (क,ख,ग,घ) ! 'जाव' पदस्य प्रयोगे बहुवारं यथा पाठस्य ५. सं० पा०-आभिणिबोहियणाण एवं जहेव अशुद्धिर्भवति तथा अत्रापि विद्यते । यथोपरि- कण्हलेस्साणं तहेव भाणियव्वं जाव चाहिं। Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० पण्णवणासुत्त लेस्साणं परिणति-पदं ११५. से गूणं भंते ! कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्सा णीलले पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भज्जो-भज्जो परिणमति ॥ ११६. से केणठेणं भंते ! एवं उच्च ति-करहलेस्सा णीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? गोयमा ! से जहाणामए-खोरे 'सि पप्प" सुद्ध वा वत्थे राग पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भज्जो-भज्जो परिणमति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।। ११७. एवं एतेणं अभिलावेणं णीललेस्सा काउलेस्सं पप्प, काउलेस्सा तेउलेस्सं पप्प, तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प, पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।। ११८. से गूणं भंते ! कण्हलेस्सा णीललेस्सं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्सा णीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।।। ११६. से केणठेणं भंते ! एवं उच्चति-किण्हलेस्सा गोल लेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? गोयमा ! से जहाणामए-वेरुलियमणी सिया किण्हसुत्तए वा णीलसुत्तए वा लोहियसुत्तए वा हालिहसुत्तए वा सुक्किलसुत्तए वा आइए समाणे तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं बच्चइ-किण्हलेस्सा णीललेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भज्जो-भज्जो परिणमति ॥ १२०. से णण भंते ! णीललेस्सा किण्हलेस्सं जाव सुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! एवं चेव ।। १२१. एवं काउलेस्सा कण्हलेस्सं णीललेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं, एवं तेउलेस्सा किण्हलेसं गोललेस काउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं, एवं पम्हलेस्सा कण्हलेसं णीललेसं काउलेसं तेउलेसं सुक्कलेस्सं 'पप्प जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हता गोयमा ! तं चेव ॥ १२२. से गुणं भंते ! सुक्कलेस्सा किण्हलेस्सं णीललेस्सं काउलेस्सं तेउलेस्स पम्हलेस्सं पप्प जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! तं चेव ।। वण्ण-पदं १२३. कण्हलेस्सा णं भंते ! वण्णेणं के रिसिया पण्णता? गोयमा ! से जहाणामए-- १. दूरं पप्प (ख,ग,घ)। २. एवं नीललेश्या कापोतलेश्यां प्राप्येत्यादीन्यपि चत्वारि सूत्राणि भावनीयानि (मवृ) । ३. कण्ह (क,५)। ४. सुश्किल्ल (ग)। ५.४ (घ)। Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं लेस्सापयं २३१ जीए इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कज्जले इ वा गवले इ वा 'गवलवलए इ वा " जंबूफले इ वा अद्दारिट्ठए' इ वा परपुट्ठे इ वा भमरे इ वा भमरावली इ वा गयकलभे इ वाहिकेसरे' इ वा आगासथिग्गले इ वा किण्हासोए इ वा किण्हकणवीरए इ वा किण्हबंधुजीवए इ वा भवेताख्वा ? गोयमा ! गो इणट्ठे समट्ठे, किण्हलेस्सा णं एत्तो अणिट्टतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमगुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता ! १२४. गीललेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए-भिंगे इ वा भिगपत्ते इ वा चासे इ वा चासपिच्छे इ वा सुए इ वा सुयपिच्छे इ वा सामा इवा वणराई इ वा उच्चतए' इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलधरवसणे इ वा अयसिकुसुमे इ वा वाणकुसुमे इ वा अंजणकेसियाकुसुमे इ वा णीलुप्पले इ वा नीलासोए इ वा नीलकणवीरए इ वा गीलबंधुजीवए इ वा भवेताख्वा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, णीललेसा णं एत्तो अणितरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अणुण्णतरिया चेव' अमणामतरिया चेव वण्णं पण्णत्ता । १२५. काउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया' वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए-खइरसारै" इ वा कइरसारे" इ वा धमाससारे" इ वा तंबे " इ वा तंबकरोडए इ वा बछवाडिया" इ वा वाइंगणिकुसुम " इ वा कोइलच्छद" - कुसुमए इ वा 'जवासाकुसुमे इ वा कलकुसुमे इवा"" भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, काउलेस्सा णं एत्तो अणित रिया" "चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चैव वण्णेणं पण्णत्ता ॥ १. चिन्हाङ्कितः पाठो मलयगिरिवृत्तौ नास्ति व्याख्यातः । २. अद्दारिद्रुभे ( क ) ; अद्दारिपुणे ( ग ); अरिष्टकं अस्यां मलयगिरिवृत्तौ 'अद्द' व्याख्यातम् । ३. किण्ह केसे (ख) पु) 1 ४. भवेतारुवे (क,ख,ग,घ ) । अद्दाअरेट्ठए (ख,घ ) ; फलविशेषः पदं नास्ति ५. मुद्रितायां मलयगिरिवृत्ती उच्चन्तको दन्तरागः आह च मूलटीकाकारः (उच्चतगो' दंतरागो भवइ' इति पाठो दृश्यते । हस्तलिखिते मलयगिरिवृत्त्यादर्श' उद्दन्तको' दतरागः आह च मूलटीकाकारः उद्दतको दंतरागो भन्नइ । 'उव्वत्तए' ( प्रदेशव्याख्या) । ६. हलहर (क, ग, घ ) 1 ७. वणकुसुमे ( ग ) । ८. मं० पा० - समट्ठे एतो जाव अमणामरिया | ६. केसरिया ( ख, ग, घ ) 1 १०. खयर० (ख, घ ) । ११. करसारए ( ख, ग ); कतरसारए (घ) 1 १२. धमाससारते (घ) 1 १३. तंवे (घ) । १४. तंबाछिवाए ( ग ) । १५. वाइंगिणि (ख, घ ) । १६. कोइच्छा (क, ख, ध ) । १७ एते पदे वृत्तौ व्याख्याते न स्तः 'क, ख, घ' संकेतितादर्शषु कलकुसुमे इवा' इति पाठो नैव दृश्यते । १८. सं० पा० अणिट्ठतरिया जाव तरिया । अमणाम Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ पण्णवणासुत्त १२६. तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामएससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संबररुहिरे' इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा बालिंदगोये इ वा वाल दिवागरे इ वा संझब्भरागे इ वा गुंजद्धरागे इ वा जाइहिंगुलए' इ वा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहियक्रमणी इ वा किमिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिट्ठरासी इ वा पालियायकुसुमे इ वा जासुमणकुसुमे इ वा किंसुयपुप्फरासी इ वा रत्तुप्पले इ वा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरए इ वा रत्तबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवा? गोयमा ! णो इणठे समझें, तेउलेस्सा णं एत्तो इटुतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णणं पण्णत्ता ।। १२७. पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता? गोयमा ! से जहाणामएचंपे इ वा चंपछल्ली इ वा चंपभेदे इ वा हलिद्दा इ वा हालिद्दगुलिया इ वा हालिट्टाभेदे इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियाल भेदे इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इ वा सुवण्णसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा कणियारकुसुमे इ वा कुहंडियाकुसुमे इ वा सुवण्णजहिया इ वा सुहिरणियाकुसुमे इ वा कोरेंटमल्लदामे' इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरए इ वा पीयबंधुजीवए इ वा, भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव' 'कंततरिया चेव पियतरिया केव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता !! १२८. सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामएअंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुंदे इ वा दगे इ वा दगरए इ वा दही इ वा दहिघणे इवा खीरे इ वा खीरपुरे इ वा सूक्कछिवाडिया इ वा पेहमिजिया इ वा धंत-धोयरुप्पपटटे इ वा सारइयवलाहए" इ वा कुमुददले इ वा पोंडरियदले इ वा सालिपिट्ठरासी इ वा कुडगपुप्फरासी इ वा सिंदुवारवरमल्लदामे इ वा सेयासोए इवा सेयकणवीरे इ वा सेयबंधुजीवए इ वा, भवेतारुवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे, सुक्कलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता ।। १२६. एयाओ णं भंते ! छल्लेस्साओ कतिसु वण्णेसु साहिज्जंति ? गोयमा ! पंचसु वण्णेस साहिज्जति, तं जहा-कण्हलेसा कालएणं वणेणं साहिज्जति, णीललेस्सा णीलएणं वणेणं साहिज्जति, काउलेस्सा काललोहिएणं वपणेणं साहिज्जति, तेउलेस्सा लोहिएणं वण्णेणं साहिज्जइ, पम्हलेस्सा हालिद्दएणं वणेणं साहिज्जइ, सुक्कलेस्सा सुक्किल एणं वण्णेणं साहिज्जइ ।। १. ४ (ख)। २. इंदगोपे वालेंदगोपे (ग)। ३. "हिंगुलुए (क, पु)। ४. पालियाकुसुमे (ख), पारिजाय (ग)! ५. सं० पा०-इदुतरिया चेव जाव मणाम- तरिया। ६. कोरंट (क); कोरिट' (ग)। ७. सं० पा०–इटुतरिया चेव जाव मणाम तरिया। ८. दधी (क,घ)। १. दधि (ख,घ) । १०. सारय (क); °बलाहते (घ)। Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापयं २३३ रस-पदं १३०. कण्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया आसाएणं पण्णत्ता ? गोयमा !से जहाणामएणिबे इ वा णिबसारे इ वा णिबछल्ली इ वा णिबफाणिए इ वा कुडए इ वा कुडगफले इ वा कुडगछल्ली इ वा कुडगफाणिए इ वा कडुगतुंबी इ वा कडुगतवीफले इ वा खारत उसी इ वा खारतउसीफले इ वा देवदाली इ वा देवदालिपुप्फे इ वा मियवालुंकी इ वा मियवालुंकीफले इ वा घोसाडिए इ वा घोसाडइफले इ वा कण्हकंदए इ वा वज्जकंदरा इ वा, भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणठे, समठे, कण्हलेस्सा णं एत्तो अणिद्रुतरिया चेव' •अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता ॥ १३१. णीललेस्साए पुच्छा। गोयमा ! से जहाणामए--भंगी ति वा भंगीरए इवा पाढाइ वा चविया इवा चित्तामूलए इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलिचुण्णे इ वा मिरिए इ वा मिरियपणे इ वा सिंगबेरे इ वा सिंगबेरचुण्णे इ का, भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे, णीललेस्सा णं एत्तो' अगिट्टतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चैव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता। १३२. काउलेस्साए पुच्छा। गोयमा ! से जहाणामए-अंवाण वा अंवाडगाण वा माउलुंगाण' वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भव्वाण वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडयाण वा चाराण" वा बोराण वा तेंदुयाण वा अपिक्काणं अपरियागाणं वण्णेणं अणववेताणं गंधेणं अणववेताणं फासेणं अणववेताणं, भवेतारूवा? गोयमा! णो इणठे समठे, एत्तो" "अणिद्रुतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुण्णतरिया चेव अमणामतरिया चेव काउलेस्सा आसाएणं पण्णता ॥ १३३. तेउलेस्सा णं पुच्छा । गोयमा ! से जहाणामए --अंबाण वा जाव तेंदुयाण वा पिक्काणं परियावण्णाणं वपणेणं उववेताणं पसत्थेणं गंधणं उववेताणं पसत्थेणं फासेणं उववेताणं पसत्थेणं, भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे एत्तो इट्टतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव तेउलेस्सा आसाएणं पण्णत्ता ।। १३४. पम्हलेस्साए पच्छा । गोयमा ! से जहाणामए--चंदप्पभाइ वा मणिसिलागार इवा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा १. सं० पाo---अणिद्रुतरिया चेव जाव अमणाम- भट्ठाण (पु); एतत् पदं मलयगिरिवत्तौ तरिया । नास्ति। २. अस्साएणं (पु) सर्वत्र । ७. अक्खोलाण (पु)। ३. चचिया (क); वछिया (ख); मलयगिरि- ८. पोराण (ख); चोराण (ग,पु)। वृत्तौ एतत् पदं नास्ति व्याख्यातम् । ६. अपक्काण (क,ख,ध)। ४. सं० पा०--एत्तो जाव अमणामतरिया। १०. सं० पा.-एतो जाव अमणामतरिया। ५. माउलिंगाण (घ) ! ११. सं. पा.--पसत्थेणं जाव फासेणं जाव एत्तो। ६. भदाण (क)x (ग); भज्जाण (घ); १२. मणिसलागा (क); मणिसिला (ख,ग,घ)। Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ चोयासवे इ वा आसवे इ वा मधू इ वा मेरए इ वा काविसायणे इ वा खज्जूरसारए इवा मुद्दियासारए इ वा सुपिक्कखोयरसे इ वा अट्टपिट्टगिट्टिया इ वा जंबूफलकालिया इ वा वरपसण्णा इ वा आसला' मासला' पेसला ईसि ओट्टावलंबिणी ईसि वोच्छेयकडुई ईसि ' तंवच्छिकरणी उक्कोसमदपत्ता' वण्णेणं उववेया" पसत्थेणं गंधेण उववेया पसत्थेणं फासेणं उववेया पसत्थे आसायणिज्जा वीसायणिज्जा पीणणिज्जा विहणिज्जा' दीवणिज्जा दप्पणिज्जा मयणिज्जा सव्विदिय-गायपल्हायणिज्जा, भवेताख्वा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्ठतरिया चेव' 'कंततरिया चेव पियतरिया चेव' मणुण्णतिरिया चैव मणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता ॥ १३५. सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया आसाएणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए-गुले इ वा खंडे इ वा सक्करा इ वा मच्छंडिया" इ वा पप्पडमोदए इ वा भिसकंदे इ वा पुप्फुत्तरा इ वा पउमुत्तरा इ वा आदसिया इ वा सिद्धत्थिया इ वा 'आगासफलिओवमा इ वा अणोवमा इवा, भवेताख्वा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, सुक्कलेस्सा णं एत्तो तरिया चैव कंततरिया चैव पियतरिया चैव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता ॥ गंधादि-पदं १३६. कति णं भंते ! लेस्साओ दुब्भिगंधाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! तओ लेस्साओ दुभिधाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - किण्हलेस्सा णीललेस्सा काउलेस्सा || १३७. कति णं भंते ! लेस्साओ सुभिगंधाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! तओ लेस्साओ सुभिगंधाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - तेउलेस्सा पहलेस्सा सुक्कलेस्सा || १३८. एवं तओ अविसुद्धाओ तओ विसुद्धाओ, तओ अप्पसत्थाओ तओ पसत्थाओ, ओ संकि लिट्ठाओ तओ असंकि लिट्ठाओ, तओ सीयलुक्खाओ तओ निगुण्हाओ, तओ दुग्गइगामिणीओ" तओ सुगइगामिणीओ" || परिणाम-पदं १३६. कण्हलेस्सा णं भंते ! कतिविधं परिणामं परिणमति ? गोयमा ! तिविहं वा नवविहं वा सत्तावीसतिविहं वा एक्कासीतिविहं वा बेतेयालसतविहं" वा बहुं वा बहुविहं १. कविसाए (क, ख, ग, घ, पु); लिपिदोषेणात्र वर्णविपर्ययो जातः । वृत्तौ 'मधुमेरककापिशायनानि मद्यविशेषाः इति व्याख्यातमस्ति । जीवाजीवाभिगमे (३८६० ) पि कापिसाय इ वा' इति पाठो लभ्यते । २. एतत् पदं मलयगिरिवृत्तौ नास्ति व्याख्यातम् । ३. मंसला ( ग ) | ४. ईसि ( क, ख ) ; ईसी (पु) 1 पण्णवणासुत्त ५. ईसी (पु) 1 ६. उक्कोसमयपत्ता (पु) 1 ७. सं० पा० उववेया जाव फासेणं । ८. एतत् पदं मलयगिरिवृत्तौ नास्ति व्याख्यातम् । ६. सं० पा० - इट्ठतरिया चेव जाव मणाम तरिया | १०. मच्छंडिया ( क ) ; मच्छिंडिया ( ख, ग, घ ) । ११. फालितावमा इ वा उबमा इ वा (ख,ग,घ ) 1 १२. "गामियाओ ( क, ख, ग, घ ) 1 १३. गामियाओं (क, ख, ग, घ ) १४. बैतेयालीसतिविहं ( क, ख, ग, घ ) | Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्सरसम लेस्सापयं २३५ वा परिणामं परिणमति । एवं जाव सुक्कलेसा ॥ पदेस-पदं १४०. कण्हलेस्सा णं भंते ! कतिपदेसिया पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंतपदेसिया पण्णत्ता । एवं जाव सुक्कलेस्सा ।। अवगाह-पदं १४१. कण्हलेस्सा णं भंते ! कइपएसोगाढा पण्णत्ता ? गोयमा असंखेज्जपएसोगाढा पण्णत्ता । एवं जाव सुक्कलेस्सा। वग्गण-पदं १४२. कण्हलेस्साए णं भंते ! केवतियाओ वग्गणाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अणंताओ वग्गणाओ पण्णत्ताओ । एवं जाव सक्कलेस्साए ।।। ठाण-पदं १४३. केवतिया णं भंते ! कण्हलेस्साठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा कण्हलेस्साठाणा पण्णत्ता । एवं जाव सुक्कलेस्साए । अप्पबहु-पदं १४४. एतेसि णं भंते ! कण्हलेस्साठाणाणं जाव सुक्कलेस्साठाणाण य जहण्णगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठ-पएसट्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसा हिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्साठाणा दब्वट्ठयाए, जहण्णगा णीललेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा कण्हलेस्साठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा तेउलेस्साठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा पम्हलेस्साठाणा दन्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा सुक्क्लेस्साठाणा दवट्ठयाए. असंखेज्जगुणा ; पदेसट्ठयाए-सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्साठाणा पएसट्टयाए, जहण्णगा णीललेस्सट्ठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा कण्हलेस्साठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा तेउलेस्सट्ठाणा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा पम्हलेस्सट्ठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णगा सुक्कलेस्साठाणा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा; दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए- सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा दवट्ठयाए, जहण्णगाणीललेस्सट्ठाणा दवट्टयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्टाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेस्सटाणा, जहण्णगा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णएहितो सुक्कलेस्सट्ठाणेहितो दव्वट्ठयाए जहण्णमा काउलेस्सट्ठाणा पदेसट्टयाए अणंतगुणा, जहण्णगा गोललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। एवं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणा ॥ १४५. एतेसि णं भंते ! कण्हलेस्सटाणाणं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणाण य उक्कोसगाणं दवट्ठयाए पएसटुयाए दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा उक्कोसगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए, उक्कोसगा णीललेस्सट्ठाणा दवट्टयाए असंखेज्जगुणा। एवं जहेव जहण्णगा तहेव उक्कोसगा वि, णवरं -उक्कोस त्ति अभिलावो । १४६. एतेसि णं भंते ! कण्हलेस्सट्ठाणाणं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणाण य जहण्णुक्कोस Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत्तं गाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ट-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा दवट्ठयाए, जहण्णया णीललेस्सट्ठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सटाणा तेउलेस्सट्टाणा पम्हलेस्सट्ठाणा, जहण्णगा सुक्कलेसटाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णएहितो सुक्कलेस्सटाणेहितो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा गोललेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्टाणा तेउलेसट्ठाणा, पम्हलेसटाणा, उक्कोसा सुक्कलेस्सट्ठाणा दग्वट्ठयाए असंखज्जगुणा ; पदेसट्टयाए -- सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्टाणा पएसद्वाए, जहण्णगा णीललेसटाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, एवं जहेव दव्वद्रयाए तहेव पएसट्टयाए वि भाणियव्वं, णवरं-पएसट्टयाए ति अभिलावविसेसो; दवट्ठपएसट्ठयाए-सव्वत्थोवा जहण्णगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्टयाए, जहण्णगा णीललेसटाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्टाणा ते उले सट्टाणा पम्हलेसट्ठाणा, जपणया सुक्कलेसटाणा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, जहण्णएहितो सुक्कलेसट्ठाणेहितो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेसटाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा णीललेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसटाणा तेउलेसट्टाणा पम्हलेसट्टाणा, उक्कोसगा सुक्कलेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसएहितो सुक्कलेसट्टाणेहितो दब्वट्ठयाए जहण्णगा काउलेसट्ठाणा पदेसट्टयाए अणंतगुणा, जहण्णगा णीललेसट्ठाणा पएसट्टाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्टाणा तेउलेसदाणा पम्हलेसटाणा, जहण्णगा सुक्कलेसटाणा असंखेज्जगूणा, जहण्णएहितो सक्कलेसट्ठाणेहितो पदेसट्टयाए उक्कोसा काउलेसट्ठाणा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसया णीललेसट्ठाणा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा पम्हलेसटाणा, उक्कोसया सुक्कलेसटाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा ।। पंचमो उद्देसओ लेस्सा -पदं १४७. कति णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ।। परिणमणभाव-पदं १४८. से गूणं भंते ! कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भज्जो-भज्जो परिणमति ? इतो आढत्तं जहा' चउत्थद्देसए तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिळंतो त्ति ॥ १४६. से गुणं भंते ! कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए णो तावण्णताए णो तागंधत्ताए णो तारसत्ताए णो ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्सा णोललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए णो तावण्णत्ताए णो तागंधत्ताए णो तारसत्ताए णो ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।। १५०. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए १.५० १७१११५.११६। Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम लेस्सापयं २३७ जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? गोयमा ! आगारभावमाताए' वा से सिया पलिभागभावमाताए वा से सिया कण्हलेस्सा णं सा, णो खलु सा णीललेस्सा, तत्थ गता उस्सक्कति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं बुच्चति-- कण्हलेस्सा णीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।। १५१. से णूणं भंते ! णीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! णील लेस्सा काउलेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भज्जो परिणमति ।। १५२. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-णीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भज्जो-भज्जो परिणमति ? गोयमा ! आगारभावमाताए वा से सिया पलिभागभावमाताए वा सिया णीललेस्सा णं सा, णो खल सा काउलेस्सा, तत्थ गता उस्सक्कति 'वा ओसक्क ति वा" . से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–णीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो तारूबत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमति ।। १५३. एवं का उलेस्सा तेउलेस्सं पप्प, तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प, पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प ॥ १५४. से णूणं भंते ! सुक्कलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणिमति ? हंता गोयमा ! सुक्कलेस्सा "पम्हलेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुज्जोभुज्जो परिणमति ॥ १५५. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-सुक्कलेस्सा जाव णो परिणमति ? गोयमा ! आगारभावमाताए वा जाव सुक्कलेस्सा णं सा, णो खलु सा पम्हलेस्सा, तत्थ गता ओसक्कति, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव णो परिणमति ॥ छठो उद्देसओ लेस्सा -पदं १५६. कति णं भंते ! लेस्साओ पणत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा–कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ।। मणुस्सेसु-लेस्सा-पदं १५७. मण साणं भंते ! कति लेस्साओ पणत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा--कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ॥ १५८. मणूसीण पुच्छा । गोयमा ! छल्लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा ॥ १५६. कम्मभूमयमणूसाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छलेस्साओ १. मायाए (क,ग)। लेसाए अस्थि तेण ओसक्कति, उवरि पिकाऊं २. ४ (क); जम्हा कण्हलेसाए जहियाए हेद्वा अस्थि तेण उस्सक्कति, एवं सेसयाओवि, सूक्क अन्नलेसा नत्थि, तेण तत्थ गता चेव उस्स कति लेसाए उरि अण्णा लेसा णत्थि तेण ओसत्ति भ्रणितं, मज्झमिल्लियाओ तत्थ गता क्कति चेव भाणियब्वं । (हाव) । ओसक्कति, कहं ? जेण णीलाए हिट्टा कण्ह- ३. सं० पा०--तं चेव। Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ पण्णवणासुत्त पण्णत्ताओ, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । एवं कम्मभूमयमणूसीण वि ।। १६०. भरहेरवयमणूसाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । एवं मणुस्सीण वि॥ १६१. पुव्वविदेह-अवरविदेहकम्मभूमयमणूसाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! छ लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । एवं मणूसीण वि।। १६२. अकम्मभूमयमणूसाणं पुच्छा ! गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । एवं अकम्मभूमयमणूसीण वि । एवं अंतरदीवयमणूसाणं मणूसीण वि ॥ १६३. हेमवय'-एरण्णवयअकम्मभूमयमणूसाणं मणूसीण य कति लेस्साओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! चतारि, तं जहा ---कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा ।। १६४. हरिवास-रम्मयअकम्मभूमयमणुस्साणं मणूसीण य पुच्छा । गोयमा ! चत्तारि, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा। देवकुरुत्तरकुरुअकम्मभूमयमणुस्साणं एवं चेव । एतेसिं चेव मणूसीणं एवं चेव ॥ १६५. धायइसंडपुरिमद्धे एवं चेव, पच्छिमद्धे वि । एवं पुक्ख रहे वि भाणियव्यं ।। लेस्सं पडुच्च गम्भुप्पत्ति-पदं १६६. कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेस्सं गम्भं जणेज्जा' ? हंता गोयमा ! जणेज्जा ॥ १६७. कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे णीललेस्सं गब्भं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा । एवं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं छप्पि आलावगा भाणियध्वा ।। १६८. एवं णीललेसेणं काउलेसेणं तेउलेसेण वि पम्हलेसेण वि सुक्कलेसेण वि । एवं एते छत्तीसं आलावगा। १६९. कण्हलेस्सा णं भंते ! इत्थिया कण्हलेस्सं गभं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा। एवं एते वि छत्तीसं आलावगा। १७०. कण्हले से णं भंते ! मणूसे कण्हलेसाए इत्थियाए कण्हलेसं गल्भं जणेज्जा। हंता गोयमा ! जणेज्जा । एवं एते वि छत्तीसं आलावगा। १७१ कम्मभूमयकण्हलेस्से णं भंते ! मणुस्से कण्हलेस्साए इत्थियाए कण्हलेस्सं गर्भ जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा । एवं एते वि छत्तीसं आलावगा ।। १७२. अकम्मभूमयकण्हलेसे णं भंते ! मणूसे अकम्मभूमयकण्हलेस्साए इत्थियाए अकम्मभूमयकण्हलेस्सं गन्भं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा, णवरं- चउसु लेसासु सोलस आलावगा। एवं अंतरदीवगा वि ।। १. एवं हेमवय (ख,ग)। २. °पुरथिमद्धे (क)। ३. पच्चत्थिमद्धे (ग)। ४. पुक्खरदीवे (क,ग,घ); पुक्खरवरदीवे (ख)। ५. जाणेज्जा (ख,ग) सर्वत्र)। Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाहा अट्ठारसमं कार्यट्ठिइपथं १ जीव २,३ गतिदिय' ४ काए, ५ जोगे ६ वेदे कसाय - लेस्सा य । ६ सम्मत्त १० णाण ११ दंसण १२ संजय १३ उवओग आहारे || १॥ १५ भाग १६ परित १७ पज्जत्त, १५ सुहुम १६ सण्णो २०, २१ भवत्थि २२ चरिमेय । एते तु पदाणं कायठिई होति णायव्वा || २ || जीव- पदं १. जीवे णं भंते ! जीवे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सव्वद्धं ॥ गइ-पदं २. रइए णं भंते ! नेरइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ॥ ३. तिरिक्खजोणिए णं भंते ! तिरिक्खजोणिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणे अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं अनंत कालं - अनंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालतो, खेत्तओ अनंता लोगा -- असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेज्जतिभागो ॥ ४. तिरिक्खजोणिणी णं भंते! तिरिक्खजोणिणीति कालओ केवचिरं होइ ? गोमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहत्तअभइयाई । एवं मणूसे वि । मणूसी वि एवं चैव ॥ ५. देवे णं भंते । देवे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहेव णेरइए || ६. देवी णं भंते! देवी ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं पणपणं पलिओवमाई ॥ ७. सिद्धे णं भंते ! सिद्धे ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए || १. गइ इंदिय ( क, ख ग ) । २. जोए ( ख, ग ) । ३. बेए (क,ग); वेते (ख, घ) 1 ४. आउलिए ( क ) । ५. पुहुत्त (क, ख, ग, घ ) । २३६ Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० पण्णवणासुत्तं ८. रइयअपज्जत्तए णं भंते ! रइयअपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । एवं जाव देवी अपज्जत्तिया ॥ ६. णेरइयपज्जत्तए णं भंते ! गैरइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई अंतोमुहत्तणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहत्तूणाई॥ १० तिरिक्खजोणियपज्जत्तए णं भंते ! तिरिक्खजोणियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुत्तूणाई। एवं तिरिक्खजोणिणिपज्जत्तिया वि । मणूसे मणूसी वि एवं चेव ॥ ११. देवपज्जत्तए जहा जेरइयपज्जत्तए !! १२. देविपज्जत्तिया णं भंते ! देविपज्जत्तिय त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं पणपणं पलिओवमाई अंतोमुत्तूणाई ।। इंदिय-पदं १३. सइंदिए णं भंते ! सइंदिए त्ति कालओ केवचिर होइ ? गोयमा ! सइंदिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणाईए वा अपज्जवसिए, अणाईए वा सपज्जवसिए।।। १४. एगिदिए णं भंते ! एगिदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं वणफइकालो' ।। १५. बेइंदिए णं भंते ! बेइंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्ज कालं । एवं तेइंदिय-चउरिदिए वि ।।। १६. पंचेंदिए णं भंते ! पंचेंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं ॥ १७. अणि दिए णं "भंते ! अणि दिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए॥ १८. सइंदियअपज्जत्तए णं भंते ! "सइंदियअपज्जत्तए त्ति कालतो केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । एवं जाव पंचेंदियअपज्जत्तए । १६. सइंदियपज्जत्तए णं भंते ! सइंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयम् ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं ॥ २०. एगिदियपज्जत्तए णं भंते ! "एगिदियपज्जत्तए ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साई॥ २१. बेइंदियपज्जत्तए णं भंते ! बेइंदियपज्जत्तए त्ति "कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वासाइं ।।। २२. तेइंदियपज्जत्तए णं भंते ! तेइंदियपज्जत्तए त्ति "कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं रातिदियाई ।। १. एवं मणूसे वि (ग)। ४,५. सं० पा०—पुच्छा। २. °पज्जत्तिए (क,ग,घ)। ६. पुहुत्तं (क,ग,घ)। ३. वणस्सइ (ख,ग)। ७,८,६. सं० पा०-पुच्छा । Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं कायद्विपयं २४१ २३. चउरिदियपज्जत्तए णं भंते ! चउरिदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होई?" गोमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा || २४. पंचेंदियपज्जत्तए णं भंते ! पंचेंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं ॥ काय-पदं २५. सकाइए णं भंते ! सकाइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सकाइए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - अणादीए वा अपज्जवसिए अणादीए वा सपज्जवसिए || २६. पुढविवकाइए णं भंते ! पुढविक्काइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं - असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा । एवं आउ-तेउ वाउक्काइया वि ॥ २७. वणस्सइकाइया णं "भंते ! वणस्सइकाइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं -अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अनंता लोगा - असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेज्जइभागो || २८. तसकाइए णं भंते ! तसकाइए त्ति "कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवासमन्भहियाई ॥ २६ अकाइए णं भंते! अकाइए त्ति कालओ केवचिरं होइ !° गोयमा ! अकाइए सादीए अपज्जवसिए ॥ ३०. सकाइयअपज्जत्तए णं "भंते! सकाइयअपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहृण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । एवं जाव तसकाइयअपज्जत्तए । ३१. सकाइयपज्जत्तए णं "भंते ! सकाइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?" गोमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं ॥ ३२. पुढविक्काइपज्जत्तए णं "भंते ! पुढविक्काइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ; जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साइं । एवं आऊ वि ॥ ३३. ते उक्काइयपज्जत्तए णं "भंते! तेउक्काइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई राईदियाई ॥ ३४. वाउक्काइयपज्जत्तए णं "भंते! वाउक्काइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साइं ॥ ३५. वणस्सइकाइयपज्जत्तए णं "भंते! वणस्सइकाइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साइं ॥ ३६. तसकाइयपज्जत्तए णं "भंते! तसकाइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?" गोमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं सातिरेगं ॥ ३-१३. सं० पा०—पुच्छा । १. सं०पा० - पुच्छा । २. हुतं (क, ग, घ ) | Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ पण्णवणासुतं ३७. सुहमे गं भंते ! सुहमे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं- असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खत्तओ असंखेज्जा लोगा। ३८. सुहुमपुढविक्काइए सुहुमआउक्काइए सुहुमते उक्काइए सुहुमवाउक्काइए सुहुमवणप्फइक्काइए सुहमणिगोदे वि जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं-असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओस प्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा। ३६ सुहुमअपज्जत्तए णं भंते ! सुहमअपज्जत्तए' ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमूहत्तं ।।। ४० पढविक्काइय-आउक्काइय-तेउक्काइय-वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाण य एवं चेव। पज्जत्तयाण वि एवं चेव ॥ ४१. बादरे णं भंते ! बादरे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं असंखेज्जाओ उस्स प्पिणि-ओसप्पिणीओ कालतो, खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं ।।। ४२. बादरपुढविक्काइए णं भंते ! "बादरपुढविक्काइए ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहतं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोक्मकोडाकोडीओ। एवं बादरआउक्काइए वि जाव बादरवाउक्काइए वि।। . ४३. बादरवणस्सइकाइए णं भंते ! "बादरवणस्सइकाइए ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं.--. असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालतो , खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं ।। ४४. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइए णं भंते ! "पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ। ४५. णिगोए णं भंते ! णिगोए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अगंतं कालं-अणंताओ उस्स प्पिणि-ओसप्पिणीओ. कालओ, खेत्तओ अड्डाइज्जा पोग्गलपरियट्टा ॥ ४६. बादरनिगोदे णं भंते ! बादर "णिगोदे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ। ४७. बादरतसकाइए णं भंते ! वादरत सकाइए ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमन्भहियाई॥ ४८. एतेसिं चेव अपज्जत्तगा सव्वे वि जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ४६. बादरपज्जत्तए णं भंते ! बादरपज्जत्तए "त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सा तिरेगं॥ १. सुहमे णं भंते ! अपज्जत्तए (क,ग,घ); सुहमे __णं भंते ! अपज्जत्तपज्ज (ख) २,३,४. सं० पा०—पुच्छा । ५. सं० पा०—कालं जाव खेत्तओ। ६,७,८. सं० पा०—पुच्छा । . . .. Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं कायट्ठिइपयं २४३ ५०. बादरपुढविक्काइयपज्जत्तए णं भंते ! वादर "पुढविक्काइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साइं । एवं आउक्काइए वि॥ ५१. ते उक्काइयपज्जत्तए णं भंते ! तेउक्काइयपज्जत्तए "त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं राइंदियाई ।। ___ ५२. वाउक्काइए वणस्सइकाइए पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइए य पुच्छा । गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई वाससहस्साइं॥ ५३. णिगोयपज्जत्तए बादरणिगोयपज्जत्तए य पुच्छा ! गोयमा ! दोण्णि वि जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ५४. बादरतसकाइयपज्जत्तए णं भंते ! बादरतसकाइयपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं ।। जोग-पदं ५५. सजोगी णं भंते ! सजोगि त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सजोगी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए ।। ५६. मणजोगी णं भंते ! मणजोगि त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । एवं वइजोगी' वि ॥ ५७. कायजोगी णं भंते ! "कायजोगी त्ति कालओ केवचिरं होई ?° गोयमा! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। ५८. अजोगी णं भंते ! अजोगी ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए । वेद-पवं ५६. सवेदए णं भंते सवेदए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सवेदए तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्ढे पोग्गलपरियढें देसूणं ॥ ६०. इत्थिवेदे णं भंते ! इत्थवेदे त्ति कालतो केवचिरं होति ? गोयमा ! एगेणं आदेसेणं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दसुत्तरं पलिओबमसतं पुन्वकोडिपुहत्तमब्भहियं १ एगेणं आदेसेणं जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं अट्ठारस पलिओवमाइं पुवकोडिपुहत्तमब्भहियाइं २ एगेणं आदेसेणं जहणेणं एग समयं, उक्कोसेणं चोद्दस पलिओवमाइं पुवकोडिपुहत्तमब्भहियाइं ३ एगेणं आदेसेणं जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं पलिओवमसयं पुन्वकोडिपुहत्तमभहियं ४ एगेणं आदेसेणं जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं पलिओवमपुहत्तं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियं ५॥ ४. सं० पा०-पुच्छा। १,२. संपा०-पुच्छा। ३. वयजोगी (ख,घ,पु)। Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૪૪ पण्णवणासुतं ६१. पुरिसवेदे णं भंते ! पुरिसवेदे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं ॥ ६२. नपुंसगवेदे णं भंते ! पसगवेदे त्ति "कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो ।। ६३. अवेदए णं भंते ! अवेदए त्ति "कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! अवेदए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ कसाय-पदं ६४. सकसाई णं भंते ! 'सकसाई ति" कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सकसाई तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिएं। तत्थ गंजेसे सादीए सपज्जवसिए से जहणणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंताओ उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्ढं पोग्गलपरियट्टू देसूणं ।। ६५. कोहकसाई णं भंते ! "कोहकसाई ति कालओ केबचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । एवं जाव मायकसाई॥ ६६. लोभकसाई णं भंते ! लोभ "कसाई ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। ६७. अकसाई गं भंते ! अकसाई ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अकसाई दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। लेस्सा -पदं ६८. सलेसे णं भंते ! सलेसे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! सलेसे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए॥ ६६. कण्हलेसे" णं भंते ! कण्हलेसे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई॥ ७०. णीललेसे णं भंते ! णीललेसे ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं पलिओवमासंखेज्जइभागमभहियाई ।। ७१. काउलेस्से णं भंते ! काउलेस्सेत्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिणि सागरोवमाई पलिओवमासंखेज्जइभागमब्भहियाई ।। १,२. सं० पा०-पुच्छा। ८,९. सं० पा०-पुच्छा। ३. सकसादित्ति (क,ख)। १०. कण्हलेस्सा (ग)। ४. सकसादी (क); सकसाती (घ)। ११. सं० पा०-पुच्छा । ५. सं० पा०-सपज्जवसिए जाव अवड्ढे । १२. पलिओवमाई असंखे (क)। ६. सं० पा०-पुच्छा। १३. सं० पा० --पुच्छा! ७. माणमाय° (क,ग)। Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम कायटिइपयं ७२. तेउलेस्से णं भंते ! तेउलेस्से ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोमाई पलिओवमासंखेज्जइभागमभहियाई ।। ७३. पम्हलेस्से णं भंते ! पम्हलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाई॥ ७४. सुक्कलेस्से णं भंते ! "सुक्कलेस्से ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई ।। ७५. अलेस्से णं "भंते अलेस्से त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए॥ सम्मत्त-पदं ७६. सम्मट्टिी णं भंते ! सम्मद्दिट्ठी त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा! सम्मद्दिट्ठी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं सातिरेगाई॥ ७७. मिच्छद्दिट्टी गं भंते ! 'मिच्छट्ठिी त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! मिच्छद्दिट्ठी तिविहे पण्णत्ते, तं जहा–अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जैसे सादीए सपज्जवसिए से जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्द पोग्गलपरियट्ट देसूणं॥ ७८. सम्मामिच्छट्ठिी णं "भंते ! सम्मामिच्छट्ठिी ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। पाण-पदं ७६. णाणी णं भंते ! णाणीति कालओ केवचिरं होई ? गोयमा ! णाणी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छावद्धि सागरोवमाइं साइरेगाई। ८०. आभिणिबोहियणाणी णं भंते ! "आभिणिबोहियणाणी ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा एवं चेव। एवं सुयणाणो वि। ओहिणाणी वि एवं चेव। णवरं-जहण्णणं एक्कं समयं ॥ ८१. मणपज्जवणाणी णं भंते ! मणपज्जवणाणी ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणं पुव्वकोडिं ॥ ___ ८२. केवलणाणी णं "भंते ! केवलणाणी ति कालओ केवचिरं होइ ?' गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए ।। ८३. अण्णाणी-मइअण्णाणी-सुयअण्णाणी णं पुच्छा । गोयमा! अण्णाणी मतिअण्णाणी सुयअण्णाणी तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुत्तं, १-८. सं० पा०-पुच्छा। Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ पण्णवणासुतं उक्कोसेणं अणतं कालं-अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्ढे पोग्गलपरियट्ट देसूणं । ८४. विभंगणाणी णं भंते ! "विभंगणाणी ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाए पुवकोडीए अब्भहियाई ।। दसण-पदं ८५. चक्खुदंसणी णं भंते ! "चक्खुदंसणी ति कालओ केवचिरं होइं? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं साग रोवमसहस्सं सातिरेगं ।। ८६. अचक्खुदंसणी णं भंते ! अचक्खुदंसणी ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अचक्खुदंसणी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए॥ ८७. ओहिदसणी णं भंते ! ओहिदसणी ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो छावट्ठीओ सागरोवमाई सातिरेगाओ।।। ८८. केवलदसणी णं "भंते ! केवलदंसणी ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए॥ संजय-पदं ८६. संजए णं भंते ! संजए त्ति " कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणं पुवकोडि ॥ ६०. असंजए णं भंते ! असंजए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! असंजए तिविहे पण्णत्ते, तं जहा- अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादिए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्ढं पोग्गलपरियट्टू देसूणं ।। ६१. संजयासंजए जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणं पुव्वकोडिं ।। ६२. णोसंजए-णोअसंजए-णोसंजयासंजए णं पुच्छा । गोयमा !सादीए अपज्जवसिए । उवओग-पदं ६३. सागारोवउत्ते णं भंते ! "सागारोव उत्ते त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । अणागारोवउत्ते वि एवं चेव ॥ आहार-पदं ६४. आहारए णं भंते ! "आहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! आहारए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा---छउमत्थआहारए य केवलिआहारए य ॥ ६५. छउमत्थाहारए णं भंते ! छउमत्थाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं खुड्डागभवग्गहणं दुसमऊणं", उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं-- असंखेज्जाओ १,२,३. सं० पा०-पुच्छा। ४. सागरोबमाणं (ख,ग,पु)। ५-६. सं० पा०--पुच्छा। १०. दुसमयऊणं (ख,ग)। Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं कायट्टिइपयं ૨૪૭ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालतो, खेत्ततो अंगुलस्स असंखेज्जइभागं ॥ ६६. केवलिआहारए णं भंते ! केबलिआहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं देसूणं पुवकोडि ।। १७. अणाहारए णं भंते ! अणाहारए त्ति • कालओ केवचिर होइ ? गोयमा ! अणाहारए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–छउमत्थअणाहारए य, केवलिअणाहारए य॥ १८. छउमत्थअणाहारए णं भंते ! "छउमस्थअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो समया ।। . केवलिअणाहारए णं भंते ! केवलिअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! केवलिअणाहारए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--सिद्धकेवलिअणाहारए य, भवत्थकेवलिअणाहारए य ।। १००. सिद्धकेवलिअणाहारए णं भंते ! "सिद्धकेवलिअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए । १०१. भवत्थकेवलिअणाहारए णं भंते ! "भवत्थकेवलिअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! भवत्थकेवलिअणाहारए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—सजोगिभवत्थकेवलिअणावासा य. अजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए य॥ १०२. सजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए णं भंते ! ५ सजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तिण्णि समया ॥ १०३. अजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए णं "भंते ! अजोगिभवत्थ केवलिअणाहारए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। भासग-पदं १०४. भासए गंभंते ! भासए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुत्तं ।। १०५. अभासए णं भंते ! अभासए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! अभासए तिविहे पण्णत्ते, तं जहा -अणाईए वा अपज्जवसिए, अणाईए वा सपज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जेसे सादीए सपज्जवसिए से जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणप्फइकालो ।। परित्त-पदं १०६. परिते णं भंते ! परित्ते त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! परित्ते दुविहे पण्णते, तं जहा-कायपरित्ते य, संसारपरित्ते य॥ १०७. कायपरित्ते णं "भंते ! कायपरित्ते त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं पुढविकालो-असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ ॥ १०८. संसारपरित्ते णं भंते ! संसारपरिते त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' १-८. सं० पा०—पुच्छा , पण्णते-साइए वा अपज्जवसिए, साइए वा ६. जीवाजीवाभिगमे (६५८) अभाषकस्य सपज्जवसिए। द्विविधत्वमेव स्वीकृतमस्ति-अभासए दुविहे १०-१२. संपा०-पुच्छा। Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ पण्णवणासुतं गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं'- अणंताओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवड्ढं पोग्गलपरियट्टू देसूणं ।। १०६. अपरित्ते णं "भंते ! अपरिते ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! अपरित्ते दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–कायअपरित्ते य, संसारअपरित्ते य ।। ११०. कायअपरित्ते णं भंते ! कायअपरित्ते त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणप्फइकालो ।। १११. संसारअपरित्ते णं "भंते ! संसारअपरित्तेत्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! संसारअपरित्ते दुविहे पण्णत्ते तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए॥ ११२. णोपरित्ते-णोअपरित्ते णं पुच्छा । गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए । पज्जत्त-पदं ११३. पज्जत्तए णं भंते ! पज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं सातिरेगं ।। ११४. अपज्जत्तए णं "भंते ! अपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहणेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥ ११५. णोपज्जत्तए-णोअपज्जत्तए णं पुच्छा । गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए ।। सुहम-पदं " ११६. सुहमे णं भंते ! सुहुमे ति "कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो। ११७. बादरे णं "भंते ! बादरे त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं'-- असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ', खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जइभागं ।। ११८. णोसुहम-णोबादरे णं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए । सण्णि -पदं ११६. सण्णी णं भंते ! ""सण्णी ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं ।। १२०. असण्णी णं भंते !" असण्णी ति कालओ केवचिरं होइ ? ° गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणप्फइकालो ।। १२१. णोसण्णी—णोअसण्णी णं पुच्छा । गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए । भवसिद्धिय-पदं १२२. भवसिद्धिए णं भंते ! भवसिद्धिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अणादीए सपज्जवसिए ।। १२३. अभवसिद्धिए णं भंते ! " अभवसिद्धिए त्ति कालओ केवचिरं होइ ?' १. सं० पा०-कालं जाव अवड्द । २-८. सं० पा०--पुच्छा । है. सं० पा०-कालं जाव खेत्तओ। १०-१३. सं० पा०---पुच्छा। Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं कायट्टिइपयं २४६ गोयमा ! अणादीए अपज्जवसिए॥ १२४. णोभवसिद्धिय-णोअभवसिद्धिए णं पुच्छा । गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए ।। अस्थिकाय-पदं १२५. धम्मत्थिकाए णं "भंते ! धम्मत्थिकाए ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! सव्वद्ध। एवं जाव अद्धासमए । चरिम-पदं १२६. चरिमे णं "भंते ! चरिमे त्ति कालओ केवचिरं होइ ?° गोयमा ! अणादीए सपज्जवसिए॥ १२७. अचरिमे णं भंते ! अचरिमे त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अचरिमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा अपज्जवसिए ।। १-३. सं० पा०—पुच्छा । Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगणवीसइमं सम्मत्तपयं १. जीवा णं भंते ! किं सम्मद्दिट्ठी मिच्छद्दिट्ठी सम्मामिच्छद्दिट्ठी ? गोयमा ! जीवा सम्मट्टिी वि मिच्छद्दिट्ठी वि सम्मामिच्छद्दिट्ठी वि । एवं णेरइया वि । असुरकुमारा वि एवं चेव जाव थणियकुमारा ! २. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! पुढविक्काइया णो सम्मद्दिट्ठी, मिच्छद्दिट्ठी, णो सम्मामिच्छद्दिट्ठी । एवं जाव वणप्फइकाइया । ३. बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! बेइंदिया सम्मद्दिट्ठी वि मिच्छद्दिट्ठी वि, णो सम्मामिच्छद्दिट्ठी । एवं जाव चउरेंदिया ॥ ____ ४. पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्सा वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया य सम्मपिट्ठी वि मिच्छद्दिट्टी वि सम्मामिच्छद्दिट्ठी वि॥ ५. सिद्धाणं पुच्छा । गोयमा ! सिद्धा णं सम्मद्दिट्ठी, णो मिच्छट्ठिी णो सम्मामिच्छद्दिट्ठी ॥ २५० Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं अंतकिरियापयं गाहा १णेरइय अंतकिरिया, २ अणंतरं ३ एगसमय ४ उव्वट्टा । ५ तित्थगर ६ चक्कि ७ बल', ८ वासुदेव : मंडलिय १० रयणा य ॥१॥ अंतकिरिया-पदं १. जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए करेज्जा, अत्थेगइए णो करेज्जा । एवं रइए जाव वेमाणिए । २. णेरइए णं भंते ! गेरइएसु अंतकिरियं करेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समझें ।। ३. गेरइए णं भंते ! असुरकुमारेसु अंतकिरियं करेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समझें ॥ ४. एवं जाव वेमाणिएसु, गवरं-मणूसेसु अंतकिरियं करेज्ज त्ति पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगइए करेज्जा, अत्थेगइए णो करेज्जा ।। ५. एवं असुरकुमारे जाव वेमाणिए । एवमेते' चउवीसं धउवीसदंडगा ॥ अणंतर-पदं ६. रइया णं भंते ! कि अणंतरागता अंतकिरियं करेंति ? परंपरागया अंतकिरियं करेंति ? गोयमा ! अगंतरागया वि अंतकिरियं करेंति, परंपरागता वि अंतकिरियं करेंति । एवं रयणप्पभापुढविणेरइया वि जाव पंकप्पभापुढविणेरइया ।। ७. धूमप्पभापुढविणेरइया णं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! णो अणंतरागया अंतकिरियं करेंति, परंपरागया अंतकिरियं करेंति । एवं जाव अहेसत्तमापुढविणेरइया ॥ ८. असुरकुमारा जाव थणियकुमारा पुढवि-आउ-वणस्स इकाइया य अणंतरागया वि अंतकिरियं करेंति, परंपरागया वि अंतकिरियं करेंति । तेउ-वाउ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया णो अणंतरागया अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति । सेसा अणंतरागया वि अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया वि अंतकिरियं पकरेंति ॥ एगसमय-पदं ६. अणंतरागया णं भंते ! णेरइया एगसमएणं केवतिया अंतकिरियं पकरेंति ? १. बलदेव (क,ख)। २. एवमेव (क,ग,ध); एवामेव (ख)। २५१ Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ पण्णवणासुतं गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं दस । रयणप्पभापुढविणेरइया वि एवं चेव जाव वालुयप्पभापुढविणेरइया । १०. अणंतरागया णं भंते ! पंकप्पभापुढविणेरइया एगसमएणं केवतिया अंतकिरियं पकरेंति ? गोयमा ! जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं चत्तारि ॥ ११. अणंतरागया णं भंते ! असुरकुमारा एगसमएणं केवइया अंत किरियं पकरेंति ? गोयमा ! जहणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं दस ॥ १२. अणंतरागयाओ णं भंते ! असुरकुमारीओ एगसमएणं केवतियाओ अंतकिरियं पकरेंति ? गोयमा ! जहणणं एक्को [क्का ?] वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं पंच । एवं जहा असुरकुमारा सदेवीया तहा जाव थणियकुमारा ॥ १३. अणंतरागया णं भंते ! पढविक्काइया एगसमएणं केवतिया अंतकिरियंपकरेंति? गोयमा ! जहण्णणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । एवं आउक्काइया वि चत्तारि । वणप्फइकाइया छ। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया दस । तिरिक्खजोणिणोओ दस । मणूसा दस। मणूसीओ वीसं। वाणमंतरा दस । वाणमंतरीओ पंच। जोइसिया दस । जोइसिणीओ वीसं । वेमाणिया अट्ठसतं । वेमाणिणीओ वीसं ॥ उब्व-पदं १४. णेरइए णं भंते ! गैरइएहितो अणंतरं उन्वट्टित्ता णेरइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समढें ॥ १५. णेरइए णं भंते ! णेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता असुरकुमारेसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समठे ॥ १६. एवं निरंतरं जाव चउरिदिएसु पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे । १७. जेरइए णं भंते ! णेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा। जे णं भंते ! णेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जेज्जा से पं केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए? गोयमा! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा। जेणं भंते ! केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुज्झज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए बुज्झेज्जा, अत्थेगइए णो बुज्झेज्जा। जेणं भंते ! केवलं बोहिं बुज्झेज्जा से णं सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा ? गोयमा ! सहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा। जे णं भंते ! सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा से णं आभिणिबोहियणाण-सुयणाणाई उप्पाडेज्जा ? हंता गोयमा ! उप्पाडेज्जा । जे णं भंते ! आभिणिबोहियणाण-सुयणाणाई उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा सीलं वा वयं वा गुणं वा वेरमणं वा पच्चक्खाणं वा पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए ? गोयमा ! अत्थेगइए संचाएज्जा, अत्येगइए णो संचाएज्जा। जे णं भंते ! संचाएज्जा सीलं वा जाव पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए से णं ओहिणाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए णो उप्पाडेज्जा। Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीस इमं अंतकिरियापयं २५३ जे णं भंते ओहिणाणं उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ? गोयमा ! णो इणठे समठे।।। १८. णेरइए णं भंते ! णेरइएहितो अणंतरं उवट्टित्ता मणूसेसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा। जे णं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! "अत्थेगइए ल भेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा। जे णं भंते ! केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुज्झज्जा? गोयमा ! अत्थेगइए बुज्झेज्जा, अत्थेगइए नो बुज्झेज्जा । जे णं भंते ! केवलं बोहिं बुज्झेज्जा से णं सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा ? गोयमा ! सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा। जे णं भंते ! सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा से णं आभिणिबोहियणाण-सुयणाणाई उप्पाडेज्जा ? हंता ! गोयमा ! उप्पाडेज्जा। जे णं भंते ! आभिणिबोहियणाण-सुयणाणाई उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा सीलं वा वयं वा गुणं वा वेरमणं वा पच्चक्खाणं वा पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए? गोयमा ! अत्थेगइए संचाएज्जा, अत्येगइए णो संचाएज्जा। जे गं भंते ! संचाएज्जा सीलं वा जाव पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए से णं ओहिणाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए णो उप्पाडेज्जा। जे णं भंते ! ओहिणाणं उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ? गोयमा ! अत्थेगइए संचाएज्जा, अत्थेगइए णो संचाएज्जा। जे णं भंते ! संचाएज्जा मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए से णं मणपज्जवणाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए णो उप्पाडेज्जा। जेणं भंते ! मणपज्जवणाणं उप्पाडेज्जा से णं केवलणाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उप्पाडेज्जा, अत्थेगइए णो उप्पाडेज्जा। जे णं भंते ! केवलणाणं उप्पाडेज्जा से णं सिज्झज्जा बुज्झज्जा मूच्चेज्जा सव्वदुक्खाणं अंतं करेज्जा ? गोयमा ! सिज्झज्जा जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेज्जा ॥ १९. णेरइए णं भंते ! णेरइएहितो अणंतरं उव्व ट्टित्ता वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समठे।। __ २०. असुरकुमारे णं भंते ! असुरकुमारेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता गेरइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समठे। २१. असुरकुमारे गं भंते ! असुरकुमारहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता असुरकुमारेसु उववज्जिज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समझें। एवं जाव थणियकुमारेसु ॥ २२. असुरकुमारे णं भंते! असुरकुमारेहितो अणंतरं उव्व ट्टित्ता पुढविक्काइएसु उववज्जेज्जा ? हंता गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा। जेणं भंते ! उववज्जेज्जा सेणं केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! नो १. सं० पा०--जहा पर्चेदियतिरिवखजाणिएस जाव जे णं । Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ इणट्ठे समट्ठे । एवं आउ-वणप्फईसु वि ॥ २३. असुरकुमारे णं भंते ! असुरकुमारेहितो अनंतरं उब्वट्टित्ता तेउ वाउ- बेइंदियतेइंदिय - चउरिदिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । अवसेसेसु पंचसु पंचेंदियतिरिक्खजोणियादिसु असुरकुमारे जहा' णेरइए । एवं जाव थणियकुमारे ॥ २४. पुढविकाइए णं भंते ! पुढविक्काइएहितो अनंतरं उव्वट्टित्ता रइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । एवं असुरकुमारेसु वि जाव थणियकुमारेसु वि ॥ २५. पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइएहितो अनंतरं उवट्टित्ता पुढविक्काइए उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्येगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा । जे णं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! णो इट्ठे समट्ठे । एवं आउक्काइयादीसु णिरंतरं भाणियव्वं जाव चउरिदिए । पंचेंदियतिरिक्खजोणिय - मणूसेसु जहा णेरइए । वाणमंतर जोइसिय-वेमागिएसु पडिसेहो || २६. एवं जहा पुढविक्काइओ भणिओ तहेव आउवकाइओ वि वणरफइकाइओ वि भाणियव्व ॥ २७. ते उक्काइए णं भंते! तेउक्काइएहितो अनंतर उन्वट्टित्ता रइएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । एवं असुरकुमारेसु वि जाव थणियकुमारेसु वि 1 २८. पुढविक्काइ आउ-ते उ वाउ वणस्सइ-बेइं दिय-ते इंदिय- चउरिदिए सु अत्येगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा । जे णं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणताए' ? गोयमा ! नो इट्ठे समट्ठे ॥ २६. ते उक्काइए णं भंते ! तेउक्काइएहितो अनंतरं उब्वट्टित्ता पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए णो उववज्जेज्जा । जे गं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! अत्थेrइए लभेज्जा, अत्थेगइए जो लभेज्जा । जे णं भते ! केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुज्झेज्जा ? गोयमा ! गो इणट्ठे समट्ठे ॥ ३०. मणूस-वाणमंतर-जोइसिय- वेमा णिएसु पुच्छा । गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । ३१. एवं जहेव ते उक्काइए णिरंतरं एवं वाउक्काइए वि ॥ ३२. बेइदिए णं भंते! बेइंदिएहितो अनंतरं उव्वट्टित्ता णेरइएसु उववज्जेज्जा ? गोमा ! जहा पुढविक्काइए, णवरं - मणूसेसु जाव मणपज्जवणाणं उप्पाडेज्जा | ३३. एवं तेइंदिय- चउरिदिया वि जाव मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा । जे णं भंते ! मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा से णं केवलणाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! णो इट्ठे समट्ठे || १. ५० २०१७-१६ । २. प० २०१७, १८ पण्णवणासुतं ३. सवण्याते ( ख ) । ४. ५० २०३२४, २५ । Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं अंतकिरियापयं २५५ ३४. पंचेंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो अणंतरं उवट्टित्ता णेरइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्यंगइए णो उववज्जेज्जा। जे णं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए ? गोयमा ! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा। जे णं केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुज्झज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए बुज्झज्जा, अत्थेगइए नो बुज्झेज्जा।। जे णं भंते ! केवलं बोहिं बुज्झज्जा से णं सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा? हंता गोयमा ! •सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा। जे णं भंते ! सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा से णं आभिणिवोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाणाणि उप्पाडेज्जा ? हंता गोयमा ! उप्पाडेज्जा।। जे णं भंते ! आभिणिवोहियणाण-सुयणाण-ओहिणाणाई उप्पाडेज्जा से णं संचाएज्जा सीलं वा' 'वयं वा गुणं वा वेरमणं वा पच्चक्खाणं वा पोसहोववासं वा पडिवज्जित्तए ? गोयमा ! णो इणठे समझें ॥ ___ ३५. एवं असुरकुमारेसु वि जाव थपियकुमारेसु । एगिदिय-विलिदिएसु जहा' पुढविक्काइए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु मणूसेसु य जहाँ मेरइए। वाणमंतर-जोतिसियवेमाणिएसु जहाणेरइएसु उववज्जेज्जत्ति पुच्छाए भणियाए । ३६. एवं मणूसे वि ।। ३७. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे ।। तित्थगर-पदं ३८. रयणप्पभापुढविणेरइए णं भंते ! रयणप्पभापुढविणेरइएहितो अणंतरं उव्वद्वित्ता तित्थगरत्तं लभेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा ।।। ३६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा? गोयमा ! जस्स णं रयणप्पभापुढविणेरइयस्स तित्थगरणाम-गोयाई कम्माई बद्धाइं पुदाई कडाई पट्टवियाई णिविद्वाई अभिनि विट्ठाई अभिसमण्णागयाई उदिण्णाई णो उवसंताई भवंति से णं रयणप्पभापुढविणेरइए रयणप्पभापुढविणेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरतं लभेज्जा, जस्स णं रयणप्पभापूढविणेरइयस्स तित्थगरणाम-गोयाइं णो वडाइं जाव णो उदिण्णाई उक्संताई भवंति से णं रयणप्पभापुढविणेरइएहितो अणंतरं उबट्टित्ता तित्थगरत्तं णो लभेज्जा ! से तेणठेगं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइए लभेज्जा अत्येगइए णो लभेज्जा। एवं जाव वालुयप्पभापुढविणेरइएहितो तित्थगरत्तं लभेज्जा ।। ४०. पंकप्पभापुढविणेरइए णं भते ! पंकप्पभापुढविणेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरत्तं लभेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समझें। अंतकिरियं पुण करेज्जा ।। १. सं० पा०-गोयमा जाव रोएज्जा। २. सं० प०-सील वा जाव पडिवज्जित्तए। ३. प० २०१२५। ४. प० २०११७,१८ । ५. प० २०१३४। ६. प० २०१२०-२३ । Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ पण्णवणासुत्तं __४१. धूमप्पभापुढविणेरइए णं पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे, विरतिं पुण लभेज्जा॥ ४२. तमापुढविणेरइए णं पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे, विरयाविरतिं पुण लभेज्जा॥ ४३. अहेसत्तमाए पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समझें, सम्मत्तं पुण लभेज्जा ॥ ४४. असुरकुमारे णं पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे, अंतकिरियं पुण करेज्जा। एवं निरंतरं जाव आउक्काइए ।। ४५. ते उक्काइए णं भंते ! तेउक्काइएहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता 'तित्थगरत्तं लभेज्जा" ? गोयमा ! णो इणठे समठे, केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्जा सवणयाए । एवं वाउक्काइए वि।। ४६. वणप्फइकाइए णं पुच्छा ! गोयमा ! णो इणठे समठे, अंतकिरियं पुण करेज्जा ॥ ४७. बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिए णं पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे, मणपज्जवणाणं पुण उप्पाडेज्जा ॥ ४८. पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणूस-वाणमंतर-जोइसिए णं पुच्छा। गोयमा ! गो इणढे समठे, अंतकिरियं पुण करेज्जा ।। ४६. सोहम्मगदेवे णं भते ! अणंतरं चयं चइत्ता तित्थगरत्तं लभेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा । एवं जहा' रयणप्पभापुढविणेरइए । एवं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवे॥ चक्कवट्टि-पदं ५०. रयणप्पभापुढविणेरइए णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता चक्कवट्टित्तं लभेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा॥ ५१. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! जहा रयणप्पभापुढविणेरइयस्स तित्थगरत्ते ॥ ५२. सक्करप्पभापुढविणे रइए अणंतरं उव्वट्टित्ता चक्कवट्टित्तं लभेज्जा ? गोयमा ! णो इणठे समझें । एवं जाव अहेसत्तमापुढविणेरइए । ५३. तिरिय-मणुएहितो पुच्छा । गोयमा ! णो इणठे समठे ।। ५४. भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएहितो पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगइए लभेज्जा, अत्थेगइए नो लभेज्जा ।। बलदेव-पदं ५५. एवं बलदेवत्तं पि, णवरं-सक्करप्पभापुढविणेरइए वि लभेजा। १. उबवज्जेज्जा (क,ख,ग,घ); अस्मिन् तीर्थकर. द्वारे तित्थ गरत्तं लभेज्जा' इति प्रश्नसूचक: पाठः सर्वत्र साधारणोस्ति । पूर्वस्मिन् द्वारे 'उववज्जेज्जा' इति पदं साधरणमस्ति । केनापि कारणेन तदेवात्र अनुवृत्तभिति प्रतीयते । २. इणमठे (क)। ३. प० २०१३८,३६ । ४. प० २०३६ । Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं अंतकिरियापयं २५७ वासुदेव-पदं ५६. एवं वासुदेवत्तं दोहितो पुढवीहितो वेमाणिएहितो य अणुत्तरोववातियवज्जेहितो, सेसेसु णो इणठे समठे ॥ मंडलिय-पदं ___ ५७. मंडलियत्तं अहेसत्तमा-तेउ-वाउवज्जेहितो ।। रयण-पदं ५८. सेणावइरयणत्तं गाहावइरयणत्तं वड्डइरयणत्तं पुरोहियरयणत्तं इत्थिरयणत्तं च एवं चेव, णवरं-- अणुत्तरोववाइयवज्जेहितो।। ५६. आसरयणत्तं हत्थिरयणत्तं च रयणप्पभाओ णिरंतरं जाव सहस्सारो अत्येगइए लभेज्जा, अत्थेगइए णो लभेज्जा ॥ ६०. चक्करयणत्तं 'छत्तरयणत्तं चम्मरयणत्तं" दंडरयणत्तं असिरयणत्तं मणिरयणतं कागिणिरयणत्तं एतेसि णं असुरकुमारेहितो आरद्धं निरंतरं जाव ईसाणेहितो उववातो, सेसेहितो णो इणळे देवउववाय-पदं ६१. अह भंते ! असंजयभवियदव्वदेवाणं अविराहियसंजमाणं विराहियसंजमाणं अविराहियसंजमासंजमाणं विराहियसंजमासंजमाणं असण्णीणं तावसाणं कंदप्पियाणं चरगपरिव्वायगाणं किब्बिसियाणं तेरिच्छियाणं' आजीवियाणं आभिओगियाणं सलिंगीणं दसणवावण्णगाणं' देवलोगेसु उववज्जमाणाणं कस्स कहि उववाओ पण्णत्तो? गोयमा ! अस्संजयभवियदव्वदेवाणं जहण्णेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं उवरिमगेवेज्जगेसु । अविराहियसंजमाणं जहण्णेणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं सव्वट्ठसिद्धे। विराहियसंजमाणं जहणणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे । अविराहियसंजमासंजमाणं जहण्णेणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे । विराहियसंजमासंजमाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं जोइसिएसु । असण्णीणं जहणेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं वाणमंतरेसु। तावसाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं जोइसिएसु । कंदप्पियाणं जहण्णणं भवणवासीसू, उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे । चरग-परिव्वायगाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं बंभलोए १. चम्मरयणत्तं छत्तरयणतं (क)। २. तेरच्छियाणं (ख)। ३. सणवावण्णाणं (ख); दसणवावगाणं एतेसि गं (भ० १०११३) । ४. सव्वट्ठसिद्धे विमाणे (भ० १२११३)। ५. अतोने भगवत्या (११११३) रचनाभेदो दृश्यते अवसेसा सव्वे जहण्णणं भवणवासीसु उक्कोसेणं वोच्छामि--तावसाणं जोतिसिएसु, कंदप्पियाणं सोहम्मे कप्पे, चरग-परिव्वातगाणं बंभलोए कप्पे, किब्बिसियाणं लंतगे कप्पे, तेरिच्छियाणं सहस्सारे कप्पे, आजीवियाणं अच्चुए कप्पे, अभिओगियाणं अच्चुए कप्पे, सलिंगीणं दंसणवावन्नगाणं उवरिमगेविज्जएस। 'अवसेसा सव्वे जहण्जेणं भवणवासीसु' इति नियमानुसारेण किल्विषिकाणामपि जघन्येन भवनवासिषु उपपातो भवति, किन्तु प्रस्तुतसूत्रे 'किब्बिसियाणं जहणणं सोहम्मे कप्पे' इति पाठोस्ति तेनास्य कथं संगतिः स्यादिति चिन्त्यमस्ति । अथवा स्याद् वाचनाभेदः । Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ पण्णवणासुत्तं कप्पे। किब्विसियाणं जहणणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं लंतए करपे। तेरिच्छियाणं जहण्णणं भवणवासीसु, उवकोसेणं सहस्सारे कप्पे । आजीवियाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे । एवं आभिओगाण वि। सलिंगीणं दंसणवावण्णगाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं उवरिमगेवेज्जएसु ।। असण्णिआउय-पदं ६१. कतिविहे णं भंते ! असण्णिआउए पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे असण्णिआउए पण्णत्ते, तं जहा–णेरइयअसण्णिआउए जाव देवअसण्णिआउए । ६३. असण्णी णं भंते ! जीवे कि रइयाउयं पक रेति जाव देवाउयं पकरेति ? गोयमा ! णेरइयाउयं पकरेति जाव देवाउयं पकरेति । रइयाउयं पकरेमाणे जहणेणं दस वाससहस्साइं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभाग पकरेति । तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेति । एवं मणुयाउयं पि । देवाउयं जहा रइयाउयं ॥ ६४. एयस्स णं भंते ! णेरइयअसण्णिआउयस्स जाव देवअसण्णिआउयस्स य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे देवअसण्णिआउए, मणुयअसण्णिआउए असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियअसण्णिआउए असंखेज्जगुणे, नेरइयअसण्णिआउए असंखज्जगुणे ॥ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइमं ओगाहणसंठाणपयं गाहा--- १ विहि २ संठाण ३ पमाणं, ४ पोग्गलचिणणा ५ सरीरसंजोगो। ६ दव्व-पएसप्पबहुं, ७ सरीरओगाहणप्पबहुं ॥१॥ सरीर-पदं १. कति णं भंते ! सरीरया' पण्णता ? गोयमा ! पंच सरीरया पण्णत्ता, तं जहाओरालिए वेउविए आहारए तेयए कम्मए । ओरालियसरीरे विहि-पदं २. ओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा---- एगिदियओरालियसरीरे जाव पंचें दियओरालियसरीरे॥ ३. एगि दियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-पुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे जाव वणप्फइकाइयएगिदियओरालियसरीरे॥ ४. पुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे णं भंते ! कति विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–सुहुमपुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे य बादरपुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे य॥ ५. सुहुमपुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--पज्जत्तगसुहुमपुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगसुहमपुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरे य । वादरपुढविक्काइया वि एवं चेव । एवं जाव वणस्सइकाइयएगिदियओरालियसरीरे ति ॥ ६. बेइंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कति विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–पज्जत्तबेइंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तबेइंदियओरालियसरीरे य । एवं तेइंदियचउरिदिया वि ॥ ७. पंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-तिरिक्खपंचेंदियओरालियसरीरे य मणुस्सपंचेंदियओरालियसरीरे य॥ ८.तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! १. सरीरा (ग)। २. ओरालिय (क,ख,घ)। २५६ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० पण्णवणासुत्तं तिविहे पण्णत्ते, तं जहा--जलयरतिरिक्खजोणियपंचेदियओरालियसरीरे य थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य खयरतिरिक्खजोणियपंचेदियओरालियसरीरे य । १. जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गब्भवक्कंतियजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य ।। १०. सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पज्जत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । एवं गब्भवतिए वि॥ ११. थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचें दियओरालियसरीरे य परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालि यसरीरे य ।। १२. चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य॥ १३. सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -पज्जत्तगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य अपज्जतगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । एवं गब्भवक्कतिए वि ।। १४. परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-उरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य भुयपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेदियओरालियसरीरे य । १५. उरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य ।। १६. सम्मुच्छिमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अपज्जत्तसम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य पज्जत्तसम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य। एवं गब्भवक्कंतिय उरपरिसप्पच उक्कओ भेदो। एवं भुयपरिसप्पा वि सम्मुच्छिम-गब्भवतिय-पज्जत्त-अपज्जत्ता ।। १७. खहयरा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सम्मुच्छिमा य मब्भवक्कंतिया य ।। १८. सम्मूच्छिमा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य। गब्भवतिया वि पज्जत्ता य अपज्जत्ता य॥ १६. मणूसपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मुच्छिममणूसपंचेंदियओरालियसरीरे य गम्भवक्कंतियमणूसपंचेंदिय Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइमं ओगाहणसंठाणपयं २६१ ओरालियसरीरे य ।। २०. गब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -पज्जत्तगगब्भवतियमणूसपंचेंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियओरालियसरीरे य॥ ओरालियसरीरे संठाण-पदं २१. ओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! गाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ॥ २२. एगिदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते । २३. पुढविक्काइयएगिदियओरालि यसरीरे णं भंते ! किसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मसूरचंदसंठाणसंठिए' पण्णत्ते । एवं सुहमपुढविक्काइयाण वि । बायराण वि एवं चेव । पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव ।। २४. आउक्काइयएगिदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! थिबुगविंदुसंठाणसंठिए पणत्ते । एवं सुहम-बायर-पज्जत्तापज्जत्ताण वि ॥ २५. ते उक्काइयएगिदियओगलियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! सूईकलावसंठाणसंठिए' पण्णत्ते । एवं सुहुम-वादर-पज्जत्तापज्जत्ताण वि ॥ २६. वाउक्काइयाणं पडागासंठाणसंठिए' पण्णत्ते । एवं सुहुम-बायर-पज्जत्तापज्जत्ताण वि। २७. वणप्फइकाइयाणं णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते । एवं सुहुम-बायर-पज्जत्तापज्जत्ताण वि।। २८. बेइंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! हंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते । एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि। एवं तेइंदिय-चरिदियाण वि॥ २६. तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किसंठाणसंठिए पण्णते ? गोयमा ! छव्विहसं ठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा-समच उरंससंठाणसंठिए जाव हुंडसंठाणसंठिए'। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि ।। ३०. सम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते । एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि॥ ३१. गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा समचउरंसे जाव हुंडसंठाणसंठिए। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि । एवमेते तिरिक्ख जोणियाणं ओहियाणं णव आलावगा।। ३२. जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णते? १. मसूराचंद (घ)। २. सूयी° (क,घ)। ३. °याण वि (ख,ग,घ)। ४. पडाग (ख)। ५. प०१५॥३५॥ ६. संठिए वि (ग)। Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ पण्णवणासुत्तं गोयमा ! छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा-समचउरंसे जाव हुंडे । एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि ।। ३३. सम्मुच्छि मजलयरा हुंडसंठाणसंठिया। एतेसिं चेव पज्जत्तापज्जत्तगा वि एवं चेव ॥ ३४. गब्भवक्कंतियजलयर। छविवहसंठाणसंठिया । एवं पज्जत्तापज्जत्तगा वि ।। ३५. एवं थलयराण वि णव सुत्ताणि । एवं च उप्पयथलयराण वि उरपरिसप्पथलयराण वि भुयपरिसप्पथलयराण वि । एवं खहयराण वि णव सुत्ताणि, णवरं-सव्वत्थ सम्मुच्छिमा हंडसंठाणसंठिया भाणियव्वा, इयरे छसू वि ।। ___३६. मणूसपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तं जहा-समचउरसे जाव हुंडे । पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव । गब्भवक्कंतियाण वि एवं चेव । पज्जत्तापज्जत्तगाण वि एवं चेव ।। ३७. सम्मुच्छिमाणं पुच्छा । गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिया पण्णत्ता ।। ओरालियसरीरे पमाण-पदं ३८. ओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं ।। ३६. एगिदियओरालियस्स वि एवं चेव जहा ओहियस्स ।। ४०. पुढविक्काइयएगिदियओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया 'सरीरओगा. हणा पण्णता ?° गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । एवं अपज्जत्तयाण वि पज्जत्तयाण वि । एवं सुहुमाण वि पज्जत्तापज्जत्ताणं । बादराणं पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं। एसो णवओ भेदो। जहा पुढविक्काइयाण तहा आउक्काइयाण वि तेउक्काइयाण वि वाउक्काइयाण वि॥ । ४१ वणस्सइकाइयओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता? गोयमा ! जहण्णण अंगुलस्स असंखंज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेग जोयणसहस्स। अपज्जत्तगाणं जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंगलस्स असंखेज्ज इभाग । पज्जत्तगाणं जहण्णणं अंगलन्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं । वादराणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं । पज्जत्ताण वि एवं चेव। अपज्जत्ताणं जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभाग । सुहुमाणं पज्जत्तापज्जत्ताण य तिण्ह वि जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं ॥ ४२. बेइंदियओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं वारस जोयणाई। एवं सव्वत्थ वि अपज्जत्तयाणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं जहणेण वि उक्कोसेण वि । पज्जत्तयाणं जहेव ओहियस्स एवं तेइंदियाणं तिण्णि गाउयाई. चरिदियाणं चत्तारि गाउयाई।। १. सं०पा०---पुच्छा । २. सर्वेष्वपि आदर्शषु ओरालियस्स ओहियस्स' इति पाठो लभ्यते, किन्तु 'ओरालियस्स' इति पदं अत्र सङ्गतं नास्ति। यदि 'ओरालियस्स ओहियस्स' इति पाठः स्वीकृतः स्यात् तदा द्वीन्द्रियौदारिकशरीरस्य उत्कृष्टावगाहना Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीस इमं ओगाहणसंठाणपयं ४३. पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ३, एवं सम्मुच्छिमाणं ३, गब्भवक्कंतियाण वि ३ । एवं चेव णवओ भेदो भाणियन्वो । एवं जलयराण वि जोयणसहस्सं, णवओ भेदो।।। ४४. थलयराण वि णवओ भेदो' ओहियच उप्पयपज्जत्तय-गब्भवक्कतियपज्जत्तयाण य उक्कोसेणं छग्गाउयाई । सम्मुच्छिमाणं पज्जत्ताण य गाउयपुहत्तं उक्कोसेणं ॥ ४५. एवं उरपरिसप्पाण वि ओहिय-गब्भवक्कतियपज्जत्ताणं जोयणसहस्सं सम्मुच्छिमाणं जोयणपुहत्तं ।। ४६. भुयपरिसप्पाणं ओहिय-गन्भवक्कंतियाण य उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं । सम्मुच्छिमाणं धणुपुहत्तं ॥ ४७. खहय राणं ओहिय-गब्भवक्कंतियाणं सम्मुच्छिमाण य तिण्ह वि उक्कोसेणं धणुपुहत्तं । इमाओ संगहणिगाहाओ जोयणसहस्स छग्गाउयाई तत्तो य जोयणसहस्सं । गाउयपुहत्त भुयए, धणुहपुहत्तं च पक्खीसु ॥१॥ जोयणसहस्स गाउयपुहत्त तत्तो य जोयणपुहत्तं । दोण्हं तु धणुपुहत्तं', सम्मुच्छिमे होति उच्चत्तं ।।२।। ४८. मणुस्सोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । अपज्जत्ताणं जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । सम्मुच्छिमाणं जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स सातिरेक योजनसहस्रं प्रसज्येत द्रष्टव्यं ३५ द्वीन्द्रियादीनां जघन्यावगाहना अंगुलस्य संख्येयसूत्रम्। तच्च अनिष्टम् । द्वीन्द्रियौदारिक- भागं दृश्यते। द्रष्टव्यम्-४०५ सूत्रस्य पादशरीरस्य औधिकसूत्रे तस्य उत्कृष्टावगाहना टिप्पणम् । द्वादशयोजनानि एव विद्यते- द्रष्टव्यं ४२ १. भेदो उक्कोसेणं छग्गाउयाई, पज्जत्ताण वि सूत्रम् । अनुयोगद्वारस्य विस्तृतवाचनायां एवं चेव ३। मम्मुच्छिमाण पज्जत्ताण य अस्यैव संवादी पाठो दृश्यते—'पज्जत्तगाणं उक्कोसेणं गाउयपृहत्तं। गन्भवतियाणं उक्कोसेणं बारसजोयणाणि' । मलयगिरिवत्ता- उक्कोसेणं छग्गाउयाइं पज्जत्ताण य २ (क,ख, वपि अस्य संवादिव्याख्या लभ्यते -तत्रौधिक- ग,ध); असौ पाठः सर्वेष्वपि आदर्शषु लभ्यते, सूत्रे पर्याप्तसूत्रे च द्वीन्द्रियाणामुत्कर्षतो द्वादश वृत्तौ च नास्ति व्याख्यातः, अनावश्यकोपि योजनानि। एतैः कारण: 'ओरालियरस' इति प्रतिभाति । 'ओहियचउप्पयपज्जत्तय' इत्यादि पदं नास्माभिर्मूले स्वीकृतम्। सम्भाध्यते पाठः अर्थसिद्धय पर्याप्तोस्ति वृत्तावपि एवमेलिपिदोषेण असौ मूले प्रवेश प्राप्तः । वास्ति व्याख्यात:---स्थलचरेषु चतुष्पदस्थल_'जहेव ओहियस्य' इति समर्पणसुत्रेण चरेषु चौधिकेषु गर्भव्युत्क्रान्तिकेषु च षट्गव्यूपर्याप्तकानां द्वीन्द्रियाणां जप्रन्यावगाहना तानि, सम्मूच्छिमेषु गव्यूतपृथक्त्वम् । अंगुलस्य असंख्येयभागमापद्यते। अन्यत्रापि (४८ सूत्रपर्यन्तम् ) एष एव कमोस्ति । अनु- ३. धणहपुहत्तं (ख)। योगद्वारस्य विस्तृतवाचनायां पर्याप्तानां Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ पण्णवणासुत असंखेज्जइभागं । गब्भवक्कंतियाणं पज्जत्तयाण य जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं तिष्णि गाउयाई ।। वेउब्वियसरीरे विहि-पदं ४६. वे उब्वियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - एगिदियवेउब्वियसरीरे य पंचेंदियवे उव्वियसरीरे य ।। ५०. जदि एगिदियवेउब्वियसरीरे किं वाउक्काइयएगिदियवेउब्वियसरीरे अवाउक्काइयएगिदियवेउन्वियसरीरे ? गोयमा! वाउक्काइयएगिदियवेउव्यियसरीरे, णो अवाउक्काइयएगिदियवेउब्वियसरीरे। जदि वाउक्काइयए गिदियवे उब्वियसरीरे कि सुहमवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे ? बादरवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! णो सुहुमवाउक्का इयरगिदियवेउवियसरीरे, बादरवाउक्काइयएगिदियवे उव्वियसरीरे। जदि वादरवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे कि पज्जत्तबादरवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे? अपज्जत्तवादरवाउक्काइयएगिदियवेउब्वियसरीरे? गोयमा ! पज्जत्तबादरवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे, णो अपज्जत्तबादरवाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरे ।। ५१. जदि पंचेंदियवेउब्वियसरीरे किं रइयपंचेंदियवेउब्वियसरीरे जाव किं देवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! णेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरोरे वि जाव देवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि॥ ५२. जदि णेरइयपंचेंदियवेउब्वियसरीरे किं रयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवेउब्वियसरीरे जाव कि अहेसत्तमापुढविणेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! रयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरे वि जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरे वि। जदि रयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं पज्जत्तगरयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवे उब्वियसरीरे ? अपज्जत्तगरयणप्पभापुढविणेरइयपचे दियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! पज्जत्तगरयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि अपज्जत्तगरयणप्पभापुढविणेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरे वि । एवं जाव अहेसत्तमाए दुगतो भेदो णेयव्वो' । ५३. जदि तिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे कि सम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे? गोयमा ! णो सम्मच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे, गभवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउ व्वियसरीरे। जदि गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउन्वियसरीरे किं संखेज्जवासाउयगम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? असंखेज्जवासाउयगभवतियतिरिक्ख जोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे,णो असंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे। १. भाणियव्वो (ख,ग,घ)। २. पंचेंदियतिरिक्खजोणिय (क,ख,ग) प्रायः सर्वत्र । Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइम ओगाहणसंठाणपये २६५ जदि संखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवे उब्वियसरीरे कि पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे? अपज्जत्तगसंखेज्जवासा उयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचें दियवेउब्वियसरीरे. णो अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे। जदि संखेज्जवासाउयगब्भववक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवे उब्वियसरीरे कि जलयरसंखेज्जवासाउयगम्भववक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्बियसरीरे ?थलयरसंखेज्जवासाउयगभवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? खयरसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कतियतिरिक्खजोणियपंदियवेउब्वियसरीरे? गोयमा ! जलयरसंखेज्जवासाउयगम्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवे उब्वियसरीरे वि. थलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे वि, खयरसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवे उब्वियसरीरे वि। जदि जलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्ख जोणियपंचेंदिथवे उव्वियसरीरे कि पज्जत्तगजलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे? अपज्जत्तगजलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरे? गोयमा! पज्जत्तगजलयरसंखज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्ख जोणियपंचेदियवे उब्वियसरीरे. जो अपज्जत्तगजलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवतियतिरिक्खजोणियपंचेंदिय वेउव्वियसरीरे। जदि थलयरसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउब्वियसरीरे कि च उप्पय जाव सरीरे ? परिसप्प जाव सरीरे ? गोयमा ! च उप्पय जाव सरीरे वि. परिसप्प जाव सरीरे वि । एवं सन्वेसि गेयं जाव खहयराणं पज्जत्ताणं, णो अपज्जत्ताणं ।। ५४. जदि मणूसपंचेंदियवेउवियरीरे किं सम्मुच्छिममणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउब्धियसरीरे ? गोयमा ! णो सम्मुच्छिममणूसपंचेंदियवे उब्वियसरीरे, गब्भवतियमणूसपंचेंदियवे उब्वियसरीरे। जदि गब्भवक्कंतियमणपंचेंदियवेउब्वियसरीरे किं कम्मभूमगगमवक्कतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? अंतरदीवयगब्भवतियमणसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा! कम्मभमगगभवतियमणसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे, णो अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे, णो अंतरदीवयगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे। जदि कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणसपंचेंदियवे उब्वियसरीरे कि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगन्भवतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वि यसरीरे, णो असंग्वेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतिमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे। ३. °सरीरे य (क घ)। १. पंचेंदिय जाव सरीरे (ग)। २. कम्मभुमिग (ख)! Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ पण्णवणासुतं जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भवक्कतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमग गब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे, णो अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचें दियवे उव्वियसरीरे।।। ५५. जदि देवयंचदियवे उब्वियसरीरे किं भवणवासिदेवपंचे दियवेउब्वियसरीरे जाव वेमाणियदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! भवणवासिदेवपंच दियवे उव्वियसरीरे वि जाव वेमाणियदेवपंच दियवेउब्वियसरीरे वि। जदि भवणवासिदेवपंचेंदियवेउव्वियसरीरे कि असूरकूमारभवणवासिदेवपंचे दियवेउब्वियसरीरे जाव थणियकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! असुरकुमार जाव थणियकूमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि। जदि असुरकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे किं पज्जत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचदियवेउब्वियसरीरे ? अपज्जत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! पज्जत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउव्वियसरीरे वि अपज्जत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि। एवं जाव थणियकुमाराणं दुगओ भेदो। एवं वाणमंतराणं अट्ठविहाणं, जोइसियाणं पंचविहाणं । वेमाणिया दुविहाकापोवगा कप्पातीताय। कप्पोवगा वारसविहा। तेसि पि एवं चेव दगतो भेदो। कप्पातीता दुविहा-गेवेज्जगा य अणुत्तरा य । गेवेज्जगा णवविहा । अणुत्तरोववाइया पंचविहा । एतेसि पज्जत्तापज्जत्ताभिलावेणं दुगतो भेदो॥ वेउब्वियसरीरे संठाण-पदं ५६. वेउव्वियसरीरे णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। ५७. बाउक्काइयएगिदियवे उब्बियसरीरे णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! पडागासंठाणसं ठिाए पण्णत्ते ।। ५८. णेरइयपंचेंदियवे उब्बियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मेरइयपंचेंदियवे उब्वियसरीरे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–भवधार णिज्जे य उत्तरवेउब्विए य ! तत्थ णं जेसे भवधारणिज्जे से हंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते । तत्थ णं जेसे उत्तरवेउन्विए से वि हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। ५६. रयणप्पभापुढविणे रइयपंचेंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते! किसठाणसंठिए पण्णते? गोयमा ! रयणप्पभापुढविणेरइयाणं दुविहे सरोरे पण्णत्ते, तं जहा ---भवधारणिज्जे य उत्तरवे उव्विए य । तत्थ णं जेसे भवधारणिज्जे से वि हुंडे, जे वि उत्तरवेउव्विए से वि हुंडे । एवं जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयवेउब्वियसरीरे ॥ ६०.तिरिक्खु जोणियपंचेंदियवेउबियसरीरे ण भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! जाणासंठाणसंठिा पण्णते। एवं जलयर-थलयर-खहयराण वि। थलयराण च उप्पय-परिसप्पाण वि । परिसप्पाण उरपरिसप्प-भुयपरिसप्पाण वि। एवं मणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि ॥ Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीस इमं ओगाहणसठाणपयं २६७ ६१. असुरकुमारभवणवासिदेवपंचेंदियवे उब्वियसरीरे णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! असुरकुमाराणं देवाणं दुविहे सरीरे पण्णत्ते, तं जहा-- भवधारणिज्जे य उत्तरवेउविए य । तत्थ णं जेसे भवधारणिज्जे से णं समचउरंससंठाणसं ठिए पण्णत्ते । तत्थ णं जेसे उत्तरवे उब्विए से ण णाणासंठरणसंठिए पग्णत्ते। एवं जाव थणियकुमारदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे । एवं वाणमंतराण वि, णवरं- ओहिया वाणमंतरा पुच्छिज्जति । एवं जोइसियाण वि ओहियाणं । एवं सोहम्म जाव अच्चुयदेवसरीरे ॥ ६२. गेवेज्जगकप्पातीयवेमाणियदेवपचे दियवेउव्वियसरीरे ण भंते ! किसंठिए पण्णते ? गोयमा ! गेवेज्जगदेवाणं एगे भवधारणिज्जे सरीरए । से णं समचउरसंठाणसंठिए पण्णत्ते । एवं अणुत्तरोववातियाण वि।। वेउब्वियसरीरे पमाण-पदं ६३. वेउब्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणेणं अंगुलम्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसतसहस्सं ।।। ६४. वाउक्काइयएगिदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं ॥ ६५. जेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पणत्ता, तं जहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवे उव्विया य । तत्थ णं जासा' भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं पंचधणसयाई। तत्थ णं जासा उत्तरवे सव्विया सा जहण्णेणं अंगुलम्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं धणुसहस्सं ॥ ६६. रयणप्पभापुढविणे रइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता? गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जासा भवधारणिज्जा सा जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त धणइं तिण्णि रयणीओ छच्च अंगूलाई। तत्थ णं जासा उत्तरवेउव्व्यिा सा जहण्णणं अंगूलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं पण्णरस धणूइं अड्डाइज्जाओ रयणीओ॥ ६७. सक्करप्पभाए पुच्छा। गोयमा! जाव तत्थ णं जासा भवधारणिज्जा सा जहण्णणं अंगूलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं पण्णरस धणई अड्डाइज्जाओ रयणीओ। तत्थ पंजासा उत्तरउब्विया सा जहण्णणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं एक्कतीस धणूई एक्का य रयणी। वालुयप्पभाए भवधारणिज्जा एक्कतीसं धणूई एक्का य रयणी, उत्तरवे उब्विया वावढि धणूइं दोण्णि य रयणीओ। पंकप्पभाए भवधारणिज्जा बावटुिं धणइं दोण्णि य रयणीओ, उत्तरवेउग्विया पणुवीसं धणुसतं । धूमप्पभाए भवधारणिज्जा पणुवीसं धणुसतं, उत्तरवेउव्विया अड्डाइज्जाइं धणुसताई। तमाए भवधारणिज्जा अड्डाइज्जाइंधणुसताई, उत्तरवे उव्विया पंच धणुसताई। अहेसत्तमाए भवधारणिज्जा पंच धणुसताई, उत्तरवे उव्विया धणुसहस्सं । एयं उक्कोसेणं । जहण्णणं भवधारणिज्जा अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उत्तरवेउव्विया अंगुलस्स संखेज्जइभागं ।। १. जेसे (ख)। Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ पण्णवणासुस्त ६८. तिरिक्खजोणियपंचेंदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहष्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसतपुहत्तं ।। ६६. मणूसपंचेंदियवेउम्बियसरीररस्स णं भंते! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसतसहस्सं ॥ ७०. असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिदियवे उब्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं दुविहा सरीरोगाहणा पण्णता, तं जहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य। तत्थ णं जासा भवधारणिज्जा सा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त रयणीओ। तत्थ णं जासा उत्तरवेउब्विया सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसतसहस्सं । एवं जाव थणियकुमाराणं । एवं ओहियाणं वाणमंतराणं । एवं जोइसियाण वि। सोहम्मीसाणगदेवाणं एवं चेव उत्तरवे उब्विया जाव अच्चुओ कप्पो, वरं--सणकुमारे भवधारणिज्जा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं छ रयणीओ। एवं माहिंदे वि। बंभलोय-लंतगेसु पंच रयणीओ। महासुक्क-सहस्सारेसु चत्तारि रयणीओ । आणय-पाणय-आरण-अच्चुएसु तिण्णि रयणीओ।। ७१. गेवेज्जगकप्पातीतवेमाणियदेवपंचेंदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? मोयमा ! गेवेज्जगदेवाणं एगा भवधारणिज्जा सरीरोगाहणा पण्णत्ता । सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं दो रयणीओ । एवं अणुत्तरोववाइयदेवाण वि, णवरं-एक्का रयणी ।। आहारगसरोरे विहि-पदं ७२. आहारगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा! एगागारे पण्णत्ते। जदि एगागारे पण्णत्ते कि मणूस आहारगसरीरे? अमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा! मणूसआहारगसरीरे, णो अमणूसआहारगसरीरे। जदि मणूसआहारगसरीरे किं सम्मुच्छिममणूसआहारगसरोरे ? गब्भवक्कंतियमणूसआहारग सरीरे ? गोयमा! णो सम्मुच्छिममणूसआहारगसरीरे, गब्भववतियमणूसआहारगसगरे। जदि गब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे कि कम्मभूमगगभवतियमणूसआहारगसरीरे ? अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? अंतरदीवगगभववतियमणूसआहारगसरीरे? गोयमा! कम्मभमगगब्भवक्कंतियमणसआहारगसरीरे, णो अकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे, णो अंतरदोवगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे। जदि कम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे? असंखेज्जवासा उयकम्मभूमगगब्भवक्कतियमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगभवतियमणूसआहारगसरीरे, णो असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे । जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? अपज्जत्त गसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगन्भवतियमणूस आहारगसरोरे ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीस इमं ओगाहणसंठाणपयं २६६ वक्कंतियमणसआहारगसरीरे, णो अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे। जदि पज्जत्तगसंखज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणसआहारगसरीरे कि सम्मदिट्ठिपज्जत्तरसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे ? मिच्छद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? सम्मामिच्छद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा ! सम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, णो मिच्छद्दिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे, णो सम्मामिच्छद्दिदिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कं तियमणूसआहारगसरीरे। जदि सम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे किं संजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भववतियमणूसआहारगसरीरे ? असंजयसम्मदिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? संजतासंजतसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसाहारगसरीरे? गोयमा! संजयसम्मदिदिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणसआहारगसरीरे, णो असंजयसम्मदिटिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूस आहारग सरीरे,' णो संजयासंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखंज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणसआहारगसरीरे। जदि संजतसम्मद्दिष्टुिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे किं पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतिमणूसआहारग . सरीरे ? अपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआ - हारगसरीरे ? गोयमा ! पमत्तसंजयसम्म द्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भव . क्कंतियमणसआहारगसरीरे, णो अपमत्तसंजतसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहरगसरीरे। जदि पमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारग - सरीरे कि इढिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतिय - मणसआहारगसरीरे? अणि ड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिछिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे? गोयमा! इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्म हिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, णो अणिड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ॥ आहारगसरीरे संठाण-पदं ७३. आहारगसरीरे णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। आहारगसरीर पमाण-पदं ७४. आहारगसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! १. अस्संजत° (क,घ)। Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७० जहणणं देणारयणी, उक्कोसेणं पडिपुण्णा रयणी ॥ तेयगसरीरे विहि-पदं ७५. तेयगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहाएगिदियतेयगसरीरे जाव पंचेंदियतेयगसरीरे ॥ ७६. एगिंदियतेयगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा पुढविक्काइएगिदियतेयगसरीरे जाव वणप्फइकाइयएगिदियतेयगसरीरे । एवं जहा' ओरालियसरीरस्स भेदो भणिओ तहा तेयगस्स वि जाव चउरिदियाणं ॥ ७७. पंचेंदियतेयगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—णेरइयतेयगसरीरे जाव देवतेयगसरीरे । णेरइयाण दुगतो भेदो भाणियव्वो जहा वेव्वियसरीरे | पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसाण य जहा' ओरालियसरीरे भेदो भणितो तहा भाणियब्वो। देवाणं जहां वेउव्वियसरीरे भेओ भणितो तहा भाणियव्वो जाव सव्वट्टसिद्धदेवेत्ति ॥ तेयगसरीरे संठाण-पदं ७८. तेयगसरीरे णं भंते! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ॥ ७६. एगिदियतेयगसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ८०. पुढविक्काइए गिदियतेयगसरीरे णं भंते! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मसूरचंद ठाणसंठिए' पण्णत्ते । एवं ओरालियसंठाणानुसारेणं भाणियव्वं जाव' चउरिदियाणं ति ॥ ८१. रइयाणं भंते ! तेयगसरीरे किंसंठिए पण्णसे ? गोयमा ! जहा वेउव्वियसरीरे ॥ ८२. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसाण य जहा' एतेसि चेव ओरालिय त्ति ॥ ८३. देवाणं भंते! तेयगसरीरे किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा । जहा ' वेउव्वियस्स जाव अणुत्तरोववाइय त्ति ॥ तेयगसरीरे प्रमाण-पदं पण्णवणासुतं ८४. जीवस्स णं भंते ! मारणंतियस मुग्धा एवं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-वाहल्लेणं; आयामेणं जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागो, उक्कोसेणं लोगंताओ लोगंतो || ८५. एगिदियस्स णं भंते ! मारणंतिय समुग्धाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! एवं चैव जाव पुढवि - आउ-ते उ वाउ वणप्फइ १. प० २११४-६ । २. प० २१।५२ । ३. प० २१७-२०१ ४. प० २१।५५ । ५. मसूराचंद (ख, घ) । ६. १० २१।२४-२६ । ७. प० २११५८, ५६ । ८. ५० २११२६-३७ । ६. ०२१।६१,६२ । Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइमं ओगाहणसंठाणपयं २७१ काइयस्स ॥ ८६. बेइंदियस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता ? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-वाहल्लेणं; आयामेणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं तिरियलोगाओ लोगते । एवं जाव चरिदियस्स ॥ ८७. जेरइयस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सरीरपमाण मेत्ता विक्खंभ-वाहल्लेणं; आयामेणं जहण्णेणं साति रेगं जोयणसहस्सं, उक्कोसेणं अहे जाव अहेसत्तमा पुढवी, तिरियं जाव सयंभूरमणे समुद्दे, उड्ढं जाव पंडगवणे पुक्खरिणीओ॥ ८८. पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता ? गोयमा ! जहा' बेइंदियसरीरस्स ।। ८६. मणूसस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता ? गोयमा ! समयखेत्ताओ लोगते ।। १०. असुरकुमारस्स णं भंते ! मारणं तियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विवखंभ-बाहल्लेणं ; आयामेणं जहणणं अंगलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं अहे जाव तच्चाए पढवीए हेट्रिल्ले चरिमंते, तिरियं जाव सयंभुरमणसमुदस्स बाहिरिल्ले वेइयंते, उड्ढं जाव इसीपभारा पुढवी । एवं जाव थणियकुमारतेयगसरीरस्स । वाणमंतर-जोइसिया सोहम्मीसाणगा य एवं चेव ॥ ६१. सणंकुमारदेवस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता 'विक्खंभ-बाहल्लेणं"; आयामेणं जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं अहे जाव महापातालाणं दोच्चे तिभागे, तिरियं जाव सयंभुरमणसमुद्दे, उड्ढे जाव अच्चुओ कप्पो। एवं जाव सहस्सारदेवस्स ॥ ६२. आणयदेवस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं; आयामेणं जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं अहे जाव अहेलोइयगामा, तिरियं जाव मणूसखेत्ते, उड्ढे जाव अच्चुओ कप्पो। एवं जाब आरणदेवस्स । अच्चुयदेवस्स वि एवं चेव, णवरं-उड्ढे जाव सगाई' विमाणाई ।। ६३. गेवेज्जगदेवस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-वाहल्लेणं; आयामेणं जहणणं विज्जाहरसेढीओ, उक्कोसेणं जाव अहेलोइयगामा, तिरियं जाव मणूसखेत्ते, उड्ढं जाव सगाई विमाणाइं । अणुत्तरोववाइयस्स वि एवं चेव ।। ३. सगाति (क,घ); सयाई (ग)। १. प० २११८६ २. विक्खंभेणं बाहल्लेणं (ख,ग)। Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ कम्मगसरीर-पदं ४. कम्मगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा -- एगिदियकम्मगसरीरे जाव पंचेंदियकम्मगसरीरे । एवं जहेव तेयगसरीरस्स भेदो ठाणं ओगाहणा य भणिया तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं जाव' अणुत्तरोववाइय त्ति ।। पोग्गल चिणणा-पदं ६५. ओरालिय सरीरस्स णं भंते ! कतिदिसि णिव्वाघाएणं छद्दिसि वाघातं पडुच्च सिय तिदिसि सिय ६. वेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! कतिदिसि पोग्गला चिज्जंति ? गोयमा ! नियमा छद्दिसं । एवं आहारगसरोरस्स वि । तेया कम्मगाणं जहा ओरालि यसरीरस्स || ६७. एवं उवचिज्जति" अवचिज्जंति || सरोरसंजोग-पदं पण्णवणासुतं ८. जस्स णं भंते! ओरालियसरीरं तस्स णं वे उब्वियसरीरं ? जस्स वेउध्विय सरीरं तस्स ओरालियस रोरं ? गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स वेउव्वियसरीरं सिय अतिथ सिय णत्थि ! जस्स वेउब्वियसरीरं तस्स ओरालियसरीरं सिय अत्थि सिय णत्थि ॥ ६६. जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरं तस्स आहारगसरीरं ? जस्स आहारगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं ? गोयमा ! जस्स ओरालिक्सरीरं तस्स आहारगसरीरं सिय अतिथ सिय णत्थि । जस्स पुण आहारगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं णियमा अस्थि || १००. जस्स गं भंते ! ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं ? जस्स तेयगसरीरं तस्स ओरालि यसरीरं ? गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं णियमा अत्थि । जस्स पुण तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं सिय अत्थि सिय णत्थि । एवं कम्मगसरीरं पि ॥ १०१. जस्स णं भंते ! वेउब्वियसरीरं तस्स आहारगसरीरं ? जस्स आहारगसरीरं तस्स वेजव्वियसरीरं ? गोयमा ! जस्स वेउब्वियसरीरं तस्साहारगसरीरं णत्थि । जस्स वि य आहारगसरीरं तस्स वि वेउव्वियसरीरं णत्थि ॥ पोग्गला चिज्जंति ? गोयमा ! चउदिसि सिय पंचदिसि || १०२. तेया कम्माई जहा ओरालिएण समं तहेव आहारगसरीरेण वि समं तेयाकम्माई चारेयव्वाणि ॥ १. प० २११७५-६३ । २. प० २१।६५ । ३. ओरालि यसरीरस्स णं भंते ! कति दिसि पोग्गला उवचिज्जति ? गोयमा ! एवं चैव जाव कम्मगसरीरस्स । एवं उवचिज्जति (क, ख, ग, घ, पु) एतत् सूत्रं तथा एवं उवचिज्जति' एते द्वे अपि समानार्थके स्तः नैतयोः कश्चित् १०३. जस्स णं भंते ! तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरं ? जस्स कम्मगसरीरं तस्स तेयगसरीरं ? गोयमा ! जस्स तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरं नियमा अत्थि । जस्स वि तात्पर्य भेदः । सम्भाव्यते कथमपि द्वयोर्वाचनयोः मिश्रणं संजातम् । तेन आदर्शषु उपलब्धमपि सूत्रमेतत् पाठान्तरे स्वीकृतम् । भगवत्यामपि ( ११२०, २१) चिज्जंति' सूत्रानन्तरं ' एवं उवचिज्जति' इति सूत्रं दृश्यते । `४. × (क,ख,ध) । ५. प० २११०० / Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइम ओगाहणसंठाणपयं २७३ कम्मगसरीरं तस्स वि तेयगसरीरं णियमा अस्थि ।। दव्व-पएसपबहु-पदं १०४. एतेसि णं भंते ! ओरालिय-वेउव्विय-आहारग-तेया-कम्मगसरीराणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठ-पएसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा आहारगसरीरा दव्वट्ठयाए, वेउव्वियसरीरा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ओरालियसरीरा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, तेया-कम्मगसरीरा दो वि तुल्ला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा; पएसट्टयाए- सव्वत्थोवा आहारगसरीरा पएसट्टयाए, वेउन्वियसरीरा पदेसट्रयाए असंखेज्जगणा, ओरालियसरीरा पदेसट्रयाए असंखेज्जगणा, तेयगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा, कम्मगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा; दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा आहारगसरीरा दव्वट्ठयाए, वे उव्वियसरीरा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ओरालियसरीरा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ओरालियसरीरेहितो दव्वट्ठयाए आहारगसरीरा पएसट्टयाए अणंतगुणा, वेउव्वियसरीरा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा, ओरालियसरीरा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, तेया-कम्मगसरीरा दो वि तुल्ला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, तेयगसरीरा पदेसट्ठयाए अणंतगुणा, कम्मगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा ।। सरीरओगाहणप्पबहु-पदं १०५. एतेसि गं भंते ! ओरालिय-वेउब्विय-आहारग-तेया-कम्सगसरीराणं जहण्णियाए ओगाहणाए उक्कोसियाए ओगाहणाए जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा, तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला जहणिया ओगाहणा विसेसाहिया, वेउब्वियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, आहारगसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा; उक्कोसियाए ओगाहणाए--सव्वत्थोवा आहारगसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा, ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा; जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए-सव्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा, तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तल्ला जहणिया ओगाहणा विसेसाडिया. वेउव्वियसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, आहारगसरीरस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा, आहारगसरीरस्स जहणियाहिंतो ओगाहणाहितो तस्स चेव उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया, ओरालियसरीरस्स उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्ज गुणा, वेउन्वियसरीरस्स णं उक्कोसिया ओगाहणा संखेज्जगुणा, तेया-कम्मगाणं दोण्ह वि तुल्ला उक्कोसिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ।। Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीसइमं किरियापयं किरियाभेय-पदं १. कति णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-काइया अहिगरणिया'पादोसिया पारियावणिया पाणाइवातकिरिया।। २. काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा-अणवरयकाइया य दुप्पउत्तकाइया य ।। ३. अहिगरणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संजोयणाहिकरणिया य निव्वत्तणाहिकरणिया य ।। ४. पादोसियाणं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-जेणं अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा असुभं मणं पधारेति'। से त्तं पादोसिया किरिया ॥ ५. पारियावणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! तिविहा पण्णता, तं जहा-जेणं अप्पणो वा परस्स वा तभयस्स वा असायं वेदणं उदीरेति । से तं पारियावणिया किरिया ।। ६.पाणातिवातकिरिया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! ति विहा पण्णत्ता, तं जहा-जेणं अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा जीवियाओ ववरोवेइ। से तं पाणाइवायकिरिया ॥ सकिरियत्त-अकिरियत्त-पदं ७. जीवा णं भंते ! कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा ! जीवा सकिरिया वि अकिरिया वि ॥ ८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-जीवा सकिरिया वि अकिरिया वि? गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा---संसारसमावण्णगा य असंसारसमावण्णगा य । तत्थ णं जेते असंसारसमावण्णमा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अकिरिया। तत्थ णं जेते संसारसमावण्णगा ते विहा पण्णत्ता, तं जहा सेलेसिपडिवण्णगा य असेलेसिपडिवण्णगाय । तत्थ णं जेते सेलेसिपडिवण्णमा ते णं अकिरिया। तत्थ णं जेते असेलेसिपडिवण्णगाते णं सकिरिया। से १. आहिंगरणिया (पु) २. वा धारेति (क,ख)। २७४ Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीस इमं किरियापयं २७५ तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति--जीवा सकिरिया वि अकिरिया वि ॥ किरियाविसय-पदं ६. अत्यि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जति ? हंता गोयमा ! अस्थि ।। १०. कम्हि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ? गोयमा ! छसु जीवणिकाएसु ।। ११. अत्थि णं भंते ! णेरइयाणं पाणाइवारणं किरिया कज्जति ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव निरंतरं वेमाणियाणं ॥ १२. अस्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कज्जति ? हंता ! अस्थि ।। १३. कम्हि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कज्जति ? गोयमा ! सव्वदन्वेसु । एवं णिरंतरं जरइयाणं जाव वेमाणियाणं ।। १४. अत्थि णं भंते ! जीवाणं अदिण्णादाणेणं किरिया कज्जति ? हंता अस्थि ।। १५. कम्हि णं भंते ! जीवाणं अविण्णादाणेणं किरिया कज्जइ ? गोयमा ! गहणधारणिज्जेसु दन्वेसु । एवं रइयाणं णिरंतरं जाव वेमाणियाणं ॥ १६. अत्थि णं भंते ! जीवाणं मेहुणेणं किरिया कज्जति ? हंता ! अस्थि ।। १७. कम्हि णं भंते ! जीवाणं मेहुणेणं किरिया कज्जति ? गोयमा ! रूवेसु वा रूवसहगतेसु वा दवेसु । एवं रइयाणं णिरंतरं जाव वेमाणियाणं ॥ १८. अत्थि णं भंते ! जीवाणं परिग्गहेणं किरिया कज्जति ? हंता ! अत्थि ॥ १६. कम्हि णं भंते ! जीवाणं परिग्गहेणं किरिया कज्जति ? गोयमा ! सव्वदव्वेसु । एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ॥ २०. एवं कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं पेज्जेणं दोसेणं कलहेणं अब्भक्खाणेणं पेसुग्णेणं परपरिवाएणं अरतिरतीए मायामोसेणं मिच्छादसणसल्लेणं सव्वेसु 'जीव-णेरइयभेदेस्" भाणियव्वं णिरंतरं जाव वेमाणियाणं ति। एवं अट्ठारस एते दंडगा ।। किरियाहेहि कम्मपगडिबंध-पदं २१. जीवे णं भंते ! पाणाइवाएणं कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा । एवं गैरइए जाव णिरंतरं वेमाणिए । २२. जीवा णं भंते ! पाणाइवाएणं कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि ।। २३. रइया णं भंते ! पाणाइवाएणं कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य । एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा॥ २४. पुढवि-आउ-तेउ-वाउ-वणप्फइकाइया य, एते सव्वे वि जहा ओहिया जीवा। अवसेसा जहा गैरइया ॥ २५. एवं एते जीवेगिदियवज्जा तिण्णि-तिण्णि भंगा सव्वत्थ भाणियव्वं त्ति जाव १. जीवानेरइयभेदेणं (क,ख,ग,ब) । Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ पष्णवणासुत्तं मिच्छादसणसल्लेणं । एवं एगत्त-पोहत्तिया छत्तीसं दंडगा होति ॥ कम्मबंधमहिकिच्च किरिया-पदं २६. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए । एवं रइए जाव वेमाणिए । २७. जीवाणं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्म बंधमाणा कतिकिरिया ? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि । एवं णेरइया निरंतरं जाव वेमाणिया । २८. एवं दरिसणावरणिज्जं वेयणिज्जं मोहणिज्ज आउयं णामं गोयं अंतराइयं च अट्टविहकम्मपगडीओ भाणियवाओ। एगत्त-पोहत्तिया सोलस दंडगा ।। एगत्त-पुहत्तेहि किरिया-पदं २६. जीवे णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ? गोयमा! सिय तिकिरए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए । ३० जीवे णं भंते ! णेरइयाओ कतिकिरिए ? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चतुकिरिए सिय अकिरिए । एवं जाव थणियकुमाराओ।। ३१. पुढविक्काइयाओ आउक्काइयाओ तेउक्काइयाओ वाउक्काइयाओ वणस्सइकाइयाओ बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिय-पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणूसातो जहा जीवातो। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाओ जहा णेरइयाओ॥ ३२. जीवे णं भंते ! जीवेहितो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउ. किरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए। ३३. जीवे णं भंते ! णेरइएहितो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए । एवं जहेव' पढमो दंडओ तहा एसो वि वितिओ भाणियव्वो । ३४. जीवा णं भंते ! जीवाओ कतिकिरिया ? गोयमा ! 'तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि अकिरिया वि"॥ ३५. जीवा णं भंते ! णेरइयाओ कतिकिरिया ? गोयमा ! जहेव' आइल्लदंडओ तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणिय त्ति ।। ३६. जीवा णं भंते ! जीवेहितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि अकिरिया वि ।। ३७. जीवा णं भंते ! रइएहिंतो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि अकिरिया वि । असुरकुमारेहितो वि एवं चेव जाव वेमाणिएहितो । ओरालियसरीरेहितो जहा जीवेहितो।। ३८. णेरइए णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए॥ १.५० २२।३०,३१ । २. सिय तिकिरिया वि सिय च उकिरिया वि सिय पंचकिरिया वि सिय अकिरिया वि (क,ख,ग, घ); अस्मिन रचनाक्रमे यत्र 'अपि' शब्दस्य प्रयोगोस्ति तत्र 'सिय' शब्दस्य प्रयोगो नास्ति, द्रष्टव्यं-२७,३६,३७ सूत्राणि । ३. प० २२।३०,३१ । ४. प० २२१३६ । Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीस इमं किरियापयं २७७ ३६. रइए णं भंते ! णेरइयाओ कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए । ' एवं जाव थणियकुमाराओ । पुढविकाइयाओ जाव मणुस्साओ जहा ' जीवाओ । वाणमंतर - जोइसिय-वैमाणियाओ जहा नेरइयाओ || ४०. रइए णं भंते ! जीवेहितो कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंच करिए ॥ ४१. रइए णं भंते! णेरइए हितो कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए। एवं जहेव' पढमो दंडओ तहा एसो वि बितिओ भाणियव्वों" । एवं जाव माणिएहितो, गवरं - णेरइयस्स णेरइए हितो देवेहितो य पंचमा किरिया गत्थि ॥ ४२. रइया णं भंते ! जीवाओ कतिकिरिया ? गोयमा ! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरिया । एवं जाव वैमाणियाओ, णवरं - णेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया णत्थि ॥ ४३. रइया णं भंते! जीवेहितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया विचउकिरिया वि पंचकिरिया वि ।। ४४. रइयाणं भंते ! चउकिरिया वि । एवं जाव हितो || णेरइए हितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि वैमाणिएहितो, णवरं - ओरालियसरीरेहितो जहा जीवे ४५. असुरकुमारे णं भंते! जीवातो कतिकिरिए ? गोयमा ! जहेव रइए चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारे वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । एवं उवउज्जिऊण भावेयव्वं ति मणूसे अकिरिए वुच्चति, सेसा अकिरिया ण बुच्चति । सब्वजीवा ओरालियसरीरेहितो पंचकिरिया णेरइय- देवहितो य पंचकिरिया ण वुच्चति । एवं एक्केक्कजीवपए चत्तारि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा । एवं एवं दंडगस्यं । सव्वे वि य जीवादीया दंडगा || किरिया - सहभाव - पदं ४६. कति णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा -- काइया जाव पाणाइवायकिरिया || ४७. रइयाणं भंते ! कति किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - काइया जाव पाणाइवायकिरिया । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ४८. जस्स णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति ? जस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति तस्स काइया किरिया कज्जति ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कज्जति तस्स अहिंगरणी णियमा कज्जति, जस्स अहिगरणी किरिया कज्जति तस्स वि काइया किरिया णियमा कज्जति ॥ ४६. जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तस्स पाओसिया किरिया कज्जति ? जस्स पाओसिया किरिया कज्जति तस्स काइया किरिया कज्जति ? गोयमा ! १. २२।३८ । २. ५० २२।३६ । ३. चिह्नाङ्कितपाठः 'ख, घ' प्रत्योर्नास्ति । ४. पंचमी ( ख ) । ५. १०२२।४३ ॥ ६. प० २२३८-४४ । Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ एवं चेव ॥ ५०. जस्स णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ ? जस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया किरिया कज्जति ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया सिय कज्जति सिय गो कज्जति, जस्स पुण पारियावणिया किरिया कज्जति तस्स काइया नियमा कज्जति । एवं पाणाइवाय किरिया वि ॥ ५१. एवं आदिल्लाओ परोप्परं नियमा तिण्णि कज्जति । जस्स आदिल्लाओ तिष्णि कज्जति तस्स उवरिल्लाओ दोण्णि सिय कज्जति सिय णो कज्जति । जस्स उवरिल्लाओ दोणि कज्जति तस्स आइल्लाओ तिण्णि णियमा कज्जति ॥ ५२. जस्स णं भंते! जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स पाणाइवायकिरिया कज्जति ? जस्स पाणाइवायकिरिया कज्जति तस्स पारियावणिया किरिया कज्जति ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जति तस्स पाणाइवायकिरिया सिय कज्जति सिय णो कज्जति, जस्स पुण पाणाइवायकिरिया कज्जति तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कज्जति ॥ ५३. जस्स णं भंते ! णेरइयस्स काइया किरिया कज्जति तस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति ? गोयमा ! जहेब' जीवस्स तहेव णेरइयस्स वि । एवं 'निरंतरं जाव" मणिस्स || पण्णवणासुतं ५४. जं 'समयं णं" भंते ! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं समयं अहिगरणिया किरिया कज्जति ? जं समयं अहिगरणिया किरिया कज्जति तं समयं काइया किरिया कज्जति ? एवं जहेव' आइल्लओ दंडओ भणिओ तहेव भाणियव्वो जाव वैमाणियस्स || ५५. जं 'देसं गं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं देयं णं अहिगरणिया किरिया कज्जति ? तहेव जाव वेमाणियस्स ॥ ५६. जं पएसं गं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं पएसं अहिगरणिया किरिया कज्जति ? एवं तहेव जाव वेमाणियस्स । एवं एते - जस्स, जं समयं, जं देसं, जं 'पएसं णं" - चत्तारि दंडगा होंति । आओजिय किरिया -पदं ५७. कति णं भंते! आजोजिताओ' किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच आओजिताओ किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा -- काइया जाव पाणाइवाय किरिया । एवं रइयाणं जाव वैमाणियाणं ॥ ५८. जस्स णं भंते! जीवस्स काइया आओजिया किरिया अत्थि तस्स अहिकरणिया आओजिया fafरया अस्थि ? जस्स अहिगरणिया आओजिया किरिया अत्थि तस्स काइया १. २२/४६-५२ । २. जाव निरंतर (क,घ ) 1 ३. समय णं (कख); समयण्णं ( ग ) | ४. प० २२३४८- ५३ । ५. देसेणं (घ) ; देस णं ( ख ) ; देसणं ( ग ) । ६. पदेसत्तं (क, घ); पदेस णं ( ख ) ; पदेसणं (ग)। ७. आतोजितातो ( क, ख ) । Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ arateइमं किरियापयं आओजिया किरिया अस्थि ? एवं एतेणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वाजस्स, जं समयं, जं देस, जं पदेसं जाव' वेमाणियाणं ॥ पुट्ठापुट्टभाव-पदं ५६. जीवे गं भंते ! जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे ? पाणाइवायकिरियाए पुट्ठे ? गोयमा ! अत्थेrइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे पाणाइवाय किरियाए पुट्ठे । अत्थेगइए जीवे एगइओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसिया किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे पाणाइवायकिरियाए अपुट्ठे, अत्येगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए अपुट्ठे पाणाइवायकिरियाए अपुट्ठे । अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए अपुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए अपुट्ठे पाणाश्वायकिरियाए अपुट्ठे । किरियासामित्त-पदं ६०. कइ णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा – आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादंसणवत्तिया । ६१. आरंभिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति ? अण्णय रस्सावि पत्तसंजयस्स || गोयमा ! ६२. परिग्गहिया णं भंते! संजया संजयस्स || ६३. मायावत्तिया णं भंते ! अपमत्त संजयस्स | अण्णय रस्सावि अण्णयरस्सावि ६४. अपच्चक्खाणकिरिया णं भंते ! कस्स कज्जति ? गोयमा ! अण्णय रस्सावि अपच्चक्खाणिस्स ॥ ६५. मिच्छादंसणवत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कज्जति ? गोयमा ! अण्णयरस्सावि मिच्छदंस णिस्स || किरिया कस्स कज्जति ? किरिया कस्स कज्जति ? २७६ गोयमा ! गोयमा ! ६६. रइयाणं भंते ! कति किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा -- आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ किरियाणं सहभाव - पदं ६७. जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स परिग्गहिया किरिया कज्जति ? जस्स परिगहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया कज्जति ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स परिग्गहिया किरिया सिय कज्जति सिय जो कज्जइ, जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया नियमा कज्जति ॥ १. ५० २२।४८-५६ । Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० पण्णवणासुत्तं ६८. जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ पुच्छा । गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स मायावत्तिया किरिया णियमा कज्जइ, जस्स पुण मायावत्तिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ।। ६६. जस्स ण भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया कज्जइ पच्छा। गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अप्पच्चक्खाकिरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ, जस्स पुण अप्पच्चक्खाणकिरिया कज्जति तस्स आरंभिया किरिया णियमा कज्जति । एवं मिच्छादंसणवत्तियाए वि समं॥ ७०. एवं परिग्गहिया वि तिहि उवरिल्लाहि सम चारेयव्वा ।। ७१. जस्स मायावत्तिया किरिया कज्जति तस्स उवरिल्लाओ दो विसिय कज्जति सिय णो कज्जति, जस्स उवरिल्लाओ दो कज्जति तस्स मायावत्तिया णियमा कज्जति ।। ७२. जस्स अपच्चक्खाणकिरिया कज्जति तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ, जस्स पूण मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स अपच्चक्खाणकिरिया णियमा कज्जति ।। १३. णेरड्यस्स आइल्लियाओ चत्तारि परोप्परं णियमा कज्जति. जस्स एताओ चत्तारि कज्जति तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया भइज्जति, जस्स पुण मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स एयाओ चत्तारि णियमा कज्जति । एवं जाव थणियकुमारस्स । पुढविक्काइयस्स जाव चउरिदियस्स पंच वि परोप्परं णियमा कज्जति ।। ७४. पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स आइल्लियाओ तिणि वि परोप्परं णियमा कज्जति, जस्स एयाओ कज्जति तस्स उवरिल्लाओ दो भइज्जति, जस्स उवरिल्लाओ दोणि कज्जंति तस्स एताओ तिणि विणियमा कज्जति; जस्स अपच्चक्खाणकिरिया तस्स मिच्छादसणवत्तिया सिय कज्जति सिय णो कज्जति जस्स घूण मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया णियमा कज्जति ।। ७५. मणसस्स जहा जीवस्स । वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियस्स जहा णेरइयस्स ॥ ७६. जं समयं णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तं समयं परिग्गहिया किरिया कज्जति ? एवं एते-जस्स, जं समयं, जं देसं, जं पदेसं णं-चत्तारि दंडगा णेयव्वा । जहा पेरइयाणं तहा सव्वदेवाणं णेयव्वं जाव वेमाणियाणं ॥ पावट्ठाणविरइ-पदं ७७. अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे कज्जति ? हंता ! अत्थि ।। ७८. कम्हि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे कज्जति ? गोयमा ! छसु जीव णिकाएसु ॥ ७९. अत्थि णं भंते ! रइयाणं पाणाइवायवेरमणे कज्जति ? गोयमा ! णो इणठे समठे । एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं-मणूसाणं जहा जीवाणं । ___ ८०. एवं मुसावाएणं जाव मायामोसेणं जीवस्स य मणूसस्स य, सेसाणं णो इणठे १. x (क,घ)। Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीसइमं किरियापयं २८१ समठे, णवरं-- अदिण्णादाणे गहण-धारणिज्जेसु दव्वेसु, मेहुणे रूवेसु वा रूवसहगएसु वा दब्वेसु, सेसाणं सव्वदव्वेसु ॥ ८१. अत्थि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादसणसल्लवेरमणे कज्जति ? हंता ! अत्थि ।। ८२. कम्हि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादसणसल्लवेरमणे कज्जइ ? गोयमा ! सव्वदव्वेसु । एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, गवरं -एगिदिय-विगलि दियाणं णो इणठे समठे। कम्मपगडिबंध-पदं ८३. पाणाइवायविरए णं भंते ! जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा। एवं मणूसे वि भाणियब्वे ॥ ८४. पाणाइवायविरया णं भंते ! जीवा कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १. ! अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा अढविहबंधगे य १. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य २. अह्वा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगे य ३. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छहव्विबंधगा य ४. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अबंधगे य ५. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अबंधगा य ६. ! अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविबंधगे य छव्विहबंधगे य १. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छविहबंधगा य २. अह्वा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगे य ३. अहह्वा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छबिहबंधगा य ४. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य अबंधए य १. अहवा सत्तविहबंधगा य एग विहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य अबंधगा य २. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य अबंधगे य ३. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य अबंधगा य ४, अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगे य अबंधगे य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगे य अबंधगा य २ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधए य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विबंधगा य अबंधगा ४ य । अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छन्विहबंधगे य अबंधगे य १. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छविहबंधगे य अबंधगा य २. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छविहबंधगा य अबंधगे य ३. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छविहबंधगा य अबंधगा य ४. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगे य अबंधगे य ५. अहवा सत्तविहबंधगा य एविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छन्विबंधगे य अबंधगा य ६. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगे य ७. अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अढविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगा १. सव्वेसु दव्वेसु (क,ख,ग,घ) । Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८२ पण्णवणासुतं य ८–एते अट्ठ भंगा। सव्वे वि मिलिया सत्तावीसं भंगा भवंति । एवं मणूसाण वि एते चेव सत्तावीसं भंगा भाणियन्वा ।। ८५. एवं मुसावायविरयस्स जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स य मणूसस्स य ।। ८६. मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! जोवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अढविहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा ।। ८७. मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! णेरइए कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिए ।। ८८. मणूसे जहा' जीवे । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा र इए ॥ ८६. मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते ! जीवा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! ते चेव सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा ।। १०. मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते ! गेरइया कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ । एवं जाव वेमाणिया, णवरं-मणूसाणं जहा जीवाणं ।। किरियामेय-पदं ६१. पाणाइवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स कि आरंभिया किरिया कज्जति' ? गोयमा ! पाणाइवायविरयस्स जीवस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ॥ ६२. पाणाइवाय विरयस्स णं भंते ! जीवस्स परिग्गहिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! णो इणठे समठे। ६३. पाणाइवायविरयस्स णं भंते! जीवस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ? गोयमा ! सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ॥ १४. पाणाइवायविरयस्स गं भंते ! जीवस्स अप्पच्चक्खाणवत्तिया किरिया कज्जति? गोयमा ! णो इणटठे समठे ।। ६५. मिच्छादसणवत्तियाए पुच्छा । गोयमा ! नो इणठे समझें । ६६. एवं पाणाइवायविरयस्स मणूसस्स वि । एवं जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स मणसस्स य॥ ६७. मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते ! जीवस्स किं आरंभिया किरिया कज्जति जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जति ? गोयमा ! मिच्छादसणसल्लविरयस्स जीवस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति । एवं जाव अप्पच्चक्खाणकिरिया। मिच्छादसणवत्तिया किरिया नो कज्जति ॥ ८.मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते ! जेरइयस्स कि आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ? गोयमा ! आरंभिया वि किरिया कज्जति जाव अपच्चक्खाणकिरिया वि कज्जति, मिच्छादसणवत्तिया किरिया णो कज्जति । एवं १.१०२२।८६ । २. कज्जति जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजति (क,ख,घ) । Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीस मं किरियापये जायकुमारस्स ॥ ६६. मिच्छादंसण सल्ल विरयस्स णं भंते ! पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स एवमेव पुच्छा । गोयमा ! आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपच्चक्खाणकिरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ, मिच्छादंसणवत्तिया किरिया गो कज्जति ॥ १००. मणूसस्स जहा जीवस्स : वाणमंतर जोइसिय-वेमाणियाणं जहा ' रइयस्स || अप्पा बहु-पदं २८३ १०१. एतासि णं भंते ! आरंभियाणं जाव मिच्छादंसणवत्तियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाओ मिच्छादंसणत्तिया किरियाओ, अप्पच्चक्खाणकिरियाओ विसेसाहियाओ, परिग्गहियाओ विसेसाहियाओ आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ, मायावत्तियाओ विसेसाहियाओ || १. प० २२/६६ । Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं पढमो उद्देसओ गाहा कति पगडी ? कह बंधति ? कतिहि व ठाणेहिं बंधए जीवो? कति वेदेइ य पयडी ? अणुभावो कति विहो कस्स? ॥ १ ॥ कतिपयडि-पदं १.कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा । अट कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहाणाणावरणिज्जं दसणावरणिज्जं वेदणिज्जं मोहणिज्ज आउयं णाम गोयं अंतराइयं । २. णेरइयाणं भंते ! कति कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ कहबंधति-पदं ३. कण्णं भंते ! जीवे अट्ट कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं दसणावरणिज्जं कम्मं णियच्छति, दंसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं दसणमोहणिज्ज कम्मं णियच्छति', दंसणमोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं मिच्छत्तं णियच्छति', 'मिच्छत्तेणं उदिपणेणं" गोयमा! एवं खलु जीवे अट्ट कम्मपगडीओ बंधइ।। ४. कहाणं भंते ! णेरइए अट्ठ कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव वेमाणिए । ५. कहणं भंते ! जीवा अट्ट कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव वेमाणिया ॥ कतिठाणबंध-पदं ६. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्म कतिहिं ठाणेहिं बंधति ? गोयमा ! दोहिं ठाणेहि, तं जहा–रागेण य दोसेण य । रागे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-माया य लोभे य । १. दरिमणावरणिज्ज (पु)। २. निगच्छति (क,ध) । ३. निग्गच्छति (क)। ४. मलयगिरिणा तत एवं मिथ्यात्वोदयेन जीवोष्टी प्रकृतीबंध्नाति' अस्यां व्याख्यायां उदीरणेन नैव व्याख्यातम् । २८४ Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइम कम्मपगडिपयं २८५ दोसे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- कोहे य माणे य । इच्चेतेहिं चउहि ठाणेहिं वीरिओवग्गहिएहि' एवं खलु जीवे णाणावरणिज्ज कम्मं बंधति । एवं रइए जाव वेमाणिए । ७. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्म कतिहिं ठाणेहिं बंधति ? गोयमा ! दोहिं ठाणेहि, एवं चेव । एवं र इया जाव वेमाणिया । ८. एवं दसणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । एवं एते एगत्त-पोहत्तिया सोलस दंडगा॥ कतिपयडिवेद-पदं .. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ? गोयमा ! अत्थेगइए वेदेति, अत्थेगइए णो वेदेति ॥ १०. रइए णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ? गोयमा ! णियमा वेदेति । एवं जाव वेमाणिए, णवर-मणसे जहा जीवे ।। ११. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव वेमाणिया ॥ १२. एवं जाव णाणावरणिज्जंतहा सणावरणिज्जं मोहणिज्ज अंतराइयं च। वेदणिज्जाउय-णाम-गोयाइं एवं चेव, णवरं-मणूसे वि णियमा वेदेति । एवं एते एगत्त-पोहत्तिया सोलस दंडगा । कतिविधाणुभाव-पदं १३. गाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स पुटुस्स बद्ध-फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स' जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! णाणावरणिजस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प दसविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा-सोयावरणे सोयाविण्णाणावरणे णेत्तावरणे णेत्तविष्णाणावरणे घाणावरणे घाणविण्णाणावरणे रसावरणे रसविण्णाणावरणे फासावरणे फासविण्णाणावरणे। जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोरगलाणं परिणाम, तेसि वा उदएणं जाणियव्वं ण जाणइ, जाणिउकामे वि ण याणति, जाणित्ता वि ण याणति. उच्छण्णणाणी यावि भवति णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं। एस णं गोयमा ! णाणावरणिज्जे कम्मे । एस णं गोयमा ! णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प दसविहे अणुभावे पण्णत्ते ।। १४. दरिसणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स' 'पुटुस्स वद्ध-फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियरस सयं वा उदिण्णस्स परेणं वा उदीरियस्स तदभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणाम ३. सं० पा०---बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम। १. वीरियउवग्गहिएहि (क)। २. कतस्स (क, घ); कयस्स (ख, ग)। Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ पण्णवणासुत्तं पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! दरिसणावरणिज्जस्स णं कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प णवविहे अणुभावे पण्णते, तं जहा-णिहा णिहाणिद्दा पयला पयलापयला थीणद्धी' चक्खुदंसणावरणे अचवखुदंसणावरणे ओहिदसणावरणे केवलदसणावरण। जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम, तेसि वा उदएणं पासियव्वं ण पासति, पासिउकामे वि ण पासति, पासित्ता वि ण पासति, उच्छन्नदंसणी' यावि' भवति दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं । एस णं गोयमा ! दरिसणावरणिज्जे कम्मे । एस णं गोयमा ! दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प णवविहे अणभावे पण्णत्ते ।। १५. सातावेदणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स पुटुस्स बद्ध-फास-पदस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणाम पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णते? गोयमा ! सायावेदणिज्जस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा- मणुण्णा सदा मणुग्णा रूवा मणुण्णा गंधा मणुण्णा रसा मणुण्णा फासा मणोसुहता वइसुहता' कायसुहता। जं वेइए पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम, तेसिं वा उदएणं सातावेदणिज्जं कम्मं वेदेति । एस गं गोयमा! सातावेदणिज्जे कम्मे। एस पं गोयमा ! सातावेयणिज्जस्स कम्मरस जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प अट्टविहे अणुभावे पण्णत्ते ॥ . अस्सातावेयणिज्जस्स णं भंते! कम्मस्स जीवेणं "बद्धस्स पुटुस्स बद्ध-फास-पस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियरस जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गर्ति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! अस्सातावेदणिज्जस्स णं कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प अट्टविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा-अमणुण्णा सहा अमणण्णा रूवा अमणण्णा गंधा अमणण्णा रसा अमणुण्णा फासा मणोदुहता वइदहता कायदुहता। जं वेएइपोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम.तेसि वा उदएणं असायावेयणिज्ज कम्म वेदेति । एस ण गोयमा ! असायावेदणिज्जे कम्मे । एस १. थीण गिद्धी (पु)। २ दंसणावरणणाणी (ख,घ); 'दसणानाणी (ग)। ३. तावि (क, घ)। ४. सं० पाo.-बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम। ५. 'ख' प्रतौ सातासातयोरालापके 'सत्तविहे अगु- भावे पणते' इति पाठोस्ति तदनुसारेण 'कायसुहता, काय दुहता' एते द्वे पदे न स्तः । ६. वतिसुहता (क, घ); वयसुहता (ख ग)। ७. सं० पा०--तहेव पुच्छा उत्सरं च, णवरं अमणुष्णा सहा जाव कायदुहता। Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं २८७ णं गोयमा ! असायावेय णिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प अव अणुभावे पण ते ॥ १७. मोहणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स' 'पुटुस्स वद्ध- फास - पुट्टस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं aste जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएन वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोम्गलपरिणामं पप्प' कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! मोहणिज्जस्स णं कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गल परिणामं पप्प पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा सम्मत्तवेयणिज्जे मिच्छत्तवेयणिज्जे सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जे कसायवेयणिज्जे गोकसायवेय णिज्जे । जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं, तेसि वा उदएणं मोहणिज्जं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! मोहणिज्जे कम्मे । एस णं गोयमा ! मोहणिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते ॥ १८. आउयस्स' णं भंते ! कम्मम्स जीवेणं वद्धस्स पुटुस्स वद्ध- फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोम्गलपरिणामं पप्प कति विहे अणुभावे पण्णत्ते ?° गोयमा ! आउयस्स णं कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प विहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा -- शेरइयाउए तिरियाउए मणुयाउए देवाउए । जं वेइए पोगलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं, तेसि वा उदएणं आउयं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! आउए कम्मे । एस णं गोयमा ! आउयस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्त जाव पोग्गलपरिणामं पप्प चउव्विहे अणुभावे पण्णत्ते ॥ १६. सुभणामस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स पुटुस्स बद्ध- फास-पुटुस्स संचिree faree उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएन वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणामं पपतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! सुभणामस्स णं कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गल परिणामं पप्प चोद्दसविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा - इट्ठा सद्दा इट्ठा रुवा इट्ठा गंधा इट्ठा रसा इट्टा फासा इट्टा गती इट्ठा ठिती इट्ठे लावण्णे इट्ठा जसोकित्ती इट्ठे उट्ठाण-कम्मबल-वीरिय पुरिसक्कार परक्कमे इट्ठस्सरता कंतस्सरता पियस्सरता मणुण्णस्सरता । जं वेइए पोग्गलं वा पोग्गले वा पोगलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं, तेसि वा उदएणं सुभणामं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! सुभणामे कम्मे । एस णं गोयमा ! १९. सं० पा० - बद्धस्स जाव कतिविहे । २. आउस्स (ग) 1 ३. सं पा० तहेव पुच्छा । ४. सं० पा०—पुच्छा । Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ पण्णवणासुतं सुभणामस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प चोद्दसविहे अणुभावे पण्णत्ते ॥ २०. दहणामस्स णं भंते ! कम्मरस जीवेणवद्धस्स ट्रस्स वद्ध-फास-पूट्रस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कड़स्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणाम पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णते? गोयमा ! दुहणामस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प चोद्दसविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा-अणिट्ठा सद्दा अणिट्ठा रूवा अगिट्ठा गंधा अणिट्ठा रसा अणिट्ठा फासा अणिट्ठा गती अणिट्ठा ठिती अणिठे लावणे अणिट्ठा जसोकित्ती अणिठे उट्ठाण-कम्म-बल-बीरिय-पुरिसक्कार-परक्कमे हीणस्सरता दीगस्सरता अणिदस्सरता अकंतस्सरता। जं वेएइ पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम, तेसिं वा उदएणं दुहणामं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! दुहणामे कम्मे ! एस णं गोयमा ! दुहणामस्स कम्मरस जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प चोइसविहे अणभावे पण्णत्ते ।। २१. उच्चागोयस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं "वद्धस्स पुट्ठस्स बद्ध-फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियरस सयं वा उदिष्णस्स परेण वा उदीरियस्स तभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिोत पप्प भवं पप्प पोरगल पप्प पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! उच्चागोयस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा—जातिविसिट्ठया कुलविसिट्ठया वल विसिट्ठया रूवविसिट्ठया तवविसिट्टया सुयविसिट्ठया लाभविसिट्ठया इस्सरियविसिट्टया । जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम, तेसिं वा उदएणं' उच्चागोयं कम्मं वेदेति। एस णं गोयमा! उच्चागोए कम्मे। एस णं गोयमा ! उच्चागोयस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प अद भावे पण्णत्ते ।। २२. णीयागोयस्स' णं भंते ! "कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स पुटुस्स बद्ध-फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागयत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्रस जीवेणं कडस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिण्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गल१. सं० पा०-पुच्छा। गोयमा! एवं चेव, ३. सं० पा०---उदएणं जाव अट्ठविहे णवरं-अणिट्ठा सद्दा जाव हीणस्सरता दीण- ४. णीतागोतस्स (क, घ) स्सरता अणिगुस्सरता अकंतस्सरता जं वेदेति ५. सं० पा०----पुच्छा। गोयमा! एवं चेव, सेसं तं चेव जाद चोइसविहे। णवर----जातिविहीणया जाव इस्सरियविही२. सं० पा०—पुच्छा। णया। Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीस इमं कम्मपगडिपयं २८६ परिणामं पप्प कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! णीयागोयस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा - जातिविहीणया कुलविणया वलविहीणया रूवविहीणया तवविहीणया सुर्याविहीणया लाभविहीणया इस्सरियविहीणया । जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसि वा उदएणं णीयागोयं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! णीयागोए कम्मे । एस जं गोमा ! णीयागोयस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प° अट्ठविहे अणुभावे पण्णत्ते || २३. अंतराइस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स पुटुस्स बद्ध- फास-पुटुस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स आवागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कस्स जीवेणं णिव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिष्णस्स परेण वा उदीरियस्स तदुभएण वा उदीरिज्जमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गल परिणामं पप कतिविहे अणुभावे पण्णत्ते ? गोयमा ! अंतराइयस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गल परिणामं पप्प पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते, तं जहा - दाणंतराए लाभंतराए भोगंतराए उवभोगंतराए वीरियंतराए । जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं, तेसि वा उदएणं अंतराइयं कम्मं वेदेति । एस णं गोयमा ! अंतराइए कम्मे । एस णं गोयमा ! अंतराइयस्स कम्मस्स जीवेणं वद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते ॥ बीओ उद्देस मूलोत्तरपयडिभेद-पदं २४. कति णं भंते! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा -- णाणावर णिज्जं जाव अंतराइयं ॥ २५. णाणावरणिज्जे गं भंते पण्णत्ते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - आभिणिवोहियणाणावर णिज्जे सुयणाणावर णिज्जे ओहिणाणावरणिज्जे मणपज्जवणाणावर णिज्जे केवलणाणावर णिज्जे || २६. दरिसणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- णिद्दापंचए य दंसणचउक्कए य ॥ २७. णिद्दापंचए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहागिद्दा जाव' थीणद्धी' ॥ २८. दंसणचउक्कए णं भंते ! " कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - चक्खुदंसणावर णिज्जे जाव' केवल दंसणावर णिज्जे ॥ २६. वेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं १. सं० पा०-- उदएणं जाव अट्ठविहे । २ सं० पा० – पुच्छा ६. १० २३/१४ । ४. थी गिद्धे ( क ), श्रीणगिद्धी (घ ) । ५. सं० पा०-- पुच्छा ६. ५० २३।१४ । Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० पण्णवणासुतं जहा-सातावेदणिज्जे य असातावेयणिज्जे य ।। ३०. सातावेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे “कतिविहे पण्णत्ते ?° गोयमा! अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा... मणुण्णा सद्दा जाव' कायसुया ।। ___ ३१. अस्सायावेदणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा .. अमणुण्णा सहा जाव' कायदुहया ॥ ३२. मोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा दुविहे पण्णत्ते, तं जहादसणमोहणिज्जे य चरित्तमोहणिज्जे य॥ ३३. दंसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मतवेयणिज्जे मिच्छत्तवेयणिज्जे सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जे ॥ ३४. चरित्तमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-कसायवेयणिज्जे य णोकसायवेयणिज्जे य ।। ३५. कसायवेयणिज्जे णं भंते! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! सोलसविहे पण्णत्ते, तं जहा- अणंताणुबंधी कोहे अगताणुबंधी माणे अणंतागुबंधी माया अणंताणुबंधी लोभे, अपच्चक्खाणे कोहे एवं माणे माया लोभे, पच्चक्खाणावरणे कोहे एवं माणे माया लोभे, संजलणे कोहे एवं माणे माया लोभे ॥ ३६. णोकसायवेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा ! णवविहे पण्णत्ते, तं जहा- इथिवेए पुरिसवेए पसगवेदे हासे रती अरती भए' सोगे दुगुंछा ।। ३७. आउए णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा--रइयाउए जाव' देवाउए ।। ३८. णामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! बायालीसविहे पण्णत्ते, तं जहा-गतिगामे जाणामे सरीरणामे सरीरंगोवंगणामे सरीरबंधणणामे सरीरसंघायणाम संघयणणामे संठाणणामे वणणामे गंधणामे रसणामे फासणामे अगुरुलहुणामे उवघायणामे पराघायणामे आणपवीणामे उस्सासणामे आयवणामे उज्जोयणामे विहायगतिणामे तसणामे थावरणामे सुहुमणामे वादरणामे पज्जत्तगणामे" अपज्जत्तगणामे" साहारणसरीरणामे पत्तेयसरीरणामे थिरणामे अथिरणामे सुभणामे असुभणामे सुभगणामे दूभगणामे सूसरणामे दूसरणामे आदेज्जणामे अणादेज्जणामे जसोकित्तिणामे अजसोकित्तिणामे णिम्माणणामे तित्यगरणामे ॥ ३६. गतिणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा--णिरयगतिणामे तिरियगतिणामे मणुयगतिणामे देवगतिणामे ॥ १. सं० पा०--पुच्छा। २.५० २३॥१५॥ ३. प० २३११६॥ ४. वेयणिज्जे य (क, ख, घ)! ५. भये (क, ख, घ)। ६.५० २३।१८। ७. बातालीसतिविहे (क. ख, घ)। ८. संघायणणामे (ग)। ६. विहायो (ग)। १०. पज्जत्तणामे (ख,ग)। ११. अपज्जत्तणामे (ख, ग)। १२. सुसरणाने (ख)। Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं २६१ ४०. जाइणामे णं भंते ! कम्मे "कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंच विहे पण्णत्ते, तं जहा--एगिदियजाइणामे जाव पंचेंदियजाइणामे ।। ४१. सरीरणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियसरीरणामे जाव कम्मगसरीरणामे ।। ४२. सरीरंगोवंगणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियसरीरंगोवंगणामे वेउब्वियसरीरंगोवंगणामे आहारगसरीरंगोवंगणामे । ४३. सरीरबंधणणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियसरीरबंधणणामे जाव कम्मगसरीरबंधणणामे ॥ ४४. सरीरसंधायणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियसरीरसंघातणामे जाव कम्मगसरीरसंघायणामे ।। ४५. संघयणणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! छविहे पण्णत्ते, तं जहावइरोसभणारायसंघयणणामे उसभणारायसंघयणणामे णारायसंघयणणामे अद्धणारायसंघयणणामे खीलियासंघयणणामे छेवट्टसंघयणणामे'। ४६. संठाणणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तं जहासमचउरंससंठाणणामे णग्गोहपरिमंडलसंठाणणामे सातिसंठाणणामे 'वामणसंठाणणामे खुज्जसंठाणणामे" हुंडसंठाणणामे ॥ ४७. वण्णणामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा कालवण्णणामे जाव सुक्किलवण्णणामे ॥ ४८. गंधणामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा । गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुरभिगंधणामे दुरभिगंधणामे ॥ ४६. रसणामे णं पुच्छा! गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा–तित्तरसणामे जाव महुररसणामे ॥ ५०. फासणामे णं पुच्छा। गोयमा ! अढविहे पण्णत्ते, तं जहा-कक्खडफासणामे जाव लुक्खफासणामे ॥ ५१. अगुरुलहुअणामे एगागारे पण्णत्ते ।। ५२. उवघायणामे एगागारे पण्णत्ते ॥ ५३. पराघायणामे एगागारे पण्णत्ते॥ ५४. आणुपुविणामे चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-णेरइयाणुपुविणामे जाव देवाणुपुग्विणामे ।। ५५. उस्सासणामे एगागारे पण्णत्ते ॥ ५६. सेसाणि सव्वाणि एगागाराइं पण्णत्ताई जाव तित्थगरणामे, णवर-विहायगति १. सं० पा०-पुच्छा। २. कीलिया (क, ख, ग)। ३. छेवट्ठ (ख, घ)। ४. णिग्गोह° (ख)। ५. खुज्जे वामणे (ठाणं ६।३१)। Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ पण्णवणासुतं णामे' दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पसत्थविहायगतिणामे' य अपसत्थविहायगतिणामे य॥ ५७. गोए णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहाउच्चागोए य णीयागोए य ।। ५८. उच्चागोए णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा-जाइविसिट्ठया जाव* इस्सरियविसि ट्ठिया । एवं णीयागोए वि, गवरं-जातिविहीणया जाव' इस्सरियविहीणया ॥ ५६. अंतराइए णं भंते ! कम्मे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दाणंतराइए जाव वीरियंतराइए। कम्मपयडोणं ठिह-पदं ६०. पाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिणि य वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ६१. निहापंचयस्स णं भंते ! कम्मरस केवतियं कालं ठितो पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स तिणि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया', उक्कोसेणं तीसं सारोवमकोडाकोडीओ; तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ६२. दसणचउक्कस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिण्णि य वाससहस्साई अबाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ६३. सातावेयणिज्जस्स इरियावहियबंधगं पडुच्च अजहण्णमणुक्कोसेणं दो समया, संपराइयबंधगं पडुच्च जहण्णेणं वारस मुहुत्ता, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ; पण्णरस य वाससताइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-- कम्मणिसेगो।। ६४. असायावेयणिज्जस्स जहणणं सागरोव मस्स तिण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिग्णि व वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ६५. सम्मत्तवेयणिज्जस्स पुच्छा । गोयमा! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं छावद्धि सागरोवमाइं साइरेगाई॥ ६६. मिच्छत्तवेयणिज्जस्स जहण्णेणं सागरोवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं सत्तरि कोडाकोडीओ; सत्त य वाससहस्साई अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो। ६७. सम्मामिच्छत्तवेदणिज्जस्स जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १. विहायो (ग)। २. विहागति (क, घ); विहायो' (ग)। ३. विहामति (क, घ); "विहायो' (ग)। ४. प० २३।२१ । ५. प० २३।२२। ६. ५०२३१२३ । ७. इदमपृष्टस्य व्याकरणम् (हव)। ८. ऊणता (क,ध); ऊणिया (ग)। Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं २९३ ६८. कसायवारसगस्स जहण्णेणं सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; चत्तालीसं वाससताई अबाहा', 'अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ६६. कोहसंजलणाए पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं दो मासा,उक्कोसेणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; चत्तालीसं वाससताई' अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ७०. माणसंजलणाए पुच्छा । मोयमा ! जहण्णणं मासं, उक्कोसेणं जहा कोहस्स ।। ७१. मायासंजलगाए पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अद्धमासं, उक्कोसेणं जहा कोहस्स ।। ७२. लोभसंजलणाए पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं जहा कोहस्स ।। ७३. इत्थिवेदस्स णं पुच्छा। गोयमा! जहणेणं सागरोवमस्स दिवढं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं,उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ; पण्णरस य वाससताई अवाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ७४. पुरिसवेयस्स णं पुच्छा । गोयमा ! जपणेणं अट्ठ संवच्छराई, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाई अवाहा' 'अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मनिसेगो॥ ७५. नपुंसगवेदस्स णं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दुण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; बीसति वाससताइं अबाहा, अवाणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो ।। ७६. हास-रतीणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणं, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो॥ ७७. अरइ-भय-सोग-दुगुंछाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोष्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ: वीसति वाससताइं अबाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ७८. णेरइयाउयस्स णं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुवकोडोतिभागमब्भहियाई॥ ७६. तिरिक्खजोणियाउयस्स पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई पुवकोडितिभागमब्भह्यिाई । एवं मणूसाउयस्स वि ।। ८०. देवाउयस्स जहा रइयाउयस्स ठिति ति ।। ८१. णिरयगतिणामाए णं भंते ! कम्मस्स पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवम १. सं पा०-अबाहा जाव गिसेगो । २. संजलणे (क,ख,ग,घ)। ३. सं० पा०-वाससताई जाव णिसेगो। ४. सं० पा.---अबाहा जाव णिसेगो। ५. °मभइयाई (क,घ)! ६. °णामए (क,ख,घ)। Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ पण्णवणासुतं सहस्सस्स दो सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससताइं अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो । ६२.तिरियगतिणामाए जहा" णपसगवेदस्स॥ ८३. मणुयगतिणामाए पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं सागरोवमस्स दिवढं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ; पण्णरस य वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ८४. देवगतिणामाए णं पूच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स एक्कं सत्तभाग पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं जहा' पुरिसवेयस्स ॥ ८५. एगिदियजाइणामाए णं पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; 'वीस य" वाससताई अबाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ___ ८६. बेइंदियजातिणामाए णं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अट्ठारस य वाससयाइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ६७. तेइंदियजाइणामाए णं जहणणं एवं' चेव, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अद्रारस य वाससताई अबाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो ।। ८८. चरिदियजाइणामाए णं पुच्छा । जहण्णेणं सागरोवमस्स नव पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोक्मकोडाकोडीओ; अट्ठारस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ८६. पंचेंदियजाइणामाए णं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं सागरोवमस्स दोणि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो । ओरालियसरीरणामाए वि एवं चेव ॥ १०. वेउब्वियसरीरणामाए णं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊण्या, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडा कोडीओ; वीस य वाससताइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती- कम्मणिसेगो।। ६१. आहारगसरीरणामाए जहण्णेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेण वि अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ। १२. तेया-कम्मसरीरणामाए जहणेणं [सागरोवमस्स ? ] दोषिण सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवकोडाकोडीओ; वीस य वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो। ओरालिय-वेउव्विय-आहारगसरीरंगोवंगणामाए तिण्णि वि एवं चेव । सरीरबंधणणामाए वि पंचण्ह वि एवं चेव ।। १. प० २३१७५। २.५० २३१७४ । ३. वीसइ (क,ख,ग,ध)। ४. प०२३४५६। Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं २६५ ६३. सरीरसंधायणामाए वि पंचण्ह वि जहा सरीरणामाए कम्मरस ठिति त्ति ।। ६४. वइरोसभणारायसंघयणणामाए जहा रतिणामाए । १५. उसभणारायसंघयणणामाए पूच्छा ! गोयमा! जहण्णणं सागरोवमस्स छ पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वारस साग रोवमकोडाकोडीओ; बारस य वाससयाई अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो !। ६६. णारायसंघयणणामाए जहणणं सागरोवमस्स सत्त पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं चोद्दस सागरोवमकोडाकोडीओ; चोद्दस य वाससताई अवाहा, अबाहूणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो॥ ६७. अद्धणारायसंघयणणामस्स जहण्णणं सागरोवमस्स अट्ट पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं सोलस सागरोवमकोडाकोडीओ; सोलस य वाससताई अवाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ६८. खीलियासंघयणे णं पुच्छा । गोयमा ! जहणणं साग रोवमस्स शव पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अट्ठारस य बाससयाइं अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो ।। ६६. छेवट्टसंघयणणामस्स पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दोणि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससयाइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती - कम्मणि सेगो।। १००. एवं जहा संघयणणामाए छ भणिया एवं संठाणाए वि छ भाणियव्वा।। __१०१. सुक्किलवण्णनामाए पुच्छा । गोयमा ! जहणणेणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलिओवमस्स असं खिज्जइभागेगं ऊणगं, उक्कोसणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। १०२. हालिद्दवण्णणामाए पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सामरोवमस्स पंच अट्ठावीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं अद्धतेरस सागरोवमकोडाकोडीओ; अद्धतेरस य वाससयाई अबाहा, अवाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। १०३. लोहियवण्णणामाए णं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स छ अट्ठावीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडा. कोडीओ; पण्णरस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-ऋम्मणिसेगो।। १०४. णीलवण्णणामाए पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स सत्त अट्ठावीसतिभागा पलिओव मस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अट्ठारस य वाससयाई अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो ! १०५. कालवणणामाए जहा" छेवट्टसंघयणस्स ॥ १०६. सुब्भिगंधणामाए पुच्छा । गोयमा ! जहाँ सुविकलवण्णणामस्स ।। १. प० २३१८६-६२ । २. प० २३१७६१ ३. कीलिया (ग)। ४. हलिद्द (क,घ)। ५. प० २३१६६। ६. ५० २३।१०१। Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ पल्लवणासुतं १०७. दुन्भिगंधणामाए जहा' छेवट्टसंघयणस्स ।। १०६. रसाणं महुरादीणं जहा वण्णाणं भणियं तहेव परिवाडीए भाणियव्वं ।। १०६. फासा जे अपसत्था तेसिं जहा' छेवट्टस्स, जे पसत्था तेसिं जहा सुक्किलवण्णणामस्स। ११०. अगुरुलहुणामाए जहा' छेवट्टस्स । एवं उवघायणामाए वि । पराघायणामाए वि एवं चेव ॥ १११. णिरयाणुपुन्विणामाए पुच्छा। गोयमा ! जहणणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो।। ११२. तिरियाणुपुन्वीए पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दो सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती–कम्मणिसेगो ।। ११३. मणुयाणुपुत्रिणामाए णं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स दिवड्ढे सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ; पण्णरस य वाससयाइं अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो । ११४. देवाणपूविणामाए पूच्छा। गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमसहस्सस्स एगं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससताइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ११५. उस्सासणामाए पुच्छा । गोयमा ! जहा' तिरियाणुपुवीए । आयवणामाए वि एवं चेव, उज्जोवणामाए वि ।। ११६. पसत्थविहायगतिणामाए पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एगं सागरोवमस्स सत्तभाग, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससताई अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेगो॥ ११७. अपसत्थविहायगतिणामस्स पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमस्स दोष्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो। तसणामाए थावरणामाए य एवं चेव ।। ११८. सुहुमणामाए पुच्छा । गोयमा जहण्णेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ; अट्ठारस य बाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ ११९. बादरणामाए जहा अप्पसत्थविहायगतिणामस्स ।। १. प० २३१६६। २. प० २३३१०१-१०५॥ ३. प०२३१६६ । ४. ५०२३।१०। ५. प० २३१६६ । ६.५० २३।११२। ७. प० २३।११७ । Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीस कम्मपगडिपयं १२०. एवं पज्जत्त गणामाए वि । अपज्जत्तगणामाए जहा' सुहुमणामस्स || १२१. पत्तेययरीरणामाए वि दो सत्तभागा । साहारणसरीरणामाए जहा सुहुमस्स ॥ १२२. थिरणामाए एवं सत्तभागं । अथिरणामाए दो || १२३. सुभणामाए एगो । असुभणामाए दो || १२४. सुभगणामाए एगो । दूभगणामाए दो | १२५. सूसरणामाए एगो । दूसरणामाए दो | १२६. आएज्जणामाए एगो । अणाएज्जणामाए दो || १२७. जसोकित्तिणामाए जहणेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती- कम्मणिसेगो || १२८. अजसो कि त्तिणामाए पुच्छा । गोयमा ! जहा' अपसत्यविहायगतिणामस्स । एवं निम्माणणामा वि ॥ १२६. तित्थगरणामाए णं पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेण वि अंतोसागरोवकोडाकोडीओ ॥ १३०. एवं जत्थ एगो सत्तभागो तत्थ उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती- कम्मणिसेगो । जत्थ दो सत्तभागा तत्थ उक्को सेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडाओ वीस य वाससयाई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती- कम्मणिसेगो ॥ १३१. उच्चागोयस्स पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं दस सागरोकोडाकोडीओ; दस य वाससयाई अबाहा, अवाहूणिया कम्मठिती - कम्मणिसेगो ॥ १३२. णीयागोयस्स पुच्छा । गोयमा ! जहा अप्पसत्थविहायगतिणामस्स || १३३. अंतराइयस्स णं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमको डाकोडीओ; तिण्णि य वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती--कम्मणिसेगो ॥ एगिदिए कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १३४. एगिदिया णं भंते ! जीवा णाणावर णिज्जस्स कम्मस्स कि बंधति ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमस्स तिणि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोण ते चैव पsिपुण्णे बंधंति । एवं विद्दापंचकस्स वि दंसणचउक्कस्स वि ॥ २६७ १३५. एगिदिया णं भंते ! जीवा सातावेयणिज्जस्स कम्मस्स कि बंधंति ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमस्स दिवड्ढे सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधति ॥ १३६. असायावेयणिज्जल्स जहा ' गाणावरणिज्जस्स || १३७. एगिंदिया णं भंते ! जीवा सम्मत्तवेयणिज्जस्स कम्मस्स कि बंधंति ? गोयमा णत्थि किचि बंधंति ॥ १२. प० २३।११८ ३-४, प० २३३११७ । ५. प० २३।१३४ | Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ पण्णवणासुतं १३८. एगिदिया णं भंते! जीवा मिच्छत्तवेयणिज्जस्स कम्मस्स कि बंधंति ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमं पलिओवमस्त असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चैव पडणं बंधति ॥ १३६. एगिंदियाणं भंते ! जीवा सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जस्स कि बंधति ? गोयमा ! णत्थि किचि बंधति ॥ १४०. एगिदिया णं भंते! कसायबारसगस्स कि बंधति ? गोयमा ! जहणणं सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्को सेणं ते चेव पडणे बंधति । एवं कोहसंजलणाए वि जाव लोभसंजलणाए वि ।। इत्थवेस्स जहा ' सायावेय णिज्जस्स || १४१. १४२. एगिदिया पुरिसवेदस्स कम्मस्स जहणणेणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, ऊक्कोसेणं तं चैव पडिपुण्णं बंधंति ॥ १४३. एगिंदिया णपुंसगवेदस्स कम्मस्स जहणणं सागरोवमस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुणे बंधति ॥ १४४. हास - रतीए जहा' पुरिसवेयस्स || १४५. अरति-भय-सोग-दुगंछाए जहा ' गपुंसंगवेयस्स || १४६. गेरइयाउय देवाउय णिरयगतिणाम देवगतिणाम वेडव्वियसरीरणाम आहारगसरीरणाम णेरइयाणुपुब्विणाम देवाणुपुब्विणाम तित्थगरणाम' एयाणि पयाणि ण बंधति ॥ १४७. तिरिक्खजोणिया उयस्स जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडि' सतहि वाससहस्सेहिं वाससहस्सतिभागेण य अहियं बंधति । एवं मणुस्साउयस्स वि ।। १४८. तिरियगतिणामाए जहा णपुंसगवेदस्स || १४. मणुयगतिणामाए जहां' सातावेदणिज्जस्स ॥ १५०. एगिदियजाइणामाए पंचेंदियजातिणामाए य जहा ' णपुंसगवेदस्स || १५१. बेइंदिय- तेइंदियजातिणामाए जहण्णेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते वेव पडिपुणे बंधति ॥ १५२. चउरिदियनामाए वि जहण्णेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागे पलिओ मस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधति । एवं जत्थ जहणगं दो सत्तभागा तिण्णि वा चत्तारि वा सत्तभागा अट्ठावीसतिभागा भवंति तत्थ णं जहणणं ते चेव पतिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणगा भाणियव्वा,उक्को सेणं ते चेव पडिपुण्णे बंघंति । जत्थ गं जहणेणं एगो वा दिवड्ढो वा सत्तभागो तत्थ जहणेणं तं चैव भाणियव्वं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति ॥ १. ५० २३११३५ । २. १० २३३१४२ ३. ५० २३।१४३ । ४. विभक्तिरहितं पदम् । ५. एयाणि णव (ग) ६. पुव्वकोडी (क, ख, ग, घ ) । ७. प० २३।१४३ । ८. १०२३।१३५ ६. प० २३।१४३ । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइम कम्मपगडिपयं २९६ १५३. जसोकित्ति-उच्चागोयाणं जहण्णणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति ।। १५४. अंतराइयस्स णं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! जहा' णाणावरणिज्जस्स जाव उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति ।। बेईविएसु कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १५५. बेइंदिया णं भंते ! जीवाणाणावरणिज्जस्स कम्मरस कि बंधति ? गोयमा ! जहण्णेणं साग रोवमपणवीसाए तिण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधति । एवं णिहापंचगस्स वि ।। १५६. एवं जहा एगिदियाणं भणियं तहा बेइंदियाण वि भाणियव्वं, णवरं-सागरोवमपणुवीसाए सह भाणियव्वा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणा, सेसं तं चेव, जत्थ एगिदिया ण बंधति तत्थ एते वि ण बंधंति ।। १५७ बेइंदिया णं भंते ! जीवा मिच्छत्तवेयणिज्जस्स किं बंधति ? गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमपणुवीसं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति ॥ १५८. तिरिक्खजोणियाउअस्स जहण्णेण अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडि चउहिं वासेहिं अहियं बंधंति । एवं मणुयाउअस्स वि ॥ १५६. सेसं जहा एगिदियाणं जाव अंतराइयस्स ।। तेइंदिएसु कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १६०. तेइंदिया णं भंते ! जीवा गाणावरणिज्जस्स कि बंधति ? गोयमा ! जहण्णणं सागरोवमपण्णासाए तिणि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति । एवं जस्स जइ भागा ते तस्स सागरोवमपण्णासाए सह भाणियव्वा ॥ १६१. तेइंदिया णं भंते !जीवा मिच्छत्तवेयणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधंति ? गोयमा ! सागरोवमपण्णासं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधति ॥ १६२. तिरिक्खजोणियाउअरस जहणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडि सोलसहि राइदिएहिं राइंदियति भागेण य अहियं बंधंति । एवं मणुस्साउयस्स वि ।। १६३. सेसं जहा बेइंदियाणं जाव अंतराइयस्स ।। चरिदिएसु कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १६४. चउरिदिया णं भंते ! जीवा जाणावरणिज्जस्स कि बंधंति ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमसयस्स तिणि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति । एवं जस्स जइ भागा ते तस्स सागरोवमसतेण सह भाणियव्वा ।। १६५. तिरिक्ख जोणियाउअस्स कम्मस्स जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुन्वकोडि १. प० २३॥१३४॥ २. पणुवीसा (क,ख,घ)। . amrrrr Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं दोहिं मासेहिं अहियं । एवं मणुस्साउअस्स वि ॥ १६६. सेसं जहा बेइंदियाणं, णवरं-मिच्छत्तवेयणिज्जस्स जहण्णणं सागरोवमसतं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति । [सेसं जहा बेइंदियाणं'] जाव अंतराइयस्स ॥ असण्णीसु कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १६७. असण्णी ण भंते ! जीवा पंचेंदिया णाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि बंधति ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमसहस्सस्स तिण्णि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति । एवं सो चेव गमो जहा बेइंदियाणं, णवरंसागरोवमसहस्सेण समं भाणियव्वा जस्स जति भाग त्ति ।। १६८. मिच्छत्तवेदणिज्जस्स जहण्णणं सागरोवमसहस्सं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणयं, उक्कोसेणं तं चैव १६६. णेरइयाउअस्स जहण्णेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पुवकोडितिभागमभहियं बंधंति ।। १७०. एवं तिरिक्खजोणियाउयस्स वि, गवरं जहण्णेणं अंतोमुत्तं । एवं मणुस्साउयस्स वि । देवाउयस्स जहा णेरइयाउयस्स ।। १७१. असण्णो णं भंते ! जीवा पंचेंदिया णिरयगतिणामाए कम्मस्स किं बंधंति ? गोयमा ! जहणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे ॥ १७२. एवं तिरियगतीए वि ! मणुयगतिणामाए वि एवं चेव, णवरं-जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स दिवड्ढं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभामेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति । एवं देवगतिणामाए वि, णवरं-जहण्णणं सागरोवमसहस्सस्स एग सत्तभाग पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं त चेव पडिपुण्णं ॥ १७३ वेउब्वियसरीरणामाए पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं दो पडिपुण्णे बंधंति ॥ १७४. सम्मत्त-सम्मामिच्छत्त-आहारगसरीरणामाए तित्थगरणामाए य ण किंचि बंधंति ।। १७५. अवसिढें जहा बेइंदियाणं, णवरं--जस्स जत्तिया भागा तस्स ते सागरोवमसहस्सेणं सह भाणियन्वा सव्वेसि आणुपुवीए जाव अंतराइयस्स ॥ सण्णीसु कम्मपयडीणं ठिइबंध-पदं १७६. सण्णी णं भंते ! जीवा पंचेंदिया णाणावरणिज्जस्स कम्मरस कि बंधंति ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुतं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साई अवाहा, अवाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो॥ १७७. सण्णी णं भंते ! पंचेंदिया णिहापंचगस्स किं बंधंति ? गोयमा ? जहण्णेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; तिणि य वास १. एष पाठः पुनरावृत्तिरूपोस्ति । Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीस इमं कम्मपगडिपयं वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो !! १७८. सणचउक्कस्स जहा णाणावरणिज्जस्स ।। १७६. सातावेदणिज्जस्स जहा ओहिया ठिती भणिया तहेव भाणियव्वा इरियावहियबंधयं पडुच्च संपराइयबंधयं च ।। १८०. असातावेय णिज्जस्स जहा णिद्दापंचगस्स ।। १८१. सम्मत्तवेदणिज्जस्स सम्मामिच्छत्तवेदणिज्जस्स य जा ओहिया ठिती भणिया तं बंधंति ॥ १८२. मिच्छत्तवेदणिज्जस्स जहण्णेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ; सत्त य वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठितीकम्मणिसेगो॥ १८३. कसायबारसगस्स जहणणं एवं चेव, उक्कोसेणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; चत्तालीस य वाससयाई अवाहा, अबाहणिया कम्मठिती-कम्मणिसेगो ।। १८४. कोह-माण-माया-लोभसंजलणाए य दो मासा मासो अद्धमासो अंतोमुत्तो एयं जहण्णगं, उक्कोसगं पुण जहा कसायवारसगस्स ।। १८५. चउण्ह वि आउयाणं जा ओहिया ठिती भणिया तं बंधंति ।। १८६. आहारगसरीरस्स तित्थगरणामाए य जहण्णणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ. उक्कोसेण वि अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ बंधंति ।। १८७. पुरिसवेदस्स जहणणं अट्ठ संवच्छराई, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाई अवाहा, अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मणि सेगो । १८८. जसोकित्तिणामाए उच्चागोयस्स य एवं चेव, णवरं -जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्ता ॥ १८६. अंतराइयस्स जहा णाणावरणिज्जस्स ॥ १६०. सेसएसु सव्वेसु ठाणेसु संघयणेसु सठाणेसु वण्णेसु गंधेसु य जहण्णेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीओ, उक्कोसेणं जा जस्स ओहिया ठिती भणिया तं बंधति, णवरं इम णाणत्तं-अवाहा अबाहूणिया ण वुच्चति । एवं आणुपुवीए सव्वेसि जाव अंतराइयस्स ताव भाणियव्वं ॥ जहण्णठिइबंधग-पदं - १६१. णाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जहण्णठितिबंधए के ? गोयमा ! अण्णयरे सुहुमसंपराए-उवसामए वा खवए' वा, एस णं गोयमा ! गाणावरणिज्जस्स कम्मस्स जहण्णाठितिबंधए, तव्व इरित्ते अजहण्णे । एवं एतेणं अभिलावेणं मोहाउयवज्जाणं सेसकम्माणं भाणियव्वं ॥ १६२. मोहणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स जहणणाठितिबंधए के ? गोयमा ! अण्णयरे बायरसंपराए-उवसामए वा खवए वा, एस णं गोयमा ! मोहणिज्जस्स कम्मस्स जहण्णठितिबंधए, तव्वतिरित्ते अजहण्णे ।। १६३. आउयस्स णं भंते ! कम्मस्स जहण्णठितिबंधए के ? गोयमा ! जे णं जीवे १. खवगए (क,ग,घ); खमए (ख)। Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ पण्णवणासुत्तं असंखेप्पद्धप्पविठे सव्वणिरुद्ध से आउए, सेसे सव्वमहतीए आउयबंधद्धाए, तीसे णं आउयबंधद्धाए चरिमकालसमयंसि सव्वजहणियं ठिई पज्जत्तापज्जत्तियं णिवत्तेति । एस णं गोयमा ! आउयकम्मस्स जहण्णठितिबंधए, तव्वइरित्ते अजहणे ।। उक्कोसठिइबंधग-पदं १९४. उक्कोसकालठितीयं णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं किं णेरइओ बंधति तिरिक्खजोणिओ बंधति तिरिक्खजोणिणी बंधति मणुस्सो बंधति मणुस्सी बंधति देवो बंधति देवी बंधति ? गोयमा ! णेरइओ वि बंधति जाव देवी वि बंधति ।। १६५. केरिसए णं भंते ! जेरइए उक्कोसकालठितीयं णाणावरणिज्जं कम्मं बंधति ? गोयमा ! सण्णी पंचिदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्ते सागारे जागरे सुतोवउत्ते' मिच्छादिट्ठी कण्हलेसे उक्कोससंकि लिट्ठपरिणामे ईसिमज्झिमपरिणामे वा, एरिसए णं गोयमा ! रइए उक्कोसकालठितीयं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधति ॥ १६६. केरिसए णं भंते ! तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालठितीयं णाणावरणिज्ज कम्म बंधति ? गोयमा ! कम्मभमए वा कम्मभूमगपलिभागी वा सण्णी पंचें दिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए, सेसं तं चेव जहा णेरइयस्स । एवं तिरिक्खजोगिणी वि, मणूसे वि मणूसी वि। देव-देवी जहा मेरइए॥ १६७. एवं आउयवज्जाणं सत्तण्डं कम्माणं ।। १६८. उक्कोसकालठितीयं णं भंते ! आउयं कम्मं कि रइओ बंधइ जाव देवी बंधइ ? गोयमा ! णो णेरइओ बंधति, तिरिक्खजोणिओ बंधति, णो तिरिक्खजोणिणी बंधति, मणुस्सो वि बंधति, मगुस्सी वि बंधति, णो देवो बंधति, णो देवी बंधति ॥ १६६. केरिसए णं भंते ! तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्मं बंधति ? गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमगपलिभागी वा सण्णी पंचेंदिए सव्वा हि पज्जत्तीहिं पज्जत्तए सागारे जागरे सुतोव उत्ते मिच्छद्दिट्ठी परमकिण्हलेस्से उक्कोससंकिलिपरिणामे, एरिसए णं गोयमा ! तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालठितीयं आउयं बंधति ।। २००. केरिसए णं भंते ! मणूसे उक्कोसकाल ठितीयं आउयं कम्मं बंधति ? गोयमा ! कम्मभुमगे वा कम्मभूमगपलिभागी वा' 'सण्णी पंचेंदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए सागारे जागरे सुतोवउत्ते सम्मट्टिी वा मिच्छट्टिी वा कण्हलेसे वा सुक्कलेसे वा णाणी वा अण्णाणी वा उक्कोससंकिलिट्ठपरिणामे वा तप्पाउग्गविसुज्झमाणपरिणामे वा, एरिसए णं गोयमा ! मणूसे उक्कोसकाल ठिईयं आउयं कम्म बंधति ॥ २०१. केरिसिया णं भंते ! मणूसी उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्मं बंधति ? गोयमा ! कम्मभूमिगा वा कम्मभूमगपलिभागी वा 'सण्णी पंचेंदिया सव्वाहि पज्जत्तीहिं १. असंखेप्पद्धापविठे (क)। ४. सं० पा.-कम्मभूमगपलिभागी वा जाव २. ठियं (क,ख,ग,घ); मलयगिरिणा 'स्थिति- सुत्तोवउत्ते। मितिगम्यते' इति लिखितम्, तेनानुमीयते ५. सं० पाo-कम्मभूमगपलिभागी वा जाव वृत्तिकारेण नासो पाठः साक्षाल्लब्धः।। सुत्तोवउत्ता। ३. सुत्तोवउत्ते (क)। Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं कम्मपगडिपयं पज्जत्तीया सागारा जागरा° सुतोवउत्ता सम्मद्दिट्ठी सुक्कलेस्सा तप्पाउग्गविसुज्झमाणपरिणामा एरिसिया णं गोयमा ! मणुस्सी उक्कोसकालठितीयं आउयं कम्मं बंधति ॥ २०२. अंतराइयं' जहा णाणावरणिज्जं ॥ १. ' एवं आउयवज्जाणं सत्तण्हं कम्माणं १६८' इति सूत्रस्य सन्दर्भे प्रस्तुतसूत्रस्य पुनरावृत्तिः परिभाव्यते । ३०३ Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं कम्मबंधपयं १. कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णताओ? गोयमा ! अटु कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा--णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ॥ २. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा।। ३. णेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा। एवं जाव वेमाणिए, णवर--मणसे जहा जीवे॥ ४. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य ३ ॥ ५. णेरइया णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अदविहबंधगा य३, तिण्णि भंगा। एवं जाव थणियकमारा ६. पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि। एवं जाव वणस्सतिकाइया ॥ ७. वियलाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य तियभंगो-सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य ३॥ ८. मणूसा णं भंते ! णाणावरणिज्जस्स पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अटविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छव्विहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छब्बिहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य ६, एवं एते ३०४ Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीस इमं कम्मबंधपर्यं ३०५ व भंगा। सेसा वाणमंतराइया जाव वेमाणिया जहा ' णेरइया सत्तविहादिबंधगा भणिया तहा भाणियव्वा || ६. एवं जहा णाणावरणं बंधमाणा जाहिं भणिया दंसणावरणं पि बंधमाणा ताहि जीवादीया एगत्त- पोहतेहि भाणियव्वा ॥ १०. वेयणिज्जं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहगंध वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा । एवं मणूसे वि । सेसा गारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य जाव वेमाणिए || ११. जीवा णं भंते ! वेयणिज्जं कम्म बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधति ?" गोमा ! सव्वे वि ताव होज्जा 'सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा" सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३ । अवसेसा णारगादीया जाव वेमाणिया जाओ णाणावरणं बंधमाणा बंधंति ताहि भाणियव्वा णवरं १२. मणूसा णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगाय अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधना य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगाय ३ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंगा गहबंधगा य छव्विहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अबंध य छविबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंध य छव्हिबंधगाय ७ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंध अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविबंधगाय 8 एवं णव भंगा* । १३. मोहणिज्जं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । जीवेगिदिया सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि ॥ 1 १४. जीवे णं भंते ! आउयं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! णियमा अट्ठ | एवं रइए जाव वेमाणिए । एवं पुहत्तेण वि ।। १५. णाम- गोय- अंतरायं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! जाओ णाणावरणिज्जं बंधमाणे बंधइ ताहि भाणियव्वो । एवं णेरइए वि जाव वैमाणिए । एवं पुहतेण वि भाणियव्वं ॥ १. प० २४१५ । २. सं० पा० पुच्छा ३. चिन्हाङ्कितः पाठः प्रयुक्तादर्णेषु नास्ति । असौ वृत्त्याधारेण स्वीकृतः । वृत्तौ श्रयो विकल्पा विद्यन्ते - इह जीवाः सप्तविधबन्धकाः अष्टविधबन्धकारच सदैव बहुत्वेन लभ्यन्ते, षड्विधबन्धकस्तु कदाचित्सर्वथा न भवति, षण्मासान् यावत् उत्कर्षतस्तदन्तरस्य प्रतिपादनाद्, यदापि लभ्यते तदापि जधन्यपदे एको द्वौ वा उत्कर्षतोऽष्टाधिकं शतं तत्र यदेकोऽपि न लभ्यते तदा प्रथमो भङ्गः, यदा त्वेको लभ्यते तदा द्वितीयो बहूनां लाभे तु तृतीय इति । ४. भंगा भाणियव्वा (क,ग,घ) 1 Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं कम्मबंधवेयपय १. कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा! अट्र कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा णाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं । एवं गेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । २. जीवेणं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्म बंधमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! णियमा अट्ट कम्मपगडीओ वेदेति । एवं णेरइए जाव वेमाणिए । एवं पुहत्तेण वि॥ ३. एवं वेयणिज्जवज्जं जाव अंतराइयं ।। ४. जीवे णं भंते ! वेयणिज्ज कम्मं बंधमाणे कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ? गोयमा ! सत्तविहवेयए वा अट्ठविहवेयए वा चउबिहवेयए वा । एवं मणूसे वि । सेसा रइयाई एगतेण वि पुहत्तेण वि णियमा अट्ट कम्मपगडीओ वेदेति जाव वेमाणिया ।। ५. जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! सब्वे वि ताव होज्जा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य १ अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगे य २ अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगा य ३ । एवं मणूसा वि भाणियव्वा ॥ Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छव्वीसइमं कम्मवेयबंधपयं १. कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा! अट्ट कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहाणाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं ।। २. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा ॥ ३. णेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा । एवं जाव वेमाणिए । मणूसे जहा जीवे ।। ४. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणा कति कम्म पगडीओ बंधति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधगा य ७ अह्वा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधगा य ६, एवं एते नव भंगा। अवसेसाणं एगिदिय-मणूसवज्जाणं तियभंगो' जाव वेमाणियाणं ॥ ५. एगिदिया णं सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ॥ ६. मणूसाणं पुच्छा। गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य, एवं छव्विहबंधएण वि समं दो भंगा ५ एगविहबंधएण वि समं दो भंगा ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छविहबंधए य चउभंगो ११ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य चउभंगो १५ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगे य एगविहबंधए य चउभंगो १६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छब्बिहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अद्र २७, एवं एते सत्तावीसं भंगा॥ ७. एवं जहा णाणावरणिज्ज तहा दरिसणावरणिज्ज पि अंतराइयं पि ।। १.तियभंगा (ग)। Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०८ पण्णवणासुत्तं ८. जीवे णं भंते ! वेयणिज्जं कम्म वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा । एवं मणूसे वि। अवसेसा णारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य। एवं जाव वेमाणिए । १. जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य एगविहबंधगाय छविहबंधगाय ३ अबंधगेण वि समं दो भंगा भाणियन्वा ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधए य अबंधए य चउभंगोह, एवं एते णव भंगा। एगिदियाणं अभंगयं । णारगादीणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं, नवरं १०. मसाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तबिहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधए य अट्टविहबंधए य अबंधए य, एवं एते सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा जहा' किरियासु पाणाइवायविरतस्स ।। ११. एवं जहा वेदणिज्जं तहा आउयं णामं गोयं च भाणियव्वं ।। १२. मोहणिज्जं वेदेमाणे जहाँ बंधे णाणावरणिज्जं तहा भाणियव्यं ।। १.५० २२६। २. प०२४।२-८ । Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तावीसइमं कम्मवेयवेयगपयं १. कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! अटू, तं जहा-- णाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं । एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं ।। २. जीवे गं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! सत्तविहवेदए वा अट्टविहवेदए वा । एवं मणूसे वि । अवसेसा एगत्तेण वि पुहत्तेण वि नियमा अविहकम्मपगडीओ वेदेति जाव वेमाणिया ।।। ३. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा अट्ठविहवेदगा १ अहवा अट्टविहवेदगा य सत्तविहवेदगे य २ अहवा अढविहवेदगा य सत्तविहवेदगा य ३ । एवं मणूसा वि ॥ गावरणिज्ज अंतराइयं च एवं चेव भाणियव्वं ।। ५. वेदणिज्ज-आउअ-णाम-गोयाई वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! जहा' बंधगवेयगस्स वेदणिज्जं तहा भाणियव्वं ।। ६. जीवे णं भंते ! मोहणिज्ज कम वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! णियमा अट्ठ कम्मपगडीओ वेदेति । एवं रइए जाव वेमाणिए । एवं पुहत्तेण वि ।। १.१०२५४,५। ३०९ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइमं आहारपयं पढमो उद्देसओ गाहा-- १,२ सच्चित्ताहारट्ठी' ३ केवति ४ किं वा वि ५ सव्वओ चेव । ६ कतिभाग ७ सव्वे खलु, ८ परिणामे चेव बोधव्वे ॥१॥ ६ एगिदिसरीरादी, १० लोमाहारे तहेव ११ मणभक्खी। एतेसिं तु' पयाणं, विभावणा होइ कायव्वा ॥२॥ सचित्ताहार-पदं १. परइया णं भंते ! किं सचित्ताहारा अचित्ताहारा मीसाहारा ? गोयमा ! णो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, णो मीसाहारा । एवं असुरकुमारा जाव वेमाणिया ॥ २. ओरालियसरीरी' जाव मणूसा सचित्ताहारा वि अचित्ताहारा वि मीसाहारा वि ॥ नेरइएसु आहारटिआइसत्तग-पदं ३. रइया णं भंते ! आहारट्टी ? हंता गोयमा ! आहारट्ठी ।। ४. णेरइयाणं भंते ! केवतिकालस्स आहारठे समुप्पज्जति ? गोयमा ! रइयाणं आहारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–आभोगणिव्वत्तिए य अणाभोगणिव्वत्तिए य । तत्थ णं जेसे अणाभोगणिन्वत्तिए से णं अण समयमविरहिए आहारठे समुप्पज्जति । तत्थ णं जेसे आभोगणिव्वत्तिए से णं असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए आहारट्टे समुप्पज्जति ।। ५.णेरडया णं भंते ! किमाहारमाहारेति? गोयमा! दवओ अणंतपदेसियाई दव्वाइं, खेत्तओ असंखेज्जपदेसोगाढाइं, कालतो अण्णतरठितियाई, भावओ वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई। ६. जाइं भावओ वण्णमंताई आहारेति ताई कि एगवण्णाइं आहारति जाव कि पंचवण्णाई आहारेंति ? गोयमा ! ठाणमन्गणं पडुच्च एगवण्णाई पि आहारेंति जाव १. सचित्ता (क,ख,घ)। भिगमे (१॥३३) पि एवमेव दृश्यते । २. त्थ (क)। ५. अण्णतरकालठितियाई (क,ग,घ); अणंतर३. ओरालियसरीरा (क,ख,ग)। कालठितियाई (ख)। ४. एतत्पदं वृत्त्याधारेण स्वीकृतम्, जीवाजीवा ३१० Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीस आहारपयं पंचवण्णाई पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाई पि आहारेंति जाव सुक्किलाई पि आहारैति ॥ ७. जाई वण्णओ कालवण्णाई आहारेंति ताइं कि एगगुणकालाई आहारेंति जाव दस गुणकालाई आहारेंति ? संखेज्जगुणकालाई असंखेज्जगुणकालाई अणंत गुणकालाई आहारेति ? गोयमा ! एगगुणकालाई पि आहारेंति जाव अनंतगुणकालाई पि आहारेंति । एवं जाव सुक्किलाई पि ॥ ८. एवं गंधओ वि रसतो वि ॥ ६. जाई भावओ फासमंताई ताई णो एगफासाई आहारेंति णो दुफासाई आहारेंति णो तिफासाई आहारेंति, चउफासाई आहारेंति जाव अट्ठफासाइं पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाई पि आहारेंति जाव लुक्खाई पि ॥ १०. जाई फासओ कक्खडाई आहारेति ताई कि एगगुणकक्खडाई आहारेंति जाव अनंत गुणकक्खडाई आहारेंति ? गोयमा ! एगगुणकक्खडाई पि आहारेंति जाव अतगुणकक्खडाई पि आहारैति । एवं अट्ठ वि फासा भाणियव्वा जाव अनंतगुणलुक्खाई पि आहारेति ॥ ११. जाई भंते ! अनंतगुणलुक्खाई आहारैति ताई कि पुट्ठाई आहारेंति ? अपुट्ठाई आहारेंति ? गोयमा ! पुट्ठाई आहारेंति, णो अपुट्ठाई आहारेंति ।। १२. "जाई भंते ! पुट्ठाई आहारेंति, ताई कि ओगाढाई आहारेति ? अणोगाढाई आहारैति ? गोयमा ! ओगाढाई आहारेंति, णो अणोगाढाई आहारेंति ॥ १३. जाई भंते ! ओगाढाई आहारेंति, ताई कि अनंतरोगाढाई आहारेंति ? परंपरोगाढाई आहारेंति ? गोयमा ! अनंतरोगाढाई आहारेति णो परंपरोगाढाई आहारेति ॥ १४. जाई भंते! अगंतरोगाढाई आहारेंति, ताई कि अणूई आहारेंति ? बादराई आहारेंति ? गोयमा ! अणूई पि आहारेंति, वादराई पि आहारेंति । १५. जाई भंते! अणूई पि आहारेंति, वादराई पि आहारेंति, ताई कि उड्ढ आहारेंति ? अहे आहारेंति ? तिरियं आहारेंति ? गोयमा ! उड्ढ पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति । १६. जाई भंते ! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारैति, तिरियं पि आहारेंति, ताई कि आदि आहारैति ? मज्झे आहारेंति ? पज्जवसाणे आहारेंति ? गोयमा ! आदि पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति पज्जवसाणे वि आहारेति ॥ १७. जाई भंते! आदि पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति, पज्जवसाणे वि आहारेंति, ताई कि सविसए आहारेति ? अविसए आहारेंति ? गोयमा ! सविसए आहारैति णो अविसए आहारेंति || १८. जाई भंते ! सविसए आहारेंति, ताई कि आणुपुव्वि आहारैति ? अणाणुपुव्वि आहारेंति ? गोयमा ! आणुपुवि आहारेंति, णो अणाणुपुव्वि आहारेंति || १. सं० पा० – जहा भासुद्देस जाव नियमा ३११ Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२ पणवणासुतं १६. जाई भंते ! आणुपुब्वि आहारेंति, ताई किं तिदिसि आहारेंति जाव छद्दिसि आहारेति ? गोयमा !° णियमा छद्दिसि आहारेति ॥ २०. ओसण्णकारणं पडुच्च वण्णओ काल-नीलाई गंधओ दुनिभगंधाई रसतो तित्तरसकड्याइं फासओ कक्खड-गरुय-सीय-लुक्खाई, तेसिं पोराणे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुव्वे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाएत्ता आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहरति । २१. गेरइया णं भंते ! सव्वतो आहारति सव्वतो परिणामेंति सव्वओ ऊससंति सव्वओ णीससंति, अभिक्खणं आहारति अभिक्खणं परिणामें ति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं णीससंति, आहच्च आहारेंति आहच्च परिणामेंति आहच्च ऊससंति आहच्च णीससंति ? हंता गोयमा ! णेरइया सव्वतो आहारेंति एवं तं' चेव जाव आहच्च णीससंति ॥ २२. गैरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेहंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालसि कतिभागं आहारेंति ? कतिभागं आसाएंति ? गोयमा ! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अणंतभागं अस्साएंति ।। २३. णेरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारति णो सव्वे आहारेति ? गोयमा ! ते सव्वे अपरिसेसिए आहारेति ।। २४. गेरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ? गोयमा ! सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए अणि?त्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुण्णत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए –णो उड्डत्ताए दुक्खत्ताए–णो सुहत्ताए ‘ते तेसि", भुज्जो-भुज्जो परिणमंति॥ भवणवासीसु आहारट्ठिआइसत्तग-पदं २५. असुरकुमारा णं भंते ! आहारट्ठी ? हंता ! आहारट्ठी। एवं जहा गैरइयाणं तहा असुरकुमाराण वि भाणियव्वं जाव ते तेसि भुज्जो-भुज्जो परिणमंति । तत्थ णं जेसे आभोगणिन्वत्तिए से णं जहणणं चउत्थभत्तस्स, उक्कोसेणं सातिरेगस्स वाससहस्सस्स आहारठे समुप्पज्जति ।। २६. ओसण्णकारणं पडुच्च वण्णओ हालिद्द-सुक्किलाई गंधओ सुब्भिगंधाइं रसओ अंबिल-महुराई फासओ म उय-लहुअ-णिद्धण्हाई, तेसि पोराणे वण्णगुणे जाव फासिदियत्ताए जाव मणामत्ताए इच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए उड्डत्ताए-णो अहत्ताए सुहत्ताए–णो दुहत्ताए ते तेसि भुज्जो-भुज्जो परिणमंति । सेसं जहा णेरइयाणं ।।। २७. एवं जाव थगियकुमारणं, णवर-भाभोगणिव्वत्तिए उक्कोसेणं दिवसपुहत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति ॥ १. आहारगमाहारेंति (क,घ)। २. ते (क) ४ (ख,ग,घ)। ३. एतेसि (क,ख,ग,घ) । ४. प०२८।४-२४ । Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बट्ठावीस इमं आहारपयं एगिदिएसु आहारद्विआइसत्तग-पदं २८. पुढविकाइया णं भंते ! आहारट्ठी ? हंता ! आहारट्ठी ॥ २६. पुढविक्काइयाणं भंते ! केवतिकालस्स आहारठे समुप्पज्जति ? गोयमा ! अणुसमयं अविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जति ।। ३०. पुढविक्काइया णं भंते ! किमाहारमाहारेंति एवं जहा णेरइयाणं जाव' ३१. ताई भंते ! कति दिसिं आहारति ? गोयमा ! णिव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, णवरं ३२. ओसण्णकारणं ण भवति, वण्ण्णतो काल-णील-लोहिय-हालिह-सुक्किलाई, गंधओ सब्भिगंध-दब्भिगंधाइं, रसओ तित्त-कडय-कसाय-अंबिल-महराइं, फासतो कक्खडमउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण-णिद्ध-लुक्खाई, तेसिं पोराणे वण्णगुणे • गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुन्वे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाएत्ता आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ॥ ३३. पुढविक्काइयाणं भंते ! सव्वतो आहारेंति सव्वतो परिणामें ति सव्वतो ऊससंति सव्वतो जीससंति, अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं णीससंति, आहच्च आहारेंति आहच्च परिणामेंति आहच्च ऊससंति आहच्च णीससंति ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइया सव्वतो आहारेंति एवं तं चेव जाव आहच्च णीससंति ॥ ३४. पुढविक्काइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हति तेसिं गं भंते ! पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेति ? कतिभागं आसाएंति ? गोयमा ! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अणंतभागं आसाएंति । ३५. पुढविक्काइया णं भंते ! जे पुग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेंति ? णो सब्वे आहारेंति ?" गोयमा ! ते सव्वे अपरिसेसिए आहारेति ।। ३६.पढविक्काडया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्डति ते पंतेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा ! फासेंदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति । एवं जाव वणप्फइकाइयाणं ॥ विलिदिएसु आहारटिआइसत्तग-पदं ३७. बेइंदिया णं भंते ! आहारट्ठी ? हंता गोयमा ! आहारट्ठी ॥ ३८. बेइंदिया णं भंते ! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति ? जहाणेरइयाणं, णवरं-तत्थ णं जेसे आभोगणिव्वत्तिए से णं असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्टे समुप्पज्जति । सेसं जहा पुढविक्काइयाणं जाव' आहच्च णीससंति, णवरंणियमा छद्दिसि ॥ १. प० २०१५-१६ । ४.५० २८।४। २. सं०पा०-सेसं जहा नेरइयाणं जाव आहच्च । ५. असंखेज्जतिसमतिए (क,घ)। ३. सं०पा०—जहेव नेरइया तहेव । ६. प० २८१३०-३३। Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पष्णवणासुतं ३६. बेइंदिया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसि पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेति ? कतिभागं अस्साएंति ?• गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अणंतभागं अस्साएंति ॥ ४०. बेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेति ? णो सव्वे आहारेंति ? गोयमा ! बेइंदियाणं दुविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा-लोमाहारे य पक्खेवाहारे य । जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गेण्हंति ते सव्वे अपरिसेसे आहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गेहंति तेसिं असंखेज्जइभागमाहारेति गाई च णं भागसहस्साइं अफासाइज्जमाणाई अणासाइज्जमाणाई' विद्धंसमागच्छति ।। ४१. एतेसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणासाइज्जमाणाणं अफासाइज्जमाणाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणासाइज्जमाणा, अफासाइज्जमाणा अ ४२. बेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए "गेण्हंति ते णं तेसिं पोगला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ?° गोयमा ! जिभिदिय-फासिदियवेमायत्ताए ते तेसि भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ॥ ४३. एवं जाव चउरिदिया, णवरं-णेगाइं च णं भागसहस्साई अणग्घाइज्जमाणाइ अफासाइज्जमाणाई अणस्साइज्जमाणाई विद्धसमागच्छति ।। ४४. एतेसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमाणाणं अणासाइज्जमाणाणं अफासाइज्जमाणाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणग्घाइज्जमाणा, अणस्साइज्जमाणा अर्णतगुणा, अफासाइज्जमाणा* अणंतगूणा ॥ ४५. तेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले "आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए परिणमंति ?° गोयमा ! घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियवेमायताए ते तेसिं भज्जो-भुज्जो परिणमंति ।। ४६. चउरिदियाण' चविखदिय-घाणिदिय-जिब्भिदिय-फासिदियवेमायत्ताए ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति, 'सेसं जहा ते [बे ?] इंदियाणं" । पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु आहारट्ठिआइसत्तग-पदं ४७. पंचेंदियतिरिक्खजोगिया जहा ते [बे? ] इंदिया', णवरं-तत्थ णं जेसे आभोग १. सं० पा० --एवं जहा नेरइयाणं । २,३. "माणाणं (क,ख,ग,घ,पु,मवृ); हरिभद्र- सुरिणा तत्र प्रक्षेपाहारे बहन्यस्पृष्टानि' इति व्याख्यातम्। चतुरिदियसूत्रे पि अफासाइज्ज भाणाई इत्यादीनि कर्तृपदानि दृश्यन्ते । ४. सं० पा०---पुच्छा। ५. अप्पासा (क,ध)। ६. सं० पा०--पुच्छा। ७. चोरिदियागं (ख) ८,९. एतस्य समर्पणसूत्रस्य किञ्चित् तात्पर्य नाववुध्यते 'तेइंदिय' सूत्रे 'चरिदिय सूत्रात् अतिरिक्तं किमपि नास्ति, तत् कथं समर्पण क्रियेत । अतोऽनुमीयते 'सेसं जहा बेइंदियाणं' इति पाठः आसीत् किन्तु लिपिदोघेण, स्मृतिदोषेण वा 'बेइंदियाणं' स्थाने तेइंदियाण' इति परिवर्तनं जातम् । Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीस आहारपयं व्वित्तिए से जहणेणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेणं छट्टभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति ॥ ४८. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! जे पोगले आहारत्ताए' गेव्हंति ते णं तेसि पोग्गला की सत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ? गोयमा ! सोइंदिय चक्खि दिय- घाणिदियजिभिदिय- फासें दियवेमायत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ॥ मस्से आहारद्विआइसत्तग-पदं ४६. मणूसा णं भंते ! आहारट्ठी ? हंता गोयमा ! आहारट्ठी ॥ ५०. मणूसा णं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति ? गोयमा ! मणूसाणं आहारे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- आभोगणिव्वत्तिए य अणाभोगणिव्यत्तिए य । तत्थ णं जेसे अणाभोगणिव्वत्तिए से णं अणुसमयमविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जति । तत्थ णं जेसे आभोगणिव्वत्तिए से णं जहणणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेणं अट्टमभसस्स आहारट्ठे समुपज्जति ॥ ५१. मणूसा णं भंते! किमाहारमाहारेंति ? गोयमा ! दव्वओ अनंतपदेसियाई खेत्तओ असंखेज्जपदेसोगाढाई, कालतो अण्णतरठितियाई, भावओ वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई ॥ ५२. जाई भावओ वण्णमंताई आहारेति ताई कि एगवण्णाई आहारेंति जाव कि पंचवण्णाई आहारेंति ? गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवण्णाई पि आहारेंति जाव पंचart पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाई पि आहारेंति जाव सुक्किलाई पि आहारेति ॥ ५३. जाई वण्णओ कालवण्णाई आहारैति ताई कि एगगुणकालाई आहारैति जाव दसगुणकालाई आहारेति ? संखेज्जगुणकालाइ असंखेज्जगुणकालाई अणंतगुणकालाई आहारेंति ? गोयमा ! एगगुणकालाई पि आहारेंति जाव अनंतगुणकालाई पि आहारेति । एवं जाव सुक्किलाई पि । ३१५ ५४. एवं गंधओ वि रसतो वि ॥ ५५. जाई भावओ फासमंताई ताई णो एगफासाई आहारेति णो दुफासाई आहारेंति णो तिफासाई आहारेंति, चउफासाई आहारेंति जाव अट्ठफासाई पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाई पि आहारेंति जाव लुक्खाई पि ॥ ५६. जाई फासओ कक्खडाई आहारेति ताई कि एगगुणकक्खडाई आहारेंति जाव अनंतगुणकक्खडाइं आहारेंति ? गोयमा ! एगगुणकक्खडाई पि आहारेंति जाव अनंतगुणrasis fप आहारेंति । एवं अट्ठ वि फासा भाणियव्वा जाव अनंतगुणलुक्खाई पि हाति ॥ ५७. जाई भंते ! अनंतगुणलुक्खाई आहारेंति ताई किं पुट्ठाई आहारेंति ? अपुट्ठाई आहारेंति ? गोयमा ! पुट्ठाई आहारेंति, जो अट्ठाई आहारति ॥ ५८. जाई भंते! पुट्ठाई आहारैति, ताई कि ओगाढाई आहारेंति ? अणोगाढाई १. सं० पा० पुच्छा । २. सं० पा० - मणुस्सा एवं चेव, नवरं -- आभोग व्वित्तिए जहणेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेमं अट्टमभत्तस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति । Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं आहारेंति ? गोयमा ! ओगाढाई आहारैति, णो अणोगाढाइं आहारैति॥ ५६. जाइं भंते ! ओगाढाई आहारेंति, ताई कि अणतरोगाढाई आहारेंति ? परंपरोगाढाइं आहारेंति ? गोयमा ! अणंतरोगाढाइं आहारेति, णो परंपरोगाढाई आहारेति ॥ ६०. जाई भंते ! अणंतरोगाढाई आहारेंति, ताई कि अणूई आहारेंति ? बादराई आहारेंति ? गोयमा ! अणूई पि आहारेंति, वादराई पि आहारेंति ।। ६१. जाई भंते ! अणूई पि आहारति, बादराई पि आहारेंति, ताई कि उड्ढे आहारेंति ? अहे आहारेंति ? तिरियं आहारति ? गोयमा ! उड्ढे पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति । ६२. जाइं भंते ! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति, ताई किं आदि आहारेंति ? मज्झे आहारेंति ? पज्जवसाणे आहारेंति ? गोयमा ! आदि पि आहारेति, मज्झे वि आहारेंति, पज्जवसाणे वि आहारेति ॥ ६३. जाइं भंते ! आदि पि आहारेंति, मज्झे वि आहारति, पज्जवसाणे वि आहारति, ताई कि सविसए आहारेंति ? अविसए आहारेंति ? गोयमा ! सविसए आहारेंति, णो अविसए आहारेति ॥ ६४. जाई भंते ! सविसए आहारेंति, ताई कि आणुपुब्धि आहारेंति ? अणाणुपुद्धि आहारेति ? गोयमा ! आणुपुर्दिव आहारति, णो अणाणुपुवि आहारति ।। ६५. जाई भंते ! आणुपुचि आहारेंति, ताई किं तिदिसि आहारेंति जाव छहिसि आहारेंति ? गोयमा ! णियमा छद्दिसि आहारेति ॥ ६६. ओसण्णकारणं ण भवति, वण्णतो काल-णील-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइं, गंधओ सबिभगंध-दबिभगंधाइं, रसओ तित्त-कडय-कसाय-अंविल-महराई. फासतो कक्खड-मस्यगरुअ-लहुय-सीय-उसिण-णिद्ध-लुक्खाई, तेसि पोराणे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपील इत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुग्वे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाएत्ता आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ।। ६७. मणसा णं भंते ! सब्बतो आहारेंति सव्वतो परिणामें ति सव्वओ ऊससंति सव्वओ णीससंति, अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं णीससंति, आहच्च आहारेंति आहच्च परिणामें ति आहच्च ऊससंति आहच्च णीससंति ? हता! गोयमा ! मणूसा सव्वतो आहारेंति एवं तं चेव जाव आहच्च णीससंति ॥ ६८. मणूसा णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए मेहंति ते णं तेसिं पोग्गलाण सेयालंसि कतिभागं आहारति ? कतिभागं आसाएंति ? गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अणंतभागं आसाएंति ॥ ६६. मणूसा णं भंते ! जे पोग्गले आहा रत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारति ? णो सव्वे आहारेंति ? गोयमा ! मणूसाणं दुविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा–लोमाहारे य पक्खेवाहारे य । जे पोम्पले लोमाहारत्ताए गेण्हंति ते सव्वे अपरिसेसे आहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारताए गेहंति तेति असंखेनइभागमाहारेति गाई च णं भागसहस्साई Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीस इमं आहारपयं अणघाइज्जमाणाई अफासाइज्जमाणाई अणस्साइज्जमाणाई विद्धंसमागच्छंति ७०. एतेसिं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमाणाणं अणासाइज्जमाणाणं अफासाइज्ज माणाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वथोवा पोग्गला अणघाइज्जमाणा, अणस्साइज्जमाणा अणतगुणा, अफासाइज्जमाणा अणंतगुणा ।। ७१. मणुसा णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ? मोयमा ! सोइंदिय-चविखदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति° !! देवेसु आहारद्विआइसत्तग-पदं ७२. वाणमंतरा जहा' णागकुमारा । ___७३. एवं जोइसिया वि, णवरं--आभोगणिव्वत्तिए जहण्णेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेण वि दिवसपुहत्तस्स आहारठे समुप्पज्जति ।। ७४. एवं वेमाणिया वि, णवरं--आभोगणिव्वत्तिए जहण्णेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं आहारठे समुप्पज्जति । सेसं जहा' असुरकुमाराणं जाव ते तेसिं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ।। ७५. सोहम्मे आभोगणिव्वत्तिए जहणणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेणं दोण्हं वाससहस्साणं आहारठे समुप्पज्जइ ॥ ७६. ईसाणे पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं दिवसपुहत्तस्स सातिरेगस्स, उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोण्हं वाससहस्साणं ।। ७७. सणंकुमारे' पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दोण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं ।। ७८. माहिदे पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं दोण्हं वाससहस्साणं सातिरेगाणं, उक्कोसेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं सातिरेगाणं॥ ७६. बंभलोए पुच्छा । गोयमा ! जहणेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं दसण्हं वाससहस्साणं ॥ ८०. लंतए' पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं चोद्दसण्हं वाससहस्साणं ॥ ८१. महासुक्के पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चोहसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं सत्तरसण्हं वाससहस्साणं ॥ ५२. सहस्सारे पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं अट्ठारसण्हं वाससहस्साणं ।। ८३. आणए पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठारसण्हं वाससहस्साणं, उक्कोसेणं एगूण१. प० २७। ४. सणंकुमाराणं (क,ख,घ)। २.५० २८।२५,२६ । ५. लंतए णं (क,ख,घ) ३. ईसाणं (क,घ); इसाणेणं (ग)। Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ पण्णवणासुतं वीसाए वाससहस्साणं॥ ८४. पाणए पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगूणवीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं वीसाए वाससहस्साणं ॥ ८५. आरणे पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं वीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं एक्कवीसाए वाससहस्साणं ।। ८६. अच्चुए पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णे एक्कवीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं बावीसाए वाससहस्साणं ॥ ७. हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगाणं पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं बावीसाए वाससहस्साणं, उक्कोसेणं तेवीसाए वाससहस्साणं । एवं सब्वत्थ सहस्साणि भाणियव्वाणि जाव सव्वळं। ८८. हेट्ठिममज्झिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं तेवीसाए, उक्कोसेणं चउवी. साए। ८६. हेट्ठिमउवरिमाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं चउवीसाए, उक्कोसेणं पणु. वीसाए॥ १०. मज्झिमहेट्ठिमाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं पणुवीसाए, उक्कोसेणं छब्बीसाए । ६१. मज्झिममज्झिमाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं छव्वीसाए, उक्कोसेणं सत्तावीसाए । ६२. मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सत्तावीसाए, उक्कोसेणं अट्ठावीसाए ॥ ६३. उवरिमहेट्ठिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठावीसाए, उक्कोसेणं एगूणतीसाए॥ १४. उवरिममज्झिमाणं पुच्छा! गोयमा ! जहण्णेणं एगूणतीसाए, उक्कोसेणं तीसाए। ६५. उवरिमउवरिमगेवेज्जगाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं तीसाए, उक्कोसेणं एक्कतीसाए॥ ६६. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्कतीसाए, उक्कोसेणं तेत्तीसाए। ___६७. सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं' पुच्छा । गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं आहारठे समुप्पज्जति ।। सरीराहार-पदं १८. रइया णं भंते ! किं एगिदियसरीराइं आहारेति जाव पंचेंदियसरीराइं आहारेति ? गोयमा ! पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च एगिदियसरीराइं पि आहारेंति जाव पंचेंदियसरीराइं पि, पडुप्पण्णभावपण्णवणं पडुच्च णियमा पंचेंदियसरीराइं आहारेति । एवं जाव थणियकुमारा॥ ६६. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! पुन्वभावपण्णवणं पडुच्च एवं चेव, पडुप्पण्ण१. सव्वट्ठगदेवाणं (क,प)। Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइमं आहारपयं भावपण्णवणं पडुच्च णियमा एगिदियसरीराइं आहारेंति ।। १००. बेइंदिया पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च एवं चेव, पडुप्पण्णभावपण्णवणं पडुच्च बेइंदियसरीराई आहारैति ॥ १०१. एवं जाव चउरिदिया ताव' पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च एवं, पडुप्पण्णभावपण्णवणं पडुच्च णियमा जस्स जति इंदियाई तइंदियसरीराई ते आहारेंति । सेसा जहा रइया जाव वेमाणिया ।। लोमाहार-पदं १०२. णेरइया णं भंते ! कि लोमाहारा पक्खेवाहारा ? गोयमा ! लोमाहारा, णो पक्खेवाहारा । एवं एगिदिया सब्वे देवा य भाणियव्वा जाव वेमाणिया ।। १०३. बेइंदिया जाव मणुसा लोमाहारा वि पक्खेवाहारा वि ।। मणभक्खि -पदं १०४. पेरइया णं भंते ! किं ओयाहारा ? मणभक्खी ? गोयमा ! ओयाहारा, णो मणभक्खी। एवं सव्वे ओरालियसरीरा वि ॥ १०५. देवा सव्वे जाव वेमाणिया ओयाहारा वि मणभक्खी वि। तत्थ णं जेते मणभक्खी देवा तेसि णं इच्छामणे' समुप्पज्जइ-इच्छामो णं मणभक्खणं करित्तए। तए णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकते समाणे खिप्पामेव जे पोग्गला इट्ठा कंता' पिया सुभा मण्ण्णा मणामा ते तेसिं मणभक्खत्ताए परिणमंति, से जहाणामए--सीता पोग्गला सीयं पप्प" सीयं चेव अतिवतित्ताणं चिठ्ठति, उसिणा वा पोग्गला उसिणं पप्प उसिणं चेव अतिवतित्ताणं चिटठंति, एवामेव तेहिं देवेहि मणभक्खणे कते समाणे से इच्छामणे खिप्पामेव अवेति। बीओ उद्देसओ गाहा___ आहार १ भविय २ सपणी ३ लेस्सा ४ दिट्ठी य ५ संजय ६ कसाए ७ । णाणे ८ जोगुवओगे ६,१० वेदे य ११ सरीर १२ पज्जत्ती १३ ॥ आहारदारे आहारगादी-पदं १०६. जीवे णं भंते ! किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए। एवं नेरइए जाव असुरकुमारे जाव वेमाणिए ॥ १०७. सिद्धे णं भंते ! कि आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! णो आहारए, अणाहारए॥ १०८. जीवा णं भंते ! कि आहारया ? अणाहारया ? गोयमा ! आहारगा वि १. जाव (ख,घ)। प्रधानं मनः' इति व्याख्यातमस्ति । २. तेइंदिय (क,ग,ध); तेंदिय (ख); तइ+ ४. सं० पा० ---कता जाव मणामा। इंदिय =तइंदिय॥ ५. पप्पा (ख) उभयत्रापि । ३. 'मणे' अत्र मलयगिरिणा इच्छा पदं नैव ६. वावेति (क,घ)। व्याख्यातम्, अस्य विषयस्योपसंहारे 'इच्छा Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुतं अणाहारगा वि॥ १०६. गेरइयाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा आहारगा १ अहवा आहारगा य अणाहारगे य २ अह्वा आहारगा य अणाहारगा य ३ । एवं जाव वेमाणिया, णवरं-एगिदिया जहा जीवा ।। ११०. सिद्धाणं पुच्छा । गोयमा ! णो आहारगा, अणाहारगा। भवियदारे आहारगादि-पदं १११. भवसिद्धिए णं भंते ! जीवे कि आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिए अणाहारए । एवं जाव वेमाणिए । ११२. भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं आहारगा ? अणाहारगा ? गोयमा ! जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। अभवसिद्धिए वि एवं चेव ।। ११३. णोभवसिद्धिए-णोअभवसिद्धिए णं भंते ! जीवे किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! णो आहारए, अणाहारए ! एवं सिद्धे वि ।। ११४. णोभवसिद्धिया-णोअभवसिद्धिया णं भंते ! जोवा किं आहारगा? अणाहारगा? गोयमा ! णो आहरगा, अणाहारगा । एवं सिद्धा वि ।। सण्णिदारे आहारगादि-पदं ११५. सण्णी णं भंते ! जीवे किं आहारगे? अणाहारगे ? गोयमा ! सिय आहारगे सिय अणाहारगे। एवं जाव वेमाणिए, णवरं-एगिदिय-विगलिं दिया ण पुच्छिज्जति ॥ ११६. सण्णी णं भंते ! जीवा किं आहारगा ? अणाहारगा? गोयमा ! जीवाईओ तियभंगो जाव वेमाणिया ।। ११७. असण्णी णं भंते ! जीवे कि आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए । एवं णेरइए जाव वाणमंतरे' ! जोइसिय-वेमाणिया ण पुच्छिज्जंति ११८. असण्णी णं भंते ! जीवा कि आहारगा? अणाहारगा? गोयमा ! आहारगा वि अपाहारगा वि, एगो भंगो॥ ११६. असण्णी णं भंते ! णेरइया कि आहारगा? अणाहारगा ? गोयमा ! आहारगा वा १ अणाहारगा वा २ अहवा आहारए य अणाहारए य ३ अहवा आहारए य अणाहारगा य ४ अहवा आहारगा य अणाहारगे य ५ अहवा आहारगा य अणाहारगाय ६, एवं एते छन्भंगा । एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिएसु अभंगयं । बेइंदिय जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणीएसु तियभंगो। मणूस-बाणमंतरेसु छन्भंगा ॥ १२०. णोसण्णी-णोअसण्णी णं भंते ! जीवे किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए । एवं मणूसे वि । सिद्धे अणाहारए । १२१. पुहत्तेणं णोसण्णी-णोअसण्णी जीवा आहारगा वि अणाहारगा वि । मणूसेसु तियभंगो ! सिद्धा अणाहारगा ॥ १. प्रयुक्तेषु सर्वेष्वादशेषु णावर' इति पदमस्ति। मलयगिरिणा एतत्पदं नास्ति व्याख्यातम् न च उपयुक्तमस्ति । Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीस इमं आहारपयं ३२१ लेस्सादारे आहारगादि-पदं १२२. सलेसे णं भंते ! जीवे कि आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय आणाहारए। एवं जाव वेमाणिए । १२३. सलेसा णं भंते ! जीवा किं आहारगा? अणाहारगा? गोयमा ! जीवेगिदिवज्जो तियभंगो । एवं 'कण्हलेसाए वि णीललेसाए वि काउलेसाए" वि जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। तेउलेस्साए पुढवि-आउ-वणप्फइकाइयाणं छब्भंगा । सेसाणं जीवादीओ तियभंगो जेसिं अत्थि तेउलेस्सा । पम्हलेस्साए य सुक्कलेस्साए य जीवादीओ तियभंगो । १२४. अलेस्सा जीवा मणूसा सिद्धा य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि णो आहारगा, अणाहारगा। दिट्ठिदारे आहारगादि-पदं १२५. सम्मट्टिी गं भंते ! जीवे कि आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए। बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदिया छब्भंगा। सिद्धा अणाहारगा। अवसेसाणं तियभंगो॥ १२६. मिच्छद्दिट्ठीसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो॥ १२७. सम्मामिच्छट्टिी णं भंते ! किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! आहारए, णो अणाहारए । एवं एगि दिय-विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणिए । एवं पुहत्तेण वि ॥ संजयदारे आहारगादि-पदं - १२८. संजए णं भंते ! जीवे किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए । एवं मणूसे वि । पुहत्तेण तियभंगो।। १२६. अस्संजए पुच्छा। गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए । पुहत्तेणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो॥ १३०. संजयासंजए जीवे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए मणूसे य एते एगत्तेण वि पुहत्तेण वि आहारगा, णो अणाहारगा।। १३१. णोसंजए-णोअसंजए-णोसंजयासंजए जीवे सिद्धे य एते एगत्तेण वि पुहत्तेण वि णो आहरगा, अणाहारगा ॥ कसायदारे आहारगादि-पदं १३२. सकसाई' णं भंते ! जीवे किं आहारए ? अणाहारए ? गोयमा ! सिय आहारए सिय अणाहारए । एवं जाव वेमाणिए। पुहत्तेणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो।। १३३. कोहकसाईसु जीवादीसु एवं चेव, णवरं-देवेसु छन्भंगा। माणकसाईसु मायाकसाईसु य देव-णेरइएसु छब्भंगा । अवसेसाणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। लोभकसाईसु रएसु छन्भंगा । अवसेसेसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। १३४. अकसाई जहा णोसण्णी-णोअसण्णी ॥ २. सकसादी (क,घ)। १. कण्हलेसा वि नीललेसा वि काउलेसा (ख,ग)। Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ पष्णवणासुतं णाणदारे आहारगादि-पदं १३५. णाणी जहा सम्मद्दिट्ठी ।। १३६. आभिणिबोहियणाणि-सुतणाणिसु बेइंदिय-तेइंदिय चउरिदिएसु छन्भंगा । अवसेसेसु जीवादीओ तियभंगो जेसिं अत्थि। ओहिणाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिया आहारगा णो अणाहारगा। अवसेसेसु जीवादीओ तियभंगो जेसि अत्थि ओहिणाणं । मणपज्जवणाणी जीवा मणूसा य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि आहारगा, णो अणाहारगा। केवलणाणी जहा' णोसण्णी-णोअसण्णी।। १३७. अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। विभंगणाणी पंचेदियतिरिक्खजोणिया मणूसा य आहारगा, णो अणाहारगा। अक्सेसेसु जीवादीओ तियभंगो॥ जोगदारे आहारगादि-पदं १३८. सजोगीसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। मणजोगी वइजोगी य जहा सम्मामिच्छट्टिी,णवरं-वइजोगो विगलिंदियाण वि । कायजोगीसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। अजोगी जीव-मणूस-सिद्धा अणाहारगा। उवओगदारे आहारगादि-पदं १३६. सागाराणागारोवउत्तेसु जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । सिद्धा अणाहारगा ॥ वेवदारे आहारगादि-पदं १४०. सवेदे' जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। इत्थिवेद-पुरिसवेदेसु जीवादीओ तियभंगो । णपुंसगवेदए जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। अवेदए जहा' केवलणाणी॥ सरीरदारे आहारगादि-पदं। १४१. ससरीरी जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। ओरालियसरीरीसु जीव-मणूसेसु तियभंगो। अवसेसा आहारगा, णो अणाहारगा, जेसि अत्थि ओरालियसरीरं। वेउवियसरीरी आहारगसरीरी य आहारगा, णो अणाहारगा, जेसि अत्थि । तेय-कम्मगसरीरी जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । असरीरी जीवा सिद्धा य णो आहारगा, अणाहारगा। पज्जत्तिदारे आहारगादि-पदं १४२. आहारपज्जत्तीएपज्जत्तए सरीरपज्जत्तीए पज्जत्तए इंदियपज्जत्तीए पज्जत्तए आणापाणुपज्जत्तीए पज्जत्तए भासा-मणपज्जत्तीए पज्जत्तए एयासु पंचसु वि पज्जत्तीसु जीवेसु मणूसेसु य तियभंगो। अवसेसा आहारगा, णो अणाहारगा। भासा-मणपज्जती पंचेंदियाणं, अवसेसाणं णत्थि ॥ १४३. आहारपज्जत्तीए अपज्जत्तए णो आहारए, अणाहारए, एगत्तेण वि पुहत्तण वि। सरीरपज्जत्तीए अपज्जत्तए सिय आहारए सिय अणाहारए। उवरिल्लियासु चउसु अपज्जत्तीसु रइय-देव-मणूसेसु छन्भंगा, अवसेसाणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो॥ १.५० २८.१२.1 २. सव्वेद (क,घ)। ३. प० २८.१३६ । ४. आहारपज्जत्ती (क,ख,घ) सर्वत्रापि । ५. भासा-मणपज्जत्तीते (क,ख,ग,घ) । Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइमं आहारपयं ३२३ १४४. ‘भासा-मणपज्जत्तीए अपज्जत्तएसु" जीवेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु य तियभंगो, रइय-देव- मणुएसु छब्भंगा || १४५. सव्वपदेसु एगत्त-पुहत्तेणं जीवादीया दंडगा पुच्छाए भाणियव्वा । जस्स जं अस्थि तस्स तं पुच्छिज्जति, जं णत्थि तं ण पुच्छिज्जति जाव भासा-मणपज्जत्तीए अपज्जत्तसुरइय-देव- मणुसु य छन्भंगा | सेसेसु तियभंगो ॥ Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगणतीसइमं उवओगपयं १. कतिविहे णं भंते ! उवओगे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा--सागारोवओगे य अणागारोवओगे य ॥ २. सागारोवओगे णं भंते ! कति विहे पण्णते? गोयमा ! अट्टविहे पण्णत्ते, तं जहा-आभिणिबोहियणाणसागरोवओगे सुयणाणसागारोवओगे ओहिणाणसागारोवओगे मणपज्जवणाणसागा रोवओगे' केवलणाणसागारोवओगे मतिअण्णाणसागारोवओगे सुयअण्णाणसागारोवओगे विभंगणाणसागारोवओगे।। ३. अणागारोवओगे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-चक्खुदंसणअणागारोवओगे अचक्खुदंसणअणागारोवओगे ओहिदसणअणागारोवओगे केवलदसणअणागारोवओगे। ४. एवं जीवाणं पि। ५. णेरइयाणं भंते ! कतिविहे उवओगे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा--सागारोवओगे य अणागारोवओगे य॥ ६. जेरइयाणं भंते ! सागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तं जहा--मतिणाणसागारोवओगे सुयणाणसागारोवओगे ओहिणाणसागारोवओगे मतिअण्णाणसागारोवओगे सुयअण्णाणसामारोवओगे विभंगणाणसागारोवओगे।। ७. णेरइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-चक्खुदंसणअणागारोवओगे अचक्खुदंसणअणागारोवओगे ओहिदसणअणागारोवओगे । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ ८. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा-सागारोवओगे य अणागारोवओगे य॥ ह. पुढविक्काइयाणं भंते ! सागारोवओगे कतिविह पण्णते? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-मतिअण्णाणे सुतअण्णाणे ।। १०. पुढविक्काइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! एगे प्रणागारोवओगे पण्णत्ते । एवं जाव वणप्फइकाइयाणं ।। १. मणपज्जय', मणपज्जाय (मवृ)। २. ४ (क,ख,ग,घ)। Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगणतीसइमं उवओगपयं ३२५ ११. बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा-सागारे अणागारे य॥ १२. बेइंदियाणं भंते ! सागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा--आभिणिबोहियणाणसागारोवओगे सुयणाणसागारोवओगे मतिअण्णाणसागारोवओगे सुतअण्णाणसागारोवओगे।।। १३. बेइंदियाणं भंते ! अणागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगे अचक्खुदसणअणागारोवओगे। एवं तेइंदियाण वि ।। १४. चरिदियाण वि एवं चेव, णवरं--अणागारोवओगे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाचक्खुदंसअणागारोवओगे य अचक्खुदंसणअणागारोवओगे य ।। १५. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा' णेरइयाणं मणुस्साणं जहा ओहिए उवओगे भणियं तहेव भाणियब्वं । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा णेरइयाणं ।। १६. जीवा णं भंते ! किं सागारोवउत्ता? अणागारोवउत्ता? गोयमा ! सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि॥ १७. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति---जीवा सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि? गोयमा ! जे णं जीवा आभिणिबोहियणाण-सुतणाण-ओहिणाण-मण-केवलमतिअण्णाण-सुतअण्णाण-विभंगणाणोवउत्ता ते णं जीवा सागारोवउत्ता, जे णं जीवा चक्खुदंसण-अचवखुदंसण-ओहिदसण-केवलदंसगोवउत्ता ते णं जीवा अणागारोवउत्ता। से तेणटठेणं गोयमा! एवं वच्चति-जीवा सागारोवउत्ता वि अणागारोव उत्ता वि। १८. णेरइया णं भंते ! किं सागारोवउत्ता? अणागारोव उत्ता? गोयमा ! जेरइया सागारोब उत्ता वि अणागारोव उत्ता वि ॥ १६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-गोयमा ! जे णं णेरइया आभिणिवोहियणाणसुत-ओहिणाण- मतिअण्णाण-सुतअण्णाण-विभंगणाणोव उत्ता ते णं णेरइया सागारोवउत्ता, जे णं णेरइया चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-ओहिदसणोवउत्ता ते णं णेरइया अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति-णेरइया' सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि। एवं जाव थणियकुमारा ।। २०. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! तहेव जाव जे णं पुढविकाइया मतिअण्णाणसुतअण्णाणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदंसणोव उत्ता ते णं पुढविक्काइया अणागारोव उत्ता। से तेणढेणं गोयमा ! एवं वुच्चति जाव वणप्फइकाइया ॥ २१. बेइंदियाणं अट्ठसहिया तहेव पुच्छा । गोयमा ! जाव जे णं बेइंदिया आभिणिबोहियणाण-सुतणाण-मतिअण्णाण-सुयअण्णाणोव उत्ता ते णं बेइंदिया सागारोवउत्ता, जे णं बेइंदिया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं बेइंदिया अणागारोव उत्ता। से तेणद्वेणं १.प० २६५-७॥ २. प० २६१-३। ३. जाव (क,ख,ग,घ) ४. 'से केणठेणं भंते !' इति सूत्रसहिता । Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत गोयमा ! एवं वुच्चति । एवं जाव चरिंदिया, गवरं-चक्खुदंसणं अन्भहियं चरिंदियाणं ।। २२. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा' गेरइया । मणूसा जहा' जीवा। वाणमंतरजोतिसिय-वेमाणिया जहाणेरइया ।। १. प. २९1१८,१६ २. प० २६११६,१७। Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं पासणयापयं १. कति विहा णं भंते ! पासणया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पासणया पण्णत्ता, तं जहा-सागारपासयणा अणागारपासणया ।। २. सागारपासणया णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! छव्विहा पण्णता, तं जहा-सुयणाणसागारपासणया ओहिणाणसागारपासणया मणपज्जवणाणसागारपासणया केवलणाणसागारपासयणया सुयअण्णाणसागारपासणया विभंगनाणसागारपासणया । ३. अणागारपासणया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--चक्खुदंसणअणागारपासणया ओहिदसणअणागारपासणया केवलदसणअणागारपासणया ॥ ४. एवं जीवाणं पि॥ ५. णेरइयाणं भंते ! कतिविहा पासणया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा--सागारपासणया अणागारपासणया । ६. णेरइयाणं भंते ! सागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-सुतणाणसागापासणया ओहिणाणसागारपासणया सुयअण्णाणसागारपासणया विभंगणाणसागारपासणया । ७. णेरइयाणं भंते ! अणागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-चक्खुदसणअणागारपासणया य ओहिदसणअणागारपासणया य। एवं जाव थणियकुमारा॥ ८. पुढविक्काइयाणं भंते ! कतिविहा पासणया पण्णत्ता ? गोयमा ! एगा सागारपासणया ।। ९. पुढविक्काइयाणं भंते ! सागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगा सुयअण्णाणसागारपासणया पण्णत्ता । एवं जाव वणप्फइकाइयाणं ।। १०. बेइंदियाणं भंते ! कतिविहा पासणया पण्णत्ता? गोयमा ! एगा सागारपासणया पण्णत्ता॥ ११. बेइंदियाणं भंते ! सागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुतणाणसागारपासणया य सुयअण्णाणसागारपासणया य । एवं ३२७ Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२८ तेइं दियाण वि ॥ १२. चउरदियाणं पुच्छा । गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सागारपासण्या य अणागारपासणया य । सागारपासणया जहा बेइंदियाणं || १३. चउरिदियाणं भंते ! अणागारपासणया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगा चक्खुदंसणअणागारपासणया पण्णत्ता ॥ १४. मणूसाणं जहा ' जीवाणं । सेसा जहा णेरइया जाव वेमाणिया || १५. जीवा णं भंते ! कि सागारपस्सी ? अणागारपस्सी ? गोयमा ! जीवा सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि ॥ १६. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति - जीवा सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि ? गोयमा ! जे णं जीवा सुयणाणी ओहिणाणी मणपज्जवणाणी केवलणाणी सुयअण्णाणी विभंगणाणी ते गं जीवा सागारपस्सी । जे गं जीवा चक्खुदंसणी ओहिदंसणी केवल दंसणी ते गं जीवा अणागारपस्सी । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-जीवा सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि ॥ १७. रइया णं भंते! कि सागारपस्सी ? अणागारपस्सी ? गोयमा ! एवं चेव, णवरं - सागारपासणयाए मणपज्जवणाणी केवलणाणी ण वुच्चति, अणागारपासणयाए केवलदंसणं णत्थि । एवं जाव थणियकुमारा ॥ १८. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! पुढविकाइया सागारपस्सी, णो अणागारस्सी || पण्णवणासुत्त १६. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा ! पुढविक्काइयाणं एगा सुयअण्णाणसागारपासण्या पण्णत्ता । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति । एवं जाव वणस्सति काइया || २०. बेइंदियाणं पुच्छा । गोयमा ! सागारपस्सी णो अणागारपस्सी || २१. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वच्चति ? गोयमा ! बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पण्णत्ता, तं जहा -- सुयणाणसागारपासणया य सुयअण्णाणसागारपासण्या य । से तेणट्ठेणं गोमा ! एवं वुच्चति । एवं तेइंदियाण वि ॥ २२. चउरिदियाणं पुच्छा । गोयमा ! चउरिदिया सागारपस्सी वि अणागारपस्सी वि ॥ २३. से केणट्ठेणं ? गोयमा ! जेणं चउरिदिया सुयणाणी सुतअण्णाणी ते गं चउरिदिया सागारपस्सी, जेणं चउरिदिया चक्खुदंसणी ते गं चउरिदिया अणागारपस्सी । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं दुच्चति ॥ २४. मणूसा जहा जीवा । अवसेसा जहा णेरइया जाव वेमाणिया || २५. केवली णं भंते! इमं रयणप्पभं पुढव आगारेहिं हेतुहि उवमाहिं दिते हिं वहिं संठाणेहि पमाणेह पडोयारेहिं जं समयं जाणति तं समयं पासति ? जं समयं १. प० ३०१४ | २. १० ३० ५-७ । ३. ५० ३०११५, १६ । ४. प० ३०१७ । Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तौसइमं पासणयापर्य पासति तं समयं जाणति ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे || २६. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वुच्चति - केवली णं इमं रयणप्पभं पुढव आगारेहिं ' • हेतुर्हि उवमाहिं दिट्ठतेहि वण्णेहि संठाणेहि पमाणेहि पडोयारेहि° जं समयं जाणति णो तं समयं पासति ? जं समयं पासति णो तं समयं जाणति ? गोयमा ! सागारे से णाणे भवति, अणागारे से दंसणे भवति । से तेणट्ठेणं' गोयमा ! एवं वुच्चति - केवली णं इमं रयणप्पभं पुढवि आगारेहि हेतुहि उवमाहिं दिट्ठतेहि संठाणेहि पमाणेह पडोयारेहि जं समयं जाणति णो तं समयं पासति, जं समयं पासति णो तं समयं जाणति । एवं जाव असत्तमं । एवं सोहम्मं कप्पं जाव अच्चुयं गेवेज्जगविमाणा अणुत्तरविमाणा ईसीप भार पुढवि परमाणुपोग्गलं दुपएसियं खंघं जाव अणतपदेसियं खंध || २७. केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि अणागारेहि अहेतुर्हि अणुवमाहिं अदिट्ठतेहि अवणेहिं असंठाणेहि अपमाणेहि अपडोयारेहिं पासति, ण जाणति ? हंता गोयमा ! केवली णं इमं रयणप्पभं पुढवि अणागारेहिं' 'अहेतुर्हि अणुवमाहिं अदिट्ठतेहि अवष्णेहि असंठाणेहिं अपमाणेहिं अपडोयारेहि पासति ण जाणइ ॥ २८. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति - केवली णं इमं रयणप्पभं पुढवि अणागारेहि' • अहेतुहि अणुवमाहि अदिट्ठतेहि अवणेहि असंठाणेहि अपमाणेहि अपडोयारेहि पासति, जाणइ ? गोयमा ! अणागारे से दंसणे भवति, सागारे से णाणे भवति । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं बुच्चति — केवली णं इमं रयणप्पभं पुढव अणागारेहि' अहेतुहि अणुवमाहिं अदिट्ठतेहि अवण्णेहि असंठाणेहि अपमाणेहि अपडोयारेहिं पासति ण जागति । एवं जाव ईसीपम्भारं पुढवि परमाणुपोग्गलं अणतपदेसियं खंधं पासइ, ण जागइ || १. सं० पा० आगारेहिं जाव जं । २. सं० पा० - तेणट्ठेणं जाव णो । ३२६ ३, ४, ५. सं० पा० - आणागारेहिं जाव पासति । Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगतीसइमं सण्णिपयं १. जीवा णं भंते ! कि सण्णी? असण्णी ? णोसण्णी-णोअसण्णी ? गोयमा ! जीवा सण्णी वि असण्णी वि णोसण्णी-णोअसण्णी वि॥ २. णेरइयाणं पुच्छा। गोयमा! जेरइया सण्णी वि असण्णी वि, णो णोसण्णीणोअसण्णी । एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा ।। ३. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! णो सण्णी, असण्णी, णो णोसण्णी-णोअसण्णी। एवं बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदिया वि ।। ४. मणूसा जहा जीवा । पंचेंदियतिरिक्खजोणिया वाणमंतरा य जहा रइया ।। ५. जोइसिय-वेमाणिया सण्णी, णो असण्णी णो णोसण्णी-णोअसण्णी॥ ६. सिद्धाणं पुच्छा। गोयमा ! णो सण्णी णो असण्णी, णोसण्णि-णोअसण्णी ।। गाहा रइय-तिरिय-मणुया य, वणयरसुरा' य सण्णासणी' य । विगलिंदिया असण्णी, जोतिस-वेमाणिया सण्णी ॥१॥ १. वनचरा व्यन्तरा, असुरादयः-समस्ता भवनपतयः । २. संज्ञिनोऽसंज्ञिनश्च । Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बत्तीसइमं संजमपयं १. जीवा णं भंते ! किं संजया? असंजया ? संजतासंजता ? 'णोसंजत-णोअसंजतणोसंजयासंजया" ? गोयमा ! जीवा संजया वि असंजया वि संजयासंजया वि गोसंजयणोअसंजय-णोसंजतासंजया वि ॥ २.णेरइया णं भंते ! कि संजया ? असंजया ? संजयासंजया ? णोसंजत-णोअसंजतगोसंजयासंजया? गोयमा ! णरइया गो संजया, असंजया, णो संजयासंजया णो णोसंजयणोअसंजय-णोसंजतासंजया । एवं जाव चउरिदिया ।। ३. पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णो संजया, असंजया वि संजतासंजता वि, णो णोसंजय-णोअसंजय-गोसंजयासंजया ।। ४. मणूसा णं भंते ! पुच्छा। गोयमा ! मणूसा संजया वि असंजया वि संजतासंजया वि, णो णोसंजत-णोअसंजय-णोसंजतासंजया । ५. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा णेरइया ।। ६. सिद्धाणं पुच्छा। गोयमा ! सिद्धा नो संजया नो असंजया नो संजयासंजया, णोसंजय-णोअसंजय-णोसंजयासंजया । गाहा संजय अस्संजय मीसगा य, जीवा तहेव मण्या य । संजतरहिया तिरिया, सेसा अस्संजता होंति ॥१॥ १. णोसंजता णोअसंजता गोसंजतासंजता (क,ख,ग,घ) सर्वत्र । Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइमं ओहिपयं गाहा १ भेद २ विसय ३ संठाणे, ४ अभितर-बाहिरे य ५ देसोही। ६ ओहिस्स य खय-बुड्डी, ७ पडिवाई चेवऽपडिवाई॥१॥ ओहिमेय-पदं १. कतिविहा णं भंते ! ओही पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा ओही पण्णत्ता, तं जहा--भवपच्चइया य खओवसमिया य । दोण्हं भवपच्चइया, तं जहा-देवाण य णेरइयाण य । दोण्हं खओवसमिया, तं जहा-मणूसाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य ।। ओहिविसय-पदं २. णेरइया णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहणेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई ओहिणा जाणंति पासंति ।। ३. रयणप्पभापुढविणेरइया णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठाई गाउयाई, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई ओहिणा जाणंति पासंति ।। ४. सक्करप्पभापुढविणेरइया जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेणं अद्धद्वाई गाउयाई ओहिणा जाणंति पासंति ।। ५. वालुयप्पभापुढविणेरइया जहण्णेणं अड्डाइज्जाइं गाउयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति ।। ६. पंकप्पभापुढविणेरइया जहण्णणं दोण्णि गाउयाइं, उक्कोसेणं अड्डाइज्जाई गाउयाई ओहिणा जाणंति पासंति ॥ ७. धूमप्पभापुढविणेरइयाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं दिवड्ढं गाउयं, उक्कोसेणं दो गाउयाई ओहिणा जाणंति पासंति ॥ ८. तमापुढवीए पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं दिवड्ढं गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति ॥ ६. अहेसत्तमाए पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं गाउयं ओहिणा १. अपडिवादी (क,घ) ; अपडिबाई (ख,ग)। ३३२ Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइमं ओहिपयं जाणंति पासंति ।। १०. असुरकुमारा णं भंते ! ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसं जोयणाई, उक्कोसेणं असंखेज्जे दीव-समुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति ॥ ११. णागकुमारा णं जहणेणं पणुवीसं जोयणाई, उक्कोसेणं संखेज्जे दीव-समुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति । एवं जाव थणियकुमारा॥ १२. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभाग, उक्कोसेणं असंखेज्जे दीव-समुद्दे ।। १३. मणूसा णं भंते ! ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोए लोयपमाणमेत्ताई खंडाई ओहिणा जाणंति पासंति ॥ १४. वाणमंतरा जहा णागकुमारा।। १५. जोइसिया गं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहणेणं संखेज्जे दीव-समुद्दे, उक्कोसेण वि संखेज्जे दीव-समुद्दे ।। १६. सोहम्मगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए हेदिल्ले चरिमंते तिरियं जाव असंखेज्जे दीव-समुद्दे उड्ढं जाव सगाई विमाणाइं ओहिणा जाणंति पासंति । एवं ईसाणगदेवा वि। सणंकुमारदेवा वि एवं चेव, णवरं--अहे जाव दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए हेछिल्ले चरिमंते । एवं माहिंदगदेवा वि। बंभलोगलंतगदेवा तच्चाए पुढवीए हेट्टिल्ले चरिमंते। महासुक्क-सहस्सारगदेवा च उत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते । आणय-पाणय-आरण-अच्चुयदेवा अहे जाव पंचमाए घूमप्पभाए पुढवीए हेछिल्ले चरिमंते । हेटिम-मज्झिमगेवेज्जगदेवा अहे जाव छट्टाए तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते ।। १७. उवरिमगेवेज्जगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं अहेसत्तमाए पुढवीए हेछिल्ले चरिमंते तिरियं जाव असंखेज्जे दीव-समुद्दे उड्ढे जाव सगाई विमाणाइं ओहिणा जाणंति पासंति ।। १८. अणुत्तरोववाइयदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ? गोयमा ! संभिन्न लोगणालि ओहिणा जाणंति पासंति ।। ओहिसंठाण-पदं १६. णेरइयाणं भंते ! ओही किसठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! तप्पागारसंठिए पण्णत्ते॥ २०. असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा ! पल्लगसंठिए। एवं जाव थणियकुमाराणं ।। २१. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते ! एवं १. सताई (क,घ); सयाति (ख) । Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्णवणासुत मणूसाण वि ॥ २२. वाणमंतराणं पुच्छा । गोयमा! पडहसंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। २३. जोतिसियाणं पुच्छा । गोयमा ! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते ।। २४. सोहम्मगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! उद्धमुइंगागारसंठिए' पण्णत्ते । एवं जाव अच्चुयदेवाणं पुच्छा ॥ २५. गेवेज्जगदेवाणं पुच्छा । गोयमा ! पुप्फचंगेरिसंठिए पण्णत्ते ॥ २६. अणुत्तरोववाइयाणं पुच्छा। गोयमा ! जवणालियासंठिए ओही पण्णत्ते ।। ओहिन्भितर-बाहिर-पदं २७. णेरइया णं भंते ! ओहिस्स किं अंतो? बाहिं ? गोयमा! अंतो, नो बाहिं । एवं जाव थणियकुमारा।। २८. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! णो अंतो, बाहिं ।। २६. मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! अंतो वि बाहिं पि ॥ ३०. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा जेरइयाणं ।। देस-सब्बोहि-पदं ३१. णेरइया णं भंते ! किं देसोही ? सव्वोही? गोयमा ! देसोही, णो सव्वोही। एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ ३२. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! देसोही, णो सव्वोही। ३३. मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! देसोही वि सव्वोही वि ॥ ३४. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियाणं जहा गैरइयाणं ॥ ओहिस्स खयवुड्ढिआदि-पदं ३५. णेरइयाणं भंते ! ओही कि आणुगामिए अणाणुगामिए ? वड्ढमाणए हायमाणए ? पडिवाई अपडिवाई ? अवट्ठिए अणवट्ठिए ? गोयमा ! आणुगामिए, नो अणाणुगामिए नो वड्ढमाणए णो हायमाणए णो पडिवाई, अपडिवाई अवट्ठिए, णो अणवदिए । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ ३६. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! आणुगामिए वि जाव अणवट्ठिए वि । एवं मणूसाण वि ॥ ३७. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियाणं जहा णेरइयाणं ॥ १. उड्ढ (पु)। Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउतीसइमं पवियारणापर्यं १ अनंतरागयाहारे, २ आहाराभोयणाइ य । ३ पोग्गला नेब' जाणंति, ४ अज्झवसाणा य आहिया ॥१॥ ५ सम्मत्तस्स अभिगमे, ६ तत्तो परियारणा य बोद्धव्वा । फासे रूवे, सद्दे य मणे य अप्पबहुं ||२|| अनंतराहार-पदं १. णेरइया णं भंते ! अनंतराहारा तओ णिव्वत्तणया ततो परियाइयणया ततो परिणामणया ततो परियारणया ततो पच्छा विउव्वणया ? हंता गोयमा ! णेरइया णं अतराहारा तओ निव्वत्तणया ततो परियाइयणया तओ परिणामणया तओ परियारणया तओ पच्छा विउव्वणया || २. असुरकुमारा णं भंते ! अनंतराहारा तओ णिव्वत्तणया तओ परियाइयणया तओ परिणामणया तओ विउव्वणया तओ पच्छा परियारणया ? हंता गोयमा ! असुरकुमारा अतराहारा तओ णिव्वत्तणया जाव तओ पच्छा परियारणया । एवं जाव थणियकुमारा ॥ ३. पुढविक्काइया णं भंते ! अनंतराहारा तओ णिव्वत्तणया तओ परियाइयणया तओ परिणामणया तओ परियारणया ततो विउव्वणया ? हंता गोयमा ! तं चैव जाव परियारणया, णो चेव णं विउव्वणया । एवं जाव चउरिदिया, णवरं - वाउक्काइया पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा' य जहा णेरइया || ४. वाणमंतर - जोतिसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ आहाराभोगणा-पदं ५. रइयाणं भंते ! आहारे कि आभोगणिव्वत्तिए ? अणाभोगणिव्वत्तिए ? १. अणतरगयाहारे ( ख ) ; अनंतराय आहरे (पु) 1 २. मेव (क,ख,घ) । ३. परियायणया ( क ) 1 ४. परियादिणया ( ख ) ; परियायणया ( ग ) । ५. मनुष्यालापकस्य पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् — मणुस्सा णं भंते! अनंतराहारा तओ निव्वत्तणया ततो परियाइयणया ततो परिणामणया ततो परियारणया ततो पच्छा विउव्वणया ? हंता गोयमा ! मणुस्सा गं अगंतराहारा तओ निव्वत्तणया ततो परियाइयणया तो परिणामणया तओ परियारणया तओ पच्छा विउव्वगया । ३३५ Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ पणवणासुतं गोयमा ! आभोग णिव्वत्तिए वि अणाभोगणिव्वत्तिए वि । एवं असुरकुमाराणं जाव माणियाणं, णवरं - - एगिदियाणं णो आभोग णिव्वत्तिए, अणाभोगणिव्वत्तिए || पोग्गल जाणणा-पदं ६. रइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेव्हंति ते कि जाणंति पासंति आहारेंति ? उदाहु ण जाणंति' ण पासंति आहारेंति ? गोयमा ! ण जाणंति ण पासंति, आहारैति । एवं जाव तेइंदिया || ७. चउरिदियाणं 'पुच्छा । गोयमा ! अत्येगइया ण जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया, ण जाणंति ण पासंति आहारेति || ८. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहाति, अत्येगइया जाणंति न पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण याणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेंति || ६. मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्येगइया जाणंति न पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण जाणंति पासंति आहारेंति, अत्येगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेति ॥ १०. वाणमंतर जोतिसिया जहा रइया || ११. माणियाणं पुच्छा । गोयमा ! अत्येगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइयाण याणंति ण पासंति आहारेति ॥ १२. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति - अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति ? अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेंति ? गोयमा ! वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - माइमिच्छद्दिट्टिउववण्णगा य अमाइसम्म द्दिट्टिउववण्णगा य । " तत्थ णं जेते माइमिच्छद्दिट्टिउववन्नगा ते णं न याणंति न पासंति आहारेति । तत्थ णं जेते अमाइसम्मविन्नगा ते दुहिा पण्णत्ता, तं जहा - अनंतशेववण्ण्णा य परंपरोववण्णगा य । तत्थ णं जेते अनंतशेववण्णगा ते णं ण याणंति ण पासंति आहारेंति । तत्थ णं जेते परंपरोववण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा --- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं ण याणंति ण पासंति आहारेंति । तत्थ णं जेते पज्जत्तगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -उवउत्ता य अणुवउत्ता य । तत्थ णं जेते अणुवउत्ता ते णं ण याति पसंत आहारेंति । तत्थ णं जेते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति आहारेंति । से तेणट्ठेणं गोमा ! एवं बुच्चति - अत्येगइया जाणंति पासंति आहारेति, अत्थेगइया ण याणंति ण पासंति आहारेंति । अज्झवसाण-पदं १३. रइयाणं भंते! केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा १. याति (क, ख, ग, घ ) । २. सं० पा० एवं मणूसाण वि ३. सं०पा० – एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे भणियं तहा भाणियव्वं जाव से तेणट्ठेणं । ४. मनुष्यालापकस्य पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् मणु स्साणं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता । ते णं भंते ! किं पसत्या ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था वि अप्पसत्था वि 1 Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उतीसइमं पवियारणापर्यं १३७ अज्झवसाणा पण्णत्ता । ते णं भंते ! किं पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था वि अप्पसत्था वि । एवं जाव वेमाणियाणं || सम्मसाभिगम-पदं १४. रइया णं भंते ! कि सम्मत्ताभिगमी' ? मिच्छत्ताभिगमी ? सम्मामिच्छत्ताभिगामी ? गोयमा ! सम्मत्ताभिगमी वि मिच्छत्ताभिगमी वि सम्मामिच्छत्ताभिगमी वि । एवं जाव वैमाणिया, गवरं - एगिदिय - विगलिंदिया णो सम्मत्ताभिगमी, मिच्छत्ताभिगमी, णो सम्मामिच्छत्ताभिगमी ॥ परियारणा-पदं १५. देवा णं भंते ! किं सदेवीया सपरियारा' ? सदेवीया अपरियारा ? अदेवीया सपरियारा ? अदेवीया अपरियारा ? गोयमा ! अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा, अत्थेrइया देवा अदेवीया सपरियारा, अत्येगइया देवा अदेवीया अपरियारा, णो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा ॥ १६. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति - अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा, " अत्थे - मइया देवा अदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया अपरियारा', णो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा ? गोयमा ! भवणवति वाणमंतर जोतिस सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवा सदेवीया सपरियारा, सणकुमार - माहिद- बंभलोग लंतग-महासुक्क सहस्सार- आणय-पाणयआरण- अच्चए कप्पेसु देवा अदेवीया सपरियारा, गेवेज्जणुत्तरोववाइयदेवा अदेवीया अपरियारा, णो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं बुच्चति-अत्येrइया देवा सदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया सपरियारा, अत्थेगइया देवा अदेवीया अपरियारा, णो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा ॥ १७. कति विहाणं भंते! परियारणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परियारणा पण्णत्ता, तं जहा - कायपरियारणा फासपरियारणा स्वपरियारणा सहपरियारणा मणपरियारणा || १८. सेकेणट्ठणं भंते ! एवं वृच्चति - पंचविहा परियारणा पण्णत्ता, तं जहाकायपरियारणा जाव मणपरियारणा ? गोयमा ! भवणवति वाणमंतर - जोइस सोहम्मीसासु कप्पे देवा कायपरियारगा, सणकुमार - माहिदेसु कप्पेसु देवा फासपरियारगा, बंभलोय - लंगे कप्पेसु देवा रूवपरियारगा, महासुक्क सहस्सा रेसु देवा सद्दपरियारगा, आणय-पाणय-आरण-अच्चएस कप्पेसु देवा गणपरियारगा, गेवेज्जअणुत्तरोववाइया देवा अपरियारगा । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं बुच्चति - पंचविहा परियारणा पण्णत्ता, तं जहा - कायपरियारणा जाव' मणपरियारणा ॥ १६. तत्थ णं जेते कायपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पज्जइ – इच्छामो गं अच्छराहि सद्धि कायपरियारं करेत्तए । तए णं तेहि देवेहिं एवं मणसीकए समाणे खिप्पा १. सम्यक्त्वाधिगामिनः (मवृ) | २. सपरिचारा ( ख, ग ) 1 ३. सं०पा० - तं चैव जाव णो । ४. सं०पा० तं वेव जाव णो । ५. परियारणया (क, ख, घ) प्राय: सर्वत्र । ६. सं०पा० तं चेव जाव मणपरियारणा । ७. वृत्तावपि 'कायपरिचारं कर्तुमिति' दृश्यते । Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३८ पण्णवणासुतं मेव ताओ अच्छराओ ओरालाई सिंगाराई मणुण्णाई मणोहराई मणोरमाई उत्तरवेउवियाई रूवाइं विउव्वंति, विउ वित्ता तेसिं देवाणं अंतियं पादुब्भवंति । तए णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धि कायपरियारणं करेंति, से जहाणामए-सीता पोग्गला सीतं पप्प सीतं चेव अतिवतित्ता णं चिट्ठति, उसिणा वा पोग्गला उसिणं पप्प उसिणं चेव अइवइत्ताणं चिट्ठति, एवमेव तेहिं देवेहिं ताहिं अच्छराहिं सद्धि कायपरियारणे कते समाणे से इच्छामणे खिप्पामेवावेति ।। २०. अत्थि णं भंते ! तेसि देवाणं सुक्कपोग्गला? हंता अत्थि । ते णं भंते ! तासिं अच्छराणं कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ? गोयमा ! सोइंदियत्ताए चविखदियत्ताए घाणिदियत्ताए रसिदियत्ताए फासिं दियत्ताए इट्टत्ताए कंतत्ताए मणुण्णत्ताए मणामत्ताए सुभगत्ताए सोहग्ग-रूव-जोव्वण-गुणलायण्णत्ताए ते तासि भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ॥ २१. तत्थ णं जेते फासपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पजइ-इच्छामो णं अच्छराहि सद्धि फासपरियारं करेत्तए । तए णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकए समाणे खिप्पामेव ताओ अच्छाराओ ओरालाई सिंगाराई मणुण्णाई मणोहराई मणोरमाइं उत्तरवेउन्वियाई रूवाइं विउव्वंति, विउव्वित्ता तेसिं देवाणं अंतियं पादुब्भवंति। तए ण ते देवा ताहिं अच्छराहि सद्धि फासपरियारणं करेंति, एवं जहेव कायपरियारगा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं ।। २२. तत्थ णं जेते रूवपरियारमा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पज्जइ-इच्छामो णं अच्छराहि सद्धि रूवपरियारणं करेत्तए । तए णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकए समाणे तहेव जाव उत्तरवेउव्वियाई रूवाइं विउवंति, विउवित्ता जेणामेव ते देवा तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेसिं देवाणं अदूरसामंते ठिच्चा ताई ओरालाई जाव मणोरमाइं उत्तरवेउब्वियाई रूवाई उवदंसेमाणीओ-उवदंसेमाणीओ चिटठंति । तए णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धि रूवपरियारणं करेंति, सेसं तं चेव जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ॥ २३. तत्थ णं जेते सहपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पज्जति---इच्छामो णं अच्छ राहिं सद्धि सहपरियारणं करेत्तए । तए णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकए समाणे तहेव जाव उत्तरवउवियाई रुवाइं विउव्वंति, विउव्वित्ता जेणामेव ते देवा तेणामेव उवागच्छं उवागच्छित्ता तेसिं देवाणं अदूरसामते ठिच्चा अणुत्तराई उच्चावयाई सद्दाई समुदीरेमाणीओ- समुदीरेमाणीओ चिट्ठति । तए णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धि सहपरियारणं करेंति, सेसं तं चेव जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ॥ २४. तत्थ णं जेते मणपरियारगा देवा तेसिं इच्छामणे समुप्पज्जइ-इच्छामो णं अच्छराहिं सद्धि मणपरियारणं करेत्तए । तए णं तेहिं देवेहि एवं मणसीकए समाणे खिप्पामेव ताओ अच्छराओ तत्थगताओ चेव समाणीओ अणुत्तराई उच्चावयाई मणाई पहारेमाणीओ-पहारेमाणीओ चिट्ठति । तए णं ते देवा ताहि अच्छराहि सद्धि मणपरियारणं करेंति, सेसं णिरवसेसं तं चेव जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ।। २५. एतेसि णं भंते ! देवाणं कायपरियारगाणं जाव मणपरियारगाणं अपरियारगाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउतीसइमं पवियारणापयं ३३६ सव्वत्थोवा देवा अपरियारगा, मणपरियारगा संखेज्जगुणा, सहपरियारगा असंखेज्जगुणा, रूवपरियारगा असंखेज्जगुणा, फासपरियारगा' असंखेज्जगुणा, कायपरियारगा असंखेज्जगुणा ॥ 1. फरिस (क,ग,घ) ; फरस (ख)। Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचतीसइमं वेयणापर्द गाहा १ सीता २ य दव्व ३ सारीर, ४ सात" तह वेदणा हवति ५ दुक्खा। ६ अब्भुवगमोवक्कमिया, ७ णिदा य अणि दा य णायव्वा ॥१॥ सातमसातं सव्वे, सुहं च दुक्खं अदुक्खमसुहं च । माणसरहियं विगलिंदिया उ सेसा दुविहमेव ॥२॥ सीताइवेदणा-पदं १. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा-सीता उसिणा सीतोसिणा ॥ २. णेरइया णं भंते ! किं सीतं वेदणं वेदेति ? उसिणं वेदणं वेदेति ? सीतोसिणं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! सीयं पि वेदणं वेदेति, उसिणं पि वेदणं वेदेति, णो सीतोसिणं वेदणं वेदेति ॥ ३. असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा! सीयं पि वेदणं वेदेति, उसिणं पि वेदणं वेदेति, सीतोसिणं पि वेदणं वेदेति ! एवं' जाव वेमाणिया । १. सीता दव्व सारीर साता (क); सीता दव णो मीओसिणं वेदणं वेदेति । ते बहुयतरागा सरीरा साता (ख,ग); सीता दव्व सारीरा जे उसिणं वेदणं वेदेति, ते थोवतरागा जे सीयं साता (घ) ! वेदणं वेदेति। धूमप्पभाए एवं चेव दुविहा, २. अतोनन्तरं, मलयगिरिणा एवं टीकितम्-एतावत् नवरं- ते बहु यत रागा जे सीयं वेदणं वेदेति, सूत्रं चिरन्तनेष्वविप्रतिपत्त्या श्रुयते, केचिदा- ते थोवतरागा जे उसिणं घेयणं वेति । तमाए चार्याः पुनरेतद्विषयमधिकमपि सूत्रं पठन्ति, तमतमाए य सीयं वेदणं वेदेति, णो उसिणं ततस्तम्मतमाहकेई एक्केक्कीए पुढवीए वेदणं वेदेति, णो सीमोसिणं वेदणं वेदेति । वेदणाओ भणंति --- रयणप्पभापुढविणेरइया णं आदर्शेषु एष पाठः संलग्नरूपेण लिखितोस्ति । भंते ! पुच्छा । गोयमा! णो सीयं वेदणं वेदेति, ३. मनुष्यालापकस्य पूर्ण सूत्रमेवं स्यात्उसिणं वेदणं वेदेति, णो सीतोसिणं वेदणं मणुस्साणं पुच्छा। गोयमा ! सीयं पि वेदणं वेदेति । एवं जाब वालुयप्पभापुढविणेरइया। वेदेति, उसिणं पि वेदणं वेदेति, सीतोसिणं पि पंकप्पभापुढविणेरइयाणं पुच्छा । गोयमा! वेदणं वेदेति। सीयं पि वेदणं वेदेति, उसिणं पि वेदणं वेदेति, ३४० Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचdesi daणापयं व्याइवेदा-पदं ४. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा - दव्वओ खेतओ कालओ भावओ ॥ चउव्विहा वेदणा पण्णत्ता, तं ५. रइया णं भंते! कि दव्वओ वेदणं वेदेति जाव किं भावओ वेदणं वेदेति ? गोयमा ! दव्वओ वि वेदणं वेदेति जाव भावओ वि वेदणं वेदेति । एवं' जाव वेमाणिया || सारीराइवेदणा-पदं ६. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा - सरीरा माणसा सारीरमाणसा ॥ ७. रइया णं भंते! किं सारीरं वेदणं वेदेति ? माणसं वेदणं वेदेति ? सारीरमाणसं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! सारीरं पि वेदणं वेदेति, माणसं पि वेदणं वेदेंति सरीरमाणसं पि वेदणं वेदेति । एवं जाव वैमाणिया, गवरं - एगिंदिय - विगलिदिया सारीरं वेदणं वेदेति णो माणसं वेदणं वेदेति णो सारीरमाणसं वेदणं वेदेति || सातावेदणा-पदं तं ८. कतिविहाणं भंते ! वेयणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता, जहा - साता असाता सातासाता ॥ ९. णेरड्या णं भंते ! कि सातं वेदणं वेदेति ? असातं वेदणं वेदेति ? सातासातं वेद वेदेति ? गोयमा ! तिविहं पि वेदणं वेदेति । एवं सव्वजीवा जाव वेमाणिया || दुखाइवेदा-पदं १०. कतिविहा णं भंते ! वेयणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता, तं जहा- दुक्खा सुहा अदुक्खमसुहा ॥ ११. रइया णं भंते ! कि दुक्खं वेदणं वेदेति पुच्छा । गोयमा ! दुक्खं पि वेदणं वेदेति, सुहं पिवेद वेदेति, अदुक्खमसुहं पि वेदणं वेदेति । एवं जाव वैमाणिया || अन्भवगमियाइवेयणा-पदं १२. कतिविहाणं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा - अब्भोवगमिया य ओवक्कमिया य ॥ १. मनुष्यालापके पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् मणुस्सा णं भंते किं दव्वओ वेदणं वेदेति जाव कि भावओ वेदणं वेदेति ? गोयमा ! दव्वओ वि वेदणं वेदेति जाव भावओ वि वेदणं वेदेति । २. मनुष्यालाप के पूर्ण सूत्रमेवं स्थात् मणुस्सा णं भंते! कि सारीरं वेदणं वेदेति ? माणसं वेदणं वेदेति ? सारीरमाणसं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! सारीरं पि वेदणं वेदेति, माणसं पि वेदणं वेदेति, सारीरमाणसं पि वेदणं वेति । ३४१ ३. मनुष्यालापके पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् मणुस्सा णं भंते! किं सातं वेदणं वेदेति ? असतं वेदणं वेदेति ? सातायातं वेदणं वेदेति ? गोमा ! तिविहं पि वेदणं वेदेति । ४. अदुक्खा असूहा (ख) ५. मनुष्यालाप के पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् मणुस्सा णं भंते! कि दुक्खं वेदणं वेदेति पुच्छा । गोयमा ! दुक्खं पि वेदणं वेदेति, सुहं पि वेदणं वेदेति, अदुक्खमसुहं पिवेदणं वेदंति । Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२ पण्णवणासुत्तं १३. रइया णं भंते! कि अब्भोवगमियं वेदणं वेदेति ? ओवक्कमियं वेदणं वेदेति ? गोयमा! णो अब्भोवगमियं वेदणं वेदेति, ओवक्कमियं वेदणं वेदेति । एवं जाव चउरिदिया। १४. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा' य दुविहं पि वेदणं वेदेति ।। १५. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा परइया । णिदाइवेदणा-पदं - १६. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा! दुविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा--णिदा य अणिदा य॥ १७. णेरइया णं भंते ! कि णिदायं वेदणं वेदेति ? अणिदायं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! णिदायं पि वेदणं वेदेति अणिदायं पि वेदणं वेदेति ॥ १८. से केणठेणं भंते ! एवं वच्चति-णेरइया णिदाय पि वेदणं वेदेति अणिदायं पि वेदणं वेदेति ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा सण्णिभूया य असण्णिभूया य । तत्थ णं जेते सण्णिभूया ते णं निदायं वेदणं वेदेति, तत्थ णं जेते असण्णिभूया ते णं अणिदायं वेदणं वेदेति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति–णेरइया निदाय पि वेदणं वेदेति, अणिदायं पि वेदणं वेदेति । एवं जाव थणियकुमारा।।। १६. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! णो निदायं वेदणं वेदेति, अणिदायं वेदणं वेदेति ॥ २०. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति-पुढविक्काइया णो णिदायं वेदणं वेदेति अणिदायं वेयणं वेदेति ? गोयमा ! पुढविक्काइया सव्वे असण्णी असण्णिभूतं अणिदायं वेदणं वेदेति। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति---पुढविक्काइया णो हिदायं वेदणं वेदेति, अणिदायं वेदणं वेदेति । एवं जाव चउरिदिया ।। २१. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा वाणमंतरा जहा रइया ।। २२. जोइसियाणं पुच्छा। गोयमा ! णिदायं पि वेदणं वेदेति अणिदायं पि वेदणं वेदेति ॥ २३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति-जोइसिया णिदायं पि वेदणं वेदेति अणिदायं पि वेदणं वेदेति ? गोयमा ! जोतिसिया दुविहा पण्णता, तं जहा-माइमिच्छद्दिट्ठिउव१. मनुष्यालापके पूर्ण सुत्रमेवं स्यात्-. मणुस्सा णं बेदणं वेदेति अणिदाय पि वेदणं वेदेति ? भंते ! कि अब्भोवगमियं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं ओवक्कमियं वेदणं वेदेति ? गोयमा! दुविहं जहा-सण्णिभूया य असण्णिभूया य। तत्थ णं पि वेदणं वेदेति। जेते सण्णिभूया ते णं णिदायं वेदणं वेदेति, २. मनुष्यालापके पूर्ण सूत्रमेवं स्यात् ---मणुस्सा णं तत्थ पं जेते असम्णिभूया ते णं अणिदायं वेदणं भंते ! कि णिदायं वेदणं वेदेति ? अणिदायं वेदेति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वेदणं वेदेति ? गोयमा! णिदाब पि वेदणं वुच्चति---मणुस्सा णिदायं पि वेदणं वेदति, वेदेति अणिदायं पि वेदणं वेदेति । से केपट्टेणं अणिदायं पि वेदणं वेद॑ति । भंते ! एवं वुच्चति-मणुस्सा णिदायं पि Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचतीस इमं वैयणापदं ३४३ वण्णगा य अमाइसम्महिट्रिउववण्णगा य । तत्थ णं जेते माइमिच्छद्दिष्ट्रिउववण्णगा ते णं अणिदायं वेदणं वेदेति, तत्थ णं जेते अमाइसम्मद्दिटिउवण्णगा ते णं णिदायं वेदणं वेदेति । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चति–जोतिसिया दुविहं पि वेदणं वेदेति । एवं वेमाणिया वि।। Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्धायपयं गाहा १ वेयण २ कसाय ३ मरणे, ४ वेउव्विय ५ तेयए य ६ आहारे। ७ केवलिए' चेव भवे, जीव-मणुस्साण सत्तेव ।। समुग्घायभेय-पदं १. कति णं भंते ! समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा- वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्याए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए आहारगसमुग्धाए' केवलिसमुग्घाए । समुग्घायकाल-पदं २. वेदणासमुग्घाए णं भंते ! कतिसमइए पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पण्णत्ते । एवं जाव आहारगसमुग्धाए । ३. केवलिसमुग्धाए णं भंते ! कतिसमइए पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते ।। समुग्घायसामित्त-पदं ४. जेरइयाणं भंते ! कति समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्धाए वेउब्वियसमुग्धाए । ५. असुरकुमाराणं भंते ! कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयास मुग्घाए । एवं जाव थणियकुमाराणं ।। ६. पुढविक्काइयाणं भंते ! कति समुग्घाया पण्णता ? गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए। एवं जाव चउरिदियाणं, णवरं-वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा- वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए । ७. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव वेमाणियाणं भंते ! कति समुग्घाया पण्णत्ता ? १. केवलए {क,ग)। २. आहारसमु° (क,ख,घ)। Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्घायपयं गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा—वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयासमुग्धाए, णवरं-मणूसाणं सत्तविहे समुग्घाए पण्णत्ते, तं जहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियस मुग्घाए वेउव्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए आहारगसमुग्घाए केवलिसमुग्घाए । एगत्तेणं अतीताइसमुग्घाय-पदं ८. एगमेगस्स णं भंते ! जेरझ्यस्स केवतिया वेदणास मुग्घाया अतीता? गोयमा ! अणंता । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा । एवं असुरकुमारस्स वि, णिरंतरं जाव वेमाणियस्स । एवं जाव तेयगसमुग्धाए। एवं एते पंच चउवीसा दंडगा॥ 8 एगमेगस्सणं भंते! णरइयस्स केवतिया आहारगसमग्घाया अतीता? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिण्णि । केवतिया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि कस्सइ पत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । एवं णिरंतरं जाव वेमाणियस्स, नवरं १०. "एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स केवतिया आहारगसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि । जस्सस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । केवतिया पुरेक्खडा ? कस्सइ' अस्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिपिण वा, उक्कोसेणं चत्तारि ॥ ११. एगमेगस्स णं भंते ! रइयस्स केवतिया केवलिसमग्घया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि एक्को। एवं जाव वेमाणियस्स, णवरं-मणूसस्स अतीता कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि। जस्सत्थि एक्को । एवं पुरेक्खडा वि।। पुहत्तेणं अतीताइसमुग्घाय-पदं - १२. णेरइयाणं भंते ! केवतिया वेदणासमुग्घाया अतीता ? गोयमा ! अणंता । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अगता। एवं जाव वेमाणियाणं । एवं जाव तेयगसमग्घाए। एवं एते विपच चउवीसादडगा। १३. णेरइयाणं भंते । केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा ! असंखेज्जा। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! असंखेज्जा । एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं-वणप्फइकाइयाणं मणसाण य इमं णाणतं १४. वणप्फइकाइयाणं भंते ! केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता ? गोयमा ! अणंता। मणूसाणं भंते ! केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता ? गोयमा ! सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा। एवं पुरेक्खडा वि ॥ संपा-मणूसस्स अतीता वि पुरेक्खडा वि जहा गेरइयस्स पुरेक्खडा। Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૬ षण्णवणासुसँ १५. रइयाणं भंते! केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! असंखेज्जा । एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं ---वण फइकाइय- मणूसेसु इमं णाणत्तं--- १६. वण फइकाइयाणं भंते! केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! अणंता ॥ १७. मणूसाणं भंते ! केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! सिय अि सित्थि । जदि अत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं सतपुहत्तं । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा ।। तन्भाव एव एगत्तेणं अतीताइसमुग्धाय-पदं १८ एगमेगस्स णं भंते! गेरइयस्स णेरइयत्ते केवतिया वेदणासमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा । एवं असुरकुमारते जाव वेमाणियते ॥ १६. एगमेगस्स णं भंते! असुरकुमारस्स णेरइयत्ते केवतिया वेदणासमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि तस्स सिय संखेज्जा सिय असंखंज्जा सिय अनंता ॥ २०. एगमेगस्स णं भंते! असुरकुमारस्स असुरकुमारते केवतिया वेदणासमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा या असंखेज्जा वा अनंता वा । एवं नागकुमारते वि जाव वैमाणियत्ते । एवं जहा वेदणासमुग्धा एवं असुरकुमारेणेरइयादिवेमाणियपज्जवसाणेसु भणिए तहा नागकुमारादीया अवसेसेसु सट्टा - परट्ठाणेसु भाणियव्वा जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । एवमेते चउव्वीसं चउव्वीसा दंडगा भवंति ॥ २१. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स गेरइयत्ते केवतिया कसायसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि एगुत्तरिया जाव अनंता || २२. एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स असुरकुमारते केवतिया कसायसमुग्धाया अतीता ? गोयमा ! अनंता । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ त्थि । जस्सत्थि सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा सिय अनंता । एवं जाव णेरइयस्स कुमारते । पुढविकाइयत्ते एगुत्तरियाए णेयव्वं, एवं जाव मणूसत्ते । वाणमंतरत्ते जहा असुरकुमारते । जोतिसियत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि सिय असंखेज्जा सिय अनंता । एवं वेमाणियत्ते वि सिय असंखेज्जा सिय अनंता ॥ २३. असुरकुमारस्स णेरइयत्ते अतीता अनंता । पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ पत्थि । जस्सत्थि सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा सिय अनंता ॥ Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्धायपयं २४. असुरकुमारस्स असुरकुमारत्ते अतीता अणंता । पुरेक्खडा एगुत्तरिया । एवं नागकुमारत्ते निरंतरं जाव वेमाणियत्ते जहा रइयस्स भणियं तहेव भाणियव्वं । एवं जाव थणियकुमारस्स वि [जाव ?] वेमाणियत्ते, णवरं-सव्वेसि सटाणे एगुत्तरिए परहाणे जहेव असुरकुमारस्स ॥ २५. पुढविक्काइयस्स णेरइयत्ते जाव थणियकुमारत्ते अतीता अणंता। पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा सिय अणंता ।। २६. पुढविक्काइयस्स पुढविक्काइयत्ते जाव मणूसत्ते अतीता अणंता । पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ पत्थि । जस्सस्थि एगुत्तरिया। वाणमंतरत्ते जहा रइयत्ते । जोतिसिय-वेमाणियत्ते अतीता अणंता । पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि । जस्स त्थि सिय असंखेज्जा सिय अणंता । एवं जाव मणूसे वि णेयव्वं । वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारे, णवरं -..सट्ठाणे एगुत्तरियाए भाणियव्वा जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते। एवं एते चउवीसं चउवीसा दंडगा ।। २७. मारणंतियसमुग्धाओ सट्टाणे वि परदाणे वि एगुत्तरियाए नेयम्वो जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । एवमेते च उवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा ।। २८. वेउव्वियसमुग्घाओ जहा कसायसमुग्धाओ तहा हिरवसेसो भाणियवो, णवरं-- जस्स पत्थि तस्स ण वुच्चति । एत्थ वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा ।। २६. तेयगसमुग्घाओ जहा मारणंतियसमुग्घाओ, णवरं-- जस्स अत्थि। एगं एते वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा ।। ३० एगमेगस्स णं भंते ! जेरइयस्स णे रइयत्ते केवतिया आहारगसमुग्घाया अतीता? गोयमा ! त्थि। केवतिया पुरेवखडा? गोयमा ! णत्थि । एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं--मणसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि। जस्सत्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिणि । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि जहणणं एकको वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं चत्तारि। एवं सव्वजीवाणं मणूसेसु भाणियव्वं । मणूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ पत्थि । जस्सत्थि जहणणं एक्को वा दो तिणि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । एवं पुरेक्खडा वि। एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते ।।। ३१. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीता? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! पत्थि । एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरंमणूसत्ते अतीता पत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि । जस्सत्थि एक्को। मणूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ णस्थि । जस्सत्थि एकको ! एवं पुरेक्खडा वि । एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा ॥ तब्भाव एव पुहत्तेणं अतीताइसमुग्घाय-पदं ३२. णेरइयाणं भंते ! गैरइयत्ते केवतिया वेदशासमुग्घाया अतीता ? गोयमा ! अणंता । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अणंता। एवं जाव वेमाणियत्ते। एवं सव्वजीवाणं भागियव्वं जाव बेनापियाणं वेभागियते । एवं जाव तेयगसमुग्घाओ, णवरं Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ पण्णवणासुतं उवउज्जिऊणणेयव्वं जस्सत्थि वेउविय-तेयगा ।। ३३. गेरइयाणं भंते ! णेरइयत्ते केवतिया आहारगसमुग्धाता अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! नत्थि । एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं-मणूसत्ते अतीता असंखेज्जा, पुरेक्खडा असंखेज्जा । एवं जाव वेमाणियाणं, गवरं-वणस्सइकाइयाणं मणूसत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा अणंता। मसाणं मणूसत्ते अतीता सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा, एवं पुरेक्खडा वि। सेसा सव्वे जहा जेरइया। एवं एते च उव्वीसं चउव्वीसा दंडगा॥ ३४. जेरइयाणं भंते ! रइयत्ते केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! णत्थि । एवं जाव वेमाणियत्ते, गवर-मणूसत्ते अतीता पत्थि, पुरेक्खडा असंखेज्जा। एवं जाव वेमाणिया, णवरवणप्फइकाइयाणं मणूसत्ते अतीता णत्थि, पुरेक्खडा अणंता। मणूसाणं मणूसत्ते अतीता सिय अस्थि सिय णत्थि । जदि अस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सतपुहत्तं । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा । एवं एते च उव्वीसं चउव्वीसा दंडगा सव्वे पुच्छाए भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते ॥ समोहयासमोहयाणं अप्पाबहुय-पदं ३५. एतेसि णं भंते ! जीवाणं वेयणासमुग्धाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्धाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्धाएणं आहारगसमुग्घाएणं केवलिसमुग्घाएणं समोहयाणं' असमोह्याण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आहारगसमुग्घाएणं समोहया, केवलिसमुग्घाएणं समोया संखेज्जगुणा, तेयगसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेउब्वियसमग्याएणं समोहया असंखेज्जगुणा, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया अणंतगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा ।। ३६. एतेसि णं भंते ! रइयाणं वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्धाएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा णेरइया मारणं तियसमुग्घाएणं समोहया, वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा ।।। ३७. एतेसि णं भंते ! असुरकुमाराणं वेदणासमुग्घा एणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्घाएणं समोयाणं असमोयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा असुरकुमारा तेयगसमुग्धाएणं समोहया, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेयणासमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेउव्वियसमुग्धाएणं समोया संखेज्जगुणा, असमोहया असंखेज्जगुणा । एवं जाव थणियकुमारा॥ १. उववेज्जिऊण (क); उववज्जिऊण (घ)। २. सम्मोहयाणं (ग) । Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्घायपयं ३४६ ३८. एतेसि णं भंते ! पुढविक्कइयाणं वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सन्वत्थोवा पुढविक्काइया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया, कसायसमुग्घाएणं समोया संखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा। एवं जाव वणप्फइकाइया। णवरं-सव्वत्थोवा वाउक्काइया देउब्वियसमुग्धाएणं समोहया, मारणं तियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा,' वेदणासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया असंखेज्जगुणा'। ३६. बेइंदियाणं भंते ! वेयणासमुग्घाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदिया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया, वेदणासमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायस मुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा', असमोहया संखेज्जगुणा । एवं जाव चउरिदिया ।। ४०. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयासमुग्घाएणं समोयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्योवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया तेयासमुग्घाएणं समोहया, वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, मारणंतियसमुग्धाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा', असमोहया संखेज्जगुणा !! ४१. मणुस्साणं भंते ! वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्धाएणं तेयगसमुग्घाएणं आहारगसमुग्घाएणं केवलिसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा मणूसा आहारगसमुग्घाएणं समोहया, केवलिसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, तेयगसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, मारणंतियसमुरघाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेयणासमुग्घाएणं समोहया १. असंखेज्जगुणा (क,ख,घ); अस्माकं पावें इति पाठः स्वीकृतः । मलयगिरिवत्ते हस्तलिखितादर्शद्वयं वर्तते । तत्र २. संखेज्जगुणा (क)। ग' संकेतितादर्श लिखितायां वृत्ती तेभ्यो पि ३. मलय गिरिवृत्तौ 'असंखज्जगुणा' इति पाठोस्तिकषायसमुद्घातेन समुद्धता संख्येयगुणा' इति 'तेभ्यः कषायसमुद्घातेन र मुद्धता असंख्येय गुणाः, पाठोस्ति । अपरस्मिन् वृत्त्यादर्श 'तेभ्योपि अतिप्रभूततराणां लोभादिकषायसमद्घात कषायसमुद्घातेन समुद्धता 'असंख्येयगुणा' इति भावात्। अत्र अतिप्रभूततराणामितिप्रयोगः पाठोस्ति । मुद्रितवृत्ती 'संख्येयगुणाः' इति संख्येय गुणत्वमेव सूचयति । असंख्येयगुणत्वमिति विद्यते । पृथ्व्यादिसूत्रेषु द्वीन्द्रियादिसूत्रेषु च न जाने कथं जातम् । 'कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा' इति ४. असंखेज्जगुणा (ख) । पाठो दृश्यते, तमनुसृत्य अत्रापि 'संखेज्जगुणा' Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५० पण्णवणासुतं असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोह्या संखेज्जगुणा, असमोहया असंखेज्जगुणा । वाणमंतर-जोतिसिय वेमाणिया जहा असुरकुमारा।। कसायसमुग्घाय-पदं ४२. कति णं भंते ! कसायसमुग्घाया पण्णता ? गोयमा ! चत्तारि कसायसमुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-कोहसमुग्घाए माणसमुग्घाए मायासमुग्घाए लोभसमुग्धाए ।। ४३. जरइयाणं भंते ! कति कसायसमुग्धाया पण्णता? गोयमा! चत्तारि कसायसमुग्घाया पण्णत्ता । एवं जाव वेमाणियाणं ।।। ४४. एगमेगस्स ण भंते ! णेरइयस्स केवइया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा ! अणंता । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णस्थि । जस्स त्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा। एवं जाव वेमाणियस्स। एवं जाव लोभसमुग्घाए । एते चत्तारि दंडगा ॥ ४५. णे रइयाणं भंते ! केवतिया कोहसमुग्धाया अतीता? गोयमा ! अणंता । केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अणंता । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं जाव लोभसमुग्धाए वि चत्तारि दंडगा। ४६. एगमेगस्स णं भंते ! रइयस्स गेरइयत्ते केवतिया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा ! अणंता। एवं जहा' वेदणासमुग्धाओ भणिओ तहा कोहसमुग्धाओ वि भाणियन्वो णिरवसेसं जाव वेमाणियत्ते। माणसमूग्घाओ मायासमुग्घातो य णिरवसेसं जहा' मारणंतियसमुग्धाओ। लोभसमुग्धाओ जहा' कसायसमुग्घाओ, णवरं-सव्वजीवा असुरादी णेरइएसु लोभकसाएणं एगुत्तरिया णेयव्वा ।। ४७. णेरइयाणं भंते ! गैरइयत्ते केवतिया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा ! अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? गोयमा ! अणंता । एवं जाव वेमाणियत्ते । एवं सट्टाणपरदाणेसु सन्वत्थ वि भाणियव्वा सव्वजीवाणं चत्तारि समुग्घाया जाव लोभसमुग्घातो जाव वेमाणियाण माणियत्त।। ४८. एतेसि णं भंते ! जीवाणं कोहसमुग्धाएणं माणसमुग्घाएणं मायासमुग्घाएणं लोभसमुग्घाएण य समोह्याणं अकसायसमुग्घाएणं समोयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अकसायसमुग्घाएणं समोहया, माणसमुग्घाएणं समोहया अणंतगुणा, कोहसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, मायासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, लोभसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया संखेज्जगुणा ॥ ४६. एतेसि णं भंते ! रइयाणं कोहसमुग्धाएणं माणसमुग्धाएणं मायासमुग्धाएणं लोभसमुग्धाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा णेरइया लोभसमुग्धाएणं समोहया, मायासमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, माणसमुग्घाएणं समोया संखेज्जगुणा, कोहसमुग्घाएणं समोहया ३.१० ३६॥२१-२६ । १. प० ३६।१८.२० । २. प० ३६॥२७॥ Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्धायपयं संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा ॥ ५०. असुरकुमाराणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वत्थोवा असुरकुमारा कोहसमुग्धाएणं समोहया, माणसमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, मायासमुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, लोभस मुग्धाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहया संखेज्जगुणा । एवं सव्वदेवा जाव वेमाणिया || ५१. पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वत्योवा पुढविक्काइया माणसमुग्धाएणं समोहया, कोहसमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, मायासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, लोभस मुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया, असमोहया संखेज्जगुणा । एवं जाव पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया || ५२. मणुस्सा जहा जीवा, नवरं - माणसमुग्धा एवं समोहया असंखेज्जगुणा ॥ छाउमत्थियस मुग्धाय-पदं ३५१ ५३. कति णं भंते! छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वे उब्वियसमुग्धाए तेयमसमुग्धाए आहारगसमुग्धाए ॥ ५४. रइयाणं भंते ! कति छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा -- वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वे उव्वियसमुग्धा | ५५. असुरकुमाराणं पुच्छा । गोयमा ! पंच छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए, मारणंतिय समुग्धाए वेउव्वियसमुग्धाए तेयगसमुग्धाए ॥ ५६. एगिदिय - विगल दियाणं पुच्छा । गोयमा ! तिरिण छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणास मुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए, णवरं - - वाउक्काइयाणं चारि समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वे उव्वियसमुग्धाए ॥ ५७. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेउव्वियसमुग्धाए तेयगसमुग्धाए ॥ ५८. मणूसाणं भंते ! कति छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा -- वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेविय समुग्धाए तेयगसमुग्धाए आहारगसमुग्धाए ॥ ओगाहफासाइ पर्द ५६. जीवे णं भंते ! वेदणासमुग्धाए समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छुभति तेहि' णं भंते! पोग्गलेहिं केवतिए खेत्ते अफुष्णे ? कंवतिए खेत्ते फुडे ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ते विक्खंभ - बाहल्लेणं णियमा छद्दिसि एवइए खेत्ते अफुण्णे एवइए खेत्ते फुडे ॥ १. ते (क,ग,घ) । Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ पण्णवणासु ६०. से णं भंते ! खेत्ते केवइकालस्स अफुण्णे ? केवइकालस्स फुडे ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण वा एवइकालस्स अफुण्णे एवइकालस्स फुडे ॥ ६१. . ते णं भंते ! पोग्गला केवइकालस्स णिच्छुभति ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुतरस, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तस्स || ६२. ते णं भंते ! पोग्गला णिच्छूढा समाणा जाई तत्थ पाणाई भूयाणं जीवाई सत्ताई अभिहणंति वत्तेंति लेसेंति संघाएंति संघट्टेति परियावैति किलावेंति उद्दवेंति तेहितो गं भंते! से जीवे कति किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए || ६३. ते णं भंते ! 'जीवा ताओ" जीवाओ कतिकिरिया ? गोयमा ! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंच किरिया || ६४. से णं भंते ! जीवे ते य जीवा अण्णेसि जीवाणं परंपराघाएणं कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि ॥ ६५. रइए णं भंते ! वेदणासमुग्धाएणं समोहए, एवं जहेव' जीवे, णवरंणेरइयाभिलावो । एवं णिरवसेसं जाव वैमाणिए । एवं कसायसमुग्धातो वि भाणियव्वो । ६६. जीवे णं भंते ! मारणंतियस मुग्धाएणं समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छुभति तेहिणं भंते ! पोग्गलेहि केवलिए खेत्ते अफुष्णे ? केवतिए खेत्ते फुडे ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ते विवखंभ बाहल्लेणं आयामेणं जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं असंखेज्जाई जोयणाई एगदिसि एवइए खेत्ते अफुण्णे एवतिए खेत्ते फुडे | ६७. से णं भंते ! खेत्ते केवतिकालस्स अफुण्णे ? केवतिकालस्स फुडे ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गणं एवतिकालस्स अणे एवतिकालस्स फुडे । सेसं तं चैव जाव' पंचकिरिया || ६८. एवं रइए वि, वरं- आयामेणं जहणणेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, उनको सेणं असंखेज्जाई जोयणाई एगदिसि एवतिए खेत्ते अफुष्णे एवतिए खेत्ते फुडे; विग्गहेणं एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा, नवरं - चउसमइएण ण भण्णति । सेसं तं चैव जाव* पंचकिरिया वि ॥ ६६. असुरकुमारस्स जहा जीवपए, णवरं विग्गहो तिसमइओ जहा णेरइयस्स सेसं तं चैव । जहा असुरकुमारे एवं जाव वेमाणिए, णवरं एगिदिए जहा जीवे णिरवसेसं ॥ ७०. जीवे णं भंते ! वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले पिच्छुभति तेहि णं भंते! पोगलेहिं केवतिए खेत्ते अफुण्णे ? केवतिए खेत्ते फुडे ? गोयमा ! सरीरमाणमेते विक्खंभ बाहल्लेणं, आयामेणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेण संखेज्जाई जोयणाई एगदिसि विदिसि वा एवतिए खेत्ते अफुण्णे एवतिए खेत्ते फुडे ॥ ७१. से णं भंते ! खेत्ते केवतिकालस्स अफुण्णे ? केवतिकालस्स फुडे ? गोयमा ! १. x (क, ख, ग, घ ) २. ५० ३६।५९-६४ । - ३. प० ३६६१-६४ । ४. प० ३६/६६,६७ । Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्धायपयं एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण एवति मालस्स अफुण्णे एवतिकालस्स फुडे । सेसं तं चेव जाव' पंचकिरिया वि॥ ___७२. एवं णेरइए वि, णवरं-आयामेणं जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं संखेज्जाई जोयणाई एगदिसिं एवतिए खेत्ते । केवतिकालस्स तं चेव जहा जीवपए। एवं जहा जेरइयरस तहा असुरकुमारस्स, णवरं-- एगदि सिं विदिसिं वा । एवं जाव थणियकुमारस्स । वाउक्काइयस्स जहा जीवपदे, णवरं- एगदिसि । पंचें दियतिरिक्खजोणियस्स णिरवसेसं जहा परइयस्स मणूस-वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियस्स णिरवसेसं जहा असुरकुमारस्स ॥ ७३. जीवे णं भंते ! तेयगसमुग्घाएणं' समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छभइ तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवतिए खेत्ते अफुण्णे ? एवं जहेव' वेउव्वियसमुरघाए तहेव, णवरं-आयामेणं जहण्णणं अंगुलस्स संखेज्जतिभागं', सेसं तं चेव ।एवं जाव वेमाणियस्स, णवरं-पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स एगदिसिं एवतिए खेत्ते अफण्णे ।। ७४. जीवे णं भंते ! आहारगस मुग्धाएणं समोहए समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छभइ तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवतिए खेत्ते अफुण्णे ? केवतिए खेत्ते फुडे ? गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ते विक्खंभ-बाहल्लेणं, आयामेणं जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं जोयणाई एगदिसि एवइए खेत्ते अफुण्णे एवइए खेत्ते फुडे ।। ७५. से णं भंते ! केवइकालस्स अफण्णे ? केवइकालस्स फडे ? गोयमा! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विम्गहेणं एवतिकालस्स अफुण्णे एवतिकालस्स फडे । ७६. ते णं भंते ! पोग्गला केवतिकालस्स णिच्छुभति ? गोयमा ! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तस्स ॥ ७७. ते णं भंते ! पोग्गला णिच्छूढा समाणा जाई तत्थ पाणाइं भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणंति जाव उद्दवेंति तओं णं भंते ! जीवे कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए सिय पंचकिरिए। ते णं भंते ! जीवा तातो जीवाओ कतिकिरिया ? गोयमा ! एवं चेव ॥ ७८. से णं भंते ! जीवे ते य जीवा अण्णेसि जीवाणं परंपराघाएणं कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि । एवं मणूसे वि ॥ १.५० ३६१६१-६४। २. तेयास (क); तेयस (ग)। ३. ५० ३६.७०-७२। ४. असंखेज्जतिभागं (क,ख,ग,घ); वृत्ती 'असंखेज्जतिभागं' इति पाठस्यैव समर्थन कृतमस्ति--तेषां तेजससमुद्धातमारभमाणानां जघन्यतोपि क्षेत्रमायामतोगुलासंख्येयभागप्रमाणं भवति, न तु संख्येयभागमानम् । तथापि समग्रपाठाध्ययनेन अत्र 'संखेज्जतिभागं' इति पाठ एव समीचीनः । वैक्रियसमुद्घातसूत्रे 'अंसंखेज्जतिभागं' इति पाठो विद्यते । यदि अत्र 'अंसखेज्जतिभागं' इति पाठ इष्टो भवेत् तथा 'एवं जहेव वेउब्वियसमुग्घाए तहेब' इति पाठान्तरं णवरं--'आयामेणं जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, सेसं तं चेव' इति पाठस्य व्यर्थता स्यात् । ५. ते (क,ग,घ); तते (ख)। Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५४ पण्णवणासुतं केवलिसमुग्घाय-पदं ७६. अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो केवलिसमुग्घाएणं समोहयस्स जे चरिमा णिज्जरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्वलोगं पि य णं ते फुसित्ता णं चिट्ठति ? हंता गोयमा ! अणगारस्स भावियप्पणो केवलिमुग्घाएणं समोहयस्स जे चरिमा णिज्जरापोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पणत्ता समणाउसो! सव्वलोगं पि य णं ते फुसित्ता गं चिट्ठति ।। ८०. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तेसि णिज्जरापोग्गलाणं किंचि वणेणं वण्णं गंधणं गंधं रसेणं रसं फासेण वाफासं जाणति पासति ? गोयमा ! णो इणटठे समझें। ८१. से केणट्टेणं भंते ! एवं वच्चति-छउमत्थे णं मणसे तेसि णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि वि वण्णेणं वण्णं गंधेणं गधं रसेणं रसं फासेण वा फासं जाणति पासति ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वभंतराए सव्वखुड्डाए, वट्टे तेल्लापूयसंाणसंठिए, बट्टे रहचक्कवालसंठाणसंठिए, वट्टे पुक्खरकणियासंठाणसंठिए, वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए, एग जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं, तिष्णि य जोयणसयसहस्साइं सोलस य सहस्साई दोग्णि य सत्तावीसे जोयणसते तिणि य कोसे अट्टावीसं च धणुसतं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलं च किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते ! देवे णं महिड्ढीए' 'महज्जुतीए महायसे महब्बले महाणुभागे° महासोक्खे एगं महं सविलेवणं गंधसमुग्गयं गहाय तं अवदालेति, तं महं एग सविलेवणं गंधसमुग्गयं अवदालेत्ता इणामेव कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छराणिवातेहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेज्जा, से णणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडे ? हंता फुडे । छउमत्थे णं गोयमा ! मणसे तेसिं घाणपोग्गलाणं किंचि वण्णेणं वणं गंधेणं गंध रसेणं रसं फासेणं फासं जाणति पासति ? भगवं! णो इणठे समठे। से तेणठेणं गोयमा ! एवं उच्चति-छउमत्थे णं मणसे तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि वण्णेणं वणं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणति पासति । एसुहमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सवलोग पि य णं फुसित्ता णं चिट्ठेति ॥ ८२. कम्हा णं भंते ! केवली समुग्धायं गच्छति ? गोयमा ! केवलिस्स चत्तारि कम्मंसा अक्खीणा अवेदिया अणिज्जिण्णा भवंति, तं जहा-वेयणिज्जे आउए णामे गोए । सव्वबहुप्पएसे से वेदणिज्जे कम्मे भवति, सव्वत्थोवे से आउए कम्मे भवति । गाहा विसमं समं करेति, बंधणेहि ठितीहि य । विसमसमीकरणयाए, बंधणेहिं ठितीहि य ॥१॥ एवं खलु केवली समोहण्णति, एवं खलु समुग्घायं गच्छति ॥ ८३. सव्वे वि णं भंते ! केवली समोहणंति? सव्वे वि णं भंते ! केवली समुग्घायं गच्छंति ? गोयमा ! णो इणठे समझें ।। १. सं०पा०—महिड्डीए जाव महासोक्खे। महिड्डिए २. महासुक्खे (ख); महेसक्खे, महासक्खे (क,घ) महड्डीए (ख)। (मवृपा)। Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं समुग्घायपयं ३५५ जस्साउएण तुल्लाइं, बंधणेहिं ठितीहि य ॥ भवोदग्गहकम्माई, समुग्घायं से ण गच्छति ॥१॥ अगंतूणं समुग्घायं, अणंता केवली जिणा। जर-मरणविप्पमुक्का, सिद्धि वरगति गता ॥२॥ ८४. कतिसमइए णं भंते ! आउज्जीकरणे' पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए आउज्जीकरणे पण्णत्ते ।। ८५. कतिसमइए णं भंते ! केवलिसमुग्घाए पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते, तं जहा-पढमे समए दंडं करेति, बिइए समए कवाडं करेति, ततिए समए मंथं करेति, चउत्थे समए लोग पूरेइ, पंचमे समए लोगं पडिसाहरति. छठे समए मंथं पडिसाहरति, सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरति, अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरति, पडिसाहरित्ता ततो पच्छा सरीरत्थे भवति ॥ ८६. से गं भंते ! तहास मुग्घायगते किं मणजोगं जुजति ? वइजोगं जुजति ? कायजोगं जंजति ? गोयमा ! णो मणजोगं जूंजइ, णो वइजोगं जुजइ, कायजोगं जुजति ॥ ८७. कायजोगणं भंते ! जुंजमाणे कि ओरालियसरीरकायजोगं जुजति ? ओरालियमीसासरीरकारजोगं जुजति ? कि वे उब्वियसरीरकायजोगं जुजति ? वेउव्वियमीसासरीरकायजोगं जुजति ? कि आहारगसरीरकायजोगं जुंजइ ? आहारगमीसासरीरकायजोगं जुजति ? कि कम्मगसरीरकायजोगं जुंजइ ? गोयमा! ओरालियसरीरकायजोगं पि जुजति ओरालियमीसासरीरकायजोगं पि जुजति, णो वेउव्वियसरीरकायजोगं जुजति णो वेउब्वियमीसासरीरकायजोगं गँजति, णो आहारगसरीरकायजोगं जुजति णो आहारगमीसासरीरकायजोगं जुजति, कम्मगसरीरकायजोगं पि जुजति ; पढमट्ठमेसु समएसु ओरालियसरीरकायजोगं जुजति, बितिय-छट्ठ-सत्तमेसु समएसु ओरालियमीसगसरीरकायजोगं गँजति, ततिय-चउत्थ-पंचमेसु समएसु कम्मगसरीरकायजोगं जुजति ! ८८. से णं भंते ! तहासमुग्धायगते सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिणिव्वाइ सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? गोयमा ! णो इणठे समटठे। से णं तओ पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता ततो पच्छा मणजोगं पि जुजति वइजोगं पि जुंजति कायजोगं पि जुजति ।। ८९. मणजोगण्णं जुंजमाणे किं सच्चमणजोगं जुजति ? मोसमणजोगं जुजति ? सच्चामोसमणजोगं जंजति ? असच्चामोसमणजोगं जंजति? गोयमा! सच्चमणजोगं जुजति, णो मोसमणजोगं जुजति णो सच्चामोसमणजोगं जुजति, असच्चामोसमणजोगं पि जुंजइ ॥ १०. वइजोगं जुजमाणे किं सच्चवइजोगं जुजति ? मोसवइजोगं जुजति ? सच्चामोसवइजोगं जुजति ? असच्चामोसवइजोगं जुजति ? गोयमा ! सच्चवइजोगं गँजति, णो मोसवइजोगं जुजइ णो सच्चामोसवइजोगं जुजति, असच्चामोसवइजोगं पि जुंजइ ।। ६१. कायजोगं जुजमाणे आगच्छेज्ज वा गच्छेज वा चिट्ठज्ज वा णिसीएज्ज वा तुयटेज्ज वा उल्लंघेज्ज वा पलंघेज्ज वा पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं १. आउज्जियाकरणे, आउस्सियाकरणे । (मवपा) : Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५६ पच्चपिज्जा | ९२. से णं भंते! तहासजोगी सिज्झति' 'बुज्झति मुच्चति परिणिव्वाति सव्वदुक्खाणं अंतं करोति ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । से णं पुव्वामेव सष्णिस्स पंचेंदियस्स पज्जत्तयस्स जहण्णजोगिस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं पढमं मणजोगं णिरुंभइ, तओ अनंतरं च णं बेइंदियस्स पज्जगत्तस्स जहण्णजोगिस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं दोच्च वइजोगं णिरंभति, तओ अनंतरं चणं सुहुमस्स पणगजीवस्स अपज्जत्तयस्स जहण्णजोगिस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं तच्चं कायजोगं णिरंभति । से णं एतेणं उवाएणं पढमं मणजोगं णिरुभइ, णिरंभित्ता वइजोगं णिरंभति, णिरुंभित्ता कायजोगं णिरंभति, णिरुभित्ता जोगणिरोहं करेति, करेत्ता अजोगयं पाउणति, पाउणित्ता ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धाए असंखेज्जसमइयं अंतोमुहुत्तियं सेलेसि पडिवज्जइ, पुव्वरइतगुणसेढीयं च २. तीसे सेलेसिमद्धाए असंलेज्जाहिं गुणसेडीहिं असंखेज्जे कम्मबंधे खवयति, खवइत्ता वेदणिज्जाउय - नाम-गोत्ते इच्चेते चत्तारि कम्मंसे जुगवं खवेति, खवेत्ता ओरालियतेया- कम्मगाई सव्वाहिं विप्पजहणाहि विप्पजहति, विप्पजहित्ता उजुसेढी पडिवणे' अफुसमाणगतीए एगसमएणं अविग्गणं उड्ढ गंता सागा रोवउत्ते सिज्झति ॥ .... गं कम्म सिद्धसरूव-पदं ६३. ते णं तत्थ सिद्धा भवंति - असरीरा जीवघणा दंसण- णाणोवउत्ता णिट्टियट्टा नीरया णिरेयणा वितिमिरा विसुद्धा सासयणागतद्धं कालं चिट्ठति ॥ ६४. से केणट्ठणं भंते ! एवं बुच्चति - ते णं तत्थ सिद्धा भवंति -- असरीरा जीवघणा दंसण णाणोवउत्ता णिट्टियट्ठा णीरया णिरेयणा वितिमिरा विसुद्धा सासतमणागयद्धं कालं चिट्ठति ? गोयमा ! से जहाणामए-बीयाणं अग्गिदड्ढाणं पुणरवि अंकुरुप्पत्ती न हवइ, एवामेव सिद्धाण वि कम्मवीएस दड्ढेसु पुणरवि जम्मुप्पत्ती न हवति । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वच्चति - ते णं तत्थ सिद्धा भवंति -- असरीरा जीवघेणा दंसण णाणोउत्ता निट्ठियट्ठा णीरया णिरेयणा वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति त्ति ॥ गाहा- णिच्छिष्णसव्वदुक्खा, जाति-जरा-मरण - बंधणविमुक्का | सासयमव्वाबाहं, चिट्ठेति सुही सुहं पत्ता ॥ १॥ १. सं०पा० २. उज्जु० (क, ख, घ) 1 ग्रन्थ- परिमाण कुल अक्षर २,७३,०७८ अनुष्टुप् श्लोक ८, ५३३ अक्षर २३ सिज्झति जाव अंतं । पण्णवणासुतं ३. सिज्झति बुज्झति (क, ख, ग, घ, पु) वृत्तिकृद्भ्यां नैतत्पदं व्याख्यातम् । Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति आधार-स्थल पूसं-स्थल ३०१२७,२८ १७११३० १७११२५ २३१६८,७४ ३०.२६ पूर्ति मापार-स्थल ३०१२८ १७११२३ १७११२३ २३६० ३०१२५ संक्षिप्त-पाठ अणागारहिं जाव पासति अणितरिया चेव जाव अमणामतरिया अणिटुतरिया जाव अमणामतरिया अबाहा जाव णिसेगो आगारेहिं जाव जं आभिणिबोहियणाण एवं जहेव कण्हलेस्साणं तहेव भाणियव्वं जाव चाहिं इट्तरिया चेव जाव मणामतरिया उट्टे जाव एलए उदएणं जाव अविहे उववेया जाव फासेणं एत्तो जाव अमणामतरिया एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे भणियं तहा भाणियब्वं जाव से तेणठेणं एवं जहा नेरइयाणं एवं मणूसाण वि कंता जाव मणामा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ता कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ते कालं जाव खेत्तओ खेत्तं जाव पासति जाव इत्तरिय गोयमा जाव णण्णत्थ गोयमा जाव रोएज्जा जहा पंचेंदियतिरिक्खजोगिएस जाव जेणं १७:११३ १७:१२६,१२७,१३४ १११७,१६,२० २३।२१,२२ १७.१३४ १७११३१,१३२ १७१११२ १७।१३८ ११०१६ २३१३ १७११३३ १७४१२३ ३४११२ २८१३६ ३४१६ २८.१०५ २३।२०० २३॥२०१ १८१११७ १७।१०७ ११११६,२० २०१३४ २०१८ १०४६ २८१२२ ३४॥ . २८२४ २३३१६६ २३३१६६ १८२६ १७११०६ १११११ २०१७ २०१७ Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८॥३३ १५.४७ १२५१ १७।१०६ १७।१०६ १७११५१ १५१५२ ३४११५ ३४|१८ २३॥१३ २३.१५ ३०१२६ १७११३२ १७।१०८ अहा भासुद्देसए जाव पियमा २८११२.१६ जहेव नेरइया तहेव २८.३५ जाणंति जाव अत्येगइया ११४६ जावतियं तं चेव ११५१ रइए जाव पासति १७११०७ रइए तं चेव जाव इत्तरिय १७११०७ तं चेव १७१५४ तं चेव जाव चिट्ठति १२५२ तं चेव जाव णो ३४३१६ तं चेव जाव मणपरियारणा ३४११८ तहेव पुच्छा २३.१६ तहेव पुच्छा उत्तरं च, णवरं-अमणुण्णा सद्दा जाव कायदुहता २३३१६ तेणठेणं जाव णो ३०१२६ पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो १७.१३३ पासइ जाव विसुद्धतरागं १७४११० पुच्छा १५.१७,१८,२०-२३,२६-३६,३६, ४२-४४,४६,४६-५१,५७,६२,६३, ६५,६६,६८,७०-७५,७७,७८,८०, १२,८४,८५,८७-६०,६३,९४,९७, ६८,१००-१११,११३,११४,११६, ११७,११६,१२०,१२२,१२३,१२५१२७ २११४० २३।१६,२१,२३ पुच्छा २३२२८,३०,४० पुच्छा २४१११ २८.४१,४३,४८ पुच्छा । गोयमा ! एवं चेव, णवरं---अणिद्रा सद्दा जाव होणस्सरता दोणस्सरता अणिदुस्सरता अकंतस्सरता 5 वेदेते सेसं तं वेब जाव चोद्दसविहे २३३२० पुच्छा । गोयमा! एवं चेव, णवरं—जातिविहीणया जाव इस्सरियविहीणय २३२२२ बस्स जाव कतिविहे २३३१७ पुच्छा पुच्छा १८११ २११३८ २३३१३ २३३२५ २४१४ २८।२४ पुच्छा २३.१६ २३१२१ २३६१३ Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ २३३१४,१५ २०१३ बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम मणुस्सा एवं चेव, णवरं-आभोगणिन्वत्तिए जहष्णेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुपज्जति २८१४६-७१ २८१४-१६,३२,२१, २२,४०,४३-४५ ३६.१० ३६६८० २३३६६ मणसस्स अतीता वि पुरेक्खडा वि जहा रइयस्स पुरेक्खडा माहिड्ढीए जाव महासोक्खे वाससताइं जाव णिसेगो सपज्जवसिए जाव अवड्ठं समझें एत्तो जाव अमणामतरिया सम्मुच्छिमसामण्णपुच्छाकायव्वा सिझति जाव अंतं सीलं वा जाव पडिवज्जित्तए सेसं जहा नेरइयाणं जाव आहच्च ३६९ २०३० २३३६० १९५६ १७११२३ १७६१२४ ४११३४ ३६१६२ २०१३४ २८/३२,३३ ३६६८५ २०१७ २८।२०,२१ जंबुद्दोवपण्णत्ती २०६८ अंचेइ जाव पणाम ३११२ अंचेता जाव करयलपरिग्गहियं ५।५८ अंतलिक्खपडिवण्णे जाव उत्तरपुरस्थिमं ३३१३० अंतलिक्खपडिवण्णे जाव पूरेते ३४३ अंतवाले जाव पडिच्छइ ३६१३३,१३४ अकोहे जाव अलोहे अच्छरगणसंघसंविकिण्णा जाव पडिरूवा अणंते जाव समुप्पन्ने २१८५ अणुपविसइ जाव णमि ३११३७ अणुसज्जिस्संति जाव सणिचारी २।१६३ अणेगखंभसयसण्णि विठे जाव सुहसंकमे ३११०० अणेगखंभसयसण्णिविठेहि जाव सुहसंकमेहि ३१०१ अणेगरायवरसहस्साणुयायमग्गे जाव समुद्दरव ३११८० अदंडकोदंडिम जाव सपूरजणजाणवयं ३१२१२ अपत्थियपत्थगा जाव परिवज्जिया ३।१२४ अयमेयारूवे जाव संकप्पे अवक्कमित्ता जाव अब्भवद्दलए विउन्वंति २ जाव तं णिहयरयं १७ अहोरत्तंसि जाव चारं ७.२७ ३१६ ५२२१ ३१४३ ३१३० ३१२६,२७ पज्जो० ७८ पण्ण० २३० पज्जो० ८१ ३।२० २।४६ ३६६ ३६६ ३१२२ ३३१२ ५१२२ ५२२० राय० स० १२ ७१२६ Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आउरसालाओ तत्र जाव उत्तरपुरत्थिमं आपूरेमाणा जाव अतीव आमसेवक जाव पच्चप्पियंति आयामेणं जाब वासं असत्तोसस विपुलवट्ट जाव करेइ आसति जान भुंजमाणा आसयति जाव विह रंति आसोए जाव आसाढे उत्तराए व जाव आसाए इट्टत्तरिया चैव जाय मणामतरिया इट्टा जहा पविसंतस्स भणिया जाय विहराहितिकट्टु इट्ठाहिं जाव जयजयसद्दं इड्ढी एवं चेव जाव अभिसमण्णा गए इत्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्से हि इमं जाव विणमी इमेारू जाव समुप्पज्जित्था इव जाव ससिव्व ईरियासमिए जाव पारिद्वावणियासमिए ईसर जान पतियो उनकर जान मागह उक्किट्ठाए जाव बट्ठाहियं जाव पञ्चपिगति उक्किट्टाए जाव उत्तरेणं उक्कट्ठाए जाव एवं उक्किट्ठाए जाव तिरियमसंखेज्जाणं उक्कट्ठाए जाव देवगईए उक्किट्ठाए जाव वीयमाणे ७६२ उक्किट्ठाए जाव सक्कारेइ सम्माइ, २ ता डिविसज्जे जाव भोषणमंडने तहेव महामहिमा · कमालस्स पञ्चपिणंति उक्किमीहणाय जाव करेमाणे उत्तरेणं जाब चडणवई उप्पलहत्थगया जाव अप्पेगइया उल्ला जाव पीइदान से पवरं चूडामणि च दिव्यं उरत्थगेविज्जगं सोणियसुत्तगं कडगाणि य तुडियाणि य जाव दाहिणिल्ले अंतवाले जाव अट्ठाहिय ३२६० ५३८ ३०१७३, १७४ २२१४४, १४५ ३३८८ १०३३ ४१२ ७।१०३ २/१८ २।१६ ३।२०१ ५। ५८ ३।१२६ ३।२१४ ३११३८ ३११८६ ३०९.१७ २२६६ ३।१० ३।२६ ३।६४-६७ ३।१३३ ३।५६ २१६० ५५,४४ ५।४७ ३२७२-७५ Bree ४८६ ३।१० ३१३७-४२ ३४३ राय० सू० ४० ३।१५,१६ २।१४१ ३१७ १११३ १।१३ भ० १८२१६ जी० ३।५६६ पी० ३०२७६ ३।१८५ ३।१६५ शाबू ३।१२६ ३१२०४ ३।२६ ३।२६ ओ० सू० ६३ पज्जो० ७८ ओ० सू० ५२ ३।१२ २०५६-५२ ३।२६ ३१२६ ०२४४२ ३।२६ ३२६ ३०५६-५१ ३०२२ ११२० शान ३८२१-२६ Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४५-५० ३१२१६ ७८४ ३१२३-२६ ३१८६ ७१७८ २५ ४१ उल्ला जाव पौइदागं से, णवरं माल मडि मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य तुडयाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहा पभासतित्थोदगं च गिण्हइ २ ता जाव पच्चत्थिमेणं पभासतिस्थमेराए अहण्णं देवाणुप्पियाणं विसयवासी जाव पच्चत्थि मिल्ले अंतवाले, सेसं तहेब जाव अट्ठा हिया निव्वत्ता उवट्ठाणसाला जाव सीहासणवरगए उवाएणं जाव संकममाणे उवागच्छित्ता जाव आगायमाणीओ उवायच्छित्ता जाव ससिव्व एज्जमाणा जाव निव्वु इक रेणं एयारूवाए जाव अभिसमण्णागए एवं ओववाइयगमेणं जाव तस्स एवं पच्चथिमिल्लाए जाव पच्चथिमिल्लं कटु जाव पडिसुणेइ कडगाणि य जाव आभरणाणि कडगाणि य जाव मागह कडगाणि य जाव सो चेव गमो जाव पडिविसज्जेइ कत्तिइण्णं जाव वत्तव्वं करयल जाव अंजलि करयल जाव एवं करयल जाव कटु करयल जाव जएणं करयल जाव मत्थए करयलपरिम्गहियं जाव अंजलि करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए करेइ अवसिझें तं चेव जाव निहिरयणाणं करेत्ता जाव गट्टविहिं करेत्ता जाव वेयड्ढगिरिकुमारस्स करेता जाव सिंधूए कामगमाणं जाव मणोरमाणं किण्हचामरझया जाव सुक्किल' केणठेणं जाव सासए कोटुपुडाण वा जाव पीसिज्जमामाण कोडीए जाव दोहिवि पुढे ३१२२२ ३६ ५।३८ रायः सू० ४० ३२१२२ ३१२६ ३३१७८,१७६ शाव, हीवृ, ओ० सू० ६४ ४११०८ ३१८४ ३११६ ३२७२ ३१२६ ३२२६ २२६ ३१५६,५७ ३२६,२७ ७१४२ ७१४१ ३६,२०४ ሃ ५॥४६ ३२५ ओ० सू० २० ओ० सू० २० ३८८ ३१५१ ३२११४,१२६,५१५८ ३६१६४-१६६ ३३१८-२० ५१५८ शा ३६१८-२० ३१५२-५४ ३।१८-२० ७११७५ ७११७५ ४१२६ जी० ३१२८८ ४१३४ ४१२२, पुत्र, हीव ४११०७ जी० ३२२८३ ४११७२ ४११०८ ३२५ ३१५ ३१५ ३२५ ३.५ Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९४ कोहे वा जाव लोहे २०६६ पज्जो०७४ गच्छंति जाव नियमा ७१४०-४८ भ० ११२५८-२६६, शावृ गयवई जाव दुरुढे ३१२१५ ३१७ मामाइ वा जाव सण्णिवेसाइ २१२१ ठाणं ॥३६० गाहावइकुडप्पमाणं जाव मंगलावत्त ४।१६५ ४११८३; ही गुणेत्ता जाव तं चेत्र ७.३३ ७१३१ घडमुहपवत्तिएणं जाव साइरेग' ४११०,६१ ४॥२३ घाइय जाव दिसोदिसिं ३३११० ३३१०८ चंदिम जाव तारारूवा ७१५८ ७१५५ चंदे जाव संकममाणे ७७५,७८ ७१६६ चक्करयणदेसियमम्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ ३।१६३ ३३९३ चच्चर जाव महापह ३३२१२ ३॥१८५ चरइ जाव केवइयं ७.८० ७७६ चेव जाव गंधे ४११०७ जी० ३२८१ छत्तपडामा जाव संपट्ठिया ३३१७८ ओ० सू० ६४ जा पढममज्झिमेसु वत्तब्धया ओसिप्पिणीए सा भाणियन्वा २०१५८ २१५५ जुगमुसलमुट्टि जाव वासं ३।१२२ ३१११५ जुगमुसलमुट्ठि जाव सत्तरत्त २११४२ २११४१ जोएइ जाव कुलोबकुलं ७.१३६ ७.१३६ जोयणंतरिएहिं जाव जोयणज्जोयकरेहि ३६६ ३१६५ णरवई जाव सव्वे ३१३१ ३।२४ णवजोयणविच्छिण्णं जाव कयमालस्स ३१६६-७१ ३११८-२० णवजोयणविच्छिण्णं जाव खंधावारणिवेसं ३११८० ३११८ णवजोयणविच्छिण्णं जाब विजयखंधावारणिसं ३११६४ ३।१८ णवरं पम्हलसूमालाए जाव मउड ३२११ जी० ३।४४६ णाणामणिपंच जाव कित्तिमेहि २।१२७ २१५७ णिक्खममाणस्सवि जाव अप्पडिव ज्झमाणे ३।२०४ ३३१८६ णिरयगामी जाव अंत ११५१ ११२२ णिरयगामी जाव अप्पेगइया २११४८,४११०१ ११२२ णिरयगामी जाव देवगामी २२१२३ १।२२ णिरयगामी जाव सव्वदुक्खाणमंत २११२८ १२२२ णेया वेढो भरहस्स ३१७७ णो चेव णं तेसि मणुयाणं आबाहं वाबाहं वा जाव पगइभद्दया २१४१ २०३६ तयणतराओ जाव संकममाणे ७१६६ तलवर जाब सत्यवाह ३।१७८,१८८,२१६,२२१ ३।१० तहेव पविसंतो मंडलाई आलिहइ ३।१५८-१६० ३१६४-६६ तहेव सेसं जाव विजयखंधावार' ३११८ ७१८१ Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्य गरचियगं जाव अणगारचियग तित्थगरचियग जाव णिव्वाति तित्थगरचियगाए जाव अणगारचियगाए तित्थगरचियगाए जाव विउव्वं ति तिस्थगरसरीरगं जाव अणगारसरीरमाणि तित्थयरस्स जाव फुट्टिहीतिकटु तिसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवासंति तुरग जाव वणलयभत्तिचित्ताओ तुरियाए जाव उद्ध् याए तुरियाए जाव वीतिवयमाणा तेणेव जाव पच्चप्पिणं ति तेरसहिं जाव छेत्ता तोरणेणं जाव पवूढा दंडणायग जाव दूय दंडणायग जाव सद्धि दिब्बतुडिय जाव आपूरेते दिव्वा वा जाव पडिलोमा दुरंतपंतलक्खणे जाव परिवज्जिए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरि दुरुहिता जाव सीहासणंसि दुरुहित्ता तहेव जाव णिसीयंति दुस्समदुस्समाकाले जाव सुसमसुसमाकाले देवराया जाव पच्चप्पिणइ देवाणुप्पिया जाव अम्हे देवा य जाव विहरति देविड़ित जाव उवदंसेमाणे देविड़िढ जाव दिव्वं देवेण वा जाव अग्गिपओमेण वा जाव उद्दवित्तए नाणेणं जाव चरितणं पउंजित्ता जाव पम्हसूमालाए पउमवरवेइयाए जाव संपरिक्खित्ता पंड्यए जाव संखे पकरेंति जाव जहणणं पगिण्हित्ता जाव अट्ठम भतं पच्चत्यिमाभिमुहे जाव समप्पेइ पच्चथिमिल्लाए जाव पुढा २११११ २१११२ २।१०५-१०७, १०६ २।१०८ २०१०८ ५७३ श२०६ २।१०१ ३११३८ ३।११३ ५७० ७८०,८१,५३ ४१७७ ३९ ३१७७ ३।१७२ २६७ ३।१२२ ३३११४ ५१४१ ५४२ २।३ ५७१ ३११३८ ११३६ ५१४४ २६५ २११११ २९५ २।१०७ २।१०७ ५७२ ३१२०५ ११३७ ३।२६ ३।२६ ३।१३ ७.७६ ४१३५ शा ३६ ३।१४ पज्जो०७७ ३१२६ ३३५ राय० सू० ४७ ५२४२ २२ ३।१३ ३१२६ १.१३ राय. सू० ५६ राय० सू० ५६ ३।११५ पज्जो० ८१ शाव, जी० ३१४६६ ४१३ ३।१६७ ७५६,५७ ३३२० ६।२४ ४१ ३।१२५ २०७१ ५।५८ ४१२४२ ३११७८ ७।५६,६० ३।१८२ ६२४ ४१५५ Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ ११४८ ३३३३,३४ ३१२०० १०२० ३१२०,२१ पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुढे पच्चप्पिणइ सेसं तहेव जाव मज्जणघराओ पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति . पच्चुवसमंति एवं पुप्फवद्दलगंसि पुप्फवासं वासंति, वासित्ता जाव कालागुरुपवर जाव सुरवराभिगमणजोग्गं पडिणिक्खमित्ता जाव उत्तरपुरस्थिमं पडिणिक्खमित्ता जाव गंगाए पडिणिक्खमित्ता जाव दाहिणं पडिणिक्खमित्ता जाव पूरते पडिसाहरेमाणे जाव जेणेव पण्णत्ते सयणिज्जवण्णओ भाणियव्यो पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं पत्तेयं जाव अंजलि परामुसइ वेढो जाव छत्तरयणस्स परिगरणियरियमझो जाव तए परिभुज्जमाणाण वा जाव ओराला पवरवाहण जाव सेणाए "पवरवीर जाव दिसोदिसिं पाईणपडीणायया जाव पच्चस्थिमिल्लाए पाउप्पभाए जाव जलते पारेत्ता जाव सीहासणवरगए पासाईयाओ जाब पडिरूवाओ पामादीया जाव पडिरूवा पिंडिम जाव पासादीयाओ पीइमणे जाव अंजलि पुष्फारुहणं जाव वत्थारुहणं पुरथिम जाव पुढे पेच्छिज्जमाणे एवं जाव णिग्गच्छइ जहा ओववाइए जाव आउलबोल बहुलं ५७ राय० सू०१२ ३११४० ३।४३ ३।१४६ ३१४३ ३।१३६ ३१४३ ३३५१ ३४३ राय० सू०५६ ४१३ जी० ३.४०७; शावृ २११४२ २१४१ २११४३ २११४१ ३३२०६ जी० ३।४४६ ३२११६ ३६२ ३।१३१ ३।२४ ४११०७ जी० ३।२८१ ३२२१ ३३१७ ३।१०६ ३११०५ ४११ १।१२० ३११८८ ओ० सू० २२ ३१५८ ३।२८ २।१५ १८ २।१४ २।१२ ओ० सू०७ ३।१६ ३॥८८ ३।१२ ४११८ श २०६५ पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए पोसहसालाए जाव णमि पोमहसालाए जाव णिहिरयणे पभिइओ तेवि तह चेव णवरं दाहिणिल्लेणं फामपज्जवेहिं जाव परिहायमाणे वंभयारी जाव अट्ठमभत्तिए ३१६३ ३११३७ ३११६६ ३१२०६ २।१३० ३२८४,८५ ओ० सू० ६६ वाचनान्तर; वृतित्रय ३१५४ ३१५४ ३१५४ ३।२०५ २१५१ ३२०,२१ Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंभवारी जाव कमालगं बंभयारी जाव दम्भ संथारोव गए बहवे जाव करेंति बहवे जाव सत्यवाह बहुमण्झसभाए जाव उम्मुग्ग बहुसंघणा जाव अप्पेगइया बहुसमरमणिज्जे जाव भविस्सइ, मणुयाणं जा चेव ओसप्पिणीए पच्छिमे विभागे वसन्या सा भाणियव्या कुलगरवज्जा उसभमामिवञ्जा भगिणी मे जाव संगंथ संथ या भवन जाव वैमाणिएहि भवन जाव अट्ठाहियाओ भवणवइ जाव जे भणवइ जाव तित्थगर जाव भारग्गसो भवणव जाव देवेहि भवणवइ जाव भारहगा भवणव जाव वेमाणिए भवणवइ जाव वैमाणिया साहारा जाव कहि ● मग्गे जाव समुद्दव भूयं मडंब जाय जोवनंतरियाह मणगुले जाव गुत्तबंभवारी मणुण्या जाव गंधा महज्जुईए जान पलिओवमट्ठिए महज्जुईए जाव महासोक्खे महज्जुईया जाब महासोक्खा महया जाव आहेबच्चं पोरेवच्च जाव बिहरा [हित्तिकट्टु महया जाय जमाणे महाणईओ तहेब गवरं पच्चत्थिमिल्लाओ महामेहणिग्गए जाव मज्जणघराओ महिडीए जाव पो ७६७ महिड्ढीयं जाव उद्दवित्तए माडंबिय जाव सत्थवाह ० य जाव घेता रमणकुच्छिधारिए एवं जहा दिसाकुमारीओ जाव ण्णास ३।७१ ३५४ २।११५ ३।१० ३।१६१ १५० २०१५६,१५७ २६६ ४१२४८ २।१२० ५।७३ २१११० ४/२५२ ४१२५० २।१०१, १०२, ११४ २०६६, १००,१०२,१०४,११,११६ २।१३७ ३।१०६ ३|१८० ३।६८ ४१०७ ३।२५६ ३।११५ ११३१ ३।१८५ ३।१८७ ३।१६१ ३।२१ ३।१२५ ३।१२४ ३।८६ ७१८२ ५/४६ ३/६३ ३१२० २।११४ ३।१७८ ३८१७ १।२२ २५७,५८ ० २।१।५१ शाबू ४।२४५ २.११६ ५७२ २१०६ ४१२४८ ४।२४८ २६५ २६५ २/१३५ ३।२२ ३.१५ पज्ज०७८ ज०३२०१ १।२४ १४२४ १।२४ शावृ ३१८२ ३।६७ ३६ ३।११५ ३।११५ ३.१० ७१७६ ५ Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१३८ ३१८६ २११५७ ३१३२ ३३१९८ ३।१३६ ३६१७३ रा० सू० १२ ४१२५ ३६१० २।१२८ ३।१३ ३११३ ३२७ ३३३१ ३३१३३ ३।२६ ५१४३ (राय० सू० ५४, शावृ रयणाणं जाव संवट्टगवाए रययाम यकूले जाव पासाईए जाव पडिरूवे राईसर जाव सत्यवाह रायधम्मे जाव धम्मचरणे राया जाव तमाणत्तियं राया जाव पच्चप्पिणंति राया जाव पडिविसज्जेइ राया जाव पास इ रुटठे जाव पीइदाणं सम्वोसहि च मालं गोसीसचंदणं कडगाणि जाव दहोदगं रूवेहिं जाव णिओगेहिं रोहिया णं जहा रोहियंसा पवहे य मुहे य भाणियब्वा जाव संपरिक्खित्ता लवणं जाव समप्पेइ लुहेता एवं जाव कप्परक्खगं लोगपालेहिं जाव चउहि वंदणघडसुकय जाव गंधुद्ध याभिरामं वंदेज्ज वा जाव पज्जुवासेज्ज वणसंडेणं जाव संपरिक्खित्ते वणसंडेहि जाव संपरिक्खित्ते वण्णपज्जवेहिं जाव अणंतगुण' वण्णपज्जवेहिं जाव परिवढेमाणे वण्णपज्जवेहि तहेव जाव अणंतेहिं उढाणकम्म जाव परिहायमाणे वण्णपज्जवेहिं तहेव जाव परिहाणीए वण्णेणुववेए जाव फासेणुववेए वाइय जाव दिब्वाई वाइय जाव मुंजमाणा वाइय जाव भोगभोगाई वालग्गे एवं हेमवयएरण्णवयाणं मणुस्साणं पुवविदेह अवरविदेहाणं मणुस्साणं वित्थडा तं चेव जाव तीसे विमलदंडं जाव अहाणुपुब्बीए विसयवासी जाव अहण्णं विसुद्धरुक्खमूलाई जाव चिठ्ठति ४१७२ ४१३७ ५।५८ रा. ३१७ २०६७ ४१७६ ४१५६ २१५४,१३८,१४०,१५३ २।१४६ ४१४३ ४१३५ शाव, जी० ३।४४६ ॥१६ ओ० सू० ५५ शाव ४॥३१ ४१३१ २२५१ २२५१ २२१२१ २।१२६ २०१८ ७१८२ ७।५८ २१५१ २१५१ जी० ३१५६६ ५।१८ ५।१८ ११८ २१६ ७१३३ ३११७८ ३१३३ २२६ ७१३१ ओ० सू० ६४ ३३२६ Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीइक्कंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे वीरिय जाव केवलकप्पे देउब्विय जाव समोहनति वेदिम जान विभूतियं वेलेण वा जाव कसेण वेरुलियविमलदंडं जाव धूवं संथरइ जाव कयमालस्स सकोरंट जाव चाउचामर" सक्कस्स जाव अंतियं सक्करा वा जाव मणु सक्के जाव आसणं सक्के तं चैव जाव अंतियं सखिखिणीयाई जाव जएणं सच्चैव सव्वा सिंधुवत्तव्वया जाव णवरं कुंभट्टसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयण भत्तिचित्ताणि य दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चैव जाव महिमत्ति सण्णद्धबद्धवम्मियकवया जाव गहियाउह सहावेत्ता जाव अट्ठाहियाए महामहिमाए सहावेत्ता जाव पोसहसालं समचउसे जाव तिक्खुत्तो आदाहिणपयाहिणं करेइ वंदति वंदित्ता जाव एवं समाणीए जाव पच्चत्थिमं समाणे जाव सरसगोसीस समाणे सेसं तहेव सम्माणेता जाव पुरोहियरवणं समंत जाव फलवित्तिविसे सब्वज्जुईए जावणिग्पोसणाइयरवेणं सव्वबलेणं जाव निग्धोसनाइएणं सहइ जाव अहियासेइ सहस्सा जाव समपैति सासया जाव णिच्चा सिंगारागार जान त्तोववार कुसल सिघाउन जान एवं सिंपादन] जाब महापह सिज्यंति जाव अंतं सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणमंत 022 २८८ ३।१८८ ३।१६२ ३।२११ २६७ ३३८८ ३२८४ ३६ ५।२२ ३६८ ५।२१ ५।२६ ३११३८ ३।१४१-१४६ ३।१२४ ३१५८,५१ ३१८०-१८२ ११५,६ श६८ ३१८२ ३०३६ ३।२१६ १।३० ३।१८० श७५ २१६७ ६।२६ ११११ ३११३८ ५।७३ ३३१८५,५७२ ४ १०१ ११५०, २०५८ शह ३११८८ ३।१६२ जी० ३२४४९ शाबू ३।१२ ३१२० ओ० सू० ६३ ५।२० ३६८ ५।२० ५२२ ३१२६ ३।५२-५६ ३।७७ ३१२८,२६ ३।१८-२० भ० ११६,१० २०४३ शाब् ३२२ ३।१८६ १|१३ ३।१२ s पज्जो० ७७ ६२६ ११४७ २१५ ५४७२ ओ० सू० ५२ १।२२ १।२२ Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८.० ५३५ ३।८८ ३११७८ ४१२८ ३।११६ २।२०६ २१६६ २११५६-१६१ २११६२,१६३ ३।२०५ २।९०,१५८ ७१५५ ३१०८,२१० ३१२०६,२१५ राय० सू०१२ ३३१२ ३११२ जी० ३२८७ ३७६ जी० ३१४४४ सू० २।११५० २।५०-५२ २१५०,७ ७१५५ ३।१७८ ३।१८८ सिया जाब तहेव जं सिरिवच्छ जाव कयग्गह सिरिवच्छ जाव दप्पण सिरिवच्छ जाव पडिरूवा सिरिवच्छसरिसरूवं वेढो भणियन्वो जाव दुवालस सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं जाव महया सुवणं मे जाव उवगरणं सुसमा तहेव सुसमासुसमा तहेव सुस्सूसमाणा जाव पज्जुवासंति सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ सूरिय जाव तारारूवा सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे सेणावइरयणे जाव सत्थवाह. सेणिपसेणिसद्दावणया जाब णिहिर यणाण अट्ठाहियं महामहिमं करेइ हट्ट करयल जाव एवं हट्ठ जाव सोमणस्सिए इट्ठतुटुचित्तमाणदिए जाव करयल' हतचित्तमाणदिए जाब विणएणं हदतचित्तमाणंदिया जाव हियया हट्टतुट्ट जाव कोडुबिय हट्ठतुट्ठ जाव पोसहसालाओ हट्टतुटु जाव हियए हट्टतुटु जाव हियया हत्थिखंधवरगया जाव घोसंति हयगय जाव सण्णाहेत्ता हयगयरह तहेव अंजणगिरि हयगयरहपवर जाव चाउरंगिणि यमहिय जाव पडिसेहिया हरिय जाव सुहोवभोगे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे जाव अमरवइ° सूरपण्णत्ती सव्वम्भंतराए जाव परिक्खेवेणं एवं एग दीवं एग समुई अण्णमण्यास्स अंतरंकट्ट ३६ ३८ ३३५ ३।१६८,१६६ ३१५८,५६ ३१८ ३३५; ओ० सू० ५६ ३५ ३३७७,८४ ३.१०० ३११६ ३।११४ ३।३१,१७३ ३.१६६ ३१५ ३१५ ३१५ ५।२७ ३३५ ३१२१३ ३२२१२ ३३१६६ ३३१५ ३।१७५-१७७ ३१५-१७ ३१७७ ३११५ ३११११ ३।१०८ २।१४६ २११४५ ६।६३,१८० ३।१८ १११४ १०२० जं० ११७ १२० Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०१ ११२४ ४४ ४१६,७ ११२४ ४।३ ४६३,४ ४१७ १५।१४ राइंदिए तहेव तीसे तहेव जाव सव्वबाहिरिया उड्ढीमुहकलंबुयापुष्फसंटिता तहेव जाव वाहिरिया सेसं तहेव अणुपरियट्टित्ता जाब विगतजोई गह जाव तारारूवा वाइय जाव रवेणं सव्व जाव चिट्ठति ममचकवालसंठिते जाव णो सव्वतो जाव चिट्ठति ममचक्कवाल जाव णो १६।२६ १६१२६ १६२८ १५१० १६॥२३ १६।२३ १९४२ १६॥३ १६२६ १६।२ १६.३२ १९८३३ १६।३ उवंगा अंतरं वा जाव मम्म १६६६ अंतराणि जाव पडिजागरमाणे १११०५ अंतिए जाव पडिबज्जइ ३।१०४ अगाराओ जाव पव्व इत्तए ३।१०६ अज्जग जाब उवसंपज्जित्ता १२११६ अज्जाणं जाव पब इत्तए ३।१०६,१३८ अज्झथिए ३।२६ अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था ११५३।४८,५०२५५३५ अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता ॥३७ अणगारे जाव अप्पाणं ५१३२ अत्तए जाव वेहल्लं ११११४ अपत्थियपत्थए जाव परिवज्जए १८१ अम्प्रयाओ जाव अंगपडिचारियाओ निरवसेसं भाणियव्वं जाव जाहे वि य णं तुमं वेयणाए अभिभुए महया जाव तुसिणीए ११७४-८७ अम्मयाओ जाव एत्तो ३११०१ अम्मयाओ जाव जम्म १२३४ अयमेय रूवे जाव समुप्पज्जित्था ११५१,६६,३।१०६ असण जाव सम्माणेत्ता ३१५० अहं जाव पवइत्तए ४११४ अहापडिरूवं जाव विहरति श२६ आएहि जाव ठिई ११४३ १२६५ १।६५ ३११०३ ३।११८ १५१०६ ३३१०६ १२१५ रायः सू०६ १११५ भ० ११५१ ११११० उवा० २०२२ ११३४-६२ ३१६८ ना० ११११३३ १११५ ना० १७।६ ३३१२८ ३।६६ ११४१ Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ वृत्ति २।३ आघवित्तए वा जाव विण्णवित्तए ३१०६ ३३१०६ आरंभेहि जाव एरिसरण १।१४० ११२७ आलोएहि जाव पायच्छित्तं ३१११५ ठाणं ३१३३८ आसाएमाणीओ जाव परिमाएभाणीओ ११३४ वि० ११।२६ आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धण ११२२ आहारपज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए ३११५ राय० सू० ७६७ आहेवच्च जाब विहरइ ५११० ना० १६५६ इच्छिए जाव अभिरुइए ३३१३ ना० १११।१०२ इट्ठाहिं जाव वगृहिं १४४ ११४१ इमेयारूवे जाव संकप्पे ३।६८ १३१५ उखेवओ ३८८,१५४,१६७ ३२२० उक्खेवओ ४।३।५।३ उक्खेवओ जाव दस ४११,२ २१,२ उक्खेवओ भाणियचो ३१२३,२४ ३।२०,२१ उड्ढे जाणू जाव विहरइ ओ० सू०८२ उबट्टवेत्ता जाब पच्चप्पिणंति १।१७,१८ राय० सू० ६६०,६९१ उवट्ठवेत्ता जाव पच्चप्पिणह ४।१६ १११७ एयारूवे जाव समुपज्जित्था ११५४ १५१५ एवं मारेउ बंधेउ २७३ एवमाइक्खइ जाब परुवेइ १९९८ ओ० सू० ५२ ओग्गहं जाव विहरंति ३११३२ ३११ ओहय जाव झियाइ ३१६८ १४१५ ओहयमण जाव झियाइ १११५ वृत्ति कंता जाव भंड ३०१२८ ना० ११०२०६ कयवलिकम्मा जाव अप्प० श१६ ओ० सू० २० करयल० ११३६:५८ ; ३१०६१३८, ५११६ करयल० १६४५,४।१५ १४५ करयल० १५१०७ ओ० सू० २० करयल जाव एवं १६६ करयल जाव कटु करयल जाव पडिसुणेता ११४५ ओ० सू० ५६ करयल जाव बद्धावेंति ११२२ १।१०७ करयल जाव वद्धावेत्ता श११६ १२१०७ काणि जाव वेहल्लं १६११२ १११११ कुणिएणं करयल जाव पडिसुणेत्ता ११४५ गामागर जाव सविणवेसाई ३।१०१ ओ० सू० ८६ चउत्थ जाव अप्पाण ५।२८ २०१० १७३ वृत्ति १२१०८ Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०३ २०१० राय० सू० ६८६ ३।४८ २०१० ५१३६ २११० ११० ना० ११११२०१ ४११८ १११५ १११०६ भग० १२०५-२२१ चउत्थ जाव भावेमाणे ३.१४ चरमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जाव अहापडिरूवं श२ चिण्णाई जाव जुवा ३१५० छ? ४/२४ टुट्ठम जाव मासद्ध ३।८३ हम जाव विचित्तेहि छट्टम जाव विहर २११० छत्तादीए जाव धम्मियं १६ जइस्सइ जाव कालं श२१ जहा पढम जाव वेहल्लं ११११३ जहा पण्णत्तीए । सामिलो निग्गओ खंडियविहणो जाव एवं वयासी.-- जता ते भंते ! जवणिज्जं च ते भंते ! पुच्छा । सरिसवया मासा कुलत्था एगे भवं जाव संबुद्धे ३।२६-४५ जहा भगवया कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोविए १।१४० जहा सिवो जाव गंगाओ ३१५६ व्हाए जाव सव्वालंकार' १२७० व्हायं जाव पायच्छित्तं ३३११० पहाया जहा कालादीया जाव जएण' १२१२६,१३० व्हाया जाव पायच्छित्ता १।१२१,५११६ तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए ३२५५ तं चेव जाव निवेयणे तं चेव भाणियव्व जाव वेहल्लं ११११० त चेव सखंधावारे ११११६ तं चेव सव्व भाणियब्वं जाव आहारं अहारेइ, नवरं इमं नाणत्तं -दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्यियं अभिरक्खउ सोमिलं महापरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ त्ति कट्ट दाहिणं दिसि पसरइ। एवं पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पच्चत्थिमं दिसि पसरइ । उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव उत्तरं दिसिं पसरइ। पुवदिसागमेणं चत्तारि वि दिसाओ भाणियब्वाओ जाव आहार आहारेइ ३१५३, ५४ तलवर जाव संधिवाल श६२ तलवर जाव सत्यवाह ३।१०१ तवसा जाब विहरंति ३२९६ ११२२ ३३५१, भग० १११६४ ओ० सू०७० ११७० ११२१,१२२ ११७० ३।५५ ११६१ १।१०६ १२११५ ३१५१ ओ० सू० ६३ ११६२ Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ ओ० सू० ५२ १०७ ओ० सू० ८१ ११८ तहारूवाणं जाब विउलस्स १११७ तहेव भाणियब्वं जाव बेहल्लं १।१०८ तिक्खुत्तो जाव एवं ११२१ ते जाव पच्चप्पिणंति ४.१७ दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए १।१५ दंतिसहस्सेहि जाव मणुस्सकोडीहि १११३६ दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं ११२१ दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावण्णाए १।१३७ दिव्या जाव अभिसमण्णगया ३१८५ दुज्जाएहि जाव नो संचाएमि विहरित्तए ३११३४ दुरंत जाव परिवज्जिया ११११५ देवसयणिज्जसि जाव ओगाहणाए ३८३,४१२४ देवसयणिज्जसि जाव भासमणपज्जत्तीए ३११६११६२ देविड्दी जाव अभिसमग्णामया ३३१२२ देवी जाव कहि ४१२६ देवे जाव एवं ३७५,७६ नमसंति जाव पज्जुवासंति ५।३६ नरए जाव नेर इयत्ताए ११४० नाइ जाव रवेणं ४।१८ निवखेवओ ३८७,१६६ १७०४।२७ ; ५१४३ निसम्म जाव हियया १२२१ नीय जाव अडमाणे ३।१३३ पढम भणइ तहेव ३७७ परिजाणइ जाव तुसिणीए ३॥६१ पवर जाव पच्चप्पिणति ५११८ पासादीए जाव पडिरूवे पुप्फ जाव दरिसणिज्जे पुधरत्ता जाव समुप्पज्जित्था ११६५ पुल्वाणपुचि जाव अंबसालवणे विहरइ ३।२६ बहुपडिपुण्णाणं जाव सूमालं ११५३ बहण नगरनिगम जहा आणंदो ६।११ बुज्झिहिइ जाव अतं १।१४१ बुझिहिइ जाब सव्व ५.४३ भगवं जाव पज्जुवासामि १२१७ भवित्ता जाव पब्बयाइ ३।११२ भवित्ता जाव पब्धयाहि ३।१३६ श१४ २१४ १११४ राय० सू० ७६७ ३।१३१ ११८६ ३२१२० ३१८३,८४ ३१८४ ३.१२५ ३१५७,५८ ओ० सू० ५२ १२६ ३११११ ३३१६ ओ० सू० ८१ ३११०० ३१५६ ३१५६ १११२३ ना०११५२४ ११५१ ओ० सू० ५२ ओ० सू० १४३ उवा० १।१३ ओ० सू० १५४ ओ० सू० १५४ ओ० सू० ५२ ३११०६ Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीए जाव संजायभए भीया जाव देवापियाण भोगभोगाई जाव विहरामि मज्जणघरे जाव दुरूढे मुंडा जाव पठाइ मुंडा जावयामि मुंडा जाव पववाहि मुंडे जाव पव्वइत्तए मुच्छिया जाव अन्ोववण्णा मुच्छिया जाव अमंगणं रज्जं च जाव जणवयं रज्जसिरि जाव विहरामि जेण वा जाव जणवएन राईमर जाय मरवाह लोह जाव गहाय मुंडे जाव पन्त्रइए लोह जाव घडावेत्ता जाय उसवेत्ता लोह काय दिसापविवय" वसही जाव वद्धावेता वाणारसीए जाव पुप्फारामा य जाव रोविया विउलाई जाव विहरामि विउलाई जाव वित्तिए संकाइय जाव कट्ठमुद्दाए संजमेणं जाव विहर सण जाव गहियाउह० सद्द जाव विहरइ सद्धि जाव भुजमाणी समाणी जाव पन्त्रइत्तए समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए सीयं जाव विविहा सुरं च जाव पसण्णं मोल्लेहि य जाव दोहलं हट्टु जाव हियवा हीलिज्जमाणीए जाव अभिक्खणं ८०५ शह ४१६ ३ १०६ ५११६ ४११६ ३।१३६ ३।१०७,१३६ ५३२ ३।११४,११५ ३।११६ १।१४ १।७१ ११६६ ५।२० ३।५५ ३।५५ ३५० १।११० ३।५५ ३।१०६ ३।१३१ ३०६२ ११२ ११३८ ५।२० ३।१३१ ३।१०८ ३।८४ ३।१२८ ११२४ ११४६ ११४२ ३११२८ ३।११८ ना० १।१।१६० ३।११२ शहद १।१२४ ३।१०६ ३|१०६ ३।१०६ ३।१०६ ना० १११६१२८ ३।११४ ११६६ ११६५ १/६६ ११६२ ३।५० ३३५० ३१५० राय० सू० ६८३ ३।४८ २३२२८ ३।१३१ ३१७३ राय० सू० ६८६ राय० सू० ६६४ ओ० सू० १५ ३१३० २०१०६ २३।१५ ना० १।१।२०६ वि० १२:२६ १।३४ ओ० ० २० ३।११७ Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट ३ Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमाणविधि • अव्यय, सर्वनाम का साक्ष्य-स्थल का निर्देश प्राय: एक बार दिया है। • रूट (1) अंकित शब्द धातुएं हैं । उनके रूप भी दिए गए हैं । ० शब्द के बाद साक्ष्यस्थल .. पण्णवणा पहला प्रमाण पद का, दूसरा सूत्र का और तीसरा श्लोक का परिचायक है। जंबुद्दीवपणती... पहला प्रमाण वक्खार का, दूसरा सूत्र का, तीसरा श्लोक का परिचायक चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती -पहला प्रमाण पाहुड का, दूसरा सूत्र का, तीसरा प्रलोक का परिचायक है। उवंग अंक १ निरयावलियाओ, अंक २ कापडिसियाओ, अंक ३ पुपियाओ, अंक ४ पुष्फलियाओ, अंक ५ वण्हिदसाओ का परिचायक है। दूसरा सूत्र का प्रमाण, तीसरा श्लोक का है। अध्ययन (पद, वखार) आदि के परिवर्तन का संकेत (B) सेमिकोलन है। जहां एक सूत्र में अनेक श्लोक आ गए हैं वहां आगे के सूत्र की संख्या से पहले अध्ययन की संख्या भी दी गई है। जैसे उप्पल (उत्पल) पा० ११४६, १४४८१४४. १२६२ । शब्द पहले सूत्र में आया फिर उसी सूत्र के श्लोकों में आया तो उसके दोनों प्रमाण दिए हैं, जैसे --अइकाय (अतिकाय) प० २।४५, २०४५।२। Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ (अ) प ११६६७ अइ (अपि) प २१६४७ अइ (अयि) उ ११२६; ५।४० अइकंत (अतिकान्त) ज २।१५ अइकाय (अतिकाय) ५ २१४५,२१४शर अइगच्छमाण (अतिगच्छत् ) ज ३।२१७ अइगय (अतिगत) ज ३८१ अइछत्त (अतिछत्र) प २।४८ अइतेया (अतितेजा) ज ७१२०१२ अइदूर (अतिदर) ज २१६०; ३।२०५,२०६; अइपडागा (अतिपताका) ज ३१७ अइमुत्तग (अतिमुक्तक) ५ ११४ अइमुत्तय (अतिमुक्तक) १ १४४०१३ अइमुत्तय (लता) (अतिमुक्तकलता) प १३६१ अइरत (अतिरात्र) सू १२॥१७११ अइरित (अतिरिक्त) उ ५६४५ अइरेक (अतिरेरु) ज २११५ अइवइत्ताण (अतिव्रज्य) प ३४११६ अइविकिट्ठ (अतिविकृष्ट) उश११० अइविगिट्ठ (अतिविकृष्ट) उ १११२६,१३३ अइसीय (अतिशीत) ज ७।११२११ अइ (अति- इ) अईइ ज ३.१५७,१८६ अईव (अतीव) ज २१८,६; ७।२१३ उ ३.४६ अउज्झ (अयोध्य) प २।३०,३१,४१ अउणतीस (एकोनत्रिंशत्) सू २१३ अउणत्तर (एकोनसप्तति) ज ६:१० अउणत्तरि (एकोनगप्तति) ज ७८२ अउणपणास (गकोनपञ्चाशत्) सू० १६७२२२ अउणाउति (एकोननवति) सू १२७ अउणागति (एकोननवति) सू १९।१४,१५११ अउणाणवइ (एकोननवति) ज ७७३ अउणापण्ण (एकोनपञ्चाशत्) ज ४।२४० सू० १०.१६३ अउणावीस (एकोनविंशति) सू २।३ अउणासीई (एकोनाशीति) ज १७११ अउणासीत (एकोनाशीति) सू श२७ अउणासीति (एकोनाशीति) सू २१२१३ अउणासीय (एकोनाशीति) ज ४।२३४; ७।१६ अउण्णापण्ण (एकोनपञ्चाशत) १ २०६४ अउय (अयुत) ज २।४; ७.१७८ अउयंग (अयुतांग) ज २४ अउल (अतुल) ज ३।६५,१५६ अओज्झ (अयोध्य) ज ३६११७, ४२१२ अंक (अंक) प १॥२०॥३, २।३०,४८,४६; १७।१२८ ज २११५, ४२१२,२५५, ५१५ अंकमय (अंकमय) ज ७।१७८ अंकमुहसं ठित (अंकमुखसंस्थित) ज ७१३१, ३३ सू ४१३,४,६,७ अंकलिवि (अंकलिपि) प १९८ अंकवडेंसय (अंकावतंसक) प २१५१,५६ अंकावई (अंकावती) ज ४२०२१२,२११; ७।१७८ अंकिय (अंकित) प २।३० अंकुर (अंकुर) ५ ३६१६४ ज २११३१,१४४ से १४६ अंकुस (अंकुश) ज २११५; ३१३; ५॥३८; ७।१७८ अंकेल्लण (दे०) ज ३१०६ अंकोल्ल (अंकोल, अंकोठ, अंकोट) प १३५॥१, ११३७१५ अंग (अंग) प १९३।१,१११०१।६,८ ज २११४; ३१६,३५,१०६, २२१,२२२ उ १११२२,१२६; २११०; १२; ३।१४, १५०,१६१,१६६; २२८,३६,४१ अंगइ (अंगजित्) उ ३११०,११,१३,१४,२१ अंगण (अंगन) १ १११२५ ज २१६६%; ५५,७ Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंगद-अंतरगत अंगद (अंगद) प २१३०,४६ १८३,२०१,२१४ अंगपडियारिया (अंगपरिचारिका) उ ११३६,३७ अंजणा (अजना) ज ४:१५५।२,२२३३१ अंगमंग (अंगांग) ज २१६,११३ अंजणागिरि (अजनगिरि) ज ४१२२५२१ अंगय (अंगद) प २।३१,४१ ज ३१६,२११, अंजलि (अञ्जलि ) ज २१६५, ३३५,६,८,१२, २२२ १६,२६,३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२, अंगलोय (अंगलोक) ज ३८१ ७७,८१,८४,८८,६०,१००:११४,१२६,१३३, अंगा (अंग) उ १:१२२ १३८,१४२,१४५,१५१,१५७,१६५,१८१, अंगारग (अंगारक) प १४८ १८६, १८६,२०४ से २०६,२०६; ५१५, अंगुढ़ (अंगुष्ट) ज ३३१०६ २१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३, अंगुल (अंगुल) प ११७४,७५,८४, २०६४, १६,१०७,१०८,११६,११८,१२२; ३।१०६, २१६४।८; १२:१२,१६,२७,३१,३२,३७,३८%; १३८, ४११५, ५/१७ १५७ से ६,२२,४० से ४२; १८।४१,४३,६५, अंजलिपुट (अलिपुट) ज ३८१ ११७, २११३८,४० से ४३, ४८,६३ से ७१,८४, अंडग (अण्डज) ज ५।३२ ८६,६० से १२; ३३.१२,१३,१६,१७; अंत (अन्त) प ६.११०; २०१८; २११६०; ३६।६६,७०,७२ से ७४,८१ ज १७, २१६ ३६।८८,६२ जे श२२,२७,५०; २१५८, सू १।१४; १०।६३ से ७३; १६२२१७. ८४,१२३,१२८,१५१,१५७; ४११०१,१०३, उ ३८३,१२०,१६१, ४।२४ १७१,१७८,२०० सू ४।४,७, २०१२,७ अंगुलपुहत्तिय (अंगुलपृथक्विक) प १९७५ उ ११४२,१४१,१४७; ११३; ३१२१, अंगुलि (अंगुलि) प २।३०,३१,४१ ज २।१५; ८६,१५२,१६५, ५१४३ ३।६,१८४,१८६,२०४,२२२ अंतकड (अन्तकृत) ज २१८८,८६ अंगुलिज्जग (अंगुलीयक) ज ३।६,२२२ अंतकम्म (अन्त कर्मन्) ज ५१५८ अंगुलितल (अंगुलितल) ज ३१७,८८ अंतकर (अन्तकर) उ ११५४,७६ अंतकिरिया (अन्तक्रिया) प ११११५; २०११।१, अंगुलिय (अंगुलिक) ज ५५८ अंच (कृष्) अंचेइ ज ३१६ २००१ से ४,६ से १३,४०,४४,४६,४८ अंचिय (अञ्चित) ज ५१५७ अंतक्खरिया (अन्त्याक्षरिका) प ११६८ अंचेता (कृष्ट्वा ) ज ३१६ अंतगड (अन्तकृत) ज ३१२२५ अंज (अङ्ग्) अंजेइ उ ३३११४ अंतगमण (अन्तगमन) उ ११४२ अंतर (अन्तर) ५ २१३०,३१,४१, ११७० अंजण (अजन) प १०२०१२; १३१, १७।१२३ ज १:१७, ३१३,३५,२२१, ४।२७,४६, ज ४२०२; ५१५,२१ सू २०१२ उ ३.११४ १४०१२; ७।६,६५,८६,१६८,१७८,१८२ अंजणई (अजनकी) प ११४०१५ च ३११ मू० ११७।१,१५१६,२०,२१,२४,२७; अंजणकेसियाकुसुम (अजनकेशिकाकुसुम) १२, ११, १८।२०; १६।२२२८ प १७११२४ उ ११२४,४७,६५,६६,६८,९०,६२,१०५, अंजणग (अञ्जनक) ज २१११७,११६,१२० अंजणगिरि (अजनगिरि) ज ३११७ अंतरकंद (अन्तरकन्द) ५१४८६४२ अंजणगिरिकूड (अञ्जन गिरिकूट) ज ३।६१,१७७, अंतरगत (अन्तर्गत) सू ५११; ७।१ Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतरणई- अंतोमुहुत अंतरण (अन्तनंदी) ज ४।२१२ ५५५ अंतरदीव ( अन्तद्वीप ) प २०२९ ६६४ अंतरबीय (अन्तपज, दीपक ) प १०५,६६ ६।७२,८१,६७, १०८ १७/१७२ २१।७२ अंतरीचय (अन्तद्वीपज, दीपक) प १८४,०६ ६/७६ १७ १६२, २१।५४ अंतरवीहिय ( अन्तर्वोधिक) ज ३१७ अंतराय ( आन्तरायिक) २२२०२३१ ८,१२,२२,२४,५६,१३३,१५४, १५६,१६३, १६६,१७५१६६,११०,२०२, २४३१; २५१ ३ २६१,७ २७१.४ अंतरा ( अन्तरापथ ) प १६।२२ अंतराय ( अन्तराय) प २४ । १५ अंतरवास (अन्तरावास) उ ११००, १२६,१३३ अंतरिम ( अन्तरित) ज ३१८३१६५२६. १५१, १६०,१५० ११३४ ३३१४,८३,१२०, १६१ ४२४ अंतरिया ( अन्तरिका ) सू १६१२२/३० अंतक्खि ( अन्तरिक्ष) ज ३११४,२६,३०,३६, ४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२, ११२,१३६, १३८, १४०, १४५ १४६, १७२३३।६६ अंतवाल ( अन्तपाल ) ज ३।२६,३१,४७, ११३ अंतिम (अन्तिक ) प ३४।११,२१ ज ३२६,८,१३ ७७,८४,६१,१०७,११३ से ११५,१२५. १३८, १५३, १६६५/२२, २३, २६ से २८.७३ १।२१,२३,३७,४१,४५,८८, ११५११७, ११६,१२१,१२६ २१०, १२ : ३।१३,१४, २६, ५०, ५५,५७,६५, ६९, ७२,७५,७६, १०३, १०४,१०६ से १०८, ११२, ११८, १३४,१३६. १३८, १३१, १४८, १५०,१६१,१६१ ४१४, १६,२०,२८ ५१२८,३२,३९,४१,४३ अंतिया (अन्तिकतम् उ ३।११० अंतेउर (अन्तःपुर ) ज २१६४ ३१२२४; ५१५, ७ उ ११६,६३,९७,६५,१०५ से १०७,११९ अंतेवासि (अन्तेवासिन् ११५२१०२.८३ चं १० सू १५ उ १२,३ ५।२०, ४०, ४१ २२७, २० से २७. २३१६१, १२६, १७७, ३३।२७ मे २१ ज १।१३,१४,३१,३२२१०४०११,४१, ५०, ११४,११७,१३१, २३४, २४० ; ५।३२; ७१३१,३३,५५, १६८१४३, ४, ६, ७ १६।२२।१५,२१, ११।२३ २०१७ अंत (असर) प २०७४, २४ २९ से ३५, ४१, ४८ १८२,१५६,११० ८११ अंतोमुहत ( अन्तर्म से) व ४२,३,४,६,८,९,११, १२,१४, १५, १७, १८, २०,२१,२३,२४,२६, २७,२६,३०,३२,३३,३५,३६,३८,३६,४१,४२, ४४,४५,४७,४६,५०,५१,५३,५४,५६ से ६७, ६६ से १६४,१६६, १६७,१६९,१७०, १७२, १७३, १७५, १७६,१७८, १७६, १८१,१८२, १-४१०५, १०७, १००, ११०,११,१२३, ११४,१६,११७,११६,२००,२०२,२०३, २०५,२०६, २०६, २०१, २११,२१२,२१४, २१५,२१७, २१८, २२०, २२१,२२३,२२४, २२६,२२७,२२६,२३०,२३२,२३३,२३५, २३६,२३८,२३९,२४१, २४२, २४४, २४५, २४७, २४०, २५०, २५१, २५२, २५४, २५६, २५७,२५१,२६०,२६२,२६३,२६५, २६६, २६८, २६६, २७१, २७२, २७४, २७५, २७७, २७८, २००,२६१,२०३२८४,२६६, २८७, २८१,२०,२१२, २४३, २१५,२१६,२६८, २११६२०,२१; १८३, ४, ६, १,१०,१२, १४ से १६,१० से २४,२६ से २८,३० से ३६,४१ से ५४,४६,५७,२६,६१,६३ से ६७, ६६ से ७४,७६ से ७६,८३,८५,६०,९१,६३, २६,१०३ से १०५,१०७, १००, ११०, ११२. ११०,११३, ११४,१११, ११७,११६, १२०; २०१६३० २३६०,६२,६५,६७, ७२,७८,७६, १२३, १४७, १५८,१६२,१६५,१६२, १७०, १६, १८४ २८४७, ५० ३६६१,७६ जं २२८४,१२३, १२८, १४८, १५१ ४ १०१ Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ अंतोमुत्तग-अकिरिय अंतोमुहत्तग (अन्तर्मुहूर्तक) य १११७१ अंतोमुहुत्तद्धाउय (अन्तर्मुहूर्ताद्धायुष्फ) प ११७४ अंतोमुहुत्ताउय (अन्तर्मुहूर्तायुष्क) ५ ११८४ अंतोमुहुत्तिय (आन्तर्मुहूर्तिक) प १५।६१; २८१४,३:; ३६।२,८४,६२ अंतोवाहिणी (अन्तर्वाहिनी) ज ४।२१२ 'अंदोलाव (आन्दोलय) अंदोलावेइ उ ११६७ अंधकार (अन्धकार) ज ३६३,६५,१५७,१५६, १६३ सू १४१५ से ८; १६६५,६ अंधकारपक्ख (अन्धका रपक्ष) सू १३:१; १४१२, ३,५ से ८ अंधयार (अन्धकार) प २०२० मे २७ ज ११२४; अकंत (अकान्त) ज २११३३ अकंततरिया (अकान्ततरका) प १७११२३ से १२५, १३० से १३२ अकंतत्त (अकान्तत्व) प २८।२४ अकं तस्सर (अकान्तस्वर) ज २।१३३ अकंतस्सरता (अकान्तस्वरता) प २३१२० अकंप (अरम्प) ज २१६८,३७६.६ से १०१ अज्ज (अकार्य) ज २१३३ अकण्ण (अकर्ण) प ११८६ अकतिम (अकृत्रिम) ज २११२२,१२७, ४११००, १७० अकम्मभूमग (अकर्म भूमज) प ११८५,८७; ६७२ ८१८४,६५,६७,१०८,२१:५४,७२ अकम्मभूमय (अकर्मभूमज) १६७६; १७११६२, अकम्मभूमि (अकर्मभूमि) प ११८४,२१२६ अकयपुण्य (अकृतघुण्य) उ १११२३३१८,१०१ अंधयारसंठिति (अन्धकारसंस्थिति) ज ७।३३, से ३५ सू ४।६,७,६ अंधिया (अन्धिक!) प ११५१११ अंब (आम्र) प १३३५११; १६॥५५; १७:१३२, १३३ ज ३।११६ अंबट (अम्बष्ठ) प ११६४११ अंबर (अम्बर) ज ७१७८ अंबरतल (अम्बरतल) ज ३।१४,३०,४३,५१,६० ६८,१३०,१३६,१४०,१४६,१७२ अंबसालदण (अम्रशालवन) उ ३।२६,६,९५ अंबाडग (आम्रातक) प ११३६६१,१६।५५; १७११३२ अंबाराम (आम्राराम) उ ३४८ से ५०,५५ अंबिल (अम्ल) प १४ से ६,५१५,७,२०५; २८१२६,३२,६६ ज २।१४५ अंबिलसाय (अम्लशाक) ५११४४०२ अंबिलिया (अस्तिका) ज ३१११६ अंबिलोदय (अम्लोदकः) प ११२३ अंबुभक्खि (अम्बुर्भाक्षन् ) उ ३.५० अंस (अंस) उ १११३८ अंसु (अश्रु) ज २१६०, १०३,१०६,१०८ अकंटय (अकण्टक) ज २११२ अकरंडुय (अकर"डक) ज २२१५ अफरणया (अकारणता) उ ३.११५ अकविल (अकपिल) ज २११५ अकसाइ (स्क्रपायिन्) प ३१६८; १३.१६; १८१६७२८११३८ अकसायसमुग्धाय (अकषायसमुद्घात) १ ३६:४८ अकसायि (अकपायिन्) प ३९८ अकाइय (अकायिक) प ३१५०; १८२६ अकामय (अकामक) उ ३।१०६ अकामिय (अकामित) उ १४५२,७७ अकाल (अकाल) ज ३.१०४,१०५ अकालतालु (अकालतालु) ज ३।१०६ अकालपरिहीण (अकालपरिहीन) जं ५१२२,२६ से २८ अकित्तिम (अकृत्रिम) जं ११२१,२६,४६; २६५७, १४७,१५०,१५६ अकिरिय (अक्रिय) प १७१२५, २२।७,८,२६,३० Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अकुडिल-अम्गमहिसी ८१३ ३२ से ३४,३६,३७,४५ अक्खीण (अक्षीण) प ३६.८२ अकुडिल (अकुटिल) ज २०१५ अक्खोड (अक्षोट) प १६:५५ अकुश्वमाण (अकुर्वत्) मू २०१७ अक्खोस्य (अक्षोटक) प १७११३२ अकेसर (अकेसर) प २४८।४६ अक्खोभ (अक्षोभ) ज ३१३ अकोह (अक्रोध) ज २१६ अगंतूण (अगत्वा) प ३६।८३१२ अक्क (अर्क) प ११३७।३ अगंथ (अग्रन्थ) ज २१७० अक्कबोंदी (दे०) प ११४०१५ अगक्छमाण (अगच्छत्) सू २।२ V अक्कम (आ- अम्) अक्कमइ उ १।११६ अग (दे०) ५२१४,१३.१६ से १६,२८,१११७७ अक्कमाहि उ ११११५ ज २३१ अक्कमित्ता (आरम्य) उ ११११५ अगणि (अग्नि) प ११४८१५६; २०२० से २५ अक्किज्ज (अक्रेय) ज ३।१६७११३ अगणिकाय (अग्निकाय) ज २११०५ से १०८ अक्किट्ठ (अक्लिष्ट) ज २०४६ अगस्थि (अगस्ति) प १३८१२ ज २११० सू अक्कुस्समाण (आक्रोशत्) उ ३:१३० २०१८,२०८।४ अक्कोप्प (अकोप्य) ज २।१५ अगलहुय (अगुरुलघुक) प १५१५७ ज २।५१,५४, अक्कोसमाण (आक्रोशत्) उ ३१३० १२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४९,१५४,१६०, अवख (अक्ष) ज २६,१३४ ।। अक्खय (अक्षय) ज ११११,४७ ; ३।१६७,२२६; अगस्यलहुयपज्जव (अगुरुलघुकपर्यव) ज २११४६, ४१२२,५४,६४,१०२,१५६; २१ ७२१० उ ३४३,४४ अगरुयलहुयपरिणाम (अगुरुलघुकपरिणाम) अक्खर (अक्षर) ज २१६,१३४ प १३१२१,३० अक्खरपुठिया (अक्षरपुष्टिका, "पृष्टिका) १९८ " _ अगार (अगार) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५, अक्खाइया (आख्यायिका) प १११३४११ ८७ उ ३।१३,१०६ से १०८, ११२,११८, अक्खाइयाणिस्सिया (आख्याधिकानिश्रिता) १३६,१३८,१३६,४१४,१६, ५॥३२,४३ प११३४ अगारवास (अगारवास) ज २१८७ ; ३।२२५ अक्खात (आख्यात) प ११४६,६६,७५,८१ उ ३।११८ २।२१ से २६,३०,३२ से ३६,४१,४३,४६, अगुरु (अगुरु) ज २११०६,११० ४० से ५२,५५ से ५७.६० ये ६२ सू अगरलघुअणाम (अगुरुलघुक नामन्) १ २३५१ ३२१,१३३२ अगुरुलहुणाम (अगुरु लघुनामन् ) प २३।३८,११ अक्खाय (आख्यात) प ११५०,५१,६०,७६; अग्ग (अग्र) प २।३१ ज ११३७ , २०१२०,३३१२, २२०,३१,५०,५६ ज , १२६; ४१२१; १८,२२,३१,७६,८८,१०७,१२५ से १२८, ६.१०,११,१४,१५,१८ से २२,२६४,६३ १५१,१५२,१५६,१८० ८७ सू१०।१२७ अग्गंगुलिया (अग्रांगुलिका) उ ११५६,६१ से ६३ अक्खिव (आ-+-क्षिप्) अक्खिक्इ उ १५१०५ ८४,८६,८७ अक्खिविउकाम (आक्षेप्तुकाम) उ १६१०५ अग्गभाव (अग्रभाव) ज ७।१३२११. सू १०६४ १. टीका में अक्षस्प्टिका है। अग्गमहिसी (अ महिपी) प २।३० से ३३,३५, Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४ अग्गर-अच्चुय ४१, ४३,४८ से ५२ ज ११४५; २१६०, अचरित्ति (अचरित्रिन्) प १३३१४,१८,१६ ४.१५१; ५:१६,३६,४१,४४,५०,५२,५३; अचरिम (अचरम) प १११०३,१०६,१०७ १०६ ७।१६८१२,१८३,१८६ सू १८२१,२३,२४, ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, २०१६ १२३,३।१२३,१०।२ से १३,२१,२६ से ५३; अग्गर (दे०) प ११८६ १८११२७ अग्गल (अर्गल) सू २०१८ अचरिमंत (अचरमान्त) प १०।२ से ५,२१,२६,से अग्गसाला अग्रशाला) ज २।१०।४।१६६ अग्गसिहर (अग्रशिखर) ज ११३७ अचल (अचल) ज ३१६ से १०१,५१२१ अग्गहत्य (अग्रहस्त) ज २०१५ अचवल (अचपल) ज ५१५,७ अग्गाणीय (अग्रणीक) ज ३३१०७ से १०६ अचित्त (अचित्त) प ६१३ से १७,१६ ज २१६६ अन्गि (अग्नि) प २।३०।१,२।४०।२,६,११; अचित्तजोणीय (अचित्तयोनिक) प ६।१६ ३६।६४ ज २१६ ; ३।३,६५,११५,१२४,१२५ अचित्ताहार (अचित्ताहार) १२८।१,२ १५६; ५॥१६,५२,७१३०,१८६।३ उ ३४८, अचिरयत्त विवाह (अचिरवृत्तविवाह) सू २०१७ ५०,५१,६४ अचेलय (अचेलक) ज २०६६ अग्गिकुमार (अग्निकुमार) प १४१३१; १३ अचोक्ख (दे०) ज ५१५ ६.१८ ज २११०५,१०६ अच्च (अर्च ) अच्चे इ उ ५।अच्चेति ज० २११२० अग्मिदेवया (अग्निदेवता) सू १०१८३ अच्चंत (अत्यन्त) उ ११७२,७३,८७,८८,६२, अग्गिमाणव (अग्लिमानव) प २१४०१७ ३।४८,५०,५५ अग्गिमेह (अग्निमेघ) ज २।१३१ अञ्चणिज्ज (अर्चनीय) ज ७११८५ सू० १८१२३ अग्गिल (अग्निल) सू २०१८।५ अच्चणिया (अनिका) ज ४११४०११ अग्गिवेस (अग्निवेश्मन्) ज ७१११७,१२२१३, अच्चसण (अत्यशन) ज ७.११७१२ सू १०।८६४२ १३२।३ सू १०८४।३,१०।८६।३ अच्चासण्ण (अत्यामन्त्र) ज २१६०३।२०५,२०६, अग्गिसीह (अग्निसिंह) प २१४०१६ ५५८ अग्गिहोत्त (अग्निहोत्र) उ ३।५५,६३,७०,७३ अच्चासन्न (अत्यासन्न) ज ११६ अग्गिहोम (अग्निहोम) ज ५११६ अग्धा (आना )-अग्याति प १५।३८,४२ अच्चि (अचिस्) प १।२६२१३०,३१,४१,४६ अच्चिणेत्ता (अर्चयित्वा) ज ३८८ अग्घाडग (दे० अपामार्ग) प १।३७१४ अच्चिमालि (अचिर्मालिन् ) प २१५०,५४,५८ से६० अचंचल (अचञ्चल) ज ३।१०६ अचंडपाडिय (अचण्डपातित) ज ३।१०६ ज ७१८३ सू १८।२१,२४,२०१६ अच्चिसहस्तमालणीय (अचिस्सहस्रमालनीक) अचक्खदसण (अचक्षुर्दशन) प ५१५,७,१०,१२, ज४।२७,५२८ १४,१६,१८,२०,२१,४५,५३,५६,५६,६३, अच्च इंद (अच्युतेन्द्र) ज ५१५८ ६८,७१,७४,७८,६३,६७,२६।३,७.१०, १३,१४,१७,१६ से २१ अच्चुण्ह (अत्युषण) ज ७११२।१ सू१०।१२६।१ अचक्खुदंसणावरण (अचक्षुदर्शनावरण) प २३।१४ । अच्चुत (अच्युत) प १४१३५२१४६,५६,६०,३११८३ अचक्खुदंसमि (अचक्षदर्श निन् ) प ३।१०४; अच्चुतव.सय (अच्युतावतंसक) प २६५६ ५१४७,६५,८०,६६,११७,१८१८६ अच्चुय (अच्युत) प २१४६,५६,५६२,६३,४१२६४ Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अच्चुयग-अजीवपज्जव ८१५ से २६६६१३८,५६,६६,८५,८६,१८.७।१६; अजसोकित्तिणाम (अयश:कीर्तिनामन ) प २३१३८, १५८८,२०।६१,२११६१,३०,६१,६२२८८६; १२८ ३०।२६:३३।१६,२४,३४११६,१८ ज १९४; अजहण्ण (अजघन्य) प २३.१६१ से १६३ ज २११५ ५१४६,५४,५६,५८,५६ उ0000४१ अजहणशमणुक्कोस (अजघन्यानुत्कर्ष)प ४।२६७, अच्चुयग (अच्युतक) ज ५१४६ २६६; १।४२,४६,६४,७६,११२,११६,२४४; अच्चेत्ता (अर्चयित्वा) ज २।१२० ७।३०,१८:१०२,२३।६३;२८।६७ अच्छ (रुक्ष) प ११६६।११।२१ ज २॥३६,१३६ अजहण्णमणुक्कोसगुण (अजघन्यानुत्कर्पगुण) अच्छ (अच्छ) प १९३।४:२१३०,३१,४१,८६,५० प ५।३८,६०,७५,१०,१०८,१२१,१६८,२०१, ५२,५८,५६,९३,६४ ज से १०,०३,३१, २०४,२०८,२१२,२१५,२१६,२२२,२२५,२४३ ३५,५१:३।१२,८८,१०६,१६४,४११,३,७.१२, अजहष्णमणुक्कोसद्वितिय (अजघन्यानुत्कपस्थितिक) १५,२४,२५,२८ से ३१, ३ से ४१,४५,५७, प १।३५,५७,७२,८७,१०५,१७५,१७८,१८२, ६२,६४,६६ से १८,७४ से ३६,८६,८८,६१ १८५,१८८,२४० से १३,१०३,११०,११४,५१८,१४३,१५६ अजहण्णमणुक्कोसपदेसिय (अजघन्यानुत्कपंप्रदेशिक) १७८,२०३,२०६,१३,१८,२४२,२४५, प ५१-३१,२३२ २५१,२५२,२६०१:५१५८,७५५ म् ॥3 अजहण्णमणुक कोसमति (अजघन्यानुत्क मति) १६२३ प ५१६४ अिच्छ (आस् ) अच्छेज्ज प २०६४।१६ अजहण्णमणुक्कोसोगाणग (अजघन्यानुत्कर्ष वगाहअच्छत्तय (अछत्रक) उ ५।४३ नक) प ५१७१,१७२,२३६,२३७ अच्छरगण (अप्सरोगण) प १३०,३१,४१ ज १।३१ " अजहण्णमणुक्कोसोगाहणय (अजघन्यानुत्कर्षावगा हनक) प ५१५०,५४,६६,८४,१०२,१५५,१५८ अच्छरसातंडुल (अप्सन सतण्डुल') ज ३११२,८८; ५।५८ १६०,१६४,१६७,१७२,२३७ अच्छरा (दे०) प ३६१८१ अजहष्णुक्कोस (अजघन्योत्कर्ष) प ४६४,६८ अच्छरा (अप्सरम्) प ३४।१६ से २४ उ ५१५ अजहण्णुक्कोसोगाहणग (अजघन्योत्कर्षावगाह्नक) अच्छि (अक्षि) प ११४१४७,१२२५ च १३१ ज प ५१३१,३२ अजहण्णकोसोगाहणय (अजघन्योत्कपीवगाहनक) २१४३,३११७८,७१७८ उ० ३.११४ अच्छिण्ण (अच्छिन्न) प १५१४० से ४२ प ५।३२,१६१ अच्छिद्द (अछिद्र) ज २११५ अजाइय (अयाचित) उ० ३।३८ अच्छिरोड (अक्षिरोट) प ११५१ अजावणिज्ज (अयापनीय) ज२११३१ अच्छिवेह (अक्षिवेध) प ११५१ अजिण (अजिन) ज २७८ अच्छी (ऋक्षी) प १११२३ अजिम्ह (अजिह्म) ज २०१५ अच्छेरग (आश्चर्य) ज २११५ अजिय (अजित ) ज० ३।१८५,२०६ अजीरग (अजीरक) ज २४३ अजर (अजर) प २१६४।२१ अजीव (अजीव) प १३१०१।२,१५१५७ ज २१७१ १ अच्छो 'रसो येषां ते अच्छरमाः प्रत्यासन्नवस्तु २०११उ ३।१४४५॥३४ प्रतिबिम्बाधारभूताइवातिनिर्मला इतिभावः अजीवपज्जव (अजीवपर्यव) T५१,१२३से १२५, टीका पत्र १६२ २४४ Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१६ १३०१,२१,११ अजीवपण्णवणा (अजीवाना) ११ से ४१ अजीव परिणाम (अजीपर) अजीवमिस्सिया (अजीवमिश्रिता ) प ११३६ अजोगवा (अयोगता ) प ३६४१२ अजोगि (अयोगिन् ) प ३९६ १३१६, १००५८ २८११३८ अजोगकेवली (अयोगिकेवलिन् ) प ११२०८, ११०. १२१,१२३ अजोगिभवत्थकेवलि ( अयोगिभवस्थ केवलिन् ) १०१०१ १०३ अजोणि (अयोनि ) प ६१६ अजोणिय ( अयोनिक) प ६।१२,१६,२५ अज्ज ( अद्य) ज २११४६ सू १०।१६२ से १६६ उ ११४२ अन्न (आ) ज ३।१२४७२१४ अजय (अजंक) ज ५४७२,७३ अग (आक) उ १।१०५ से १०७.११९ अज्जम ( अर्थमन्) ज ७२१२०, १८६४४ अज्जमदेवता ( अर्थमदेवता ) सू १०/०३ अज्जय (अर्जक ) प ११४४१३ अज्जल ( आयल ) प १1८8 अजय ( आजंव) ज २०७१ अज्जसम्म (आर्यसुधर्मन्) १२,३ अज्जा (आर्या ) उ ३।२६ से १०४,१०६ से १०८, १११ से १२०, १३२ से १३२,१४१.१४२ १४३, १४५, १४६, १४० से १५०४।२१ से २४ अजय (अति) ३।१७५ अज्जिया (आर्यिका ) ज २२७५,८२३।१२ अण (अर्जुन) प ११३६३४२०१३०११० अत्ययण (अध्यात्मवचन) प ११००६ अज्झत्थिय (आध्यात्मिक ) ज ३।२६,३६,४७,५६, १२२,१२३, १३३,१४५ १८८५१२२ १।१५ १७,५१,५४,६५,७६,७६, ६९, १०५;३:२६ ४८,५०,५५, १८, १०६.११६,१३१:५१३६,२७ अायण (अध्ययन) प २०१३ ज ७११४ चं ५२ अजीवपण्णवण अ गु १२२२१०७८ ११६ से ८ १४२.१४३, १४८ २०१ ३,१४,१५,२१,३२,३,११,२०, २२,२३,६३,८०,१५३,१५४.१६६.१६७,१७०, ४०१ से ३,२७:५४२,३,४४,४५ अमवसरण (अध्यवसान) १ ३४।१११,३४०१३ ज ३।२२३ अमावस (अधि आ वम्) - अभावग ज २१६४ अमावसमाण (अध्यावत्) ज २१६४ अवसा (अध्ययन २०६४ अशोचवण (पपत्र) अनुसिर (अशुषिर ) ज ३४३ अट्ट (आ) उ ११५२,७७ अट्टर (दे० ) १० ११३७/३ अट्टज्झाण (आर्तध्यान ) ज ३।१०५ उ १ । १५;३६८ अट्टालग (अट्टासक) ज २०२० अट्टालय ( अट्टालक ) प २०३०,३१,४१ ३११४.११५.११९ अट्ठ (अष्टन् ) प ११५० ज १८ ३३२ अट्ठ (अर्थ) प ५२३,४,७,१०,१२,१४,१६,१५,२०, २४,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६, ५.६,६३,९८,७१,७४,७८,०३,०६,८१,१२,१७, १०१, १०४, १०७,१११, ११५, ११६, १२७, १२९, १३१.१३४,१३६,१३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १५०,१५४, १५७,१६२, १६६,१६२,१७२, १७४, १७७,१०१, १०४,१८७, १२०, १२३, १६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१.२२४, २२०,२३०,२३२,२३४, २३७,२३६,२४२ ११०३,११ से २०, ३९, ४१: १५०४४, ४०, ४९ १७।१ से ६ से १७,२०,२२,२४,२५,२७, १०७, १०, १११, ११६,११,१२३ से १२८, १३० से १३२,१३५, १५०,१५२, १५५, २०१२ ३,१४ से १७, १० से २५, २० से ३०,३३,३४, ३१ से ४८,५० से ५२,५५,५६,२२६,७१, ८०,८२, १२, १४, १५, २६१४, २५,२७,२६,३८, ४०,५०,७३ से ७५,६७,२६१७,१२ से २१: ३०११६,१६,२१,२३,२५,१६,२०:३४.१२. Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठअसीय-अट्ठहत्तर ८१७ १६,१८,३५११८,२०,२३; ३६१८०,८१,८३, ८८६२,६४, ज १११,४५,४७,५१; २११७,१८,२१ से २३,२५,२६,३० से ३३, ३८ से ४०,४२,४३,५२,५६,१५६.१६१,३।१ ६,६१,६८,१०६.१०७,११३,११४,१८६, १६६,२०९,२२६,४।१६,२२,३४,३७,४१,५१, ५३,५४,६०,६१,६४,७०,७६,७६,८१,८५, ८६,८६,६०,६३,६७,१०२,१०७,१०८,११०, ११३,१४१,१४२,१४६,१५१,१५६,१६१,१६६, १७७,१८०,१८४,१८६,१८८,१६३,१६६, १६६,२००,२०३,२०५,२०६,२०६ से २११,२६१,२६४,२६६,२७०,२७२,२७३, २७६,२७७,२७,७५१६६,१८४,१८५,२०६, २१३,२१४ सू १६।२,४,६,१८१२२ उ ११४, ८,१७,२३,२४,३७ से ४०,४२,४३,५५,५७, ५८,६७,८०,८२,८३,८८,६६,१००,१०२, १०४,१०७,११५,११७,११६,१२०,१२२, १२७.१४२,१४३,२।१,३,१४,१५,२१,३३१, ३,१३,१६,२०,२२,२३,२६,३८,४०,४२,४४, ५६,६१,७७,८७,८८,१०२,१०७,११६ से ११८,१२३,१४०,१४७,१५३,१५४,१६०, १६६,१६७,१७०,४।१,११,२७,५१,३,१५, ३८,४३,४४ अट्ठअसीय (अष्टाशीति) सू १८।१ अट्ठक (अप्टक) सू १३०५,६ अट्ठकणिय (अप्टकणिक) ज ३४६४,१३५,१५८ अद्वछत्ताल (अष्टचत्वारिंशत् ) सू १०।१४६ अट्ठजोयणिय (अप्टयोज निक) प २१६४ अट्ठतरि (अप्टसप्तति) सू ४।५ अट्ठतीस (अष्टत्रिशन् ) प २।३८ ज ११२० सू. १०११५२ उ ३.१२ अट्ठपंचासत (अप्टपञ्चाशीति) सू १२३ अठ्ठपदेसिय (अष्टप्रदेशिक) प १०।१३,१४ अपिणिठ्ठिया (अष्टपिटनिष्ठिता) ५१७११३४ अट्ठभाग (अष्टभाग) प ४११७१,१७३,१७४, १७६,२०१,२०३,२०४,२०६, ज २।५९; ४१२१५,७।१६५,१६६ सू १८१२५,२६,३४,३६ अट्ठम (अष्टम) प ३६।८५,८७ ज २१७१,४।२११ ५।१०।७१६७ मू १०७७:१२।१७,१३१८ उ २०१०,२२, ३११४,८३.१५०,१६१,४१२४; ५।२८,३६,४३ अट्ठमंगलग (अष्टमंगलक) ज ३।१७८,२०२, २१७,४।२८,११५,१३८,१५८,५१४३,५८ अट्ठमंगलय (अप्टमंगलक) ज ३१२,८८,४।१२५ अट्ठमभत्त (अष्टमभक्त) प २८१५० ज ३२०, २१,२८,३३,३४,४१,४६,५४,५५,५८,६३, ६४,६६,७१,७२,७४,८४,८५,१११,११२, ११३,१३१, १३७ से १३६,१४३,१४४, १४७,१६६,१६८,१८२,१८३,१८७,१६१, २१८ अट्ठमभत्तिय (अष्टमभक्तिक) ज ३।५४,६३,७१, १११,११३,१३७,१४३,१६७,१६० अट्ठमी (अष्टमी) ज ७।१२५ अट्ठया (अर्थ) सू १७११;२०११ उ ३१४४ अट्ठविह (अष्टविध) प ११४,१३२,१३१२६; २११५५:२२०२१ से २३,२८,८३,८४,८६,८७ १०:२३।१५,१६,२१,२२,३०,३१,५०,५८%; २४।२ से ८,१० से १३,२५।४.५:२६१२ से ६, ८ से १०,२७१२,३; २६।२ सू ६३५ अट्ठवीस (अष्टविंशति) प २१५६।१ अठ्ठसइय (अष्टशतिक) ज २१६४ अठ्ठसठ (अष्टपप्टि) ज ७३१ सू ४।४ अट्ठसठ्ठि (अप्टषष्टि) ज ६।१५ अट्ठसमइय (अप्टसामयिक) प ३६१३,८५ अठ्ठसयमंगुलमायत (अष्टशताङ्गुलायत) ज ३।१०६ अट्ठसुवण्ण (अप्टसुवर्ण) ज ३।६५,१५६ अट्ठसोवपिणय (अप्टगौवणिक) ज ३१६४,१५८ अट्ठहत्तर (अष्टसप्तति) प २।२१ Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ अठहत्तर (अष्टसप्तति ) ज ७१३२,३४ अट्ठा ( अप्टा) ज २१६५ अट्ठाणउइ (अष्टनवति) ज ७६८ अट्ठानउति (अष्टनवति ) सू १०।१६५ अट्ठाण (अष्टनवति) सू १०११७३ अट्ठार (अष्टादशन् ) प १०।१४१४ से ६ ज ४।६२ अट्ठारस (अष्टादशन् ) प २१२४ जं १।४८ सू १११३ १११०४ अट्ठारसक ( अष्टादशवक्र) उ १६६, १०२ से ११७, ११६, १२७,१२८ अट्ठारस विह (अष्टादशविध ) प १३६८ अट्ठावण्ण (अष्टपञ्चाशत ) ज ४३१४२ अट्ठावय (अष्टापद ) ज २।१५,८८, ६०, ३१२२४ अट्ठावीस (अष्टाविंशति ) प २१२३ ज ११७ सू ११४ अवभाग (अष्टाविंशतिभाग) सू १०।१४२ अट्ठावीस (अविशतिविध ) ज ७ । ११३ सू १०।१३० अट्ठावीसतिभाग (अष्टविंशतिभाग ) प २३१०२ से १०४,१५२ सू १२/३० अट्ठावीसतिविह (अष्टाविंशतिविध ) प ११८६ २१४८ अट्ठावीसविमाणसयसहस्साहिवद (अष्टाविंशतिविमानशतसहस्राधिपति) ज २२६१ अटासीइ (अष्टाशीति ) सू २०१८६ अट्ठासीति (अष्टाशीति) सू १८१४, २०१८ अट्ठासीय (अष्टाशीति) ज १।२३ सू १० १४१ अट्ठाहिय ( अष्टाहिक ) ज २।११७ से १२०, ३।१२ से १४,२८,३०, ४१, ४२,४३,४१ से ५१.५८ से ६०, ६६ से ६८,७४ से ७६,१३६,१३६,१४७ से १५१,१६८ से १७० ५२७४ २८१११,२८१३, २५, २८, ३७, अट्ठ (अर्थिन् ) ४६, ज ३११०६ अट्ठकच्छभ ( अस्थिकच्छप ) प ११५७ अयि ( अस्थित ) प ११८० से ८ ३ अयि (अस्थित ) प ११।४७ अट्ठहत्तर- अनंत अड (दे० ) प ११७६ अडड ( अटट) ज २३४ अडडंग (अटटाङ्ग ) ज २१४ अडतालीस (अष्टचत्वारिंशत् ) सू १।२३ अडमाण ( अटत् ) उ ३।१००, १३३ अडयाल' (दे० ) प २३० अडयाल (अष्टचत्वारिंशत् ) ज ११२० सू १३२४ अडयालीस (अप्टचत्वारिंशत् ) ज २२६ सू ११२४ अडवीबहुल (अटवीबहुल ) ज १११८ अडसठ (अष्टषष्टि) सू १५/२ अडिल ( अटिल ) प १७८ अड्ढ (आय) ज ३११०३ उ १ । १४१३ १०,२१ २८,६६,१५८, ४/७ अढाइज्ज (अर्धतृतीय) प १ ३४,८४,२७,२६; १८४५, २१।६६,६७,३३१५,६ ११३८,४३१ ४।१०,१२,४३,४५,५७,७२,७८, ११०, १४७, १८३,२१५,२२१,२४५, २४८, ५१५२सू २।२३ १८/१ अनंगसेणा ( अनङ्गसेना) उ ५ | १०,१७ अनंत (अनन्त) प१1१३,४८१४८७, ८, १० से १६,३० से ३३, ३५ से ४२,५०,५२,५७,५८, ६०,२६४।१०,११,१३, १५, १६,५३२ से ७, ६ से २०, २३, २४, २७ से ३४,३६,३७,४०, ४१,४४,४५,४८,४६, ५२, ५३, ५५, ५६, ५८, ५६, ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७, ८२, ८३ ८५,८८,६२,६६,१००,१०१, १०३,१०६,११० ११४,११८,११६,१२६ से १३०,१३३,१३५, १३७,१३६, १४२,१४४, १४६, १४९ से १५४ १५६,१६२,१६५,१६८, १७१, १७३, १७६, १८०,१८३,१८६, १८६,१६२,१६६, १६६, २०२ २०६,२१०,२१३,२१७,२२०, २२३, २२७, २२६,२३१,२३३, २३८, २४१,६६३; १०।१६, १८ से २०,१२।७ से ११,२०,१५।१४, १५, २७,३२,५७,८३,८४,८७,८६ से ९६, १०३, १०४,१०६,११२,११५,११८,११६,१२१, १ अडयाल शब्दो देशीवचनत्वात् प्रशंसावाची Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणंतक-अणघ १२२,१२६,१२६,१३०,१३५ से १३७, १३६ से १४२,१६:३७,१७११४२,१८।३,१४, २७,४५,५६,६४,७७,८३,६०,१०८:३६५८, १२,१४,१६,१८ से २६ ३२ से ३४,४४ से ४७,८३१२ ज २१६,५१,५४,७१,८५,१२१ १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, १६३;३।२२३:५।२१,५८ अणंतक (अनन्तक) ज ३१२११ अणंतखुत्तो (अनन्तकृत्वस्) ज ७१२१२ अणंतगण (अनन्तगुण) प २०६४1१५,३।३८ स ४२ ४६ से ५२,६० से ६३, ७१ से १४,८४ से ८७,६५ से १०२,१०५ से ११५,११८,१२२, से १२४,१७५,१७७ से १७६,१८२,१८३; ५१५,१२६,१५१,१५२,६।१२,१६,२५,१०१४, ५,२९,३०,१११५४,५६,५८,६०,६१,७२,७८, १०।१२।७,१०,२०,१५:१३,१६,२६,२८,३१, ३३,१७१५६,५६,६६,१४४,१४६,२१।१०४; २८1७,१०,११,४१,४४,५३,५६,५७,७०; ३६।३५,४८ ज २१५१,५४,१४६,१५४,१६०, १६३ सू २०१७ अणंतनाणि (अनन्तज्ञानिन् ) ज ६४।३ अणंतपएसिय (अनन्तप्रदेशिक) प ५११३७,१३८, १६८,१६६,१७१,१७२,१८७,२०२,२०३, २०६,२०७,२२४;१०११४,१७,२०,२४,२६, ३०,१११४६;१५।११,२४,१६।४३ । अणंतपदेसिय (अनन्तप्रदेशिक) प ३११७६; ५।१२७,१७२,१८६,२०७,२२३,२२४१०१७, २५,१६३३६,१७।१४०:२८१२,५१,३०॥२६, १७ से २५ २७,२६,३२,३४,३८ से ४०,४५ ५२,३४।१।१३४।१ से ३; ३६३६२ ज ३।१७८ २११:४।३६,७२,७८,६५,१०३,१४३,१७८, २००,२०२,२१२,५४४३,७।६,१०,१२,१३,१५ १६,१८ से ३० ४२,५०,६८,६६,७१,७२,७४ ७५,७७,७८,८०,८३,८४, सू१।१४,१६,१७, २१,२४,२७,२।२,३;६।१८।१६।१:१३।१४; १६।२२।२५ उ ११४१:३१६२,१२५,४।२६, २८,३०,४३ अणंतरपच्छाकड (अनन्तरपश्चात्कृत) सू८०१, ११२ से ६ अणंतरपुरक्खड (अनन्तरपुरस्कृत) सू८।१; १११२ से ६ अणंतरसिद्ध (अनन्तरसिद्ध) प १११,१२, १६३५,३६ अणंतरोवगाढ (अनन्तरावगाढ) प १११६३,६४, २८।१३,१४,५६,६० अणंतरोववण्णग (अनन्तरोपपन्नक) प १५१४६ ३४.१२ अणंतसमयसिद्ध (अनन्तसमयसिद्ध) पश१३ अणंताणुबंधि (अनन्तानुबन्धिन् ) प १४।७; १८।१; २३।३५ अणंसुपाति (अनथुपातिन् ) ज ३१०६ अणगार (अनगार) ५ १५.११,१५१४३; ३६।७६ ज १३५; १६५,६७,८३,८५,८७, ८८,६५,९६,१०० से १०२,१०४,११४,चं १० सू१।५ उ १।२,३२६ से १२,३११३, १४,१६१,५।२१,२२,२७,२८,३२,३८ से ४१ २८ ४३ अणगारचियगा (अनगारचितका) जं २।१०५ से अणंतभाग (अनन्तभाग) प ५१५,१२६,१२१७,१०, २०:१५।५७२८।२२,३४,३६,६८ अणंतमिस्सिया (अनन्तमिश्रिता) प १११३६ अणंतय (अनन्तक) प १२४८।५२ अणंतर (अनन्तर) प २१६४:६१९६,१०१,१०३, १०५,११०,१११६६।१,२०११।१:२०१६ से १५ अणगारिया (अनगारित!) प २०११७,१८ उ ३।१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६, १३८,१३६४१४,१९,५३२,४३ अपघ (दे०अक्षत) ज० ३८१ Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० अणगघाइज्जमाण-अगाहारग अणागार (अनाकार) प २१६४।१२।२६।११; ३०१२६ से २८ अणागारपस्सि (अनाकरदर्शिन् ) प ३०।१५ से१८ २०,२२,२३ अणागारपासणता (अनाकार दर्शन, पश्यत्ता) प३०१७ अणागारपासणया (अनाकारदर्शन, पश्यत्ता) ५३०११,३,५,७,१२,१३ अणागारोवउत्त (अनाकारोपयुक्त) प ३३१०६, १७४; १३।१४; १८१६३, २६१६ से २१ अणागारोवओग (अनाकारोपयोग) १ १३१८,२६११ ३,५,७,८,१०,१३,१४ अणाघाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८१४४,७० अणाढाइज्जमाण (अनाद्रियमाण) उ ३१६२ अणाढायमाण (अनाद्रियमाण) उ ३.५६,६१,७७, अणग्घाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८॥४३, ४४,६६,७० अणग्घिय (अनधित) ज ३।६२,११६ अणतिवर (अनतिवर) ज ३.११६ अणदभवाह (अदभ्रवाह) ज ३११०६ अणभिम्गहिय (अनभिग हीत) प ११०१११ अणभिग्गहिया (अनभिगहीता) प ११३७।२ अणरिह (अनह) उ १४०,४३ अणव (ऋणवत्) ज ७।१२२।३ सू१०८४१३ अणवकंखमाण (अनवकाङ्क्षत् ) ज ३।२२४ उ० २।११ अणवगल्ल (अनवकल्प) ज २।४।१ अणवति (अनवस्थित) सू ६।१०८११०; १३।१७,१६३२२।१०,२७ अणवठ्यि (अनवस्थित) प ३३.३५,३६ ज ७१३१,३३ सू ४३ से ७ अणवष्णिद (अणपन्निकेंद्र) प २१४६ अणवणिय (अणपलिक) प २१४१,४६ अणवण्णियकुमारराय (अणपन्निककुमारराज) प २०४६ अणवन्निय (अणपन्त्रिक) १२१४६,४७११ अणवरय (अनवरत) ज २१६४; ३।१८५,२०६ अणसम (अनशन) उस१२,३३१४,८३,१२०, १५०,१६१,५२८,३६,४१,४३ अणस्साइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) प २८१४३,४४ ६६,७० अणह (अनघ) सू२०१७ अणह (दे० अक्षत) ज ३१८१ अणाईय (अनादिक) प १८११३,१०५ अणाएज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३५१२६ अणागतद्धा (अनागताध्वन्) २०६४,३६।६३ अणागय (अनागत)ज १६०, ३१२६,३६,४७, ५६,१३३,१३८,१४५; ५॥३,२२, ७।३६,५२ अणागयद्धा (अनागताध्वन ) प ३६।६४ अणागयवयण (अनागतवचन) प १११८६ अणाढिय (अनादत) ज ४।१५०,१५६,१६०; ७.२१३ उ ३१२,१७१ अणाणत्त (अनानात्व) प २१३,६,६,१२,१५ अणाणुगामिय (अनानुगामिक) प ३३१३५ अणाणुयुव्य (अनानुपूर्व्य) ज ७४७ अणाणपुल्वी (अनानुपूर्वी) प ११४६८,२८1१८, ६४ अणादि (अनादि) सू११६,१२१ अणादीय (अनादिक) प १८।२५,५५,५६,६४,६८ ७७,८३,८६,६०,१११,१२२,१२३,१२६, १२७ अणादेज्ज (अनादेय) ज २११३३ अणादेज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३३३८ अणाभोगणिवत्तिय (अनाभोगनिर्वतित) ५१४।९% २८१४,५०, ३४१५ अणारिय (अनार्य) ज २१४३ अणालोइय (अनालोचित) उ ३१८३१२०, ४१२४ अणाबुटिठबहुल (अनावृष्टिबहुल) ज १२१८ अणासाइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) ५२८१४०, अणाहारग (अनाहारक) ५३।१०७, २८।१०८ Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणाहारय-अणुत्तर से ११०,११२,११४ से ११६,११८ ११६, १२१,१२३ मे १२५,१३०,१३१,१३६ से १३६,१४१, १४२ अाहारय (अनाहारक ) प १८।६७ से १०३; २८।१०६ से १०८,१११, ११३, ११७,११६, १२०,१२२, १२५,१२७ से १२६,१३२,१४३ अदि ( अनिन्द्र ) प २१६०,६३ अणदिय ( अनिन्द्रिय) प ३।४०; १३ १६ १८ ।१७ अणदिया (अनिन्दितः ) ज ११ १ अणि वित्त ( अनिक्षिप्त) उ० ३१५० अणिगण (अनग्न ) ज २।१३ अणिच्चजागरिया (अनित्यजागरिका) उ० ३।५५ अणिच्छियत्त (अनिष्टत्व ) प २८/२४ अणिज्जिण (अनिर्जीर्णे ) प ३६८२ अणिट्ठ ( अनिष्ट ) प २३।२० ज २।१३३ अणितरिया ( अनिष्टतरका ) प १७।१२३ से १२५,१३० से १३२ अणिट्ठत्त (अनिष्टत्व) १२८१२ अणिट्ठस्सर ( अनिष्टस्वर ) ज २११३३ अणिट्ठस्सरता (अनिष्टस्वरता ) प २३।२० अणिडिट (अनद्धि ) प ६६८ २१।७२ अणिढिपत्तारिय (अनद्विप्राप्तायं ) प १६०,६२, १२६ अत्थित्थ (अनित्यस्थ ) प २२६४/६ अणिदा (दे० ) प ३५।१।१; ३५।१६ अणदाया (दे० ) प ३५।१७ मे २०,२२,२३ अणिमिस ( अनिमेष ) ज ५।६७ अणिय ( अनीक ) प २३० मे ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१ ज १२४५ ; २१६० ; ३११२५: ५११, १६, ४३, ४४, ५०, ५६, सू १८१२३ अणिय ( अनिवृत्ति ) सू २०१८,२०1८15 अणियत (अनियत ) सू २१२६ अणियय ( अनियत ) प १७२० अणियाधिवति ( अनीकाधिपति) प २३० से ३३ ४१,४३,४८ से ५१ अणियाहिव ( अनीकाधिप ) ज ४।१५१।२ अणियाहिवs ( अनीकाधिपति) ज १।४५ ; २६० ४। १६,१५१ ५ १,१६,३६,४३,४८,५०,५२, ५३, ५६ सू १८।२३ अणियाविति ( अनीकाधिपति) प २३० अणिल (अनिल) ज २०६८ अणिवारिय ( अनिवारित) उ ३|११६४।२२ अणीय ( अनीक ) उ १।१४६; १४७ अणु (अणु) प ११६४,६५,६६।१ २८।१४,१५, ६०,६१ ज ७१४३,५०,१६८ सु ६।१२; १७१ : १८२, ३; १६/२१ ८२१ अणु (अनृतु) सु १०।१२६॥३ अणुतनुक (दे०) ज ३११०६ अणुगंतव्य ( अनुगन्तव्य ) प १/४८ २०४० : १५।५५ ज ७ १३४ ~ अणुगच्छ ( अनु + गम् ) अणुगच्छइ ज ३१६ ; ५।२१ उ ३।१०१ अणुगच्छति ज ३ १०,११,५१,८६,८७ अणुगच्छति प १६४८ अगच्छमाण (अनुगच्छत् ) ज ३।१८,३१,१८० अणुगच्छित्ता (अनुगम्य ) ज ३३६ उ ३११०१ अम्माण (अनुगम्यमान ) उ३।१३० अणु हिमाण ( अनुगृण्हान ) उ १।१०७,१०८ ~ अणुचर ( अनु + चर् ) अणुचरति १६।२२।११ अणुचरंत ( अनुचरत् ) सू १९२२।११ अणुचरिय ( अनुचरित) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७, १६८,२१२,२१३ अणुजाण ( अनु --- ज्ञा ) अणुजाण ३१५१ अणुजाय (अनुयात) ज ३।२२,३५,३६ अणुडिया ( अनुतटिका ) प १११७७ अणुतडियाभेद (अनुतटिकाभेद ) प ११३७,७६ अणुर्ताsयाय (अनुतटिका मेद ) प ११।७३ अणु (अणुत्व) ज ७ १६६ सू १८/३ अणुत्तर ( अनुत्तर) प २२७, २७४ २१४६,६३; Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ अणुत्तरविमाण-अणुलित २११५५, ३४।२३,२४ ज २०७१,८५, ३।२२३ अणुत्तरविमाण (अनुत्तरविमान) प २१६२।१; १०१२,३०।२६ अणुत्तरोववाइय (अनुतरोपपातिक) प १११३६, १३८, २।४६.६३ ; ३११८३, ६१४६,६६,६६, २८,११३ ; २०१५.७:२११५५,७१,८३,६३, ९४,३३११८,२६,३४।१६,१८ ज०२।८१ अणुत्तरोववातिय (अनुत्तरोपपातिक) ५२०५६; २११६२ अणुदु (अनृतु) ज ७.११२।३ अणुद्धय (अनुद्धृत) जं ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ ; ५५ अणुपरियट्ट (अनु--परि + वृत) अगुपरिट्टइ ज ७.१५६ से १६७ सू१०१६७ अणुपरियति ज ७१५५ सू १६।२३ अणुपरियट्टति सू १०५ अणुपरियट्टित्ता (अनुपरिवृत्य) सू १०५ अणुपरिट्टित्ताणं (अनुपरिवृत्य) प ३६८१ अणुपरिवाडीय (अनुपरिपाटीक) ज ७१३० अणुपविट्ठ (अनुप्रविष्ट) ज ३३८१ उ १।३३, ३८,१००,१३३ अणुपविस (अनु -प्र+विश्) अणुपविसइ ज ३१६,१७,२०,२१,२८,३१ से ३४,४१,४६,५४,६३,७१,७७,६५,१३७,१३६, १४३,१५६,१६६,१७७,१८२,२०१,२०४, २१८,२२२ सू२।१ अनुपविसंति ज ३१२०५, २०६ अणुपविमति ज ३.१८३,१८४ अणुपविसह उ ३।१०१ अणुपविसमाण (अनुप्रविशत) ज ३११८४,१८५ अणुपविसित्ता (अनुप्रविश्य) ज ३।६ मू २।१ अणुपुत्व (अनुपूर्व) ज २११५, ४१३।२५,३५ सू ६.१ उ ११५७,५८,८२,८३:३१४६ अणुप्पत्त (अनुप्राप्त) उ ३११२७,१२८,५१४३ अणुप्पयाहिणीकरेमाण (अनुप्रदक्षिणीकुर्वत्) ज ३१२०४ से २०६,२०८,५१४१ अणुप्पवाएमाण (अनुप्रवाचयत्) ज ३१२६,३६, ४७,१४३ अणुप्पवाय (अनु-प्र- वाचय) अणुप्पवाएइ ज ३।२६,३६,४७,१३३ अणुबंध (अनुवन्ध) ज २४२ अणुबद्धचारि (अनुवद्ध चारिन् ) सू २०१२ अणुब्भड (अनुभट) ज २११५ अणुभाव (अनुभाव) प २३५१३१,२३।१३ से २३ ज ४१८३ च १५ १६६१५१६२२११६,२० अणभावणामणिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुष्क) प६।११८ अणुभावणामनिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुक) ५६।११६,१२२ अणुभावनिहत्ताउय (अनुभावनिधत्तायुप्क) १६१२३ अणुमण्ण (अनु। मन्) अणुमण्णित्थ; उ ३३१०६ अणुमय (अनुमत) प १११३०३१,२ ज २०१५ उ ३.१२८ अणुमाण (अनुमान) सू ।३ अणुमाणइत्ता (अनुमान्य) उ ३५५ अणुयाय (अनुयात) ज ३१६३,९६,१०६,१६३, १७५,१८० अणुरंगिणी (अनुरङ्गिनी) सू १०१७४ अणुरंजिएल्लिय (अनुरञ्जित) ज ३१११७ अणुरत्त (अनुरक्त) सू २०१७ उ १५१३६ अणुराग (अनुराग) प २१४०।११ उ ११७२,७३, ८७,८८,६२ अणुराधा (अनुराधा) सू १०१२ से ३, १८ अणुराहा (अनुराधा) ज ७.१२८,१२६,१३६।१, १४०,१४६,१५२,१६६, सू १०१२ से ६,१८, २३,५०,६२,७३,७५,८३,११५,१२०,१३१, अणुलिप (अनु ।-लिप) अलिपइ ज २१९९%3B ३॥१२ अणुलिपति ज २१००३।१२,२११, ५१५८ अणुलिपित्ता (अनुलिप्प) ज २NEE अणुलित्त (अनुलिप्त ) प २।३१ ज ३१६,२२२ Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुलिह-अण्णतरठितिय ८२३ अणुलिह (अनु + लिह) अणुलिहंति ज ३१७८५४३ अणुलिहंत (अनुलिहत्) उ ५१५ अणुलिहमाण (अनुलिखत्) प २०४८ अणुलेवण (अनुलेपन) प २१२० से २७,३०,३१, ४१,४६ ज २७० अणुलोम (अनुलोम) ज २।१६,६७ अणुलोमच्छाया (अनुलोमछाया) सू ६।४ अणवत्त (अनुपयुक्त) प १५१४८,४६ ; ३४११२ अणुवत्तमाण (अनुवर्तमान) ज ५।२७ अणुवम (अनुपम) प ३०१२७,२८ अणुवरयकाइया (अनुपरतकायिकी) प २२१२ अणुक्वेत (अनुपेत) प १७।१३२ अणुवसंत (अनुपशान्त) प १४।६ अणुवसंपज्जमाणगति (अनुपसंपद्यमान गति) प १६१३८,४२ अणुवसंपज्जित्ताणं (अनुपसंपद्य) प १६४२ अणुवाय (अनुवाद) ज ४१०१ अणुवायगइ (अनुपातगति) सू १:१४ अणुवासिय (अनुवासित) ज ५।५ अणविद्ध (अनुविद्ध) ज ३.१२,८८५.५८ अणुव्वय (अणुव्रत) उ ३८१,८२ अणुसज्जमाण (अनुसजत् ) ज ४१२०५ अणुसज्ज (अनु | पंज) अणुसज्जित्था ज २१५० अणुमजिस्म ति ज २११६२, १६४ अणुसमवयणोववत्तीय (अनुसमवदनोपपत्तिक) ज ३।१६७।१२ अणुसमय (अनुसमय) प ६।१६,६२,६३ ; १११७०; २८१४,२६.५० अणुसार (अनुमार) प २११८० ज० ५१५७ उ ५.४५ अणुहर (अनु+ह) __ अणुहरंति ज ३११३८ अणुहो (अनु ! भु) अणुहोति प २१६४।२२ अणूण (अनून) सू १९०२११८, १९४२२०२८ अणेग (अनेक) प १३८३३,११४८१६,४७:११०११ ७; २।४१,६४ ज ११३७,२।१२,११३,१४६; ३१३,६,१२,२२,२४,२८,३१,३६,४१,४६,५८, ६६,७४,७७,६३,६६से१०१,१०६,१११,११६, १२०,१४७,१६३,१६८,१६३,२१२, २१३, २२२, ४।३,६,२५,३३,१२०,१४७,२१६, २४२; ५।३,४,२८,३२,३३,४३ उ श६७ से १६; ३।४३,४४,५१०,१७ अणेगजीविय (अनेकजीवित जीवक) प १३५,३६ अणेगविह (अनेकविध) प १।१३,२०,२३,२६,२६, ३५ से ५१,५६,६३ से ६६,७०,७१,७५,७६, ७८,७६.८६,६६,१६।३०,३७ अणेगसिद्ध (अनेकसिद्ध) पश१२,१६॥३६ अगिदिय (अनेकेन्द्रिय) प १११३८ अणेरइय (अनैरयिक) प१७१६०,६१ अणेसणिज्ज (अनेषणीय) उ ३।३८ अणोगाढ (अनवगाढ) प १११६२,२८।१२,५८ अणोवम (अनुपम ) ज ३१६२,१०६,११६ अणोवमा (अनुपम!) प २१६४११८,१७।१३५ अणोवमा (दे०) ज २।१७ अणोवाहणय (अनुपानत्क) उ ५१४३ अणोहद्रिय (दे०) उ ३३११९४१२३ अण्ण (अन्य) प १२०,२३,२६,२६,३५ से ३७,३६ से ४७,४८१७.१० से २६% ११४८ से ५१,५६, ६०,७८,६६,६७,२२३० से ३३,४८ से ५५; १०२१ से २५, ३६.६४ ज ११४५,४६; २।२०,७१,६०,३८१,१८६,१८८,२०६, २१०,२१६,२२१; ४११३,१४,५२,११४,१४६, १५६,१६५,२०६,२१६,२१६,२२१; ५:१,५, १६,२४,३८,४७,५०,६७, ७।५६,५६,१८३, १८५ सू ६.१:१०।१६२ से १६४,१६६; १७११,१८१२१,२३,१६६११,२४, २०११ उ ५।१०,१७ अण्णतर (अन्यतर) मू ६३१ अण्णतरठितिय (अन्यत रस्थितिक) प २८१५०,५१ Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ अण्णत्थ ( अन्यत्र ) प ११।११ से २०,४६ १०१४, १७,१०११३६ २०१७ अण्णमण्ण (अन्योन्य ) प १६।३६, ४२ ज २२३९, ४१,१४६; ३।१०५,१०७,११३ से १३८ ५३,२७,३८१११८ से २१ उ १४७,६८, १३८, १३६ अण्णयर (अन्यतर ) प २२।६१ से ६५ : २३।१६१ १६२ ज २६६ अण्णया ( अन्यदा) ज ३१४,८३,१०४,१३०, १५४, १७२, १८८, २२२ १।१४; २२८ ३१४६ ६ ४।२१५।१३ अलगसिद्ध (अन्यलिङ्गसिद्ध ) प १|१२ अण्णा ( अन्यथा ) प १११०११३, ५ उ १११०६ अण्णाण ( अज्ञान ) प ५२४, २८, ३०, ३२, ३४, ३७, ४३,४५,४६,५३,५६,६८,७१,७४,८०,८३,८४ ८६८७८६,६७,६६,१०१, १०२, १०४, १०५, १०७,११७ अण्णाण परिणाम (अज्ञानपरिणाम ) प १३।१४,१६ १७,१६, अण्णाणि ( अज्ञानिन् ) प ११७४,८४,५६४,१८८३ २३।२००,२८/१३७ अण्णाणुपुथ्वी (अनानुपूर्वी ) प २८११८,६४ स् २६ अण्णोष्ण (अन्योन्य ) प २६४११० ज ७ ५८ सू १६/२६ अव्हाण ( अस्नानक ) उ५।४३ अतसी (अतसी ) प ११३७ २ अतिक्कम ( अतिक्रम ) ज २।१३३ अतितेया ( अतितेजा ) सू १०८८२ अतित्थगरसिद्ध ( ( अतीर्थंकरसिद्ध ) प १११२ अतित्थसिद्ध ( अतीर्थ सिद्ध ) प ११२ अतिदूर ( अतिदूर ) ज ११६ अतिभाग (अतिभाग) सू ४६ अतिमास (अतिमास ) सू १५३३७ अतिराउल (दे० ) प ११।१४,१६ अतिरेग ( अतिरेक ) ज ३१३५,२११५५८ अण्णत्थ-अतिथ अतिवतित्ताणं ( अतिव्रज्य ) प २८ । १०५ : ३४।१६ अतिसीत ( अतिशीत) सू १०/१२६ । १ अतिहि (अतिथि ) उ ३१४८, ५०, ५१ अति ( अति :- इ ) अतीति ज ३४६३,६५ अतीत (अतीत ) प १५८३,८४,८९ से १७,६६ से १०१,१०३ से १०६,१०६,११०,११२ से ११७,११६, १२०,१२२,१२३,१२५ से १३२,१३५,१३६,१४०, १४१, १४३ : ३६८ से २६, ३० से ३४,४४ से ४७ अतीय ( अतीत ) प १५४१०८, ११८; ३६।३४ अतीव ( अतीव ) ज ५।३८ अतुरिय ( अत्वरित ) ज ५१५,७ अतुल ( अतुल ) प २६४२० अत (आत्मन् ) प १५। ५० ज ३।२२२३३८३, १२०, १५० ५२८,४३ अत्तय (आत्मज) उ १।१०,३१,६५,१०९, ११०, ११३,११४; २१६ अत्तया (आत्मजा ) उ४६ अथ (अत्र ) ज ४।१४२,३ सू २।१३ ३११५१ अत्थ ( अर्थ ) ज ५।२६ १३ सू २०१७ उ ३ ४० अत्थ (अस्त्र ) ज ३७७, १०६ अत्थओ (अर्थतस् ) प १३१०११८ अत्यजुत्त (अर्थयुक्त) ज ५५८ अत्थणिर (अर्थ निकुर ) अ २१२४ अत्थणिउरंग (अर्थनिकुराङ्ग) ज २२४ अस्थि (अर्थार्थिन् ) सू २०१७ अथत्थिय (अर्थार्थिक ) ज ३।१८५ अत्थमंत ( अस्तवत् ) ज ३११६ अस्थमण ( अस्तमयन) ज ७।३६ से ३८ चे ४११ यू ११५१२१३ : ६२ अत्थसत्य (अर्थशास्त्र ) उ १।३१ अत्यसिद्ध (अर्थसिद्ध) ज ७|११७/२ सू २०१८६२ अत्थाम (अस्थामन् ) ज ३।१११ अस्थि (अस्ति ) प ११७५ २२६४।१४५४८०, ६६; ६।११०३१२।६, १५४५,४७ मे ४६, Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अस्थिकायधम्म-अद्धजोयण ८२५ ६०,६२,६३,६५,६६,८७,६४ में १०१,१०३ १४१,१८०; १५,७ उ ११३, ३१२६५६ से १०६,१०८,११२ से ११४,११६,१३८, अदेवीय (अदेवीक) प ३४११५,१६ १४१,१७४१३,३५; १८।११२, २०११,४,१७ अद्द (आर्द्र) प २।३१ १८,२२,२५,२८,२६,३४,३८,३६,४६,५०,५३, अद्दरूसग (अटरूपक,आटरूषक) प ११३७१४ ५८२११८ मे १००,१०३,२२१६,११,१२, अद्दा (आर्द्रा) ज ७/१२८,१२६११,१३४ से १३६, १४,१६,१८,५८,५६,७७,७६,८१,८२, २३१६ १३६।१,१४०,१४६,१६१, स १०।३ से ६, २८११२३,१३६,१४१,१४५,३४१७ में ६,११, १३,२४,३६,६२,६८,७५,५३,१०४,१२०, १२,१५,१६,२०, ३६८ से ११,१७ से २३, १३१ से १३४१२,१३५२,१६० २५,२६,२६ से ३२,३४,४४ ज ११४७, अद्दाय (दे०) प १५.१११५१५० सू ११३६१ उ ३।१०१४।५५१२६ अट्टारिठ्य (आर्द्रारिष्टक) प १७।१२३ अस्थिकायधम्म (अस्तिकायधर्म) प १।१०१११२ अद्ध (अर्ध) ज १११६,३।१०६।४।२०८,५२३८ अस्थिय (अस्थिक) प ११३६।१।३।१।२ ७.१७६,१७७१३ सू २।२ ।३ उ१११०३, अत्थोगह (अर्थावग्रह) प १५६८,७० से ७२,७४, १०६,११०,११३,११४ अद्धअउणछि (अर्दुकोनषष्टि) स ६।३ अथिरणाम (अस्थिरनामन्) प २३१३८,१२२ अद्धअट्ठारस (अर्धाष्टादश) सू १८।१ अद (अदस्) म् १६४ अद्धएकोणवीस (अर्धकोनविंशाति) स १८.१ अदंड (अदण्ड) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६,७४ ।। अद्धएकवीस (अर्धेकविंशति) सू १८१ १४७,१६८,२१२,२१३ अद्धएकारस (अधैंकादश) सू १८१ अदंतवणय (दे० अदन्तधावनक) उ ५५४३ अद्धंगुल (अर्धाङगुल) प ३६८१ ज १११७; अदि (अयि) उ ५१४१ ३।१०६७।२०७ सू १।५४ अद्धकविठग (अकपित्थक) प २१४८ सू १८१८ अदिइ (अदीति) ज ७।१८६३ अद्ध कुंभिक (अर्द्धकुम्भिक) ज ५।३८ अदिज्ज (अदेय) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, अद्धकोस (अद्धकोश) ज ११३७,४२,५१,४९, ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अदिट्ठ (अदृष्ट) सू ५११७११ १५,२४,३३,३६,११४,११८,१२८,१४७, १५४,१५५,२४२, सू १८।१२,१३ अदिद्वैत (अदृष्टान्त) ५३०।२७,२८ अद्धगाउय (अर्द्धगव्यूत) ५ ३३।२,६ ज ७।१० अदिण्णादाण (अदत्तादान) प २२।१४,१५,८० अद्धचउवीस (अर्द्ध चतुर्विंशति) सू १८१ अदिति (अदिति) ज ७३१३० अद्ध चंद (अर्द्धचन्द्र) प अदितिदेवया (अदितिदेवता) सू १०८३ ४८,५०,५६, ज ११२०; अदुक्खममुह (अदुःखासुख) प ३५॥१॥२,३५।१० ३१२४,७६,११६ ; ४।४६,१०८,२४५ अद्धचंदसंठाणसंठित (अर्द्धचंद्रसंस्थानसंस्थित पश५८ अदुत्तर (दे०) ज २।४७,१३१; ३1२२६; ४।२२, अद्धचोद्दस (अर्धचतुर्दश) सू १८११ ३४,५४,६४,१०२,१०५,११३,१५६.१६१, अद्ध छट्ट (अर्द्धषष्ठ) सू १८।१ १६६,२०८,२१०,२६१ उ ११११६ अद्धछव्वीस (अर्द्धषड्विंशति) सू १८११ अदुवा (दे०) ज ७।२१२ अद्धछन्वीसतिविह (अर्द्धषड्विंशतिविध) प ११६३ अदूरसामंत (अदूरसामन्त) प ३४१२२,२३ अद्धजोयण (अर्द्धयोजन) ज १७१, ११६,१०,१७, ज १५,३।१८,३१,५२,६६,१३१, २३,२५, ४१६,७,१४,२४,३६,४२,४६,५९,७१, १२ Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ ७४, ७८, ११२,११४,११५, ११६,१२३, १२६, १२७, १४६ सू १८ ।११,२० अट्टम (अष्टम ) ज २७८४।११०,११६, १२८ सू १८ ।१ उ ११५३,७८ अट्ठारस (अर्द्धाष्टादश ) प २३।१०४ अद्धव (अर्द्धनवम) सू १८/१ अद्धणाराय (अर्द्धनाराच ) प २३४५६७ अद्धतिवण (अर्द्धत्रिपञ्चाशत् ) प २।२७ ३ अद्धतेरस (अर्द्ध त्रयोदश ) प ११६०,८१११ ; २३।१०२ ज ४।३६,४३,६६,७२, ११४,१२०, १२२ सू १८ । १ अद्धतेवट्ठि (अर्द्ध त्रिषष्टि) ज ४।२४० उ ३।७ अद्धतेवरण (अर्द्ध त्रिपञ्चाशत् ) प २२२७ अद्धतेवीस (अर्द्धत्रयोविंशति ) प ६ ३१ सु. १८१ अद्धदसम (अर्द्धग) सू १८1१ अमिलिया (अर्द्ध मिश्रिता ) प ११३६ अद्धपंचम (अर्द्धपञ्चम ) प ४१३४, ३६, ४०, ४२ सू १८११ अद्धपणवीस (अर्द्धपञ्चविंशति ) सू १८ । १ अद्धपण्णरस (अर्द्धपञ्चदशन् ) स् १८ । १ अद्धपलिओयम (अर्द्धपल्योपम ) प ४११६८,१७०, १७४,१७६,१५०,१८२,१८६,१८८, १६२, १६४,१६५,१६७ ज ७।१८८, १६०,१६२, १९३ १८१२६,२८,३०,३२,३३ अलिकति (अपक संस्थित) स् १० ४४ अपोरिस (अर्द्धपौरुषी) सू ३ अद्धबारस (अर्द्धद्वादश) सू १८ । १ अद्धबयालीस अद्वंद्वाचत्वारिंशत्) सू १।२३ अद्धबावण (अर्द्धद्विपञ्चाशत् ) सू ११२३ अद्धबावीस (अर्द्धद्वाविशति ) सू० १८/१ अभरह (भरत) ज ३१६५ अद्धभाग (अर्धभाग) ज १।२३,४८ : ४।१,६२,८१ ८६ अद्धमंडल (अर्द्ध मंडल ) च ३१ सू १११८; १३७ से ११,१४ से १६; १५।२६ से ३१ अट्टम अधिपति अद्धमंडल संठिति (अर्द्ध मण्डलसंस्थिति) सू ११७ १, १११५ से १७ अमाहा (अर्द्धमागधी ) प ११६८ अद्धमास (अर्द्धमास ) प ६।१२२३।७१,१८४ सू_१३/४,५,११ अद्धमासिया (अर्द्धमासिकी ) उ३११४, ८३, १२० अद्धवीस (अर्द्धविशति ) सू १८ । १ अद्धसत्तम (अर्द्धसप्तम ) स् १८ ।१ अद्धमत्तरस (अर्द्ध सप्तदश ) सू १८ । १ अद्धसीतालीस (अर्द्धसप्तचत्वारिदा) सू १।२३ अद्धसोलस (अर्द्धषोडश ) ज ४।११६ सू १८ १ अहार (अर्धहार ) ज ३।६,२११,२२२:५।३८ ६७ अद्धा (अद्धा, अध्वन् ) प २०६४ | १५, १६, १५। ५८ ।१; १५।६३,६४, १८११,१२५; ३६ १२, ६४, मू १।११,१२,२७ से ३१:२२; १३; १२।२ से ६,१० से १२ अद्धाffee (अर्द्धमिश्रिता ) प १११३६ अद्धासमय ( 'अद्धा 'समय ) प १०३ : ३ | ११४, ११५, १२१,१२२,१२४; ५। १२४; १५।५३ से ५५, ५३ १८ । १२५ अद्भुट्ठ (दे० ) प ३३१३, ४ ज ४।११६ सू १२३, ३।११।१ उ ५/१० अ (अन्य ) उ ११६२: ३६८,१०१,१३१ अधमत्थकाय (अधर्मास्तिकाय ) प १ ३ : ३ ११४, ११५, ११७, १२२ ५११२४ १५ १५३, ५४ अधर ( अधर) ज २११५ अर्धारिम (अधरिम ) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४, १४७, १६८,२१२,२१३ अधाजोग (यथायोग) सू १५११० अधाजोय ( यथायोग ) मू १५११३ अधातच्च ( यथातथ्य ) सू १२ १३ अधारणिज्ज (अधारणीय) ज ३११११ अधिगय ( अधिगत ) प ११०१/२ अधिपति ( अधिपति ) ज ३१२५,४६ Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अधिय-अपत्थियपत्थग अधिय (अधिक) सू १३।११,१४ १८३,४२,५,८,११,१४,१७,२०,२३,२६,२६, अधिवति (अधिपति) प २१५०,५१ ३२,३५,३८,४१,४४,४७,५०,५३,५७,६०,६३, अधेसत्तमा (अधःसप्तमी) प ३।१८३ ६६,६८,७०,७३,७५,७७,८०,८३,१०२,१०५, अनिल (अनिल) ज २६८,१३१ १०८,१११,११४,११७,१२०,१२३,१२६, अपइट्ठाण (अप्रतिष्ठान ) प २२७ १२६,१३२,१३५,१३८,१४१,१४४,१४७, अपच्चक्खाण (अप्रत्याख्यान) प १४।७,२३।३५ १५०,१५३,१५६,१५६,१६३,१६६,१६६, अपच्चक्खाणकिरिया (अप्रत्याख्यानक्रिया) १:३२,१७५,१७८,१८१,१८४,१८७,१६०, प १७११,२२,२३,२५; २२१६०,६४,६६, १६३,१६६,१६६,२०२,२०५,२०८,२११,२१४, ७२,७४,६८,६६ २१७,२२०,२२३,२२६,२२६,२३२,२३५, अपच्चक्खाणि (अप्रत्याख्यानिन्) प २२१६४ २७१;६७१,७२,७६,८३,८४,९७,१०२; अपच्चक्खाय (अप्रत्याख्यात) प १११८६ १११३१,३५,३६१८१८,१८,३०,३६,११४; अपज्जत्त (अपर्याप्त) प १।१७,२२,३१,४६ २११४०,४२, २३११६३; २८/१४३ से १४५; से ५१,६०,६६,७५,७६,८१,२।१७,२० ३६।५२ से ३६,४१ से ४३,४८ से ६३ : ३१४३ से ४६, अपज्जत्ति (अपर्याप्ति) प २८.१४३ ५३ से ६०,६४ से ७१.७५ से ८४,८८ से १५, अपज्जवसित (अपर्यवसित) १६४ ११०,१७४ ; ४१५५,८६,८६,६१,६३,६६,६६, अपज्जवसिय (अपर्यवसित) प १८७,१३,१७, २३८,२४१,२४४,२४७,२५०,२५३,२५६, २५,२६,५५,५८,५.६,६३,६४,६७,६८,७५ २५६,२६२,२६५,२६८,२७४,२७७,२८०, से ७७,७६,८२,८३,८६,८८,९०,६२,१००, २८३,२८६,२८६,२६२,२६५,२६८, २११६, १०५,१११,११२,११५,११८,१२१,१२३, १६,१८,२३ से ३२,३६,४०,४१,४८,५०,५३, १२४,१२७ अपज्जुवासणया (अपर्युपामना) उ ३।४७ अपडिक्कत (अप्रतिक्रान्त) उ ३१८३,१२०,४२४ अपज्जत्तग (अपर्याप्तक) प १२०,२३,२५,२६,२८ अपडिबद्ध (अप्रतिबद्ध) जरा७० २६,४८१६०; १९४८ मे ५१,५३,८४, १३१ अपडिबद्धगामि (अप्रतिबदगामिन्) जश६८ से १३३,१३५,१३७,१३८,२१२,३,५, अपडिबुज्झमाण (अप्रति बुध्यमान) ज २०६५ ६,८,६,११,१२,१४ से १६३४१,८३ से ४६,५१,५३ से ६०,६२,६४ से ७१,७३,७५ अपडिवाइ (अप्रतिपातिन) प ३३।१११,३३३३५ से ८४,८६,८८,६१,६३ से ६५,११०,१४२, अपडिवाति (अप्रतिपातिन) प११११४ १४८,१५१,१८३,६७१,७२,८३,१०२; अपडिसुणमाण (अप्रतिशृण्वत्) उ १११२७ १११३६,४१,१५१४६१८१४८,२११५,१०, अपडिहय (अप्रतिहत ) प १११८६ १३,२०,३३,३४,३६,४१,५२ से ५५,७२, अपडोयार (अप्रत्यवतार) प ३०।२७,२८ ३४.१२ अपढ़म (अप्रथम) प १३१३,१०३,१०६,१०७, अपज्जतगणाम (अपर्याप्तकनामन् ) २३१३८,१२० १०६,११०,११३,११४.११६,११६,१२०, अपज्जत्तय (अपर्याप्तक) प ११२६,३१६२,६६ १ २२,१२३ ;१६।३७ से ६८,८६,८६,६०,६२,६३,६५,१४५,१५४, अपत्थियपत्थग (अप्राथितप्रार्थक) ज ३।१२४ १५७,१६०,१६३,१६६,१६९,१७२,१७४, उ १।११५.११६ ५५ Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ अपत्थियपत्थय-अप्प अपस्थियपत्थय (अप्रार्थितप्राथंक) ज ३।२६,३६, ४७,१०७,११४,१२२,१३३ उ शाह अपदेसठ्या (अप्रदेशार्थ) प ३११७६,१८१ अपमत्त (अप्रमत्त) १७३३,२१७२ अपमत्तसंजत (अप्रमत्तसंयन) प ६१६८ अपमत्तसंजय (अप्रमत्तसंयत) प ६।१८,१७१२५, २२१६३ अपमाण (अप्रभाण) प ३०।२७,२८ अपराइय (अपराजित) ज ३।३ अपराइया (अपराजिता) ज ४१२१२ अपराजित (अपराजित) प १११३८ ; २१६३; ६।५६ ; ७।२६ ज ११५ अपराजिता (अपराजिता) ज ४२०२; ७१८६ अपराजिय (अपराजित) प ४।२६४ से २६६; ६.४२,१५१८६,६२,१००,१०५,१०८,१०६, ११४,११६,१२०,१२१,१२३,१२५,१२६, १३१,१३६,२८।६६ अपराजियत्त (अपराजितत्व) प १५३११३ अपराजिया (अपराजितः) ज ४।२१२।४५८१ ७.१२००२ सू १०१८८।२ अपरिग्गहिय (अपरिगृहीत) प ४।२२२ से २२४, २३४, से २३६, अपरिजाणमाण (अपरिजानत्) उ ३१५६,६१,७७, अपरिसे सिय (अपरिशेषित) प २८१२३ अपविठ्ठ (अप्रविष्ट) प १५॥३६, ४१ अपसत्थ (अप्रशस्त) प १७।११४११, २३६५६, १०६,११७,१२८ अपाणय (अपानक) ज २१६५,७१,८८, ३३२२५ अपि (अपि) ज ११२२ उ १९७; ३१६०; ५११७ अपिक्क (अपक्व) प १७:१३२ अपुठ्ठ (अस्पृष्ट) प १११६१, १५१३६ से ३८,४१; २२१५६; २८१११,५७ ज ७४४०,५३ अपुणरावित्ति (अपुनरावृत्ति) ज ५।२१ अपुणरुत्त (अपुनरुक्त) ज १६४; ५१५८ अपुण्ण (अपुण्य) उ ११६२; ३१६८,१०१,१३१ अयुरिसक्कार (अपुरुपकार) ज ३१११ अपुरोहिय (अपुरोहित) प २१६०,६३ अपुष्व (अपूर्व) १२८१२०,३२,६६ अपुवकरण (अपूर्वकरण) ज ३।२२३ अपोह (अपोह) ज ३।२२३ अप्प (आत्मन्) ५० ११४०१४, २२१४ से ६ ज ११५; २१७१, ८३; ३।१८८; ५:५७ सू१।१६; १३३१२,१४ से १७,१८१८; २०१४ उ ११२,३,४६,६५,६८,७२, २११०,१२, ३११४,२६,५०,५१,५३,५४,८३,६६,१३२, १४४,१६१, ४।२४,२८, २६, २८,३२,३६, अपरिताविय (अपरितापित) ज २०४६ अपरित्त (अपरीत) ५ ३।१०६; १८।१०६ अपरि जमाण (अपरिभजत ) उ ११३५ अपरिभूय (अपरिभूत) ज ३११०३ उ ३.१०, २८ अपरिमिय (अपरिमित) ज ३।१६७ अपरियाग (अपरिपाक, अपर्याय) प १७११३२ अपरियार (अपरिवार) प ३४११५,१६ अपरियारग (अपरिचारक) प ३४।१८,२५ अपरिसेस (अपरिशेष) प २८/४०, ६६ ज ४।८३, अप्प (अल्प) प ३३८ से ११६, ११७.१,११८ से १२०,१२२ से १२४,१७४,१७६ से १८३; ६।१२३; ८1५,७,६,११; ६।१२,१६,२५; १०३ से ५,२६ से २६; १११७६,६0; १५।१३,१६,२६,२८,३१,३३,६४; १७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से १३,१४४ से १४६; २०६४; २१११०४,१०५; २२११०१, २८१४१, ४४,७०, ३४।२५; ३६१३५ से ४१,४८,४६ ज १२५०; २१५८,८३,१२३,१२८,१४८,१५१, १५७; ३३१०,११,८५,८७,११७११,१८४; ४११०१, ५१५२७,५७७.११२१४,१६८,१६७ सु १०।१२६।४; १५१, १८।१८,३७; १४ Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अप्प-अबाहा ८२६ २३,२६; २०१७ उ १११६,४२,६३, ३।२६, १४१; ४।१२ अप्प (अल्प) जवासा प १४०।४ अप्पकप्पिय (आत्मकल्पित) उ ११४६ अप्पकम्मतराग (अल्पकर्मतरक) प १७१३,१६ अप्पच्चदखाण (अप्रत्याख्यान) प १४७ अपच्चक्खाणकिरिया (अप्रत्याख्यान क्रिया) प २२१६४,६६,७४,६७,१०१ अप्पच्चक्खाणवत्तिया (अप्रत्याख्यानप्रत्यया) प२२०६४ अप्पडिबुज्झमाण (अप्रतिबुध्यमान) ज ३१२०४ अप्पडिय (अप्रतिहत) ज ३८१,८८,१०६,१५१; ५२१ अप्पणया (आत्मन् ) प २८।२०,३२,६६ अप्पतराय (अल्पतरक) १७१२,२५ अप्पतिट्ठिय (अप्रतिष्ठित) प १४१३ अप्पत्त (अप्राप्त) सू१९२२१७ अप्पत्थियपत्थय (अप्रार्थितप्रार्थक) ज ३१०७ अप्पबहु (अल्पबहु) प १७४११४।१; २१।१।१; ३४१११२ ज ७११६८२ अप्पमेय (अप्रमेय) ज ५१५८ अप्पवस (आत्मवश) उ ३।११८ अप्पवेदणतराग (अल्पवेदनतरक) प १७१६,२७ अप्पसत्थ (अप्रशस्त) प १७११३८२३।११६, १३२, ३४।१३ अप्पसरीर (अल्पशरीर) प १७।२,२५ अप्पसोय (अल्पशोक) उ ११६३ अप्पयगति (अप्रहतगति) ज २१६८ अप्पाबहु (अल्पबहु) प६।१२३; १५।११ अप्पाबहुग (अल्पबहुक) प १७।६६,७० अप्पाबहुय (अल्पबहुक) प०१०।२५; १९८० १५.१८,१६, १५।५८११, १७७७ अप्पिच्छ (अल्पेच्छ) ज २०१६ अप्पिढिय (अल्पद्धिक) प १७१८४ से ८७,८६ ज० ७.१८१ मू १८१६ अप्पिण (अर्पय्) अप्पिणइ उ० १।११८ अप्पिणामि उ० ११११७ अप्पिणित्ता (अपयित्वा) ज ३।८१ अप्पिय (अप्रिय) ज २११३३ अप्पियतरिया (अप्रियतरका) प १७.१२३ से १२५, १३० से १३२ अप्पियत्त (अप्रियत्व) प० २८।१४ अप्पियस्सर (अप्रियस्वर) ज २११३३ अप्पुस्सुय (अल्पौत्सुक्य) ज ३।२६,३६,४७,१३३ अप्पेस्स (अप्रेष्य) ५०२१६०,६३ अप्फुण्ण (दे) उ ११२३,६१ अप्फोड (आ+स्फोटय)--अफोर्डेति ज ५७ अप्कोडिय (आस्फोटित) ज ३१३१; ७१७८ अप्फोया (आस्फोता) मल्लिका, अपराजिता प १॥४०॥३ अफासाइज्जमाण (अस्पृश्यमान) प २८।४०,४१, ४३,४४,६९,७० अफुण्ण (दे०) प ३६५६,६०,६६ से ६८,७०,७१, ७३ से ७५ अफुसमाण (अस्पृशत् ) प १३।२३ अफुसमाणगति (अस्पृशद्गति) प १६।३८,४०; ३६६२ अफुसित्ता (अस्पृष्ट्वा ) प १६:४० अबंधग (अबन्धक) प ३११७४; २२।८४; २६६ अबंधय (अबन्धक) प २२१८३,८४,८६; २६.८ से अबल (अबल) ज ३११११ अबहुस्सुय (अबहुश्रुत) सू २०१६।२ अबाधा (अवाधा) सू२८।२० अबाहा (अबाधा) प २१६४, २३१६० से ६४,६६, ६८,६६,७३ से ७७,८१,८३,८५ से १०,६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१७६,१७७, १८२,१६३,१८७,१६० ज ११७, ३.१; ४।११०,११६,१४१,१४२,२०६.२०७; १५, Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३० ६,८ से १३,६४,६५,६७ से ७२,८८,८६,६१, ९२,१६८१,१७१ से १७४,१८२ १८१५, ६ अबाहूनिया (अवात्रोनिका ) प २३/६० से ६४,६६ ६८,६६,७३ से ७७,८१,८३, ८५ से ६०,६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८,१२७, १३०,१३१,१३३,१७६, १७७,१८२,१८३, १८७,१९० अबीय ( अद्वितीय) ज ३१२०,३३,६४, १८२ अभय (अभ्यधिक ) प १८१४ अभंग (अभि + अ ) अब्भंगेइ उ ३१११४ अभंगेति ज ५।१४ अभंगण ( अभ्यञ्जन) उ३।११४,११५, ११६ अभंगेत्ता (अभ्यज्य ) ज ५।१४ अभ्यंतर ( आभ्यन्तर ) प ३६।८१ ज ३११६४; ४।१५२, ७।५,८,६,१०,१३ से १६,१६ से २२,२५ से २७,३०,३१,३३,६४,६७ से ६६, ७२ से ७५,७८ से ८१,८४,८८,६१,६३,६५, १७५ ११११,१२,१४,१६,१७,२१,२४, २७,३०; २३; ३११,२, ४१७ ६११; ६१२; १०११३२; १३।१३, १६१, १६/२२/१२ अभंतर पुरक्खरद्ध (आभ्यन्तर पुस्करार्द्ध) सू८१ १६।१६ से १६ अन्तरिय (आभ्यन्तरिक ) ४१३,४,६,७ अभंतरिल्ल (आभ्यंतरिक ) ज ७।१७५ सू १८/७ अम्भपडल (अभ्रपटल ) प १।२०१२; ११६७५ अभयलय (अभ्रवालक) ज ५/७ अन्भवा (अवालुका) प १२०/२ अमहिय ( अभ्यधिक ) प ४ १७१,१७३, १७४, १७६, १७७, १७६, १८०, १८२,१८३,१८५, १८६, १८८, ५१५, १०, २०,३०,३२,७२,८१,१०२, १२६,१३१,१३२,१३४,१६०, १७७, १६३, २१४,२२८; १७।६३; १८१२८, ४७,६०,६६ से अबाहूनिया अभवसिद्धिय ७४,८४ २३७८,७६,१६६, २६ २१ ज ३११८, ६३, १८० ७ १८७ से १६० सू १८१२५ से ३० उ ३११६ अभितर (आभ्यन्तर ) प १५ ।५५ ३३|१|१ ११७ २११२४१८, २१ ५३६ १११४, १६,२१,२४,२७ से २६,३१ २१३ ४६; ६ १ ८१, १६।२१।१ अग्निंतरओ (अभ्यन्तरतस् ) ज ३।२४।२, १३१।२ उ २८ अभिंतरग (अभ्यन्तरक ) प १।४८।४५ अभिंतरय (आभ्यंतरक) उ १०४४ अभिंतरिय (आभ्यंतरक) ज ४।१६ अक्ख ( अभि + उक्ष ) अभुक्खेइ ज ३११२, ८८३०४।२१ अभुक्ता (अभ्युक्ष्य ) ज ३।१२ अब्भुग्गय (अभ्युद्गत) प ४।४८ ज १।४२ : २।१५; ४४६, २२१, ७ १७६,१७८ सू १८१८ अब्भुट्ठ (अभि + उत् + ष्ठा) अब्भुट्ठेइ ज ३।६,२६,३६,४७,१३३, २१४ ५२१ उ ३।१०१ - अभुट्ठेमि उ ३११३६६ ४११४ - अब्मुट्ठ ेहि उ ३।११५. अन्भुण्णय ( अभ्युन्नत) ज २११५ ७ १७८ अब्भुवगम ( अभ्युपगम ) प ३५।१।१ अभक्खाण (अभ्याख्यान ) प २२/२० अभगुणाय (अभ्यनुज्ञात) उ३।१०६, १०८, १३८ अन्भोरुह (अभ्यव रुह ) प ११४४|१ ४।११ अब्भुट्ठिय (अभ्युत्थित) ज २७० अब्भुट्ठेत्ता (अभ्युत्थाय ) ज ३।६ उ३|१०१, १३४ अभोवगमिया (आभ्युपगमिकी ) प ३५।१२,१३ अभंग (अभङ्गक) प २६ ६; २८११६ अभवय ( अभक्ष्य ) उ ३।३७ से ४० अभड ( अभट) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, १४७, १६८,२१२,२१३ अभय (अभय ) उ ११३१,४२ से ४६,४८ अभयदय ( अभयदय ) ज ५।२१ अभवसिद्धिय ( अभवसिद्धिक) प ३।११३,१८३ १२७,२० १८।१२३; २८।११२ Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभव्व जण-अभिरूव अभव्वजण (अभव्यजन) सू २०६१ अभायण (अभाजन) सू २०६।३ अभाव (अभाव) प ३६१२१ अभासग (अभाषक) १ ३।१०८; १११३८ से ४१, अभिणंद (अभिनणद् ) अभिणंदति ज २१६४ अभिणंद (अभिनन्द) सू १०११२४११ अभिणंदत (अभिनन्दत्) ज २१६४; ३।१८५, २०६ अभिणंदिज्जमाण (अभिनन्द्यमान) ज २०६५ अभिणंदिय (अभिनन्दित) ज ७११४।१ अभिणय (अभिनय) ज ५१५७ अभिणिसढ (अभिनिमृत) सू ६।१,३ अभिणिस्तव (अभि+नि । स्र ) अभिणिस्पति ज ४११०७ अभिणिस्सित (अभिनिथित) सू ६३ अभिणी (अभिणी ) अभिणेति ज ५१५७ अभिष्ण (अभिन्न) प ११।७२ अमिथुण (अभि : प्टु) ___ अभिथुणंति ज २१६४ ; ३।२१० अभिथुणंत (अभिष्टु वत्) ज २१६४ ; ३।१८५,२०६ अभिथुब्वमाण (अभिष्टयमान) ज २१६५, ३१८६ २०४ अभासय (अभाषक) १०१८।१०५ अभिइ (अभिजित् ) ज ७।११३।१, १२८ से १३१, १३३,१३४११, १३५,१३६,१३८,१४१,१४६, १५६,१७५ सू १०।१ से ६,८,२०,२३,२७,५५, ६३,७५,७८,६२,१२०,१२२,१२३,१३० से १३६; १२।१६; १५।८,११; १८७; अभिओग (अभियोग) उ ३६१ अभिक्ख (अभीक्षण) ज २११३१ अभिक्खण (अभीक्ष्ण) ११७१२,२५, २८।२१,३३, ६७ ज०१।१८, २११३१,१३३; ३।१०४, १०५ उ ११५६,८४,६७, ३।११७; ४१२१ अभिगम (अभिगम) प ३४।१२ अभिगमण (अभिगमन) ज ५७,४१ सू० १३११७ उ १।१७; ३७ अभिगय (अभिगत) उ ३३१४४; ५।३४ Vअभिगिण्ह (अभि+ ग्रह )अभिगिण्हइ उ ३।५५ अभिगिहिस्सामि उ ३१५० अभिगिण्हेत्ता (अभिगृ ह्य) उ ३१५० अभिग्गह (अभिग्रह) प १११३७१२ उ० ३१५० अभिचंद (अभिचन्द्र) ज २१५६, ६१; ७/१२२११ सू १०१८४।१ अभिजात (अभिजात) सू१०1८६४२ अभिआय (अभिजात) ज ३१३; ७१११७.२ अभिजिणमाण (अभिजयत् ) ज ३१८,३१,१८० अभिजिय (अभिजित) ज ३।३६,३६,४७,५६,६४, ७२, १२६१४, १३३,१३८,१४५,१८८) ७/१२६ अभिजेतुं (अभिजेतुम् ) ज ३१६५ अभिज्झियत्त (अभिध्यातत्व) प २८।२४,२६ अभिनिविट्ठ (अभिनि विष्ट) प २०१३६ अभिनिस्सब (अभि-नि+स.) अभिनिस्सवेइ उ १४५६ अभिभूय (अभिभूत) ज २११३३ उ ११६०,६२,८५, ८७,६३ अभिमुह ((अभिमुख) ज ११६; २६०३.१४, १५,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२,६० ६१,६८,६६,१३०,१३१,१३६,१३७,१४०, १४११४५,१४६,१५०,१७२,१७३,२०५,२०६, ४।१,३७,३८,६५,७१,७३,६०,६१,६४; ५।५८,६।२३ से २६ उ १।१६३४३ अभिरक्ख (अभिरक्ष ) अभिरकरवउ उ ३३५१ अभिरममाण (अभिरममाण) ज २११४६ : ५१६७ अभिराम (अभिराम) प २१३०,३१,४१ ज ३.१, ७,६,१७,२१,३४,८८,१०६,१७७,२२२; ४१२७,५७,२८,४३ सू २०१७ उ ५५ अभिरुइय (अभिरुचित) उ ३११३८ अभिरूव (अभिरूप) प २१३०,३१,४१,४८,४६, Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ ५६,६३,६४ ज ११८,२३,३१,४२,२।१२,१४, १५,४३,६,१३, २५, २७, २६,३३,४६, १४६ ; ५।६२०१११ उ०५/४ से ६ अभिघमाण (अभिलङ्घमान) ज ४ ४६ अभिलाव ( अभिलाप ) प ४५५ ६१४६,५६,६६,७८ १११,१२३; ११।८३ १५३८, ५०; १७८८, ६१,६६,११७,१४५ १४६ : २११५५ : २२५८; २३।१६१; ३६।६५ ज ३।२११६४१२३८ ; ७। १५५ सू ५।१ ; ६ । १७११ १२, ३१०।२३. १४८, १५० : १५६; १८ १ १६ १,३१६२०१२ अभिवंदिऊण (अभिवन्द्य ) प १|१|१ अभिवढि ( अभिवृद्धि ) ज ७ १३० अभिवदित (अभिवर्धित ) सू १०।१२८, १२६; ११११ ; १२।१,६,१२,१५।२६ से २८ अतिसंवछर (अभिववितसंवत्सर) सू ११ २ से ६; १२/६ अभिवदित्ता (अभिवर्ध्य ) सू ६।१ अभिवदेवया ( अभिवृद्धिदेवता ) सू०१०१८३ अभिवयि ( अभिवर्धित ) ज ७ १०५, ११० से ११२५ १०११२७,१२६१५ अभिवढियसंवच्छर (अभिवर्धितसंवत्सर) सु १०११२७ अभिवदेता ( अभिवर्ध्य ) ज ७/२७ सू६ । १ अभिवढे माण (अभिवर्धमान ) ज ७ १०, १६,२२,२५,२७,३०, ६६,७५,८१, सू १२०, २१,२७६।१२ अभिव (अभि + वृध् ) अभिवुड्ढे इ स ६ । १ अभिवुढा (अभिवयं ) सू १११४ अभिबुड्ढेमाण (अभिवर्धमान ) सू ११४; २३;हार अभिसमण्णा (अभिसमन्वागत ) प २०३६ मू ३१२६,३६,४७,१२२,१२६,१३३३३८५, ६४, १२२, १६३ ५।३१ अभिसरमाण (अभिसरत्) उ ३१६८ अभिचि ( अभि + सिंच्) अभिसिंचइ ज २१६४ अमिसिचंति ज ३।२१०, ४१२४८, २५० से २५२:५/५६ अभिसिंचति ज ३।२०६६ ५६० अभिलंघमाण-अमणुष्ण / अभिसिचाव (अभि + सेचय् ) अभिसिचाइ उ १९६८ अभिसिचावेसि उ १।७२ अभिसंचावित्तए (अभिषिञ्चयितुम् ) ज ३११८८ उ० ११६५ अभिसिंचिता (अभिषिच्य ) ज २२६४ अभिसिंचिय (अभिषिञ्चित ) ज ३।२१२ अभिसित (अभिषिक्त ) ज ३१२१४ अभिसेक (अभिषेक) ज ३१२०४, २१४, २१७, ४१४० अभिसेक्क ( अभिषेक्य ) उ १।१२३,१३१ अभिसे (अभिषेक) ज २।१५; ३।२०६; ४१ १४० ११ १६०,२४४,२४८; ५१५७,५८,६१,६५ अभिपीढ (अभिषेकपीठ ) ज ३११९४ से १६६, २०४ से २०६,२१४ से २१६ अभिसेघमंडव ( अभिषेकमण्डप) ज ३ । १९१,१६३, १९४,१८,२०४ से २०६,२०८,२१४ अभिसेयसभा ( अभिषेकसभा) ज ४११४० अभिसेसला ( अभिषेकशिला) ज ४ २४४; ५४७ अभिसेयसिहासण ( अभिषेक सिंहासन ) ज ४२४८; ५४७ ~ अभिहण ( अभि + हन् ) अभिांति प ३६ / ६२,७७ अभिहणमाण ( अभिघ्नत् ) ज ३११०६ अभिहिय ( अभिहित ) प ११०१।१२ अभीइ ( अभिजित् ) ज २२८५,८८,१३८७११३६ । १ सू १६।२२१२७ अभी ( अभीत) ज २६४ अभेज्ज (अभेद्य ) ज ३२७६,६६ से १०१,११६, अमेल (अभेल) ज ३।१०६ अमच्च (अमात्य) ज ३१,६,७७,२२२ अमणाम (दे० ) ज २।१३३ अमणामतरिया ( 'अमणाम' तरका) प १७ १२३ से १२५,१३० ते १३२ अमणामत्त ( 'अमणाम' त्व) २८१२४ अमणुण्ण ( अमनोज्ञ ) १ २३।१६,३१२११३१, १३३ Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमणुण्णतरिया-अरतिरति ८३३ अमणण्णतरिया (अमनोज्ञ तरका) प १७११२३ से १२५,१३० मे १३२ अमणुण्णत्त (अमनोज्ञत्व) प २८१२४ अमणूस (अमनुष्य) प २१७२ अमम (अमम) ज २।५०,१६४,४।१०६ २०५, ७१२२६३ सू १०८४।३ अमयमेह (अमृतमेघ) ज २६१४४,१४५ अमर (अमर) प २१३०,३१,४१, २०६४।२१; ज०७१, ३।३५,१०६,१३८ अमरपति (अमरपति) ज ३१३१ अमरवइ (अमरपति) प २१४५२ ज ३।३.१८, ६३,१८० अमल (अमल) ज ४।२६ अमाइसम्मपिठिउववण्णग (अमायिसम्यक दृष्ट्यु पपन्नक) प १७४२७,२६ अमाइसम्मद्दिठी (अमायिसम्यकदष्टि) प१५।४६; ३४।१२,३५॥३ अमाइसम्महिठी उबवण्णग(अमायि सम्यकदृष्ट्युप पन्नक) प १७।२७ अमाण (अमान) ज २१६८ अमाय (अमाय) ज २१६८ अमावासा (अमावास्या) ज ७।१२५,१३७,१४७, १४८.१५०,१५१,१५४,१५५, सू १०७,२३ से २६,१३६,१३७,१४८ मे १५१,१५७ से १६१, १३.१ से ३,६, अमिज्ज (अमेय) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४,१४७,१६८ २१२,२१३ अमित्त (अमित्र).ज ३।२२१ अमिय (अमृत) प २१६४११६ अमिय (अमित) प२१४०१७ ज ७१७८ अमियवाहण (अमितवाहन) प २१४०१७ अमिलाय (अम्लान) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अमिलाव (अमिलाप) ज ४१२३८ अमूढदिदिठ (अमूढदृष्टि) | ११०१।१४ अमोहा (अमोहा) ज ४११५७।१ अम्मता (अम्बा) उ ४१११ अम्मया (अम्बा) उ १२३४,४०,४३,७४, ३६८, १०१,१३१ अम्मा (अम्बा) प १११३,१८ उ १७१,७३,८८ अम्मापिइ (अम्बापितृ) उ राह अम्मापियर (अम्बापितृ) उ ११६३ ; ३११२६,१२८ ४।११,१४,१५,१६, २७,३८ अम्ह (अस्मत्) प ११३ ज ५।३ सू ११२० उश१५ अय (अज) प.१६४; ११।१६ से २० ज २१३४, ३५७।१८६।३ अय (अयस्) प १२०१ ज १७ अयकरय (अजकरक) ज ७:१८६।२ स २०१८,८।२ अयखंड (अयस्खण्ड) प ११।७४ अयगर (अजगर) ११४६८,७२ ज २०४१ अयगोल (अयोगोल) ११४८१५६ अयण (अयन) ज २१४,६६७१२६,१२७ सू ६.१८१११३७,६,१२ से १४ अयदेवया (अजदेवता) स १०।८२ अयमाण (अयमान) ज ७१२०,२३,२६,२८ सू १११४,१६,२१,२४,२७, २॥३,६६१,१३११ १४॥३,७ अयल (अचल) ज ३७६,११६ अयसिकुसुम (अतसीकुसुम) प १७।१२४ अयसी (अतसी) ५११४५२२।३१ ज १३७ अयाणंत (अजानत्) प १।१०१५ अयोझ (अयोध्य) ज ३१३५ अयोमुह (अयोमुख) प ११८६ अर (अर) ज ३१३५ अरइ (अरति) प २३७७ जं २७० अरजा (अरजा) ज ४१२१२ अरणि (अरणि) ज ५११६ उ ०३१५१ अरण्ण (अरण्य) ज २२६६,१३१ अरति (अरति) प २३१३६,१४५ अरतिरति (अरतिरति) प २२०२० Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अरत्त-अवज्झा अरत (अरक्त) प २१७० ६४,७२,७८,१५०,१८०,२०६,२२४;५।१४, अरय (अरक) ज ३।३० २२,३६,४१,४३ उ ११३५,७०,३१५०,११०, अरय (अरजस्) सू २०१८१७ ११३; ४११८,२०, ५।१७ अरयंबर (अरजोम्बर) प १५० से ५३,५४ अलंकारिय (अलंकारिक) ज ४।१४० ज २१६१ अलंकित (अलङ्कृत) सू २०१७ अरयंबरवत्थधर (अरजोम्बरवस्त्रधर) ज ५१८, अलंकिय (अलङ्कृत) प २१४८ ज ३१६,८५,२११, ४५ २२२,४१४६,५१५८ उ १।१६,४२,३३२६, अरया (अरजा) ज ४।२१२१२ १४१ ; ४.१२ अरबाक (अरबक) प ११८६ अलंबुसा (अलम्बुसा) ज ५१११११ अरविंद (अरविन्द) प ११४६.११४८।४४ अलकापुरी (अलकापुरी) ज ३।१ ज ३११७ अलत्तग (अलक्तक) उ ३३११४, अरसमेघ (अरसमेघ) ज २।१३१ अलद्ध (अलब्ध) उ ३.३८ अरह (अर्हत्) ज २१६३ से ६७,७३ से १०; अलभमाण (अलभमान) उ ११६६ ५३५८,६५ उ ३।१२,१४,२९,४६,७६,४।१०, अलसंडविसयवासी (अलसण्ड विपयवासिन) ११,१३,१४,१६,२०,५।१४,२०,३२,३३,३६, ज३८१ ३७,३६ से ४१ अलाय (अलात) ५११२६ अरहंत (अर्हत्) प ११६१ ६।२६ ज ११:५।२१ अलिय (अलीक) उ ११४७ सू० २०१९४४ उ १६१७ अलेस्स (अलेश्य) प ३१६६,१३।१६, १७१५६, अरहंतवंस (अर्ह वंश) ज २११२४ ५८,१८७५, २८११२४ अरि (अरि) ज २।२८ अलोग (अलोक) प १०१२,४,५; १५:१२ अरिट्ठ (अरिष्ट) ५१३५।२ अलोय (अलोक) प २१६४१३,१५।५७,३३३१३ अरिठ्ठनेमि (अरिष्टनेमि) उ ५११४,२०,३२,३३, अलोवेमाण (अलोपयत् ) उ १११११,११२ ३६,३७,३६, से ४१ अमोह (अलोभ) ज २१६८ अरिस (अर्शस ) ज २१४३ अल्ल (आद्र) उ ११४४ से ४६ अरिह (अह) ज १२ उ ११३६,४२ अल्लइकुसुम (आद्र कीकुसुम) प २७।१२७ अरुण (अरुण) ज ४।८४,८५ सू २०१८,८१५ अल्लग (आद्रक) ज ३१११६ अरुणवर (अरुणवर) प १५।५५।१ सू १६६३१ अल्लोण (आलीन) ज २११५,१६, ७।१७८ अरुणवरोभास (अरुणवरावभास) सू १९३१ अवक्कम (अव- क्रम्) अवक्कमइ उ ३।११३, अरुणोभास (अरुणावभास) ज ४१८५ अवक्कमति ज ३११११,११५.१६२,२०८; अरुणाभ (अरुणाभ) सू २०१२ ५५,७,५५ अवक्कमह ज ३१२४,४१२० अरुणोद (अरुणोद) सू १६३१ अवक्कमित्ता (अवक्रम्य) ज ३।१११, उ ३१११३; अरुय (अरुज) ज ५।२१ ४१२० अरूवि (अरूपिन् ) प ११२,३,५।१२,३,१२४ अवगाह (अवगाह) प १७१११४।१ अरुह (अह.) अवचिज्ज (अव: चि) अवचिज्जति अरुहत ज ३११२६ प २११६७ अलंकार (अलङ्कार) ज २१६५,६६,१००,३।१२ अवज्झा (अवध्या) ज ४१२१२,२१२१४ Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवद्वित-अवाय ५३५ अवठित (अवस्थित) ६.१,१६२२॥११ ५५,५७,६५,६८,७२,७५,७६,९८,१०६,१३१, अवत्तिा (अवस्थाय) यू १६।२२।२२ अवठिय (अवस्थित) प ३३१२५ ज १।११,४७, अवर विदेह (अपरविदेह) प १६।३०।१७।१६१ ३।६२,११६,२२६,४१२२,५४,६४,१०२,१५६, जे रा६४/६४,६६,२१३,२६३।१ २१२ ; ७।३१,३३,१०१,१०२,२१० सू ४१३ अबरविदेहकूड (अपरविदेहकूट) ज ४१६६ ४,६,७,८१ उ ३।४३,४४ अवरयेयालि (अपर'वेयाली') प १६।४५ . अवड्ढ (अपाधं) प १८५६,६४,७७.८३,६०,१०८ अबराइया (अपराजिता) ज ४।२०२।२,२१२, सू ११२२;६।३ २१२।२ अवड्ढखेत्त (अपार्धक्षेत्र) १०।४,५ अवलद्ध (अपलब्ध) ५१४३ अवडढगोलगोलच्छाया (अपार्धगोलगोलछाया) अवव (अवव) ज २१४ सू ६५ अववंग (अववाङ्ग) ज २।४ अवडढगोलच्छाया (अपाधंगोलच्छाया) ६।५ अवस (अवश) उ १५२,७७ अवडढमोलपुंजच्छाया (अपाधंगोल पुजछाया) अवसण (अवसन) ज ३११११,११३ मू ६५ अवसाण (अवसान) प ८१३ ज ३।६,२१७,२२२ अवडढगोलावलिच्छाया (अपार्धगोलावलिछाया) अवसिठ्ठ (अवशिष्ट) प २३३१७५ ज ४११६२ से १६४,२०४,२०८,२१०, अवड्ढभाग (अपार्धभाग) सू १२॥५ २६२,२७१,२७४ ,५१४६,५० अवडढवाविसंठिय (अपार्द्धवापीसस्थित) सू १०.३१ अवसेय (अवशेष) प २५४; ३३१८२५१३७,३६, अवणीयउवणीयवयण (अपनीततोपनीतवचन) ७४, ८६,१०७,१४६,१५६,१६०,१६३,१६७, प१११८६ २००,२०३,२०५,२०७,२२४,२४२१७।१७, अवणीयवयण (अपनीतवचन) प ११३८६ २०१२३,२२१२४; २४११:२६।४,८,२७१२; अवण्ण (अवर्ण) प ३०।२७,२८ २८११२५,१३३,१३६,१३७,१४१ से १४३; अवतंस (अवतंस) सू ५१ ३०१२४,३६१२० ज २१४६,५६,६२,६५,६६, अवतव्बय (अवक्तव्यक) प १०१६ मे १३ १०१,१०२,११३,११४; ४।५३,१४०,१६५, अवदाल (अवन दलय) अवदालेति प ३६।८१ २६५,२६८,५।४२,४५,७१३४१४,१३५१४, अवदालेत्ता (अवदल्य) प ३६८१ १५३ सू १०१२२:१३११, २०१३ अवद्दार (अपद्वार) उ ११११७ मे ११६ अवहाय (अपहाय) ज २१६ अवमंस (दे० अमावास्या) ज ७।१२७१,१६७१। अवहार (अपहार ) प १२॥३२ अवय (अवका) प ११४६,११४८११,११६२ शैवाल अवहिय (अपहृत) ५१२४,३३ अवर (अपर) प १११६,११४८१४,८११६१ ज अवहीर (अप । ह) अवहीरंति प १२।७,८,१०, ४११७; १३७,१५१,५३६ च ५२ सू ।। १२,१६,२०,२४,२७,३२ अवहीरति २.१,३।११०१५,१२७,१३१५,१७,१८१, १२।२७,३२ अवहीरमाण (अपह्रियमाण) प १२।२४,३३ अवरक (अप-क) म १३११२ अवाउक्काइय (अवायुकायिक) प २१:५० अवरत्त (अपरात्र) उ १५१,६५,७६, ३।४८, १० अवाय (अवाय) प १५१५८।२१५।६६ Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अधि-असंखेज्ज अवि (अपि) प २११३ ज ४२०० सू १।२५,५1१। उ ११३१, ३१११,४१६५४५ अविदमाण (अविन्दान) उ १२४१,४३ अविग्गह (अविग्रह) प ३६।६२ अविग्ध (अविघ्न) ज २०६४ अविणिज्जमाण (अविनीयमान) उ १५३५,४०,४३ अविणीय (अविनीत) ज ३१०६ २०१६१६ अवितह (अवितथ) ज २७८ उ ११२४,४२ ३।१०३ अवियाउरिया (दे० अविजनयित्री) उ ३११३१ अवियाउरी (दे० अविजनयित्री) उ ३६७ अविरत (अविरत) प ३।१८३ अविरत्त (अविरक्त) सू २०१७ अविरय (अविरत) प ११८६ अविरल (अविरल) ज २१५ अविरहिय (अविरहित) प ६१९,६२,६३, ११। ७०,२८१४,२६,५० सू १०७७; १६३२२।१७ अविराहियसंजम (अविराधितसंयम) प २०१६१ । अविराहियसंजमासंजम (अविराधितसंयमासंयम) प २०६१ अविसय (अविषय) प १११६७,२८३१७,६३ ज ७१४६ अविसारय (अविशारद) १० १११०१।११ अविसुद्ध (अविशुद्ध) प १७:१३८ अविसुद्धलेस्सतराग (अविशुद्धलेश्यतरक) प १७७ अविसुद्धवण्णतराग (अविशुद्ध वर्णतरक) प १७।६, १७ अविसेस (अविशेष) प २।३,६,६,१२,१५ अविसेसिय (अविशेषित) ज १५१ अविस्साम (अविश्वाम) प २१४८ अवीरिय (अवीर्य) ज ३.१११ अवे (अप-। इ) अवेति प २८५१०५; ३४।१६ अवेद (अवेद) प २६४।१ अवेदग (अवेदक) प ३।६७:१३६१६ अवेदणा (अवेदना) प २१६४।१ अवेदय (अवेदक) प १८१६३; २८।१४० अवेदिय (अवेदित) प ३६८२ अब्वय (अव्यय) ज ११११,४७,३३१६७,२२६; ४।२२,५४,६४,१०२,७।२१० उ ३१४३,४४ अन्वहिय (अव्यथित) ज २१४६ अव्वाबाह (अव्याबाध) प २१६४११४,२०,२२; ३६४६४११ ज ५१२१ उ ३.३०,३५ अश्वोच्छिण्ण (अव्यवच्छिन्न) ज ३१३ अन्योच्छित्तिणय (अव्यवच्छित्तिनय) सू १७११ २०११ अन्वोयड (अव्याकृत) प १११३७ार अस (अस्) अत्थि प ११७५,८०,५।६६; १२।६,१५१६५,६६,१७३३,२८।१२३,१३६, १४१,१४२,१४५ ज ११४७ आसि ज २४७ आसीप २६४१५ सिया स१०।२५ असइ (असकृत) ज ७१२१२ असंकिलिट्ठ (असंक्लिष्ट) प २।३१,१७११३८ असंख (असंख्य) प ११४८।६० असंखभाग (असंख्यभाग) प ११४८६० असंखिज्जइभाग (असंख्येयभाग) प २३.१०१, १५१,१५७ असं खिज्जगुण (असंख्येयगुण) ५१८१६३,२११४० असंखिज्जतिभाग (असंख्येयभाग) प २१४८ असंखिज्जसमइय (असंख्येयसामयिक) प १५।६१ असंखेज्ज (असंख्येय) प १११३,२०,२३,२६,२६, ४८,११४८१८,४०,५६,२।१०,११,४१ से ४३, ४६,४८५०,५६३११८०:५२,३,५,१२६, १२७,१४४,१४५,१५१,६१४२,६० से ६४,६८, १०।१६.१८ से २०,२३,२५,२८,३०,११।५०, ७०,७२,१२१७,८,१२,१६,२०,२४,२७,३१, ३२,१५.१२,२५,५८११:१५८३,८४,८७,६१, ६२,६४ से ६६,१०३,१०४,११८,१२० से १२३,१२५ से १२८,१३५ से १३७,१४० से १४२,१७११४१,१४३:१८१३,२६,२७,३७ Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असंखेज्जइभाग-असंविदित ८३७ ३८,४१,४३,६५,१०७,११७,२८1५,५१:३३॥ २८१२२,३४,३६,६८,३३३१२,१३,१६,१७, १०,१२,१३,१६,१७,३४११३:३६।८,१३ से ३६।६६,७०,७३,७४ १५,१७ से २०,२२,२३,२५,२६,३३,३४,४४, असंखेज्जपएसिय (असंख्येयप्रदेशिक) प ५१३५, ६६,६८,६२ ज ११४६:२१४,५८,८४,९०,१५७; १३६,१६५,१६६,१८३,१८४,१६६,२००, १३४१६५४ ३३३;४।५२,१६५:५।४४ सू १३१२,१४।४,८%; २२०,२२१,१०१७,२२,२७,१११४६ १८.१,१६।२२।११६१३४,३५,३७,३८ असंखेज्जपदेसिय (असंख्येयप्रदेशिक) ३३१७६; असंखेज्जइभाग (असंख्येयभाग) प १७४,८४; ५११२७,१८४,१०,१७,१६,२३,२८ २२१,२,४,५,७,८,१३,१६ से ३२,३४ ३५,३७. असंखेज्जभाग (असंख्येयभाग) प ५१५,१०,२०,३०, ३८,४१ से ४३,४६,४६,५०,५२,५८ से ६०; ३२,१०२,१२६ ४११४६,१५१,१५७:१५।२२,१८।२७,७० से असंखेज्जवासाउय (असंख्येयवर्षायुष्क) प ६७१, ७२,६५,११७,२०६३,२११३८,४० से ४२, ७२,७६,८१,६४,९५,६७,१०७,१०८,११६; ४८,६३ से ६७,७०,७१,८४,८६,६० से १२ २११५३,५४,७२ २३१६१,६४,६६,६८,७३,७५ से ७७,८३ से असंखेज्जसमइय (असंख्येयसामयिक) १९७१ ८६,८८ से १०,६२,६५ से १६,१०२ से १०४, २८१४,३८,३६१२,८४,९२ १११ से ११४,११७,११८,१३४,१३५,१३८, असंखेज्जसमयट्ठितिय (असंख्येयसमयस्थितिक) १४०,१४२,१४३,१५१ से १५३,१५५,१५६, प ५१४८,११:५१ १६०,१६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से असंखेज्जसमयठितीय (असंख्येयसमयस्थितिक) १७३,२८।४०,६६ उ ३।८३,१२०,१६१; प३१८१ ४।२४ असंखप्पद्धपविठ (असंक्षेप्याध्वप्रविष्ट) असंखेज्जग (असंख्येयक) ५ १२१७ प २३।१६३ असंग (असम) प २१६४११,२१ असंखेज्जगुण (असंख्येयगुण) प २०६४।११,३।१०।। असंजत (असंयत) प ३३१०५, ६१६७,६८ से २३,२६,२६ से ३६,३८,३६,४५ से ५२,५६ असंजय (असंयत) प ३।१०५; १७।२३,२५,३०; से ६३,७१ से ६६,१०१,१०३ से १०५,१०७, १८६०; २०१६०; २१७२३२११ से ४,६ १११,११६,११७,११६,१२०,१२२,१२५ से। असंजयभबियदव्वदेव (असंयतभविकद्रव्यदेव) १२६,१३१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, प २०६१ १८३,५१५,१०,२०,३२,१२६,१५१;६।१२, असंठाण (असंस्थान) ५३०४२७,२८ १९,२५,१०।३ से ५:११४६०:१५।१३, असंत (असत्) प २१६४।१७ १७०५७,६०,६३,६४,६७,६८,७१,७३,७४,७६, असंतप्यमाण (असंतप्यमान स 12 ७६ से ८३,१४४ से १४६,२०१६४,२१।१०४, ' असंदिद्ध (असंदिग्ध) उ० १२४,४२ १०५,२८७,५३;३४।२५,३६।३५ से ४१,५२, , " असंपत्त (असंप्राप्त) प १४२०,२३,२६,२६,४८% ६२ २३१,१६।२२ ज ४।४२,७१,७७,९४,२६२, असंखेज्जजीविय (असंख्येयजीविक) प ११३५,३६ __५१५,३८,४४ सू१०।१४२,१४७,१२।३० असंखेज्जतिभाग (असंख्येयभाग) प २१५१,६१,६३, असंभंत (असम्भ्रान्त) ज ५१५,७ ६४ ; ४११५५,१२१८,१२,१६,२४,२७,३१, असंविदित (असंविदित) उ ११०७,१०८,११६, १५७,८,४०,४२:१८१३,४१,४३,२३१५१, Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३८ असंसारसमावण्या-असुरकुमार असंसारसमावण्ण (असंसारसमापन्न) प ११० से । असाढय (अपाढक) ११४२११ असात (असात) प ३५।११२; ३५।८,६ असंसारसमावण्णग (असंसारसमापन्नक) असातवेदग (असातवेदक) ५ ३.१७४ प११:३६, २२।८ असातावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३१२६,१८० असकण्णी (अश्वकर्णी) प ११४८।१ असामण्णक (असामान्यक) सू १३१५,६,१२,१३,१७ असककारिय (असत्कारित) उ १२११७ से ११६ असाय (असात) १ २२१५ असच्चामोसभासग (असत्यमृषाभाषक) ५१११९० असायावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प२३१६ असच्चामोसमण (असत्यमृषामनस) प १६६१,७ असायावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३।१६,६४, असच्चामोसमणजोग (असत्यमृषामनोयोग) ५३६३८६ असासय (अशाश्वत) ज ७२०८,२०६ असच्चामोसवइ (असत्यमृषावाक्) १ १६३३,६,१३ असाहुदंसण (असाधुदर्शन) उ ३.४७,७६ असच्चामोसवइजोग (असत्यमृषावारयोग) असि (असि) प २१४१:१५।१।२१५५० प३६।६० ज २।२३,३१,१७८ ; ३३१७८; उ ११३८ असच्चामोसा (असत्यमृषा) प १११२,३,३५,३७, असिय (असित) प २१३१ ४२ से ४६,८३ से ८५,८८,८६ असिरयण (असिरल) ज ३३१०६१७८, २२० असण (अशन) प ११३५१३ उ ३१५०,५५,१०१, असिरयणत्त (असि रत्नत्व) प २०१६० ११०,१३४,१४६ असिलेस (अश्लेष) ज ७:१२६११,१६२ असणि (अशनि) प १२६ मू २०११ असोइ (अशीति) प २५६।३ असणिमेह (अशनिमेघ) ज २२१३१ असीइमंगुलमूसिय (अशीत्य गुलोच्छित) ज ३।१०६ असण्णि (असंज्ञिन्) प १८४; ३१११२; १७:२०; असीति (अशीति) प० २०५१ सू ११२२; १२१५,१२ १८।१२०:२०१६१,६३, २३३१६७,१७१; असुइ (अशुचि) प २२० से २७ ज २।१३३,५५ २८.११७ से ११६३१११ से ३,५,६,६३१ उ ११६३,३।१२६,१३० ३५०२० असुइजायकम्मकरण (अशुचिजातकर्मकरण) असपिणआउय (असंजयापुष्क) प २०१६२ उ० ११६३ ; ३११२६ असण्णिभूत (असंज्ञिभूत) प ३५।२० असुइय (अशुचिक) प ११८४ असण्णिभूय (असंज्ञिभूत) प ११४८:१७183 असुभ (अशुभ) प २२० से २७, २२६४ ३५१८ असुभणाम (अशुभनामन्) प २३१३८,१२३ असणिहि (असन्निधि) ज २११६ असुभत्त (अशुभत्व) प २८१२४ उ १२७,१४० असण्णिभूय (असं जिभूत) प १७।२० असुर (असुर) १०२१३०१,२१४०।१,५,१०, असत्य (अशस्त्र) ज ३।६२, ११६ उ ३३३८,४० ५।३,३६१४६ ज २६४; ३।२४।१,२, असमोहत (असमवहत) प ३।१७४ १३१६१,२,३२१८५,२०६५५२; चं ११२ असमोहय (अममवहत) प ३.१७४,३६॥३५ से ४१,४८ से ५१ असुरकुमार (असुरकुमार) प १११३१; ॥३१ से असम्माणिय (असम्मानित) उ० १११७ से ११६ ३३,४०1८४१३७ से ३९५६ से ८,४८ से असरीर (अशरीर) २०६४।१२,३६।६३,६४ ५०,१२१, ६।१७,५२,६१,८१,८५,६३,१०१, असरीरि (अशरीरिन् ) प २८११४१ १०६,१११,११२,११४, ७।२८।३६३; Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असुरकुमारत्त-अहवणं ८३६ १५,१०,१११४४; १२२,१५,१६,३१; १३।१५,२०१५।१६,३५,७१,७८,८४,८७, १०२,१३६,१३८; १६:३,११,१६,१७:१४ से १७,२६,३०,३३,३४,६३,६८,६६,१०१, १०२,१०५,१६१; २०१३,५,६,११,१२,१५, २० से २४,२७,३५,३७,४४,६०, २११५५, ६१,७०,६०%, २२।२३,३७,४५,२८.१,२५, ७४,१०६ ; ३१।२; ३३।१०,२०, ३४।२,४,५, ३५१३,३६५,८,१६,२०,२३,२४,२६,३७, ४१,५०,५५,६९,७२ उ २०१७ असुरकुमारत्त (अमुरकुमारत्व) प १५१६५,६७, ११६,१४१३६।१८,२०, २२ से २४ असुरकुमारराय (असुरकुमारराज) प २।३१,३२ ज २११३,५१५०,५१ असुरकुमारिद (असुर कुमारेन्द्र) प २१३१,३२ असुरकुमारी (असुरकुभारी) प ४१४० से ४२; २०१२ असुरिंद (असुरेन्द्र) ज २१११३,५१५० से ५२ सू २०१७ असुह (अशुभ) प २२० से २७ असेलेसिपडिवण्णग (अशैलेशीप्रतिपन्नक) प १११३६, २२१८ असेस (अशेष) ज ७।१३५३२ असोग (अशोक) प० ११३५३ ज २१६५, ३।१२, ३५,८८,१८८,४।२१२१२,५०५८ सू २०१८, २०१८१७ उ १२१, ३६५६,६४,६६,६८,७६ असोग (लता) (अशोकलता) प ११३६१ असोगवडेंसय (अशोकावतंस) प २।५०,५२ असोगवणिया (अशोकवनिका) उ ११५५ से ५७, ८० से ८२ असोगवण (अशोकवन) ज ४११६ असोगा (अशोका) ज ४१२१२ अस्प्त (अश्व) प ११६३ अस्संजत (असंयत) प ३२०६१ अस्संजय (असंयत) प ११८६; २८।१२६% ३२।६।१ अस्संजयभवियदव्वदेव (असंयतभविकद्रव्यदेव) प२०६१ अस्सण्णि (असं जिन्) प ११७४६।८०१ अस्सतर (अश्वतर) प ११६३ अस्सदेवया (अश्वदेवता) सू १०८३ । अस्सपुरा (अश्वपुरा) प ४।२११ अस्सरह (अश्व रथ) प ३१२१,२२,३४ अस्मातावेदग (असातवेदक) प ३११७४ अस्सातावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प २३१६ अस्सातावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३११६ अस्साय (आ-!- स्वादय) अस्साएइ प १५।३.८ अस्साएंति प २८१२२,३६,६८ अस्सायण (आश्वायन) ज ७१३२ सू० १०६६ अस्सायावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प २३।३१।। अस्सिणी (अश्विनी) ज ७।११३११,१२८,१२६, १३६,१४३,१४६,१५५,१५८,१५६, सू१०११ से ६,१०,२२,२३,३४,६२,६५,६६,७५,८३, ६६,१२०,१३१ से १३३,१५४ अस्सेसा (अश्लेषा) ज ७/१२८,१३४,१३६,१४०, १४७,१५० सू १०१ से ६,१४,२३,२५,४२, ६२,६६,७५,८३,१०७,१२०,१३१ से १३४।२, १५७ अस्सोई (आश्वयुजी) ज ७।१४०,१४३,१४६ सू १०१२३ अस्सोय (आश्वयुज) सू १०।१२४ अह (अथ) प ५१५ उ० ३१२६ अह (अधस्) ज ३११८८ अहक्खाय (यथाख्यात) प १३१२४,१२६ अहक्खायचरित्तपरिणाम (यथाख्यातचरित्रपरिणाम) प०१३।१२ अहत (अहत) ज २११००; ३1३५,२११,५१५८ अहत्ता (अधस्ता) प० २८१२४,२६ अहमिद (अहमिन्द्र) प २०६०,६१,६२।१,६३ अहय (अहत) ज ३१६,११७.१२,२२ अहर (अधर) प २१३१ अहवणं (अथवा) प० १२११२ Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४० अहवा-अहोसिर अहवा (अथवा) प १११०३ ज २।६६ सू १०।१२० बांधे जानेकला उ ११११५ अहिवइ (अधिपति) ज ३१२६,३६,१५६,५१८,४६ अहाछंद (यथाछन्द) उ ३३१२० अहिसलाग (दे०) प ११७१ अहाछंदविहारि (यथाछंदविहारिन् ) उ ३।१२० । अहीण (अहीन) उ ५१४५ अहापडिरूव (यथाप्रतिरूप) उ ११२, ३।२६,६६, अहीय (अधीत) उ ३।४८,५० १३२,५।२६ अहणोववण्ण (अधुनोपपन्न) उ ३११५,८४,१२१, अहाणुपुम्वी (यथानुपूर्वी) ज ३११७८,१७६,२०२, १६२ २१७:५१४३ अहे (अधस्) प २।२० से २७,२७१३,२।३०,३१, अहाबायर (यथाबादर) ज ३.१९२,५१५,७ ४१,११६६५,६६,६६१,१६:५५, २११८७, अहामालिय (यथामालिक) ज ३१६ ६०,६१,२८।१५,१६,६१,६२, ३३।१६ अहारिह (यथाह) उ ३।११५ ज २१६५,७१,७१५४,१६८।१ सू २:१; अहासुह (यथासुख) उ ३११०३,११२,१३६,१४७, ४।१०,१६:२२, २०११,२ उ ११४६, ३१५६, १४८,४।११,१४,१५,१६ ६४,६८,७१,७४ अहासुहम (यथासूक्ष्म) ज ३१६२ अहे (अथ) उ ३१५११ अहि (अहि) प श६८,६६,७१ ज० २।४१ अहेतु (अहेतु) प ३०१२७,२६ अहिंग (अधिक) सू ११२७; १५२४,२५ अहेदिसा (अधोदिशा) ५ ३।१७६,१७८ अहिगम (रुइ) (अधिगमरुचि) प १११०१११ अहेलोइय (अधोलौकिक) प २११६२,६३ अहिगमरुइ (अधिगमरुचि) प १५१०११८ अहेलोय (अधोलोक) ५० ३।१२५ से १७३,१७५, अहिगरणिया (आधिकरणिकी) ५२२६१,३,४८, १७७ ५३ से ५६,५८,५६ अहेसत्तमा (अध:सप्तमी) प ३।१७,१८,४॥२२ से अहिगरणिसंठिय (अधिकरणीसंस्थित) ज ३.९४, २४६.१६,५१,६०,८०,८८,६१,६२,१००, १३५,१५८ १०६१०२,३,१६२६,२०७,४३,५७%, अहिगरणी (अधिकरणी) प २२१४८ २११५२,५६,६७,८७,३०१२६,३३१६,१७ अहेसत्तमापुढवि (अध:सप्तमीपृथ्विी) १० २०१५२ अहिछत्ता (अहिछत्रा) प ११९३२ अहिज्ज (अधि- इ) अहिज्जइ उ २०१० अहो (अहो) ज ३११२६ उ ११६२,५१२२ अहोरत्त (अहोरात्र) ज २१४,६६; ७२० से २४, ३३१४:५२८ २६ से २६,१२२,१२६,१२७,१३४११, अहिज्जंत (अधीयान) प ११०१०६ १३५२१ से ४,१५६,१५७,१६० सू १११४, अहिज्जित्ता (अधीत्य) उ २६१०३।१४; ५॥३६ १६,२१,२४,२७,२२३; ६:१; ८।१,१०१३,६३ अहिय (अधिक) प २१२७१२,१३।२२।२,२३।१४७, से ७४,८४,१३४,१२।२ से ५,१२,१५१११, १५८,१६२,१६५ ज २११३१३१३६,७६,११७, १२,२६ से ३१,३४ २२२,४१४६७२७,२९,३० सू १११४,१६, अहोलोग (अधोलोक) ज ५१ से ३,५ २१,२४,६।११।२८,३१,३२:१६।११.१ अहोलोय (अधोलोक) प २१,४,१०,१६ से १६,२८ अहियास (अधि+सह, आस्) अहियासिज्जति अहोवाय (अधोवात) प १२६ उ ५१४३ अहिया सेइ ज २१६७ अहोसिर (अध:शिरस्) ज १५; १८३ उ०१३ अहिलाण (दे०) ज ३।१०६,१७८ घोड़े के मुंह पर Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आइ-आउहघरसाला ८४१ आ आइ (आदि) प ५१४,१४३,२१८, २५।४ ज २१२१:५१२७,४०,५५,५७, ७/४५,५० उ २२२२, ५।४५ Vआइक्ख (आख्या ) आइक्खइ ज ७२१४ उ१६८ आइक्खग (आख्यायक) ज २०६४ आइगर (आदिकर) ज ११ उ ३।१२,५११४ आइच्च (आदित्य) ज ३१३,७४२५,३०,१११, ११२१४,५ सू १६।३।१०।१२८,१२६१४,५ आइच्चचार (आदित्यचार) च ५१३ आइणग (आजिनक) ज ४।१३ आइण्ण (आकीर्ण) ज २१३४, ३.१०३,१७८ आइय (आदिक) ५ ११५०,५१,६०,७५,७६,८१, २४।८ ज १३५,६४,१४४,३११८५; ४१२४८,२५१, ५.३८,५७,७११२६ उ २११०, १२३३१४,१६१,२५०२८,३६,४१ आइय (आचित) १७११६ आइल्ल (आदिम) प ५.१०२, २२।३५,५१,५४ आइल्लिग (आदिम) प १७।३० आइल्लिय (आदिम) प २२।७३,७४ आईणग (आजिनक) सू २०६७ आईय (आदिक) ५ १४।१८, २८।११६; उ १६६,६७,६४,४११३३ आउ (दे० अप) प ६६१०२,१०४,११५; ६।४; १११२६ से २८; १३१६:१७।३३१८१२६, ३२,२०१८,२२,२८,२११८५:२२।२४:२८।१२३ आउ (आयुष) ज ११२२,२७,५०,२१४६,५१,५३, ५४,५८,१३३ से १३५,१६१; ३१३; ७११३०, १८६।४,२११ आउ (काइय) (दे० अकायिक) प १७१४० आउकाइय (अप्कायिक) प ११५, ३१५० से ५२, ५५, ६० से ६३,६६,७१ से ७४, ७७,८४ से ८७,६०,६५,१५६ से १६१,१८३,४।६५ से आउकाइयत्त (अकायिकत्व) ज ७।२१२ ७०,५॥३,११,१२,६.१६,१०२,१५११३७ आउक्काइय (अप्कायिक) प ११२१:२।४ से ६ ३।३।६।८६,१२।२२,१५।२६,८५,१७१६०, ६६,१०२,१८।३८,४०,४२,५०,२०११३,२५, २६,४४:२११२४,४०; २२॥३१ आउकाय (अप्काय) सू २।१ आउक्खय (आयुःक्षय) उ० २११३; ३३१८,८६, १२५,१५२,४१२६, ५।३०,४३ आउज्जीकरण (आवर्जीकरण) प ३६१८४ आउट्ट (आ+वृत्) आउज्जा ज २१६७ आउट्टि (आवृत्ति) सू १२।१८ से २८ आउड (आ.कुट ) आउडेइ ज ३१८८,१३५, १५५ आउडिय (आकुटित) ज ३।८६,१५६ आउत्त (आयुक्त) प १११८६ ज ३३१७८ आउदेवया (अब्देवता) सू१०।८३ आउपज्जव (आयुषपर्यव) ज २१५१,५४,१२१, १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ आउय (आयुष्क) ए ३३१७४; २०१६१,६३; २२।२८, २३११,१२,१८,३७,१४६,१६६,१८५ १६१,१६३,१६७ से २०१; २४११४:२६:११; २७१५,३६.८२,८३।१,६२ ज २१४६,५८,१२३, १२८,१४८,१५१,१५७, ३१२२५४।१०१ आउयबंध (आयुष्कबन्ध) प ६।११८,११६ आउयबंधद्धा (आयुष्कबन्धाध्वन् ) प २३।१६३ आउल (आकुल) प० २।४१ ज० २०६५ सू २०१७ आउस (आयुष्मत् ) प २।३,६,९,१२,१५,२० से २७, ६० से ६३; ३।३६, १५६४३,४५,३६७६, ८१ ज ११६.१६ से २१,२३,२५,२६,२८, ३० से ३६,३६ से ४३,४८,४६,५१,५४,१२१, १२६,१३०,१३३,१३८,१४०,१४६,१५४,१५६, १६०,१६३, ७.१०१,१०२,१२६, सू ८।१०; २०१७ आउह (आयुध) ज ३७७,१०७,१२४ उ ११३८ आउहघरसाला (आयुधगृहशाला) ज ३१४,५,६,१२, Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ १४,३०,४३,४१,६०,६८,१३०,१३६.१४०, ३०५,६ १४६, १७२,२२० आउरिय (आयुधमूहिक) आज्जणाम (आदेयनामत् ) प २३।१२६ आएस (आदेश) ज ३।१६७।६ आओग (आयोग) ज ३२१०३ आयोजित ( आयोजित ) २२५७ आओजिय ( आयोजित ) प २२५८ V आओस (आ· क्रुश्) आओस उ ११५७ आओसणा ( आक्रोशना ) उ ११५७,८२ आकासिया ( आकाशिक) ज २०१७ आकुल ( आकुल ) ज ३६,२२२ फोसावंत ( आक्रोशायमान) २०१५ आग ( आगति) ज २०७१ √ आगच्छ ( आ· · गम् ) आगच्छइ ज २१२४, ३।१०७, ११४७।२० से २५,७६,८२ २३ उ १।७० आगच्छति प ११।७२ २८|४०, ४३,६६२०३४,३५,३७,१०१७१०१. १०२,२०२,२०४,२०६८१ आगच्छति सू २३ आगच्छेज्ज प ३६।६१ आगच्छेज्जा प ३६।८१ ज २६ आगच्छमाण (आगच्छत् ) सू २०१२ आगत ( आगत ) प २०१६,१० आगम ( आ + गम् ) आगमेसि ज २१८१ आगमण ( आगमन) २।१६२ आगमेस्स (आगमिष्यत्) ज २९१३८, १६१ आगम्म ( आगम्य ) ज ५।५५ उ५७ आगय ( आगत ) प २०१६ से १,११ से १३: ३४।१।१ ज ३१८२ सू २०१७ उ० १११७,२२, १०७.१०८,१२७.१२८, १३८, १४० ३२७,२१, २५,२६,६१ आगर ( आकर ) प १७४ २१२२,१३१: ३।१८,३१,८१,१६७१२, ८, ३११८०, १८५,२०६, २२१ उ० ३।१०१ ५३६ आगरपति (अत्करपति) ज ३६१ अ. उपरिय-आणंदकूड आगायमाण ( अगायत् ) ज ५१५७ से १२,१७ उ० ३।११४ आगार (आकार) प १०३८३३३०१९.२४ आगार ( आगार ) प ३०२५, २६ आगारभाव (आकारभाव) ज १७,२१,२६, २७, २६,३३,४६,५०२१४,१४,१५,२०,५२,५६ से ५८,६५,१२२,१२३.१२७.१२८,१३१ से १३३, १३६, १४७, १४८, १५०, १५१.१५६,१५७,१५९ १६१.१६४ : ४१५६,८२,१००,१०१.१०६,१७०, १७१ आगारभावमाता ( आकारभावमात्रा ) प १७ १५०, १५२.१५५ आगरिस (आक) ६११:६।१२०, १२१.१२३ आगास ( आकाश ) प २२६४११६ १५१५३,५४, ५७ २०१०४.१०४.१०७,२११:५५८ २१६ आवासत्यिकाय (आकारिका) १३: ३१११४,११५, ११८, १२२ ५ १२४ १५:५३, ५४,५७ आगासथिग्गल (आकाशथिल ) प १५।५३,५६; १४।१२३ आगासफलोवम (आकाशफलोपम ) ज २१७ आगासफालिओमा (३०) प १७।१२५ आघवणा ( आख्यान ) उ३।१०६ आयवित्तए (आग्यातुम् ) ४३।१०१ आविट्ठ (आस्था) आविद्वामोज ३११३ आजीविय (आजीविक ) प २०६१ आजोजित ( आयोजित ) प २२५७ आडोव (आटोप) ज ७ १७८ आढई (आढकी) ११३७।१ आढत्त ( आर ) प १७११४८ / आढा ( आ + दृ) आढाइ उ ११३८ ; ३१५६ आति ३११८ आणंद (आनन्द) ज ७ १२२१२ सू १०६४/२ १।७१,७२२१२१ आणंदकूड (आनन्दकूट) ज ४।१०५ Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आणंदा-आदरिस ८४३ आणंदा (आनन्दा) ज ५।८।१ आणा (आज्ञा) प ११०१।५ ज ११४५,३१८, आणंदिय (आनन्दित) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१, १६,५३,६२,७०,७७,८४,१००,१४२,१६५, ५२,५३,६१,६२,६६,७०,७७,८४,६१,१००, १८१,१८५,१६२,२०६,२२१:५।१६,२३,७३ १३४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५.१७३, उश२०,४५,१०८ १८१,१८६,१६६,२१३,५१५,१५,२१,२३,२७, आणाईसर (आज्ञेश्वर) प२१३०,३१,४१,४९ २८,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,४२; उ ५.१० ३११३६ आणापाणु (आनप्राण, आनापान) सू ८११:२०१५ आणण (आनन) ५२१४६ ज ३।६,१८,६३,१८०, आणापाणुचरिम (आनप्राणचरम, आनापानचरम) २२२ प१०।४०,४१ आणत (आनत) प १११३५ आणापाणुपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापानआिणत्त (अन्यत्व) प १५।४४,४५ पर्याप्ति) प २८।१४२ आणत्ति (आज्ञप्ति) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४, आणामिय (आनमित) ज २०१५ ७२,१३३,१३८,१४५५६६१ उ १११६ आणारुड (आज्ञारुचि) प ११०१११,५ आणत्तिया (आज्ञप्तिका) ज २१०५,३७,६,१२, आणु (आन) प ११४८।५३ १३,१५,१८,१६,२८,२६,३१,३२,४१,४२, आणुगामिय (आनुगामिक) प ३३१३५,३६ ४७,४६,५०,५२,५३,५८,५६,६१,६२,६४, आणुपाण (आनप्राण, आनापान) प ११४८।५५ ६६,६७,६६,७०,७४ से ७६,८३,६६,१००, आणुपुटिवणाम (आनुपूर्वीनामन्) प २३।५४,१११, १२८,१४१,१४२,१४५,१४७,१४८,१५१, ११३,११४,१४६ १५४,१६४,१६५,१६८ से १७१,१७३,१७५, आणुपुवी (आनुपूर्वी) प ४४७।३।११।६८,६६, १८०,१८१,१६१,१६८,१६६,२१२,२१३,५।३, ६६।१२३३११२,११५,१७५,१६०; २८.१८, २८,६८,६६ से ७३ उ १।१७,१८,१२३,३।७; १६,६४,६५ ज ७४७,५० सू २०१८ उ २।१२, ४।१६,१७,५१८ २२:५॥३६ आणपाणपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापान आणुपुत्वीणाम (आनुपूर्वीनामन ) प २३१३८ पर्याप्ति) उ ३११५८४ | आणे (आतुम्) उ ११०७ आणपाणु (आन प्राण, आनापान) प १०५३।१ आणेत्ता (आनीय) उ ४११६ आणम (आ+ नम ) आणमंति, ७४१ से ४,६ आणेयव्य (आनेतव्य) ज २६४ आयपत्त (आतपत्र) ज ३।३ आणमणी (आज्ञापनी) प १११६,६,२७,३७१ आतरक्ख (आत्म-क्ष) प २१३१,४३ आणय (आनत) ५२१४६.५८,५६,५६।२,६३,३।१५३; आतव (आतप) ज २।१३४,३।११७ सू १६॥३,४ ४१२५५ से २५७, ६।३५,५६,६६,८६,६६, आतवा (आतपा) सू१८१२४ ११३;७१६:१५।८८,२११७०,६२:२८१८३; आतीय (आदिक) उ ४।१८ ३३।१६३४११६,१८ ज ४।२४६,५१४६; आस (आदर्श) ज ३१११,५१८ ७.१७८ आदंसघर (आदर्शगृह) ज ३१२२२,२२४ आणव (आज्ञापय ) आदसिया (दे०) प १७११३५ ज २०१७ आणवेइ ज ५।२२,२६ उ ११११० आदरिस (आदर्श) ज २१६८ Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ आदाण-आभिणिबोहियणाणि से ६ आदाण (आदान) सू१२।१५ आपुच्छित्ता (आपृच्छ्य ) उ २०११; ३१५०,५॥३८ आदाय (आदाय) ज २०६५ आपूरेत (आपूरयत्) ज ३३१४,१७२ आदि (आदि) प ११६४,७६,८९२५,४६,१३१, आपूरेमाण (आपूर्यमाण) ज ४।३५,४२,६४,१७४, १३४,१३६,१४०,१४७,१६३,१६६,१६६, २६२,५१३८ १७२,१७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६३, आबाहा (आबाधा) ज २३०,३६,४१ १६७,२००,२०३,२०५,२२१,२२४,२३०,२३२, आभकर (आभङ्कर) सू २०१८,२०८७ २३४,२३७,२३६,१०।२:११६६,६७,६६।१; । आभरण (आभरण) प २१३०,३१,४१,४६% २०१२५,२३।१०८:२४१८; २६१६; २८११२, ११।२५,१५१५५।२ ज २१६५, ३।६,११,१२, २८.१६,१७,६२,६३,१२३,१३३,१३६,१३७, २६,३६,४७,५६,६४,७२,७८,८१,८५,१३३, १४०३६।२०,४६ ज २।६।१,२१७१,१३१, १४५,१८४,२२२,२२४; सू २०१७ उ १११६ १४५ च १३ सू११६।३।५।११०१५,११२२ ४२,३।२६,११३,१४१,४११२,२० आभरण (वासा) (आभरणवर्षा) ज ५१५७ आदिच्च (आदित्य) सू १।१३,१४,१६,१७,२१, आभरणयिहि (आभरणविधि) ज ३११६७४ २४,२७, २०३६।११०५,१०,११,७७, आभरणारहण (आभरणारोहण आभरणारोपण) ज३।१२ १२।१,५,१० से १२,१३१५:१५।२३ से २५; आभासिय (आभाषिक) प ११८६,८६ १६।२२१४,७,८,२२, २०१५ आभिओग (आभियोग) प २०१६१ ज २१२६,६७, आदिच्चचार (आदित्यचार) सू १०।१२१,१२३ आदिपदेस (आदिप्रदेश) सू १३१६ ९८५११४,१५,५३,६१,७२,७३ उ ३१३७,६१ आभिओगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४।१७२ आदिय (आदिक) प ११४६,६६,२८१४५ आभिओगिय (आभियोगिक) प २०१६१ ज ५।३, सू १०११,१३१, २०१५ ४,२८,४३,५० आदिल्ल (आदिम) प ५१०५, २२१५१ आमिओग्ग (आभियोग्य) ज १११३,३।१६१, सू१६।२२।२५ आदिल्लिय (आदिम) प १७१९७ १६२,१६६,२०७,२०८५१२८,५४,५५ आभिओग्गसेढी (आभियोग्यश्रेणी) ज १२२८ से आदीय (आदिक) प ६१२३,१११३०,२२१४५; ३२, ६६५ २४।९ से ११२६१८,२८.१२३,१२६,१३७, आभिणिबोहिय (आभिनिबोधिक) प १७।११२, १४०,१४५,३६।२० उ १११६,११६ से १२२, १२५, ३।३१,४० आभिणिबोहियणाण (आभिनिबोधिकज्ञान) प ५१५, आदेज्ज (आदेय) ज २०१५ ७,२०,२४,४१,४२,४६,७८,६३,६७,१११, आदेज्जणाम (आदेयनामन्) प २३१३८ ११२,१७।११२,११३,२०।१७,१८,३४; आदेस (आदेश) प १८१६० २६२,१२,१७,१६,२१ आधाव (आ+धाव) आधाति ज ५१५७ आमिणिबोहियणाणारिय (आभिनिबोधिकज्ञानार्य) आपडिपुच्छमाण (आप्रतिपृच्छत् ) ज २१६५ प१९९६ आपुच्छ (आ+प्रच्छ) आपुच्छइ उ ३११४८% आभिणिबोहियणाणावरणिज्ज (आभिनिबोधिक ४१५ आपुच्छामि उ ३३१३६, ४।४५।२७ ज्ञानावरणीय) प २३।२५ आपुच्छणा (आप्रच्छना) उ २६ आभिणिबोहियणाणि (आभिणिबोधिकज्ञानिन) आपुच्छणिज्ज (आप्रच्छनीय) उ ३६११ प ३.१०१,१०३,५१४० से ४२,७७ से ७६, Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आभिणिबोहियनाणपरिणाम-आयाम ५४५ ६२ से १४,६६,१०० से ११२,११७:१३३१४, १७,१६,१८१८०; २८११३६ आभिणिबोहियनाणपरिणाम (आभिनि बोधिज्ञान परिणाम) प० १३६ आभियोगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४१२०० आभिसेक्क (आभिषेक्य) ज ३।१५,१७,२०,३१, ३३,५४,६३,६४,७१,७७,६१,१४३,१५१,१६६, १७३,१७५,१७७,१७८,१५२,१८३,१८५, १६६,२०२,२०४,२१४,२१७,४११४० उ ५:१८ आभिसेय (आभिषेक) ज ३।१०६ आभूय (आभूत) उ १७४ आभोएत्ता (आभोग्य) ज २१६० आभोएमाण (आभोगयत्) उ ३७,६१ आभोग (आभोग) प १४११८१ आभोगणिबत्तिय (आभोगनिवर्तित) प १४१६% २८१४,२५,२७,३७,४७,५०,७३ से ७५; ३४१५ आभोय (आ+ भोगय) आभोएइ ज २१६०,६३; ३१५६,१४५,५२१ आभोएंति ज३।११३; आयंक (आतङ्क) ज २१४३,५१५ उ ३।३५,११२, १२८ आयंत (आचान्त) ज ३८२ उ ३१५१,५६ आयंस (आदर्श) ज २।१५,५१५५ आयंसमुह (आदर्शमुख) प ११८६ आयंसलिवि (आदर्श लिपि) प १०६८ आयत (आयत) प ११४ से ६२२५० से ५२,५७, ५८,६१,६२,१०११५ से २५,२७ से ३०; १५१५२ ज ३।२४,१०६,१३१,१३८।१ आयय (आतत) १७,२॥३१,५३ से ५६,५६, ६०१०।२६:१३।२४ ज १।१८,२०,२३,२५, २८,३२,४८,४।८१,६८,१०३,१०८,१७२, १६१,२०३,२०५,२१४,२४५,२५१,२५२, २६८ उ ११२२,१४० आयर (आदर) ज ३११२,७८,१८०,२०६:५।२२, २६ आयरक्ख (आत्मरक्ष) प २१३० से ३३,३५:४०।५; २०४१,४८ से ५६ ज २४५२।१०४२०, ११२,१५११२२११५६११,१६,४०,४६ से ५१,५२।२,५३,५६ सू १८।२३ आयरिय (आचार्य) प१६५१ ज ३१३५ च १२ उ ५१२६,२८ आयव (आतप) ज ७/१२२।३ सू १०८४१३ आयवणाम (आतपनामन्) प २३।३८,११५ आयसरीर (आत्मशरीर) १२८१२०,३२,६६ आयाए (आदाय) उ १६३ आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमित (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) उ ३.66 आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिय (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) ज ३१६८ आयाम (आयाम) ५२१५०,५.६,६४, २११८४,८६, ५७,६० से १३,३६१६६,६८,७०,७२ से ७४, ८१ ज १७,२०,२३ से २५,२८,३२,३७,४०, ४३,४८,५१, २१६,१५,१४१ से १४५:३११, १८,३१,५२,६१,६६,६५,६६,१३१,१३७, १३८,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०४११,३, आमोयण (आभोगन) प ३४।१।१ आमंत (आ+ मंत्रय) आमतेइ उ ३।११० ४.१६ आमंतणी (आमन्त्रणी) प १११३७११ आमंतेत्ता (आमन्त्र्य) उ ३१५०, ४११६ आमलग (आमलक) प ११३६।१ आमलगसारिय (आमलकसारिक) सू १०।१२० ५ आमुस (आ - मृश्) आमुसइ उ १६१ आमुह (आमुख) सू१६१२३ आमेल (आपीड) प २१४१ ।। आमेलग (आमेलक) ज २११५:)३.१०६ आय (दे०) प १।४७ आय (आत्मन्) प १४१३ ; १४।१८१ आय (आय) उ १४१,४३ Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ आयारभाव-आलोअंत ६,७,६,१२,१४,१५,१६,२४,२५,३१,३३,३६ आराह (आ राध) आराहेहिति उ ५५४३ से ४१,४७,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से अराहणविराहणी (आराधनविराधनी) ११३ ६८,७०,७४ से ७६,८०,८१,८६,८८,८६,६१ आराहणी (आराधनी) प ११४३,८ से ६३,९८,१०२,१०३,१०८,११०,११२,११४, आराहय (आराधक) प ११८६ उ १२० ११६,११८ से १२०,१२२ से १२७,१३२, आराहेत्ता (आराध्य) 3 ५१४३ १३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५३ से १५६, आरिय (आर्य प १३८८,६०,६३३६,१११२६ १६५,१६७,१६६,१७२,१७४,१७६,१७८, उ १३१७ २००,२१५,२१६,२१८,२१६,२२१,२४२, आरूढ (आरुढ) ज ३१३५,१२१ २४५,२४८,५३३५७७,१४,१६,३१,३२११, आरुभित्ता (आरुह्य) सू ६१४ ३३,३४,६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१०७, आरह (आ: रह.) आरुहेति ज २।१०३,१०४ २०७ सू १।१४,२६,२७, ४१३,५ से ८,१८६ आरुहेत्ता (आरुह्य) ज २११०३ से १३,१६२०,३० उ ५४ आरोग्ग (आरोग्य) ज ३६२,११६ आयारभाव (आकारभाव) ज ११२२ आरोहग (आगेहक) ज ३।१७८ आयावण (आतापन) उ ३१५० आलइय (आलगित) प २१५० ज ५११८ आयावणभूमी (आतापनभूमी) उ ३.५०,५१,५३ आलंकारिय (आलंकारिक) ज ३११५० आयावेमाण (आतापयत् ) उ ३१५० आलंबण (आलम्बन) ज ४।२६ आयाहिण (आदक्षिण) ज १६; २१६३१५; आलंबणभूय (आलम्वन भूत) उ ३.११ ५५,४४,४६ उ १।१६,२१, ३.११३,४।१३ आलय (आलय) ज २७१ आरंभ (आरम्भ) उ १।२७,१४० आलावग (आलापक) प १७।१६७ से १७२; आरंभिया (आरम्भिको) प १७११,२२,२३,२५, २१:३१ सू ८१ २२।६०,६१,६६ से ६६,७६,६१,६८,१०१ आलिंगणवट्टिय (आलिङ्गनवतिक) ज ४।१३ आरंभियाकिरिया (आरम्भिकी क्रिया) प २२१६७ सू२०१७ आलिंगपुरखर (आलिङ्गपुष्कर) ज १११३,२१,२६, आरण (आरण) प १।१३५; २।४६,५६,५६२, ३३,३६,३६.४६:२१७,३८,५२,५७,११२, ६०,६३,३।१८३;४।२६१ से २६३,६।३७,५६, १२७,१४७,१५०,१५६,१६१,१६४,३।१६२; ६६,७१८,१५।८८,२११७०,९२,२८८५; ४।२,८,११,५।३२ ३३११६, ३४.१६,१८ ज ५१४६ आलित्त (आदीप्त) उ ३।११३ आरद्ध (आरब्ध) २०१६० आलिसंद (दे०) प ११४५११ आरबक (आरब) ज ३१८१ आलिसंदग (दे०) ज २१३७ आरबी (आरबी) ज ३११११२ आलिह (आ-:-लिख ) आलिहइ ज ३११२,८८; आरम्भ (आरब्ध) प १७१३२ ५५८ आरभड (आरभट) ज ५१५७ आलिहमाण (आलिखत् ) ज ३६५,१५६ आरस (आ+रस्) आरसइ उ ११६० आलिहिज्जमाण (आलिमयमान) ज ३९६,१६० _आरससि उ १९८५ आलिहिता (आलिख्य) ज ३।१२ आरसिय (आरमित) उ १६१,८६ आलुग (आलुक) प ११४८।२ आराम (आराम) जरा६५:५५,७७ ३१३६,३६ आलोअंत (आलोकमान) ज३।१७८ Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आलोइय-आसय आलोय (आलोचित ) उ २११२३३११५०,१६१; ५१२८,३१,४१ आलोय (आलोकभूत) ज ३११६,१६० आलोय (आलोक ) ज ३६,१२,१८,७७,८८, ६३, १५, १५, १७, १८०,२२२५४३४६ आलोय (आलोच्) आलोएहि उ ३३११५ ४।२२ आवकहिय ( यावत्कथिक ) १।१२५ / आवज्ज ( आ + पद्) आवज्जंति प ११/७२ आवड ( आवर्त) ज ५३२ आवडिय (आपतित ) ज ५।२५ आवण ( आपण ) ज ३५३२ आवणहि (आपणगृह) ज ३।१६७४२ आवत (आवतं ) प ११६३३१३४५२३, २५. ३७,४२,७१,७७,९४,१६८ से १११.२६२ ७।५५१६।२२११०,११११।२३ 1 आवत्तकूड (आयकूट) ज ४१६२ आवत्तम] ( आवर्तक) ज ३।१०६ आवरण (आवरण) ज ३१३५,११८,१६७९,१७८ आवरिता (आवृत्य ) सू २०१२ ( आवरिस (आ+ वृष्) आवरिसेज्जा ज ५७ आवरेत्ता ( आवृत्य ) सू २०/२ आवरमाण (आवृन्यत्) सू २०१३ आवलि ( आवलि) ज ५१२८ आवलिया (आवलिका ) प १२/२७ १८१३, २७ ज २४ चं ५।१ सू १ ||१८११ २०१५ आवलियाणिवात ( आवलिका निपात ) सू १०।१ / आवस (आ | वस् ) आवसामि उ३।११८ आवसह (आवसथ) ज ३३१६,३१,३२१२,५३,६२, ७०,१४२, ११५,१८१ आवसित्ता ( ओस्य ) ज ३१२२५ आवस्सग (आवश्यक) उ ३१३१ आवाग (आपाक ) प २३१३ से २३ आवाड (आपात ) ज ३।१०३ से १०५, १०७ से ११५,१२५ से १२७ आवास (आवास) प १५५५।३ ज ३।१८,५२,६१, ६६,७७,८४,१४१,१५२,१६४, १६७१३,१८० ८४७ उ ५४४१ आषिद्ध (आविद्ध) ज ३१६,७७, १०७, १०६, १२४, २२२५।५६ उ १११३८ आविकंठ (विकण्ठ) ज २०२०९ आवकम् (आविष्कर्मन् ) ज २०७१ आवेदिय ( आवेष्टित ) प १५३५१ आस (अश्व ) प २१४०११० १११२१ ज २३५ ३१८,१६७ ४,१७८, १७६,२२१३७।१३, १८६।२१।१४,१५,२१,१२१.१२६,१३२, १३६,१३७ आस (आय) प २०४०११० आस (आस) आणि १४७ आसकरण ( अश्वकर्ण ) प १८६ स ंधसंहिय ( अश्वस्कन्धसंस्थित) सू २०१३४. सबंध (अश्वस्कन्ध) ज४२१७८ आसखंधग (अश्वस्कन्धक) ज ७।१३३।१ आसग (आस्यक ) उ ११८६,६० आसण ( आसन ) प १११२५ ज ८६, १०, १२, ६३, ३, ५५,५६,६४,७२,१०३, ११२,११३, १४४, १४५ ५२२,७,२०,२१ २०२४ उ ३।१०१,१३४ आसत ( आसक्त ) प २३०,३१,४१ ज २१७,३०, ३५,८८ आसस्थ (आव्यस्त ) उ ११२४, १२ आसार (अश्वधर) ० २३०१७९ आसपुरा ( अश्वपुर) ४२१२२ आसन (आश्रम ) प १।७४ २१२२१३१ ३१८,३१,२२,१००१०५२०१३३।५५,१०१ आसमुह (अल्यमुख) प शब्६ आसव (आस्यक) उ ११६१,६२,०६,८७ आस (आस) आसयंति ज १११३,३०,३३,३६; २७ ४१२,६४,८७,१०४, १७२, १८५,१६१. ११७,२००, २०१,२०६२१४,२३४,२४०, २४१,२४७ Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ आसरयण ( अश्व रत्न ) ज ३४१०६,२२० आसरयणत्त ( अश्व रत्नत्व) प २०१५६ आसरह (अश्वरथ) ज ३।३४ से ३६ उ १।११० ; ५१३८ आसल (दे० ) प १७|१३४ आसव (आश्रव ) प १११०१।२; १७ १३४ आसा (आशा) उ३।१५६ आसाएमाण (आस्वादयत् ) उ ११३४,४६,७४ आसाढ (आपाढ) ज २२६५७ १०४, ११३, ११४, १२६ सू १०।१२४,१२६ उ ३१४० आसाढा ( आषाढा) सू १०।७५, १२०, १५५, १५६; ११२ से ६; १२/२४ से २८ आसाढी ( आषाढी) ज ७ १३७, १४०,१४६, १४६, १५३,१५५ सू १०१७,१६,२४,२५,२६ आसाय (आस्वाद ) प १७।१३० से १३५ ज २२१७,१८ आसाय ( आ + स्वाद ) आसाएंति प २८१२२, ३४,६८ आसायणिज्ज (आस्वादनीय ) प १७।१३४ ज २०१८ आसालिय (आशालिक, आसालिंग ) प १२६८,७३, ७४ आसासग ( अश्वास्यक ) प २१४० १० आसासण ( आश्वसन ) ज ७ १८६२ सू २०१८, २०१८ार आसिय (आसिक्त) ज २२६५; ३७, १८४ ५७ आसीत (आशीत ) प २२७ १ आसरयण आहारगसरीर सू १०११२६ २,५ आहच्च (दे० ) प १७ २,२५६२८।२१,३३,३८,६७ आहत (आहत ) प २३०, ३१, ४१, ४६ सू १६२३, २६ आय ( आहत ) ज ११४५; ३१२६,८२,१३३; ५०१, १६७१५५, ५८ सू १८१२३ ( आहर ( आ + हृ ) आहरेइ उ ३।५१ आहार ( आ + ह् ) आहारिस्सइ ज २९१४६ आहारिस्संति ज २११३४, १४६ आहारेइ उ ३५० आहारति प १५।४६ से ४६; १७१२, २५; २८।५ से ७, ६ से २३, ३० से ३५, ३६, ४०,५१,५२, ५३, ५५ से ६६,६८ से १०१ ; ३४१६ से १,११,१२ आहारेमि प ११।१२, १७ आहार (आहार) प १ । १ ७, ११४८३५५ ३|१|१; १०१५३।१११।१२; १५३१११ ; १७।१११ ; १७१५; १८११११ ; २८|१|१२८१३ से ५, २०,२७ से ३०,३२,३७,३८, ४०, ४७, ४६ से ५१,६६,६६,७३ से ७५,६७,१०६।१; ३४।१११,३४११ से ३, ५ ३६।१।१ ज २।१६, १६,५२,५६,१४६,१५६,१६१ उ ३१५१,५३,५४ आहार (आधार) उ ३।११ आहारग (आहारक ) प ३।१०७:१२।१३,२८, ३६; २१।१०४,१०५ : २३१४२,६१,६२,१४६, १७४; २८ १०८ से ११०, ११२,११४ से ११६, ११८,११६,१२१,१२३, १२४, १३०, १३१, १३६, १३७,१४१,१४२ आसीत्तय (दे० ) सू १०११२० सीविस (आशीविष ) प ११७० ज ४।२१२ आसुरत (आशुरक्त) ज ३।२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५ से ११७, ११६,१४० आसोइ (आश्वयुजी ) ज ७ १३७ सू १०१७,१०,२२, २३, २६ आसोत्थ ( अश्वत्थ ) प १३३६।१ आहारगसमुग्धात (आहारकसमुद्घात ) प ३६ ३३ आहारगसमुग्धाय (आहारकसमुद्घात ) प ३६ १ २,७,९,१०,१३,१४,३०, ३५, ५३, ५८, ७४ आसोय (आश्वयुज) ज ७।१०४ उ ३।४० (आह (ब) आहंसु सु १३२० आज ७ ११२२२, ५ आहारगसरीर ( आहारकशरीर ) प १२/१३,२१, आहारगमीसगसरीर ( आहारकमिश्रकशरीर ) प १६।१५ आहारगमीससरीर (आहारक मिश्रशरीर ) प १६ १, १०,१५,३६१८७ आहारगमीसासरीर (आहा रकमिथकशरीर ) प १६ १०, १५; ३६/८७ Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहारगसरीरय-इंदियपरिणाम ८४६ ३४१६११,१०,१५, २१।७२ से ७४,९६,६६, इंगाल (अङ्गार) प १।२६ उ ३।५० १०१,१०२,१०४,१०५; २३।१८६३६१८७ इंगालभूय (अंगारभूत) ज २११३२,१४१ आहारगसरीरय (आरारकशरीरक) प १२१६ इंगालय (अंगारक)ज ७४१८६६१ स २०१८,२०११ आहारगसरीरि (आहारकशरीरिन् ) प २८।१४१ इंगिय (इङिगत) ज ३.८७ आहारचरिम (आहारचरम) प १०।४२,४३ इंद (इन्द्र) प २।४०,४५,४७३१ ज २।९४३।२४१३, आहारत्त (आहारत्व) प २८१२२ से २४,३४ से ३७११,४२११३१।३,१८५,२०६५४६, ३६,३६,४०,४२,४५,४८,६८,६६,७१,३४१६ ५२,५७,७१५६,५७,५६,६०,१३०,१८६१४ आहारपज्जत्ति (आहारपर्याप्ति) प २८.१४२,१४३, सू १६।२४,२७ उ ३।१५,८४ इंदगोवय (इन्द्रगोपक) प १५० आहारपय (आहारपद) ज ७५० इंदग्गह (इन्द्रग्रह) ज २०४३ आहारभूय (आधारभूत) उ ३१११ इंदग्गि (इन्द्राग्नि) ज ७।१३०,१८६।२,४ आहारय (आहारक) प १२११,५,२५; १८।१४ से सू २०१८,२०१४ ६७,२१११; २८।१०६ से १०८,१११,११३, इंदगिदेवया (इन्द्राग्निदेवता) म १०८३ ११७,११६,१२०,१२२,१२५.१२७ से १२६, इंदज्य (इन्द्रध्वज) ज ३।३ १३२,१४३ इंदाण } इन्द्रस्थान) सू १६१२५ आहारयसरीर (आहारकशरीर) प १२।१७ इंदणील (इन्द्रनील) ज ३१३५ आहारसण्णा (आहारसंज्ञा) प ८१ से ११ इंददेवया (इन्द्रदेवता) सू१०८३ आहारेता (आहार्य) ज २११६ इंदधणु (इन्द्रधनुष्) ज ३।२४ आहारेमाण (आहारयत्) प ११।१२,१७ इंदनील (इन्द्रनील) प १२००३ ज ३.१०६ आहिंड (आ-+- हिण्ड) आहिडह उ ३.१०१ इंदभूइ (इन्द्रभूति) ज ११५ आहित (आस्यात) सू १।१०,११,१५ से १८,२०, इंदभूति (इन्द्र भूति) चं ११४,१० सू ११५ २२,२३,२५; १६॥२२॥३ इंदभूय (इन्द्रभूत) सू २०१७ आहिय (आख्यात) प ३४.१११ ज २।४।२; इंदमह (इन्द्रमह) ज २६३१ ७.३१,३३ चं २।३,५ सू १६३,५ इंदमुदधाभिसित्त (इन्द्र मुर्धाभिषिक्त) ज ७।११७।२ हिवच्च (आधिपत्य) ज ३।१६७।१३ सु १०८६२ आहुछि (दे०,अर्ध चतुर्थ) सू १६१ इंदिओवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३।१७४ आहुणिय (आधुनिक) ज ३१९८५१५७११८६।१ इंदिकाइय (द०) १५० आहूय (आहूत) उ ३।४८:५० सू २०१८,२०८११ इौदय (इन्द्रिय) प १११।५।३।१।११३।१७; आहेबच्च (आधिपत्य) प २१३० से ३३,३५,३६, २५६१,१७,१६,२०,३०,३४,५८।१,१५१५८ से ४१,४३, ४८ से ५१,५७,२६ ज ११४५,१८५, ६०,६२,६३,६५,६६,६७,७५,७६,१३४,१४३, २०६,२२१, ५११६ उ ५।१० १७।१३४; १८1१।१, २८।१०१ इंदिय उवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३११७४ इंदियजवणिज्ज (इन्द्रिययापनीय) उ ३.३२,३३ इ (इति) प ११४८१२ ज ११२६ मू ११८ इंदियपज्जत्ति (इन्द्रियपर्याप्ति) प २८.१४२ इ (चित् ) उ ११३६,३१११ उ ३११५,८४ इइ (इति) सू २०१६ इंदियपरिणाम (इन्द्रियपरिणाम) ५० १३१२,१४ Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० १६,१७,१६ इंदीवर ( इन्दीवर ) प १४४३ इक्क (एक) ज १।२० सू १६१२५ इक्कड (इक्कड) सरकंडा, पानी का पौधा ११४८|४६ strate ( एकविंशति) ज २ १३४ इक्कार ( एकादशन् ) ज ४।२७५ इकारसम ( एकादश ) सू १० ७७ इक्कारसी (एकादशी) ज २२७१ इक्कावण्ण ( एकपञ्चाशत् ) सू ११२१ इक्क्क्कि (एक) ज ७ १७८१२ इक्aाग ( इक्ष्वाकु ) प १६५ (इ) १/४१११, ११४८।४६ क्वाडिया ( इक्षुवाटिका ) प ११४८।४६ इक्खुवाडी ( इक्षुवाटी ) प ११४१।१ इगतालीस ( एकचत्वारिंशत् ) ज ७ ७५ सू ११।३ इगुणापण ( एकोनपञ्चाशत् ) ज ७।७५ इगुणालीस ( एकोनचत्वारिंशत् ) ज ७।२४ √ इच्छ (इब्) इच्छइ उ १।५१ इच्छंति १६४६ इच्छसि स १६ । २२२६ इच्छामि उ १२७६, ३ १०६४।११ इच्छामो प २८ । १०५ ३४।१६, २१ से २४ इच्छा ( इच्छा ) ज ७।१२०२१०१६८२ इच्छानुलोम (इच्छानुलोम ) प ११ |३७|१ इच्छामण ( इच्छा मनस) प २८ । १०५ ३४ । १६, २१ से २४ इच्छिय (इष्ट, ईत्सित ) ज ३१८८, १३८ उ ३।१३८ इच्छित्त (इष्टत्व ) प २८।२६ इच्छियव्व (एष्टव्य, एषितव्य ) ज ३८१ इट्ठ ( इप्ट ) प २३/१६:२८ ११०५ ज २४६४; ३१२४,८२,१८५, १८७, २०६,२१८, ५३५८ सू २०१७ उ ११४१, ४४, ३।११२, १२८, ४१६; ५१२२, २५ इट्ठतर ( इष्टतर ) ज २११८४ १०७ इंदीवर - इत्थी इट्ठतरिय (इष्टतरक) प १७ १२६ से १२८,१३३ से १४५ ज २।१७ इट्ठत्त (इष्टत्व ) प ३४१२० इट्ठस्सरता ( इष्टस्वरता ) प २३|१९ इड्ढि ( ऋद्धि ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ६६८, १७८६२११७२ ज २२२५; ३११२,१८,३१, ७८,८८,६३,१२६, १८०, १८६,२०६,२१६; ४११४०;५।२२,२६,२७,४३,४४,४६,४७,५६, ६७ उ ११६२,१२१,१२२,१२६,१३३,१३४, १३८,३४६,५०,१११, १२२:४१८५ । १७, १९,२३,३१ पित्तारि ( ऋद्धिप्राप्तार्थ ) प १६०, ६१ इमिंत (ऋद्धिमत् ) ज ७।१६८।२ इढिसय (दे० ) ज ३।१८५ इणं ( एतत् ) प १ १ ३ ज २११७ सू १८।२२ इतर (इतर) सू ११२५ ; २१२:४२ इति (इति) प १ ७५ ज ११२६; ३।३२११ सू १० १० १ १७ इतरिय ( इत्वरिक ) प १११२५; १७ १०६ १०७ इत्तो ( इतस् ) प २२६४।१८ ज ३११२४ इत्थ (अत्र ) प २ ३१ ज ४।१४७ इत्थं (अत्र) ज २२० इथि (स्त्री) प १६०,६६,७५,७६,८१६ ७९, ८०८०३२१११५ से १०,२३,२६ से २८ १७११६६ से १७२ ज ३।२२१ इत्थिरयण ( स्त्रीरत्न ) प ६।२६ ज ३।७२,१३८, १७८, १८६, २०४, २१४,२२० इत्रियणत ( स्त्रीरत्नत्व) प २०५८ इत्थवयण (स्त्रीवचन ) प ११२६,८६ इथिवेद ( स्त्रीवेद ) प १८६०; २३७३; २८ । १४० इथिवेदग (स्त्रीवेदक ) प १३११४, १६ इथिवे (स्त्रीवेद ) प २३।३६,१४१ इत्थवेयपरिणाम ( स्त्रीवेदपरिणाम ) प १३११३ इथिवेग ( स्त्रीवेदक ) प १३०१५ इत्थी (स्त्री) उ ३३६,४२ Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इत्थीलिंगसिंद्ध-उउ ८५१ इत्थीलिंगसिद्ध (स्त्रीलिंगसिद्ध) प ११२ ईसर (ईश्वर) प २।४७।२:१६.४१ ज २१२५; इत्थीवेदग (स्त्रीवेदक) प ३।६७१३।१८ ३११२६:३;५।१६ उ ११२।१० इम (इभ्य) ११६।४१ ज २२५,३१०,८६, ईसर (ऐश्वर्य) ज ११४५,३।१०,१८५,२०६,२२१ १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, ईसाण (ईशान) प ११३५२१४६,५१,५३,६३; २२१ उ ११६२,३१११,१०१,५१० ३१३०,१८३,४।२२५ से २३६,६।२८,५६,६५, इन्भजाति (इभ्यजाति) ५११९४१ ८५,१११,१५११३८:२०१६०;२८१७६:३४।१६, इम (इदम्) प ११४८ सू १४१५ उ २१५२६ १८ ज २९१ से ६३,११३,११६;४।१७२, इय (इति) प श६४।१८ ज १७ सू११६ २००,२२१,२२४११,२३५,२४०,२४२,२४३; इयर (इतर) प २११३५ ५।४८,५६,६०,७१२२११ सू १०१८४।१ इयाणि (इदानीम् ) सू १६२४ उ ३१५५ उ १२०,२२,५१४१ इरियावहियबंधग (ईर्यापथिकबन्धक) प २३।६३ ईसाणकप्पवासि (ईशानकल्पवासिन) प २१५१ इरियावहियबंधय (ईपिथिकबन्धक) प २३.१७६ ईसाणग (ईशानज) प २१५१,६।६५७१६१५१८७% इरियासमिय (ईर्यासमित) उ २९३३१३,६६, २११७०,६०,३३.१६ ज ५१४६ १०२,११३,११५,१३२,१४६,४१२२,५१३८,४३ ईसाणवडेंसग (ईशानावतंसक) प २२५५,५७ इलादेवी (इलादेवी) ज ५११०११ उ ४।२।१ ईसाणवडेंसय (ईशानावतंसक) प २१५१ इलादेवीकूड (इलादेवीकूट) ४१४४,२७५ ईसि (ईषत् ) प २।३१,६४,१७।१३४,२३३१६५ इव (इव) ५ २।४८ उ ३११२८ ज ३११०६,१७८,४१५४,५१५,२१,३८,५८; इसि (ऋषि) प २१४७२ ज ३।१०६ उ १२० ७/१७८ इसिपाल (ऋषिपाल) प २१४७१२ ईसिउच्छंग (ईषदुत्सङ्ग) ज ३११७८ इसिवाइय (ऋषिवादिक) प २।४१,२।४७११ ईसिणिया (ईशानिका) ज ३।११०१ इसीपब्भारा (ईषत्प्रागभारा) २६१,२१४९० ईसितुंग (ईषत्तुङ्ग) ज ३।१७८ इस्सरियविसिठ्ठया (ऐश्वर्यविशिष्टता)प २३२१, ईसिदंत (ईषदान्त) ज ३।१७८ ईसिमत्त (ईषन्मत्त) ज ३११७८ इस्सरियविहीणया (ऐश्वर्यविहीनता) प २३१२२, ईसीपमारा (ईषत्प्रागभारा) प २१६४:१०.१,२; २११६०,३०।२६,२८ इह (इह) ज २।६६ उ १९ ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धा (ईषद हस्वपञ्चाक्षरोइहं (इह) प १७५ उ ११७ च्चारणाध्वन् ) प ३६.९२ इहगय (इहगत) ज ५१२१,७४२०,२२ से २५,७६, ईहा (ईहा) ११५१५८।२,१५१६७ ज ३१२२३ ईहामइ (ईहामति) उ ११३१ ईहामिग (ईहामृग) ज २१३७,१०१:४।२७ ईतिबहुल (ईतिबहुल) ज ११८ ईताल (एकचत्वारिंशत् ) सू १९८१ ईतालीस (एकचत्वारिंशत् ) सू १३।१४ ईतालीसक (एकचत्वारिंशत्क) सू १३११७ ईरियासमिय (ईर्यासमित) ज २११६५ उ (तु) प १४४८१६ ज ११४७ सू ११७ उ ११७ उईर (उदीरण) प १४।१८।१ उउ (ऋतु) ज २१६६३१११७१७।१११,११२१५, १२६, १२७ उ ५४२५ Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५२ उउय-उक्कोसपय उउय (ऋतुक) प २१४१ उंबर (उदुम्बर) प ११३६१ उ ३७४,७६ उंबेभरिया (दे०) प १।३५१२ उक्कड (उत्कट) प १५० ज ३।३१ उक्कर (उत्कर) ज ३।१२, १३,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उक्करिया (उत्करिका) प ११७८,१३१२५ उक्करियाभेद (उत्करिकाभेद) १ १११७८,७६ उक्तरियामेय (उत्करिकाभेद) प १११७३ उक्कलिया (उत्कलिका) ५११५० उक्कलियावाय (उत्कलिकावात) प ११२६ उक्का (उल्का) प २६ उक्कामुह (उल्कामुख) प १८६ उक्कालिय (उत्कालिक) ज७ उक्किट्ठ (उत्कृष्ट) ज २६०३।१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५६,५८,६४,६६,७२,७४,११३, १३८,१४५,१४७,१६८,२१२,२१३;५।५,४४, ४७,६७,७१५५ उ ११३८,३।१२७ उक्किट्ठि (उत्कृष्टि) ज ३१२२,३६,७८,६३,९६, १०६,१३३,१६३,१८० उक्किण्ण (उत्कीर्ण) प २।३०,३१,४१ ज ३१८२ उक्कित्तिता (उत्कीर्तिता) मू २०१६।१ उक्किरिज्जमाण (उत्कीर्यमाण) ज ४।१०७ उक्कुट्ठ (उत्कृष्ट ) स. १६।२३ उक्कुडुठ्ठिय (उत्कुट कस्थित') ज २।१३३ उक्कुरुडिया (दे०) उ १५४ से ५७,५६,६३,७६ से १७/१४५,१४६;१८२ से ४,६,८ से १०,१२, १४ से १६,१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६, ४१ से ५४,५६,५७,५६ मे ६७.६६ से ७४, ७६ से ७६,८१,८३ से ५,८७,८६ से ११, ६३,६५,६६,६८,१०३ से १०५, १०७,१०८, ११०,११३,११४.११६,११७,११६,१२०, २०१६ से १३,६१,६३,२११३८,४० से ४४, ४६ से ४८,६३ से७१,७४,८४,८६,८७,६० से ६३,२३।६० मे ७६,८१,८३ से १२,६५ से ६६, १०१ से १०४,१११ से ११४,११६ मे ११८,१२७,१२६ से १३१,१३३ से १३५, १३८,१४०.१४२,१४३,१४७१५१ से १५५, १५७,१५८,१६० मे १६२,१६४ से १६६, १०१ से १७३,१७६,१७,१८२,१८३,१८६, १८७,१६०,२८२,२७,८७,५०,७३ से १६; ३३१२ से १३,१५ से १७:३६१८ से १०,१७, १८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८,७०,७२,७४, ७६ ज १६,४८,४५,५८.१२३,१२८,१३३, १४८,१५१,१५७४।१०१,७१५७,६०,१८२, १८७ से १६६,२०६ सू १८१२०,२५,३६; १६२५ उ २२०,२२,३६१३० उक्कोसकालठिईय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३१२०० उक्कोसकालठितीय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३।१६४ से १९६,१६८ मे २०१ उक्कोसग (उत्कर्षक) प १७११४५,१४६; २३।१८४ उक्कोसगुण (उत्कर्ष गुण) प ५।३८,६०,७५,६०, १०८,१६१,१६४,१६८,२०१,२०४,२०८, २१२,२१५,२१६,२२२.२२५,२४३ उक्कोसटिईय (उत्कर्षस्थितिक) १८५ उक्कोसद्वितीय (उत्कर्षस्थितिक) प ५१३५,५७, ७२,८३.१०५.१७५,१७८,१२२,१८८,२४० उक्कोसपएसिय (उत्कर्षप्रदेशिक) ५ ५।२२६,२३० उकोसयद (उत्कर्षपद) प १२॥३२ उक्कोसपय (उत्कर्षपद) ज ७१६८,१९६,२०२, उक्कुला (उत्कूला) सू १०१६ उक्कूवमाण (उत्क्रूजत्) उ ३११३० उक्कोस (उत्कर्प) प ११७४ ; रा६८।६ ४११ से ६७,६६ से २९६,२६८,५१४२,४६, ७६,६४, १८,११२,११६६१ से १८,२० से ४५,६०, ६१.६४,६६ से ६८,१२०,१२१,१२३,२,३, ६ से २६११।७०,७१:१२२९१५:४० से ४२; १. अस्थिक इत्यपि भवति विकल्पेन । Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्कोसमति-उच्छोल ८५३ उक्कोसमति (उत्कर्यमति) प ५६४ ५७,५६,६२,८०,८४,८६,६६,१०१,१०३, उक्कोसमदपत्त (उत्कर्षमदप्राप्त) १ १७।१३४ ११०,११२,११४,११५.११६ से १२२,१२५, उक्कोसय (उत्कर्षक) प १५६४२११०५ १२८,१३६,१४२,१४६,१४७,१४६,१५५, जे ७।२६ सू१११६,१७,२१,२२,२४,२७,२।३; १५६,१६३ से १६५,१७२,१७५,१७८,२०३, ३१२:६।१८११, ६।२, २०१३ २१२,२१६,२१७,२१६,२२१,२२६,२४२; उक्कोसा (उत्कधक) प १७:१४६ ११३८,४६,७२,७३:३७,३८,२०७२१५ उक्कोसिया (उत्कपिका) ज २१७४ से ८०,७१२८ सू १६५९१२,३,१८१ सू११४,२१,३,४।६६.१ उच्चत्तच्छाया (उच्चत्वछाया) मू ६।४ उक्कोसोगाहग (उत्कर्षावगाहनक) प ५।३० उच्चत्तपज्जव (उच्चत्वपर्यव) ज २५१,५४,१२१, उक्कोसोगाहणय (उत्पविगाहनक) प ५२९, १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, ३०,५०,५४,६६,८४,१०२,१५५,१५८,१६०, १६४,१६७,१७०,२३५ उच्चत्तुद्देस (उच्चत्वोदेश) मू हार उक्खित्त (उत्क्षिप्त) ज ५१५७ उच्चागोय (उच्चगोत्र) प २३१२१,५७,५८, उक्खेव (उत्क्षेप) ज ५१४६,६०,६ १३१,१५३,१८८ उग्ग (उम्र) प ११६५ ज २,१६५ उच्चार (उच्चार) प ११८४ उम्गच्छ (उद्गत्य) ज ७।१०१,१०२ मू८११ (उच्चार (उन्:-चारय) उच्चारेइ उ ३.७६ उम्गतव (उग्रतपम् ) जे १५ उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघापपरिवणियासमिय उग्गमण (उद्गमन) ज १३६ से ३८ सू २।३; (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'जल्ल' 'सिंघाण' परिष्ठापनिकासमित) ज २१६८ उग्गममाण (उद्गच्छन्) प १८८५२ उच्चारपासवणखेलसिंघागजल्लपरिट्ठावणियासमिय उग्गय (उद्गन) १३७३१२४,४१२७,५१२८ (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'सिंघाण' 'जल्ल' परिष्ठाउग्गवई (उपवती) ज १२१ मू १०६१ पनिकासमित) 3 ३६६ उग्गविस (उनविए) प ११७० उग्गसेण (उनमेन) उ ५१० उच्चारतव्व (उच्चारयितव्य) मू१०११३५ उग्गह (अवग्रह) ११५१६८,७१,७२ उच्चारेयव्व (उच्चारयितव्य) ज ७११६८ उग्गा (दे०) २१७ सू१०।१३४ उग्घोस (उद्घोप) ज २१६५ उच्चावय (उच्चावच) ५३४।२३,२४ उ ११५७, उग्घोसेमाण (उद्घोषयन्) ३।२१२,२१३; ८२,५४३ ५३२२,२६ उच्चाविय (उच्च कृत्वा) प १७।१११ उच्च (उच्च) उ ३११००,१३३ उच्छंग (उत्सङ्ग) उ ३६८,११४ उच्चंतय (उच्चंतग) प? १२४ उच्छण्णा (उत्सन्न) ज २१८,६ उच्चत्त (उच्चत्व) ॥ २१॥८॥२ ज ११८ उच्छण्णणाणि (उत्सन्नज्ञानिन्) प २३।१३ से १०,१६,२२ से २४,२,३५,३७,३८,४०, उच्छप गदसणि (उत्सन्नदर्श निन् ) प २३।१४ ४२,४६,५१:२६,१५,४५,५१,५४,५६,५८, उच्छाह (उत्माह) सू २०१६।३,५ ८६,१२३,१२८,१३८,१४०,१४८,१५१,१५७, उच्छूढसरीर (उत्क्षिप्तशरीर) ज ११५ १५६४११,६,१०,१४,३३,४५,४७ से ४६,५४, उच्छोल (दे० उतक्षालय) उच्छोलेंति Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५४ ज ५।५७ उजुसेद (ऋजुश्रेणि ) प ३६।१२ उज्जय ( उद्यत ) ज २११३३ उज्जल ( उज्ज्वल ) ज ११३७ ७ १७८ उज्जाण ( उद्यान) ज २।६५,७१,५१५,७३१३६; __५१६,७,२४,२६,३७ उज्जाणसंठित (उद्यानसंस्थित) सू ४ ३ / उज्जाल ( उत् + ज्वालय् ) उज्जालंति ज ५।१६ उज्जालेइ उ ३१५१ उज्जालेंति ज २।१०५ उज्जालेह ज २११०७ उज्जालिता ( उज्ज्वल्य ) ज ५११६ उज्जालेत्ता ( उज्ज्वाल्य ) उ३।५१ उज्जु (ऋजु ) प २ ३१ ज २११५ ज ११८, ३१, ३१६३, १२१,५/३२ V उज्जोय ( उद् - - द्योतय् ) उज्जोए ति सू १६ १ उज्जोएति सू १६११ उज्जोकर (उद्योतकर ) ज ३६५,६६, १५६,१६० उज्जोयणाम (उद्योतनामन् ) प २३३३८ उज्जोयभूय (उद्योत भूत) ज ३/६६,१६० उज्जोव ( उत् । द्युत्) उज्जोवेइ ज ४।२११ उज्जोर्वेति ज ७५१, ५८ सू ३।१ उज्जोवेति सू ३।२ उज्जोवणाम (उद्योतनामन् ) प २३।११५ उज्जोविय ( उद्योतित ) ज २।१६ उ १५६,६१ उज्जोवेमाण ( उद्योतयत् ) प २३०,३१,४१,४६ / उज्झ (उज्झ ) उज्झइ उ ११५५ उज्झाहि उ ११५४ उज्झर (उज्झर ) प २४,१३,१६ से १६,२८ उ ५८५ उजुसे दि-उ उज्झरबहुल (निर्भर बहुल ) ज १।१८ / उज्झाव ( उज्झय् ) उज्झावेसि उ ११५७ उज्मावित्तए ( उज्झयितुम् ) उ ११५४,५६ उज्जमाण ( उज्भ्यमान ) उ ११५६,६३,८४ उज्झित ( उज्झित) उ ११५६,८१ उज्झिय ( उज्झित) उ ११५७,८२ उट्ट (उष्ट्र ) प १६४; ११।१६ से २० ज २१३५ ( उट्ठा ( उत् + ष्ठा) उठेइ उ ११२४ उट्ठेति ज ३।११४,१२६ उट्ठेति ज ११६ उट्ठा (उत्था ) उ ११२४ उट्ठाण ( उत्थान ) प २३।१६, २० ज २१५१,५४, उज्जय ( ऋजुक) ज २०१५ उज्जसुय ( ऋजुसूत्र ) प १६४६ उज्जोइय ( उद्योतित ) प २१४६ ज ३१६,१८, ६३, उट्ठेत ( उत्तिष्ठत् ) ज ३१३५ १८०,२२२ उट्ठेत्ता (उत्थाय ) ज ११६ उ ११२४ उज्जोत (उद्योत ) प० २२४१,५६,६६ उडय ( उटज) उ ३३५१, ५३ उज्जोय ( उद्योत ) प २ ३०, ३१,४६,५६,६३ उडिय (दे०) ज ७ १७८ उडु (ऋतु) सू ६११ ८ १ १०८१२८, १२६, १२१, ४, ११, १२, १४, १५; १५/२० से २२ उडु ( उडु) सू १०।१२६।१,५ उडुकल्लाणिया ( ऋतुकल्याणिका) ज ३।१७८, १२१,१२६,१३०,१३५, १३८, १४०, १४६, १५४,१६०,१६३ सू २०११, ७, ६२३, ५ उट्ठाय ( उत्थाय ) ज १६ उट्ठिय ( उत्थित ) ज ३११८८६ उ ३२४८, ५०, ५५, ६३, ६५, ७०, ७४,१०६,११८ १८६,२०४, २१४,२२१ उडुपण ( उडान ) प १५।१।२१५१५० उड्ड (उड़ ) प १८e उड्ढ (ऊर्ध्व ) प २१४, ४८ से ५३,६०,६३,६४; ११/६५,६६,११।६६।१६ १५ ५२ २१३८७, ६० से ६३; २८।१५,१६,६१,६२,३३११६, १७; ३६१६२ ज १८ से १०,२५,२८,३२, ३५,३७,३८, ४०, ४२,५१, २२६,५६,८६,१२३, १२८,१४८;३।१३१, १३२,४१,६,१०,२३, ४५,४७,५७,५६,६२,८६,१०१, १०३, ११०, ११२,११४,११५,११६ से १२२,१२८,१३६, १. उडु (जलम् ) आप्टे पृ० ४०१ Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उड्डजाणु-उत्तरडकच्छ ८५५ १४२,१४६,१४७,१५५,१५६,१६३ से १६५, १७५,१७८,२०३,२१२,२१६,२१७,२१६, २२१,२२६,२३४,२४० से २४२५१६४; ७१४४,५४,१६८११,२०७ सू २११४११०; ६१३;१८।१:१६२२११२,१६१२३ उ १९७; २।१२,३१५०:५१४१ उड्ढजाणु (ऊर्ध्वजानु) ज ११५,२१८३ उ ११३ उड्ढत्त (ऊर्ध्वत्व) प २८१२४,२६ उड्ढदिसा (ऊर्ध्व दिशा) प ३६१७६,१७८ उड्ढमुह (ऊर्ध्वमुख) ज ३।३; १७:१६८ उड्ढलोग (ऊर्वलोक) ज ५१६,६७ उड्ढलोय (ऊर्ध्व लोक) १ २११,४,१०,१३,१६ से १६,२८,३११२५,१२७ से १७३,१७५,१७७ उड्ढवाय (ऊध्वंवात) पश२६ उड्ढामुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुकपुष्पसंस्थानसंस्थित) सू १६।२३ उड्ढीमुहकलयापुप्फसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुक पुष्पसंस्थित) ज ७३३१,३३,३५ सू४।३,४,६, ७,६ उड्ढोबवण्णग (ऊवोपपत्रग) ज ७५५५ सू १६।२३, उत्तमपुरिस (उत्तमपुरु) प६।२६ उत्तमा (उत्तमा) ज ७।१२०११ सू ५११,१०८८१ उत्तर (उत्तर) प २।२१ से २७, २७११,२,२१३० से ३६,४४,४८,५१,६०,६१,६२।१२।६३; ३१ से ३७,१७६,१७८,१५१८५१८१६० ज १११८,२०,२३,४८,३११,८२,१२६।४,१३१, १३३,१३८,१५१,४।१,१७,३८,५५,६२,७३, ७६,८१,९६,६१,६३,६८,१०३,१०८,११४, १२६,१४१ से १४३,१५०,१५६,१६०,१६५, १६७,१६६,१७२,१७३,१७५,१७७,१७८, १८०,१८१,१८४,१८५,१८७,१६०,१६१, १६३,१६६,१६७,१६६ से २०३,२०५,२०८, २०६,२१३,२२६,२३१,२३४,२३७,२३८, २४६,२५२,२६२,२६५,२६८,२६६,२७१, २७२,२७४,२७५,५।११,३६,४२,६।११, १४,२४७१५,१५,१७,२४,२५,६४,७४,७६, ७८,८३,८४,८८,६४,१२७,१२६,१३४।३, १३५।३,१७४,१७८,२०१,२०४ सू१।१५ से १७,२४,२६ से ३१,१३,१०७५,१३५, १२।१२,१३१६,१०,१८।१४ से १७:१६८१, ११।१२०१२ उ ३.५४,५५,६३,६७,७०,७३, ४।१६,५१४१ उत्तर (उत्+तु) उत्तरइ ज ३११०१,१२६ उत्तरओ (उत्तरतस्) ५२१४०१४ ज १११८ उत्तरकुरा (उत्तरकुरु) ज ४।६६,१०३,१०८ से ११०,१४१,१४३,१६१,१६२,२०५,२१३ उत्तरकुरु (उत्तरकुरु) प १८७१६३०१७३१६४ ज २१६,४११४२१३.१६११२,१६२,२०७, २६२,५२५५ उत्तरकुरुकूड (उत्तरकुरुकूट) ज ४११०५,१६३ उत्तरकूल (उत्तरकूल) उ ३५० उत्तरगुण (उत्तरगुण) प १११४६ उत्तरड्ढ (उत्तरार्द्ध) प २१५१,८।१ उत्तरड्ढकच्छ (उत्तरार्द्धकच्छ) ज ४११६८,१७२, १७३ से १७६ उण्णं दिज्जमाण (उन्नन्द्यमान) ज ३३१८६,२०४ उग्णय (उन्नत) ज २।१५ ३1१०६,१३८,४।१३; ७।१७८ सू २०१७ उण्णाय (उन्नाक) उ ५।४३ उण्ह (उष्ण) प १७।११४११,१७।१३८,२८१२६ उ ३३१२८ उतालीस (एकोनचत्वारिंशत् ) सू १२१२० उत्तत्त (उत्तप्त) प २।४०६ उत्तम (उत्तम) प २१४६ ज २०१५, ३१३,१२, १२५,४१२६०।१५।५८ सू ५१ । उत्तमकठ्ठपत्त (उत्तमकाष्ठाप्राप्त) ज २१७,५२, । १३१,१६१,१६४,७।२६,२८ सू ११४,१६, १७,२१,२२,२४,२७, २।३,३१२,४८,९; ६।१६२ Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ उत्तरडभरह-उत्तरिल्ल उत्तरढभरह (उत्तरार्द्धभरत) ज ११६,४७ से ५१,३।१०३,११३;४१३५ उत्तरढभरहकूड (उत्तराद्ध भरतकूट) ज ११३४ उत्तरलवणसमुद्द (उत्तरलवणसमुद्र) ज ४।२७७ उत्तरढलोकाहिवइ (उत्तराद्धलोकाधिपति) ज ५।४८ उत्तरण (उत्तरण) ज ३१७६,११६ उत्तरदारिया (उत्तरद्वारिका) सू १०॥३१ उत्तरदाहिण (उत्तरदक्षिण) ज ११२४४११०६, १६४,१६७,१६६,१७८,१८०,१८१,१८५, १८७,१६१,१६६ से २०१,२०३,२०६,२१५, २४५,२४८,२५१,२५२ स ८१ उत्तरदाहिणायया (उत्तरदक्षिणायता) ज १।२४; ४११०३,१६२,१६७,१६६,१७८,१८५,१८७, १६१,२००,२०३,२४५,२५१ उत्तरद्ध (उत्तरार्द्ध) ज २०६१ उत्तरद्धभरह (उत्तरार्द्धभरत) ज ११२३ उत्तरपच्चस्थिम (उत्तरपाश्चात्य) प ३।१७६,१७८ ज ३१४३,४४,४११०३,१०६,१५०,२२४,२३१, २३२ सू २१,२०१२ उत्तरपच्चथिमिल्ल (उत्तरपाश्चात्य) ज ४२३८ सू. १।१६; २३१,२००२ उत्तरपाई (उत्तरप्राची) में ३।१२६ उत्तरपुरस्थिम (उत्तरपौरस्त्य) प३।१७६,१७८ ज ११३,३।६०,६१,१३०,१३१,१४०,१४१, १६१,१६२,२०४,२०८,४।१७,१२०,१३६, १३६,१५०,१५४,१६२ से १६४,२२१,२२६, २३३,२३९,५५,७,३६,४४,५५ च ७ सश२ २०१२ उ ३।११३ ; ४।२०। ५१५ उत्तरपुरथिमिल्ल (उत्तरपौरस्त्य) ज ४।१५६, २३७,२३८,५।४८,४६ सू १।१६ उत्तरपोट्टवया (उत्तरप्रोष्ठपदा) ज ३।२०६ सू १०।६४ उत्तरफागुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७/१२८,१२६, उत्तरभद्दवया (उत्तरभद्रपदा) ज ७११२८,१२६, १३६,१३६,१४२ उत्तरवेउन्विय (उत्तरवैयिक) प १५.१८,१६%3 २११५८,५६,६१,६५ से ६७,७०, ३४११६,२१ से २३ ज ३।२०६५४१ उत्तरवेयड्ढ़ (उत्तरवैताढय) ज ३८१ उत्तरा (उत्तर) सू १०३२,४५,६०,६२,१२०, १५३,१५५,१५६,१५८ ११०२,४ से ६; १२।२४ से २८ ज ७११३ उ ३।५५.६३,६५, ६७,७०,७४ उत्तरापोवया (उत्तरप्रोष्ठपदा) सू १०१५,६,२१, २३,६५,७५,८३,६७,१३१ से १३५ उत्तराफग्गुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७।१४०,१४८, १५१,१६३,१६४ सू १०।२ से ६,१५,२३,७०, ७१,७५,८३,११०,१३१ से १३३ उत्तराभद्दवया (उत्तरभद्रपदा) ज ७१४६,१५७, १५८ स १०१२ से ६,१३१ उत्तराभिमुह (उत्तराभिमुख) 3 ३१५५,६३,६७, ७०,७३ उत्तरासंग (उत्तरासङ्ग) ज ३।६; ५।२१ उत्तरासाढा (उत्तरापाढा) ज १७१,८५, ७/१२८, १३०,१३६,१४०,१४६,१५६,१६७ सू १०१ से ६,१६,२३,५४,६२,६३,७४,८३,११६, १२२,१२३,१३० से १३५,१५१९,१२ उत्तरिज्ज (उत्तरीय) ज ३१,२२२ उत्तरित्तु (उत्तीर्य) ज १११८१ उत्तरिय (औत्तरिक) प ३६१२१,२२,२४,२६,२७, ४६ उत्तरिल्ल (औदीच्य) प २।३३,३६,३६,४०,४४, ४७,१६१३४ ज ११२६,२१११६३।१०२, १०६,१३३,१३७,१५४ से १५७,२०५,२१५, २२०, ४१३८,४२,७३,33,६१,९४,१७२, १६६ से २०२,२०६,२०७,२१२,२३२,२३३, २३८,२४८,२५१,११११,१४,४४,४५,४६,५२, ७१७८ उ ३६१ Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तरोट्ठ-उद्धय उत्तरोठ्ठ (उत्तरौष्ठ) ज २१५ उत्ताण (उत्तान) उ३।१३० उत्ताणग (उत्तानक) ज ३११११,११३ उ १४६ उत्ताणय (उत्तानक) प २१६४ उ १।४६ उत्ताणसेज्ज (उत्तानशय } उ ३।१३०,१३१,१३४ उत्तासणग (उत्तामनक) प २०२० से २६ उत्तासणय (उत्तासनक) प २२७ उत्तिण (उत्तीर्ण) ज ३१८१ उत्तिमंग (उत्तमाङ्ग) ज २०१५ उदग (उदक) ज २।१३१,३१२६,३६,४७,१०६) १३३,२२१:५५५ उदगधारा (उदकधारा) ज ३१८८ उदय (उदय) प २३१३,१३ से २३ सू ११६१२, १८१ उदय (उदक) प ११४१२,१६४६:१०१७ १६।५४ ज ३१६,२०६,५११४,५६७११२।१, २ च २।२,४११,३ र १०।१२६१,२ उदयसंठिति (उदयसंस्थिति) सू १६२,१८११,३ उदर (उदर) उ ११४३ उदाह (उदधि) प २१३०११,२।४०१२,८,१०; १५.११२ ज २.१५,५१५२ उदहिकुमार (उदधिकुमार) प १११३१,५३,६।१८ उदार (उदार) ज ३१२४,१३१ उदाहु (उताही) प १०१६:१५।४६,४७,३४१६ उ १११२७ उदिण्ण (उदीर्ण) प २०१३९,२३३,१३ से २३ उदीण (उदीचीन) प २११०,५० से ५२,५४,५६, ५८ से ६० ज ११८,२०,२३,२५,२८,३२, ४८,३११,४।१,३,५५६२,८६,८८,६८, १०८,१७२,२०५,२१४,२५२,२६२,२६८; ७११०१,१०२ सू का? उदीणदाहिणायता (उदीच्यदक्षिणायता) स १११ २।१:१०।१४२,१४३१२।३० उदोणवाय (उदीचीनवात) प १२६ ‘उदोर (उद। ईर) उदीरति प १४।१८ उदीरिस्सति प १४।१८ उदीरेंति 3 ३।३४ उदीरेंमु य १४।१८ उदीरेति प २२१५ उदीरण (उदीरण) ज २१३१ उदीरिज्जमाण (उदीयमाण) प २३३१३ से २३ उदीरिय (उदीरित) प २३।१३ से २३ उदु (ऋतु) ज २१४७११२११ उदंडग (उद्दण्डक) उ ३१५० उईडिय (उद्दण्डिक) ३१३२ उद्दव (उद । द्रु) उद्वेति प ३६।६२,७ उद्दवित्तए (उद्भवयितुं) ज ३।११५ उद्दाइत्ता (उद्रुत्य) ज ६४ उद्दाल (उदाल) ज २१८ उहाल (अवदाल) ज ४.१३ सू २०१७ उद्दाल' (आ : छिद) उद्दाले इ उ १११०५ उद्दालेउकाम (आछत्तुकाम) 3 १।१०५ उद्दिठ्ठ (दे०) सू१६।२२।२५ उद्दिस (उत्- दिश् ) उदिसंति उ १४५ उद्दिस्यि (उद्दिश्य) प १६।५१ उद्दिस्तपविभत्तगति (उद्दिश्यप्रविभक्तगति) उद्देस (उद्देश) ज ७१०१,१०२ उद्देसग (नदेशक) उ५१४५ उद्देसय (शिक) प १७११४८ उद्देहिया (३०) ११५० उद्ध (ऊच्वं) प ३३।२४ ज १३१६,२३,२४,२१६, ५८,६५,१५७ उद्धंस (उन् । वृष) उद्धसइ उ ११५७ उद्धसणा (उद्धर्पणा) ज ११५७,८२ उद्धंसेत्ता (उद्धप्यं ) उ ११५७ उद्धत (उद्धत) ज २०६५ उद्धिय (उद्धृत) ज ३१२२१ उद्धृत (उदत) प २०४८ उद्धृय (उद्भूत) प २।३०,३१,४१ ज २।६०,३।७; २४१३,२६.३७।१,३६ ४५॥१,४७,५६,६४, ७२,८८,११३,१३१३,१३८,१४५,१७८; १. हेमा ४१२५ Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उद्धर-उम्मुग्गजला ४१४६, १५,७,४३,४४,४७,६७ सू २०१७ उप्पलिणीकंद (उत्पलिनीकन्द) प ११४८९४२ उद्धर (उद्धर) ज ५१५; ७१७८ उप्पलगुम्मा (उत्पलगुल्मा) ज ४।११।१,२२२ उद्धृब्वमाण (उद्धूयमान) ज ३१८,३१,६३,१८० उप्पलुज्जला (उत्पलोज्वला) ज ४।११५३१,२२२ उ ५११६ उप्पाइय (औत्पातिक) ज ३३१०४,१०५,१०६ उपगच्छ (उपगम्) उपगच्छंति ज ३।१६७।१४ उपाएत्ता (उत्पाद्य) १२८२०,३२,६६ उपचयंकर (उपचयङ्कर) ज ३११६७ उप्पाड (उत्+पादय) उप्पाडेज्जा प २०११७, उपरिल्ल (उपरितन) सू १८७ १८,३२ से ३४,४७ उपसंत (उपशान्त) ५ २०३६ उपाय (उत्पाद) प १५० उप्पइत्ता (उत्पत्य) प २।४८ से ६३ ज ११२५ उप्याय (उत्। पादय) उप्पाएंति ज २१३६,४१ सू २२१,१८०१ उपि (उपरि) प २१५२ से ६२ ज १११०,१२, उप्पज्ज (उत्+पद्) उप्पज्जइ सू ६.१ १४,१६ सू १२।३०१८।२,३ उ १।४६;रा उप्पज्जति ज २६७ ५।१३,२०,२७,३१ उप्पज्जंत (उत्प द्यमान) ज ३।१६७।५ उप्पीलिय (उत्पीडित) ज ३१७७,१०७,१२४ उप्पज्जय (उत्पद्यक) ज ३।३ उ ११३८ उप्पड (उत्पट) प ११५० उप्फिडिय (उतफिट्य) प १६:४४ उप्पण्णमिस्सिया (उत्पन्न मिश्रिता) प १११३६ उप्फेस (दे०) प २।३० उप्पण्णबिगमिस्सिया (उत्पन्न विगतमिश्रिता) उब्बहिया (उद्वाह्य) प १६।५४ प११।३६ उन्भड (उद्भट) ज २११३३ उत्पत्ति (उत्पत्ति) प ११६३१६:१४।५,३६१६४ उब्मिज्जमाण (उद्भिद्यमान) ज ४११०७ ज ३.१६७/३,६,८,९,१० उभओ (उभयतस्) ज ११२३,२५,२८,३२; उत्पत्तिया (औत्पत्तिकी) उ ११४१,४३ ३.१७६४।१,१३,३६,४३,६२,७२,७८,८६, उत्पन्न (उत्पन्न) ज ३.२६,३६,४७,५६,१३३, ६५,६८,१०३,११०,१८३,२००,२०१,२०६; १३८,१४५,१७५,५५३,२२ ५।४६,६०,६६७१३१,३३ सू ४१३,४,६,२०१७ उप्पन्नकोउहल्ल (उत्पन्नकुतूहल) ज ११६ उभय (उभय) ज ३।३ उत्पन्नसंसय (उत्पन्नसंशय) ज १२६ उभयभाग (उभयभाग) सू १०॥४,५ उत्पन्नसड्ढ (उत्पन्नश्रद्धा) ज ११६ उम्मज्जग (उन्मज्जक) उ ३१५० उपयनिवय (उत्पातनिपात) ज ५५७ उम्मत्तजला (उन्मत्तजला) ज ४।२०२ उपय (उत् + पत) उप्पयंति ज ५१५७,६४ उम्माण (उन्मान) ज ३१६५,१३८,१५६,१६७१३ उप्पल (उत्पल) प ११४६,११४८।४४,११६२, उम्मिमालिणी (ऊमिमालिनी) ज ४।२१२ १५१५५१२ ज ११५१, २२४,१६,३।३,८६, उम्मिलिय (उन्मीलित) प २१४८ ज ३१८८%, १८८,२०६४।३,२२,२५,३०,३४,६०,११३, ४।४६ २६६,२७२,५१५५,५६,७।१७८ उम्मुक्क (उन्मुक्त) पश६४।२१ ज ३१२०,३३, उप्पलंग (उत्पलाङ्ग) ज १४ ५४,६३,७१,८४,१३७,१४३,१६७,१८२ उप्पलहत्यगय (हस्तगतोत्पल) ज ३१० उम्मुग्गजला (उन्मुक्तजला) ज ३६७ से १०१, उप्पला (उत्पला) ज ४११५५६१,२२२ Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपर-उबट्टत्ता ८५६ उयर (उदर) उ ११३४,४०,४६,४८,४६,५१,५४, उवंग (उपाङ्ग) उ ११४ से ८,२।१३।१,२, ७४,७६,७६ ४।१,३,५॥१,३,४५ उर (उरस्) ज ५५ उ ३।११४ उवकुल (उपकुल) ज ७/१३६.१,१४१,१४३ से उरग (उरग) प६१८०१ ज ३.२४ १४६,१५० से १५३ सू १०१६,२० से २२,२५ उरत्थ (उरःस्थ) ज ३१३६ उवक्खड (उपस्कारय् ) उवक्खडावेइ उ ३३११०; उरपरिसप्प (उर:परिसर्प) प ११६७,६८,७५; ४।१३१ से १३६,६७१, २०१४ से १६,३५, उवक्खडावेत्ता (उपस्कार्य) उ ३१५० ४५,६० उवगच्छ (उप-+-गम् ) उवगच्छइ ज ३१४१ उरम्भरुहिर (उरभ्ररुधिर) प १७.१२६ उवगच्छित्ता (उपगम्य) ज ३१४१ उराल (उदार) १११४४१३ गुलू नामक वृक्ष उवगय (उपगत) प २१६४।१४,२० ज ३१२०,३३, उराल (दे०) ज ५॥३८ ५४,५६,८४,१०५,१०८ से १११,११३,१३७; उरु (उरु) ज २११५,१६:५१५; ७१७८ ५६५,७ उ १२१५,२५,३१६८,१०६:५।३५ उरुलुंचग (दे०) प १५० उबगरण (उपकरण) ज २१६६ सू २०१४ उ ११९३, उलंघ (उत् + लङ्घ) उलंघेज्ज प ३६।६१ १०५,१०६,३।५५,६३,७०,७३ उल्ल (आर्द्र) ज ३।२२,३६,४४,१२५,१२६ उवगिज्जमाण (उवगीयममान) ज ३८२,१८७, उल्लाल (उत् + लालय) उल्लालेइ ज ५२३ १८८ उ ५२५ उल्लालिय (उल्लाल्य) ज २४ उवग्गच्छाया (उपाग्रछाया) सू ६४ उल्लालेमाण (उल्ललायत्) ज ५१२२ उवधाइय (उपधातिक) ५० १११३४।१ उल्लोइय (उल्लोचित) प २१३०,३१,४१ ज ११३७; उवणाय । उवग्गहिय (औपग्रहिक) प २३१६ ३।७,१८४ उवघायणाम (उपघातनामन् ) प २३।३८,५२,११० उल्लोय (उल्लोच) ज ४।११६५।३४,६७ उवधायणिस्सिया (उपघातनिधिता) प १११३४ सू २०१७ उवचय (उपचय) प १५:५८१११५२५८,५६ उल्लोयण (उल्लोचन) उ १२४६ उपचय (उप-|-चि) उवचयंति प ६।२६ उवइय (उपचित) ज ४।२७ उचिण (उप-चि) उवचिण प १४।१८।१ उवउज्जिऊण (उपयुज्य) ५१६२०, २२१४५ उवचिज्जति प १४।१८११२१९९७ ३६.३२ उवचिणंति प१४।१५ उवउत्त (उपयुक्त) प २२६४।१२,१३,८।४ से ११; उवचिणिसु प १४११४ उवचिणिस्संति १५।४८,४६,२६१७,१६,२०,३४११२ प१४११६ ज ५२६ उवचित (उपचित) प २१३१,४१ उवएसरुद्द (उपदेशरुचि) पश१०१।१,४ उचिय (उपचित) १२।३०,२३३१३ से २३ उवओग (उपयोग) १५१७३।१११,१५१५८।१; ज।१४५,१४६,३७,४१३,२५,२७,७१७८ १५१६३,६४१८।१।१२८११०६।१:२६।१५, उवज्जिय (उपार्जित) ज ३१८५,२०६ ८,११,१५ उवज्झाय (उपाध्याय) प १६:५१ च ११२ उपओगपरिणाम (उपयोगपरिणाम) प १३१२,१४, उवट्ट (उद्+वृत्) उवट्ठति ज ५।१४ उवदे॒त्ता (उद्वत्य) ज ५११४ Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० उवटुव-उवलालिज्जमाण Vउवठ्ठव (स्थापय ) उवट्ठति ज ३१२०८, उबभोग (उपभोग) ११४६ १५. उबट्ठति ज ३११२० उपट्ठवह उवभोगतराय (उपभोगान्तराय) प २३१२३ म २१५.४:३।२०७ उ११७ उवमा (उपमा) प २६४।१७:३५।२५,२६ उववेत्ता (उपस्थाप्य) ११७ ज ३१२४।४३०२,४५१२,१३१४ उ ३१६८ उवाइ (उपस्थायिन् ) ज ३।३२१ उवयार (उपचार) प २३०,३१,४१ ज २।१०, उववासाला (जस्थानशाला) ५,१२,१७, १५.६५:३७,१२,८८,१३८,४११६६,५१७, २१,२८,३४,४१, ४६५८,६६,३४,७७,१३५, ५८,७१३३११ मू २०१७ १४७,१५१,१७७,१८८,२१६ उश१६,४१, उवयारियालयण (उपकारिकालयन) ज ४१११८ ४२,१२४,४।१२:११६ उवरक्खिय (उपरक्षित) प२।३०,३१,४१ उदिव्य (उपस्थित) ११२० उरि (उपरि) प २२१ से २७,३० से ३६,४१ उवणी (उमणी ) उवर्ण६ ज ३१२६,३६,४०, मे ४३,४५१२१३२ ज ११३५,४।१५६।१, ४७,५६,६४,७२,१३३,१४५,१५१ उवणेति ब ३८१,१२६:१६१ । १।४५ उवह उरितल (उपरितल) ४।१४२६१,२,४।२१३ उरिम (उपरितन) प २१२७।३,६२११ उवणीयअवगीयवयण (उपनीतापनीत वचन) उरिमउवरिमगवेज्जग (उपरितनोपरितनग्रेवेयक) प११८६ प१११३७,४१२६१ से २६३७१२८,२८१६५ उवणीयवयण (उपनीतवचन) प ११८६ उवरिमगवेज्जग (उपरितनग्रंवेयक) प २१६२ उवणेत्ता (उपनीथ) 1३।१२६ ३११८३,६।४१,५६,२०१६१:३३:१७ उवत्या मिया (स्थानिका) । ३१२६,३६,४७, उपरिमगेवेज्जय (उपरितनग्न व्यक) ५ २०६१ उरिममज्झिम (उपरितनमध्यम) प२८१९४ Vउवः (- ) उवदमहज 21५७,५८, १२.१४ : ११२३ उवाति) ज ५१५७ उरिममजिसमगेवेज्जग (उपरितनमध्यमग्रेवेयक) "वदराति गू२०१२ प११३७४१२८८ मे २६०७।२७ उपसण (दन २६१ उरिमठिम (उपरितनाधस्तन) १२८१९३ उपसाप (दशयितुम् ) 3 ३१११२ उरिमठिमगवेज्जग (उपरितनाधस्तनप्रैवे. क) उत्तिा (उपदश्य) उ३।२१५ प१११३७४२८५ मे २८७७१२६ उबदस्यि (उपदोस) ५१।११२ उरिल्ल (उपरितन) प २१६४:५११३१.१३४, उतरता (पद) प ५१५८ १३६,१४०,१४३,१६६,१६६,१८१,१८४, उवयंसेमाण (उपदशंयत्) ३४१२२ ज ५१४४ १६३,१६७,२००,२२८,२३४:१६।३४; सु २०१३ २२१५१,२०,७१.२४ ज २१११३;४१२५३, उतक्टिठ (जगदिष्ट) प ११०१४ च ४३ २५६,२५६१७३ से १७५ सू १८६१ Vउदिम (उस दिश) उवदिगई प २१६४ ।। उरिल्लय (उपरितन) प २८११४३ उदणि सिता उपदिश्व) पश६४ उवल (उपल) प १२०१ ज ४।२५४ उपदा (उपद्रव) २१४०।३।१०५ उवलद्ध (उपलब्ध) प ११०११६ उ ३।१०१ उवप्पयाण (उपादान) १३१ उवलालिज्जमाण (उपलाल्यमान) ज ३१८२,१८७, उयबूह (प ) ११०१:१४ २१८ Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवलित्त-उवागच्छ उलित्त (उपलिप्त) ज ३११८४:५।५७ उ ३११३०, उववेत (उपेत) प १७।१३: १३१,१३४ उववेय (उपेत) प १७१३४ ज २११४,१८ उवलेवण (उपलेपन) उ३।५१,५६,७१,७६ उ ५५ 1/उववज्ज (उप-!- पद्) उववज्जइ ॥ १७१६५ उवसंकम (उप । सं। क्रम) उवगंवार नि उज्जति प ६।४७ मे ५६,६० मे ६४,६६ स १।१७ ७० से ७२,७८ ११०,११२,११३ ज २०४६ उवसंकमित्ता (उपगम्य) ,१६,१६; मू १७१ उववज्जति प १६५०;१७१६०,६२, सू १।११:१४ ६४,६५,६९ से १०४ उवज्जिहिइ उ १।१४१; उवसंत (उपशान्त) प १४१३; 20128 12, ३।१८,४।२६ उववजिहिति ज २११३५ से ६८; १७. उ ३३५ १३७ उवसंतकसाय (उपशान्तकपाय११०,१०३. उववज्जमाण (उपपद्यमान) १२०१६१ उववज्जावेयब (उपपादयितव्य) १६६२,६४ उवसंपज्जमाणगति (उपमनानगनि) उववण्ण (उपपन्न) ज ७५६,५६,२१२ सू१६। प१६।३८४१ २२१२१,१६।२४ ३ ११२५ से २७,१८०; उवसंपज्जिका उपपद्य) ९८1. २११२,३।१४,८३,१०,१६१,४२८५१२८, ज७५६५.६.१६१२४. १२२ ३०,४०,४१ उवसम्ग (उपसर्ग) जरा६४,६५, ६६२.११५, उववण्णग (उपपन्नक) प ३।३६:१५१४६,३४११२ ११६,१२५ ३५२३ उवसम (उपगम) ज ७११७,१२२।२. उववण्णपुर (उपपन्नपूर्व) ज ७१२१२ स १०१८४१२, ८२ उबन्नग (उपपन्नक) प १५१४६,३४।१२ उदसामय (उपशामक) १६१,१६२ उववाइय (औपपातिक) प ६७३ उपसोभिय (उप भित) ११३,२१,२६,२६, उवदाएयव्य (उपपादयितव्य) प६७३,७४ ३३,४६,२१,५७,१२२,१२७,१७,१५०, उवात (उपप त) प २०१६०. चं १५. स १५,१६४, ३५१७८,६६२,४।१६६३ ८२; १६।५१७।१ ५।३२,३८१७।१७८ उववातगति (उपपातगति) प १६।३७ उवसोभाण (उपगोभमान) ३४३ उवातसभा (उपपातगभा) ३३।१४ उवदाय (उपपात) ५२।१,२,४,५,७,८,१०,११, उक्सोभेमा (पभमान) 15.123 १३,१४,१६, से ३०,४६ ; ६।१ से ४,१० से ७१२१३ २३,२७,४३,५६,६३,६६,८०२,८१,५३, उवसोहिय (उपशोभित) ४१ १४; १६७ ८६,६२,१००,१०३,०७,१०८ ; २०१६१. उदस्य (जलाशय) ६११११,११८,१४१४१२२ ज २१७२:४।१४०।१,१६०; १५१,६० उवहाण (उपधान) ज ४११३ उ १२०,२२३३१६६ उहि (उपधि) प १४।५ उपवायगति (उपपाताति) ५ १६:१७,२४ से ३.. उवहित (उपहित) सू ६।४ उववायसभा (उपयातसभा) ज ४।१४० उ ३1८३; उवाइणावेत्ता (उजातिकम्य) सू १०।१३८ १२०,१६१,४१२४ उवागच्छ (34; आ गम्) बागच्छद उववास (उपवास) ज०२।१३५ ज ११६; २।१०।३।५.६,१२,१७,१८,४१ Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ उवागच्छित्ता-उस्सासणाम उ ११२३१२६४।११।५।१६ - उवागच्छति उव्वेहलिया (दे०) प ११४८५० प ३४१२२,२३. ज २१११६. उ १।४५५।१७ उसभ (ऋषभ) प २।४६ ज० ११३७,५१, २।१५, -उबागच्छति. ज २।१६५, ३१२८,३२,४१, ५६,६२,६४ से ६७,७३ से ८६,१०१, ४६,२१६ उवागच्छसि. उ ३७६ ४६७, ५।२८ उवागच्छित्ता (उपागत्य उपागम्य) प३४१२२, उसभकूट (ऋषभकूट) ज० १:५१३।१३५; ज ११६. उ० ११६, ३१२६, ४१११:५११६ ४।१७४,१७५, ६.१६ उवागय (उपागत) उ १।१२२,१३०, ३७१,७६, उसभणाराय (ऋषभनाराच) प २३:४५,६५ ६६,१०६,१३८,४।१५,१८,१६ ५।२६ उसभसेण (ऋषभसेन ) ज० २।७४ उवाय (उपाय) प० १११७१, ३६६२ ज १०, उसह (ऋषभ) ज २६३,६०४।२७ १३,१६,१६,२२ से २५,२७,३०,६९,७२,७५, उसहक ड (ऋषभकूट) ज० ११५१,१३५,४।१७५, ७८,८१,८४ सू १११४,१६,१७,२१,२४,२७, उसहच्छाया (ऋषभछाया) ११६४७ २१३, ६।१।१०।१४१,१४६,१४८,१५० उसहसंधयण (ऋषभसंहनन) ज ३।३ उ १४१,४३ उसिण (उष्ण) प ११४ से ६५१५,७,१२६,१५४, उवागय (उपागत) ज २१६५,७१,८८, ३१२२५ २११,२१४,२१८,२२१,२२६६१ से ११ उवे (उप-1 इ) उवेइ प १३१२२२२. उ ३११११ ११।५६,६०, २८।३२,६६,१०५, ३४११६ उति ज २१६, ३।१२६ उवेह ज' ३.१२५ ३५१ से ३ उन्वट्ट (उद्+वृत्) उव्वति प ६१५८,६८ उसिणजोणिय (उष्णयोनिक) प १२ उव्वट्टति प १७६१,६२,६४,६५,१००,१०२ उसिणोदय (उष्णोदक) प १२३ से १०४ उन्वटे इ उ०३।११४ उसीरपुड (उशीरपुट) ज ४।१०७ उव्वट्ट (उद्वर्त) प २०११ उसु (इषु) ज ३१२४,३७,४५,१३१ उ ११२२, उव्वट्टण (उद्वर्तन) प ६१.१. उ० ३१११४ १४० उन्वट्टणया (उद्वर्तन) प ६१६,७ उसुय (इषुक) उ ३।११४ उव्वट्टणा (उद्वर्तना) १६८,६,४५,४६,५६,६६, उस्सक (उत्+वष्क) उस्सक्कति १००,१०२,१०३,१०७,१०८ प १७।१५०,१५२ उव्वट्टिता (उद्वर्त्य) १६६६ उ १११४१ उस्सण्हसहिया (उत्श्लक्षणश्लक्षिणका) ज २१६ उव्विग्ग (उद्विग्न) प २।२० से २७ ज ३।१११, उस्सप्पिणी (उत्सपिणी) प १२१७,८,१०,१२, १२५ उ ११८६; ३१११२; ४११६ १६,२०,२७,३२,१८१३,२६,२७,३७,३८,४१, उम्बिद्ध (उद्विद्ध) ज २६५,३।३१,५१२८ ४३,४५,५६,६४,७७,८३,६०,९५,१०७, जिविह (उद्-व्यध्) उबिहइ उ ११६१ १०८. ज २११,३,६,१३८,१६१,१६४; उब्वेह (उदवेध) ज० ११२३,५१,४११,३,६,१४; ७१०१ सू ६५१८।१६।२; १७१;२०१५ २५,३६,४०,४३,५४,५७,६२,६४,६७,७२, उस्सास (उच्छ्वास) प १२११४१७११११ ७८,८०,८४,८६,८८,६०,६५,१०३,११०, उ ५१४३ १२८,१४६,१५४,१५६,१७२,१७८.१८३, उस्सासणाम (उच्छ्वासनामन्) प २३॥३८,५५, २०३,२१३,२२१,२२६७२०७ Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उस्सासद्धा एक्कहत्तर उस्सासद्धा (उच्छ्वास 'अद्धा ' ) ज २१४ उस्सासविस (उच्छ्वासविष ) प १।७० उस्सिय ( उच्छ्रित) जं ३।१८४. सू १८।३ उस्सीसग (उच्छीर्षक) ज ५२६७ उस्सुक्क (उच्छुल्क) ज ३११२,१३, २८, ४१, ४६, ५८,६६,७४, १४७, १६८,२१२,२१३ उस्सेह ( उत्सेध ) ज १६४० ३।१२,८८,१६७ ११; ४११०३,१७८५ ५७,५८ चे १० उ ११३; ३।१२ उस्सेहंगुल ( उत्सेधाङ्गुल) ज २६ ऊ ऊण (ऊन ) प २१२६, २७२४, २६४७,४३,६,६, १२,१५,१८,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६, ४२,४३,४५,४६, ४८, ४९, ५१, ५२, ५४,५८,६४, ६७,७१,७४,७८, ८१, ८७, ६०, ६४,६७,१००, १०३, १०६,१०६, ११२,११५, ११८, १२१, १२४, १२७,१३०, १३३, १३६, १४२, १४५, १४८, १५१,१५४, १५७,१६०,१६४, १६७, १७०,१७३, १७६,१७६, १८२,१८५, १८८, १६१, १९४, १६७, २००,२०३,२०६,२०६, २१२,२१५,२१८,२२१, २२४, २२७, २३०, २३३,२३६,२३६, २४२, २४५, २४८, २५१, २५४, २५७,२६०, २६३, २६६, २६६, २७२, २७५,२७८,२८१,२८४,२८७,२६०, २६३, २६६, २६६, १२११०; १५१५७१८१६, १०, १२, ५६,६४,७७, ८१, ८३, ८४,८६ से ११,९५, ६६,१०८२११७४१२३।७६, १५६ ज १११७|१,२२८८४१५५,६२,७१२७,२६, ३० सू १११४,१६,२१,२३, २४,६११:१५ १८, १६,२६,३४ ऊणक ( ऊनक ) सू १३२ ऊणग ( ऊनक ) प २३६६,८१,८३ से ६६,८६, ६५ से ६६, १०९ से १०३,१११ से ११४, १५२ ज ३।२२५; १५।२७ कृणय ( ऊनक ) प २३/६१,६४,६८,७३,७५,७७, ८६३ ८८,६०,६२,१०४, ११७, ११८, १३४, १३५, १३८, १४०,१४२, १४३,१५१,१५३,१५५, १५७,१६०,१६१, १६४,१६६ से १६८, १७१ से १७३ ज २६,१२६,१२४ ऊताल ( एकोनचत्वारिंशत् ) सू १६४४ ऊतालीस ( एकोनचत्वारिंशत् ) सू २२३ ऊरु (ऊरु ) उ १११३८, ३।११४ ऊस ( ऊष ) प १/२०११ ऊसय ( उत्सव ) उ ११७१,७२ ऊसविय ( उच्छ्रित) ज ५१२१ सू १८१८ / ऊसस ( उत् +- श्वस् ) ऊससंति प ७२१ से ३, १७१२,२८।२१,३३,६७ ऊसास (उच्छ्वास ) प १२४८५३ ० २२४१ ऊसिया ( उच्छ्रित) प २२४८१५३५२ ज ११४२: २३१५,१६,५२,१६१,३७,३५,१०६,१३८ ४१६,१४,३१,४१,४६,६८,७६,६३,२२१; ५।४३; ७११६६,१७६,१७८ १८८. उ० ३१७ ए एकादसम ( एकादश ) सू १०११२४१२ एकावलि ( एकावलि) ज ३।२११ एकासीद ( एकाशीति) ज ४|११० एकूण वीस तिम ( एकोनविंशतितम) सू० १२।१६ एक्क (एक) प ११४८५४ ज १।३२ सू १०।१५७ एक्कग (एक) ज ७।१३१।१ एक्कड ( इक्कट ) प १।४१।१ एक तरह का सरकंडा जिसकी चटाई बनाई जाती है । एक्कतीस ( एकत्रिंशत् ) प ४।२६१ ज ४।११९ सू २/३ एकतीसा ( एकत्रिंशद्धा ) सू १३ १४, १६, १७ एक्कमेक्क ( एकैक ) ज ५।१ एक्कवीस ( एकविंशति ) प ७।१६. ज २२६ सू २१३. उ ५ १० एक्कवीस ( एकविंशतितम) प १०११४|४ एक्कहत्तर (एकसप्तति ) ज ११४८ Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ एक्काणउति ( कनवनि) सू १|१६ एक्कार ( एकादश ) व १०।१४१३ एक्कार ( एकादशन् ) सू १८१६ एक्कार ( एकादशन् ) ११।१०१ ज ११४८. सू १२१६ र ११६६ एक्कारस ( एकादश ) प २०११४।२ एक्कारसंग ( एकादश ) ज ७।१३१।२ एक्कारसम ( एकादश ) १ १०।१४।१ ज ७६७ सू १० १७७१३ १० १११४,१५,२१,१४०: ३११२६ एक्कारसी (एकादशी) एक्कारसविह ( एकादशवित्र ) प १६३,२० १२५ एक्कावरण (एकपात् ७ १६ ११२७ एक्कासी ( एकाशीति) सू २३1८ एक्कासी ( एकाशीति) ज ४११४३ एक्कासीत ( एकाशीति) सू १९१५ एक्कासीतिविह ( एकाशीतिविध ) प० १७।१३६ एrिafra (एकक) सू १६२२८ एकूणवीस ( एकोनविंशतितम ) प ११४८१६२ एक्क्क (एक) प १।४८८७ १७८१,२. सू८ । ११६।२२।४ से ६ एग (एक) प ११२० ज ११७. सू १।१४ उ १११७ एगइय (एकक) प ११७५:१५४५, ४७ से ४६; १७।१३,२०११,४,१७,१८.२२,२५,२८,२६, ३४,३८,३६,४६, ५०, ५३, ५८, २२१५६, २३१६६ ३४१७ से ६,११,१२,१५,१६ ११२२,५०, २२५८,८३,१२३, १२८,१४८, १५१,१५.७; ३३१०,११,८६,८७,१४४४११०१,१८४, ५।२७,५७,६१४ उ ११६७३।११४,१३०, १३१,१३४,१५१,५।१७,२६ एगओवत्त ( एकतोवृत्त ) प ११४६ एगंत ( एकान्त ) ज ३।१८५१५, २६. सू २० / ७. उ ११५४ से ५७,५६,६३,७६ से ८२,८४ एगर ( एकखुर ) प १६२,६३ एक्काणउति - एगवउ गुण ( एकगुण ) प ३।१८२,५११४६,१५०; १११५४.५६,५८,६०,२८७,१०,५३,५६ एगग्ग ( एकात्र ) ज ५१२५ एगजडि ( एकटिन् ) सू २०/८ एगजीब ( एक जीव ) प ११४७।१ एकजीव (एकजीवका ) प ११४७।१ एग ( एकार्थ ) सू १६१२,४,६ एमट्ठिभाग (एकटिभाग) सू १११४,१६,२०, २१,१३ एग (एकास्थिक ) प १०३४, ३५ एमट्ठिा (एकपटिधा ) सू २३ एमपासा ( एकनासा) ज ५।१०।१ एगतओ ( एकततस् ) ३ १११२५ एकतारा (एकतारा ) सू २०१६२ एगति (एकक) प ६।११० सू । १ एक्तीस ( एकत्रिशत् ) ज ४।६२ सू १३१११ एगतोनिसहसंठिया ( एकता निषश्वसंस्थित) सू ४३ एगत ( एकत्व ) प १११८३,८५,२२२२५,२८, २३१८,१२,२४।६; २५१४; २७/२; २८११२४; १३०,१३१,१३६,१४३, १४५ एगदिसि ( एकदिश् ) ज ७४८ एगपए लिय (एकप्रदेशिक ) प ११।४६ एगमेग ( एकैक ) प १०५ १५८३, ८४,८६,६४ स ६७,१००, १०३ से १०६,१०६,११४,११५, ११७,१३५,१४१,३६१८ से ११,१८ से २२, ३०,३१,४४,४६ ज २२४,४१६४, ११५,२६२; ६।१४,१६,२१,२२,७१३,१६,१६ से २५, ६६,३२,७५,३८ से ८२,८४,६५,६६,६८ से १००,११४ से ११६,११६,१७० सू १११८, २०,२१,२३,२४,२७:२१३ ६।११०१८४,८५, ८७,६०,११,१२४; १५/२ से ४,२६ से ३४; १८४, २१ एगयओ ( एकततस् ) ज ३११११ एगराइय (एकरात्रिक) प २७० एगलवण (एकलक्षण ) सू १६ २,४,६ एगas (एकवचस् ) प ११।२१ Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवयण- एत graण ( एकवचन ) प ११३८६,८७ एगविह ( एकविध ) प २२३,६,६,१२,१५,२२८३, ८४,८६,२४।१० से १२:२६१२, ४, ६, ८ से १० एगबीस ( एकविंशति ) प ४/२,६१ सू २/३ एसट्ठि ( एकषष्टि) ज ७ ७ एसट्ठिभाग ( एकषष्टिभाग) ज ७ २७,२६,३०, ६६,७२, ७५ एसट्ठिनाथ (एकषष्टिभाग ) ज ७१६५,६६,७१, ७२,७५,७७ एसट्ठिा ( एकपष्टधा ) ज० ७ २१, २२, २४, २५ एगसत्तर (एकसप्तति ) ज ४।१६६ सू १२ १२ एग समय ( एकसामायिक ) प ३६/६०,६७,६८, ७१,७५ एगसमइयट्ठितीय ( एकसमयस्थितिक ) प ५।१४६, १४७, ११ ४१ एगसमयठतीय ( एकसमयस्थितिक ) प ३१३८१ एगसाडिय (एकशा टिक) ज ३०६ : ५३२१ एगसिद्ध ( एगसिद्ध ) प १११२ एग सेल (एकल) ज ४ १६६,१६७ एगसेलकूड (एकलकूट) ज ४१६८ गागार ( एकाकार ) प ११६०,७२,७३,८०,८१, ८४; १३ २०; २१।७२, २३।५१ से ५३, ५५,५६, ज ४।२५६ एगारस ( एकादशन् ) ज ३।१ गावण्ण ( एकपञ्चाशत् ) ज ७ २० गावलि ( एकावलि) ज ७ १३३ गावलिसंठिया ( एकावलिसंस्थित) सु १०/५० एगासीति ( एकाशीति) ज ३३२ एगाहच (एगाहत्य) उ ११२२,२५,२६,१४० गाहिय ( एकाहिक ) ज २१६,४३,७५२५ सू २१३ एगिदिय (एकेन्द्रिय) प १११४, ४८ ३४० से ४२, ४४, ४६,१४१ से १४३,१८३,६७१,८३,८६,६२, १००, १०२, १०७,११२; १० ३६ ११ ३६, ४१,८०,८४,१३११६,१५११०३; १६।२७, १७/३६,५६,६०,६२,८७,१८।१४,२०; २०१३५२१२ से ५, २२ से २५, ३६, ४०४६, ८६५ ५०,५७,६४, ७५,७६,७६,८०, ८५, ९४; २२।२५, ८२ २३/४०, ८५, १३४, १३५,१३७ से १४०, १४२, १४३,१५०,१५६,१५६; २४।१३:२६ ४, ५, ६, २८।११२; २८,६६, १०२,१०६,११२,११५, ११६, १२३, १२६, १२७,१२६,१३२,१३३,१३७ से १४१,१४३; ३४५,१४:३५।७,३६।५६,६६ ज ३।१६७१५, १७८ offरण (एकेन्द्रियरत्न) ज ३११७८, २२०; ७/२०५, २०६ एगुणणउड ( एकोननवति) ज ७ १४ एगूणण उति ( एकोनवति) ज २१८८ सू ११२७ एगूणतालीस ( एकोनचत्वारिंशत् ) सू २१३ एगूणतीस ( एकोनत्रिंशत् ) प ४१२८५ सू २३ एगुणपण्ण ( एकोनपञ्चाशत् ) ज २।४६ सू २३ एगुणवण्ण ( एकोनपञ्चाशत् ) प ४६८ एगुणवीस ( एकोनविंशति ) प ४ । २५७ ज ७१४ सू १।१० errates ( एकोनविंशति) ज १।१८ गुणवीसइभाग ( एकोनविंशतिभाग) ज १।२३; ४१८१, ६०, ६८, १६६ एगूणवीस भाय ( एकोनविंशतिभाग ) ज १।१८, २०, ४८, ४६८, २००,२०१ एगुणवसति ( एकोनविंशति ) जरा एगूणसट्ठि ( एकोनषष्टि) सू १२/६ एगूणासts ( एकोनाशीति) ज २२५६ एगेंद (एकेन्द्रिय) प १ १५; ३।४६ एगोरु ( एकोरुक) प १९८६ एज्ज माण (एजमान) ज ३।१०७ एज्जमाण ( आयत् ) उ १२२,८६,१४० एज्जेमाण (आयत्) ज ४१३५, ४२,७१,७७, ९४ √ एड (एड् ) एडेइ ज ३६८ एडेंति ज ५।५ एडेला (एलित्वा एडित्व) ज ५१५ एणी (एणी) ज ३।१०६ एत ( एतद् ) प १२० Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एतारूब-ओगाहणठ्या एतारूव (एतद्रूप) प १७१२३ से १२५,१२७, १२८,१३० मे १३२,१३४,१३५ एतार (एतावत् ) ज २।४ एतादत (एतावत) सू१३३१०,१३ से १६ एत्तो (इतर) प १७११३५ उ ३।१०१ एत्थ (अत्र) प ११७४ ज १३ चं ७ मू ११२ उ ३१४५ एमेव (एवमेव) प ११०११३ एय (एतद् ) प ११२६ ज ३१०७ चं २१५ सू ११६ उ१११७ एयारूव (एतद्रूप) १ १७१२६ ज ११११, २।१७,१८,३२६,२७,३६,४०,४७,४८,५६, ५७,६४,६५,७२,७३,११२,१२२,१२३,१३३, १३४,१३८,१३६,१४५,१४६,१५८,१६५, १६७,४७,१५,२६,१०७,१४६,५।१३,२२ उ १।१५,१७,३४,४०,४३,५१,५४,६३,६५, ७४,७६,७६,६६,१०५,३।२६,४८,५०,५५, १८,१०६,११८,१२६,१३१:५२३,३१,३६, एलय (एलक) प १११६ से २० एलवालु (दे०) प ११४८१४८ एलवालुंको (दे०) प ११४०।१ एलापुड (एलापुट) ज ४।१०७ एलावच्चा (एलापत्या) ज ७१२० सू १०८८१ एक (एव) ज १११६ स १६३११ उ ११२ एवई (एतावत् ) ५ ३६१६० एवइय (एतावत् ) प ३६१५६,६६,७४ एवं (एवं) प १४६०११६ चं २।५ सू ११५ उ११४ एवंकरणया (एवंकरण) ज ३११२६ एवंभाग (एवंभाग) सू१९१०४ एवंभूय (एवंभूत) प १६:४६ एवति (इयत्, एतावत् ) प ३६६७,७१,७५ एवतिय (एतावत्, इयत्) प ३६१६६,६८,७०,७३ सू २१२,१६।२२।२,३ एवमेव (एकमेव) प ३४११६ एवामेव (एवमेव) प २८।१०५ ज ११२६ सू ३११; १०११२७११६३ एसणासमिय (एषणास मित) ज २१६८ उ ३६६ एसणिज्ज (एषणीय) उ ३१३६,३८ ३७ ओ एरंड (एरण्ड) प ११४२१२; ११४८१४६ एरंडबीय (एरण्डबीज) प ११७८ एरणवय (ऐरण्यवत) प १७।१६३ ज १६ एरवत (ऐरवत) प १८८ एरवय (ऐरवत) प १६:३०:१७१६० ज ४।१०२ ५५५५, ६१६,१३,१६,२० सू ११८,१६ एरदयकूड (ऐरवतकूट) ज ४।२७५ एरावण (ऐरावण) ज ४११४२१३,२०७,२६२; ५।१८ एरावणवाहण (ऐरावणवाहन) प २१५० एरावतिय (ऐरावतिक) सू १।१६ एराक्य (ऐरावत) जा२७४,२८७ एरात्रयग (ऐरावतक) ज ४।२५२ एरिसय (ईदशक) प २३११६५,१६६,२०० सू २०१७ उ श१४० एरिसिय (ईदृशक) प २३१२०१ एलग (एलक) ५ ११६४ ज २।३४,३५ .. ओअवण (दे० साधन, स्वायत्तीकरण) ज ४॥२७७ ओइण्ण (अवतीर्ण) उ १६०,६१ ओगाढ (अवगाढ) प३।१८०,१८२,५११३६ से १४५:१०.१८ से ३०,१११५०,६२ से ६४, ६६।१:१५३१११,१५११२,२५,१७११४१; २८१५,१२,१३,२०,३२,५१,५८,५६,६६ * ७१४१,४२,५०,५८ ओगाह (अव । गाह) ओगाहइ ज ३१२२,२६ चं ३१२ सू १।७२ उ ३१५१ ओगाहई ५ ११०१।६ ओगाहेइ ज ३।४४ ओगाहणठ्ठया (अवगाहनार्थ) प ५१५,७,१०,१२, १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, ३७.४१,४५,४६.२३,५६,५६,६३,६८,७१, Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगाहणसंठाण-ओय विय ८६७ ७४,७८,८३,८४,८६,८६,६३,६७,१०१,१०२, १०४.१०५,१०७,१११,११५,११६,११७, ११६,१२६,१३१,१३२,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४५,१४७,१५०,१५४,१६०, १६३,१६६,१६६,१७२,१७४,१७७,१७९, १८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४३; १५।१३,२६,३१ ओगाहणसंठाण (अवगाहनासंस्थान ) प १।११६ ओगाहणा (अवगाहना) १७४,८४, २१६४१४, ६ से १५१६६,१३२,१६५,११।७२, १५।१३,२६,३०,३१,५८।२,६५,२१।१।१, २१॥३८,४० से ४२,४८,६३ से ६६,६८ से ७१,७४,८४ से ६४,१०५ उ ३।८३,१२०, १६१,४१२४ ओगाहणाणामणिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प ६।११८ ओगाहणाणामनिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प६।११२ ओगाहणानामनिहनाउय (अवगाहनानामनिधत्ता- युष्क) प६।११६ ओगाहिऊण (अवगाह्य) ज ४।२४० ओगाहित्ता (अवगाह्य) प २२१,२२,२४ से २७, ३० से ३२,४१ से ४३; १५१४३,४५,५२ ज ११४६, ४।२२१; सू ११२२ उ ३१५१ ओगाहेत्ता (अवगाह्य) २।२३,३३,३५,३६ ओगिहित्ता (अवगृह्य) उ ११२,३१२६, ५१२६ ओगुंडिय (अवगुण्डित) २११३३ ओग्गह (अवग्रह) ११२:३१२६,६६,१३२; ५.२६ ओघ (ओघ) ज ५२२ से २४ ओघमेघ (ओधमेघ) २११४१,१४२,१४५; ३१११५.११६,१२२,१२४ ओघसण्णा (ओषसंज्ञा) प ८.१,२,३ ओघस्सर (ओघस्वर) ज ५१५२,५६ ओचूलग (अवचूलक) ज ३११२५,१२६,१७८; ७१७८ ओच्छपण (अवच्छन्न) ज २११२,१३,३।१२१ ओट्ठ (ओष्ठ) प २।३१,३२ ज २१४३,७१७८ उ ३१११४ ओठावलं विणी (ओष्ठावलम्बिनी) प १७११३४ ओणय (अवनत) ज २१६० ओत्थय (अवस्तृत) ज ३।६,१८,६३,१८०,२२२ ओभंजलिया (दे०) १५१ ओभास (अव-भास्) ओभासइ ज ४।२१० चं २११ सू १९६।१ ओभासंति सू०३।१ ओभासति सू ३१२ ओभासें ति ज ७।४६,५८ ओभास (अवभास) ज ११२३,२११२:४।२०१, २१४,२४०,२६४,२७० सू २०१८,२०८१६ ओम (अवम) सू ६३ ओमंथिय (दे० अवमस्तिक) उ १२१५,३५, ३।६८ ओमज्जायण (अव मज्जायन) ज ७१३२११; सू १०११०६ ओमत्त (अनमत्व) १५४४,४५ ओमरत्त (अवमरात्र) सू १२११६,१७११ ओमइत्ता (अवमुच्य) ज २१६५ उ ३।११३ Vओमुय (अव + मुच् ) ओमुयइ ज २१६५,२२४; ५१२१ ३ ३१११३,४१२० ओमोय (दे०) ज ३१६ ओम्मिमालिणी (मिमालिनी) ज ४२११ ओय (ओजस्) चं ।२ सू १।६।२;६।१;६३ ओयमि (ओजस्विन) ज ३७७,१०६ 1 ओधर (अब ' त) ओयरइ उ १६७ ओयव (द०) ओयवेइ ज ३११७५ ओयवेहि ज ३१७६,१२८,१५१,१७० ओयवण (दे०, साधन, स्वायत्तीकरण) ज ३।१२६;४११७७ ओयविता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३१७१ ओयविय (दे० परिकर्मित) प २।३१ ज ४.१३ स् २०१५ Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ ओयवेऊण-ओहद्रिय ओयवेऊण (दे० स्वायत्तीकर्तु) ज ३८१ ओयवेत्ता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३७६ ओयसंठिति (ओजस स्थिति) सू १०६६१; हार ओयाय (उपयात) उ १११४,१५,२१,१३६,१३७ ओयाहार (ओज आहार) प २८५१०४,१०५ ओराल (दे०, उदार) प ३४११६,२१,२२ ज ११५; २१६४,३।१८५,४११०७ सू २०१७ उ ११४०, ४१,४३,४४, २०११ ओरालिय (औदारिक) प १२।१,३ से ५,८,९, ११ से १३,१५ से १७,२१,२३,२७ से २६, ३२,३३,३५,३६,२१११,३६,८०,८२,१०२, १०४,१०५;२३०४१ से ४४,८६,९२,३६।१२ ओरालियामीसगसरीर (औदारिकमिश्रकशरीर) प१६।१५,३६.८॥ ओरालियमीससरीर (औदारिकमिधशरीर) प१६।१,४ से ७ ओरालियमीसासरीर (औदारिकमिश्रकशरीर) क १६।१२ से १५, ३६८७ ओरालियसरीर (औदारिकशरीर) प१२।२३,२७, ३२,१६।१,४ से ७,१२ से १५,२११२ से ५, १६ से २५,२८ से ३२,३६,३८,४० से ४२, ४८,७६,७७,६५,९८ से १००,१०४,१०५; २२।३७,४४,४५,२८११०४,१४१,३६१८७ ओरालियसरीरग (औदारिकशरीरक) प १२० ओरालियसरीरय (औदारिकशरीरक) प १२७ ओरालियसरीरि (औदारिकशरीरिन) प २८१२,१४१ ओरोह (अवरोध) ज ५२२,२६ ओलंग (अवलम्ब) ज ७१७८ ओलुग्ग (अवरुग्ण) उ ११३५ ओवइय (दे०) प ११५० ओवक्कमिया (औपक्रमिकी] प ३५।१११:३५।१२, ओवम्म (औपम्य) प २१६४।१८ ओवम्मसच्च (औपम्यसत्य) १ ११।३३।१, ११३३ ओवय (अव पत्) आव यंति ज ५१५७ ओयवमाण (अवपतत्) ज ५१४४ ओववाइय (औपपातिक) ज २१८३,५१५७ ओवाय (अवपात) ज २६३८ ओवासंतर (अवकाशान्तर) प १५.५१ ओविय (दे०) ज ३१६,२४, ५१२१,२८ ओसक्क (अव-प्वप्क) आसक्कति प १७१५२,१५५ ओसक्कइत्ता (अवष्वष्क्य) सू१०।१४८ ओसण्ण (अवसन्न) प८।४,६,८,१०,२८१२०, २६,३२,६६ ज २।१३३,१३५ से १३७ उ ३।१२० ओसण्णविहारि (अबसन्न विहारिन् ) उ ३।१२० ओसत्त (अवसक्त) प २१३०,३१,४१ ज ३७,८८ ओसधि (ओषधि) प ११३३।१,१।४५ ज २११३१, १४४ से १४६,३।१३३,२०६,२११:५।५५, ५६ ओसप्पिणी (अवसर्पिणी) प १२१७,८,१०,१२,१६, २०,२७,३२,१८।३,२६,२७,३७,३८,४१,४३, ४५,५६,६४,७७,८३,६०,६५,१०७,१०८ ज २११,२,६,७,५२,५६,१३५३१ सू ८.१६२% १७११, २०१५ ओसरित्ता (अपसत्य) ज ५१५८ ओसह (ओषध) उ ३।१०१ ओसही (ओषधी) ज ४।२००३१ नगरी का नाम ओसा (दे०) प ११२३ ओसारिय (उत्सारित) उ ११३८ ओसोवणी (अवस्वापिनी) ज ५।४६,६७ ओहय (उपहत,अवहत) ज ३११०५,१०६,२२१ उश१५,३५,४१ से ४४,७१,३१६८ ओहस्सर (ओघस्वर) ज २११६,५१५१ ओहडिय (अवघटित) ज ११२४ ओवमिय (औपमिक) ज २१४,५ Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओहारिणी-कंतरिय ८६६ ओहारिणी (अवधारिणी) प ११११ से ३ ओहि (अवधिप ११७१७।१०६ से १०८, ११०; ३३।१।१; ३३.१ से १३,१५ से १६, २६,२७,३५ ज २१६०,६३, ३।१२,५६,८८, ११३,१४५, ५.३,७।२१,५८ उ ३७,६१ ओहिणाण (अवधिज्ञान) प ५१५,७,२४,४१,४६, ६७,११५,१७१११२,११३, २०१७,१८,३४; २८.१३६,२६२,६,१७,१६,३०।२,६ ओहिणाणारिय (अवधिज्ञानार्य) प १९६ ओहिणाणि (अवधिज्ञानिन्) प ३।१०१,१०३; ५६४३,६६ मे १६,११४ से ११७; १३।१४; १८१८०२८।१३६, ३०1१६ ज २१७६ ओहिदसण (अवधिदर्शन) प ५१५,७,४५,६७; २६॥३,७,१७,१६,३०१३,७ ओहिदसणावरण (अवधिदर्शनावरण) प २३।१४ ओहिदंसणि (अवधिदशं निन्) प ३.१०४:५।४७, ६६,११७,१८१८७,३०१६ ओहिनाणपरिणाम (अवधिज्ञानपरिणाम) प १३१६ ओहिनिगर (अवधिनिकर) ज ३३१२,८८ ओहिय (औधिक) प २।३४,३७,४२,४३,५०%; ४।५५,६८,७५,६१,६७३,७४;१११८२,८३; १२२६,२८,२६,३२ से ३४,३६:१५.१८, १६,३०; १७।२८ से ३०,३२,३३,३५,५८, ६०,६२,६३,२११३१,३६,४२,४४ से ४७, ६१,७०:२२१२४,२३।१७६,१८१,१६५,१६०, २६१५ कओ (कुतस्) प ६८२,६३,१११३०११ ज ७।३१ कंक (कक) प १७६ ज २११३७ कंकरगहणी (कङ्कग्रणी) ज २०१६ कंकडग (कंकटक) ज ३1३५,१७८ कंकण (कडकण) उ ३।११४ कंकावंस (दे०) प ११४११२ कंग (कङ्गु ) प ११४५१२ ज २१३७,३।११६ कंगुया (कंग) प ११४०१२ कंचण (काञ्चन) ज ११३७२११५,७०,३११२, २४,३५,८८,१०६.११७:५१५८,७१७८ कंचणकूट (काञ्चनकूट) ज ४।२०४११ कंचणकोसी (काञ्चनकोशी) ज ३१७८ कंचणग (काञ्चनक) ज ४।१४२२१ कंचणगपव्यय (काञ्चनकपर्वत) ज ४।१४२ ६१० कंचणपुर (काञ्चनपुर) प ११६३१ कंटक (कण्टक) ज ४।२७७ कंटकबहुल (कण्टकबहुल) ज ११८ कंटग (कण्टक) ज २६३६ कंटय (कण्टक) ज ३१२२१ कंठ (कण्ठ) ज ५।५६७।१७८ कंठाणुवादिणी (कण्ठानुवादिनी) सू ११४ कंड (काण्ड) प २६४१ से ४३,४६ कंडावेलु (कण्डावेणु) प ११४१।२ कंडुइय (कण्डू यित) ज १११३३ कंडक्क (कंडुक) प ११४८१५०,६२ भिलावा, तमाल कंडुरिया (कंडुर) प ११४८१२ एक तरह का सरकंडा कंत (कान्त) प २१४१,२८।१०५ ज २।१५,६४, ६५;३।६२,११६,१८५,२०६:५।२८,५८ सू २०१४ उ ११४१,४४,३।११२,१२८,५२२ कंततर (कान्ततर) ज २११८,४।१०७ कंततरिय (कान्ततरक) प १७११२६,१२७,१३३ ___ से १३५ ज २११७ कंतत्त (कान्तत्व) प ३४।२० कंतयरिय (कान्ततरक) प १७१२८ क क (किम् ) प ११ ज ११४५ सू ११६ उ ११४ कइ (कति) प १५१५३,१५।१४१,२२।४०,४१, ६०,२५१४ ज ११३४,४१२१४ चं ११.३ सू ११६।१,३ उ ११६; २।१,४।१ कइविह (कविविध) प १६११:२११७,१३,३०२ __ ज २।५७११०४,१०५,१११ से ११३ कइरसार (करीरसार) प १७११२५ Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० कंतस्सरता-कट्ट कंतस्तरता (कान्तस्वरता) प २३११६ कंति (कान्ति) ज २६५:३।१८६,२०४ कंद (क-द) प ११३५,३६,४८७,११,२१,३१,३५, ६१,१११०१,१२८ ज ४७ उ ३३५०,५१,५३ कंदप्प (कन्दर्य) १ १४१ कंदपिय (कान्दर्पिक) २०१६१ ज ३।१७८ कंदमाण (क्रन्दत्) उ ११९२३.१३० कंदमूल (कन्दमूल) प ११४८१८,६१ कंदर (कन्दर) ज २१६५ ; ३१३५ कंदल (कन्दल) ज ३३५ कंदलग (कन्दलक) प ११६३ कंदील (कन्दली) प ३७२,१।४३३१ कंदली (कंद) (कन्दलीकन्द) प ११४८०४३ कंदलीथंभ (कन्दलीस्तम्भ ) प १११७५ कंदाहार (कन्दाहार) उ ३.५० कंदित (ऋन्दित) प २१४१ कंदिय (ऋन्दित) प २।४।१ कंदु (कन्दु) उ ३१५० कंदुक्क (कंदुक) ब ११४८.५० कंपण (कम्पन) ज ३।३५ कंपिल्ल (काम्पिल्य) प ११९३२ कंबल (कम्बल) प १५१११२,१५१५१ कंबु (कम्बु) प ११४८३ कंस (कांस्य) प १११२५ ज २।२४,६६ सू २०१८ कंसणाभ (कंसनाभ) सू२०१८, २०१३ कंसताल (कांस्यताल) ज ३।२१ कंसवण्णाभ (कांस्यवर्णाभ) सू २०१८ कसोय (कंसीय) प १११२५ ककुह (ककुद) ज ७।१७८ कक्कस (कर्कश) उ ३१९८ कक्केयण (कतन) ज ३१३५,१०६ कक्कोडइ (कर्कोटकी) प १४०।२ कक्ख (कक्ष) ज० २।१५ उ० ३।६८ कक्खंतर (कक्षान्तर) उ ४१२१ कक्खड (कवखट) प ११४ से ६; २।२० से २७; ३११८२,५५,७,२०६ से २०८:१३।२६) १५११४,१६,२७,२८,३२,३३,२३३१०२८९ १०,२०,३२,५५,५६,६६ कच्चायण (कात्यायन) ज ७१३२१४ सू १०।११७ कच्छ (कक्ष) ज ४।२४८ कच्छ (कच्छ) ज १८१,४।१६२२१,१६७,१७२।१, १७७,१७८,१८१,१८४,१८७,१६०,२००; ७.१७८ कच्छकूड (कच्छकूट) में ४।१६३,१६४,१८० कच्छगावइ (कच्छकावती) ज ४।१८५ से १८६ कच्छगावइकूट (कच्कावतीकूट) ज ४।१८७ कच्छगावती (कच्छकावती) ज ४११८७ कच्छभ (कच्छप) प ११५५,५७ ज २११३४; ४१३,२५ सू २०१२ कच्छभी (कच्छभी) ज ३।३१ कच्छविजय (कच्छविजय) ज ४।१६३,१६६,१६६ कच्छा (कक्षा) वराही नामक पौधा, भींगुर प११४६,११४८१६२ कच्छ (कच्छू) ज २११३३ कच्छुल (कच्छुरा) प ११३८१२ कच्छुरी (कच्छुरा) ५१३७११ कज्ज (कृ) कज्जाइप २२।१०,१५,१६,१८,४८, ५०,५२,६७ से ६६,७२,८२,६१ से ६३,६८, ६९ ७५२,५३ कज्जति ११७।११,२२, २३,२५,२२।५१,७१,७३।७४ कन्जति प १७१२५,२२१६,११ से १४,१७,१६,४८ से ५०,५२ से ५६,६१ से १५.६७ से ६६,७१ से ७४,७६ से ७६,८१,६१,६४,६७ से ६६ कज्ज (कार्य) सू१०११२० उ ३।११,५१,५६ कज्जल (कमल)५१७४१२३ कज्जलप्पभा (कज्जलप्रभा) ज ४।१५५।२, २२३०१ फज्जोक्य (कार्योपग) ज ७१८६।२ सू २०१८; २०१८२ कटु (कृत्वा) प ११७० ज श६४ सू १२०, २१ उ १११७ Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कट्ठ-कण्णपाउरण ८७१ कट्ठ (काष्ठ) प १६४८।३० से ३७ ज २१६५, ६६,९८,१३१,३१६८,५५,१४ से १६ उ ३१५०,५१ कठ्ठपाउयार (काप्ठपादुकाकार) प १६७ कट्ठमुद्दा (काष्ठमुद्रा) उ ३।५५,५६,६३,६४,६७, ६८,७०,७१,७३,७४,७६ कट्ठसेज्जा (काप्ठशय्या) उ ५।४३ कट्ठा (काष्टा) सू १४६३११६१ से ३ कट्ठाहार (काष्ठाहार) प ११५० कड (कृत) २०१३९;२३।१३ से २३ ज १११३, ३०,३३,३६,२७१,४।२ सू १२१२ से ६,१० से १२ उ ११२७,१४० कडक्ख (कटाक्ष) ज ७१७८ कडग (कटक) प २१३० ज ३१६,६,१७,२६,२६, ४७,५६,६४,७२,६७,१०६,१३३,१३५,१३८, १४५,१५०.१६१,२११,२२२२५२१,५८ उ ५१५ कडय (कटक) पश३१,४१,४६ ज ११६,३१६५, १५६,४१६ कडाह (कटाह) प ११४८४६ कटावक्ष कडि (कटि) ज ३।१७८७११७८ उ ३३११४ कडिसुत्त (कटिसूत्र) ज ३।६,२२२ कडुमतुंबी (कटुकतुम्बी) १७१३० कडुगलंबीफल (कट कतुम्बीफल) प १७।१३० कडुच्छुग (दे०) ब १२४०,४११३६,२४२ कडुच्छ्य (दे०) ज ३१११,१२,८८,४१२१६; ५।५५,५७,५८ उ ३१५०,५५ कडय (कटक) प १४ से ६५५,७,२०५; २८१२०,३२,६६, ज २११४५,७।११२१२ सू १०११२६।२ कढिण (कठिन) उ ३३५० कण (कण) सू २०१८ कणहर (करवीर) प १३८१ ज २०१० कणिकार का पेड कणकण (कणकण) ज ५२४ कणकणय (कणकणक) सू२०१८ कणग (दे०) ज ३.३५ बाण कणग (कनक) प १५१, २१४०1८,६२१४८ ज ११५,१६,३८, २११५,६४,६८,६६; ३६, २४,३५,५६,८१,१४५,१७८,२११,२२२; ४११०,११५, ४।२१०११,२१७; १५८, ७.१७८ कणगमय (कनक मय) ज ३.१६७४१२ कणगरयणदंड (कनकरत्नदण्ड) ज ३।१०६ कणगसणाम (कनकसनामन्) ज ७।१८६? सू २०११ कणगामई (कनकावती) ४.७,१५,२४५ कणगामय (कनकमय) ज ११४६,३३१०६,१६७ ४।१,११०,१५६ कणगावलि (कनकावलि) ज ३१२११ कणय (कनक) प ११४११२ पलाश, धतूरा कण्दय (दे०) ज ३३१ । कणय (दे०) सू २०१८ एक ग्रह का नाम कणयदंडियार (कनकदण्डिकार) ज ३।३५ कणयमय (कनकमय) ज ११४६।१ कविताणय (कनकवितानक) सू २०१८ ग्रह का नाम कणसंताणय (कन कसंतानक) सू२०१८ ग्रह का नाम कणवीर (करवीर')ज २११५,३३१२,८८,५।५८ कणिक्कामच्छ (कणिका मत्स्य) प ११५६ कणीयस (कनीयम) उ ११६५ कण्ण (कर्ण) ज २१४३,६४,५१२६,३८,७१७८ उ३।१०२ कण्णकला (कर्णकला) सू १।८।१२१२ कण्णगा (कन्यका) उ ५१३,२५ कण्णत्तिय (दे०) प १९७८ कण्णपाउरण (कर्णप्रावरण) प ११८६ १. हे० ११२५३ Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ कण्णपीढ ( कर्णपीठ ) प २३०,३१,४१,४६ कणमूल (कर्णमूल ) ज ५११६ कण्णा (कन्या) ज ३१३२ कण्णायत ( कर्णायत ) ज ३।२४,१३१ कण्णा ( कर्णायत) उ ११२२, १४० कण्णिा (कणिका) ज ४७ कण्णिया ( कणिका ) प ११४८१४५ ज ३१११७; ४१८,१५,१६ कणियारकुसुम (कणिकारकुसुम ) प १७ १२७ कण्णलायण (कणिलायन) सू १०/६५ कण्णिल्ल (कणिल ) ज ७ १३२११ कह (कृष्ण) प ११४४१३, १६४८१७, ११६३३६; २/२०१७ २६,५६ से ६६,७१ से ७६,८१ से ८७,६४,१०० से १०४,१०६, १०९, ११२. १६६,१६७,१६९ से १७२ उ १७; ५१६,१५, १७ से १६ कण्ह (वल्ली ) ( कृष्णवल्ली ) प १|४०|३ hupia (कृष्णकंदक ) प १७ १३० कण्हकडबु (दे० ) प ११४८ । ३ कण्हलेस (कृष्णलेश्य ) प १३३१५, १७८३,६२, ६४,६५,१०३,१०४, १०७, १०८, १२१,१२६, १७०,१७२, १८१६६,२३११९५,२०० कण्हलेस ट्ठाण (कृष्णले श्यास्थान ) प १७ । १४६ कण्हलेसा ( कृष्णलेश्या ) प १७|१२१:२८ ११२३ कण्हलेस (कृष्णलेश्य ) प १३ १४, १६ कण्हलेस्सट्ठाण (कृष्णलेश्यास्थान ) प १७।१४६ कण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या ) प १३ १४, १६, १६/४६, ५०,१७२३६,३८,३६,४१,४३,४७,५०,८२, ११४ से ११६,११८,१२१,१२३,१३०,१३६ से १४५,१४७ से १५०,१५६ से १६४ कण्हलेस्सापरिणाम (कृष्णलेश्यापरिणाम ) प १३६ कसप ( कृष्णसर्प ) प १७० सू २०१२ कत (कृत ) प २८ १०५ ३४।१६ सू २०१७ कतर (कतर ) प ३१३८ से ४८, ५० से १२०,१२२ से १२४,१७४, १७६ से १८२, ६ १२३, ८५, कण्णपीढ कतिविह ७,६,११,६।१२,१६,२५,१०१३ से ५, २६, २८,२६,११७६,६०,१५१३,१६,२६,२८, ३१,३३,६४,१७/५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८३, १४५, १४६, २०१६४, २१३१०४, १०५; २८१४१,४४,७०,३४१२५ ३६ ३५ से ३७,३६ से ४१,४८,४६ सू १३४६, ८, १०, १३, १८७, ३७ कति ( कति ) प ६ १२०, १२१८११ से ३,१०११ ,१५,११।३०११; ११।४२,८८१२३१ से ५; १४१ से ३, ५, ११ से १४, १७, १५।१।१, १५११, १२,१७,१६,२०,२५, ३०,५४,५६, ५७,७७ से ८०,१३३,१३४; १७/३६ से ४०,११२ से ११४,१२६,१३६,१३७, १४७, १५६,१५७,१५६ से १६१,१६३, २१।१,६५,६६,२२११, २१ से २३,२६,२७, २६,३०,३२ से ३६, ४२ से ४७,५७,६६,८३, ८४,८६,८७,८६,६०,२३।१।१,२३१,२,६,७, २४,२४११ से ५,१० से १५:२५ १,२,५; २६३१ से ४, ८, ६, २७११ से ३,५,६,२८/३१; ३६।१,४ से ७,४२,४३,५३,५४,५८,६२ से ६४,७७, ७८ ज १।१५,४।२६० चं २।३,५ सू १ ६ ३, १६।१ से ३:१०८ से १६,६३ से ७४,७६,१२।१,१३१४, ५, १५ से ३७ १८३१४ से १७,१६११ कतिपएसिया ( कतिप्रदेशिक ) प १५११, २४ कतिपदेसिय ( कतिप्रदेशिक ) प १७ १४० कतिपगार ( कतिप्रकार ) प ११।३०११ कतिभाग ( कतिभाग ) प २८।१।१,२८।२२,३४,३६ ६८ कति भागावसे साउथ ( कति भागावशेषायुष्क) प ६।११४ से ११६ कतिविध ( कतिविध ) प ६।११८, १७११३६ कतिविह ( कतिविध ) प ५।१,१२३ से १२५; ६१११६,६१,१३,२०,२६,११।३१ से ३७, ७३, ८६,१३।१ से १३,२१ से ३१, १४७, ६, १५/५८ से ६०,६२,६३,६५ से ७४,७६, Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतिसमइय कब्बडय १६१२,३,१७,१६,२०,२०६२ २१।२ से ६, मे १२, १४, १५, १६,२०,४६,७२, ७५ से ७७,६४,२२१२ से ६; २३३१११,२३।१३ से २३, २५ से ४७,४७ से ५६; २६।१ से ३, ५ से ७,६,१०,१२,१३,३०१, ३, ५ से ११,१३; ३३।१,३४।१७:३५ १,४,६,८,१०,१२,१६ ज २१ से ३४।२५४,२५५ सू १०।१२६; २०१३ कतिसमय ( कतिसामयिक ) प १५१६१ : ३६२, ३,८४,८५ कतो ( कुतस् ) प० ६।७० सू ४/४ कत्तिई (कार्तिकी) ज ७ १४०,१४४,१४६ सू १०/२६ कत्तिगी (कार्तिकी) ज ७।१३७,१५५ कत्तिम (कृत्रिम) ज २।१२२, १२७, ४११००, १७० कत्तिय (कार्तिक) ज ७।१०४,११३११,१३७ उ ३१३,४० कतिया ( कृत्तिका ) ज० ७ १२८, १२६,१३६, १४०,१४४,१४६,१५,१६० सू १०।१ से ६, ११,२३,३६,६२,६६,६७,७५,८३,१०१,१२०, १२४,१३१ से १३३,१२/२८ कत्तिया ( कार्तिकी) सू १०1७,११,२३,२६ कत्तो ( कुतस् ) प ६।१।१६।७५,७८,८०,८१,८७, ६०,६४,६६ ज ३।१२७ कत्थ (कुत्र ) प २१६४२ कत्थइ ( कुत्रचित् ) ज २ ६६ सू २०१७ कत्थुल ( कस्तुल) ज २।१० कवलीथंभ (कदलीस्तंभ ) प ११।७५ कद्दम ( कर्दम ) ज० ३।१०६ उ ११३६ कदुइया (दे० ) प ११४०१२ ai ( कथं ) सू १९ । २४ कथ्य ( कल्प ) प ० २११,४,१०,१३,५० से ५६, ५६१२२३६०,६३,३।२६ से ३६, १८३४।२१३ से २४०, २४३, २४६, २५८, २६४,६२८,६५, ६८,१०६,२०१६१,२११७०, ६१,६२,३०।२६; ८७३ ३४/१६,१८ ज ५।१८, २४ मे २६, ४४, ४६ उ २२०, २२ : ३१६०, १२०, १५६, १६१,४/५, २४.२८ v कप्प ( कृप् ) – कप्पइ उ ३।५०,४१२२कप्पेंति ज ५ १३,१८,२४,२५ Veer ( कल्पय् ) कप्पेह उ५११८ कप्पकार (कल्पकार ) ज ३१११७ कपणा (कल्पना) ज ३१३५ कप्पणी (कल्पनी) ज ३१३१ कप्पणिrयि (कल्पनीकल्पित) उ ११४६ कपरुक्ख (कल्पवृक्ष,कल्परूक्ष ) ज ३६, २११,२२२ कप्परुषखग (कल्परूक्षक ) ज ५।५८ पडसिया (कल्पातंसिका ) उ ११५ : २११ से ३,१४,१५,२१,३११ कपाईय (कल्पातीत ) प १।१३८ कप्पातीत (कल्पातीत ) प १।१३४; २१ ५५,७१ कप्पातीतग (कल्पातीतक ) प ६६५,६२ कप्पातीय (कल्पातीत ) प १११३६, २१।६२ कपाससमजिया (कार्पासास्थिसमज्जिका) प ११५० कप्पासिय ( कार्पासिक ) प १६६ कप्पिद ( कल्पेन्द्र ) प १५५५।२ कप्पिय (कल्पित ) ज ३३६,२२२ कप्पूरपुड ( कर्पूरपुट) ज ४११०७ कप्पेत्ता ( कल्पयित्वा ) ज ५।१२ कप्पेमाण ( कल्पमान) ज १।१३४ कप्पोवग ( कल्पोपग ) प १।१३४, १३५ ६८५ ८६, ६५; २१।५५ कप्पोववण्णग (कल्पोपपन्नक) ज ७ ५५ सू १६१२३ २६ बंध (कवन्ध ) उ १११३६ कब्बड (कर्बट) प १।७४ ज २१२२,१३१,३११८, ३१, १८०,१८५,२०६,२२१ उ ३१०१ कब्बडय ( कर्बटक) ज ७ १८६२सू२०१८, २०१८/२ Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ कम-कयपुण्ण कम (क्रम) ज ३।३१,१०६,२१७ ; ४१२०२,७१३० कम्मपगडि (कर्मप्रकृति) प १४।११ से १४,१७; सू १६२२।१४ २२।२१ से २३.२८,८३,८४,८६.८७,८६, किम (क्रम्) कमइ २१६, ४।२०२७।१३० ६०।२३।१ से ५,२४,२४।१ से ५.१० से १५; कमंडलु (कमण्डलु) ज २०१५ उ ३१५१११ २५.१.२.४५,२६।१ रो ४८६;२७११ से ३, कमल (कमल) ज २११५,३१३,६,१८८,२०६, २१०,५।२१,५६ उ १११५,३५,३१६८ कम्मबीय (कमबीज) प ३६।१४ कमलमाला (कमलमाला) उ ११३५ कम्मभूमग (कर्मभूमिक) १११८५,८८,१२६; कमलागर (कमलाकर) ज ३।१८८ ६।७२,८४ ६७.६८,११३,२११५४,७२ कमलामेल (कमलामेल) ज ३.१०६ कम्मभूमग (कर्मभूमिज) य २३।२०० कम्म (कर्मन् ) प १११६:२१६४।२५,३।१७४; कम्मभूमगपलिभागि (कर्मभुमिकपरिभागिन्) १११८६; १७।१।१:१७११८:२०१३६; प२३।१६६,१६६ स २०१ २१११०२:२२२६,२७,२३१३,६,७,६ मे ११, कम्मभूमय (कर्मभूमज) प ६७६;१७।१५६,१६१, १३ से २३,२५,२६,२६ से ४१,४७,४८,५७ १७१,२३।१६६.१६६ से ६४,६६,६८,६९,७३ से ७७,८१,८३,८५ कम्मभूमि (कर्मभूमि) प १।७४,८४,२७,२१ से १०,६२,६३,६५ मे १६.१०१ से १०४, कम्मभूमिग (कर्मभूमिज) प २३१२०१ १११ से ११४,११६ से ११८,१२७,२३०, कम्मय (कर्मक) प १२०१ से ५,३५,३६,२१११ १३१,१३३ से १३५,१३७.१३८,१४२,१४३, काम कम्मवेदय (कर्मवेदक) प १३१६६ १५५,१६१,१६५,१६७,१७१,१७६,१७७, कम्मसरीर (कर्मशरीर) प १२८ १८२,१८३,१८७.१६१ से २०१:२४१२ मे ५, कम्मा (कर्मक) प १२।२५२११०२ ११,१२,१४:२५।२,४,५,२६१२ से ४,८,९ कम्मार (कार) ज २६ २७२,३.६:३६।८२,८३३१,३६॥६२ ज १२१३, कम्मारिय (कार्य) ९२,६६ ३०,३३,३६; २१५१,५४,६४.७०,१२१.१२६, कम्मासरीर (कर्मकशरीर) ५ १६।१ से ८.१० से १३०.१३८,१४०,१४६,१५४.१६०.१६३ १ ५.१६ ३।३।२,३५,१२५.१६७७.१७८,२११,२२३; कम्मिया (काभिकी) उ११४१,४३ ४।२७।११२।३ सू १०११२६।३२०११,२, कम्हा (कस्मात् ) ज७३८ २०१६।३,५ उ ११२७,१४० कय (कृत) २।३०,३१,४१ ज ३६,१८,५८, कम्मंस (कमांश) ५३६१२,६२ ६६.७२.७४.७७८१.८२,८५,६२,६३, कम्मकर (कर्मकर) ज ३।१७८ ११७११,११६ १२१,१२५,१४७,१८० २२१, कम्नखंध (कर्मस्कन्ध) प ३६।९२ २२२.२२६; १२६,५६ उ ११६,७०,८८, कम्मग (कर्मक) प १२।१४.२१,२६,२६; २१६६, ६२.१२१३४८,५०,५१,५६,११०,५१७ १०५:२३।४१,४३,४४,३६।१२ कयंब (कदम्ब) प ११३६।३ कम्मगर (कर्मकर) ज ५१५७ कयकज्ज (कृतकार्य) सू २०१७ कम्मगसरीर (कर्मकारीर) प १२११०,१६.१५, कयग्गह (कच ग्रह) ३।१२,८८,५७,५८ १८.२१:२११६४.१०० १०३ से १०५,३६।८७ कयत्य (कृतार्थ ज ५१५.४६ उ २३४ कम्मगारोरि कर्मकशरीरिक प २८।१४१ कयपुण्ण (कृतपुण्य) उ १३४ Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कयमाल-करीर ८७५ कयमाल (कृतमाल) ज २१८, ३७१ से ७४,७६, १६।५०; ३६१८२११३६८५,६२ ज २१६६, ८४ ११७ करेमि ज २।९०३।२६,३६,४७,५६ . कयमालक (कृतमालक) ज ३७१,१५० १३३,१४५ ; ५३२२ उ १।४२ करेमो कयमालय (कृतमालक) ज ११२४,४६, ६.१६ ज ३।११३,११५,१३८,५१३ करेसि उ ३७६ कयर (कतर) ३१४६; १७।१४४ ; २२६१०१, करेस्सामी उ ३१२६ करेह ज २११४,३७, ३६।३८ ज ७।१२६,१७५,१८०,१८१,१६७ १२,२८,४१,४६,५८,६१,६६,७४,१४७,१६८ सू १०।२ से ४,७५,७७,१३३ से १३ करेहि ज ३।१८,१६.३१,५२.६६,६६,१४१, १८१८,१६ १६४,१८० सू३।१०३ करेहिइ उ ३१२१ करेहिति ज २११५१.१५७ उ ३११२६ काहिइ कयलक्खण (कृतलक्षण) उ ११३४ उ११४१३१८६ कीरइ उ ५।४३ कयलोखंभ (कदलीस्तंभ) ज २११५ कर (कर) ज २११५,७१, ३१३,१३८ उ १।१३६ कयलीहर (कदलीगृह) ज ५।१४ करंज (करञ्ज) प ११३५१ कंजा जिसके फल कयलीहरम (कदलीगृहक) ज ५११३ आदि दवा के काम आते हैं कयवर (कचवर) ज २।३६, ५५ करंडग (करण्डक) उ ३३१२८ कयविहब (कृतविभव) उ १२३४ करंडुग (दे०) ज २०१६ कया (कदा) ज ७४१२५ च १४ सू ११६।४;१४११ करंत (कुर्वत्) उ १८८,१२ कयाइ (कदाचित् ) ज ११४७३।४,८३,१०४, करकर (करकर,अकरकरा) प ११४२१२,११४८।४६ १५४,१७२,१८८,२२२,२२६, ४।२२,५४, अकरकरा १०२ उ २१४३१४६,४।२१,५१३ करकरय (करकरक) सू २०१८18 कयाई (कदाचित् ) उ१८ करकरिय (करकरिक) सू २०१८ कर (कृ) अकासी ज २१८४ करवाणि ज ३१३२११ करण (करण) ज १११३८१३२१२६,२०६; करण करिस्सामि ज १६,५१४६ करिस्सामो ५१५; ७११२३ से १२६ ज ५१५,७ करेइ प ७४३६८८ ज १६; करतल (करतल) ज ३१२०६ १६५.६०३३५,६,१२,१८ १६,३१.३२१२, करधाण (करध्मान) ३१३१ ४६.५२,५२ ६१,६२ ६६,७०,८८,६५.१००, करमद्द (करमर्द) प ११३७।४ करौंदा,आंवला १३१,१३७.१४१ १४२,१५६,१६४,१६५, करय (क रक) प ११२३ १८०,१८१.२२४; १२१,२६,४४,४६ ४८ करयल (करतल) ३१५,६,८,१२,१६,२६.३६, सू २११ उ १।१६,३१५१:४।१३ करेंति ४७,५३.५६,६२६४,७०,७२,७७,८४,८८, प १८४, ६।११०.२०१६ से ८३४।१६,२१ ६०,१००,१०५,११४,१२६,१३३,१३८ १४२, से २४ ज ११२२,२७,५०; २।१०.५८,१००, १४५,१५१,१५७ १६५,१८१.१८६,२०५, ११५.११६,११८,१२०,१२३,१२८, ३११३, २०६:५१५७,,२१,४६,५८ उ १११५,३५, २८,४२,४७,५० ५६,६७,७५,६२.११६,१३६. ३६,४५.५५.५७,५८,६१,६२,८०,८२,८३ १४८ १६६.१८४,२११, ४।१०१,१६६.१७१; ८६,८७,६६,१७,१०८,११६,११८,१२२; ५५.७,१४,१६,४६.५७,६०,६६,७४ ३६८,१०६,११४,१३८,१४८,४११५,५।१७ सू २१ उ११६३ करेजा प२०११ से ४,१८, करयलपुर (करतलपुट) ज ५११४,१७,६०६६ ४०,४४,४६,४८ ज ५७, करेति प ११७१ करिय (कृत्वा) ज ५१५८ Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करित्तए-कसरि करित्तए (कर्तुम् ) प २८।१०५ ज ५१२२ ७८,८८,६१,१४७,१६८,१७३,१७५,१८४, करीर (करीर) प ११३७/४ करील १६६,२१२,२१३, ४।२७,४६ १६६५७ करेंत (कुर्वत्) ज २१६५ २८,४३ सू २०१७ उ १२१२३,५१८ करेत्तए (कर्तम् ) प ३४।१६,२१ से २४ ज २१६० कलुय (कलुक) प ११४६ उ३१११५ कलुस (कलुष) ज २।१३१ करेत्ता (कृत्वा) प ३६१६२ ज ११६ सू २११ कलेवर (कलेवर) प १३८४ सू २०११ उ ११९३७, ४११३ कल्ल (कल्य) ज ३.१८८ उ ३।४८,५०,५५,६३, करेमाण (कुर्वत्) ज २६५,७८ ; ३।२२,२८,३१, ६७,७०,७३,१०६,११८ ३२,३४ से ३६,५४,७८,८६,६३,६६.१०२ कल्लाण (कल्यानी) प १५४१२ जंगली ३३८ १०६,१११.११३,१३७,१४३,१५६,१६२, कल्लाण (कल्याण) ज १११३,३०,३३,३६; १६३,१८०,२०४ से २०६,२०८.२०६,२२३ २११८,६४,६७,४१२ सू १८।२३ उ १।१७, उ १२२,६५,६६,७१,६४,१११,११२,१३८, ४१,४४,५।३६ १४०, ३१५० कल्लाणग (कल्याणक) प २।३०,३१,४१,४६ कल (कल) प ११४५११ ज १३७ सालवृक्ष ज ३१६,२२२ कलंकलीभाव (कलंकलीभाव) परा६४ कल्हार (कल्हार) प ११४६ सफेद कोइ, एक पुष्प कलंबुया (कदम्बक) प ११४६; १५:२.१८ सू ४१३, कवड (कपट) ज २११३३ ४,६,७,६१६॥२२१२,१५,१६।२३ कवय (कवच) प २१६४।२१ ज ११३७, ३१३१, कलकल (कलकल) ज २१६५, ३।२२,३६,७८,६३, ७७.७६,६६,१००,१०१,१०७,११६,१२४ ६६.१०६,१६३.१८०, ७१५५,१७८ सू १६।२३ उ ११३८ उ १११३८ कलकुसुम (कलकुसुम) प १७११२५ कवाड (कपाट) प २१८,३०,३१,४१ ज २२४; कलताल (कलताल) ज ३१३१ ३।८३,८५,८८ से १०,१०२,१५४ से १५७, कलस (कलश) प२३०,३१४१ ज २।१५) १६२,१६७।१२ ३११७८,२०६४१२८,५१५६ से ५८ कविजल (कपिञ्जल) प १७६ उ ३१५१,५६ कविट्ठ (कपित्थ) प ११३६३१, १६:५५१७११३२ कलह (कलह) प २।४१२२।२० ज २१४२.१३३ ज ३।११६; १७६ कथ कलहंस (कलहंस) प १७६ ज २०१२ कविट्ठाराम (कपित्थाराम) उ ३१४८,५५ कला (कला) ज २१६४७१३४११ सू१०।१४२, कक्लि (कपिल) ज २।१२,६५,१३३ १४७,१२।३० उ ५११३ कविलय (कपिलक) सू २०१२ राहु का नाम कलाव (कलाप) प २१३०,३१,४१:१५२६% कविसीसग (कपिशीर्षक) ज ३११४।११४ २११२५ ज ३७,८८.११७ कविसीसय (कपिशीर्षक ) ज ४१११४ कलिंग (कलिङ्ग) प १।६३११ कवीय (कपोत) प १७६ ज २१६ कलिद (कलिन्द) पश६४.१ कवोल (कपोल) ज २०१५ कलिय (कलित ) प २१३०,३१४१,४८ ज ३।१०, कव्व (काव्य) ज ३।१६७।१० १५.६५, ३१७ १२,१५,२१,२२,२८,३१, कस (कष) ज २१६७, ३११०६ ३२।२,,३४ से ३६,४१ ४६,५८,६६,७४,७७, कसरि (दे०) सू १०।१२० Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कसाय-कामभोग ८७७ कसाय (कषाय) १११११५,११४ से ६३.११ काउलेसट्ठाण (कापोतलेश्यास्थान) प १६।१४६ ५१५,७,२०५;१४।१,२,१८।१।१,२३।६८, काउलेसा (कापोतलेश्या) प १७६१२१२८११२३ १४०,१८३,१८४; २८१३२.६६,१०६।१; काउलेस्स )कापोतलेश्य) प ३९६१३११४; ३६।११ ज २११४५ १६।४६:१७१३२,५६,५७,५६ से ६१,६३,६४, कसायपरिणाम (कषायपरिणाम) प १३१२,५,१४ ६६ से ६४,७१ से ७४,७६,८१ से ८५,८७, १४,१००,१०२,१०३,१११,१६७,१८७१ कसायवेयणिज्ज (कषायवेदनीय) व २३:१७,३४, काउलेस्सट्ठाण (कापोतले श्यास्थान) प १७४१४६ ३५ काउलेस्सा (कापोतलेश्या) प १६६४६१७३६, कसायसमुग्घात (कषायस मुद्घात) प ३६६५ । ३७,११७,११८,१२१,१२२,१२५,१२६,१३२, कसायसमुग्घाय (कवायसमुद्घात) प ३६११४,५, १३६,१४४,१४५,१५१ से १५३ ६,७,२१,२२२८,३५ से ४३,४६,५३ से ५८ काउलेस्सापरिणाम (कापोतलेश्यापरिणाम) कसाहिया (दे०) प १७१ प १३।६ कसिण (कृष्ण) प २१३१ ज २२१५ काऊ (कागोती) प २१२० से २५ कसिणपुग्गल (कृष्णपुद्गल) सू २०१२ काऊण (कृत्वा) ज ३।१२ कसेरुया (कशेरुक) प ११४६ एक तरह का घास काओदर (काकोदर) प १७० कह (कथं) प २३।१११ काओली (काकोली) ११४८१५ एक वनौषधि जो किह (कथय ) कहेइ उ २०१२ अष्टवर्ग के अन्तर्गत है, जीवंती कहं (कथं) ज ७५६ चं २१४ सू ११६ उ १७२, काकंदी (काकन्दी) उ ३।१७१ ३७८ काकंध (काकन्ध) सू २०१८,२०८१३ कहग (कथक) ज २१३२ काग (काक) प १७६ कहा (कथा) उ १।१७,५७,८२,६६,१०७,१२७; कागणि (काकिणी) प १४४०१५ ज ३१६५,१५६ ३।१३,२६,१४७,१६०,४।११५१५,३८ कागणिरयण (काकिणीरत्न) ज ३।६४,१३५,१५८, कहि (क्व) प १७४ जे १७ १७८,२२० कहि (क्व) प ६९६ ज २११५ च २।२ सू १४६।२ कगणिरयणत्त (काकिणीरत्नत्व) १२0१६० काणण (कानन) ज २१६५ कहिचि (कुत्रचित्) उ ३३१०१ कातन्य (कर्तव्य) ५ ५।१६१,१७६६५६,६६, कहिय (कथित) ज ११४ च ६सू ११४ उ ११२ ७४ से ७८,८०,१११ काइय (कायिक) ज २१७१ कामंजुग (कामयुग) प ११७६ काइया (कायिकी) प २२।१ २,२२१४६ से ५०,५३ कामकाम (कामकाम) प २१४१ कामकामि (कामकामिन् ) ज २११६ काउ (कापोत) प १३१६,१७१२२ कामगम (कामगम) ज ५।४६।३;७१७८ काउं (कृत्वा) उ ३।१११४१६ कामगामि (कामकामिन्) ज २१२२ काउंबरी (काकोदुम्बरिका) १ ११३६।२ कामगुणित (कामगुणित) प २।६४।१६ काउलेस (कापोतलेश्य) प १७६२,६४,६५,१०३, कामस्थिय (कामाथिक) ज ३११८५ ११०,१११,१६८ कामभोग (कामभोग) ज ३१८२,१८७,२१८ Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८ कामभोय-काल सू २०१७ उ १११ कारियल्लइ (कारवल्ली) ५११४०।२ करेला कामभोय (कामभोग) ३५२५ कारिया (दे० प ११३७५ कामरूव (कामरूप) प २।४१ कारिल्लय (दे०) सू १०।१२० काय (काक) प ११४७ कारेमाण (कान्यत्) प २।३०,३१,४१,४६,५७ काय (काय) प ११८६३११११,१५१५३,५४,५६, ज ११४५:३११८५,२०५,२०६,२११:५४१६ ५७:१६३१ से ८,१० से १५,१८,१६,२१,५४; उ ५११० १८११११२३३१५,१६,२०,३१,३४१११२ कारोडिय (कारोटिक) ज ३।१०५ जश६७,६१६७ सू१०७४२०१८२०८३ काल (काल) प ११४ से ६४,८४२१२० से २७, कायअपरित्त (कायअपरीत) प १८।१०६,११० ३१ से ३३,४०1८२२४२,४३,४५११:२।४६,४७, कायगुल (काय गुप्त) ज श६८ उ ३६६ ६४,४.१ से ४६,५६ से ५८,६५,७२,७६,८८, कायजोग (काययोग) प ३६।१६ से ८८,६१,६२ ६५,१८,१०१,१०४,११३,१३१,१४०,१४६, कायजोगपरिणाम (काययोगपरिणाम) प १३७ १५८,१६५,१६८,१७१,१७४,१८३,२०७, कायजोगि (काययोगिन्) प ३९६,१३३१४,१६; २१०,२१३,२६४,२६७,२६६:५२५,७,३७,३८, १८१५७; २८॥१३८ ७४,१०७,१२६,१५०,१५२,१५४,१६०,१६३, १६७,२००,२०३,२४२,२४४६।१ से २३, काठिइ (कायस्थिति) प ११।५,१८१११२ २७,४२ से ४५,७।१ से ४,६ से ३०,१११५३, कायपरित्त (कायपरीत) प १८३१०६,१०७ ५४;१२२४,३२,३३,१३।२६;१६१५०;१८१३, कायपरियार (कायपरिचार) १३४।१६ १४,१५,२६,२७,३७,३८,४१,४३,४५,५७, कायपरियारग (कायपरिचारक) प ३४।१८,१६, ५६,६२,६४,७७,८३,६०,९५,१०५,१०७, २१,२५ १०८,११०,११६,११७,१२०,२३:४७,६० से कायपरियारणा (कायपरिचारणा) प ३४।१७ से ६२,१०५,१६३ से १६६,१६८ से २०१; २८१४,६,७,२०,२६,३२,३८,५०,५२,५३, कायमाई (काकमाची) प ११३४४२ मकोय ६६,३६१६०,६१,६७,७१,७२,७५,७६,६३, काययोगि (काययोगिन) प १३।१७ १४ ज १५२,४,५,२६१ से ३,६,४४,४६,५१, कायव्य (कर्तव्य ) प ५११३२,२२६;६।४६,११०; ५४,६६,७१,८८,८६,६१,१२१,१२६,१३०, १३११७,१५।३४,३८,७५,१३६१; २८।११२ १३१,१३३ से १४१,१४६,१५४,१६०,१६३; ज ४।१७२ ३१३,२४,३१,३२,६२,६५,१०३,११६,१३८।१, कायसत्रिय (कायामित) २०६८ १५६,१६७४१,७,१७८,२२४;११,६,८ से कारंडव (कापगड़क) ज २११२ १३,१८,४८,५० से ५२,७।५७,६०,१०१, कारण (कारण) प ८।४,६,८,१०,२८१२०,२६, १०२,१८७,२१० चं ६,६,१० सू १११,४,५; ३२,६६ ज ७।२१४ उ ११३६,११६,१२७; २।२८।११७।११८२५ से ३४;१६।२५; ३।११,२६ २०१७ उ १११ से ३,७,६,१३ से १६,२१.२२, कारभरिय (कारभारिक) ज ३११८५ २५ से २८,५१,६५ से ६७,७६,६३,६४,११६ कारव (कारय) कारति ज ३.१३ कारवेह से १२२.१२५,१४०,१४१,१४४,१४७;२।४,६, ज ३१७ ७,६,११,१६,२२,३१४ से ६,६,१२,१४,१६, कारवेत्ता (कारयित्वा) ज ३७ २१,२४,२५,२७,४०,४८,५०,५५ से ५.७,६४, Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काल-किंपुरिस ७६ ६५,६८,६६,७१,७२,७४,७५,७६,८३,८६, कालिंग (कालिङ्ग) प ११४८।४८ ज ३।११६ ६०,६५,६८,६६,१०६,१२०,१२४,१३१,१३२, कालिंगी (कालिङ्गी) प ११४०।१ १५०,१५५ से १५७,१५६,१६१,१६४,१६८, काली (काली) १११२,१३,१५,१७,१६ गे २४; १६६,४१४ से ६,१०,१६,२४:५१४,१४.२१, १५,६ २४,२५,२६ २८,३६,४०,४१ कारोदधि (कालोद) सू १६।११।१ काल (काल) सू २०१७२०८१५ कालोदहि (कालोदधि १११।२,४ काल (दे० कृष्ण) म १६।२२११६,१८,२० काय कालो) ५ १५१५५,५५५१ सू॥१ कालओ (कालतस्) प १११४८,५१,१२।७.८,१०, कागोषसमुह (कालोदामुद्र) प १६३० १०.१०.२०.०७.२२:१८। ११०,१२ १७, कादिसाय (कापिसाचनः प१७१३४ १६ से ३६,४१ से ४७४६ मे ५१, ५४ से। कास (काश, कास) प ११३७१४ सहिजन का पेड, ५६,६१ से १०,६३ मे १११,११३,११४, एक घास ११६,११७.११६,१२०.१२२.१२३,१२५ से कास (कास), २४३ १२७:३५।४ ज २६६ काम (काश) सू२०१८:२०८।४ कालग (कालक) ३३१८२,१३७,५६,८८,८६, कासपात कामपकाश) ३३५ १०७,५४६,१५०.१६०,१६३,१६,२०० कासव (काश्यप) ७।१३।३ कालगय (कालगत) अ २१८८,८६,३।२२५ कासवगोत (काश्यपगोत्र) उ ११३ उश२२,६२,२।१२,५।३६,४० कासित्ता (कातित्वा) ज २०४६ कालण्णाण (कालज्ञान) ज ३११६७१७ कासी (काशी) १ १९३१ उ १११२७ से १३०, कालनाण (कालज्ञान) ज ३१३२ १३२ कालतो (कालतस्) प १२।२०१८१३,१८,४१, काह (कथय) काहिइ उ २११३,१४३ ४३,६०,६५,२८।५,५१ काहार (दे०) ज७१३३११ कालमास (कालमास) ज २१४६,१३५ से १३७ काहारसंठिय 'काहार'सस्थित) सू१०।२७ उ ११२५ से २७,१४०।३।१४,८३,१२०,१५०, कि (किम) ५११ ज १७चं ॥ १११६ १६१,४१२४।५।२८,४०,४१ कालमुह (काल मुख) ज ३८? फि.कर (विकर) प २१३०,३१,४१ व ३१२६,३६, कालय (कालक) प ३३१८२,५१३६ से ३८,५८ से ४७,५६,६४,९२,१३३,१३८,१४५,१७८ ६०,७३ से ७५,८६,९०,१०६ से १०८,१५०, किचि (किञ्चित् ) २६४।१८ ज १७ १५१,१८१ मे १६४,१६६ से २०४,२४१ से। सू१३१४,२०,२७ २४३,१७११२६ सू २०१२ किंचिविसेशण (किचितविक्षपोन) ११४८; काललोहिय (काललोहित) ३१७४१२६ ४।१,४०,५५,६७,१६७,१६६ सू ११२७; कालहेसि (कालहेपिन्) १५१६६४,५६१,१११६७,८१ काला (काला) १३३ किथुग्ध (किंस्तुध्न) ज ७।१२३ से १२५ कालागरु (कालागुरु) ५ ६१३०,३१,४१ ज २६५; किपज्जवसिय (पर्यवसित) ष १११३० ३।१२:५७,५८ किंपहव (शिप्रभव) प ११।३० कालागुरु (कालागुरु) ज ३३७,८८ सू २०१७ किंपुरिस (frपुरुष) प १११३२,४१,४५, कालायस (कालायस) ज ३।१०६,१७८ ४५।२ ज ३१११५,१२४,१२५ Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८० किसंठिया ( किंसंस्थित) प ११:३० किय ( किंशुक) ज ३।१८८ figrgrफ (किंशुकपुष्प ) प १७।१२६ किच्च ( कृत्य ) उ १६२ किच्चा ( कृत्वा ) ज २२४६ उ १।२५ ३ १४; ४१२४; ५१२८ किच्छ ( कृच्छ्र) ज ३|१०८ से १११ किटिभ (किटिभ) ज २।१३३ किट्टि (किट्टी ) प ११४८४ किट्ठीय (क्रिट्टिया ) प १२४८२ किक्षिण ( किठिण) उ ३।५१, ५३, ५५,५६,६३,६४, ६७,६८,७०,७१,७३,७४,७६ किणा ( कथं ) प १५१५३ किणं (किंनं) ज ३११२४ उ १६६ किण्णर ( किन्नर ) प २।४५,४५२ ज १।३७; २११०१;३१११५,१२४, १२५, ४२७ : ५।२८ किण्णा ( कथं ) उ५।२३ किण्ह (कृष्ण) प १२४८६ कालीमीचं, करौंदा किन्ह (कृष्ण) प २ २१ से २७ ज १।१३,१४; २१७,१२,२३, १६४, ४५२६, ११४, ११६,१२६, २०१,२१५,२४०,२४१ सू १६।२२।१७ ; २०१२ उ ३२४६ किष्कणवीर (कृष्णकरवीरक) प १७ १२३ किष्णकेसर (कृष्णकेशर) प १७।१२३ किण्हपत्त ( कृष्णपत्र ) प ११५१ किह बंधुजीवय (कृष्ण बन्धुजीवक ) प १७ १२३ किण्हन्भ (कृष्णा) ज २११५ किहमत्तिया ( कृष्णमृत्तिका ) प १।१६ किण्हय ( कृष्णक) प ११४८।६२ किण्हलेसा (कृष्णलेश्या) प १७/२१ किण्हलेस (कृष्णलेश्य ) प ३६६, १७३१, ८४; २३।१६६ किण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या ) प १७ ३७,११,१२०, १२२,१२३,१३६ feosसुत्तय (कृष्णसूत्र ) प १७ ११६ किसंठिय- कीलंत किव्हा (कृष्णा) ज ११२३, २।१२ किव्हा सोय ( कृष्णाशोक ) प १७।१२३ कण्होमास ( कृष्णावभास) ज ४।२१५ उ ३३४ कित्ति (कीर्ति) ज ३३१७,१८,२१,३१,६३,१७७, १८० उ ४।२।१ कित्ति ( कूड) (कीर्तिकूट ) ज ४२२६३|१ कित्तिम ( कृत्रिम ) ज १।२१,२६,४६, २०५७, १४७, १५०, १५६ कित्तिय (कीर्तित ) प १२४८१६३ किन्नर ( किन्नर ) प १११३२; २१४१ किन्नरछाया ( किन्नरछाया ) प १६/४७ saafar (किल्विषक ) प २०१६१ ज ३(१८५ किमंग ( किमङ्ग) उ १११७ ; ३११०२ किमिरागकंबल ( कृमिरागकम्बल) प १७ १२६ किमिरासि ( कृमिर राशि ) प १२४८/६ किर (किल ) ज २२६ सू २०१४ किरण ( किरण ) ज २०१५; ३ २४ किरिया (क्रिया) प ११११६; १७ ११,२२,२३, २५,३०,३३,२२११ से ५, ६ से १६, २६, २७, २६,३०,३२ से ५०,५२ से ६३,६५ से ६६, ७१ से ७४,७६, ६१ से ६४,६७ से ६६,१०१; २६।१०:३६६२ से ६४,६७,६८,७१,७७,७८ ज ७१५२ किरिया (es) (क्रियारुचि ) प १।१०१।१,१० fafrates ( क्रियारुचि) प १।१०१।१० किलकिलाइय ( किलकिलायित) ज ७ १७८ / किलाव ( क्लम्) किलावेंति प ३६६२ किवणबद्दल (कृपणबहुल ) ज १।१८ किलेस (क्लेश) चं १२ सू २०१६ किसलय ( किसलय ) प ११४८।५२ किसि (कृषि) ज २३ कोड (कीट) प १३५१११ 1. कोड ( क्रीड् ) क्रीडति ज ११३०,३३ V/ कील (क्रीड) कोलंति ज १३१३४१२ कीin (क्रीडत्) ज ३११७८ Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कीलग-कुप्पर ८८१ कोलग (कोलक.) ज ५१३२ कीलण (क्रीडन) प २१४१ कोलायण (क्रीडन) उ १163 से ६६ कीस (स्मिात् ३१५७८२ कीसत (शी शता) प २८१२४,३६,४२,४५,७१ कुंकुन (ककुम) ज ३१३५ कुंकुमपुड (ककुमपट) - ४११०७ कंजर (कुमार) ब ११३७२११०१, ३१३ ; ४।२७; ५२८ कुंड (कुण्ड) म ११॥२५ ज ४।२५,४०,६७,६८, ७१,७५,६०,६२,१३४ ने २७६,१८२,१८३, १८८,१८६१६४६१८ कुंडल (वृण्डल) २१३०,२१,४१,४६.५०%3 १५०५५.? ३.६.१८,२६,६३,१८०, २११,२२२,४१२०२५३१८,२१.६७ सू १६।३१ कुंडलवर (कुंडलवर) सू १६६३१ कुंडलवरोद (कुडलवरोद) सू १६।३१ कुंडलवरोभास (डलबरावनाम) सू १६।३१,३२ कुंडलोद (कुण्डलोद) सू १६६३१ कुंत (कुत्त) प१४१ ज ३।१७८ कुंदग्ग (कुन्नार) उ २१११५,११६ कुंतम्गाह (कुताह) ज ३१७८ कुंथु (कुथु) प १२० कुंद (कुन्द) प १।३।३, २१३१,१७११२८ जरा१०.१५३1३.१२.३५, ८ ५८ कुंद (लता) (वृन्दलता) प ११३९१ कुंदरुक : (दश).२६५,३८८ एक कर __ और उन सिकी तबीयानी है कंदुरुक्क ( वा) ॥ ३०, ३ १ ज ३१७.१८८५13:५८ सू २०१७ कुंभ (कुम) ज ३,५६,१२०,१४५,७१७८ उ १६७ कुंभगत (भा प्रस्) ११०६.११० कंभिक्क (कम्भिक, भात) ज ५१३८ कुंभी (कुम्भी) ज ३१६२ कुक्कुड (कुक्कुट ! प ११५१११,१७६ कुक्कुडि (कृकुटी) उ ११६:३,८४ कुक्कुह (दे.) ११५१११ कुच्च (वर्च प ११३७५ 1 कुच्छ (कुल) कुच्छेजा ज २१६ कुच्छि (कुक्षि) । ११७५२ २१६.६३ सू २०१२ उ ३१९८५॥३० कुच्छि (कुक्षि) २०४३ अडतालीस आंगुल का मान कुच्छितिरिय (कृक्षिकृमिक) प ११४६ कुच्छियहत्तय (कुक्षिपृथक्त्वि क) प १७५ कुज्जय (ब्जा.) प १३८११ कुज्जाय ( ) ज २११० कुमा (हातल) ज ३१६,२२२ कुठायाण (कुस्थानामन) २२१३३ कुडगछल्ली (कुटज छल्ली) प १७११३० कुडगपुष्फरालि (कूट अपुप्पराशि) प १७११२८ कुडगफल (कुट फल) १७११३० कुडगफाणिय (टफाणित) प ११३० कुडभी (कुडमी) ५.४३ कुडय (कुटको पश३६।३,१६४२१७४१३० ज३३५ कुडुंब (कुटुम्व) 3 ३१११,१३,५०,५५ कुडंबजारिया (कूटम्बजागति) १११५ २४८, ०.७६,६८,१०६,१३१ कुडुमय (कर) (कुम्बादप ११४८०४३ कुक (दुण) प ११४७ कशाला (वृणाला) ११६५ लिम (दे णप) ज २११४६ कुराहार ('वृणिः'माहार) ज१३५ ते १३७ कुत्युंभार (कुस्तुमरी) प ११३६१२,३७१२ कुदंतण (कुदर्शन ) ए १११०१।१३ कट्टि (कुदृष्टि) प ११०१।११ कुपमाप (कुत्रमाण) ज २:१३३ कुष्पर (नयर) ज ३१२२,३५,३६,४५ Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ कुबेर ( कुबेर ) ज ३३१८६,२१७ कुभोइ ( कुभोजिन् ) ज २११३३ कुमार (कुमार) उ १११३ से १५,२१,२२,२५ से २७,३१,४२ से ४६,४८,६४ से ६६, ६४ से ६, १०२ से ११७,११६ से १२२,१२५, १२७,१२८, १४०,१४१, १४६, १४७, २१६,७, ६,१८,१६३।११४,१२०५।१०,२०,२२, २३,२७,३१,३२,३४ से ३८ कुमार (कुमार) उ १६ कुमारगह (कुमारग्रह) ज २१४३ कुमारावास ( कुमारावास ) ज २२६४, ८७ ३।२२५ कुमारिया (कुमारिका ) उ३।११४,१३० कुमुद ( कुमुद ) प १४६ ज ३।११७;४।१५४, १५५,२१२,२२५११, २३० कुमुददल (कुमुददल ) प ११२८ कुमुदप्पभा (कुमुदप्रभा) ज ४।२२१।१ कुमुद पहा (कुमुदप्रभा) ज ४ । १५५ । १ कुमुदा (कुमुद) ज ४ १५५ १,२२१ कुमुय ( कुमुद ) ज २१५४१३,२५,२१२३१ कुमुहत्थगय ( हस्तगत कुमुद ) ज ३३१० कुम्भ ( कूर्म ) ज २०१४, १५,६८३1३; ७ १७८ कुम्मण्णा (कूर्मोन्नत) २६ प कुरंग ( कुरङ्ग) प ११६४ ज २।३५ कुरज्ज ( कुराज्य ) ज ३।२२१ कुर (कुरब) प १।४७ लालफूलवाली कटसरैया कुरल ( कुरल) प ११७६ कुरा (कुरु) ज ४।१०८,१४१,१४३,२०५, २०७ २०८ कुरु (कुरु ) प १९३२; १५।५५ । ३ कुरुविंद ( कुरुविन्द) प ११४२२ कुरू (कुरूप ) ज २।१३३ कुल (कुल) ज ३१३, ६, १७, २१, २४,३४,१०६, १७७४।२१२,५१५, ४६, ५५ ७१२७३१, १३६।१,१४१ से १४६,१५० से १५३, १६७।१ च ५।१ सू ११६ ११०१६,२०,२१, २२, २५ २०१६१४ उ ११५४,७६,१४१ : कुबेर-कुसील ३१४८, ५०, ५५, १००,१३३ ५५ कुल कोडि ( कुलकोटि) प १२४६ से ५१,६०,६६, ७५,७६, ८१, ८१।१ कुलख (कुलाक्ष ) प ११८६ कुलक्षय ( कुलक्षय ) ज २१४३ कुलगर (कुलकर) ज २१५० से ६३ कुलत्थ ( कुलत्थ ) प १३४५।१ ज २१३७३|११६ उ ३१४१,४२ कुलत्था ( कुलस्था ) उ ३३४२ कुलदेव ( कुलदेव) ज ३।११३ कुलदेवया ( कुलदेवता ) ज ३।१११,११३ कुलधुया (कुलदुहित) ३१४२ कुलमाया (कुलमातृका ) ३०४२ कुलरोग (कुल रोग) ज २१४३ कुलवधुया ( कुलवधु ) उ ३१४२ कुलविसिट्ठिया ( कुलविशिष्टता ) प २३।२१ कुलविहीणया ( कुलविहीनता ) प २३२२ कुलारिय ( कुलार्य ) प १६५ कुलोवकुल (कुलोपकुल) ज ७११३६,१४१ से १४६,१५० से १५३ १०१६, २० से २२,२५ कुवधा (दे० ) प १/४०२ कुवलय ( कुवलय) चं १११ कुविदवल्ली ( कुविन्दवल्ली ) प ११४० १३ कुविय ( कुपित) ज ३३२६,३६,४७, १०७,१०६, १३३ उ १।२२,१४० कुबुट्ठिबहुल (कुवृष्टिबहुल) ज १११८ कुवमाण ( कुर्वत् ) प २३३,५०,५१,५६ कुवर ( कूबर) ज ३।३५ कुस ( कुश ) प १/४२/१ ज २८.६३।५१,५६ फुसंघयण ( कुसंहनन ) ज २।१३३ कुसंठिया ( कुसंस्थित) ज २।१३३ कुट्ट (कुशावर्त ) प ११६३२ कुसल (कुशल) ज २२११६ ३ ३२,७७,८७,१०६, ११६,१३८, १७८ ५१५ सू २०१७ कुसील ( कुशील) उ३।१२० Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुसीलविहारी- केवइय कुसील बिहारी ( कुशीलविहारिन् ) उ ३११२० कुसुंभ (कुसुम्भ ) प ११४५।२ ज २३७ कुसुम ( कुसुम ) प २३३१,४१ ज २२१०,५३,६५, १६२; ३।१२,३०,३५,८८, २२१,४१६६; ५५,७,२१,५८ स २०/७ कुसुम (कुसुम) कुसुमेति ज २।१० ४।१६६ कुसुमसंभव (कुसुमसंभव) ज ७३११४।२ सू १०।१२४।२ कुसुमासव ( कुसुमासव) ज २।१२ कुसुमिय ( कुसुमित ) ज २ ।११;७।२१३ कुसेज्जा ( कुशय्या) ज २१३३ कुहंड ( कुष्माण्ड ) ज २२४१,४७।१ कुडियाकुसुम ( कुष्म) ण्डिका कुसुम ) प १७।२७ कुण (कुण ) प १३३११, ११४७ कुहर ( कुहर ) ज २२३५ कूड ( कूट ) प २ १ १५३५५।३ ज १ ३४, ३५, ४१, ४६।१२।१३३,४।४४ से ४६, ४८,५३,७६, १६,९७,१०५, १०६,१५६।१,१६२ से १६५, १६७,१६६,१७२११,१८०,१८६, १६२, १६८, २०४,२१०,२१२,२३६ से २४०, २६३, २६६, २७५, २७६५/१६ से ८,१३,६ ६ १,६।११, १६७५८ १९ २६ कूडसामली ( कूटशाल्मली ) ज ४१२०८ कूडसामलीपेठ ( कूटशाल्मलीपीठ) ज ४१२०८ कूडागार ( कूटागार) ज २१२० कूडागारसाला ( कूटावारशाला ) ३३८,२६,९३, १५६ कूडाहच्च ( कूटा हत्य) उ ११२२, २५, २६, १४० कूणिय ( कूणिक ) उ १।१० से १२, १४, १५, २१, २२,६३ से ७४,८८,८६,६१ से ५,६८ से १२६,१३१,१३४,१३६,१४०, १४४, १४५, २२४, ५,६,१६,१७,५१६ कूर (कूर) ३ १३० कूल (कूल ) ज ३।१४,१५.१८,५१,५२,६६, १४६, १५०, १६१,१६४,४३,२५,६४,८८, ११०. १४३,२०६,२११ कूलधमा (कूलध्मायक ) उ३३५० कूवग्गह (कूपग्राह) ज ३११७८ paमाण ( कुप्यत्) उ ३११३० केइ (केचित् ) प ११४८।४१ ज २।११३ बहुल ( केतु बहुल) ज २।१२ भूय (केतुभूत) ज २३१२ केऊर (केयूर ) ज ३१६५।२१ केषक ( केकय ) प ११८६ इ ( केनचित् ) पू १३/५ hafe पुड (केतकीपुट) ज ४११०७ केतु (केतु) प २४८ ८८३ महालय (महत्) ज ११७७।२६ से ३० केमहालय ( कियत् महत् ) प २१३८, ४० से ४२, ४८, ६३ से ६६,६६ से ७१,७४,८४ से ६३ has ( केतकी) प १|३७|५,११४३।१ अद्ध ( केकयार्द्ध) प ११६३६ केयूर (केयूर ) ज ३।२११ केरिस (कीदृश) सू २०७ केरिसिय ( कीदृशक ) प २३/१६५, १९६, १९६ से २०१ ज १।२१,२२,२६,२७,२६,३३,४६, ५०; २७, १४, १५, १७, १८, २०, ५२, ५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३३,१३६, १४७, १४८, १५०,१५१,१५६,१५७,१५६, १६१,१६४;४/५६,१००, १०१, १०६, १७०, १७१ उ १।२७ रिसिय ( कीदृशक ) प १७ १२३ से १२८,१३०, १३५ केलास ( कैलाश) ज ३११८६,२१७ केलास ( कैलाश) सू २०१२ राहु का नाम केलि (केलि ) प २४१ has (कियत् ) प ७६; ३६१६०,६१,७५ has ( कियत् ) प ५८२६१३; १२ ११,१२; १५।३२:२०१११; ३६।४४ ज १।१७:२४, ४४,४५; ४।२५७; ६७, ८, १०, ११,१५ से Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ १८.२३ से २५:७११.३ से २५,३२,५४,५७, ६०,६२ ६४ से ७३,७६,७६ से ८२,८६ से १६ मे १००.१२७.१७० से १७२,१७४, १०२. १८७.१९०, ११९,२०१ से २०७ चं २११६३१२ ग् ११६।११।७।२३।१६, १२४,१६४ केवरि (चिरं) १८२ १०,१२ ३७ प से मे ४१ से ४७,४६ ५१,५४ मे ८२,८४ से ६०. २३ मे १११, ११३.११४,११६.११७.११६, १२०.१२२,१२३,१२५ मे १२७ ७२१० केवनि (कियत् ) प ७१ से ४,६ से ८,१० से ३० २६/१११,२८४४,२९.३८५०३६१६७.७१.७२, ७६ केय (कियत्) व ४१ में ४६,५६ मे १८,६५, ७२.७६,६८,१२,१८,१०१, १०४, ११६,१३१. १४०, १४७, १५८,१६२.१६८१७१.१७४, १८३,२०७,२१०, २१३, २६४,२६७,२६६, ५०४,६,६,११,१७,२३,२७,२६,३१,३३,३६, ४०, ४४, ४८, ५२,०२,६२,१००,१०३,१०६, ११०,११४,११८,१२८, २३१,२४१६११.२. ४ से २३,२७,४३ से ४५,६० से ६४,६७,६८ १२१७ से १०,१३,१५,१६,२०,२१,२२,२७, ३१.३२ १५३७, ८, १४, १५,२२,२३,२७,४०, ४१,८३ से ६५,८१,६१,६४ से १०, १००. १०३ से १०६,१०८,१०,११३ से १२०, १२३,१२६,१२७, १२६,१३१,१३२,१३५, १३९ से १४१,१४३ १७११०६, १०२, ११०, १४२, १४३, २०१६, १०, १२, १३:२३०६० से ६२,३३१२,३,१०,१२,१३१५ से १८ ३४।१३:३६।६ मे २२.३० से ३४,४४ से ४७,५६,६६,७०,७३,७४७१७३ १०२०,२२,२३,२६,२६ से ३१२३ ३२१,४,५,६,१०,१२१२ मे १८०४८ १५२ से ७१८।४ मे ६,९,१०,१२,१३,२०, २५ से ३४ १२४,५.७.८, १०, ११, १४, १५. १६ मे २१.२५,३०,३१,३८,३५,३७,३ चिर- केवलसमुयाय केवल केवल (के) प २०१७.१०२२.३४ २ २४७१. २५ ३२२३७१३५१.१०५ १८१२३ (के) १२६.२६ ४०.४६.८४, ७०, १३२.१२०, १४५. १७५. १८५,१८८, २०६,२११३३१७,६१ केवल (पा) के ज्ञान) १२२१७ ज्ञान ) २६४४१६५४२४, केवलवाण १०२,१०७.११० १११३ २०१२८, ३१ २६२३०१२ haant (ज्ञाना) १६६ केवलावा रणिज्ज (केवलज्ञानावरणी ) १२३।२५ वाणि (केज्ञानिन् ) प ३११०१.१०३ ५१.११६.११६६१३४१२१८६२ २८१३६, १४०३०११६, १७ सण (केवलदर्शन) १५०२४.१२.१०२. १०७,११६, २०१३, १७६३०१३, १७ सणावरण (केदार) २३|१४ केवलसणावरणिजकेनी) " प २३।२८ केवलसणि (केवल दर्शन ) प ३२१०४ : ५१२० १६३० १६ केवल २४६४१२ केवलमाण (केवलज्ञान ) प ५ १०५ केवलनाणपरिणाम (के ज्ञानपरिणाम ) प १३१६ वाणि ज्ञानिन् २।११२ heatre (cोधि ) उ५१४३ केवल (केन्) १०१०४,१०० १२१,१२६६ १८६८,६६,६७,६६२०१७,१८,२२,२५,२० २६,३४,४५ २०१५५ से २०२६६२,६२, ८३१२ ज ६३,०१, ३२२४, २२५. १०२,१३४.१४२ केवरिया (के) ३२२५ केज (कै) ३६।१।१ केला (वनीसमुद्घात) १ ३६ १३७ ११.१५ मे १७,३१,२४२५४१०२.८५ Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केस-कोडिंग केस (केश ) प २१३१ व २।१३३,३०२६, ३९, ४७, ९२,११६ heatre (केशानस्थितनख ) ज ३ | १३८ केस (कीदृश) २३११२२ केसर ( कैमर ) प ११४८२४५, ४६ ज २१२४:४१३, ७, २५.७ । १७८ केसरद्दह (केसरिद्रह ) ४४२६२ केलोय (केशन ) ३५२८३ केसि (क्रेशि ) १२:२६ केसु (शु) ३१२५ कोइल (कॉफिन) ११५३३५ ३५१५ कच्छ (कुसुम) प १७।१२५ कोइला (कला) ५१७६ कोड (क) ३३,८२,८५,१९२५,१२६, ०२२ १ १३,७०,१२१,३।११०,५१७ को हल्ल (कौतुहल) २१३२ कोहल (ह) १२६ कोवत्तिय ( कौतून प्रत्यय) ज ५२७ कोंग (क) ११८६ कोंच (कोच) प १७६,८६ उ ५ ५ कोंचार ( क्रौञ्चार ) ज ३१८६, १०२, १५६,१६२ स्तर ( क्रौञ्चस्वर) ज २।१६; ५।५२ कोंडलग (कुण्ड नक) ज २११२ कोत (कुन्त) ३,३५ कोकंति (दे० ) ज २१३६ लोमड़ी कोकणद (कोकनद ) प १२४६, ११४८१४४ कासि (द० विकसित ) ज ३११०६ कोकुइय (कीकुचिक ) ज ३१७ बलिया (द) ११६६६ १११२१,२३ कोज्जय ( कुब्जक) ज ३११२८८ कोटेज्जमान ( कुट्टन् ) ज ४।१०७ कोट्टणी (दे०) ३३२ कोट्ठ (कोप्ठ) ज ३३२ फोग (कोलक) प २०३०,३१,४१ कोठवुड ( कोष्ठपुट) ज ४।१०७ १. ६० १२६ कोट्टय ( कोष्ठक) उ ३६,१२ कोट्ठसमुग्ग (कोठसमुद्ग ) ज ३।११।३ कोयत्यय ( हस्तगतकोष्ठसमुद्ग ) ज ३।११ कोट्ठागार (कोठागार) ज २२६४ उ १२६६,६४, && ८८५ कोडा कोडि ( कोटिकोटि ) प २२४६, ५०, ५२,५३० ५५,५६,६३; १२।२७, ३२; १८१४२,४४,४६, - ३६० से ६४,६६,६८,६६,७३ से ७७, ८१,८३,८५ से ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६ से १३१,१३३,१७६, १७७, १८२,१८३,१८६, १८७,१६० ज २२६, ५१,५४,१२१,१२६,१५४, १६०,१६३,७११, १७० कोडि (कोटि ) प २३०, ४९, ५०, ५२,६२,६३,६४ ज १४२०,२३,४८, २२६ ३१२४, १७८, २२१; ४११,२१,५५,६२,८१,८६,६८,१०८, १७२; ५६८ से ७०; ६।८।१७।१।११।१४, १५, २१,१२१,१२२,१२६,१३३,१३६, १३७, १४०; ५।१० कोडिकोडि ( कोटिकोटि) यू १८२४; १६ १११, ५१३, ८ १३,१११४, १५१४, १६१६,२११५, ८, १६१२२१३,१६१३१,३५,३८ कोडिगार ( कोटिकार ) प १।६७ पेडो (कोट) सु १९११४,१५१,१८,२११२ कोडीवरिस (कोटिय) १६३१५. कोटुंबिय (क) प १६४४१ उ १११७, १८, ६२,१२३,१३१, ३ ११,१०१४११६, १७; ५११०,१५,१६,१८ कोतुक ( कौतूक) सू २०१७ कोत्तिय (दे० ) उ ३१५० कत्थंभरि ( कुस्तुम्बरी) ज ३३११६ कोयलवाहा (दे० ) प ११५० कोदंडिम (कुदण्डिम) ज ३११२,२८,४१,४६,५८, Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ कोदुसा-खंडाभेद कोसागार (कोशागर) ज ३१८१ कोसिय (कौशिक) ज७१३२१३ सू १०११११ कोसेज्ज (कौशेर) ज ३१२४१३,३७.१,४५११ १३११३ कोह (क्रोध) प १११३४११,१४१३,५,७,६,११ से १५,१७,२२।२०।२६।६,३५,७० से ७२,१८४ ज २।१६,६६,१३३ उ ३१३४ कोहकसाइ (क्रोधकतान्)ि प ३६८,१३,१४, १६; १८१६५, २८१३३ कोहकसाय (क्रोधकषाय) प १४११,२ कोहकसायपरिणाम (क्रोधकषा परिणाम) प १३।५ कोहकसायि (कोधकषानिन ) प ३९८ कोहणिस्तिया (क्रोधनिश्रिता) प ११:३४ कोहसंजलना (क्रोधसंज्वलन) १२३।६६,१४० कोहसण्णा (क्रोधसंज्ञा) प ८.१,२ कोहसमुग्धाय (कोधसमुद्घात) ५३६।४२,४४ से ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ कोदूसा (कोरदूष?) ५११४५।२ कोद्दव (कोद्रव) प ११४५२ ज २१३७,३।११६ कोद्दाल (दे०) ज २१८ कोमल (कोमल) ज २।१५; ३।१०६,२८८ उ ३६८ कोमुई (कौमुदी) ज २११५ कोरंट (कोरण्ट) ज ३।१७८,५१५८ कोरंटय (कोरण्टक) प १३८।१ ज २।१०; ३।१२,८८ कोरग (कोरक) ज २१२ कोरव (कौरव्य) ५११६५ कोरेंटमल्लदाम (कोरण्ट माल्यदामन ) प १७११२७ कोलठिय (कोलास्थिक) सू१०।१२० कोलव (कौलव) ज ७११२३ से १२५ कोलसुणग (कोलशुनक) प ११६६ ज २॥३६,१३६ कोलसुणय (कोलशुनक) १ १११२१ कोलसुणिया (कोलशुनिका) प ११।२३ कोलालिय (कौलालिक) प १०६६ कोलाह (कोलाभ) प १९७० कोलाहल (कोलाहल) प २१४१; ज २११३१ कोस (क्रोश) प ३६८१ ज १७,३५,३७,४२,५१, ४१७,६,१४,१५,२४,३१,३३,३६,३६,४१,४३, ४६,५६,६६,६८,७०,७२,७६,६३,११२,११४, ११५,११६,१२०,१२२,१३४,१३७,१४७, १५३ से १५५,२४२,७१७७१३,२०७ सू११४,१८,११,१२ कोस (कोष) ज २१६४,३१३,१७५, ४१६७।१७७ उ ११६६,६४,६८ कोसंब (कोशाम्र) प ११३५११ कोसंबी (कौशाम्बी) प ११६३।३ कोसल (कौशल) प ११६३१२ कोसलग (कौशलक) उ १११२७ से १३०,१३२ कोसलिय (कौशलिक) ज २६३ से ६७,७३ से ८२,८६ से ६० खइरसार (खदिरसारक) प १७।१२५ खओवसमिय (वायोपशभिक) प ३३११ खंजण (खजन) प १७:१२३ खंजण (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खंजणवणाभ (खजनवर्णाभ) सू २०१२ खंड (खण्ड) प १३१२५; १७४१३५३३११३ खंड (खण्टा __ ज २।१७, ६।६।१,६७ उ १।१४,१५,२१ खंडग (खण्डक) ज ४।१७२।१,६७ खंडगप्पवायगुहा (खण्डप्रपात गुफा)ज ३१५४,१६१ खंडप्पदायकूड (खण्डप्रपातकट) ज १।४१ खंडप्पवायगुहा (खण्डप्रपातगुफा) ज १।२४; ३।१४६,१५०,१५५ से १५७,१५६ से १६१ ४।३५, ६।१६ खंडप्पवायगुहाकड (खण्डप्रपातगुहाकट) ज ११३४ खंडय (खण्डक) ५११६७४ खंडाभेद (खण्डभेद) प १११७६ Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संडाभेदस्वाम खंडाभेव (खण्डभेद ) प ११।७२,७४ खंडिय ( खण्डित) ज ७१३४११ खंति (अन्ति) ज २२६४,७१३११०१ तं (क्षन्तुम्) ३११२६ (स्कन्द) ज २३१ दग्गह (स्कन्दग्रह) ज २०४३ लामे ज ३।१२६ खम (क्षम) ज २६४ खंध ( स्कन्ध) प ११४,३५,३६,४७११,१२४८१२, २२,३२,३६; ३।१७६ ५११२५, १२७,१३४, १३६.१३८, १५४,१६६,१६६,१७२,१८१,२२७ से २३२,१०१७ से १४; १०११४ ५, ६ ; १३।२२।१ १६ ३६,४३ ३०१२६,२६ खमा (क्षमा) ज ३।१०९ खय (क्षय) प ३३|१|१ ज ३११२३ उ १३१३६ खयकर (क्षयकर) ज ३।११७ ज ३११८,७८,९३,२१२,२१३ : ४११४६ : ५/५ ; खर (खर ) प १३१८, २०११ १६ से २० ज २११३३ खरमुही ( खरमुखी) ज ३०१२,२१,७०,१००,२०१ खरय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खरोट्ठी (सरोष्ट्रिका खल (खल) ज २१६६ खलंत ( स्खलत्) ज २११३३ १२६ ७ १७८ उ १।६७, १२१,१४०, ३१११४ खंधावार ( स्कन्धावार) प ११७४ ज ३।१८,२८, ३१,३२१२,४१,४१,५२,६१,६१,८१,८८, १५, १०१,११५ से ११७११६,१२१०१,१२२, १२४,१३१,१३५,१३७, १४१,१५१,१५८, १६४,१६७।२,१७२,१८० ११११५.११६. १२३,१३४ खंभ (स्तम्भ) ज १।३७ : ३१६६ से १०१,१६३; ४६, २६, २७, ३३, १२०, १४७,२१६,२४२, ५१३,४,२८,३२ सू २०१४ खंभच्छाया ( स्तम्भछाया) सू ६१४ खग्ग ( खड्ग ) प ११६५ २४६ ज ३।३१ ४२००११ खगपुरा (खगपुरा ) ज ४।२१२,२१२२४ खम्गरयण (सड्गरत्न ) ३१०६ खचिय ( खचित) ज १।३७ ३१२११५५८ खज्जग ( खाद्यक ) उ ३११३० लग (०) २०११४ खजूरसार (खर्जुरसारक ) प १७।१३४ खज्जरी ( खर्जूरी ) प ११४३१३ खज्जूरीषण (खर्जूरीवन) २६ खट्टोदय ('खट्ट' उदक ) प ११२३ खड्डाबहुत ('खड्डा' बहुल) १११८ खण (क्षण) ७११२ १०११२६५ खण ( खन् ) खर्णति ज ५ १३ खणित्ता (खनित्वा) ज ५।१३ खतय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खत्तमेघ ( 'खत्त' मेघ) उ २।१३१ ८८७ खत्तिय (क्षत्रिय) ज २१६५ ५३५, ४६ (खम (क्षम् ) खमई ज २१६७ खमंतु ज ३।१२६ खलु ( खलु ) प ११४८५२६८०२११७/१५०, १५२,१५५; २३।३,६३६१८२ १ ४६ १।१२ १५ २१२३१२४१२५३२ खल्लूड ( खल्लूट) प १२४८७ खन (क्षपत्र) खवे १९२२ खवइत्ता (क्षपयित्वा ) प ३६।९२ म (क्षपम्) सवयति ३६।२२ सवेद १९।२२।१८ सवेति प ३६४१२ खवय ( क्षपक) प २३११९१,१६२ खवल्लभच्छ (दे० ) प ११५६ सता (क्षपवित्वा) प ३६।१२ खस (खस) प ११८६ खसर ) ससर) ज २१३३ सहचर (सेर) प ११५४,७७,६१३३१८३३ ४।१४९ से १५७६ ६७१,७६,७८, ९४२११८, १७,३५,४७,५३,६० ज २।१३१ खाइम (खाद्य) उ ३।५०, ५५, १०१,११०,१३४; ४:१६ Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ खाइय ( खादित) उ ११५१,५४,७६,७२ खाण ( स्थाणु) ज २१३६६४१२७७ खाबहुल (स्थावल ) १११८ खात (खात) प २१३० खाय ( खात) प २१३१,४१ ज ३।३२ खार (क्षार) १७६ खारतउसी (क्षारत्रगुणी ) प १७३१३० खारतजसीफल ( क्षात्रपुपीकल ) प १७।१३० खारमेघ (क्षारमेघ) ज २२४२, १३१ खारोदय ( श्रारोदक) ११२३ खासीय (खाशिक ) प ११८६ खिखिणी ( किंकणी ) ज ३१३५ खिल (खि) खिसति उ ३।११७ विज्जिया (विस्यमान) उ २।११८,१२३ खियामेव ( चिप्रमेव ) २८१०५ ३४११६,२१, २४ ज २१६५,६७, १०१, १०५, १४०७, १०६, १११११४,११५,१४१ से १४५; ३७,१२, १५,१८.१६,२१,२५,२८,३१,३२,३८,३८, ३०४६,४६,५२,५३,५८,६१,६२,६६,६६, ७०, ७४, ७७,८०.८३,९१.६६.०६.१००. ११५.११८.१२१.१२४,१२८.१३२.१४१, १४२१४७,१६० से १६४.१६८, १७३, १७५, १८०, १८१.१८३,१६१.१६६.२०७.९२२ २१३, ५१३,७,१४,१५२२,२८,५४,६८ रो ७०,७२.७३ खीन (क्षीण ) २६ ३१२२५ atraara (क्षीणपाय ) प १।१०२,१०८ से ११०,११५.११७ से १२३ खोर (खीर) प १४२३१ लीकी खीर (धीर) प १५ । ५५।१६ १७ ११६,१२८ सू १०।१२० उ ३।११८,१३० खोरकाओ (क्षीरकाकोली ) ११४८ खीरपुर (सीपुर ) प १७३१२८ खीरमेह (श्री मेघ) १४२,१४३ खोवर (ब) सू १६३१ खरिणी (ओरिणी ) प १३२ खीरोद ( श्रीराद) ज ६,६८ खीरोग (क्षीरोदक) ज २०१७ से १००,१११, खाइय-खेत्त ११२:५१५५ खीरोदय (श्रीगोदक ) ग ११२३ ज ५१५५. खोरोदा (क्षीरोदा ) ज ४।२१२ खीरोया (क्षीरोदश ) ज ४।२१२ खोलग ( कीलक ) ज ७।१३३१३ खील संठिया ( कीलक्स स्थित ) सू १०/४८ खोलच्छाया (कीलछायः) सूबाट खोलिया (कीलिका) प २३१४५.६८ खु ( खलु ) ३।२४ ३१ १७४१६०,८३,११३ खुज्ज ( कुटज) प १५/३५२३।४६ ज ३।११।१,८७ खुज्जा ( कुब्जा ) १०१६ खुड्ड (क्षुद्र) खुड्डग (क्षुद्रक) ज ४।१३६ खुड्डार (शुद्रतर) ज ४१५४ खुड्डाग (क्षुद्रक ) प १९५ खुड्डा (शुद्रक) सू २०१४ खुड्डिया (क्षुद्रिका) ज ४१६०,८३,११३ खुभिय (क्षुभित ) २६५ खुर (र) ३३०, १७८ ज खुरप ( प्र ) प शर० से २७१५५ ज ३।३० खुल्ला (क्षुल्लक) पाट खुहा (क्षुत्रा) (२२१११ १२ खेड (खेट) प ११३४ ज २२२१३१३११८,३१, ८१,१०,१८५,२०६,९२१ ३ १०१ खेडग (खटक) २०३५ खेड (खेटक ) ज ३१३१ खेड्डकारग ( खलकारक ) ज ३१७८ खेत (क्षेत्र) २२६४३११२६१२३२८१४१५ १४११८११; १५५२,१७/१०६ से १९१; २८।२०,३२,६६,३३१२,३,१०,१२,१३,१५ से १८, ३६।५६,६०,६६ से ६८,७० से ७४ जरा६६३३७१२० से २५, २६, ५२,५४, ७६ से २,६५,६६ सू १|१४; २३३|१: Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खेत्तओ-गंध ८८६ ६.१; ६।१:१०१४,५,१७३; १९२२॥२५. प६.११८ खेत्तओ (क्षेत्रतस्) १११।४८,५०,१२१७,८,१०, गइपरिणाम (गनिरिणाम) प १३१२३ १२,१६,२०,२७,३२; १८१३,२६,२७,३७,३८, गइप्पवाय (गतिप्रपान) '१६।१७,५५ ४१,४३,४५,५६,६४,७७,८३,१०८,११७; गइरइय (गति रतिक) ज ५५,५८ २८१५,५१, ३५१४ ज २६६ गंगदत्त (गङ्गदत्त) उ ३।१३,१६० खेत्ततो (क्षत्रतस्) प १८।१०,६२,६५ गंगष्यवायकुंड (गंगाप्रगानण्ड) ज ४।२५,२६,३१, खेत्ताणुवाय (क्षेत्रानुपात) प ३।१२५ से १७३, १७५,१७७ गंगा (गंगा) ज १११८,२०,४८,२१६१,१३३, खेत्तारिय (क्षेत्रार्य) प ६६२,६३ १३०, ३११,१४,१५,१८,१४१,१४३ से १५१, खेत्तोववातगति (क्षेत्रोपपानगति) प १६१२५ खेत्तोववायगति (क्षेत्रोपपातगति) प १६१२४ ३६,१६७,१७,२७४; ५५५६।१६ से ३०३२ सू २०१७ उ १९७३०५१,५६,६८ खेम (क्षम) प २१३०,३१,४१ गंगाकुंड (गंगाकुण्ड) ज ११५१४।१७५१७६ खेमकर (क्षेमकर) जरा५६,६० सू२०१८,२०१८७ गंगाकड (गंगाक्ट) ज ४।४४ खेमंधर (क्षमंधर) २१५६,६१ गंगाकूल (गंगाकूल) उ ३.५० खेमपुरा (क्षमपुरा) ज ४।१८१,२००।१ गंगादीव (गंगाद्वीप) ज ४१३१,३२ खेमा (क्षमा) ज ४।१७७,२००१ गंगादेवी (गंगादवी) ज ३।१४०,१४१,१४३,१४५, खेल (श्वेल) प १८४ खेल्लणग (खेलनक) उ ३।११४ गंगावत्त (गंगावतं) ज २११५ खेल्लणय (खेलनक) उ ३।१३० गंगावत्तणकूड (गङ्गावर्तनकूट) ज ४।२३ खेवणी (शेपणी) ३३१ गंज (गजा) ११॥३७५ खोत (क्षोद) प १५१५५११ गंठि (प्रन्थि) प ११४१३८ ईख खोतोदय (क्षोदोदक) प ११२३ खोदवर (क्षोदवर) सू १६६३१ गंड (गण्ड) प १६५:२२५० ज ४।१३,५१६७; खोदोद (क्षोदाद) सू १६।३१ 15८ खोद्दाहार (क्षौद्राहार) ज १३५ से १३७ गंडतल (गण्डतल) ५२१३०,४६ खोम (क्षीम) ज ४।१३; ५१६७ सू २०१७ गंडयल (मण्डतल) प २३१४१ खोमिय (क्षौमिक) सु २०१७ गंडलेहा (गण्डरखा) २०१५ गंडीपद (गगडीपद) प ११६२ गंडीपय (गण्डीपद) प ११६५ गइ (गति) ए ४८ ज ११५,७१,१३३,३३, गंडूयलग (गण्डमदर) प १४६ १३८,१७८,५१२१, १२१,२५,५५,५८,८१, गंता (गत्वा) ग ११७२३६।३२ ज ३।२५.३८, १७५,१७८ च ४११ सू११६,१।८।१; १६२२१२२ गंतूण (गत्वा) प २१६४।२,३ गइकल्याण (गति वाल्याण) १८१ गंध (गन्ध्र) ध ११४ ३ ०१,४१,४६; गइनामणिहताउय (गतिनामनिधत्तायुष्क) ३११८२७५११०,१२.१४.१६.१८,२०,२४,२८, Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० गंधओनाच्छ ३०,३२,३४,३७,३६,४१,४५,५३,५६ ५६, ६१.६३,६८,७१,७४,७६,७८,८३,८६,८६, ९१ ९३,६७,१०१,१०४,१०७.१०६,१११, ११५,११६,१२६,१३८,१५०,१५२,१५४, १६०,२०७,२११,२१४,२२८.२४२,२४४; १०॥५३।११११५५,१५३८,४२,१५१५५१२ १७१११४११,१७:१३२ से १३४; २३।१५ १६. १६,२०,१६०,२८१२०,३२,६६,३६८०,८१ ज ११३,२१७,१६,१८,१२०,१४२१६४, २११:३१३,७.६.११.१२,२१,३४.७८,८२, ८५,८८.१०६,१८०,१८७,२०६,२११,२१८, २२२,४।८२,१०७,१०६:५।५,७,२२,२६, ३२,५५,५८,७।२०६ सू २०१७ उ ११३५; ३१५०,११०।५।२५ गंधओ (गन्धतस्) प१५ से६१११५६२८१८, २०,२६.३२,५४,५६ गंधकासाइय (गन्धकासायिक) ज ३।६,२११,२२२; ५५८ गंधचरिम (गन्धचरम) प १०१४८४६ गंधट्टय (गन्धाट्टक) ज ५११४ गंधणाम (गन्धनामन्) प २३॥३८,४८,१०६,१०७ गंधतो (गन्धतस्) प १७ सेह गंधदेवो (गन्धदेवी) उ ४।२१ गंधदधुणि (गन्धध्राणि) ज २११२ गंधपज्जब (गन्धपर्यव) ज २१५१.५४,१२१,१२६, १३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ गंधपरिणाम (गन्धपरिणाम) प १३१२१,२७ गंधमंत (गन्धवत् ) प १११५.२,५५,२८१५,५१ गंधमायण (गन्धमादन) ज ४।१०२,१०४ से १०८, १६२,२०४,२१५ गंधमायणकूड (गन्धमादनकूट) ज ४११०५ गंधवट्टिभूत (गन्धवर्तिभूत) प २।३०,३१,४१ ज ३७,८८,१८४,१६३,५५७ सू २०१७ गंधवाट्टिभूय (गन्धवतिभूत) ज ५७ गंध (वासा) (गन्धर्षा) ज ५१५७ गंधव (गन्धर्व) प १११३२,२१४१,४५,६१८५ ज ३।११५.१२४,१२५७।१२२।३ सू१०१८४१३ गंधव्वछाया (गन्धर्वछाया) प १६१४७ गंधवलिवि (गन्धर्व लिपि) प १९८ गंधव्वाणीय (गन्धर्वानीक) ज ५१४१,४४ गंधहत्थि (गन्धहस्तिन) उ ११९६ से १६,१०२ से २ १११२१ गंधादेस (गन्धादेश) प ११२०,२३,२६ २६,४८ गंधावइ (गन्धापातिन) ज ४२६६ गंधावइवट्टवेयड्ढपव्वय (गन्धापातिवृत्तवैतादय पर्वत) ज ४।२६२ गंधावति (गन्धापातिन् ) प १६।३० गंधाहारग (गन्धारक) प १३८६ गंधिल (गन्धिल) ज ४।२१२,२१२।३ गंधिय (गन्धिक) प २।३०,३१,४१ ज ३१७,१२, ८८,२११,२२१,४।२६,५१७,५८ उ ३।१३१ गंधिलाबई (गन्धिलावती) ज ४११०३,२१२, २१२१३ गधिलायइकर (गन्धिलावतीकूट) ज ४।१०५ गंधोदग (गन्धोदक) ज ५७ गंधोदय (गन्धोदक) ज ३१६,२२२ गंभीर (गम्भीर) प ११५१:२१२० से २७,३०,३१, ४१ ज २०१५,६८,३१३५,१३८।१,४।३,१३, २५:०२२ से २४७।१७८ सू २०१७ गंभीरमालिणी (गम्भीरमालिनी) ज ४।२१२ गगण (गगन) ल ११२६,२।६८,३।१७८,४।४६ गगनतल (गगनतल) प २१४८ ज ३३१७८,५१४३ गग्गर (गद्गद) ज १७८ गच्छ (गम् ) गच्छ ज ३१८३,१७० उ ११५४ गच्छइ ज ४।२६८ २७४; १२२,२६,७।२० से २५,७६ से ८४,९५६८ से १००,१३५; ७।१३५११ च ११ सू ११६११ गच्छं ज ३।१५४,१७० गच्छति प ६१६६.१०५, ११०,३६३८३ ज २१४६,७१३६ से ४८ गच्छति प १६३४,४१,४२,४४,४५,४७,५१, ५४,३६.८२,८३।१ सू २१२ Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गच्छमाण-ब्भवतिय ८९१ गच्छह ज ३।१२५,१२७ उ ११४४ गच्छामि गत (गत) प २१३०,३१,६३ ; १७१०७,१५१, ज २०६०,३१२६,३६,४७,५६,१३३,१४५; १५४,२११५२,५५,७७,३४१२०,३६१८३१२, ५।२२ उ १:१७,३।२६ गच्छामो ज ३।१३८; ३६।८६,८८ सू २१३,६।३; १३७,६,१२,१४ ५१३ गच्छाहि ज ३।७६,१२७,१२८,१५१ से १६:२०१७ गच्छिहिइ उ १११४१;३।१८,४।२६,५१४३ गति (गति) प ३३१११,३१३८,३६१०१५३११ गच्छिहिति ज २११३५ से १३७ गच्छेज्ज १६.३६,४०,४३,४६,५५,१७।११४।१; प ३६९१ १८।१।१२३३१३ से २३, ३६८३१२ सू गच्छमाण (गच्छत् ) सू २२, २०१२ २।३१५।१,३७,१८१८ गच्छित्ता (गत्वा) ज ५११४ गतिचरिम (गतिचरम) १०३१ से ३३ गज्ज (गर्ज ) गज्जति ज ५१७ गतिणाम (गतिनामन्) प २३१३८,३६,८१ से गज्जिय (गजित) ज ३.१०४,१०५७११७८ ८४,१४६,१४८,१४६,१७१,१७२ गड्ड (गर्त) ज २१३८,१३१३१८८ उ ३१५५ गतिणामनिहत्ताउय (गतिनामनिधात्तायुष्क) गढिय (ग्रथित) उ ३११४,११५,११६ प६११६,१२२ गण (गण) प २१३०,३१,४१,४८,६० से ६३; गतिपरिणाम (गतिपरिणाम) प १३१२,३,१४,१६ २१६४११५ ज ११३१, २।८,१२,१३,२०,३६ से २१,२३ ४१,६४,४।३,२५ सू १६।२२।१०,२१, २०१६।४ यतिमाता (गतिमात्रा) सू १५१५ से ७ उ ४।११,५१५ गतिरतिय (गतिरतिक) सू १६२३,२६ गणग (गणक) ज ३।६,७७,२२२ गतिसमावण्ण (गतिसमापन्न) सू१०।१७०,१५।५ गणणा (गणना) चं ११३ गणधम्म (गणधर्म) ज २।१२६ गतिसमावण्णग (गतिसमापन्नक) सू १६।२३,२६ गणनायग (गणनायक) ज ३१६,७७,२२२ गत्त (गात्र) प २१३१ ज ३।६,२२२,४।१३; गणराय (गणराज) उ १।१२७ से १३०,१३२ १५७।१७८ गणहर (गणधर) प १६१५१ ज २।७३,६५,९६, गद्दभ (गर्दभ) प ११६३ १०० से १०२,१०४ सू २०१६।४ गब्भ (गर्भ) प ६।२६, १७/१६६,१६७,१६६ गणहरचियगा (गणधरचितका) ज २११०५ से से १७२ ज २१८५,३१३ उ १५० से ५२, ११२,११४ ५४,७४,७६,७७,७९ गणावच्छेइय (गणाव च्छेदक) ५ १६:५१ गम्भवक्कंतिय (गर्भावक्रान्तिक) प ११६०,६६, गणि (गणिन ) प १६.५१ ज ३१३५, १६७ च १३३ ७५,७६,८१,८२,८४,८५,१२६; ३३१८३; गणिज्जमाण (गण्यमान) सू १२।३ से ६,१५ ४।११० से ११२,११६ रो १२१,१२८ से गणितलिवि (गणितलिपि) प ११६८ १३०,१३७ से १३६,१४६ से १४८,१५५ से गणिय (गणित) ज २१४,६४,३।१६७३,६७,८ १५७,१६२ से १६४, ६१२२,२४,६५,६६, गणियपय (गणितपद) ज ६।८।१ ७१,७२,८४,६७,६८,१०८,११३,६७,१०, गणिया (गणिका) ज ३११२,२८,४१,४६,५८, १७,२३, १६।२८,१७१४३,४७,६३,६४,६६, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उ ५.१०, ६७,८६२११६,१०,१२,१३,१५ से २०,३१, १७ ३४,३६,४३ से ४८,५३,५४,७२ Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ गमवसहि-गवेसित्ता 21१६ गयवति (गपति) ज ३।१२६।२ गयवर (बर) जा६१ गयविक्कम (गनविक्रम) १३३।३ गयविकामसंठिय (जविक्रमथित) सु १०१५३ गरह (गई.) रति उ ३३११७ गरहेहि उ३।११५ गरहिज्जमाण (गई यमान) उ ३१११८ गराइ (गर) ज १२३ मे १२५ गरुय (गुरुक) प ११४ से ६:३।१८२:५॥५,७, २०६१५।१४,१६,२७,२८,३२,३३,२८४२०, गब्भवसहि (गर्भवमति) प २१६४ गभिणी (गभिगी) ज ३।३२ गम (गम) प १५१४३,२३।१६७ ज २५६, १५६:३१३,१८३,२०३,२१७४११३६, १४०११,१६७,२४३,५१४० मू का? गमण (गमन) ज ३१६,३५,८५.१८३ उ ११४२, ८८,१२६:३।१२७,१२८ गमणिज्ज (गमनीय) ज २६४,३११८५,२०६ ५॥५८ गमय (गमक) प ५११७६१७1८,३५. गमित्तए (गन्तुम्) उ ४३११ गय (गज) प १३० ज १५.६५,३११५,१७, २१,२२,३१,३४ से ३६,७७,७८,६१,१७३, १७५,१७७,१७८,१६६ उ१११२३,१३८, ५११८ गय (गत) १६४१:१७।१०६,१११:२११५५ ज २१५३१८,१३८७।१३३१३,१३५ चं १।१,२ उ ११२५,४६,५१,५४,६४,७६,७६ ८८,८६,६१,१११.११२,१२१,१३८, ३.१५,३५,५१,५६,८४,१२१,१६२:४।२४; ५.१३,२०,२७,३१,४० गयंद (गजेन्द्र) चं १११ गयकण्ण (गवाण) प १९८६ गयकलभ (गजकलभ) प १३।१२३ गयछाया (गजछाया) ११६१४७ गयण (गगन) ज ३१३ गयणलल (गगनतल) ज ५।४३ गयतालुय (गमतालुक) प १७४१२६ गयदंत (गजदन्त) ज ३।३५,४११०३,७।१३३।३ गजदतठय (मजदतगस्थित) सू १०५१ गयपुर (गपुर) प १९३२ गयमारिणी (जमारिणी) प ११३७५ गयरूवारि (नजरूपधारिन् ) ज १७८ म् १८।१४ गयव३ ( पति) प २१४६ ज ६।१७,१२६१२, १७७,१८३,२०१,२१८७१११२४,१३१; गरुयत्त (गुरुकरका) प १५३४४,४५ गरुयलहुयपज्जव (गुरुक रघु पयंत्र) ज २१५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,१६३ गरुल (रुड) प २।३०,३१ ज ३।१०६४१२०८ च १२ गरुलम्वूह (माटव्यूह) उ १।१४,१५,२१,१३६, गल (पल) ज २११५७१७८ गल (गत्) चं १११ गिल (ल) इ उ १५१ गलय () ज १७८ गललाय (गालात) ज ३११७८,१७८ गल्ल (गल्ल) ज ५१% गवक्ख (वाक्ष) जे १९२०४१६ गवय (गबय) प ११६४ ज २१३५ गवल (गवल) प २१३१,१७।१२३ ज ३१२४ गवलवलय (गवलवलय) प १७११२३ गवेलग ( वेलक) ज ३११०३ गवेलय (विलक) ज २११३१ गवेस (वेम्) वेसइ उ ३६११४ गवेसग (गवेपक) ज ३११०६ गयेसणा (वेपणा) ज ३१२२३ सु २०१७ गवेसित्ता (वेपयित्वा) उ ३३११४ Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गविय-गाहेत्ता ८६३ गम्विय ( वित) ज ७११:०८ १६७१२,१८०.१८५,२०६.२२१ उ३११०१: गह (ग्रह) प १४१३३; २. मे २७,४८ से ५१, ५१३६ ६३ ज ११२४,७११७७१३,१८०,१८१,१८६, गामकंटय (कामकण्टर) उ ५.४३ १६७ सू १०।१७१ से १५३; १५१,१०,१३; गामणिमण (सामणिद्धमण') प ११८४ १८१४,१८,१६,३७,१३११,५५२,८१२, माममारी (ग्राममारी) ज २१४३ १६।२२१३,८,९,१०,२१.२०,२६,३१, २०१८ गामरोग (ग्राम ) २।४३ गहगण (ग्र ण) 13,१७,२१,३४,१७७,२२२; गाय (गो) ११५४ ७) ५,५८,१८०,१८१.१६७, सू १८।१८ गामाणुगाम (नामानुपाम) उ ११२,१७३।०६,६६, १६२२,२३,२६,२०1९२११२,५१४१ १३२,५१३६ गहण (पइन) ५११४८१५३ से ५५,१११५३,५५, गामि (मामिन) उ १११११,११२ ५७,५६,०१:१८१६५,२२।१५.८० १७१ गाय (गो) प १२४ महणया (ग्रहण) उ१११७ गाय (ब), १७१३४ ज २०१५,१८,३८२, गहत्त (महत्व) उ ३१८३ २११,५१५८ उ ३१५० गहर (दे०) प १७६ गायंत (प्रयत्) ३३१७८ गहदिगा (कहाँ गान) प.१८६ १६४ गारव (और) ३३ ज १७८११,१६१,१६२ मू १८८,११,१५, गारविय (गौरवित) सू २०१६।२ गालण (गालन) ट ११५१,७६ गहाय (गृहीत्वा) प ३६८१ ज ३१८८ उ ११६७; गालित्तए (जापयितुम् ) उ ११५१,७६,७७ ३.५० यालेमाण (गालात) उ ५।२५ गहिऊण (गृहीत्ला) ज ३।२४ गावी (गो) ज २३४ गहित (गृहीत) सू२०१२,६२३३१५५ गाह (ग्राह) प ११५५,५८ गहिय (गहीत) प २०४१११७१,७२ ज ३.१२, गाह ह )माहेहिति) ज २११३४ ७७,८८ १०७,१२४,१७,५.८ उ १।१३८ गाहा (गाथा) प ११४८:२१४०,१५१५५ सू १११७, ३१६३,७०,७३ १६,२५ गहिर (गंभीर) प २८ गाहावइ (गहनि) ज ४।१८१,१,३,१८४,१८६, गा (ग) ज ५१५७ १६५ उ ३.१०,११,१३,२१.१५८,१६०,१६६; गाउय (व्यूत) प:५२१६४:२१।४२,४४,४६, ४१७ से ८,१६,१८ ४३१.२२४८३३१ मे हज २१,४५; गाहा इकुण्ड (गृहपतिकुण्ड), ४५१८२,१६४ ४१८,१०३,११०,१४३,१७८.२०३,२२६; गाहावइणी (गृहपत्नी) उ ४१६ अ६०,१८२ गाहावइदीप (गृहपतिद्वीप) ज ४१८२ गाउयधुहत्तिय (व्यतपथवित्वा) १५ गाहावइरयण (गृहगिरत्न) ज ३३११६,१२०, गागर (दे) प ११.६ ।। १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, गाल (ब) ज ३।२११११५८ गाम (TH) प ११७४११२८२११६२.६३ गाहावइरयणत (गहपतिरलतः ) ५२००५८ ज श२२.६६७०,१३१:३।१६,३१,३२,८१, गाहेत्ता (ग्राहयित्या) ज २११३४ Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ गिण्ह-गुत्ति गिण्ह (ग्रह.) गिण्हइ ज ५१६०,६६ उ ११५७ किण्हति ज ५।१४,१७,५५ उ ११४५ गिण्हह उ ११४४ गिगहेइ उ ११४८ गिण्हउकाम (ग्रहीतुकाम) उ १११०५ गिण्हमाण (गह णत् ) प १११७० गिण्हित्तए (ग्रहीतुम्) उ ११११६ गिरिहत्ता (गृहीत्वा) ज ५११४ सू २००२ उ ११४५ गिण्हेऊणं (गृहीत्वा) उ ३६८ गिण्हेत्ता (गहीत्वा) उ ११४८ गिम्ह (ग्रीम) ज २१६४,७०,७११६४,१६७ सू८।११०।७१ से ७४;१२।१४ उ ५।२५ गिरिकुमार (गिरिकुमार) ज ३११३३,१३६ गिरा (गिरा,गिर्) ज २०१५ गिरि (गिरि) ज २.१५,६५,१३१,१३३,१३४; ३।३२,७६,७७,१०६,१२६.४,१२८,१३८, १५१,१७०,१८५,२०६,२२१,४।२३४,२४० गिरिकण्णइ (गिरिकर्णी) प ११४०१५ अपराजिता गिरिदरी (गिरिदरी) ज ३।१०६ गिरिराय (गिरिराज) ज ४२६०।१सू ५१ गिरिवर (गिरिवर) ज २१६५,३।३,८८ गिल्लि (दे०) ज २१३३ गिह (गृह) ज ३।३२,१८३,१८६ उ ११४२,४४, १०८,३१२६,१००,१०१,१३१,१४१,१४८; ४११२,१३ गिहिलिगसिद्ध (गहलिङ्गसिद्ध) प १११२ गीत (गीत) प २१३०,३१,४१ सू १८१२३; १६१२३,२६ गीतजस (गीतयशस्) प २१४५,४५।२ गीतरति (गीतरति) प २१४५ गीय (गीत) ५ २१४१,४६ ज ११४५,२०६५; ३.८२,१८५.१८७,२०४,२०६,२१८,५१, १६.७५५,५८,१८४ गीयरइ (गीतरति) प२४२ गोवा (ग्रीवा) ज २०१५ गुंजत (गुञ्जत् ) ज २११२ गुंजद्ध (गुजार्ध) ज ३।३५,१८८ गुंजद्धराम (गुजार्ध राग) प १७।१२६ गुंजालिया (गुजालिका) प २।४,१३,१६ से १६, २८,१११७७ गुंजावल्ली (गुञ्जावल्ली) प १।४०१४ चूंघची गुंजावाय (गुञ्जावात) प १।२६ गुच्छ (गुच्छ)प १३३।१,३७१।४८१६,६१ ज २।१२,१३१,१४४,१४६ उ ५१५ गुच्छवहुल (गुच्छबहुल) ज ११८ गुज्म (गुह्म) उ ३११ गुझंतर (गुह्यान्तर) ज ४१२१ गुण (गुण) ५२१६४११३,१७,५१३६ से ३८,५८ से ६०,७३ से ७५,८८ से १०,१०६ से १०८, १४६,१५०,१५१४ से १६,२७,२८,३२,३३, ५७,२०१७,१८,३४,२८१२०,२६,३२,६६, ३४/२० ज २०१५,६५,३।३,३२,११७११, ११६,१८६,२०४,२०६५५६,६८,७० ‘गुणड (गुणाढ्य) ज ३३२।१ गुणनिष्फपण (गुणनिष्पन्न) उ १२६३ गुणरयण (गुणरत्न) ज ५१५८ गुणसिलय (गुणशिलक) उ १११,२,३१४,२१,२४, ८६,१५५,१६८,४।४,६,१३,१८ गुणसेढि (गुणश्रेणि) १ ३६१६२ गुणसेढीय (गुणश्रेणिक) प ३६१६२ गुणहर (गुणधर) ज ३११२६.१ गुणित (गुणित) सू १६।२२।२६ गुणिय (गुणित) ज २६ गुणेत्ता (गुणयित्वा) ज ७।३१ सू ४।४,७ गुणोववेय (गुणोपेत) ज २।१४ गुत्त (गुप्त) प १३०,३१,४१ ज २१६८, ३२३५ गुत्तबंभयारि (गुप्तब्रह्मचारिन् ) ज २१६८ उ २१६%3 ३३१३,८६,१०२,११३,११५,१४६,१६०; ४१२०,२२; ५।२७,३८,४३ गुत्ति (गुप्ति) प ११० १११० ज २०७१ Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुत्तिदिय-गोयम ८९५ गुत्तिदिय (गुप्तेन्द्रिय) ज २१६८ उ ३६६ गुमगुमंत (गुमगुमायमान) ज २।१२ गुम्म (गुल्म) प ११३३।११।३८१३,११४८१६१ ज २।१०,१२,१३१,१४४ मे १४६,३।२२१; ४।१६६ उ ५५ गुम्मबहुल (गुल्मबहुल) ज ११८ गुरु (गुरु) प १११११ २११३३ गुरुजण (गुरुजन) उ १७२ गुरुजणग (गुरुजनक) उ १८८,६२ गुल (गुड) प १७।१३५ ज २०१७ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज २१६५,३।३१; ५१५७ गुलिया (गुलिका) प २१३१ ज ७१७८ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज ७।१३८ गुहा (गुफा) ज १।२४,३।३२ गूढदंत (गूढदन्त ) प १८६ गूढछिराग (गूढशिराक) प ११४८१३६ गण्ह (ग्रह ) गेण्हइ प १११७१ ज २१११३; ३१२६,३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८, १४५,५।५५ उ ३।५१ गेहंति प ११८१ २८१२२ से २४,३४ से ३६,३६,४०,४२,४५, ६८,६६,७१,३४।६ ज २।११३,५१५५ गेण्हति प १११४७ से ७०,८०,८१,८३,८५ सू २०१२ गेण्हमाण (गह णत) सू २०१२ गेण्हित्ता (गृहीत्वा) ३१२६,३६ उ ३१५१ गेय (गेय) ज ५१५७ गेरुय (गरिक) प ११२०१४ गेविज्ज (वेय) उ ११३८ गविज्जग (वेयक) ज ३१६,३६,२२२ गेविज्जविमाण (ग्रेवेयकविमान) 3 ५।४१ गेवज्ज (ग्रेवेय) प २१४६,६३,३४।१६,१८ ज ३१७७,१०७.१२४,७११७८ गेवेज्जग (वेयक) ११३६,१३७२।४६,६० से ६२,६।६६,९८,१५।८८,६१,६६,१०४,१०८, ११२,११५,११६,१२२,१२५,१२७,१२६, १३६२११५५,६२,७१,९३,३३१२५ गेवेज्जगविमाण (वेयकविमान) पश६०, ३०१२६ गेह (गेह) ज ६६ र ४।२,३ गेहावण (गेहायतन') ज २१२१ गेहावणसंठित (गेहापणसंस्थित) सू ४।२ गो (गो) ज ३११०३ गोकण्ण (गोकर्ण) प ११६४,८६ ज २१३५ गोक्खीर (गोक्षीर) प २०६४ गोखीर (गोक्षीर) १ २।३१ ज ४११२५:५१६२; ७।१७८ गोजलोय (गोजलौका) प१४६ गोड (गोड) प १८६ गोण (गौण) प ११६४,११११६ से २० ज २१३५ गोणस (गोनस) प १७१ गोतम (गौतम) प ३६।१२,८१ च ११४ गोत्त (मोत्र) प ३६३६२ ज ११५,७१२७११, १३२।४,१६७१ च ५।३,१० सू १६५६१४; १०६२ से ११६; १९४२२१३ गोत्तफुसिया (गोत्रस्पर्शिका) प ११४०१५ मोध (गोध) प ११८६ गोधूम (गोधूम) प ११४५।१ गोपुच्छ (गोपुच्छ) ज १:१८,३५,५१:२।१५; ४१४५,११०,२१३, २४२ गोपुर (गोपुर) ज २२० सू ४।२ गोमयकीडग (गोमयकीटक) प ११५१ गोमाणसिया (दे०) ज ४११३० मोमुह (गोमुख) प १८६ गोमेज्जय (गोमेदक) प १५२०१३ गोम्ही (दे०) प ११५० गोय (गोत्र) ५ २२१२८,२३.१,२,५७,२४११५; २६।११:२७१५,३६१५२ ज ३१२२५ उ १११७ , गोयम (गौतम) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से १.गेहेषु आपतनानि वा उपभोगार्थमागमनानि । Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६६ गोयम ४४,४६,४८ से ६४,३।३८ गे १२०,१२२ में १२४,१७४.१७६ ते १८२,४११ से ५४, ५६ मे ६७.६६ ये ७४.६ ६०,६२ २६९५१ से ७.६ से २०,२३.२४,२७ से ३४.३६,३,४०,४१,४४,४५,६५,८६,५२, ५३,५५.५६,५८,१.६,६२,६३,६१.६८,30, ७१,७३,१४,७७,७८,८२,८३,८५,६६.८८, ८६,६२,९३,९६,६७,१००,१०१,१०३,१०४, १०६,१०७,११०,१११,११४,११५.११८, ११६,१२३ से १३१,१३३ से १४०,१४२ में १४७,१४६,१५०,१५३,१५४,१५६,१५७. १५६,१६२,१६३,१६५.१६६,१६८,१६६, १.१ मे १३४,१७६,१७७.१८०,१८१.१८३, १८४,१८६,१८,१८६,१६०,१६२,१६३, १६६,१६७.१६६,२००,२०२,२०३,२०६, २०७,२१०,२११,२१३,२१४,२१७,२१८, २२०,२२१,२२३,२२४,२२७ से २३४, २३६२३६,२४१,२४५७६५१से ४५, ४७ मे ५५,५७,५८,६० से ६४,६७,६८,७० मे ७२,७४ मे ८५,८७ मे ६१,६३,९४,९६ से १०३,१०५ ११०,११२,११४ से ११६, ११८ से १२१,१२३,७१ से ४,६ से ३०%, ८.१ से ११,६।१ से ४,६ से १६,१६ से २२, २५,२६:१०११ से ५,७ से १३,१५ से २४, २६ से २६,३१ से १३:११।१ से ४४,४६, ७३,७६ ६०:१२११ से 37 १३,१५, १६.२०,२१,२३,२४,२७,३१३३:१३११ मे १६.१ मे ३१:१४.१ से ३.१,७,६११ ने १५,१७,१५२१ । २८,३० से ३३,३६ से ५४, ५७ से ७४,७६ से ८४,८६,६१ से ६८,१००, १०३ से १०६,१०८,१०६,११३ से ११६, १२६,१२६,१३२ से १२५,१४०,१४१,१६.१ से ४,६ गे ८,१० से १३,१५,१७,१६ से २१,१७१ से ६,८ से १७,१६ से २२,२४, २५,२७,२६,३३,३६ से ६१,६३ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८७,६० से ६२,६४,६५,१००, १०२ से १०४,१०६ से ११६,११८ से १३३, १३६ से १४०,१४६ से १५२,१५४ मे १६४, १६६,१६७,१६६ मे १७२,१८।१ मे १६,१२ मे ३३,३६,४१ से ४१,४६ से १०,६२ मे १२७:१६।१ से ३,५,२०११ से ४.६.७६ मे २५,२७ मे ३०.३२ मे ३४,३८ मे ५४,६१ से ६४,२१११ से १५,१६ से २५,२८ मे ३२, ३६ से ३८,४० मे ४२,४८ से ८१,८३ से ६६,९८ से १०१,१०३ से १०५,२२११ से ११,१३,१५,१७,१६,२१ से २३.२६,२७, २६,३०,३२ से ५०,५२,५३,५:०,५६ से ६६, ७८.७६.८२ से ८४,८६,८७,८६ से ६५,९७ मे २६,१०१,२३५१ से ७६ से ११,१३ से ५०,५७ से ६२,६५,६६ से ७६,८१,८३ मे ८६,८६,६०,६५,९८,६६,१०१ मे १०४, १०६,१११ से ११८,१२८,१२६,१३१ से १३५,१३७ से १४०,१५४,१५५,१५३,१६१, १६१,१६४,१६७,१७१,१७३,१७६,१७७, १९१ से १६६,१६८ से २०१,२४.१ से६,८, १० से १५,२५॥१,२,४,५२६११ से ४,६८ मे १०:२७११ से ३,५,६; २८।१,२ से ७,१० से १६,२१ से २४,२६,३१,३३ से ३७,३६ से ४२,४४,४५,४६ से ५३,५६ से ६५,६७ से ७१,७६ से १६,१०२,१०४,१०६ से १२०, १२२,१२३,१२५,१२७ से १२६,१३२:२६।१ से ३.५ से १३,१६ से २१:३०११ से ३,५ मे १३,१५ से २३,२५ मे २८,३१११ से ३,६,३२११ से ४,६,३३३१ से ३,७ १०, १२,१३,१५ से २६,३१ से ३३,३५,३६; ३४.१ से ३,५ से २,११ से १८,२०,२५; ३५.१ से १३,१६ से २०,२२,२३,३६११ से २२,३० से ५१.५३ से ६४,६६,६७,७०,७१, ७४ मे १०,६२,६४ 7 १५ मे ७,१५ से १८,२० से २३,२६,२७,२६,३३ मे ३५,४१, Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोयम-घणघणाइय ६७ गोवल्ल (गोवल) ज ७/१३२१३ गोवल्लायण (गोवलायन) सू१०११०६ गोवल्ली (दे०) प १४०१४ गोसीस (गोशीर्ष) प १३०,३१,४१ ज २१६५, ६६,६६,१००,३७,६,१२,८२,८८,१३३, १८४,२११,२२२:५११४ से १६,५५,५८ गोसीसावलि (मोशीर्षावलि) ज ७।१३३११ गोसीसावलिसंठिय (गोशीविलिसंस्थित) सू१०।२७ मोहा (गोधा) १७६ गोहूम (गोधूम) ज २।३७:३।११६ ४५ से ५१;२११ मे ४,७,१४,१५,१७ से २३, २५,४२,४४ से ४८,५०,५२,५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६, १४७,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६,१६१, १६४:३११,६८,२०८४४१,२२,३४,४४,४५, ४८,५१,५२,५४ मे १६० से ३२,६४,७६, मे ८२,८४ से ८६,८६,६६ से ६८,१०० से १०० से १०३,१०५ से ११०,११३,११४,१४१,१४३, १५६ से १६७.१६६ से १७८,१८० से १८२, १८४,१८५,१८७,१८८,१६० से १९४,१६६, १६७,१६६,२००,२०२ से २१०,२१२ से २१४,२२५,२२६.२३४,२३६,२३७,२३६, २४१,२४५,२४६,२५१ से २७.१,६२,४,७ से २६१ से ३,३८ में ४८, २ ते ५७,, ५६ से १६८,१११ से १४४,१४७,१४८, १५०,१५४ से १६,१७० से १७८,१८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से २१३, च १० सू० ११५,१०११०२ उ ११२५,२६,२८, १४०,१४१:२११२.१३,३१८,६,१६ से १८, २६,२७,८५,८६,६३,६५,१२२ से १२५,१५२, १५७,१६३ से १६५,४१६,२५,२६ गोयम (गौतम) ज ७४१३२१२ गोयर (गोचर) ज २११३२ गोर (गौर) पु २४०१८,२१४६ ज १५ गोरक्खर (गौरखर) प १६३ गदर्भ की एक जाति गोलगोलच्छाया (गोलगोलच्छाया) सू ६।५ गोलच्छाया (गोलच्छाया) सू ६४,५ गोलपुंजच्छाया (गोलपुआच्छाया) सू ६३५ गोलवट्टसमुग्गय (मालवृत्तममृद्ग) २०१२०, ७।१८५ गोलवायण (गौलव्यायन) ज ७१३२।४ मू १०।११५ गोलावलिच्छाया (गोलाबलिच्छाया) सू ६५ गोलोम (गोलोमन) ५११४६ गोवग (गोपक) ज ३१३५ घओदय (घतोदक) प ११२३ घंटा (धण्टा) ब ११३७,३।३५,१७८४१३०%; ५।२२ से २६,२८,४८ से ५३७१७८ उ १।१३८,३७,६१ घंटिया (घण्टिका) ज २१६४,७११७८ घंटियाजाल (घण्टिकाजाल) ज ३१२४,३०,१०६; २८ घट्टणया (घनता) प१६१५३ घछ (प्ट) प|३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ ज १८,२३,३१ सू २०१७ घड (घट) ५२।३०,३१,४१ ज ३७,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ घड (घटय घडति ज ५११६ घडावेता (घटयित्वा) उ ३.५० घड़िया (घटिका) ज ४११२६ घडेत्ता (घटयित्वा) ज ५११६ घण (घन) प १।४८।३८२१३०,३१,४१,४६%) १२।१२,३८; ज ११२४,४५,६५,३१३,२४, ८२,१६७,१८५,१८७,२०६,२१८,२२४; ४।१२५,५।१,५,१६,५७,६२,७१५५,५८, १७८,१८४ सू १८।२३;१६।२३,२६ घणघण (घनघन) ज २१६५ घणघणाइय (घनघनायित) ज० ५१५५७ Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ घणघणेत-चउक्कय घणघणेत (धनघनायमान) ज ३।३१ घणदंत (घनदन्त) प १८६ घणवाय (धनवात) प १।२६२११० घणवायवलय (घनवातवलय) १ २११० घणसंमद्द (धनसंमर्द } सू १२।२६ घणोदधि (धनोदधि) १ २१२४ घणोदधिवलय (घनोदधिवलय) प २१४ घणोदहि (घनोदधि) प २०१३ घणोदहिवलय (घनोदधिवलय) प २११३ घत (घृत) प १५।५५।१ सू १०।१२० घतवर (घृतवर) सू १६३१ घतोद (घतोद) सू १९१३१ चित्त (ग्रह ) घत्तामोज ३।१०७ घतिहामि उ१४१ धत्तेह ज ३।११४ पत्थ (ग्रस्त) सू २०१२ घय (घृत) ज २०१०६११० उ ३३५१ घयमेह (धृतमेघ) ज २११४३,१४४ घर (गृह) सू२०१७ उ ३.१०० घरग (गृहक) ज १११३ घरधरग (घरघरक) ज ७.१७८ अनुकरणशब्द । घरोइला (गृहकोकिला) प १७६ घाइय (घातित) ज ३३१०८ से १११ उ श२२; १४० घाएउकाम (हन्तुकाम) उ१७२ घाडिय (घाटिक) ज २१२६ घाण (घ्राण) प १५७७,८१,८२, ३६८१ ज ४।१०७ घाणविण्णाणवरण (घ्राणविज्ञानावरण) प २३३१३ घाणावरण (घाणावरण) प २३३१३ घाणिदिय (प्राणेन्द्रिय) प १३।४,१५११,४,८, १३,१६,४२,५८,६४,६९,७०,२८.४५,४६, ७१ उ ३।३३ घाणिदियत्त (घाणेन्द्रियत्व) प ३४१२० घाणिदियपरिणाम (घ्राणेन्द्रियपरिणाम) प १३१४ घाणेदिय (ध्राणेन्द्रिय) प १५॥३४ घायय (घातक) ज २।२८ घुल्ला (दे०) ११:४६ घेत्तूण (गृहीत्वा) ज ३८१ घोडग (घोटक) ५ १६३ घोडय (घोटक) ५ ११११६ से २० घोणा (घोणा) ज ३।१०६ घोर (घोर) ज ११५ घोरगुण (घोरगुण) ज ११५ घोरतवस्सि (घोरतपस्विन्) ज ११५ घोरबंभचेरवासि (घोरब्रह्मर्यवासिन ) ज १२५ घोलंत (घोलत) ज ३१६; २१ घोस (घोष) प० २१४०१६ ज २१६५,३१३५, १८६,२०४ घोस (घोषय) घोसंति ल ३१२१३ घोमेंति ज ५७३ घोसेह ज ३१२१२,५१७२,७३ घोसणा (घोषणा) ज ५१२६,७२,७३ घोसाडइफल (कोशातकीफल) ११७।१३० घोसाडई (कोशातकी) प ११४०१ घोसडय (कोशातक) प ११४८१४८ घोसाडिय (कोशातकी) प १७१३० घोसेत्ता (घोषयित्या) ज ३१२१२ च (च) प ११ ज १७ सू १७ उ १७, ३१७; ४११० चइत्ता (त्यक्त्वा ) प २०१४६ ज २१६४ उ ३३१८, १२५,१५२,४१२६,२८:१३०,४३ चइत्ता (च्यत्वा) ज २८५ चउ (चतुर) प १११३ ज ११८ चं ४।३ सु ११८ उ २।२२ चउक्क (चतुप्क) प २१।१६:२३।२६,२८,६२, १३४,१७८ ज २१६५,३११८५,२१२,२१३: ५१७२,७३,७।१३१२२ उ १११८ चउक्कग (चतुष्क) ज ७१३१२ चउक्कय (चतुष्क) प६८३:२३१२८ Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउगुण-चउम्मुह 488 चउगुण (चतुर्गुण) १२१५६ ज ५५१ चउदस (चतुर्दशन) ज ३१२२१ चउग्गुण (चतुर्गुण) प २१४०१५ ज ५५४६,५२।१।। चउदसव्वि (चतुर्दशदिन ) ज २१७८ म १६।२२।२३ चउद्दस (चतुर्दशन्) ज ७१५६ सू बा१ चउजमलपय (चतुर्यमलपद) प १२१३२ चउद्दसपुचि (चतुर्दशपूर्विन्) ज २१७८ चउठाणवडित (चनु.स्थानपतित) प ५।१२,१४, चउद्दसम (चतुर्दश) सू १०७७,१३।८ १६,१८,२४,२८,३४,३५,३७,४१,४५,४६, चउद्दसी (चतुर्दशी) ज ७।१२५ ५०,५४,५६,५६,६३,६६,७१,७४,७८,८६, चउद्दिसि (चतुर्दिश्) ज ४।४,२०,११८,१२६, ५७,८६,६३,६४,६७,१०२,१०४,१०५,१०७, १४४,१४७,१५११२,२१६,२३५,२४६; १११,११२,११६,११६,१३१,१३४,१३६, ५१४०,६१ १३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८,१५०, चउनाणोवगय (चतुर्ज्ञानोपगत) ज ११५ १५१,१५४,१६६१६७,१६३,१७२,१७५, चउपएसिय (चतुःप्रदेशिक) प ५१५६,१०१६ १७८,१८२,१८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६३, चउपण्ण (चतु पञ्चाशत् ) ज २१७७ १६७,२००,२०३,२००,२११,२१४,२१८, चउपण्णग (चतु.पञ्चाशत्क) सू १३।१७ २२१,२२४,२२८,२३०,२३२,२३४,२३७, चउपुरिसपविभक्तगति (चतुःपुरुषप्रविभक्तगति) चउप्पएसिय (चःतुप्रदेशिक) ५११६० चउठाणवडिय (चतुःस्थानपतित) प ५७,२५, चउप्पगार (चतुःप्रकार) प ११॥३०॥२ चउप्पण्ण (चतुःपञ्चाशत् ) ज ४१२३४ चउणउत (चतुर्नवति) सु १६।१४,१५१ चउप्पदेस (चतुःप्रदेशिक) प १०११४।२ चउणउति (चतुर्नवति) सू ४।४ चउप्पय (चतुष्पद) प ११६१,६२,६६,४।१२२ से चउणउय (चतुर्नवति) ज ४।२४१ १३०,६।७१,७७;२११११ से १३,३५,४४, चउणवइ (चतुर्नवति) ज ४१८६ ५३,६० ज २११३१७१२३ से १२५ चउतीस (चतुत्रिशत् ) सु ११२० चउम्पाइया (चतुष्पादिका) प १७६ चउत्तीस (चतुत्रिंशत् ) सू ११२२ चउभाग (चतुर्भाग) ज ७१६० से १६५ सू चउत्य (चतुर्थ) प ३।२०,१८३,६१८०1१; १११६:१०११४२,१४७,१२।३०,१८१२७ से १०११४।४,५,६,११।३,४२,८८,१५।१४३; १७.१४८,३३॥१६,३६०८५,८७ ज ४।१८०, चउभंग (चतुर्भङ) प १६।१०:२६.६,६ २०२; ११०६,१५६,१६३ सू १०७०,७४, चउभंगि (चतुर्भङ्गिन्) प १०१६ ७७,१२७ ; ११५५,६,१२१५,१७,२७,१३१८, चउभाग (चतुर्भाग) प ४.१७७,१७६,१८०,१८२, १६ उ १०,१२,३११४,५४,७१,८३,८८, १८३,१८५,१८६,१८८,१८६,१६१,१६२, १५३,१५.४१६१,४।१,३,२४:५६१,२८,३६,४३ १६४,१६५,१६७१६८,२००,२०१,२०३ चउत्थभत्त (चतुर्थ भक्त) १२८।२५ ज २।५६,१५६ ७१८७,१८८ सू१।१६,२११,६१३; चउत्था (चतुर्थी) सू १२०२२ १०1४७,१२।३०।१३।४।१५।१७ से १६,२४। चउत्थाहिय (चतुर्थाहिक) ज २१४३ चउत्थी (चतुर्थी) १२५ ३ ११२६,२७. चउम्मुह (चतुर्मुख) ज ३११८५,२१२,२१३; १४०,१४१ ५।७२.७३ ३ १९८ २५ Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० चउरंगुल (चतुरङ्गुल) सू १०1६३; १६।२२ चउरंगुलकष्णाक (चतुरङ्गुलकर्णक) ज ३।१०६ चरं गुलजण्णूक (चतुरङ्गुलजानुक ) ज ३।१०६ चरंगुलमूसियखुर ( चतुरङ्गुलोच्छ्रितपुर ) ज ३११०६ चरंस (चतुरस्र ) प ११४ से ६,२१२० से २७, ३१ से ३५, ४११ ०११५, २६,२११६२ ज १।३१;२।१५;३।ε५, १५६,४।११४ चउरासोइ (चतुरशीति ) प २१४६ ज २२४ चउरासीति (चतुरशीति ) प २१२० ज २।७३ चरदिय (चतुरिन्द्रिय) प ११४,५१, २०१८ ३।६,४० से ४२,४७, ४६,१५० से १५२, १८३४१०१ से १०३, ५१३,८१,६।२०,६५, ७१,८३,१००, १०२, १०४, ११५; ६१४, १६, २२:११।४५; १२१३, ३०,१३।१७,१५।३४, ७५, ८२,८६,१३७,१६१६,१३:१७ २२,४०,६२, ८८,६६, १०३ १८११५,२३,२०१८,१६,२३, २५,२८,३३,४७,२११६,२८,४२,७६,८०, ८६, २२१३१,७३,२३२८८,१५१,१६४२८१४३, ४६,१०१,१२५, १३६,२६।१४, २१:३०।१२, १३,२२,२३:३११३, ३२१२, ३४, ३, ७, ३५।१३, २०,३६।६,३६ चरदियत्त (चतुरिन्द्रियत्व ) प १५६७,१४२ चउरेंदिय (चतुरिन्द्रिय) प ६ ८६; १६ ३ उत्तर ( चतुःसप्तति) ज ४२५५ चवीस ( चतुविशति ) प ६ । १ । १ ज २२६ सू ४१७ चवीस तम ( चतुर्विंशतितम) सू १२।१७ चवीस ( चतुर्विंशति) सू १८१६ व्हि (चतुर्विध ) प ११४,५२,६२,६८,७७, १०११३, १३०५।१२५; १३१३, ५, १४७, ६; १५/६६,७५,१६१६,२६,३१,५३,१७ १३; २०१६२,२१।७७,२३।१८, २८, ३७, ३९, ५४; २५४,५२६३,१२,३०१६,३५१४ ज २१५३, ६६,१६२,३।१६७३१०, २११,४६६,२५४, २५५५।५७ उव्वीस ( चतुर्विंशति) प ६ । १०२/१ चउरंगुल-चंद चउव्वीस (चतुर्विंशतितम) प १० | १४ | ३ चउसट्ठि (चतुःषष्टि ) प २३२ ज २१५२ चउसमय ( चतु:सामयिक ) प ३६१६७,६८ चहा (चतुर्धा ) प १६ १ चकमिय ( चंक्रम्य ) ज ७११७८ चंगेरी ( चंगेरी) ज ३।११,५१७, ५५ चंचल ( चञ्चल ) प २२४१, ५० ज ३१०६,१७८ ५।१८७।१७८ चंचलायमाण ( चंचलायमान ) ज ३१२४१३,३७१, ४५।१,१३१।३ चंचुच्चिय (दे० ) ज ३।१७८७ १७८ कुटिलगमन चंचुमलइय (दे० ) ज ५।२१ खंड ( चण्ड) २६०, १३१ चंडिक्य (दे० ) अत्यधिक कुपित ज ३।२६,३६, ४७,१०७,१०६,१३३ उ १।२२,१४० चंडी ( चण्डा ) प ११४८४ चंद (चन्द्र) प ११३३,२१२० से २७,४८, १५३, ४,२१,५५।३; १७ १२८२१।२३,८० ११२४:२/१५,६८,१३१,३३,२४४,३२/१, ३५,३७१२,४२,४५२,७६, ८५, ६५, १३१४, १५६, १८५, २०६४।१४२,२११:७/१,७२, ७५,७८ से ८२,८४,६८,१०५,१११, ११२२,१२६,१२७११,१२६,१३४१, ४, १६७१,१७०, १७७।१,१७८१,१८०,१८१, १८३ से १८५, २०७, २१२,२६२ सू १०२, ५,७५,१२२,१२७ से १२६१२,१३२,१३३, १३६,१३८ से १४२,१४८, १४९,१५२ से १६५,१७०,१७२, १७३ ११।१ से ६, १२३, १५,१७११,१६ से २८,३०,१३१,३ से १७: १४।३,७,१५।१,२,५,६,८ से १०,१४,१७ से २०,२६,२९,३२,३५; १८१४,१८,१६,२१ से २४,३७६ १६ १ १,५२,८,१११२, १५/२, १६,२१।३,६,१६१२२१४,७,१०,१५ से २५, २७,२८,३०;१९३१,३५,३८, २०१२,३,४,६ उ १६३३।२।१,३६,१४ से १८,२१,२५ Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंदचार चक्कट्ट चंदचार (चंद्रचार) सू १०।१२१,१२२ चंदण ( चन्दन ) प १ २०२४; ११३६१३, ११४६; २१३०,३१,४१ ज २७०,६५,६६,६६,१००: ३१६,१२,८२,८८, १३३,२०६, २११,२२१, २२२:५३१४ से १६,५५,५६,५८ चंदणकयचच्चाय (चन्दनकृत चर्चा ) ज ३।२०६ चंदणys ( चन्दनपुट) ज ४।१०७ चंदा ( चन्दना) उ ३।१७१ चंदद्दह ( चन्द्रद्रह ) ज ४।१४२।३,२६२ चंदवण्णत्ति ( चन्द्रप्रज्ञप्ति) ज ७।१०२ चंदव्य ( चन्द्रपर्वत) ज ४२२२ चंदप्पभ ( चन्द्रप्रभ ) प ११२० ४ ज २ १३; ३१२,८८५५८ चंदप्पा (चंद्रप्रभा ) प १७।१३४ ज ७।१८३ सू १८/२१:२०६ चंदमंडल ( चन्द्रमण्डल) ज ३१५, ११७,१५६, १७८७६१ से ७३,७६,७८, ६७,१७७ सू १०१७६,७७ चंदमग्ग (चन्द्रमार्ग) चं ५१२ सू १।६।२; १०/७५ चंदमस (चन्द्रमम्) चं २१४ ; सू १।६।४; १३।१,१७ चंदमा (चन्द्र) ११६; १३।१,१७ चंदमात ( चन्द्रमास ) सू १२।१० से १२ चंदलेस्सा (चन्द्रा ) सू १६/१,२ चंदवडिस (चन्द्रावतंसक ) सू १८१२२,२३ उ ३६, १४ चंदविमाण ( चन्द्रविमान ) प ४ १७७ से १८२; ६१८५ ज ७११७३,१७४, १७६ से १७८१८८ सू १८१,८,९,१४,२७,२८ चंदसंवच्छर (चन्द्र पंवत्सर) ज ७ १०६, १०७ सू १०।१२७११।२ से ६,१२।१,३,१० से १३ चंदा (चन्द्राभ) ज २१५.६,६२ चंद्रायण ( चन्द्रायण) सू १३।१०,१३ ६०१ चंदिम ( चन्द्रमम् ) प २०४८ से ५१,६३ ज ७१५.५, ५८,१६८, १८०, १८१,१६७ सू ३१; ६ १ ; १५ ११७११ ; १८१२,३,१८,१६,३७; १६ १, २६, २०११,७ उ २११२६५१४१ चंदमसूरियसंठिति ( चन्द्रमर सूर्यमस्थिति ) सु४१,२ चंदिमा (चन्द्रिका) ज ७।१०२ चंदोतारायण (चन्द्रावताराचन) उ ३।१५७ चंप (चम्पक) प १७ २७ चंपकवण (चम्पकवन ) ज ४।११६ चंपग (चम्पक) ज २११०३।१२,८८१२३, ६१ चंपगजाति (चम्पकजाति) प ११३८ । ३ चंपकवडेय (चम्पकावतंसक) २३५०, ५२ चंपछल्ली (चम्पक छल्ली ) प १७ १२७ चंपभेद (चम्पकभेद ) प १७।१२७ चंपकुसुम (चम्पक कुसुम ) प १७ १२७ चंपलता (चम्पकलता ) प १।३६।१ चंपा (चम्पा ) प १९३१; १७ १२७ उ ११६,१०, १२,१६,६३,९५, ६७, ६८, १०५, १०६, ११०, ११६,१२२, १२५,१४४,१४५ २०४, ५, १६, १७ चंपापुर (चम्पकपुट) ज ४१ : ०७ चक्क ( चक्र ) ज २११५,३३,३५,६५,१५६, १६७ ११,१२ सू ३२ चक्रुद्धचक्कवालसंठित ( चक्रार्धचक्रवालसंस्थित ) सू १/२५,४२ चक्कपुरा ( चक्रपुरा ) ज ४१२१२,२१२१४ चक्करयण ( चक्ररत्न) ज ३१४ से ६, ६, १२, १४, १५,१८,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२, ६०,६१,६८,६६,६३,६६,१०६,१३०,१३१, १३६,१३७, १४०,१४१, १४६, १५०, १६३, १७२,१७३,१७५,१७८, १८०,२२० चक्करयणत्त (चक्ररत्नत्व) प २०१६० चक्कट्टि (चक्रवर्तिन् ) प ११७४,६१,६३२६ ज २१८,६३,१२५; १५३, ३१२,३,२६,३६, Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ चक्कट्टित्त-चर ४७,५६,७६,६५,११५.११६,१२४,१३३, चक्षुहर (चक्षुहर) ज ३१२११:५१५८ १३५॥१,१३६,१३८,१४५,१५६,१६७।५,१४; चच्चपुड (चर्चपुट) ज ३३१०६ ४।६४,१६२,२७७,५।२१,५८,७११६६,२०० चच्चय (पर्चक) ज ३१८८ चक्कवट्टित्त (चक्रवर्तित्व) १२०१५०,५२ चच्चर (चत्वर) ज २१६५,३३१८५,२१२,२१३; चक्कट्टिवंस (चक्रवर्तिवंश) ज २२१२४,१५२ ५७२,७३ उ १६८ चक्कट्टिविजय (चक्रातिविजय) ज ४।१६६, चच्चा (दे०) ज ५१५६ २६२,५१,५८,६११४,१६ चच्चिय (चचित) ज ३१२११ चक्कयाग (चक्रवाक) उ ५५ चडकर (दे०) ज १६५ चकवाय (चक्रात) ज २१२ चड़गर (दे०) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ चक्कवाल (चक्रवाल) ज ११६५,४१२३४,२४०, चणग (चणक) ज ३१११६ २४१ सू १६४,७,१४,१८,३०,३४,३७ चत्ताल (चत्वारिंशत् ) ज ४।५५ सू१।२१ उ ३११२,१४१,४.१२,१३ चत्तालीस (चत्वारिंशत् ) प २३६ ज ५।४६ चक्काग (चक्रवाक) प ११४८१३८,१७६ सू १०।१५७ चक्कि (चक्रिन्) प ११६३१६,२०१११ चमर (चमर) प ११६४, २१३१,३२,४०१६ चक्किय (चक्रिक) ज २६४ ज ११३७,२१३५,१०१,११३,११६,३११८५, चक्किया (शक्नुयात् ) ज ३१८५ २०६।४।२७; ५।२८,५० चविखदिय (चक्षुरिन्द्रि) प १५॥१,३,८,१३,१६, चमरचंचा (चमरचञ्चा ) ज ४।१६५,२१०२५२५० ३४,४१,५८,६४,७०,२८।४६,७१ उ ३३३ चमरोगंड (चमरगण्ड) ज ३।१७८ चविखदियत्त (चक्षुरिन्द्रित्व) ५३४२० चम्म (चर्मन् ) ज ५।३२ चक्खिदियपरिणाम (चक्षुरिन्द्रियपरिणाम) चम्मपक्खि (चर्मपक्षिन् ) प ७७,७८ प १३४ चम्मरयण (चर्मरल) ज ३१७८ से ८१,११६, चक्खु (चक्षुप) ज २५,४६ ११७,१२१,१५१,१७८,२२० चक्खुदंसण (चक्षुर्दर्शन) प ५१५,७,२१,४५,८१, चम्नरयणत (चर्मरत्नत्व) प२०६० ६३,६७,२६४३,७,१४,१७,१६,२१,३०१३,७, चम्मेछग (चर्मेप्टक) ज चय (चय, च्यव) प २०१४६ ३ ३।१८,१२५,१५२; ४।२६,२८,५१३०,४३ चक्खदंसबाबरण (चक्षुर्दशनाबरण) १२३६१४ चय (श.) चाइ प २१६४।१७ चक्खुदंसणावरणिज्ज (चक्षुर्दर्शनावरणीय) चय (च्यव) चयंति प६.१११६।२६,१७१६६ प२३३२८ सू १७१ चयति सू १६।२४ चक्खुदंसणि (चक्षुर्द शिन्) ५ ३११०४ चयंत (त्यजत् ) प २०६४१५ चक्खुदय (चक्षुर्द) ज ५१२१ चयण (च्यवन) प ६.४६,५६,६६, १७६१,१०५ चक्लुप्फास (चक्षुःस्पर्श) ज २० से २५,७६,८१ चं २१५ सू ११६।५ : १७६१ धक्खुफास (चक्षुःस्परां) सू २।३ चयोवचय (चयापचय) सू१।१४ चक्खूभूय (चक्षुर्भूत) उ ३।११ चर (चर) चरइ ज ७१०,१३,१६,१६ से ३०, चक्खुन (चक्षुष्मत् ) ज २५६,६१ २५,६६,७२,७५.७८ से ८२,८४,६५,६६,६८ चक्खुल्लोयणलेत (चक्षुर्लोकनलेश) ज ४।२७; ५।२८ से १००,१७१,१७३,१७५ सू १।११ चरंति Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पर-वामरत्व १७५२४८ ३९५ १२५७११ चं ३१ सू १७११:१९ १,१११२,१५४२,२११३.६ चरति १३, १६।२२४२१७ परिति सू ११० चरि ज ३९५७१ चरिस्सति ज ३१६५७१ १६१ १६१ वरेति सू १६१११ चर (घर) ज ७।१२४, १२५ चरण (चरक) प २०१६१ ज ३०१०१ चरण (चरण) ज ३२२.१२० चरम ( चरम ) सू ७११:१० १५६ २०१३ चरमाण (चरत्) ११२, १७:३४२९,९९,१३२, १४६, १५२, ४।११:५।३६ चरित (चरित्र) १०१०१।१० ज २०७१ चरितधम्म ( चरित्रधर्म ) प ११०१।१२ चरितपरिणाम ( चरित्रपरिणाम ) प १३२,१२, १४,१८,१९ चरितमोहणिज्ज (चरित्रमोहनीय ) प २३१३२,३४ बरिताचरिति (चरित्राचरिजिन् ) प १३१४,१८, १६ चरितारिय (चरित्रार्थ ) प १२, १११ से १२६ चरिति (चरित्र) प १३।१४,१८,१६ चरिम (चरम ) प १११०४,१०३,१०६, १०७,१०६, ११०,११३,११४,११६,१११,१२०,१२२,१२३ २०६४।५ ३।१।२२।१२२१०१२ से १३, २१ से २४,२६ से २६, ३१ से ५३; १५:४३:१८१११२,१६११२६६२३।१९३ ३६।७९ ज ४११४३, ७ । १५६ से १६७ सू ५११ ; १०१६२ से ७४, १३०, १४२, १४३, १४७ से १५१,१५६,१६१: ११:५६:१२।२४ से २८, ३०.१३/१४ ५४३ चरिमंत (चरमान्त ) प २२६४,१०१२ से ५,२१, २६, २७ से २६, १६।३४; २१।२०३३।१६, १७ ज ४ ११०, १४१, २०६,२००,२५२ चरिमभव (चरमभव ) प २२६४|४ चरु (च) ३०५१,६४ चल (बल) ज ३।१७८ ७१७८ चल (चल) चल ज २२१२:२०५५,६४,७२, १४४५ | २० चलति ज ३।२,१११, ११२;५।२,७ चलंत ( चलत् ) ज ३।३१,७११७८ चलचल (चपल ) प २०४१ चलण (चरण) ज २२१४, १५:३।३४,१०९७८१७८ चलनीबहुल (चलनी' बहुल) ज २१३२ चलिय ( चलित) ज २१८६, ६०, ६३ : ३१५६,११३, १४५५३,२१,२८ चवल (चपल ) ज २२६०,३१६,२६,३५,३६,४७, ५६,६४,७२,१०८, ११३, १३८, १४५, १७८; ५१५,२१,२६,४४,४७,६७३७११७८ ६०३ चलायंत (चपलायमान) ज २९१५ चविया ( चव्य ) प १७ १३१ चाउरघंट (चतुर्घण्ट ) ज ३।२१,२२, ३४ से ३६ उ ५३८ चाट (तुष्ट) १।११० चाउरंगिणी (चतुरङ्गिणी) ज ३१५,२१,३१,३४, ७८,६१,१७३, १७५,१६६ उ १११२३ १२७, १२८,५३१८ चाउरंत (चतुरन्त ) ज २१८३२,२६,३६,४७, ५६, ११५,१२४, १२३, १३८१४५५१२१,५० बाउस्सालय (चतुःशालक) ज ५|१३ चाउस्सालय (चतुःशालक ) ज ५३१३,१४ चाटुकार (चाटुकारक) ज ३०७८ चामर ( चामर ) प ११।२५ ज २२१५; ३६, १८, २४,३१,३५,६३,१०६,१७८, १८०,२२२: ४।२६,३०५।११, ४३,४६, ५५,५७,६०,६६, ७१७८ चामरगाह (चामरग्राह) ज ३२१७८ चामरच्छाय (चामरच्छायन) ज ७११३२/३ चामरच्छायण (नामरच्छावन ) सू १०।११३ चामरहत्यगय (हस्तगतचामर) ज ३।११ १ चलनप्रमाण कर्वमः चलनीत्युच्यते Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०४ चामीकर-चित्त चामीकर (चामीकर) ज ३११ चार (चार) प २१४८,१६:५५ ज ७११,१०,१३, १६, १६ से ३१, ३५, ६६,७२,७५,७८ से ८२,८४,६५,६६,९८ से १००,१७१,१७३ से १७५ सू श६,११,१४,१६,१७,१६ से २४, २७:२२२,३,३१२:४।४,७,६६।१६।२ १०।१२१,१२२,१३।५ से १०,१२,१३,१७; १५१२ से ४,१८१,५,७,१६.१,५,८,११,१५, १६,२१,१६३२२१२,१३,२२,१६।२३ चारगसाला (चारकशाला) उ १८८,६१ चारद्विइय (चारस्थितिक) ज ७५५,५८ चारद्वितिय (चारस्थितिक) सू १९३२३,२६ चारण (चारण) प १९१ चारि (चारिन् ) प २०४८ चारिय (चारिक) प १७६३१ चारियत्व (चारयितव्य) प १७:३१,६७ चार (चारु) प २।४१,५० ज २११४,१५,३११०६, ११६,१३८,५१८ चारुभासि (चारुभासिन् ) ज ३७७,१०६ चारेयव्व (चारयितव्य) प २१।१०२; २२१७० चारोवग (चारोपण) सू १६॥२२२२१ चारोववष्णग (चारोपपन्नक) ज ७१५५,५८ सू १६१२३,३६ चाव (चाप) ज २।१५,३।३१,१७८ चावग्गाह (चापग्राह) ज ३।१७८ चाववंस (दे०) प ११४१२२ चास (चाष) प ११७६१७४१२४ चासपिच्छ (चाषपिच्छ) प १७।१२४ चि (चि) चिज्जति १२११९५,९६ चिउर (चिकुर) प १७११२७ चिउरराग (चिकुरराग) प १७१२७ चिचाराम (चिञ्चाराम) उ ३।४८,५५ चित (चित्) चितेमि प ११११ चितय (चिन्तक) उ ११३१ चिता (चिन्ता) ज ३१०५ उ २।११ चितिय (चिन्तित) ज ३१२६,३६,४७,५६,८७, १२२,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५:३३२६,४८,५०, ५५,९८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ चितेमाण (चिन्तयत्) ज ३११८८ चिध (चिह्न) प २१३०,३१,४१,४८,४६ ज' ३३२४,३१,७७,१०७ से १११,११७,१२४, १७८ उ १।१२,१४० चिक्खिल्ल (दे०) प १२० से २७ चिट्ठ (स्था) चिट्टइ उ १।४७ चिट्ठई ज ११६, ४०,४७,३१५४,६३,७२,१३७,१४३,१६७, २२२,४११४०,१६८,२३४,२४०,२४१,५१६७, ६८ चिट्ठति प० २१६४;२।६४१२०१५।४३, ४५,२८.१०५:३४।१६,२२ से २४,३६,७६, ८१,६३,६४।१ ज १११३,३०,२१७ से ६,१३, ६० से ६२, ३।१११,११३;४१२,१२६,१३७; ५१५,७ से १२,३८,५७,६०,६७७।१८५,२१३ सू १८१२३ उ ३.४६ चिट्ठति प १५२५१,५२ सू १६२ चिट्ठह ।।११३ चिट्ठामि उ १.११७ चिट्ठाहि उ १।११५ चिट्ठज्ज प ३६१६१ चिठ्ठित (स्थित) सु २०१७ चिठ्ठिय (चेष्टित) ज २।१५, ३११३८ चिडग (चटक) प १७९ चिणण (चयन) प २१११११ *चिण (चि) चिण १४॥१८१ चिति प१४५१२ पिणियु, १४१११ चिणिस्संति प १४।१३ चिण्ण (चीर्ण) चं ३।१ सू १७,१८,१६,१३३१२, १४ से १७ उ ३३४८,५.०,५५ चित्त (चित्त) २८१ ज ६५,६,८,१५,१६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६.७०,७७,८४,६१,१००,१०६, ११४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५,१७३, १८१,१६६,२०८,२१३,५१५,१५.१८,२१, २६,२७,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,३१, Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्त-चुलसीइ ४२,१०८, ३११३६,५१२० चिलाइ (किराती) ज ३१११११ चित्त (चित्र) प १२१२३२१३०,३१,४१,४८,५० चिलाइया (किरातिका) ज ३१८७ ज ३१२४१३,३७१,४५३१,७६,११६,१२४, चिलाय (किरात) ज ३११०३ से १०५,१०७, १३१॥३,१४५,१७८,७११७८ ११५,१२५ से १२७ चित्त (चैत्र) सू १०.१२४ चिलायविसयवासि (किरातविषयवासिन) चित्तंतरलेस (चित्रान्तरलेश्य) ज ७/५८ सू १६२६ प१८६ चित्तंतरलेस्साग (चित्रान्तरलेश्याक) चिल्लम (दे०) प २१४१ सू १६२२३० चिल्लल (दे०) प १३८६; २।४,१३,१६ से १९,२८ चित्तकणगा (चित्रकनका) ज ५३१२ चिल्ललग (दे०) प ११॥२२ चित्तकूड (चित्रकूट) ज ४११६६,१६६,१७२,१७३, चिल्ललय (दे०) प ११।२१,२४ १७६,१७८ से १८१,१८५,१६१,१६७,२००, चिल्ललिया (दे०) प १११२३ २०६,२०७,६६१० चिल्लाय (किरात) प १८६ चित्तग (चित्रक) प ११६६ चिल्लियतल (दे०) सू २०७ देदीप्यमान तल चित्तगुत्ता (चित्रगुप्ता) ज ५।६।१ चीण (चीन) १८६ चित्तपक्ख (चित्रपक्ष) प ११५१ चीणपिठरासि (चीनषिष्ट राशि) ५१७११२६ चित्तगहुल (चित्रकबहुल) ज २।६४ चीवरघारि (चीवरधारिन् ) ज श६६ चित्तय (चित्रक) प ११।२१ चुचुण (चुञ्चुण) प १।६४।१ चित्तलंगमंग (चित्रलाङ्गाङ्ग) ज २११३३ चुचुय (चुञ्चुक) प ८६ चित्तलग (चित्रलक) प ११६६ ज २११३६ चुच्चु (दे०) प १३७।२ चित्तलि (चित्रल,चित्रलिन् ) प १७१ चुण्ण (चूर्ण) प ११४८।३८ ज २१६५, ३।११,१२, चित्तविचितकूड (चित्रविचित्रकूट) ज ४१६४ ८८ सू २०१७ चित्ता (चित्रा) ज ५१२,७४१२८,१२६,१३६, चुण्णग (चूर्णक) उ ३।११४ १४०,१४६,१६४,१६५ सू१०१२ से ६,१६, चुण्णवास (चूर्णवास) ज ५१५७ २३,४७,६२,७१,७२,७५,८३,११२,१२०, चुण्णविहि (चूर्गविधि) ज ५१५७ १३१ से १३३,१५४,१२१३० चुण्णिया (चूणिका) प १११७६ ज ७।२१,२५,६५, चित्तामूलय (चित्तामूलक) प १७६१३१ ६८,६६,७१,७२,७४ सू २।३,१०११५२ से चितार (चित्रकार) प १९९७ १६०,१६२,१६३,१११२ से ६,१२१७,८,१६ चित्तिया (चित्रिका) प १११२३ से २८ चिय (चित) प २३।१३ से २३ ज ३१२१७ चष्णियाभाग (चणिकाभाग) ज ७.२१,६६,७४,७५ चिय (एक) सू १०।१३६ चणियाभाय (चूर्णिकाभाग) ज ७२५,६५,६८, चियगा (चितका) ज २।९५,९६,१०३,१०४,११४ ७१,७२,७५,७७,७८ चियत्तदेह (क्तदेह) ज २१६७ चुणियाभेद (चूपिकाभेद) प १११७६,७६ चिर (चिरम् ) ज ३।१२६६१,२ चण्णियामेय (चूणिकाभेद) प १११७३,७६ चिरंजीव (चिरंजीव) ज ३।१२६ चुय (च्युत) ज २१८५७१५६,५६ चिराईय (चिरातीत) चं ७ उ ५७ चुलसीइ (चतुरशीति) १२१३४ ज २०७४ च ४।२ Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६ चुलसीति ( चतुरशीति ) प २१४० १ सू २३ चुलसीय (चतुरशीति) सू १।१२ चेडरूव (चेटरूप) उ ३।११४ चेडिया ( चेटिका ) उ ३।१४१ चुल्लमाया ( क्षुल्लमातृका ) उ१।१२,४३,४४, चेडी (चेटी) ३ ११५४,५५,७६,८०,४११२,१३ चेतियखंभ ( चैत्यस्तम्भ ) सू १८३ १४५, २१५, १७ चुल्लहिमवंत ( क्षुल्ल हिभवत् ) प १६।३० ज ११४८; चेत्त (चैत्र) ज ७ १०४३६४० चेती ( चैत्री) ज ७|१३७,१४०,१४६,१५५ सू १०७,१६,२३,३६ ४।४८ चुल्लहिमवंतकूड (चुल्लहिमवत्कूट) ज ४१४४,४५, ४८,५१,५२, ७६, ६६,२२६ चुल्लहिमवंतगिरिकुमार ( क्षुल्ल हिमवगिरिकुमार ) ज ३ १३१ से १३४, १३६,४५२ चूचुय (चूचुक ( ज २।१५ चूडामणि (चूडामणि ) प २।३० ३१ ज ३१३६, २११ चूतलता ( चूतलता ) प ११३६६१ चूयमंजरी ( चूतमञ्जरी) ज ३११२,८८ ५५८ चूयवण ( चूतवन) ज ४। ११६ चूयवडेंस ( चूतावतंसक ) प २५०,५२ चूलासोइ ( चतुरशीति ) सू ११८/२ चूलियंग ( चूलिकाङ्ग) ज २१४ चूलिय ( चूलिक) ज २१४; ४।२४२ चेइय ( चैत्य ) ज १३:२।३१,६७,७१२२४ चं ७,६ सू ११२, ४, १८/२३ उ १११.२,६,१७,१६, १४४; २।४, १६ : ३१४, ६, २१, २४,२६,४६,६६, ६५,१५५,१५७,१६८, १७१,४४,६,१३,१८, २८,५/३६ चेइमखंभ (चैत्यस्तम्भ ) जे २।१२०, ४। १३३; ७१८५ चेयभ (चैत्यस्तूप) ज २२११४,११५ चेइरुक्ख (चैत्य रूक्ष, चैत्यवृक्ष ) ज ४ १२६, १२७ चेट्ठा ( चेष्टा ) ज २१३३ चेड (चेट) ज ३६,७७,२२२ चेडग (चेटक ) उ ११२२,१०७,१११, ११५,११६, ११६,१२८, १३७, १४० चेड (चेटक ) उ ११२२,२५,२६,१०५ से १०७, १०६,११०,११३,११४,११६ से ११६,१२७, १२ से १३४,१४० चुलसीति चोरग चेदि (चेदि ) प १३६३४ v चेय ( त्यज्) एइ उ० ४।२१ चेएसि उ ४।२२ चेलपेला (पेटा) उ ३११२८ चेल्लणा ( चलना) उ १११०,३२ से ४१, ४३, ४४, ४६,४८ से ५५,५७,५८,७० से ७४,८८, ६५, १०६, ११०, ११३, ११४ वेव (चैव ) प ११११७ चोsयम (चोदितमति) ज ३४१३८ चोक्ख ( चोक्ष) ज ३८२,१०६३।५१,५६ चौताल ( चत्वारिंशत् ) सू १२ १२:१६ । १५१२ चोत्तालीस ( चत्वारिंशत् ) सू १०।१३६ चोत्तीस ( चतु: त्रिशत् ) प २३६ ज ४।११० सू १।२२ चोट्स ( चतुर्दशन् ) प २२६६ ज १४८ सू ३|१,१०१६३ चोपुयि (चतुर्दशपूवि) ज ११५ चोदम ( चतुर्दश) ज सरणीसर ( चतुर्दशरत्नेश्वर ) ज ३११२६३ चोसहि ( चतुर्दशविध ) प २३१६,२० चोपाल (दे० ) ज ४,१३७ आयुधशाला चोप्पालंग (दे०) ज २१२० वरण्ड चोय (दे०) ज ३१११।३ चोयड ( 'चोय' पुट) ज ४११०७ चोयाल (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २१४०३३ ज ७७६ सू १।१८ चोयालीस (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २३५ ज ७८ चोयासव (चोयासव ) प १७ । १३४ चोर (चोर) प १७/१३२ ३०१२८ चोरग (चोर) प ११४४१३ असबरक, एक बढ़िया Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवटि-छप्पण्ण घास जो रेशम रंगने के काम आता है २१६,२२१,२२२,२२४,२२५,२२८,२३०, चोवछि (चतुष्षष्टि) प२३१ २३२,२३४,२३७,२३६,२४२ से २४४ चोवत्तर (चतुस्सप्तति) ज ७८० छट्ठाणवडिय (षट् स्थानपतित) प ५१५.७।११५, चोवीस (चतुर्विशति) ज ७१०६ चोसट्ठि (चतुष्पष्टि) ज २।६४ छठ्ठी (षष्ठी) प २१२७१२ ज ७।१२५ छण्ण (छन्न) ज ३।३ छण्णउइ (षण्णवति) प २।४०।१,१२।३२ ज २।६; छ (षष् ) प १४६४.१ ज १११८ च ३३३ सू १७ ३.१७८ उ ५२५ छउमस्थ (छामस्थ) ५ १११०१।४,१११०४ से १०७, छण्णउत (षण्णवति) सू १६२१ छण्णउति (षष्णवति) सू २१३ ११७ से १२०,१२६; ३३१८३:१५।४४,४५; छण्णउय (षण्णवति) सू १६।११३२११७ १८।६४,९५,६७,६८,३६१८०,८१ छत्त (छत्र) ५ २६४८,६४,१११२५ ज २११५,२०, छउमत्थपरियाय (छद्मस्थपर्याय) ज २१८५ छक्कग (षट्क) ज ७१३१११ ३.३,६,१८,३१,३५,७७,७८,९३,१७८,१८०, छवखुत्तो (षट कृत्वस्) सू १२११० २२२,५।४३,५५,५७ सू १२।२६ उ १।१६; ४।१३,१८ छगल (छगल) प २१४६ छज्ज (राज्') छज्जइ ज ३१२४१४,३७४२,४५।२, छत्तहत्थगय (हस्तगतछत्र) ज ३।११ छत्तछाया (छत्रछाया) प १६।४७ १३१॥४ छठ्ठ (षष्ठ) प ३३१८,१८३,६१८०।२,१०।१४।४ छत्तरयण (छत्ररत्न) ज ३।११७।१,११८,११६, से ६,१२।३२; १७९६५ ; ३३।१६, ३६८५,८७ १२१,१७९,२२० ज २६५,८५७६७,११७१ सू १०७७, छत्तरयगत्त (छत्र रत्नत्व) प २०१६० १३।८ उ २।१०,२२, ३,१४,५०,५५,८३,१५० छत्तल (पट्तल) ज ३१६३,१३५,१५८ १६१.१६७,१७०।४।२४।५।२८,३६,४३ छत्ताइच्छत्त (छत्रातिच्छत्र) ज ४।३०,४६,५१४३ छट्टक्खमण (षष्टक्षपण) उ३१५० से ५४ छतागारसंठित (छत्राकारसंस्थित) सू ११२५,४।२ छट्ठभत्त (षष्ठभक्त) प २८१४७ ज २१५२,१६१ ।। छत्तातिच्छत्त (छत्रातिच्छत्र) सू १२।२६,३० छठाणवडित (षट्थानपतित) प ५१५,७,१०,१२ छत्ताय (छत्राक) प ११४७ कुकुरमुत्ता, धनिया, १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, सोया, जाल बवूर का वृक्ष ३७,३८,४१,४२,४५,४६,४६,५३,५६,५६, छत्तार (छत्रकार) प १९६७ ६०,६३,६४,६८,७१,७४,७५,७८,७६,८३, छत्तालीस (षट्चत्वारिंशत्) सू १२।२५ ८४,८६,८६,६०,६३,६४,६७,१०१,१०२, छत्तीस (पत्रिंशत्) १ २१४०।४ ज ३१३ १०४,१०५,१०७,१०८,१११,११२,११६,१२६, सू १०.१६६ १३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७, छत्तोह (छत्रौघ) प ११३६।३ १५०,१५१,१५४,१६३,१६६,१६६,१७२, छप्पएसिय (षट् प्रदेशिक) प १०।११ १७४१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६१, छप्पण्ण (षट्पञ्चाशत् ) प ११८४ ज ४१८६ १६३,१६४,१६७,१६८,२००,२०१,२०३,२०४, २०७,२०८,२११,२१२,२१४,२१५,२१८, छप्पण्ण (दे० षट्प्राज्ञक) ज २११६ Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छप्पय-छत्तुं छप्पय (षट्पद) ज २०१२ १०१६३ से ७४:१६।५.६ छन्भंग (षट्भङ्ग) प २८६११६,१२३,१२५,१३३, छायागति (छायागति) प १६१३८,४७ १३६,१४३ से १४५ छायाणुमाणप्पमाण (छायानुमानप्रमाण) सू ६.३ छम्भाग (पभाग) प २१६४ ज १११८६३२।१।। छायाणुवादिणी (छायानुवादिनी) सू ६।४ छमास (पण्मास) सू १:१६ | छायाणुवायगति (छायानुपातमति) ५ १६:३८,४८ छम्मास (पण्मास) ज २१४६७।२३,२५,२८,३०, छायाल (पट्चत्वारिंशत् ) ५ २।४०।४ ज ४।८६ ५७,६० सू १११३,१४,१७,२१,२४,२७,२।३; छायालीस (पट चत्वारिंशत् ) सू१४१७ ६.१,१६।२५,२७ छायाविकंप (छायाविकम्प) सू ६।४ छम्मासावसेसाउय (छामासावशेषायुष्क) छारियभूय (क्षारिक भूत) ज २११३२,१४१ प६११४ छावट्ठ (षट्पष्टि) ज७।२७ छल (षष्) ज ७२०१ सू १२।१२ छावठ्ठि (पटपष्टि) प १८७६ ज १२० छलस (षडस्र) ज ३१६२,११६ सू १।११,१२१३ छलसीय (षडशीति) ज ४।४५७।३१ सू ४।४; छावत्तर (षट्सप्तति) ज ७१ सू१६।११,१११३ १५।२६ छावत्तरि (षट् सप्तति) प २१४०।२।। छल्ली (छल्ली) प ११४८१३० से ३७,६३ छिद (छिद) छिदति ज ५१५७ किमि उ १८८ छवि (छवि) ज २११६,३६,४१,१३३, ३११०६ छिज्ज (छेद्य) 3 ३१११४ छविच्छेय (छविच्छेद) ज २१३६,४१ छिण्ण (छिन्न) ज २१८८,८६३१२२५ छविधर (छविधर) ज ७१७८ छिण्णरहा (छिन्नरुहा) १११४८।३ गुडुची छविहर (छविधर) ज ७१७८ छिद्द (छिद्र) प २११० उ१६५,६६,१०५ छविध (षड्विध) प ६१११८ छिपणलेसा (छिन्नलेश्या) सू ६१ छविय (दे०) प ११६७ कट आदि बनाने वाला छिन्नसोय (छिन्नस्रोतस, छन्नशोक) ज २१६८ छविह (षडविध) प ११६१,६४,६५,६११६ छिप्पतूर (क्षिप्रतूर्य) उ ११३८ १३।६,१५१३५,७०,२११२६,३१,३२,३४,३६, छिया (दे०) ज २०६७ २२।८३,८४,८६;२३१४५,४६; २४।२,४,८, छोइत्ता (क्षुत्वा) ज२४६ १० से १२;२६१२,४,६,८ से १०:२६१६; छोरविरालिया (क्षीर विडालिका) प १७६ ३०।२ ज २।२,३,५०,५८,१२३,१२८,१४८, छोरविराली (क्षीरविदारी) प १४०१४; १५१,१५७,१६४,४।१०१,१७१ ११४८।२ सफेद और अधिक दूध वाली छब्बीस (पविशति) ५२।२३ ज ७।१०८ विदारी सू श२१ छाउद्देस (छायोद्देश) सू ६।२ छुरघरगसंठिय (क्षुरगृहकसं स्थित) सू १०३६ छाउमत्थिय (छाद्मस्थिक) प ३६।५३ से ५६,५८ छुरघरय (क्षुरगृहक) ज ७३१३३११ छाणविच्छ्य (छगणवृश्चिक) प ११५१ छुहा (क्षुधा) प २१६४।१६ छायच्छाय (छायाछाया) सू ६४ छेइत्ता (छित्त्वा) उ ३।१५०५१२८,४१ छाया (छाया) प२।३०,३१,४१,४६१६१४८ छेज्ज (छेद्य) ज ३१३२ ज ११८,२३,३१,२।१६,२०,१४६ ; ३१३,११७।१ छेत्ता (छित्त्वा) ज ७२२ सू १।१६ १२७,५।३२७।१५६ से १६७।१ सू ६१४; छेत्तुं (छेत्तुम् ) ज २१६११ Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छेद-जभग १०६ छेद (छिद् ) छेदेइ उ ३।८३ छेदेहिइ उ ५।४३ छेदित्ता (छित्वा) उ २०१२;३।१४ छेदेत्ता (छित्त्वा) उ ३१८३ । छेदोवठावणिय (छेदोपस्थापनीय) प१।१२४, १२६ छेदोवठावणियचरिस्परिणाम (दोपस्थानीय चरित्रपरिणाम) प १३११२ छेय (छेद) ज २३६,४१,६०,३११७८,५१५ छेय (छिद्) छेएइ उ ५१३६ छयणगदाइ (छेदनकदायिन्) प १२।३२ छेरमाण (रिच्यमान) उ ३।१३० छेलिय (दे०) ज ३।३१ छेवट (सेवार्त) ५२३१४५,९६,१०५,१०७.१०६, छोड़े (क्षिप्त्वा ) सू ६३ ज (यत्) प १४ ज १२६ सू ११४ उ ११२,३३१; ५।३६ जइ (यदा) प १२ जइ (यदि) प २६४।१६ सू १११३ उ १६; २।१,३३१,४:१;५१ जइ (यत्र) प२३.१६० जइण (जविन्) ज २।१०३।२,३५,३६,४७,६४, ७२,१०६,११३,१३८,१४५,५१५,२८,४४,४७, ६७७१७८ जइया (यावत् ) ज ७।१३१ जंगम (जङ्गम) ज ३।१०६ जंगल (जग) प ११६३।२ जंघा (जङ्घा) २११५ उ ३१११४ जंत (यंत्र) १२१३०,३१,८१ ज ३१३२,७६,१०६, ११६,१७८,४१२:७,५।२८ जंतु (जन्तु) ज २१४।१ जंपमाण (जल्पत्) ज ३१८१ जंबु (जन्तु, जम्बू) प १।३३।१।१३१ उ १३ से १. हे० ४।१४३ क्षिप्-छुह ५,७,९,१४२,१४४,२।२,४,१४,१६,२१,३१२, ४,१६,२१,२२,२४,८७,८६,१५३,१५५,१६६, १६८,१७०,४।२,४,२७,५२,४,४४ जंबुद्दीव (जम्बूद्वीप) प २३२,३३,३५,३६,४३,५०, ५१,१५१५४,५५१,१६।३०,३६।८१ ज १७, १५,१६,१७।१,१८,२०,२३,३४,३५,४६,४८, ५१,२।१,७,१६,५२,५६,६०,१६१,१६४,३३२६, ३६,४७,५६,११३,१३३,१३८,१४५,४।१,६, ५२,५५,६२,८१,८६,६८,११४,१५६,१६०, १६५,१६७,१६६,१७२ से १७४,१७८,१८१, १८२,२०१ से २०३,२०६,२१३,२६२,२६५, २६८,२७१,२१७४,२७७,२३,२२,२६,६३१,५,७ से २६;७१,४,८ से १४,३१,३३,३६ से ३६, ५२,५४,६२६३,६७ से ७२,८६,८७,६१,६२, १०१,१०२,१७५,१८२,१९८ से २०८,२१० से २१३ सू १११४,१६,१७,१६,२१,२२,२४, २७:२।१,३,३११,२,४।३,४,७,१०,६।१८११; १०।१३२,१४२,१४७,१२१३०,१८७,२०, १६।१,२,१६।२२।२३ उ ११९३७,६१,१२५, १५७:५।२४,४३ जंबुद्दीवपण्णत्ति (जम्बूद्वीपज्ञप्ति) ज ७।१०१,१०२, २१४ सू ३११ जंबू (जम्बू) ज ४।१४६ से १५०; १५१।१,२,१५.२ से १५४,१५६,१५७१२,१५८,१५६,२०८% ७२१३ जंबूणय (जाम्बूनद) ज ३।३०,३५ जंबणयामय (जाम्बूनदमय) ज ११५१,४१७,१३, ११८,१४३,२५६ जंबूपेढ (जम्बूपीठ) ज ४।१४३ से १४५ जंबूफल (जम्बूफल) प १७.१२३ जंबूफलकालिया (जम्बूफलकालिका) प १७:१३४ जंबूरुषख (जंक्ष) ज ७२१३ जंबूवण (जम्बूवन) ज ७।२१३ जंबूवणसंड (जम्बूक्नषण्ड) ज ७।२१३ जंभग (जुम्भक) ज २६६ Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० जंभय-जम्म जंभय (जम्भक) ज ५७० १८६,२०४,२१४.२२१ जंभाइत्ता (जम्भयित्वा) ज २०४६ अणवयविहार (जनपदविहार) उ ३.४६,१४५,५१३३ जक्ख (यक्ष) प १११३२,२२४१.४५,१५१५५।३ जणक्यसच्च (जनपदसत्य) प १११३३ ज २१३१,३३१४,१८,३०,३१,४३,५१.६०,६८, जणिय (जनित) उ ३।४८,५० ६३,१३०.१३६,१४०,१४६.१७२,१८० जग्ण (यज्ञ) ज २१३० उ ३१४८,५० सू १६३८ उ ५।७,२४,२६ जण्णइ (यज्ञकिन् ) उ ३१५० जक्खग्गह (यक्ष ग्रह) ज २१४३ जण्णु (जानु) ज ३।१२.८८,५७,५८ जक्खाययण (यक्षायतन) उ ५७,८,२४,२६ जण्हवी (जाह्नवी) ज ३।१६७१११ जक्खोद (यक्षोद) सू १९३८ जत (यत) प २१३०,४१ जग (जगत्) ज ५५,४६ जति (यदा) प ५१२०५१३४ सू १९४२२१२६ जगई (जगती) ज १७ से ६.१२,१४,४।६,३५, जति (यत्र) प २३११६७ ३७,४२,४५,७१.७७,६०,९४,२६२ जतिविह (यतिविध) प १६४२० जगईसमिया (जगतीस मिका) ज १११० जत्ता (यात्रा) उ ३।३०,३१ जगती (जगती) सू ३।१ जत्तिय (यावत्) प १५।६६,१०३; २३११७५ जगप्पईवदाइय (जगत्प्रदीपदायिका) ज ५१५,४६ ज ७१२०० जघण (जधन) ज ३११३८ जत्थ (यत्र) ज ३१७६ उ ३।५५; ४१२१; ५३६ जच्च (जात्य) ज २१५,३३१०६,१७८ जदा (यदा) ज ७१२० जच्चकणग (जात्यकनक) ज २१६८ जदि (यदि) प ५१५ जठ्ठ (इष्ट) उ ३।४८,५० जप्पभिइ (यत्प्रभृति) ज २।६७ उ ३।११८ जडि (जटिन्) ज ३११७८ जम (यम) ज ७१३०,१८६।३ उ ३१५३ जडियाइलय (जटिकादिलक) सु २०१८१५ जम (काइय) (यमकायिक) ज ११३१ जडियायलय (दे० जटिकायिलक) सू २०१८।५ जमग (यमक) ज ४।११२ से ११५.११७,१२०, जढिलय (जटिलक) सू २०१२ १४०।२,१४१,१६५ जद (त्यक्त) ज ३।१२७ जमगपव्वय (यमकपर्वत) ज४।१११,११३,२०६, Vजण (जन्) जगइस्सइ ज २११४२,१४३,१४५ २६२, ६।१० जणेज्जा प १७१६६,१६७.१६६ से १७२ जमगवण्णाभ (यमकवर्णाभ) ज ४।११३ जण (जन) प १।१२ ज ११२६, २०६५,३।१,६५, जमगसंठाणसंठिय (यमकसंस्थानसं स्थित) ज४११० १०६ ११६,१३८,१५६ सू१११।६८, जमगसगम (दे०) ज ३११२.३१,७८,१०६,१८० १३६; ३।११४,११५,११६:५७,२०,२७ २०६:५१२४ जणक्खय (जनक्षय) ज २०४३ जमदेवया (वमदेवता) सू१०८३ जणणी (जननी) ज ५१५,४६ जमय (यमक) ज ४।११६ जणवद (जनपद) उ १५६६ जमल (कमल) ज १।२४, २११५,४१२७:५३५,२८ जणवय (जनपद) प ११।३३११ ज २११३१,३८१, जमालि (जमालि) ४११५; ५।२०,२७,३८ १८६,२०४,२२१ उ ११६४,६६,१०३ १०६, जमिगा (मिका) ज ४।१६० ११०,११३,११४,१२२,१२६,१३३ जम्म (जन्मन्) ५३६।१४ ज २०१०३,,१०४ जणवयकल्लाणिया (जनपदकल्याणिका) ज ३११७८, उ ११३४,३१६८,१०१,१३१ Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जम्मण-जसंसि जम्मण (जन्मन् ) ज ५१३,५,७.१७,२२,२६,४४, ४६,६७ से ७०,७२ से ७४ उ २।३.११२; ४।१६५२५ जम्हा (स्मात् ) उ १।६३,२।६ जय (त) प २१३१ जय (ज) ज २११५.६४.६५, ३।५,६.१८,२६,३६. ४७,५६,६४,७२.७७.६०,६३ ११४,१३३, १३८,१४५,१५१.१५७.१७८,१८०,१८५, २०५,२०६,२२२, ५१५८, ७।११८ उ ११०७, ११०.११६,११८,१२२.१३०,५।१७ जिय (जि) जइस्स इ उ १।१५ जयंति उ ११३५ जयंत (जान्त) प १११३८ । २०६३,४।२६४ से २६६।६।४२,५६;७।२६, १५८६,६२,१००, १०२.१०५,१०८,१०९.११३,११४,११६, १२०,१२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६; २८९६ ज ११५,४१६४ जयंती (जबन्ती) ज ४१२१२, २१२।४।५1८1१; ७।१२०१२,१८६ सू १०८।२ जयणा (यतना) उ ३३३१ जयहर (जधर) ज ३११२६११ जया (यदा) ज ५१ सू ११११ उ ३३११८ जया (जया) सू १०६०,१७०,१७२ जर (जरा) प १११११; ३६।८३।२ सू २०१६।६।। जर (ज्वर) ज २१४३ जरा (जरा) प २१६४,२०६४।६,२२,३६।१४।१ ज २८८,८६.१०३,१०४,१३३,३।२२५ जरुला (दे० प १५१ जल (गल) प ११७५ ज २११३४३६३२,८१,६८, १५१:४१३,२५ उ ३१५५ जिल (ज्वल ) जल ति ज ५७ जलंत (ज्वलत) ज ३११८८,४।६.१४,३१,४१,६८, ७६.६३ उ ३।४८,५०,५५६३,.६७.७०,७३, १०६,११८ जलकंत (जलकान्त ) प १५२०।४।२।४७१६ जलकिड्डा (जलक्रीडा) उ ३॥५.१,५६ जलचारिया (जलचारिका) प ११५१ जलट्ठाण (जलस्थान) प २१४,१३,१६ से १६.२८ जलण (ज्वलन) ज ३१३५ जलपह (जलपथ) प १६।४५ जलप्पह (जलप्रभ) प २१४०1७ जलमज्जण (जलमज्जन) उ ३१५१,५६ जलय (जलज) प ११४८।४० ज ४२६५७ जलय (जलग) ज ३।३२ जलयर (जलचर) प ११५४,५५,६०,३।१८३; ४।११३ से १२१,६७१.७८,८३,२१८ से १०,३२ से ३४,४३,५३.६० सू १०।१२० जलरुह (जरूरुह) प १।३३१,११४६ जलवासि (जनवासिन्) उ ३.५० जलविच्छ्य (जलवृश्चिक) ५ ११५१ जलाभिसेय (जलाभिषेक) र ३१५०,५१,५६ जलासय (जलाशय) प २।४,१३,१६ से १६,२८ जलिय (ज्वलित) ज ३१३५ जलोउय (जलोतुक) प ११४६ जलोया (जलौका) प ११४६,७८ जल्ल (दे०) ज २१३२ जल्लेस (यत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जल्ललेस्स (गत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जव (यव) प ११४५।१ ज २११५,३७, ३३११६ जवजव (यवयव) प ११४५।१ ज २।३७ जवण (पवन) प ११८६ जवणदीव (यवनद्वीप) ज ३।८१ जवणाणिया (यवनानिका) प ११८ जवणालिया (वनालिका) प ३३।२६ जवणिज्ज (यापनीय) ज ३।३०,३२,३४ जवमज्श (यवमध्य) ज २१६ जवसय (यवासक) प११३७।३ जवासा नामक पौधा, एक तरह का खदिर जवासाकुसुम (यवासककुसुम) प १७।१२५ जस (यशस् ) ज ३।३५,७७,१०६,१२६,१२६, १६७,१८५,२०६ जसंसि (यशस्विन्) ज ३१३,१२६१३ Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२ जसधर ( यशोधर ) ज ७१११७।१ जसभद्द ( यशोभद्र ) ज ७ । ११७।१ सू १०८६।१ जसम ( यशस्वत्) ज २१५६,६१ जसवई ( यशस्वती) ज ७ १२१ सू १०/६१ जसोकित्ति ( यशः कीर्ति ) प २३|१६,२०,१५३ जसोकित्तिणाम ( यशः कीर्तिनामन् ) प २३१३८, १२७, १८८ जसोधर ( यशोधर ) सू १०८६१,८८ १ जशोहरा ( यशोधरा ) ज ४ । १५७|१५||१; १२०१ जस्संठित ( यत् संस्थित) सू ४ ३ जह ( यथा ) प ११११३ उ १११०६ जहण ( जघन ) ज २११५ जहण ( जघन्य ) प १२७४ २२६४८४३१ से ५४, ५६ से ६७,६१ से ८६, ६१ से १३३,१३५ से २६६, २६८, ५४०, ४१, ४४, ४५, ७७, ७८, ६२, ६३.६६,६७, ११०,१११, ११४,११५,१५३, १५४,१५६,१५७,१५६, १६२,१६३, १६५,१६६, १६८,१६,६।१ से १८,२० से ४५,६०,६१, ६४,६६ से६८,१२०,१२१, १२३, ७३२, ३, ६ से २६;११।७०,७१;१२१६, १३२२२; १५१४० से ४२; १७/१४६; १८१२ से ४, ६, ८ से १०,१२,१४ से १६, १८ से २४,२६ से २८.३० से ३६,४१ से ५४,५६,५७,५६ से ६७,६० से ७४,७६ से ८१,८३ से ८५,८७,८६ से ६१,६३,६५,६६, ८,१०३,१०४,१०५, १०७.१०८, ११०,११३, ११४,११६,११७,११६, १२०, २०१६ से १३, ६१,६३,२१1३८, ४० से ४२,४८,६३ से ७१, ७४,८४,८६,८७,६० से ६३,२३६० से ७६, ८१, ८३ से ६२, ६५ से ६६, १०१ से १०४, १११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६, १३१,१३३ से १३५, १३८, १४०, १४२,१४३; १४७, १५१ से १५३, १५५,१५७,१५८,१६० से १६२,१६४ से १७३, १७६, १७७,१८२,१८३ १८६ से १८८, १६० से १६३; २८/२५,४७,५०, जसधर - जहण्णोगाहणम ७३ से ६६; ३३।२ से १३,१५ से १७,३६८ से १०,१७,१८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८, ७०७२ से ७४,७६, १२ ज २१४४, ४५,५८, १२३, १२८, १४८, १५१, १५७, ४११०१, ७/२८, ५७,६०,१८२,१८७ से १६६,२०६ सू १।१४; १८।२०,२५ से ३४; १६१२, २०१३ जहण्णग ( जघन्यक ) प १७ १४४, १४६, २३ १५२, १८४ जहण्णगुण ( जघन्यगुण ) प ५२३६, ३७,५८,५६,७३, ७४,८८,८९,१०६, १०७,१८६, १६०, १६२, १९३,१६६, १६७,१६६,२००,२०२, २०३, २०६,२०७,२१०, २११,२१३,२१४, २१७, २१८,२२०, २२१, २२३, २२४, २४१,२४२ जहणतीय ( जघनःस्थितिक ) प ५१२३, ३४,५५, ५६,७०,७१,८५,८६,१०३, १०४, १७३, १७४, १७६,१७७, १८०, १८१, १८३, १८४, १८६, १८७,२३८,२३६ जहणवितीय ( जघन्यस्थितिक ) प ५१५६ जहणपएसिय ( जघन्यप्रदेशिक ) प ५२२८ जहण्णपदेशित ( जघन्य प्रदेशिक ) प ५।२२८ जहण्णपदेसिय ( जघन्यप्रदेशिक ) प ५।२२७ जहण्णय ( जघन्यपद ) ज ७ १६८,१६६,२०२, २०४,२०६, १२३२ जहणमति ( जघन्यमति ) प ५१६२,६३ जहणय ( जघन्यक ) प १५ ६४; १७ १४४; २१११०५;२३।१६३ ज ७।२६ सू १।१४,१६, १७, १९, २१, २२, २४, २७, २१३ ३२,४७,६ ६११८|१,६२ जणुक्कोसग ( जघन्योत्कर्षक ) प १७।१४६ हक्कोस (जन्योत्कर्षक ) प १५/६४; २११०५ जहणोगाहणग ( जघन्यावगाहनक ) प ५।२७, २८, ४८,४६,५२, ५३,६७,६८,८२,८३,१००,१०१, १५३,१५४,१६२१६३,१६५,१६६,१६८. १६६,२३३,२३४ Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहण्णोगाहणय-जातरूववडेंसग जहण्णोगाहणय (जघन्यावगाहनक) प ५२८,४६, जाउकणिया (जातुकणिका) सू १०१६६ ५३,६८,६६.८३,१००,१५४,१५६,१५६, जाउलग (जातुक) प ११३७१५ जागर (जागर) प ३।१७४२३।१६५,१६६ से जहन्न (जघन्य) प४।१०,१३४ जहा (यथा) प ११ ज १११ सू १।१२ उ १।२; २ १०२ जागरमाण (जाग्रत् ) उ ११५,३१४८,५०,५५,८७, २०२३१२४१२.५ ६८,१०६,१३१, ५१३६ जहाणाम (यथानामन्) सू २०१७ जागरिया (जागरिका) उ ११६३ जहाणामय (यथानामक) १६५२,५४; जाण (ज्ञा) जाण प ११४८१५६ ज ७।११२१५ १३१०७,१०६,१११,११६,११६,१२३ से जाणइ प १११११,१७।१०८ से ११०:२३११३ १२८,१३० से १३५:२८।१०५,३४।१६; ३०।२७,२८ ज २१७१:७१११२ उ १६८ ३६।१४ ज १।१३,२१,२६,३३,३८,४६२।७, जाणंति प २१६४।१३१५४६ से ४६,३३।२ १७.१८,३८,५२,५७,१२२,१२.७,१४७,१५०, से १३,१५ से १८,३४११११,३४१६ से ६,११, १५६,१६१,१६४; ३।१६२:४२,८,११,१०७; १२ जाणति प ११११२ से २०११४४,४५; ५१५.७.३२ १७४१०६ से १०८,११०,१११;३०।२५ से जहाभूय (यथाभुत) 3 १४२ २८,३६८०,८१ जाणाहि सू १०।२२६ जहारिह (यथाई) ज २१११३:३८१ जाण (यान) ज २।१२,३३:३।१०३ ३ १२१७,१६, जहाविभव (यथा विभव) उ ५११७,२५ २४,४११२,१३,१५ जहिच्छिय (यथेष्ट) ज २१६,२२ जाणमाण (जानत्) ज २१७१ जहेव (यथव) सू१७१३ ३१२१ जाणय (ज्ञ) ज ३१३२ जहोचिय (यथोचित) उ १३५ जाणवय (जानपद) ज १२२६;३।१,१२,४१,४६, जा (या) जति प ६१८०१ ज ७१३५।४ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२ से २१४ जाइ (जाति) प ११३८२ छोटा आंवला. चमेली, सू ११ जायफल जाणविमाण (पानविमान) ज ५१३,५,२२,२६,२८, जाइ (जाति) प ११४६,६०,६६,७५,७६११९ ३०,३२,४४,४५ उ ३७,६१ ज २।८८,८६,२२५,३१३,१०६५१५,४६ जाणविमाणकारि (मानविमानकारिन) ज ५१४६ सू१।१६।१२।१५ १०,१२ से १७:१४।३७ । जाणिउकाम (ज्ञातुकाम) प २३।१३ उ१२,३४,४६,४:३।१५१५२६ जाणिता (ज्ञात्वा) प २३।१३ ज ३११२३ उ श६८%; जाइज्जमाण ( च्यमान) १३१०५ ५४० जाहणाम (जातिनामन } ५२३।३८,४०,८५,८७ जाणियत्व (ज्ञातव्य) प १५।१४३;१६।१५।२३।१३ मे ८६,१५० जाणु (आनु) ३६,१२,८८,५१२१,५८ जाइनामनिहलाउय (नातिनाम निश्चत्तायुक) जाणुकोपरमाया (जानुकूपरमात, लानुकूपरगाव) ६.१२१ उ ३९७,१३१,३।१०५,१३१ जाइय (याचिन) ३१३८ जात (यात) प ११७५ जाइविटिया (जातिविशिष्टता) १ २३।५८ जात (जात) ज २११४६३१३ जाहहिंगुलय (जातिशिल मादक प १७॥१२६ जातकस्म (जातकर्मन्) उ १।६३,३।१२६ जाउकषण (नाक) १३२।१ जातरूवब.सग (जातरूपावतंसक) प ५१ Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ जाति-जिणवर जाति (जाति) प ११५०,५१,८१,८१११:२०६४, जालघरग (जालगृहक) ज २११३ २६४१२२:११।८ से १०,३६१६४।१ ज २११०; जाला (ज्वाला) प ११२६ ५१५ जाव (गवत् ) प ११३, २०३२ से ४०,४२ से जातिआरिय (जात्यार्य) प ११६२,६४ ४६,४८,५० से ६३,४।५५७१६ से ३०; जातिणाम (जातिनामन् ) प २३१८६,१५०,१५१ ८३,४,६ से ११;६॥२२:१०।१६ मे २५,२७ जातिणामणिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) से ३०,३२ मे ४३,४५ से ५३; २०१५२,५६, __ प ६.११८,१२०,१२३ ६०,६३,६४ ज ११६ च १० सू११ उ १२; जातिनामनिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) २१;३।१,४११:५१ - प ६१११६,१२३ जावइ (यावी) प ११३७१५ जातिपुड (जातिपुट) ज ४।१०७ जावइय (यावत् ) ज २१६४।१४०१२ जातिविसिठ्ठया (जातिविशिष्टता) प २३१२१ जावज्जीव (बावज्जीय) उ ३१५० जातिविहीणया (जातिविहीनता) प २३।२२.५८ जावति (यावी) प ११४३११ जातीय (जातीय) ज ३।१०६ जावतिय (कावत्) प १५१५१,५२ मू ६।३१३३२ जाधे (यदा) सू १६।२४ जावय (ज्ञापक) ज ५१२१ जाय (जात) ज ११६,२७१,५५,१२८,१४६; जावेत (मापयत् ) ज ३११७८ ३१८०,६५,६६,१०३ उ ११६६,६३,२१६; जासुमण (जपासुमनस्) प १।३७.१ ज ३।३५ ३।१३,४६,१०५,११३,१४४,१४६४१२१, जासुमणकुसुम (जपासुमनस्कुसुम) प १७११२६ २७,३४,३८ जासुवण (जपासुमनस्) प १४०६३ जाय (जन) जायइ ज ३।६२,११६ जायंति जाहा (जाहक) प १९७६ ज ३१६२,११६ जाहिं (बत्र) प २४९ ‘जाय (याच) जायेइ उ १।१०२ जाहे (यदा) ज ७५६ सू १६।२७ उ ११५२; जायकोउहरूल (जातकौतूहल) ज ११६ ३।१०६ जायणी (शचनी) प १११३७११ इजि (जि) जयति च ११ जायतेय (जाततेजस्) जे २।१२६,१५८ जिण (जिन) प ११६३१६,१११०१।३,४,१२; जायय (जातक) उ ३।३८ ३६०८३३२ ज ११४०२६३,७१,७८,८०, जायरूव (जातरूप) ज २१६८,४१२५५,५१५ ५१५,२१,४६, सू१६।२२११ जायरूवखंड (जात रूपखण्ड) प ११७४ इजिण (जि) जिणाहि ज ३।१८५ जायरूपवमय (जात रूपावतंसक) ५ २०५६ जिणसकधा (जिन सकधा') सू १८।२३ जायसंश्य (जातसंशय) ज ११६ जिणसकहा (जिन 'सकहा') ज २।१२०,४।१३४; जायसढ (जातश्रद्ध) ज ११६ उ ११४५२२ ७.१८५ जार (जार) ज ५१३२ जिणघर (जिनगृह) ज ४।१३६ जारु (चारु) प ११४८२ जिणपडिमा (जिनप्रतिमा) ज ११४०,४६४७,१२६, जाल (जाल) प ११११५ ज ३।६,१७,२१,३४,३५, १३६,१४७,२१६ १७७,१२२,१७८,५।२८ जिणभत्ति (जिनभक्ति) ज २।११३ जालंतर (जालान्तर) प २१४८ जिणवर (जिनवर) प ११२ चं ११४ Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिणवरिंद-जीविय ६१५ जिणवरिद (जिणवरेन्द्र) प ११ ज ५१५८ जिणिद (मिनेन्द्र) प ५१४१ जिन्भगार (जिह्वाकार) प १६७ जिभिदिय (जिह्वन्द्रिय) प १५१,२,६,१३,१६, ३० से ३३,४२,५८,६४,६६,७०,८०:२८।४२, जिभिदियपरिणाम (मिनियपरिणाम) प १३।४ जिभिया (जिटिका) ज ४।२४,३६,६६,७४,६०, जिमिय (जिमित) ज ३१८२ उ ४११६ जिय (जित) ज ३११३५१२,१८५,२०६ जियंतय (जीवन्तक) प ११४४।२ जीवंत शाक जियंति (जीवन्ती) प ११४०।४ अन्न, वृक्षों पर रहकर फैलने वाली लता जियनिद्द (जितनिद्र) ज ३।१०६ जियपरीसह (जितपरीषह) ज ३।१०६ जियसत्तु (जितशत्रु) ज ११३ च ८ सू ११३ उ ४१६ जीमूय (जीमूत) प १७१५२३ जीय (जीत) ज २१६०.११३; ३१२६.३६.४७,५६, १३३,१३८,१४५,५।३,२२,२७ जीव (जीव) प १४७१,१।४८१७ से ४३,४५, ४७,४६ से ५१.५५ रो ५६,१८४,१०११२ २१६४,३।११२,३।१,६६ मे ११३.१२३ से १२५.१४१ १४३.१५० से १५२,१७४, १८३,६।१२०,१२३, ६।१२,१६,२५.२६, १०।३१,११।३०,३८.३६,४३.४६,४७.७० मे ७२,८० से ८२,८४,८५,६०;१२।१०।। १४।११ से १५.१७,१८,१६१२.१०,१६. २१,२३:१७।५६ ८४.८६,११२,११३; । १८।१।१,१८:११६५१, २०११,६३, २११८४; २२१७ से १०.१२ से २२.२४ मे २७,२६ से ४०;४२ से ४५,४८ से ५०,५२ से ५६,५८, ५६,६७ से ६६७५ से ८६.८८ से १४,६६, ६.७.१००; २३:१।१.२३।३.५ से ७,६ से ११, १३ से २३,१३४ १३५,१३७ से १३६,१५५, १५७.१६०,१६१,१६४.१६७,१७१,१७६. १६३; २४१२ से ४,६ से ११,१३ से १५%; २५।२,३,५; २६।२से ४,८,९,२७१२,३,६; २८।१०६,१०८,१०६,१११ से ११८,१२० से १२६,१२८ से १३३,१३६ से १४५,२६४, १६,१७,२२,३०१४,१४ से १६,२४,३१११,४; ३२१.६.१ : ३५।६; ३६११११,३६।३०,३२, ३५,४६ से ४८,५२,५६.६२ से ६६,६९,७०,७२, ७३,७४,७७,७८,६४ ज २१६८,७१,५१५,४६, ६।४;७२११,२१२ उ ११६०,६१,३।१४२, १४४; ५।३४ जीव (जीव) जीव ज ३।१२६६२ जीविस्सइ उ१११५ जीवंजीव (जीवंजीव) प ११७८ जीवंजीदग (जीवंजीवक) ज २।१२ जीवंत (जीवत्) उ १११०६,११०,११४ जीवंतय (जीवत्क) उ ११६६,१०३,१३३ जीवधण (जीवधन) प १६४११२३६।६३,६४ जीवणिकाय (जीवनिकाय) प २२११०,७८ ज २०७२ जीवस्थिकाय (जीवास्ति काय) ५३१११४,११५, ११६,१२२ जीवदय (जीवदय) ज ५१२१ जीवपज्जब (जीवपर्यव) प ५१ से ३,१२२ जीवपण्णवणा (जीवप्रज्ञापना) प १११,१० से १५, ४६ से ५२,१३८ जीवपरिणाम (जीवपरिणाम) प १३११,२,२० जीवमाण (जीवत् ) उ १।१५.२१,२२ जीवमिस्सिया (जीवमिश्रिता) प १११३६ जीवलोक (जीवलोक) ज २१६५;३१३१,१२४ जीवा (जीया) ज १२०,२३,४८, ३१२४,४।५५, ६२,८१,९६,६८,१०८,१७२,२६२,२६५,२७१, २७४ सू १११६२।१,१०११४२,१४७:१२।३०; २०११ उ १११३८ जीवाजीवमिस्सिया (जीवाजीवमिथिता) प १११३६ जीवाभिगम (जीवाभिगम) ज ११११,५४६,५१ जीविय (जीति) प ११४८५,४१:२२१६ ज २०७० २११२२,२५,२६,३४,१४०:३१६८,१०१, Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ जीवियंत करण-जोइस १३१,१५६ जुद्धसज्ज (युद्धसज्ज) उ १११५ से ११७ जीवियंतकरण (जीवितान्तकरण) ज ३१२४ जुम्ह (युष्मत्) सू १।६ उ ११२२,३।२६; ४१११ जीवियारिह (जीविताह) ज ३.६ जुय (युग) ज ७११० जीहा (जिह्वा) प २१३१,१५१७७,८१,८२ जुयणद्ध (युगनद्ध) सू १२।१२६ ज २११५,३११०६; ७१७८ जुयल (युगल) ज १५२४२११५,१००,३१२११: जुइ (धुति) प २६३१ ज ३११२,७८,८८,६२,११६, ४।२७,३०,५१५,२८,५८,६७,७१७८ १२६,१८०५.२२,२६ उ ३।१३४ जिंज (युज) जुजइ प ३६.८६,८७,८६,६० जुयलग (युगलक) ज २०४६ उ ३.१२६ जजति ५३६८६ से १० सु १५।१०।। जुवराय (युवराज) प १६:४१ ज २१२५ मुंजमाण (युञ्जान ) प ३६.८७,८६ से ११ जुवलय (मुगलक) प २१४०।२ जुजिता (युक्त्वा) सू१५।१० जुवाण (युवन् } ज ५१५ जुग (युग) ज २१४,६,१४१ से १४५; ३।३,११५, जुब्वण (यौवन) ज ३।१३८ ११६,१२२,१२४;७१२७ सू६.१८.१, जूय (यूप) ज २०१५ १०११२२,१२३,१२७:१२१६१३१३,१५१३५ जया (यूका) प १५० ज २६,४० जूव (यूप) ज ३१३ उ ३१४८,५०,५५ जुगंतकरभूमि (युगान्तकरभूमि) ज २१८४ जूस (यूष) सू १०.१२० जुगप्पत्त (युगप्राप्त) सू १२१८ जहिया (यूथिका) प १३८।२ ज २।१०।३ जुगमच्छ (युगमत्स्य) प ११५६ जहियापुड (यूथिकापुट) ज ४११०७ जुगव (युगपत्) १ ३६१६२ ज ५१५ जेठ्ठ (ज्येष्ठ) ज १२५,३११०६ चं १० ११५ जुगसंवच्छर (युगसंवत्सर) ज ७।१०३,१०५,११०। जेठ्ठपुत्त (ज्येष्ठपुत्र) उ ३.१३,५०,५५ सू१०।१२५,१२७ जेट्ठा (ज्येष्ठा) ज ७१२८,१२६,१३४१२, जुग्ग (युग्य) ज २।१२,३३ १३५।२,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६ सू १०२ जुज्झसज्ज (युद्ध सज्ज) उ १३१२७,१२८,१३३ से ६,१८,२३,५१,६२,७३,७५,८३,११६,१२०, जुज्झ (युध) जुज्झति उ १५१३६ जुज्झह उ १।१२६ जुज्झामो उ१११२८ जुज्झित्था उ १११२७ जेठामूल (ज्येष्ठामूल) ज ७।१०४,१४६,१४६, जुण्णकुमारी (जीर्णकुमारी) उ ४ाह १५५ सू १०११२४ उ ३१४० जुण्णा (जी) उ ४६ जेट्ठामूली (ज्येष्ठामूली) ज ७१३७,१४० जुति (द्युति) प २१३०,३१,४१,४६ ज ५५२०९ सू १०१७,१८,२२,२३,२६ । जुत्त (युक्त) ज २११५:३।३,३५,७७,६५,१०६, जेणामेव (यव) प ३४।२२ ज ३१५ १३८,१५६,२११,४१२७,५॥२८,५८,७११४१ जो (द्योत) सू१२२७ से १४४,१५० से १५२,१७८ सू १०२० से जोइ (ज्योतिष) सू १४१८,६,११ से १३ २२,२५,१७२,१७३;१६।२२७,२०७ जोइस (ज्योतिस्,ज्योतिष) प २१४८:३४६१८ उ १११७,११६,१२८ ज ११२४; २१६४ से ६६,१००,१०२,१०४, जुत्ति (युक्ति) ज ३१२०६ १०६,११०,११३ से ११७:५।४७,६७,७२ से जुत्ति (युक्ति,धुति) उ ५१२।१ ७४,७१७१ से १७४ च ५।४ सू १।६।४; जुद्धणोइ (युद्धनीति) ज ३११६७।६,१७८ १९४२२१२ Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोइसगणरायपण्णत्ति-जोय जोइसगणरायपण्णत्ति (ज्योतिर्गणराजप्रज्ञप्ति) १७३।१२।२६।१५।१०:१६।२२।१० उ ३१३१ चं १३ जोगपरिणाम (योगपरिणाम) प १३।२,१४,१६, जोइसपह (ज्योति:पथ) प २।२०,२४,२५,२७ १७,१६ ज ११२४ जोगसच्च (योगसत्य) प १११३३ जोइसप्पह (ज्योतिःपथ) प २।२२,२३,२६ जोगि (योगिन् ) १३६१६२ जोइसराय (ज्योतीराज) ज ७।१८३ से १८५ जोग्ग (योग्य) ज ३११०६:५७,४१ उ ३७ जोइसरायपण्णत्ति (ज्योतीराजप्रज्ञप्ति) चं ११४ जोणय (जोनक) ज ३।८१ म्लेच्छ जोइसिंद (ज्योतिरिन्द्र) प १४८ ज ७।१८३ से जोणि (योनि) प ११११४,११४८१६३,२१६४;६? १८५ उ ३१६,१५ से १८ से ४,६ से ११,१३ से १७,१६ से २३,२६ जोइसिदत्त (ज्योतिरिन्द्रत्व) उ ३।१४ ज २११३५ से १३७,३।३ जोइसिणी (ज्योतिषी) ५ ३११३८,१८३;४।१७४ जोणिप्पमुह (योनिप्रमुख) प १२०,२३,२६,२६, से १७६,१७१५३,७८,६२,८३,२०।१३ ४८,५०,५१,६०,६६,७५,८१ जोइसिय (ज्योतिधिक) प १११३०,१३३, २।४८; जोणिभूय (योनिभूत) प ११४८१५१ ३१२८,१३७,१८३,४।१७१ से १७३; ५३, जोणिय (योनिक) ज ३११११ २६,१२२;६।२६,४६,५६,५६,६५,६६,८५,९४, जोणिसूल (योनिशूल) ज २१४३ । १०६,१११,११७७।६।६।११,१८,२४,१५१३५, जोणीपमुह (योनिप्रमुख) प ११४६,७६ ४८,८७,६६,१२४; १६१६१७४२७,३०,५३, जाह (ज्योत्स्न) १०११३१,१८।१,५,६; ७८.८१,८३,६६,१०५;२०।१३,१६,२५,३०, १९।२२।१६,२०;१६६३१ ४८,५४,६०,२१।५५,६१,७०,६०; २२१३१, जोतिस (ज्योतिष् ) प २।४८,३१।६।१;३४।१६ ३६,८८,१००,२८1७३,११७,२६।१५,३११५ सू १०११३१,१८।१,५,६:१६६३१ ३३११५,३०:३५।१५,२२,२३ ज २१६४ जोतिसराय (ज्योतीराज) सु १८।२१ से २४; ४॥२४८,२५० से २५२,५१५३,५६,७२ से ७४; २०१४,६,७,६।१ जोतिसिद (ज्यौतिरिन्द्र,ज्यौतिषेन्द्र) स १८१२१ मे ७१८५ २४,२०१४,६,७ जोइसियत्त (ज्योतिपिकत्व) प १५१२६ जोतिसिणी (ज्यौतिषी) मू १८१२६ जोइसियराय (ज्योतीराज) प २०४८ जोतिसिय (ज्योतिधिक) ५ १२१६,३७,१३१२०, जोईरस (ज्योतीरस) ज ५१५ १५।१०४,१०७,१६१६१७।३३,३४,६१; जोएअव्व (योजयितव्य) प १०।२६ १६१४,२०।३५,३७,२२।७५:२६॥२२३२।५; जोएत्ता (युक्त्त्वा ) सू १०५,१५८६ ३३।२३,३४,३७,३४१४,१०,३५२२३३६१२६, जोएमाण (युञ्जत् ) ज ७१४१ से १४५,१५०, ४१,७२ १८२३,२५,१६।२२ जोतिसियत्त (ज्योतिषिकत्व) प १५५१११,३६।२२ जोग (योग) प३।१११:११३३११:१८११११ जोत्तग (योक्त्रक) ज ७।१७८ २८॥१०६१३६।१२ ज २१६५,७१,८८,६५; जोय (योग) ज ३११७८,७१२६ सू १०२,३,५, ३।१५६,२२५७।१,११२१२,१२७।१,१२६, ७५,१२२,१२३,१२६१,१३२ से १३४,१३६, १३०:१३४।१,४,१३५,१३८ से १४०,१६७११ १६२ से १६६१२।२६,३०,१५।८,११,१२, चं १३,५.१ सू ११६३,१।६।१:१०.१,५,१७२, १३,१६।१,५,८,१५,१६,२१,१९४२२१२१ Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ जोय-असणा जोय (युज) जोइंति ज ७/१२६ जोइंसु जोयणसहस्सहत्तिय (योजनसहस्रपृथक्रिक) ज ७११२६ जोइस्संति ज ७१२६ मू १६१ प ११७५ जोएइ ज ७/१२६ जोएंति ज ७।१,११२१२ जोवण (यौवन) प २।३१,३४१२० ज २११५; सू १०१५,१२६।१,२ जोएंसु ज ७।१ सू१०।७५ ३।६२,११६,१३८,५६८,७० सू २०१७ जोएति सू १०१२० जोएस्संति ज ७१ उ३।१२७ सु १०७५ जोयंति ज ७/११२११ जोव्वणग (यौवनक) २३१२७ १२८,५१४३ जोयण (योजन) प १७४,७५,८४,२।२१ से २७, जोह (योध) ज ३।१५,२१,२२.३१,३४,३६,७७, २६ से ३६,३८,४१ से ४३,४६,४८ से ५५, ७८,६१,६८,१६७।६,१७३,१७५,१६६ ५६,६३,६४,१११७२,१२१२७,३६,१५१४० से उ १११२३ ; ५११८ ४२,२११३८,४१ से ४३,४५,४७.१,२,२११६३, ६८ से ७०,८७,३३।१०,११:३६१६६.६८, . झंझावाय (भ.झावात) प १२६ ७०,७२,७४८१ ज ११७,८,१२,१४,१६, झय (ध्वज) ज ११३७,२।१५,२०,३१७,३१,३५, १७।१,१८,२०,२३,२८,३२,३५,४६,४८,५१; २१६३११,१८,२५,३१,३८,४६,५२,६१,६६, १७८,१७६ ७६,८१,६५,६६,१११,११६,११८,१३१,१३२, झया (ध्वजा) उ १२२,१४० झल्लरि (भल्लरी) प ३३।२३ ज ३।१२,७८, १३७,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०,१६२; १८०,२०६ ४।१,३,६,७,१४,२३ से २५,३१,३६,३८ से ४३,४५,४७,४६,५२,५५,५७,५६,६२,६४ से झस (झस) ज ३३ ६८,७२ से ७८,८१,८६,८८,६० से १५,६८, झिा (ध्य) भियाइ र १४१५३९८ झिामि १०३,१०८,११०,११२,११४ से ११६,११८ उ ११४० झियासि उ ११३७ मिह उ २४२ से १२८,१३२,१३६ से १४१ १४२११,१४३, झिाहि उ ११४१ १४५,१४६,१५३,१५४,१५६.१६३ से १६५, झाण (ध्यान) उ३१३१ १६६,१७४ से १७६.१७८,१८३,२००,२०१, झाणंतरिया (ध्यानातरिका) ज २१७१ २०३:२०५ से २०७,२१३,२१५ से २१९, झाणकोट्टोवगय (ध्यानकाप्टोपगत) ज ११५; २२१,२२६,२३४,२४० से २४३,२४५,२५७ १८३ उ ११३ से २५६,२६२,५।३,५,७,२२ से २४,२८.३५, झिाम (दह ) भामेति ज २।१०८ झामेह ज १०७ ४३,४४,४६,५०,५३, ६६.१,६८,७।३ से झिगिर (दे०) ५ ११५० २५,३१ से ३४,५८,६२ से ८४,८६,८८,८६, झिगिरिड (दे०) ५ १५० ११ से १६,१७१ से १७४,१८२,२०७ ‘झिया (ध्य,ध्मा) झियायंति ज ३।१०५ सू १११४,२० से २४,२६ से ३१:११,३, झियायमाण (ध्यायत) उ ११३६,३७,४२,७१ ४।३ से ५,७,८,१०,१८११,५,६,६ से ११,२०, झिल्लिया (झिल्लिका) ११५५० १६४,७,१०,१४,१८,२०,२२।२८,२६, झिल्ली (झिल्ली) प ११४८१४२ १६।२३,२६,३०,३४,३७, उ १५१३४३७, झुसिर (शुषिर) ज ५।५७ २०११ ६१:५४ झूस (शोपय् ) भूसेइ उ ३१८३ महिइ जोयणपुहत्तिय (योजनपृथक्त्विक) प ११७५ उ ५१४३ जोयणसत्तपुहत्तिय (योजनशतपृथक्त्विक) प १७५ असणा (जोषणा) ज ३१२२४ Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असित्ता-ठिति ६१६ झूसित्ता (शोपवित्वा) ११८ झूसिय (जुष्ट) ज ३।२२४ झूसेत्ता (शोषयित्ता) उ ३.८३,५१४३ झोसेत्ता (शोपयित्वा) उ २११२३।१० ठिइ (स्थिति) प ११११४:४१५:५१५,८४,११५, १४८,२१४,२३।१६३ ज २१५६,७१,१५६; ७।१६८।२,१८७ उ १४१,४३,२११२,२२; ३।१६,८५,१२४,१५०,१६४,१६६,१७१; ४१२५:१२६,४२ ठिइकल्लाण (स्थितिकल्याण) ज १८१ ठिइक्खय (स्थितिक्षय) उ३११८,१२५,१५२,४।२६ टंक (टङ्क) प १११ टिट्टिय (दे०) ज ५१६ टोलकिति (दे०) ज २१३३ TER Vठव (स्थापय ) ठवइ ज २१६५ ठविस्मति ज २११४६ ठवेइ ज २१६५ उ १११६,३।५१; ४११८ ठवें तिज २।१०४ ठवेसि उ ३७६ ठवेहि प ११४८।५८,५६ ठवणा (स्थापना) प ११:३३३१ ठवणासच्च (स्थापनासत्य) प १११३३ ठिवाव (स्थापय ) ठवावेइ उ ११४६ ठयाविता (स्थापयित्वा) उ०४६ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) उ १.१६ ठविय (स्थापित) ज ३१८१ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) १६५ ठा (प्ठा) ठाइ उ ११२२ ठाईऊण (स्थित्वा) ज ३।२४ ठाण (स्थान) ११५४,८४, २१ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५२,५४ से ६४, ६।११०, १४१५,११ से १५,१७; १७/११४११,१७११४३ स १८५२३।११२३१६,७,१६० ज ३२४, ८६,१०२,१५६,१६२,५१२१,७५६ से ६० सू १०।१३८ से १४१,१४३ से १४६,१४८ से १५१:१६२४,२७ उ ११२२,१४०,३१५१।१ ३१८३,११५,१२०४।२१,२२,२४ ठाणठित (स्थानस्थित) सू१६।२६ ठाणमम्गण (स्थान मार्गण) प २८६,५२ ठाभिज्ज (स्थानी ) उ ११४४,४५ 'ठाव (स्थापय ) ठावेगि उ ३३१३ ठावेत्ता (स्थापयित्वा) उ ३५० ठिइय (स्थितिक) उ १२६,१४०:२०२० ठिईय (स्थितिक) ज ११२४,३१,४६,४७,२१४४; ३१२२५,४।२२,३४,५४,६०,६१,६४,८०,८५, ८६,६७,१०२,१४१,१४२,१६१,१६७,१७७, १८६,१६६,२०८,२६१,२७०,२७२:७५५, ५८,२१३ ठिच्चा (स्थित्वा) प १७४१०७,३४१२२,२३ उ ११२०,३१२६ ठितलेस्स (स्थितलेश्य) प २०४८ ठिति (स्थिति) प ४१ मे ४,६ से ४६,५६ से ५८, ६५,७१,७६,८८,६५,६८,१०१,१०४,११३, १३१,१४०,१४६,१५८,१६५,१६८,१७१, १७४,१८३,२०७,२१०,२१३,२६४,२६७, २६६,५७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४ से २६,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५०,५३, ५६,५६,६३,६८,७१,७२,७४,७८,८३,८६,८६, ६३,६४,९७,१०१,१०२,१०४,१०५,१०७, १११,११२,११६,१२२,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८, १५०,१५४,१६३,१६६,१६६,१७०,१७२, १७४,१७५.१७७,१७८,१८१,१८२,१८४, १८५,१८७.१८८,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१८,२२१,२२४,२२८, २३०,२३२,२३४,२३५,२३७,२३६,२४०, २४२,१००५३।१:२३३१३ से २३,६० से ६४, ६६,६८,६६,७२ से ७७,८०,५१,८३,८५ से ६०,६२,९३,९५ से १६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३, Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ठितिपडिया-पक ख १७६,१७७,१७६,१८१,१८२,१८३,१८५, पई (नदी) ज ४१२००,२०२,२१२ १८७,१६० से १६३;२८१५,३६५८२११,८३१ । णउति (नवति) १८१ गु १८।२५,२६ से ३४ णउय (नवति) ज ११८ ; ४१२५६१८७८२, ठितिणामनिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्ताश्रूष्क) प ६.१२२ णउल (नकुल) प ११७६ ठितिनामणिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्तायुक) णं (दे०) प ११२० ज ११३ सू ११२ उ ११५; २११; प६११८ ३११,४११:५।१ ठितिपडिया (स्थितिपतिता) उ ११६३ जंगल (लाङ्गल) ज ।३ ठितीचरिम (स्थितिचरम) प १०॥३४,३५ णंगलई (लाङ्गलिकी) प४८१६ ठितीणामणिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्तायुक) गंगलिय (लाङ्गलिक) ज १६४६४१८५ प६.११६ गंगूल (लाल) ज ७११७८ ठिय (स्थित) प १११४७,४८,८० से ८३ गंगोलि (लागुलिन्) १११८६ ज ३१६२,११६,१३८,५३,२८,७५८ सू१११७ द (नन्द) ७११८ उ १११६ गंदणवण (नन्दनवन) ज २१६५,६६४१२१४, २३४,२३६,२३७,२३६,२४०,५१५५ णंदणवणकड (नन्दनवनकट) ज ४१२,३६ डंस (दश) ज २।४० णंदणवणविवरचारिणी (नन्दनवनविवरचारिणी) डब्भ (दर्भ) प ११४२१ डमर (डमर) ज २१४२ ज २१५ णंदा (नन्दा) ४१८०५।८।१,६८:४११८ डमरबहुल (उमरबहुल) ज १३१८ सू१०१६० डिह (दह) डहेज्जा ज २६ डाव (दे०)उ ११३८ गंदापुक्खरिणी (न-दापुका शी) ४१२२१ डिब (डिम्ब) ज २१४२ गंदावत्त (नन्दावत्त ) प १७१११ ज ३।३,३२ डिबबहुल (डिम्बबहुल) ज १६१८ णं दिघोष (नन्दिपंग) २.१६३१३०,५१५२ डिभय (लिम्भक) उ ३१६२,११४,१२३,१३० णंदिपुर (नईन्दपुर) प ११६६।३ हिभिया (डिम्भिका) उ ३।६२,११४,१२३,१३०, शंदिय (नन्दित) २१ णंदियावत्त (नन्द्यावत) ५ ११४६ ३।१७८; डोंगरू (दे०) ज २।१३१ ४।२८,५१४६३ डोंब (दे०) प १८६ णंदिरुक्ख (नन्दिरूक्ष) प १।३६।२ डोंबिलग (दे०) प १८६ दिबद्धणा (नन्दिवर्धना) ५.८१ कंदिस्सर (नंदिस्वर)) २११६:४८८,५२,७४ सू१९६३१ ढंक (ध्वाक्ष) प १७६ ज २१४०,१३७ णंदुतरा (नन्दोत्तरा) २८१ ढिकुण (दे०) प ११५१११ ज २।४० पका (नन्ह) प १५६ णक्क (ना) ११८६ ण (न) प १।१०१।३ ज १६ मु१३१४१०१२६ णक्ख (नख) १५,१६३१७८ Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्सत्त-णसगवयण ६२१ णक्खत्त (नक्षत्र) प १२० से २२,४६,५१, ज १२६,४११७२ १५१५५।३ ज १५२४२१६५,७१,५८,१३८; णग्गोह (न्यग्रोध) प ११३६१२ ज २०७१ ३।२०६,२२५७।१,५५,५८,६५,६६,१००, गरगोहपरिमंडल (न्यग्रोधपरिमण्डल) प १५१३५; १०३,१०४,१११,११२।१,२,११३,१२६, २३।४६ ज ७१६७ सू १०७४ १२८,१२६१,१३० से १३३,१३४।२,३,४, पणच्च (नत) पच्चंति ज ३।१०४,१०५:५।५७ १३५४४,१३८ से १४५,१४७,१४८,१५०, णच्चण (नर्तन) प २१४१ १५१,१५२,१५६ से १६७,१७०,१७५, णिज्ज (ज्ञा) णज्जइ ज ३११०५ १७७१३,१७८१२,१८०,१८१,१६७ च ५।४ पट्ट (नाट्य) प ६३१,४१ ज २१३२,३८२, सू १०११ से ५,८ से २५,२७ से ३१,३३ से १६७।१०,१८५,१८७,२०६,२१८,५१,१६, ४२,४४,४६ से ५६,६१ से ७५,७७ से ८३, ५७,७१५५,५८,१८४ सू १८१२३:१६४२३,२६ १२ से १०७,१०६ से १२०,१२२,१२३,१२८, णमुमालग (नाट्यमालक) ज ३११५०,१५१ १२६।१,२,१३० से १३५,१५२ से १६६, णमालय (नाट्यमालक) ज १५२४,४६, ६.१६ १७१ से १७३,१११२ से ६१२।१६ से २८, मद्रमाल (नाट्यमाल) ज २।८ ३०; १३।११,१४,१५.१,२,४,६ से ६,११, णट्रविहि (नाट्यविधि) ज ३।१६७।१०,५१५७,५८ १२,१४ से १६,१६ २२,२५,२८,३४,३७, णट्टाणीय (नाट्यानीक) ज ५१४१,४४ १८१४,७,१८,१६,३७, १६।१।१,५२,८१२, गट्ठरय (नष्टरजस्) ज ५७ ११४३,१५॥३,१६,१६४२१४,७,२२।३,२२,३१, णडपेच्छा (नटप्रेक्षा) ज २१३२ १६२३,२६,२०१७ उ ५।४१, णत (नत) सू २०१७,२०।६।६ णक्खत्तमंडल (नक्षत्रमण्डल) ज ७९८५ से ६४,६७, णतंभाग (नक्तंभाग) सू १०१४,५ ११३ सू १०।१२६,१३० पत्तु (नप्त) ज २११३३ णक्खत्तमास (नक्षत्रमास) म १२।२,१२ णत्थि (नास्ति) ५ १७५,८०,२६५२,६४।१८, णक्खत्तविजय (नक्षत्रविजय) सू १।६।४; १०११३२, ५१४३,६६,८०,६६,१८०,१२१६,११,२१,२८; १७३ १३।१६१५२८७,६४ से १०१,१०३ से १०६, णक्खतविमाण (नक्षत्रविमान) प ४।१६५ से २०० १०८ से ११०,११२ से ११७,११६ से १२३, ज७।१६३,१६४ मू १८१८,१२,१६,३३,३४ १२५,१२६,१२८ से १३२,१३८ से १४१, णक्खत्तसंठिति (नक्षत्रसंस्थिति) म १०१२७ १४३,१७७०,२११६२ से १०१, २२॥४२; णक्खत्तसंवच्छर (नक्षत्रसंवत्सर) ज ७।१०३,१०४ २३११३७,१३६२८११४२,१४५:३०।१७; सू १०११२५,१२६,१२६,१२।२ ३६.८ से ११,१५ से २३,२५,२६,२८,३०, णख (नख) सू २०१२ ३१,३३,३४,४४ सू १११३,१४,१०।२२,२५ णखीमंस (नखीमांस) सू१०।१२० कथारी की जड णगर (नगर) प ६४१ मे ४३,२२६४।१७; दि (नद्) गदति ज ५१५७ णदी (नदी) प ११७७ ज २१३१ ज १२६:२।२२,६६,७०,१३१,३।१८,३१,५२, णदीबहुल (नदीबहुल) ज ११८ ६१,६६,८१,१३१,१३७,१४१,१६४,१६७१२, १८०,१८५,२०६;५१५,४४ णपुंसग (नपुंसक) प ११६६,७६११६५ से १०,२५ गरणिमण (नगर गिद्धमण') प १।८४ से २८ णगरावास (नगरावास) प २।४१,४२,४६ णपुंसगवयण (नपुंसकवचन) ५ ११२६,८६ Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२ पुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८६२२३३६, ८२, १४३, १४८, १५० पुंगवेद (नपुंसकवेदक ) १३ १४, १५, १८ पुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प २८११४० पुंगवेय (नपुंसक वेद ) प २३३१४५ णरवति (नरपति) ज ३११२६१२ णपुंसगवेयपरिणाम (नपुंसकवेदपरिणाम ) प १३ १३ णरवरिद (नरवरेन्द्र ) २।१३५२ गरसभ (नखूपन ) ज ३११८,६३,१८० परसीह (नरसिंह) ज ३१६,६३,१८० रिंद (नरेन्द्र ) ज ३१६.६,१८,३२१,२,६३,११७ १२६।१,१८०,२२१,२२२ पुंसय (नपुंसक ) प ३।१८३ णभ ( नभ ) ज २१६५ सू २०१२ भसूरय ( नभः शू-क) नू २०१२ / णमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज २६० ५।२१,५८,६८ णमंसति उ १।२१ णमंसामि उ १।१७ सण ( नमस्यन) उ १।१७ णमंसमाण (नमस्यत्) ज ११६, २१६०, ३१२०५, २०६५/५८ मंसित्ता ( नमस्थित्वा ) २१६० उ ११२१ मि (नमि) ज ३ १३७ से १३६ मिय ( नत ) ज २११५. णमो ( नमस्) ज १।१९३।२४११, १३१ मोत्थु ( नमोस्तु ) ज ५१५,२१,४६,५८,६५ णय (नय ) प १६।४६ णय ( नल) ज ४ १३ जयगति (नवगति ) प १६३८, ४६ जयट्ठया (नयार्थता) सू १२/१३ जयण (नयन) वेद-व णरवइ ( नरपति) ज ३६, १७, १८, २१, २४४, ३१२८,३०,३४,३५,३७२, ४१, ४५२,४६,८८, ६१ से ६३,१०६,१३१४४, १३६,१४१,१७७, १८०,१८३,२०१,२१४,२२२ जल (नल ) प १।४१।१ ल (नड,नल ) प ११४१।१,११४८१४६; ११।७५ लिण ( नलिन) ज २१४ ४१३, २५, २१२,२१२।१ च १।१ गलिग ( नलिनांग ) ज २२४ णिकूड ( नलिनकूट ) ज ४।१६० से १९३ पलिया ( नलिना ) ज ४६१५५ १,२२२।१ ra ( नवन् ) प ११५१ ज १।२० सू १०।२ जव (नव ) प २१५० ज ५।१८ चं १।१ गवड ( नवनि) ज ४।२१३ rai ( नवक ) प ११८१ ranउमंगुलपरिणाह ( नवनवतत्यङ्गुलपरिणाह ) ज ३।१०६ वणवति ( नवनवत ) ज ४१२१३ जव जहति ( नवनिविपति) ज १२६१२, १७५ पवगोइया ( नवनीतिका ) प ११३८ । ३ ज २।१० वणीत ( नवनीत ) नू १०।१२०, २०७ वणीय ( नवनीत ) प १११२५ ज ४।१३ वम ( नवम ) प १७६६ ज ७।११४२ सू १०/७७, १२४।२; १३।१० नवमालिया ( नवमालिका) ज ३।१२,८८, १०६; २३१ ज २२१४,१०,१०३,१०६, १०८,१३३,३३,६,३५,१०६,१३८६ ५१२१ tयणमाला (नयनमाला) २६५; ३३१५६,२०४ नयर (नगर) ज ५। ७०,७२३।१०१ जयरी (नगरी) ११६३।६ ज ११२,३,७१२१४ यहि (विधि) प ११०११६ पर (नर) ज १।३७; २११०१,१३३,३१६२,११६, १७८,१८६,२०४ ४१२७, ५२८ ५।५८ परकंता ( नरकान्ता) ज ४/२६६, २६६,२६६१२ ६/२१ मिक्स (नवपक्ष ) ज २४६४ पर) २० से २७ ज २।१३५ से १३७ (क) ज ५।१०।१ पदमा (काल) १२६ पवमी (नववी) ११२५ परदार्याणय ( नदापनिक) ११६६ व (२५०४०,८३,४४ Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवरं णाणावरण वरं (दे० ) प २०४५, ५२ से ५६,६१५।२१,२६, ३५, ३८,४३,५७,६०,६६,७२,७५,००,०१,८४, १०,१४,१०२.११६.१५१.१६०,१६१,१६४, १६१, १६५, २०१६६६, ६५, ६८, १०४,११३; १०१३० १११८५ १२०२६,३१,२६ से ३५३ १३१६ से १८,२०१५।१८,१६,२६,३०,३४, ३५, ३८, ४९, ५५,६३,६५,६७,७५,८५,८६,६१० ६७,६८,१०२,१०३, ११५.१२१, १२२,१२५. १२६,१३६,१३७.१२५, १४०, १४१, १४२ १६/४, १२, १७:२१,२५,२७,२१,३०,३२,३२, ३५,५८,६०,६३,७०,६१,६३,६६,१०५, २४५, १७२; १६८० २०१४ ३२,५४५५ ५७.५८ २१।३५,६१,७०,७१.१२:२२ ४१, ४२, ४४. ७६,८०८२,६०२३।१०,१२,५६,५८,१५६, १६६,१६७,१७०, १७२, १७५, १८८, १६० २४१३,११,२६१९; २८१२७, ३१, ३८, ४३,४७, ७३,७४, १०९,११५.१३३.१३८ २९।१४, २१: २३०१७३२३।१६,३४०३, ५.१४, ३५०७ : २६१६, ७,११,१३,१५,२४,२६,२८ से ३४,३८,४६, ५२,५६,६५,६६,६६,७२,७३२१५२ १११७१०१२५; १८२४ वरि (दे०) ज ३३५० नवविह ( नवविध ) प ११६२,१३७ : २११५.५; २३।१४ ३६ ह ( नख ) ज २।१५,४३,१३३, ३१६२,११६,१४५ पहिया (नखिका ) प ११४७ ही (नखी ) प ११४८५ जाइ (न) ज ३११२६ पाइ (शांति) ज ३२१८७ पाय (नादित) ११२१,१२२.१२५,१२६, १३३,१३४,१३८३०१११.४११०४३१९ गाउं (शाम) सू १९।२२।२६ नाग (नाग) प २।४०११, ८ ५१३, १५१५५।३; ज २।३१३।२४।१.२.१६१०१,२,१७९ ४१२१२:५५२७।१२३ से १२५ १६।२८ नागकुमार (नागकुमार ) प २०३४ से ३६,३८,३२ ७१३,५२०१७२३३१११,१४:३६०२० ज ३।१११ से ३१५.१२४ से १२६ ४।१४१ नागकुमारत (नागकुमार ) प ३६।२० जागकुमारराय (नायकुमार ) प २२३४,३५ नागकुमारि (नागकुमारेन्द्र ) ए २१३४ से ३६ नागधर (नागधर) ज ३।१७९ णागड (नागस्फटा ) प २३० नागपुरक (नागपुष्य) ज ३४३ नागरुक्ख (नागरूक्ष ) प १।३५।३ णागलया (नागलता ) प ११४० ३ नागोद (नागोद) यू १६ २८ नाइज (नाटकी) व ३११२,२८,४१,४६,५८, ६६.१४७, १६, २१२,२१३,२२१ नाग (नाटक) ज ३३१७५,२०४,२१४,२२१ णागविहि (नाटक विधि) ज ३२१६७|१० पाय (नाटक) ३०२, १०६. १०७,२१८ ५१२२,२६ ε२३ णा (ज्ञान) प १।१०१।१० ३।१११.३११.२८,३०, ३२, ३४, ३७.४३,४५,१८,६१,७२,७४,८०, ८३, ६४,८७,८१,१४,११,१०१, १०२.१०१, १०७. ११२,११७१७।११२, ११३. १८०१०१ २८।१०६।१:३०१२६२८ २०६४, ५. गाणत ( नानात्व) प २०४५ ६६८ १५४४, ४५; २३।११०: २६०१४, १५ ज २४५२,५६,१५९, १६१४१३६, १४१.१६२,२६२५४८ से ५०: ७/३५,५८ गाणपरिणाम (ज्ञानपरिणाम ) प १३३२,९,१४,१६. १७,१६ जाणा (नाना) व २२४६ १५१६,११,२२,२१:२१, २२,२७,५६,६०,६१,७८,७६३३१२१: ज १०३७३।१२.३०,५६,१०१.१४५, २२२: ४१३,५,७,१२,२५ से २७,४९,६२,११४; ५१६.३८.६७३११७८ णाणारिय (ज्ञानायं ) प ११६२,६६ गणावरण (ज्ञानावरण) प २८००६,११ Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णाणावरणिज्ज-णास णाणावरणिज्ज (ज्ञानावरणीय) प २२२२६,२७, २६८,२७२,२७४,२७७ : ५११८,२८,४६,५७; २३३१,३,६,७,६ से १३,२४,२५,६०,१३४, ७।११४,२१३,२१४ चं ११४ सू १०।१२४; १३६,१५४,१५५,१६०,१६४,१६७,१७६, १२।२६; १९३२,६,६,१२,१६, २२॥३,२८,३६ १७८,१८६,१६१,१६४ से १६६,२०२,२४।१ से ५,८,१५:२५।१,२,२६।१ से ४,७,१२, णामक (नामक) ज ३।२६,३६,४७,१३३,१३५ २७।१ से ३ णामग (नामक) ज ४।२०० जाणाविध (नानाविध) ज २१७:३।१८६ से १६२ पास गज णाणाविह (नानाविध) प ११४७११,२।४१ २२६,४१२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३, ज १११३,२१,२६,३३,३७,४६,२।१२,५७, १५७/२,१७७.२६०७/११४,११७.१२० १२२,१२७,१४७,१५०,१५६,१६४३।७, सू १०१८६,८८,१२४;२०१२ १०६,१८४,१६२,४१६३,५।३२ णामधेय (नामधेय) ज ५२१ गाणि (ज्ञानिन्) प १८१७६; २३।२००; २८.१३५ णामय (नामक) ज १२४६२११७४११०६,१६३, २०४,२१०,२११ णाणोव उत्त (ज्ञानोपयुक्त) प ३६।६३,६४ णामसच्च (नामसत्य) प १११३३ णात (ज्ञात) ११६५ णामसूरय (दे०) सु २०१२ णाम (नाम) ज २०१५ णामाहयक (नामाहतक) ज ३१२६,३६,४७,१३३ णाभि (नाभि) ज २।५६,६२,६३, ४१२६०११:५११३ णायग (ज्ञायक) ज ५५५,४६ णाभिणाल (नाभिनाल) ज ५११३ णायय (ज्ञातक) ज २६ णाम (नामन्) ११०१०१।१०,२१४८,५० से ५२ णायव (ज्ञातव्य) प १३१०११३,६,७,६,११ ५४ से ५७,५६,६०,६२ से ६४,६४।१७,११३, १८।१।२३५।११ १११३३११, २२१२८:२३।१,१२,३८,२४।१५ णारग (नारक) प १२६,२४।१०,११:२६।८६ २६.११:२७।५३६।२,६२ ज ११२,३,५,१६, णाराय (नाराच) प २३१४५,४६ ज ३१३,३१ १८ से २०,२३,३५,४१,४५,४६,४८,५१,०८, पारिकता (नारीकान्ता) ज ४।२६२,६१२१ १३,५१,५४,६० से ६३,१२१,१२६,१३०, णारी (नारी) ज ३।१८६,२०४ १४१ से १४५,१४६,१५४,१६०,१६३; ३११, णारीकंता (नारीकान्ता) ज ४१२१६६ २,२६,३०,३५,३६,४७.५६,६७,१०३,१०६, णारीकूड (नारीकूट) ज ४२६३।१ १११,११५:१३३,१४५,१६१,१६७।३,२२५, णाल (नाल) ज ४७ ४११,३,२५,३१,३४,४०,४१,४५,४८,४६,५१, णालबद्ध (नालबद्ध) प १४८१४० ५२,५५,५१,६२,६४,६७,६८,७५,७६,८१,८४, णालिएरीवण (नालिकेरीवन) ज राक्ष ८६,८८,६२,६८,१०३,१०६,१०८,११०,१४१, णालिया (नालिका) ज २१६ १४३,१५६ से १६५,१६७ से १६६,१७२ से णालिया (नालिका, नाडीका) ५ १२४०।१ १७८,१८० से १८२,१८४,१८५,१८७,१८८ णाबा (नौ) प १६:४५ ज ३१८०,८१,१५१, १६०,१६१,१६३,१६४,१६६,१६७,१६० से ७१३३।१ सू १०१३३ २०३,२०५ से २०६,२१०११,२१२,२१३, गावागति (नौगति) प १६।३८,४५ २१४,२२६,२३४,२३७,२३६ से २४२.२४५, पावासंठिय (नीलपित) १०३३ २४६,२५१,२५२,२६१,२६२,२६५,२६६, मास (ना) णासेंति ज ३१६५ १५६ Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णासा-णिज्जुत्त ६२५ णासा (नासा) प १३१ ज २।१५.१३३ णिगोद (निगोद) प ३१६२,८६,१८१३८ णिइय (नित्य) ज ७२१० णिगोय (निगोद) प १८४४५,५३ ज २।१३३ णिउण (निपुण) ज २।१५:३१६,२४,८७,१३८, णिगंथी (निर्ग्रन्थी) ज २०७२ २२२,५१५,२१,२८ र २०१७ णिग्गय (निर्गत) ज ११४; ३१६,१७,२१,३१,३४, णिओग (नियोग) ज २११३३,५१४३ १७७,२२२ णिओय (निगोद) प ३१६१.६३ णिग्गुंडी (निर्गुण्डी) प १३७।३ इणिद (निन्द् ) णिदेहि उ ३।११५ णिग्गुण (निर्गुण) ज २११३५ णिब (निम्ब) ११॥३५१:१७।१३० णिग्याय (निर्धात) प १।२६ णिबछल्ली (निम्बछल्ली) प १७.१३० णिग्घायण (निर्घातन) ज २१७० णिबफाणिय (निम्बफाणित) १ १७।१३० पिग्घोस (निर्घोष) ज ३१८८,१८०,१८३,३५, णिबसार (निम्बसार) प १७११३० २६,४६,४७,५६,६७ उ १।१२१,१२२ १२५, णिकुरंब (निकुरम्ब) ज २०१० १२६,१३३,१३४,१३८,३।१११४१८% णिक्कंकड (निष्ककट) ज १८,२३,३१ ५।१६ निक्कंकडछाया (निकट छाया) प २।३१४१ णिचिय (निचित) ज ३।३; ५१५७११७८ णिक्खमंत (निष्कामत ) म १९२२११४ णिच्च (नित्य) प २१२० से २७ ज ११११,२४, णिक्खमण (निष्क्रमण) ज ४१२७७ मू १३११७ । ४७, २।११,६७,१३३, ३।२२६,४।२२,५४, णिक्खममाण (निष्कामत्) ज ३।२०३;७।१०,१६, ६१,६४,१०२,१६६,१६७,१७७,२०३,२१०, २० से २२,२६,२७,६६,७५,८१ च ४१२ २६४,२७३,५।२६;७।२१०,२१३ सू १३३६,१२ सू १६।२२।१७ मिक्खित्त (निक्षिप्त) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, णिच्चमंडिया (नित्यमण्डिता) ज ४११५७११ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ णिच्चालोय नित्यालोक) सू २०१८ ‘णिक्खिय (नि-क्षिप्) णिविखवइ ज ३१६२; णिच्चुजोत (नित्योद्योत) सू २०१८ ५।६७ णिच्चुज्जोय (नित्योद्योत) सू २०६८।६ णिक्कुड (दे०, निष्कुट) प २६१० ज ३७६,७७, णिच्छिण्ण (निश्छिन्न) प १६४।२२३६।१४।१ १०६,१२८.१५१,१७० , ५२२५ णिच्छीर (निःक्षीर) प ११४८१३६ इणिगच्छ (नि : गम् ) णिगच्छइ ज २१६५ : ३३१४, णिच्छुभ (नि-क्षिप) णिच्छुभइ प ३६।७३,७४ १७२.२०४,२२६ णिगच्छति ज ५१६३ णिच्छुमति प ३६।५६६१,६६,७०,७६ णिगच्छित्ता (निर्गत्य) ज २१६५ णिच्छद (निक्षिप्त) प ३६।६२,७७ णिगम (निगम) ज २१२२ उ ३३१०१ णिजुत्त (नियुक्त) प २४१ णिगर (निकर) ज ३।१२,३५,८८,६५,१५६; णिज्जरा (निर्जरा) प १५१४३ से ४७,४६; ३६७६ ४११२५,५१५८ से ८१ णिगरिय (निकरित निगडित) ज ३।२४।३, णिज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५१४६ ३७।१,४५।१.१३१३ णिज्जाणमग (निर्याणमार्ग) ज ५१४६ vणिगिण्ह (नि । ग्रह ) णिगिरहइ) ज ३२८ णिज्जिय (निजित) ज ३।१७५,२२१ णिगिरिहत्ता (निगृह्य) ज ३।२८ णिज्जुत्त (निर्युक्त) ज ३।१५८ Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णिज्झरबहुल-गिरह णिज्झरबहुल (निर्भरबहुल) ज ११८ इणिमज्जाव (नि-|- मज्जय) णिमज्जावेइ ज ३।६८ णिट्ठियट्ठ (निष्टितार्थ) प ३६॥६३,६४ णिमुग्गजला (निमग्नजला) ज ३।६७ से १०१, णिडाल (ललाट) ज २१५,३।३६,३६,४७,१३३ णिण्याग (निन्नग) प १८९ णिम्मम (निर्मम) ज १७०,५५,४६,५८ णिण्णथल (निम्नस्थल) ज ७।११२१५ णिम्मल (निर्मल)१२।३०,३१ ज १८,२३,३१; णिण्णथलय (निम्नस्थलक) मु १०।१२६५ २।१५,४११२५,५१६२,७।१७८ णिण्णुपणय (निम्नोन्नत) म ११३१ णिम्माणणाम (निर्माणनामन्) प २३४३८,१२८ णिण्हझ्या (निह्नविका) प ११८ णिम्माय (निर्मात) ज ३१ णितंब (नितम्ब) ज ११५१, ३१६१,१३७,४।१७४, णिम्मिय (निर्मित) ज ३।३५ १७११७६.१८२,१८८८ णिम्मेर (निर्मर्याद) ज २११३५ णित्थारण (निस्तारण) ज ३११०६ इणियंस (नि:- वस) पियंसति ज २११०० णिदा (दे०) १३५३१११,३५११६ णियंसेइ ज २०६६ णिदाया (दे०) प ३५११७,१८,२०,२२,२३ णियंसण (निवसन) १२१४१ णिदाह (निदाघ)मु १०।१२४१२ ििणयंसाव (नि-बासय) णियंसाति ज ३४२११ निद्दा (निद्रा) प २३।१४.२६,२७,१३४ १५५, णियंसावेता (निवास्य) ज ३।२११ १७७,१८० णियंसेत्ता (न्युष्य) ज 168 णिद्दाणिद्दा (निद्रानिद्रा) प २३।१४ णियग (निजक) ज २९४,३१३,१८७,१८८ णिद्ध (स्निग्ध) प ११६२१३१,५।१५४,२११; सू२०१७ ११:५६,६०; १३।२२।१,२,२८।२६,३२,६६ इणियच्छ (निर्+दा) णियच्छति प २३१३ ज २११५,३१३,२४,३५, ७१७८ णियत (नियत) ज ३८१ णियतिया (नयतिकी) प १७।११,२२,२३ णिद्धत (निर्मात) परा३१ णिद्धया (स्निग्धता) प १३।२२११ णियत्व (दे०) ज ३।१२५,१२६ णिद्धाइत्ता (निर्धाव्य) ज २।१३४ णियम (नियम) प १२०,२३,२६,२६, ६.११४, इणिद्धाव (निर --- धाव) णिद्धाइस्मति ज ११३४, ११६,१०।२:१११५३,५७,५६,६६,६६१, १४६ २१४९६,६६,१००,१०३, २२।४८,५१,६८, णिप्पंक (निष्पंक) ज ११८,२३ ६६,७१ से ७४,२३।१०,१२:२४।१४:२५१२, णियच्चकखाणपोसहोववास ४;२७।६।२८११६,३८,६५,६८ से १०१,३६।५६ (निष्प्रत्याख्यानपौषधोपवास) ज २११३५ ज ७.५०,५३,१६६ सू १८।३ इगिफज्ज (निर पद) णिप्फज्ज इज १६ णियमा (नियमा) ज ७३२।१ सू २०१६ शिष्फत्ति (निष्पत्ति) ज ३११६७१६ णियय (नियत) ज ११११,४७,३१२२६; ४१२२, णिकाइय (निष्पादित) ज ३११२० ५४,६४,१०२,१५९; २२२,२६ णिष्फत्यय (निष्पादक) ज ३।११६ णियय (निजक) सू१६२२।१४ णियफावग (निप्पावक) ज २।३७ णियया (नियता) ज ४३१५७।१ णिभय (निर्भय) ज ३११२६:५।५८ णियर (निकर) ज ११५ णिभिज्जमाण (निभिद्यमान) ज ४।१०७ णिरह (निऋति) ज ७।१२०,१३०,१८६४ णिभ (निभ) ज ३१३०,१७८ सू१०८३ Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णि रइदेवता-णिव्वाणमा १२७ णिरइदेवता (निऋतिदेवता) म १०८३ णिल्लेव (निर्लेप) ज २१६ णिरइयार (निरतिचार) प ११२६ णिवद्दय (निपतित) ज ३१२६,३६ णिरंतर (निरन्तर) प १०३२ से ३४,४०,१११४१५ णिवढेता (निवृधा) ज ७।३० ७१:२०१२५,२१,५९; २२११३,१५,१७,१६ से लिवड्ढेमाण (निवर्धमान) ज ७४१३,१६,२२,७२, २१३६८, ज २०१५ णिरय (निन्य) प २१,१०, २।३६,८१.१११, णिवण (निपण्ण) ज ७.१७८ १४६,१०१ णिवतित (निपतित) ज २११४२ से १४५ णिरय (निरन) ज २६१३१ णिवत्त (निवृत्त) 3 ३.१२६ णिरयगतिपरिणाम (निन्यगतिपरिणाम) प १३१३ इणिवय (नि-- पत्) णिवयंति ज ५१६४ णिरयगतिय (नित्यगतिक ) १३१४ णिवह (निवह) ज ३.१०६ णिरयगामि (निरयगामिन ) १२२,५०,२१५८, णिवात (निपात) प ३६८१ ज २६१३१ १२३,१२८,१४८,१५१,१५७,४।१०१ णिवाय (निपात) ज ३।३५,१०६ णिरयावास (निरयावास) प १२० से २४ णि विट्ठ (निविष्ट) प २०१३६ जिरवसेस (निरवदोप) प ६६२:१०।२८:१७१२८%; इणवुड्ढि (निवृद्धि) सू १३।१७ २१३९४,३४।२४:३६॥२८,४६,६५,६६,७२। णिवुड्ढेत्ता (निवयं ) सू ६१ णिरहंकार (निरहुकार) ३२७० णिवुड्ढेमाण (निवर्धमान) सु ६०२ णिराणंद (निरानन्द) ज २।६०१०३,१०६,१०८ णिवेइत्ता (निवेद्य) ज ३८१ हिरातंक (निरातङ्क) ज २।१६ ििणवेद (नि+वेदय) णिवेएइ ज ३१८१५०५८ णिरालय (निरालय) ज २०६८ णिवेदम ज ३१५ णिवेदेमो ज ३४९० णिरालोय (निरालोक) ज २।१३१ णिवेस (निवेश) प १७४ ज ३।२८,३१,४१,४६, णिरावरण (निरावरण) ज २१७१,८५ ५२,११५,१३५,१४१,१५१,१६४,१६७२,१८० इणिरंभ ( निरुध)-णिरु भइ प ३६१६२ इणिवेस (नि ! वेगय) णिवेरोइ ज ५।२१,५८ णिरु भति ५ ३६।१२। णिवेसेत्ता (निवेश्य ) ज ५१२१ णिरुंभित्ता (निरुथ्य) प ३६४१२ णिध्यण (निवण) ज ११५,३११७७,७१७८ णिरुद्ध (निरुद्ध) प २३।१६३ णिवत्त (निर्। वृत्) णि रोइ म २ णिवत्तेति प २३.१६१ गू ? णिरुवकिट्ठ (निरपश्लिष्ट) ज २।४.? थिव्वत (निवृत्त) ज ३।३०,४३,५१.६०,६८,७६, णिरुच्छाह (निम्त्याह)ल।१६३ हिरवलेव (निशा नेप) ३ १३६,१५१,१७०,१७८,२१६ णिरुबय (निरुपात) ज २१५ णिध्वत्तपया (नियंर्तन) १३४१२,३ णि रुविय नितिन) १९१६ णिध्वत्तणा (निवंतना) प १५१५८.१,११६१ जिल्हा (नीरुहा) प ११४८।३ णिव्वत्तिय (निर्वतित) प २३११३ से २३ गिरेयण (निरेजन) प ३६॥६३,६४ णि व्वय (निर्वत) ज २१३५ णिरोगय (नीरोगक) ज २।१२ णिव्वाघाय (निव्याघात) प १६६५५; २११९५; णिरोह (निरोध) ५३६९२ २८।३१ ज १७१,८५ मिल्लज्ज (निर्लज्ज) ज २०३३ णिव्वाण मग (निर्वाणमार्ग) ज १७१ Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ णिवाण-णीलय vणिव्वाण (निर-वापय) णिवाविस्सति हिस्संग (निःसङ्ग) ज ५।५८ ज २११४१ णिवाहि ज ५१२८ णिवावेंति हिस्सग्गरुइ (निसर्गरुचि) प ११०११३ ज २।११२ णिवावेह ज २११११ णिस्सा (निश्रा) प ११२०,२३,२६,२६,४८ णिध्वुइकर (निर्वतिकर) ज २१६४,३३, ४११४६ णिस्साय (निश्राय) ज ३११०६ णिवइकरण (निर्वतिकरण) प १११२ णिस्सील (निःशील) ज ११३५ णिवृतिकर (निर्वतिकर) ज ४।१०७ णिस्सेस (निःश्रेयस् ) ज २१७१ णिसंत (निशान्त) ज ५१२६ णिहटु (निहृत्य) ज ३।६ जिसम्म (निसर्ग) १११०११२ इणिहण (नि+ हन् ) णिहणंति ज ५११३ णिसट्ठ (निःसृष्ट) जे ३१२५,३८,४६,४७,१३२ णिहणित्ता (निहत्य) ज ५॥१३ मिसढ (निषध) प १६५३० ज ४।९६ णि हयरय (निहतरजस्) ज ५१७ णिसढकूड (निषधकूट) ज ४।६६ णिहि (निधि) प १५३५५१२ ज ३१६७११३,१४, णिसष्ण (निषण्ण') ज २१८८; ३।६,८१,२२२ णिसम्म (निशम्य) ज ३१६ णिहिय (निहित) ज ३१११९,२२१ णिसह (निषध) ज ४८१,८६,८७,६७,६८,२०१ ।। णिहिरयण (निधि रत्न) ज ३११६७,१७०,७/२०१, से २०३,२०६,२०७,२०६,२३८,२६२ २०२ णिसहकूड (निषधकूट) ज ४१२३६ णिहुय (स्निहूक) प ११४८।४१ णिसहद्दह (निषधद्रह) ज ४१२०७ इणी (नी) णेइज ७/१५६,१५७,१६१,१६५, Vणिसिर (नि+सृज्) णिसिरइ ज ३।२४,२६, १६६ ; ३।१६३ गेति ज ७१५६ सू १०१६३ ३७,३६,४५,४७,१३१,१३३ णिसिरंति णेति सू १०६३ ३११६२,४१५,७,५५,७ णिसिरति भणी (गम्) णीति ज ३।१०६ प ११६७१,७२,८४,८५ गीइ (नीति) ज ३।१६७ णिसिरण (निसजन) १ ११७१ णोणिया (नीनिका) प ११५१ मिसिरमाण (निमृजत् ) प १११७१ णीम (नीप) प १।३६६३ जिसीइत्ता (निषद्य) ज ३४६ णीय (नीत) प १५५१०२ इणिसीय (नि+पद) णिसीएज्ज प ३६।११ णीयतर (नीचतर) ज ४।५४ णिसीयइ ज ३१८,४१,४६,५८,६६,७४,१४७, णीयागोय (नीचगोत्र) प २३१२२,५७,५८,१३२ २१५,२२२ णिसीयंति ज ११३,३०,३३; जीरय (नीरजस्) प २१३०,३१,६३, ३६।६३,६४ ७,४१२,५४२ णिसीयति ज ३१८८ ज १५१८,२३,३१,२०६५।५८ इणिसीयाव (नि+पादय) णिसीयाति णीरागदोस (नीरागदोष) ज ५१५८ ज ५।१४,१७ णील (नील) प १६ से ८,२१३१,२१४०।११; णिसीयवेत्ता (निषाद्य) ज ५।१४ ५।५,७,१३१६१७१९४२३११०४,२८१३२, णिसेग (निषेक) २३१६० से ६४,६६,६८,६६, ६६ ज ३१३१,४१२६४ सू २०१२,८,२०१३) ७३,७५ से ७७,८१,५३,८५ से १०,६२,६५, णीलकणवीरय (नीलकरवीरक) प १७।१२४ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ णीलकूड (नीलकूट) ज ४।२६३११ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१७६,१७७, पीलबंधुजीवय (नीलबन्धुजीवक) ५१७११२४ १८२,१८३.१८७ गीलय (नीलक) प १७.१२६ सू २०१२ Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णीललेसणे इय ६२६ गीललेस (नील ) प १७८३,६२,६४,६५, णेग (नंक) प २८१४०,४३,६६ ज ३१३,३२ १००,१०३.१०८,१:८; १९७० णेगम (नगम) प १६।४६ णीलले ठाण (नील लेश्यास्थान) प १७१४६ दव (नेतव्य) सू६१८।१६।३१०।२३,२५; णीललेत (नीललेश्या) १७।१२१.१२४; १५१६, १८:११९४१,३५,२०१८ २८११२३ णेतु (नेतृ) सू १०॥६३ णीललेस्स (नीम इत्या ) प ३९६,१३११४:१७।३१, णेत्त (नेत्र) प १५१७७,८२ .1328,६५६४,६ ६८,७१ से ७४, तविण्णाणावरण (नेत्रविज्ञानावरण) १२३११३ 3६८१ मे ८५,८७,१००,१०३,१०६ से १११, णेत्तावरण (नेत्रावरण) प २३११३ णद्दर (दे० नेहर) प १८९ णीललेस्सठाण (नीललेश्यास्थान) प१७११४६ णेम (नेम) ज १।११ णीललेस्सा (नील नेत्या) T१६६४६; १७.३६, णेमि (नेमि) ज ३।३०,६५,१५६,१७८ ११५ से १-१२४,१२६,१३१,१३६,१४४, णेमिपास (नेमिपाव) ज ३१२२ १४५,१४८ से १५२ जेम्म (नेम) ४१२६ णीदले जाकर जान नीलामापरिणाम) १३१६ णेय (जेय) प २११५३ ज ३७७,१०६,१२६, होती . ४९८,१०३, ७१२७११,१६७१ च ५२ १२ १०८:१०,१८० १.१ से १४३,१६२,१६५, यतिया (नवतिकी) १७१२५ १६७,१७३ से १७६,७८,१८० से १८२, णयब्द (नेता) ४।५५,५११६१८।३१११८१; १८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३, १५.१०२,१०८,१४३,१७।८८,२११५२; १९४,१६६,१६७,१६३,२००,२२५२१,२२७, २२१७६; ३६।२२,२६,३२,४६ ज १११२ से २६२ से २६५ १४,२५,४६:२।४,६,४६,५६,६४,१३६,१५६; णोलसुत्तय (नीलसूत्रक) प १७११६ ३॥६४,१५०,१५१,२१७,४११०,४७,५३,५६, णोली (नीली) ३।२४ ६०,६४,७६,८४,६०,६२,६६,१०६,१४१, पीलुप्पल (नीलोत्पल), १७१२४ १४७,१६०,१६३ से १६५,१७३,१७४,१६७, णीसंद (निप्यन्द) : ११३ चं १११ २०७,२१०,२३८,२४३,२६२.२६८,२७४, णीसल्ल (नि:शप) ५८ २७७, ५१५३ : ६१५७१३५,५०,५८१३०, पीसस (निर: वीरागंलिप १७॥२,२५, १३१ १३५.१५५,१७६ सू ७१,६।२,१०१२२ यु (गत) सू १६ णीसास (नि: ::२११६ गरइअत्त (नैरकत्व) प १५।१४ मोहम्ममाणा ( निज ६६३१ त्य (नरक) प २।२०,२१, ३११६,२२,४।३; गीहारिन (मिला). १२ १०३२ से ३८,४० से ४२,४४ से ५२; णीह (स्निह) प? ११॥४४,८०,११२,११ से १३,१५,३६; णणं (जन) 2212:१:४९५ से १०४, १३११४,१६ रो १६; १४१२,३,५,७,६,११ से ११५.१२.१: ० ४८,१४६,१५१,१५.४; १५,१८,१५११७,१८,३५,४६,४८,५६,६२, ३६१८१ ६३,६५,६६,७१,७५,७८,८२,८३,६१,६४ से उर (दे०) १४६१ ६,१००,१०२,१०७.१०८,११८ से १२०० Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३० १२४,१३४,१३५,१३८, १४०, १४१; १६ ३, ६, ११,१४,२०,२५,२६,३१,३२,१७।१ से ६, ८ से १४,१७,१८,२३,२५,२८,२६,३२,३७, ४०,४२,४६,५७,८५,६० से ६२,१००,१०६ से १११,१८२, ५, ८,६,११,१२१, २०११/१ २०११ से ३,६,७,६,१०,१४, १५, १७ से २०, २३ से २५, २७, ३२, ३४, ३५, ३५ से ४२,४६, ५२,२११५१, ५२,५८,५६,६५,६६,७७,८१, ८७ २२।११.१३,१५,१७,१६ से २१,२३, २४,२६.२७,३०,३१,३३,३५,३७ से ४५,४७, ५३,५७,६६,७३,७५,७६,७६,८२,८७,८८, १०,६८,१००, २३१२, ४, ६, ७, १०, १८,३७,५४, ७८८०.१४६, १६४ से १६६, १६८, २४११, ३, ५. ८, १४, १५, २५१,२,४,२६११,३:२७११,६; २८।१,३ से ५, २१ से २६,३०३८,९८, १०१, १०२,१०४,१०,११७,११९.१३३,१४३ से १४५, २६।५ से ७,१५,१८,१६,२२३०१५ से ७,१४,१७,२४:३११२, ४,६११, ३२१२, ५; ३३।१ से ७,१६,२७,३०,३१,३४,३५,३७, ३४११,३,५,६,१०, १३, १४,३५१२, ५, ७, ६, ११, १३,१५,१७,१८,२१,३६१४,८,६,११ से १३, १५,२८,२० से २२, २४, ३० से ३४,३६,४३ से ४७,४६,५४,६५,६८,६६,७२ ज २७१ अणिजय (नैरयिकासंज्ञ यात्रुष्) प २०१६२,६४ इयत्त (नरक) १५१०३, १०४, १०६, १११, ११५, ११८, १२२,१२६,१२६, १४१, ३६।१८,१६,२१,२३,२५,२६,३० से ३४,४६, ૪૭ राज्य (नैराष्) प २३११८,३७,७८, ८०, १४५, १६, १७० णेरतिय (नैरयिक) प १०३६ वच्छ (नेपथ्य ) प २१४१ वस्थ (नेपथ्य ) ज ५१४३,७११०१ वाण (निर्वाण ) प २६४२० इस णिआय-गोहुमणोवादर सप्प (सर्प) ज ३।१६७१२,१७८ को (नो) प ११।६८ ज २१६ सु ८१ गोअपरित (नोअपरीत ) १८ ।११२ असंजय (नोअसंत ) प १८६२ पोअसण ( नोअसंज्ञिन् ) प ३११२,६ गोइंदिय (नोइन्द्रि ) प १५७० कसायवेयणिज्ज (नोकषावेदनी) १२३३१७, ३४.३६ नोपज्जत्तयणोअपज्ज सय (नोपर्याप्तकनो अपर्याप्तक) १८११५ पोपरित (नोपरीत ) प १८ ।११२ जोभवसिद्धियणो अभवसिद्धिय (नोभवसिद्धिन अभयसिद्धिक) प १८ ।१२४; २८।११३,११४ गोभवोवातगति (नभिपपातमति ) प १६१३७ गोभवोववायगति (नोभवोपपातगति ) प १६२४, ३३ से ३७ गोमालिया ( नवमालिका) प ११३८ ।११६ ४१६६ पोमालियाड (नवमालिकापुट ) ज ४।१०७ गोसंजतणोअसंजतणोसंजया संजय (नमंत्रनोअसं तनोसंयतासंयत ) प ३२/१,२ णोसंजतणो असंजयणोसंजलासंजय (नोनोअसं तनोतात ) प ३२१४ गोसंजय (नोगत) प १८६२ गोसंजयण असंजयणोसंजयासंजय (नोसं तनोअसंयतनो संवतासंगत ) प २८।१३१,३२३,६ गोसंजय संजय (नोगतात ) प १८६२ गोणिनोअल (नोसंजिना असंज्ञित् ) प १८१२१६२८११२०,१२१,१३४,१३६: ३१।१ से ३,५,६ णोसुहमणोवादर ( नोनुक्ष्मनोवादर ) प १८ ।११८ Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ण्हाण-तटु Vव्हाण (प्णा) रहाणे इ उ १९७ ण्हाणेति ज २११०० पहाणति २०६६ ण्हाणपीढ (स्नानपीठ) ज ३१६,२२२ व्हाणमंडव (स्थानमण्डप) ३१९,२२२ व्हाणमल्लियापुड (स्नानलिकापुट) ज ४।१०७ व्हाणेता (स्नात्वा) जERE हा (स्नात) सु २०१७ हाय (स्नात) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२,८५, १२५,१२६,१४३,१५३ ३ १।१६,४२,७७, १२१,१२२,१२६ ; ३।२६,११०,१४१,४।१२, १८,५१७ व्हारु (स्ना) ज २११३६, ३।२४ पहाव (स्नापय ,स्नपय ) पहावेद ३३।११४ व्हावेता (स्ना , स्मापयिता) ज २११०० त (तत्) प ११ सू११ १११ तइय (तती?) १३१२१,81८०।११५३१४३ ज।१३५।१।४।५६,९७,१४२॥३,७१०८, १५८ च ४१३ सू १८।३ उ १२२७३६६८ ४१ तइया (तृतीया) ज ७।१२५ १०११४८,१५० तइविह (ततिविध) प १५५६ उखंड (पुखण्ड) प ११७४ तउय (पुनः) प १२०।१ तउस (अपुस) प ११४८१४८ ॥ ३१११६ खीरा तउत्तमिजिया (चसमितिका) प ११५० उसी (पुत्री) ११.१ खीरा की लता तए (ततस् ) - १४, २।८।३।११:५३१३ तओ (तता) ३४१ से ३,३६१७७,६२ 3३५१.५३,५४,८६,१०७,११०,१३६; ४१२१ तंजहा (तदया १२ तंडव (ताहर) ५१५७ तंडुल (ताल) १।१२,८८,२१५८ उ ३१५१ नंत (तान्त) उ १५. तंतवा (तान्त्रवक) प ११५१ तंती (तन्त्री) प २१३०,३१,४१,४६ ज ११४५; २।६५:३१८२,१८५ से १८७,२०४,२०६, २१८,५१,१६७।५५,५८,१८४ सू१८।२३; १६।२३,२६ तंतु (तन्तु) ज ३।१०६ तंतुवाय (तन्तुवाय) प ११६७ तंदुल (तण्डुल) उ ३३५१ तंदुलमच्छ (तण्डुल मत्स्य) प १३५६ तंदुलेज्जग (तन्दुलीय) प ११४४।१ वायविडंग, ___चोलाई का साग तंब (ताम्रप १२०।१२।३१:१७११२५ ज२११५:३११३८।१ तंबकरोडय (ताम्र करोडय') प १७/१२५ तंबखंड (ताम्रखण्ड) प १११७४ तंबच्छिकरण (ताम्राक्षिक रण) प१७१३४ तंबछिवाडिया (ताम्र छिवाडिया') ११७६१२५ तंबिय (ताम्रिक) उ ३३५०,५५ तंस (त्र्यस्त्र) प ११४ से ६१०१५,१६ तक (तकत्) ज ३१६५,१५६ तक्करबहुल (तस्करबहुल) ज १११८ तक्कलि (तकिल) प १।४३११ चक्रमर्द वृक्ष, चकवड तगरमेला (तगरमेला)ज ३।११०३ तगरपुड (तगरपुट) ज ४११०७ तच्च (तृतीय) प ३११८३,२१६०,३३।१६:३६।९६२ ज ७।१६२ सू ११४,१६,१७,२१ उ ११३६, ४०,११५,११६, ३१,२,२३,५४,६०,६१,७७, ७८,८७,१८,१०८ तच्चा (तृतीया) सू १२०२१ तच्छण (तक्षण) ज २१७० तट्ट (दे०, स्थल) परा८ त? (स्त) ज ७/१२२।२ सू १०१८४१२ तदेवया (त्वष्ट्रदेवता) सू १०८३ तठ्ठ (त्वष्ट्र) ज ७११३०,१८६६४ Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६.३२ नड-तयणंतर तड (तट) ज ३३१०६ उ ५१ तडाग (तटाक) प २०१३ तडित (तडित् ) ज ३।२४ तण (नण) प ११३३११,११४२,४४११,१।४।४६; ३८६१ ज ११३,२१,२६,२६,३३,४६:२१७, २६.५७,१२२,१२७,१४४ से १४७,१५०, १५६,१६४,३३९८,१६२,४१६३,८२५१५ तणमूल (तृणमूल) प ११४८१८ तणय (तृणक) ज २।३६ तणवणस्सइकाइय (तण वनस्पतिकायिक) ज २२१३१ तविटिय (तुणवन्तक) प ११५० तणविहूण (तणविहीन) ज १।१४ तणसोल्लिया (दे०मल्लिका) ज ३१३५ हणाहार (तृणाहार) प ११५० तणु (तनु) प २१६४ ज ११५१,२।१५,१३३; ४१४५,१५६,७११७८ तणुक (तनुक) ज ३।१०६ तणुतणु (तनुतनु) प २०६४ तणुय (तनुक) ज ११८,३५,५१,२।१५; ३११३८।१४:४५,११०,११४,१५६,२१३, २४२ तणुयतर (तनुकतर) प ११४८१३४ से ३७ तनुयरी (तनुतरी) प २२६४ तणुवाय (तनुवात) प ११२६; २०१० तणुवायवलय (तनुवातवलय) प २०१० तण्हा (तृष्णा) प २।६४११६ ज ३११२१।१ तत (तत) ज ५१५७ ततगति (ततगति) प १६१७,२२ तति (तति) प १५।१३४ ततिय (ततीय) प १०।१४।१ से ३,१११४२,८८, १२॥३२,३८,३६।८५,८७ सू १०१६५,६६,७३, ७७,१२।१६:१३३१० उ १२६३ ततिविह (ततिविध) प १६:२० तते (ततस) ज ११६ ततो (ततस्) प ३४।१,३,३६१८५ ज ३।३५ तत्त (तप्त) प ११४८१५६,२१३१,४८ ज ३१११७ तत्तकवेल्लुयभूय (तप्त कावेल्लुय'भूत) ज २११३२, १४१ ततजला (तप्तजला) ज ४।२०२ तत्ततव (तप्ततपस्) ज ११५ तत्तसमजोइभूय (तप्तसमज्योतिर्भत) ज २११३२, १४१ तत्तिय (तावत्) ५ १५३१०३ ज ७२०० सू १०६५,६६,७३,७७,१२२१६:१३।१० तत्तो (ततस् ) प १३१७,११४८११२१६४१४; २११४७।१,२,३४११,२ तत्थ (तत्र) प ११२० ज १२१३ सू१।१४ उ ११० तत्थ (त्रस्त) प २२० से २७ ज ३।१११.१२५ उ १८६ तत्थगय (तत्रगत) ज ५।२१ तदणुरूव (तदनुरूप) ज २।१४१ से १४५ तदुभय (तदुभय) प १४।३,२२१४ से ६; २३:१३ से २३ तप्प (तप्र) प ३३११६ तप्पभिइ (तत्प्रभृति) ज २१६७ उ ३।११८ तप्पाउग्य (तत्प्रायोग्य) प २३१२००,२०१ तम (तमस) ज २१३१ तमतमप्पभा (तमस्तमःप्रभा) प ११५३,२१,२०, १०११ तमतमा (तमस्तमा) प २।२७,२।२७१३ तमप्पभा (तमःप्रभा) प ११५३; २१,२०,२६ ३।१६,४१६ से २१:१०।१ तमस (तमम् ) प २१२० से २७ तमा (तमा) प ३.१५,१६,१८३, ६.१५,७८,६१, २०१४२२११६७,३३१८,१६ तमाल (तमाल) प ११४३।१ तय (त्वच) उ ३१५०,५१,५३ तयणंतर (तदनन्तर) ज ४।२१३ Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तयणुरूव-तह पगार तवणुरूव (तदनुरूप) ५११७४ तव (तम्) तवइंति सू १६१ तवामु ज ७।१ तया (त्वच् ) प १।३५,३६,११४८।१३,२३,६३; सू १६१ तवइस्सति सू १६१ तवंति ११४८ ज २२६७,१४५,१४६ ज १५७ तवयंति ज ७५४ सू ४।१० तया (तदा) सू १११४१०१२६ उ ३१६२ तविसु सू १६१ तविस्संति ज २११३१ तयाणंतर (तदनन्तर) सू १।१४,१६,२१,२४,२७, सु १०११३२ तवति ज ७१ यु ३१वेंसु म १६ तवेति सू ३१२ तयावरणिज्ज (तदावरणीय) ज ३१२२३ तवणिज्ज (तपनीय) प ११४८१५६२।३१,४८ तयाविस (त्वगविष) प ११७० ज ३१२४,३५,१०६,११७,४१४६,५३८,६७, तयाहार (त्वगाहार) उ ३१५० ७।१७८ तरंग (तरङ्ग) २३१५,१३३: ५।३२ तवणिज्जमय (तपनीयमय) ज ४७,१३,८६,२०६, तरच्छ (तरक्ष) प १४६६११०२१ ज २३६,१३६ २५१,२५२,५१३४ तरच्छी (तरक्षी) प ११२३ तवविसिठ्ठया (तपोविशिष्टता) प २३१२१ तरमल्लिहायण (तरोमल्लिहायन) ज ७१७८ तवविहीणया (तपोविहीनता) प २३३२२ तरण (तरुण) ज २१५, ३१३,२४,३०,१७८; तविय (तप्त) ज ३१३५,१०६७।११२१५ सू१०१२६।५ तरुणी (तरुणी) ज ३१८२,१८७,२१८ तवोकम्म (तपःकर्मन) उ२।१०,३।१४,५०, तल (तल) परा२० से २७,३०,३१,४१,४६ ४१२४:५।२८,३६,४३ ज ११४५,२१६५,३।७,८२,१७८,१८४,१८६, तबोवहाण (तपउपधान) उ ३.८३ १५७,२०४,२०६,२१८,४।३,२५,४६,६७,६२, तध्वरित (तद्व्यतिरिक्त) प २३।१६१,१६३ ८५,१२५,१४२,५।१,५,१६,६२;७।५५,५८, तव्यतिरित्त (नव्यतिरिक्त) प २३।१६२ १७४,१७८,१८४ सू१८१२३,१६०२३,२६ तसकाइय (त्रसकायिक) ५ ३१५० से ५२,५६,६०, तलऊडा (त्रपुटी) प ११३७१३ छोटी इलायची ७२ मे ७४,८३ से ८७,६५,१७१ से १७३; तलभंगय (तलभङ्गक) प २।३१ १८१२८,३०,३६,४७,५४ तलवर (तलवर) प १६।४१ ज २२५; ३१६,१०, तसकाय (सकाय) प १५।५३,५४ ७७,८६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६, तसणाम (वसनामन्) प २३।३८,११७ २१६,२२१,२२२ उ १६२,३१११,१०१; तसरेणु (त्रसरेणु) ज २१६ ५१० तसित (तृषित) प २।२३ तलाग (तडाग) १११७७ ज २।३१ तसिय (तृषित) ५ २०२० से २२,२४ से २७ तलाय (तडाग) प २१४,१६ से १६,२८ उ १८६ तलिण (तलिन) ज २११५ तह (तथा) प १११३ ज ३३११ चं ४।१ गू श८ तलिय (तलित) उ ११३४,४६,७४ उ ३७६ तल्लेस (तल्लेश्य) प १७।६२,१०२ से १०४ तह (तथ्य) उ १।२४,३११०३ तव (तपस्) प ११०१।१० ज ११५,२।७१,८३, तस्संठित (तत्संस्थित) ज ४१३ ३।३२११,११७,२२१:७११६६ उ ११२,३; तहत्ति (तथेति) ज ३१५३,१०० ३।२६,३१,६६,१३२,५२६,३२ तहप्पगार (तथाप्रकार) प ११२०,२३,२६,२६, Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३४ तहप्पगार-तालियंट ३५ से ३७,३६ से ५१,५६,६०,६३ से ६६, ७०,७१,७५,७६,७८,६६,६६१११२१ से २५ तहा (तथा) प ११३१३ ज ३३१०७ सू ८१ उ १७ तहारूव (तथारूप) उ१।१७:२।१०,१२,३३१४, १६१,१३६,४१,४३ तहाविह (तथाविध) प ११४८७,१० से ३७,४१, ४३ तहिं (तत्र) प २१६४१५ तहेव (तथव) प ११४८।२ ज ११५१ सू ११७ उ १७ ता (तावत्) मू १५१० ताओ (ततस्) ज १२२० उ २।१३,३।१८।। तागंधत्त (तदगन्धत्व) प १६।४६:१७१११५,११६, ११८,१४८,१४६ ताडिज्जमाण (ताड्यमान) मू ६।३ ताण (त्राण) ज ५।२१ ताफासत्त (ततस्पर्शत्व) प १६।४६,१७४११५, ११६,११८,१४८,१४६ तामरस (दे०) ११:४६ तामलित्ति (ताम्रलिप्ति) प ११६३६१ ताय (तात) उ १.४२ से ४४ तायत्तीसा (त्रयस्त्रिंशत) प २१३२,३३,३५,५०,५१ ज २१६० तार (तार) प ११:२५ तारंतर (तारान्तर) ज ७१६८०२ तारगग्ग (तारकाग्र) चं ५२ सू १९९२ तारग (तारक) सू १६।२२।११ तारग्ग (ताराग्र) ज ७१२७।१,१३११२,१६७।१ सू १०५५,१६२२१२,२६ तारया (तारका) प २।४८ ज ५१२१ सू१०१५५; १९४२२ तारसत्त (तद्रसत्व) प १६:४६;१७।११५,११६, ११८,१४८,१४६ तारा (तारा) प ११३३ ज ३१७६,११६,१८५, २०६७१३१,१७७१३,१८२ तू १०॥५५, ५६,५७,५६,६६,६२७१५११,१८१४,१८,१६, ३७, १६२२।१,१६२२,३१ तारागण (तारागण ३१६,१७,२१,३४,१७७, २२२,७११।१,१७० सू १८१४; १९३१,५१३, ८.३,१११४,१५१४,१६,२११५,८,१६२२।३२, १६:३१,३५,३८ तारापिण्ड (तारापिण्ड) १६२२११ तारारूव (तारारूप) ५२१४६ से ५१.६३ ज ४।२७, ७५५,५८,१६८,१७३,१७४, १७८।२,१७६ से १८२,१६७ सू १५१; १८.१ से ३,१८ से २०,३७,१६।२३,२६; २०१७ उ १२:५१४१ ताराविमाण (तासनान) प ४१९०१ से २०६, ६.८५ जे ७.१६१,१६६१८६१,८,१३, १७,३५,३६ तारिस (तादृश) १०।१६४, २०१७ तारिसग (तादृशक) सू२०१७ उ १३६, १८,२०% ५।१३,१५,३१ तारूवत्स (तद्रूपत्व) प १६।४६; १७११५,११६॥ ११८ से १२८,१४८ स १५२,१५४,१५५ ताल (ताल) प १४७११, २१३०,३१,४१,४६ १४५; १६५,३१८२,१८६,२०४,२०६, २१८,२२२; ५११,१६, ७५५,५८,१८४ सू१८१३, १६॥२३,२६ ताल (ताड) पश४३।१ पताल (ताडय) ताइउ ५।१६ तालेहि उ ५।१५ तालण (ताडन) ज १७८ तालपुडग (तालपुटक) उ १८६,६० तालायार (तालाचार) ज ३११२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१२८,२१२,२१३ तालिय (ताहित) ५१७ तालियंट (तालदन्त) ज ३१११५।१०,५५ Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तालु - तित्यगरत्त तालु (तालु) प २।३१ ज २११५; ३।३५, १०६, ७१७८ ताब ( तायत् ) प २४७ उ ११५१ ताब (ताप) ज ७ ३२ ३५० तावइय ( तावत् ) ज १११६,३८४११२१,१४२, २१७ तावकखेत्त (तापक्षेत्र ) सू २ ३ ४ ५ ६ ११ १६।२२।१४,१६१२३,२६ तापह (तापक्षेत्र ) सू १६।२२५ तावण्णत ( तद्वर्णत्व ) प १६/४६ १७ ११५, तिगिछद्दह ( तिच्छिद्रह) ज ४८५ से ६१ तिगिच्छकूड (तिगिच्छकूट) ज ४।२७५ तिमिच्छायण ( चिकित्सायन ) सू १०।११६ तिगुण ( त्रिगुण) व २२६ ७ ७,६६, ६०, ११८, १२१, सू १०६०,६१,१८६ से १३ तिगुणित ( त्रिगुणित ) सू १९१२२/२३,२५ तावखेत्त (तापक्षेत्र ) ज ७१३२,५५, ५८, १६८,२१२, तिजमलपय ( त्रियमलपद ) प १२१३२ २१३ तावक्खेतसंठिति (तापक्षेत्रसंस्थिति) ज ७१३१,३५, सू ४१,३,४,६ तिट्ठाणचडित ( त्रिस्थानपतित ) प ५ १२, १४,१६, २०,२६,५३,५७,१६,६३,६८,७२,७४,७८,८३, ११६११८, १४८, १४९ तावतिय ( तावत् ) प १५५१,५२, ६२ ज ४।१० तावत्तीस ( त्रयत्रिंश) ज ५।५० तावती (नाशिक ) प २१३२,३३,३५,४६ से ५१ ५ १६ तावतीसय ( त्रयस्त्रिंशक ) ज २० ताबत्तीसा (त्रयस्त्रिंशक ) प २१३० से ३२ तावस ( तापस ) प २०१६१ ३१५०, ५५. तावसत ( तापसल) उ ३1५०, ५५ ताहि (तत्र ) प २४६ ताहे ( तदा) ज ७५६ उ ११५२३।१२३ ति (त्रि ) प १११३ ज ११७ चं ३।३ सू ११७ उ १।१४ तिउड (द०) ज ४।२०२ दु (तन्दु) १।३६।१ ( निन्दु) (तिन्दुक) fara ( तीक्ष्ण) ज २१३३७ १३८ तिक्खम्ग ( तीक्ष्णाग्र) ज ७११७८ तिक्खधार ( तीक्ष्णधार) ज २।१३१; ३३१०६ तिक्तो (त्रि ) ज ११६ २०३१५,८८,८६, ६८,१३१,१३५, १५५,१५६:५५, २१ से २४, १६३५५ १४८४८ ६३५ ४४,४६,५६ उ १ १६,२१:३११०३, ११३; ४११३,१६ तिग (त्रिक) ज २२६५; ३।१८५,२१२,२१३ ५/७२,७३७११३१।१ उ ११६८ ६४,६७,१०१,११२,११५,११६,१२२ दिट्ठाणवडिय (विस्थानपतित ) प ५।१८ तिणिस (तिनिश) ज ३।३५,१७८ तिष्ण (तीर्ण ) ज ५।२१ तितिषख ( तितिक्ष ) तितिक्खइ ज २६७ तित्त (तृप्त ) प २६४११६ तित (क्ति) प १४ से ६,५१५,७,२०५१११५८, १३/२८:२३१४६, २०१२०,३२,६६ ज २२१४५ तित्तिर ( तित्तिरि ) प १।७६ सू १०११२० तितोस ( त्रयस्त्रिंशत् ) ज ४।६८ तित्थ (तीर्थ) ज ३११४, १५, १८, २०, २२,३०,३१; ४१३,२५,५५५,६।६, १२ से १४ तित्थकर ( तीर्थकर ) ज २/६३,१२५ तित्थगर (तीर्थकर ) प २०।१।१ ज २६०, ६५, १०१ से १०३, ११३ ११४,११६,१५३; ५७,२२, ७०, ७३ तित्थगरचियता ( तीर्थकरचितका ) ज २ १०५ से ११२ वित्rगरणाम ( तीर्थकरनामन् ) प २३३८,५६, १२६, १४६, १७४, १८६ गिरणागोय (तीर्थकर नामगोत्र ) प २०१३६ वियगरत ( तीर्थंकरत्व ) प २०१३८ से ४०, ४५. ४६,५१ Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्वगरव-तिरिक्खजाणिवत्त तित्थगरवंस (नीर्थकरवंश) ज २।१२४,१५२ ८३,८५८८६,६३,६५ ले ९० १०२, तित्थगरलरीरग (तीर्थकरशरीरक) ज २१६६ १०६,१५५:४।३७.१७२।१.१७८,६।१६ तित्थगरसिद्ध (तीर्थकरसिद्ध) प १३१२ तिमिसगुहाकड (निभिसागुहाट) । ११३४ तित्ययर (तीर्थकर) ज ४१२४८,२५० से २५२, लिय (वि:) १६११५ ७१३१११ ११.३.५,८ से १४,१६,१७,२१.२२,४४,४६: लिय (इदिय) प्रीमियम १७१६६ ६०,६२,६४,६६ से ६६.७२,७३,७११६८ सियभंग (विभः) ५२४७,१३,२६,६; तिस्थयरमाउ (तीर्थक रमात) ज ५९ से १२ २८।११२,११६,११६,१२१,१२३,१२५,१२६, तित्ययरमायरा (तीर्थकरमात) ५५,१४,१७ १२८,१२६,१२,१३६,४३६ से १४५ तित्थयरमाया (तीर्थकरमात) ज ५॥७,८,४६,६७ तिरिक्ख (तिच) ॥ १७॥३३,२१७ तित्थयराइसय (तीर्थक रातिशय) उ४।१३ लिरिक्खजोनिधी (पर्याय) प३।६८,१२८, तित्थयरातिसय (तीर्थकराशिय) उ १।१६,४१८ १८३:१७166,:.६ ,९१८।४,१०; तित्थयराभिसेय (तीर्थकराभिषेक) ज ५०५४ से ५६ २०११३:२३।१६४,१०६.१६८ तित्यप्तिद्ध (तीर्थ सिद्ध) ५ १:१२,१६॥३६ हिरिजोणिय लिया ११५२,६४,५५., सिधा (त्रिधा) ज ११८ ६० से ६२, ६ ७ ,७,८१२।२८, तिपएसिय (त्रिप्रदेशिक) प ५११३१,१५६;१०८ २४,३५,२६१२७,१८६ ४.१०४ से १५७; तिपडोयार (त्रिप्रत्यवतार,त्रिपदावतार) सू १९१३५ ५.३,२२,२२,८३,८५.८६,८८,८६,६२,६३, तिपदेस (त्रिप्रदेशिक) प १०६१४३१ ६६.६७६२१,२०४८,५८,६५,७०,७१,७८, तिभाग (त्रिभाग) प २१६४१४,६,७,९;६.११६; ८१,८२,८३,८८,८६,९२,६६,६६ से १०३, २११६१,२३१७८,७६,१४७,१६२,१६६, १०५,१०,११:.११६, ८६,६१६,७,१६: जे १२०,४८,२१५८,१२६,१५५,९५७,१५६, १७,२२,२६, ११:४६,१२१४.२१:१६।१८; ३११,७१३२,३४ सू ११२३,४१५८६३ १५॥३.५,५६,६७,१०,१२,१३८,१६७,१४, तिभागतिभाग (त्रिभागत्रिभाग) ५६।११६ २५,२७; ११२९५,३८,८१ से ४३,५८, तिभातिभागतिभागावसेसाउय ६३ से ६६८ ७,८६,६७.१०४:१८।३,१० (विभागत्रिभागत्रिभागावशेपा बुक) ५६।११५, १९१४,२०११३,१३,२६,२५,२६,३४,३५,४८, २११८ स १८,६ स ३२,४३,५३,६०,६८, तिभागतिभागावसेसाउय (विभागत्रिभागावशेषायुक) ७७,८२,८८२३१,०८,८७.९८२७६, प६।११५ १६४,१०६,१६८,१६६२४७२८१४७,४८, तिभागावसेसाउय (त्रिभागावशेपायुक) प ६.११५, ११६,१३०,१३,१६७,१४४,२६१५,२२, ३११४;३२११, २२११,१२,२१,२८,३२,३६ तिभागूण (त्रिभागान) परा६४१७ सू १२३ ३४।३,८,६५४१८,२१ १७.४०,५१,५७, तिभाय (विभाग) ज २१५५ से ५७,५६,१५६,१५८ ७२.७३ ज 2,१३५ से १३७ तिमि (तिमि) प ११५६ तिरिक्खजो गयअस आज्य हिर्शमगिल (तिमिङ्गिल) ५ ११५६ (तिर्यनिवासया ५) ५६१६४ तिमिर (तिमिर) पश४१।१ ज ३१६५,१५६ तिरिक्खजोषियत्त (तियंग्यौनिकत्व) १५११७, तिमिसगुहा (तिमिस्रागुहा) ११२४३१६८,६६, Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरिक्खजोणियाउय-तुच्छ तिरिक्खजोणियाउय (तिर्यग्योनिकायुष) तिवण्ण (त्रिवर्ण) प ७.१७८ प २०१६३,२३१७६,१४७,१५८,१६२,१६५, लिवलि (त्रिवलि) ज ३११३८११ १७० तिवलियवलिय (त्रिपालिकवलित) ज २११५ तिरिच्छ (तिर्यच) सू १।६।१ तिवलिया (त्रिवलिका) ज ३१२६,३६,४७ तिरिच्छगति (तिर्यगति) सू २।१ च २१ उ १२२,११५,११७,१४० तिरिय (तिर्यच) १ २१४१ से ४३,४६,४८; तिविह (विविध) प १११११,११५४.६०.६६,७५, ११६६५,६६:१५१५२:२०१५३,२११८७,६० से ७६,८१,८५;६।१,६,१३,२०,२६,१३७,१०, ६३,२३१३६,८२,११२,११५,१४८,२८११५, ११,१३,१५७५१६१४,२४;१७।११,२५, १६,६१,६२,३१६६।१,३२१६।१,३३३१६,१७ ३०,१३६ १८१५६,६४,७७६०,१०५२११८; ज २१४६,७१,६०,१३७,३७६.११६,११८%, २२।४ से ६२३१३३,४२,२६७,३०१३; ४१५२,५१५,४४,७।४४ ५४ सू २।१४।१०; ३५१,६,८ से १० चं ११४ उ ३।३८,४२ १८।११६।२२।१२ तिव्व (तोत्र) परा२७,२६ तिरियगति (तिर्यगति) प ६२.७,२३।१७२ तिसत्तखत्तो (त्रिसप्तकृत्वस्) प ३६.८१ तिरियगतिपरिणाम (तिर्यग्गतिपरिणाम) ५ १३.३ तिसमइय (त्रिसामयिक) प ३६.६०,६७ से ६६, तिरियगतिय (तिर्यग्गतिक) ५१३।१६ से १८ तिरियगामि (तिर्यगगामिन्) ज ११२२,५०,२१५८, तिसरय (त्रिसरक) ज ३१६,२२२ तिहा (विधा) ज १।२०२५५१५५ १२३,१२८.१४८,१५१ १५७,४११०१ तिहि (तिथि) ज ३।२०६७।११८,१२१ सू श६ तिरियलोग (तिर्यक्लोक) प २११८६ तीत (अतीत) ज ७१३६ सिरियलोय (तिर्यक् लोक) प ११.४,८,१०,१३, तीतवयण (अतीतवचन) प १११८६ १६ से १६.२८३।१२५ से १७३,१७५,१७७ तिरियवाय (तिर्यग्वात) प ११२६ तीय (अनीत) प १५:५८२ ज २।६०,३।२६,३६, तिरियाउय (तिर्यगायुप) प २३११८ ४७,५६,१३३,१३८,१४५, ५॥३,२२,७५२ तिरोड (किरीट) प २।४६ ज ६।३१ तीर (तीर) ज ४।३,२५,६७ तिल (तिल) प ११४५॥१.१२४७१३ ज १३७,११६ तीस (त्रिशत्) प १८४ ज ११२० सू१११८ तिलक (तिलक) ज ३।१०६ उ ३।१४ तिलग (तिलक) ज ३११२,८८,१७२,५१५८; तीसइ (त्रिंशत्) सू १०।४ ७/१७८ तीसति (त्रिंशत्) सू १०३५ तिलचुण्ण (निलचूर्ण) प ११७६ तीसतिविह (त्रिंशद्विध) प १३८७ तिलतंदुलग (तिलतण्डुलक) सू १०।१२० तु (तु) मु १६।२२ तिलपप्पडिया (तिलपर्प टिका) प १।४७१३ संग (तुङ्ग) ५२।३१,४८ ज २११५,३८१,१५१, तिलपुष्फवण्ण (तिलपुष्पवर्ण) सू२०१८.२०।८३ ४१४६५।४३ उ ५५५ तिलय (तिलक) प ११३६:३;२०४८१५।५५१२ तुंड (तुण्ड) ज ३१२४ ज ४१४६ उ ३.११४ तुंब (तुम्ब) प ११४८१४८ उ ३।३०,३५,११६ तिलसिंगा (तिलसिला') प १११७८ तिल की फली तुंबी (तुम्बी) प १४०१ तिवई (त्रिपदी) ज ३।१७८,५१५७ तुच्छ (तुच्छ) ज ७११८ Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तुच्छत्त-तूली तुच्छत्त (तुच्छत्व) प १५६४४,४५ तुच्छा (तुच्छा) पू १०६० तुट्ठ (तुष्ट) ज २१४६,३१२,६.८,१५,१६,२६, ३१,४२,१०,५२,५३,५६,६१,६२,६७,६६, ७०,७५,७७,८४,६१,१००,११४,१३७,१४१, १४२,१४८,१५०,१६५,१६६.१७३,१८१, १८६.१६२,१६६,२०८,२१३,५१५,१५,२१, २३,२७ से २६,४१,५५,५७,७० उ १२१, ४२,४५,१०८, ३.१३,१०१,१०३,११३,१३६, १६०,४१११,१४,२०,५१५,३८ तुठ्ठि (तुप्टि) ज २१७१ उ ११७१,७२ तुडित (तूर्य) प २।३०,३१,४६ तुडित (त्रुटिक) ज ११३१,३।२६ तुडित (त्रुटि) प २१३०,३१ तुडिय (त्रुटित) प २३०,३१,४१ ज ३६,६,२६, ३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५,२११, २२१:५२१,५८ तुडिय (दे० त्रुटित ) ज २१४ संख्। विशेष तुडिय (तुर्ष) प २।३०,३१,४१,४६ ज १११४५; स६५, ३३१४,३०,४३,५१,६०,६८,८२,१३०, १३६,१४७,१४६,१७२,१८०,१८५,१८६, १८3,२०४,२१८५११,१६,२२,२६७।५५, ५८,१८४ सुडिय (३०) ज७१६८१२ सु१८१२३ अन्तःपुर तुाडयंग (दे० अटिनांग) ज १४ दुड़ियंग ( ङ्गि) ज ३११६७६१० तुण्णाग (तुम्नाय) ५ १९७ तुयट्ट (ताद : वृत्) यट्ट ति ज १।१३,३०, ___३३:२१७४१२ तुटेज प ३६।६१ तुरग (तुग्ग) ज ११३७,२३१०१,३३,२३,२८, ३५,३७,४१,४५,६७,४६,१७८,४।२७,५१२८ तुरगरूवर (तु गरूपधारिन्) म १८१४ से १७ पुरय (नग) ज ३११३१,१३५ सुरिय (ब) १२७८ तुरिय (नि) ६५,६०३१६,२६,३६ ४७, ५.६,६४,७२,७८,११३,१३३,१३८,१४५,१८०, २०६५३५,२१,२६,२८,४४,४७,६७ तुरुक (तुरु) प २१३०,३१,४१ ज २६५,१०६, ११०; ३७.१२,८८,५७,५८ - २०१७ तुल (नुना) ज ७.१३३१२ तुलसी (दुमली) ११३७॥१,२१४४१३ तुलासंठिय (तुमाथित) १०४० तुल्ल (गुरु) प ३३८ से १२०,१२२ से १२४, १७४,१७६,१७८ स १८२:५५,७,१०,१२,१६, १८,२०,२४,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६, ५३,५६,५६,६३,६८.७१,७४,७८,८३,८६, ८६,९३,६७,१०१,१०२,१०४,१०७,१११, ११५.११६,१२६१३१,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४,१४७,१५०,१५४,१६३, १६६,१६,१७०,१७२,१७४,१७७,१८४, १८७,१६०,१६३,१६७,२००,२०३,२०७, २११,२१४,२१८,२२१,२२४,२२८,२३४, २३५,२३७,२३६,२४२, ६।१२३,८१५,७,६, ११; ६।१२,१६,२५२१०१३ से ५,२६ से २९ ११७६,६०,१५११२,१६,२६,२८,३१,३३, ६४; १७५६ से ६६,७१ ते ७६,७८ से १३, १४४ मे १४६:०६४, २१११०४,१०५; २२११०१,२८।४१,४४,७०,६४।२५,२६.३५ से ४१,४८,८६,८३.१ ज ३।३,३५,७।१६८,१६७ मु १८।२,३,३७ तुल्लत्त (तुल) ज १६८ १८१३ तुवर (तुर) ज ३।२०३५५५,२६ तुवरी (तुयी) - १०।१२० तुसार (तुपार) परा६४ तुसिणीय (नुग्णी) ज २१६० उ ११३८,६१,६२, ५६,८७,२००, १२.६.५६.६१,६४,६८,७१, सूली मी) ज ४१३ Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तूवरी-तेया ६३६ तूवरी (तुवरी) प ११३७१३ १५३,१६२ से १६४,२८११२३ तेइंदिय (त्रीन्द्रिय) प ११५०,२१७:३।८,४० से तेउलेस्सापरिणाम (तेजोलेश्णापरिणाम प १३१६ ४२,४६,४६,१४७ से १४६,१८३,४१६८ से तेदिय (त्रीन्द्रिय) प १११४५०,३१४२,४६,४६ १००,५३,२१,८१,६।२०,६५,७१,८३,८६, तेंदुय (तिन्दुक) प १७:१३२,१३३ १०४,११५६।४;१११४५,१५१३४,७५,८१, तेंदूस (तिन्दुस) ५ ११४८।४८ ८६,१३७ ; १७।४०,६२,१०३,१८।१५,२२; तेगिच्छायण (चिकित्सायन) ज ७।१३२६४ २०१८,२३,२८,३३,४७,२११६,२८,४२; तेणबहुल (स्तेनवहुल) ज १।१८ २२१३१,२३१८७,१५१,१६०,१६१,२८।४५ तेण (तेन) सू ६।१ से ४७,१०१,१२५,१३६,२६।१३,३०।११, तेणउति (त्रिनवति) सू १२।१२ २१,३११३,३४१६ तेणउय (त्रिनवति) ज ४१६२ तेइंदियत्त (त्रीन्द्रियत्व) प १५१६७.१४२ तेणामेव (तत्रैव) ३४१२२ ज ३१५ तेउ (तेजस्) प ६१८६,६२,१०४.११५१३१६, तेतलि (तेजस्तलिन् तेतलिन्) ज २१५०,१६४; १६,१७४४०,६६,१८१२६,२०१८.२३,२८, ४११०६,२०५ ५७,२११८५:२।२४ तेतालीस (त्रिचत्वारिंशत्) सू१११६ तेउकाइय (तेजस्कायिक) ५ १११५:२७ से ९:३१५० तेत्तीस (यत्रिशत्) प २१६४।६ ज ४१६८ से ५२,५६,६० से ६३,६७,७१ से ७४,७८,८४ सू ११२० उ १११२६ से ८७,६१,६५,१६२ से १६४,१८३४१७२,७५ तंदुरणमज्जिया (दे०) प११५० से ७७,५१३,१३,१४,६१६,१०२ तेपण्ण (विपञ्चाशत्) सू १२।२० तेउकाइयत्त (तेजस्कायिकत्व) ज ७२१२ तेय (तेजस्) प २२०,३१,४१.४६,२८१४१ तेउक्काइय (तेजस्कायिक) प श२४२१७, ३१४, ज२११३३,३३३,१८,६३,१८०,१८८७।११२१५ १६४,१८३;६।५,१२१२२; १५।२६,८५,१३७; सू१०।८८,१२९५ उ ३।४८,५०,२५,६३, १७६१ से ६३,१०३ ; १८१३,३८,४०,५१; ६७,७०,७३,१०६,११८ २०।२७,२६,३१,४५,२११२५,४०,२२॥३१ तेयंसि (तेजस्थिन् ) ज ३१७७,१०६ तेउलेस (तेजोलश्य) प १३।१५; १७१६५,६६, तेयग (तेजस) प २११७६;३६॥३२ १०२,१६८ तेयगसमुग्धाय (तैजससमुद्घात) प ३६।८,१२,२६, तेउलेसट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान) प १७६१४६ ३२,३५,३७,४१,५३,५५,५७,५८,७३ तेउलेसा (तेजोलेश्या) प १७।५५,१२१,१४६ तेयगसरीर (तैजसशरीर) प २११७५ से ८१,८३, तेउलेस्स (तेजोलेश्य) प ३१६६; १३।१६,२०; ६०.६४,१००,१०३,१०४ १७१३३,५६,५६,६०,६२,६४,६६ से ६८,७१ तेयगसरीरय (तेजसशरीरक) प१२२० से ७६,७८ से ८४,८७,८६,६५,१०१,१०२, तेयय (तेजस) प १२।१ से ५,२१११;३६।१।१ १६७१८७२, २८।१२३ तेयलि (दे०) प ११४३३१ तेउलेस्प्लट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान) प १७१४६ तयलेस्स (तेजोलेश्य) ज ११५ तेउलेस्सा (तेजनश्या) प १६.४६% १७१३४ से तेयरिस (ते स्विन्) २१६८,१३८ ३६,३६,५०,५३,५४,६३,१६,११७,११८, तेया (नजम) प १२।१४,१८,२१.२१.२६.२६,३५. १२१,१२२,१२६,१२६,१३३,१३७.१४४, २११६६,१०२,१०४,१०५,२३११२:३६१६२ Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० तेया-णियकुमार तेया (तेजा) ज ७।१२०१२ १०८८।२ तेहिय (व्याहिक) ज २१६ तेयाल (त्रिचत्वारिंशत्) ज ११२३ तो (ततस् ) प २१२७३ तेयालीस (त्रिचत्वारिंशत् ) सू १०१५६ तो (दे०) प १५१ तेयासमुग्धाय (जससमुद्धात) प ३६.१,५,७,४० तोण (तुण) प ३१३१,३५,१७८ ज ३।३१,३५ तेयासरीर (तंजसशरीर) प २११८४ से ६३ १७८३११३८ तेयाहिय (त्र्याहिक) ज २०४३ तोमर (तोमर) ज ३।३५,१७८ तेरस (त्रयोदशन) ५ ३६।८१ ज १७ सू १११४ ।। तोयधारा (तोयधारा) ज ५।१५१,६३,६४ तेरसक (त्रयोदशक) सू १३११२,१३,१७ तोरण (तोरण) प २११,३०,३१,४१ ज ११३७, तेरसम (त्रयोदश) प१०।१४।३ सु १०।७७; २।१५,२०७३।७,१७८,१६५,४।५,२३,२७ से १३।१० ३०, ३५,३७,३८,४०,४२,६५,६७,७१,७३, तेरसविह (त्रयोदश विध) प १६७ ७५,७७,६० से २,९४,११८,१२८,१४४, तेरसी (त्रयोदशी) ज २८८७११२५ १७४,१८३,१८६,१६५,२२१,२४६ : ५३१ तेरिच्छिय (तैरश्चिक) प २०६१ ज ३।६२,११६ ति (इति) प ११ च ११४ तेलापूय (तैलापूप) ५ ३६८१ ज १७ सू ११४ स्थिभग (स्तिभक) प ११४८।१ तेलोवक (त्रैलोक्य) प ११११:३।१२५ से १७३, स्थिमिय (स्तिमित) ज ११२,२६,३।१,३,१८,३१, १७५,१७७ १८०चं ६ सू११ उ १११,६,२८, ३१५७; तेल्ल (नल) पश१०११७:१५शि२:१५।५० ५२४ __ ज ३।११।३,५११४ उ ३३१३० स्थिहु (स्तिभु) प ११४८।१ तेल्लकेला (तल केला) उ ३३१२८ थ तेल्लसमुग्य (नलसमुदग) ज ५१५५ तेल्लसमृग्गहत्थगय (हस्तगततैलसमुद्ग) ज ३१११ थंभणया (स्तम्भन) प १६१५३ तल्लोक (अलोक्य) उ ५५ थंभिय (स्तम्भित) प २१३०,३१,४१,४६ ज ३३६, तेवट्ठ (त्रिषष्टि) ज ७।२० मृ २।३ २२२,५१२१,२८ तेवछि (त्रिषष्टि) ज २६४ थिक्कार (दे०) थक्कारेंति ज ५१५७ तेवण्ण (त्रिपञ्चाशत् ) ५ ४११३४ ज ४१६२ यण (स्तन) २११५:३३१३८ उ ३।६८,१३०; सू ११३ तेवार (त्रिसप्तति) ज २।४ थणगंतर (स्तनकान्तर) उ ४३२१ तेवीस (त्रिविशति) प २१४६ ज २।१२५ सू२।३ थणपाय (स्त पाय) उ३।१३० तेवीस (त्रिविशतितम) प १०१४।३ थणमूल (स्ता मूल) उ ३१६८ तेवीसइम (त्रिविशतितम) प १०1१४१२ थणित (स्तनित) सू २०११ तेवीसतिम (त्रिविशतितम) सू १२।१६ थणिय (स्तलित) प२३०११,६४०।२,८,१० तेसट्ठि (त्रिषष्टि) ज ७३३ ज ५।२२ तेसीइ (त्र्यशीनि) ज २१६४ थणियकुमार (स्तनितकुमार) प १११३१,४१५५; तेसीत (त्र्यशीति) सू १२३ ५१३,८,५१,६।१८,५२,६१,८१,८५,१०२,१०६, तेसीति (यशीति) सू ११२३ ११४;७।३,८१३,६३,१५:१११४४,१२१२, तेसोय (न्यशीनि) मू१।१४ १६,१३।१५।१५।१६,७१,७८,८४,१३६; ४।६ Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थणियकुमारत्त-दंडपति ६४१ १६३,१११७११७,६३,१०१:१६।१२००८, थम (स्तूप) प १११२५ ज २११५,२०,३१; १२,२१,२३,२४,२७,३५;२११५.५,६१,७०,६० ४ १२५,१२६ २२।२३,३०,३६,७३,६८,२४४५,२८।२७,६८, थूभियग्ग (स्तूपिकान) प २६४ ११६,२६७,१६,३०७,१७:३११२; ३३११, थूभिया (स्तूपिका) प १११६,३७,४।१०,४६ २०,२७,३१,३५:३४।२,३५।१८ ; ३६१५,२४, थभियाग (स्तृपिका) प ४८ ज ११३८,४११०, ३७,७२ ११५,२१७,२२६ थणियकुमारत्त (स्तनिल कुमारत्व) प १५२९५,१४१; से थेज्ज (स्थैर्य) उ ३३१२८ ३६१२२,२५ थेर (स्थविर) प १६१५१ सू २०।६।४ उ २।१०, थद्ध (स्तब्ध) ज ३।१०६ सू २०४।२ १२;३११४,१५६,१६१,१६७,५१३६४१,४३ थल (स्थल) प १७५ ज २११३१,१३४:३३३२,६८ थेरग (स्थविरक) ज २११३३ उ ३१५५ थोव (स्तोक) प ३।१ से १७,२४ से १२०,१२२ थलय (स्थलज) प ११४८१४० से १८१,१८३,६१२३,७२,३,८।५,७,६,११, थलय (स्थलक) ज ५।७ ६।१२,१६.२५:१०।३ से ५,२६,२७,१११७६, थलयर (स्थलचर) प ११५४,६१,६२,६६ से ६८ ६०,१५३१३,१६,२६,२८,३१,३३,३४.६४; ७६,३११८३;४।१२२ से १४८:६।७१,७८; १७९५६ से ५६,६१.६४,६६ से ६८,७१ से २११८,११ से १६,३५,४४,५३,६० ७४,७६,७८ से ८३,१४४ से १४६,२०१६४; थवईरयण (स्थपति रत्न) ज ३१३२११ २१।१०४,१०५,२२।१०१:२८१४१,४४,७०; थाल (स्थाल) १११।२५ ज २०१५,३३११५५५ ३४।२५,३६१३५ से ४१,४८ से ५१,८२ थालइ (स्थालकिन्) उ ३१५० ज२।४।२,६६ सु ८।१२०१५ थारुकिणिया (थारुकिनिका) ज ३।११११ थोवतराग (स्तोकत रक) ५३२२ थालीपाक (स्थालीपाक) म् २०१७ थोवूण (स्तोकोन) ज २०१५ थालीपाग (स्थालीपाक) ज २।३० थावरणाम (स्थावरनामन्) ५ २३।३८,११७ थासग (स्थासक) ज ३३१०६,१७८%,७१७८ दओदर (दकोदर) ज २१४३ थिग्गल (दे०) प १२११२ दंड (दण्ड) प २१३०,३१,४१,३६१८५ ज २१६, थिबुग (स्तिबुक) ११५१२६२११२४ ६० से ६२,३१३,१२,८८,११७,१७८,१६२; थिर (थर) ज ७।१२४,१२५,१७८ ४१२६,५।५,७,५८,७।१७८ उ १६३१ थिरणाम (स्थिरगामन्) प २३१३८,१२२ दंडग (दण्डक) ६६१२३१४८३,८५,१४१६,८, थिरीकरण (स्थिरीकरण) प १।१०१।१४ १०,१८,२०१५,२२१२०,२५,२८,४५,५६,५८ थिल्ली (दे०) ज २।३३ ७६,२३१८,१२,२८.१४५,३६८,१२,२०,२६ थी (स्त्री) प १८४ से ३१,३३,३४,४४,४५ थीणद्धि (स्त्यानद्धि) प २३११४,२७ दंडणायग (दण्डनायक) ज ३१६,७७,२२२ थीविलोयण (त्रीविलोचन) ज ७।१२३ से १२५ दंडणीइ (दण्डनीति) ज २१६० से ६२,३।१६७६ थुरय (दे०) प १४४२१२ दंडदारु (दण्डदारु) उ ३१५१०१ थूणा (स्थूणा) प १५॥१॥२.१५:५२ दंडपति (दण्डपति) ज ३३१०६ Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ दंडय ( दण्डक ) प ११८०, ८२ से ८४ १४/३४; १५ । १०२.१४०; १७८६, २२१३३, ३५, ४१,५४ दंडरयण ( दण्ड रत्न ) ज ३८८,८६,१५५, १५६, १७८,२२० दंडरयमत्त ( दण्ड रत्नल ) प २०६० दंडि ( दण्डिन् ) ज ३११७८ दंडिया ( दण्डिका) ज ३१३५ दंत ( द ) प २।२१ ज २।४३,१३३,१३४; ३११०६,१७८७ १७८ दंतंतर ( दन्तान्तर ) उ ११२७ दंतग्ग ( दन्ताम्र ) ज ७ १७८ दंतमाल ( दन्तमाल ) अश दंतमूल (दन्तमुगल ) उ १९७ दंतार ( दन्तकार ) प १६७ दंति ( दन्तिन् ) प १।४८।४ ज ३।२२१ १ १४, १५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२५,१२६,१३२, १३३,१३६,१३७,१४०, १४७ दंतु खलिय ( दन्त' उखलिक') उ३।५० दंस ( दंश ) उ३३१२८ दंसण ( दर्शन ) प १1१०१ १०; २।६४ १२: ३।१।१५।२१,२४, २८, ३०, ३२, ३४, ३७,४१, ४६,८०,६३,८४,८६,८७,८९,६४,६६,१०१, १०२,१०४,१०५,१०७,१११, ११२,११५, ११७१३/१६:१८११११, २०१६१; २३/२६, २८,६२,१३४,१७८३०१२६, २८ ज २२७१, ८५ ३।१७८, २२३५।४३ ३ ३३४४; ५१३, ३१ दंसण ( उ ) ( दर्शनोपयुक्त) प ३६/६३,६४ दंसणधर (दर्शनवर) ज ५३२१ दंसणपरिणाम ( दर्शनपरिणाम ) प १३२,१४,१६, १७,१९ दंसणमोहणिज्ज ( दर्शनमोहनीय ) प २३३,३२,३३ दंसणवत्तिय ( दर्शनप्रत्यय) ज ५१२७ दसणारय ( दर्शनार्य) १ १ ६२,१०० से ११० सणावरण ( दर्शनावरण) प २४१६ दंडेय - ददुर दंसणावर णिज्ज ( दर्शनावरणीय ) प २३१,३,८, १२ दक्ख ( दक्ष ) ज ५१५.५२ दक्खिण (दक्षिण) ज १२४६, ४१५२,५५,८१,८६, १८,१०८, १४३,१५१।१,१५६,१६४,१६५, १८५,१३,१९७, १६६,२००, २०४, २०६ मे २०८,२१३,२२७,२३०, २३७,२३८, २४६, २६२,२६५,२६८, २७१, २७७५३४८; ६१२३; ७।१२६ कूल (दक्षिण कूल ) उ३।५० दक्खिणा ( दक्षिणा ) ३३१४८,५० दखिल्लि ( दाक्षिणात्य ) ज १।२६; ३११६३; ४१३५,६५,७१,६०,११०,१४१,२०२,२१२, २२८,२२६,२३८५/४६, ७ १७८ दग ( क ) प १७१२८ ज ३११२५३७; ७ ११२/४ १०११२६१४, २०१८, २०१८/३ दगकलसग (दककलशक ) ज ५ ॥ ७ दगकुंभग ( दककुम्भक ) ज ५।७ दगथलग ( दकस्थालक) ज ५/७ दगपणवण्ण (दकपंचवर्ण ) २०१८, २०१८/३ पिप्पली (दक पिप्पली ) प ११४४१२ दगर ( दकरजस् ) प २३१,६४,१७१२८ ज २११५ दगण ( दकवर्ण) सू २०1८ दगवारग ( दकवारक) ज ५७ दट्ठव (द्रष्टव्य ) प १५।२६ दड्ढ ( दग्ध ) प ३६।९४ दढ (दृढ ) ज ३१२४; ५१५ ७२ १७८ दढपण (दृढप्रतिज्ञ ) उ १।१४१,२०१३ ढरह (वृढरथ) उ५१२११ दत्त (दत्त) उ ३।२।१,३।१७१ दद्दर (दे० ) प २।३०,३१,४१ ज ३१७,२४,१८४, २२१,५५५ ददु (द) ज २ । १३३ ददुर (दर्दुर) सू २०।२ प २०४६ २० २ Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दधि-दव्वीकर १४३ दधि (दक्षि) ज ४११२५:५१६२ सु १०।१२० दलिय (दलिक) ज ३१३५ दप्पण (दर्पण) च ३३१२,१०८:४।२८,५१५८ वव (द्रव) प २१४१ दप्पणिज्ज (दपणी) १७१३४ २०१८ दवारग (द्रबकारक) ज ३।१७८ दप्पिय (दपित) ३१२४; ७१७८ दव (द्रव्य) प १११०१।९३.१२४,१७७,१७८%; दभ (दर्भ) ज ११२२ उ ३५१५६ १०५:१११४७,५३,५५.५.७,५६.७० से ७३,७६ दभपुप्फ (दर्भपुल) र १० से ८५,१५।५७,१६।५०:२१११।१,२११२२; दम्भसंथार (दर्भस्तार) ज ३।२०३३,५४,६३, २२।१३,१५,१७,१६,८०,८२,२८।५; ७१,८४,१३७,१७,१५२ उ१४३ ३५।१।१ उ ११४० दब्भसंथारग (दास्तारः) ज ६।२०,३३,५४, दवओ (व्यतम्) ११११४८,४६१२१७,१०; २८५,५१, ३५१४,५ ज २६६ दभियायण (दायिन): १०।११२ दव्वजाय (द्रव्य जात) ज २१६६ दरणग (दमा ) प ११४४।३ ज ५१८ दोनावृक्ष, दव्वछ (द्रव्यार्थ) प३।११६ से १२०,१२२, द्रोणलता १७६ से १८२; १०।३ से ५,२६ से २६; दमणगड (दा कमुट) ज ४११०७ १७९१४४ से १४६,२११०४ दमणय (दग्गज ३११२८८ दवट्ठता (द्रव्याथं) प ३।११६ से ११८ दमिल (द्राविडी १८६ देवठ्ठया (द्रव्यार्थ) प ३३११४,११६,१२०,१२२, दमिली (विडा द्रमिका) ज ३।१११२ १७६ मे १८२,५१५,७,१२,१४,१६,१८,२०, दरि (दरि) ज २१३८,३८८,१०६ २४.२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३, दरिदा (दरिबहुल) न १।१८ ५६,५६,६३,६८,७१,७४,७८,८३,८६,८९, दरिय (दप्त) ज २११३३३४ ६३,६७,१०१,१०४,१०७,१११,११५,११६, दरिसणावरणिज्ज वसंता रणी ) प २२१२८; १२६,१३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५, २३।१४,२६,२६१७,२७१४ १४७,१५०,१५४,१६३,१६६,१६६,१७२, ररिसणिज्ज (दर्शनी प|३०,३१,४१,४८, १७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६३, ४६,५६६३.६४ ज ११८.२३.३६ ४२,२।१२. १६७,२००,२०३,२०७,२११,२१४,२१८, १४,१५:३११७८,४॥३६.१३,२५,२७,२६, २२१,२२४,२२८,२३०,२३२,२३४,२३७, ३३.४६,११,१२८ ४३.६२ गु ११ उ ५।४ २३६,२४२,१०।३ से ५,२६ से २६, १७४१४४ से १४६,२१११०४ ज ७।२०६ दरी (दरी) उ ३१५५ उ ३४४ दल (दल) ज. २३१५३:१०६ चं ? दलइत्ता (दत्वाज दव्वणिया (द्रव्यहलिका) प ११४७ दिलय (द) दलल्म उ ३१२८ दल इ विदिय (द्रव्येन्द्रिय) प १५३५८१२,१५०७६ से ज ३१६,४१६१:५॥४६ ११०१३३११४ ८४,८६,६१,६४ से ६७,१००,१०४ से १०६, दलयंतिपदा तिज ३८८ दलयह १०८,१०६,११४,११५,११७ से १२०,१२३, उ११०३ दलमि उ१०३:३१११२ १३१,१३२.१४०,१४२,१४३ दलयानो उ ४ दवी (दार्वी) प ११४४।२ दारुहरिद्रा दलयित्ता (दत्वा) ३.८८ दध्वीकर (दर्वीकर) ५११६६,७० Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ दब्वेंदिय-दार दव्य दिय (द्रव्येन्द्रिय) प १५.१०३,१२६,१२६, दहफुल्लइ (दे०) प ११४०।५ १४३ दहबहुल (द्रहबहुल) ज १५१८ दस (दशन्) प ११६६ ज ११२३ सू १।२४ दहावई (दहावती) ज ४।१८८,,१८६ उ११७ दहावईकूड (दहावतीकूट) ज ४।१८८ दस (दशम) प १०।१४३ दहावती (द्रहावती) ज ४।१८७,१६० दसगुण (दशगुण) प ५११५१,२८॥७,५३ दहि (दधि) प १०२५:१७।१२८ ज २०१५ दसण (दशन) ज २११५,३।३५,१३८,५।२१ ७११७८ दसणह (दशनख) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४,७२, दहित्ता (दग्ध्वा) ज ३१२ ७७ १३३,१८५,५।२१ दहियण (दधिधन) ज २।३११७१२८ दसण्ण (दशार्ण) प ११६३।४ दहिमुह (दधिमुख) ज २।११६ दहिमुहपदवय (दधिमुखपर्वत) ज २१११८,११६ दसवण्ण (दशार्धवर्ण) ज २११०,३६१२,८८; दहिवण्ण (दधिपर्ण) प१॥३६॥३ ४११६६,५७,५८ पदा (दा) दिति सू १०।१२६ देइ ज ७११२१४ दसघणु (दशधनुष्) उ ५:२२१ सू१०।१२६ उ ११११०देंति ज ७।११।३3B दसपएसिय (दशप्रदेशिक) प ५।१३०,१६१,१७६, उ ३1४८ १६५,२१६ दाइज्जमाण (दर्शयमान) ज ३।१८६,२०४ दसपदेसिय (दशप्रदेशिक) प ५१२७,१७६ दाइय (दायिक) ज २१६४ दसम (दशम) प १०११४१२,११२३३११,१११३४११ दाऊण (दत्वा) ज ५२५८ ज ७४६७,१०२,११४।२ च २४ सू ११६; दाडिम (दाडिम) प०३६।१ ज २११५ १०१७७.१२४/२०१२।२६,१३१८ उ १७; दाढा (दंष्ट्रा) ज ७१७८ २।१०,२२,३३१४,८३,१५०,१६१,४।२४; दाण (दान) ज ३११९७१ ५।२८,३६,४३ दाणंतराइय (दानान्तरायिक) ब २३१५६ दसमी (दशमी) ज ७१११८,१२५ सू १०१६० दाणंतराय (दानान्तराय) प २३।२३ दसरह (दशरथ) उ ५२२१ दाणकम्म (दानकर्मन्) ज ३।३२ दसविध (दशविध) सू १२।२६ दागव (दानव) ज ३।११५,१२४,१२५ दसविह (दशविध) प १३,१०१,१३१:५।१२४; दाम (दामन्) प २१४८ ज ३.१६७,४१४६,१२६% ११।३३,३४,३६,१३।२,२१,२३।१३ ५.३८ दससमयदिईय (दडसमयस्थितिक) प ५११४८ दामणिसंठिय (दामनीसंस्थित) सू १०।४६ दसहा (दशधा) प २।३०१ दामणी (दामनी) ज७।१३३।३ सू १०1४६ दसार (दसार) उ ५१५,१०,१७,१६ दामिणी (दामिनी) ज २।१५ दसारवंस (दसारवंश) ज २११२४,१५२ दामिली (द्राविडी) प ११६८ दह (द्रह) प २१४,१३,१६ से १६,२८,१११७७; दाय (दाय) ज २०६४ उ २०६५।१३,२५,५२ १५॥५५॥२ ज २१३१,३२१३३,४।३,६४,८८, दायव्य (दातव्य) सू २०६५ १४०।२,१४१,१४२,२०७,२६८,२७४।५।५५; । दार (द्वार) प २६१ ज १:१५ से १७,३८; ६१६१ ३।१०६,१६३, ४११०,६४,११५,१२१,१२२, दिह (दह.) दहइ ज ३।१२ १४७.२१७,२६२ च ५।४ भू ११६०४१०११३१ Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दार-दाहिणिल्ल ९४५ दार (दार) ३३१४८,५० २०१२ उ ३१५१,५३,६२ दारग (दारक) 3 ११५३ से ५५,५७ से ५६,६१ दाहिणअवर (दक्षिणापर) ज ३८१ से ६३,७८,८६,८२,२२६३३६२.६८.१०१, दाहिण उत्तराय। (दक्षिणोत्तरायता) ज ४।१४१ १०६,१३०,१३१ दाहिणओ (दक्षिणनस्) प २१४०१३ दारगरूव (दातरूप) 3३३१२६.१३४ दाहिण ड्ढ (दक्षिणार्ध) १२।५० सू २११,८११ दारय (दार) ५.५७ उ ११५१.५४,५६,६० दाहिण ड्ढच्छ (दक्षिणार्धकच्छ) ज ४.१६८ से से ६२.७६ ७६;२६.१०,३११४.१२३.१२४ १७४ दारियत्त (दानिकात्व) उ३।१२५ बाहिणड्ढभरह (दक्षिणार्धभरन) ज १११६,२१ से दारिया (दारिका) 3 ३६२,१८,१०१.१०६ ११४, २३ ४५ से ४७,३।१,२०८,४।३५ उ ५।१० १२३,१२६.१२८,१३०:४।५,६,११ से १६,१८, दाहिणभरहकड (दक्षिणाई भरनकूट) ज ११३४, १६,२० ४१,४५,४६ दारु (दारु) ज ३1३२ दाहिण दारिया (दक्षिणद्रारिका) सु १०।१३१ दारुग (दारुक) ज ३१७८ वाहिण द्धभरह (दक्षिणाईभरत) ज ११२० दालयित्ता (या वित्या) ज ४।३५ दाहिए पदमि (दक्षिणपाश्चात्य) १ ३११७६, दालित्ताणं (दलयित्वा) ए १७४ १७८ ज ३१३०,३१,१७२,१७३,४११६,१६३, दालिम (दाडिम) प १६।५५; १७।१३२ २०८.२०६.२२३,२२६.२३०,५१३६,४६ सू २०१२ दास (दास) ज २।२६३।१०३ उ ११५४,५५.७६, दाहिण पच्चस्थिमिल्ल (दक्षिणपाश्चात्य) ८० ज ४१२३८ दासी (दासी) प ११३७५ काकजंघा, नीलाम्ला, नीलभिटी दाहिण गडीण (दक्षिणापाचीन) सु १११६ दाहिणपुरस्थिम (दक्षिणपौरस्त्य) प ३११७६,१७८ दासी (दासी) ज ३।१०३ ज ४।१६,१०६.२०३,२२२,२२७,२२८,३६, दाह (दाह) ज २१४३ ४६ सू २१,२०।२ दाहिण (दक्षिण) प २११०,३२.३३.३५,४३.५.० दाहिण पुरथिमिल्ल (दक्षिणपौरत) ज ४।२३८%; से ५२.५४,५६५८से ६०३१ से ३०,१७६, १७८ ज ११८,२०,२३.२५.२८,३२,४६,४८, ५।४४,४६ सू १११६२।१,१२१३० ५.१,२।६५.११३,३।१६.१२,३६ १३६,१३७, दाहिणभुयंत (दक्षिणभुज न्त) सू २०१२ १४६.१५०,१८६.२०४।४।१,३,१६.२३,२६, हिमाय (दक्षिणवत) प ११२६ ३७,५१,२,६५.८१,८६.८६,८६,६०,६८. दाहिणव्यालि (दक्षिण वेयाली') प १६.४५ १०३.१०६,१०८.१२६,१६२,१६७ मे १६६ दाहिफिल (दाक्षिणात्य) प १३२,३३,३५,३६, १७२ ले १७४.१७,१७८ १८० १८१,१८३, ३८,४३,४४,४७,३।१८ से २३:१६६३४ १८७,१८६ मे १६१,१६४,१९६ २०१ मे ज ११२६,५१:२।११६,३११४ ज १२२६,५१, २०३, ०५.२१०,२१४,२२० २३८,२६२, २।११९३३१४,१५,१८,३६,५१,५०,६१,८३, २६८.२९१, २ ३ .२१.३६.६:८; ८५.८८ से १०,६२,६३,१२६,१६२,२०६,२१६; ७।१०१.१०२.१६६ १७८६, १५१५ मे १७, ४।१७४ से १७६,१८२,१८३,१८८,१६५, १६:२१:८११:१०।1:१३15,८,१८।१४: २०१.२०२,२१२,२४८,२५१:५११४,४२,४५, Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ दिगिदलय-दिसाणुवाय ५२ सू१०११४२,१४७ २१,२२,२४,२७,२१३,३१२,४१८,६;६.१; दिगिदलय (दे०) उ ३.११४ ८।१६।२,३,१०१५,६३ से ७४,८६।३.१२६५ दिठ्ठ (दृष्ट) प ११०१।३,८ ज ३३१२६ १६॥२२॥१८ उ १२६३,३१६४,६८,७१,७४, दिह्रत (दृष्टान्त) प १७११४८; उ ३१८,२६,६३ ७६,१२६,५।१३,४५ दिळंतिय (दार्टान्तिक) ज ५।५७ दिवसखेत्त (दिवसक्षेत्र) ज ७२७,३० दिट्ठाभट्ठ (दृष्टाभापित) उ ३१५५ दिवसतिहि (दिवसतिथि) सू१०1८६,६० दिछि (दप्टि) प २८.१०६।१ ज ३.१०५:५१६७ दिवा (दिवा) ज ७१२५ दिठिवाय (दृष्टिवाद) १११११३,१११०१।८ दिव (दिव्य) प २३०,३१,४१,४६ ज ११३१, विट्ठीविस (दृष्टिविष) प ११७० ४५,२२६७,६०,१००३१४,५,१२,१४,१५,१८, दिणकर (दिनकर) सू १६११२,१६३२१२३, २६,३०,३१,३६,४३,४४,४७,५१,५२,५६, १६।२२।१२,१३ ६०.६१,६४,६८,६६,७२,७६,८८,६२,६५, दियर (दिनकर) ज ३१८८ सू१६।२२।३० १०६,११३,११६,११७,११६,१२२,१२३,१२६, उ ३४८,५०,५५,६३,६७,७०,७३,१०६,११२ १३०,१३१,१३३,१३६ से १३८,१४०,१४१, दिण्ण (दत्त) प २१३०,३१ ज ३७,१८४,५२६ १४५,१४६,१५०,१५६,१७२,१७३,१७८, उ १६६,१०३,१०६,११०,११३,११४; १८०,२०६,२११:५।१,३,५,७,१६,२२,२६, ३४८,५० २८,३०,४१,४३ से ४५,४७,५५,५७,५८, दित्त (दीप्त) १ २१४६ ज ३६,१८,६३,१०३, ६७,७।५५,५८,१८४,१८५ सू १८।२२,२३; १८०,२२२,७।१७५ सू १६।११।२,२११३, १६।२६ उ ३११७,८५,६४,१२२,१२३,१६३; १६॥२२॥३० ४।२५ दित्त (दप्त) ज ३११०३ दिव्वा (दिव्याक) प १७१ दित्ततव (दीप्ततपस्) ज ११५ दिसा (दिशा) प २।३०,३१,२।४०।२,८,१०, दित्तसिरय (दीप्तशिरस्क) ज ३१६,१५ २१४१,४६ ज ११३८, २।१३१, ३.१४,१५, दिन्न (दत्त) प २१४१ २२,३०,३१,४३,४४,५१,५२,६०,६१,६८,६६, दिपंत (दीप्यमान) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७, १०० से १११,१२५,१३०,१३१,१३६,१३७, २२२ १४०,१४१,१४६,१५०,१७२,१७३,१६५, दिप्पमाण (दीप्यमान) ज ३१८,६३,१८० २११:४।१०,१२१,१५३,१६३,२१२,२१७, दिली (दे०) प ११५८ २३८; ५१५२,७४; ७।१७८ सू ११४५१ दिवड (द्वयर्धद्वयपाध) १ २३१७३,८३,१३५, उ ११२२,१४०,३१५१,५३,५५,६३,६७,७०, १५२,१७२;३३१७८ ज ६०८।१सू ३३२,६।३; दिसाकुमार (दिशाकुमार) प १११३१, ५।३; दिवड्ढखेत्त (द्वयपार्धक्षेत्र) सू १०१४,५ ६१८ दिवस (दिवस) प २८१२७,७३ से ७६ ज २१६४; दिसाकुमारी (दिशाकुमारी) ज ५१ से ३,५ से ३७६,६५,६६,११६,१२०,१३६,१६०,२०६; १०,१२ से १७ ७१२६ से ३०,११२१५,११७,११८,१२६,१५६ दिसाचक्कवाल (दिशाचक्रवाल) ३.५० से १६७ च ५।३ सू श६।३,१।१३,१४,१६, दिसाणु वाय (दिशानुपात) प ३।१ से १७,२४ से १८.१ Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिसादि- दुक्ख ३७, १७६, १७८ दिसादि ( दिशादि) ज ४२६०१२ मेरुपर्वत दिशापोक्खि (दिशाप्रोक्षिन् ) उ ३।५० दिसापोक्खिय ( दिशःप्रोक्षिक) उ ३१५०, ५५ दिसापकिय (तावस ) ( दिनाप्रक्षितःपस ) उ ३१५० दिसाहत्यिकूड ( दिश: हस्तिकूट ) ज ४।२२५ से २३३ दिसि (दिश् ) प २२७, २२३०११, २०६३, ३११११ ; ११।६६,६६।१:२१।६५, १६, २८१६,३१,६५, ३६।५६,६६,६८,७०,७२ से ७४ ज ४:२०४, २१०,२१६,२२०:५१३०, ७१४८, ५०, ५२, ५३ उ १ । २४; ३ । ५१,५३,६२,८१,१४३, १५६ दिसोभाग ( दिग्भाग) ज ३।२०८, ५५,४४,४५ उ ३।११३३४५२० दिसोभाय ( दिग्भाग) ज ११३,३३१६२,२०४, २०८४।१२०,१३६,५५,७ चं ७ सू ११२ उ ५१५ दोण (दीन) उ ११५, ३५, ३१९८ दणस्सर ( दोन स्वर ) ज २।१३३ दीणस्सरता ( दीनरवरता ) प २३१२० दीव (द्रीप ) प १।७४,७५,८०,८१,८४,२१,४,७, १३,१६ से १६,२८,२६,३०११,२३२,३३,३५, ३६, ४०१२,६,११,२१४३,५०,५१,१५११२, १५।५४,५५,१६ । ३०,३३।१० से १२,१५ से १७३६।८१ ज ११७,१५ से १८,२०,२३, ૪૭ १०२. १७५, १८२.१६८ से २०८,२१० से २१३ सू १।१४,१६,१७,१६ से २२,२४,२७,२।१, ३,३।१,२,४१३.४,७, १०,६११, ८११,१०११३२, १४२, १४७, १२।३०:१८१७.२० १६ १.२.६, ७ ८१३,६,१२ मे १४,१५१३, १६ १६, १९२२, २४,१६३२८.३१ से ३४ उ ११६; ३१७,६१, १२५, १५७ ५१२४,४३ दीवकुमार (दीपकुमार ) प १।१३१,५३,६११८ दीवग ( द्वीपिक) सू १०।१२० दीवणिज्ज ( दीपनीय ) प १७ । १३४ २०१८ दीविग ( द्वीपिक) ज २३६ दोदय ( द्वीपिक ) प १६६११।२१ ज ३१३६; ५३२ दविगाह (दीपिका) ३।१७ दीपिया (दीपिका) प ११।२३ दीविया हत्यगय ( ह्तगत दीपिका) ज ५ १२ / दीस (दृश् ) दीनं ति प १३४८३५७ ज ७ ३६,३८ दीह (दी ) प ६४/४; १३।२३ ज २।१५,६६; ३।१०६, १६७।११ दोहसर (दीर्घतर ) ज ४ । ८० दीहवेयड्ड ( दीर्घवंत ढ्य ) ज ६ १० दोहिया (दीधिकः ) प २०४, १३, १६ से १६,२८; ११।०३ ज २।१२ दु ( ) प १|१३ सू ११४ दुइ (द्वितीय) प ३२२ ३४,३५,४६.४८,५१,२०१,७,५२,५६,६०,११६, दुंदुभय (दुन्दुमक) ज ७ १८६।२ सू २०१८ (दुन्दुभक) सू २०१८१२ ३१२,७८, १८०, २०६५१५ २२२६,४६,४७.५६,६७ उ ११२१,१२२, १२५.१२६,१३३.१३४,१३८, ३।१११; ४११८; १६१, १६४,३१६६,३६,४७,५६,११३,१३३, १३८,४११,३१,३२,३४,४१,५२,५४,६२,६८, ६६,७६,८१,८६,९०,६३,२८,११४,१५६, १६०,१६५,१६७,१६६,१७२ से १७४, १७८, १८१,१०२,२०१ से २०३,२०६,२१३,२६२. २६५,२६८,२७१, २७४,२७८,५१३,२१,२२, २६.४४,५२,७४६।१ से ५७ से २६७|१, ३.४, ८ से १४,३१,३३,३० से ३९.५२. ५४, ६२,६३,६७ से ७२, ८६, ८७.६१.६२,१०१. दुहि (दुन्दुमि ) ५।१६ दुक्काहुन ( दुष्कालबहुल ) ज १।१८ दुक्ख ( दु:ख ) प २६४।२२,६१११०;२०११८; ३५/१/१,२,३५११०,११; ३६३८८,६२,६४११ जे ११२२,२७.५०: २२५८,७१,८८,८६,१२३, Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४८ दुवखत्त-दुरूव दुपदेसिय (द्विपदेगिक) प ५१२७,१३०,१३१; १२८,१५१,१५७; ३।७७,६२,१०६.११६, १२१११,१२५,४११०१,१७१ सू १६०२२।१३ उ ११६३,१४१:३१८६५१४३ दुक्खत्त (दुःखत्व) प २८१२४ दुक्खभागि (दुःखभागिन् ) ज २११३३ दुक्खुत्तो (द्विम् ) सू १११२ दुखुर (द्विखुर) प ११६२.६४ दुग (द्विक) ज ७१३११२ दुगुंछा (जुगुप्सा) प २३१३६,७७,१४५ दुगुण (द्विगुण) सू १६३२२।२३ दुगुणिय (द्विगुणित) ज १२५ दुगूल (दुकूल) सू २०१७ दुग्ग (दुर्ग) उ ३१५५ दुग्गइगामि (दुर्गतिगामिन्) प १७११३८ दुग्गंध (दुर्गन्ध) ज २१३३ उ ३३१३०,१३१,१३४ दुग्गम (दुर्गम) ज ३१७७,१०६ दुग्गबहुल (दुर्गबहुल) ज ११८ दुग्गुल (दुकूल) ज ४११३ दुषण (छैधण) ज ५१५ दुजडि (द्विजटिन्) सू २०१८ दुज्जम्मय (दुर्जन्मक) उ ३११३१,१३४ दुज्जाय (दुर्जात) उ ३११३१,१३४ दुटठाणवडित (द्विस्थानपतित) प ५११३४,१४३, १४८,१५१,१६३,१६४,१८१,१६७,२१८ दुठ्ठ (दुष्टु) उ १८८,६२ दुतीस (द्वात्रिंशत्) ज ४१६४ दुईत (दुर्दान्त) उ ५१० दुईसणिज्ज (दुर्दर्शनीय) ज २११३३ दुद्ध (दुग्ध) प १११२५ उ ३१६८ दुधा (द्विधा) सू १९१६ दुन्निकम्म (दुनिष्क्रम) ज २१३२ दुपएसिय (द्विप्रदेशिक) प ५१५३,१५४,१५७, १५६,१६०,१७६,१७७,१६२,१६३,२१३, २१४,१०।७:११:४६ ; ३०१२६ दुपदेस (द्विप्रदेशिवः) प १०११४१ दुप्पउत्तकाइया (दुष्प्रयुक्ताायिकी) प २२२२ दुप्पव्वइय (दुप्प वजित) उ ३१५८,६०,७६ से ७६ दुप्पवेस (दुप्पवेश) ज ११२४ दुफास (दुम्पर्श) ज २११३३ दुबत्तीस (द्वि द्वात्रिंशत् ) सू १०११३८ से १४१, १४८,१५२,१२।२२ दुब्बल (दुबल) ज २१३३ दुभि (दुर्) प १३१२७,३१,२३।१०७ दुरिभक्खबहुल (दुर्भिक्षवहुल) ज ११८ दुबिभगंध (दुर्गन्ध) प ११४ से ६२०२० से २७; ५१५,७,२०५; १११५६:१७।१३६२८।२०, ३२,६६ ज ५५ दुब्भूय (दुर्भूत) ज २१४३ दूभागमंडल (द्विभागमण्डल) सू १५॥३७ दुम (द्रुम) ज २१८,१३,२०,५५० दुय (द्रुत) ज ५१५७ अभिनय का प्रकार दुरंतपन्तलक्खण (दुरन्तप्रान्तलक्षण) ज ३१२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ उ १८६,११५,११६ दुरभि (दुरभि) प२३१४८ दुरस (दूरस) ज २११३३ दुरहियास (दुरध्यास,दुरधिसह) प २०२० से २७ दुरुढ (आरूढ) ज ३।१७,२१,२२,३५,३६,७७, ६१,१७७,१७८,१८३,२०१,२०२,२१४,२१७; ५।२२,२६,४३ दुरुह (आ- रुह) दुरुहइ ज ३१२०,३३,५४,६३, ७१,८१,८४,१०६,११७,१३७,१४३,१६६, २०४,२२४;५१४१,४२३ १११६ दुरुहति ज ३।१११।४।५:१५ दुरुहति प १७।१०६, दुरुहिता (आम्ह य) ५ १७११०६ ज ३।२० उ १३१६ दुरुढ (वारूढ) उ १६१२४,१३१४।१२:५1१४ दुरूव (दुरूप) २११३३ Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुरुह-दूसमदूसमा दुरूह (आ--रुह) दुरूहइ उ ११११०,४।१५ १४,१६,१८,२३ ज २११,५,६,५॥१६७।११४ दुरूहेइ उ ४।१८ सू १०८६,१२१,१२४,१८१२०,२०१३ दुरूहित्ता (आरुह य) उ ११११०,४।१५ उ ३१३१,३८,४०,४२,४४ दुरूहेत्ता (आरह य) उ ४११८ दुन्विसय (दुर्विपत्र) ज २।३१ दुल्लह (दुर्लभ) ज३।११७ सू २०६१ दुसमइय (द्विसामयिक) प १११७१:३६।६०,६७, दुव (द्वि) ज ११२५ च ४.३ सु ११८१३ उ १११११ ६८,७१,७५ दुवयण (द्विवचन) प ११८६ दुसमयद्वितीय (द्विसमयस्थितिक) प १११५१ दुवण्ण (दुर्वण) ज २११५,१३३ दुसमसुसमा (दुप्पमसुपमा) ज २१४६ दुवार (द्वार) ज ३०८३,८५,८८ से ६०,६३,१०३, दुस्समदुस्समा (दुप्पमदुप्पमा) ज २।२,३,६ १५४,१५७,१६२.१८६ दुस्समसुसमा (दुप्पमसुसमा) ज २२२,३,६,४६ दुवालस (द्वादशन ) प २१६४ ज १२० सू १११३ दुस्समा (दुष्पमा) ज २१२,३,६ उ२११० दुहओ (द्वितस्,द्वय) ज ४१६१ सू १०।१३६,२०१७ दुवालसंसिय (द्वादशासिक) ज ३१९४,१३५,१५८ दुहओवत्त (द्वितआवर्त) प ११४६ दुवालसक्खुसो (द्वादशकृत्वस्) ग १२।२ स ६,११ दुहणाम (दुःखनामन्) प २३१२० दुवालसमा (द्वादशी) सू १०।१४१,१४६,१४८,१५५, दुहट्ट (दुधाट्ट) उ १४५२,७७ दुहता (दुःखता) १ २३११६ दुवालसमी (द्वादशी) १०११४८,१५० दुहतो (द्वितम् द्वय) सू १०.१७३ दुवालसविह (द्वादविध) प ११३४; १२१३७ दहतोनिसहसंठिय (द्वितोनिषधसंस्थित) सू ४।३ ज ७१०४ सू १०।१२६ उ ३१७६,१४३ दुहत्त (दुःखत्व) प २८।२६ दुविध (द्विविध) सू ४१ दुहया (दुःखता) प २३१३१ दुविह (द्विविध) प१।१,२,४,१०,११,१६ ने १८ दुहा (द्विधा) ज १११६,२०,२३,४११,४२,६२,६४, २० से ३२,३४,४८ से ५१,५३,५७,५६ से १०८,१७२ ६१,६६,६७,६६,७५,७६,८१,८२,८८,९०, दूइज्जमाण (यमाण) ज ३.१०६ उ१२,१७, १००.१०२ से १२३.१२५ मे १२६,१३१ से ३।२६,६६,१३२,५:३६ १३८,५१,१२३,६।११५,११६:१११३१,३२, भगणाम (दुर्भगनामन्) प २३1३८,१२४ ३५,३६,४१,१२७ से १३,१६ स १८,२०, दूमिय (दे० धवलित) सू २०१७ २१,२३,२४,२७.३१ से ३३,१३११,८,२२ दूमिय (दून) उ १।५६,६३,८४ २३.२७.३१:१५॥१८,१६,४८.४६,६८,७१, दूय (दूत) ज ३१६,७७,२२२ उ ११९२,१०७ से ७२,७५,७६,१६३५,२८,३३,३५,१७४२.४,६, ११६,१२७ ६.१६,२३,२५.२७,१८११३,२५,५५.६३,६७ ६८,७६.७६,८६.६४.६७,६६१०१.१०६. दूर (दूर) प २१४६,५०,५२,५३,६३,१७११०६ १०६.१११,१२७,२११४ से ७,६ से २०,४६, ज ७।३६,३८ सु।।१ ५५.५८,५६,६१.६५,६६,७०।२२।२,३.८; दूरतराग (दूरतरक) प १७।१०८,११० २३१६,२६,२६,३२,३४,४८,५६,५७:२८१४, दूस (दुष्य) ज २१२४,६५,६९,३१९,२२२ ४०,५०,३६, २६३१.५,८,६,११,१४,३०१,५, दूसमदूसमा (दुष्षमदुष्षमा) ज २११३०,१३५, ७,११,१२७३३३१,३४११२,३५।११२,३१२, १३६ Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५० दूसमदुसमा-देवगतिपरिणाम दूसमसुसमा (दुष्पमसुसमा ) ज २११२१ दूसमा (दुष्षमा) ज २।१२६,१४० दूसरणाम (दुःस्वरनामन्) प २३।३८,१२५ सि (दूष्य) प १७।११६ देय (देय) सू २०६२ देयड (दे० दृतिकार) प ११६७ देव (देव) प ११५२,१३०,१३८, २०३० से ३६, ४१ से ४३,४६,४७४१,४८ से ६३,२०६४।१४; ३।२६ से ३६,३८,३६,१३१,१३३,१३५,१३७, १३६,१८३:४१२५ से २७,३१ से ३३,३७ से ३६,४३ से ४५,४६,५५,१६५ से १६७,१७१, १७७ से १७६,१८३ से १८५,१८६ से १६१, १६५ से १६७,२०१ से २०३,२०७,२१३ से २१५,२२५ से २२७,२३७ से २४३,२४६, २४६,२५२,२५५ से २६६;६१२७ से ३८,४१ से ४३,५०,५२,५६,६५,७०,८१,८२,८५ से ८७,८६,९०,६२,६३,६५,६६,९८,६६,१०१, १०३,१०५,१०६,११०,११२,११३,७१८ से ३०८११०,११,६११११२१४५,५५॥३,८७ से ६३,१०८,१०६,११४,११५,११७,१२५,१२६, १३२,१३६,१४३;१६।२५,२६,३१,१७१४६, ५१,५२,७१:७३,७४,७६,७८ से ८१,८३,८६; १८१५,११:२०।४६,२११५१,५५,६१,६२,७०, ७१,७७,८३,६१ से ६३,२२६४१,४२,४५,७६; २३१३६,५४,८४,११४,१४६,१७२, १६४, १६६,१६८,२८९७,१०२,१०५,१३३,१४३ से १४५,३३३१,१६ से १८,२४,२५,३४।१५, १६,१८ से २५;३६।५०,८१ ज १११३,२४, ३०,३१,३३,३६,४५ से ४७,५१,२१६४,६०, ६५ से १६,१०० से १०२,१०४ से ११६, १२०,३।२०२४११,२,२५ से २८,३०,३२१२, ३३,३८ से ४१,४३,४६ से ४६,५१,६३ से ६५,६८,७१ से ७४,७६,८४,६२,१११ से ११५,११६,१२३ से १२५,१३१११,२,१३२ से १३४,१३६,१५०,१५१,१६७।१३,१७८,१८४, से १८६,१८८,१८६,१६१,१६२,१६८,१६६, २०७ से २१०,२१६,२२१,२२४,२२६;४।२, १३,१६,२०,५१ से ५४,६०,६१,८०,८४,८५, ६७,१०२,१०६,१०७,११२.११३,११४,१२०, १४१,१४२,१५०,१५६ से १६१,१६३,१६५, १६६,१७७,१८०,१८४,१८६,१८७,१६३, १६६ से २००,२०३,२०४,२०८ से २१२, २१५,२२६ से २३४,२३६,२४७,२४८,२५० से २५२,२६१,२६४,२६६,२६७,२७०,२७२, २७३,२७६,२७७, ५११,३ से ५,१४,१५,१६, २२,२३,२६ से २६,३६,४२,४३,४५,४७,४६, ५०,५.३ रो ५६,६१,६७,६६ से ७४,६।१६; ७।५५,५,६,५६,१६६,१७८।१,१८५,१८७, १८६,१६१,१६३,१६५,२१३,२१४ सू ६१; १३।१७,१७११:१८।२ से ४,१४ से १७,२१, २३,२५,२७,२६,३१,३३,३५,१६२३,२४, २६,२७,२०११,२,४,७ उ २।१३,३३५१,५६ से ६२,६५,६६,६६,७२,७५ से ६१,१५१, १५२,१५६,१६२ से १६५,५।५,२६,३०,४२, देव (देव) स १६।३६,३८ देव नामक द्वीप देवमण्णिआउय (देवासंज्ञवायुष्) ५ २०१६२,६४ देवउत (देवकुल) ज ५१५,७ देवकहरूहम (द कहकहक) ल ५१५७ देवकुमार (देवकुमार) उ ३१६२ देवकुमारिया (देवकुमारिका) उ ३१६२ देवकुरा (देव कुरु) ज ४।६४,६६,२०३,२०६ से २०८,२१३ देवकुरु (देवयुरु) प १८७,१६।३०,१७१६४ ज २।६।४।२०४११,२०७,२०८,२१०।१ देवकुल (देवकुल) ज २६५ उ ३३६ देवगइ (देवगति) ज २१६०३।२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३,१४५:५५५,४४,४७,६७ देवगइय (देवगतिक) प १३१२० देवगति (देव ति) प ६४,६ देवगतिपरिणाम (देवगतिपरिणाम) प १३।३ Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवगतिय-देविंद देवगतिय ( देवगतिक ) प १३ । १५ देवगामि ( देवगामिन् ) ज १।२२, ५०; २२५८, १२३, १२८,१४८,१५१,१५७; ४।१०१ देवच्छंद (देवच्छंदक) ज ४२१६ देवच्छंद (देवच्छंदक ) ज १ ४ ० ४ १३६, १४७, २१६ देवजुइ ( देवद्युति) ज ३।२६,३६,४७, १२२, १२६, १३३ देवजुति ( देवद्युति) ज ५।४४ उ ३८५,१२२ देवज्जु ( देवद्युति) उ३।१२३ देवड्ढि ( देवद्धि) ज ३।२६,३६,४७,१२२,१३३ देवता ( देवता ) चं ५१२ सू १६२ देवत्त (देवत्व ) प १५/६६ से १०१, १०४ से १०६, १०८,११२,११४ से ११७,११६ से १२३, १२५,१२७ से १२६,१३१,१३२,१४३, उ २११२,३।१५०,१६१५।२८,४१ देवदारु (देवदारु ) प ११४०२ देवदाली (देवदाली ) प १।३६१२,१७११३० देवदालिपुप्फ (देवदालीपुष्प ) प १७।१३० dagegen (क) ज ५।५७ देवदूत (देवदूष्य ) ज २२६५, १००, २११, ५।५८ उ ३।१४,८३,१२०,१६१; ४/२४ देवपव्य ( देवपर्वत) ज ४१२१२ देवमs ( देवमति ) ज ३।१०६ देव (देवता) प ४८ ज ७ १२७११,१६७१ देवय ( दैवत ) ज २२६७,३८१ सू १८१२३, उ १११७,७२,८८,६२,५।३६ देवा (देवता) ३१३२,१०४, १०५ : ४।५३, १०६,२०४,२१०७/३० सू १०७८ से ५३ देवराय ( देवराज ) प २३५० से ५६ ज १३१; २१८६ से ९३,६५,६७,६६, १०१, १०३, १०५, १०७,१०,१११, ११३, ११४,११७ से ११६, १८६,२१७, ४२२१५।१८२० से २३,२६ से २६,३६ से ४१,४३ से ४८,५४,५६,६०, ६१,६२,६५ से ६८, ७१ से ७३३।१२२, ६५१ १५० देवलोग ( देवलोक ) प २०१६१ ज २२४६, १५६; ३।१ उ २।१३,३।१८,८६,१२५, १५२,१६५; ४।२६;५।३०,४३ देवलोय ( देवलोक ) ज २।४६ उ५१४ देवसंघाय ( देवसंघात ) ज ७ १७६ देवसयणिज्ज (देवशयनीय ) उ ३११४,८३,१२०, १६१; ४/२४ देवसयस हस्सीसर (देवशतसहस्रेश्वर ) ज ३११२६३ देवसिरि ( देवश्री ) उ ३११७१ देवाय (देवायुष्क ) प २०६३, २३१८,३७,८०, १४६,१७० देवानंदा (देवानन्दा) ज ७।१२० सू १०३८८३ उ ३।११३ : ४।२० देवाप्पिय ( देवानुप्रिय ) ज २६५,६७,१०१, १०५, १०७, १०६,१११, ११४,१४६ : ३१५,७, १२,१५,१८,२१,२६,२८,३१,३४,३६,४१, ४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४,६६, ६६,७२, ७४,७६,७७, ८३, ६०, ६१,६६,१०५, १०७, ११३,११४, १२५,१२६ ४,१२८, १३३,१३८, १४१,१४५,१४७,१५१,१५४, १५७, १६४, १६८, १७०,१७३, १७५, १८०, १८३, १८८, १६१,१६६,२०७,२१२:५।३,५,७,१४,२२, २६,२८,४६,५४,६८,६६,७२,७३३ १११७, ३७, ३६, ४१, ४४, ५४,५७,६६,७६,८८,१८, १०७,१०६,१११, ११३,११५, ११६, १२१, १२३, १२७,१२६,१३१३/१३,७८ से ५१, १०२,१०३, १०६, १०८, ११२, ११५,१३६, १३८,१३६,१४८; ४।११, १४ से १६,१६,२२, ५।१५,१८,२७,३२,४० देवा भाग (देवानुभाग ) ज ३११२६ देवा भाव (देवानुभाव) ज ३१२६,३६,४७, १२२, १३३,५१४४ उ ३१८५,१२२,१२३ देवाहिव (देवाधिप ) ज ५।५४ देवद (देवेन्द्र ) प २५० से ५६ ज ११३१:२८६ से ६५,९७,६६,१०१, १०३, १०५, १०७, १०६, Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५२ देविडि-दोणमुह १११,११३,११४,११८,११६४।२२१५१८, २० से २३,२६ से २६,३६,४०,४३ से ४८, ५४,५६,६० से ६२,६५ से ६८,७१ से ७३ उ ३१२३,१५० देविढि (देवद्धि) ज ५।४४ उ ३।१७,८५,६४, १२२,१२३,१६३, ४१२५ देवित्त (देवीत्व) उ ३११२० देवी (देवी) प २।३० से ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१,३।३६,१३२,१३४,१३६,१३८,१४०, १८३,४१२८ से ३०,३४ से ३६,४० से ४२, ४६ से ४८,५२,५५,१६८ से १७०,१७४,१८० से १८२,१८६ से १८८,१६२ से १६४,१६८ से २००,२०४ से २०६,२१० से २१२,२१६ से २२४,२२८ से २३६:१७१५०,७२,७३,७५, ७६,७८,८०,८२,८३,१८।६,८,१२:२३॥ १६४,१६६,१६८ ज २३,१३,३०,३३,३६, ४५:२।१०,३१५२ से ५८,६०,१४०,१४१, १४३ से १४७,१४६,४१२,१७ से २०,२२,३३, ३४,५३,६४,८६,१५६,१६४,२०३,२३७, २३८,२४८,२५० से २५२,५१,५,१६,२६ से । २८,४२,४३,४५,४७,६७,७२,७३७१८३, १८५,१८८,१६०,१६२,१६४,१६६,२१४ चं ८ सू ११३;१८।२१,२३,२६,२८ ३०,३२, ३४,३६,२०६४ उ ११० से १३,१५,१७,१६ से २४,३० से ४१,४३,४४,४६,४८ से ५५, ५७,५८,७० से ७४,८८,६५,९७,६६ १०२, १०६,११०,११३,११४,१४६ से १४६,२।४ से ६,१६,१७,१६,२०,३६०,६२,९४,१२१ से १२५, ४१२५,२६,५।१०,१२,१३,१७,२५,३०, ६१,६६,१०८,२१।७४,२२१५५,५६,५८,७६ ज ११३०,३३,२२४:४१२२,३४,८३,११३, ११४,१६६,५१२६,७२१३ सू१।१६६.१; है।३।१०।१३८ से १५१,१६२ से १६६; १२।३०:१३।२ देसपंत (देशप्रान्त) उ १११३३,१३४ देसभाग (देशभाग) प २०१६.१७,३०,३१,४१,५०, ५२ ज २०१२,६५:३१३,११७,५।३५ सू ३९८ देसभाय (देशभास) प ११८.१६,२८,५१,५६,६४ ज ३।७,५१३३,३८ देसमाण (दिशत्) ज २०७२ देसि (देशिन्) प २१४१ देसिय (देशित) ज ३१२२,३६,६३,६६१०६,१६३, १८० देसूण (देशोन) ११२,१४,१७,२३,३५,३७,५१; २६४४,४५,४१११४ देसुणग (देशोनक) ज ३१२२५४।६,३३,१४७, १५५,२४२ देसोहि (देशावधि) प ३३।१।१,३३।३१ से ३३ देह (देह) ज ३।१०६ देहधारि (देहधारिन ) प ४१ ज ३१३ देहमाण (दे० पश्यत्) - ३१२२२, ५१६७ दो (दि) प२०१५६ १७.१११४ उ १११३५ दोच्च (द्वितीय ६८०१३३।१६,३६१६२ ३।१२८,१५१.१६२३.२५,२८ से ३०,१५७.१६१,१६५.१७० सू १११३.१४, १६.१७.२१.२४,२७,९१३, ६११; १०१६४.६८, १२७.१३६.१४०,१८४.१४५,१५८,१११२ से ४,१२१३,२०,२५; १३।१,१२,१३ उ ११३६, ४०.१११,१४३, २११,१५.२१,३३१,२०,२२ २३.५१.५३ ६०,६१.७७,७८.१०८ दोच्चा (द्वितीया) प३।१८३ दोणमुह (द्रोण मुख) प १७४ ज २२,१३१; ३११८,३१,३२,१६७१२,१८०:१८५.२०६, २२१ उ ३११०१ देवलिया (देवोत्कलिका) ज ५१५७ देवोद (देवोद) सू १६:३८ देस (देश) प ११३,४,२१६४।११,४१४३,४५,४६, ४८,४६,५१,५२,५४,५३१२४,१२५,१५३५३; ५४,५७,१८१५६,६४,७७,८१,८३,८४,५६ से Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दोला-धम्मवर ६५३ दोला (दे०) १५१ २३,२४,३५,३७,६५,१३१,१५६,१६०,१७८; दोवारिय (दौवारिक) ज ३।६,७७,२२२ ४।१०,१२,५५,६२,८१,८६,६८,१०१,१०८, दोस (दोष) प ११॥३४१, २२१२०, २३१६ ११०,११४,१४७, ५४,२४८,२६२,२६५, ज ३१३२,११७ सू २२, २०।६।६ उ ३१३५ २६८,२७१,२७४ ७.१८२,२०७ सू १११४; दोसपिस्सिया (दोषनिधिता) प १११३४ १८।१३,२० उ १२२,१३८,१४० दोसपुरिया (दोषपूरिका) प ११६८ धणुगह (धनुर्ग्रह) ज २१४३ दोसिणा (दे० ज्योत्ना ) चं २।४ सू ११६।४; धणुप्पट्ठ (धनुष्पृष्ठ) ज १।१८,२०,२३,४८, १४।१ से ४,१६॥१,२ ४।१,१७२ जापाव (दोसिडाप्रल - 319.9818 से धणु हत्तिय (धनुःपृथकिवक) ५७५ धणु वर (धनुर्वर) ज २१६६,३७६,११६,११६, दोसिणाभा ('दोसिणा'आभा) ज ७१८३ १२०,१६७।३,१८५,२०६ सू १८१२१,२०१६ धणुह (धनु) ज ३१३१ दोसिणलक्खण (दोसिणा'लक्षण) चं ॥४ धण्ण (धान्य) प ११०२६ से २८ ज २१६६;३७६, सू १६४ ११६,११६,१२०,१६७।३,१८५,२०६ दोसिणालक्खण (दोगिणा'लक्षण) सू १६१ उ ३१४०५१४ धण्ण (धन्य) ज ५१५,४६,५८ उ ११३४,४०,४१, दोस्सिय (दौगिक) प ११६६ ४३,४४,७४,३।६८,१०१,१३१:५।३६ दोहाग (दीर्भाग्य ) ज २०१५ धन्न (धन्य) ज २१६४ उ ३१३८ दोहल (दोहद) उ ११३४,३५,४०,४१,४३,४४, धमाससार (धमाससार) प १७।१२५ धम्म (धर्म) प २०१७,१८:२२,२५,२८,२६,३४, ४५ ज ११४,२०६४,७२,११३,१३३ च ६ सू ११४ धंत (ध्मात) प ११४८१५६ ज २४ उ १२,२०,२१,३।१३,१०२,१०३,१३४ से धंतधोयरुप्पपट्ट (ध्मात धोतरूप पट्ट) प १७:१२८ १३६,१३८,१४२,१४७, ४.१४:५१२०,२७ धण (धन) २६६४,६६,३३१०३, १६७११४ धम्मत (ध्मा मान) जे ३३११७ धणंजय (धनञ्जय) ज ११७॥२.१३२॥१ धम्मकहा (धर्मकथा) उ ३७१ सू १०८६।२६७ धम्मचरण (धमंचरण) ज २१२६,१५८ घणवइ (घ. पति) ज ३१३,१८,६१,६३,१८० धम्मजामरिया (धर्मजागरिका) उ २।११,५१३६ धम्मणायग (धर्मनायक) ज ५।२१ धणिट्ठा (धनिष्ठा) ज ७११३।१,१२८ से १३०, भर धम्मस्थिकाय (धारितकाब) प ११३,३३११४ से १३६,१३८,१४१,१४६,१५६,१५७ सू १०११ ११६,१२२,५११२४,१५१५३,५४,५७; से ६,८,२०,२३,२६,५७,६३,६४,७५,८०,६४, १८.१२५ १२०,१३१ से १३३,१५२ धम्मदय (धर्मदय) ज ५।२१ घणु (धनुप) प ११७५२१६४।६।२१।४६,४७, धम्मदेसय (धर्मदेशक) ज ५२१ ४७।१,२,२११६५ से ६७,३६८१ ज १७,६, धम्मरुइ (धर्मरुचि) प १११०१।१,१२ १०,२३,२५,३८,४०,४३:२।६,१६,५२,५६, धम्मरक्ख (धर्मरूक्ष) प १६४३।१ ५८,८६,१२३,१५१,१५७,१५६,१६१, ३१३, धम्मवर (धर्मवर) ज २१६३:५।२१,२८ Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धम्मसरहि-धोव धम्मसारहि (धर्मसारथि) ज ५।२१, धम्मिय (धार्मिक) उ १४१७,१६,२४:४।१२,१३, धय (ध्वज) उ ३३१०८,१८४ धर (घर) प २१३०,३१,४०११०,२१४१,४६ से ५४ 1धर (५) धरेइ ज ५१४६,६०,६६ धरण (धरण) ज २३४,३५,४०६ ज ३।१८५, २०६५५२ धरणि (धरणि) ज २०१३२ धरणिखील (धरणिकील) सू ५१ धरणितल (धरणितल) ११७१०७,१०६,१११ ज ३।६।१२,३५,१०६ ; ४१२१३,२१५, ५।२१, ५८ धरणिसिंग (धरणिशृंग) सू ५।१ धरणीयल (धरणीतल) ज ३।१०६,११७५।५,४४ उ ११२३,६१ धरिज्जमाण (ध्रियमाण) ज ३।६,१८,७७,७८,६३, १८०,२२२ घरेत (धरत्) ज ३६२ धब (धव) प १३६।३ धवल (धवल) प २१३१ ज ११३७,२०१५३३६, १७,२१,३१,३४,३५,११७,१७७,१७८,२११, २२२,५१५८,७१७८ धवलक्सभ (धवलवृषभ) ज ५.६२,६३ धस (दे०) उ ११२३,६१ धाइकम्म (धातृकर्म) उ ३१११५ धाई (धातृ) उ १६४ धाय (धात) प २१४७१२ धायइसंड (धातकीषण्ड) प १५३५५१६३३०; १७।१६५ सू ८.१,१६।७,८११,२,१६४९% १६।२२।२५ धायई (धातकी) प ११३५१२,१५१५५११ धायईसंड (धातकीषण्ड) सू १६।२२।२३,२४ Vधार (धारय्) धारे ज ३।१२६।१ धारणा (धारणा) ज ३१३ धारणिज्ज (धारणीय) प २२११५,८० धारा (धारा) ज २११४१ से १४५३।१२,११५; ११६,१२२,१२४ धाराहय (धाराहत) ज ५१२१ धारि (धारिन् ) प २१३०,३१,४१,४६ धारिणी (धारिणी) ज ११३, २०१५ चं ८ सू ११३ धारिणी धारेयव्व (धर्तव्य) सू २०६५ धावण (धावन) ज ३।१७८,७११७८ धिइ (धृति) ज ४१८६ उ ४१२११ धिइकूड (धृतिकूट) ज ४१६६ धिक्कार (धिक्कार) ज २६२ धिति (धृति) सू २०६१३,५ धुर (धुर) सू २०१८ धुरय (धुरक) सू २०१८।५ धुरा (धूर) ज ३।३५,१७८,१८८ धुव (ध्रुव) ज ११११,४७,३।१६७,२२६, ४।२२, ५४,६४,१०२,१५६, ७४२१० धुवराहु (ध्रुवराहु) सू २०१३ धूमकेउ (धूमकेतु) प २।४८ सू २०१८।४ धूमकेतु (धूमकेतु) सू २०१८ धूमप्पभा (धूमप्रभा) प १।५३,२।१,२०,२५; ३११५,१६,२०,१८३;४।१६ से १५; ६३१४,७७,७८,१०११; २०१७,४१, २१४६७; ३३१७,१६ धूमट्टि (धूमवति) ज ३।१२,८८,५२५८ धूमाय (धूमाय) धूमाहिति) ज २११३१ धूया (दुहित) ज २।२७,६६ उ ३।११४,४१८,१६ धूलि (धुलि} ज २१३१,१३२ धूव (धूप) प २३०,३१,४१ ज २४०,२६५ ३१७.६.११,१२,२१,३४,८५,८८,४।१३०, १३६,२१८,२४२,५७,५७,५८ सू २०१७ उ ३१५०,११० धोत (धौत) ज ३।११७ धोय (धौत) प २१३१ ज ३१२४ धोरण (दे०) ज ३३१७८,७।१७८ Vधोय (धाव) धोवइ उ ४१२१ धोवसि उ ४१२२ Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धोव्व-नलिणिगुम्म ५५ घोम्ब (दे०) ज ३।१६७६ नपुंसकलिंगसिद्ध (नपुंसकलिङ्गसिद्ध) प १११२ नपंसग (नपुंसक) प ११४६ से ५१,६०,७५,७६, ८१:१११२७ न (न) उ ११३७ नपुंसगवेद (नपुंसकवेद) प १८१६२,२३१७५ नउय (नयुत) ज २१४ नपुंसगवेदग (नपुंसकवेदक) प ३६७,१३।१६ नउयंग (नयुताङ्ग) ज २।४ नपुंसय (नपुंसक) प ६१७६ नंद (नन्द) ज २१६४; ३।१८५,२०६ नभ (नभस्) ज २१६५ नंदण (नन्दन) उ २।२।१ निमंस (नमस्य ) नमसइ ज ११६:५५८ नंदणयण (नन्दनवन) उ ५।६,७,३६ ३७ उ १।१६।३।८१,४।१३:५।२० नमसंति नंदा (नन्दा) उ ११३०,३१ उ४।१६,५१३६ नमसीहामि उ ३।२६ नंदि (नन्दि) प १५५५।१ नमसेज्ज ज २०६७ मंदिघोस (नन्दिघोष) ज ३।१७८ नमसमाण (नमस्यत्) उ ११६ नंदिय (नन्दित) ज ३१५,६,८,१५,१६३१,५३, नमंसित्ता (नमस्यित्वा) ज ११६ उ १८१६,३१८१; ६२,७०,७७,८४,६१.१००,११४,१४२,१६५, ४।१४।५।२० १७३,१८१,१८६,१६६.२१३;५।२७ नमिऊण (नत्वा) ११२ नंदीमुह (नन्दिमुख) ज २१२ नय (नय) सू श२५;२२,४१२ उ ११३८,४०,४२ नंदीसरवर (नन्दीश्वरवर) ज २।११६ नयण (नयन) उ १११५.३५,३१६८ नक्खत्त (नक्षत्र) पश१३३,२।२३ से २७,४८,५०, नयर (नगर) उ १२,२८,२६.१२१,१२२:३१४, ६३ उ २०१२ २१,२४,८६,१५५,१६८,१७१,४।४,६.७,१३, नगर (नगर) पश७४ ज २१७१:३१६,७७,२२२ १५,१८,२८,५।२४ से २६,४३ नगरावास (नगरावास) प २४४३ नयरी (नगरी) चं ६,७,८ सू१।१ से ३ उ १५६, नगरी (नेगरी) उ ११११० १०.१२.१६ ६३,६५६७,६८,१०५ से १०७, नग्गभाव (नग्न भाव) उ ५१४३ ११०,१११,११५,१२२,१२५,१२६,१३०, नच्चंत (नत्यत्) ज ३११७८ उ ११३६ १३२,१४४.१४५, २१४,५,१६,१७,३१६,११, निज्ज (ज्ञा) नज्जइ उ ११५४ २१ २७ से २६,४६,४८,५०,५५,६५,६६,६६, नट्ट (नाट्य) प २१३०,३१,४६ ज १४५ १००,१११,१५७,१५८,१६६,१७१,५।४,५,६, नदृविहि (नाट्यविधि) उ ३१७,२१,२५,६२,१५६, १६९७४।५ नर (नर) ज २६५,७१ नट्ठ (नष्ट) ज २११३३ नरग (नरक) प २२२ से २७,२।२७।३,४ नत्ती (नप्त्री) उ ३१११४,११५,११६ उ ११२६ नत्तु (नपत) ज २६६ उ २२२ नरच्छाया (नरच्छाया) प १६१४७ नत्तुय (नप्नक) उ १५१०६,११०,११३,११४; नरय (नरक) प २।२३;६१८०१२ उ १।१४० ३।११४ नरवइ (नरपति) उश१२४,१३१:५।१६ नत्यि (नास्ति) ५११८१,५११५५; ३६१३३ नलिण (नलिन) प ११४६,१४४८१४४ नदी (नदी) प २१४,१३.१६ से १६,२८; नलिणहत्थगय (हस्तगतनलिन) ज ३.१० १५५५।२ नलिणिगुम्म (नलिनीगुल्म) उ २।२।१ Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ नव (नवन्) उ १।५३ नव ( नवम ) प १०।१४।३ नवणउति ( नवनवति) सू १।२१ नवणय ( नवनवति) सू ११२६ नवणवति ( नवनवति) सू ११२१ नवति (नवति) सू २३ १८११ ज ३।१०६ सू ११४ नतम (नव) प १०१४१२१७२२२ नयर (दे० ) प २०४०,४४,६२,५४४२,४३,४६. ५०,५४,६४,८७,६८.१०२.१२०५, १०८, ११२, ११७,१२२, १३२. १४०, १५१,१६७, १७०. १७५, १७८,१७९, १०२, १०५ १८० १४, १६८,२०४,२०५,२०८.२१३,२१५.२१६. २१६,२२२,२२५, २३५, २४०, २४३६/४६, ५६, ७४ से ७८.८०,८१,८३,८४,८६,८६,६२, १४,१००, १०७, १०८११२१११८२,८३; १२।३१:१३।१५; १५६०,६२,६६,१७,१४३ १७१६९६२६६ १२२११४८२१२० ३७,१३४१५३ ५।१३ नवविह ( नवविध ) प १७३१३६ वह (नस) उ १३६,५५,५०,००,८३,६९,११६ ११८, ३१०६,१३८:५८१७ नाइ (जाति) नाइय (नादित) ज ३३७८ ५२२ नाग (काम) प ३०११,२१४० १० ज ३११८५, २०६ ३(४२,११०,१११,४११६,१८ नागकुमार (कागकुमार ) प ११२१:२०३४४४३ से ४५.५५५०६।१०.६१ नागकुमारस (नागकुमार) १३६१२४ नागकुमारराव (नागकुमारराज ) प २३६ नागकुमारी (नागकुमारी ) प ४४६ से ४८ नागपव्यय ( नागपर्वत ) ज ४।२१२ नागमाल (नापमान) २८ नागलता (नाला) प १०३२०१ नाइज्ज ( नाटकी) ज ३।७४ नव- निक्कट्ठ नाण ( ज्ञान ) प २६४११२५ ४३,८७,१०२,१०५, ११५ ज २१७१, ८५, ३।२२३५।२१ उ ३।४४ नास (नाना ) प २०४० नाणा ( ४।१३ नाणाविह ( नानाविध ) उ ५ ३५ नावित (नादित) ज ३१२०६ नाम (नामन् ) प १।१०१५ २२३०११, २०५८, ६१: २३|१५१ ज ११४६; ३।२४, ४२६२ चं ६,७, १० सू १०१ मे ३, ५, ६ १३१ से ३,९ से १३.२० से ३२.९५. १४४ से १४६. १४८ २४ से ७:१६ से २०,२२:३४,६१०,२१. २७,२८,४८,५०,५५,८६,९५ से १७,१३२. १५५. १५० १५० १७१४१७ से १.२५ ५।२।१४ से ७.६.११ से १३,२१,२४ से २६, ४०, ४१ नामधिज्ज ( नामधेय ) प २६४ नामपेज (नामधेय) ज ३।१३५१ १०८४ उ १ ६३, २६, ३।१२६ नामय ( नामक ) चं ५२ सू ११६२ नायव्य (ज्ञात) प १२४०१२. १०१०१ ४, १२ सू १।२५:२०२ नारी (वारी) ज २६५ नालिएरी (नालिकेरी ) प ११४३१२, ११४७११ नालिया (नालिकाबद्ध ) प १२४६३४१ नासा (नासा) ज ३१२११:५५० निउण (पुण) प २२४१५७ निलोय (नियोग) ज ३१७८ निय (निन्द) निति २०११६ निदिज्जमाण (निन्द्यमान) उ३।११८ निकर (निम्वकरज) प १०३५३ निकुरंब (निकुरम्ब) उ३।४६ निक्कंकड (निष्कङ्कट ) ज ११३१ निवकंकडछाया (निष्क) २३०४९. ५१,६३,६४ (1 निक्कयि (निष्काङ्क्षित) प ११०१।१४ निक्कट्ठे ( निकृष्ट) उ ११३८ Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निक्खंत - निमंच्छणा निक्खंत (निष्क्रान्त) उ ३११७०४।२८५।२७ निक्खम ( निर् + क्रम् ) निक्खमइ उ १ ११६ निक्खमण (निष्क्रमण ) ज ४।१७७ उ ३३१०६; ४११६ निक्खमाण (निष्क्रामत् ) सू १८१२, १११२.१४, १६,१८,१६,२१२४,२७; २।३६११ निक्खमित्ता (निष्क्रम्य ) उ १।११६ निक्खित्त ( निक्षिप्त) उ३।४८.५०,५५ निक्लेव (निक्षेप) उ १३१४८ निगम ( निगम ) प १७४ ज ३१६,७७,२२२ निगर ( निकर ) ज ३।१२,८८५५८ / निगिण्ह ( नि + ग्रह ) निभिष्हइ ज ३।२३,३७, ४४ निगिव्हित्ता ( निगृहय ) ज ३१२३ निगोद (नगद) प ३६१ से ६३,७० से ७४,८२, ८४ से ८७,६४,६५,१८३; १८४६ निगोय ( निगोद ) प ११४८।५६ से १८३२८७ निग्गंथ ( निर्ग्रन्थ) ज २१७२३३१३८, ४०, ४२, १०३,१३६ ; ४।१४; ५।२० निम्गंथी (निर्ग्रन्थी) ज ३।१०२, ११५, ११७,११८; ४१२२ ३ १०२, ११५, ११७,११८६४१२२ / निमाच्छ ( निर् + गम् ) विग्गच्छइ उ १११६; ३।१३:४११३५।१६ निम्गच्छित्ता (निर्गत्य ) उ १११६, ३३२६, ४ । १३ निग्गय ( निर्गत ) चं ६ सू १४ उ १२.१६, २०६६ ३१५,१२,२४,८६. १४७ १५५, १५६, ४१४, १० : ५१४, २६, २७, ३७,३८८ निग्घोस ( निर्घोष ) ज ३११२.७८ निघस ( निकष ) ज ११५ निचिय ( निचित) ज ५१५ निच्च (निस) २२४,२६,२७ निच्चच्छणय ( चित्यासक, वित्यक्षणक) उ५१५ निच्चालोय (लोक) सू २०१८/६ निच्चिट्ठ (निष्चेष्ट ) ११६०.६१ निच्छुकाम (निक्षेपकाम) उ११७३ ६५७ निच्छय ( निश्चय ) उ ३१११ निच्छुहाव ( नि ! क्षेपय् ) निच्छु वेड उ १।११७ निच्छुहाबिय (निक्षेपित ) उ १।११६ निच्छूद ( निक्षिप्त) उ १।११८ निज्जर (र्ज्)ि निज्जरंति प १४।१८ निज्जरि १४/१८ जिरिस्सति १४१८ निजरेंसु प १४।१८ निज्जरा (निर्जग ) प १४।१८११ निज्जाणसंठिया ( निर्याणसंस्थित) सु४|३ निज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५४८ निज्जाणमा (निर्माणमार्ग ) ज ५।४४ उ ३३६१ निज्जत (निर्युक्त ) प २।३० निज्झर ( निर्भर) ज २४,१३१६ से १६,२८ निट्टियट्ठ (निष्टतार्थ ) प ३६६४ निष्ण ( निम्न ) ज ३२७७, १०६ नितंब ( नितम्ब ) ज ४१६४ नित्तेय ( निस्तेजस् ) उ ११३५ निदाया (दे० ) प ३५।१८,१६ निदाह ( निदाघ ) ज ७ ११४१२ निद्दा ( निद्रा ) प २३६१ निहाय माण ( निद्रायमान) उ३।१३० निद्ध (स्निग्ध ) प १४ से ६६५१५,७,१२६.२१४, २१८,२२१,२२६; १३/२२; १७/१३८ ज ३।१०६ निन्न ( निम्न ) उ ३३५५ निष्पंक ( निप्प ) प २३०, ३१,४६,५६,६३, ६४ ज ११३१ निष्पट्ट्पािगरण (निःस्पृष्टप्रश्नव्याकरण) उ ३२६ निप्पाण (निष्प्राण ) उ १२६०.११ V निष्कज्ज ( निर् + षद् ) निष्फज्जए ज ७ ११२/४ सू १०।१२२२४ निष्फज्जति प ९२६ निष्पन्न (निष्पन्न ) ज २११८ निष्काव (निष्पाव ) प १।४५।१ ज ३ । ११६ सेम / निर्भछ ( निर् + भत्सं ) निव्भच्छेइ उ ११५७ निच्छणा ( निर्भर्त्सना ) उ ११५७,८२ Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निम-निविट्ठ निभ (निभ) ज ३।१०६ निरुवक्कमाउय (निरुपक्रमायुष्क) प ६।११५,११६ निमज्जग (निमज्जक) उ ३१५० निरुवलेव (निरुपलेप) ज २१६८ निमित्त (निमित्त) उ १४१,४३ निरुवहय (निरुपहत) उ ३१३२ निम्मंस (निर्मास) उ ११३५ निरोदर (निरुदर) ज २१५ निम्मम (निर्मम) प २१६४।१ निलाड (ललाट) उ ११२२,११५,११७,१४० निम्मल (निर्मल) प २१३१,४१,४६,५६.६३,६४ ।। निवइय (निपतित) ज ३।२५,३८,४६ ज ७४१७८ ििनवज्जाव (नि। सादय) निवज्जावेइ उ ११४६ नियम (निजक) ज २१६३ उ १११६,१३६, ३२५०, निवज्जावेत्ता (निप.द्य) उ १।४६ ६८,११०,१११,१२८,४११३,१६,१८ निवडिय (निपतित) उ ११२२,१४० नियत्त (निकृत्त) उ ११२३,६१ निवडढेत्ता (निवऱ्या) ज ७४२७ नियत्थ (दे०निवसित) उ ३१५१,५३,५५,६३,६७, निवडढेमाण (निवर्धयत् ) ज ७१२५,२७,३० ७०,७३ सू११२० नियम (नियम) प ६।११६,१०।६,२१,१११५५ निवत्त (निवृत्त) उ १२६३ २१:१०३ ; २२१५० से ५२,६७, २७।२ भिवयउप्पय (निपातोत्पात) ज ५१५७ उ ३।३१ निवह (निवह) ज २१६५,३१६३,१५७.१६३ नियमसो (नियमशस) प २१६४१११ निवार (नि+ वारय्) निवारेंति उ ३१११७ नियमा (नियमा) ज ७/४८ निदारिन्जमाण (निवार्यमाण) उ ३३११८ नियल (निगड) उ १.६५,६६,६८,७२,८८,६२ निवृढिता (निवi) सू १।१४ निरंगण (निरङ्गण) १ १११२५ निवुड्ढेत्ता (निवध्यं) सू ६१ निरंजण (निरञ्जन) ज २६८ निवुड्ढेमाण (निवर्धमान) सू ११४,२१,२७,२॥३; निरंतर (निरन्तर) १६४७ से ५८,१०६,११०% १०३५ से ३६,४१ से ५३,१११७०,२०११६. निवेदण (निवेदन) ज २१३० ४४,६०,२२१११,२७,५३, ३६।२४ ज ५५,७, निवेस (निवेश) प १७४ ज ३।१८,६१,६६, निरय (निरय) परा१,१० ज २१३३ १३१,१३७ उ १११३३,१३४ निरयगति (निरयगति) प ६१,६ निवेसिय (निवेशित) उ ३९८ निरयपत्थड (निरयप्रस्तर) प २११ निश्वत्त (निर्वत्त) २१६७११ ज ३।१४,४३,१४६ निरयावलिया (निरयावलिका) प २।१,१० उ ११५ निव्वत्तणया (निर्बर्तन) प ३४।१,२,३ से ८,१४२,१४३,१४८,२१,५१४५ निव्वत्तणा (निर्वर्तना) प १५१६०,६५ निरयावास (निरयावास) प २।२५ निब्वत्तणाहिकरणिया (निर्वर्तनाधिकरणिकी) निरवकंख (निरवकाक्ष) ज २१७० प २२।३ निरक्यव (निरवयव) उ ३७६ निवत्ति (निर्वृत्ति) प १४८५३ निरवसेस (निरवशेष) प ३४२१ ज ४११६०,२७७ निवाघाइय (नियाघातिक) ज ७/१८२ उ११४७ निवाघातिम ( निघातिन, निर्याघातिम) निरालंबण (निरालम्बन) ज २१६८ सू१८१२० निरालोय (निरालोक) उ११२२,१४० निवाघाय (निाघात) ज १७ ज ३२२३ निरावरण (निराकरण) ज ३१२२३ निस्विट्ठ (निर्विष्ट) ज ३६३२।१,२२१ Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निविट्टकाइय-नोइंदियउवउत्त निविठकाइय (निविष्टकायिक) प १११२७ निविण्ण (निर्विण) उ ११५२,७७ निम्वितिगिच्छा (निविचिकित्सा) प११०१११४ निविसमाण (निविशमान) प ११२७ निव्वुइकर (निर्वृतिकर) ज ५१३८ निवडढ़ ( निर्धय) निबुड्ढेइ सू ६.१ नित्य (निर्वत) उ १।६१,६२,८६,८७ निवेड्ढ (निर्+ वेष्टय) निवेड्ढे इ सू २।२ निव्वेढेति सू २।२ निव्वेयण (निर्बेदन) 3 १६१,६२,८६,८७ निसंत (निशान्त) उ ३११३८ निसढ (निषध) ज ४१९४ उ ५।२६१,५।१३,२०, २२,२३,३१,३२,३४ से ४३ निसम्म (निशम्य) ज ३।६१ उ १२१:३११३; ४११४:५/३० निसामत्तए (निशमितुं) उ ३३१०२,१३४ निसास (निःश्वास) ज ३।२२१ उ ५६४३ निसीय ( निषद्) निसीयइ उ ११४१ निसीयित्ता (निषद्य) उ ११४१ निसीहिया (निषाधिका,नषेधिकी) उ ४॥२१ से २३ निसेग (निषेक) प २३।७४ निस्संकिय (नि:शंकित) प११०१।१४ निस्सग्ग (निसर्ग) प ११०१११ निस्सासविस (निःश्वासविष) ५ १७० निहाण (निधान) प १।११२ निहिरयण (निधि रत्न) ज ३।१६६ से १६८ इनीण (ती) नीणेइ उ ११६७ नीय (नीच) उ३११००,१३३ नीरय (नीरजस) प १४१,४६,५६,६३,६४ नील (नील) प ११४ से ६; ५।२०५:१११५३; २८।२० ज ४२६ नीलपत्त (नीलपत्र) प ११५१ नीलमत्तिया (नीलमत्तिका) प १११६ नोललेस्स (नीललेश्य) प १७१६४ नोललेस्सा (नीललेश्या) प १७३७ नीलवंत (नीलवत्) ज ४११४२।३,१७८,१८०,२०७ २२७ नीलासोय (नीलाशोक) १७।१२४ नोली (नीली) प ११३७।१ नील नीव (नीप) ज ५।२१ इनीसस (निरन श्वस्) नीससंति प ७१ से ४, १ से ३०; १७१२५ नीसा (निश्रा) ज २।१३३ नीसास (नि:श्वास) प ११४८८५३ ज २१४१; ५८ नीहरण (निर्हरण) उ १६२ नूणं (नूनम् ) उ ३।३८ ने उर (नुपूर) ज ११२६ नेमि (नेमि) ज ३।३५ नेयत्व (नेतन्य) प २।४७१३, ३६.२७ ज ४।७५ सू २।२४।२ उ ११४८, २।२२,५१४५ नेरइय (नरयिक) प ११५२,५३,२।२० से २७; ३।१० से २३ ३८,३६,१२६,१८३,४।१,.. से २४,५२३ से ५,८,२२,२७ से ३४,३६,३७, ४०,४१,४४,४५,६।१० से १६,४५,४६.५१, ५८,६०,६५,६८,७०,७३ से ७८,८०८:, ८७,८८,६० से ६३,६६,६६,१०१ से १०३, १०५,१०६,११०,११४,११७,११६,१२१ ७१,८१२,४,५,६२,१४,२१,२४,१०१ : ५१; १११४०,४१,१५१६०,६१,८८; ११::: १७१६,१०१,१८१२,२०१६३;२०१३ २८।१०६,३६१२२ उ १।२६,१४० नेरइयअसपिणआउय (नरयिकासंज्ञयानक प २०१६४ नेरइयत्त (नरयिकत्व) उ ११२६,२७,१० नेवत्थ (नेपथ्य) ज ३३१७८ नेसप्प (नंसर्प) ज ३।१६७१ नेह (स्नेह) उ ११७२,७३,८७,८८.६२ नो (नो) पश२ सू १११८ उ १।१५८ ४१२२ नोइंदियउवउत्त (नोइन्द्रियोपयुक्त) ५ ३।१७० Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नोइंदियजवणिज्ज-पउस. नोइंदियजवणिज्ज (नाइन्द्रिययापनीय)3३।३२, ३०,६०,६४,८४,१५४,१५५,२६६,२७२; ५।५५ ५६७।१७८ उ२१२,६ से १३ नोजुग (नोयुग) सू १२१७ पउम (कंद) (पद्मकन्द) ५११४८।४२ नोपज्जत्तगनोअपज्जत्लग (नोप निकनोअपर्याप्तक) पउमंग (पद्गाङ्ग) जरा४ प३।११० पउमगुम्म (पद्मगुल्म) उ २१२११ नोपज्जत्तनोअपज्जत (नाप प्तिनो पर्याप्त) पउमद्दह (पद्मद्रह) ज ४।३,४,६,२२,२३.३७, प३१११० ३८,६४.८६,१४१,५४५५ नोपरिर नोअपरित (नोपरीतनो अपरीत) प३।१०६ पउमपरा (पद्मपत्र) ज ५१३२ नोभवसिद्धियोअभवसिद्रिय यमप्पभा (पत्रमा) ज ४।१५४,१५५।१,२२१ (नोम सिद्धिकनोभवमिडिक) प ३।११३ पउमभद्द (पद्मभद्र) २२.१ नोसंजतनोअसंजतनोसंजतासंजत पउमलता (पद्मलता) प ११३६१ (नोनयननो संयतनो दामन) प३।१०५ पउमलया (पदमलता) ज १३७,२।११,१०१; ४।०७।२८,३२३४;७।१७८ नोसंजयनोअसंजयनोसंजतासंजत पउमबरोइया (पद् गवरवेदिका) ज ११० से १२, (ोतं तनातनोगयतागयत) प ३३१०५ १४,२३,२५,२८,३२,३५,५१:४३१,३,२५,३१, नोसणि नोअसष्णि (नोगंज्ञिनोसंजिन) प ३१११२ २६,४३,४५,५७,६२,६८,७२,७६.७८,८६, नोसुहुमनोबादर (नोसूक्ष्मनोबादर) ५ ३।१११ ६५,१०३,११०,११८,१४१,१४३,१४८,१४६, १७८,१८३,२००,२०१,२१३,२१५,२३४,२४० पइठ्ठ (प्रतिष्ठ) ज ७/११४।१ से २४२ पइट्ठा (प्रतिष्ठा) ज ५१२१ पउमसेण (पद्मसेन) उ २।२।१ पइट्ठाण (तिष्ठान) ज ३।१६७।११,३।२०६, पउमा (पद्मा) प ११४८४ ज ४११५५११,२२१ २१०।४।२६:५१५६ पउमहत्थगय (हस्नगतपद्म) ज३।१० पइति ( : तिष्ठित) प २६४१२ पउमावई (पदमावती) ज ५।१०११उ ११११, पइट्टिय (अतिटित) १२१६४।३ ; १४१८।१ १६ से १.२,१४४२।४,७ से १,१६:५।२५ पइण्ण (कीर्ण ) ज ३।१२० पउमुत्तर (पदमोत्तर) प १७।१३५ ज ४१२२५॥१, पइण्णग (प्रकीर्णक) प १११०१।८ पिउंज ( गुज) पउंजइज २१६०,६३,३१५६, १४५५॥२१,५८ पउंज ति ज २११८३।११३; पउनुपलपिधाण (पद्मोत्पल पिधान) ज ३।२०६ १८५,२०६३ पउय (प्रयुत)ज २१४ पउंजमाण (प्रमुजान) ज ३।१७८ पउयंग (प्रताङ्ग) ज २१४ पउंजिता (प्रयुज्य) ज २०१० पउर (प्रचुर) ज २३१३१,३११०३ उ ५५ पउट्ठ (कोष्ठ) ज ७११५८ पउरजंघा (प्रचुरजंघा) ज २१५३,१६२ पउम (पद्म) प ११४६,११४८१४१,४४,६२, पउरजण (पौरजन) ज २१६५ २।४६११।२५ ज ११५१,२१४,१५,१६,३१३, पउल (दे०) प ११४८।६ १०,१०६:२०६;४१६,७,१४,१५,१७ से २२, पउस (पओम) पर Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पउसीया-पंचवीस ९६१ पउसिया (बकुसिका) ज ३।११०१ पंचगुमितल (पंचांगुलितल) ज ३१५६ पएस (प्रदेश) प १४,११४८१५८,५९२१६४, पंचोलिया (पञ्चाङ्गुलिका) प १४०।१ २०६४।११:३।१८०।५।१३२,१३६ से १४५, पंचगि ((गच्चाग्नि) उ ३०५० १६०,१६१,१७६ १६५,२१४,२१६:१०१२ से पंदण उय (पञ्चनवति) ज ४।११८ १,१८ से २४,२६ से ३०,१११५०; १५।१११; पंचतीत (पञ्चविंशत् ) सू १३१२५ १५॥१२,२५,५४ ; १५११४१ ; २०१।१; पंचपएसिय (पञ्चप्रदेशिक) प १०१० २२१५६,३६८२ ज २१५:३।११७,५१३८%, पंचम (पञ्चमी पंचम (पञ्चय) प ३।१६,१८३,६८०१; ६६१,३,७१७८ १०११४।३;१२१३२:१७१६५; २२१४१,४२, पएसठ्ठया (प्रदेशार्थ) प ३।१२२,१८०,५१२४, ३३११८:३६१८५,८७ ज १८८,४११०६; २८,६८,७८,८६,११५,१३६,१३८,१४०,१४३, ७।१०१ से ११०,१३११ सू१०७७.१२७; १४७,१५०,१५४,१६३,१६६,१६३,१६७ ६३३१११२,६,१२१६,१३१० उ २।२२, २००,२१४,२१८,२२१,२३०,२४२:१०॥३,२७ 1७४,७६,१५४,१६६,१६७,५११,३,४५ से २६:१५॥१३,२६,३१,१७१४४ से १४६, पंचमी (पटनमी) ज ३१२४१४ १२:४५२,११८, २११०४ उ ३१४४ १२५,१२११४ सु १०।६०; १२१२८ पओग (प्रयोग) प ११११५,१६११ से १८ पंचमठिय (परमप्टिक) ज ३।२२४ उ ३।११३ __ ज ३।१०३,११५,१२४,१२५ पंचय (पञ्चक) प २३।२६,२७,६१ पओगगति (प्रयोगगति) प १६।१७ से २१ । पंचराइय (पञ्चरात्रिक) ज २७० पओगि (प्रयोगिन् ) १६१० से १५ पंचलइया (चलतिकर) ज ३१८८ पओय (प्रयोग) उ ३।१०१ पंचम (चवर्ण) ज १।१३,२१,२६,३३,३७, पंक (पङ्क) प १६।५.४ ३६,२७,५७,१२२,१२७,१४७,१५०,१५.६, पंकगति (पङ्कगति) प १६१३८,५४ १६४:३१,७,२६,३६,४७,५६,६४,७२,८८, पंकरपभा (पङ्कप्रभा) प १५३,२१,२०,२४; ११३,१३३,१३८,१४५,१६२,४१६३,११४; ३.१४,२०,२१,१८३:४११३ से १५६१३, ५१३२,४३ सू २०१२ ७६,७७,१०११;२०१६,१०,४०,२१६७:३३१६, if पंच पिणय (पंचणिक) ज ३।११७ काज १६ उ ११२६,२७,१४० पंचध (पञ्चविध) सू २०१७ पंकबहुत (पङ्कवहुल) ज २११३२ पंचविह (पञ्चविध) प १४,१४,१५,५५,५८,६६, पंकय (पङ्कज) ज ३।३५ १२४,१३३,१३८,१११७३;१३१४,६,१२,२४ पंकावई (पावती) ज४।१९३ से १६६ से २६,२८; १५॥१८ से ६०,६२,६३,६.५ से पंकावती (पावती) ज ४१६५ ६७; १६।५,१७,२५,२७,२११२,३,५५,७५,७६, पंच (पञ्नन्) प ११७४१९ च ३।३ सू १० १४:२३।१७,२३,२५,२७,४०,४१,४३,४४,४६, उ १२ ५६३४।१७,१८ ज २२१४५:३१८२,१८७, पंच (पंचम) प १०१४।४ से ६ २१८,७।१०५,१११,११२ सू १०।१२७ से पंचक (पञ्चक) प २३।१.४ १२६:१६।२२।२१ उ ३३१५,८४,१२१,१६२ः पंचग (पञ्चक) प २३११५५,१३७,१८० ४१२४:५१२५ ज७१३१२ पंचवीस (पञ्चविंशति) सू ११२१ Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ε६२ पंचसय ( पञ्चशतिक) ज ४११६२, १६८, २०४, २१०,२३७,२६३,२६६, २७५ पंचस्तर (पञ्चसप्तति ) सू १९।२२।३२ पंचसत्तर ( पञ्जसप्तति ) सू १८२४ पंचाणुत्वइय ( पञ्चानुव्रतिक) उ ३७६ पंचाल (पाञ्चाल ) प ११६३३२ पंचावण्ण (दे० पञ्चपञ्चाशत् ) ज ७१८१, ८४ पंचासी (पञ्चाशीति ) ज ७१२५ पंचासीत ( पञ्चाशीति) सू १३११ पंचासीति ( पञ्चाशीति ) सू २३ पंचिदिय (पञ्चेन्द्रिय) प ११५२,५४,५५,६६, १३८ २३१६, २८, ३११५३ से १५५.१८३ ४।१०५;५।३;६।१०७;१२।५; १३ १४; १५१३५; १७।२३, २०१३४, ३५; २११४३, ७०; २२१३१; २३।१६५ ज ३।१६७/५ पंचिदियरयण (पञ्चेन्द्रियरत्न ) ज ३१२२०; ७१२०३, २०४ पंचेंद्रिय (पञ्चेन्द्रिय) प १।१४,६० से ६२,६६ से ६८,७६,७७,८१; ३।२४,४० से ४२,४८,४६, १८३४।१०४,१०६ से १५७, ५२२, ८२, ८३, ८५,८६,८८,८६,६२,६३,६६,६७६२१,२२, ५४,६५,७१,७८,८३,८७,८६, १२, १००, १०२, १०५, १०७, ११६; ६६,७,१६,१७,२२,२३, ११।४६; १२।३१; १३०१८,१६,१५११७,४६, ८७,६७, १०२, १०३, १०६,१२१,१३८, १६२७, १४,२७,१७।३३,३५,४१ से ४३,६३ से ६८, ८६,६७,१०४, १८११६,१८,२४; १६४; २०११३,१७,२३,२५,२६,३४,४८,२११२,७ से १६,१६,२०,२६ से ३२,३६,४६, ५१ से ५५, ५८ से ६२,६५,६८,६६,७१,७७,८२,८८,६४, २२/७४, ८७, ६६, २३१४०, ८६, १५०, १६७, १७१,१७६, १७७, १९६, १९६ से २०१; २४७; २८।४७,४८,६८,११६,१३०, १३६, १३७, १४२,१४४; २६।१५,२२:३११४३२१३,३३११, १२,२१,२८,३२,३६,३४१३,८,३५११४, २१: पंचसइय-पक्कणी ३६७,४०,५१,५७,७२,७३, ६२ पंजर ( पञ्जर ) प २।४८ ज ३१११७४|४ पंजलिउड (प्राञ्जलिपुट) ज ३।१२५, १२६; ५/५७ उ १११६ पंजलियड (प्राञ्जलिपुट ) ज १३६ : २६० ३।२०५, २०६५।५८ पंडग (पण्डक) उ ३१३६ पंडगवण (पण्डकवन ) प २१८७३।२०८; ४२१४,२४१,२४२, २४४, २४५, २४६,२५१, २५२,५१४७,५५ पंडर (पाण्डुर ) प २३१४०१८ पंडिय (पण्डित) ज ३१३२ पंडुकंबलसिला ( पाण्डुकम्बल शिला) ज ४१२४४, २४६ पंडुमत्तिया (पाण्डुमुत्तिका) व ११६ पंडु (पाण्डुक) ज ३।१६७३ पंडुयय ( पाण्डुक ) ज ३।१६७|१,१७८ पंडुर ( पाण्डुर ) ज ३ | ११७,१८८ पंडुरोग ( पाण्डुरोग) ज २१४३ पंडुलइयमही ( पाण्डुरकित मुखी) उ ११३५ पंडुसिला (पाण्डुशिला ) ज ४।२४४ से २४७ पंति (पङ्क्ति) ज २२६५;३।२०४;४।११६ सू १६१२२७, ८, ६ पंतिया (पङ्क्तिका) उ ३१११४ पं (पांशु, पांसु) ज २११३३;३।१०६ सुकीलियय ( प्रांशुक्रीडितक ) उ३१३८ ( पकड्ढ ( प्र + कृष् ) पकड्ढइ ज ५१४६ पकड्ढिज्जमाण ( प्रकृष्यमाण) ज५।४४ / पकर ( प्र + कृ ) पक रेंति प ६ । ११४ से ११६; २०१६ से १३ ज ७५६ सू १६ २४ पकरेति प २०१६३ पकरेमाण ( प्रकुर्वत् ) प ६।१२३, २०१६३ पक्क (पक्व ) प १६।५५ पक्कणिय (दे० ) प ११८६ पक्कणी (दे० ) ज ३१११ २ Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्कमंत-पच्चत्थिम पक्कमंत (प्रकामत् ) ज ३।१०६ पगास ( प्रकाश) पगासइ ज ४१६१,२७३, पक्किमृगसंठाणसंठित (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) ७.१७८ पगासेति मू ३.१ पगासेति सू ३१२ सू १६.२६ पगिझिय (प्रगृह्य) उ ३।४२ पक्किट्टगसंठाणसंठिय (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) पगिण्ह (प्र+गह ) पगिण्हइ ज ३।२०,३३,५४, ज ७:५८ ६३,७१,८४,१३१,१३७,१४३,१६६,१८२ पक्कोलिय (प्रकीडित) ज ३११,१२,२८,४१,४६, पगिण्हं ति ज ३।१११ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पगिरिहत्ता (प्रगृह्य) ज ३।२० पक्ख (पक्ष) प ७२,७ से ३० ज २०४,६४,६६, पग्गहेत्तु (प्रगृह्य) ज ३।१२,८८,५१५८ ८८,७११५,११६,११८,११६,१२६,१२७ पघसिय (प्रर्षित) ज ३१३५ सू६।१८।१:१०८५,२७,६०,६१ पच्चक्ख (प्रत्यक्ष) ज ३११,२४१३,३७११,४५११, पक्खच्छाया (पक्षच्छाया) सू ६।४ १३११३ उ ५४४ पिक्खल (प्र+स्खल) पक्खलेज्ज उ ३।५५ पच्चक्खयाविणीय (प्रत्यक्षविनीत) ज ३१०६ पक्खि (पक्षिन) ५६१८०।१११४, २११४७।१ पच्चक्खवयण (प्रत्यक्षवचन) प ११८६ . ज २११३१ सू २०१२ पच्चक्खाण (प्रत्याख्यान) ५ २०१७,१८,३४ पक्खित्त (प्रक्षिप्त) प १२।३२ उ १५६० पच्चक्खाणावरण (प्रत्याख्यानावरण) प १४७; पविखप्प (प्रक्षिप) पक्खिप्पई ज ३११८ पिक्खिव (प्र+क्षिप) पक्खिवइ उ ११४६३३५१ २३।३५ पच्चक्खाणी (प्रत्याख्यानिनी) प १११३७।१ पक्खिवंति ज २।१२०५।१६ पक्खिवेज्जाहि पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) प २१२० से २७ सू २०१६।३ पक्खिवित्ता (प्रक्षिप्य) ज २।१२० उ ११६१; पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) ज १:१३,३०,३६; ३१४१ ३।१२६,४।२ सू२०१७ उ ११११,९८,६९; पक्खिविराली (पक्षिविराली) प ११७८ ३१११४,११५,११६ पक्खुभिय (प्रक्षुभित) ज ३।२२,३६,७८,६३,६६, पच्चत्थाभिमुहि (पश्चिमाभिमुखिन्) ज ४।४२,७७, १०६,१६३,१८० २६२ पक्खेवाहार (प्रक्षेपाहार) प २८१४०,६६,१०२,१०३ पच्चस्थिम (पाश्चात्य) प ३.१ से ३७,१७६ १७८, पक्खेवाहारत्त (प्रक्षेपाहारत्व) प २८१४०,६६ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पक्खोलणय (प्रस्खलत्) उ ३।१३० ५१,३१,४४,६८,६६,६७,१२८,४।१,१६, पगइ (प्रकृति) ज २११६,३१३,११७,७।१८० २६,३७,४२,४५,४८,५५,५७,६२,७७,८१,८४, उ ५१४०,४१ ८६,६४,६८,१०३,१०८,१२६,१३५,१४३, पगइभद्द (प्रकृतिभद्र) ज ११४१:२।३६,४१ १५१०२,१६२,१६७,१६६,१७२ से १७८,१८१, पगडि (प्रकृति) प २३३१०१ १८२,१८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४, पगय (प्रगत) उ ५२।१ १६६.१६७,१९८,२०० से २०३,२०५,२०६, पगरेमाण (प्रकुर्वत्) प ६११२३ २०८,२०६,२१३,२१५,२२६,२३२,२३८, पगार (प्रकार) ज ३१८१ २५१,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२,२७४, पगास (प्रकाश) पश३१ ज २१५,३१३५.११७, ५।१०,३६, ६.१६ से २४,२६,७।१७८ १८८,४११२५,५१६२७१७८ उ ५१६ सू २।१८।१:१३३३२,१४,१६,१८११४; Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पच्चत्थिमलवणस मुद्द-पच्छिमदारिया २०१२ उ ३३५४ पिच्चुत्तर (प्रति --उत्+त) पच्चुत्तरइ ज २०२८ पच्चत्थिमलवणसमुद्द (पाश्चात्यलवणसमुद्र) ४१,४६ उ ३१५१ ज ४१२६८,२७७ पच्चुत्तरिता (प्रत्युत्तीर्य) ज ३१२८ उ ३१५१ पच्चस्थिमिल्ल (पाश्चात्य) प १६३४ ज ११२०, पच्चुप्पण्ण (प्रत्युत्पन्न) ज २१६०; ३।२६,३६,४७, २३,४८,२।११६,३१४७,७६,६५,१४६.१५०, ५६,१३३,१३८,१४५ ,५३,२२ १५६,१६१,१६४ ; ४१३७,५५,६२,८१,८६६८, पिच्चुवसम (प्रति ।-उप गम्) पच्चुवसमंति १०८,१७२.२१२,२१३,२३०.२३१,२३८% . ज ५७ ७१७८ २।१,१०११४२,१३।१४,१६ पच्चुवसमित्ता (प्रत्युपशम्य) ज ५७ पच्चत्युय (प्रत्यवस्तृत) ज ३३११७ पिच्चुवेक्ख (प्रति !- उप-!- ईक्ष) पच्चुवेक्खइ पिच्चप्पिण (प्रति अपय) पच्चप्पिण ज ३११८७ ज ३।३२,१७१,५७१ पच्चप्पिणंति ज ३१८, पच्चुवेक्खित्ता (प्रत्युप्रेक्ष्य) ज ३।१८७ १३,१६,२६,४२,५०,५६,६७,७५,१४८,१६६, पच्चोयड (दे०) ज ४।३,२५ १७४,१७६,१६८,२००,२१३,५१७०,७३ पच्चोरुभित्ता (प्रत्यवरुह्य) ज ४११३ पच्चप्पिणति ज ३।१६,५३,६२,७०,१४२, पिच्चोल्ह (प्रति अव- रुह ) पच्चोरहइ १६५,१८१,५०५ पच्चपिणह ज २१०५; ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१,१४३,१५१,१६६, ३७,१२,१५,४१,४६,५८,६६,७४,१३०,१४७, १८२,१८६,२०४,२१४,५।२१,४४ उ १.१६; १६८,१७३,१७५.१६१,१६६,२१२,५२६६ ३१५१ पच्चोरुहति ज ३१२१५,५१५,४५ ७२ उ १।१७,४११६:५११८ पच्चप्पिणामि पच्चोरुति ज ३१२८,४१ पच्चोरहेइ उ०१०६ पच्चप्पिणामोड १११२७ ज ३।१११:४।१८ पच्चप्पिणाहि ज ३.१८,३१,५२,६१.६६,७६, चोरुहिता (प्रत्यरुह्य) ज २१६५ उ १११६, ८३,९८,१२८,१४१,१५१,१५४,१६४,१७०, ३१५१,४११५ १८०,५१२८,६८ उ श११५ परमपिणिज्जइ पच्चोषक प्रति अब.क) पच्चोसक्कइ उ १११२८ पच्चप्पिणेमा ५ ३६११ ज: ३.१२,८८,१५५ पच्चीसक्कति मु २०१२ पच्चय (प्राय) ज ३११०६ पच्चोसक्कित्था ज ३८६,१०२,१५६,१६२ पच्चामित्त (प्रत्यात्रि) ज १२८ पच्चोसक्कित्ता (प्रत्यवकप्क्य) ज ३११२ पिच्चाया (प्रति जन) पच्चा तिब६४ पच्छभाग (पश्चाभाग) सू १०१४,५ पच्चायति ज २६४ पच्चाबाहिद उ ४३ पच्छा (पश्चात् ) प ३४११,२,३६८५,८८ सु १०१५ पच्चायात (प्रत्याजात) ज २११३३ उ ३७,५१,५३,५४,६१,१०७,११८,१३६; पच्चावड (प्रत्याक्त) ज ५१३२ ४॥२१ पच्चावरण्ह (प्रत्यापराण्ह) उ ३१५६,६४,६८,७१, पच्छाकड (पश्चात्कृत) सू ८.१ ७४,७४ पच्छिम (पश्चिम) ज २१५५,५७ से ५६.६४,१२६, पच्चद्वित्तए (प्रत्युत्थातुम् उ ३१५५ १५५,१५६; ३३१३५॥१ पिच्चुपणम (प्रति + उत्... णम्) पच्चण्णमइ पच्छिम्कंठभाओवगता (पश्चिमकण्ठभागोपगता) ज ५१२१,५८ सू४ पच्चुण्णमित्ता (प्रत्युसम्य) २१ पच्छिमदारिया (पश्चिमद्वारिका) सू १०११३१ Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिज्जुट्टिय म (पश्चिम) व १७ ७० पच्छिम (पश्चिम) प १६३० पच्छिम (पश्चिमार्ध ) प १६।३०६१७/१६५ √ पच्छोल ( प्र + क्षालय् ) पछोलेंति ज ५।५७ पच्छवण (पश्चादुपपन्नक) प १०४,६,१६,१७ पर्जपिय (प्रजस्थित) उ३६८ पज्जत ( पर्याप्त ) प १०१७,२२,३१,४०६०. १९४१ से ५१,६०,६६,७५,७६,८१,२०१६ से ३९,४१ से ४३,४० से ६३३।१।२,४३ से ४६,५३ से ६०,६४ से ७१.७५ से ६४ से १५, ११०, १७४४१५५७८,८७,६०,११, १४, १७, १००, २३, २४२, २४५, २४०, २५१. २५४, २५७,२६०, २६३, २६६, २६६, २७२, २७५,२७८,२६१,२८४,२८७, २१०,२६१, २६, २९९६०१५ १६१२:२११६ १६.१८, २३ से ३४,३६,४०, ४१, ४४, ४८, ५०, ५३, ५५; २३।१६३,१६५ पत्तग (पर्याप्तिक) प ११२०,२३,२५,२६,२८, २१,४८ से ५१,५३,१३१ से १३२,१३५, १३७,१३८, २१ से १६; ३३४२ से ४६, ५२ से ६०,६३ से ७१.७४ से ८४,८७ से ८१,६१,६२, ६४, ६५.११०, १४३, १४६, १८३ ६७१,७२, ८३,६७, १०२, ११३ ११३९, ४१.१५/४१ २१५,१०,१३,२०,४१,५२ से ५५,७२ ३४।१२:३६।१२ जगणाम ( पर्याप्तकनामन् ) प २३३८,१२० पजस भाव ( पर्याप्तभाव ) ३।१५,८४,१२१. १६२,४२४ पज्जत ( पर्याप्त ) प २०७४,०७,६९,१०,१२, १३, १५, १४६, १५२, १५५,१५८, १६१,१६४, १६७.१७०, १७३, १७४१८३४१२, ६, ६, १२, १५.१,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६,४२, ४५,४८,५१,५४,५८,६१,६४,६७,६८,७१,७४, पञ्जवसिय (पर्यवसित) १११।३० उ ३१४० पज्जवसित ( पर्यवसित) सू १११२ से ६ ७५,८१,०४,१०१, १०६, १०२, ११२११५. ११८,१२१.१२४,१२७.१२०,१३३,१३६. पण (प्रद्युम्न) प५।१० पज्जुवयि ( प्रत्युपस्थित ) प १६५२ १३६,१४२१४५, १४८, १५१.१५४, १५७, १६०, १६४, १६७,१७०, १७३, १७६. १७६, १८२,१०५,१०० १११.१९४, ११७,२००, २०३,२०६, २०६,२१२.२१५,२१८,२२१,२२४० २२७,२३०, २३३,२३६६१७१,७२,७६,८३, १७, १८, १०२११०३१ से ३४ १८१९ से १२, १६ से २४,३१ से ३६,४०, ४१ से ५१,५३, ५४,११३ २१०४०, ४२,४४,४५, २३११६६, १६ से २०१२८।१४२: ३६।१२ पज्जत्ति ( पर्याप्ति ) प ११८४; २३।१६५, १६६, १९९ से २०१:२८।१०६।१,२६११४२ उ २।१५,०४, १२१, १६२४२४ जय (पर्वत) ३१२४:५१ से ७१ से २०, २३,२४,२७ से ३४,३६ से ३८४० से ४२, ४४, ४५,४८,४६, ५२, ५३, ५५,५६,५८,४९, ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७,७८, ८२, ८३,६५,८६,८१,१२,१३,१६,६७, १०० से १०७,११० से ११२,११४, ११५, ११८, १११,१२० से १३०,१३३१३७ से १३९. १४४, १४६, १४६, १५०, १५४, १५६,१६३. ११०,१६३.१६७, २००, २०३, २०५, २०७, २११२१४, २१८, २२१,२२४,२२८, २३० से २३२,२३७,२३६.२४१,२४२२४४; १०१५ EEX ज २।५१,५४, ७१.१२१,१२६,१३०,१३८, १४०, १४९, १५४, १६०, १६३७७२०६ उ ३।४७ पज्जयसाथ (पर्यवसान ) प ११।६६.६७६ १४११८) २६/१६,१७,६२,६३,३६।२० २१६४५५६ ७२३,२५,२८,३०,४५ यू १११४,१६,१७, २१,२४,२७,२३,६।१,१०।१,११।२ से ६ Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पज्जुवास-पडिणिक्खम पिज्जुवास (परि+उप+आस्) पज्जुवासइ ५७ ज ३१३५,१०८ से १११,१७६४|४९%3 ज २१६०,६३,५१४८,५०,५८,६५ उ १११६; ५।४३,७१३३१२,१८४ उ ११२२,१४० ३३१३:४:१३:५११६ पज्जुवासंति ज ३।२०५, पडागाइपडागा (पताकातिपताका) ज ३१७,१८४; २०६:५४६ उ ५।३६ पज्जुवासामि उ १११७ ४१३० पज्जुवासिज्जा उ ५१३६ पज्जुवासीहामि पडागातिपडागा (पताकातिपताका) १३५६ उ ३।२६ पज्जुवासेज्ज ज २१६७ पडिसुया (प्रतिश्रुत्) ज २१६५ पज्जुवासणया (पर्युपासन) उ १।१७ पिडिकल्प (प्रति+कृप) पडिकप्पेइ ज ३११५, २१,३३ पडिकप्पेह ज ३।२१,३४,७७,६१, पज्जुवासणिज्ज (पर्युपासनीय) ज ७:१८५ सू १८।२३ १७३,१७५,१६६उ १११२३ पष्टिकंत (प्रतिक्रान्त) उ २११२३३१५०,१६१; पज्जुवासमाण (पर्युपासीन) ज १६ चं १० ५।२८,३६,४१ उ ११४,५२२ पिडिक्कम (प्रति+क्रम्) पडिक्कमेहि उ ३३११५ पज्झंझमाण (प्रमझमान) ज ५१३८ पडिगय (प्रतिगत) ज १४;३।१२५:५७४ च ६ पट्ट (पट्ट) ज ३१२४,३५,७७,१०७,११७,१२४; सू ११४ उ ११२,२४;३।७,२१,२५,४५,६२, ___४।१३ सू २०१७ उ १११३८ ६६,६६,७२,८१,१४३,१५६:४१५५१२० पट्टगार (पट्टकार) प १६७ पडिचर (प्रति+चर्) पडिचरइ सू १११८ पट्टण (पत्तन) प ११७४ ज २१२२,१३१, ३।१८, पडिचरंति सू १११८ पडिचरति सू१३।१२ ३१,३२,८१.१६७४२,१८०,१५५,२०६,२२१ । पिडिच्छ (प्रति--इष्) पडिच्छइ ज ३१४०,४८, उ३।१०१ ५७,६५,७३,१३४,१३६,१४६,१५१,१५२ पट्टणपति (पत्तनपति) ज ३१८१ पडिच्छति ज ५११५ पडिच्छंतु ज ३१२६,३६, पट्टिया (पट्टिका) ज ३७७,१०७,१२४ उ ११३८ । ४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५ उ ३१११२, पट्ठ (पृष्ट) ज २११५;३।१०६।११७ उ ११९७ ४१६ पडिच्छाहि ज ३७६,१२८,१५१ पछविय (प्रस्थापित) प २०३६ पडिच्छण्ण (प्रतिच्छन्न) ज २१८,६,१३ पछित (प्रस्थित) प १६:५२ पडिच्छमाण (प्रतीच्छत्) ज २।६५,३।१८,३१, पठिय (प्रस्थित) प १६५२ १८०,१८६,२०४ पड (पट) ज ३।६,८१,१२५,१२६,२२२ पडिच्छायण (प्रतिच्छादन) ज ४।१३ सू २०१७ पिड (पत्) पडइ उ ११५१ पडिच्छित्ता (प्रतीष्य) ज ३७६ उ १३३ पडमंडव (पटमण्डप) ज ३१८१ पडिच्छिय (प्रतीष्ट) उ ३११३८ पडल (पटल) ज २६१३१, ३३११,४१३,२५ पडिजागरमाण (प्रति जाग्रत् ) ज ३१२०,३३,८४, पडलग (पटलक) ज ५।५५ १८२,१६० उ११६५१०५ पडलहत्थग (पटलहस्तक) ज ३।११ पडसाडय (पटशाटक) ज २६६ पडिण (प्रतीचीन) सू १११६ पडह (पटह) ३३.२२ ज३।१२,७८,१८०,२०६ पडिणिकास (प्रति निकाश) ज ३२९५,१५६ पडाग (पताका) परा४१,४८ ज ११३७ २०१५, पिडिणिक्खम (प्रति+निर्+क्रम) पडिरिएक्समाइ ३१३,३१ ज ३१५,१२,१४,१७,२१,२८,३०,३४,४१,४३, पडागसंठिय (पताकासंस्थित) सू १०१४२ ४६,५१,५८,६०,६६,६८,७४,७७,८४,८५, पडागा (पताका) प ११५६,७१,१५१२६२१०२६, १३६,१३६,१४०,१४७,१४६,१६८,१७२, Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडिणिक्खमित्ता-पडिवज्जितए ६६७ १७७,१८७,१८८,१६८,२१४,२१८,२१६, २२२,२२४; ५२३ पडिणिक्खमंति ज ३१८, १५३,५१७३ पडिणिक्खमें ति ज ३।१३ पडिणिक्खमित्ता (प्रतिनिऋम्य) ज ३१५ पडिणिक्खमेत्ता (प्रति निष्क्रम्य) ज ३११३ पडिमियत (प्रति नियत) ज ३८१ पडिणिन्वुड (प्रतिनिर्वृत) ज २०६८ पडिणीय (प्रत्यनीक) ज २२८ सू २०१६२ पडिदिसि (प्रति दिश्) सू २०१२ पडिदुवार (प्रतिद्वार) प २१३०,३१,४१ ज ३७, पिडिनिक्खम (प्रति- निर--क्रम्) पडिनिक्खमइ उ ११४२३१४६,४११२ पडिनिक्खमंति उ ११४५३११४५ पडिनिक्खमति उ ३।२६ पडि निक्खमह उ १११२१ परिनिक्खमित्ता (प्रतिनिष्क्रम्य) उ १५४२३।२६; ४।१२ पडिनिग्गच्छित्ता (प्रतिनिर्गत्य) उ १।१२४,५५१६ पिडिनियत्त (प्रति+नि+वत्) पडिनियत्तति प ३६१८८ पडिनियत्तित्ता (प्रतिनिवृत्य) प ३६१८८ पउिपाति (प्रतिपातिन् ) १ २३११३४,१३५,१३८, १४०,१४२,१४३,१५१ से १५५,१५७,१६०, १६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ पडिपाद (प्रतिपाद) ज ४।१३ पडिपुच्छण (प्रतिप्रच्छन) उ १११७ पडिपुच्छणिज्ज (प्रतिप्रच्छनीय) उ ३।११ पडिपुष्ण (प्रतिपूर्ण) प २११७४ ज २११५,७१, २५,३३११७,१६७।१२,२०६,२२३,२२५; ५५६,७।१७८ पडिपुण्णचंद (प्रतिपूर्णचन्द्र) प २१५४,६०,३६८१ ___ ज ११७ सू १।१४ पडिबंध (प्रतिबन्ध) ज २१६६ उ ३३१०३,११२, १३६,१४८,४३११ पडिबुद्ध (प्रतिबुद्ध) उ ११३३; २१८, ५॥१३ पडिबोहण (प्रतिबोधन) ज ५।२६ पडिमंजरी (प्रतिमंजरी) ज ७१२१३ पडिमोयण (प्रतिमोचन) ज २११२ पडिय (पतित) उ ३।१३१,१३४,४।६ पडियाइक्खिय (प्रत्याख्यात) ज ३१२२४ पिडियागच्छ (प्रति- आ-! गम) पडियागच्छद सू२२१ पडियागच्छिता (प्रत्यागत्य) सू २।१ पडिरह (प्रति रथ) उ ११२२,१४० पडिरूव (प्रतिरूप) प २१३० से ३२,३४,३५,३७, ३८,४१ से ४३,४५,४५.१,२,४६,४८ से ५२, ५८ से ६१,६३,६४ ज १८ से १०,२३,२४, २६:३१,३५,४२,५१,२।१२,१४,१५; ३३१. १६५४.१,३,४,१३,२५,२७ से ३०,३३,४६, १४६.१७८,२०३,५१३१,३३,३४,६२ सू १११ १८ाउ ५१४ से ६ पडिरूवग (प्रतिरूपक) ज ३।१६५,४।४,५,२६, २७,८६,११८,१४४,२४६,५२३०,३१,४६,६७ पडिरूवय (प्रतिरूपक) ज ३.१६५,२०४ से २०६, २१४,२१६:५।४१,४२,४४,४५ पडिरविय (प्रतिरूपित) ज ३११२० पिडिलाम (प्रति+ लाभय) पडिलाभेइ उ ३३१३४ पडिलाभत्ता (प्रतिलाभ्य) उ ३।१०१ पिडिलेह (प्रति + लिख्) पडिलेहेइ ज ३३२२४ पडिलेहित्ता (प्रतिलिख्य) ज ३।२२४ पडिलोम (प्रतिलोम) ज २१६,६७ पडिलोमच्छाया (प्रतिलोमच्छाया) सू ६।४ पडिवक्ख (प्रतिपक्ष) प ५।२२६ पिडिदज्ज (प्रति+पद्) पडिवज्जइ प ३६१९२ उ ३।१०४,५४२० पडिवज्जति सू ८१ पडिवज्जाहि उ ३१११५ पडिज्जिसु ज २१५१,५४,१२१ पडिवज्जिस्सइ जस१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, १६३;३।१३४ पडिवज्जित्तए (प्रतिप्रत्तुम् ) प २०११७,१८,३४ उ ३३१११ Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ पडिपज्जिता-पड पडिवज्जित्ता (प्रतिपद्य) ३.४५,१०४,१४३;५२० पिडिसुण (प्रति+श्रु) पडिमुणति ज ५१७३ पडिवडितसम्मद्दिछि (प्रतिपतितसम् दृष्टि) पडिसुइ ज ३११६,५३.६२,७०,७७,८४, प ३।१८३ १००,१४२,१६५,१८१,५३२३,६६ उ ११५५; पडिवण (प्रतिपन्न) १३६१६२ ज ३।१४,२६, ३.१४० पडिसुणति ज ३१८,१३,१०७,११३ ३०,३६,४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२, १८६,१६२ उ ११४५ पडिसुणेमि उ ११८३ ११३,१३०,१३६,१३८,१४०,१४५,१४६, पटिमणेत्ता (प्रतिश्रुत्य) ज ३१८ उ ११४५ १७२ सू ८१ उ ३१६६,७६ परिसेविय (प्रतिसेवित) ज २१७१ परिवति (प्रतिपत्ति) चंद सू १७३३,१।८।१,२, पिडिसेह (प्रतिषेध) १६७४ से ७८,८०,११०%; ३,१०२० से २३,२५,२६,२।१ से ३,३२१:४।२, २०१२५ ३:५११६३१७१८।१,६११ से ३,१०११, पडिसेह (प्रति सेध) पडिसेहेइ ज ३१११० १३१:१७१११८११,१६०१,२०११,२ उ १११६ पडिसेहेति ज ३११०८ पश्विया (प्रतिपत्) ज २११३८ पडिसेहित्तए (प्रतिपेद्धभ्) ज ३।११५,१२४,१२५ पहिवा (प्रतिपत्) ज ७११२५ पटिसेहिता (प्रनिपिः ) उ ११११६ पहिवाइ (प्रतिपातिन् ) प ३३६११,३३३३५ पडिसेहिय (प्रनिषिद्ध) ज ३१६५,१०६,१११,१५६ पडिवाति (प्रतिपातिन् ) प ११११४ उश२७ पहिवादिवस (प्रतिपदिवस) ज ७११६ सू १०८५ पडिसेटेयव (प्रतिपेशवा); पडिसेहेयध्व (प्रतिषेधव्य) प ६१९८१०१६ से : पडिवाराइ (प्रतिपत्रात्रि) ज ७।११६ पडिस्सुइ (प्रतिश्रुति) ज २१५६,६० परिवाराति (प्रतिपात्रि) सू १०1८७ पडिहण (प्रति --हन्) पडिहमति सू ५१ पडिवालेमाण (प्रतिपालयत्) उ १११३३ पडिहत (प्रतिहत) प २६४१२,३ ज ४१२५ पिडिविसज्ज (प्रति वि+सजय्) पडिविसज्जइ पडिहता (प्रतिहता) सू ९१४ उ३।१०४ पडिविसज्जेइ ज ३६,२,७,४०, पदिय (प्रतिहत) चं २ मू ११६:५१ ४८,५७,६५,७३,१२७,१३४,१३६,१४६,१५२, पडीण (प्रतीचीन) प २।१०,५० से ६२ ज १११८, १७१,१८६,२१६ उ ११०६:३११३७ २०,२४,३११:४।१,३,८६,८८,६८,१०३,१०८, पडिविसज्जिय (प्रतिविजित) ज ३११७१ १४१,१६२,१६७,१६६,१७८,१८५,१८७, उ १३३,११० १६१,२००,२०३,२४५,२५१;७१०१ पडिनिसज्जेत्ता (प्रतिविसयं) ज ३१६ सु १११६२११ परिसंवेमाण (प्रतिसंक्षिपमाण) ज ५१४४ पडीणउदीण (प्रतीचीनोदीचीन) सूसा पिदिसंवेद (प्रति संवेद) पडिसंवेदेति पडोणवाय (प्रतीचीनवात) प ११२६ प १५॥३८ पडीणा (प्रतीची) ज ११८,२०,२३,२५, पडिसत्तु (प्रनिशत्रु) ज ३११३५१ २८,३२,४८,३।१४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८, पिडिसाहर (प्रति+संह) पडिसाहरइ ज ५१६७ १८,१०३,१०८,१७२,२०५.२१४,२४६, पहिसाहरंति ज ३।१२५ पडिसाहरति २५२.२६२,३६८ प ३६१८५ पडु (पटु ) प २।३०,३१,४१,४६ ज ११४५,३१८२, पडिसाहरित्ता (प्रतिमहत्य) प ३६१८५ ज ३११२५ १८५,१८७,२८६,२१८,५१,१६७१५ पडिसाहरेमाण (प्रतिसंहरत्) ज ५१४४ . ५८,१८४ सू १८१२३:१६७१६३२३,२६ Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडुच्च-पणिवय पडुच्च (प्रती ) प १९७४ : २७६ ६३ ८१४, ६, ८.१०.१११४६,५३,२५,५७.५६ १४५ १६११,२११९५ २३१६३,१७९२८१६,९६,२० २६.३१.५२.५५.६ से १०१ ज ४४.४ म २ पतच्च (पती) पण (१ १२ १२,३२,३० ७।३१,५६ ११२७ ११३३,११।३३।१ पडप्पण्णभाव (प्रत्युन्नभाव ) प २०१८ से १०१ पडपण्णवयण (नवलन ) प १११८६ पडे (प्रतिश्रुत्५२५ पडोयार (प्रवतार ) प ३०।२५, २६ ज १७,२१, २२,२६,१७,२२,३२,४६,५०,२१७.१४, १५, २०,५२,५६,१०,१२२, १२३, १२७,१२८,१३१, १३२,१३३,१३३, १४७, १४८, १५०, १५१, १५६,१५७.१५६,१६४४१५६,०२,६६ से १०१, १०६.१७०,१७१ पडोल (पटोल) प १०३७१२, ११४०११, ११४८४८ पढम ( प्रथम ) प १1१०३, १०६, १०७,१०९, ११०, ११३. ११४,११६,११६,१२०.१२२१२३; २३१६८०१:१०।१४।१ से ३:१२।१२. १६,३१,१२:२२०३३, ४१३६८५,८७,१२ ज २१५५,५६,६३,६४,१३८, १५५ से १५८ ३६३०,१३५,२१७, ४११४२३१५३.१५४, १८०७१,२०,२३, २६,२८,९७,१०१.१०६. १५६,१६०,१६४ ३३ १७,१३,१४, १६.२१,२४,२७ २१३,६११८६१; १०१६१, ६७,७७, १२७,१३८, १३६, १४३, १४४, १४८, १५०,१५२,११४२.२ १२१२,१६,२०,२४६ १३१,७,६,१०६१८०३७ उ १०६ से ८,६३, १४२, १४३, १४, २११,३, १४, १५, २२:३१३, १६,२०५००१४४०१,२७१२१३,४४ परीसर (वर) ३।१२६३ (१९४६५१ पदमा (२) १२११४१०५०४८ म १०१५ पण (पञ्चन्) सु १०५७ पण जीव ( पनकजीव ) प ३६१९२ पण गमतिया (पनमृत्तिका) ११६ ( पणञ्च ( प्र + नृत् ) पणच्चति ५ ५७ पण (प्रनष्ट) प १२४८०३६ पणतालीस (पञ्चचत्वारिंशत् ) प १८४ ese भ्रू १६।२० पणतीस (पत्) सू १।२० पणतीतिभाग (भाग २३०६,८८, २५ से १८:११, १५१ पणपण (दे०चपञ्चाशत् ) प ४१२८४।१७२ यू १२।७ पण (दे० ) प १४६, १२४६११.११६५ २०१३३ पाय ( प्रणत) ज ३१८१.१०९ पण बहुल ( पनक" बहुल ) ज २।१३२ पणयाल ( पञ्चचत्वारिंशत् ) ज ७ १३४ सु १।२१ पाली पञ्चचत्वारिंशत्) १०६ ४३ उ५।२८ पणव (प्रणव) ज ३११२,७८, १८०,२०६ ; ५१५ पण (पञ्चपञ्चाशत् ४१५५ वणवण (पणपनिक) २०४१ पणवन्निय (पणपनिक) प २२४७११ पणवीस (पञ्चविशति ) प २२२ ज १३२३ भू १।२१ वणवीसतिविध ( पञ्चविंशतिविध ) सू ९६४ पणाम (प्रणाम ) ज ३१५,६,१२,८८ पणाव (प्र- नामय् ) पण वेइ उ १।११६ पणावेहि उ १।११५ पणावेत्ता (प्रणाम्य) उ १ ।११५ पणासित ( प्रणाशित ) सू २०१७ पणिधाय (प्रणिधान) प १७।१११ सू ६।१ पणिय (पनि) ज २२३ पणिवय ( प्रणिपतित ) ज ३ । १२५ पणिय ( प्रणि+पत्र) पणिवयामि ज ३१२४११ १३१।१ १. पनकः प्रतलः कर्दम: - टीका Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० पणिहार-मत्तिय पण्णास (पञ्चाशत) प २१ ज ११२३ र १२१३, ८ उ ५.१३ पण्य (प्रस्नन) ३ ३९८ पितणतण (प्र+तनतनाय)नणतणाइस्सइ ज २११४१,१४५ तणतणानि ज ३१११५; ५७ पणिहाय (प्रणिधाय) प १७।१०६ से १११ ज ४१५४,८०, ७२७,३० सु१।१४,२४ पणुवीस (पञ्चविंशति) प ४१२७३ उ ३७ पणुवीसइम (पंचविंशतितम) प १०.१४१३ पण्णट्ठ (प्रणष्ट) ज ३१३ पण्ण (पञ्चषष्टि) ज ७१६५,६६ पण्णट्टि (पञ्चपप्टि) ज ४११६५ मु १०।१५२ पण्णत्त (प्रज्ञप्त) प १११ ज १७ सू१।१४ उ ११४ पण्णत्तर (पञ्चसप्तति) ज ४१४५ पण्णत्तरि (१ञ्चसप्तति) ज ४.१४२ पण्णत्ति (प्रज्ञरित) सू २०१६।१ उ ३।१६० पण्णर (पञ्चदशन्) प १०।१४१४,५ पण्णरस (पञ्चदशन्) १ १७४ ज ११२३ सू १५१३ पण्णरसइ (पञ्चदशन्) सू १६।२२।१६ पण्णरसति (पञ्चदशन्) सु २०६३ पष्णरसम (पञ्चदश) ज ७।६७ सू १०१७७; १२१६१३।१,१०६; १४१३,७:१६।२२, २०१३ पण्णरसविह (पञ्चदशविध) प ११८८१६११,२, पतणतणाइत्ता (प्रतनतनाट ) २११४१ पतर (प्रतर) प १२११२,१६ १. पतव (प्र तर) पतवनि ५५७ पिताव (प्र- तापम् ) पताओंति सूहा? पतिट्ठिय (प्रतिष्ठित) प १४३ पतिसम (प्रतिराम) ज ३।६२,११६ पत्त (प्राप्त) ५ २१६४।२०६।१८१७२२३१३ - से २३,३६१६४१ ज २१८५२:३६,४३, १२२,१२६,१३३, ४153 ,९८,१०१, १२२,१५०,१६१; ४१२५,२३,२८,३१,३६, पण्णरसी (पञ्चदशी) सू १०१६०;१३।११४।३,७ पण्णरसीदिवस (पञ्चदशीदिवस) ज ७११६ सू १०८५ पण्णरसोराइ (पञ्चदशीरात्रि) ज७११६ पण्णरसीराति (पञ्चदशीरात्रि) सु १०।८७ पिण्णव (प्र+ ज्ञापय) पण्णवेइ ज ७१२१४ उ १२६८ पण्णवेहिति सू १६।२२।३ पण्णवणा (प्रज्ञापना) ५ १११४२,४,४६,१३८%; २८1९८ से १०१ उ ३३१०६ पण्णवणी (प्रज्ञापनी) प ११।४ से १०,२६ से २६, ३७।१,८७ पण वित्तए (प्रज्ञप्तुम् ) उ ३.१०६ पण्णवीस (पञ्चविंशति) प २७।४ पण्णा (दे०) ५२।४०।३ ज ५१४६ पिण्णा (प्र + ज्ञा) पण्णायए ज ७११६९ पण्णावग (प्रज्ञापक) ज ३।६५,१५६ पत्त (पत्र) ११३५,३६,४७१,१६४८१६,१६,२६, ३६,४५,४७,४६,५१,६३ ज २१८,६,१२,१५, ६८,१४५,१४६ ; ३।११३,३।१२,८८,६८, १०६,४३,२५,५५,५८, ७/१७८ उ ३५०, ५१,५५ पत्त (प्राप्त, पात्र) उ १११२८ पत्तउर (पत्तूर) प १।३७१३ पत्तकयवर (पत्रकचार) ज २१३६ पत्तच्छष्ण (पत्राच्छन्न) ज २११२ पत्तळ (दे०) ज ५१५ पत्तपुड (पत्रपुट) ज ४।१०७ पत्तल (पत्रल) ज २११५,३११०६७/१७८ १११ पत्त (वासा) (पत्रवर्पा) ज ५१५७ पत्तविच्छय (पत्रवृश्चिकः) प ११५१ पत्तामोड (पत्रामोट) उ ३१५१ पत्तासव (पत्रासब) प १७।१३४ पताहार (पकाहार) प ११५० उ ३१५० पत्तिय (पत्रित) उ ३३४६ Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्तिय-पभंकरा ९७१ /पत्तिय (प्रति !-इ) पत्तिएज्जा प २०१७, १८०,१८२,५१२४,१२५,१३१,१६१,१७७, १८,३४ पचिवामि ३ ३३१०३ १७६,१६३,२१६,२१८,१०१२,४,५,१८,१६, पत्तेय (प्रत्ये) : १८८161,४७,४६,६०,२१४८%, २१ से २३,२५,२६,१२।३०,५३,५७; ६।१८।४।१०।१४,१६३१५ ज ११४६; १७१११४।१।२२।५८,७६:२८१५,५१ ज २१६५ ३।२०६:४१५,२७,११०,११४,११६,११८, ४।१४३ सू १९०२६ १२२,१२५,१२८,१३६, ५१ से ३,५,७,३१, पदेसघण (प्रदेशघन) प २१६४१५ ४२,५६ उ १११२१,१२२,१२६ पदेसठ्ठता (प्रदेशार्थ) प ३.११६ से १२०,१२२ पत्तेयजिय (प्रत्ये। जीव) प १२४८६ पदेसठ्ठया (प्रदेशार्थ)प ३।११५,११६,१२०,१२२, पत्तेयजीविय (प्रत्येकजीवित) ५११३५,३६ १७६ से १८२,५१५,७,१०,१४,१६,१८,२०,३० पत्तेयबुद्ध सिद्ध (प्रत्येकबुद्धसिद्ध) ॥ १।१२ ३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,७१, पत्तयसरीर (प्रत्येक शरीर) ११२३२,३३,४७; ७४,८३,८६,६३,६७,१०१,१०४,१०७,१११, ४७।२,३,३७२ से ७४,५१,८४ से ८७,६५, ११६,१२६,१३१,१३४,१४५,१६६,१७२, १८३,१८१४४,५२ १७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,२०३, पत्यसरीरणाम (प्रायकवारीरनामन् ) प २३:३८, २०७,२११,२२४,२२८,२३२,२३४,२३७, २३६१०१३,४,५.२६,२७,१७११४४,१४६; पत्थ (थ्य) ज ४।३,२५ २१११०४ पत्थड (प्रस्तट) प २।१,४,१०,१३,४८,६० से ६२ पदेसणामणिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) ज४१४६ प६.११८ पदेसणामनिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) पत्थाइत्तए (प्रस्थातुम् ) उ ३३५ ५६.११६,१२२ पत्थाण (प्रस्थान) उ ३१५१,५३.५५ पिधार (प्र-धु) पधारेइ ज ५७२,७३ पस्थिज्जमाण (प्रायमान) ज २१६:३।१८६,२०४ पधारेति प २२।४ पस्थिय (प्रार्थित) ३१२६,४७,५६,८७,१२२, पपोत (प्रधौत) ज ३।१०६ १२३,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, पन्नरस (पञ्चदशन् ) प १८४ ५४,६५,७६,७६,६६,१०५,३१२६,४८,५०, पन्नरसविह (पञ्चदशविध) प १४१२,१६:३६ ५५,१८,१०६.११८,१३१:५।३६,३७ पप्प (प्राप्य) प १६१४६ १७/११५ से १२२, पस्थिय (प्रस्थित) उ ३१५१,५३,५५ १४८,१५४,२३३१३ से २३,२८।१०५% पत्थिव (पार्थिव) ज १३ ३४।१६ पद (पद) ५१११०१७,१२१३२१८१२; पप्पडमोदय (पर्पटमोदक) प १७४१३५ २८1१४५,३६७२ ज ३:३२ सू १०।६३ से ७४ पप्पडमोयय (पर्पटमोदक) ज २०१७ पदाहिण (प्रदक्षिण) सू १६।२२।१०,११,१६२३ पफ्फुल (प्रफुल्ल) ज ४१३,२५ ‘पदीस ( दश) पदीसई प ११४८.१० से पन्भट्ठ (प्रभ्रष्ट) ज ३११२,८८,५७,५८ १७,१६ से २३ पदीसए प १४४८।११ से १३ पब्भार (प्रागभार) प२।१ ज ३१८५,१०९ प्रदीसति प ११४८१२५ से २६ पदीसती उश२७,१४०,५१५ प ११४८।१८,२४ पभंकर (प्रभङ्कर) सू २०१८,२०८७ पदेस (प्रदेश) प ११३,४२१६४।१,११,३११२४, पभंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२,७११८३ Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ सू १८/२१, २४:२०१६ पभंजण ( प्रभञ्जन ) प २/४०१७ पणिय ( प्रभणित) उ ३१६८ भव (प्रभव ) प ११1३०1२ / पभव ( प्र + भू) भवति प ११।३०।१ भा (प्रभा ) प २३०,३१,४०६१०,२१४१,४६ ज ३१३५२११; ४१२२,३४,६०,२७२५११८, ३२ पभाव ( प्रभाव) ज ३ ९५, १५६,२२१ पभावई ( प्रभावती) उ ११३३ पभावणा (प्रभावना ) प १३१०१।१४ भास (प्रभास) ज ४।२७२:६११२ से १४ / पास ( प्र + भाष्) पभासइ ज ४१२११ / पचास ( प्र + भास् ) पभासंति ज ७ । १ भासिसु ज ७।१ सू १६३१६ पभासिस्नंति ज ७/१ १६१ पभासेति ज ७५१,५८ सू १६।१ भार्सेसू १६ । १ पमासेति सू १६ । भासंत ( प्रभासमान) सु १६१५/२ प्रभासतित्य ( प्रभासतीर्थ ) ज ३१४३, ४४, ४६ प्रभास तित्याधिपति ( प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३१४६ भासतित्थाहिवs ( प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३६४७ भासतित्थकुमार ( प्रभासतीर्थ कुमार ) ज ३१४७ से ४६, ५१ भासेमाण ( प्रभासमान ) प २१३० से ३३,३५,३६, ४१, ४८ से ५२,५८ पभि ( प्रभृति) ज २१४६, ३३८६ १७८ १८६, १८८१८६,२००,२१०,२१६,२१६,२२१ _उ_३/१०१,५३१०,१७,१९,३६ पभिति ( प्रभूति) ज ३३१० सू १६२२१२५ पशु (प्रभु) ज ५५,४६,७२१८३, १८४,१८५ सू १५ से २३ उ५/३२ भूय ( प्रभूत) ज ३३८१, १०३, १६७ १४५१७ / पमज्ज ( प्र + मृज् ) पमज्जइ ज ३११२,२०,३३, ५४,६३,७२,८८, १३७, १४३, १६६ भजण-पम्हगध मज्जित्ता ( प्रमृज्य ) ज ३।१२ पमत (प्रमत्त ) प १७३३,२११७२ ज ५।२६ पत्तसंजत ( प्रमत्तनंयत ) ६६८ मत्तसंजय ( प्रमत्तमयत ) प ६६८; १७१२५: २२।६१ मद्द (प्रमर्द) ज ७।१२९११७५ उ ११३६ पण ( प्रमर्दन) ज ५४५ माण ( प्रमाण ) प ११०१६; १२।१२,३८ १५११०,२३, २१।१११, २११८६४,८६,८७,६० से ६३,३०/२५, २६, ३३१३, ३६ ५६,६६,७०, ७४ ज १।३२,३५,४१:२१४ : ६११,१५,१३३, १३८, १४१ से १४५, ३११०६, ११७,१३८, १६७।३,४।१,६,२५,६४,७०,७६, ८६,६०, १०६.१२३,१३३,१३६,१४०१२,१३४ से १६०० १६२ से १६५,१७४, १७५, १९४,२०२,२२२११, २३५,२३६.२४६, २५०, २५१५/४६,४६; ७।३५,१६८१२,१७८ ११२७; २१३४१६ उ १।१३८ ३ १११ १ पमाणभूय ( प्रमाणभूत ) उ ३।११ पमानमित्त (प्रमाणमात्र) २९५, ११५,११६, १५६,५.३८ पमाणमेत्त (प्रमाणनत्र ) ज ११४०, २०१३३,१३४, १४१ से १४५:३।१२,८५,१२,११६,११६, १२२,१२४; ४।१०,५७,५८६१७ माणसंयच्छर (भाणवत्सर) ज ७ १०३,१११ म १०।१२५,१२८ मुइय ( प्रमुदित) २/४११२६,२६५/३११, १२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, १४७, १६८, १।१ २१२,२१३ पमुह (प्रमुख) ज ७।१७६२०१८, २००८५ मोय (प्रमोद) ज ३१२१२,२१३,२१६ म्ह (क्ष्मन्) २४६, ४१२०६२१०, २१२: २१२११ म्ह (पद्म) ज ११५, २५१ पहकूड ( पक्ष्मकूट) व ४।१८४ से १८३,२१० पहगंध (पद्मगंध ) ज २१५०,१६४:४।२०६, २०५ Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहगावई -परक्कम पहगावई (पावती) ज ४१२१२, २१२।१ पम्हल ( पक्ष्मल ) ज ३१६,२११,२१२:३५८ पहले (पद्म) ११६ पहलेठाण (स्थान) १७१४६ पहलेसा (पद्म) म्हलेस (प) १७११२१ २२:१३२०,१६४९; १७३५,५६,६४,६६६५७१.७३७९ से ८१,०३,०४, ११२, १६७, १८७३ २८।१२३ पहले व्यारथान) १७१४६ पहले) १६४६ १७३५.३६, ५४,११७,११,१२१,२२५, १२७, १२९,१३४, १३७,१४४,१५३ से १५५ पहले स्थापरिणाम ( नव्या रिम) १२०६ पहावई ( पदमावती) ज ४२०२१२,२१२ पय (पद) प ११०१।७.२२४४५६ २३।१४६ २८।१।२२८११२३३६६६७२ व ३१६,१२, ८८ १५४, १६७७६५१२१,५८७११५६ से १६७ ३।१०१,१३४ ११५१०१ यंग (प) पग (पतंग, पदक) २१८१,२२४७११ पर्याड (प्रकृति) २३|१|१ पण (प्रमनु) ज २।१६ पयत (पतंग, पद) २४०१३ 你 पत (३१२५ यस (प्रस) ज ४२४,१७ पerus (पति, पदगपनि ) प २२४७३ पयर (प) पयरग ( प्रतरक) ज ३।१०६५२३८,६७ पयरय ( प्रतरक ) प १११७५ पराभेद (प्र) ११७५७६ परामेय (१११०३ पला (चल) २३१४ परवाइय (दे० ) प १५०६ पापला (च) पर्यालय (प्रचलित ११४६०१२१८,२७,३६,२७ २३१४ ३६५२१ पल्ल (प्रकल्प) मू २०१६, २०१६१५ पया (प्रजा) ज २६४; ३११८५, २०६ / पया ( प्र + - जन्) पत्राएज्जा उ ३११०१ पलामि १७८३६८ पाहि ३१३९ पयात ( प्रयात) ज २०१४,१५.२१,४३,४४,५१. ७३ १२.६०,६१,६०,६६,१३०,१३१.१३६, १३७, १४०, १४१, १४९,१५०,१७३ पाय (प्रगत व २०३०,१४६, १६७.१७२ पया (प्रजात) १०५३ २०१३४ पायमाण (प्रजनवत्) ३।१२६ पयार ( प्रचार ) ज २।१३१ पालवण (प्रणव) २१ पथावद (प्रजापति) ७१३०,१०६२३ पयावइदेवया (प्रजापतिदेवता ) भू १०१८३ वयाहिण (प्रदक्षिण) ज ११६ २०१० २३५ ५५. ४४,४६१।१६,२१ ३११३४१३ पयाहिणावत ( प्रदक्षिणावर्त) ज २।१५; ७ ५५ पयोहर ( पयोधर ) ज २११५ पर (पर) प ११०१०४ २०६२३२६६०१२ १४१३२२४ से ६२३१६ से २३ १०१९ ६।१:१३१२, १४ से १७ पर ( परं ) प ११।८६ परंगण्य (पत्) ३१३० परंपर (परस्पर) प २०१६ से ८७४२ परंपरगत ( परम्परगत ) प २२६४।२१ परंपरसिद्ध ( परम्परसिद्ध ) प १।११, १३, १६।३५, ३७ परंपरा (परम्परा) उ १।१११,११२ परंपराघाय ( परम्पराघात ) प ३६६४,७८ परंपरीगाड (परम्परवगाढ) १११६३ परंपरोपवण्णय ( परम्परोपक) प १५:४९ ३४।१२ परक्कम (पराक्रम) प २३:१२,२० ज २।५१,५४, १२१,१२६,१३०,१३८, १४०.१४६,१५४, १. पालवण इति कल्पनापि जाते । Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४ परक्कममाण-परिग्गहिय १६०,१६३,३१३,७७,१०६,१११,१२६,१२६, १८८,७११७८ सू २०११ परावत्तेत्ता (परावृत्य) ज ३१२८ परकाममाण (पराक्रममाण) उ ३११३० पिरिकह (परि कथम्) परिकहेइ उ ११२०:४।१४ परधर (परगृह) उ ५१४३ परिकति उ ३११३५ परिकहेमो उ ३११०२ परट्ठाण (परस्थान) प ६।६३,१५।१२१,३६१२०, परिकहेह उ११४२ २४,२७,४७ परिकण (परिकथन ) उ ५।१३ परपरिवाय (परपरिवाद) प २२२२० परिकहेउं (परिकार तुम) २१६४।१७ परपुछ (परपुष्ट) प १७११२३ परिकिष्ण (परिकीर्ण) उ ३३१४१,४३१२,१३ परभवियाउय (परभविकायुक) प ६।१११,११४ ।। परिक्खित्त (परिक्षिप्त) ज ३१२२,२४,३०,३६,७६, से ११६ ७८,१७८, ४१११०,११६,११८,५१२८,४४ परम (परम) प २१२० से २७; २३।१६६ ज २।४, उ १११६:५१७ ६६,७१,१३३, ३३,५,६,८,१५,१६,३१,५३, परिवखेव (परिक्षेप) प २१५०,५६,६४, ३६८१ ६२,७०,७७,८१,८२,८४,६१,१००,११४, १४२,१६५,१७३,१८१.१८६,१९६,२१३, ज १७,१०,१२,१४,२०,२३,३५,४८,५१; २।६,४।१,२१,२५,३१४०,४१,४५,४८,५३ ५२१,२७ उश२१,४२,३१५१,५६,१३०, से ५५,५७,६२,६७,६८,७५,७६.८०,८१,८४, १३१,१३४,१४४ परमत्य (परमार्थ) ५११०१।१३ ८६,६२,६३,६६,६८,१०८,११०,११४,११८, १४३,१६५,२१३,२२६,२४१,२४२,७१७,१४ परमाणु (परमाणु) प १०११४११ ज २।६।३ से १६,३१,३३,६६,७३ से ७८,१०,६३,६४, परमाणुपोगग्ल (परमाणुपुद्गल) प ११४; ३।१७६, १८ से १००,२०७१।१४,१६,१७,१६,२१, १८२,५११२५,१२७ से १२६,१७३,१७४,१८६, २४,२६,२७,२१३;३।१,४४,७,६:११०११३२; १६०,२०२,२१०,२११,२२६; १०१६;१६।३४, १५॥२ से ४,१८१६१६१,४,५११,७,१०,१४, ३६,४३,३०१२६,२८ १८,२०,३०.३१,३४,३५,३७ परलोय (परलोक) ज २१७० परिगय (परिगत) ज ३।३०,११७:४।२७,५।२८ परवस (परवश) उ ३३१२६ परसु (परशु) उ ११२३,८८,८६,६१ परिगर (परिकर) ज ३१२४६३,३१,३७१,४५१, परस्सर (पराशर) प ११६६,१११२१ ज २।१३६ । परस्सरी (पराशरी) प १११२३ १३१३३ परहुय (परभृत) ज ३।२४ परिगायमाण (परिगागन ) ज ५१५,७ से १२,१७ पराघायणाम (पराघातनामन्) प २३।३८,५३,११० उ ३१११४ पिराजय (परा : जि) पराजिणिस्सइ उ १११५ परिग्गह (परिग्रह) प २२।१५,१६ ज २०४६ परामुठ्ठ (परामृष्ट) ज ३।७६,८०,११६,११८ परिग्गहसण्णा (परिग्रहसंज्ञा) प ८।१,२,४ से ११ पिरामुस (परा+मृश) परामुसइ ज ३११२,२३, परिग्गहिय (परिगृहीत) ५ ४।२१६ से २२१,२३१ ३७,४५,७८,८८,६४,११६,११७,११६,१३१, से २३३ ज २।१५६,३१५,६,८,१२,१६,२६, १३५ उ १२२ ३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२,७७,८४,८८, परामुसित्ता (परामृश्य) ज ३।१२ उ ११२२ ६०,१००,११४,१२६,१२७,१३३,१३८,१४२, पिरावत (परा+वृत्) परावत्तेइ ज ३१२८,४१, १४५,१५१,१५७.१६५,१७८,१८१,१८६, Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिग्गहिया-परियच्छिय ६७५ २०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६, परिणित्वा (परि+नि |-वा) परिणिव्वंति ४५,५५,५८,६४,८०,८३,६६,१०७,१०८, ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८,४११०१ ११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,१४८,४।१५; परिणिताइप ३६८८ परिणिवायंति १६.११० परिणिव्वाति प ३६१६२ परिग्गहिया (पारिग्रहिकी) प १७११,२२,२३, परिणिवाहिति ज २।१५१,१५७ २५,२२१६०,६२,६७,७०,७६,६२,१०१ परिणिव्वाण (परिनिर्वाण) ज २१११६ परिघट्ट (परिवृष्ट) ज ४।१२८:५१४३ ।। परिणिव्वुड (परिनिर्वृत ) ज २१६८;३।२२५ परिछण्ण (परिच्छन्न) ज २०१२ परिणिव्वुय (परिनिर्वृत) ज २१८५,६० परिजाण (परि-+ज्ञा) परिजाणइ उ ११३८; परितंत (परितान्त) उ ११५५,७७ ३१५८ पनिजाणाइ उ १११०० परिजाणेति परित्त (परीत) १६४८।२० से २६,३४ से ३७, उ ३।११८ ४३,५२,५६ ; ३३११२,१०६,१८१०२.१०६; परिज्जय (दे०) सू २०१२ मू १३१२,१४।४,८ परिणत (परिणत)१४ से ६,११४८५६ परित्तमिस्सिया (परीतमिश्रिता) ११११३६ पिरिणम मरि-णम् ) पिणमति २८।२४ परित्तास (परित्रास) ज २१७० से २६,३६,४२,४५,४६,७१,७४,१०५:३४।२०, परिधान रियाद) परिधाति ज ५१५७ २२ से २४ ज ७१११२।१,३,५ १०११२६१, परिनिव्वा (परि+निवा) परिनिवाहिद ३,५ परिणमति प १६।४६,१७।११५ से १२२, उ ५॥४३ १३६,१४८ से १५२,१५४,१५५ परिनिव्वुड (परिनिर्वृत) ज २१८८,८६ परिपीलइत्ता (परिपीड्य) प २८१२०,३२,६६ परिणममाण (परिणमल ) ज ३।२१,३४,५५,६४, परिपीलिय (परिपीडित) ज २११३३ ५२,८५,११२,१३८,१४४.१६८,१८३,१६१ परिपुछणा (परिप्रच्छन) ज ७११७८ उ ११६० परिभट्ठ (परिभ्रष्ट) ज २११३३ परिणय (परिणत) प १४,६ से १ ज २।१६५१५ परिभाएत्ता (परिभाज्य) ज २०६४ उ ३।३८,४०,१२७,१२८; ५।४३ परिभाएमाण (परिभाजपत्) उ १४३४,४६,७४ परिणयन्द (रिणन्तब्य) ज २११३३ परिभाग (परिभाग) सू १०११७३ परिणाम (परिणाम) + १५११५१३।१:१७.११४११, परिभंजेमाण (परिभुजान) उ ११३४,४६,७४ १३९; २३३१३ से २३,१६५,१६६ मे २०१ परिभुज्जमाण (रिभुजामान) ज ४११०७ २८.११ ज २।१६,१३१, ३।२२३,७।१३६.१, परिभोगत्त (परिभोगत्व) ज २१२४,३४,३५,३७; ७।२०२,२०४,२०७ परिणाम (परि-नमय) परिणामें ति । १७.२ परिमंडल (परिमण्डल) प ११४ रो६१०।१५ से २८१२१,३३,६७ २४,२६ से ३०; ११:२५:१३।२४ ज ५१५,७, परिणामणया (परिणामन) ५ ३४.१ से ३ २२ से २४ परिणामिय (f णामित) २३३१३ से २३ परिमंडिय (परिमण्डित) ज ११३७, ३११,३५, परिणामेमाण (रिणमयत ) उ ११४१,४३ १०६,११७.११८,१७८:५२४३,७।१७८ परिणाह (परिणाह) ज ४११०२ परिमाण (परिमाण) ज २१६४।१६८,२४३ परिणिट्ठिय (परिनिष्ठित) ज ३।३५ परियच्छिय (परिकक्षित) ज ५१४३ २११ Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७६ परिषण-परिवुडि परियण (परिजन) ज ३।१८५ सू १६४२२११८ रिवद्भिज्जति प ५११६१ परियर (रि ! चर) गरिमारइ च ३३१ परिषड्ढमाण (रिवधान) १२७२ ज ४१३६, सू १७१ ४३,३२,७८,९५,१०३,१७८ उ ३१४६ परियाइत्ता (यादाय) १६।२० परिवडिट (परिवद्धि) ज११३८,१४०.१४६, परियाइयणया (पदिान) ३४।१ से ३ १५४.१६०.१६१ परियाग ( य) २११२, ३३१४,८३,१२०, परिवढेमाण (पबिधमान) ज २।१६८,१४०, १५०,१६१; ४।२४; ५१२८,३६,४१,४३ १४६.१५८.१६६ १६३ परियागय (पांगत) १६६५५ परिचय बनपन्विति ५१५७ परियाण (गरि- ज्ञा) परिणइ उ ३।१०८ परिवस (... ग) परिवगइ प २।३८ पिरियादि (गरि : आ. दा) परियादियंति ज ११४५.४७:३।१२१४१५१.५४.६०.६१,' ज ३११६२ ६४८०८६.६७.१०२ १०७.१६१,१६६, परियादित्ता (पदा) ज ३६१६२ १८६.१३३.१६६,१६६.२०३,२०८,२१०, परियाय (पर्याय) ज २८३,८४,४१२७२ उ २।२२, २६१.२६४.२६६,२६७,२७०,२७२.२७३, ३।१६६ परियायतकरभूमि (पीयान्तकरभूमि) ज २१८४ २७६; २१३ उ ३१२८ परिवमई उ ३।१५८%; ४७ परिवति । १२० मे २७,३० से ३६. परियायसंगइय (व साङ्गतिक) ३ ३।५५ ४१ मे ४३.४८,४६,५१ से६४ ज ११२४,२६, परियारणया (परिचारण) प ३४१ से ३ परियारणा (परिचारणा) १ ३४१२, ३४।१ से ३, ३१:३११०३,४११०२ परिवसति प २१३२,३३, १७,१८ ३५.३६.३६,४४,५१,५३ से ५५,५७ से ५६ परियारणिढि (परिचारणद्धि) सू १८.२३ परिवगह ज ३।१२७ परिवसामो ज ३११२६१४ परियारिड्ढि (परिचारद्धि) ज ७।१८५ परिवसण (परिवमन) ज २०१६ परिमारिय (रिवारित) प २।३१ १. परिवह (रि चर) परिवहइ उ १५० परियारेमाण (परिचार पत्) सू २०१२ परिवहति ज १७८: सु ११४ परिवहति परियाल (रिवार) ज २११३३;५।२२,२६ शु १८६१६ गरि हामि उ १६७५ उ १६१९,६३,९७,६८,१०५ से १०७ परिवाडी (सिटी) ६१५१५५,२३.१०८ परियाव (परि-तापय्) परिवेंति प ३६।६२ परिवायणी (रिवाउनी) ३३१ परियावण्य (पर्यापन्न) ६१७।१३३ परिवार (परिवर) ज २।६३,९४,५५६ परियावण्णग (पपिन्नक) प २१३.६,६,१२,१५ ७।१८८.१.१७०.१८३ सू १८१४,२१.२३; परिरय (परिरय) ज४।१४२१२,१५६।१,२३४, १६२२३१.६२ उ १११६; ४१५.१३ २४०७.१६,१६,७५,७८ सू ११२७,१८१६ से परिवारणारिवारणा) ज ४१४०११ १३, १९०८।१,११११,१५१,२११२ परिवारिय (रिकारित) २३०,४१ परिलित (परिलीयमान) ज २१२ परिविक्षस (- वि.! ध्वंस) परिविद्धसेज्जा परिली (दे०) १११३७१५ ।। परिवदिय (परिवन्दित) चं शर परिविद्धंसइत्ता (परिविध्यस्य) ५२८।२०,३२ परिवज्जिय (परिवजित) उ ४६ परिवड (पवित)ज ५१४४ उ ४१११,१३ “परिवड्ढ़ (परि + वृध्) परिवति परिवुड्ढि (रिद्धि ) । ५।१३२,१६१,१७६, Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिवेढिय-पलिओवम ९७७ . १६५,२१६,१११७२,१३३१७; १५।३४,७५ ज ४११०३,१७८ परिवेढिय (परिवेष्टित) १५१५१ ज २११३३ परिष्वायग (परिमाजक), २०१६१ ज ३११०६ परिसडिय (परिशटित) ज ३।१३३ उ ३१५० परिसप्प (परिसर्प) प ११६१.६७७६,६७१, २१।११,१४,५३,६० परिसा (परिपत्) ५ २।३० से ३३,३५,४१,४३, ४८ से ५१ ज ११४,४५२१६४,६०४।१६ ५११६,३६,४६ से ५१.५६, ७१५५,५८ चं ६ सू ११४,१८१२३:१६।२३,२६ उ ११२,१६, २०,२१६; ३१५,१२.२४,२८,८६,१५५,१५६; ४१४,१०,१४,१४,२६,३७ परिसाड (परिशाट) १८४ परिसाउ (रि-शाट्य) रिसा.ति ज ३.१६२; ५१५,७ परिसाडइत्ता (परिशाट्य) प २८१२०,३२,६६ परिसाडेत्ता (परिशाट्य) ज ३:१६२५१५ परिहत्य (दे०) ज ४१३,२५ परिहव (परि-भूरिहवेति सू स२ परिहा (परिखा) : २१३०,३१,४१ ज ३.३२ परिहा (परि--हा) परिहायति सू १६।२२।१४ परिहाण (परिधान) प २।४० परिहाणि (परिहाणि) प २१६४ ज २।५१,५४, १२१,१२६,१३०, ४११०३,१४३ सू १६०२२।१६,२० परिहायमाण (परिहीयमाण) श६४ ज २१५१, ५४,१२१,१२६,१३०,४।१०३,१४३,२००, २१०,२१३ उ ३।४७ परिहारविसुद्धिय (मरिहारविशुद्धिक) च १।१२४, परिहिय (परिहित) प २१३१,४१,४६ ज ३१२६, ३६.४७,५६,६४,७२,८५,११३,१३३,१३८, १४५ उ ११६ परिहोण (परिहीण) १६४।६३६।९२ ज ५।२२,२६ से २८ सू १६८१, २०१६।४ परीसह (परीषह) ज २६४ परुप्पर (परस्पर) ज ४११८० परूढ (प्ररूढ) ज २१६,१३३,१४५,१४६ प रूव (प्र- रूपय) परूवेइ ज ७१२१४ उ १९८ पख्वण (प्ररूपण) ज २।६ परेंत (दे० पर्यन्त) ज ३।१२६ परोक्खवयण (परोक्षवचन) प ११०८६,८७ परोप्पर (परस्पर) १२२१५१,७३.७४ ज ११४६ पिलंघ (प्र - लङ्घ) पलंघेज्ज प ३६१६१ पलंडु (कन्द) (पलाण्डुकन्द) प ११४८१४३ पलंब (प्रलम्ब) प १३०,३१,४१,४६ ज २११५; ३१७८,५१८,७११७८ सु २०१८ पलंबमाण (प्रलम्बमान) ज ३१६,६,२२२:५।२१, पलवमाण (प्रलपत्) उ ३।१३० पलास (पनाश) प ११३५।१ ज ४।२२५११ पलिओवम (पल्योपम) प १।२४,४१३०,३४,३६, ४०,४२,४३,४५,४६,४८,४६,५१,५२,५४, १०४,१०६,११०,११२,१२४,१४६,१५१, १५५,१५७.१५८,१६०,१६२,१६४,१६५, १६७,१७१,१७३,१७७,१७६,१८०,१५२, १८३.१८५,१८६,१८८,१८६,१६१,१६२, १६४,१६५,१६७,१६८,२००,२०१,२०३, २०४,२०६,२०७,२०६,२१०,२१२,२१३, २१५,२१६,२१८,२१६,२२१,२२२,२२४, २२५.२२७.२२८,२३०,२३१,२३३,२३४, २३६,६१४३,१२।२४,१८।४,६,१०,१२,६०, ७० से ७२,२०१६३:२३१६१,६४,६६.६८,७३, ७५ से ७७,७६,८१,८३ से ८६,८८ से १०, ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११७,११८,१३४,१३५,१३८,१४०,१४२. परिहारविसुद्धियचरितपरिणाम (परिहारविशुद्धिकचरित्रारिणाम) प १३।१२ परिहावेतच (लरिहारयितव्य) सू८।१ परिहित (परिहित) सू२०। Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ पलिभाग-पविज्जुयाइत्ता १४३,१५१ से १५३,१५५ से १५७,१६०, ४०,५५ पवत्तति प १६१४३ १६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से १७३ पवत्त (प्रवृत्त) ज ३।११५,१२३ ज ११२४,३१,४५ से ४७, २१५,६,४४,५२, पत्ति (प्रवनिन्) प १६६५१ ५६,५६,१५६,१६१, ३.१६७,२२६;४।२२, पवत्ति (प्रवृत्ति) ज ४१२३,३८,६५,७३,६०,६१ ३४,५४,६०,६१,६४,८०.८५,८६,६७,१०२, पवयण (प्रवचन) प १।१०१५५,११ सू २०१६।४ १४२,१६१,१६६,१६७१३,१७७,१८६,१६६, पवर (प्रवर) | २३०,३१,४१,४६ ज ३७,६, २०८,२६१,२६६,२७०,२७२,७१८७ से १६६ १२,१५,१७,२१,२२,२४,२६,३१.३२,३४ मू ६।१८११८१२५ से ३६ उ ३.१६,८५, से ३६,३६,४७,५६,६४,७२,७७,७८,८१, १२४,४।२५ ८५.८८,६१,१०८ से १११.११३,१३३,१३८, पलिभाग (प्रतिभाग) प १२।२७,३६,३७,१५३५० १४५,१६७।५,१७३,१७५, १७७,१७८,१६६, ज २६५ २२२, ५३५,७,४६,५८ सू २०७२ ११७, पलिभागभाव (प्रतिभागभाव) प १७१५०,१५२ १६,२२,२४,१२३,१४०।४।१२,१३,१५; पलिमंथ (परिमन्थ') प ११४५११ ५११८ पलिय (पलित) ज २११५,१३३ पवह (प्रवह) ज ४।३६,४३,७२,७८,६०,६५, पलियंक (पर्यङ्क) ज ११८,४८,४।५५,६२,६८, १७४,१८३,२६२, ६।१८ १६७,१६६,७१३३१२ पवा (प्रपा) ज २१६५,५१५७3 ३१३६ पलुम (पलुआ) प १४४८१६ सन की जाति का एक पवाइत (प्रवादित) प २१३१,४६ पौधा पल्ल (पल्य) ज २६ पवाइय (प्रवादित) प २१३०,३१,४१ ज ११४५, पल्लग (पल्यक) प ३३।२० ज ४१५७ ३.१२,७८,५२,१८०,१८५,१८७,२०६,२१८; पल्लल (पल्वल) २१४,१३,१६ से १६,२८ ५।१,५१६७१५५,५८,१८४ सू १८६१३, पल्हत्थ (पर्यस्त) ज ३३१०५ १६।२३.२६ पल्हत्थमुह (पर्यस्तमुख) उ १११५, ३१६८ पवात (प्रपात) उ ५५ पल्हव (पल्हव) प ११८६ पवादित (प्रवादित) ज ३.२०६ पल्हविया (पल्हविका) ज ३।११।१ पवाय (प्रभात) ज २।३८,३१८८४२३,३८,४२. पल्हायणिज्ज (प्रह्न दनीय) १७११३४ ज २।१८, ६५.६७,६८,७१,७३,६० से १४ १८५ पवायबहुल (प्रपातबहुल) ज १११८ पवंच (प्रपञ्च) प २१६४ पवाल (प्रवालय ११२०१२,११३५,३६:११४८।१५, पवग (प्लवक) ज २१३२ २५,६३; २१३१ ज २१२४,६४,६६,१३१,१४४, पिवड (प्र-+पन्) पवडइ ज ४।२३ से २५,३८ १४५,१४६,३।३५,११७,१६७।८ से ४०,६५ से ६७,७३ से ७५९९० से १२ पवालंकुर (प्रवालाकुर) प १७.१२६ पवडेज्ज उ ३१५५ पवालि (प्रवालिन) ज ७।११३ सू १०११२६।३ पवडणया (प्रपतन) प १६:५३ पविचरिय (प्रविचरित) ज ४१३ पवण (पवन) प २।३०।१ ज ३।३५ १०६; २५ पिविज्जुय (प्र- विद्युत्) पविजुयाइस्सइ पिवत्त ( प्रयतंय्) पवत्तड १६८,१६५३६ ज ११४१ से १४५ पविजुयायंलि ज ३।११५ १. वनस्पतिकोश में हरिमन्थ शब्द मिलना है। पविजुयाइत्ता (प्रविद्युत्य) ज २११४१ Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पविजुयायित्ता-पसत्य ६७६ पविज्जुयायित्ता (प्रविद्युत्य) ज ३।११५ पविट्ठ (प्रविष्ट) प१५११११,१५१३६,४०,४२ ज ३।१०५,१७८.२२३;७।१७८ पविठित्ता (प्रविश्य) सू १०।१३६,१३१५,६ पवित्थर (प्र--वि- स्त) पवित्थरइ ज ३७६, ११६,११८ पविभत्त (प्रविभक्त) ज १११८,२०,४८,४११६७, २१५ पविभत्ति (प्रविभक्ति) सू १५:३७ पवियरिय (प्रविचरित) ज ४१३,२५ पवियारण (प्रविचारण) प १३१७ पविरल (प्रविरल) ज २६१३३; ५७ पिविस (प्र-विश) पविसं ति ज ३।१८३ पविसंत (प्रविशत्) च ४।२ सू १८१२; १९४२२१४ पविसमाण (प्रविशत्) ज ३१२०३११३,१६,२३ से २५,२८ से ३०,७२,७८,८४ सू १११२,१४, १६,१८,१६,२१.२४,२७,२६३, ६।११३१६ से १०,१४ से १६ पिवुच्च (प्र- वच्) पवुच्चइ सू ५१ पढ़ (प्रव्यूढ) ज ३।६७,१६१,४१२३,३५,३५,४२, ६५.७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४,१८३, १६५,२६२ पवेस (प्रवेश) ज ११६,३८,३।१२,४१,४६,५८, ६६,७४,७७,१०६,१४७,१६८,२१२,२१३; ४११०,११५,१२१,२१७ उ ५।४३ पव्व (पर्वन् ) प ११४८।४७,११।२५ ज ७।१०६ से ११० सू १०.१२७:१२।१६,१७,१३३१,२ पव्वइत्तए (प्रवजितुम) प २०१७,१८ उ ३१५०; ५॥३२ पवइय (प्रवजित) ज २६५.६७,६५,८७ उ २१६; ३३१३,२१,५०,५५,५८,६०,७६,७७,७६,११३, ११८, ५॥३८ पव्वंस (दे०) उ ५२२५ मिशिर ऋतु पव्वग (पर्वक) प १४३३११:११४१,११४८।४६ ___ ज २११४४ से १४६, ३।३१ पिन्वज (प्र-व्रज्) प जिहिइ उ ५४३ पन्वज्जा (प्रव्रज्या) उ ३११६६ पब्बत (पर्वत) प २।३२,३६,५०,५१,१७११११ ज ११४६;३।२२४ सू ५।११६२६ पव्वतराय (पर्वतराज) सू १६४२३ पवतिद (पर्वतेन्द्र) सू ॥१ पव्वय (पर्वक) ५ ११४२११ पन्वय (पर्वत) ६२३३,३५,४३,४४,१६।३०; १७४१०६ ज १११६,१६,२०,२३ से २५,२८, ३२,३३,४६।१,४७,४८,५१:२१३१,१०,११७, ११८,११६,१३१,१३३,३।१,६१,८१,१३०, १३१,१३५ से १३७,२२४;४।२३,३८,४८, ५७,५९,६०,६५,७१,७३,८४,६०,६१,६४, १०३,१०६,११०,१११,११३,११४,१४२, १६०,१६२,१६३,१६७,१६८,१७२,१७३, १७५,१७६,२००,२०५ से २०८,२१२ से २१६,२२०,२२१,२२५,२२६,२३४,२३५, २३७,२३६ से २४१,२५३,२५४,२५७,२५६, २६० से २६२९५१४४,४७,४८,४६,५५,६।६।१; ६।१०,१६,२३,२४,७१८ से १३,३१,३३,५५, ५८,६७ से ७२,६१,९२,१७१ सू ४१४,७,७११; ८.१,१८।५ उ ३३५५,५५,६ पिन्वय ( प्रव्रज) पव्वयाइ उ ३.११२ पव्वयामि उ ३११३;४।१४ पन्वयाहि उ ३।१०७ पव्वयग (पर्वतक) ज १११३ पन्वयबहुल (पर्वतबहुल) ज ११८ पवयराय (पर्वतराज) ज ७।५५ सू ५।१,७११ पवयसमिया (पर्वतसमिका) ज ११२३,२५,२८ पत्रयाउय (एवनायुप् ) ज ५॥१६ पव्यराहु (पर्वराहु) सू २०१३ पसंत (प्रशान्त ) ज २१६८,५७,२६ पसदिल (प्रशिथिल) १२१४६ पसष्णा (प्रसन्ना) उ११३४,४६,७४ पसत्त (प्रसक्त) ज ५१२६ पसत्थ (प्रशस्त ) प १७१३३,१३४,१३८,२३४५६, १०६,११६:३४।१३ ज ११३७२।१५:३।३,६ Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० पसय- उन्भूय १८,३५,६३,१०६,१८०,२२२,२२३;७११७८ पसय (दे०) प ११६४ ज २१३५ पसर (प्र स) पसरइ उ ३.५१ पसरई १११०१७ पसरित्ता (प्रमृत्य) उ २५१ पिसव (प्र+स) पसवंति ज २०४६ पसार (प्रसारय) पसारेइ उ ३६२ पसासेमाण (प्रशासयत्) ज ३१२ उ ५१६,११ पसिण (प्रश्न) ज ७।२१४ उ ३१२९ पसिय (प्रमृत) ज ३१३५ पसु (पशु) प १११४ उ ३१३६,४८,५० पसूय (प्रसूत) ज ३१०६ उ ३।४८,५०,५५ पसेढी (प्रश्रेणी) ज ५।३२ पसेणइ (प्रसेनजित्) ज २१५६,६२ पसेणी (प्रश्रेणी) ज ३.१२,१३,२८,२६,४१,४२, ४६,५०,५८,५६,६६,६७,७४,७५,१४७,१४८, १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, २१६,२१६,२२१ पह (पथ) ज ३१८५,१८८,२१२,२१३,५७२, ७३ सू १६।२२।१५ उ १६८ पहंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२।२ पहकर (दे०) ज २११२६५,३।१७,२१,१७७ पहगर (दे०) ज ३१२२,३६,७८ पहत (प्रहत) ज २११३१ पहरण (प्रहरण) ज ३३३१,३५,७७,१०७,१२४, १६७१६,१७८,४।१३७ उ १११३८ पहरणरयण (प्रहरणरत्न) ज ३३५ पहराइया (प्रभाराजिका, प्रहारातिगा) प ११८ पहव (प्रभव) ५ १११३० पद्दसिय (प्रहसित) प २१४८ ज ११४२,४१४६, २२१ : ७६१७६ सू १८८ पहा (प्रभा) प २१३१ ज ११२४ पहाण (प्रधान) ज २।१५,६४,१३३,३१३,३२, ११७६१,१३८,१७५७।१७८ पहार (प्रहार) ज ३।१०६ उ ३।१३१,१३४ पहार (प्र. धारय) पहारेत्थ ज २६३18, १८३ उ १८८ पहारेमाण (प्रधारयत्) प ३४०२४ पहाविय (प्रधावित) ज १६५ पहिय (प्रथित) ज ३११७,१८,२१.३१,६३,१७७. १८० पहीण (पहीण) ज २१८८,८६,३१२२५ पहु (प्रभु) ज ७११६८१२ पाई (पाची) प ११४४।१ एकलता, मरकतपत्री पाइक्क (दे०) ज २०६५ पाईण (प्राचीन) प २१०,५० से ५२,५४ से ६२ ज ११२०,२३ से २५,२८,३२,४८,३११, १२६।४।४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८,६८, १०३.१०८,१४१,१६२.१६७.१६६,१७२, १७८,१८५,१८३,१६१,२००,०३,०५, २१५,२४५,२४६,२५१,२६२,६८,१११०१, १०२ सू८।१ पाईणपडिणायता (प्राचीनापाचीनायता) सू१।१९; २।११०११४२,१४७,१२१३० पाईणपडीणायता (प्राचीगापाचीनायता) प २।५० से ६२ ज ११२० । पाईणपडीणायया (प्राचीनापाचीनायता)ज ११२०% ३.१:४।१,३,८६,८८,९८,१०८ पाईणवाय (प्राचीनवात) प २६ पाउण (प्र+आप) पाउणइ उ ३११४,५।३६ पाउणति प ३६.९२ पाउणि सई उ ५।४३ पाउणित्ता (प्राय) प३६९२ ज २१८८,३१२२५ उ २।१२३।१४,४१२४:५१२ पाउप्पभाय (प्रादुष्प्रभात) ज ३।१८८३३१४८, ५०५५,६३,६७,७०.७३,१०६,११८ पाउब्भव (प्रादुन्। भू) पाउभभंति ज ५१२७ पाउन्भवह ज ५२२,२६ उ १११२१ पाउभवामि उ ३।२६ पाउमविस्था ज ३.१०४ पाउभविस्थाइ ज २११४१ मे १४५ पाउभवमाण (प्रादुर्भवत्) ज ५१२८ पाउन्भूय (प्रादुर्भत) ज ३११०५.११३,१२५; Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाउभवित-पादुभ ५/७४ स ११४ उ १।२४,३४, ४०, ४३,७४, ३१५७,६२,६५,६९,७२,७५,८१,१४३, १५६ पाउभवित (दुर्भवितुम् ) ३१११३ पाया (पादुका) ज ३१६, १७६६ ५।२१ पाउस (प्रा) ज ७।१२६ । १२११४ उ५।२५ पाओ (२१ पाओग (प्रा) उ २।११ पाओसिया ( प्रादोपिकी) १२२२४६, ५६ पागड (प्र:ट) ज ३।३ चं १।३ पागभाव (कटभाव) ज २२६८ पागडिय ( प्रकटित) : २२४८, ४६ पाटि (प्राकर्षिन् ) ज ५१५,४६ पागल ( शकृत) १६ २२ ३ पागल (पान) १ २५० ज ५११८ पवार (कार) १२१३०,३१,४१ ज ३११; ४। ११४,११६६७।१३३।२ पागारच्छाया (प्राकारच्छाया) सू ६१४ पाचारसंठिय(माका- संस्थित) सू १०|४३ पाड (पातय् ) पाडेइ उ ३१५१ पाडेंति ज ५११६ पाडण (कन ) उ ११५१,८६ पाडल (पाटल) ज ३१२,८८,५५८ (ट) १३७५ पाहलिवुड (पाटलिपुट) ज ४।१०७ (क) ३३६१८ ४ २२ पडिलए (म्) उ ११५१,७६,७७ पारतिय (प्रात्यन्तिक) २३५७ पाडिया (अ) सू २०१३ पाडिहारिय (प्रानिहारिक ) प ३६।९१ पाडेता ( पानयित्वा ) ज ५।१६ उ ३।५१ पाढा (ठा) ११४८४१७।१३१ पाण (ण) ; ३६/६२,७७ ज २।१३१ ३११० से १११२१२ पाण (प्राण) ज २२४११, २ पाण (पान) उ ३१५०, ५५,१०१,११०, ११४,१३४; ४११६ ६८१ पाणक्य ( प्राणक्षय) ज २१४३ पाणत ( प्राणत ) १ १ १३५ / पाणम ( प्र + अन्) पाणमंति प ७/१ से ४,६ पाणय ( प्राणत ) १२२४६, ५८, ५६, ५६२, ६३; ३।१८३४१२५८ से २६०६।३६,५६,६६; ७ १७१५८८ २१ ७० २६१८४३३३१६; ३४ १६,१८ ज ५२४६२१२२ पाणय ( पानक) उ३।११४;४।२१ पाणयग ( प्राणतज ) ज ५२४६ पाणयवडेंस (प्राणतावतंसक ) प २२५८ पाणावात किरिया ( प्राणातिपातक्रिया ) प २२ १ पाणाइवाय ( प्राणातिपात ) प २२६ से ११,२१ से २३ पाणावाय किरिया ( प्राणातिपातक्रिया ) प २२६, ४६,४७,५०,५२,५७,५६ पाणाइवायविरत ( प्राणातिपात विरत ) २२८३, ८४, ६१ से ४,६६ वायरमन (प्राणातिशतविरमण ) २२२७७ से ७६ पाणातिवास किरिया ( प्राणातितक्रिया ) प २२/६ पाणि (प्राणिन् ) ज ३११७८ पाणि (पाणि) ज ५/५ उ १।११ से १३,३०,३२; २७,४१८५११२,२५ पाणिग्गहण ( पाणिग्रहण ) उ५।१३ पाणिय ( पानीय) उ३।१३० पाणियग ( शनीयक) ज २११३१ पाणिलेहा (पाणिरेखा) ज २२१५ पाणी (पाणि) प १/४०/४ पात (प्रातस् ) सू १०1५, १३६ पाती (पात्री) ज ३३११;५१५ पाद (पाद) १७।१११ ज ४।१३ पादपीठ (पादपीठ) ज ३।१७८ उ१।११५ पादणपडणाया (प्राचीनावाचीनायता ) ज १।१८ (प्रा :- दुर् । भू) यति ६ ३४।१६, २१ Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२ पादो ( प्रातस् ) सू २१ पादोसिया ( प्रादोषिकी ) प २२ १, ४, ५६ पामोक्ख ( प्रमुख, प्रमुख्य ) ज ११२६ २७४, ७७ ; ४११३७ उ ५ १०,१७,१६ पाय (पाद) ज ३११२५, १२६, २२०, २२४५२५, ७ सू २०६ उ ११११,१३,३० से ३२,७१, ११५, ११६२।७३।११४, ४८, २१; ५ । १२ पाय (प्रातस् ) सू १०।१३६ पाचारविहार ( पादचारविहार) ज २१३३ पायच्छित ( प्रायश्चित्त) ज ३१७७,८१,८२,८५, १२५,१२६ सू २०१७ उ १११६,७०,१२१ ; ३।११०,११५५११७ पायस (पादात ) ज ३।१७८ पायताणीय ( पादातानीक, पादात्यनीक) ज ३११७८ पायत्ताणीयाहिवई (पादातानीकाधिपति, पादात्यनीकाधिपति) ज ५१२२,२३,२६,४८ से ५२, ५३ पायत्तिय (पादातिक) उ१।१३८ पाद ( पाददर्द रक ) ज ५।५७ पायपीढ (पादपीठ ) ज ३१६६५१२१ उ १।११५ पायमूल (पादमूल ) उ३।१२५ पायरास ( प्रातराश) उ१।११०,१२६,१३३ पाव (पादप) ज २६५,७१३।१०४,१०५ पारगामि (पारग मिन् ) ज ३१७० पारणग (पारणक) उ ३१५१,५३,५४ पारस ( पारस ) प २८६ पारसी (पारसी) ज ३।११।२ पारिणामिया (परिणामिकी) उ ११४१, ४३ पारिव (पारिप्लव) प ११७९ परियाणि (परितापनिकी ) प २२२१, ५, ५०, पादो-पास ५.२,५६ पारेता ( पारयित्वा ) ज ३।२८ पारवत (रापत ) प १६ । ५५; १७ १३२ पारवय ( पारावत) १११५१ ज ३।३५ पावगोवा (गाग्रीवा) १७।१२४ / पाल ( पालय् ) पालाहि ज ३।१८५ पार्लेति ज ११२२, ५०, ५८, १२३, १२८ ४११०१ पाले हितिज २०१४८ १११,६१,३५६,६४,६६,६८,७१,७४,७६ पायबंद ( पादवन्दक ) उ ११७०४१११ पायविहारचार ( पादविहारचार ) उ३।२६ पायसीस ( पादशीर्ष ) ज ४११३ पायस ( पादहंस ) प ११७६ पायल (पाताल) १२११,४,१०,१३ पायावच्च ( प्राजापत्य) ज ७।१२२१२ सू १०२८४।२ पावा (नावा) प ११६३१५ पाथीण (प्राचीन ) ज २१५३ पायोवगय (प्रायोपगत ) ज ३१२२४ पार (पारम् ) पारेइ ज ३१२८, ४१, ४९, ५८,६६, ७४, १३६, १४७, १८७ पारगत (पारगत ) प २६४१२१ पालइत्ता ( पालयित्वा ) ज शब्द पालंब ( प्रालम्ब) ज ३१६,६,२२२५२१ पालक्का (पालक) प ११४४|१ पालण ( पालन ) ज ३।१८५,२०६ पालय (पालक) ज ५१२८,२६,४६१३ पालियायकुसुम (पारिजातकुसुम) १७ १२६ पालेत्ता ( पालयित्वा ) ज १।२२ पालेमाण ( पालयत् ) ८२०३०,३१,४१,४६ ज ११४५३।१८५, २०६,२२१:५११६ उ ११६५, ६६,७१,६४,१११, ११२५११० √ पाव ( प्र + आप ) पावे १२२६४।१५ पाव (पान) १११०११२, ११८६ पावयण (प्रवचन) उ ३३१०३, १३६ ४ । १४; ५।२० पाववल्ली (पावकवल्ली ) ११४०२ / पास (दृश् ) पासइ ए १७।१०८ से ११०; ३०१२८ ज २ ७१,६०,६३,३१५, १५, २६,३१, ३६, ४४, ४७, ५२,५६,६१,१०६,११६ १३१, १३७,१४१.१७३, ५१३,२१,२८,६३ उ १११६, ३।७४११३,५२२ पासउ ज ५।२१ पासंति Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पास-पिंगायण १८३ प २१६४।१३,१५१४६ से ४६,३३.२ से १३, २४३,५११,६,२५ उ ११४६,६४,२१६५।१३, १५ से १८,३४१६ से ६,११,१२ ज ३११०५, २०,२७,३१ ११३ उ १५३६ पासति र १२३७,४१,४४, पासायव.सय (प्रासादावतंसक) ज ४।१०२,११६, ४५,१७१०६ से १११:२३।१४;३०।२५ से । २२१,२२२,२२३११,२२४।१।। २८,३६१८०,८१ पासह ज ३।१२४ पासि (पाव) ज २३,२५,२८,३२,३।१७६; पासिज्जा उ ११५ पासिहिति ज २।१४६ ४.१,४३,६२,७२,७८,८६,६५,६६,१०३,१७८, पासिहिसि उ ११२२ पासे इ उ ११५७ पासेज्जा १८३,२००,२०१:५१४६,६०,६६ उ १२१ पासिङ (द्रष्टुम्) १ ११४८।५७ पास (पास) १८६ पासिउकाम (द्रष्टुकाम) प २३।१४ पास (पाश्च) ज २।१५,३१३२,४।१४२,२०२,२१२, पासित्ता (दृष्ट्वा ) १२३३१४ ज २०६० उ ११६ ५।१७,४३,४६,६०,६६, ७१३१,३३ सू ४।३,४ ३३१०१,४११३:५११३ २०१२ उ ३।१२,१४,२१,२८,९६,४६,५१,७६; पासित्ताणं (दृष्ट्वा ) उ ११३३,२१८ ४११०,११,१३,१५,१६,२०,२८ पासियत्व (द्रष्टव्य) प २३।१४ पाश (पाश) ज ३.१०६ पासेत्ता (दृष्ट्वा ) उ ११५७ पासंडबहुल (पापण्डबहुल) ज १११८ पाहाण (पाषाण') ज ५११६ पासंडधम्म (पापण्डधर्म) ज २११२६ पाहुड (प्राभूत) ज ३८१ च ३१२,३,५१४ सु ११७; पासग (पाशक) ज ७१७८ ___६१४,२५,१०।१७३ पासग्गाह (पाशग्राह) ज ३।१७८ पाहुडत्थ (प्राभृतस्थ) सू २०६ पासणया (दर्शन,पश्यत्ता) प १११।७,३०।१,५,८,१० पाहुडपाहुड (प्राभृतप्राभूत) च ५।४ स ११६ पासथविहारि (पाश्चस्थविहारिन्) उ ३११२० पाहुणिय (प्राधुनिक) ज ७१८६।१ सू २०१८ पासमण (श्यत्) ज २१७१ पाहुय (प्राभूत) प १२५० पासवण (प्रस्रवण) : १८४ पि (अपि) उ ३३० पासाईय (प्रासादीय प्रासादिक) प २१३१,४८,५६, पिड़ (पितृ) उ १६१,५४३ ६३ १२३,४१,२।१५:४३,६,१३,२५,२६, पिइदेवया (पिलदेवता) सू१०।८३ ३३,४६,१४६; १६२ उ ५१६ पिउ (पितृ) ज ७१३०,१८६।४ उ ११५२,५४, पासाण (पाषाण) ज ३।१०६४।३,२५,७४१७८ पासाद (पासाद) १६५ पिउसेणकण्ह (त्रिसेनकृष्ण) उ ११७ पासादच्छाया (प्रसादच्छाया) मू ६४ पिंगल (पिङ्गल) ज ३१६,१६७१४,२२२ पासासठित (प्रासादसंस्थित) सू४१२ पिंगलक्ख (गिलाक्ष) ज ७।१७८ पासादीय (प्रासादीय,प्रासादिक) प २।३०,४१,४६, पिंगलक्खग (पिंगलाक्षक) ज २।१२ ६४ ज ११८,३१,२।१२,१४,४।२७ मू १११ पिंगलग (चिंगल क) ज ३।१६७ उ५४,५ पिंगलय (सिंगलक) ज ३३१६७४१,१७८ सू २०१२, पासाय (प्रासाद) ज ११४२,४३ ; २।२०,६५,३।३२, ८,२०१८४ ८२,१८७,२१८,२१६,४१३,४६,५०,५३,५६, पिंगायण ( गायन) ज ७१३२।३ सू १०११०८ १०६,११२,११६,११६१२०,१४७,१५५,१५६। २२१ से २२४,२२६,२३५,२३७,२३५,२४०, १.दे ११२६२ Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ विजय ( पिण्डक) ज ६।६।१ पिंडवाय ( निण्डपात) उ५/४३ पिडित ( ण्डित ) प २२६४।१५,१६ पिंडिस (पिण्डिम ) ज २११२५१५ पिक्क (पत्र) प १७११३३ पिक्खुर (दे० ) ज ३१८१ पिच्छय ( विच्छक) उ १ ५६, ६३, ८४ पिच्छि ( पिच्छिन्) ज ३११७८ पिट्ट (दे० ) उ ३।११४ पिट्ठओ ( पृष्ठतम् ) ज ३ १०,११,८६,८७,१७६; ५१४६,६०,६६ पिट्ठओउदग्गा ( पृष्ठत उदग्रा ) सू ६२४ पिटत ( पृष्ठान्त) उ ३१३ पितर ( पृष्ठान्तर ) उ २०१६;५।५ पिट्ठीय ( पृष्ठ ) उ ३१११४ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २११६ पिट्ठिकरंड ( पृष्ठकरंडक ) ज २०४८, १५६ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २१५२,१६१ पिट्ठिकरंडुय ( पृष्ठकरण्डक) ज २१५६ पिडग (क) सू १६ २२२४, ५, ६ पिड (क) सू १६।२२ ४, ५ पिषद्ध (विद्ध) ज ३६,७७,१०७, १२४,२२२ उ ११३८ विद्ध ( प | नह) द्धेति ज ३।२११ / पिणाव (नाय्, पि+नि+धाय्) पणद्धावेइ ज ५१५८ पणद्धावित्ता ( पिनाह्य विनिधाप्य) ज ५१५८ पित्ता (ना) ज ३।२११ पितिपिंड (पितृपिण्ड ) ज २१३० पित्त (पित्त) प १८४ वित्तिय ( पैत्तिक) उ ३।३५,११२,१२८ पिप्पर (वली ) प १।३६३२ पिपलचण (पलचूर्ण ) प ११।७६ १७ १३१ पिप्पलिया (पलिका) प ११३७ २ पिप्पली ( दिप्पली ) प १७ १३१ पिप्पलीमूलय ( पिप्पलीमूलक) १७।१३१ पिंडय - गीइदाण पिप्पीलिया ( पिपीलिका) व ११५० पिय (प्रिय ) प २१४१ ; २८।१०५ ज २२६४; ३०५, ६०,१५७, १८५, २०६५३५८ उ १२४१, ४४; ३।१२८५।२२ √ पिय (पा) पियंति उ ३६८ पिय (पितृ) उ १७२,८८,१२४१२८ पियंगाल (दे० ) १।५१ पियंगु ( प्रियङ्गु ) प २४०१६ पियट्ट्या ( प्रियार्थ ) ज ३१५, ११५, १२५ पियतर ( प्रियतर ) ज २११८ ४ १०७ पितरिया ( प्रियतरका ) प १७।१२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २२१७ पियदंसण ( प्रियदर्शन ) ज ३१६,१७,२१,२८,३४, ४१,४६,१३६, १७७,२२२ सू २०१४ उ ५ ५,२२ पियर ( पितृ) प ११।१३, १८ पियस्सरता (प्रिवस्वरता ) प २३।१६ पिया ( पितृ) ज २२७ पिया (प्रिया) ज २२६६३४६, ६ पियाल ( प्रियाल ) ज ११३५२ पिरिली (पिरिली) ज ३।३१ पिलंग (पिलक) ज २।१३७ पिक्खक्ख (प्लक्षरूक्ष ) १/३६/२ पिल्लण ( प्रेरण ) ज ३११०६९ पिव ( इव) ज ३१२२१११३८३।५० पिवासा ( पिपासा) उ ३।११४,११५, ११६,१२८ पिसाय ( पिशाच ) १।१३२ २१४१ से ४३,४५ ४६; ६८५ पिसायइंद (पिश चेन्द्र) १२१४२ से ४४ पिसायराय (पिशाचराज ) प २१४२ से ४४ पिसुय ( विशुक) प ११५० ज २१४० पिधान ( विधान ) ज ५।५६ पिहजण ( पृथक्जन) १ २६ पिहुल ( पृथुल ) ज २११५७१३१,३३ सू ४३,४, ६,७ पोइगम ( प्रीतिगम ) ज ५|४|३७|१७८ पोइदाण (प्रीतिदान) ज ३६, २६, २७, ३६, ४०, Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीइमण-पूच्छा ४७,४८,५६,५७,६४,६५,७२,७३,१३३,१३४, ३६८१ ज १७ सू १११४ १३८,१३६,१४५,१४६ पुक्खरद्ध (पुष्करार्ध) प १५२५५:१७११६५ पीइमण (प्रीतिमनस्) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३, सू१६२०२,५ ६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, पुक्खरवर (पुष्करवर)सू १९१२ से १६:२११३,२८ १७३,१८१.१८६,१९६,२१३,५।२१,२७ पुक्खरवरदीवड्ढ (पुष्करवरद्वीपार्ध) ५ १६।३० उ ११२१,४२,३।१३६ म १६०२१ पीइवद्धण (प्रीतिवर्धन) ज ७.११४।१ पुक्खरवरोद (पुष्करबरोद) सू १६०२८ से ३१ पीढ (पीठ) १३६६१ उ ३१३६ पुक्खरसारिया (पुष्करसारिका) प १६८ पीढग्गाह (पीठग्राह) ज ३.१७८ पुषखरिणी (पुष्करिणी) प २।४,१३,१६ से १६, पीढमद्द (पीठमद) ज ३१९,७७ २८,१११७७;२११८७ ज १।१३,३३,२११२; पीण (प्रीणय ) पीणेति ज ५१५७ ४।१४०,१५४,२२१ से २२४,२३५,२४३ पीण (पीन) ज २०१५ पुवखरोद (पुष्करोद) ज ५।५५ सू १६।२८ से ३१ पीणणिज्ज (प्रीणनीय) १ १७११३४ पुक्खल (पुष्कल) ज ४११६६ पीणित (प्रीणित) सू १२।२६ पीतय (पीतक) सू २०१२ पुक्खलकूड (पुष्कलकूट) ज ४११६८ पीति (प्रीति) उ १११११,११२ पुक्खलचक्कट्टिविजय (पुष्कलचक्रवति विजय) ज४।१६४,१६५ पीतिदाण (प्रीतिदान) ज ३।१५० पुक्खल विजय (पुष्कलविजय) ज ४११६७ पोतिवद्धण (प्रीति वर्धन) सू १०।१२४११ पीय (पीत) ज ३१२४,३१ पुक्खलसंवट्टय (पुष्कलसंवर्तक) ज २।१४१,१४२ पीयकणवीरय (पीतकरवीर) प १७११२७ पुक्खलावइचक्कवट्टीविजय (पुष्कलावतीचक्रवर्ति पीयबंधुजीवय (पीतबन्धुजीवक) ५ १७११२७ विजय) ज ४।२०० पीयासोग (पीताशोक) र १७११२७ पुखलाई (पुष्कलावती) ज ४१६६ पीलु (पीलु) 4 ११३५११ पुक्खलावईकूड (पुष्कलावतीकूट) ज ४११६६ पीवर (पीपर) ज २१५७.१०८ पुग्गल (पुद्गल) ५ २८॥३५ पीसिज्जमाण (विष्यमाण) ज ४११०७ पुच्छ (प्रच्छ) पुच्छड चं ११४ उ २०१२ पोहगपाय ('पोहग'पान) उ ३।१३० पुच्छिज्जति सू १०।६२ पूच्छित्सामि उ १११७,३२६ पुंख (पुख) ज ३।२४ पुंज (पुञ्ज) प २।३०,३१,४१ ज २।१०:३७,८८ पुच्छणी (प्रच्छनी) ५१११३७।१ ४।१६६:५७ पुच्छा (पृच्छा) प २१४४,४१५० से ५४,५४ से ६४, पुंडरीका (पुण्डरीका) ज ५१११११ ६६,६७,६६,७०,७१,७३,७४,७६,७७,८०,८१ पुंडरोगिणी (पुण्डरीकिणी) ज ४०२००११ से ८७.८६,६०,६२ से ६४,६६,६७,६६,१००, पंडरीय (पुण्डरीक) ५ २१४८ ज ३।१०:४१४६,२७४ १०२.१०३,१०५ से ११२,११४ से १३०, पुक्कार (पुक्का रय) पुक्कारेंति ज ५१५७ १३२ से १३६,१४१ से १४८,१५० से १५७, पुक्खर (पुष्कर) ५ १५६५५३१ ज २१६८ १५६ से १६४,१६६,१६७,१६६,१७०,१७२, सू १६२१३१ १७३,१७५ से १८२,१८४ से २०६,२०८, पुक्खरकणिया (पुष्करकणिका) परा३०,३१,४१, २०६,२११,२१२,२१४ से २६३,२९५,२६६, Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुच्छिज्ज-युद्धविच्काइय .६६६१,१५१,१५१३६ से ४०,४५,२०१३६; २२१५६२३।१३ से २३:२८।११,१२,५७,५८ ज०१८,२०,२३,४८3३३३५,४१,५५,६२, ८१,८६,६८,१०८,१७२, ६।१,३,७१४०,५०, २९८५१३,१५,१६,५५.५८,६२,६७,७०, ७३,८८,६६,१३०,१३३,१३५,१३७,१३६, १४२,१४४,१४६,१४६,१५३,१५६,१५६, १६२,१६५,१६८,१७१,१७३,१७६,१८०,१८३, १८६,१८६,१६२,१६६,१६६,२०२,२०६, २१०,२१३,२१७,२२०,२२३,२२७,२२६, २३३,२३६,२३८,६१२४ से २६,२८ से ४२, ७४,७६,७७,११०,११२,६४२२;१०१७ से १३, २२ से २४;१२।२४,३३,१४।१५,१५१४ से ६, ६,१०,४२,५७,८१,८२,८५,८६,६२,६३; १६.४,६ से ८,१७:१४,१७,२८,२६,३३,४१ से ५५,६५,१०२,१०४,१३१ से १३४,१५८, १६२,१६४,१८१२६,६२,११२,११८,१२१, १२३,१२४,१२७:१६।२,३,५,२०१४.७,१६, ३०,३५,४१ से ४४,४६ से ४८,५३,५४; २११३७,६७, २२१६८,६६,६५,६८२३६४८ से ५०,६५,६६ से ७६,८१,८३ से ८६,८८ से ९०,६५,९८,६६,१०१ से १०४,१०६,१११ से ११८,१२८,१२६,१३१ से १३३,१५४,१७३; २४।६,८,२६।६,१०,२८७६ से ६७,६६, १०६,११०,१२६,१४५,२६१८,११,२०,२१; ३०।१२,१८,२०,२२,३१।२,३,६,३२१३,४,६, ३३१७ में ६,२० से २६,२८,२६,३२,३३,३६, ३४।७ से ६,११,३५।३.११,१६,२२,३६१३४, ५०,५१.५५ से ५७ ज ४।२०४,२१०,२५८, २५६७।६३.७४,७७,८३,८४,१०८,१४२ से १४४ सू ९३१०।१५१,१८११० से १३,३५, ३६:१९३५,८,११,१५,१६,२१,३१,३५,३८ उ २०१३;३१८,२१,२६,६४,१५६,१६६ ; ४।५; ५१२३ पुच्छिज्ज (प्रच्छ) पुच्छिज्जइ प ३।१२१ पुच्छिज्जति प १११८२,८३,८५,१७।३०; २११६१,२८।११५,११७ पुच्छिज्जति प२८॥१४५ पुठ्ठ (स्पृष्ट) ५ २६४११०,११,१११६१,६२, पुड (पुट) ज ५११४,१७ उ १५५,५७,६१,६२, ८०,८२,८६,८७,३।११४ पुढवि (पृथ्वी) प ११२०११,११४८३८११५३, २।१,२० से २७,३० से ३७,४१ से ४३,४६, ४८ से ५१,६३,६४,३१११ से २३,१८३:४।४ से २४,६१० से १६,४५,५१,७३ से ७८,८०; ८०१,२,६।८८,६१,६२,१००,१०६:१०१ से ३,११।२६ से २८,१५॥५५२,१६१२६; १७१३३१८११०७.११६.२०१६ से १०,३८ से ४२,४६,५६,२११५२,५६,६६,८५,८७, ६०:२२२२४; २८१२३,३०१२५ से २८, ३३१३ से ८,१६,१७ ज २।१६,१७,६८; ३१२२४; ४।२५४,७११२१४,२११,२१२ सू१०।१२६१४ पढधिकाइय (पृथ्वीकायिक) प १४१५,१६, २१ से ३,३१२,५० से ५२,५४,६० से ६३,६५ ७१ से ७४,७६,८४ से ८७,८६,६५,१५६ से १५८.१८३,४१५६ से ६४,६८,५१३,६,१०, ५२,५३,५५,५६,५८,५६,६२,६३,६।१६.५३, ६२,८२,८३,८६,८६,१०२,१०३,११५; ७।४;८१३;६।४,१६:१२१२०,२१,२३,२५,२६, १३.१६,१५१२० से २८,५३,५४,७२ से ७४, ७६.१३७;१६।१२,१७१६५.१०२,२०१२४; २।३७, २८१२८,२६।२० ज २०७२ सू २१ पुढधिकाइयत्त (पृथ्वीका कत्व) प १५।६६,३६।२२ ज ७१२१२ पुढविक्काइय (पृथ्वीकाक) प १२।३,२४; १५१५७,८५,१६।४१७।१८ से २२,४०,६०, ८७,६४,६५,६७,१०२,१८१२६,३२.३८,४०, पुढविकाय (पृथती माय) सू ११ Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुढविक्काइयत्त-पुष्फबद्दलय १८७ ४२,५०।१६।२:२०६१३,२२,२४ से २६,२८, १४२ च ५१ सू १।६।११०२१ ३२,३५, २११३ से ५,२३,४०,७६,८० पुण्णा (पूर्णा) सू १०१६० २२॥३१,७३,२४१६:२८१२६.३० ३३ से ३६, पुण्णाग (पुन्नाग) ११॥३५१३ ज ३।१२,८८,५८ ३८,६६२६८ से १०,२०:३०।८,६,१८,१६ पुण्णिमा (पूर्णिमा) ज ७:१२५,१२७११,१३७ से ३११३,३४।३;३५१६.२०,३६१६,२५.२६, १४५,१५४,१५५,१६७।१ सु १०१६ से १७, १६ से २२,२६ पुढविक्काइयत्त (पृथ्वीकाविकत्व) प १५३१४१; पुण्णिमासी (पौर्णमासी) ज ७४१३८,१४१ च ५१ ३६१२६ सू१०७,८,१८,२०,२२,१२६२,१३६ से पुढविसिलापट्टक (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ५।८ । १५६,१३।१ से ३,६ पूढविसिलापट्टग (पृथ्वीशिलापट्टक) ज ३।२२३ पुत (पुत) उ ४६ पुढविसिलापट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ११ पुत्त (पुत्र) ज २१२७,६४,६६,१३३ उ ११०,१३, पुढविसिलावट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) ज १११३ १५,२१ से २३,३१,४३,९७,७२,७४,८२,८७, पुढवी (पृथ्वी) सू २।१,६१३,१८११ उ ११२६,२७, ६५,१०६,११०,११३,११४,१४६२१६,६,१८, १४०,१४१ २२,३१४८,५०,५५,११४ पुण (पुनर्) प६१८०।१ सू ११२० उ ११७ पुत्तंजीवय (पुत्रजीवक) प ११३५१२ पुणं (पुनर्) उ ३।१०२ पुत्तत्त (पुत्रत्व) उ ५३०,४३ पुणब्भव (पुनर्भव) प २०६४ पुष्फ (पुष्प) प १३५,३६:१।४८।१७,२७,४०,४१, पुणरवि (पुनरपि) प ३६१६४ ज २१६,३१८१; ४७,६३,२।३०,३१,४०।१०,४१,१५।२ ज २१८ ७११८,१२१ सू२।१ से १०,१२,१५ से १८,६५,१४५,१४६ ; ३।७, पुणव्वसु (पुनर्वसु) ज ७/१२८,१२६१३४ से ११,१२,२१,३४,७८,८५,८८,१०६,१८०, १३६,१४०,१४६,१६१ सू१०२ से ६.१३, २०६४।१६६,५७,२२,२६,४८,४६,५५% २४,४०,६२,६८,७५,८३,१०५,१२०,१३१ ७।३१,३३,३५,५५,११२१३,४ सू ४।३,४,६, से १३३,१५५,१६१,१११२ से ४ ७,६१०२०,१२६६३,४;१६।२२।२,१५; पुणो (पुनर्) ज ३।१०६ सू १६।२२ उ ३१६८ १६।२३,२०1८।६ उ ११३५,३१५०,५१,५३, ११०,११४:५६ पुण्ण (पूर्ण) प १४०१६ ज २१६०,१०३,१०६, पुष्फ (पुष्प) पुप्फति ज ३११०४,१०५ १०८,१७८,३१६,२२२, ४।३,२५,१७२११ १४६७४१७८ पुष्फकेतु (पुष्पकेतु) सू २०१८ पुण्ण (पुण) प ११०१२ ज ३१११७१५५,४६ पुष्फचंगरी (पुष्प 'चंगेरी') ३३१२५ ज ३।११; पुण्णकलस (पुर्णकलश) प २।३० ज २४३ ५७,५५ पुण्णचंद (पूर्णचन्द्र ) ज ३।३,११७ पुष्फचूला (पुष्पचूला) उ ४।२०,२२,२८ पुण्ण (भद्द) (पूर्णभद्र) उ ३१२११ पुप्फलिया (पुप्पलिका) उ ११५४।१ से ३, पुण्णभद्द (पूर्णभद्र) ए २१४५.४५।१ ज ४११६२११, २७,५१ १६५ उ १६.१६,१४४; २।१४,१६:३।१५६, पुष्फछज्जिया (पुष्पछादिका) ज ५१७ १५८,१६० से १६५.१६९.१७१,५१८ पुप्फपटलहत्थगय (हस्तगतपुष्पपटल) ज ३।११ पुषणभद्दकूड (पूर्णभद्रकूट) ज ११३४,४६:४।१६५ पुष्फपडलग (पुष्पपटलक) ज ५७ पुण्णमासी (पौर्णमासी पूर्णमासी) ज ७११२।२, पुष्फबद्दलय (पुष्पवादलक) ज २७ Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८ पुष्पमाला (पुष्पमाला ) ज ५|१|१ पुष्कय ( पुष्पक) ज ५६४६।३ yos (वासा) (पुष्पवर्षा ) ज ५।५७ कांवटिय (पुष्पवृन्तक ) प १०५० रफाराम (पुष्पाराम) उ ३।४८ से ५०, ५५ पुष्कारहण (पुष्पारोहण पुष्पा रोपण ) ज ३।१२,८८ पुष्फासव (पुष्पाराव ) प १७ १३४ पुप्फाहार ( पुष्पाहार ) उ३।५० पुष्पिय ( पुष्पित) उ ३४६ gioफया ( पुष्पिका) उ ११५, ३११ से ३,१६,२०, २२,२३,८७,८८, १५३,१५४,१६६, १६७,१७०; ४।१ पुप्फुतर ( पुष्पोत्तर) प १७/१३५ पुस्फुत्तरा ( पुष्पोत्तरा ) ज २।१७ शक्कर की जाति पुप्फोदय ( पुष्पोदक) ज ३१६,२२२; पुष्फोवयार (पुणोपचार ) ज ७।१३३११ - पुप्फोवयारसंठिय (पुष्पोपचारसंस्थित) सू १०।१३० पुम (पुंस् ) प ११५ से १०,२४,२६ से २८ घुमवयण (पुंसुवचन) प ११।२६, ८६ पुर (पुर) ज २६४ पुरओ (पुरतस् ) ज ३१२,८८,१७८, १७६,२०२, २१७,४।५,२७,१२२, १२४, १२७ ५१३१,४३, ४४,४६,५७,५८,६०,६६ उ ३१५०,११२:४११६ पुरओउदग्गा ( पुरतउदग्रा ) सू ६४ पुरंदर (पुरन्दर ) प २१५० ज ५११८ पुरक्खड ( पुरस्कृत) सू ८१ पुरजण ( पुरजन) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४,१४७, १६८,२१२,२१३ पुरतो ( पुरतम् ) सू २२ पुरत्याभिमुह ( पौरस्त्याभिमुख ) ज ३६,१२,२८, ४१,४६,५८,६६,७४, १४७, १८८, २०४, २१२. २२२:५।२१,४१,४७,६० उ १४१, ३६१ पुरत्याभिहि परस्वाभिमुखिन् ) ज ४।२३,३५, २६२ पुरत्थिम ( पौरस्त्य, पूर्व ) प ३१ से ३७,१७६,१७८ पुष्पमाला-पुरिस ज १११६,१८,२०,२३, २४,३५,४१,४६,४८, ५१,३८१.१४,१५,२२,२६,५१, ५२,१६१,४११, १८,२६,३५,४५,५५,५७,६२,७१,८१,८४,८६, १०,१०३,१०६,१०८, १२६, १५१२१,१५३, १६२,१६७,१६,१७२, १७८, १८१,१८२, १८४,१८५, १०, १६१,१६३, १९४, १६६, १९७,१६६ से २०३.२०५,२०६,२०८, २०६, २१३,२१५,२१६,२२८,२३३, २३५,२३८, २४३,२४५,२६२, २६५, २६६,२७१,२७२, २७४, २७७ ५८, १०,३६,४७, ६।१६ से २४; ७११७८ २ १ ८ १ १३।१२,१५,१५८ से १३ १८१४ से १७:२०१२ ३।५१ पुरथिमपच्चत्थिम ( पौरस्त्यपाश्चात्य ) सू २1१; ८११ पुरस्थिम लवणसमुह (पौरस्त्यलवणसमुद्र ) ज ४२६० पुरथिमिल्ल (पीरस्य ) प १६१३४ ज ११२०, २३, ४८, २।११७; ३।२६. ६५, ६७, ६६, १३५,१५१, १५६.१७०, २०४.२१४, ४।१, २३.५५.६२,८१, ८६,६८.१०८, १४३, १४७, १५६.१७२, २२६, २२७,२३७,२३८, २६२: ५।१४,४४,७१७८ सू २।११०।१४७:१३।१५ पुरवर (वर) ३।३२,३५,२२१ पुरा ( पुरा ) १।१३,३०,३३,३७,४१२ पुराण (पुराण) ज ३१६७ पुरिमकंठ माओवता ( पूर्वकण्ठभागता ) सू ६४ पुरिमट (पुर्वा ) प १६।३० पुरिमाल ( पुरिमताल ) ज २७१ पुरम (पूर्वार्द्ध) १६।३०;१७।१६५ पुरिस ( पुरुष ) प १६०,६६,७५,७६,८१,८४; २१६४११६; ३३१८३ ६७६ १६१४८, ५२, ५४; १७११०८, १०६,१११ ज ३७,८,१५,१६,२१, ३१,३४,३५,७७, ८१, १२५, १६७१४, १७३, १७६, १७, १८३, १६६,२००,२१२,२१३ च ४१२५ ११८।२२०१७ उ १११७, १८,४४, ४५,१२३,१३१, ३०११०,१११; ४।१६ से १८; Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसकर-पुव्ववेयाली ५१५,१५ से १८ पुरिसकार (पुरुषकार) गु २०६।३ पुरिसक्कार (पुरुपकार) ५ २३११६,२० ज २०५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,२६३,३।१२६,१८८,७१७८ म २०११ पुरिसच्छाया (पुरुपच्छाया) ज २२,२५ मु २।३ पुरिसजुग (युरुपयुग) ज २८४ परिसवरगंधहस्थि (पुरुषवरगन्ध हस्तिन ) ज १२१ पुरिसवरपुंडरीय (पुरुष रपुण्डरीक) ज ५१२१ । परिसलिगसिद्ध (पुरुषङ्गिनिद्ध) ५१११२ पुरिसवेद ( पुरुषवेद) प १८१६१,२३३१४२,१८७; २८।१४० परिसवेदग (पुरुषवेदक) प ३३९७:१३।१४,१८,१६ पुरिसवेय (पुरुषवेद) प २३:१६,७४,८४,१४४ पुरिसबेयग (पुरुषवेदक) T१३।१५ पुरिसवेयपरिणाम (पुरुषवेदपरिणाम) प १३.१३ पुरिससीह (पुरुषसिंह) ज ५।२१ पुरिसादाणीय (पुरुषादानीय) उ ३।१२,२६,७६ ४।१०,११,१३,१४,१६ परिसोत्तम (पुरुषोत्तम) ज ५२१ पुरोष (पुनीप) उ ३३१३०,१३१,१३४ पुरेक्खड़ (पुरस्कृत) प १५८३ से ८५,८७,८६ से १०१,१०३ से १०६,१०८ से ११०,११२ से १२३,१२५ से १३२,१६५ से १४३,३६८ से पुव (पूर्व) प १६।२१:३६१६२ ज २१४,१६१; ३११८५,२०६,२२१,४।१३५,२३८७१३८, २१२ च ११३ सू ३।१:८।११८।१,२१ उ ११६६,१०६,११०,११३,११४ पुत्वंग (पूर्वाङ्ग) ज २४,७११७१ सु८११; १०१८६१ पुचंभाग (पूर्वभाग) गु १०१४,५ पुवकोडाकोडि (पूर्वकोटिकोटि) ज ३११८५,२०६ पव्वकोडि (पूर्वकोटि) प ४११७७,१०६,११३.११५, ११६,११८,११६,१२१,१३१,१३३,१३७,१३६, १४०,१४२,१४६.१४८:१८।४,६०,८१,८४, ८६.६६:२३७८,७६,१४७,१५८,१६२,१६५, १६६ ज २।१२३,१५१:३।१८५,२०६४।१०१ पुब्बग (पूर्वक) ११।४६ पुचितिय (पूरचिन्तित) उ ३१७६ पुषण्णस्थ (पूर्वन्यस्त) ज ५१४२ पुवण्ह (पूर्वह्नि) ज २०७१,८८ पुव्वदारिया (पूर्वद्वारिका) सू१०।१३१ पुब्बपडिवण्ण (पूर्वप्रतिपन्न) उ ३.८१,८२ पुब्बपोट्ठवया (पूर्वप्रीष्ठादा) मू १०।६४ पुब्बफग्गुणी (पूर्वफल्गुनी) ज ७१२८,१२६,१३६ पुदभद्दवया (पूर्वभाद्रपदा) ज ७।१२८, १२६,१३६, १३६,१४२ सू १०१६ पुत्वभव (पूर्वभव) उ ३१६,२१,२६,१४६,१५६, १६६,१७१४।५,२८ पुब्वभाव (पूर्व भाव) प २८१६८ से १०१ पुब्दरहतगुणसेढीय (पूर्वरचितगुणश्रेणिक) प ३६।६२ पुस्थरत (पूर्वर.) उ ११५१,६५,७६,३१४८,५०, ५५,५७.६६,७२,७५,७६,६८,१०६,१३१ पुववण्णिय (पूर्ववणित) ज २।५२,१६१,३११७१; ४।६६,१०१,१०६,१६०,२३७,२४३,५६,७; ७।३५,१६७ पुनविदेह (पूर्वविदेह) प १६।३०१७३१६१ __ज २१६, ४।६६,६६,२१३,२६३११ पुन्ववेयाली (पूर्व 'वेयाली') प १६१४५ पुरेडिय (पुरस्कृतक) प १५३५८१२ पुरोहियरयण (राहिसार) ज ३३१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२० पुरोहियरयणत (पुरोहितल) २०५८ पुलग (दुलक) ११५८ ज १५:१५ पुलय (पुलक) : १।२०।४ ज ३.३५ पुलाकिमिया (दे०) प १४६ पुलिद (जिन्द) ११८६ पलिदी (हिन्दी) ज ३३१११२ पुलिण (पुलिन) ज ४।१३ । २०१७ पुलिय (पुलित) ज ३।१७८,७।१७८ Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० पुवसंगइय-पेच्छाघरमंडव पुब्वसंगइय (पूर्वसांगतिक) उ ३१५५ ६०,६१,११३,११६; २११४४ से ४७,४७११, पुश्वसयसहस्स (पूर्वशतसहस्र) ज २१६४,८७,८८; २,६.२११६८,२४।१४,१५, २५२,४,२७१२,६; ३।१८५,२२५ २८।२७,७३ से ७६,१२१,१२४,१२७ से पृन्दाण पूवी (पूर्वानुपूर्वी) उ ११२,१७,३।२६,६६, १३२,१३६,१४३,१४५.;३६११७,३४ १३२,१४६,१५६; ४।११,५१३६ पुहत्तय (पार्थक्त्विक) घ १११८५ पुवा (पूर्व) सू १०१५,१२०,१११३;१२२२३ पुहवी (पृथ्वी) ज ३१३,३५, ५११०११ पुवापोट्ठवता (पूर्वप्रौष्ठपदा) सू १०॥५६ पूअफलीवण (पम्फलीवन) ज २६ पुवापोवया (पूर्वग्रीष्ठपदा) सू १०१४,५,६,२१, पूइ (पोई) प ११३५४३ २३,३१,८२,६६,१३१,१३२ पूइत्त (पुतित्व) ज २१६ पुवाफग्गुणी (पूर्व फल्गुनी) ज ७.१४०,१४८, पूइय (पूर्जित) ज ३।८१५१५ १५१,१६३ सु १०।२ से ६,१५,२३,४४,६२, पूजित (पूजित)उ ३१४८,५० ७०,७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५२; पूय (पूर्व) प १८४;२२० से २७ ज ३१२० १२।२३ उ ११५६,६१,६२८४,८६,८७ पुटवाभद्दक्या (पूर्व भद्र'दा) ज ७१४६,१५७ पूयथय (दे०) १११६५ सू१०।२,३,५,७५,१३१,१३३ पूयणवत्तिय (पूजनप्रत्यय) ज ५१२७ पुव्वामेव (पूर्व मेव) प ३६६२ उ ४।२१ पूणिज्ज (पूजनीय) सू १८१२३ पुवावर (पूर्वापर) ज १।२६,४१२१,१४२,२५६; पूयफली (पूगफली) ५ ११४३।२ ६।१०.११,१४,१५,१८ से २२,२६,७१४,६३, पूया (पूजा) उ ३१५१ ८७,११०,१८३ कपूर (पूरय्) पूरयंते ज ३१३१ पूरेड प ३६१८५ ज ७।११२१५ पुरेति ज ५११३ पूरेति पुत्वासाढा (पूर्वाषाढा) ज ७।१२८,१३६,१४०, मु १०1१२६५ १४६,१६७ सू १०।२ से ६,१६,२३,५३,६२, पूरग (पूरक) ज ३१८८ ७४,८३,११८,१३१ से १३५ पूरयंत (पूरयत्) ज २१६५,३१३१ पुटिव (पूर्वम् ) उ ३१११८ पूरिम (परिम,पूर्य) ज ३।२११ पुबिल्ल (पूर्वीय) ज ५।४१ पूरेत (रयत) ज ३१३०,४३,५१,६०,६८,१३०, पुयोववण्णग (पूर्वोपपन्नक) ६१७४४,६,१६,१७ १३८ से १४०,१४६,७११७८ पुस (पुष्प) ज ७।१२६।१ पूरेता (पूरयित्वा) ज ५।१३ पुस्स (पुष्य) ज ११३६,१४०,१४६,१६१,१६२ पूस (पुरुष) ज७।१२८.१३०,१८६।३ यु १०१४; सु १०।२,३,५,६,१३,२४,४१,६२,६८,६६, १२११६ से २३,२६ ७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५६; पूसफली (पुरुफली) ५११४०११ १११६१६।२२।१७ पूसमाणय (पुष्यमाणव) ज ३११८५ पुस्सदेवया (पुष्यदेवता) सू १०८३ पूसमाणव (पुष्यमाणव) २१६४,५३२ पुस्सफल (पुष्यफल) प १।४८४८ पेच्छणिज्ज (प्रेक्षणी) ज २०१५ पुस्सायण (पुप्यायण) ज ७/१३२१२ सू १०११८ पेच्छा (प्रेक्षा) ज २१२०,३२ पुहत्त (पृथक्त्व) प ७१३,६ से १११८१,८३,८४, पेच्छाघरसंठित (प्रेक्षागृहसं स्थित) मु४१२ १२।६१५।६,१८१४,१६,२४,३१,३६,४९,५४, पेच्छाघरमंडव (प्रेक्षागृहमण्डप) ज ३।१६३; Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पेच्छिज्ज माण-पोलिंदो ४।१२३, १२४५३३ पेच्छिज्जमान (प्रेमान) ज २२६५, ३१६६, २०४ पेज्ज (स् ) प ११।३४।१,२२।२० पेज्जणिस्सिया (प्रेयनिश्रिता ) १] १११३४ पेढ (पीठ ) ज ४११४३, २०८५११३ पेम्म (प्रेमन् ) ज २१२७ पेरंत ( पर्यन्त ) ज १।१६; ३११२६।४४।१४३, २४५, २४६,२५१,७१७८ पेलव (पेय) ज ३१२११५ ।५८ पेस (प्रेष्ठ) ज २१२६ (पेस ( प्र + इप् ) पेसिज्जइ उ १।१२८ पेसेइ उ १।११० सेमि उ १।१०६ पेसेमो उ ११२७ पसेह उ १।१०७ पेसेहि उ १।११५ पेसल (पेल ) प १७।१३४ पेत्तिए (प्रेषितुम् ) १।१०७ पेसिय ( प्रेपित ) १३११६,१२७ पेसुण्ण ( पैशुन्य ) प २२/२० V पेह ( प्र + ईक्ष ) पेहति प १५३५० पेहमाण (प्रेक्षमाण ) प १५३५० पेहुर्णामजिया ('पेण' मञ्जिका ) प १७ १२८ पोंडरीय ( पौण्डरीक ) प ११४६, ७६ ज ४१३, २५ पोंडरीयदल (पौण्डरीकदल ) प १७।१२८ √ पोक्ख ( प्र + उध् ) पोक्खेइ उ ३१५१ पोक्खरस्थिभय ( पुष्करास्थिभाग) ज ४ ७ पोक्खरपत्त ( पुरकरपत्र ) ज ३।१०६ पोक्खरवर ( पुष्करवर ) सू १६/१५११, २ पोखरवरदीव (पुष्करवरद्वीप) सू १६११५ पोक्खल (पुष्कर ) प १४६ पोक्खलत्थिभय (पुष्करास्थिभाग) प ११४६ पोक्खलावती चक्कट्टि विजय (पुष्कलावती चक्रवर्तिविजय ) ज ४११६७ पोल (पुद्गल ) १११८४३।१।२, १२४,१७५, १७६,१०० से १८२,५३१४०, १४३, १४५, १४७.१५०.१५४,२३३, २३४, २३६ से २३६, २४१,२४२, ६।२६;१५।४० से ४७.४६ : ६१ १६१३३, ३४,१७१२, २५, २११११, ६५, ६६; २३।१३ से २३:२८।२०,२२ से २४,३२,३४, ३६, ३१ से ४२, ४४, ४५, ४८, ६६, ६५ से ७१. १०५ ३४।१।१, ३४ ६ १६, २०, ३६ ५६,६१, ६२,६६,७०,७३,७४,७६,७७,७६ से ८ १; ज २६ ; ३।१६२,५५,७३७।२११ सू ५ | १; ७१ ६११ २०१२ पोग्गलगति ( मुद्गन्दगति ) प १६३३८, ४३ पोग्गलत्थाय (पुद्गलास्तिका) ३।११४ ११५,१२०,१२२ पोपरिट्ट (पुद्गल परिवर्त ) १८१३,२७,४५, ५६,६४,७७, ८३,६०,१०८ पोच्चs (दे०) उ ३।१३० पोट्ट (दे० ) ज २१४३ पोलिया (पोट्टलिका) ज ५११६ पोट्ठवई (प्रौष्ठादी) ज ७११३६, १४२, १४८, १५१, १५.५ पोट्ठवती (प्रोष्ठपदी) सू १०१७, ६, २१, २३, २६ पोट्ठव्य ( प्रोष्ठपद) मू १० ५,१२०,१५३ पोडइल ( पोटगल ) प ११४२ ।१ नल तृण पोतिया (दे० ) प ११५१।१ पोत्तिय (पौत्रिक) उ ३।५० पोरगा (पुस्तकग्रह ) ज ३।१७८ पत्थरयण ( पुस्तक रत्न) ज ४।१४० पोत्थार (पुस्तकार ) प ११६७ पोरग (और) व १/४४।१ इक्षु पोराण (पुराण) २८/२०,२६,३२,६६ ज १।१३,३०,३३,३६,४१२ पोरिच्छाया रुपीच्छाया ) मु १४६ । ३३९ | १ से ३ पोरिसी (पौरुषी) ज ७ १५६ से १६७ मु १०६४ से ७४ पोरिसीच्छाया (पौरुषीच्छाया ) चं २३ पोरेवच्च (पौरपल पौरोवत्य ) प २।३० से ३३, ३५,४१,४८ से ५१ ज ११४५३।१८५.२०१. २२१५।१६ उ५।१० पोलिंदी (पौलिन्दी) ५ १६८ Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ पोस (पौष) ज २११६७|१०४ सु १०११२४ उ ३१४० पोसह (पौषध) ज २११३५ पोसहघर (गृह) ज ३१३२ पोसहसाला (पौषधशाला ) ३।१८ से २१,३१, ३३, ३४, ५२ से ५४ ५८,६१,६३,६६,६६,७०, ७१,७४,८४,८५, १३७, १३६,१४१ से १४३, १४७,१६४ से १६८, १८० से १८३,१६०, १६६ उ ५ ३५ पोसहिय ( पोपधिक) ज ३।२०,३३,३५,५४,६३, ७१,८४,१३७,१४३, १६७,१८२ पोसहवास (पौषधोपवास) प २०१७,१८,३४, पोसो (पौषी) ज ७।१३७, १४०, १४६, १४६, १५५, लु १०१७,१३,२२,२३,२६ पोहत ( पृथक्त्व ) प १५१।१,१५ ८ से १०,२३, ३०.१४०२४।६ पोहत्तिय (पार्थ क्विक ) प २२२५, २८:२३८, १२ फ फग्गुण (फाल्गुन) ज २२७१७३१०४ स १० । १२४ उ ३१४० फग्गुणी ( फल्गुनी) ज ७ १३७,१४०,१४६, १५३, १५५; १० ११२०:१२/२३ तु १०१७,१५,२३. _२५,२६,१२०,१५३,१५८,१२।२३ फणस ( स ) प १३६३१:१६।५५; १७।१३२ फणिज्जय ( फणिज्भक ) व ११४४१३ मरुआ फरिस (स्पर्श) ज ३०२,१८७, २११,२१८५३५८ ग्रु २०१७ उ ५ २५ फरस ( रुप ) ज २३१३१,१३३ फल (फल) ११३३५,३६,१४८६,१८,२८,६३, २३।१३ से २३ ज १११३,३०,३३,३६,२८, ६,१२,१६,१७,१८,७१, १४५, १४६; ३०११७, २२१:४/२७/११२।३, ४ १०।१२०, १२६/३,४ उ ११३४,१८, ६६, ३५०, ५३, ६८, १०१,१३१; ५१६ फलग (फलक) ५ ३६।६१ ज ३।३१ उ ३।३६ पोस- फासचरिम फलगग्गाह (फलक ग्राह) ज ३११७८ फलय ( फलक ) ज ४१२६ उ १।१३८ फल (वासा) ( फलवर्षा ) ज ५:५७ फलविटि ( फलवृन्तक ) प ११५० फलहसेज्जा ( फलका) उ५१४३ फलासव (फलासव ) ६ १७ १३४ फलाहार ( फलाहार ) उ३१५० फलिय ( फलित ) उ ३०४६ फलिहकूड ( स्फटिककूट) २१५१,५६ 'फलिहामय (स्फटिकमय ) सु १८८ फाणिय ( फाणित) ५ १५।११२,१५५० फालिय (स्फटिक) ज ४१३, २५ फालियामय ( स्फटिकमय ) प २१४८ ज ७।१७६, १७८ फास (स्पर्श) प ११४ से ६, २२० से २७,३०,३१, ४१, ४८, ४६; ३११८२५१५, ७, १०, १२, १४,१६, १८,२०,२४,२८,३०,३२,३४,३७३६, ४१, ४५. ५३,५६,५६,६१,६३,६८,७१,७४,७६,७८, ८३, ८६,८६,६१,६३,६७,१०१, १०४, १०७, १०६,१११, ११५,११६,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १५०, १५२,१५४,१६३,१६६, १६६,१७२, १७४, १७७, १८१, १८४, १८७, १६०, १६३, १६७, २००,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४२, २४४; १० । ५३।१; ११५६; १५१३८, ७७,८१, ८२,१७११३२ से १३४,२३।१३ से २३,१०६, २८१६,१०,२०,३२,५५,५६,६६, ३४१११२; ३६।८०,८१ ज १११३,२७,१८, ६८, १४२; ३।१३८; ४।२७,४६,८२५३२७ २०६ सू २०१७,८,२०१८,४ फासओ ( स्पर्शतम् ) प १५ से ६; ११/६०; २८११०,२०,२६,५६ फासचरिम ( स्पर्शचरम ) प १०३५२, ५३ १० १११६७ Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फासणाम-बंधणविमोयणगति ६६३ फासणाम (स्पर्शनामन्) प २३।३८,५० फुसमाण (स्पृशत्) प १३।२३ फासतो (स्पर्शनस् ) प २६ से २८१३२,६६ फुसगणगति (स्पृशद्गति) प १६१३८,३६ फासपज्जव (स्पर्शपयंव) ज २१५१,५४,१२१,१२६, फुसित्ता (स्पृष्ट्वा ) प १५३५१,१६।३९,३६७६,८१ १३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३; ज ३२१३१ ७/२०६ फुसिय (स्पृष्ट) ज ५७ फासपरिणाम (सार्शपरिणाम) ५१३१२१,२६ फेण (फेन) ज ३१३५:४:१२५,५२६२,७१७८ फासपरियार (म्पर्शपरिचार) ५ ३४।२१ फेणमालिनी (फेनमालिनी) ज ४१२१२ फासपरियारग (स्पर्शपरिचारक) ५ ३४।२८,२१,२५ फासपरियारणा (स्पन्चिारणा) १३४।१७,२१ फासमंत (स्पर्शवत) १११५२,५६,२८।५,६,५१, बउल (बकुल) प११३५१ बउस (बकुश) प ११८६ फासविण्णाणावरण (स्पर्श विज्ञानावरण) प २३३१३ बंध (बन्ध) १३.११२,१३१२२११,२,१४११८।१: फासादेस (स्पर्शादेश) प १२०,२३,२६,२६,४८ २६।१२ ज २११३३ फासावरण (सावरण) प २३।१३ बंध (वन्ध) बंधइग २३॥३,१६८२४।१३ से फासिदिय (मर्श न्द्रिय) ५ १५१,६,७,१० से १८, १५ ३१५५ बंधति १९.१८२२२२२,२३, २० से २७,३०,३१.३५,४२,५८ से ६४,६६,७०, ८६,६०२३१५,७,१३४,१३५,१३७ से १४०, ७३,७४,८०,८५,१३३,२८/४२,४५,४६,७१ १४२,१४३,१४६,१४७,१५१ से १५८,१६० से १६२,१६४,१६६,१६७,१६६,१७१ से फासिदियत्त (स्पर्श न्द्रियत्व) १२८१२४,२६,३४१२० १७४,१७६,१७७,१८१,१८५,१८६,१६०% फासिदियपरिणाम (स्पर्शेन्द्रियपरिणाम) ५१३१४ २४१४,५,१० से १२,१५:२६१४.६ ज ५११३ फासु (प्रासु) उ ३।३६ बंधति प २२२२१,८३,८६,८७:२३।१।१, फासुय (प्रासुक,स्पर्शक) उ ३।११४ २३६४,६,१६४ से १६६,१६ से २०१:२४१२, फासुयविहार (प्रासुकनिहार) उ ३१३०,३६ ३,१०,१५:२६।२,३,८ बधिसु प १४११७ फासेंदिय (स्पर्शेन्द्रिय) ११५।१६,२८,३१ से ३३, बंधिस्संति प १४:१८ बंधेसु प १४११८ ६४ से ६७,७६,१३४:२८१३६ बंधेसि उ ३७९ फुट्ट (दे०) ज २१३३ बंधग (बन्धक) प ३।१७४;२२१२२,२३,८४,९०; फुट्ट ( फुट) फुट्टउ उ ५१७२ फुट्टिहि ज ५७३ २३१६३, २४१४ से ८,१० से १३;२६।४ से फुट्टमाण (फुटत् ) ज ३१८२,१८७,२१८ ६,८ से १०:२७१५ फुड (स्पृष्ट) ५१५१५३ से ५७,३६।५६,६०,६६ बंधण (वन्धन) प २१६४१२२,१६१५५,३६।८।१, से ६८.७०,७१,७४,७५,८१ च ११३ ८३३१,६४११ ज २२२७,२६,८६,८६,१३३; फुडित्ता (स्फुटित्वा) प १११७८ ३।२२५ उ ११६६,६८,७२,८८,९२ फुडिय (फुटित) प २११३३ फुल्ल (फुल्ल) ज ३।१८८ बंधणछेदणगति (बन्धनछेदन गति) प १६.१७,२३ फुल्लावलि (फुल बलि) ज ५१३२ बंधणपरिणाम (बन्धनपरिणाम) प १३१२१,२२ -फुस (स्पृश् ) फुसइ ज ३।१३१ फुसई प रा६४११ बंधनविमोयणगति (बंधन विमोचन मति) फुसति ५ ११।७२ सु ५।१ फुसंतुज ३१११२ Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६४ बंधगाण-बल विसिट ठया बंधमाण (बध्नत् ) प २२२६,२७:२४।२ से ५,६ बत्तीसमंगुलमूसियसिर (द्वात्रिंशदङ्गलोच्छित शिरस्क) से १५:२५।२,४,५ ज ३३१०६ बंधय (बन्धक) प १३१६२,२२१२१ ८३.८६,८७, बत्तीसविह (द्वात्रिशविध) ज ३।१५६ २३।१।१,२३.१६१ से १९३,२४१२,३,७,८, बदर (बदरा) प ११३७।२ कपास का पौधा १०,१२:२६।२ से ४,६,८ से १० बद्ध (बद) प १५१५८१२;२०३६, २३।१३ से २३ बंधिता (बद्वा) ज ५११३ उ ३।५५ ज ३१२४,३५,७७,८२,१०७.१२४,१७८,१८६, बंधुजीदग (वन्धुजीवक) १ ११३८।१ ज २६१०, १८७,२०४,२१४,२१८,२२१४१३.२५ ३१३५ उ ११३८ बंधेउकाम (बद्धकाम) उ ११७३ बद्धग (दे०) ज ७!१७८ एक आभूषण बंधेत्ता (बद्ध्वा ) ज ५।१६ उ ३७६ बद्धेल्लग (दे०) प १२२८ से १३,१६,२०,२१,२३, बंभ (ब्रह्मन्) प २१५४,१५१८८ ज ७१२२।१ २४,२७,२८.३१ से ३३,१५१८३ से ८६,८६ गू १०१८४१ से ६३,६५ से ६७,६६ से १०६,१०८ से १२३, बंभचेर (ब्रह्मचर्य) ज ७११६६ गु १८१३ १२५ से १३२,१३५,१३६ से १४१,१४३ बंभचेरवास (ब्रह्मचर्यवास) उ ५।४३ बद्धेल्लय (दे०) प १२१७,८,१२,२०; १५१९४ बंभग्णय (ब्राह्मण्यक) उ ३।२८,३८,४०,४२ बंभयारि (ब्रह्मचारिन् ) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, बब्बर (वर्वर) प ११८६३८१ बब्बरी (बर्बरी) अ ३।११।१ ८४,१३७.१४३,१६७,१८२ बम्ह (ब्रह्मन्) ब ७।१३०,१७६,१८६१३ बंभलोग (ब्रह्मलोक) प २२४६,५४,५५,६०,७११२; बम्हदेवया (ब्रहादेवता) १०७८ ३३.१६,३४११६ बरग (दे०) ज ३।११६ शालि विशेष बंभलोय (ब्रह्मलोक) म १११३५,२।४६,५४ से ५७, ६३,३।३३,१८३,४१२४३ से २४५,६।३१,५६, बरहिण (वहिन) प १७६ ६५; २०१६१;२११७०,२८१७६; ३४।१८ बल (बल) प २०११६१,२३।१६,२० ज २।५१,५४, 3२।२२५२८ ६४,७१.१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६, बंभलोयग (ब्रह्मलोकज) ज ५/४६ १५४,१६०,१६३; ३३३,१२,३१,७७,७८,८१, बंभलीयडिसय (ब्रह्मलोकावतंसक) ५ २१५४ १०१.१०३,१०६,११७.१२६,१२६,१५१, बंभी (ब्राह्मी) ६११६८ ज २७५ १८०,१८८,२०६४।२३६ ५।५,२२, बकुल (बकुल) ज ३।१२,८८,५१५८ २६,७१७८ २०११,७,६१३,५ उ १२६६, बग (बक) १७६ ६६,११५.११६३।२।१,१७१ बज्झ (बंध) बज्झति उ ३.१४२ बलफर (वलकर) ज ३११३८ बत्तीस (द्वात्रिशन्) ।२२ गुरा३ ड ३११२६; यलफूड विलकूट) ४१२३६,२३६ बलदेव (ब ) प ११७४,६१, ६।२६ ज २११२५, बत्तीसइ (द्वात्रिशन) ज ३११८६,२०४ १५३; १२०० उ ५१० से १२.३० बत्तीस इविह (द्वात्रिशविध) ज ५१५७ उ ३११५६ बलदेवत्त (बलदेव) प२०१५५ बत्तीसग (द्वात्रिंशन्) ज ७।१३१११ बलव (बलवन्) ज ५१५७।१२२६१ रु १०।८४११ बत्तीसजणवयसहस्सराय (द्वात्रिशद जनपदसहस्र- बलवग (बल क) उ:१५ राजन्) ३।१२६२ बलविसिठ्ठया (वलविशिष्टता) प २३।२१ Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बलविहीणया-बहुबीया ९६५ बलविहीणया (वलविहीनता) प २३.२२ ६१,६३,६४,३।१८३६।२६११२२२,१७ बलाग (बलाक) ज ३।३५ १३६,२२२१०१,३६८२ ज ११४५; बलागा (बलाका) प १७६ २१११,१२,५८,६५,८३,८८,६०,१२३, बलावलोय (बलावलोक) ज ३१८१ १२८१३३,१३४,१४५,१४८,१५१,१५७; बलाहगा (बलाहका) ज ५।६३१ ३१६,११.२४,३२।१,८१,८७,१०३,१०४ बलाहया (बलाहका) ज ४।२१०.२३८ १०५,११७,१७८,१८५,१८६.१८८,२०४, बलि (बलि) प २१३१,३३,४०७ ज २११३, २०६.२१६,२१६.२२१,२२२.२२५,४१२,३, ११६; ५।५१ उ ३१५१,५६,६४ २५,२८ से ३०,३४,६०,१४०,१५६,२४८, बलिकम्म (बलिकर्मन्) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२, २५०,२५१,२५२,५३१.५,१६,४३,४६,४७, ८५,१२५,१२६,१४७ सू २०१७ २१११६, ६७,७/११२१,२,७१६८,१८५,१६७,२१३, ७०,१२१ : ३।११०,५३१७ २१४ चं २।४ सू १२६१४,२६११०।१२६।१, बलिपेढ़ (बलिपीठ) ज ४।१४० २,१४।१ से ८:१८२३; १९१६, २०१७ बलिमोडय (दे०) प ११४८:४७ उ१।१६,४१,४३,५१,५२.७६.७७,६३,९८; बव (वब) ज ७१२३ मे १२५ २।१०,१२,३।११,१४.२८,५५,८३,१०१,१०६, बहल (बहल) ज ३११०६ १०६,११४,११५,११६,१२०.१३० से १३२, बहलतर (बहलतर) प ११४८१३० से ३३ १३४,१५०,१६१,१६६४।२४:५७.१० बहलिय (बहलीक) ११८६ बहुआउपज्जव (वह वायुःपर्यव) ज १।२२,२७,५० बहली (बहली) ज ३१११ बहुउच्चत्तपज्जव (बहुच्चत्वपर्यव) ज ११२२,२७,५० बहव (बहु) ज १।१३,३१,२७,१०,२०,६५,१०१, बहुम (बहुक) प २।४६,५०,५२,५३,५५,६३ १०२,१०४,१०६,११४ से ११६,१२०,३।१०, बहुजण (बहुजन) ज ३।१०३ ८६,१०३,१७८,१८५,२०६,२१०,४१२२,८३, बहुणाय (बहुज्ञात) उ ३३१०१ ६७,११३,१३७,१६६,२०३,२६६,२७६,५।२६, बहुतराग (बहुत रक) प १७।१०८ से १११ ७२ से ३४ म् १८।२३ उ ३१४८ से ५०,५५, बहुतराय (बहुतरक) प १७.२,२५ ६२,१२३ , ५।१७ बहुपडिपुण्ण (बहुप्रतिपूर्ण) ज २१८८, ३१२२५ बहस्सइ (बृहस्पति) सु २०१८,२०।८।४ उ १३४,४०,४३,५३,७४,७८,२।१२:५।२८, बहस्सइदेवया (बृहस्पतिदेवता) १०८३ ३६,४१ बहस्सति (बृहस्पति) प २।४८ बहुपदिय (बहुपठित) उ ३३१०१ बहस्सतिमहग्गह (बृहस्पतिमहाग्रह) सू १०।१२६ बहुपरियार (बहुपरिचार) उ ३१६६,१५६५१२६ बहिं (बहिर) प २।४८ बहुपरिवार (बहुपरिवार) उ ३.१३२ बहिता (बहिस्तात्,बहिम्) सू १६१२२।२७ बहुपुत्तिय (बहुपुत्रिक) उ ३६०,१२० बहिया (बहि-तात,बहिस्) ज ११३ २१७१७।५८ वहुपुत्तिया (बहुपुत्रिका) उ ३१२११,६०,६२,६४, सू १।२६।१.३,१९४२२२१ उ २२; ३१२६, १२०,१२५,४१५ ४६,४८.५०.५५,१४५, ५१५,३३ बहुप्पयार (बहुप्रकार) ज २।१३१ बहु (बहु) प १।४८॥५४, २१२० से २७,३० से ३५, बहुबीयग (बहुबीजक) प ११३४,३६ ३७ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५५,५८ से बहुबीया (बहुबीजक) प १३६ Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहुमज्झदेसभाग-बारवती बहमनदेसभाग (बहुमध्यदेशभाग) ज ११३७, ११७,११८,१३१,१६६,१७०,१७९,२३४,२४० ४१३५ सू १६६१६ से २४२,२४७,२४८,२५०:५१३२,३५ र २११ बहुमज्झदेसभाय (बहुमध्यदेशभाग) ज १२१०,१६, १३;१८.१,२०१७ ४०,४२,४३,३११,६७,१६१,१६३,१६४,१६७; बहुस्सुय (बहुश्रुत) उ ३६६,१५६,५१२६ ४।३,६,६,१२,३१,३३,४१,४७,४६,५७,५६, बाउच्चा (वाकुची) प १।३७१२ ६४,६८,७०,७६,८४,८८.६३,६८,११२,११८, बाण (वाण) ५११३८१२ वाण का फल ११६,१३६,१४१,१४३,१४५ से १४७,१५६, बाणउति (द्वानवति) म १११६१:१६११५१ १६८,१७७,२०७,२०८,२१३,२१८,२२१,२४२, बाणउय (द्वानवति) ज ११४८ २४८,२५०,२५२,२६६,२७२,५११३ बाणकुसुम (वाणकुसुम) प १७११२४ बहुमय (बहुमत) उ ३११२८ बाताल (द्वि चत्वारिंशत्) गु १३३१ बाय (बहक) प११४७१३,११४८।५४,३।३८ से १२०। बातालीस (द्विचत्वारिंशत) ग १६१:२११२ १२२ से १२४,१७४,१७६ से १८२,६१२३; बादर (बादर) प २.१,२,४,५.७,८,१०,११.१३, ८.५.७,६,११,९।१२,१६,२५,१०।३ से ५,२६ १४; ३७२ से १५,१११,१८३,४६२ से ६४, से २६१११७६,६०१५।१३,१६.२६,२८,३१, ६६,७०,७६.७७,८५ ८७,६२ से १४,६८३, ३३,६४,१७।५६ से ६६,७१ से ७६.७८ से १०२, १११६४१८१४१ से ४४,४६,४७,४६, ८३,१०६,१०७,१४४ से १४६,२०६४; ५०,५४,११७, २११४,५,२५.४०,४१ ५०; २१।१०४,१०५:२८:४१,४४,७०,३४१२५; २८।१४,१५,६०,६१ सू २०११ ३६।३५ से ४१,४८,४६ सू १८१३७ बादरआउक्काइय (बादरअप्कायिक) पश२१,२३ बहुल (बहुल) प २१४१ ज २।१२,६४,६५,७१, बादरकाय (बादरकाय) प ११२०१२ ८८,१३३,१३४,१३८,४।२७७,७।१२६ बादरणाम (बादरनामन्) प २३१३८,११६ बहुलपक्ख (बहुलपक्ष) ज ७११५,१२५ सू २०१३ बादरतेउक्काइय (बादरतेजस्कायिक) प १।२४,२६ बहुवत्तव (बहुवक्ता) प १३१४ बादरवणस्सइकाइय (बादरवनस्पतिकायिक) बह्वयण (बहुवचन) प ११५९६ प११३०,३२,३३,४७,४८ बहुविह (बहुविध) प २०६४।१७,१७३१३६ बादरवाउकाइय (बादरवायुकायिक) प ११२७,२६ ज ३१६,२२२ बादरसंपराय (बादरसंपराय) प १।११४ बहुसंघयण (बहुसंहनन) ज १२२२,२७,५० बायर (वादर) प ६१०२११।६५,६६।१,१८१५२; बहुसंठाण (बहुसंस्थान) ज श२२,२७,५० बहुसच्च (बहुसत्य) ज ७१२२।१ मू १०1८४१ २१।२३,२४,२६,२७ ज ७१४३ बायरसंपराय (बादरसम्पराय) ५११११२:२३३१६२ बहुसम (बहुसम) प २।४८ से ५१,६३,३३३६; १७११०७,१०६,१११ ज १११३,२१,२५,२६, बस्याल (द्वि चरिशत्) ज ४।८६,१०८ सू ३.१ बायालीस (द्विचत्वारिंशत् ) प २१६४ ज २६ २८,२६,३२,३३,३६,३७,३६,४०,४२,४६% २१७,१०,३८,५२,५६,५७,१२२,१२७,१४७, सू ३.१ उ ५ बायालीसदिह (द्विचत्वारिंशतविध) प २३।३८ १५०,१५६,१५६.१६१,१६४,३१८१,१६२, १६३,१६६,१६७,४२,३,८,६,११,१२,१६, बार (दादा) प १०।१४१३ ३२,४६,४७,४६,५०,५६,५८,५६,६३,६६,७०, बारबई (द्वारवती) उ ५।४,५,६,११,१६,३०,३३ ८२,८७,८८,१००,१०४,१०६,१११,११२, बारवती (द्वारवती) प ११६३.३ Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारस-बिइय बारस (द्वादशन् ) प ११७४ ज ११८ सू ३११ २४८,२५७,२५८,२५६,५१३५७७.६६,९० उ ५२४५ १७७।१,२,३ सू ११२६,२७:१८११,६ से १३ बारस (द्वादश) ज ७३११४।२ र १०1१२४१२ बाहा (बाहु) ज ११२३,४८,२११५,३।६६ से १०१, बारसग (द्वादशक) प २३२६८,१४०,१८३,१८४ ४।१,२६,५५,६२,८१,८६,६८,११५,१७२; बारसम (द्वादश) प १०११४.२ मू १०७७; ५।१४,१७,७१३१,३३,१६८११,१७८ सू ४।३, १२।१७,१३८ ४,६,७ उ ३३५० बाहाओ (बाहुतस्) सू४१३,४,६,७ बारसविह (द्वादशविध) प१:१३५, २११५५ बाहि (बहिस्) प २२० से २७,३० से ३६,४१ बारसाह (द्वादशाह) उ ११६३, ३३१२६ से ४३,३३२७ से २६ ज १२१२,३१,४।४६, बारसी (द्वादशी) ज७१२५ ११४,२३४,२४०,७१३१,३३,१६८।१सू ४१३, बाल (बाल) ज २१६५,३१२४,७।१७८ ४,६,७:१६।२२११५,१६ बालग (बालक) ज ११३७ बालचंद (बालचन्द्र) उ ३।२४ बाहिर (बाह्य) १ ११४८१४५; १।१०११६; बालदिवागर (वालदिवाकर) प १७४१२६ १५।५५३३।११ ज २२१२,४७.२१:५।३६% बालभाव (बालभाव) उ ३।१२७,१२८, ५१४३ ७।१० से १३.१६,१८.१६,२२,२५.२७ से बालब (बालक) ज २११३८,७।१२३ से १२६ ३०,३५,५५,५८,६६ से ७२,७५,७७,७८,८१, बालिदगोव (बालेन्द्रगोप) प १७:१२६ से ८४,६६,१२६।१,१७५ सु ११११,१२,१४, बालुया (वालुका) ज ४.१३ १६,१७,२१,२२.२४,२७ से ३१,२३३१२, बावट्ठ (द्वाषष्टि) ज ४१४७ ४।६; ६१,६१,२,१०७५;१३।१३ से १६; बावछि (द्विषष्टि) प २१४६७ सू १०।१३७ १६॥२२११२; १६२३,२६,२०१७ बावण्ण (द्विपञ्चाशत् ) ज १।१७ सू १।२१ बाहिरओ (बाह्यतस ) ज ३१२४११,१३१११; बावत्तर (द्वासप्तति) ज ४११० ७।१२६ बावत्तरि (द्वासप्तति) ५।३० ज २०६४ सू २।३; बाहिरपुक्खरद्ध (बाह्यपुष्करार्द्ध) सू १९१६ १६११:२११३ बाहिरय (बाहिरक, वाह्यक) । १।७५.८०,८१ बावीस (द्वाविंशति) प ४.१६ ज २१८१ च १४ ज ७५,१७,६४,७६,८८ २ १।१२ बाहिरिया (बाहिरिका) ज ३१५,७,१२,१७,२१, बावीसइम (द्वाविंशतितम) प १०३१४१५ २८,३४,४१,४६,५८,६६.७४,७७,१३५,१४७, बावीसग (द्वाविंशतितम) प १०।१४।४ १५१,१७७,१८४,१८८,२१६:४।१६;७।३१, बासीत (द्वयशीति) सु१।१२ ३३ सू ४३,४,६,७ उ १११६,४१,४२,१२४, ४.१२,५।१६ बाहल्ल (वाहल्य) प १७४;२।२१ से २७,३० से ३६,४१ से ४३,४६,४८,६४,१५,११,१५७, बाहिरिल्ल (बाह्य) प २१११० सू१८७ २२.३०,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६, बाहु (बाहु) ज ३।१२७,५१५ ६६.७०,७४ ज ११४३:२।१४१ से १४५; वि (द्वितीय) प १०।१४।४ से ६ सू॥२६ ४६,७,१२,१४,१५,२४,३६,६६,७४,६१, बि (द्वि) ज ४।६३,६५१४ सू १२६ ११४,११८,१२३,१२४,१२६ से १२८,१३२, बिइंदिय (द्वीन्द्रिय) प १७।६६ १३६,१४०,१४३,१४५,१४७.२१७,२४५, बिइय (द्वितीय) प २१३१,३६।८५ ज ३१३; सू १६ Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ बिइया-वेइंदिय ७१०७ उ २१२२,३१६४ बीयय (वीजक) प १३८१ बिजौरानीवु बिइया (द्विनीया) ज ७४११७,१२५ सू १०११४८, बीयरुइ (दीजरुचि) १ १११०१११,७ १५० बीयरुह (जीजरुह) प १।४८१३ बिइयादिवस (द्विनी दिवस) ज ७११६ बीय (वासा) (बीज र्षा) ज ५१५७ विदु (विन्दु) प ११०१७,१२६,२१२४ बीविटिय (वीजतन्तक) प ११५० ___ ज ३।१०६;७१३३।२ बीयाहार (वीजाहार) 3 ३५० बिंब (विम्ब) प २१३१,३२ बुक्कार (दे०) वुक्का ति ज ५।५७ बिबफल (बिम्बफल) प २।३१ ज ३१३५ बुज्झ (बुध) बुज्झइ प ३६८८ बुज्झति बिहणिज्ज (बंदणीय) ज २०१८ ६.११० ज ११२२,५०, २०५८,१२३,१२८% बिगुण (द्विगुण) ज २।४ । ४११०१ युज्झति प ३६१६१ बिडाल (विडाल) प ११६६ ज २६३६ बुज्झिहिइ उ १११४१,३८६,५१४३ बितिय (द्वितीय) १११४२,८८,१२११२,३८% बुझिहिति ज २१५१,१५७ बुज्झज्जा २२१३३,४१,३६१८७ ज ३१६५, ४११४२२३ प २०।१७,१८,२६,३४ सू १०७२,७७,८५,८७,१३।१,८,१४१३,७ बुज्झित्ता (बुवा) उ ५१४३ उ १२६३ बुद्ध (बुद्ध) प २६४।२१ ज २१८८,८६,३३२२५; बितियादिवस (द्वितीनदिवस) मू १०८५ ५।५,२१,४६,५८ बितियाराति (द्वितीयरात्रि) सू १०१८७ बुद्धंत (बुध्नान्स) सू २०१२ बिब्बोयण (दे०) ज ४।१३ बुद्धबोहिय (बुद्धबोधित) प १३१०५,१०७,१०८, बिभेलय (विभीनक) पश३५२ १२० बिराल (विंडल) ज २११३६ बुद्धबोहियसिद्ध (बुद्ध बोधितसिद्ध ) प १११२ बिल (विल) प २१४,१३,१६ से १६,२८ बुद्धि (बुद्धि) ज ३१३,३२,४१२६६।१३ ४।२।१ ज २१३४,१४६ बुध (बुध) सू २०१६ बिलतिया (क्लिपडितका) प २४,१३,१६ से। ‘बुय (ब्रू) वुयापि प ११।११,१६ १६,२८ ज ४१६०,११३ बुयमाण (ब्रुवाण) प १११११.१६ चिलवासि (विलवासिन्) ज २१३३ उ ३.५० बुह (बुध) प २१४८ सू २०।८।४ बिल्ल (बिल्ब) प ११३६११,१६५५१७१३२ ब (ब) वेमि सू १०।१७३ उ १६१४२२।१४; गु१०।१२० ३।१६२४४ बिल्लाराम (दे०) उ ३।४८,५५ बूर (दे०) २०१७ बिल्ली (चिल्ली) प ११३७१२ एकसण, वथुया बे (द्वि) प १२।३७ सू १३१६ बिल्ली (विल्पी) प११४४।१ बेइंदिय (द्वीन्द्रिय) प ११४६; २।१६:३७,४० से बीभच्छ (शीभत्स) उ ३।१३० ४२,४५,४६,१४४,१४५,१८३,४।६५ से १५ बीय (बीज) ११४५।२,११४८।१६,२६,५१,६३ ; ५१३,१६,२०,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७८% ३६१६४ ज२।१०,१३३,३२१६७।३ उ ३१५१, ६।२०,५४,६४,७१,८३,८६,१०२.१०४,११५; ९।४,२२,१११४५:१२।२७,१३।१७.१५।३० से बीय (द्वितीय) प १२।१२ भु १०७७ ३३,७५,८०,८६,१३७:१६।६,१३,१७१८०,६२, Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेदियस त १०३:१६/१५, २१:११०३२०१६,२३,२८,३२, ४७.२११६,२६,४२,०६.०२२३१:२३१०६. १५१.१५४ से १५७,१६३,१३६.१६७,१७५; २८/३७ से ४०,४२,१००, १०३. ११६, १२५, १३६,२६।११ से १३,२१३०११० से १२, २०,२१:३१।३;३६।३६,६२ बेइदियत्त ( द्वीन्द्रियत्व ) प १५३६७,१४२ बॅट्ठाइ ( वृन्तस्थायिन् ) ज ५७ दिय (डीन्द्रिय) प १११४, ४१ २०४२,४५,४९, १४६ : ५५७६७१ बेयासविह (द्वित्रिचत्वारिंशत्तविध) प १७/१३९ माहिय ( याहिक) २०४३ बेहिय ( याहिक) ज २२६ बोंड (दे०) प ११३७१ बोंदि (दे० ) प २१३०,३१,४१,४६,६४१२,३ ज ५।१८ बोद्धव्व (बोद्धव्य ) प १०।१४१२३४।१।२ ४।१५६०१,१६२०१.२०४५१,२१०११ ७११७२.१२०१,१३२।१,१६७ १. १७७१,२,१०६४ १०२६६,६६२०१६१६ उ १११७३।२।१,४१२१ atraa (बोद्धव्य ) प ११२०१४, ३३१,३५/२, ३६४२,३७१३,४२१२,४३१२,४०० ४०, १२६१११ : २१६४१६,७६६०१२१०१५३।१ ११४३७२ १७११।१२।१११ २०६७ बोर ( वदर ) प १६।५५; १७०१३२ बोल (दे० ) प २२४१ ज २१४२,१५,३२२,३६, ७६,६३,६९,१०६.१६३,१६०५।२६, ७१५५, १७८ सू १९।२३ उ १११३८ बोहग ( बोधक) ज ५४५,४६ बोहय ( बोधक) ज ३११८८५१२१ बोहि (योधि ) प २०११७,१८,२१,३४ बोह्रिदय (बोधिदव) ज ५४२१ यहि (बोधित) ज २०१५:३१३ भ / भइज्ज (भज् ) भइज्जति प २२०७४ मइति २२७३ £28 भइता ( भक्त्वा ) सू १२ १० से १२ भइत (भक्त) प २६४११६ भंग (भङ्ग १४६१० से २०१०१६ मे २ १४२२६ : १६१०,१५,२१:२२३२५,८४,८६ २४१५,८,१२,२६।४,६,६,१०,२८१११८ भंगुर ( भङ्गुर ) ज २।१५ भंगी (भृङ्गी ) प ११४८१५; १७।१३१ मंगी (भङ्गी ) प १२३४५ भंगीर (भृङ्गिरजम् ) प १७।१३१ भंड (भाण्ड ) ज ३१७२,१५०,४।१०७,१४० सू २०१४ उ १२३, १०५.१०६,११६.३४५०, ५५,६३,७०,७३, १२८ मंड (भाण्डक ) २५०,५५ भंडवेयालय (भाण्डवैचारिक) प १९६ भंडार (भाण्डकार ) प ११६७ मंडी (अण्टी ) प १३७।५ शिरीष का पेड़ भंत ( भदन्त ) प ११७४, ८४, २१ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ६४३३८ से १२०,१२२ से १२४,१७४, १७२ से १८३४११ से ४२.५२, २६ से १८,६५,७२,७१,०६,१५,१८,१०१. १०४,११३,१३१.१४०, १४९,१५८, १६५, १६० से १७१,१०४,१७७, १७८, १८०,१०१, १०२,२०७,२१०.२१३.२६४,२६७५१ से ७,६ से १२,१४,१६ से १८,२०,२३,२४,२७ से ३४,३६,३७,४०, ४१, ४४, ४५.४८,४६,५२, ५३, ५५,५६,५८,५६.६२,६३,६७,६८,७०,७१, ७७७८८२८३८५६६६००१,९२,९३, १६,६७,१००, १०१.१०२, १०४,१०६, १०७, ११०,१११, ११४,११५,११८,११६,१२३ से १२६,१३१,१३४,१३६,१३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १५०,१५३,१५४,१५६, १५७, १६२,१६३,१६५,११६,१६८, १६६,१७१. Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ००० भंत १७३,१८०,१६२,१६६,१६६,२०२,२०३, २१०,२१७,२२७,२२६,२३१,२३३,२३६, २३८,२४१,६।१ से २३,२७,४३ से ४५,४७ से ५५,५७,५८,६० से ६४,६७,६८,७०,७५, ७८,८० से ५२,८७,६०,६३,६४,६६,६६, १०१,१०३,१०५,११०,११४ से ११६,११८ से १२१,१२३,७४१ से ४,६ से ३०,८११ से ११,६११ से ४,६ से १६,१६ से २१,२५,२६; १०१ से १३,१५ से २४,२६ से ५३,१११ से ४४,४६ से ४८,६१ से ७३,७६ से ६०%; १२।१ से ५,७ से १३,१५,१६,२०,२१, २३,२७,३१ से ३३,१३३१ से ३१; १४.१ से ३,५,७,६,११ से १५,१७,१५१ से ३,७,८,११ से २८,३० से ३३,३६ से ४१,४३ से ५४.५६ से ७४,७६ से ८०,८३,८४,८६, ६१,६४ से ६७,१००,१०३ से १०६,१०६, ११४,११५,११७,११८ से १२०,१२३,१२६, १२६.१३२ से १३५,१४०,१४१, १६:१ से ३,१० से १३,१५,१७,१६ से २१,१७।१ से ६.८ से १६,१६ से २१,२४,२८,२६,३३,३६ से ४०,५१,५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८७, १० से १२,६४,६५,६९ से १०४,१०६ से ११६.११८ से १२०,१२२ से १३०,१३५ से १३७,१३६ से १५२,१५४ से १५७,१५६ से १६१,१६६,१६७,१६६ से १७२,१८१ से १०,१२ से ३७,३६,४१ से ४७,४६ से ५१, ५४ से ८२,८४ से ६०,६३ से १११,११३, ११४,११६ से १२०,१२२,१२३,१२५ से १२७,१६।१,२०११ से ३,६,७,६ से १५,१७ से २५,२७ से २६.३२ से ३४,३८ से ४०, ४५.४६ से ५१,६१ से ६४, २१११ से १५, १६ से २५,२८ से ३२,३६,३८,४० से ४२,४८,४६,५६ से ६६.६८ से ८१, ५३ से ६६,६८ मे १०१,१०३ से १०५; २२११ से १६,२१ से २३,२६,२७,२६,३०, ३२ से ५०,५२ से ६६,७६ से ७६,८१ से ८४,८६,८७,८६ से १४,६७ से ६६,१०१, २३.१ से ७,९,११,१३ से ४८,५७ से ६२, ८१,६०,१३४,१३५,१३७ से १४०,१५४, १५५,१५७,१६०,१६१,१६४,१६७,१७१, १७६,१७७,१६१ से १६६,१६८ से २०१; २४.१ से ५,८,११,१२,१४:२५।१,२, ४,५,२६।१ से ४,८,६,२७१ से ३,६; २८११,३ से ५,११ से १६,२१ से २५,२८ से ३१,३३ से ४२,४४,४५,४८ से ५०, ५१,५७ से ६०,६२ से ६५,६७ से ७१, १८,१०२,१०४,१०६ से १०८,१११ से १२०,१२२,१२३,१२५,१२७,१२८,१३२; २६१ से ३,५ से ७,६,१०,१२,१३,१६ से १६,३०१ से ३,५ से ११ १३,१५ से १७, १६,२१.२५ से २८, ३१११,३२११,२,४३३३१ से ३,५,६,१२ से १८,२०,२२,३५।१,२,४ से १३.१६ से १८,२०,२३,३६.१ से २२,३० से ४६,५३,५४,५८ से ६७,७०,७१,७३ से ८८,६२,६४ ज १७,१५ से १८,२० से २३, २६,२७,२६,३३ से ३५,४१,४५ से ५१:२१, ४,७,१४,१५,१७,४३,५२,५६,५७,५८,१२२, १२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६,१४७, १४८,१२०,१५१,१५६,१५७,१६१,१६४; ३३१,९८,४।१,२२,३४,४४,४५,४८,५१,५२, ५४.५५,५६.५७,६०,६२,७६ से ८२,८४ से ८६,९६ से १८,१०० से १०३,१०६ से ११०, ११३,११४,१४१,१४३.१५६ से १६७,१६६ से १७८,१८० से १८२,१८४,१८५,१८७, १८८,१६० से १६४,१६६,१६७,१६६ से २०३,२०५ से २०६,२११ से २१५,२२५, २२६,२३४,२३६,२३७,२३६ से २४१,२४४, २४५,२४६,२५१ से २५५,२५७,२६० से २७७,६।१,२,४,७ से २६७१ से४८,५०, ५२ से ७३,७६.७८ से १०७,१११ से १४५, १४७ से १५१,१५४ से १६७,१६६ से १७८, १८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संत-भट् २१३ १४,६,८,२१,२४,२५,१४१, १४३ २१, ३,१३,१५,३१,२,८,१६,१८,२०२३, २६.३० से ३२,३५ से ४१,४४,०६,८८, १३, ४,१२३ से १२५, १५२, १५४, १६४, १६५. १६७४११.३.१४,२६,५११, ३,२०,२२,२३, ३२,४०,४३ अंतसंमंत ( प्रान्त सम्भ्रान्त ) ज ५।५७ मंभा (दे० ) ज ३१३१ मंभानूय (भंभभूत) ज २।१३१,१२९ मक्वेय ( भक्ष्य ) उ ३३३७ से ४२ मग (भग) ज ७ । १३०,१३३,१८६४ सु १०/३५ भगंदर ( भगंदर ) ज २१४३ भगदेवया ( भगदेवता ) सू २०६३ भगव ( भगवत् ) प १११।३३६।०१ ज ११५,६६ २१६८, ७०,७२,६०,६३,६५,६६,१०१ से १०३,११२, ११४; ५१३,५,७ से १४,२१,२२. २६,४४,४६,१८,६०,६२,६४,६७ से ७०,७२ से ७४; ७।२१४ चं १० १५ २०६६ उ ११२,४ से ८,१६,१७,१६ से २६,१४२, १४३२१ से ३,१० से १२,१४,१५,२१,३०१ से ३,७,८,११,२०,२२,२३,२६,८७,८८, १०, १२.१५३, १५४,१५६,१६१.१९६६,१६७,१७० ४१ से २,२७५।१ से २,४४ भगवंत ( भगवत् ) प २६४ ज २२६६,७१, ८३ ५।१.२११।१७ भगवती ( भगवती ) सू २०१६ | १ भगसंख्यि (भगसंस्थित) सू २०१३५ भगिणी ( भगिनी) ज २।२७,६६ १०।१०० भाग ( भग्न ) प १२४८।१० से २९ उ ३३१३१,१३४ भग्गवेस ( भाग वेश) ज ७।१२।२ भज्जमाण ( भज्यमान) प ११४८३८ मज्जा ( भार्या) ज २०२७,६९११२१४५; २१५,१७ मज्जिय (भजित ) उ ११२४,४६,७४ मट्टित (भर्तृत्व) ए २१३०,३१,४१,४१ ज १०४५ ३१८५२०१,२२१५।१६ ५।१० १००१ भट्टिवार (भर्तृदारक) १११०१५, २० भट्ठर ( भ्रष्टरजस्) ज ५७ भड (दे०) ज २११३१ भड (भट) ज ३०१७,२१,२२,३६,७८, १७७ भडग (भटक) प ११८१ भण ( भण्) भणइ उ ३३६६ भणति प १७८ भणित ( भणित) प १२४८१२४७१६६२२४०६ ३११८२५१२४४; ६५६,६६, ८३, ८६, ६२, १००;१५।५५ २१।७७ सू १०११४८; २०१७ भणितव ( भणितव्य ) सू ८११; १० १४८, १५०; १५४६ मणिय ( भणित ) प १२४८१५२२१२७३,४७ ६४ ४.६,८५।१५२११८० १२।१२.१५, २१:१५११८,३०,१४० १६।१८ १७७ ९७; २०१२६.३५ २१७६.९४; २२/५४; २३।१००, १०८, १५६, १७, १८१,१८५, १६०,२४४८, ६; २१।१५;३६।२०,२४,४६ ज २२४१३, २०१५ ३।१०६,१३८; १६७।३,४,४।२०० चं ४ | ३ सू ११८ ३ १० १५० १६।२२१,२ भण्ण ( भण्) भण्णइ प ५१२२६ ज ७।१४६ भण्णंति प ५। २०५ भण्णति प ५।२०५,२११; ३६६६ भक्त (भक्त) ज २२६५,७१८८३१२२५३२/१२ ३११४,१२०, १५०,१६१,१६९ ५२८,३६,४१, ४३ भत्तपाण (भक्तपान ) ज ३।१०३,२२४ भत्तसाला ( भक्तशाला ) ज ३१३२ भक्ति ( भक्ति ) ज ३।१६७/६ भत्तिचित्त ( भक्तिचित्र) २०४८१२७ २१०१३०३१,१२,४६.८५१०१११७, १४५,२२२:४१२७, ४९, ५११६, २८, ३२, ३४, ५६ १८ १९ २२१, २ भतिय' (दे० ) प १।४२।१ भद्द (भद्र ) प २।३१ ज २६४.०१:३२.१२,५६, ८८, ११७,१३०, १८५, २०६४/४६ ५।२५ १. वनस्पति कोष में भूतीक शब्द मिलता है । Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ ७१११८ उ २१२; ३१६६ से १८,१००,१०१ ७५,८३,१००,१२०,१३१ से १३४१८१७ १०६ से ११२ भरह (भरत) प १३८८,१६।३०,१७११६० भङ्ग (भद्रक) ज २०१६ ज १११८ से २०,२३,४६,४७,५१, २७ से भद्दमुत्था (भद्रमुस्ता) ज १:४८६६ १५,२१ मे ४५,५०,५२,५६,५७,५८,६०,१२२, भद्दय (भद्रक) ज ३।१०६ उ ५१४०,४१ १२३,१२७,१२८,१३१,१३२,१३३,१३६, भद्दवत (भाद्रपद) सू१०।१२४ १४१ से १४७,१५०,१५६,१५७,१५६,१६१, भद्दवय (भाद्रपद) ज ७१०४,११३११,११४ १६४,३।१ से १३,१५,१७,१६ से २३, सू १०।१२६ उ ३१४० २५ मे ३४,३६ से ४२,४४ से ५०,५२ से ५६, भट्टसालवण (भद्रशालवन) ज ४१६४,२१४,२१५, ६१ से ६७,६६,७७,८३,८४,६० से १४,६६, २१६,२२०,२२१,२२५,२२६,२३४,२६२ ६६,१००,१०१,१०३,१०६ से १०६,११५ से भद्दसेण (भद्रसेन ) ज ५१५२ १२६,१३१ से १३५।१,१३७,१३८,१३६,१४१ भद्दा (भद्रा) ज ५।१०।१५।६८,७।११८ सू १०२, से १४८,१५० से १५४,१५७,१५८.१६०, १६३ से १७०,१७३.१७५,१७७.१७८,१७६, भद्दासण (भद्रासन) ज ३१३,५६,१७८,४/२८, १८१ से १६२,१६८,१६६,२०१,२०२,२०४ ११२:५।३६,४२ से २२६,४।१,४८,५३,१०२,१७२,१७४,१७७, भद्दिलपुर (भद्दिलपुर) प ११६३३३ २७७,५१५५,६७,६,१२,१६ भमंत (भ्रमत, भ्रम्यत्) ज ४।३,२५ भरहकूड (भरतकूट) ज ४।४४,४८ भमर (भ्रमर) प ११५१,१७४१२३ ज २।१२;३१२४ भरहवास (भरतवर्ष) ज २।१५,४।३५ भमराक्ली (भमरावली) ११७११२३ भरहवासपढमवति (भरतवर्षप्रथमपति) भमास (दे०) ५११४१११,११४८।४६ ज ३११२६१२ भय (भय) ५ ११११,२१२० से २७:१११३४।१; भरहाहिब (भरताधिप) ज ३।१८,८१,६३,१२१११, २३१३६,७७,१४५ ज २१६६,७०,३१६२,१११, १३५॥२,१६७।१४,१८०,२२१ ११६,१२१११,१२५,१२७ उ १८६३।११२, भरिय (भत) ज २६३३१७८ १५६४।१६ भरिलो (भरिली) प ११५१ भयंकर (भयङ्कर) ज २१३१ भरु (भरु) प १८६ भयग (भूतक) ज २।२६ भरेत्ता (भृत्वा) उ ३३५१ भयणा (भजना) प ११४८५० भल्लाय (भल्लात) प ११३५१२ भणिस्सिया (भयनिश्रिता) प १११३४ भल्ली (भल्ली) ५११४०१४ भयभेरव (भयभैरव) ज २६४ भव (भव) प २१६४।५,६; ३१११२१०१५३११; भयव (भगवत्) प १।१।२ ज २१६०,५१३,१४, १८।११२,१८१६५; २३।१३ से २३ ज ३।२४, १६,१७,२१,६६ भयसण्णा (भयसंज्ञा) प ८.१,२,४,५,७,६,११ भव (भवत्) ३ ३.४३ भिर (भृ) भरेइ उ ३१५१ भिव (भू) भवइ ज ११४.४% २१६६ सू १:१३ भरणी (भरणी) ज ७१११३११,१२८,१२६,१३४१२, उ ११२० भदउ ज २१६४,१५७ भवंति १३५१२,१३६,१४०,१४४,१४६,१५६, प११४६ से ५१,६०,८०,८१,५१४३:१६११५; १७५ सू१०११ से६,११,२३,३५,६२,६६, २११८४:२३११५२,३६।२०,८२,६३ Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'भवंत-भाणितव्य '००३ ज ४.१५१११ सू ३११ उ १५१४१,३।५० भवधारणिज्ज (भवधारणीय) प १५१८,१६; भवति ५१४।५ २८,३२,६६,६४७१३; • २११५८,५६,६१,६२.६५ से ६७,७०,७१ १५५८११,३६।११ ज ११२६ सू श१३ भवपच्चइय (मवप्रत्ययिक) ३३१ भवतु ज २१६४ भवह उ १६४२ भविस्सइ भवसिद्धिय (भवसिद्धिक) प ३११३,१८३; ज ११४७,१२७, २०७१,१३१ उ ११४१,५१४३ १८/१२२,२८।१११,११२ भविरसंति ज २११३३ भवे प ११४८३० से भवित्ता (भूत्वा) प २०११७ ज २१६५ उ ३.१३ ३८ ज २१६ सू १६११:५१३,१५.१,४, ४११४:५॥३२ १६॥२२॥१३,१५,२११४,५ भवेज्जा उ ३.८१ भविय (भविक) प ११२,२८1१०६।१ भवंत (भवत् ) ज ३१२४६१,२,१३१३१,२ भविय (भव्य) ज ५।५८ उ ३१४३,४४ भवक्खय (भवक्षय) प २१६४।१० उ ३३१८,१२५, भवोवग्गह (भवोपग्रह) प ३६१८३११ १५२,४।२६:५।३०,४३ भवोववायगति (भवोपघातगति) प १६१२४,३१, भवचरिम (भवचरम) प १०॥३६,३७ ३२ भवण (भवन) प २।१,४,१०,१३,३० से ४०, भन्द (भव्य) प १६१५५; १७१३२ कमरख, ४०३,४,२१४२,४३,१११२५ ज १।३१,५१; करेला २।१५,२०,६५,१२०, ३१३,२५,२६,३२१२, भवपुरा (भव्यपुरा) ज ३११६७७ ३८,३६,४६,४७,५१,५२,१०३,१४०,१४१, भसोल (दे०) ज ५१५७ १८३,१८६,२०४:४।६,१०,११,३३,४१,७०, भाइणज्ज (भागिनेय) उ ३३१२८ ६०,६३,१४७,१५३,१५६,१७४,१८२,२३८, भाइयत्व (भेतव्य) ज ५१५,७ से १०,१२,१३,४६ २४३,५१,५ से ७,१७,४४,६७,७० उश३३ भाइल्लय (दे०) ज २२२६ भवणपति (भवनपति) ज ३.१८६,२०४ भाग (भाग) प २११०,११:२३।१६०,१६४,१६७,. भवणपत्थड (भवन प्रस्तट) प २११ १७५, २८५४०,४३,६६ ज २१६४ च ५११ सू१११६,२४.२६,२७,२६,३०२।१३,३३२ भवणवइ (भवनपति) प १६।२६,२०१५४ ज २६५, ४१४,५,७,१०,६.१,६।३:१०।२,१३३,१३५, ९६ १०० से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से १३८ से १४२,१४४ से १६३,१११२ से ६; ११६,१२०४।२४८,२५०,२५१:५१४७,५६, १२।२,३.६ से ६,१२.१३,१६ से २८,३०; ६७,७२ से ७४ १३.१,३,४,७ से १२,१४ से १७१४१३,७; भवणवति (भवनपति) प६१०६,३४११६,१८ १५।२ से २०,२२ से २६३१,३२,३४,१८१६, भवणवासि (भवनवासिन्) प १।१३०,१३१,२१३०, १०,२५,२६,१६॥२२॥१६,२०१३ ३०११,२।३२, ३।२६,१३३,१८३,४।३१ से भागसय (भागशत) ज ७८१,८४,६८,६६,१०० ३३,६५८५१७।५१,७४,७६,७७,८१,८३; भागसहस्स (भागसहस्र) ज ७१८१,६५,६६ २०१६१:२११५५,६१,७० ज २१६४; ५।५२ भाणितब्व (भणितव्य) प २।३२,४०,४२,५०; सू२०१७ ३.१८२,४।६८,५१२२.३६,४३,६१,७६,६६, भवणवासिणी (भवनवासिनी) १३.१३४,१८३; १०६,११७,१२२.१५२,२०६,२२६,२४४; ४१३४ से ३६:१७५.१,७५,७६,८२,८३ ६:४६,५६.६६,८१,८३,८६,८६,६२,९५, भवणावास (भवनावास) प २१३० से ३६ १००.१०२.१०३ १०७,१०८,१०११४,१६।२० भवत्थकेवलि (नवस्थकेवलिन् ) प १८१६६,१०१ सू१२१४,२२,२५ Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४ भाणिय-भावेमाण ५१२४ भाणिय (भणित) ज ३१२४,१३१ भायण (भाजन) ज ३।३२ उ ११४६ भाणियव्य (भणितव्य) प १४३,४५,४७,६२; भारंडपक्खि (भारण्डपक्षिन) प १७८ ५।६१,११७,१२०,२०५,६६६१,१२३,६३४; भारग्गस (भाराग्रशस्) ज २११०६,११० १०१२८११:४१,४६,८३,८५,१२१८ से १३. भारद्दाय (भारद्वाज) ज ७.१३२२ सू १०।१०३ १५ से १७,२१,२५,१५।३०,५६,६२,८४, भारह (भारत) ज २३४,३५,२।१३।१३५२२ १०२,१०३,१२१,१३४,१३८,१४०।१६।१८, सू११८,१६,४१३ उ १२६,३२१२५,१५७; २१,३२,१७७,२८,२६,३३,३५,६५,७०,७७, ८६,६७,१०२,१०३,१०५,१४६,१४८,१६५, भारहग (भारतक) ज ४१२५० १६७,२०१२५,२६,२११३५,४३,७७,८०,९४; भारहय (भारतक) सू ११६ २२२०,२५,२८,३३,३५,४१,४५,५४,५८, मारियत्त (भार्यत्व) उ ३११२८ ५३,८४,८६२३३१००,१०८,१५२,१५६, भारिया (भार्या) ज २१६३ सू २०१७ उ ३६७, १६०,१६४,१६७,१७५,१७६,१६०,१६१; ११२,१२८,४१८ भाव (भाव) प १३१२,१०१॥३,४,६,२१६४।१३; ५,२८।१०,२५,५६,८७,१०२,१४५:२६।१५, १११३३।१ ज २२६६,७१ उ ३१४३,४४ ३४।२१,३६।२०,२४,२६ से ३०,३२,३४,४६, भावओ (भावनस्) प १११४८,५२,५३,५५; ४७,६५ ज १५१६,२३,२६,४४,४६,२१७, २८।५,६,६,५१,५२,५५,३५४४,५ ज २१६६ ७२,६३,३।१२६,१५५,१७१४१३,४,२५,३१, भावकेउ (भावकेतु) ज ७१८६ भावकेतु (भावकेतु) उ २०१८,२०1८18 ३६,४१,५२,५७,७०,७६,८२,८४,६०,६३, भावचरिम (भादचरम) प १०।४४,४५५३११ १०६,११०,११२,११६,११८,१२८,१६५, १७५,१७७,१८४,१६३,१६६,२०१,२०२, भावणा (भावना) ज २१७१ २०४,२०८,२१२,२१५,२१७,२२० से भावणागम' (भावनागम) ज २१७२ २२२,२२६,२३७,२४०,२४८,२४६.२६२, भावतो (भावतस्) प ११:५७,५६ २६५,२७१,५३,७,१३,३२,४६,५५,५६६५; भावरुई (भावरुचि) प ११०१११८ ६१३;७।१८६ सू ४।६१८११,१५१११; भावसच्च (भावसत्य) ज १११३३ २०१६ उ १११४७,१४८;२।२२:४१२८; भाविअप्प (भावितात्मन् ) प १५१४३ ५।१७,२५ भाविदिय (भावेन्द्रिय) प १५४५८१२,१५७६,१३३ भाणी (दे०) प ११४६,११४८१६२ से १३५,१४०,१४१,१४३ भाय (भाज) भाएंति ज ५।५७ मावित्ता (भावयित्वा) उ ३।१६१ भाय (भाग) ज ११८,४८,३११,१३५४१,४१, भाविय (भावित) प १७1८८ २३,३८,५५,६२,६५,८१,८६,९१,९८,१०३, भावियप्प (भावितात्मन्) प ३६७६ ज ७/१२२१२ १०८,११०,१४१,१६७,१७८,२००,२०५,२०७, सू१०।८४१२ २१२,२१४,२४०,७७,९,१०,१२,१३,१५, भावेमाण (भावयत्) ज १५,२१७१,८३ उ ११२, १६,१८ से २५,३१,३३,५४,६५,६६.६८,६६, ३;२११०३३१४,२६,८३,६६,१३२,१४४,१५०% ७१,७२,७६,१३४,१७७३१,२ उ १६६६,६४ ४१२४; ५२६,२८,३२,३६,४३ भाय (भ्रातृ) ज २।२७.६६ उ ११९५ १. आयारचला पञ्चदशाध्ययनानुसारी Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भावेयव-मुज्जो भावयन्व ( भावयितव्य ) प २२।४५ / भास (भाष ) भासइ ज ७।२१४ उ १६८ भासंति प ११।४३ से ४६ भासती प ११३०१, २ भासिति प ११६८ भास ( भस्मन् ) सु २०१६,२०६६ भात ( भाषमाण ) प ११३८६ भाग ( भापक) १८ मा २ भासज्जात ( भाषाजात ) प ११।४२ भासज्जाय ( भाषाजात ) प १११८८८ भारत ( भाषात्व ) प ११।४७,७० से ७२,८० से ८५ भासमणपज्जति ( भाषामनः पर्याप्ति) उ३।१५,८४ १२१;४।२४ भासमाण ( भाषमाण ) प १६१८६ भासय ( भाषक ) प १८ । १०४ भासरासि ( भस्मराशि ) प २१५०, ५६, ६० सू २०१८ भाससिप्पन ( भस्मराशिप्रभ ) प २२५४,५८ भासरा सिवण्णाभ ( भस्मराशिवर्णाभ) सू २०१२ मासा ( भाषा) प ११११५, ११६८२।३१; १०५३।१११।१ से १०,२६ से ३०, ३०११, २,११।३१ से ३७,३७ १,२,११।४३ से ४६, ८२, ८३,८७,८६ २८ ।१४२, १४४, १४५ ज ३७७,१०९ भासाचरिम (भाषाचरम ) प १०३८,३९ भासारिय ( भाषा) प १६२,६८ भासासमिय ( भाषासमित) ज २२६८ उ ३१६६ मासुर ( भासुर ) प २३०,३१,४१,४६ ज ५१७, १८ भिउडि (भृकुटि ) ज ३३२६,३६,४७,१३३ उ १।२२,११५,११७,१४० भिंग (भृङ्ग) प १७११२४ feafter (भृङ्गनिभा ) ज ४१२२३३१ भिगपत्त (भृङ्गपत्र ) प १७ । १२४ भिंगमा ( भृङ्गप्रभा) ज ४११५५।२ मंगा (भृङ्गा) ज ४११५५/२,२२३११ ज ३।३१,१७८ भिखारिया (भिक्षाचर्या) उ ३११००,१३३ ३०१/२१०८ ११३८ से ४१; भिज्जमाण ( भिद्यमान) प ११/७२ भिण्ण (भिन्न ) प ११।७२ सू २०१२ fefaesa ( भित्तिकटक) ज ३२६७ भित्तुं ( भेत्तुम् ) ज २६१ मिमिमाण ( बाभाष्यमाण) ज ४।२७५।२८ मिस (विस) प ११४६, ११४८१४२ ज २।१७; ४३,२५ भिंगार (भृङ्गार ) प ११।२५ ज ३१३,११,१७८; ५१६,४३,५५ भिंगारग (भृङ्गारक) ज २९१२ fभfडमाल (भिण्डिमाल, भिन्दिपाल ) १००५ भिसंत (दे० भासमान ) ज ३११७८७ १७८ मिसकंद (विषकंद ) प १७/१३५ भिसमाण (दे० ) ज ४।२७५।२८ भीत भीत ) प २२० से २७ मीम (भीम) प २।२० से २७,४५,४५ । १ उ १।१३६ भीय (भीत) ज २६० : ३।१११,१२५ ३ ११८६; ३।११२४|१६ √ मुंज (भुज् ) भुंजइ ज ३ ३ भुंजए ज ४। १७७ भुंजाहि उ ३३१०७ मुंजमाण (भुञ्जान ) प २३० से ३२,४१,४६ ज १।३३, ४५; २६१, १२० १ ३८२,१७१, १८५, १८७,२०६,२१८ ४ ११३ ; ५ १,१६; ७।५५,५८,१८४, १८५ १८।२२,२३; १६२६ उ ३६०,६८,१०१, १०६, १२६ से १३१,१३४;५।२५ V मुंजाव (भोजय्) भुजावेइ उ ३१११४ कंड (दे०) भुकंडेति ज ३१२११ मुक्खा (दे० वुभुक्षा) उ १।३५ से ३७,४० भुजंग (भुजङ्ग) ज २।१५ भुज्जो (भूयस् ) प १६४६; १७ ११५ से १२२, १५४; २८ । २४ से २६,३६,४२,४५,४६,७१, ७४३४१२०, २२ से २४ ज ३।१२६७/२१४ Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भुत्त (भुक्त) ज २१७१३१८२ सू २०१७ उ ४११६ भुत्तभोइ (भुक्तभोगिन् ) उ ३.१०७,१३६ भुमगा (भू) ज २।१५ भुयग (भुजग) प २२४६ चं ११२ भुयगवड़ (भुजगपति) प २१४१ भयपरिसप्प (भजपरिसप) १६७,७६,४११४० से १४८,६७१.७५ २०१४,१६,३५,४६,६० भुयमोयग (भुजमोचक) १ १२००३ भुयय (भुजग) प २११४७.१ भुयस्वख (भूतवृक्ष) प ११४३।२ भुया (भुजा) प २१३०,३१,४१,४६ ज २१,५८, उ ३६२ भुस (बुश) ५ १६४२११ भू (भू) मू २।१ भूत (भूत) प॥६४ सू१९३८ भूतिकम्म (भूतिकमन्) ज ५११६ भूतोद (भूतोद) सू १६३८ भूमि (भूमि) प ११७४ ज १।२६ भूमिगय (भूमिगत) ज ३।१०५ भूमिचवेडा (भूमिचपेटा) ज ५१७ भूमितल (भूमितल) ज ५१५ भूमिभाग (भूमिभाग) प २।४८ से ५१,६३; १७११०७,१०६,१११ ज १३१३,२१,२५,२६, २८,२६,३२,३३,३६,२७,३६,४०,४२,४६; २१७,१०,३८,५.२,५६,५७,१२२,१२७,१४१, १४.७,१५०,१५६,१५६,१६१,१६४ ; ३१८१, १६२,१६३,१६६,१६७,४१२,३,८,९,११,१२, १६,३२,४६,४७,४६,५०,५६.५८,५६,६३,६६, ७०,८२,८७,८८,९३,१००,१०४,१०६,१११, ११२,११७,११८,११६,१२२,१२३,१३१, १६६,१७०,१७६,२१७,२३४,२४० से २४२, २४७,२४८,२५०,५१३२,३३,३५,७३३ सू २।१६।३।१८।१:२०१७ भूमिया (भूमिका) ज ३१३२ भूमी (भूमि) ज ११२।१३२,१४२,१४३,४।११६ भूय (भूत) प १११३२,२१४१,४५,६४,१५१५५:३; ३६.६२,७७ उ २।१०,३१,१३१,३११,६,२२, ३६,७८,८०,८१,६२,६३,६५,६६,११६,१२१, १५१,१५६,१०,१६३,१८०,२२२७४२१२ उ ११३८,३१४३.४४,४६,५१४ भूय (भूयर) ज ३१ भूयग्गह (भूतग्रह) ज २१४३ भूयणय (भूतृणक) प ११४४१३ भूयस्थ (भूतार्थ) प ११०१२ भूयवाइय (भूतादिक) १ २१४१,२।४७११ भूया (भूता) र ४४६,११ से १६,१८ से २४ भूयाणंद (भूतानंद) प २१३४,३६,४०।७ भूसण (भूपण) प २३०,३१,४१ ज ३८१,१८८; ७१७८ भूसणधर (भूपरणधर) ज ३।६,२२१,५।२१ भूसिय (भूषित) ज ३१३०,३५,१७८ भे (भोस् ) उ ३।३८,४०,४२,४४ भेद (भेद) प १४८१३८,६८३;११।७४,७६ से ७८%3; १५१५३,२१११६,४०,४३,४४,५२,५५,७६,७७, ६४,२२२०३३१११ भेदल (भेदक) ज ३११०६ भेदपरिणाम (भेदपरिणाम) प १३३२१,२५ भेय (भेद) प १११७२,७३,७५,१६।३२,२११७७ उ ११३१ भेयघाय (भेदघात) चं ४।१,३ सू श८।१,३, २२ भेयपरिणाम (भदपरिणाम) प १३१२५ भेरि (भरि) ज ३।१२,७८,१८०,२०० भेरी (भरी) उ१५ से १७ भेरुतालवण (भेरुतालवन) ज २१६ भेसज्ज (भैषज्य) उ ३३१०१ भेसण (भीषण) ज २।१३३ भो (भोस्) ज २१६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, १११,११४:३।७,१२,२६,३६,४७,४६,५२, ५६,६१,६६,८३,६१,६६,११३,११५,१२२, १२४,१२७,१२८,१३३,१४१,१४७,१५१, १५४,१६८,१७०,१७५,१८०,१६६,२०७, Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भोग-मंजसा १००७ : २१२:५१३,१४,२२,२६,५४,६८,६६,७२ २२१,२२२:५११८,२१ उ २१७,१२३,१३१:४।१६:५।१५,१८ मउय (मृदुक) प २४ से ६३.१८२,५।५७,२०६; भोग (भोग) प १६५ ज २१६५;३1३ भू १८१२२, १५।१५,१६,२७,२८,३२,३३,२८१२६,३२,६६ २३:१६।२६ उ ११२७,६३,१४०:३६८,१०१, ज२।१५३१३५५,७,१७८ १०६,१०७,१२६ से १३११३४,१३६ मउल (मुकुट) प २१४१ भोगकरा (भोगङ्करा) ज ४।१०६,५५११ मउल (मुकुल) ज २।१५,३३१७८,७१७८ भोगतराय (भोगान्तराय) प २३।२३ मउलि (मुकुलिन्) प ११६६.७१ भोगस्थिय (भोगाथिक) ज ३११८५ मउलि (मौलि) प २१३०,३१,४१,४६' भोगभोग (भोपभोग) ५ २।३०,३१,४१,४६ मउलिय (मुकुलित) ज ३१६; ५।२१ ज २६१,१२०:३११७१,१८५,२०६५.१,१६; मंकुणहत्थि (मत्कुणहस्तिन् ) प १६५ ७।५५,५८,१८४,१८५ मंख (मङ्ख) ज २१६४,३३१८५ भोगमालिणी (भोगमालिनी) ज ४।१६४:५११११ मंगल (मंगल) ज २१६७,३१६,१२,१८,७७,८२, भोगवइया (भोग तिका) प ११९८ ८५,८८,६३,१२५,१२६,१८०,२२२:५१५,४६ भोगवई (भोवती) ज ४।१०६:५।।१७।१२१ सू१८१२३,२०1७ उ १२१७,१६७०.१२१, सू १०१६१ ३१११०:५।१७,३६ भोगविस (भोगविष) प १७० मंगलग (मंगलक) ज ३११७८,४।१५८,५१५८ भोच्चा (भुक्त्वा) सू १०।१२० उ ५११६ भोत्तूण (भुक्त्वा ) प २१६४।१६ मंगलावई (मंगलावती) ज ४।१६१,२०२।२,२०३ भोम (भौम) ज ७४१२२१३ गु १०१८४१३ मंगलावईफूड (मंगलावतीकूट) ज ४।२०४११ भोमेज्ज (भौमेय) प २।४१,४३ ज ३१२०६; मंगलावत्त (मंगलावर्त) ज ४।१६३.१६५ मंगलावत्तकूड (मङ्गलावतंकूट) ज ४११६२ भोमेज्जग (भौमयक) परा४१,४३,४६ मंगल्ल (गांगल्य) ज २६४,३१८५,१८५,२०६; भोमेज्जा (भौमेयक) प २२४१,४२ ५।५८ उ ११४१,४४ भोयण (भोजन) पश६४।१६ ज २०१८ च ५।३ मंगुस (दे०) ११७६ सू ११९१३१०।१२०,२०१७ उ ३१११०,११४ मंच (मऊ) सू १२२६ भोयण जाय (भोजनजात) ज २११८ मंचाइमंच (ञ्चातिमञ्च) ज ३७,१८४ भोयणभंडर (भाजनमण्डप) ज ३१२८,४१,४६, मंचातिमंच (मञ्चातिमञ्च) सू ११२६ ५८,६६,७४,१३६१४७,१४६,१८७,२१८ मंजरिका (मञ्जरिका) ज ५१७२,७३ मंजिठ्ठावण्णाभ (मञ्जिष्ठावर्णाभ) सू २०१२ मइ (मति) ज ३।३२ मंजु (मञ्जु) ज २१६५; ३.१८६,२०४ मइअण्णाणि (मत्य ज्ञानिन् ) प ३।१०२,१०३; मंजुघोसा (मंजुघोषा) ज १५२,५३ १८८३२८।१३७ मंजुपाउयार (मजुपादुकाकार) प ११६७ मइल (दे० गलिन) ज २।१३१ उ ३३१३० मंजुल (मजुल) उ ३।१८ मउड (मुकुट) प २१३०,४८ से ५०,५.१८ मंजुस्सर (मंजुम्वर) ज ५।५२,५३ ज ३।३,६,६,१८,२६,३१,४७,६३,१८०,२११, मंजूसा (मञ्जूषा) ज ३।१६७,४१२००।१ Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८ मंडण-मगदंतिया मंडण (मण्डन) ज ३११०६ मंद (मन्द) ज २१६५:५१३८,५७,७१५८ सू २१३; मंडल (मण्डल) ज ३।३०,३५,६५,६६,१०६,१५६, १८१८ १६०२७।२,१०,१३,१६,१६ से ३१,३५,५५, मंदकुमारय (मन्दकुमारक) प १११११ से १५ ५६,७२,७५,७८ से ८४,६५,६६,९८,६६, मंदकुमारिया (मन्दकुमारिका) प ११।११ से १५ १००,१०४,१२६१ च ११,३१२९ ११६३१मंदगइ (मन्दगति) चं ४२ सू शका२ १७।२,१३११,१२,१४,१८ से २५,२७,२११ ।। मंदर (मन्दर) ५२१३२,३३,३५,३६,४३,४४,५०, से ३,३१२,४१४,७,६६।१६।२१०७५, ५११५॥५५१३:१६६३० ज १११६,२६,४६,५१; १३८ से १५१,१७३।१२।३०:१३१४,५,१३; २६८,३२,४१६४,१०३,१०६,१०८,११४, १५।२ से ४,१४ से ३६,१६।२२११० से १२, १४३,१६०.१६२,१६३,२०३,२०५,२०८, १६०२३ २०६,२१२ से २१६,२१६ से २२२,२२५, मंडलगइ (मण्डलगति) प २।४८ २३३ से २३५.२३७ से २४१,२५३.२५४, मंडलम्ग (मण्डलान) ज ३३५ २५७,२५६,२६०।१,२६१,२६२,५०४७ से ५०, मंडलपति (मण्डलपति) ज ३।८१ ५.३;६।१०,२३,२४,७३८ से १३,३१,३३,६७ मंडलरोग (मण्डल रोग) ज २०४३ से ७२,६१,६२,१६८।१,१७१ सू ४।४,७; मंडलवत (मण्डलवत्) सू ११२५ से ३१ ५११७१८११,१८१५ उ ११०,२६.६६ मंडलसंठिति (मण्डलसंस्थिति) सू ११२५ मंदरकूड (मन्दरकूट) ज ४१२३६,६१११ मंडलि (मण्डलिन् ) प १७१ मंदरचूलिया (मन्दरचूलिका) ज ४।२४१,२४२, मंडलिय (माण्डलिक) प १।७४,२०११ २४३,२४५,२४६,२५१,२५२ मंडलियत्त (मण्डलिकत्व) प २०५७ मंदरपब्वय (मन्दरपर्वत) प १६।३० सू ४।४,७ मंडलियराय (माण्डलिकराज) ज ३१२२५ मंदलेस (मन्दलेश्य) सू १९२२१३०,१९२६ मंडलियावाय (मण्डलिकावात) प १२६ मंदायवलेस (मन्दातपलेश्य) ज ७५८ सू १६।२६ मंडव (मण्डप) ज ३१८१५१३५ मंदिर (मन्दिर) सू ७१ मंडवग (मण्डपक) ज १११३,२३१२ मंस (मांस) प ११४८/४६२।२० से २७ मंडव्वायण (माण्डव्यायन) ज ७।१३२।३ सू१०।१२० उ११३४,४०,४३ से ४६,४८, मू १०।१०७ ४६,५१,५४,७४,७६,७६ मंडित (मण्डित) प २१३१ ज ३।१८४ मंसकच्छभ (मांसकच्छप) प ११५७ मंडिय (मण्डित) प २।३१ ज ३१७,१८,३१,१८०; मंसल (मांसल) ज २११५;७।१७८ ५।२१,३८ मंसाहार (मांसाहार) ज २११३५ से १३७ मंडुक्को (मण्डूकी) प ११४४२ मंसु (श्मश्रु) ज २११३३ मंडूकपुत्त (मण्डूकपुत्र) सू १२।२६ मक्कार (माकार) ज रा६१ मंड्य (मण्डूक) प १६॥४४ मगइत (दे०) उ १११३८ मंडूयगति (मण्डूकगति) ५ १६:३८,४४ मगइय (दे०) ज ३।३१ मंत (मन्त्र) ज ३.११५,१२४,१२५ उ ३३११,१०१ मगत (दे०) उ १११३८ मंति (मन्त्रिन ) ज ३६,७७,२२२ मगवंतिया (मदयंतिका) प ११३८।२ ज २११० मंथ (मन्थ) प ३६१८५ मेंहदी Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगर-मज्झिमउवरिम १००६ मगर (कर) ११५५,५६,२।३० ज ११३७; २११०१,४१२४,२७,३६,६६,६१,५५३२ सु २००२ मगरंडग (रकराण्डका) ज ५।३२ मगरज्मय (मकरध्वज) ज २०१५ मारमुहविउट्टसंठाणसंठिय (मकरमुखनिवृतसंस्थान गरिधत) ज ४१२४,७४ मगसिरी (मार्गगिरी) सू१०१७,१२ मगसीसावलिसंटिय (मगशीविनिमंस्थित) सू१०३८ मगह (मगध) प १६३।१ मगूस (दे०) प ११७८ मग्ग (मार्ग) ज १६४:३१२२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१८० मगओ (दे० पृष्ठत ) ज ५१४३ मगण (गर्गण) ज ३१२२३ सग्गदय (मार्गदय) ज ५।२१ मग्गदेसिय (मार्गदेशिक) ज ५१५,४६ मम्गमाण (मार्ग:त्) उ ३११३० मगरिमच्छ (मकरीपत्स्य) प ११५६ मांगसिर (मार्गशी) ज ७।१०४,१४५,१४६ सू १०।१२४ उ ३१४० मग्गसिर (मृगशिरस) ज ७१४०,१४५,१४६ मग्गसिरी (मागं शिरी) ज ७।१३७,१४०,१४५, १४६,१५२,१५५ सू१०१७,१२,२३,२५,२६ मग्गिज्ज (मार्गय) मज्जिद ५ १२।३२ मघमत (दे० प्रसरत् ) ॥ २॥३०,३१.४१ ज ३७, ८८,५७ २०१७ मघव (मघवन् ) प २१५० ज ५११८ मघा (मघा) ज ७१२८,१२६,१३६,१४० सू १०१५,६२ मच्छ (मराय) प ११५५.५६:६।८०।२ ज २१५, १३४,३१७८४१३,२५,२८५४३२,५८ सू २०१२ मच्छंडग (मत्स्याण्डवः) ५।३२ मच्छडिया (मत्सण्डिका) ५ १७४१३५२११७ मच्छाहार (मत्स्याहार) ज २।१३५ से १३७ मच्छिय (मक्षिका) प १५०१ मच्छियपत्त (मक्षिकापत्र) प २१६४ मज्जण (मज्जन) ज ३१९,२२२ मज्जणघर (मज्जनगह) ज ३।६,१७,२१,२८,३१, ३४,४१,४६,५८,६६,७४,७७,५५,१३६,१४७, १५३,१६८,१७७,१८७,१८८,२०१,२१८, २१९,२२२ उ १।१२४;५१६ मज्जणय (मज्जनक) उ १६७ मज्जणविहि (मज्जन विधि) ज ३१९,२२२ मज्जाया (मर्यादा) ज २११३३ मज्जार (मार्जार) प१४४।१ चित्रक मिज्जाव (मज्जय ) मज्जावेंति ज ५११४ मज्जावेत्ता (मज्जयित्वा) ज ५११४ मज्जिय (ज्जित) ज ३२६,२२२ मज्झ (मध्य) प ११४८१६३, २०२१ से २७,२७।३, २०३० से ३६,३८,४१ से ४३,४६,५० से ५६, ६४,१११६६,६७,२८1१६,१७,६२,६३ ज १८,३५,४६,४७१,५१,३१६,१७,२१, २४१३,३४,३७११,४५११,१०६,१३११३,१७७, १८५,२०६,२२२,२२४,२२५,४।१३,४५, ११०,११४,१२३,१४२।१,२,१५५,१५६.१, २१३,२२२,२४२,२६०११,५३१४,१५,१७,३३, ३८,७४५,२२२११ सू १२।३०,२०१७ मझमज्झ (मध्यमध्य) ज २१६५,६०,३११४, १७२,१८३,१८४,१८५,२०४,२२४;॥४४ सू २०१२ उ १२१६,६७,११०,१२५,१२६, १३२,१३३,३।२६,१११,१४१,४।१३,१५, १८५१६ मज्झंतिय (मध्यान्तिक) ज ७.३६,३७,३८ मज्झगय (मध्यगत) ज ७१२१४ मज्झयार (दे० मध्य) ज ७।३२११ मज्झिम (मध्यम) प २०६४।७:२३३१६५ ज २१५५, ५६,१५५,१५.६४/१६,२१,५।१३,१६,३६ सू २१३ उ ३.१००,१३३ मज्झिमउवरिम (मध्यम उपरितन ) प २८६२ Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मझिमउवरिमगेवेज्जग-मणि मज्झिमउवरिमगेवेज्जग (मध्यमउपस्तिन देयक) १७६११२,११३,२०१८,३२,४७,२६२ प११३७,४।२८२ से २८४,७१२५ ३०१२ मज्झिमग (मध्यमक) प २०६१ मणपज्जवणाणारिय (मन:पर्यवज्ञानार्य) ५ १६६ मज्झिमगेवेज्ज (मध्यमवेयक) प ६१४० मणपज्जवणाणि (मन.पर्यवज्ञानिन ) प ३१०१, मज्झिमगेवेज्जग (मध्यमवेयक) प २।६१,६२, १०३,५३११७:१८।८१२८४१३६,३०११६,१७ ३५१८३;६१५६३३३१६ मणपज्जवनाण (मनःपर्यवज्ञान) प २०१३३ मज्झिममज्झिम (मध्यमाध्यम) प १८१६१ मणपज्जवनाणपरिणाम (मन पर्यज्ञानपरिणाम) मज्झिममज्झिमगेवेज्जग (मध्यपमध्यमवेयक) १३ प १११३७,४१२७६ से २८१,७१२४ मणपरियारग (मन:परिचारक) प ३४११८,२४,२५ मज्झिमय (मध्यमक) १ २०६२।१ मणपरियारणा (मनःपरिचारणा) प ३४११७,१८, मज्झिमहेट्ठिम (मध्यमाधस्तन) प२८१६०० २४ मज्झिमहेटिठमगेवेज्जय (मामाधस्तनप्रवेषक) मणभक्खण (मनोभक्षण) प २८.१०५ प१:१३७,४१२७६ से २७८;७।२३ मणभक्खत्त (मनोभक्षत्व) प २१०५ मझिमिल्ल (मध्यम) ज ४।२५३,२५५,२५८ मणभक्खि (मनोभक्षिन) प२८११२,२८।१०४, मज्झिय (मध्यक) ज २०१५ मझिल्ल (मध्यम) ज ३।१ मणसमिय (मनःसमित) ज १६८ मट्टिया (मृत्तिका) ज ३१२०६:५१५५,५६ मणसाइय (मनःस्वादित) ज ३।११३ मठ्ठ (मृष्ट) प २।३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ मणसीकत (मनीकृत) प २८।१०५ ज ११८,२३,३१,२।१५,४११२८:५॥४३ मणसीकय (मनीकृत) प ३४।१६,२१ से २४ सू २००७ मणसीकरेमाण (मनीकुर्वत्) ज ३१५४,६३,७१, मट्ठमगर (मृष्टमकर) प १२५६ १११,११३,१३७,१४३,१६७ मडंब (मडम्ब) प १७४ ज २।२२,१३१,३११८, मणहर (मनोहर) ज २१२,६५,३११३८,१८६, ३१,८१,१६७।२,१८०,१८५,२०६,२२१ २०४:४।१०७५1५,२८,३८,७/१७८ उ ३।१०१ मणाभिराम (मनोभिराम) ज ३।१०६ मण (मनस्) प २२१४:२३११५,१६, ३४१११२, मणाम (दे० 'मन' आप) ५२८1१०५ ज २१६४; ३४१२४ ज २१६४,७१,३।३,३५,१०५,१०६% ३११८५,२०६५।५८ उ ११४१,४४,३।१२८; ४११०७,१४६,५।३८,७२,७३ सू २०१७ ५१२२ उ ११५,३५,४१ से ४४,७१,३।१८ मणामतर (मन:आपतर) ज २१८,४।१०७ मणगुत्त (मनोगुप्त) ज २०६८ उ ३९E मणामतरिय ('मन' आपतरक) प १७११२६ से मणजोग (मनोयोग) प ३६।८६,८८,८६,६२ १२८,१३३ से १३५ ज २।१७ मणजोगपरिणाम (मनोयोगपरिणाम) प १३७ मणामत्त ('मन' आपल) प २८१२६,३४१२० मणजोगि (मनोयोगिन् ) ३९६:१३.१४,१६ मणि (गणि) प ११२०१२,२।३१।४१,४८,१५।११२, १८१५६,२८११३८ १५।५० ज १११३,२१,२६,३३,४६:२।७,२४, मणपज्जत्ति (मनःपर्याप्ति) प २८।१४२,१४४,१४५ ५७,६४,६६,१२२,१२७,१४७,१५०,१५६, मण (पज्जवणाण) (गन:पर्यवज्ञान) प २६:१७ १६४,३।१,६,२०,२४,३०,३३,३५,५४,५६, मणपज्जवणाण (मनःपर्यवज्ञान) प ५१२४,११५, १. भिक्षुशब्दानुशासन पास१६ अरुभनश्चक्षु.. Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणिकंचण मणुस्सलोय ६३, ७१,८१,८४,६५, १०६,११७, १३७, १४३, १४५.१५६, १६७/८. १२,१७८,१८२,१६२, २२२,४१३.१६,२५,४६,६३,८२, ११४:५११६. ३२.३८ सू २०१७,१८ मणिकंचण (मणिकाञ्चन) ज ४।२६६।१ मणिदत्त ( मणिदत्त ) ५१२४,२६ मणिपेडिया ( मणिपीठिका) ज ११४३, ४४, ४१२, १३,३३,१२३,१२४,१२६.१२७,१३२,१३३, १३६,१३६, १४५, १४६, १४७,२१८,२१६; ५/३५ मणिमय ( मणिन्य ) प २२४८ ज ११४३, ३।२०६; ४१५, ७, १२, १३,२६,२७,४६, ११४,१२३, १२४, ५। ३५.५५ मणिरयण ( मणिरत्न) ज ३१६,१२,२४,३०,८८, ६२,६३,११६.१२१,१७८, २२०, २२२, ४११६, ४२,६७५।२८,५८७११७८ मणिरयणक ( मणिरत्नक) ज ११३७३।६३ मणिरयणत्त ( मणिरत्नत्य) प २०६० मणिवइया ( मणिमती ) उ३।१५०,१५८ मणिवई ( मणिमती) उ ३।१६६ मणिवर ( मणिवर ) ज ३१६२,११६ मणिसिलागा ( मणिशलाका ) प १७|१३४ मणई ( मनुजी ) ज २११५ मण्ण ( मनोज्ञ ) प २३।१५,३०,२८ । १०५ ३४:११, २१ ज २१६४३२८५,२००; ४। १०७ ४१३८.५८ सू २०१७ उ ११४१, ४४; ३११२८५१२२ मण्णतर ( मनोज्ञतर ) ज २ (१८ ; ४|१०७ मण्णतरिय ( मनोज्ञतरक ) प १७ १२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २१७ मणुष्णत्त (मनोज्ञत्व ) प ३४।२० मगुणस्तरता (मनोज्ञस्वरता ) प २३|१६ मय (मनुज ) प ६३८०१२,६८१, २०१५३, २३/३९,८३.११३,१४६, १७२, २८३१४४, १४५: ३१।६।१, ३२।६।१ ज ११२२.२७, ५०; २११४, १६, १६, २१ से २६, २८ से ३७,४१ से १०११ ४९,५६,५८,६४,१२३, १२८,१३३,१३४, १३५,१४६, १४८, १५१,१५७, १५६, ४१८५, १०१,१७१ उ १११४,१५,२१,३१६८,१०१, १३१,५१२३,३१ मणुयअस णिआउय (मनुजासंज्ञयायुष्क ) प २०१६४ मणुयगति ( मनुजगति ) प ६३,८ मनुयगतिय ( मनुजगतिक ) प १३११९ मणुयगामि (मनुजगामिन् ) ज ११२२,५०,२११२३, १२८,१४८, १५१,१५७,४११०१ मणुयगतिपरिणाम ( मनुजगतिपरिणाम ) प १३३ मणुयरयण ( मनुज रत्न) ज ३१२२० मणुयलोग ( मनुजलोक ) सू १६२१1८ मणुघलोय ( मनुजलोक ) सू १६१२२३१, ३ से है मणुयवइ ( मनुजपति) ज ३१३ मणुयाज्य (मनुजायुष्क ) प २०१६३, २३।१८,१५८ मणुस्स ( मनुष्य ) प ११५२,८२ से ८५.१२६; २१२६, ३।२५,३८,३६,१२६, १८३ ४११५८ से १६४;५३३,२३,२४,१००, १०१, १०३,१०४, १०६,१०७,११०,१११, ११४, ११५, ११८ से १२०,६१२३, २४,४६,५५,६५,६६,७०,७२, ७६,८१,८२,८४,६०,६२,६४,६६, ६७,६६ से १०४. १०८, ११०,११३, ११६; ७१४; ८८, ६; ८ से १०,१६,१७,२२,२३,११।२१,२२, २४,२६,१२१५, ३२, १३३१६; १५ । १२२; १७।४५,४६,१२६.१६४,१७११६/४; २१७, ४८:२२१३६, २३।१६४, १६८ ; २६ १५ ३४ ३ ; ३६।१।१,३६१४१, ५२ ज २२६,७,५०, ५३,१६२,१६४;३।६८, १७८, २२१ सू २/३; १६।२२।१३:२०१२ उ १११२१,१२२, १२६, १३३,१३६,१३७,१४० मणुवित्त ( मनुष्यक्षेत्र ) प १९७४ मसखेत्त (मनुष्यक्षेत्र ) प ११८४ २१७, २६ सू १६१२२१२१ मस्सगामि (मनुष्पगामिन् ) ज २१५८ महिर ( मनुष्य रुधिर ) प १७११२६ मसलोय ( मनुष्यलोक) सू २०१२ Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ मस्साउय-मत्थय मणुस्साउय (मनुष्याप्क) प २३३१४७,१६२,१६५, मणोणुकूल (गनोनुकूल) मु २०१७ १७० मणोमाणसिय (मनोमानसिक) उ १५१३ मणुस्सी (मानुषी) प ३।३६,१३०,१८३।११।२३; मणोरम (मनोम) प ३४११६,२१,२२ १७.४८,१६०; २३।१६४,१६८,२०१ ज २७ ज ४२६०१,५३४६।३,७१७८ ५११ मणस (मनुष्य) प६८४,८७,१५१३५,४४,४५, उ ५।२८ ४७ मे ५०८७,६१,९८,१०३ से १०६,११५, मणोरह (मनोरथ) ज ३८८,२२१ १२११२३,१२६,१३८,१६१८,१५,२५,२८, मणोहरमाला (मनोरथमाला) ज २१६५,३११८६, १७।२४,२५,३०,३३,३५.४७,७०,६७,१०४, २०४ १५७,१५६ से १६३,१६६,१६७.१७०,१७२; मगोसिला (मन शिला) पश२०१२ ज ३।१११३ १८१४,१०,२०१४,१३ १८,२५,३०,३२.३५, मणोहर (मनोहर) प ३४११६,२१ ज २११२; ३६,४८, २१११६,२०,३६,५४,६०,६६,७२, ७११७१ सू१०८६१ ७७,८२,८६,२२॥३१,४५,७५,७६८०,८३ से मिण (मन्) मण्णामि प १११ मण्णे १२१५; ८५,८८,६०,६६,१००।२३।१०,१२,७६, ३९८ १६६,२००,२४१३,८,१०,१२,२५।४,५, मति (मति) प १३।१० ज ३११ २६॥३,४,६,८,१०,२७।२,३,२८१२,४६ से मतिअण्णाण (मत्यज्ञान) प ५१५,७,१०,१२,१४, ५१.६७ से ६६,७१,१०३,११६ से १२१, १६,१८,२०,५६,६३,२६४२,६,६,१२,१७,१६ १२४,१२८,१३०,१३६ से १३८,१४१ से से २१ १४३,२६।२२,३०।१४,२४,३११४,३२१४; मतिअण्णाणपरिणाम (मत्यज्ञानपरिणाम) १३.१० ३३११,१३,२१,२६,३३,३६,३४१६;३५१४, मतिअण्णाणि (मत्यज्ञानिन्) प ३.१०३:५१८०,६६, २१,३६७,१०,११,१३ से १५,१७,२६,३०, ११७:१३३१४,१६,१७:१८८३ ३१,३३,३४,५८,७२,८०,८१ ज ४।१०२, मतिणाण (मतिज्ञान) प २६६ ७.२० से २५,७६,८२ सू २१३ मत्त (मत्त) ज २।१२ मणूसखेत्त (मनुप्यक्षेत्र) प २११६२,६३ मत्त (अमत्र) म् २०१४ उ १६३,१०५,१०६ मणूसत्त (मनुष्यत्व) प १५।१८,१०४,११०,११५, मत्तंग (मत्ताङ्ग) ज २।१३ १२६,१३०,३६।२२,२६३०,३१,३३,३४ मत्तजला (मत्तजला) ज ४।२०२ मणूसाउय (मनुष्पायुष्क) प २३७६ मत्तियावई (मत्तिकावती) प १६३।४ मणसी (मनुष्यणी) २७१५८,१५६,१६१ ले मत्थगसूल (मस्तकशूल) ज २०४३ । १६४,१८१४,१०,२०११३:२३।१६६,२०१ मत्थय (पस्तक) ज ३१५,६,८,१२,१६,२६,३६, मणोगम (मनोगम) ज ७१७८ ४७,५३,५६,६२,६४,७०,७७,८१,६२,८४, मणोगय (मनोगत) ज ३।२६,३६,४७,५६,१२२, ८८,६०,१००,११४,१२६,१३३,१३८,१४२, १२३,१३३,१४५,१८८५२२ उ १।१५,५१, १४५,१५१,१५७,१६५,१८१,१८७,१८६, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५:३३२६,४८,५०, २०५,२०६,२०६,२१८,५१५,२१,४६,५८ ५५,६८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ उ ११३६,४५,५.५,५८,८०,८३,६६.१०७, मणोगुलिया (मनोगुलिका) ज ४१२६ १०८,११६,११८,१२२,३११०६,१३८,४११५; मणोज्ज (मनोज्ञ) प ११३८.१ ज २०१० ५.१७ Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मदणसलागा-महंत मदणसलागा (देनशलाका) प १७६ मदणसाला (मदन शाला) उ ५१५५ मद्दम (दे०) १ ११३७६४ मद्दव (मार्दव) ज २०१६,७१ मदुग (मद्गुक) ज २।१३७ मधु (मधु) प १७४१३४ ज २।१०६,११० मधुर (मधुर) ज ३।१८६,२०४ मिन्न (मन्) मन्ने ज ३।१०५ मम्म (मर्मन) उ १६६ मम्मण (मन्मन) उ ३६८ मय (पद) च ११ मयकिच्च (मृतकृत्य) उ ११६२ मयणिज्ज (मदनीय) प १७:१३४ ज २०१८ मयूर (भयर) प १७६ ज २११५ उ ५।५५ मरगय (मरकत) ११२०१३ ज ३११०६ मरण (मरण) प १४११२१६४;२१६४१६,२२; ३६।१।१,३६१८३१२,६४।१ ज २७०,८८, ८६,१०३,१०४,३१२२५ सू २०६६ उ ३३११२,१५६;४।१६ मरीइ (मरीचि) ज ११३७ मरीइया (मरीचिका) ज १३२ मरुदेव (मरुदेव) ज २१५६.६२ मरदेवा (मरुदेवा) ज २६३ मरुय (मरुक) प १८६ मरुयग (रुबक) प ११४४।३ मरुआ मरयरायवसभरुप्प (मरुद राजवृपभकल्प) ज ३११८,६३,१८० मरुयापुड (मरुबकपुट) ज ४११०७ मलय (मलय) प ११८६,१।६३१३ ज ११२६,३।२) २११:५१५५ उ १११०,२६.६६५११ मलयगिरि (लागिरि) ज ३१२४ मलिण (मलिन) ज २११३३ भलिय (मदित) ज ३१२२१ उ ११३५,३१५०, ११०,११३:४२० मल्ल (माल) ५२१३०,३१,४१,४६ ज २११२०: ३१६,११,१२,२१,३४,५५५,५७ उ ११३५; ३१५०,११० मल्ल (मल्ल) ज २१३२,३७८,८५,८८,१८०, २०६,२११,२२१,५।२२,२६ मल्लई (मल्लवि) उ ११२७ से १३०,१३२ मल्लदाम (माल्यदामन ) प २१३०,३१,४१ ज ३७,६,१२,१८,२८,३०,३५,४१,४६,५८) ६६,७४,७७,७८,८८,६३,११७.११६,१४७, १६८,१७८,१८०,२१२,२१३,२२२ मल्ल (वासा) (माल्यवर्षा) ज १५७ मल्लि (मल्लि) ज ३।१०६ मल्लिया (मालिका) ५ ११३८२ ज २।१०; ३.१२,८८,१७८,५१५,५८,७४१७८ महिलयापुड (पल्लिकापुट) ज ४।१०७ मविज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५६ मवेज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५८ मसग (मशक) प ११५११ ज ६४० उ ३१२८ मसारगल्ल (दे०) प ११२०१३ ज ३।१०६५ मसि (मसि, मपि) ज २१२३ मसूर (मसूर) ११४५।१,१७६१५१३,२१; २११२३,८० ज २।३७ मह (महत) प २१३०,३१,४१,४६,६२,२३११९३ ३६.८१ ज १।१२,१४,३७,४०,४२,४३; २३१,३।२४,१६१,१६३,१६४,१६७,४१३, ६,६,१२,१३,२४,२५,३१,३३,३६ से ४१,४७, ४६,५६,६६ से ६८,७०,७४,७५,७६,८८,६३, १५६,२१६,२१८,२२१,२३५,२४३,२५०; ५।५,,३५ से ३८,५४,६७,७१५० मह (स्थ) पहिति ज ५११६ महेइ उ ३१५१ महाल (महाश्व) ३१७६ महइ (महती) प २१२७ ज १११०; २१११४,११५; महइमहालिय (महती हत) ११२०:४।१४ महंत हा प २३।१३३१६,२६, ३२ ११०,२६.६६; १११ Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ महंततर-महाणई ५।२२,२६,५६,५७,५८,७२,७३,७५५,५८, १७८,१८४ सू १६२३,२६ उ १।१०,२३, २६,६०,६२,६५,६८,६६,७२,८५,८७,६१ से ६३,१३८,१३६,५८,११,१६,२०,२७ महरिह (महाह) ज ३१६८१,११७,२०७,२०८, २२२:५१५४ महव्यय (महाव्रत) ज २०७२ महा (मधा) ज ७११४७,१५०,१६२,१६३ स् १०११ से ४,६,१४,२३,६६,७०,७५,८३.१२०,१३१ महंततर (महत्तर) ज ४१८०,१०२ महग्गय (महाग्रह) ज ७।११३ महगह (महाग्रह) ज ७१,१०४,१७० सू १०१३० ,१६५,८; १११३,१५।३,१६, २११४,७,१६।२२१६.१३; २०१८ उ ३१२५, ८४ से ८६ महम्गहत्त (महाग्रहत्व) उ ३८३ महग्ध (महार्घ) ज ३१८५,२०७,२०८,२२२; १५४ सू २०१७ उ १११६,४२, ३१२६,१४१:४।१२ महज्जुइ (महाद्युति) ज ११२४,३१:३।११५,१२४, १२५,२२६; ४।१६५,५११८ महज्जुइय (महाद्युतिक) ५२१४६ महज्जुतीय (महाद्युतिक) प १३०,४१,३६८१ महड्ढिय (महद्धि क) ५ २१४६ महड्ढीय (महद्धिक) ज ४।१७७ महण (मथन) ज ३१२२१ महत (महत्) सू १८।२३ महति (महती) ज ३१३१ महतिमहालय (महतीमहत ) प २०६३ महत्तरग (महत्तरक) उ १११६ महत्तरगत्त (महत्तरकत्व) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३।१८५,२०६,२२१,५।१६ उ ५:१० महत्तरिया (महत्तरिका) ज ४।१८५।१ से ३,५ से १०,१२ से १७ उ ३६०, ४१५ महत्थ (महार्थ) ज ३२२०७,२०८:५१५४,५५ महदंडय (महादण्डक) प ३।११२ महद्दह (महाद्रह) ज ५५५, ६१७ महत्पत्थाण (महाप्रस्थान) उ ३१५५ महप्प (महात्मन्) ज ३।७७,१०६ महाबल (महाबल) प २।३०,३१, ३६८१ उ ५१२५ महया (महत् ) ज १।२६,४५,२।१२,६५,३१२,१२, २२,३६,७८,८२,८८,८६,६३,६६,१०२,१०६, १५५,१५६,१८०,१८५,१८७,२१२,२१३, २१४,२१८,४।२३,३८,६५,७३,६०,६१,१७७; महाओहस्सर (महौघस्वर) ज १५१ महाकदिय (महा क्रन्दित) प २।४१,४२,४७११ महाकण्ह (महाकृष्ण) उ ११७ महाकच्छ (महाकच्छ) ज ४११८२ से १८५ महाकच्छकूड (महाकच्छकट) ज ४।१८६ महाकम्मतराग (महाकमतरक) प १७१४,१६ महाकाय (महाकाय) प २।४१,४५,४५२ महाकाल (महाकाल) प २१२७,४४,४५,४५११, २१४६,४७ ज ३११६७४१,८,१७८ सु २०१८, २०८१५ उ १७ महाघोस (महाघोष) प १४०१७ ज ५१४८,४६ महाचाव (महाचाप) ३१२४१४,३७१२,४५१२, १३११४ महाजस (महायशस्) स १७११, २०११,२ महाजाई (महाजाति) प ११३८।३ ज २।१० महाजुतिय (महाद्युतिक) प १७१:२०११,२ महाजुतीय (महाद्युतिक) ५ २१३४ महाजुद्ध (महागुद्ध) ज २१४२ महाणई (महानदी) ज १५१६,१८,२०,४८,२।१३३; १३४,३११,१४,१५,१८,५१,५२,७६.७८,८१, ६७ से १०१,१११,११३,१२८,१४६ से १५१, १६१,१६४,१७०,४।२३,२४,२५,३५,३६,३८ से ४०,४२,५७,६५ से ६७,७१,७३,७४,७७, ७८,८४,६० से ६२,६४,९५,११०,१४१,१४३, १६७,१६६,१७४,१७७,१७८,१८१,१८३ से १८५,१८७,१८६,१६०,२००,२०१,२०२, Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाणक्खत्त-महावीर २०६,२०८,२१२,२१५.२३२,२६२,५१५५; महाभीम (महाभीम) प २१४५,२।४१ ६।१ से २२ उ ११६७,३१५१,५६,५८ महामंडलिय (महामण्डलिक) प१७४ महाणखत्त (महानक्षत्र) सू १०२५,४३,१०८ महामति (महामन्त्रिम्) ज ३१९,७७,२२२ महाणदी (महानदी) ज ४।१६५,२६८ महामहिम (महामहिमन्) ज २१११७,११८, महाणिरय (महानिरय) प २।२७ ३।१२,१३,१४,२८,३०,४१,४२,४६ से ५१, महाणिहि (महानिधि) ज ३।१७८,१८३,२२०, ५८ से ६०,६६ से ६८,७४ से ७६ १३६,१३६, २२१ १४७ से १५१,१६८,१६६,१७०,५७४ महाणुभाग (गहानुभाग) प १३०,३१,४१,४६, महामेह (महामेघ) ज २।१०,१४१,१४२,१४५, ३६.८१ ज १।२४,३१,३१११५,१२४,१२५, ३।६,१७,२१,३१,३४,३५,१७७,२२२ उ ३३४६ २२६, ४१६०।५।१८ सू १७११, २०११,२ महायस (महायशस्) प २१३०,३१,४१.४६; महाणुभाव (महानुभाव) सू १७१:२०६१,२ ३६८१ ज ११२४,३१,३१११५,१२४,१२५, महातव (महातपस्) ज ११५ २२६,५१८ महादंडय (महादण्डक) प ३.१८३ महारह (महारथ) ज ३१३५ महाद्दुम (महाद्रुम) ज ५।५१ महाराय (महाराज) ३१२०७,२०८,२२५ उ ३१५१, महाधणु (महाधनुष) उ ५१२।१ महानिहि (महानिधि) ज ३३१६७११,१० महारायवास (महाराजवास) ज २१६४ महानील (महानील) प २।३१ से ३३ महारुधिरपडण (हारुधिरपतन) ज २२४२ महापउम (लहापा ) ज ३।१६७।१,६,१७८ महारोरुय (महारोरुक) प २७ उ २१२,२० महालय (महत, महालय) प २१२७,६३ महापउमद्दह (महापद्मद्रह) ज ४।६४,६५,७३,८६ ज।११४,११५:५१४३ महापउमा (महापद्मा) उ २६१६,२० महावच्छ (महावत्स) ज ४२०२११,२०३ महापम्ह (महापक्षा) ४।२१२,२१२।१ महावप्प (महावप्र) ज ४।२१२,२१२।३ महापह (महापथ) ज ३११८५ २१२,२१३; ५७२, महाविजय (महाविजय) ज २०१७ ७३ उ १६८ महावित्त (महावृत्त) ज ५।५८ महापाताल (महापातान) प २१६१ महाविदेह (कहाविदेह) प १७४,८८,२१७ महापुंडरीय (महापुण्डरीक) ज ४१२६८ ज ४८६,९८ से १०३,१०८,१६२,१६७, महापुंडरीयहत्वगय (हस्तगतमहापुंडरीक) ज ३११० १६६,१७२ से १७४,१७८.१८१,१८२,१८४, महापुरा (महापुरा) ज ४।२१२।२ १८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३,१६४, महापुरिस (महापुरुप) परा४५,२१४५२ १६६,१६७,१६६,२०० से २०३,२०५,२०६, महापुरिसपडण (महापुरुषपतन) ज २१४२ २१३,२६२, ६१६,१४,२२ उ ११४१,१४७, महापोंडरीय (महापौण्डरीक) प ११४६ ज ४१३,२५ २११३,२२,३।१८,२१,८६,१५२.१६५,१६६; महाफल (महाफल) उ ११७ ४।२६,२८,५४३ महाबल (महाबल) प २६३१,४१,४६ ज ११२४, महाविमाण (महाविमान) प २०६४ ३१,३७७,१०६,११५,१२४,१२५,१२६, महावीर (महावीर) प१:१११ : १५,६,७१२१४ २२६५।१८ सु१७११,२०११.२ उ २६ चं १० सू ११५ १६२४८,१६,१७,१६ ५।१३,२५ से २६,१४२,१४३,२११ से ३,१० से १२,१४, Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१६ १५,२१३११ से ३, ७, ८, १२, १९.२०, २२, २३.२६,८७,८८,६१,६३,१५३,१५४,१६६, १६७,१७०, ४११ से ३,२७,५१ से ३,४४ महावेदतराग (महावेदनतरक ) प १७६, २७ महासंग्राम ( महासंग्राम ) ज २०४२ महासत्यपडण ( महारास्त्रपतन ) ज २२४२ महासमुद्द (महासमुद्र ) ज ३१२२,३६,७८, ६३,६६, १०६,१६३,१८० महासरीर ( महाशरीर ) प १७ २,२५ महासुक्क ( महाशुक्र ) प २२४६,५६,५७, ३३३५, १८३४।२४६ से २५१,६।३३,५६,७ १४; २१ ७०; २८ ।८१ ; ३३/१६:३४/१६,१८ उ २२२ महाग ( महाशुक्रज) ज ५४६ महाकवडेंस ( महाशुक्रावतंसक ) प २२५६ महासुमिण ( महास्वप्न ) उ १४०४३ महासे कण्ह ( महासेनकृष्ण ) उ ११७ महासेत ( महाश्वेत ) प २२४७३ महासोक्ख ( महासौख्य ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ३६।८१ ज १२४, ३१, ३।११५, १२४, १२५, २२६; ५।१८ सू १७/१; २०११ महावेदणत राग - महेसर महिदय ( महेन्द्रध्वज ) ज ४।१२८, १३३,१३६; ५।४३,४४,४६,५०,५२, ५३ उ ३।७ महिढी (महद्धिक ) प २१३०,३४,३५ से ३७, ३६,४१,४६,४६,५०,५८ महिता ( मथित्वा ) ज ५११६ महित्य (दे० ) प १|३७|४ महिमा ( महिमन् ) प २३१,६०,११६,५१३,७,२२, ४६,७४ ज २२३१,६०,११६,५१३,७,२२,४६, ७४ महिय ( महित ) प २३०,३१,४१ ज ११३७,३७, १०८ से १११ महिय ( मथित) उ १।२२,१४० महिया ( महिका ) प ११२३ महिला (महिला) ज २२१५,६४, ३।१३८,१६७४ महिलिया (महिला) ज ३।१२६।३ महिव ( महीपति ) ज ३।११७ महिस (महिष ) प १६४; २/४६, ११।२१ ज ३।२४,१०३ महिती (महिषी ) प १११२३ ज २१३४७ १६८१२ महु ( गधु) ज ७।१७८ उ ११३४,४६, ७४ ३ । ५१ महु ( मधुक ) प ११४८३ महुयरी (मधुकरी) ज २११२ महाहिमवंत ( महाहिमवत् ) प १६३० ज ४५४, ३५,६१ से ६३,७६ से ८१,२६८ महिय (महक ) प २३१,३७,३९,४२,४३, ४८, ५०, ५२; १७१८४ से ८७,८६३६३८१ ज १।२४,३१,४५ ४७, ५१, ३१११५,१२४, १२५,२२६; ४१२२,३४,५१,५४,६०,६१,६४, ८०,८४,८५,६७, १०२, १०७, ११३, १५६, १६१,१६५,१६६,१७७, १८०, १८४, १८६, १९६,१६८,२०३,२११,२६१,२६४,२६६, २७२:५११८; ७ १८१,२१३ सू १७ १; १८/१६, २०११, २ द ( महेन्द्र ) ज ११२६; ३१२ १ १०,२६,६९; महेत्ता ( मथित्वा ) उ ३१५१ ५।११ महेसर (महेश्वर) प २४७२ महर (मधुर) प ११४ से ६,५५,७,२०५६ १११५८ १३१५८ २३६४६, १०८ २८/२६, ३२,६६ ज २११२,१५.६४, १४५,४१३, २५; २८७ १७८३ ११४१, ४४, ३१६८ महुरतण ( मधुरतॄण ) प १।४२।२ महरयर (मधुरतर ) ज ४१२२ से २४ महररस (मधुररस ) प ११४८१४ महरा (मथुरा) प ३५ महुसिंगी (मधुशृङ्गी ) प ११४८३ महुस्सर (मधुस्वर ) प ५।५२ Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महोरग-मायणि १०१७ महोरग (पहोरग) प ११६८,७५,१३२, २१४५ ज ३३११५.१२४,१२५ माणकसाई (मानकपायिन्) प ३१६८:२८।१३३ महोरगच्छाया (महोरगच्छाया) घ १६१४७ माणकलाय (मानकपाय) प १४।१ मा (मा) उ ११४१३।१०३,११२ ; ४।११ भाणकतायपरिणाम (मानकषायपरिणाम) प १३१५ माइ (मात) उ ११४८, २२,४१२८; ५।४३ माणसायि (पानकपायिन्) प ३९८ माइमिच्छद्दिदिठ (मायिथ्यावृष्टि) ११५१४६; माणणिस्तिया (माननिश्रिता) ११११३४ १७२२; ३४६१२; ३५।२३ मामूरण (मानभजन') ज ५१५८ माइमिच्छहिटिउवद गहरा भाणवग (माणवक) ज २०१२०,३११६७११,६, (मायिमिथ्यादष्ट्युपपन्नक) प १७.२७,२६ ३३१७८,४।१३५ सू २०१८ माइमिच्छद्दिट्ठीउववष्णग माणवय (मानवक) ज ४११३३७१८५ (मागिमिथ्यादृष्ट युपपन्नक) प १७१२७ सू १८१२३, २०१८४ माइय (मात्रिक) ज २११५ माणस (मानस) ३५.११२,३५१६,७ ज ५१२६ माईवाह (मातवाह) प ११४६ माणसंजलणा (भानसंज्वलना) प २३१७० माउय (मातक) ज ५६ से १२,१७,४६,७२,७३ मागसपणा (भानसंज्ञा) प८१,२ माउलिंग (पातुनिङ्ग) प ११३६११ माण सभुग्धाय (भान समुद्घात) प ३६४४२,४६, ४८ से ५२ मालिगाराम (मातुलिगाराम) उ ३४८,५५ माणि (मानिन्) ज ४११७२।१ सू २०१२ माउलिंगी (मातुलिङ्गी) प ११३७१ माउलुंग (मालुलिङ्ग) ५१६१५५१७।१३२ माणिक्क (माणिक्य) ज ३।१०६ माणिभद्द (माणिभद्र) प २।४५,२१४५१ ज ११३; मागह (मागध) ज ५१५५;६।१२ से १४ ७।२१४ चं ७,६ सू ११२,४ उ ३।२।१,३।१६६ मागहकुमार (मागधकुमार) ज ३।१६१ माणिभड्कड (माणिभद्र कूट) ज १२३४,४६ मागहतित्य (मागधतीर्थ ) ज ३११४,१५,१८,२२, माणस (मानुष) प २०६४।१४ ज २।१५,६७, २६:५५५ ३१६२,११६,४११७७ सू १९२२।२२०१२ मागहतित्थकुमार (गवतीर्थकुमार) ३।२०, माणुसमेत मानुषक्षेत्र) - १६।२१।१,२,१६०२६ २६,२७,२८.३० मागहतित्थाधिपति (मारघतीर्थाधिपति) १२५. माणुग (मानुष) १९२२५२७,२६ SAVध (मानुपलोकः) सु १६२११६,२०१२ मागहतित्याहिवाई (मागधतीर्थाधिपति) ३१२६ माघी (माघी) ज ७१४० मासुत्तर (बानुषोत्तर) अ ७।५५,५८ सु १६३१६ माडंबिय (माउम्बिक) प १६४१ ज २२५,३६, ___मास्लग (मनुष्य) उ ३।१३७ १०,७७,८६,१७८,१८६,१२८,२०६,२१०, माणुसब (मनुष्य) ज ३८२,१८७,२१८, २२१:४११७७ २८ २०१७ उ १।११,३४,५२२५ २१६,२१६,२२१,२२२१६२३१११, माता (जात्रा) प १६४ १०१,५११० माढरी (नाठरी) प ११४८।४ माय (मा) माजा परा६४।१६ माढी (माठी) ज ३।३१ भायंजन (पाताञ्जन ज ४।२०२ माण (मान) प ११४३४११:१४१४,६,८,१०१४; मायापायिन) १३१६८,१८१६५ मायण (भादनि) उपा२१ २२।२०,२३१६,३५,१८४ ज २११६,६६,१३३; ३१६५,१३८,१५६,१६७१३,२२१ सू१२।१७।१ १.० ४।१०६ Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ माया-माह माया (माया) प ११३४।१।१४।४,६,१० से १४:२२।१०२३।६,३५,१८४ ज २१६,६६, १३३ ३ ३।३४ माया (मात) जरा२७,६९५५,७ से १०,१२, १४,१७,४६.६७ उ १।१४८ माया (मात्रा) ज ४१३६,४३,७२,७८,६५,१०३, १४३,१७८,२००,२१३ मायाकसाइ (मायाकपायिन्) ५ २८१३३ मायाकसाय (मायाकपाय) १४११ मायाकसायपरिणाम (मायाकपायपरिणाम) १३१५ मायानिस्सिया (मायानिश्रिता) ११३४ मायामोस (मायामषा) प २२१२०,८० मायामोसविरय (मायामपाविरत) प २२१८५,६६ मायावत्तिया (मायाप्रत्यया) प १७।११,२२,२३, २५, २२२६०,६३,६८,७१,६३,६६,१०१ मायासंजलण (मायासंज्वलन) प २३७१ मायासण्णा (मायासंज्ञा) प ८।१,२ मायासमुग्घात (मायासमुद्घात) प ३६।४६ मायासमुग्घाय (मायासमुद्घात) ५ ३६१४२,४८ से ५१ मारणंसियसमुग्घाय (मारणःन्तिकममुद्घात) प १५१४३; २११८४ से ६३३६१,४,७,२७, २६,३५ से ४१.४६,५३ से ५८,६६ मार (मार) ज ५१३२ मार (मारय) मारिस्सइ उ १८६ मारिबहुल (मारिबहुल) ज ११८ मारुय (मारुत) ज ५१५ मारेउकाम (मारयितुकाम) उ १०३ माल (मालक) ५११३७।५ नीम माल (माला) प २१५० ज ५१८ मालक (मालव) प १८६ मालवंत (माल्यवत) ज ४/१०८,१४२१३,१४३, १६२११,१६३ से १६७,१६६,१७२ से १७४, २०३,२०७,२०६,२१०,२१५,२६२ मालवंतकड (माल्यवत्कट) ज ४११६३ मालवंतद्दह (माल्यवद्रह) ज ४२६२ मालवंतपरियाय (माल्यवतपर्याय) प १६।३० ज ४।२७२ माला (माला) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३१६,२०, ३३,४७,५४,६३,७१,८४,११३,१३७,१४३, १६७,१८२,१८६,२०४,२२२ मालागार (मालाकार) ज ५१७ मालि (मा लिन ) प ११७१ सांग विशेष मालिया (मालिका) ज ७१७८ मालुय (मालुक) प ११३५.१ मालुया (मालुका) प ११४०।५,११५० मास (मास) घ ४११०१,१०३, ६१५,१३ से १६, ३५,३६,४४:१८१२३ ; २३१६६,७०,१६५, १८४ ज २१४,६४,६६,८३,८८,३।११६; ७११४१२,११५,१२६,१२७,१३६३१,१५६ से १६७ च ५।३ सू १३६६.१ ८.१; १०१६३ से ७४,१२४,१२।३ से ६,१० से १२,१५; १३१३,१४,१७,१५.१४ से २८, २०१३ उ १६३६,४०,४३,५३,७४,७८,३१४० मास (माष) प ११४५१ ज २१३७, ३।११६ उ ३१३६.४० मासखमण (मासक्षपण) उ२।१०।३।१४,८३; ४।२४५।२८,३६,४३ मासचुण्ण (माषचूर्ण) प १११७६ मासद्ध (मासा) उ २११०३.१४ ८३,४।२४; ५।२८,३६,४३ मासपण्णी (मापपर्णी) प ११४८१५ मासपुरी (मासपुरी) प १६६३।५ मासल (मांराल) प १७।१३४ माससिंगा (मास 'सिंगा') प ११७८ उडद की फली मासवल्ली (मापवल्ली) प १४०१४ मासिय (मासिक) ज ३१२२५ मासिया (मासिकी) उ२।१२:३१५०,१६१,१६६ ५२८,४३ माह (गाघ) ज २।८८,७।१०४ सू १०।१२४ Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहण - मिसिमित माहण ( माहन) उ ३।२८,२६,४५,४७,४८,५०, ५.५, ५८, ६०, ७५, ७६.७६ माहणकुल (महनकुल) उ ३११२५ मारिसी ( मानषि ) उ ३।५१ से ५७,६२,८२ माहणी ( माहनी ) उ३।१२६ से १३१,१३४ से १४४,१४७, १४८ माहिंद ( माहेन्द्र ) प १११३५, २०४९, ५३, ५४,६३; ३।३२,१८३,४१२४० से २४२,६१३०,५६.६५, १५८८२११७० २८१७८ ३४११६, १० ज ५४२; ७११२२१ सू १०२८४।१२।२२ माहिद (माहेन्द्र ) प २१५३, ७१११, ३३|१६ मादिवडेंस ( माहेन्द्रावतंसक ) प २०५३ माही ( माघी) ज ७।१३७, १४६, १५३,१५४ सू १०१७.१४,२३,२५,२६ माहेरी ( माहेश्वरी ) प १६८ मिउ (मृदु ) ज २।१६:३।११७३७ १७८ मिजा ( मज्जा ) प ११४८०४५,४६ मिग (मृग ) प २४६ सू १०।१२० मिसिरा ( मृगशिरा ) ज ७ १३६, १६०,१६१ सू १०१२ से ५,१२,२३,३८ मिगसीसावलि ( मृगशीर्षावलि) ज ७ १३३११ मिच्छत्त ( मिथ्यात्व ) प २३।३ उ ३।४७ मिच्छत्तवेदणिज्ज ( मिथ्यात्ववेदनीय ) प २३१६८, १८२ मिच्छतवेय णिज्ज ( मिथ्यात्ववेदनीय ) प २३११७. ३३,६६,१३८, १५७,१६१, १६६ मिच्छत्ताभिगम (मिथ्यात्वाभिगनिन् ) प ३४१४ मिच्छद्दि (मिध्यादृष्टि ) प १७४,८४ ३२१००, १८३:६।६७, १३।१४,१६,१७, १७।११,२३,२५; १८ ७७; १६।१ से ५ ; २१/७२,२३।१६६,२००, २६।१२६ मिच्छादंसणपरिणाम ( मिथ्यादर्शनपरिणाम ) प १३।११ मिच्छावं स णवत्तिया ( मिथ्यादर्शनप्रत्यया) प १७ ११,२२,२३, २५, २२६०,६५,६६, १०१६ ६६,७२ से ७४,६४,६५,६७ से ६६.१०१ मिच्छादंसणसल्ल ( मिथ्यादर्शन शल्य ) प २२।२०, २५ मिच्छादंसण सल्लविरय ( मिथ्यादर्शनशल्यविरत ) २२८६,८७,६६, ६०, ६७ से ६६ मिच्छादंसण सल्लवेरमण ( मिथ्यादर्शन शल्यविरमण ) प२१८१,८२ मिच्छादंसण ( मिथ्यादर्शनिन् ) प २२१६५ मिच्छादिठि ( निथ्यादृष्टि ) प २३।१६५ मिज्जमाण ( सीयमान ) सु १२२ मित (मित) उ ११४१, ४४ मित्त (मित्र) ज २ २६ ३११८७ ७ १२२११, १३०.१८६१४ सू १०३८४११ उ ३१३८, ५०, ११०,१११,४।१६,१८ मित्तदेवया ( मित्रदेवत । ) सू १०/६३ मिय (मृग ) प १६४,१११४ ज २।३५ उ ५ ५ मिय ( मित) ज २।१५ मियंक (मृगाङ) सु २०१४ मियगंध ( मृगगन्ध ) ज २५०, १६४, ४११०६, २०५ मियलुद्ध ( मृगलुब्ध) उ ३१५० मियालुंकी (मृगवालुकी ) प १२४८|४; १७११३० मियालुंकीफल ( मृगवा लुकीफल ) प १७ १३० मिरिय (मरिच ) प १७।१३१ मिरियण्ण (मरिचचूर्ण) प ११ ७६; १७।१३१ मिसिर (मृगशीर्ष) ज ७।१२८ मिरी ( मरीचि ) ज ३१११७ मिरीचि ( मरीचि ) सू २१ मिरीया ( मरीचि ) सू २०१ मिलक्खु ( म्लेच्छ ) प ११८८८१ ज ३३७७,१०६ मिलाइता (मिलित्वा ) ज ५।६४ मिलाय ( मिलय् ) मिलाइ ११२५ मिलायंति ज ३।१११ मिलता (वा) ज ३११११ मिलिय (मिलित ) प १६।१५ २२८४ मितिसित (दे० ) ज ३११०६५।२१ मिसिमित (दे० ) ज ३१६,२४,२२२, ५१२८ Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० मिसिमिसेमाण-मुद्दा मिसिमिसेमाण (दे०) ज ३१२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५,१४० मिस्स (मिथ) प १४४७१२ मिस्सकेसी (मिश्रकेशी) ज ५१११११ मिस्तार (मिथाकूर) सू १०२० मिहिला (मिथिला) पश६३१३ ज ११२,३; ७२१४ च ६ से ८ सू १।१ से ३ उ ३११७१ मिहुण (मिथुन) ज २११२; ४१३,२५ उ ५१५ मीसग (मिथक) ५ ३२१६१ मौसजोणि (मिथयोनि) प ६१६ मौसजोणिय (मिश्रोनिक) प ६।१६ मोसय (मिश्रक) ज २१६५,६६ मीसाहार (मिश्राहार) प २८।१.२ मीसिय (मिश्रित) प ६३१३ से १७ मुइंग (मृदंग) प २१३०,३१,४१,४६,३३।२४ ज ११४५;३.१२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, ७८,८२,१४७,१६८,१८०,१८५,१८७,२०६, २१२,२१३,२१८,५१,५,१६, ७५५,५८, १८४ सू१८।२३,१६१२३,२६ मुइंगपुक्खर (मृदंगपुष्कर) ज २६१२७ मुंच (मुच्) कोच्छिहिति ज २११३१ मुंजपाउयार (मुजपादुककार) प श६७ मुंड (मुण्ड) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५,८७ उ ३३१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६, १३८,१३६,४।१४,१९:५३२ मुंडभाव (मुण्टभाव) उ२२४३ मुंडि (मुण्डिन् ) ज ३३१७८ मुक्क (मुक्त) प २१३०,३१,४१ ज २११०,१५; ३७,८८,४११६६५७ मुक्केलम (दे०) प १२१८ से १३.१६,२०,२१, २३,२४,२७,२८,३१ से ३३ मुक्केलय (दे०) प १२।७ से १०,१६,२०,२४,२७, २८,३६ मुगुंद (मुकुन्द) ३।३१ मुग्ग (मुद्ग) प ११४५३१ ज २१३७,३१११६ मुग्गचुण्ण (मुद्गचूर्ण) प ११७६ मुग्गपण्णी (मुद्गपर्णी) प १:४८५ मुग्गसिंगा (मुद्ग सिंगा') प १११७८ मूग की फली मुग्गसूव (मुद् गसूप) सू १०११२० मुच्च (मुच्) मुच्चइ प ३६.८८ मुच्चंति प६११० ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८; ४११०१ उ ३११४२ मुच्चति प ३६।११ मुच्चिहिइ उ १११४१,३।४६:५१४३ मुच्चिहिति २।१५१ गुच्चेज्जा प २०१८ मुच्छिय (मूच्छित) ज ५१२६ उ ११४७,३।११४ ११५,११६ मुछि (मुष्टि) ज २११४१ से १४५,३।११५, ११६,१२२,१२४ मुठ्ठिय (मौष्टिम,मुप्टिक) ज २।३२; ५,५ मुणाल (मृणाल) प ११४६,११४८।४२,२०६४ ल ३११०६४३,२५ मुणालिया (मृणालिका) प २।३१ मुणेयव (ज्ञात य) प १३८१३,२१४०१६,११; १५६१४३ ज ४।१४२।३,७४१३४१४ सू१६२२१११,२२ मुत्त (मुक्त) २१८८,८६,३७६,११६,११७,२२५ १५,२१,४६ मुत्त (मूत्र) उ ३३१३०.१३१,१३४ मुत्तजाल (मुक्तजाल) ज ३३१७७ मुत्तमाण (मुद्रयत्) उ ३।१३०,१३१,१३४ मुता (मुक्ता) ज ४।२७ मुत्ताजाल (मुक्ताजाल) ज ३।३०,४७,२२२ सुतादास (मुक्तादामन्) ज ५१३८ मुत्तालय (मुक्तालय) प २१६४ मुत्तालि (मुक्तावनि) ज ३।२११,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ मुत्ति (मुक्ति) प २१६४ ज २०७१ मुत्तियाजालय (मौक्तिकजालक) ज ३।१०६ मुत्तिसुह (मुक्तिमुख) प २१६४११५ मुत्तोली (दे०) ज ३११०६ मुद्दा (मुद्रा) प २१३१ Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुद्दिया-मेंढमुह १०२१ मुद्दिया (मृद्वीका) प ११४०१४ ६५,९६,६८ से १००,१२२,१२६,१२७, मुद्दिया (मुद्रिका) ज ३१६,२११,२२२ १३४।१,२,३,१३५१ से ४ च ३३१४११:५।२ मुद्दियासारय (मृद वोरासारक) प १७१३४ सू१।७।१,११८।१,११६२,११०,१३,१४,१६ मुद्ध (मुर्धन् ) ज ५१२१,५८,६४,७२,७३,७१७८ से १८,२१,२२,२४,२७,२१३,३१२,४८,९; मुद्धत (मूर्द्धान्त) सु २०१२ ६।१८:१; ६।२;१०।२ से ५,८४,१३३,१३४, मुद्धय (दे०) प ११५८ १५२ से १६५,१११२ से६१२१२ से ६, मुद्धागय (मूर्द्धगत) ज ३९२,११६ १२,१३,१६ से २८,१३॥१.३,१४१३,७; १५२ मुम्मुर (मुर्मुर) प ११२६ से ४,८,६,११,१२,३७:१७.१ उ श२४,४७, मुम्मुरभूय (मुर्मुरभूत) ज २११३२,१४१ ९०,६२ मुय (मुच्) मु ति कु २०१२ मुहत्तगइ (मुहूर्त गति) चं ४।३ मुयंत (मुञ्चन्) ज २:१२ मुहत्तरंग (मुहूर्ताग्र) च ५११ सू १।६।११०१२; मुरव (मुरज) ज ३।१२,७८,१८०,२०६ १२॥२ से । मुरुंड (मुरुण्ड) प ११८६ मूल (मूल) प १३५,३६,११४८।१०,२०,३०,३४, मुरुंडी (मुरुण्डी) ज ३।१११२ ५१ ज १८,३५,५१,२१६३१२२२०,४७,१५, मुसल (मुसल) प २१३०,३१.४१ ज २१६,१४१, ४३,४५,७२,७८,६०,६५,११०,११४:१२०, १४५, ३१३,२०,३३.५४,६३,७१८४,११५, १४२११,१४६,१५६।१,१७४,२१३,२४२; ११६,१२२,१२४,१३७,१४३,१६७,१८२; ५६७,७१३६,३८,६२४११,१२८,१२६, ७.१७८ १३२।४,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६,१६७, मुसावाय (मृषावाद) प २२।१२,१३,८० १७५ सू१०।२ से ६,१८,२३,५२,६२,७३ से मुसावायविरय (मषावादविरत) प २२१८५ ७५,८३,११७,१२०,१३१ से १३३,१२।२७; मुसंढी (दे०) प ११४८।१२।३०,३१,४१ १८१७ 3 ३१५०,५१,५३ मुह (मुख) ज २०७१,१३३,३।१०५,१०६, यूलग (मूलक) प ११४४।२,११४५१२ ज ३१११६ १६७१११४१२३,३६,३८,३६,४३,६५,६६, मूलांग (मूलाग्र) प ११४८१६३ ७२,७३,७८,६०,६१,६५,१८३.२६२७।१७८ मूलपासायव.सय (मुरुप्रासादावतंसक) ज ४।१२० उ ३१५५,५६,६३,६४,६७,६८,७०,७१,७३, भूलय (मूलक) प १।४८।२ ७४,७६, ४।२१ मूलाग (मूलक) उ १९६२ मुहफुल्लय (मुखफुल्लक) ज ७१३३१२ मूलाषण्ण (मूतकपर्ण) १०११२० मुहफुल्लसंठिय (मुख'फुल्ल'स स्थित) सू१०४७ मूलाबीय (मुलना वीज) ज २१३७ मुहभंडग (मुखभाण्डम.) ज ३११७८ मूलाहार (मूलाहार) उ ३५० मुहमंगलिय (मुखमाङ्गलिक) ज २१६४;३३१८५ मुसग (मुषक) प ११७८ मुहमंडव (मुखमण्डप) ज ४.१२२ मूसा (भूषक) प १७६ मुहुत्त (मुहूर्त) ६१ से ४,६ से १०,१७,१८,२२ मेइणी (मेदिनी) ज २११५ से ३०,४५७१३,६ से ६२३१६३,१२७,१३१, मेइणीय (मेदिनीक) ज ३११८,३१,१८० १८८ ज २१४१२,३,२१६६,१३४,३३३२१२, मेंढक (मेंढक) सू १०।१२० मेढानिंगी लता २०६७।२० से ३०,३६ से ३८,७६ से ८२, मेंढमुह (मेंढमुख) प ११८६ Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२२ मेघ-या मेहा (मेघा) ज ३३ मेहाणीय (मेघानीक) ज ३।११५,१२४,१२५ मेहावि (मेधाविन्) ज ३।१०६ मेहुण (मथन) २८१६,१७,८० मेहुणवक्तिय (मशनर) ज ७११८५ १८।२३, २४;२०१६ मेहुणसण्णा (मथुनसंज्ञा) प ८११ से ५,७ से १,११ मोढ (दे०) ३ ११८६ मोक्ख (मोक्ष) ज २।७१ मोगली (गली) एक जंगली पेड । १४०।५ मोग्गर (मुद्गर) ११३८१२; २१४१ ज २।१० मोग्गलयण (मौद्गलायन) ज ७।१३२२१ सू १०१६२ मोत्ति (मौक्तिक) ज ३११६७।८ मोत्तिय (मौक्तिक) २४६ ज २।२४,६४,६६) मेघ (मेघ) ज ३।२२४ मेघमालिनी (मेघमालिनी) ज ४१२३८ मेघस्सर (मेघस्वर) ज ५१५२ मेच्छ (म्लेच्छ) प २१६४१७ मेच्छजाइ (म्लेच्छजाति) ज ३१८१ मेढी (मेढी) उ ३।११ मेढीभूय (मेढीभूत) उ ३१११ मेत्त (मात्र) प ११४८६०,११७४,८४; १२११२, २४,३८,१५१०,२३,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३३३१३,३६।५६,६६,७०,७४ ज २।१३४ उ ३।८३,१२०,१२१,१२७,१२८,१६१; ४१२४;५१२३ मेद (मेदस्) प २।२० से २७ मेधावि (मेधाविन्) ज ५१५ मेय (मेद) १८६ मेरग (मैरेय) उ ११३४,४९,७४ मेरय (मैरेय) प १७:१३४ मेरा (मर्यादा) ज ३१२६,३६,४७,७६,१३२,१३३, १३८,१५१,१८८ सू २०१६।४ मेराग (मर्यादाक) ज ३।१२८,१५१,१७०,१८५, २०६,२२१ उ ५.१० मेरु (मेरु) ज ४१२६०।१७।३२११,७१५५ सू ५।१; ७।१:१६२२११०,११,१६१२३ मेरुतालवण (मेरुतालवन) ज राह मेलिमिद (दे०) ५११७० मेसर (दे०) प १७९ मेह (मेघ) ज २१३१, ३१७.६३,१०६,१२५, १७,१६३,५१२२ से २४ उ ११ मेहंकरा (मेघकरा) ज ४।२३७,५०६१ मेहकुमार (मेषकुमार) उ २११११,११२ मेहमालिणी (मेघमालिनी) ज ५१६१ मेहमुह (मेघमुख) २ १८६ ज ३१११ से ११५ १२४ से १२६ मेहबई (मेघवती) ज ४२३८; ५।६।१ मेहवण्ण (मेघवर्ण) उ ५१२४,२६ मोद्दाल (दे०) ज २१८ मोयई (मोची) १३५१ हिलमोचिका साग मोयग (मोचक) ज ५।२१ मोरगीवा (मयू रग्रीवा) प १७६१३४ मोसभासग (मपाभाषक) प ११०१० मोसमण (मृपामनम् ) प १६:१,७ मोसमणजोग (मृपामनोयोग) प ३६१८६ मोसवइजोग (मपावाक्योग) ५ ३६.६० मोसा (मृपा) ११११२ से १०२६ से २६,३२, ३४,४२,४३,४५,४६,८२,८४,८५,८७ से ८६ मोह (मोह) प २३११६१ ज २१२३३ मोह (माहय् ) मोह ति ज ११३ मोहणिज्ज (मोहनीय) प २२१२८,२३११,१२, १७,३२,१६२, २४।१३:२६।१२, २७१६ मोहरिय (मौखरिक) ज ३११७८ य (च) ५१।१० ज १७ सू १७ उ १७, ३।२।१४।२। १ २।१ या (च) उ ३१२११ Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याण - रत्या याण (ज्ञा ) याणंति प १५/४६, ४८, ४६; ३४।११.१२ याणति प २३११३ याणामो उ १।३६ याव ( यावत् ) प १२०, २३, २६,२६,३६,३७,३६ से ४७, ११४८ । ७. १० से ३७,४१,४३, ११४८ से ५१,५६,६०.६३ से ६६,७०,७१,७५,७६,७८, ६६,६७ र २।४१ ज ५१२६ र (रति) रकरग (रतिकारक ) ज ५१४८, ४६ रइकरगपव्वय (रनिकरकपर्यंत) उ५।४४ रइत ( रचित) ३६।६२ रइत (रतिद) ज ३।३५ र ( रचित) १ २ ३०, ३१, ४१ ज ११३७,२११५, ३१६,६,१५,२४,३५,६३,१०९, ११७,१७८, १८०,२२१,२२२५१४३०३५५ रइय ( रतिक ) प २१४८ रइय ( रतिद) ज २११५ रइयामय ( रजत मय) ज ४|१३ रजस्सल (रजस्वल) ज २११३१ रत्ता ( रचयित्वा ) उ १।१३७१३५१ रक्खा (रक्षा) ज ५ । १६ रज्ज ( राज्य ) ज २२६४,३२,१७५,१८८ ११६६, ६४,६६,१०३, १०६,११०, ११३, ११४, १२१, १२२,१२६:५१६, ११ / रज्ज ( रज्) रज्जति सु १३।१ रज्जधुरा ( राजधूर् ) १।३१ रज्जवास (राजवास) ज २८७ रज्जसिरि (राज्यश्री) उ ११६५,६६, ७१,९४,९८, ६,१११,११२ रज्जु ( रज्जु) ज ३।१०६७।१७८ रज्जुच्छाया (रज्जुच्छाया ) ९१४ रट्ठ (राष्ट्र ) उ ११६६,६४,६६ रट्ठकूड ( राष्ट्रकूट) उ३।१२८ से १३१.१३३, १३६,१३८ से १४०, १४७, १४६ रक्तकणवीर ( रक्तकरवीरक) प १७ १२६ रतचंदण ( रक्तचन्दन ) प २१३०,३१,४१ रंग (रङ्ग) ज ३ | १६७६ रक्खस (राक्षस) प १।१३२ २४१,४५ ज ७ १२२ रक्तबंधुजीवय ( रक्तबन्धुजीवक ) प १७।१२६ सू १०/८४१३ १०२३ रणभूमि ( रणभूमि ) उ १११३५. रण (रत्न ) प २४८ रणप्पा ( रत्नप्रभा ) प २०४८, ४६; ३३१८३; ६।६१; १०२, ३ रतणवडेंसय ( ग्लावनंसक ) प २१५१ रतणामय ( रत्नमत्र ) २०४९ रति ( रति) २३:३६,७६,१४४ रतिणाम ( रतिनामन् ) प २३/६४ रतिपत्त ( रतिप्रसक्त) सू २०१७ रक्त (रक्त ) प २३१,२२४०११० ज ३१७, २४, २५, १८४,१८८ ७११७८ सू १३१२०/३,७ उ ११७२,७३,८७,६८,६२ रत्त (रात्र ) ज २२६३१, २०१४१ से १४५, ३१११५, ११६,१२१,१२२, १२४ रतंय ( रक्तांशुक) ज ४।१३ सू २०१७ रक्तकंबलसिला (रक्तकम्बल शिला) ज ४१२४४, २५२ रत्तरयण ( रक्तरत्न) ज २१२४,६४,६६, ३।१६७ रत्तवई ( रक्तवती ) ज ४१२७४६।१६ रक्तवईकूड ( रक्तवतीकूट) ज ४।२७५ रत्तसिला (उक्त शिला) ज ४।२४४, २५१ रता (रक्ता ) ज ४१२७४; ६ १६ रक्ताकूड (रक्ताकूट ) ज ४।२७५ रक्ताभ ( रक्ताभ ) प २२४६ रक्तासोग (रक्ताशोक ) ६ १७ १२६ रति (रात्रि ) ज ३१६५,१५६ रतुप्पल ( रक्तोत्पल ) प १७ १२६ ज २।१५; ७१७८ रत्था ( रथ्या) ज ३।७ Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२४ रम-रयणी रिम (रम् ) रमंति ज १११३,३०,३३,३७ ; ४१२ ११२,१२३,१३१ रमंत (रममाण) ज ३।१७८ रयणकरंड (रस्नकरण्ड) ज ३१११ रमण (रमण) ज ३।१३८ रयणकरंग (रकार गडक) ज ५१५५ उ ३।१२८ रमणिज्ज (रमणी) प २।३१,४८ से ५१.६३ रयकुन्छिधारिय (त्निकुक्षिधान्बिा ) ज ५।५,४६ १७४१०७,१०६ १११ ज १११३.२१,२५,२६, रयणचित्त (मानचित्र) ज ३४५६,१४५ २८,२६,३२,३३.३६.३७,३६.४०,४२,४६) रयप्पभा (नप्रभा) ए ११५३; २।१२०,२१, २।७,१०,१५,३८,५२,५६,५७,१२२,१२७, ३० से ४६,४१ से ४३,४६,५०,५१,६३; १४७,१५०,१५६,१५६,१६१,१६४,३१६,८१, ३.११.२१,४१८ से;६।१०,४५,५.१,७३, १६२,१६३,१६६,१६७,२२२,४१२,३,८,९,११, ८८,६१,१०६:१०।१ से ३,२८,३०,१६१२६; १२.१६,३२,४६,४६,४०,४६,५०,५६,५८,५६, २०१६,६,२८.३६.४६,५०,५९,२११५२,५६, ६३,६९,७०,८२,८७,६८,१००,१०४,१०६, ६६३०।२५ से २८:३३१३,१६ र २११; १११,११२,११७,११८,१३१.१६६,१७०, ६।३,१८१ १७६,२०२३१,२३४,२४० से २४२,२४७, रयणप्यमा पुरविणेरइय (रत्नाभा प्रथित्रीनरक) २४८,२५०,२६७, ५१३२,३५,७१७८ मू२।१६।३,१८१ रयणर. य (बावतंसः) २१५६ रम्म (रम्य) ज २१०,१२, ३१८१; ४।२०२१ रयण (वासा) (रत्नवर्ण) ज ५१५७ उ ३।४६;५.६ रयणमय (रनमा) ! २।३०,३१,४१ से ४३, रम्मग (रम्बक) ज ४।१०२,२०२ ४६,५० से ५२,५.८ से ६०,६३ ज २९१०, रम्मगकूड (रम्यककूट) ज ४१२६३।१,२६६११ ३१,३५,४०,४६।१,२१११४,११५,३१६६, रम्मगवास (रम्पकवर्ष) प ११८७:१६।३० १००,१०१ ; ४१२८,३०,४१,४५,५७,६२,७४, ज ४१०२,१६२,२६६ से २६८,६१६,२१ ७६,१०३,११४,१३६,१७८,२१२,२१७,२७६; रम्मय (रम्यक) प १७११६४ ज ४।२०२।१,२६५ ५.३७ से २६७ रयणसंचया (रत्नांचया) ज ४१२०२।२ रम्मयवास (रम्यकवर्ष) ज २६ रयणाली (रत्नावली) ज ३१२११ रय (रजस्) ज ३।२२३, ५७ राण (नि) १७५२१६४७,८,२११६६.६७, रिय (रच्य) रएइ उ १११३७,३१५१ रएंति ७०,७१३४ ज २११३३ याट जोह - ३१११४ रयाण (रनि), ११४,६११ रयण (रत्न) प १११२,११३,४८, २१३०,३१,४१, राषिकर (रजनिकर) ज ३।१०६ गु १६१२२११२, ४८,१११२५; १५३५५१२,२०१११ ज ६४, ६६, ३।६,१२,१८,२४,३०,३१,३२॥१,३५, रवणिलेत (रजक्षेत्र) ज ७४२७,३० ५६.६४,७६,७७,८१,११७,१२५ से १२८, रयजिगर (जनिकर) ज ३।११७ १३८,१४५,१५.१,१५२,१६७४१,५,१२,१४, रणिपुहतिय (थिक्त्यिक) प १७५ ३।१६८,१७५,१७८,१८०,१८४,१६२,२११, रणिय (रनिः ) ४।१० २२१,२२२४१४६,१३७; ५।५,७,१३,१६, रणियर (रजनिवार) ज २११५,३१११७ ३८,५८,७११७८ सू १८/८२०१७ उ१११११, रयणी (ररिन) १६,१२८,१३३,१४८ Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रयणी - रहवर रयणी (रजनी) ज २१२८, १३३,३६१८८, ७ १२० सू १०८८१३ उ ३२४८, ५०, ५५,६३,६७,७०, ७२,१०६,११८ रयणुच्चय ( रत्तोच्चय ) सू५४१ रयणोच्चय ( रत्नोच्चय ) ज ४२६०११ रत्ताण ( रजस्त्राण ) ज ४११३ सू २०१७ रयमत्त ( रतमत्त) ज २।१२ रथ (रजत) ज ३ | १०३,४१२५, १२५, १४६; १६२१,२३८,२५.५ ५१५,६२; ७११७८ रययकूड (रजतकूट ) ज ४।१६४,२३६ रखंड ( रजतखण्ड ) ११/७४ वालुवा (रजतवालुका) ज ४१३ रययामय ( रजतमय ) ज १२३ ३ १२,८८४३ १३,२५,६४,८८,२०३५१५८ ७ १७८ रव (ख) २३०,३१,४१,४६ ज ११४५ २२६५ ३१२२,३६,७८,८३,६३,६६,१६३, १८०, १८३, १८५, १८७, २०४,२०६,२१३,२१६,५११, ५, ६,२२,२६,४४,४६, ४७,५६,६७, ७१५५,५८, १७८१८४ १८१२३; १९ २३, २६ उ १।१२१,१२२, १२५, १२६,१३३,१३४,१३८; ३।१११, ४११८५ १६ रवभूय ( रवभूत) ज ३११०६ रवि (रवि) ज २०१५; ३१३,३०,७११२७।१,१६७ सू १०९७७ १६८।२:२२/३ रविकिरण ( रविकिरण ) ज २२१५ रस (रस) प ११४ से ६ ३ १८२५१५,७,१०,१२, १४,१६,१८,२०,२४,२८,३०, ३२, ३४, ३७, ३६, ४१,४५,५३,५६,५६,६१,६३,६८, ७१.७४, ७६,७८.८३,८६,८६,६१,६३,९७,१०१, १०४, १०७.१०६,१११,११५, ११६,१२६,१३८, १५०,१५२, १५४,१६०, २०५, २०७, २११. २१४,२२८,२४२,२४४, १० १५३११:११ ५७, १८१५/३८; १७३११४।१, २३११५,१६,१९, २०,१०८ २६१२०,३२.६६; ३६/८०, ८१ २११८,४५, १४२, ३३८२,१८७,२१८; १०२५ ७ ११२२४, २०६ सू १०/१२६२४; २०१७ उ ५।२५ सओ (रस) प ११५ से ६,२८।२६,३२,६६ रसचरिम (रराचरम ) प १०३५०, ५१ रणाम (रसनामन् ) प २३३३८,४६ रसतो ( सतस् ) प १६, ६, ६ ११५८२८८, २०, ५४ रसदेवी ( रसदेवी ) उ ४२१ रसपज्जव ( रसपर्यव) ज २१५१,५४, १२१, १२६, १३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०,१६३ रसपरिणाम ( रसपरिणाम ) प १३।२१,२८ रसभेय (द) प १।४८।५ समंत (वत्) प १११५२,५७२८१५,५१ रमेह (घ) ज २१४५ रसविण्णाणावरण (सविज्ञान ) प २३।१३ रसादेस (रसादेश ) प ११२०,२३,२६,२६,४८ रसावरण ( रसावरण ) प २३१३ सिदिय (सेन्द्रियत्व ) प ३४१२० रशिय (सित ) ज ३।३५: ५। २२ से २४, २६ रोदय ( रसोदक ) प १२३ रसि (२) ज ३१३,१८८ रह ( 25 ) ज १२६,२।१२,३३,६५,१३४,३३, १४,१७,२१ से २३,२८,३१,३६,३७,४१,४५, ४६,७७,७८,६१,६८,१०६, १३१,१३५, १७३, १७५,१७७ से १७६,१६६,२२१५।५७ उ १११४,१५,२१,२२,१२१,१२६,१३३,१३६ से १३८४११५: ५११८ रहचक्कवाल ( रथचक्रवाल ) प ३६।८१ ज १७ सू ११४ रहच्छाया (रथच्छाया ) प १६/४७ रहनेउ रचक्कवाल (रथनूपुरचक्रवाल) ज १९।२६ रह (रथाथ ) ज २११३४ रहमुसल ( रथमुसल) उ १११४, १५, २१, २२, २५, २६,१३६, १३७,१४० रहरेणु (रथरेणु) ज २१६ रहवर ( रथवर ) ज २।१५; ३।२२.३६,४४ Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ रहसि र-रायहंस रहसिर (रशिरस्) ज ३।१३१,१३५ रहस्स (रहस्य ) उ ३।११ रहस्सियग (राहसिक) उ११४६ रहस्सियय (राहसिक) उ ११४४ रहस्सीकर (रहस्यीकृ) रहस्सीकरेसि उ ११३६ रहिय (रहित) ए३२१६।१,३५३१२ ज २११५, १३३ सु २०६६ रहोकम्म (रहःकर्मन्) ज २१७१ राई (रात्रि) ज २११५,३।११७,७१२६ से ३०, १२०,१२१ च ५२ सू १९३२।१,३, १६.११.१ राइ (राजन) उ ५.१० राइंदिय (रात्रिदिव) प ६३०; १८।३३,५१; २३११६२ ज २१४६,५२,५६,१५६.१६१ ७.२७,३०,१५८,१६१से १६७ सू ११११, १४,२२ से २४,२७, २॥३,६।१८।१ १०।१६६ से १६६१२२ से ६,१३,१५; १५:३२,३४,३७ उ १५३,७८ राइदियग्ग (रात्रिंदिवान) सू ११११,१२।२ से ६, से २६,३१ से ३४,३६ से ४२,४४ से ५०,५२ से ५.६,६१ मे ६७,६६ से ७४,७६,८३,८८, ६० से ६४,९६,६६ से १०१,१०६ से १०६, ११५ से १२०,१२१११,१२२ से १२५; १२६६१,१२७,१२८,१३१ से १३४,१३५११, १३७ से १३६,१४१,१४३,१४५ से १४७. १५० से १५४,१५७ से १६०,१६३ से १६७, १७०,१७३,१७५.१७७,१८१ से १८३,१८५ से १६२,१६८,१६६,२०१,२०२,२०४ से २१२,२१४,२१५,२१८,२१६,२२१ से २२३; ४।१७७,१८१,२००:५१५,७ चं ८ सू ११३,४ उ ११० से १२,१४,१५,२१,२२,२५,२६,२६ से ३२,३४,३६ से ४४,४६,४९,५७,५८,६१, ६२,६५,६६,६८ से ७४,८२,८३,८६ से १६, १८ से ११६,१२१,१२७,१२६ से १४५; २।४,५,१६,१७,३१४,१५ से १८,२१,२४,८६, १५५,१६८,४१४,६:५६,११ से १३,२५,३० रायकुल (राजकुल) उ १११११,११२:५१४३ रायगिह (राजगह) प १६३।१ उ १६१,२,२८,२६, ९३,३३४,२१,२४,८६,१५५,१६८,४४,६,७, राइण्ण (राजन्य) प ११९५ ज १६५ राईसर (राजेश्वर) ज ३१६,७७,८६,१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ३।११,१०१:५।१०,१७,३६ । राग (सग) प २१४१,१७१११६; २३१६ ज २१२६, ३७,३५,१८४,१८८ ९ १३१२ राति (रात्रि) सू १६१३,१४,१६,२१,२२,२४,२७, २१३; ३१२,४।८,६६।१८।१६।२; १०५, ८८३ रातिदिय (रात्रिदिव) १४।७२,७४,७६,७८,९८, १००,६।११,२६,३१ से ३४,१८१२२ रातोतिहि (रात्रितिथि) मू १०।८६,६१ राम (राम) १६३६ रामकण्ह (गमकृष्ण) उ ११७ राय (राजन) प १६।४१ ज ११३,२६,२।१६,२५, ६३:३।२ से ७,६ से १३,१५,१७ से २४,२६ रायग्गल (राजार्गल) र २०१८,२०1८६ रायत (राजत) ज ३।११७ रायतेय (राजतेजस्) ज ३.१८,६३,१८०,१८७ रायधम्म (राजधर्म) ज २११२६,१५८ रायपवर (राजप्रवर) ज ३१६५,६६,१५६ रायप्पसेणइज्ज (राजप्रतीय) ज ४।११५,५५३२ रायबहुल (राजबहुल) ज ११८ रायमग (राजमार्ग) ज २६५ रायलच्छी (राजलक्ष्मी) ज ३१११७ रायवण्णय (राजवर्णक) ज १२२६;३३३ रायवर (राजवर) ज ३९२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१७८,१८०,१८८,२१६,२२४ रायवल्ली (राजवल्ली)११४८१४ रायसरिस (राजसदृश) उ १११३८ रायहंस (राजहंस)पश७६ Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रायहाणी-रुहिर १०२७ रायहाणी (राजधानी) प ११७४ ज १११६,४५, ७१७८ ४६,५१, २।२२,६५, ३१,२,७,८,१४,१७२. द (दे०) ज ७४३२१ १७३,१८०,१८२ से १८५,१६१,१६२,२०४, रुक्ख (रूक्ष) प १।३३।१,११३४,३६,४७१; २०८,२०६,२१२,२२०,२२१,२२४;४।५२, १७।१११ ज १२०,३१,१३१,१४४ से १४६) ५३,६०,८४,६६,१०६,११४ से ११७,१५६, ३१३२,१०६,१२६ उ ५।५ १६०,१६३ से १६५,१७४,१७५,१७७ १८०, रुक्खगहालय (रूक्षगेहालय) ज २।१६,२१ १८१,१६२,२००,२०२,२०४,२०६,२०७, रुक्खमूल (रूक्षमूल) प ११४८६१ ज १८,६ २०८,२१०,२१२,२२६ से २३३,२३७ से रुक्खबहुल (रूक्षबहुल) ज २१८ २३६,२६३,२६६,२६६.२७२,२७५,५१५०; रुक्खमूलिय (रूक्षमूलिक) उ ३३५० ६.१६,७१८४,१८५ उ ३३१०१ रु (रुष्ट) ज ३।२६,३६,४७,१०७,१०६,१३३ रायाभिसेय (राज्याभिषेक) ज १८५,३११८८, उ ११२२,१४० २०६,२१२,२१४ उ ११६५,६८,७२ रुद्द (रुद्र) ज ७१३०,१८६।३ रायारिह (राजाह) ज ३१८१ रुद्ददेवया (रुद्रदेवता) सु १०।८३ रालग (रालक) प ११४५१२ ज २।३७,३।११६ रुप्प (रूप्य) प ११२०१ ज ३.१६७/८ उ ३।४० दक्षिण भारत के जंगलों में मिलने वाला एक रुप्पकला (रूप्यकला) ज ४१२६८,२६६।१,२७२, सदावहार पेड़ ६२० राव (रावय्) राति ज ५।५७ रुप्पपट्ट (रूप्यपट्ट) ज ४।२६,२७० रावेत (रावयत्) ज ३११७८ रुप्पमणिमय (रूप्यमणिमय) ज ५१५५ रासि (राशि) प २१६४११६,१२१३२१७४१२६ रुप्पमय (रूप्यमय) ज ४२६,५१५५ राहु (राहु) प २।४८ सू २०१२,८,२०1८।४ रुप्पामय (रूप्यमय) ज ३।२०६४।२७० राहुकम्म (राहुकर्म) सू २०१२ रुप्पि (रुक्मिन्) प १६॥३० ज ४।२६५,२६८, राहुदेव (राहुदेव) सू २०१२ २६६१,२७०,२७१ सू २०१८,२०८१३ राहुविमाण (राहुविमान) सू १६।२२३१७२०१२ । रुप्पिणी (रुक्मिणी) उ ५।१० रिउम्य (ऋजुर्वेद) उ ३१२८ रुप्पोभास (रूप्यावभास) सू २०१८ रिक्ख (ऋक्ष) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७,२२२ रुयग (रुचक) प २१३१ ज ११२३,२।१५,३।३२; सू ११३७, १६।२२२६ ४११,६२,८६,२३८; १८ से १७ सू १९३५ रिगिसिगि (दे०) ज ३।३१ वाद्य विशेष रुयगकूड (रुचककूट) ज ४१६६,२३६ रिठ्ठ (रिष्ट) ज ३१६२,५।५,७,२१ रुयगवर (रुचकवर) सू १९३५ रिठ्ठपुरा (रिष्टपुरा) ज ४१२००१ रुयगवरोद (रुचकवरोद) म १९३५ रिट्ठा (रिष्टा) ज ४१२००१ रुयगवरोभास (रुचकवरावभास) सू १६।३५ रिट्ठामय (रिष्टमय) ज ४।७,२६ रुयय (रुचक) ११।२०।३ सू' १६३२ से ३४ रिद्ध (ऋद्ध) ज श२,२६,३।१ च ६ सु १११ रुरु (रुरु) प ११४८१२ ज ११३७,२६३५,१०१, उ ११,६,२८,३३१५७,५।२४ ४२७५२८ रिसह (नाभ) ज ७/१२२।३ सु १०1८४१३ रुहिर (रुधिर) प १२० से २७ ज ३१३१ रुइल (रुचिर) प २।४८ ज २११५:३।३५:४।४६ उ ११४४ से ४६ Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ रुहिरकम (रुधिरकर्दम ) उ १११३६ रुहिबिंदु ( रुधिरविन्दु ) ज ७११३३१२ रुबिंदुfor ( रुधिरबिन्दुसंस्थित) सू १० ३१ रूत (रून) ज ४।१३ सू २०७ रूयंता (रूपांशः) ज ५११३ रूयगावई ( रूपकावती) ज ५११३ रूया (रूपा ) ज ५।१३ रूव (रूप ) प ११।२५, ३३।१; १२/३२; १५ । ३७, ४१,२२/१७,८०; २३।१५,१६,१६,२०, ३४।१,२,३४।२० से २२ ज २।१५,१३३; ३१३,६,७६,८२,१०३,१०६,११६,११७,११६, १३८, १७८, १८६, १८७,२०४,२१८,२२२; ४१२७,४६,५२८, ४१, ४३, ५७,६८,७० सू २०१७ उ ३।१२७, ५१२५ रूग (रूपक) ज ४१२७; ५१२८७ १७८ रूपरियारग (रूपपरिचारक ) प ३४११८,२२,२५ रूवपरियारणा ( रूपपरिचारणा ) प ३४।१७,२२ रूवविसिया (रूपविशिष्टता ) प २३।२१ विहीणया (रूपविहीनता ) प २३१२२ सच्च (रूपसत्य ) ११:३३ रूवि ( रूपिन ) प १२.४,६५१२३.१२५, १४४ सू १३११७ रूवी (रूपिका ) प ११३७।१ सफेद आक का वृक्ष रूसमाण ( रुष्यत् ) उ ३।१३० रेणु (रेणु) ज २६,६५,१३१,५१७ रेणुबहुल (रेणुवहुल) ज २१३२ रेया (रेणुका ) प ११४८१५ रेणुका, संभालू के बीज रेरिज्जमाण (राज्यमान) उ३१४६ रेवई ( रेवती) ज ७ ११३१,१२८, १२६,१३६, १४०, १४३,१४६,१५८ सू १०११ ३ ५।१२, १३,३०३१ रेवतय ( रैवतक) उ ५ ५ रेवती ( रेवती) सू १०२ से ६,१०,२२,२३,३२, ६१, ६५, ७५, ८३,९८,१२०,१३१ से १३३, १२।२२ रुहि रकम रोहियंसा रेव (क) ५१६ रोइंग (गोविन्दक) ५।५७ रोग (रोग) ज २१४३, १३१३१३५, ११२ रोगबहुल (बहुल) ज १११८ रोज्झ (दे० ) प ११६४ रोद्द ( रौद्र ) ज ७।१२२११,१२६ १०६४।१ रोग (रोमन् ) ११८६ ज २०१५,१३३ रोमक (रोम ) ज ३३८१ रोमकूट (रोमकूप) ज ५२१ रोम (रोमक) १८६ रोमराइ (रोमराज ) ज २।१५ ( रोय (रुच्) रोएइ १११०१०२ रोएज्जा २०१७ १८,३४ रोय : १।१०१५ √ रोय ( रोचय् ) रोमि उ २११०३ रोय (रोग) उ ३ । १२८ रोणागिरि (नगिरि) ४२२५३१,२३३ रोयमाण (रुदत् ) उ १।९२६२११३० रोय (रोरुक) १२७ ( रोवाव (रोग्य् ) रोवावेइ उ ३१४८ वित्त (म्) उ ३४८ शेवाविय ( रोक्ति ) उ ३१५०,५५ v रोह (रुह) रोहति ३७६,११६ रोहिणिय ( रोहिणीक ) : ११५० रोहिणी (रोहिणी) ज ७ ११३ १,१२८, १२६, १३४१३,१३५१३,१३६, १४०, १४५, १४६,१६० सू १०१२ से ६.१२,२३,३७,६२.६७,७५,८३, १०२,१२०,१३१ से १३३ रोहियंस (रोहितांन) १२८२२१ एक प्रकार की तृण रोहिसकूड (रोहितांशकूट ) ४१४४ रोहियंसदीय (रोहितांशी ) ४१४१ रोहियंपाकुंड (रोहितांशप्रभात कुण्ड ) ज ४।४० से ४२ रोहियंता (रोहितांशा ) ४३५ से ४०, ४२,४३, ५७,१५२,२७०:६।२० Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रोहियकूड-लयाबहुल रोहियकूड (रोहितकूट ) ज ४७६ रोहियदीव (रोहितद्वीप) ज ४१६८,६६ रोहियव्यवायकुंड (रोहितप्रपातकुंड) ज ४ ६७,६८, ७१ रोहियमच्छ ( रोहित मत्स्य ) ११।५.६ रोहिया (रोहिता) ज ४१६५ से ६७,७१,७२,२६८; ६।२० रोहीडय ( रोहितक) उ ५।२४ से २६ ल लउड ( लकुट ) ज ३१११ लउय ( लकुच ) प १३६।३ उल ( लकुट ) ज ३११७८ लउस ( लकुश ) १८६ उसिया (कुशिकी) ज ३११११२ लंख (लख ) ज २०६४;३।१८५ लंघण ( लङ्घन ) ज ३३१०६, १७८ ५५ ७ १७८ लंग (लान्तक) व २०४६,५५,६३६६।३२,५६, ६५:७।१३,१५३८८ २१ ७० ३३।१६ ३४/१६. १८५२४६ संतगवडेंस (लान्तकः वतंसक) २१५५ i ( लाक) १।१३५; २१५५,५६; ३।३४, १८३४।२४६ से २४५ २०१६१; २८/८० उ २१२२ लंबिय ( लम्बित ) ज ७२१७८ लंबूसग (लम्बुसक) ज ५४३६,६७ V लंभ (लभ्) भनि ज ३।३५ लंभणमच्छ ( लम्भनम स्य ) प ११५६ लक्ख (लक्ष) १८१११ ज ३।१०३ लक्खण (लक्षण) व ११४८१५५, २४६४।१२ ज २११४, १५, १६, ३१३,३५,७७,१०६,१३८, १६७।१२,७११३८ चं २२४ सू १९०६ ४ ६ १६/२, ४,६ उ ११३४ लक्खणधर (लक्षणधर ) ज २।१५ लक्खणधारि (लक्षणधारिन् ) ज २११५ लक्खणसंवच्छर (लक्षणसंवत्सर ) ज ७११०३,११२ सू १०/१२५, १२६ लक्खणसहस्सधारक (लक्षणसहस्रधारक ) १०२६ ज ३।१२६।१ लक्खारस (माक्षारस ) प १७।१२६ लख ( लक्ष ) ज ३।३१ foछकूड (लक्ष्मीकूट) ज ४।२७५ लछिमई (लक्ष्मीमती) ज ५४६ १ लच्छी (लक्ष्मी) ज ३११८,६३,१८०३४१२११ लज्जिय ( लज्जित) ज २१६० उ११५६,८३ लट्ठ (लष्ट) ज १1३७ २ १५; ३६, ३५, ११७, २२२:४११२८ ५१४३७ १७८ लट्ठदंत (अष्टदंत ) १८६ लट्ठि (यष्टि) ज २।१५ लाह (यष्टिग्रह) ज ३।१७८ लडह (दे०) ज २।१५ लव्ह (लक्ष्ण ) प २३०, ३१, ४१, ४६, ५६.६३,६४ ज ११८,२३,३१,४११ लता (लता) प १३३११ लद्ध (लब्ध ) ज ३१२६,३६,४७,१०३, ११७,१२२, १२६,१३३,१८५, २०६१।१७.५७,८२,६६, १०७, १२७३ । १३,२६,३८, ८५, १२२, १४७. १६० ४।११, २५५११५,२३,३१,३८, ४२ लट्ठ ( लब्धार्थ ) सू २०१७ लद्धि (लब्धि ) प ११४६, १५२५६११, १५६२ / लम्भ ( लभ्) लब्भइ ज ७ १४३ (लभ (लम् ) लभइ ज ७।१५१ समति गु १०/५ लज्जा २० १७, १८, २२२५, २८, २९, ३४, ३८,३९,४१ से ४३, ४४, ४० से ५२, ५४, ५५, ५६ लय (लता) ७ १७८ लया (लता) प १३६ ज २।११,६७,१३१, १४४ से १४६३।१०६ उ ११२३ ५।५ लयाबहुल ( लताबहुल ) ज १|१८ Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लयावण्ण-लूहेता लयावण्ण (लतावर्ग) ज २६११ लाउयवण्णाभ (अलाबुकवर्णाभ) सू २०१२ लिल (लल,लड्) ललंति ज १११३,३०,३२, २७ लाघव (लाधव) ज २७१ ललंत (ललत्) ज ३११७८,७११७८ लाढ (लाढ) प ११६३३५ ललाड (ललाट) ज ७११७८ लाभ (ला) ज ३११७८,७।१७८ ललित (ललित) ज ३१९,२२ लाभंतराय (लाभान्तराय) प २३१२३ ललिय (ललित) ज ३१६,१७८,२२२,७११७८ लाभत्थिय (लाभार्थिक) ज ३।१८५ ललियबाहा ('ललितबाहु) ज २११५ लाभविसिठ्ठया (लाभविशिष्टता) प २३१२१ लव (लव) २२४१२,२१६६७७११२१५ सू ८।१; लाभविहीणया (लाभविहीनता) प २३।२२ १०।१२६५ लायण्णत्त (लावण्यत्व) प ३४१२० लिव (लप) लवति सू २०११ लाला (लाल!) ज ७१७८ लबंगरुक्ख (लवङ्गरूक्ष) प ११४३३२ लालाविस (लालाविष) प ११७० लवण (लवण) प १५२५५१ ज ६११,२,४,७४, लावग (लाक्क) प १७६ ३२।१,६३,८७ मू ८.१,१६३२,३,५, लावणग (लावणिक) म १९४२२१२३ १६३२२।२३ लावण्ण (लावध) प २३११६,२० ज २१५, लवणजल (लवणजल) सू १९।५।३ श६८,७० उ ३३१२७ लवणतोय (लवणतोय) सू १६१५१२:१६४२२१२४ लास (लासय) लासेंति ज ५१५७ लवणसमह (लवणसमुद्र) ५ १५१५५ १६॥३० लासग (लासक) ज २१३२ ज १११६,१८,२०,२३,३५.४८,४६, ३.१,२२, लासिया (लासिका,ल्हासिका) ज ३११११२ २८,३६,४१,४४,४६ ; ४११,३५,३७,४२,४५, लिक्खा (लिक्षा) ज २१६,४० ५५,६२,७१.७७,८१.८६,६०,६४,६८,२००, लित्त (लिप्त) प २१२० से २७ २०१,२६२,२६५,२७१,२७४,६३,५,१६ से लिवि (लिपि) प ११६८ २६,७।३१,३३,८७ सू श२२,४१४,७, ८.१; लिहिय (लिखित) ज ७/१७८ १६१३ से ६ लीला (लीला) ज ५१३,२८ लवणोदधि (लवणोदधि) सू १९५१ लुक्ख (रूक्ष) प १४ से ६; १५,७,१२६,१५२, लवणोदय (लवणोदक) प ११२३ १५४,२११,२१८,२२१,२२६,२४४,११५६ लह (लघु) ज ३२३५,४८,४६७।१७८ से ६१:१३।२२।२,१३१२२,२६,१७११३८%; लहुपरक्कम (लघुपराक्रम) ज ५१४८,४६ २३।५०; २८१६ से ११,२०,३२,५५ से ५७,६६ लहुभूय (लघुभूत) ज २२७० लुक्खत्तण (रूक्षत्व) प १३१२२११ लहुय (लघुक) प ११४ से ६,३११८२; ५१५,७, लुक्खया (रूक्षता) प १३।२२११ ज २११३१ २०६१५३१५ से १७,२८,३२,३३,२८।२६, लुद्धग (लुब्धक) उ ३६८ लूह (मृज्,रूक्षय्) लू हेइ ज ५१५८ लूहेति लहुयत्त (लघुकत्व) ५ १५१४४,४५ ज ३१२११ लाइय (दे०) प २।३०,३१,४१ ज ११३७,३।७,१८४ लूहिय (मृष्ट,रूक्षित) ज ३।६,२२२ लाउय (अलाबुक) ज ३१११६ लहेत्ता (मृष्ट्वा,मार्जयित्वा, रूक्षयित्वा) ज ३१२११; १. टीका में 'ललिनो बाहु' है। Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेक्ख-लोभसमुग्धात लेख (लेख्य ) १९८ लेच्छइ (निच्छवि, नेच्छवि) उ १११२७ से १३०, १३२ लेट्ठ (लेष्ट) ज २१७०, ७१ ३।३५,६५ लेप्पार ( लेप्यकार ) प १६७ / लेस (लिश ) लेमेंति प ३६ ६२ लेसणया (श्लेषण ) प १६१५३ लेसा (लेश्या) ५ १|१|५, २१३०, ३१, ४६; ३११११ ; १७।४३ से ४५,४७, ६६,६७, ११४, १४७, १५६ से १५८, १६१,१७२ च २२ ज ३६५, १५६, २२३,७/३८, ५८ ११६२; ११७३१ ६१ से ३,१६१२६, २०१२,३ लेसरगति (लेखागति ) ११६।३८ सापरिघाय ( लेश्याप्रतिघात) ज ७ ३८ लेसापरिणाम (लेश्या परिणाम ) प १३१२ लेसाहिताव ( लेश्याभिताप ) ज ७३८ लेसुद्देस (देश) सू २ लेस्सा (लेश्या) २४१,१६१५०; १७२१११,१७/७, १७,१८,३०,३६ से ४१, ८८,६७, ११४,१२६, १३६,१३७,१४७,१५६,१५७,१५६,१६० से १६३,१५११११;२८।१०६।१ लेस्सागति ( लेश्यागति ) व १६/४६ meergaraगति (श्यानुपातगति ) प १६२८,५० लेस्सापरिणाम ( लेश्य परिणाम ) प १३६, १४, १६, १८ से २० लेह (लेख) ज २२६४ उ १।११५.११६ हट्ठ ( रेखास्थ ) ज ७३१५८, १६१,१६४,१६७ सू १० ६५,६८,७१,७४ लोअण (लोचन) ज २११५ लोइय ( लौकिक ) ज ७ ११४ सू १०।१२४ लोक (लोक) ज ३११०९,१६७ लोग ( लोक ) प १२४८१६०; २३१०,१६,३०,३२. ३४,३५,३७,३८, ४१ से ४३,४८,५० से ५२, १०३१ ५८ से ६१,६३,१०२, ३, ५, १२७,१०,२०; १५।१।२; १५/४३,४५,५६,१६१३४; १८३, २६,२७,३७,३८,३६७६, ८१, ८५ ज २।६५, ७१३।३५,६५,१५६, १६७,४/२६०।१ सू १६१२२ लोगंत ( लोकान्त ) प २६४११०३०२१८४,८६, ८१ ज ७ १,६८,१६८१,१७२ लोगणाली (लोकनाली, लोकनाडी ) प ३३१८ लोगणाह (लोकनाथ ) ज ५१५, २१,४६ लोगपईव ( लोकप्रदीप ) ज ५१२१ लोगपज्जोयगर ( लोकप्रद्योतकर) ५२१ लोगपाल (लोकपाल ) प २१३० से ३३,३५,४६ से ५१ ज २६०, ११८, ११६,५/१६,५०,५६ लोगमज्झ ( लोक मध्य ) ज ४२६० लोगमज्झावसायि ( लोकमध्यावसानिक) ज ५१५७ लोगसणा (लोकसंज्ञा ) प ८१,२ लोगहिय ( लोकहित ) ज ५।२१ लोगागास ( लोकाकाश ) प ११४८५८ २ १० लोगाधिवति ( लोकाधिपति ) प २५०, ५१ लोगालोग (लोकालोक ) प १०१५ लोग हिवs ( लोकाधिपति) ज २६१; ५३१८,४८ लोगुत्तम ( लोकोत्तम ) ज ५१५, २१,४६ लोण ( लवण ) प १।२०११ लोद्ध (लोभ) प १३६१३ लोभ (लोभ) प ११।३४।१,१४०४,६,८,१० से १५,१७; २२।२०; २३३६, ३५, १८४ ज २११६, १३३ उ ३२३४ लोभकसाई (लोभकषायिन् ) प ३८ १३ १४; उ ११६२ लोउतरिय ( लोकोत्तरिक) ज ७ ११४ १० १२४ लोभणिस्सिया ( लोभनिश्रिता ) प ११३४ लोभसंजलणा ( लोभसंज्वलना) २३७२,१४० लोभसण्णा ( लोभसंज्ञा ) प ८१,२ लोभसमुग्धात ( लोभसमुद्घात ) प ३६/४७ १८/६६२८११३३ लोभकसाय (लोभकपाय ) १४५१,२,३६१४६ लोभकसाय परिणाम (लोभकषायपरिणाम ) प १३।५ Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२ लोभसमुग्धाय (लोमस मुद्धात ) प ३६ ४२, ४४ से ४६,४८ से ५१ लोम (लोमन ) प २।२० से २७ ज ३१३, १०६; ७१७८ लोप (पक्षिन् ) प १७७,७६ लोमहत्य ( लोमहस्त) ज ३३८८ लोमहत्थग (लोमहस्तक) ज ३।१२ लोमहत्यगपटलहत्यगय ( हस्तगतलोम हस्तकपटल ) ज ३ । ११ लोमाहार (लोमाहार) २८११२,२८१४०,६६, १०२,१०३ लोमाहारत (लोमाहारत्व ) प २८।४०,६६ लोय (लोक) प ११४८ ५८ ५६, २१ से ३१,४६, ४६:३३।१३ सू २1१:१६ १,२१ उ ३११३ लोय (लोच) ज २२६५; ३।२२४ उ ३।११३ लोयंत (लोकान्स) प २।६४।१०; ११।७२ सू २१ १८/६ लोयग्ग ( लोकाय ) प २४६४, २०६४/३ लोयग्गथूमिया ( लोकाग्रस्तूपिक ) प २६४ लोयग्गपडिबुज्झणा ( लोकप्रतिबोधना ) प २६४ लोयण (योचन) ज ७ १७८ लोणाभि (लोकनाभि ) सू ५११ लोमज्ज्ञ (मध्य) सू ५११ लोयाणी (दे० ) प ११४८६ लोल (लोल) ज २११२ लोह (लोभ) ज २६६ लोह (लोह) ज ३१३,३५,१६७८ लोहा (लोह) उ ३१५०,५५ लोहकसाई (लोभकपाविन्) प ३६८ लोहदंडग ( लोहदण्डक) ज ३११०६ लोहबद्ध (व) ज ३१३५९ लोहखमय ( लोहिताक्षम ) ज ४|१३ लोहि (लोह) प १।४८।१ सफेद सुहागा लोहिच्च ( सौहित्य) ज ७ १३३।२ लोहिच्चायण ( लोहित्यान) सू १०।१०४ १. लोचनी - बड़ी गोरखमुण्डी । लोभस मुग्धाय - वइर (वासा) लोहित ( लोहित) प ५१२०५ सू २०१२ लोहितक्ख ( लोहिताक्ष) ज ७ । १८६३१ सू २०१८ लोहिय ( जोहित ) प १४ से ६ : ५१५, ७, १११५३ ; १७ १२६ २३/१०३:२८/३२,६६ ज ४१२६ सू २०१२ लोहियक्ख ( लोहिताक्ष ) प ११२०१३ २१३१,३२ ज ४ १०६ ; ५५ सू २०१८ |१ लोहियक्खकूड ( लोहिताक्षकूट) ज ४ । १०५ लोहिक्मणि ( लोहिताक्षमणि ) प १७।१२६ लोहियक्खमय ( लोहिताक्षमव) ज ४२६ लोहियक्खामय ( लोहिताक्षमय ) ज ३ | ३० लोहियपत्त ( लोहितपत्र ) प ११५१ लोहियमत्तिया ( लोहितमृत्तिका ) प १११६ लोहित ( लोहितसूत्र ) प १७।११६ हसणकंद (लगुनकन्द ) प ११४८१४३ ल्हसिया ( व्हासिक, लासिक ) प ११८६ व व ( ब ) प ११०१६ ज ३३११३ चं २११ सू ११६ इ (वाच् ) प १६ १, ७,२३।१५,१६ ज २२६८ बइल (दे० व्याल) १ १ ३ १ बइगुत्त (वाग्गुप्त ) २६८ वइजोग (वाग्योग ) प २०१३८ ३६ ८६,६८,६०, ६२ वइजो परिणाम (वायोगपरिणाम ) प १३७ वइजोगि (बाग्योगिन् ) प ३।६६; १३ १४; १८१५६; २८।१३८ वत्ता (वदित्वा ) ज ५३ वयरिय (व्यतिचरित) सू २०१२ वाइयोगि ( वाग्योगिन् ) प १३|१७ वर (वज्र ) ५ ११२० १ २ ३० ज ३।१२,१८, २४,३५,८८, १०२, १८४,२१६; ४३,२५,४६, ६७,२३८,२५४; ५।५,१३,२८,५८७११७८ वरसह (वज्रऋषभ ) ज ३१३ वइरकूड (वज्रकूट ) ज ४।२३६ वर (वासा) ( वज्रव) ज ५।५७ Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वइरवेड्या वग्ग वइरवेडया (वज्रवेदिका) ज १।३७ ४ १२७५।२८ वइरसारमइया (वज्रसारमतिका) ज ३८८ वइरसेणा ( वज्रसेना ) ज ४।२३८ वइराड (वैराट ) प १६३१४ वइरामय ( वज्रमय ) ज १७,८,११,२४; २११२० ३।३०,४१३,७,१३,१५,२४ से २६, २९, ३१, ३६,६६,६८,७४,६१,६३,१२८, १४६ ६ ५ ३८, ४३, ७ १७८,१८५ सू १८/२३ वइरोयणराय ( वैरोचनराज ) प २२३३ ज २।११३ वरोर्याणिव (वैरोचनेन्द्र ) प २।३३ ज २।११३ वह रोभणाराय ( वज्रऋषभनाराच ) प २३/४५, ४ ज २४६ समय ( वाक्समित ) ज २२६८ इसाह (वैशाख) ज ३।२४७ १०४, १४६, १५५ सु १०११२४ उ ११२२,१४०, ३१४० बसाही ( वैशाखी) ज ७ । १३७ सू १० ७,१७,२३, २६ इस्सदेव (वैश्वदेव) उ ३।५१,५६,६४ (वाच् ) प ११५, ८, २१ से २६ वंक (व) ज २।१३३ गति (गति, वक्रगति ) प १६१३८, ५३ बंग (वज) प ११६३|१ ज २।१५ वंजण ( व्यञ्जन ) ज २११४ सू २०१७ वंजणोग्गह (व्यञ्जनावग्रह ) प १५५८२ १५।६८,६६, ७१ से ७३,७५ वंजुल ( वञ्जुलक ) प १७६ वा (वन्ध्या) उ ३६७,१३१ वंत (वान्त ) प १८४ २०१२ / बंद (वन्द ) वंदइ ज ११६ : २२६० ५।२१,६५ उ १११६; ३२८१४।१३; ५१२० वंदति उ ४ १६,५/३६ वंदामि प १|१|१ ज ५।२१ सू २०१६१६ उ ११७ दिज्जा उ ५।३६ वंदीहामि उ ३१२६ वंदेज्ज ज २२६७ बंद (बृन्द ) ज ३१२२,३६,७८ उ १११६ वंदण ( वन्दन) उ १११७ १०३३ वंदणकलस (वन्दनकलश) ज ३२७,८७,५।५५ वंद कल सहत्य ( हस्तगतवन्दनकलश) ज ३।११ वंदणवत्तिय ( वन्दनप्रत्यय) ज ५१२७ बंदणिज्ज ( वन्दनीय ) सू १८१२३ दिऊण ( वन्दित्वा ) चं ११४ वंदित्ता ( वन्दित्वा ) ज १।६ उ १।१६; ३८१; ४११४;५।२० वंदिया ( वन्दिका ) उ ४।११ बंस (वंश) १ ११४१२ बांस वंस (वंश) प ११।७५ ज २।१२४, १५२३/३१, १०६ उ५१४३ समूल (वंशमूल ) प ११४८८ वंसी (वंशी ) प १४७ वंसीपत्त (वंशीपत्र ) प २६ समुह (वंशी मुख ) प १४६ वक्कंत (अवक्रान्त ) प १२४८१५३ ज २२८५ वक्कंति (अवक्रान्ति) प१ । ११४ / वक्कम (अव + क्रम् ) वक्कमइ प ११४८१५१ वक्कमंत १२०, २३, २६,२६,४८,६१२६ वक्कमति सु १६।२२।१६ are ( वल्कल ) उ ३।५१।१ arcarfi ( वल्कवासिन् ) उ ३३५० ara ( वक्षस् ) ज २११५ खार ( वक्षस्कार ) प २३११५५५ । २ ज ४।२१२; ६१० वक्खारकूड ( वक्षस्कारकूट ) ज ४।२०२६।११ वक्खारपव्वय (वक्षस्कारपर्वत) ज ४१६४, १०३ से १०८,१४३,१६२,१६३,१६६,१६७,१६६, १७२ से १७४, १७६,१७८ से १८१,१८४, १८५.१६०,१६१, १६६, १६७, १६६,२००, २०२ से २०५,२०८ से २१२,२१५, २६२; ५१५५६।१० वग ( क ) प ११।२१ ज २।१३६ वगी ( वृकी ) प ११।२३ वर (वर्ग) २६४११५, १६, १२११०,३२,३६, ३७ उ १५ से ८ २ १३ १, २, ४ ११, ३, ५ १, Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वग्ग-वट्टमाण ११७ १२६१६:३२,१७१५८२०५६ से ५८; विग्ग (कल्प) वग्गति ज ५१५५ २२१२५,२३।१६१,१६७; २४।१३, २५।३; वग्गण (वल्गन) ज ३।१७८ २६।४२८११२,१२३,१२६,१२७,१२६, वग्गणा (वर्गणा) प १११७२१७१११४११,१४२ १३२,१३३,१३७ से १४१,१४३ ज २१७०, वग्गमूल (वर्गमूल) ॥ १२॥१२,१६,२७,३१,३२,३८ १३१,३।६,४।१७७,२१०,२४०,२४८,५।१३, वग्गु (वल्गु) प २६४।१५ ज २१६४,३११८५, ४६,५११ २०६४१२१२,४१२१२।३ : ५।५८ वज्ज (वाद्य) ज ५२५७ वग्गु (वाच) उ ११४१,४४ वज्जकंदय (बज्रकंदक) व १७११३० वग्गुरा (वागुरा) उ ५।१७ वज्जण (वर्जन) प ११०११३ वग्गुलि (वल्गुलि ) प १७८ वज्जणिज्ज (वर्जनीय) ज २११४६ वग्ध (व्याघ्र) ११६६:१११२१ ज २१३६,१३६ वज्जपाणि (बज्रपाणि) १२५० ज ५।१८,४६,६६ वग्घमुह (माघ्रमुख) प ११८६ वज्जमाण (वाद्यमान) उ १११३८ वग्धारिम (दे०) ज ३1८८ बज्जरिसभणाराय (वज्रऋषभनाराच) ज ११५; वग्धारिय (दे०) प २१३०,३१,४६ ज २१७,८८, २१४६ वज्जरिसहणाराय (वजऋषभनाराच) ज २।१६,८६ वग्धावच्च (व्याघ्रापत्य) ज ७/१३२१४ सु १०।११६ बरिसनाराय (बज्रऋषभनाराच) सु ११५ वग्घी (व्याघ्री) प १११२३ वज्जसंठिय (बज्रसंस्थित) प १११३० विच्च (वच्) वच्चंति ज ७।१३५२,३ वज्जसूलपाणि (वज्रशूलपाणि) ज ५।५७ विच्च (वज्) वच्चइ सू १६ बज्जिऊण (वर्जयित्वा) प १२७।३ वच्छ (वक्षम् ) प १३०,३१,४१,४६ ज ३1३,६, वज्जित्ता (बर्जयित्वा) प २१२२,३२,३४ ज ४।१३४ १,१८,१३,१८०,२२१,२२२:५।२१ ।। वज्जिय (वर्जित) प १०।१४।६ ज ५।५२ सू २०१७ बच्छ (वत्स) प ११६३१४ ज ४/२०१,२०२।१,२४८ वज्जेता (वर्जस्त्विा ) प२।२१,२३ से २७,३०, वच्छगावई (वत्सकावती) ज ४।२०२।१ ३१,३३,३५,३६,४१ से ४३,४६ वच्छमित्ता (वत्समित्रा) ज ४।२०४,२३८,५६ वज्झ (वा) ज ३६२,११६ वच्छल (वत्सल) प ३११२५; १।५,४६ वज्झार (वर्धकार) प ११६७ वच्छल्ल (वात्सल्प) प १।१०१।१४ वज्झियायण (ध्यान) ज ७१३२।४ सू १०१११८ वच्छाणी (वत्सादनी) प ११४०।४ सू १०११२० विट्ट (वृत्) वट्ट ति उ ३।३३ वट्टति प १६१२२ गजपीपल, गुडूची वट्ट (वृत्त) १११४ से ६,११६३।१२।२० से २७, वच्छावई (वत्सावती) ज ४२०२ ३० से ३६,४१ से ४३,१०।१५,२६,३६१५१ वज्ज (वन)५११४८७ वनकंद, कोकिलाक्षवृक्ष, ज १७,३१:२११५:३७,८८,११७,४१३,२५, तालमखाना ६७,११४,१२८,२३४,२४०,२४१:५।५,४३; । बज्ज (वर्जय) बज्जेज्ज प १०११४।४ ७।३१,३३,१६७,१७८ सू१।१४:४१३ से ७; बज्ज (वज्र) ज २०१५ १०७४,१६८२,६,६,१२,१६,२८,३२,३६ वज्ज (वयं ) प २१४०।५,२१५२,६१४६,५६,६६, बट्टग (वर्तक) प११७६ ज ५।१६ ८६,६४,६५,१०२,१०४,१०१३६,१११४१,८०, वट्टगमंस (वर्नकमांस)-१०१२० कमलकंद ८४१२१३,१३।२२।२,१५४९८,११५,१२१, वट्टमाण (वर्तमान) १ २१३१ ज २१७१३।१३८, Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेड-वणसई ५।५७ वट्टवेयड्ढ ( वृत्तवताढय ) प १६३० ज ४ ४२, ५७,५८,६०,७१,७७, ८४, २६६, २७२ ५।५५; ६।१० ट्टि (वर्ति) प ११४७।२ ट्टिय (वर्तित ) ज २११५; ७ १७८ वट्टिया (वर्तिका ) प १४७२ वड (वट ) ५ १ ३६११ उ ३।७१ वड (दे० ) प १५६ मत्स्य विशेष डर (दे० ) प ११५६ मत्स्य विशेष वडभी ( वडभी) ज ३।११।१ asar (अवतंसक ) प २२५४,५८ वडिय ( पतित ) ज ३।१२५,१२६ बडेंस (अवतंस ) ज ४।२२५,२३२,२६०११ वडेंसग (अवतंसक) १२५०, ५२, ५५ से ५६ ज ११४३३।१७८, १८३४।५०, १०६,११२. ११६,१५५,१५६,२३७, २३८, २४०, २४३ डेंसगधर (अकार) ज ७।२१३ वडेंस (अवतंसक ) प २१५० से ५३,५६ ज १२४२३११८६; ४१४६, ५६, १०२, ११६, १२०,१४७, २२१ से २२४,२३७,५३१,६,१८; ७१८४, १८५ ड्ड (वृधू ) वडति सू १६१२२/१६,२० वढते १६।२२।१४ वडिज्जति प ५१७६, २१६ वड्ढ ( वर्धय् ) वड्ढे इ उ ३।५१ वड्ढे सि उ ३१७६ वड्ढरयण ( वर्द्ध किरत्न) ज ३१५, १६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६,७०,६६, १००, १४१, १४२, १६४,१६५,१७८,१८०, १८१,१८६, १८८, २०६,२१०,२१६,२१६,२२० वरयणत्त (वर्द्ध किरत्नत्व) प २०५८ वड्ढमाणय ( वर्धमानक) प ३३१३५ वढावय (वर्धापक) उ३।११ afar (वर्धितक) उ३१३८ यत्ता ( वर्धयित्वा ) उ३।५१ वड्ढोवुढि ( वृद्ध वृद्धि ) चं ३३१ सू ११७ १, ११०,१४:१३।१ वण (वन) ज ४।२००, २०१,२१२,२१४,२१५, २३४,२३६,२३७,२४०, २४१,२४४, २४५, २४६,२५१,२५२;५।५५,५७; ७१११४ duces (वनस्पति) प १८ १४, १०५, ११०,१२०; २०/२२ areफइकाइय (वनस्पतिकायिक ) प ६१६,८३ १२।२६; १३ १६; १५ २६, ५३, ५५, ७४१४०; १६।४; १७३६२,६६, १०२, १८३८; १६१२; २०११३,२६,४६, २१३,२७,७६, ८५; २२ २४; २८१३६,१२३;२६।१०,२०; ३०१६,३६।१३ से १०३५ १६,३४,३८ autosकाइयत (वनस्पतिका विकत्व ) प १५९६ फतिकाइय (वनस्पतिकायिक ) प १६ । १२; १७/४० वर्णमाला ( वनमाला ) प . १३०,३१,४१,४६ ज ११३८, ४।१०, १२१, १४७, २१७ ; ५११८ वयर ( वनचर) ३१।६।१ वणरा ( वनराजि ) प १७ १२४ ज २११२ वलय ( वनलता ) प ११३६११ वणलया (लता) ज ११३७ २ १०१ ४ २७; ५।२८ विरोह ( वनविरोध) ज ७।११४१२ वर्णाविरोहि (वनविरोधिन् ) सू १०।१२४१२ वणसंड ( वन षण्ड) ज १।१२ से १४,२३, २५, २८, ३२,३५,४११,३,२५, ३१.३६,४३,४५. ५७,६२, ६८,७२,७६,७८,८६,६०,६३,६५,१०३, ११०, ११६,११८,१४१,१४३, १५२१५३,१५४, १५६,१७४,१७६,१७८, १८३,२००,२१२, २१३,२१५,२२१,२३४,२४०, २४१,२४२, २४५७ २१३५८ वणस्स (वनस्पति) प ६ १०४; १७१३३; १८१५७,६२,२०१२८ Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३६ Treasers (वनस्पतिकायिक ) प १११५, ३०, २०१३ से १५:३६, ५० से ५२,५८,६० से ६३० ६८.७१ से ७४,८०६१४ से ६७९३.९५. १६८ से १७०, १८३४००६० से ९४५०३. १७,१८.६६६।५३.०६, १०२, ११५ ९०२१ १५१८५१२१,१३७,१८१२७, ३५, ४०, ४३, ४४,५२,२०१८,२११५,४१:२२०३१,३६१३३ ज २।१३१.१४४ aणसइकाइयत ( वनस्पतिकायिकत्व) ज ७।२१२ वणस्पति (वनस्पति) प ६।१०२ २०४ वसतिकाय ( वनस्पतिकाधिक ) प ३।५०,५१, ६०, १३, १५, १०३ ४१०२५१६१६३.८३ १५७६ २४१६३०।१९ वणिज (वणिज) ज ७।१२३ से १२५ करण नाम वर्णिम (वणिज् ) ज २०२३ atra (नीबहुल ज १०१० Naण्ण (वर्णय् ) वण्णइस्सामि प १।१।३ वण (वर्ण) प १३४ से ६, २२० से २७.३०,३१, ४०, ४०१६:२२४१,४८,४१,६४, ३१८२, ५५, ७,१०,१२.१४.११.१८, २०, २४.२५,२८,३०, ३२,३४,३७ से ३६, ४१,४५,४१,५३,५६,५६, ६१,६३,६८,७१,७४,७६,७८,८३,८६,८६,६१, १३,१७,१०१, १०४,१०७, १०२, १११.११५. १११,१२,१३१,१३४, १३१.१३८, १४०, १४३.१४५, १४७, १४०, १५२, १५४, १६३, १६६,१६,१७२, १७४, १७७, १८१,१८४, १८७,११०, ११३,११७,२००,२०३, २०७ २११, २१४,२१८, २२१,२२४,२२८,२३०, २३२,२३४,२३७,२३१,२४२, २४४, १०१५३११, ११।५३,१७।१११,१७२७,१७,१८; ११४११, १२३ से १२६,१३२ से १३४; २३।१०८,१६०,२८६,७,२०,२६,३२,५२, ५२,६६२०१२५, २६:३६६००१ १।१२, २६ २७,१८,१३३,१४२३३,११,१२,८८, २११,४१२२,२४,३६,६०,८२.८४,८९,९४, वणस्स इकाइय-वष्णिय १३५, १६६, २६६, २७२: ५।३२,५८७ १७८ वण्णओ (वर्णवस्) १५ से ११११५४ २८७ २०,२६,५३ वण्णग (दे०वर्णक) उ ३।११४ वण्णग (वर्णक) ज ११३२,३६,२०,३३,५४,६३, ७१.८४, १३७,१४२,१६७,१०२,१११,१२७, २२२,४१,११७,५३१३, ७।५५ वष्णचरिम (वर्णवरम ) प १०३४६,४७ वष्णणाम (वर्णनामन् ) प २३०३८,४७,१०१ से १०६,१०१ तो ( वर्णतस् ) प ११८, ६, २८१३२,६६ वण्णनाम (वर्णनामन् ) प २३१०१ चणपज्जव (पर्यव) ज २१५१,५४, १२१,१२६, १३०.१४०, १४६,१५४, १६०,१६३, ७/२०१ वण्णपरिणाम (वर्णरिणाम ) प १३ २१, २६ वणमंत (वर्णवत् ११३५२, ५३ २८/५.६.५१. ५२ aura (वर्ण) प २१३२,४२,४३ ज ११२,३,१२, १६,२३,२५,२०,३१,३५,३०२११.०३ ४१३,२५,३१,३९,४०, ४७.५७,६७, ७६.११०, ११२,११५ से १२०,१२६, १२८,१३५,१३१, १४१ से १४४,१४७ से १४६, १५३ से १५६, १७८, १८३,२००, २०१.२१३,२१४, २१९. २२१,२३४,२४०,२४४, २४६, २४८ ५३, २१ से २२,२५ से ३७ नं ६.७.८ १२.३ उ १४१: ३।२१, ४११०३५६१४ वण्णय (दे०वर्ण क) उ ३।११४ वण्ण (वासा) (वर्णवर्षा ) ज ५।५७ वष्णादेस (देश) प ११२०,२३,२६,२६,४८ यण्णाभ (वर्ण) १२३२० से २५,५०,५९,६० ४।२२,३४,६०,६४,०४, ११३, २६६, २७२ वणवास (वर्ण) १।११.४६.३ । १९५. १७:४१४७.१५, २६,८४,१४६ ५।१२ वण्णिय ( वर्णित ) प १११ ३; १६१२१ Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वहिदसा-वय १०३७ २५. वहिदसा (वृष्णिदशा) उ ११५,६:५११ से ३ वदित्ता (उदित्वा) ज ३।१२५ वित्त (वर्तय) बत्तइस्सामि प ३।१८३ वर्तेति बद्ध (वर्ध) ज ३।३५ प ३६१६२ वद्धमाण (वर्धमान) प २।३० ज ३३२ वत्तमंडल (वृत्तमण्डल) ज ३११७८ बद्धमाणग (वधानक) ज २१६४,३।३,१२,१७८%; वत्तव्व (वक्त०) ज ४।२६६७।१४१ से १४५, ४।२८,५:३२, ७।१३३१२ २०८,२०१६ १५० से १५२,१५४,१८६ सू१०।२० से २२ वद्धमाणगसंठिय (बद्ध मानकरा स्थित) सू १०१४१ वद्धमाणय (वर्धमानक) ज ३।१८५ बत्तन्वया (वक्तव्यता) प २।४०,४४,५११५२, वहाव (वर्धय्) बद्धावेइ ज ३।५,२६,३६,४७, २०५,२४४१११८०१५।१८ ज ३११५०. ५६,६४,७२,९०,१३३,१४५,१५१,१५७ १६१,२७७,४१५३,६४,७५,७६,८३,८६,६०, उ १।११० वद्धाति ज ३।११४,१२६,१३८, ६२,१०६,११५,१२६,२००,२०५,२०७,२२८, २०५,२०६ उ १११२२५४१७ वद्धावेहि २४०,२४६,२६२,२६८,२७७,७११०२ उ १११०७ वस्थ (वस्त्र) प २१३०,६१,४१,४६ से ५४; बद्धावेत्ता (व त्वा) ज ३१५ उ १५१०७ १५५५१२, १७११६ ज ३१६,११,१२,२६, वध (वध) उ ३१४८,५० ३६,४७,५६,६४,३२,७८,८१,८५,११३,१३३, वप्प (वत्र) ज ४१३,२५,२१२,२१२।३,२५१ १३८,१४५,१६७।६,१८०,२९१ सू २०१७, वरपगावई (वप्रकावती) ज ४।२१२।३ उश१६,३५:३१५१,५३,६३,६७,७०, बप्पावई (वप्रावती) ज ४।२११ वष्पिण (दे०), २१४,१३,१६ से १६,२८ वत्थधर (वस्त्रधर) ज २१६१५१४८ वमण (वमन) उ ३।१०१ वत्थव्व (वास्तव्य) ज ५१ से ३,५ से ७ वममाण (वमत् ) उ ३३१३० वत्थारुहण (वस्मारोहण, वस्त्रारोपण) ज ३।१२,८८ बमिय (वमित,वान्त) उ ३।१३०,१३१,१३४ वस्थि (वस्ति) ज २१५, ३१११७ वम्म वमन्) ज ३३१ वत्थिकम्म (वस्तिकर्मन) उ ३११०१ वम्मिय (अमित) ३७७,१०७,१२४ उ १११३८ वस्थिपुडग (दे०) उ ११४४ से ४६ । बय (पच्) बुच्चइ च २११ वोच्छं प २१६४११८ वस्थिभाग (वस्तिभाग) ज ३१११६ वत्थु (वस्तु) १४१५ ज ३१३२७।१०१,१०२ बिय (द्) यएज्जा ज ७।३१ सू १०११० श्यंति सू १०।१:१५॥१,३७ ज श६५१,६४ वयह उ ३.१०३;४११४ व मि वत्थुपरिच्छा (वस्तुपरीक्षा) ज ३।३२ उ १७६ कामो सू ११२०-यासी जशक्षा वत्थुप्पएस (वस्तृप्रदेश) ज ३।३२ २१६४,६०,६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, वस्थुल (वास्तुक) प १।३७।२,३८।२,४४०१ १११,११४,३१५,७,१२,१८,२१,२६,२८,३१ ज २०१० से ३४,३६,४१,४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४, विद (वद) वदा र ३१७७ वदंति सू २०१२ ६६.६६,७२ ७४,७६.७७,५३,६०,६१,६६, वदह ज ३।११३:५७२११२४ बदामो १०५,१०७,११३ से ११५,१२४,१२५,१२७, मू५११ वदिस्थति ज २११४६ वदेज्जा १२८,१३३,१३८,१४१,१४५,११,१५४, सू ६३१२ १५७.१६४,१६८,१७०,१७३,१७५,१८०,१८५, Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ १८८,१६१,१६६,२०६;५३३, ५, १४, २१, २२,२६ २८,४६,५४,६६,७२ चं १० सू १५ उ ११४; ३।२६४|१४; ५/१५ वयाहि ज ५।२२ उ १११०७ वय (स) ज २।३१ वय (व्रत) प २०१७, १८,३४ उ ३१४८, ५०, ५५ वयं (स्व) ज २१२६ वयगुत्त ( बचोगुप्त ) उ ३६६ वयण ( वचन ) प ११ ८६ ज २।१३३३३३, ८, १३,१६,२४,३२१२,५३,६२,७०,७७,८४, १००,१३१,१४२,१६५, १८१,१६२,२१३: aण ( वदन) ज २।१५,१६,३६,५।२१ उ १११५,३५,३३६० वयणमाला ( वदनमाला ) ज २१६५३ । १८६, २०४ वयमाण ( चदत् ) प १११२६,८७ वर ( वर ) प २४०1८,२४६; ३६१८३१२ ज १११६,३७,३८, २२१५,२०,६५,७१, ८५, ६५,६६, १००, १२०, ३१३,६,७,१२,१८,२२, २४,२८,३१,३२,३५,४१,४६, ५२, ५८,६१, ६६,६६,७४,७६,७७, ७८,८२,८८, ६३, १०७, १०६,१२४, १२५, १२८,१३१,१३७,१३८, १४१, १४७, १५१, १५२,१६३,१६४,१६८; १७५, १७८, १८३, १८६, १८७, २०६,२१०, २१३,२१८,२२१,२२३ ; ४११०,११५, २१७; ५१७,२१,४३,५६,५८७११७८ सु १६।११।१ उ १११, ४१, ४६,६४,६१,१२१, १३८:२६; ३।५६,६४,६६,६८,७६, ८१ ५१५, १३, १६, २०,२५,२७,३१ वर (बरक) प १३४५।२ तृण धान्य, चीनाधान ( वर ( वरय् ) वरति सू १६२२ १६ वरयंति चं २२ ११६१२ वरयति सू ७।१ वरणगणिहस ( वरकनकनिकष ) प १७ १२७ वरग ( वरक) ज २।३७ तृणधान्य वरम (वरक) उ४|६ वरगंध ( वरगन्ध ) प २ ३०, ३१,४१ वरगंधघर ( वरगन्धधर ) तू १७/१ वरगंधित' ( वरगन्धिक) सू २०/७ वरगय (वरगत) ज ३१६,१२,१८,२८,४१,४६, ५८,६६,७४,७८,८२,९३, १३६, १४७, १८०, वरदत्त (वरदत्त) उ५१२१, २२, २४, ३१, ४०, ४१, ४३ वरदाम (वरदामन् ) ज ३१३०,३१,३३,३६,३६,४१; ६।१२ से १४ ५।१५,२३,२६,२७,६६,७३११३३,४५,१०८ वरदामतित्थकुमार (वरदामतीर्थ कुमार ) ज ३।३३, वय-वरुण १८७,१८८,२१२,२१३,२१८,२१६,२२२; ५:४७, ६० वरपग (वरचम्पक) ज ३१३ राजचंपक वरण (वरण ) प १६३१४ ३६ से ४१,४३ वरदामतित्थाधिपति (वरदामतीर्थधिपति) ज ३१३८ बरसण्णा (वरसन्ना ) प १७११३४ वरपुरिसवसण ( वरपुरुषवसन ) प १७।१२७ वरबोंदिधर (वर' बोंदि धर ) सू १७|१:२०११ वरमल्लधर ( वरमाल्यधर) सू १७/१,२०११,२ वरवत्थधर (वरवस्त्रधर ) सू १७/१; २०११, २ वरवारुणी ( वरवारुणी ) प१७/१३४ वरसीधु (वरसीधु) प १७ १३४ वराडा ( वराटक ) प १४६ वराभरणधर ( वराभरणधर ) सू १७११ वराभरणधारि ( वराभरणधारित्) सू २०११, २ वराह (वराह ) प १६४२।४६ उ २१३५ वराहमंस ( वराहमांस ) सू १०।१२० वाराहीकंद वराहरुधिर ( वराहरुधिर ) प १७।१२६ वरिट्ठ (वरिष्ठ) ज ३३८१,५३२१ वरिस (वर्ष) ज ३।१७५ वरिसारत ( वर्षरात्र ) सू १२/१४ ३ ५।२५ बट्ट (वरुड ) प १६७ पिच्छिकार, बेंत का काम करने वाला वरुण (वरुण) प १५ ।५५११ ज ७ १३०, १८६३ उ ३१५४ १. अतोऽनेकस्वरात् इति इक प्रत्ययः । Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरुण-वहिय १०३६ वरुण (काइय) (वरुणकायिक) ज ११३१ ७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, वरुणदेवया (वरुणदेवता) मु १०।८१ १६७।१४,१७३,१८१,१८६,१९६,२१३; वरुणवर (वरुणवर) सू १६३१ ५२१,२७,४१ उ ११२१,४२, ३।३३,१३६ वरुणोद (वरुणोद) सू १६३१ वसंत (बसन्त) प ७।१४४।२ सू १२११४ उ ५.२५ वरेल्लग (दे०) १७६ वसंतमास (बसन्तगास) सू१०।१२४।२ वलभीधर (वलभीगृह) ज २१२० वसंतलय (बामन्तीलता) ज ५१३२ वलभीसंठित (वलभीसंस्थित) म ४१२ वसट्ट (वसात) उ १२५२,७७ वलय (वलय) प ११३३।१,११४३ ज ३।६,२२२ वसण (दमन) ५ २।४०।१०,११ ज ३१७,१८४ उ ३११३० वलयाकारसंठाणसंठिय (वलयाकारसंथानमंस्थित) ज ४१२३४,२४०,२४१ वसणभूय (बसनभूत) ज २।४३ वलयागार (वलयाकार) सू१६२,६,६,१२,१६, वसभर्मस (वृषभमांस) सू १०।१२० २८,३२,३६ वसभवाहण (वृषभ वाहन) प २१५१ ज २१६१;; वलवा (वडवा) ५ १११२३ ५१४८ वलि (वलि) ज २११५,१३३ उ १।३४,४०,४३, वसभाणुजात (वृषभानुजात) सू १२।२६ ४६,४८,४६,५१,५४,७४,७६,७६ वसमाण (वसत्) प ३३१८,३१,१८० उ ११११०, बलिय (वलित) ज २११५, ३११०६; २५ १२६,१३३ वल्लभ (वल्लभ) ज ११२६ वसह (वृषभ) ज २६१,७१७८ च १४ बल्लि (वल्ली) ज २११३१,१४४ से १४६:३३२ वसहरूवधारि (बषभरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू१८।१४ वल्ली (वल्ली) प ११३३११ ११४०,११४८१६१ वसहि (वसति) ज २।१६,३।१८,३१,१४० वल्लीबहुल (वल्लीबहुल) ज १११८ उ १११०,१२६,१३३,३३३६ ववगय (व्यपगत) प १११।१२।२० से २७ वसा (सा) परा२० से २७:१५३११२,१५१५० ज ११२४ ; २।१५,२३,२५,२६,२८,३० से ३२, बसिट्ठक ड (वाशिष्ठकूट) ज ४१२०४११ ३६,४०,४२,४३,७०,३१२०,३३,५४,६३,७१, बसु (वसु) ज ७।१३०,१८६।३ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ वसुंधरा (वसुन्धरा) जाला? Vबवरोव (कि- अप-1 रोपय ) ववरोवेइ प २२१६ वसुदेवया (वसुदेवता) सू १०८० उ ११२२ वसुहर (सुधर) ज ३११२६।१ ववरोविय (व्यपरोपित) उ ११२५,२६ वसुहा (वसुधा) ज ३११८,३१,१८० ववसाय (व्यवसाय) ज ४।१४०।१ वह (वध्) बहंति ज ७।१६८।२ बवसायसभा (व्यवसायसभा) ब ४११४० यह (बध) उ १११३६, ३।४८,५० ववहार (वहार) प ११।३३।१:१६।४६ उ ३१११ वह (व्यथ) उ ५२।१ ववहारसच्च (व्यवहारसत्य) प ११३३३ ।। वह (वह) उ ५।२।१ विस (वस्) वसइ ज ३।१२२ बसाहि वय (वधक) ज २८ ज ३११८५ वहस्सइ (बृहस्पति) : ७/१३०,११।३ वस (वश) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३,६२,७०, बाह्य (व्यथिन) ज ३११११,१२५ Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४० वा-वाणमंतरी वा (वा) ११११८७ ज २१३९ सू१।१४ उ ११२७; वाउभक्खि (वायुभक्षिन्) उ ३.५० ३।१०१ वाउल (व्याकुल) ज २११३१ वा (वा) वाहिति ज रा१३१ वाकरेमाण (व्यागणत्) ज १७८ वाइ (वादिन्) ज १८० वागरा (वि+आ-कृ) वागरेहिति उ ३१२६ बागरेहिती उ ३।२६ वाइंगण (दे० वातिकुण) प १।३७११ बैंगन का गाछ वागरण (व्याकरण) ज ७२१४ सू३ उ १६१७, वाइंगणिकुसुम ('वाइंगणि'कुसुम) प १७१२५ ३२६ वाइत (वादित) प २।३०,३१,४६ बागल (वाल्कल) उ ३१५१,५३,५५,६३,६६,७०, वाइय (वादित) प २१४१ वाइय (वाद्य) ज ११४५,२१६५,३८२,१५५, बागली (दे०) प १४०२ बागुची, एक औषधि १८६,१८७,२०४,२०६,२१८,५११,१६,७१५५, वाघाइय (व्याघातिक) ज ७१८२ ५८,१८४ सू १८१२३;१९२३,२६ वाघात (व्याघात) प ११७४; २११६५ वाइय (वातिक) उ ३३११२,१२८ वाघातिम ('व्याधातिम,व्याघातिन् ) सू १८२० वाउ (वायु) प६८६,१०४,११५६।४१३।१६, वाघाय (व्याध.त) प २१७२८।३१ उ ११६५,६६ १७१४०,६६, २०१८,२३,२८,५७; २११८५; वाण (वाण) प ११३७६४ २२।२४ ज २१६३११७८,४१४६५१४३,५२; वाणपत्थ (दानप्रस्थ) उ ३१५० ७१२२११,१३०,१८६१४ सू १०१८४११ वाणमंतर (वानव्यन्तर) ११२१३०,१३१:२।४१, वाउकाइय (वायुकायिक) ११५:२।१० से १२; ४३; ३।२७,१३५,१८३;४।१६५ से १६७%, ३।५,५० से ५२,५७,६० से ६३,६८,७१ से ५१३,२५,१२१,६।२५,५६,६५,८५,६३,१०६, ७४,७६,८४ से ८७,६२,६५,१६५ से १६७, १११,११७,७१५,६११,१८,२४;१२२६,३६; १८३,४७६,८०,८२,८३,८५ से ८७,५१३, १३।२०१५॥३५,४५,८७,६६,१०४,१०७, १५,१६,६।१६,६२,६२,१०२ १११,१२४;१६१६,१६,१७।२६,३०,३२,३४, ५२,७७,८१,८३,६८,१०५,१६।४।२०।१३, वाउकाय (वायुकाय) सू २०११ १६,२५,३०,३५,३७,४८,५४,६१,२११५५,६१, वाउकुमार (वायकुमार) प १११३१,२।४०१, ७७,६०,२२।३१,३६,७५,८८,१००,२४१८; ६,११:५१३;६।१८ ज २।१०७.१०८ २८1७२,११७,११६; २६।१५,२२,३११४; वाउक्क लिया (बातोत्कलिका) प श२६ ३२॥५३३३१४,२२,३०,३४,३७, ३४।४,१०, वाउक्काइय (वायुकायिक) प १।२७; २।११; १६,१८३५१५,२१:३६।२५,४१.७२ १२॥३,४,२३; १५२६,८५,१३७,१६१५,१२; ज १११३,३०,३३,३६ ; २।६४,६५,६६,१०० १७।६१,१०३,१८।२६,३४,३८,४०.४२,५२; से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से ११६, २०१३१,४५,२११२६,४०,५०,५७,६४,२२।३१; १२०,४१२,२४८,२५० से २५२, ५।४७, ३४१३; ३६१६,३८,५६,७२.७५ ५३,५६,६७,७२ से ७४ सू २०१७ वाउकाइयत्त (वायुकायिकत्व) ज ७।२१२ वाणमंतरत्त (बानव्यन्तरत्व) ३६।२२,२६ वाउक्काय (आयुकाय) ज २११०७,१०८ बाणमंतरी (वानव्यन्तरी) प ३३१३६,१८३, वाउन्भाम (वातोद्भाम) प ११२६ १. भावादिमः इति सूत्रेण इमः , Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाणारसी-वास १०४१ ४।१६८ से १७० १७१५२,८२,८३, २०१३ वाणारसी ( गणसी) प ११९३।१ उ ३।२७ से २६४६,४८,५०,५१,६५,६६,६६,१००,१११ वाणिज्ज (वाणिज्य) ज २२३ वातिय (पातिक) उ ३।३५ बाध (व्यावाध) ज २१३६,४१ वाम (काम) ज २११३, ३१६.१२.२४।४,३७१२, ४५२,८८,११७,१३११४५२१.५८ उ१११५,११६ ; ३१६२ तामण (बामन) १ १५:३५; २३।४६ वामणी (वा पनी) ज ३१११११ वामभुयंत (समभुजान्त) सू २०१२ वामेय (मामे) प २१३१ वाय (कान) २४८ ज २१६.१०,१३१,१३३, ३१११,२४।३,३७।१,४५॥१,११७,१३१।३, २११४।१६६,५१३८,५८ ‘वाय (वाचथ्) बाएंति ज ५।५७ वायंत (वाद न्) ज ३।१७८ वायकरग (व:तक रक) ज ३१११; ५।५५ वायमंडलिया (वातमण्डलिका) प ११२६ वायस (वायस) प ११७६ वायुदेवया (वायुदेवता) सू १०.८३ वारि (शरि) ज ३२२०६:५२५६ वारिसेणा (नारिषणा) ज ४१२१०५६१ वारुण (आरुण) ज ७.१२२२ सु १०१८४।२ वारुणी (वारुणी) ज ५१११११ वारुणोदय (वारुणोदक) १ ११२३ वाल (व्याल) ज ३१२२२ उ ३.१२८ वाल (बल) ज ७१७८ वालग (व्यान) ज ११३७, २१४१,१०१, ३१२०; ४।२७।५।२८ बालग्ग (वालाग्र) जश६,७१७८ वालग्गपोइया (दे०) ज २१२० वालगपोतियासंठित ('वालाग्रपोतिका'संस्थित) वालपुच्छ (व्यालपुच्छ) ज ७।१७८ वालिघाण (वालधान) ज ७।१७८ वालिहर (वालिधर) ज ७१७८ वाली (पाली) ज ३३० वालुंक (वालुक) प ११४८४८ कपिप्थ की छाल वालुयप्पभा (वालुकाप्रभा) प ११५३, २११,२०, २३,३११३,२१,२२,१८३४।१० से १२; ६।१२,७५,७६,१०११;२०१६,३६,२११६७; ३३१५ वालुया (बालुका) प ११२०११, २१४८ ज ३११११, ११३, ४११३,२५,४६ सू २०१७ उ ३१५१,५६ वावण (व्यापन्न) व १२१०१।१३ वावण्णम (व्यापन्नक) प २०१६१ वावहारिय (व्यावहारिक.) ज २१६ वादिय (व्यापित) ज ३७६.११६ वावी (वापी) ५२।४,१३,१६ से १६.२८,१११७७ ज ११३३,२।१२,१५, ४१६०,११३,७११३३११ वास (वर्ष) प ११४६; २२१,४११,३,४,६,२५,२७, २८,३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२, ४३,४५,४६,४८,४६,५१५२,५४,५६,५८, ६२,६४,६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७, ८८,६०,६४,१२५,१२७,१३४,१३६,१४३, १४५,१५२,१५४,१६५,१६७,१६८,१७०, १७१,१७३,१७४,१७६,१७७,१७६,१८०, १८२,१८३,१८५,१८६,१८८६.३७ से ४१; १६।३०।१८२,६,६,१२,२०,२१,२८,३२, ३४,३५,४७,५०,५२,२०१६३;२३।६० से ६४, ६६.६८,६६,७३ से ७८,८१,८३,८५ से १०, ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१४७, १५८,१६६,१७६,१७७,१८२,१८३,१८७, २८/२५,७४ से ८७,९७ ज १११८ से २३, ३४,३५,४७ से ५१२।१,४,६ से १५,२१ से ४५,५०,५२,५६ से ५८,६५,७१,८८,६०, १२२,१२३,१२६ से १२८,१३० से १३४, Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ बास-विउल १३८ से १५०,१५४,१५६,१५७,१५६,१६१, वासहरकूड (वर्षधरकट) ज ६.११ १६४।३।१,३,२६,३२,३६,४७,५६,६४,७२, वासहरपव्वय (वर्षधर पर्वत) प २१:१६६३० ७७,७६,१०३,१०६,११३,१२४,१२६,१३३, ज ११८,४८,५१:३११३१,४३१.२,४४,४५. १३५।२,१४५,१६७.१७५,१८५,१८८,२०६, ४८,५४,५५,६१ से ३,७६ से ८१.८६,८७, २२१,२२५,२२६;४।१,३५,४२,५५,५६,६१, १६ से १८,१०२,१०३,१०८,११०.१४३, ६२,७१,७७,८१ से २३,८५.८६,६४,६८, १६२,१६६,१७३ मे १७६.१७८,१८०.१८४, ६६ से १०३,१०८,१६२,१६७७,१६६ १७२ १६०,२०० से २०६,२०८,०६२६२ से २६४ से १७४,१७८,१८१,१८२,१८५,१८७,१६३. २६८ से २७०,२७३ से २७६५।१४.१५; १६४,१६६,१६६ से २०३,२०५,२०६,२१३, ६.१०,१८ २६२,२६५,२६६,२७१ से २७३,२७७, वासावास (वर्षावास) ज७० ५१५५,६४६।१,६१६,१२,१३,१४,१६, ७१५६ वासिङ (वषितुम ) ज ३।११५ से १५६,१८७ से १६० मू ४.३;६।११०।६३ वासिकी (वाषिकी) सु १२।१८ से २३ से ६६८1१:१८।२५ से ३०,२०१७ उ १६, वासिट्ठ (वाशिष्ठ) ज ७।१३२। सू१०।१५ १४१,१४७ , २०१२,१३,२२, ३३१४,१६,१८, वासित्ता (वर्षयित्वा) ब ७ २१,८३,८६,१०४,११८,१२५,१५०,१५२, वासी (वामी) ज २१७० १५७,१६१,१६५,१६६४।२४,२६,२८ वासुदेव (नासुदेव) प १,४,६१,६।२६२०११ ५।२४,२८,३६,४१,४३ ज २।१२५ १५३,७।२०० उ ५।६.१५,१७ से वास (वर्ष) वर्षा ज ३१११५,११६५७; १६ ७११२।३,४ सू १०११२६३,४ वासुदेवत्त (वासुदेवत्व), २००५६ विास (वृष ) वासंति ज ३।१८४,५१७,५७ वाहण (वाहन) ज २१६४,३।१७,२१,३१,३२, वासति सू १०।१२६३ वासह ज ३११२४ ८१,१०३,१०६,१७७:५१८,२२,२६ बासिस्सइ ज २॥१४१ से १४५ वासिहिति उ १६६,६४,६६,११५,११६ वाहि (व्याधि) ज २६१५,१३१,१३३ ज २०१३१ वाहिनी (वाहिनी) उ ३३११०,४।१६,१८ वासंतिय (वासन्तिक) ज २०१० वि (अपि) प १३५ ज १११६ सू ११६ उ ११७ वासंतिलता (वासन्तीलता) प ११३६१ विइक्कंत (तित्रान्त) ज २१७१,१३८,१४० वासंती (वासन्ती) प ११३८१२ ज २०१५ विउक्कम (वि । उन् !- क्रम) विउक्कमति वासघर (वामगृह) ज ३१३२ सू २०१७ उ ११३३; प ६१२६ विउ (वि : वृत) उहि उ ३३११५ वासपुड (वासपुट) ज ४।१०७ दिउट्ट (निवृत्त) ज ८:३६,६६,६१ वासमाण (वर्षत) ज ३।११६ विउल (बिल) परा३०,३१,४१ ज ११५; वासयंत (वासयत्) ज २१६५ २०६४,६५.६१.१२०.३।३.६७.१०३ १८५, वासरेणु (बासरेणु) ज २६५ २०६:५२६,५४७१७८१३१७.६३; वासहर (वर्षधर) प १५१५५।२ ज २१६५,३।१३१: २१११,३।७,५०,५५,६११८.१०१.१०६ ४११०३,१०८,११०,१४३,१६२,१६७,१८१. १०७.११०.१२९,१३१,१३४,१३६,१४६; १८२,१८४,१६०,२००६.१०.१८ ४११६ २०२८ Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विउलमइ-विग्गह १०४३ विउलमइ (विपुलमति) ज १८० विउ (वि - कृ) विउव्य इ ज ५१४१,४६,६०, ६६३।१२ विउब्बति प ३४.१६ २१ से २३ ज २११०२,१०६,१०८,३१११५,१६२,१६४, १६५,१६७,१९८५१५५,५७ विउवह ज २११०१,१०५:१३ विउब्वाहि ज ५१२८ विउब्वेह ज ३३१६१ विउव्वणगिडिढपत्त (विकिद्धिप्राप्त) सू१३:१७ विउवणया (विकरण) उ ३४१ से ३ विउदणा (विकारणा) उ ३१७ विउव्वमाण (विकुर्बाण) सू २०१२ विउवित्तए (किर्तम) ज ७१८३ मू १८।२१ विउव्वित्ता (दिकृत्य) प ३४।१६,२१ से २३ १२३ विउविय (विकृत) प २१४१ विउब्वेत्ता (विकृत्य) ज ३।१६१ विउसमण (व्यवशमन) सू २०१७ विझगिरि (विन्ध्यगिरि) उ ३३१२५ विंट (वृन्त) प ११४८१४६ विहणिज्ज (बृहणीय) प १७४१३४ /विकंप (वि-+कम्प ) त्रिकंपइ च ३।२ सू १७२ विकंपइत्ता (विकम्प्य) सू१२४ विकंपमाण (विकम्पमान) सू ११२४ विकप्प (विकल्प) ज ३१३२ विकप्पिय (विकलित) ज ३११०९ विकल (विकल) ज २११३३ विकिण्ठ (विकीर्ण) ज ७।१७८ विकिय पूय (विकृत भूत) ज ५१५७ रिगर (निकिरणकर) ज ३।२२३ विकिरिज्जमाण (विकीर्यमाण) ज ४११०७ विकुस (विकुरा) ज २१८,६ विक्कत (विक्रांत) ज ३।१०३ विक्कम (का) ज ३।३:७११७८ च १११ विक्खंभ (विष्कम्म) प १७४, २१५०,५६,६४; २१८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६,६६, ७०,७४,८१ ज १७ से १०,१२,१४,१६,१८, २०,२३ से २५,२८,३२,३५,३७,३८,४०,४२, ४३,४८,५१,२१६,१४१ से १४५,३३६५,९६, १५६,१६०.१६७:४११.३,६,७,९,१०,१२,१४, २४,२५,३१,३२,३६,३६ से ४१,४३,४५,४७, ४८,५६,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से ६६,७२,७४,७५,७६,७८,८०,८१,८४ से ६६, ८८,८६,६१ से १३,६५,६६,६८,१०२,१०३, १०८,११०,११४ से ११६,११८ से १२७, १३२,१३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५४ से १५६,१६२,१६५,१६७११,१६६,१७२ १७४,१७६,१७८,१८३,२००,२०१,२०५, २१३,२१५ से २१६.२२१,२२६,२३४,२४० से २४२,२४५,२४८; १६५७७,१४ से १६, ६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१७७,२०७ चं ३१२ मू १७२१।१४,२६,२७,१८१६ से १३; १९६४,७,१०,१४,१८,२०,२१५१,३०, ३१,३४,३५,३७ विक्खंभसइ (विष्कम्भः ) १२११२,१६,२७, विक्खय (विक्षत) ज २११३३ विवखुर (दे०) प ७१७८ विग (वृक) ज २१३६ विगत (विगत) प १८४ विगतजोइ (विगतज्योतिस्) म १४११०,१५१८ से विगय (विकृत) ज २११३३ विगयमिस्सिया (विगतमिश्रिता) प १११३६ विलिदिय (निकलेन्द्रिय) ११८३ से ८५; १५५१०३, २०१३५:२२।८२:२८११११,१२७, १३८,३११६।१,३४११४;३५।११२,३५१७; ३६।५६ विगलेदिय (विकलेन्द्रिय) प १११८२ विगोवइत्ता (विगोप्य) ज २६४ विगह (विग्रह) । ३६१६०,६७ से ६६,७१,७५ ज़ ५॥४४ उ ३३६१ Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ विनारि-विज्जुष्पभह विचारि (विवारिन) म १६१ विचित्त (विचित्र) ५२।३०,३१,४१,४६ ज २०१२; ३।६१०६,२२२,७१७८ ३ २०१७ उ २११० ३.१४,८३,१०२,१३५,१४२,४१२४,५।२८, विचित्तकूड (विचित्रकूट) उ ६।१० विचित्तपक्ख (विचित्रपक्ष) प ११५१ विचित्ता (विचित्रा) ज ५११ विच्छड्डयित्ता (विच्छद्य) ज २१६४ विच्छड्डिय (विदित) ज ३११०३ विच्छिण्ण (विस्तीर्ण) : २१५१,५२,५४,५६,६० ज ११८.१८,२०,२३,२५,३२,३५,४८,५१, २११५,३११,१८,३१,३५,५२,६१,६६,१०३, १०६,१३१,१३७,१३८।१,१४१ १६४,१८०; ४।१,३,४५,५५,६२,८६,८८,६८,१०३.१०८, ११०,११४,१४१,१५६.१६२.१६७.१६६, १७२,१७८,१८५,१८७,१६१.२००,२०३, २०५,२१३,२१५,२४२,२४५,२४६,२५१, २५२,२६२,२६८,२३,२८,४६;७.१७७।१,२ उ ३१३७ विच्छिण्णतर (विस्तीर्णतर) ज ४११०२ विच्छिप्पमाण (विस्पृश्यमान') २१६५; ३।१८६,२०४ विच्छुत (वृश्चिक) प १३५१ विच्छुयअल (वृश्चिक ल) ज ७१३३।३ विच्छ्यनंगोलसंठिय (वृश्चिक लांगूलनास्थित) सू १०१५२ विडि (द्विजटिन्) सू२०१८,२०१८) विजय (विजय) प १११३८,२११,४८.६३ ; ४१२६४ से २६६,६१४२,५६७२६ १५१५५१२,१५८६,६२,१००,१०५,१०८, १०६,११३,११४,११६,१२०,१२१,१२३, १२५,१२६,१३१,१३६; २८९६ ज १११५, १६,४६,५१,११७:३३५,१८,२४१४,२६, ३१,३५,३७१२,३६,४५१२.४७.५२,५६.६१, ६४,६६,७२,८१,९०,११४ से ११६,१२२, १२४,१२६,१३११४,१३३.१३५,१३७,१३८ १४१,१४५,१५१,१५७,१६४,१३२,१७८, १८०,२०५,२०६,२०८,२०६; १४६५२, १०३,१६२,१६७ से १७,१८१ मे १८४, १८७ से १९१,१६३,१९६.१६७,१६६ २०३,२०६,२१२,२६२।४३,५५,५३,५८ ६.६. १ १:४,१२२१२ च ५१४११०१८४ २,१२४११ उ ११०७.११०,११६,११८, १२२,१३०,५१७ विजय (दिचय) १९ विजयखंधावार स्वा३।१७२ विजयडूस ( ४८५ विजयपुरा ( 1) १२ विजयवेजइया (विजयी ) १२,२८, ४१,४६,५५.६६,७८,४७,१६८ विजया (विजया) ४२१८,२१२१४५१८।१; ७१२०१२,१२६ विजह (वि : हा) विहति सू १५३८ विज्ज (विद्) विज ३११२१११ विज्जल (दे०, वि ): ३८ विज्जा (विद्या) ३१६०१ विज्जाहर (विद्याधर) १६१.२११६३ ज ३.१३७ रो १३६,२०:४/७ २ ।२८ ३ ५१५ ज्जिाहरसेढी विद्या मोज ११२५ से २८% ४११७२:६।१५ विज्जु (विधु) १९६६१,२१४०।६,११ ____ ज ४।२१०१? सू०१ विज्जुकुमार (विध कु. :) ११३१; १३; ६.१८ विज्नुकुमारिका ) विन्दुः (न्यूयत) विज्छप्पन (६.बुर से २१० विजुप्पम शुभ १२१० विजुप्पभदह (विद्युमन ल ४६६४ १. हे०४।२५.७ Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विज्जुपविद्ध हि (वि) ज ४।२१५ रज्जुप्पहार (युत्प्रभवक्षस्कार ) ज ४।२०५ विज्ह (विमुख ) प १८६ विषेश (वि) ज २१३१,४ । २११ ; शर दिज्जु ( () विज्जुयाति ज ५७ विज्gare (विद्युत्यत्वा ) ज ५७ विज्झडिय (३०, मिश्रित ) ज २।१३३ विज्झिडियमच्छ (सिडिय मत्स्य ) प १।५६ विद्धि (विष्टि ) ५११२३ से १२५ fastu (f) ७२१७८ विडिय (२० प ) २४६ ४१४६ विमिंदर (६०, पिटपान्तर ) ज २०१६ दिड्डा (त्रीडा) ११५८,८३ विण (निप्ट) ज २११०३.१०४ विर्णामि (निमि) ३११३७,१३८,१३६ विजय (विनय ) प १११०१।१० ज ११६, २२६०, ६०,१३३, ३१८,१३,१९५३,६२७०,७७,८४, १००,१४२.१४७,१६५, १८१,१८६,१९२ २०५,२०६२१३५११५,२३,५८,६६,७३ यू २०१६ उ १११६,४५,५५,५६.६७ ८०,०३,१०८.११६,१२०,३११२० विणास (नाम) प १७४ विभासण (विजन ३८८१०९५७ विनियमं (विच्छा) ३११०६ विणित (त्) ११३७३।१२, ६८४१५८ वणी (वणी) वि२०४६ वर्णेति उ ११३४ निमि १।७४ विणीला ( विनीतः) ज ३११८२ विणीय (त्रित) उ५१४०, ४१ footer (२/१६,६५,३११२७,८, १४,८७,८५,१०६,१७२, १७३, १८०, १८३ से ܬܘ &o3 ex Po,> ?, ?, . ܔܔ २१२२२०२६१२४११०० विore (विशक) २०१२७, १२७३५४४३ √ विष्णव (वि + ज्ञपय् ) विष्णवे उ ११०१ बिष्णवणा (विज्ञान) उ ३३१०६ विगविज्जना (विज्ञप्यमान ) उ१।१०२ विवि (विज्ञपयितुम् ) उ १६६ विve (विष्णु) ज ७।१३०,१८६१३ faughar (foदेवता ) सू १०१७९ वितत (वि) ज ५३२, ५७ तिपक्खि (तितपक्षिन् ) प १७७,८१ वित्त ( वितृप्त ) सू २०१८,२०1८1८ वितत्य ( वित्रस्त ) सू २०१८, २०१८ तिथि ( वितरित) ज २१६ वितिमिर (वितिभिः ) प २/६३३६६३,९४ वितिरितराग (वितिमिरतरक) ५१७ १०८, ११० वित्त (वित्त) ज ३११०३, ५५८ वित्त (वेव) ज ३ | १०६ विति (वृत्ति) ज १११३.३०,३३,३६,२११३४; ४२ वित्थड (विस्तृत) ज ३।११७,७१३०,३१,३३ मु ४५३, ४, ६, ७,१६/२२११५ वित्थय (विस्तृत) ज ३१३२,१०६ विस्थर ( विस्तर) ज २।१३४ fararves (विताररुचि ) प १।१०१।१,६ वित्थिष्ण (ती) प २२५०,४६,५८ ज ११२४, २८ ३१२१,५१४ विदिशा (विदिशा ) ज ४११०६,१५५,२०४,२१०, २१२.२३५.२३७५।१२ विदिसि (विदिश् ) प ३६।७०,७२ ज ५।१२ विसिवाय (विदित) ५१।२६ विदेह (देह) प ११६३३,६४१११।१२६, १३३ विदेहजंबू (विदेहजम्बू) ज ४११५७।१ विदुम (वि) ज ३।३५ वि (विद्ध) ज ३।२५ (ध्वंस) १०४५ : विद्धरोहित सरदर १११७२२८१४०,४३,६६ २११५१ Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ विद्धंसइत्ता-विमाण .११६ विद्धंसइत्ता (विध्वस्य) प २८।६६ विभत (विभक्त) ज २११५,१३३ विद्धंसण (विध्वंसन) उ ११५१,५२,७६,७७ विभयमाण (विभजमान,रिभजत्) ज १११६,४७, विद्धंसित्तए (रिध्वंसितुम् ) उ ११५१,५२.७६,७७ ४१४२,७१,७७,६४,१६८,१८३,१८६,१६५, विद्धि (वृद्धि) ज ७:१८६१३ २६२ सू १६:१६ विधाउ (विधान) ५ २।४७१२ विभाग (विभाग) ज ३१३२ विधुय (विधुत) ज २११०,४।१६६ विभावणा (विभावना) २८१११२ विपुल (निपुल) ज १६६३८८,१०६ विभास ( विभाष ) विभासिज्जा ज ५१५५ विपुलतर (विपुलतः) ज ४११०२ विभासेज्जा ज १५७ विष्पजढ़ (विहीण) उ ११६०,६१ विभासियत्व (विभापितव्य) ज ५१४०,५७ ‘विप्पजह (वि । प्रहा ) विप्पजहति प ३६१६२ विभु (विभु) ज ५१५,४६ सू १५८ विभूइ (विभूति) ज ३।१२,७८,१८०,५१२२,२६ विष्पजहण (पिहाण) + ३६४१२ विभूति (विभूति) ज ३।२०६ विप्पजहिता (विप्रहाय) प ३६।१२ विभूसा (विभूषा) ज ३.१२,७८,१८०,२०६; विप्पडिवण (विप्रतिपन्न) उ ३।४७ ५।२२,२६ विभूसिय (विभुषित) ज २१६६,१००,३१६,३५, विष्पमुक्क (विषमुक्त) प २१६४११,६,१६३१५ ७८,१०६,२११,२२०;५११४,४१,४३,५८; ३६१८३१२ ज ३१२,८८,६२,११६:५७, ७/१७८ उ १७०७३।११०,४।१८:०१७ ५८ उ ३।१५६ विभेल (विभेल) उ ३३१२५,१३२,१३३,१४१,१४५ विष्परिणामइत्ता ( परिणम्) ग २८१२०,३२,६६ विमण (विमन) ज २६०,१०३,१०६,१०८ विष्पलायमाण (प्रलापयत् ) उ ३.१३० उ ११३५ विष्पासित (विप्रोपित) सू २०१७ विमय (दे०) प ११४१।२ विष्पहय (वि.महत) उ ३३१३१,१३४ विमल (विमल) प २।३१,६४ ज ११३७, २०१५; विबुद्ध (विबुद्ध) ज ३।३।। ३६,१२,१८,७७,८१,८८,१०७,११७,१२४, विजोयण (३०) गु२०१७ उपधान १५१,१७८,२२२; ४१३,२५,१२५,२०४११ विभल (विह्वल) ज २११३३ ५१५,४६१३,५८,६२७१७८ २०८1८ विभंगअण्णाणपरिणाम (विभंग ज्ञानपरिणाम) उ १११३८ प १३.१० विमलवाहण (विमलवाहन) ज २१५६,६१ विभंगणाण (विभङ्गज्ञान) प ५१५.७, २६२,६, विमाण (विमान) ६ २११,४,१०,१३,४८ से ५२, १७,१६,३०१६ ५६।२,२०५१ से ६३;७१२६१२२५:२११६२, विभंगणाणि (विभंगज्ञानिन्) १३।१०२,१०३; ६३,३३,१६,१७ ज २।१२०,३१३,११७; ५९९,१०७; १३११४,१७,१८१८४,२८११३७, ४।११५:५१३,५,१८,२२,२५,२६,२८,३०,३२, ३०।१६ ४१,४३ से ४५,४६,५०,५२,५३,७१७८।१, विभंगनाण (विभंगज्ञान) प ३०२ १७६,१८४ से १९६ सूह।१,१८।२२ से २४; विभंगु (दे०) १।४२१२ २०१२ से ४ उ ३।६,७,१४,२५,८३,६०,१२०, विभज (दि--भज्) विभज्जइ ज २६५५ १५६,१६१,१६६,१७१४।५,२४,२८,५।२८, विभजिस्सइ ज २११५५ पमण (वि ४१ Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमाणकारि-विव १०४७ विमाणकारि (विमानकारिन) ज ५।४८ से ५०,५३ विरल्लिय (तत') प १५१५१ विमाणास (विमानवास) ज ३.११७ विरव (वि+रचय) विरवेइ उ ११४६ विमाणावलिया (विधानावलिका) प २११,४,१०,१३ बिरवेत्ता (विरच्य) उ २४६ विमाणावात (विभागास) प २१४८ से ६३ विरसमेह (विरसमेघ) ज २१३१ ज ५।१८,१६,२४,४८ विरह (विरह) उ १६५,६६,१०५ विमाणोववण्णग (विमानोपपन्नक) सू१९४२३,२६ विरहित (विरहित) प६५ से ७,४३ सू १६४२५ विमक्क (विमत) प २६४११०,१६,२२, ३६१६४।१ विरहिय (विरहित) १६.१ मे ४,८ से २३,२७, विमोक्खण (विमोक्षण) ज २७१ ४४,४५ ज २१४०,७१५७,६० सू १०७७ वियछउम (विवृत्तछद्मन्) ज ५१२१ विराइय (विराजित) प २।३०,३१,४१,४६ दियड (विकट) प ६१२० से २३ ज २०१५ च ११३ ज २११५:३१११७,७१७८ सू २०१८,२०१८ विराग (विराग) सू१३१२ वियडजोणिय (निकटयोनिक) पहा२५ विरायंत (विराजमान,विराजत्) ज ३१६,५१२१ वियडावइ (विकटानातिन् ) ज ४।७७,८४,२६६ विराल (विडाल) प १११२१ वियडावति (टापातिन् । १६।३० विराली (विडाली) प १११२३ वियस्थि (वितस्ति) प ११७५ विराय (वि-गवय) विरावेहिंति ज ११३१ वियस्थिपुत्तिय (तस्तिपृथक्त्विक) प १७५ विराहणी (विशाधनी) प ११०३ इवियर ( विन) बियरह ज ३१८८ विराहय (विराधक) प ११८६ वियरग (दे०) ज ५११३ विराहिय (विराधित) उ ३.१४,२१,८३ वियरिय (चिरिन) ज १२ दिराहियसंजम (विराधितसंगम) प २०६१ वियल (किल) प २४१७ विराहियसंजमासंजम (विरावितसंयमासंयम) वियसंत (विकारात्प रा४१ प२०६१ विसिय (कि.मिन) ६।३१,४८ ज ३।६; चिरिच (वि-1-भज) चिरिचइ उ १६४ 61८६; ५२१ विरिचित्ता (विभज.) उ११६६,६४ जिया (1 ) विमाणाहि ॥ ११४८।३८,३६ विरिय (वीर्य) प २३११६,२० ज ३११०७,११४ वियाणंत (विमानत) १ २१६४।१७ विरेयण (विरेचन) उ ३३१०१ चियाणय (जिन्ना) ३।३२,७७,१०६ विलंब (विलम्ब) प २१४०१६ वियाणित्ता (ज्ञा.) उ ५१३७ विलवमाण (विरूपत्) उश६२,३११३० दियाणिय (विज्ञ त) ज ३१८७ विलास (गिलास) ज २१५,३।१३८ र २०१७ वियालय (जिमाल) ज ७११८६११ सू २०८१ विलिय (वीडित) ज २१६० उ ११५८,८३ विरइय (रिचित) ज ३३,६,२२२ विलिहिज्जमाण (विलिख्यमान) प २१५० विरज्ज (दि: ज्) बिरज्जति सू १३।१ विरत (पिरत) : २६।१० पिरति (निरनि) २००४१ विलेवण (विलेपन) ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१, विरत (विरत.) म १३११:२०१३ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२,२२२ बिरय (रज- २०१८,२०१८१७ पिन (इ) श३८,६८ उश२३,३।१२८ विरयाविरति (विरताविरति) ६ २०१४२ १. हे० ४।१३७ Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४८ विवंचि-विसुद्धतर विवंचि (विपञ्ची) ज ३१३१ सू ११२५,४१२,१६॥३,६,१३,१७,२६,३३,३६ विवज्जिय (विजित) उ ३.३६ विसमचारि (विषमचारिन्) ज ७११२।२ विवडिय (निपतित) ज ३११०८ से १११ सू १०६१२६२ विषड्ढ (वि-- वृध) विवड्दति ज ३१६५,१५६ विसमबहुल (विषमबहुल) १११८ विवड्ढेत (विवर्धमान) प ११४८१५२ विसमाउय (विषमायुप्क) प १७:१३ विवण (विवर्ण) उ १२१५,३३९८ विसमेह (विषमेघ) ज २११३१ विवत्थ (विवस्त्र) सू २०१८ विसमोववण्णग (विषमोपपन्नक) प १७/१३ विदर (विवर) ज २१६५ उ ५१५ विसय (विषय) ५२।४८,१२६६११,१५।१११, विवरीत (विपरीत) म २०१६।२ १५१४०,४१,३३११।१ ज २१४;३।१०४,१०५, विवरीय (विपरीत) ज ३।११७११ १०७,११४,१२६।४,५१४६७।१७८ सू१८११ विवाग (विपाक) २३।१३ से २३ विसय (विशद) ज २।४,६५,१२६ विवाह (विवाह) सू २०१७ विसयवासि (विषयासिन्) ज ३।२४।२,३।२६, विविह (विविध) प २।४१,४८ ज ३१२४,११७, ३६,४७,५६,६४,७२,१३११२,१३३.१३८,१४५ १६७।१२,४२७,४६,५॥३८,६७,७११७८ विसयाणपुव्वी (विषयानुदूर्वी) ज ७५० मू १८८ उ ३६३५,११२,१२८ विसह (विषय) जरा६८ विस (विष) उ १८६,६० विसहरण (विषहरण) ज ३।६५,१५६ विसंधि (विसन्धि) २०१८1५ विसाएमाण (निस्वादयत् ) उ ११३४,४६,७४ विसंधिकप्प (विसन्धिकल्प) सु २०१८ विसायणिज्ज (स्विादनी) ज १८ विसज्जिय (विजित) ज ३१८१ विसारय (विशारद) ज ३१७७,१०६ उ १३१ विसम्पमाण (विसर्पत) ज २११५, ३.५,६,८,१५, विसाल (विशाल) प २१४७२ ज २११५; ३११७८%; १६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, ४११५७।२,७१७८ सू२०१८,२०८।८ १४२,१६५,१७३,१८१,१८६,१६६,२१३; विसाहा (विशाखा) ज १२८,१२६,१३४१३, ५।२१,२७,४१ उ ११२१,४२,३।१३६ १३५३३,१३६,१४०,१४६,१६५,१६६ विसम (चिपा) प १३१२२।२:१६:५२:३६८२११ सु १०।२ से ६,१७,२३,८६,६२,७२,७३,७५, ज २।३८,१३६,१३३,३१७६,८८,१०६,१२८, ८३,११४,१२०,१३१ से १६३,१२१२१ १५.१,१७०७।११।३ सू१०११२६।३ विसाही (वैशाखी) ज७१४० उ ३१५५ विसिठ (विशिष्ट) ५२।४७७ ज ११३७, २०१५, विसमचउक्कोणसंठित (विषमचतुष्कोणसं स्थित) २०३१६,३५,१०६,११७ २२१,२२२:५४३; सू श२५:४१२ ७१७८ विसमचउरंससंठाणसंठित (विषमचतुरस्रसंस्थान विसिट्ठतर (विशिष्टतर) सू२०१७ संस्थित) सु ११२५ विसुज्झमाद (विशुधमान) ११३,१२८; विसमचउरंससंठित (विषभचतुरस्रस स्थित) सू ४१२ २३१२००,२०१ ज ३१२२३ विसमचकावालसंठाणसंठित (विषमचक्रवालसंस्थान- विसुद्ध (विशुद्ध) ८ २१६३; १७४१३८,३६६६३,६४ संस्थित) सू १६६ ज २१८,६३१३,१०६५५८ उ ५१४३ विसमचक्कवालसंठित (विषमचक्रवालसंस्थित) विसुद्धतर (विशुद्धतर) ज २०७१ Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विसुद्धतराग-वीइक्कत १०४६ विसुद्धतराग (विशुद्धतरक) ११७।१०८ से १११ विसुद्धलेस्सतराग (विशुद्धलेश्यातरक) १ १७१७ विसुद्धवष्णतरग (विशुद्ध र्णतरक) प १७१६,१७ विसेस (विशेष) प ११११४२१६४११८,१२६३१ १५।२६,३०; १७१३०,१४६ ज २१३,३० ३३,३६,२।४५,१४५,३१३२,४१२,२५ सू २।२,४१४,७; १५५ से ७:१९८२२११३ विसेसाहिय (विशेषाधिक) पश६४,३११ से ६, २४ से ३२,३७ से १२०,१२२ से १२५,१२७, १४१ से १४३,१५६ से १७०,१७४ से १८३, ६।१२३,८५,७,६,११६१२,१६,२५,१०१३ से ५,२६ से २६११७६,६०,१५।१३,१६, । २६ से २८,३१,३३,१५।५८/१,१५।६४; १७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८३,१४४ से १४६; २०६४, २११०४,१०५; २२११०१२८।४१,४४,७०:३४।२५,३६६३५ से ४१,४८,४६,५१,८१ ज १७,२०,४१४५, ५७,६२,६८,११०,१४३,२१३,२३४,२४१; ७१४,१६,७३ से ७५.६३,१६७,२०७।। मु१६१४,२७,१८३७:१६६१० विसोह (वि-!-शोधय) विसाहेहर३।११५ विस्स (विश्व) ज ७।१३०, ८।४ विस्संभर (विश्वम्भर) ५१७६ विस्तदेवया (विश्वदेवता) १..३ विस्सुत (विश्रुत) ज ३।३५ विस्सुथ (विश्रुत) ज ३१७७,१०६,१२६,१६७ दिहंगु (दे०) प ११४८९४६ विहग (हिग) ११३७, २१६८,१०१,४।२७; २८ विहाफइ (बृहस्पति) ज ७१०४ विहर (वि-ह) विहरइ प १५० से ५३ ज१५,४५,२।७० ६१,३१२,२०,२३,३३, ८२,८४,१५३,१७१,१८२,१८६,२१८,२१६, २२४; ४११५६,१६ उ ११२,२७,३१६, ४।११:५१६ विहरति प १२० से २७,३० से ३७,३६ से ४२,४६,४८ से ५२,५४,५५,५७ से ५६ ज १११३,३०,३३,२।८३,१२०,४।२, ११३; ५११,३,८ से १३,६८, ७५६,५६ सू १९२४ उ ३.५०, ५१२६ विहरति प २।३२,३३,३५,३६,४३ से ४५,४८,५१ ५३ से ५६ ज २१७२; ३।१२६; १८ से १३ सु २०१७ विहरसि उ ३८१ विहरामि उ ११७१, ३१३६ विहराहि ज ३३१८५,२०६ विहरिस्संति ज ११३४,१४६ विहरेज्जा सू २०१७ उ ५१३६ विहरमाण (विहरत्) ज २१७१ उ ११२,२० विहरित्तए (विहर्तम) ज ७।१८४,१८५ सु १८।२२ उ ११६५,३१५० विहरिय (विहत) उ ३१५५ विहव (विभव) ज २४३ विहाड (वि-घटय) विहाडेइ ज ३३९०.१५७ विहाडेहि ज ३।८३,१५४ बिहाडिय (विघटित) ज ३।६० विहाडेता (विघटा) ज ३१८३ विहाण (विधान) पश२०१२,११२०,२३.२६,२६, ४८,६८ विहाणमग्गण (विधानमाण) ५२८१६,६,५२,५५ विहायगति (बिहायोगति) ५१६१७,३८,५५ विहायगतिणाम (विहानगतिमान) प २३।३८, ५.६,११६,११७,११६,१२८,१३२ विहार (बिहार) ज २१७१ विहि (विधि) प २१४५; २१।११ ज ३१२४२, म १९४२२ विहिण्णु (विधिज्ञ) ज ३१३२ विहूण (विहीन) प १०।१४१५ ज ४१६४,८६,१३६, २०८ दिहूसण (विभूषण) ज ४।१४०।१ वीइ (वीचि) ज ३।१५१ वीइक्कंत (व्यतिक्रान्त) ज २१५१,५४,७१,८८, ८६,१२१,१२६,१३०,१४६,१५४,१६०,१६३; ३२२२५ उ ११५३,७८,३११२६ Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५० वोsभय ( वीतभय ) प १६३२४ वीइय ( वीजित ) ज ३६,२२२ attasar (व्यतित्रज) १११६,४६, ४१५२ उ ५४१ वीईवप्रमाण ( व्यतित्रजत् ) ज २१६०; ३३२६,३६, ४७,५६६४,७२,१३३, १४५,५।४४, ४७,६७ वीचि (वीचि ) ज २१५३८१ वीणग्गाह ( वीणाग्रह) ज ३११७८ वीतराग (जीएम) प १११०७ से ११०, ११५, ११७ से १२३ रासंजय ( वीतरागमंत) प १७।२५ ataसोग ( वीतशोक) यू २०१८ वीतिमिर (वितिभिर) ६३ वोतिया (व्यतित्रत्) ज ३।११३,५१४४ / वीतीय (वि - अति - व्रज्) वीतिव्यति २०१२ वतीवत्ता (जि. ) प २१६३ वणी (बीजनी ) ज ३१३ बीयराग (राग) प ११००, १०४ से १०७, १०६ से १११,११५,११६.११८,१२१ से १२३ वीराय (वीतराग ) प १1१०२ से १०४,११६, ११७,११,१२०.१२२ वीसोय (क) ज ४।२१२,२१२२ सू २०१८ाउ वीर (वीर) ३१६,१०३,१०८ से १११.२२२ चं १११ उ १।२२,१४०१ २१५,१० वीरंग (बीराङ्गद) उ५।२५, २७ से ३० वीरकण्ह (कृष्ण) उ५।१० वीरण (वीरण ) प ११४१ १ वीरवर (वीरखर) सू २०१६६ वीरसेन (वीरसेन) उ ५ १० वीरिय (तीर्थ) २३०६ २१५१,५४,७१, १२१, १२६,१३०,१३,१४०, १४६, १५४, १६०, १६३,३३,१२६,१८८७१७८ सू २०११, २०१६१३,५ वीरभय-वुच्न वीरियंतराय ( वीन्तरायिक ) प २३।५६ वीरियंतराय (वीर्यान्तराय) प २३।२३ वीवाह (विवाह) ज २।१३० बीस ( ) प २२० से २७ वीस (विशति ) प २।२४ ज १।२३ मू ७।१ उ ५।२८ वीस (विशतितम) व १०१४१४ ates ( विंशति) ज ३।१०६ च २२५ सू ११६१५ atesअंगुलवहाक (विशन्यं गुलबाहुक) ज ३|१०६ वीसति (विशति ) प २३।७५ वीसतिम (विशतितम) सू १२/१७ बीधा (विशतिधा ) सू १२३० areer (fr) ११६/५५ २३|१३ से २३ वीतसेण ( विश्वसेन ) ज ७।१२२१२ सू १०८४ २ वीसा (विशतिधा ) सु १०११४२,१४७ वीसायणिज्ज ( विस्वादनी) प १७/१३४ वीसुत ( विश्रुत) ज ३१३५, ११९ वीहि (व्रीहि ) प ११४५।१ ज २।३७ √ बुच्च ( वच्) बुच्चइ प ५१७,३४, १०२, ११६,१६६; १११३,४१; १७१२, १३,२०,२७,११६,११६, १५२,१५५;२०३९ ज ११४५,४७ २२४१; ३।१,६८,२२६४।२२,३४,५१,५४,६०,६१, ८०,८१,८६,६७,१०२, १०७,११३,१५६, १६१, १६६,१७७,२०८, २११,२६१, २६४,२७०, २७३, २७६, ७ १६६, १८५, २०६, २१३,२२६ उ २३८ दुच्चति प २२|४५, ३०११७ बुच्चति प ५३,५,७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४, २८,३०,३२,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६, ६३,६८,७१,७४,७६,८३,८६,८६,६३,६७, १०४, १०७, १११,११५, १२७, १२६, १३१, १३४,१३६,१३८,१४०, १४३, १४५, १४७, १५०,१५४,१५७,१६३, १६६,२०३, २४२; १०१३, १११३,३६,४१ १५१४५,४६, १८ १७।२, ४, ६,६,११,१६,१७,२०,१०७,१०६, १११,११११६,१५०, १५५; २०१३६,५१६ २२१८,४५, २३।११०, २६/१७, १६ से २१ ; Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुट्टि-वेद १०५१ ३०.१६,१६,२१,२३,२६,२८,३४!१२,१६, ३६८७ १८३५॥१८,२०,२३,३६२८,८१,६४ वेउब्वियसरीरग (वक्रिपशरीरक) प १२।३६ बुठि (वृष्टि) ज ३।११७ बेउब्वियसरीरय (वैक्रिशरीरक) प१२१८,२१.३१ वृड्ढकुमारी (वृद्धकुमारी) उ ४६ देउब्वियसरीरि (4 क्रियशरीरिन् ) प २८।१४१ वृड्ढय (वृद्धक) ज २१६५ वेंट (वन्त) ५१४४८४५ बुड्ढा (वृद्धा) उ ४६ वेटबद्ध (वन्तबद्ध) प १४४८।४० बुढि (वृद्धि) प ३३।१।१ ज ७१,१०,१३,१६, बेग (वेग) प २०२१ से २७,३० ज २११६ १६,६६,७२,७५,७८ चं २।४ सू ११६४,१२२७; वेगच्छिग (वैकक्षिक) ज ७।१७८ १३३१७ वेच्च (दे०,व्युत,ब्यूत) ज ४११३ वृत्त (उका) ज ३१८,१३,१६,२६,४२,५०,५३,५६, वैजयत (वजयन्त) प १११३८, २।६३,४१२६४ से ६२,६८,७०,७५,७७,८४,१००,१२५,१२६, २६६।६।४२,५६;७।२६:१५२८६,९२,१००, १४२.१४८,१६५,१६६,१८१,१८६,१६२; १०५,१०८,१०६,११३,११४,११६,१२०, ५१५,२२,२६,७० च २१४,५,५२ १२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६२८६६ सू १।६।४,१६।३ उ १६४०,४५,५५,५८,८०, ज १११५ ८२,१०८,३७८,८२,११३; ४१२० बेजयंती (वैजयन्ती) प २४८ ज ३।३१,१७८%; ४१४६,२१२,५१८११,५४३ ; ७१२०१२,१८६ वेिज (वि+इ) वेअति सू ६१ ज्झ (वेध्य) ज ३।३२ वेइगा (वेदिका) ज ४११२८ वेड्ड (दे० वीडित) ज २१६० वेइया (वेदिका) प २।१२११९० ज २१२०, ४१३, बेढ (वेष्ट) ज २११३६ २५,३६,५७,६३,११०,१४८,१५६,२२१.२४५ बेढ (वेष्ट ) वेढइ उ ११४६ वेवि (वैऋिषिन) प २१४६ वेढय (वेष्टक) ज २११३६ वेउध्विय (क्रियक) प १२२१,२,४.५,८,१४,१८, वेढल (दे०) प ११५८ २४,२८,३३,३६:१६।५,२१।१,८३,१०४. वेढिम (वेष्टिम) ज ३।१११ १०५:२३१४२,६०,६२,१४६,१७३,३६।११, वेढिय (वेष्टित) ज ३१३२ ३६।३२ ज २१८०, १४०,५६७१५५,५८ ।। वेढेत्ता (वेष्टित्या) उ ११४६ गु१६२३ २६ वेणइया (वैनयिकी,वैण किया) प १९८ उ ११४१, वेदिवयमीससरीर (वैक्रियमिश्रशरीर) प १६३१, ३,७,१० वेणुदालि (वेणुदालि) प २।३७,३६,४०।७ देउब्वियमीसासरीर (वैक्रिमिश्रकशरीर) वेणुदेव (वेणुदेव) प २।३७,३८,४०१६ ज ४।२०८ ५१६।११,१२,१५,३६८७ वेणुयाणुजात (वेणुकानुजात) मू१२।२६ वेउब्वियसमुग्घाय (वै कि समुद्घात) प ३६११,४ ।। वेत्त (वेत्र) प ११४१।१:१११७५ ज २१६७ से ७,२८,३५ से ३८,४०,४१,५३ से ५८,७० वेद (वेदय ) वेदेइ प २३११११, २५१४ वेदेति ७३ ज ३१११५,१६२,२०८१५,७,२६,५५ प१७।२०,२३।११:२५१४,५,२७।२,३,३५१२, बेउब्वियसरीर (वैक्रियशरीर) प १२११२,१६; ३,५,७,६,११,१३,१४,१७ से २०,२२,२३ १६।१,३,७,१२,१५, २११४६ से ६५,६८ से वेदेति प २३१६,१०,१२ से २३:२५२,२७१२, ७१,७७,८१,६६,६८,१०१,१०४,१०५; Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५२ वेद-वेयणा वेद (वेद) पश१६,३।११।१८११ ८,१०,११,१४,१५, २५४१,२,४,२६.१,३,४, २८.१०६।१ उ ३।४८,५० ८,६; २७।१.२,६; २८१,७४,१०१.१०२, वेदग (वेदक) प ११९४११:२५२७।३ १०५.१०६,१०६,१११,११५ से ११७,१२२, वेदणा (वेदना) प २।२३,२६,१७११७.२०,२७, १२७,१३२,२६।१५,२२,३०।१४,२४; २६,३२,३३,२२१५,३५३१११,३५.१ से ७,६, ३११५,६११३२।५३३१३०,३४,३७; ११ से १४,१६ से २०,२२,२३ ज २।१३१ ३४।४,५,११ से १४,३५६३,५,७,६,१११५, वेदणासभुग्घाय (बेदनासघात ) ५ ३६।१,२,४ २३; ३६१७ से १,११ से १३,१५,२०, से ८,१२,१८ से २०,३२,३६ से ४१,४६,५३ . . २६,२७,३०,३२ से ३४,४१,४३ से ४५,४७, से ५६,६५ ५०,६५,६६,१२,७३ ज ११९०,९५,६६, वेदणिज्ज (वेदनीय) प २३११,१२:२४११२:२५१५: १००,१०१,१०२.१०४,१०६,११०,११३ से २६.६.११:२७५,३६६८२,६२ ११६,१२०,४१२४८,२५० से २५.२,५।१६, वेदपरिणाम (वेदपरिणाम ). १३।२,१४,१५,१८, २६,२८,४७,६७,७२,७३.७४ वेमाणियत्त (वैमानिकत्व) प ३६.१८,२०,२२,२४, वेदय (वेदक) ! २२ २६,२७,३० से ३४,४६,४७ वेदि (देदि) उ ३५१,५६,६४,६८,७१,७४,७६ वेमायत्त ( वित्रत्व) प २८।३६,४२,४५,४६,७१ वेदिया (वेदिका) ज १।१४ बेमाया (विमाना) प ७/४; १३।२२।१२८१३८ वेदमाण (दद त्) प २६१२ से ४,८,६,१२,२७२, वय (विद्) वइसु प १४।१८ वइस्सति प १४११८ वेएइ प २३।१५,१६,१८ से २० वेमापिणी वानिकी) प३।१४०४।२१० से वेएंति ५१४११८ २१२; १७५५,८०,८२,८३, २०१३ बेय (वेत्र) ५११४२।१ वेय (वेद) १४।१८।१ वेमाणिय (वैमानि), १११३०,१३४,१३८; वेधग (वेदक) प २७५ २४६ से १३:१३६,४।२०७ से २०६; वेयड्ढ (बंता) ११५ से २०,२३ से २५, ५॥३,२६,१२२:६।४६.५६,६६,८५,८६,६२, २८,३२,३३,४६।१,४७,४८% २११३३ ; ३३१, ६५.१०६,१११.११७,११६,१२१,७७; ६१.१३७.२२०७४।१६७ से १६९,१७२।१, ८।३६।११,१८,२४,१०३२ से ५३,१११४६, ८०,८१,८४,१२२६.३६, १३१२०,१४१२,३, यड्डकड (वैताड्ट ) ज ११३४,४६,६।११ ५,७,६,११ से १५,१८,१५१३५,४६,५६ से वेयगिरि (वता गिरि) ज २१३१,३१२२० ६३.६५ से ६७,७५,८२,१३४; १६।६,१६, उ५।१० २०,२१.२६१७२७,२८,३०,३४,३५,५४,७६ वेयडढगिरिकुमार (वैतादयगिरिकुमार) ज ११४७; से ८१,८३,८६ ६१.६६.१०५; १९६४; ३१६३ से ६६,६८,७२ २०६१,४,५,१३,१६.२५,३०,३५,३३,५४,५६; वेयड्ढपध्वय (ताड़यविन) ज ११३४,३५,४१, २११५५,६२,७१, २२११ १३,१५,१७,१६, ३१६०,६१,१३६,१३७,४१३५,३७,१६७,१७४ २०,२६,२७ ३५,३५,३७.३६.४१,४२,४४, देयणा (वेदना) प ११११७:२।२० से २२,२४,२५, ४७,५३ से ५८.६६,७५.७६,७६,८२,८८, २०३५८,१०,२०२६।१। १ २।४३ ६०,१००; २३१२,४ से ७,१०,११,२४११,३, उ११६०,६२,८५,८७ Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेयणासमुग्धाय-स १०५३ वेयणासमुग्धाय (वेदनासमुद्घात) प ३६१३५,३७, बेसासिय (श्वासिक) उ ३।१२८ वेहल्ल (मेल) ९५ से १६,१०२ से ११७, वेयणिज्ज (वेदनी) प २२१२८२३१२६२४११०, ११६,११५.१२८ राया श्रमिक का एक पुत्र । ११,२५॥३,४,२६८; ३६८२ ज ३।२२५ बेहास (भास में ३।१३१,१३२:५१६४ वेयय (वेद) प२५१४ १९७ वेयवेयय (वेदवेदक) प ११११६ बेहातवाडच्या मिहा स्वाहा ।) सू ६४ वेर (वै) ज २४२,१३३ वोका दि० प ११८६ वेरमण (विरण) प २०११७,१८,३४ वोच्छ ( अच्छ.जि ७१३५१ वेराण बंध (वैर नुबन्ध) ज २०४२ सू १६१३१ बोच्छिद (F: : अ- छिद) बोच्छिजिस्सइ वेराणुमय (वैरानुगय) ज २१२८ वेरिय (वैगिक) ज २०२८ ज २२१२६.१५८ वेरुलिय (वैडय) प ११२०१४ ज ११३७,३११२, वोच्छिण्ण (न्य च्छिग सू ८१३ ३१३४ ८८,६२,११६,१६७१२,१७८; ४।२४२, वोच्छिा मोह नच्छिन्नदोहद) ११५०,७५ २६४:५५,१५८,31१3८ बोयडाड (व्यवच्छेद की। ए १७१३४ योज्य ( मािति ३४ वेरुलिया (यकट) ४७९ योज्य (उह्य) ज ३१२१११५८ वेरुलियमणि (वैडमणि) प १७।११६,१४८ वोडाप (दे०) प ११४४११ वेरुलियमय (वैड्यंत) ज ३३१२,८८,४१७,२६, वोयड (व्य.वृत) ५ १११३७।२ ओलीण (') गु २०१६।४ १६२,२४२,२६४,५१५८ बोरछकाय (जस्यष्टकाय) ज २१६७ वेलंबग (विडम्बक) ज २।३२ वैसाह (वैशाख) ज ७११०४ वेलंबय (विडम्बक) ज २६३२ व्व (इ.) प११०१७; २१४८ ज २११५; वेला (ला) प २११ 3 ३१११० ३२४३,३७११,४५१,१३१।३ उ १३५ वेलु (वेणु) प ११४११२ वेलुय (वेणुक) प ११४८१६१ वेस (वय) प२०४१ ज २।१५, ३११३८,१५८ स (ब) प २१३०,३१,४१४६,५०,५८ ज १११६; सू २० २११२०३१२.१७८ १०७४ उ ३२६, वेसमण (वंशाण ज ३१८,२१,९३,१८०; ४११७॥१५३६८ से ७१७११२सार भाग) T१४८१४९; २३०,३१.३२,४१,४६,५६, सू १०८४१२ ३६१५४ ६३,६६ ज १८,१६,२३,२६.३१,३५२१६४, देसमण भाइय) (वंशः णकाधिक) ज ११३१ ७५,७२,५७ से २२,१६,१७,१८,२१,२८, वेसमणकर ( वै ट ) ज ११३४,४६,४।४४, ३०,३५,४१,४६,५८,६६,४४,७६,८१,१०१, ११६ से ११८,१२८,१४७,१५१,१६७,१६८, वेशाणिय (वैवाणिक) प १८६ १८०,२१२,२१३.२२०; ४३.१३.२१,२५, वेसाली (वैशाली) उ १.१०५ से १०७,११०,१११, . ३६,४०,८१,५०,५१,५९,२,१२,११४, ११५.११६,१२६,१३०,१३२ Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सअंतर-मुखेज्ज ११६,१३५,१४७,१५५,१५६,२२१ से २२४, संकाइबग (दे०) उ ३१५१ २५६,२७७,५११,२१,३२.४१,४३,५०,५८% संकास (संकाश) ५ ११४८1५६ ज २१७८३११ ६११०,११,१४,१५,१८,१६,२१,२२,२६; संकिलिट्ठ (संक्लिष्ट) १७.११४११,१३८; ७१४,४६,६३,६६,८७,६०,११०,११४,१३२, २३।१६५ १६७,१८३,१६४ सू १८।२१, २०१२,७ संकिलिस्समाण (मक्लिदयमान) १ ११११३,१२८ उ११२६,४४ से ४६,६३,१०५,१०६,११५, संकिलेसब हुल (संक्लेशबहुल) ज १२१८ ११६ ११६,१३८,१४८; ४।५,५१२८ संकुचियपसारिय (संकुचितप्रसारित) ज ५१५७ सअंतर (मान्तर) प६।११ संकुड (दे० संकुच) सू १६।२२१५ सई (सकृत) सू १।१२,१४ संकुडिय (दे० संकुचित) ज २११३३ सइंदिय (सेन्द्रिय) १३१४० से ४३,४६,१८११३, संकुय (संकुच) ज ७।३१,३३ सु ४१३,४,६,७ संकुल (संकुल) ज २१६५७३।१७,२१,१७७,५२२५ संख (शंख) प १२४६ : २।३१,१७:१२८ ज २११५, सइय (शतिक) ज ४११६२,१६८,२०४,२१०, २४,६४,६८,६६,३३,१२,७८,१६७१,१०, २३६,२६६,२७५ १७८.१८०,२०६४।८५,१२५.२१२,२१२११; सउण (शकुन) ज २।१२,४१३,२५ ५१६२,७१७८ मू २०१८,२०१८।२ सउणस्य (शकुनरुत) ज २०६४ संखणग (शंखनक) प ११४६ सउणि (शकुनि) ज २।१६७११२३ से १२५, संखणाम (शङ्खनाभ) सू २०१८ १३३।१ संखदल (शङ्ख दल) प २०६४ सउणिपलीणगसंठिय (शकुनिप्रलीन कसं स्थित) संखघमा (शंखध्मायक) उ ३।५० सू१०।२६ संखमाल (शङ्खमाल) ज २१८ संकड (संकट) ज ३।२११ संखयण्णाभ (शङ्खवर्णाभ) सु २०१८ संकप्प (संकल्प) ज ३१२६,३६,४७,५६,१०५, संखसणाम (शंखसनामन्) ज ७।१८६।२ १२२,१२३,१३३,१४५,१८८ ४११४०११; संखायण (शंखायन) ज ७१३२।१ म १०६३ ५२२ उ १.१५,३५,४१ से ४४,५१,५४,६५, संखार (शंखकार) प ११६७ ७१,७६,७६,६६.१०५; ३।२६,४८,५०,५५, संखावत्त (शंखावर्त ) प ६२६ ६८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ संखिज्ज (मंख्येय) ज ३।१६२,५१५ संकम (संक्रम) ११०३० ज ३९ से १०१,१६१ मंखिन्न (संक्षिप्त ज११.३५.५१:४।४५.११०. मु१६२२।१२ ११४,१५६,२१३,२४२ संकम (1--क्रम) सकमति सू २१२ संखित्तविउलतेयलेस्स (संक्षिप्त विपुलतेजोलेश्य) सं.मण (संक्रमण) गु १६१२२।१२ ज १५ उ १३ संकममाण (मंक्रामत्) ज ७१०,१३,१६,१६,२२, संखिय (शांखिक) ज २०६४, ३१३१,१८५ २५,२७,३०,६६,७२,७५,७८,८१,८४ संखेज्ज (संख्येय) प १११३,२०,२३,२६,२६,४०, सू १।१४,१६,१७,२१,२४,२७,२।२,३,६११ ४८,११४८।८,४०,५७,३११८०,५।२,३.५,१२६, संकला (शंखना) ज ३१३ १२७,१४२,१४३;६३५ से ४१,६०,६१,६४, संकाय (दे०) ३१५१,५३,५५,५६,६३,६४,६७,६८, ६६,६८,१०११६,१८ से २७,२६,१११५०, ७१,७३,७४,७६ ७२।१२।३२,३३,३६:१५१८३,८४,८७,८६, Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संखेज्जइभाग-संघयणपज्जव १०५५ ६.१,६३ से ६६,१०३,१०४,११०,११२,१२२, संखेवरुचि (संक्षेपरुचि) प १११०११११ १२३,१३० से १३२,१३५ से १३७,१३६ संखोहबहुल (मक्ष भवहुल) ज १११८ १४२,१४३,१८११५,२० से २३,२८,३२ से संग (राङ्ग) ज २०७० ३५,४७,५.० से ५२;३३।११,१५,३६१८,१४, संगइय (साङ्गतिक) ज २६ १७ से २०,२२,२३,२५,३३,४४,७०,७२,७४ संगंय (मग्रन्थ) ज २।६६ २॥४,५८,१५७,५७११६६३०,३१ संगत (मङ्गत) सू २०१७ संखेज्जइभाग (संख्येयभार) प|४३२११६५ से संचय (मङ्गा)ज २।१४,१५३।१०६,१३८ ७०,३६७२ ७.१७८ संखेज्जगुण (संख्येयगुण) प ३३४ २५,३७,३६,४३, संगह (मंग्रह) प १६१४६ ४४,४६,५३ से ५८,६०,६४ से ७१,८८ से संगहणिगाहा (मंग्रहणीगाथा) प २४.७:२११४७ ६५,६३,६६,१०६,११०,१२८ से १४०,१४४ संगहणी (संग्रहणी) १११७६१६।१,७११६७ से १५५,१७१ से १७४,१७,१७६ से १८३; गु १६६१ उ ३।१७१, ४।२८,५४५ ५१५,१०,२०,३२,१२६,१३४,१५१:६११२३; संगहणीगाहा (संग्रहणीगाथा) प १०५३ ८.५,७,६,११,१०।२६,२७,१५११३,३१; संगहिय (गहीत) ज ३१३५ १७॥५६,६३,६४,६६ से १८,७१ से ७३,७६, संगाम (संग्राम) ज ३।६२.११६ उ ।१४,१५, ७८,८० से ८३,२१।१०५,२८७,५३; २१,२२,२५,२६,१२६,१३७,१४० ३४।२५:३६।३५ से ४१,४० से ५१ ज ७११६७ सगामेमाण (सङ्ग्रामात्) उ श२२,२५,२६,१४० म् १८१३७ संगल्लि (दे०) ज ३।१७६ सिंगोव ( गुपसंगांवेंति ज २१४६,५६ संसेज्जजीविय (संख्येयजीवित) प ११४८१४१ संगवेस्संति ज २१५६ संखेज्जतिभाग (मंख्येयभाग) प १२।१६,१५१४१ संगोविज्जमाण (मंगोप्यमान) ३४६ संखेज्जपएसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ५।१३४,१६२, संगोवेत्ता (संगोप्य) ज २१४६ १६३,१८१,१६६,१६७,२१७,२१८,१०११४, संगोवेमाण (मनीपयत) उ ११५७,५८,८२,८३ १७,२६,२६ संघ (सइ) प|३०,३१,४१ ज ११३१ ११२१ संखेज्जपदेसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ३११७६; उ ५५ ५।१२७,१३३,१८०.१८१,१०।१८,२१,२६ संघट्ट (मं. घट ) गंध ति ५३६१६२ संखेज्जभाग (संख्येयभाग) प ५१५,१०,२०,३०, संघट्टा (संघद्रा) प ११४०।३ इरा नाम की लाा ३२,१२६,१३४ संघबाहिर (संघबाह्य) २०१६।४ संखेज्जवासाउग (गरुयेयवर्याक) प ६७१ संघयण (गहनन) प२३०,६१,४१,४६२३।६८, संखेज्जवासाउय (संख्येयवक) प६७१,७२. १०५,१०७,१६० न १,११६,४६,२८,८६, ७६,६७,६८,११३,११,२१५.३,५४,७२ १२३,१२६,१२८,१४८,१५१,१५७,४११०१, संखेज्जसमयद्वितीय (संख्येयसमयस्थिलिक) १७१ ११५ प३।१८१,५।१४८ संघयणणाम (पहननामन ) प २२३८,४५६४ संखेज्जसमयठितीय (संख्ये समयस्थितिक) -गे ६७,६६,१०० । प ३११८१ संघयणपज्जव (संहनगपर्यय) १,१४,१२१. संखेव (संक्षेप) प १।१०१।१ १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५६ संघरिससमुट्ठिय-संठित संघरिससमुठिय (संघर्पसमुत्थित) प ११२६ संजायसढ़ (मंजातश्रद्ध) ज ११६ संघाइम (संघातिम) ज ३१२११ संजुत्त (संयुक्त) प १५१५७ संघाड (संघाट) प११४८९६२ संजोग (संप्रोग) प २१११ ज ५१५७;७।१३४१२.३ संघाडय (संघाटक) ऊ ३११००,१३३ संजोय (संयोग) प १८४; १६।१५। सिंघात (सं !-घालय) संघातेंति सू १११८ संजोयणाहिकरणिया (मयोजनाधिकरणिकी) संघाय (गघात) प १४७।२,३ ज ७.१७८ प २२।३ सिंघाय (सं घाय) संघाएंति व ३६६२ संझन्भराग (सन्ध्याघ्र राग) प १७१२६ संचय (मंच .) ज २११; ३११६७११४ संझा (सन्ध्या) ५२१४०।११ संचय (मनक) संचाएइ उ ११५२,३।१०६ संठाण (संस्थान) प ११४ से ६,४७११, २०२० से चामा १२०११७.१८,३४ संचाए मि २७,३०,३१,४१,४८ से ५०,५४,५८ से ६०, उश६५३३१३१ संचाएमो उ १६६ ६४,६४११,४,५,६,१०।१५ से २४,२६ से संचाहिइ उ ३।१३० ३०,१५१३१,१५।२ से ६,१८,१६,२१,२६, संचारिम संचालिज ३।११७ ३०,३५:२१।१।१,२११२१ से ३७.५६ से ६२, Vसंचिठ्ठ (सं : ष्टा) संचिट्ठइ उ ११३८,३१५६ ७३,७८ से ८०,१४, २३३१००,१६०;३०२५, चिटुनि उ ११८६:३१७६ २६; ३३।१११,३३१२१ से २३,३६६८१ ज १५, संचिय (सञ्चित) प २३२१२ से २३ ज ३१२२१ ७,८,१८,२०,२३,३५,५१:२।१६,२०,४७, संछण्ण (संछन्न) ज ४१३,२५ ८६,१२३,१२८,१४८,१५१,१५७,३३३,६५, संजत (नंयत) १३।१०५,६।६७,६८,२११७२; १५६,४११,३६,४५,५५,५७,६२,६६,७४,८४, ३२।६।१ ५६,६१,६७,६८,१०१,१०२,१०३,१०८,११०, संजतासंजत (संयतासंत) प ६१६८,२१७२; १६७,१७८,२१३,२४२,२४५,७१३१,३२११, ३२॥१३ ३३,३५,५५,१२७११,१२६११,१३३३३.१६७११; संजतासंजय (संपतासंयत) प ३२१४ १६८।२,१७६ च ३१२ सू ११७।२,१११४; संजम (संयम) प ११११७ ज ११५, २१८३,३६३२।१ १०१६; १३॥१७,१८।८ उ ११३ उ११२,३,३१२६,३१,६६,१३२,५।२६ संठाणओ (संस्थानतम् ) प११५ से ६ संजाय (यत) प ३३१११,१०५,६१६८; १७।२५, संठाणतो (संस्था तस्) १ ११७ से ६ ३०,३३,१८११११,१८१८६२१।७२; संठाणणाम (संस्थाननामन्) प २३।३८,४६ २८११०६।१,२८११२८,३२११ से ४,६६।१।। संठाणपज्जव (मंस्थानपर्यव) ज २१५१,५४,१२१, संजयासंजय (संयतायत) प ३११०५; ६१९७; १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ १७।२३,२५,३०:१८।६१,२१।७२,२२१६२; संठाणपरिणाम (संस्थान:रिणाम) प १३१२१,२४ २८११३०,३२२१,२,६ संठाणा (दे०) सू१०१६,६२,६७,६८,७५,८३, संजलण (संज्वलन) प १४।७; २३१३५ १०३,१२०,१३१ से १३३, १२।२० मृगशिरा संजलणा (संज्वलना) प २३।१८४ नक्षत्र संजार (सजात, ज ३११११,१२५ उ १८६ संठिइ (संस्थिति) ज ७।३१,३३,३५ च २।१३।१, संजाय उहाल (संजातकौतूहल) ज ११६ १ सू ११६११,११७११,१६१ संजायसंसय (संजातसंशय) ज ११६ संठित (संस्थित) प २१२० से २७,३०,३१,४१, Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संठिति-संपण्ण १०५७ संथरिता (संस्तृत्य, संस्तीय) ज ३१२० संथरेता (संस्तृत्य, संस्तीर्य) ज ३।१११ संथव (संस्तव) प ११०२३ संथार (संस्तार) ज ३।११३ संयारग (संस्तारक) ज ३११११ संथारय (संस्तारक) ज ३।१११ सिंथुण (सं+स्तु) संथगइ ज ५१५८ संथुणित्ता (संस्तुत्य) ज ५१५८ संथुय (संस्तुत) ज २१६६ संथुव्वमाण (संस्तूयमान) ज ३११८,६३,१८० संदमाणिया (स्यन्दमानिका) ज २।१२,३३ संधि (सन्धि) ५२४८३६ ज २६१५,१३३,४।१३, ४८ से ५०,५४,५६,६०,६४ सू११२५३१२, ४.२ से ४,६,७,६,३३,३६,१०।२७ से ३१, ३३,३४ से ४४,४६ से ५४:१८।८।१६।२,३, ६.६,१२,१३,१६,१७,२२१२,१५ संठिति (संस्थिति) ज २१४६ सू १।१५,१६,१७, २५;४१ से ४,६,७,६६.१११ २ १३३१७ संठिय (मंस्थित) प २१४८,६४, १५२ से ६.१८, १६,२१,२६,३०,३५, २१०२१ से ३७,५६ से ६२.७३,७८ से ८१,८३३३।१६ से २६; ३६।८१ ज १५,७,८,१८,२०,२३,३५,३७, ४८,५१, २।१५,१६,२०.४७,८६,३।६,६४, ६५,१३३,१३५,१५८,१५६,१६७.२२२,४१, २३,३८,३६,४५,५५,५७.६२,६५,६६,७३७४, ८६,६०,६१,६७,६८,१०३,१०८,११०,१२८; १६७१११.१६६,१७८,२१३,२४२,२४५, ५१४३,७१३१ से ३३,३५,५५,१३३,१६७, १७६,१७८ सू११५.१४,४१६ उ ११३ संड (षण्ड) ज ३१११७,१८८ संडिल्ल (शाण्डिल्य) प ११६३।३ संणय (सन्नत) ज ३११०६ संत (सत्) १११४७१३ ज २१६४,६९ सू २०१२ संत (शान्त) ज २६८ संत (श्रान्त) उ १३५२,७७ संतइभाव (संततिभाव) १८१४,६ संततिभाव (सन्ततिभाव) प ८८,१० संतप्प (सं:-तप) संतप्पंति सू ।१ संतपमाण (पंतप्यमान) सू !१ संतय (सन्तत) प ७१ संतर (सान्तर) प ६४७ से ५८,१११७०,७१ संताणय (सन्तानक) सु २०१८ संताव (मं : तापय् ) संत.वेति सू ।१ संतिकर (शान्निकर) ज ३८८ सिंथर (मं स्न) संथरइ ज ३१२०,३३,५४,६३, ७१,६४,१३७,१४३,१६६ संथति ज ३।१११ संधिकम्म (सन्धिकर्मन) ज ३१३५ संधिवाल (सन्धिपाल) ज ३१६,७७,२२२ उ श६२ सिंधुक्क (सं+-धुक्ष्) संधुक्के इ उ ३३५१ संधुक्केत्ता (संधुक्ष्य) उ ३५१ सिंधुक्ख (सं+ धुक्ष्) संधुक्खंति ज ५११६ संधुक्खित्ता (संधुदय) ज ५१६ संनिक्खित्त (सन्निक्षिप्त) ज ११४० संनिचित (सन्निचित) उ ५१५ संनिवडिय (संनिपतित) उ १२३,६१ संनिविट्ठ (संनिविष्ट) ज ४२७, १४ संनिसण्ण (संनिषण्ण) उ ३६१ संपउत्त (संप्रयुक्त) ज ३1३५,८२,१०३,१७८, १८७,२१८ संपक्खालग (सम्प्रक्षालक) उ ३१५० संपग्गहिय (सम्प्रगृहीत) ज ३१३५,१७८ संपठित (सम्प्रस्थित) प १६।२२ संपटिठय (सम्प्रस्थित) ज ३३१७८,१७६,२०२, २१७,५४४३ संपणदित्त (संप्रणदित) प १३०,४१ संपण दिय (संप्रणदित) प १३१ संपणादित (संप्रणादित) ज ११३१ संवण (संपन्न) उ ११२३।१५६:५२२६ Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५८ संपत्त (सम्प्राप्त) ज ५।२१ सू २/३ उ ११४ से ८,६३,६३,१४२,१४३; २१ से ३, १४, १५, २१:३ । १ से ३,२०, २३, २६,८८, १२६, १५३, १५४,१६६,१६७,१७०४१ से ३,२७,५११, ३,४४ संपत्ति (सम्प्राप्ति ) उ १४१,४३,४४ संपत्थिय ( सम्प्रस्थित ) उ ३१६३,६७,७०,७३ संपन्न ( सम्पन्न ) ज २०१६ १११,४१६,१८ √संपमज्ज (सं+प्र · मृज्) संपमज्जेज्जा ज ५।५, संबद्ध ( संबद्ध ) ज २१२० से २७ ७५ से ७६ संपया (संपदा) ज २७४ संपराइयबंधन (साम्परायिकबन्धक) प २३/६३ संपराइयबंधय ( साम्परायिक बन्धक ) प २३।१७६ संपराय ( सम्पराध ) ज ३।१०३ संपरिक्खित्त (सम्परिक्षिप्त ) ज ११७, ६, २३, २५, २८,३२,३५; ४।१,३,६,१४,२५,३१,३६,४३, ४५,५७,६२,६८,७२,७६,७८,८६,६०,६५, १०३,१४१, १४३, १४८, १४९, १५२, १७४, १७६,१७८, १८३,२००,२१३,२१५,२३४, १२,२८,३२,३६उ ५१६ संपरिवुड (सम्परिवृत ) ज २२८८६०३६,१४, १८,२२,३०,३१,३६,४३,५१,६०,६८,७७, ७८,१३,१३०,१३६, १४०, १४६, १७२, १८०, १८६,२०४,२१४,२२१, २२२, २२४ ५ ।१,५, २२,४६,४७,५६,६७ उ ११२,१६,६२,६३,६७, ६८,१०५ से १०७,१२१,१२२, १२६ से १२८, १३३;३।१११ ; ४।१८ १५ १६ संपुष्णदोहल (सम्पूर्णदोहद ) उ ११५०.७५ / संपेह ( सं + - ईक्ष्) संपेहेइ ज ३३२६,३६,४७ उ ११७; ३।२६ संपेहेति ज ३।१६८ संपेहेमि उ १७६ संपेहेता ( सम्प्रेक्ष्य ) ज ३।२६ उ ११७; ३३२६ संव ( शम्ब) उ५११० संबंधि ( सम्बन्धिन् ) ज ३।१८७ उ ३३५०, ११०, संपाविउकाम ( सम्प्राप्तुकाम) ५।२१ संपिडिय ( सम्पिण्डित ) प १६११५ ज २।१२ संपिna (संवि) ज २।१३३;३।२४ संपुच्छण ( सम्प्रच्छन ) ज ५१५ संपुण्ण (सम्पूर्ण ) ज ३१२२१ उ ११३४ संभिन्न ( सम्भिन्न ) प ३३|१८ संमिय ( श्लेष्मिक ) उ ३३५ २४०,२४१,२४२,२४५;५।३८ ३|११६१२, संभूयग ( सम्भूतक) उ ३८ संबद्धसाग (संबद्ध लेखक ) सू १६।११।२ संबररुहिर ( शम्बररुधिर ) १७१२६ संबाह (सम्बाध ) ज २१२२,३३१८,३१,१८०,२२१ उ ३।१०१ संबुद्ध (सम्बुद्ध ) उ ३१४५ संकांत ( सम्भ्रान्त ) उ ११३७ संपत्त-संलाव संभम ( सम्भ्रम ) ज ३१२०६५।२२,२६ संभव (सम्भव) ज ७३११४ ग २०११ संपलग्ग ( सम्प्रलग्न ) ज ३।१०७,१०९ उ १।१३८ संमुच्छित्ता ( सम्मूर्च्छय ) सु २०१ संपलियंक ( संपर्यङ्क) ज २१८६ संमुद्रिय ( सम्मूच्छित ) सू ६१ / सम्माण (सं. गानय् ) सम्भाणेइ उ १११०६; ३।११० सम्मार्णेति उ ५३६ सम्माणेमि उ १११७ संलवमाण ( संलगत् ) उ ११४७ संलाव (संलाप ) ज २११५:३१३८ सू २०१७ संभोग ( सम्भोग ) उ१।२७,१४० संमज्जग ( सम्मज्जक) उ ३१५० संमज्जण ( सम्मार्जन) उ३३५१,५६,७१,७६ संमज्जिय ( सम्मार्जित) ज २६५; ३३७, १८४; ५.५७ संछ ( सं + मुर्च्छ) मंमुच्छंति सू ३ । १ संमुच्छति संमठ ( सम्मृष्ट) ज २१६; ३७५१५७ Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संलेहणा-सवकरप्पभा १०५६ संलेहणा (संलेखना) ज ३।२२४ उ २११२,३।१४, संसत्त (संसक्त) उ ३११२० ८३,१२०,१५०,१६१,१६६५२८,४३ संसत्तविहारि (मंसक्तविहारिन्) उ ३।१२० संवच्छर (संवत्सर) प ४६५,९७; २३१७४,१८७ संसार (संसार) प २०६४,६४।१ ज २७० __ ज २।४,६६,६६;७२०,२५,२६,३७,१०३, उ ३१११२ १०४,११२१२,३,११३,११४,१२६ संसारअपरित्त (संसारापरीत) प १५६१०६,१११ चं २३३,५३ सू १।६।३,१६,१३,१४,१६, संसारत्य (संसारस्थ) प ३३१८३ १७,२१,२४,२७,२६३, ६।१८1११०।१२४ संसारपरित्त (संसारपरीत) प १८१०६,१०८ से १२७,१२६४२,३,१३०,१३८ से १६१, संसारपारगामि (संसारपारगामिन) ज २१७० ११११ से ६ ,१२११ से ६,१० से १३,१६ से संसारसमावण्ण (संसारसमापन्नक) पश१०,१४, २८,३०; १३।२;२०१३ ३ ३।१२६,१३४ १५,४६ से ५२,१३८ संवच्छरण (संवत्सरण) सू ११६३ संसारसमावण्णग (संसारसमापन्नक) प ११३३६; संवच्छरिय (सांवत्सरिक, ज २१४,३१२१२,२१३, २२८ २१६;७१११०,१२७ सू १०११२२,१२३ संसिय (संश्रित) ज ३१८१ उ ३३५५ संवट्टकप्प (संवर्तकल्प) उ १११३६ संहित (मंहित) प ११४७१३ संवट्टग (मंवर्तक) ज २११३१ संहिय (मंहित) ज २१५ संवट्टगवाय (संवतंकवात) प ११२६ ज ५१५ + संवड्ढ़ (सं+वृध) संबड्ढेइ उ ११५८ संवडम सकथा (सकथा) उ ३१५१११ सकसाइ (सकषायिन् ) प ३९८,१८३,१८१६४; उ ११५३ संवड्ढे हि उ ११५७ २८१३२ संबड्ढमाण (संवर्धमान) उ १८५४ सकहा (दे०) ज २१११३ संवड्ढिज्जमाण (संवय॑मान) उ ३.४६ सकाइय (सकायिक) प ३३५० से ५३,६०,१८।२५% संवत्त (संवृत्त) ज ३।१०६ संवद्धिय (मंद्धित) ज ३३५ संवर (शंकर) ५११६४ मृग की जाति सकिरिय (सक्रिय) प २२१७,८ संवर (संवर) पश१०१।२ सकोरंट (सकोरण्ट) ज ३१६,१८,७७,७८,९३, संवाह (संवाह) प ११७४ ज २।२२ १८०,२२२ संविकिरण (मविकीर्ण) ५ २६४१ ज ११३१ सक्क (शक्य) प ११४८१५७ ज २१६१ सदिगिण (मविकीर्ण) प २।३०,३१ सक्क (शक) प २१५०,५१ ज ११३१,२१८६,९०, सविणद्ध (भविनद्ध) ज ३१३१ ६३,६५,९७,६६,१०१,१०३,१०५,१०७,१०६, संवुक्क (दे०) प ११४६ १११,११३,११८,३१११५,१२४,१२५; संवुड (संवृत) प ६२० से २३ सू २०१७ ४।१७२,२२२,२२३३१,२३५,२४०,२४३; संबुडजोगिय (मंवृतयोनिक) प ६।२५ ५१८,२० से २३,२७ से २६,३६,४१,४३, संवुडवियड (गवृत विवृत) प ६।२० से २३ ४५ से ५०,६१,६२,६५ से ६६,७२,७३ संवुडवियडजोणिय (संवृतविवृतयोनिक) प ६२५ । उ ३३१२३,१५० संवृत्त (मवृत्त) ज ४११३ सक्करप्पभा (शर्कराप्रभा) प १३५३;२२१,२०,२२, संवुय (रावृत्त) ज ३।२२२ ३।१२,२२,२३,१८३,४७,८,९६११,७४, संसयकरणी (संशयकरणी) प ११॥३७।२ ७५:१०११, २०५१,५४:२११६७,३३१४,१६ Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सक्करप्पभापुढविणेरइय-सट्ठाण सक्करप्पभापुढविणेरइय (शर्कराप्रभापृथिवीनरयिक) सचित्तजोणिय (सचित्तयोनिक) प६।१६ प २०१५२,५५ सचित्ताहार (सचित्ताहार) प २८.१,२ सक्करा (शर्करा) प११२०११७१३५ समच (सत्य) प १११०१११० उ १।२४ ज २१७,६८,४।२५४ सश्चमासग (सत्यभाषक) प ११६० सक्कार (सत्कार)ज २।२५; ३।२१७ उ ११६२; सच्चमण (सत्यमनम् ) प १६।१ से ३,७,८,१०, ५१७ ११,१५,१८ से २१ सिक्कार (सत्कारय् ) सक्कारेइ ज ३१६,२७,४०, सच्चमणजोग (सामनोयोग) प ३६८६ ४८,५३,५७,६५,७३,६१,१२७,१३४,१३६, सञ्चवइजोग (सत्यवाक्योग) प ३६१६० १४६,१५१,१५२,१८६,२१६ उ १:१०६ सच्चा (सत्य) प १११२,३,३२,३३,४२ से ४६,६२, ३।११० सक्कारेंति उ ५३६ सक्कारेज्ज ८४,८५,८८,८९ ज २१६७ सक्कारेमिउ ११७ सच्चामोस (सत्यामृषा) प १११२,३,३५,३६,४२, सक्कारणिज्ज (सत्कारणीय) सू १८।२३ ४३,४५,४६,८२,८४,८५,८८,८६ सक्कारवत्तिय (सत्कारप्रत्यय) ज ५१२७ सच्चामोसमासग (सत्यामृपाभाषक) प ११।९० सक्कारिय (सलारित) ज ३८१ सच्चामोसमण (सत्वामृषापना) प१६६१,७ सक्कारेत्ता (सत्कार्य ) ज ३।६ उ ३३५० सच्चामोसमणजोग (सत्यामृषामनोरोग) प ३६८९ सक्कुलिकण्ण (शप्कुलिकर्ण) प ११८६ सच्चामोसवइजोग (सत्यामृपावायोग) प ३६१६० सक्कोत (सक्रोश) जे २३,३५ सच्चित्त (सचित्त) प २८।१।१ सखिखिणी (सकिंकिणी) ज ३१२६,३०,३६,४७, सच्छंद (स्वच्छन्द) प २।४१ ५६,६४,७२,११३,१३३,१३८,१४५,१७८ सच्छंदमइ (स्वच्छन्दमति) उ ३१११६४१२२ सग (स्वक) ५ २१६२,६३, ३३११६,१७ सच्छीर (सक्षीर) प १४८।३६ ज २११२०,३१८१,८६,१०२,१५६,१६२ सजोगि (सयोगिन् ) प ३१६६,१८३१८५५ सग (शक) प १८६ सगंय (सग्रन्थ) ज २१६६ २८१३८,३६१६२ सगड (शकट) ज २११२,३३,७१, ७३१ सजोगिकेवलि (सयोगिकेदलिन् ) प १३१०८,१०६, सगडवूह (गकटव्यूह) उ ११३७ १२१,१२२ सगडुद्धिसंठिय (सकट 'उद्धि' संस्थित) सू १०३७ सजोगिभवत्थकेवलि (सोगिभरस्थकेबलिन) सगडुद्धी (शकट 'उद्धि') ज ७१३३.१ प १८।१०१,१०२ सगडुद्धीमुहसंठिय (शकट 'उद्धि' मुखसंस्थित) सज्ज (सज्ज) ज ३।१७८ सज्जाय (सर्जक) ५ ११४८१४६ पीत शालवृक्ष सगडद्धीसंठिय (शकट'उद्धि' संस्थित) ज ७१३२११ सज्जाव (सञ्जय) समावेति उ १११३५ सगल (शकल) प २४७१२; २।३१ ज ७११७५ सज्जावेत्ता (सञ्जयित्वा) उ११३५ सू.१,१३१३ सज्झाय (स्वाध्याय) उ ३३१ सगोत (सगोत्र) सू १०1१२ से ११६ सट्ठ (षष्ठ) ज ३११७८ मु१६२१ सचित्त (सचित्त) ५ १३ से १७ ज २०६६ सट्ठाण (स्वस्थान) म ११,२,४,५,७,८,१०,११, सचित्तकम्म (सचित्तकर्मन्) मू २०१७ उ २८ १३,१४,१६ से ३१,४६, ५॥३५,४२,४६,५४, सचित्तजोणि (सचित्तयोनि) प६१६ ५७,६०,६४,६६,७५,७६,६०,६४,६८,१०८, Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सद्विग-सग्णिसीय १०६१ ११२,११६,१२२,१५१,१६४,१६७,१६१, सण्णवणा (संज्ञपना) उ ३।१०९ १६४,१६८,२०१,२०४,२०८,२१२,२१५: इसण्णवित्तए (संज्ञपयितुम् ) उ ३.१०६ २१६,२२२,२२५,२४३,२४४,६१६३; सण्णा (संज्ञा) प ११११४८।१३ ज १२१३३ १५.१०२.१२१,१२२,१२७,३६।२०,२४,२६, सण्णासण्णि (संज्ञामंजिन) प ३११६।१ २७.४७ सिण्णाह (मंनाहय्) सणाहेह ज ३।१५,२१ सछि (पष्टि) प १३३ ज ११२६ उ २०१२ ३१,३४,७७,६१,१७३,१७५,१६६ उ १११२३; सठिग (पष्टिक) ज ३१११६ ५२१८ सटिठभाग (पष्टिभाग) ज ७१२१,२२,२५ मू ११० सण्णि (संजिन) प १४१७,३११२,११२,१११११ सट्ठिभाय (पष्टिभाग) ज ७।२४ से २०१८।१।२,१८।११६२३।१७६,१७७, सट्ठिय (पष्टिक) गु १२१८ १६५,१६६.१६६ से २०१:२८.१०६६१, सिड (शट) सइइ उ ११५१ २८१११५,११६,३१११ से ३,५,६,६११; सड्ढई (धाद्ध किन्) उ ३३५० ३६१६२ सण (शण,सण) प ११३७६४,११४५।२ ज २।३७; सण्णिकास (सन्निकाश) ज ३१२२३,४१८५ ३.७६,११६ सण्णिक्खित्त (संनिक्षिप्त) ज ७/१८५ सणंकुमार (सनत्कुमार) प १११३५,२१४६,५२ से सण्णिचिय (सन्निचित) ज २६ ५८.६३, ३।३१,१८३, ४१२३७ से २३६% सणिणाद (संनिनाद) ज ३।३०,३१,४३,५१,६०, ६।२६,५६,६५ ८५.११२,७।१०।१५।८८, ६८,७८,१३०,१३६,१४०,१४६ १३८,२१४७०,६१,२८७७,३३।१६,३४११६, सणिणाय (सन्निनाद) ज ३।१२,१४,१७२,१८०, १८२१२ २०६,२२४;५।२२,२६,७११२७।१ सर्णकुमारग (सनत्कुमारज) ६१६५ ज ५१४६ सण्णिम (सन्निभ) ज ३।३,१७,१८,३१,८१,६१, सणंकुमारवडेंसय (सनत्कुम्हारावतंसक) प २२५२ ६३,१७७,१८०,१८३,२०१,२१४ समाफद (सनख द) प ११६२,६६ सण्णिभूय (सं शिभूत) ५१५।४८;१७१६,३५११८ सणिक्रमण (सनिष्क्रमण) ज ४।२७७ सपिणवाइय (सन्निपातिक) उ ३.११२,१२८ समिक्खिर जनिक्षिप्त) ज ७१८५ सू १८।२३ सण्णिवात (सन्निपात) सू १०१२६ सनियरसंबछर (मनैश्चरसंवत्सर) ज ७४१३३ सपिणवाय (सन्निपात) चं ५.१ सू१६१ सणिच्दरि (शनरचारिन् ) ज १५०,१६४; सणिविट्ठ (सन्निविष्ट) ज ११३७,३१६६ से ४।१०६,२०५ १०१,१६३,४१६,३३,१२०,१४७,२१६,२४२, ५।३,२८,३३ समिच्छर (शनैश्चर) परा४८ ज ७१८६।१ सण्णिवेस (सन्निवेश) प १६१२२ ज २१२२ मु १०१३०, २०१८।१ ३१३२,१८५,२०६ उ ३११०१,१२५,१३२, सणिच्छरसंवच्छर (शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१०३, १३३,१४१,१४५,५३६ ११३ सु १०।१२५.१३० सण्णिवेसमारी (सन्निवेशमारी) ज२४३ सणिय (सनस) ज ३१२२४ सण्णिसम्ण (सन्निषण्ण) ज ३।६,२०४; ५।२१, सपणज्रिउं (सन्नद्ध) ज ३११२३ ४१,४७,६० सपण मला) ३.१०७.१२४ उ १११३८ सिण्णिसीय (सं! नि पद) सणितीयह सम्मय (सन्नत) ज ७।१७८ ज ३११२ Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ सणि सीयित्ता (संनिषद्य ) ज ३११२ सणिहिय ( सन्निहित ) प २२४७१२ सह ( श्लक्ष्ण ) प ११८, १६:२३०, ३१, ४१, ४८, ४६, ५६, ६३, ६४ ज ११८,२३,३१,३५,५१; ३।१२,८८, १६४; ४१२४, २५, २६.४६, ६७, ८८, ११०,१७८,२१३ ४ १० ५१५८ सहमच्छ ( श्लक्ष्णमत्स्य ) प ११५६ सहसहिय ( श्लक्ष्णलक्ष्णिक) ज २२६ सत (सत् ) सू १३/२ सत (शत ) प २।४१ से ४३,४६, ४८ से ५२,५८ से ६४; ४११८६, १८८; ६।३४,३६,६७१ १८११६,२४,४६,५४,६०,६१,११६,२०।१३; २१/६७,६८२३१६३,६८,६६,७३,७५ से ७७,८१,८३,८५,८७, ६०, ६२,६६, ६७, ११२, ११४,११६,१२७,१६४,१६६, ३६/१७,३४, ४१ सू १।१८ से २०,२४:२|३;३|१;६।१; १३;१०।१२७,१६५ १२/२ से ६, १२, १३, ३०;१३।१ से ३,१४।७, १५८२ से ४, १७ से १६,२२,२५ से २६,३१,३२,३४ से ३७, १८११,४ से ६,१७,२०; १६११, ४, ५१३, १६१७, ८,१०,१५।१,२,४,१६१८ से २०; २११४; १६।२२।३२ सतक्कतु ( शतक्रतु) प २५० सतक्खुत्तो ( शतकृत्वस् ) सू० १२।१२ सतत ( सतत ) प ७३१ सतपोरग ( शतपोरक ) प १४४१३१ सतभित ( शतभिषग् ) सू १०/६४ सतभिराय ( शतभिषग्) सू २०१२ से ६, ६,२१,२३, ३०,५८,७५,८१,६५,१२०,१३१ से १३५; १२/२५ सतरा ( सप्तति ) मू १६।११।१ सतवच्छ ( शतवत्स ) प १७६ सतवत्त ( शतपत्र ) प ११४८४४ सतवाइया (तपादिका ) प ११५० सतसहस्स ( शतसहस्र ) प ११२०,४६,५०,७५,७६, ८१; २२० से २७,२७१२,२६ से ३३, ३६ से सण्णिसीयित्ता-सत्तर ३६; ४०१२, २/४१ से ४३,४८ से ५३, ५४, ५६१, २६३,६४,४१७१,१७३, १७७, १७६; ६/४१,२१।६३,६६,७० सू १५/२,१८/२५; १६२५१, ३, १६६८१,३,१६२१११,८, १६२२६ सतहा ( सप्तधा ) ज ५।७२,७३ सता (सदा ) सू १९१११ सती (दे० ) प ११४५।१ सतेरा ( शतेश) ज ५।१२ सत्त (सप्तन् ) प १४२ ज १।२० चं ३।३ सू ११७ उ ३।१०१ सत्त (सत्त्व ) प २२६४; ३६।६२,७७ ज २११३२; ३३७।२१२ ११३,३१५१ सतंग ( सप्ताङ्ग ) उ ३१५१ सतग (सप्तक) ज ७ १३११२ सत्तठि (सप्तषष्टि) सु १०/२ सत्तट्ठिया (सप्तषष्टिधा ) यु १०।१५२ से १६०, १६२,१६३,११।२ से ६; १२७, ८, १६ से २८ सत्ता (सप्तपष्टिधा ) सु ११/२ सत्तणउत्ति (सप्तनवति ) मू १८११ सततरि ( सप्तसप्तति ) ज ३।२२५ सततीस ( सप्तत्रिंशत् ) ज ४१५५ सत्तत्तीस ( सप्तत्रिंशत् ) ज ४ । १४२।२ सत्तणु (सप्तधनुष्) उ ५ २११ सत्तपएसिय ( सप्त प्रदेशिक ) प १०/१२ सतपदेस ( सप्तप्रदेशिक ) प १०।१४१५ सत्तभाग (सप्तभाग) प २३/६१,६४,६८,७३,७५ से ७७,८१,८३ से ५५,८६,६०,६२,६६, १०१,१११ से ११४,११७,१२१,१२२,१३०, १३४,१३५,१४०, १४२, १४३, १५२, १५३, १५५,१६०,१६४,१६७,१७१ से १७३ सत्तम (लप्तम ) प ६८०१२ १०११४१३ ३६८५, ८६ ज ७६७ १०१७७ १२।१६ १३।१० उ २१२२ सत्तमी ( सप्तमी ) ज ७।१२५ सत्तर (सप्तदशन् ) प १० १४१४ से ६ ज ७।२०२ Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरस-सहाव सत्तरस (सप्तदशन् ) प ४१६ ज ३१७६ सू ८१ सत्तरसविह (सप्तदशविध) '१६॥३८ सत्तरि (सप्तति) प २।५३ ज ५४६ सू १६।१४ सत्तविह (सप्त विध) प १११६,५३,१६।२६,३२, २।२१ से २३,८३,८४,८६,८७,६०; २४।२ से ८.१० से १३:२५१४,५,२६२ से ६,८ से १०;२७२,३,३६।७ सत्तसठ्ठ (सप्तपष्टि) ज ४१६८ सत्तसठ्ठि (सप्तपप्टि) सू १०।२२ सत्तसिक्खावइय (सप्तशिक्षावतिक) उ ३।७६ सत्तहत्तरि (सप्लसप्तति) ज २१४१२ सत्तहा (सप्तधा) ७६५,६८,६६,७१,७२,७४, ७५,७७.७८,५१७२.७३ सत्ताणउइ (सप्तनवनि) २४६ सत्ताणउत (सप्तनवति) प २१४८ सत्ताणउय (सप्तन वति) ज ७१८ सू ११२७ सत्तातीस (सप्तत्रिंशत् ) प ४.२७६ सत्तालीस (सप्तचत्वारिंशत् ) म १०११५१ सत्तावण्ण (सप्तपञ्चाशत् ) ज ४१६२;७।२१; म २१३ उ ११३ सत्तावीस (सप्तविंशति) प ४।२७६ ज १७ सू १६१० सत्तावीसतिविह (सप्तविशतिविध) प १७१३६ ससासीय (सप्ताशीति) ज ७७७ सति (शतिः) प २१४१ ज ३।३५,१७८ सत्तिषण (सप्तरण) प ११३६।३ उ ३१६४ सत्तिवण्णवडेंसय (सप्तपर्णावतंसक) प २।५०,५२ सत्तिवण्णवण (सप्तपर्णवन) ज २१६;४१११६ सत्तु (शत्रु) ज ३१३,३५,८८,१०६,१७५,२२१ सत्तुस्सेह (सप्तोत्सेध) ज ११५ सू ११५ सस्थ (शस्त्र) ज २१६।१,३।२०,३३,५४,६३,७१, ७७,८४.१०६,११५,१२४,१२५,१३७.१४३, १६७,१८२ उ ३२३८,४० सत्थ (शास्त्र) उ ३३२८ सस्थवाह (मार्थवाः १६१४१ ज १२५:३१६, १०,७७,८६,१७८,१८६.१८८,१८६,२०६, २१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ११६२; ३१११,९६,६८,१००,१०१,१०६ से ११२; ११०,१७,१६,३६ सत्यवाही (सार्थवाही) उ ३६८,१०१ से १०५, १०७,१०८,११० से ११३ सत्थीमुहसंठित (स्वस्तिमुखसंस्थित) सू ४।३,४,६,७ सदा (सदा) प १३०,३१,४१ सदेवीय (सदेवीक) प २०११२,३४।१५,१६ सद्द (शब्द) प २।३०,३१,४१,१५१३६,३६,४०; १६.४६,२३११५,१६,१६,२०,३०,३१, ३४।११२,३४१२३ ज १११३,२६,३१,२१७, १२.६५,३१६,१२,१४,१८,३० से ३२,४३, ५१,६०,६८,७७,७८,८२,८८,८६,६३,१३०, १३६ १४०,१४६,१५५,१५६,१७२,१७८,१८०, १८५,१८७,२०६,२१२,२१३,२१८,२२२; ४।३,२५,८२,५।२२,२६,३८,५७,५८,७२,७३, ७११७८ सू २०१७ उ १६० से ६२,८५ से ८७: श१६,१७,२०,२५,२७ सपरिणाम (शब्दपरिणाम) प १३१२१,३१ सहपरियारग (शब्दपरिचारक) ५३४११८,२३,२५ सहपरियारणा (शब्दपरिचारणा) प ३४१७,२३ सहव्वया (सद्व्य ता) ज ३।३ सिद्दह (श्रत् +धा) सहइ ५ १११०१।४,१२ सद्दहाइ प ११०१।३ सद्दहामि उ ३११०३; ४।१४५:२० सद्दहेज्जा प २०११७,१८,३४ सद्दहणा (श्रद्धान) ५०१०१११३ सिद्दाव (शब्दय) सद्दाविस्तंति ज २११४६ सद्दावेइ ज २१६७,१८५,१०७,१११:३७, १२.१५,१८,२१,२८,३१,३४.४१,४६,५२, ५८,६१,६६,६६,७४,७६,७७,८३,६१,६६, १७०,१७३,१७५,१८०,१८३,१८८,१६१, १६६,२०७,२१२,५२२,२८,५४,६१,६८,६६, ७२,१२८,१४१,१४७,१५१,१५४,१६४,१६८ १।१७,३१९१४।१६५।१५ पहाति .३३१०५.१०७,११३,५१३,१४ महामि उपल Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६४ सद्दावइ-समकम्म सहावइ (शब्दापातिन्) ज ४१४२,५७,५८,६०,७१ सद्दावति (शब्दापातिन) प १६३० सहाविता (शब्दयित्वा) ज ११४६ सहावेत्ता (शब्दयित्वा) ज २१९७१।१७:३१७ ४११६:५११५ सदुण्णइय (शब्दोन्नतिक) ज २११२,४१३,२५ सद्ध (श्राद्ध) ज २१३० सद्धा (श्रद्धा) सू २००६।३ सद्धि (सार्धम् ) प ३४११६,२१ से २४ ज २१६५, ५८,६०,३१९,२२,३६,७७,७८,१८६,२०४, २२२,२२४;५१,५,४१,४४,४६,४७,५६, ६७,१३४,७११३५,१८४ सु १०।२ उ ११२ ३३९८,४११८,५।१६ उ १२२,३।६८,४११८; ५१६ सन्नद्ध (सन्नद्ध) ज ३७७ सन्निकास (सन्निकाश) ज ३१२४ सन्निभ (सन्निभ) प २१३१ सन्निवाइय (सानिपातिक) उ ३.३५ सन्निहिय (सन्निहित) प २।४६,४७ सपक्ख (स्वपक्ष) उ १२२,१४० सपक्खि (स्वपक्षिन् ) उ ११४६ सपक्खि (सपक्षम् ) १ २।५२ से ५६,६१,१६।३० सपज्जवसिय (सपर्यवसित) ११८१३,२५,५५, ५६,६३,६४,६७,६८,७६,७७,७६,८३,८६, ६०,१०५,१११,१२२,१२६ सपडिदिसि (सप्रतिदिश्) प २१५२ से ५६,६१ १६।३० उ १५२२,४६,१४० सपरिनिव्वाण (सपरिनिर्वाण) ज ४।२७७ सपरियार (सपरिचार) ३४११५.१६ सपरिवार (सपरिवार) प २१३२,३३,३५,४३, ४८ से ५१ ज ११४४,४५२१६०;४१५०,५६, १०२,११२,१३५,१४७,१५५,२२१,२२२, २२३३१,२२४११:५१,१६,४१,५०.५८ सपुव्वावर (सपूर्वापर) ज ४१२१,२५६ सू ३३१; १०१२७,१८६१,२१ सप्प (सर्प) ज ७१३०,१८६।३ सप्पदेवया (सर्पदेवता) सू १०१८३ सप्पभ (सप्रभ) प २१३१,४१,४६,५६,६३,६६ ज ११८,२३,५।३२ सप्पसुयंधा (सर्पसुगन्धा) प १।४८३ धवलवा सप्पह (सप्रभ) ५ २।३० ज ११२१ सप्पुरिस (सत्पुरुष) प २।४५,४५।२ सरफाय (दे०) प १४८।५० सबर (शबर) ५११८६ सबरी (शबरी) ज ३।१११२ सभितर (साभ्यन्तर) ज ३१७,१८४ सभा (सभा) ज २१६५,१२०,४१२०,१२१,१२६, १३१,१४०,५३५,७,१८,२२,२३,५०,७१८४, १८५ सू १८१२२,२३ उ ३१६,३६,६०,१५६, १६६४१५:५।१५,१६ सभाव (स्वभाव) ज २११५ सभावणग (सभावनाक) ज २१७२ सम (सम) १ ११४८१० से १६:१३१२२११,२, १७१।१२११०२:२२१६६,७०,२३५१६७; २६।६,६; ३६१८२।१ ज २१७१,३।३५,१३८, १५१,१७०,२११:४१३.२५,५७.६७,१८०; १८३;५।१८,४३,७।३७,३८,१३५।१,४,१६८, १७८ समइक्कंत (समतिकान्त) ५ १३१ समइच्छमाण (समतिकामत्) ज २१६५,३।१८६, २०४ समंतओ (समन्ततस्) ज २१६५ समंता (समन्तात्) प १७१०६ से १११ ज १७, ६,२३,३२,३५२।१३१,४।३,६,१४,२०,२१, २५,३१,४५,४७,५७,६८,७६,८६,१०३,१०७, १३१,१४३,१४८,१४६,१५२,२११,२१३, २१५,२३४,२४० से २४२,२४५, ५४५,७,३८, ५७,७।५८ सू ३११ उ ५८ समकम्म (समकर्मन्) प १७१३,४,१५,१६ Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समकिरिय-समय मू२०१७ समकिरिय (समक्रिय) प १७११११,१७।१०,११,२१ १३८,१४०,१४६,१५४,१५६,१६०,१६३; समक्खेत (समक्षेत्र) सू१०१४,५ ५।५८७१०१,१०२,१२६,२१४ चं १० समग (समक) ५१६३५२ ज ११२३,२५,३२, सू १५,८११:२०१७ उ ११२,४ से ८,१६, ३१७८,७।११२।२ सू १०।१२६६१,२ १७.१६ से २६,१४२,१४३ ; २११ से ३.१०, समग्ग (समग्र) ज ३१२२१,४१३५,३७,४२,७१, १२,१४,१५,२१३११ से ३,७,८,१२,१६,२०, ७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६।१६ से २२; २२,२३,२६,३८,४०,४४,८७,८८,६१,६३, १५३,१५४,१६६ १६७,१७० ४.१ से ३,२७, समचउक्कोणसंठित (समचतुष्कोणसंस्थित) ५१ से ३,३७,४४ सृ ११२५,४२ समणी (श्रमणी) ज ७।२१४ उ ३.१०२,११५, समचउरंस (समचतुरस्र) प २।३०:१५:१६,३५; ११७,११८,४१२२ २११२६,३१,३२,३६,६१,७३,२३१४६ समणुगम्ममाण (समनुगम्यमान) ज २१६४ ज ११५, २।१६,४७,८६, ७१६७ उ १३ समणोवासम (श्रमणोपासक) ज २१७६ उ ३१८३ समणोवासय (श्रमणोपासक) उ १२०:५॥३४ समचउरंससंठाणसंठिय (समचतुरस्रसंस्थानसंस्थित) समणोवासिया (श्रमणोपासिका)ज २२७७ उ ११२०% सू १५,२५ ३।१०५,१०६,१४४ समचउरंससंठित (समचतुरस्रसंस्थित) सू ४०२ समण्णागय (समन्वागत) ज ५१५ उ ११६३ १०७४ समतल (समतल) ज ३३६५,१५६ समचक्कवालसंठित (समचक्रवालसंस्थित) समतिक्कंत (समतिक्रान्त) प २०६७ सू ११२५,४१२,१६१३,१३,१७,१९,२३ समत्त (समस्त) घ २१६४।१५ ज ३११७५ उ ३१६१ समजस (समयशस्) प २१६० समत्त (समाप्त) ज ३११६७,४१२००,५०५८; समजोगि (समयोगिन् ) ज ५१५८ ७/१०१,१०२ सू १३।१०,१३,१४ से १६ समजुतीय (समद्युतिक) १ २१६० उ ११४८,३१६१ समठ्ठ (समर्थ) प ११।११ से २०; १५।४४; समत्थ (समर्थ) ज ३।१०६:५५ सू २०१७ १७११,३,५.८,१०,१२,१४,१५,२४,१२३ से समपज्जवसिय (समपर्यवसित) सू १२११० से १२ १२८,१३० से १३२,१३४,१३५,२०१२,३.१४ सिमप्प (मं+अर्पय) ममप्पेइ ज ३११३८:४।३५, से १७.१६ से २५,२७ से ३०,३३,३४,४० ३७,४२,७१,७७,६०,१७४,१८३,१८६,२६२; से ४८,५२,५३,५६,६०,२२१७६,८०,८२,६२, ६।२१ से २४ समति ज ३।६७,१६१ ६४,६५,३०१२५,३६८०,८१,८३,८८,६२ ६.१६,२५,२६,४।६४ सू१०१५ समप्पेति ज २०१७,१८,२१ से २३,२५,२८,३० से ३३, सू १०५ ३० से ४०,४२,४३,४११०७,७११८४ समबल (समबल) प २१६०,६३ सू १८०२२ समभिरुढ (समभिरूढ) प १६:४६ ज ३.१०६ समण (श्रमण) प १३,६,६,१२,१५,२० से २७,६० समभिलोएमाण (समभिलोकमान) ५१७१०६ से से ६३,३।३६;१५४३,४५,३६७६,८१ १११ ज ११५,६:२११६,१६ से २१,२३,२५,२६, सिमभिलोय (सं+अभि+लोक) २८,३० से ३३,३६,३६ से ४३,४८,४६,५१, समभिलोएज्जा प १७।१०७,१०६,१११ ५४,५६,६८,७२,७४,८२,१२१,१२६,१३०, समय (समय) प १३१३,१०३,१०६.१०७,१०६, Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समय-समासतो ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, १२३,२१६४।५।६।११,६५१ से १८,२० से ४५,६० से ६४,६७,६८,१०।३०११,२, १०७०,७१,१२२४,३३,१५१५८११,१६।३४, ३७,१८१५६,६०,६२,६३,६७,८०,८१,८४, ८७,८६,६५,६८,१०२.१०४, २०।१।१,२०१६ से १३; २२१५४,५६.५८,५६,७६:२३।६३, १६३,३०।२५,२६,३६.८५,८७,६२ ज ११२, ४,५,१४,१४,७१,८८,८६६१,१३१,१३४, १३८,१४१,३११०३,५१,६,८,९ से १३,१८, ४८,५० से ५२७।५७,६०,११२।१ च ६१६, १०१।१,४,५,६११:८1१६१२,१०११५२ से १६११११२ से ६,१६ से २८,३०; १३.१,२७१७११,१६।२५, २०१३,५,७ उ ११ से ३,६,१६,२८,५१,६५,७६,१४४; २१४,१७,३१४ से ६,६,१२,२१,२४,२५,२७, ४८,५०,५५ से ५७,६४,६८,७१,७४,७६,८६, ६०,६५,६८,६६,१०६,१३१,१३२,१५५ से १५७.१५६,१६८,१६६४१४ से ६,१०,५१४, १४,२१,२४,२६,३६,४०,४१ समय (समक) ज १।१४ । समयक्खेत्त (समयक्षेत्र) सू १६२०,२१ समयखेत (समयक्षेत्र) प २११८६ समर (समर) ज ३।३,३५.१०३ समवण्ण (समवर्ण) प १७४५,६,१७ समवेदण (समवेदन) १७११११,१७१८,६,१६,२० समसरीर (समशीर) प १७:१,२,२८,२६ समसोक्ख (समसौख्य) १६०,६३ समा (समा) जरा७ से १५,२१ से ४५,५० से ५६,८८,१२१ से १३३,१३८ से १४०,१४७ से १५०,१५२ से १६४,३११३५६१,४।१८०, १८३,७३७ सू ६।४।१८।२,३ समाउय (सम्मानुष्य) प १७११११,१७।१२,१३ समागम (सागः:) ज २४, समाण (सत् ) प १५१५१,५२,१७।११६ 2. २८.१०५,३४११६,२१ से २४,३६१६२,७७ ज २०६० से ६२,७१,१४२ से १४५,३३,., १३,१४,१६,२२,२५,२६,३०,३६,३८,४२, ४३,४६,५०,५१,५३,५९,६०,६२,६७,६८, ७०,७५,७७,८०,८२,८४,८६,६७,१००, १११,११८,१२५,१२६,१३२.१३६,१४२, १४८,१४६,१५६,१६१,१६५,१६६,१७८, १५१,१८६,१९२,२०२,२०८,२१२ से २१४, २१७,२१६,४।२३,२५,३५,३७,३८,४२,६५, ७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४,१८३,१८६, १६५,२६२:५११५,२२,२४,२६,२६,४३.७० सू ६।१ उ १११७,२३ से २६,३७,४०,४५, ५२,५५ से ५८,६०,६२,७४,७७,८० से ५३, ८५,६० से १३,६६,१०७.१०८,११०,११८, १२७, ३.१३,१५,२६,५०,५५,७८,८२,८४, १०६,१०८,११२,१२१,१४७,१६०,१६२; ४|११,२०,५।१५,१७,३८ समाण (समान) ज ३।११७ सू २०१७ उ ३।१२८ सिमाण (सं--आप्) समाणे इ ज ७१०४ सू १०।१३० समातिम् १०११२६ समाणीत (समानीत) उ ३१४८,५० समाणु भाव (समानुभाव) २१६०,६३ ज २११३१; ४१५६ सिमादह (मं+आ-!-धा) समादहे उ ३१५१ समादीय (समादिक) सू १२।१० से १२ समायरित्तए (समाचरितुम् ) उ ३।१०२ समारंभ (समारम्भ) उ १।२७,१४० समारूढ (समारूढ) ज ३११२१ समालभ (सं+आ--लम्) समालभइ उ३।११४ समावण्णग (समापन्नक) ज ७१५५,५८ समास (समास) प ३३८,३६ ज ७.१०१,१०२ सू १६।२।१ समासओ (समासतस्) प ११४८१५४:११४८ ... ज २१६६ समासतो (समासतस्) प ११४,२०,२३,२६,२६, Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समासाद-समुष्पण १०६७ समन्याय समु५५ समुद्घात) प १।११७२।१,२,४,५,७,८, १०,११,१३,१४,१६ से २०,२२ से ३१,४६; ३६।१,४ से ७,४७,५३ से ५८,८२,८३,८३११ २,३६६८६,८८ समुज्जाय (समुद्रात) ज १८८,८६,३१२२५ समुट्ठ (सं+उत् । ष्ठा) समुछेति प ११७४ समुत्त (समुक्त) ज ३।६,१७,२१,३४,१७७,२२२ समुत्तिण्ण (समुत्तीर्ण) ज ३।८१ समुदय (समुदय) ज २१४,६,३१३,१२,३१,७८, १८०,२०६:५२२,२६,३८,६७ उ ११६२ ४६ से ५१,५३,६०,६६,७५,७६,८१,८६, १३१ से १३३,१३५,१३७,१३८ सिमासाद (सं+आ+सादय्) समासादेति सू ११८ समासादेत्ता (समासाद्य) सू१५१८ से १३ समासादेमाण (समासादयत् ) सू २१३ सिमासास (सं+आ+श्वासय्) __ समासासेइ उ ११४१ समासासेता (समाश्वास्य) उ ११४१ समाय (समाहत) ज ५१५ समाहार (समाहार) १७.१,२,१४,२४,२५,२८, २६ समाहारा (समाहारा) ज ५।६।१७।१२०१२ सू१०1८८२ समाहि (समाधि) उ ३.१५०,१६१,५।२८,३६,४१ समाहिय (समाहित) ज ५१५८ समिइ (समिति) प १११०१११० ज २१४,६:३१२२१ उ १६३ समिडिढय (सद्धिक) प २१६०,६३ समित (समित) मू ६१ समिद्ध (समृद्ध)ज १२,२६, २११२,३।१,८१, १६७१४,१७५ चं ६ सू ११ उ १३१,६,२८%; ३६१५७; ५१६,२४ समिरीय (समरीचिक) प २३०,३१,४१.४६,५६, ६३,६६ ज ११८,२३,३१ समिहा (समिध्) ज ५.१६ ।। समिहाकट्ठ (समिकाष्ठ) उ ३५१ समीकर (समी+कृ) समीकरहिंति ज २११३१ समीकरण (समीकरण) ज ३१८८ समीकरणया (समीकरण) प ३६१८२११ समुइय (समुदित) ज २।१४५,१४६ समुक्खित्त (समुत्क्षिप्त) उ १११३८ समुग्गपक्खि (समुद्गपक्षिन्) प १७७,८० समुग्गय (समुद्गत) प ३६१८१ समुग्गयभूय (समुद्गतभूत) ज ३११२१ समुग्धात (समुद्धात) प २१२१ समुदाण (समुदान) उ ३३१००,१३३ समुदीरेमाण (समुदीरयत्) प ३४१२३ समुद्द (समुद्र) प १३८४; २॥१,४७,१३,१६ से १६, २८,२६; १५१५५,२१८७,६०,६१:३३१० से १२,१५ से १७:३६.८१ ज १७,४६,४८; २११०,६७,६८,३।१,३६,४१५२,५१४४.५५; ६।१,२,४,७१४,६३,८७ सू १११४,१६,१७, १६ से २२,२४,२७,२६३,३११,४१४,७,६।१; ८।१:१०।१३२,१६०१ से ३,५,६ से १२; १९२२।२६:१६।२८,२६ से ३२,३५,३६,३० उ १११३८ समुद्दय (समुद्रक) प १७५,८०,८१ समुद्दलिक्खा (समुद्रलिक्षा) प ११४६ समुद्दवायस (समुद्रवास) प १७८ समुद्दविजय (समुद्रविजय) उ ५॥१०,१७,१६ सिमुप्पज्ज (सं+उत् + पद्) समुपज्जइ प २८/७५,१०५:३४११९,२१ से २४ ज २।२७; २६,५६:४११७७,१८१ समुप्पज्जति ज ५१ उ १११११ समुप्पज्जति प २८१४,२५,२७,२६, ३८,४७,५०,७३,७४,६७,३४।२३ समुप्पज्जित्था ज २१५६,६३,१२४,१२५; ३१२,४,२६,३६,४७,५६,१२२,१३३,१४५, १८५५२२ समुपज्जिस्सइ ज २१५६ समुप्पज्जिस्सं तिज २११५,२१,५३ समुप्पण्ण (समुत्पन्न) ज ३।१२३,२१६ Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ समुप्पन्न-सम्मामिच्छत्तवेयणिज्ज समुप्पन्न (समुत्पन्न) ज १७१,८५३।५ से ६३;३६१३५ से ४१,४८ से ५२,५६,६५, उ १११११,११२ ६६,७०,७३,७४,७६ समुत्पन्न कोउहल्ल (समुत्पन्नकौतुहल) ज ११६ सम्म (सम्पा) सू १०११२६४ उ ११११,११२ सम्म (सम्यक् ) ज २१६७, ३.१८५,१८६,२०६%; समुप्पन्नसंसय (समुत्पन्न शिव) ज ११६ ७११२१३,४ समुप्पन्नसड्ढ (ममुत्पन्नश्रद्ध) ज १६ सम्मट्ठरत्यंतरावणवीहिय सपुभव (समुद्भव) ज ५१५,४६ (मंमृष्ट रथ्यान रापणवीथिक) ज ५१५७ समुल्लालिय (समुल्लालित) उ १११३८ सम्मत (सम्मत) प १११३३११ समुल्लावग (समुल्लापक) उ ३९८ सम्मतसच्च (सम्मतसत्य) प ११३३ समुल्लावय (समुल्लापक) उ ३।६८ सम्मत्त (सम्यक्त्व) प १११५,१११०११६,७,१३; समुवगूढ (समुपगूढ) ज ४।६१,२७३ ३।१११,१८५१०१,२०।३६२३११७४;३४।११२ समुस्सासणिस्तास (समुच्छवासनि:श्वास) प१७१, जरा१३३ उ ३१४७,८३ २,२८,२६ सम्मत्तवेदणिज्ज (सम्यक्त्ववेदनीय) प २३११८१ समुस्सासणीसास (समुच्छ्वासनिःश्वास) प १७१२ सम्मत्तवेर्याणज्ज (सम्यक्त्तवेदनीय) प २३।१७,३३, समूसिय (समुच्छित) ज ३११७८; ५।४३ समोगाढ (भभवगाढ) प २१६४११० सू १६।२६ सम्मत्ताभिगमि (सम्यक्त्वाभिगमिन) १३४।१४ समोच्छण्ण (सभवच्छन्न) जे ३.१२१ सम्मइंसणपरिणाम (सम्यकदर्शनपरिणाम) समोप्पणा (समर्पणा) ज ३१११७ प १३।११ समोयर (सं+ अ त) समोय रंति ज ७६७ सम्मद्दिछि (सम्यक्ष्टि ) ५ ३११००६।९७,६८%; सलोवण्णग (समोपपन्नक) ५१७।१३ १३.१४,१७:१७११,२३,२५,१८१७६१६१ समोराड (समरसत) ज ११४ चं हसू ११४ से ५२११७२, २३१२००,२०१;२८।१२५,१३५ उ ३१५,१२,२१,२४,२८,२६,८६,१५६,४१४; सम्मय (सम्पत) उ ३११२८ सम्मा (सम्यक् ) प १३।११ समोसर (-- ) समोसरह ज ५।५० सम्माण (२-मानय्) सम्माणे इ ज ३१६,२७,४०, सासरंति ज ५१४६ ४८,५७,६५,७३,६१,१२७,१३३,१३६,१४६, समोसरण (समवसरण) ज ५१५३ उ ३।२१,४१० १५२,१८६,२१६ सम्माणेज्ज ज २१६७ समोप्तरिय (सवात) ज ५१४८ उ १११६:२।६३; सम्माणणिज्ज (सम्माननीय) सू १८१२३ ३।१५५,१६८; १४ सम्मापवत्तिय (सम्मान प्रत्यय) ज ५१२७ समोहणित्ता (समबहत्य) प ३६१५६,६६,७०,७३, सम्माणियदोहद (समानीतदोहद) 'उ ११५०,७५ ७४ ज ३१११५ सम्माणेता (सम्मान्य) ज ३।६ उ ३५० सिमोहण (2 - -हन) समोहष्णं नि प सम्मामिच्छत्त (सम्य मिथ्या:व) प २३।१७४ ३६८३ ज ३।११५,१६२,२०८,५१५,७ सम्माभिच्छसवेदणिज्ज (सम्यक मिथ्यात्ववेदनीय) समोणति १ ३६१८२ प२३१६७,१८१ समोहल (सवहत) प ३३१७४ सम्मामिछत्तयधिज्ज (सम्यक मिथ्यात्ववेदीय) समोहय (सभवहत) प ३।१७४,१५६४३, २११८४ प२३।१७,३३,१३६ Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्मामिच्छताभिगमि-सयणिज्ज १०६६ सम्मामिच्छत्ताभिगमि (सम्यकमि वाभिगमिन ) २४१,२४५,२४८;५।३,४,२८,३३,५२,५३,५८%; प३४।१४ ६७.६.११,१४,१५, ७१।१,७१२ से ४,१०, सम्मामिच्छद्दिटिठ (सम्मिथ्यादृष्टि) प ६।६७; १२,१४ से २५,२७,३०,३२,३४,५४,६२ से १३।१४,१७,१७.११,२३,२५,१८१७८१६१ ६४,६७ से ८१,८४,८६,८७,८८,६१ से १६,९८ से ५,२११७२,२८११२७,१३८ से १०२,११०,१२७,१३१११,१७१ से १७४, सम्मामिच्छादं सणपरिणाम १६०,२०१ से २०७ सू ११८१२.१५१० से १२, (गम्यमितादर्शनपरिणाम) प १३।११ १४,१६ से २४,२६ से ३१:२११,३,४१४,५, सम्मामिच्छादिदिठ (मा, मिथ्याष्टि) प ३३१०० ७,८,१०,६१,८११:१०११३८ से १५१, Vसम्मुच्छ (+- मुच्छ) सम्मुच्छंति प १८४ १६२ से १६४,१६६ से १६६१२।२,५; सम्मुच्छति प १३:४ १३।४।१४।३।१८।१,१३,३०,१६५२, सम्मुच्छिम (संमूच्छिम् ) प २४६ से ५१,६०,६६, १६००।१,२,१६।२११५,१६१२-१६,६३ ११२; ७५,७६,८१ से ८४;३।१८३,४।१०७ से ३।५५,६२,५१२८,४१ १०६,११६ से ११८,१२५ से १२७,१३४ से सय (स्वक) ज ३७७,८४,१०२,१५३,१६२, १३६,१४३ से १४५,१५२ से १५४,१६१; १७८,१८३.१८६.२२४५।१,६,८,१०,१३, ६.२१,२३,६५,७१,७२,७४,८४,६४,९७,१००, २२.२६,४३,५६ उ १।३३.४२,४४,१०८, १०२,१०८।९।६:१६,२२:१६।२८; १७१४२, १२१,१२२,१२६, ३।११,४३,५३,१४८,४।१५ ४६,६३ से ६५,६७,८६२११६,१०,१२,१३, सय (शी,स्वप् ) सयंति ज १११३,३०,३३, २१७; १५ से १६.३०,३३,३५,३७,४३ से ४७; ४१२,८७,२१५,२४७,६१८ २११४७१२,२११४८,५३,५४,७२ सयं (स्वयं) प १५१०११३,२३।१३ से २३ सम्मुति (सन्मति) ज २१५६,६० सू १६।११।३ सय (शत) ५ २०४१ से ४३,४६,५५,५८,५६।२, सयंजय (शतञ्जय) ज ७.११७१२ सू १०१८६२ ६२।१२।६३,२१६४।६।१२।३६,३७,१८१३१, सयंपन (स्वयंप्रभ) ज ४१२६०११ सू ५।१२०१८, ३६,६०,११३,२१४६५,२२।४५,२३७४,८६, २०1८६ ८८,८६,९५,६८,६६,१०१ से १०४,१११, सयंबुद्ध (स्वयंवुद्ध) प १६१०५,१०६,११८,११६ ११३,११७,११८,१३०,१३१,१६४,१८३,१८७ सयंबुद्धसिद्ध (कम बुद्ध गिढ़) ॥ १।१२ ज १७,९,१०,१८,२०,२३,२६,३७,३८,४०, सयंभुरमण (वभूरमण) 4 २११८७,६०.६१ ४८; २१४१३.१६,४८,५२,६४,७५,७७.७८, सयंकरमण (स्वयम्भूरण) १५१५५,५५।३ ८०,८६,१२८,१४८,१५,१६१,३।१,१८.३१, १६।३८ ३५,६३,६५,९६ से १०१,१०४,१०५,१०६, सयंसंबुद्ध (स्वयंभवुद्ध) ५।२१ १२६,१५६.१७८,१८०,१६३,२०६,२१०, सयकाउ (शतक्रनु) ज ५'८ २१६,२२१.२२२,४।६,१०,१२.१३,२३,२५, सयग्घी (दे०) प २१३०,३१,४१ ३२,४६,५५,५७,६२,६५,६७,७२,७३,७५, सयज्जल (शतज्वल) ज ४१२१०११; ७६,८१,८६,६०,६१,६३,६५,६८,१०३,११०, सयण (शयन) प १११२५ ज ३११०३ सू २००४,७ १२०,१४१,१४२११,२,१४३,१४७,१५४,१६३ उ ३३५०,११०,१११।४।१६,१८ से १६५,१६७,१६६,१७८,१८३,२००,२०५ से सयण (स्वजन) ज २१६६ २०७,२१३ से २१६,२२१,२२६,२३४,२४०, सयणिज्ज (शयनीय) ज ४।१३,३३,७६,९३,१३५, Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७० सयधणु-सरिस १३६,१४०,१४७,१५३,५।१७ सू २०१७ उ १६४६,५।१३,२५,३१ सयधणु (शतधनुष्) उ ५२।१ सयपत्त (शतपत्र) प १२४६ ज ४१३,२५ सयपत्तहत्थगय (हस्तगतशतपत्र) ज ३३१० सयपाग (शतपाक) ज ५।१४ सयपुष्फा (शतपुष्पा) प ११४४१३ सौंफ सयभिसया (शतभिषग्) ज ७११३।१,१२८; १३४१२:१३५२.१३६.१३६,१४२,१४६,१५७ सयमेव (रव मेव) प १११०११३ ज २१६५; ३३१०२,१६२,२२४ सू १३।५,६,१२,१३,१७ उ १२६५,६६,७१,८८,६४,३८१,८२,११३; ४४२० सयरिसह (शतवृषभ) सू १०।०४।३ सयरी (शतावरी) प ११३६१२ सयल (सकल) ज ३।३१ सू१६।२११६ सयवत्त (शतपत्र) प २१३१,४८ ज ४।४६ सयवसह (शतवृषभ) ज ७/१२२६३ सयसहस्स (शतसहस्र) प १५२३,२६,२६,४८,४६, ५१,६०,६६,८४,२।२२,२५,२१२७१४,२३०, ३३ से ३५,४०।३,४,२१४६,४६,१५१४१; ३६.८१ ज १७,२१४,१८,६४,८७.८८% ३।१७८,१८५,२०६,२२१,२२५,४।२५६,२६२, ५५१८,२४,२५,२८,४४,४८,४६२,६८।१, २० से २६,७।१।१,७१४ से १६,७३,७४, ७८,६३,६४,६८ से १००,१८७,२०७ सू १।१४,२१,२७,२१३,३।१६।१८।१; १०.१६५,१७३;१२।६।१८।२७;१६।११, १६४,८,११,१४,१५१४,१८,२०,२१११,५ उ ३।१६ सयसाहस्सिय (शतसाहसिक) सु १६२६ सयसाहस्सी (शतसाहस्री) ज ४।२१,६८,७९५८ सया (मदा) ज ७/१२६,१७० १०७५,७७, १३६,१७३, १६।१,११,२१,२०१२ मयावरण (सदावरण) ज ३११०६ मसहरी सर (शर) प ११४१११ ज ३।२४।१,२,३१२५,२६, ३१,३५,३८,३६,४६,४७,१३१११,२,१३२, १३३,१३५,१७८ उ १११३८ सर (सरस्) १ २।४,१३,१६ से १६,२८; १११७७ सर (स्वर) ज २।१२,१३३, ३१३,४१३,२५,५१२८% ७.१७८ सरंत (दे०) १७६ सरग (शरक) ज ५११६ उ ३१५६ सरड (सरट) प १७६ सरण (शरण) ज ३११२५,१२६,५२२१ सरणदय (शरणदय) ज ५१२१ सरणागय (शरणागत) ज ३१८१ उ १११२८ सरद (शरद्) सू १२।१४ सरपंतिया (सर:पंक्तिका) प २१४,१३,१६ से १६, २८,१११७७ सरभ (शरभ) प ११६४ ज ११३७,२६३५,१०१; ४१२७,२८ सरय (शरक) उ ३१५१ सरय (शरद्) उ ५१२५ सरल (सरल) प ११४३३१,११४७११ सरलवण (सरलवन) ज २१९ सरस (सरस) प २३०,३१,४१ ज १९५,९६,६६, १००:३।७,६,१२,८२,८८,१८४,२११,२२२; ५१४,१५,५५,५८ सरसर (मरःसरस्) ज ३।१०२,१५६,१६२ सरसरपंतिया (सर.सरपंक्तिका) ५२१४,१३,१६ से १६,२८,१११७७ सराग (सराग) प १११००,१०१,१११ से ११४; १७.३३ सरागसंजय (स रागसंयत) प १७१२५ सरासण (गरासन) ज ३१७७.१०७,१२४ उ ११३८ सरि (सदक) ज ३११६७।१३ उ ३।१७१:४१२८ सरिच्छ (सदग) ज ३।१८,५२,६१,६६,१३१, १३६,१३७,१४१,१६४,१८० सरिस (सदृश) प ११४८।३८, २।३१ से ३३ Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरिसव-सविलेवण १०७१ ज ११४१,४६,२।१५,१६,३।३,३५,७६,११६, सरीरसंघातणाम (शरीरसंधारनामन्), २३१४४ १३५,१८८४१५२,१०६,१६३,१७२,१७४, सरीरसंघायणाम (शरीरगंघातनाम्न) २३१३८, १७७,२००,२०४,२१०,२१२,२२६७३१७८ मु १०११६२,१६।३१,३५,३८ उ १३१४८; । सरुव (स्वरूप) ज ५१४३ २०२२ सललिय (सलभित) चं ११ सरिसय (सदशक) ज ११४६ सलाइया (शलाकिका) ज ५१५ सरिसव (सर्षप) प ११४४१२,४५१२.११४७।२ सलामा (शलाका) ज ३.११७:५१५ ज २१३७ उ ३१३७,३८ सलिगसिद्ध (स्वलिङ्गसिद्ध) प १।१२ सरिसवय (मदृशवयम्) उ ३।३८ सलिगि (स्वलिङ्गिन) प २०१६१ सरिसवय (सर्वपक) उ ३१३८ सलिल (सलिल) ज ३७६,१०६:४१३,२५,६४ . सू३५१ सरिसवसमुग्ग (सर्षपसमुद्ग) ज ५१५५ सलिलबिल (सलिलबिल) ज २।१३१ सरिसवा (सदृश्वयम्) उ ३१३८,४०,४२ सलिला (सलिला) ज ३७६,११६४।३५,३७,४२. सरीणामय (सदग्नामक) ज ११४६ सरीर (शरीर) प १११३५,११४७।२,३,११४८१५३, ७१,७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६१६३१, ६।१६ से २६ ५७; १११३०,३०१२,१२११:१४१५;१५११०,२३; सलिलावई (सलिलावती) ज ४।२१२,४।२१२।१ १६।२३।१७।१।१,२१।१११२११३८,४० से। सलील (सलील) ज २११५ ४२,४८,५३,५६,६१,६३ से ६६,६८ से ७१, सलेस (सलेश्य) प १८१६८:२८१२२,१२३ ७४,८४ से ६३,२८१११२,६८ से १०१। सलेस्स (सलेश्य) प ३१६६.१७।२८,५६ १०६६१,३६.५६,६६,७०,७४ ज २१४५,४७, सल्ल (दे०) प ११७६ ६०,३।८२,८५.१०६.१३८ सू २०१७ सल्लई (सल्लकी) प ११३५।१,११३७११ उ १११६,३५,४२,३।८,२६,३५,१२७,१४१; सहलगत्तण (शल्पकर्तन) ज ५१५८ ४।१२,१८ सवंतीकरण (सवर्णीकरण) उ ११४६ सरीरंगोवंगणाम (शरीराङ्गोपाङ्गनामन्) सवण (श्रवण) ज २११५,३३२२५, ७।११३११, ५ २३१३८,४२,६२ १२८.१३०,१३६,१३८,१४१,१४६.१५६ सरीरग (शरीक) ज १९६,१००,१०३,१०४, १०७,१०८ मु १०१ से ६,८,२०,२३,२८,५६,६३,७५, ७६,६३.१२०,१२,१३० से १३५; १५९ सरोरणाम (शरीरनामन् ) प २३।३८,४१,८६ से सवणता (थत्रण)२०२८ ६३,१४६,१७३,१७४ सरीरस्थ (शरीरस्थ) प ३६८५ सवथा (थयण) प २०११७,१८,२२,२५,२६, सरीरपज्जत्ति (शरीरपाप्ति) प २८।१४२,१४३ ३४,४५ उ १५१७.३६,४०,४२,४३ उ ३.१५,८४ सदहावित (शपथशास्ति) उ २५७,८२ सरीरबंधणणाम (शरीरबन्धननामन्) ५ २३।३८, सवालुइल्ल (सवालुक) ज ३११०६ ४३,६२ सविणय (सविय) ज ३१८१ सरीरबाओसिया (शरीरबाकु शिका) उ ४१२१,२२, सवियु (मवित ) ज ७१३०,१८६ २८ सवियादेवया (सवितृदेवता) सू१०८३ सरीरय (शरीरक) १२१२ से ५:२१।१,२११६२ सपिलेवण (सविलेपन) । ३६१८१ Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७२ सविसय-ससि सविसय (स्वविषय) प १११६७,६८,२८८१७,१८, ज ४।१०७:५३५,७ सू १६०२,१२,२६,२८ ६३,६४ ज ७४६ सव्वत्थ (सर्वत्र) प २१३२:२११३५,४२,२२।२५; सविसेस (सविशेष) ज २१६:४११५६७७,६६, ३६।४७ ज ३।१०६४।५७,१८३;७।३७,१९७ ६० सू १८१६ से १३ सू१८३७ उ १२२ सवेद (सवेद) २८११४० सव्वदरिसि (सर्वदशिन्) ज २७१५२१ सवेदग (भवेदक) प ३९७ सव्वपाणभूतजीवसत्तसुहावहा (सर्वप्राणभूतजीवसवेदय (गवेदक) १८१५६ सत्त्वसुखावहा) प २६४ सधेयग (सवेदक) प ३६७ सम्वप्पभा (सर्वप्रभा) ज ५११११ सव्य (सर्व), ११२ ज १७ चं ११२ सू १।१०।। सव्वबल (सर्वबल) ज ३।१२,७८,१८०,२०६; उ१९७० ५१२२,२६ सव्वओ (मर्वता) प १७११०६ से १११,२८।११, सध्वम्भंतराय (सर्वाभ्यंतरक) सू १११४ २८।२१,६७ ज १७,६,२३,३५४१३,२१०, सव्वभाव (सर्वभाव) ज २१७१ २१४,२४१,२४२ मु ३११ उ ५८ सव्वरयण (सर्वरत्न) ज ३.१६७,१७८ सत्वोभद्द (सर्वतोभद्र) ज ३.३२,५।४६६३ सव्वसिग्धगइ (सर्वशीघ्रगति) ज ७।१८० सध्वंग (मङ्गि)ज१५ उ ११२३,६१ सवसिग्घगइतराय (सर्वशीघ्रगतितरक) ज ७।१८० सवकज्जवड्ढाक्य (सर्वकार्यवर्धापक) उ ३।११ सव्वसिद्धा (सर्वसिद्धा) ज ७।१२१ १०६१ सव्व सामसमिद्ध (सकामसमृद्ध) ज ७११७६१ सम्वहेट्ठिम (सर्वाधस्तन) सू ६३ मु १०।८६१ सध्याउय (सर्वायुष्क) ज २१८८३।२२५ सव्वकालतित्त (सर्वकालतृप्त) प २१६४।२० सव्वामयणासिणी (सर्वामयनाशिनी) ज ३११३८ सव्वक्खरसंनिवाइ (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज २१७८ सविदिय (सन्द्रिय) ज २०१८ सव्वक्खरसंनिवाति (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज ११५ सव्वखुड्डाय (सर्वक्षुद्रक) सू १११४ सम्वोउय (सर्वर्तुक) ज २११२३१३०,३५,२२१:५१५ उ ५११६ सम्वग्ग (सर्वाग्र) ज ४।६,१४,१४६,२५६;७१६८, १६६,२०१,२०३,२०५,२०७ ।। सम्वोहि (सर्वावधि) प ३३।३१ से ३३ सध्वज्जुणसुव्वणमती (सार्जुनस्वर्णमयी) प २१६४ । ससंभम (ससम्भ्रम) ज ३१६:५।२१ राव (सर्वार्थ) ज ७।१२२ सू १०१८४।३ ससक्कर (सशर्कर) ज ३।१०६ सव्वट्ठसिद्ध (सर्वार्थकसिद्ध) ५६।११० ससग (शशक) प १.६६ ज २११३६ सव्वाद्ध (सर्वार्थ सिद्ध) प १११३८, २१६३; ससबिंदु (शश बिन्दु) प १४०।५ ६२६,६२,२०।६१२११७७ उ ५१४१ ससय (शशक) प ११२१ सव्वळसिद्ध ग (सर्वार्थसिद्धक) प ४।२६७ से ससरीरि (सशरीरिन्) प २८।१४१ २६६,६:४३, ७:३०;१५।६०,६३,१०१,१०६, ससरुहिर (शशरुधिर) प १७११२६ १०८,११४,११५,११७,१२०,१२१,१२३, ससि (शशिन्) ५ २१३१ ज २११५, ३१६,१७,२१, १२५,१२८,१२६,१३२,१३६,१४३,२०.४६% २८,३४,४१,४६,६३,१०६,१३६.१५७,१६३, २८१६७ १६७।१२.१७७,२२२,७।११२७१६८.१ सवण्णु (मत्रज्ञ) ज २०७१,५१२१ सू १०1७७,१२६।२१९।८।२,१६।२२।३,२३, मन्बतो (सर्वतस् ) प २१६४।१३:२८१२१,३३,६७, २६.२६,३१,२०१४ Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ससिया-सहस्सार १०७३ ससिया (शशिका) प ११२३ ५१,५६,६०,६८,९३,६६.१०६,११७,१२०, सस्स (शस्य) रा १०११२६४ १२२,१२६॥३;३३१३०,१३६,१४०,१४५, सस्तिरीय (सश्रीक) २३०,३१,४१,४८,४६, १४६,१६३,१७२,१७५,१८०,१८५,१८६, ५६,६३,६४ ज ११३१ ; २१६४,३१६,३५,११७, १८८,१८६,२०६,२१०,२१४,२१५,२१६, १८५,२०९,२२२,४।२७,४६,५।२८,५८ २२१:२२४;४।१,२७,३५,३७,४२,४५,५२, ५५.५७,६२.६४,७१ ७७,८१,८६,८८,६०,६१, सह (मह) प २३।१५६,१६०,१६४,१७५ ६४,६८.१०३,१०८,११०,११४,११६.१५१११. ज २२५०,१६४।४।१०६,२०५७/१३५।४ १६५,१६७,१६६,१७४,१७८,१८३,२००, उ ३.३८ २०५,२१३,२१५,२३४,२४०,२५७ से २५६, Vसह (सह ) महइ ज २१६७ २६२,५१२८,३२,४३,४८,४६६१,५०,५२११, सहगत (सहगत) प २२११७ ५३,५५,५.६६८।१.१६ से २६;७।१११,७८ सहमय (सहगत) प २२१८० से २५,३१,३३,३४,५४,६७ से ८४,६५,९६, सहजायय (सहजातक) उ ३१३८ १२७,१७०,१७८।१,२,१८३,१८८,१८६,२०७ सहपंसुकीलियय (महमांशुक्रीडितक) उ ३।३८ गु १५१४,२० से २२,२६,२७,२११,३,३११; सहरिस (सहर्प) ज ३८१ ४।३ से ५,१०,६११८।१६।३।१०।१३५,१६४; सहड्ढियय (सह्वधितक) उ ३१३८ १२१२ से ७,६;१८३१.४,२०,२१,२६,२८, महसम्मुइ (स्वसंस्मृति) प १११०१२ २६; १९३१।१,१६१४,५।३,७,८१३,१०,११११, सहस्स (सहस्र) २१२१ से २७,३० से ३६,४०१५, ३,४।१६।१४,१५११,३,४,१६।१८,१६, ४१ से ४३,४६,४६ से ५२,५५ से ५७,५६, १६।२१।२,४,५,७,१६।२।२८,३२,१९३० ५६.१.३,२१६३,६४,४११,३,४,६,२५,२७,२८, उ १६१४,१५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२६, ३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२,४३, १३२,१३३,१३६,१३७,१४०,१४७,३७,६१, ४५,४६,४८,४६,२१,५२,५४,५६,५८,६२,६४, ११०,१११:४११६,१८५११७,३७ ६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७,८८,६०,६४, सहस्सक्ख (सहस्राक्ष) प १५० ज ५।८ १२५,१२७,१३४,१३६,१४३,१४५,१५२, सहस्सम्गतो (सहस्रानसस्) प १२०,२३,२६,२६, १५४,१६५,१६७,१६८,१७०,१७४,१७६, १८०,१८२,१८३,१८५,६१४०।१२।६१८२, सहस्तपत्त (सहस्रपत्र) प ११४६ ज ३८६४१३, ६,९,१२,१६,२०,२८,३२,३४,३५,४७,५०, २२,२५,३०,३४,५।५५ ५२,८५, २०१६३,२१।३८,४१,४३,४५,४७११, सहरूपत्तहत्थगय (हस्तप्तसहसपत्र) ज३१० २,२०६५.६७,८७,२३१६० से ६२,६४,६६, सहस्सपाग (सहस्रपाक) ज ५११४ ७८,५१,८४,६०.१११,१३३,१४७,१६७ से सहस्सरस्ति (सहस्ररशिम) उ ३१४८,५०,५५,६३, १६६.१७१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, ६७,७०,७३,१०६,११८ २८।२५,४०,४३,६६,७४ से ८७,६७,३६६८, सहस्सवत्त (सहरूपत्र) ५११४८१४४ ८१ज १७१,१११६,१७,२०,२३,४६,४८; सहस्सार (सहस्रार) प १११३५; २०४६,५७.५८ २१४१३,२१६,१६,५२.५६,६५,७१,७७ से ८२, ५६।१,६३,३३३६,१८३;४/२५२ से २५४; ८८,१२६,१३०,१३४,१३८,१४०,१४६,१५४, ६६३४,५६,६५,८६,६२,१०६; १५।८८, १५६.१६१, ३।१४,१८,२२,३०,३१,३६,४३, २०१५६,६१:२११७०,६१:२८८२:३४११६,१८ Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७४ ज ५।४१।२२।२२ सहस्सारग (सहस्रारक) प ६।११२७।१५; ३३।१६ सहस्वार सहि (सखि ) ज २१२६,६६ सहित] (मति) सू१२।२२।२५ पहिय ( सहित ) प २६।२१ ज २०१५६३।३१,२५, (गारावतंसक ) प २५७ १५६,७११८६२ २०१८, २०१६१२ सहोयर (सहोदर ) उ १६५ साइ (स्थाति) ७१२८१३४२११५४२११६, १४०, १४६, १६५, १७५ राम ( बाद्य) ३ ५०,५५,१०१,११०,१३४, *= साइयार (गातिभार) १२६ साइरेग (सातिरेक ) प १८७६ : २३।६५ ज ११३५, ४०,५१:२।१२८,१४८,४६, १४२३,३१,३८, ४१,६५,६८,७३,९०,६१,११६,११६.१२२, १३६,१४६, १४७,२१६,२४२, ७।२५,१६६, २०७८११८२१७ वाउफल (रु) २।१२ साए (साकेत ) प ११६९३२ सागर (सागर) २२६८३३,७६,७६,८१.१०५. ११६,१२६०४, १२५,१४१,१७०,१८४१६८ २०१, २२१:४।१९२।१,२३६५०३२.१८ ज २२६६,३३,७६,७६,८१,१०२,११६, १२६४४,१२६,१५१.१७०,१०५.१८८२०६ उ २।१२:५।१० सागरकूड (सरकूट ) ज ४११६४ सागरचित गर सागरचितकूड ( साथ ४४२३६ काय (आप) ४१,३,४,६,७,१.१०. १२.१३.१५,१६,१०,१९,२१.२२, २४, २५, २७, २१,३३,२७,१६,२०७, २०६,२१३.२१५, २२५.२२७,२३७, २३९,२४०, २४२, २४३, २४५,२४६, २४८ २४६.२५१.२२.२५४, ६६,६८,६६,७३ २५५,२५७,२५८,२६०.२६१,२६३, २६४, २६६, २६७,२६, २७०,२७२, २७३२७५, २७६,२७८,२७६,२६१.२२.२६४, २८५. २६७,२०० २१०.६११,२६३ २९४, १६, २१७,२६११८१२,१६,१९,२४,२८,३१, ३६,४२,४४,४६,४८४२५४६१६७४ ७६,७९,८४,८५,९७,१६२११२१४६० से $5,52,53 0,22, २५ मे २९.१०१ २०४.१११ ११४. ११६ से ११८, १० मे १३१,१३३ से १३५.११८, १४०, १८२१४३१५१.१५२, १५२ से १५७,१६०, १६४.११६ से १६०,१७१ से १७३.२७५ से १७७.११० १२० २४४६.५४,११,१२९, १५४. १६०,१६३ ९४१:११ १२९, १४०: ३११५०, १६४,१.४० सहस्सा रंग साडय मगार (कार) प ९४२२२३१६५,१६२ से २०१३ २६।११:१००२६,२० २२१६४११६२११,२३८५०३२,५८१६०३१.३१०६१७४ परिणाम २०१५ से १५, २०,२२,२३ सागारपणा (क) ३०१२७ सागारवा (०३०१,२,५,६, १२.१९.२१ नावारामागारी उस (सागराकारोपयुक्त) २८।११२ १३९४ ९९ २१३६४१२ हमारी (मा.)२१११,२,५.६, = 8,29 गनोरिया) ४१३८ (नाटक) १११२५ १९६ (११२७६७७ afone (ref. लाड (जाट) ΓΕ ७६.२१,५६,३६,७७ 122 Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सात-सारइयबलाहक १०७५ सात (सात) प ३५३१११,२,३५१८,६ सातावेदग (सातवेदक) ॥ ३३१७४ तातावेदणिज्ज (सातवेदनीय) प २३११५,२६, १४६,१५६ साताव्यणिज्ज (सातवेदनीर) प २३।१५,३०,६३, सातासात (मातासात) प ३५.८,९ सालासोक्ख (मातगोरु) सु २०१७ साति (गादि) प २३।४६ साति (स्वाति) सू १०१२ से ६,१७,२३,४८,६२, ७२,७५.८३.११३,१३१ से १३४१८७ साहिरेग (सातिरेक) प ४१३१,३३,३७,३६,१६८, २००,२०४,२०६,२२५,२२७,२२८,२३०, २३१२२३,२३४,२३६,२४०,२४२,७२,६, ११:१५६४११८११६,१६,३१,३६,४६,५४, ६१.७६,८५,८७,११३,११६:२११३८,४१, ६३,६६८७:२८१२५,७६,७८,३६।६८ सू२३६।३; १२०१५ सादि (सादि) प १५१३५ सादि (रवाति) सू १०।१२० सादिय (सादिक) प २०६४ सादीय (सादिक) प १८१७:१७,२६,५८,५६,६३, ६.७५ से ७७,७६,८२,८३,८८,६०,६२, १००.१०५,११२,११५,११८,१२१,१२४,१२७ साध (साध) साधेति सू१०११२० साधेति १०।१२० साभादिय (नामाविक) ज ३।२०६;५५६ साम (वा) प ११३७।४ राग (साग) उ १।३१ सामंत मन्त) उ १।३,३३२६ सामग या ) प ११४५।२ सामण गामान्य) सू १०७७ साहय श्रमण्य) उ २११२,३३१४,२१,१२०, १५०.१६१४।२४।५।२८,३६,४१,४३ सायण्णओपिणिवाइय (मामान्यतोविनिपातिक) सामण्णपरियाय (श्रामण्यपर्या) ज २१८८ ३२२५ सामल (शामल) ज ३११०६ सामलता (श्यामःलता) प ११३६१ सामलया (शामालता) ज २११ सामली (शाल्मली) ज ४१२०८ सामा (श्यामा) प२४०।६१०.१२४ सामाइय (सामयिक) प १११४.१२५ उ २११०, १२:३३१४,१५०,१६१,५२८,३६४१ सामाइयचरित्तपरिणाम ( सामिपरिणाम) प १३३१२ सामाण (समान) १ २१४६,४७,४००२ सामाणिय (साम निक) १३० मे ३३.३५; ४०॥५,४१,४३.४८ से १६ १४३१०; ४।१७,११३.१५० १५८ !?",६,१६,३६,४२ ४४,४५,४६,४६।२५०, १,५२२१,५३,५६, ६५,६७,७१५६,५६.१८५ : १८१२२; १९२४, २७ उ ३६,२५,६०,१०,१५६,१६६५ सामि (स्वामिन) ११४६८,१६,४३.६२,७०,७७, ८४,१००,१२६॥२,६४२,१६५,१८१,११२, ५।५५,५७:५८ च ६ ४ उ ११९,३६,४० ४२,४५,६९.१०३,१०,१०८,२१०११२, ११४,११६,१२८,१३६ .१. ११.२८, ८६१५५.१६८,४१४ सामित्त (स्वमित्व) २१३०,३१,४१,४६ ज १।४५,३।१८५,२०६,२२१:५११६ उ ५११० सामिय (बाक) ज३८१ सामुदानिय (नामुदानि १५७१७ सायं (सायं) सू २११ १२ १३६ सायावेदणिज्ज (रातवेदनीय) : २६११ सायावेयणिज्ज (जावेदनी ) प २३११४१ सार (मार) प ११७६ ज ११२६; २१६४,६६; ३।२,३,२४,३५ च ११३ उ ११०,२६,६६; ५११ सायर (सागर) मू १६।२२।२४ मारइयबलाहक (शारदिलाहक) प १७११२८ Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७६ सारंग (सारङ्ग) प १०५१ ज ३१३ सारकल्ला (सारण ) प १०४३।१ सारक्छ (र) सारखनिज २०४९, ५२, ५६ सारक्रिति ज २।१५६,१६१ सारवखमाण (संत) उ १५७,५०.८२, ८३ सारक्रिजमान (२०४२ सारविखत्ता ( संरक्ष्य ) ज २२४६ सारय ( शारद) ज ३।११७ सारस (सारस) १७६ २०१२ ५१५. सारहि (सारवि) ज ३०२५, १७८ सावि ( साध्य ) प २०६४।१० सारीर (शरीर ) प ३५१११३५१६,७ सारीरमानस (शारीरमानस ) प ३५६.७ साल (शाल ) प ११३५ १,११४३११, ११४८।१४,२४ २०/२०१८ सालवण ( सालम्बन) ज २९९ से १०१ सालभंजिया (सामना) सालवण ( शागवन ) ज २६ साला (दे० ) प १३५,३६,११४८।३३,३७ सालि (शालि ) प १२४५।१ ज २३३७३।११६६ ४११३७ १७८ सालिंगण (मन) यू २०१७ सालिपिट्टति (लिपि) १७१२८ सालिस च्छियामच्छ ( शालिसाक्षिकामत्स्य ) प १।५६ साय ( रासक) तू २०१७ १०३७५०३.२० १४३२१२० सामण ( श्रण) अ २१३६७।१०४.११४१२६ सू१०।१२४,१२६ ३४० साहरिज्जमाण (संहिता) व ४।१०७ हरितात्य ११५ सावइज्ज ( स्वापते ) ज २१२४,६४ साहस्तिय (सिक) तू १६।२३,२६ उ ३ ६१ 4 सावगम्भ (थादकधर्म) २४४५,७९, १०३. १०४६ साहस्ती २०३०३३,३५,४१,४२. ४० से ५६ ११४५ २९७४ से ७७.१०: ३।२२१४११७,१६,२०,११२,११२.१२६. १५०,१५११२.१५६:५१,५,६,१६,३६,४०, ४४४६४६५३,५६,६५.६७७५५, रावतेय (स्वपतेय) सावत्थी ( वस्ती) साक्य ( श्वापद) ज २१३६ सायय ( धावक ) अ ७२१४ साय (स्वाद) ११ सारंग-साहारणसरीर साविट्ठी (थाविष्ठी) ज ७१३७.१३८.१४१, १४७, १५०,१५४ १०७, ८, २०, २३, २५, २६ साविया (भाविका) ज ७२१४ सावंत (धावयत् ज ३११७८ सास (वास) २०४३ सास ( मस्य, शा ) ज ७ । ११२१४ साग (सत्यक, शस्यक ) प ११२०/२ सास (चाक) ज ३३३५ तासन (शासन) ज ३८१,१५१११२९ सासत ( शाश्वत) ३६ ९४ सास) २१६४,२३६४१२०, २२; ३६।६३. ६४,६४११ ज ११११,४७, ३।२२६; ४१२२,३४,५४,६४, १०२, १०७.११३.१५९. १६१७२०८ से २१० सिसमुहृत्य हस्तगत रागरागरा ज ३।११ सात ( शासत् ) ३।१७८ साह (साम) सा३१५१ साहट्टु (पहल) ज ३।१२३१।२२ (साहर (ह) स२६५३२६,३६६ २०६९ १६३५ ३२६ से ११,२१ ४७,१३३५।२१,५८ साहरति ज २६६; ५११५,७०,६८, ११० स ज २६५,६७, १०६५।१४,८९ साहूगहि ज २६६ १०५ १०५१०११४ से १७२१.२३ उ ३४९.१२,२५,६० १५६, १६९, ४१५: ५।१० ताहारण (सत्वार) ४६५४५४६० महारणशरीर (साधा १३२.४० Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साहारणसरीरणाम - सिज्झणया साहारण सरीरणाम ( साधारणदारीनामन् ) २३१३८, १२१ साहाविय (स्वाभाविक ) ज ५५५ / साहि ( कथय ) साहिज्ज ११७।१२६ साहिज्जति प १७११२६ साहिज्जति प१७३१२६ साहिय ( साधिक ) प ४।२४० ज २१६६६३ ७६, ११६,११८,७११६४ साहीय ( साधिक ) प ६४८ साहु (साधु) चं १२ साहेता (साधना) ३१५१ सिउंढि (दे० ) प ११४८१ सिंग ( श्रृङ्ग) ज ३।१०६; ५६३ ७ १७८ सिंगरग ( श्रृंगण ) ज ३ २४ सिंगबेर (शृंगबेर ) प ११४८।२; १७११३१ सिंगबेरचुण्ण (श्रृंगवेरचूर्ण ) प ११।७६; १७३१३१ सिंगभूत (शृंगभूत ) ज ३११८६ सिंगभूय (शृंगभूत ) ज ३३२१७ सिंगमाल (श्रृंगमाल) ज श सिंगार (शृंगार ) प ३४।१६,२१ ज २११५ सू २०१७ सिंगारागार (शृंगारागार ) ज ३११३८ सिगिरिड (शृंगिरीट) १ ११५१११ सिंघाडग (शृंगाटक ) प ११४८६ २४६५; ३१८५,२१२,२१३, ५७२,७३३ १६८ सिंघाडय (दे०) २०१२ राहु का नाम विघाण (सिंघाण शिघाण ) प १८४ सिदार (सिन्दुवार ) प ११३७ ४,११३८ ।१ ज २।१० ३।३५ सिदुवारवर मल्लदाम (सिन्दुवार वरमाल्यदामन् ) प १७१२८ सिंदूर ( सिन्दूर) fing ( सिन्धु) ज १११८,२०,४८,२११३१,१३६, २३५ १३४,३११,५१,५२५४०७६०८.६६ १११,११३, १२८४१३७.१६७१७४९७६४ १०७७ २७४६।१६ सिंधुआवत्तणकूड (सिंधुआवर्तनकूट ) ज ४१३७ सिंधुकुंड (सिन्धुकुण्ड ) ज ११५१,४३१७४, १७५ सिंधुकूड (सिन्धुकूट ) ज ४।४४ सिंधुगम (सिन्धुम ) ज ३६४,१५१ सिंधुदेवी (सिन्धुदेवी) ज ३१५१, ५२, ५४,५६,५७, ५८ सिंधुद्दीप (सिन्धुद्वीप) ज ४१३७ सिंधुपवायकुंड (सिन्धुप्रपात कुण्ड ) ज ४।३७ सिंधुसागरं (सिन्धुसागरान्त) ज ३२८१ सिंधुसोवीर (सिन्धुसौवीर ) प ११६३१४ सिभिय ( ग्लैष्मिक ) उ ३।११२,१२८ सिंहल ( सिंहल ) प ११८६ सिंहलय ( सिंहलक) ज ३१८१ सिंहली (मिली ) ज ३१११।१ सिंहासन ( सिंहासन ) ज ११४४ सिक्खा (शिक्षा) प ११।४६ उ ११२० सिक्खिय ( शिक्षित ) ज ३११७८७११७८ भु २०१६१३,५ सिग्ध ( शीघ्र ) ज २६०, ३१२६, ३९, ४७,५६,६४, ७२,१०६,११३,१३३,१३८, १४५,५१५, २८, ४४,४७,६७ म २।३; १५।१.३७ ११८ सिग्घगइ (शीघ्रगति) ज ७१८० चं २०४२ सू ११६/४,१।८।२ सिन्धामि (शीघ्रगामिन् ) ज ३।३५, १०६ शिया (शीघ्रता ) ज ३।१०६ सिस (सिध् ) सिज्झइ प ३६८ सिजभाई २६७/२, ३ सिज्भति प ६१५७,६७,११० ११२२, ५०, २१५८, १२३.१२८, १४८, ४११०१,१७३ मिम्भति प ३६३६२ सिज्झटिइ ११२४१२१२०, ३१८४१२६६ २४३ सिझिटिति ज २३१५१,१५७ उस१९४२मज्जा ए २०११८ सिखाया (धन) ६४४ Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७८ सिणेहभाव-सिरिकंदलग सिणेहभाव (स्नेहभाव) ज २११४३ लित (सित) १२१३१ सित्त (लिस्ट) ज२१६५,३७,११६,५१५७ सिद्ध (सिद्ध) प ११११,१११३:२१६४,२१६४१२ से ४,६ से १२,१४,१६,१८,२० से २२:३१३७ से ३६.१८३,५॥३,६।४४,४६.५७,५६,६७,६६; १११३६,१२१७,१०,२०:१६।२५,३०,३२,३३, ३५.३७:१८१७:१६५२१२१८,२८११०७,११०, २१,११४.१२०,१२१,१२४.१२५.१३१, १३८,१३९.१८१,३११६,३२।६३६४६३,६४ ज२।१,२१८२,८८,८९,३२२५,४।१६२१, १७२५१,२०४।१,२१०३१,२६३११,२६६।१; ५।५७।११७ चं १२ नियहि (सिद्धावां कन्) ११८१६८,१०० सिद्धति (सिद्ध) ५६५ हित्य (सिद्धार्थ) उ ५।२६,२८ लिय (सहायक) ज ३१२०६५।५५,५६ सिबिया (शिबिका) ज २।१०१,१०२ सिब्भ (श्लेष्मन्) ज २११३३ सिय (स्यात) ५ ११४८,५१५,१०,२०.३०.३२, १०२,१२६.१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४,२२८,६११५,११६:१०१७ से १३,१७,१६,२०,३१,३२,३४,३६,३८,४०, ४२,४४,४६,४८,५०,५२,१११२,३,१२।६, २४,३२,३३,१५१५३,५४,६१,१२२,१२३; १७।१४,६५,१०२ से १०४,११६,१५०,१५२; २१४९५,९८ से १००:२२१२६,२९,३०,३२, ३३,३८ से ४०,४२,५० से ५२,६७ से ६६, ७१,७४,९१,६३,९७,६६२८१३१,१०६, १११,११५,११७,१२०,१२२.१२५.१२८, १२६:१३२,१४३,३६।१४,१७,१६,२२,२३, २५,२७,३३,३४,६२,६३,७७ ज ७/२०८,२०६ सिया (स्पात्) ज ५७ सियाल (शृगाल) प ११६६१११२१ ज २१३६, द्विपिया ( मियिका) प१७११३५ निर ) ११७ सू १७८६१ सिद्धायन (सिन्दा तनफट) ज १५३४ से ३६, ४१,४८४,४५,४८.७६.६६,१०५,१०६, १३६.१६६.१६६ १८६.१६५.१९८२१०, २११,२३५.२३७,२४२,२६३ तिहासिक ज ४१४७.१६३,१५० २१६,२१७:२२०,२३५.२३७.२४२ सिद्धाययण (मिद्धा तनकट) में ४।२१२,२७५ सिद्धालय (सिद्धा ) प २१६४ सिद्धि (सिदि) प २१५४,३६।८२ सिद्धिगइ (सिलिन) श२१ सिप्प (शिल्प) ल २१६४;३:१६७१७,५१५,७ शिकारियािर्म) प ११६२,६७ सिपिया (सिलिक) ६१।४२ लिप्पिसंदुर (सिंपुट) ११४६ सियाली (शृगाली) ८१११२३ सिर (शिरस) ज २११३३,१८०,२२१ सिरय (शिरस्क), २।४६ ज २।१५।६,१८, ९३,१८०,२२२ सिरसावत्त (शिरसावर्त) ज ३१५.६,८,१२,१६, २६,३६,४७,५३,५६.६२.६४,७०,७२,७४, ७७,८४,८८,९०,१००,११४,१२६,१३३, १३८,१४२,१४५.१५१,१५७,२६५,१८१, १८६,२०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३.६६,१०७, १०८,११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,४११५; ५।१७ सिरसिज (शिरसिज) ज ३११३८ सिरि (श्री) ज २।८,९,१५, ४१२।१,४।१७ से २०, २२,५१११११,५॥३८७।२१३ सिरिकता (श्रीकान्ता) ज ४११५५२,२२४१ लिरिकंदलग (श्रीशन्दलक) ११६३ Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिरिकूड-मीमाविक्वंभ सिरिकूट (श्रीकट ) ज ४/४४ तिरिघर (श्रीह) ज ३।२२० सिरिचंदा (श्रीचन्द्रा) ज१५५,२२४१ सिरिजिलया (धीन या ज४१२२४.१ सिरियाम (श्रीदन) १६७ शिरिदेसि (धौलवीर उ ४.२४ शिरिदेवी (थीबी) उ ४१५ सिरिनिलया (श्री नया) ज ४१५५१२ तिरिमहिया (श्रीता ) ४११५५।२,२२४११ सिरिवडिरय ( वतसक) ४५ लिरिद य (मग उ४:२४ सिरिबस्छ (श्री स.) ज ३१३, २६,११६,१७८; ४॥२८ लिरियच्छ श्रीस:) 11४६।३ सिरिसंवा श्री गु!) ११२०१४ मू १०८८१ सिरिहिरिधिविजय (श्रीही तिकीति सिस्सिणीभिक्खा (शिष्याभिक्षा) उ ४।१६ सिहंडि (विखण्डन ) ज ३११७८ सिहर (शिखर) प २४८ ज ११३७, ३१२४; ४१४६५१४३ उ ५५ सिहरतल (शिखरतन) ज ११३२,३३,४१२४१ सिहरि ( ख ) प २११:१६।३० ज ३११८६, २१७:४।२७१,२७३,२७४,२७७ सिकिड (शिखरिकूट) ज ४।२७५ सिहरिसंठाणसंठिय (चिखरि संस्थान रिया) ज ४१२७६ सिहि (शिखिन) जे २०१३७ सीउण्ह (शीतोष्ण) ज २१३३,३११३८ सीओदयवायकुंड (पीतादापातकुण्ड) ज ४१६२ सीओ (शीतादा) ज ४१९३,६४ सीओदाकूड (शीतांदाकूट) ज ८१६६ सीत (गीत) प ११५,७ से ६५७,२११,२१२, २१४,२१५,२१८,२२० से २२६६।१ से ११; २८।१०५३४११६३५।११ तीतजोणिय शांतनिक) ६।१२ तोतल (शीन) २०१२ सोवा (सीता) २१६४ सू २३ किरीस ( १६६ तिरीब 24t सिलागि २ १ २२८,६४, सातोदय (सीतादया) । १२३ सोलन ३१,२६८०११० सीतोदा (सीतादा) ज ४१६१,६२,६५,५१०११, २१२२१५,२२६ रा २३१६।२२ सातोपामुह सिंडीतापामुखममण्ड) ज ४२१२ सोसजोगिय (मीण नि:) : १२ सिव २०,२१४१ १६८।१२, सीतोलप (शीतोष्ण) प ६१११३५१ से ३ २०६५ २१,५८११४१. १०१२८१ सोय (सीधु) उ ११३८,४६,७४ १४१४४३।११,१५१ खीभर (शीर) ६G सिसिर ११.१ १०१२८१ सीकर (लोक) २५६,६० सदेवधर (पीकर) १९६० सिस्सि .१६ तिमि .. .. Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८० सीय-सुइभूय सोहकण (सिंहकर्ण) प १८६ सोहकण्णी (सिंहकर्णी ) प ११४८।१ सीहगइ (शीघ्रगति) ज ७४१६८२ सोहघोस (सिंहघोष) ज २१६ सीहणाद (सिंहनाद) सू १६।२३ सीहणाय (सिंहनाद) ज ३१२२,३१,३६,७८,६३, ६६,१०६,१६३,१८०,५२,५७,७१५५,१७८ सीय (गीत) प१४ से ६५१५,१२६,१५४, २१०,२१३ से २१५,२१७ से २१६,२२१; १११५६,६०१७।१३८, २८।२०,३२,६६, १०५,३५१२,३ ज २११३१,१३४ उ ३११२८ सोयउरय (दे०) प ११३७५३ सीयल (शीतल) ज २२०;४१३,२५ सीया (शिक्षिका) ज २११२,३३,६४,६५,१०३,१०४ उ ३.११०१११:४११६,१८ सीया (सीता) ज १।१६४१११०,१४१,१४३, १६२२१,१६७,१६६.१७२,१७४,१७७,१७८, १८०,१८१,१८३ से १८५,१८७,१८६ से १६१,१६३,१९६,१६७,१६६ से २०२,२१२, २१५,२२६,२२७,२३२,२३३,२६२,२६३११; ५.१०११६।२२,७।२२ सीयामहाणई (शीतामहानदी) ज ४२०० सीयामुहवण (शीतामुखवन) ज ४११६६ से २०२ सीयालोस (सप्तचत्वारिंशत) ज ७.२० मू ४।१० सीयोया (गीदा ) ज ४१२०६,२०७,२०८,२१२, २२८ सीयोयाग्रह (सीतादामुख) ज ४।२१२ सोल (शी १२०१७,१८,३४ ज ३1३; ५:५८ सीवली (श्रीपणी) प ११३५।३ सीस (सी) उर३।११४,४।२१ सीस.पहेलियंग (भीर्यनलिकाङ्ग) ज २।४ सीसपहेलिया (शीय प्रहेलिका) ज २१४ सू ८१ सीसय (सीरक) प १३२०११ सोसवा (शिवाका) प ११३५६३ सोदिया (शोमवेदना) ज २।४३ सोसाखंड (सीसखण्ड)११/७४ सीसिणिभिक्खा (शिष्याभिक्षा) उ ३।११२ सीह (सिंह) १९६६२१३०,४६,६८०११; १११२१ ज २११५,३६,१३६ उ ११३३,२१८ ५११३,१५ सीह (शोध) ज २१३६,१३६,३१२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३,१३८,१४५:५१५,४४,४७, ६७ सोहणिसाइ (सिहनिषादिन) ज ७।१३३३३ सीहणीसाइसंठिय (सिहनिपादिसंस्थित) सू १०१५४ सोहनाय (सिंहनाद) उ १११३८ सीहपुरा (सिंहपुरा) ज ४१२१२,२१२२ सोहमुह (सिंहमुख) प १८६ सीहरूवधारि (मिहरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू१८।१४ से १७ सोहस्सर (सिंहस्वर) ज २०१६ सीहसीया (मिहस्रोता,शीघ्रस्रोता) ज ४।२१२ सीहासण (सिंहासन) ज ३१३,६,१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५८.६६,७४,१३३,१४५ १४७, १७८,१८८,१९७,२०४,२१४,२१६,२२२, ४१५०,५३,५६,११२,११६,१२३,१३५,१४७, १५५,२२३।१,२२४११,२४८,२५० से २५२; ५:१३,१४,१८,२१,३६,३६ से ४१,४७,५०, ५५,६० सू १८।२३ उ ११४९,३१६,२५,६०, ११,१३६,१५६:४१५ सीहासपहस्थगय (हस्ता तसिंहासन) ज ३।११ सोही (सिही) प १११२३ सु (सु) ज १११३,३७,२।६,१२,१५,३१६,१२,२८, ३५,४१,४६,५८,६६,७४,११७,११६,१३८, १७८,२२२,४।१३,१०२,१२८,१४६,१५७, १७८,१८०,१८१,१८२,२०२,२०४,२११; ५।५,७,६,५३,७:१२० सुइ (शुचि) ११५,३।६,२२२१२६:५२५७ सुइग (शुचिक) ज २६५,३।७ सुइभूय (शुचीभूत) ज ३.८२ उ ३१५१,५६ १. वनस्पति कोश में सिंहपर्णी शब्द मिलता है। Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुईभूय-मुजाय १०६१ सुईभूय (शुचीभूत) उ ४११६ सुउत्तार (सूत्तार) ज ४१३,२५ सुंकलितण (शकरीतण) ५११४२१२ सुंगा (शौङ्का') ज ७१३२॥३ सुंगायण (शौकायन) स १०।११४ सुंठ (शुण्ठी) प ११४२।२,११४८।४६ सुंदर (सुन्दर) ज २१५; ३३१३८,७।१७८ सुंदरी (सुन्दरी) ज २१५,७५ सुंब (सुम्ब) प१४१।१ संसुमार (झुंशुमार,शिशुमार) प ११५५,६० सुकच्छ (सुकच्छ) ज ४१७८,१८१ से १८३ सुकण्ह (सुकृष्ण) उ १७ सुकत (सुकृत) प २३१,४१ सुकय (सुकृत) ५ २१३१,४१ ज ११३७, ३।७,६, १८,२४,३५,६३,१०६,१७९,१८०,२२२; ७.१७८ सुकरण (सुकरण) ज ३१३५ सुकाल (सुकाल) १७,१४६,१४७,२३१८,१६ सुकाली (सुकाली) उ १११४५,१४६; २।१७,१८ सुकुमाल (सुकुमार) ज २१५, ३।३,६,१०६, २०६,२११,२२२ उ १६१४६ सुकुल (सुकुल) ज ३.१०६ सुकुसल (सूकुशल) ज ३१११६ सुक्क (शुक्र) १८४,१३५:२१४८,६३ सू२०१८, २०१८।४ उ ३।२।१,६।२५,८३,८६ सुक्क (मुका) १३१६ सुक्क (शुल्क) उ ३३१२८ सुकरु (शुष्क) उ ३।३५ से ३७,४०,४३ सुक्कपक्ख (शुक्ल क्ष) ज ७।११५,१२५ मू १६।२२।१८ सुक्कछिवाडिया (दे०) प १७।१२८ सुकलेस (शुक्ल लश्य) प १७१५८,१०४,१६८%) २३।२०० सुक्कलेसट्ठाण (शुक्रलेश्यास्थान) प १७६१४६ सुक्कलेसा (शुक्ल ने का) प १७१४७,१३६ १. शौङ्कायन गोत्रस्य संक्षिप्त रूपम् । सुक्कलेस्स (शुक्ललेश्य) प ३९६१३११८,२०, १७:३५,५६,५८,६३ से ६६,७१,७३,७६ से ८१,८३,८४,८६,८६,१०४,११३,१६७; १८७४,२३१२०१२८।१२३ सुक्कलेस्सट्ठाण (शुक्ललेश्यास्थान) प १७।१४६ सुक्कलेस्सा (शुक्ललेश्या) प १६।४६,५०, १७१३५, ३६,३८,४१,४३,५४,११४,११७ से १२२, १२६,१३५,१३७,१४० से १४५,१४७,१५३ से १६१ सुक्कलेस्सापरिणाम (शुवललेश्यापरिणाम) प १३१६ सुक्कडिसय (शुक्रावतंसक) उ ३१२५,५३ सुक्किल (शुक्ल) प २४ से ६५।५,७,२०५; ११३५३,५४,१३।२६:२३।४७,१०१,१०६ १०६; २०१६,७,२६,३२,५३,६६ ज १११३, २१७,१६४,३।२४,३१,४१२६,११४ सू २०१२ सुक्किलपत्त (शुक्लपत्र) १११५१ सुक्किलमत्तिया (शुक्लमृत्तिका) प ११६ सुक्किलसुत्तय (शुक्लसूत्रक) प १७११६ सुक्किलय (शुक्लक) प १७१२६ सू २०१२ सुक्किल्ल (शुक्ल) प २८1५२ सुग (शुक) प १७६ सुगइगामि (सुगतिगामिन्) प १७११३८ सुगंध (सुगन्ध) प २१३०,३१,४१ ज २।१५,६५; ३७,१२,८८,२११:५७,५५ सू २०१७ उ ३।१३१ सुगंधि (सुगन्धिन् ) ज २१२ सुगंधिय (सुगन्धिक) प ११४६ सुगपत्त (शुकपत्र) ज ३।१०६ सुगूढ (सुगूढ) ज २०१५ सुघोसा (सुधोषा) ज ५।२२,२३,२४,४६ सुचक्क (सुचक्र) ज ३।३५ सुचरिय (सुचरित) ज २१७१ सुचिषण (सुचीर्ण) ज १११३,३०,३३,३६४१२ सुजाणु (सुजानु) ज २११५ सुजाय (सुजात) ज २।१४,१५,३११०६४।३,२५, १५७,७११७८ Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८.२ सुजाया-सूपुट सुजाया (सुजाता) ज ४११५७।२ सदसण (सुदर्शन) प १६४, ३।३०,४१४६, सुजोइय (सुयोजित) ज ७१७८ १४७,१५०,१५७,१५६,२०८,२६०११ सुज्ञ (दे०) ४१३,२५ ७१२१३ ज २१६४; ३३०४१४७,१५०, सुठ्ठिय (सुस्थित) ज ७।१७८ १५६,२०८,२६०११७२१३ सू५१ उ ४७ सुम (शृ) सुणंतु ज ३।२४.१,२,३११३१।१,२ सुणह प २१६४।१८ सुणेइ प ११३६ सुदंसणभद्दसालवण (दर्शनभद्रशालवन) ज ५१५५ सुति प १५१३६,४० सुदंसणा ( दर्शन:) ज ४११५७।१,२ सुजग (शुनक) प११६६ ज २१३६,१३६ सुदिट्ठ (दृष्ट) ११०११३ सुगक्खत्ता (मुनक्षत्रा) ज ७११२०११ मू १०८८११ सुदुल्लह (सुदलं न) ज ३।११७११ सुममिय (सुनत) ज ७।१७८ सुणय (शुनक) प १११२१ सुद्ध (शुद्ध) प १७.११४१,१७।११६ सू २०१७ सुणिम्मिय (सुनिमित) ज २।१५ सुद्धदंत (शुद्धदन्त) ५ ११८६ सुणिरिक्खण (सुनिरीक्षण) ज ७४१७८ सुद्धप्पावेस (शुद्ध प्रवेशद्वात्मवेश,शुद्धप्रावेश्य) सुणिया (शुनिका) प ११:२३ ज ३८५ सू२०१७ उ १११६ सुणिवेसिय (सुनिवेशित) ज २०१२ सुद्धवाय (अनात) ५११२६ सुण्हा (स्नुषा) ज २२२७,६६ सुद्धागणि (शुद्धाग्नि) प १।२६ सुत (णाण) (श्रुतज्ञान) ५ २६।१६ सुद्धोदय (शुद्धोदक) ६ ११२३ ज ३।६,२२२ सुतअण्णाण (श्रुताज्ञान) प ५७,१२,२०,५६; सुधम्म (धर्म) ज ४।१४०३१ २६१६,१२,१७,१६,२० सुतअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ३।१०२,१०३; सुधम्मा (धर्या) ४.१३१ सू १८/२३ सुनिउण ( पुण) ५८०,११७:३०/२३ , सुतणाण (श्रुतज्ञान) प ५७,२०,२४,४१,४६,६७, सुपा ( ४३,५५ सू १०।१२४११ १११:२६११७,२१,३०६,११ सुतणाणि (श्रुतज्ञानिन्) ५३।१०१,१०३; ५१४३, सुबइ यतिष्ठ. . .१५६.?? ८०,६५.११३,२८४१३६ सुपा दिसतष्ठिा) २११४,४।१४६; सुतिक्षण (सुतीक्ष्ण) ज २१६११ १४६ सुतोवउत्त (श्रुतोपयुक्त) १ २३।१६५,१६६ से २०१ सु स ) १२८ सुत्त (सूत्र) प १५१०११६,२११३५ सुत्त (सुप्त) ज ३।१७४ सुपरपात ( सालः) ज १११३,३०,३३,३६; सुत्त (श्रुत) प १:१०१६ ४॥२ सुत (रुइ) (सूत्ररुचि) प ११०१११ सुपरिनिठ्यि ( निप्ठित) उ ३१२५ सुत्तग (नुत्रक) ज ३१३६,१०६ सुपरइय (प्रजित) उ ३।८०,८१ सुत्तत्तय (सूत्रत्र) प ४१५५ सपसत्य (प्रशस्त) ज ३।११७ सुत्तरुइ (मूत्ररुचि) पश१०१६ सुपिकताछोयरस (पक सोदर) प १७११३४ सुत्तत्रेयालिय (शुक्रवत्रारिक) प १६६ सपोप ( १९२११ १०१८४३ सुत्तीनई (शुक्तिाती प११९३४ Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुप्पइण्णा-मुरभि १०८३ सुप्पइण्णा (सुप्रकीर्णा) ज ५१ सुमिणपाठग (स्वप्नपाठक) उ ११३३ सुप्पबुद्धा (यूप्रवुद्धा) ज ४१५७११;५६१ सुमेहा (सुमेघा) ज४।२३८,६१ सुप्पभा (सुप्रभा) ज ७११७८ सुय (श्रुत) प ११११२,३,१५१०११६:१३।१० सुप्पमाण (नुप्रमाण) ज २०१५ चं १३ सुप्पमाणतर (प्रमाणतर) ज ४११०२ सुय (शुक) प १७।१२४ सुफुल्ल (फुल्ल) ज ३३१०० सुय (शुक) १ ११४२११ बालतण सुबद्ध (गुबद्ध) ज ११५, ७।१७८ सुयअण्णाण (श्रुत!ज्ञान) प ५१५,१०,१४,१६,१८, सुबहु (सुवहु) उ ३१५०,५५ ६३:२६।२,६,२१, ३०१२,६,६,११,१६,२१ सुभि (१) प १३।२७,३१; २३।१०६ सुयअण्णाणपरिणाम (श्रुताज्ञानपरिणाम) प १३३१० सुभिगंध (सुगन्ध) प ११४ से ६५५,७,२०५; सयअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ५१६५,६६१३।१४, ११।५६,१७।१३७,२८।२६,३२,६६ १६,१७,१८।८३२८।१३७,३०११६ सुभ (शुभ) प २८११०५ ज १११३,३०,३३,३६; सुयक्खंध (श्रुतस्कन्ध) उ ५१४५ ३१२२३,४।२ सुयणाण (श्रुतज्ञान) प १२१०१८,५५,७८,६३; सिभ (शुभ) सोभंति सू१६।११ सोभिमुसु १६५ १७.११२,११३, २०१७,१८,३४,२६२,६, सोभिस्संति सू १९१ सोभेति ।। १६१ १२:३०१२,२१ सीभेनु सू १९११ सोभेस्संति सू १६॥३८ सुयमाणारिय (श्रुतज्ञानार्य) प ११६६ सुभंकर (शुभंकर) ज ३1८८ सुयणाणि (श्रुतज्ञानिन् ) प ३३१०१,१०३; १३।१४, सुभग (शुभग) ॥ १।४८१४४,११५० ज ४।३,२५; १७; १८।८० ; ३०११६,२३ ५६८,७१७८ सू २००४ सुयतोंड (शुकतोण्ड) ज ३३५ सुभगणाम (शुभगनामन्) प २३।३८,१२४ सुयनाणपरिणाम (श्रुतज्ञानपरिणाम) प १३16 सुभयत्त (शुभ त्व) प ३४१२० सुयधम्म (श्रुतधर्म) ५ १।१०१।१२ सुभगा (सुभगा) प १४४०१२ ज ४११६४,५३१११ सभणाम (शुमनामन्) प २३११६,३८,१२३ स्यपुच्छ (शुकपिच्छ) प १७।१२४ सुभद्द (अभद्र) उ १२ सुयाह (शुकमुख) ज ३।१८८ सुभद्दा (सुभद्रा) ज २१७७,३११३८,४१५७२ सुविट (शुभवृन्त) प ११५० उ ३६७,९८,१०१ से १२०,१४९२२ सुधिसिठ्ठया (श्रुतविशिष्टता) ज २३१२१ सुभय (शुभग) प ११४६ सविहीणया (श्रुतविहीनता) ज २३१२२ सुभय (शुभक) उ ५१५ सुयात (सुजात) ज ३११०६ सुभा (शुभा) ज ४।२०२२ सुर (सुर) ५ २०६४।१५, ३११६१ ज ३।११७ सुभोगा (मुभोगा) ज ४११६४५.११ सुरइय (सुरचित) प २१४१ सुमणवाम (रामनोदामन्) ज ३।२११,५२५५,५८ सुरट्ठ (सौराष्ट्र ) प ११६३।३ सुमणसा (गुमनस्) प ११४०१३ मालतीपुष्पलता सुरत्त (सुरक्त) ज ७१७८ सुमणा (गमनन्) ज ४११५७१२,२०३ सुरप्पिय (मुरप्रिय) उ ५७,८ सुमहग्ध (मभहाध्य) ज ३१६,२२२ सरभि (सुरभि) प २।३१,४१,२३।४८ ज २।१२, सुमहुर (धुर) उ ३१६८ १६,३७,६,३०,८,१०६,२०६,२११,५१५, सुमिण (स्वप्न) उ १८३३,२१८,५११३,२५,३१ ७,१४,२१,५६,५८,७१७८ उ३११३१ Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ मुरम्म-सुसाहय सुरम्म (सुरम्य) ज २११२,४।१३ सू २०१७ सवण्णजहिया (सुवर्णयथिका) ५१७११२७ सुरवर (सुरवर) ज ५७ पीलीजूही सुरवरिंद (सुरवरेन्द्र) ज ३।१०६ सुवण्णमय (स्वर्णमय) ज ४१२६,५३५५. सुरहि (सुरभि) प २३० ज ३।६,१२,३५,८८, सुवग्ण (वासा) (मुवर्ण वर्षा ) ज ५।५७ २२१,२२२ सुवर्णमिप्पि' (गुवर्णशुक्ति) प १७१२७ सुरा (सरा) उ ११३४,४६,७४ सुण्णिद (सपणे द्र) २१३८ सुरादेवी (सुरादेवी) ज ४।४४,२७५,५।१०।१ सुवप्प (गुरप्र) ज ४।२१२,२१२२३ उ४१२।१ सुवयण (सुवचन) उ १।१७ सुरिंद (गुरेन्द्र) प २५० ज २६१, ३।३५:५।१८, सुविण (स्वप्न) उ ११३३५१२५ २१,४८,५२ सविभत्त (मविभक्त) ज ११३७, २।१४,१५, ३।३ सुरूया (सरूपा) ज ५:१३ सू २०१७ सुरूव (गुरूप) प २।३०,३१,४१,४५,४५११,४८ सुविरइय (सविरचित) ज २११५, ३१२४,४।१३ ज ३।१०६,१३८,४१२६ सू२०१४ उ ११२, सू २०१७ १३,३१,५३,७८,६५,५२५,२२ सुव्वत (मुद्रत) सू २०१८ सुलद्ध (सुलब्ध) उ १।३४;३।६८,१०१,१३१ सुब्वय (सूबत) सू २०१८।८ सुलस (मुलस) ज ४१६४,२०७ सुन्वया (मुक्ता) उ ३१६६,१००,१०६ से १०८, सुलित्त (मलिप्त) उ ३११३०,१३१,१३४ १११ से ११३,११५,११६,११५.१३२,१३३, सुवरगु (सुवल्गु) उ ४१२१२,२१२।३ १३६,१४१ से १४३,१४५,१४६,१४८,१५० सुवच्छ (मुवत्स) प २।४७।२ ज ४।२०२।१ सुसंगोविय (सुसङ्गोपित) उ ३।१२८ सुवच्छा (सुयत्सा) ज ४।२०४,२३८:५।६।१ सुसंठिय (मुसंस्थित) ज ७१७८ सवण्ण (मपर्ण) प २१३०११,४०1१,८,१०:५१३ ससंपरिहिय (संपरिहित) उ ३.१२८ ज ३।२४।१,२,१३०१,२ सुसंवुय (मुगवृत) ज ३६,२२२ सुक्ष्ण (सवर्ण) प १२०११ ज २।२४,६४,६६; सुसज्ज (सज्ज) ज ५४३ ३।६,२०,३३,५४,६३,७१,८४,९५,१०६, सुसद्द (शब्द) ज ७१७८ ११७,१३७,१४३,१५६,१६७/८,१८२,१८४, सुसमण (नशमन) ज २१५३,१६२ २२२:४१३,२५,२६,५१३८,५२,५५,६७,६८ सुसमदुस्समा (मुपमदुप्पा ) ज २।२,३,६,७,५४,५६ उ ३।४० सुसमससमा (गुषमापना) ज २२,३,६,७,५२ सुवण्णकुमार (भुषणकुमार) ५ १११३१,२।३७ से १६१,१६३,१६४,४।१०६ ४०,४१४६६१८ सुसमा (मुषमा) जरा२,३,६,५१,५२,१६०,१६१ सुवण्णकुमारराय (सुपर्णकुमारराज) प २।३७ से ४१८३ ३६ सुसमाहिय (मसमाहित) ज ३१३५ सुवण्णकुमारिद (सुपर्णकुमारेन्द्र) प २१३७,३६ सुसवण (सुश्रवण) ज २११५ सुवण्णकुमारी (मार्णकुमारी) प ४।५२ सुसारखिय (सुसंरक्षित) उ ३.१२८ सुवष्णकूड (मृवर्ण कूट) ज ४।२७५ सुसाहय (समहन] ज२१५ सुवष्णकूला (सुवर्णकला) ज ४१२७२,२७४,२७५; । ६२० १ हे० २११३८ सिणि (शुक्ति) Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुसिणिद्ध-सूर १०८५ सुसिणिद्ध (मस्निग्ध) ज २।१५ सुहम (सूक्ष्म) १२॥३,६,६,१२,१५,३१,३।११२, सुसिलिट्ठ (सुश्लिष्ट) ज ११३७,३१६,१२,१७८, ६१ से ७१.५५ से ६५,१११,१८३,४।५६ से २२२:४।१२८,५४४३,७११७८ ६१,६८,७५,८२,८३,६१,६१८३,१०२, सुसीमा (मसीमा) ज४।२०२।२ १५।४३,४५,१८।१।२,३७ से ३६,११६, सुसीस (सुशिष्य) ज ३३१०६ २१४,५,२३ से २७,४०,४१,५०,२३।१२१; सुसेण (सुषेण) ज ३७६.७७,७८,८०,८२ से ११, ३६७६,८१,६२ च ११३ ज २०६७।१७८ १०६ से १११,१२८,१५१ से १५७,१७०,१७१ ११.१२८१५१ से १५०.००.०१ सुहुमआउक्काइय (सूक्ष्मअप्काक), ११२१,२२ सुस्सर (सुस्वर) ज २११५,५१५२,५३ सुहुमणाम (सूक्ष्मनामन् ) प २३१३८,११८,१२० सुस्सूसमाण (शुश्रषमाण) ज १६२।६०, ३१२०५, सुहुमतेउक्काइय (मूक्ष्मतजस्कायिक) प १२४,२५ २०६:५१५८ उ ११६ सुहुमवणस्सकाइय (सूक्ष्मवनस्पतिकायिक) सुह (सुख) प २।४८,२।६४११५,१६,२०;३५।१२२, प १६३०,३१ ३५१०,११:३६।१४।१ ज २११२,२०,७१, सुहमवाउक्काइय (सूक्ष्मवायुकारिक) प १५२७,२८ ३।६,८१,६६,१००,१०१,११७११,१२१,२२२; सुहुमसपराय (सूक्ष्मनाराय) प १११२,११३, ४१२७,४८,१७७; ५।२६,२८ सू १६।२२११३ १२४,१२८, २३।१६१ उ ११११०,१२६,१३३ सुहमसंपरायचरित्तपरिणाम (सूक्ष्मपरायचरित्रसुह (शुभ) प २१४६ ज २।१२,२०:३। परिणाम) प १३३१२ सुहंसुह (सुखसुख) ज २११४६:३११२१,१२७, सुहोतार (सुखावतार) ज ४॥३,२५ २२४;५।६७ उ ११२.५०,७५ सुहोदय (सुखोदक, शुभोदक) ज ३१६ २२२ सुहणामा (शुभनामा) ज ७.१२१ सू १०१६१ सुहोवभोग (सुखोपभोग) ज २११४५,१४६ सुहता (सुखता) प २३।१५ सूइ (शुचि) ज ४१२६ सुहत्त (सुखत्य) प २८२४,२६ सूईमुह (सूचीमुख) प ११४६ सुहत्थि (सुहस्तिन) ज ४१२२२१,२२८ सुई (सूची) १५।२६:२१।२५ सुहफास (सुख पर्श, शुभल्पशं) ज १२८ सूणा (मुना) उ १६४४,४५ सुहम्मा (सुधर्मा) ज २।१२०,४।१२०,१२१,१२६, सूमाल (सुकुमार) ज ३।२११:५१५६७११७८ १३८।५।१८,२२,२३,५०,७१८४,१८५ उ १११ से १३,३० से ३२,५३,७८,६५, सू १८।२२,२३ उ ३६,६०,१५६,१६६; १४५,२।५,७,१६,३१६७,४१८,५१२ ४।५; ५११५.१६ सूमाला (सुकुमारा) ज ३१२२१:५१५८ सुहया (सुखतः) २३१३० सूय (पु) ज ३।१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, सुहलेसा (शुभतेश्या) ज ७५८ २१६,२१६,२२१ सुहलेस्सा (शुभमेश्या) सू१६।२२।३० सूयलि (दे०) प १८९ सुहावह (सुखावह ) में ४१२१२ सूर (यूर) प १११३३; २१२० से २७,४८%) सुहासण (सुखासन) ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, १५५५५।३ ज ११२४, २१६८, ३१३५,६५, ____७४,१३६.१४७.१८७,२१८ ११७,१५६,१६७।१२,१८८,२०७,२१२; सुहि (सुखिन्) प २१६४१२०, ३६१६४।१ ज २१२६ ५१५६, ७१०२,१३५.१,४,१७७।२.१७८।१, सुहिरणियाकुलुम (सुहिरण्यिकाकुसुम) १८०,१८१ मु १०।३,१२३,१३४,१४३ से प१७।१२७ १४७,१५० से १६१,१६६ से १६९,१७२, Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८६ १७३,१११२ से ६,१२११६ से २८, १५११, ५, ७,११,१२,१३, १५, १८, २१, २४,२७,३०,३३, ३६; १८११,१८,१६,३४, ३७; १६ १११, १६२२१४, १०, १५, २१, २३, २४, २७ से ३०, ३२:१६१३५; २०१२,३,५,६ उ २।१२; ३१२११,२१,४८,५५,६३,६७,७०,७३,१०६, ११८ सूर ( शूर ) ज ३११०३; ४|१४ सूरकंत ( सूरकान्त ) प १।२०१४ सूरकतमणिणिस्सिय (पुरकान्तमणिनिश्रित ) प १२६ सूरणकंद (सूरणकन्द, शूरणकंद) प १२४८२७ सूरत्थमण (सुरतरुयन ) ज २।१३४ सूरपणति ( गुरप्रज्ञप्ति ) ज ७ १०१ सूरपव्यय ( सुरपर्वत) ज ४२१२ सूरख्पमा ( सूरप्रभा ) सू १८१२४ सूरमंडल ( सूरमण्डल) ज ७१२ से १६,१७७ सूरलेस्सा (सूरलेखा ) सू १६३३, ४ सूरवस (सूरावतंसक ) सू १८/२४ सुरवर ( सुरवर ) सू १९३५ सूरवरोभास ( सूरवरावभास) सू १९१३५,३६ सूरवल्ली (गुरवल्ली ) प १४० ३ सुरविमरण (सुरविमान ) प ४।१८३ से १८८ ज ७।१७३,१७४,१७६,१८६,१६० सू १८१, ८,१०,१४,२३,३० सूरसेण (शूरसेन ) प १६३३५ सूरादेवीकूड (मुरादेवीकूट) ज ४१४४ सूराभिमु (गुराभिमुख ) उ ३३५० सूरिय (सूर्य) २४८ से ५१,६३ ज २।१३१; ७१.१३,२० से ३१,३५ से ३६,५४,५८,६६, १०१,१५६ से १६८, १८०,१८१,१६७ चं २१२, ५ सू ११६१२, ५, ११११,१२,१४,१६ मे २४,२७,२११ से ३, ३१,२,४३१, २, ४, ७, ६, १०५।१६।१ ; ७११; ८।१९।१ से ३,१०।६३ मे ७४,१३२,१३४,१७१,१५।१.३ : १७ १; १८१२,३,१८,१६,३७,१६४१, ५२, १६ ११, सूर-सेणावइ १५१२,१६,२११६, १६१२२/२३, २६, २०१११७ उ ५/४१ सूरियगत ( सूर्यगत) सू ११६ सूरियपडिहि (सूर्य प्रतिधि ) सु ९1३ सूरियाभ (सुभि ) ज ५३५५ उ ३७, ६० से ६२, १५६५।२३ सूरियाभगम (सुभगम ) ज ५१४० सूरियावत्त (सूर्याज ४२६०१२ सू५११ सुरियावरण (सूर्या) ज ४२६०।२५।१ सूरुग्गमण (मुरोद्गम ) २११३४ सुरोद (सुरोद ) गु १६१३५ सूल ( शूल) ज ३1३१, १७८ सूलपाणि ( शूलपाणि) प २१५१ ज २२६१:५३४८, ६० सुसर ( सुस्वर ) ज २।१६; ५ २२,२६ सुसरणाम (सुस्वरनामन् ) प २३१३८,१२५ सुसरणिःघोष (सुस्वरनिर्घोष ) ज २११६ सूसरा ( सुस्वरा) उ३।७,६१ से (दे० ) प १1१० उ १११५; ३।३३ सेउ (सेतु) ज २।१२ सेज्जंस ( श्रेयांस) ज २७६ सु १०।२४११ सेज्जभंड ( गय्याभाण्ड ) उ ३।५१।१ सेज्जा ( शय्या) प ३६।६१ उ ३३६६४।२१ सेट्ठि (श्रेष्ठिन ) प १६ ४१ ज २२५; ३६,१०, ७७,८६,१७८, १८६, १८८, २०६२१०,२१६, २१६,२२१,२२२ उ १६२३।११,१३,१०१ सेडिय (दे० ) प ११४२११ सेडी (३० ) प १।७६ लोमपक्षी विशेष सेठ (णि) २३१:१२१८,१२,१६,२७,३१, ३२,३६ से ३८,२१।६३ ज २।१३३,२२०; ४११७२,२००,५१३२,६।६।१,१५ गठित (सेनक पृष्ठसंस्थित) मू४।३ सेणा ( सेना ) ज ३३१५.१७,२१,३१,३४,७७,७८, ८८,१०६,१५६,१७३, १७५,१७७, १८0, १६६ उ ११२३, १२७, १२८५११८ सेणा ( सेनापति ) प १६।४१ ज २११५;३१६, Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेणावइरयण-सेस १०८७ १०,७६ से ७८,८० से ६१,१०६ मे १११, १२८ १२८,१२६.१५१ से १५७,१७०,१७८,१८६, सेयणगसंठित (सेचनकर्म स्थित) गु ४।३ १५८,२०६,२१०,२१६.२१६.२२१,२२२ सेयणय (सेचनक) उ १६६ से १६,१०३,१११, उ ११६२,३।११,१००५१० सेणावइयण (सेना विर) ३५१७८,१८६, सेयता (श्वेततः) सू ४१ १८८,२०६,२१०,२१६२२०.२२६५।१६। सेयबंधुजीवय (श्वेत बन्धुजीवक) प १७।१२८ सेणारयणत (ना ) ५ २०१५८ सेयमाल (श्वेतमाल) ज २१८ सेणादच्च (। त्य) : २।३०,३१,४१,४६ सेयविया (श्वेतविका) प ११६३१६ १४: ; ३1१८५,२०६२२१५११८५०१० सेया (श्वेततः) चं ६ भू ११६११ सेणि (श्रेणि) :- ३.१२,१३,२८,२९,४१,४२,४६, सेयाल (एतकाल) प २८१२२,३४,३६,६८ ५.०,५८,५६,६६,६७,४,७५,१४७,१४८, सेयासोय (श्वेताशोक) प १७१२८ १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०३.२१६, सेरियय (मैरे क) प ११३८११ २१६,२२१ सेरिया (सेरिका) ज २११०ः४।१६६ सेषिय (णि) ११०,१२,२६१ ३२,३४, सेरुतालवण (सेहतालवन) ज २१६ ३६ ४४,४३ से ४६,५७,५८,६१,३२,६५, सेल (शैल) प २११:१११२५ ६६,६८,७२ ७३,८२,८३,८६ से ६२,६५, सेलसिहर (शैव शिखर) ज २१८८ १६.१०३,१०६ से ११४,१४५,२६५,१७,२२, सेलु (शेलु) प ११३५११ ३१४,२१,२४,८६,१५५,१६८,४६४ सेलेसि (शैलेशी) प ३६१९२ सेण्ण (संख्य) ज ३।१५.२१,३१,३४,७७,७८,६१, सेलेसिपडिवण्णग (शैलेशीप्रतिपन्नक) प १११३६%3 ६५,१५६,१७३,१८५,१६६ २२१८ सेण्हा (श्लदण) १३५।३ सेल्लार (दे० कुन्तकार) प ११६७ भाला बनाने सेत (श्वेत): २४७१३,२१६४ ज ३११२,८८ वाला सेत (थे ) १०१८४४१ सेवणा (सेवना) ५१५१०१११३ सेक्सप्प ( प) १२० सेवाल (शवाल) प १३८१२,११४६,११४८११, सेय (श्वे) १४६१।१६,३८, ३.१८,३१. १६२ ज २०१० ३५,६३,१८२ ; ४१०.८१,११५,१२१ १२५. सेवालभक्खि (शवालभक्षिन) उ ३५० सेस (शेष) ५१।१०११११२१३२,३४,३६ से ४०, ५१ से ५४,५८,६०,६२,३।१८२,५१६४, सेवा ). १६४ १५२,१५४,२०५,२४४,६८१,८३,८४; सेय (य ): ३ १३:३८१ १२२११ १०।१४।६,१२१३८,१३।१५ से १८:१५।१८, उ ११. १४,६६.८६७६,६,१७,११६) १६,३४,७५,८२१७४२३,२५,२७,२६,३४, ३४८,५०,५५.१०६,११८ ३५,२०१८,५६,६०; २२१४५,५५,८०; सेयंकर ( २०१८,२०१८ २३१५६,१५६,१५६,१६३,१६१,१६३,१६६; सेयंस ( 1) ज ७:१४१ २४/८,६; २५।४:२८।२६,३८,८६,७४,१०१, सेपदणीर (बेशकीर १२८ १२३,१४५, ३०।१४:३२६।१:३४१२२ से मेया (सेचनक) १६६.१०२ से ११६.१२७; २४;३५१॥२,३६।३३,६७ से ६६,७१,७३ Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८८ ज ११४६ : २१५२, ८८, १६१ ३११५०, १५३, १५७,१६१,१८३; ४१३७,४१,५३,७०,९३, १०६,१४१,१४७,१५३,१५५,१५६,१६५, १७२,१७७, १८४, १८५,१६७ से १६१,२०३; ५१८,५१७११३५३१ सू ८ । १ ९ ३; १०१२५, १५२ से १६१,११।२ से ६:१२११६ से २८; १८१२४; १६।२२।२२१२४६ २६,२२; ३१७,४१२२,२८,५११६,४५ सेस (शेषक) २३।११० सेवई ( शेपनती) ज ५ ६ १ सेसि ( दोषित) ज ७।१४६ सेह (दे० ) प १।७९ सोइंदिय ( श्रोत्रेन्द्रिय) प १५१, २, ७, ८, ११ से १८, ४०; १५।५८ से ६७,६६,७०, १३३,१३४; २६/७१ उ ३।३३ सोइंदियत्त (श्रोत्रेन्द्रियत्व ) प २६१-४३४/२० सोइंदियपरिणाम ( श्रोत्रेन्द्रियपरिणाम ) प १३१४ सोंड (शौण्ड ) ज ७ १७८ सोंडमगर ( शौण्डमकर ) प ११५६ सोंडा ( शुण्डा) उ ११६७ सोक्ख ( सौख्य ) प २।६४।१४,१८.२२ सोक्खुपाय ( सौख्योत्पाद) सू २०१६/६ सोग (शांक) २३।३६,७७.१४५ ज २।१५,७०; ३।१०५ सोगंधिय ( सौगन्धिक) २ ११२०१४, ११४८६२४४ ज ३।१०; ४३३,२५; ५।५ सोच्चा ( श्रुत्वा ) ज ३१६ उ १।२१:३।१३; ४।१४:५१२० सोणि ( श्रोणि) ज २१५ सोणिय ( शोणित ) प १८४ ज ३३६ उ ११५६, ६१,६२,८४,८६ ८७ सोणीक ( श्रोणिक) ज ३ । १०६ १ सोत ( श्रोत्र ) प १५ ७७ सोत्तिय ( शौनिक ) प ११४६ सोत्तिय ( सौत्रिक ) प १६६ सेसय सोमणस्सिय सोत्थिय ( स्वस्तिक ) प २६४ ज २।१५;३३, ३२,१७८४१२८५३२ २०१८, २०१६१६ सोत्थियसाय (स्वस्तिकशाक ) प ११४४२ सोदामिणी ( सौदामिनी) ज ५११२ / सोभ (शुभ) सोभति ज ७१ सोभते ज २ १५; _३।२४।३,३७११,४५३१,१३११३ सोभि ज ७१ सोभितिज ७ । १ सू १६।१ सोर्भेति सू १६।१ सोनु सु १६ १ सोभंत ( शोभमान) ज २११५. सोभग्ग (सौभाग्य) ज ५३६८,७० सोभण ( शोभन ) ज ३।२०६ सोभमाण ( शोभमान) ज ३।२४।३,३७११,४५१, १०६,१३११३ सोभयंत ( शोभमान) ज ७ १७८ सोभा (शोभा) ज ७१ सोभावंत ( शोभयमान) ज ३११७८ सोभिय ( शोभित ) ज ३।३५,२२१७।१७८ सोमेंत ( शोभमान) ज ३।१७८ सोम (सोम) ज ४ २०३७ १३०, १८६१२ सू २०१८, २०१८१२ उ ३१५१,१५१,१५२ सोम (सौम्य ) ज २।१५ सू २०१४ उ ५ ५,२२ सोमंगलक (सौमङ्गलक ) प ११४६ सोम (काइय) (सोकायिक) ज १।३१ सोमणस ( सौमनस) ज ४।२०३, २०४११,२०५, २०८, २१५५४६१३,५५ ७१११७ २ सू १०८६।२ सोमणसवक्वार ( सौमनसदक्षस्कार ) ज ४।२०५ सोमणसवण ( सौमनसवन) ज ४।२१४,२४०, २४१,२४३ सोमणसा (सौमनस्या) ज ४ । १५७।१; ७११२०११ सू १०१६८११ सोमणस्य (सौमन स्थित, सोमनस्थिक) ज ३।५, ६, ८, १५, १६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१, १०७,११४,१४२, १६५,१७३, १८१,१८, १९६,२१३४ २०३५ २१,२७ उ ११२१, ४२; ३।१२६ Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोमदंसण-हंभो १०८६ सोवस्थिय (सौवस्तिक) ज ४।२१०११,५३२ सू २०१८,२०१८६ सोवाण (सोपान) ज ३११६५,२०४ से २०६, २१४ से २१६:४१४,५,२६,२७,८६,११८, १२८,१४४,२४६:५१३०,४१,४२ सोस (शोष) ज २१४३ सोहंत (शोभमान) प २१ सोहग (सौभाग्य) प ३४१२० ज २१६५;३।१८६, सोमदंसण (सौम्यदर्शन) ज २१६८ सोमदेवया (सोमदेवता) सू१०१८३ सोमया (सोमता) ज ३३ सोमरूव (सौम्य रूप) उ ५२२ सोमा (सोमा) उ ३.१२६ से १३१,१३४ से १४४, १४७,१४८,१५० सोमाण (सोवान) ज ५१४१,४२,४४,४५ सोमिल (सोमिल) उ ३।२८ से ३२,३५ से ४५, ४७,४८,५० से ६५,६७ से ८३ सोय (श्रोतस) ज २११३४ सोय (शोक) उ ११२३,९१,९३ सोयमाण (शोचत) ७११६२ सोयविष्णाणावरण (अंत्रविज्ञानावरण) य २३।१३ सोयामणी (सौदामिनी) ज ३१३५ सोयावरण (श्रोत्रावर.पा) प २३११३ सोरिक (सौरिक) प ११६३।२ सोल (पोडश) प १०११४।४ से ६ ज ४.१४२ सोल (षोडशन् ) सू १९३१६ सोलस (पोडशन्) प २।२५ ज १७ मू १११४ उ ३३१२,१२६,५१० सोलसअंगुलजंघाक (पोडशांगुलजङ्घाक) ___ ज ३११०६ सोलसग (षोडशक) प २१२७११,२ सोलसम (घोडश) सू १२११७ मोलसमंडलचारि (पोडशमण्डलचारिन्) सू १३१५ सोलसविह (षोडशविध) प ११।८६,२३।३५ सोला (षोडशन्) सू १९१६ सोल्ल (दे० चक्य) उ ११३४,४०,४६,७४ सोल्लिय (दे० पक्व) उ ३१५० सोवक्कमाउय (सोगमायुष्क) १६११५,११६ सोचिय (सोपचित) ज २१७१ सोवच्छिय (सौवस्तिक) प ११५० मोवणिय (सौवणिक) ज ३११३५,२०६:४११३; सोहम्म (सौधर्म) प १११३५, २६४६ से ५२,५८, ६३,३।२६,१८३,४।२१३ से २२४;६।५६,६५, ८५,६५,१११:१०१२,३,१५१८७;२०१६१; २११६१,७०,६०,२८७५,३०।२६,३४११६, १८ ज ५।१८,२४,२५,४४ उ २।१२,२२, ३।६०,१२०,१५६,१६१:४१५,२४,२८,५१४१ सोहम्मकाप (सौधर्मकल्प) प६।२७ सोहम्मकल्पवइ (सौधर्मकल्पपति) ज ५।२६ सोहम्मकप्पवासि (सौधर्मकल्पवासिन) ज १९० ५।१६,२६,४३ सोहम्मग (सौधर्मज) प २१५०,५१,७८,१५१६, १०८,११२,१२५,२०।४६,३३११६,२४ ज १४६ सोहम्मगकप्पवासि (सौधर्मककल्पवासिन) ५ २१५० सोहम्मवडेंसय (सौधर्मावतंसक) प २१५६ सोहम्मव.सय (सौधर्मावतंसक) प २१५०,५४ ज ५१८ सोहा (शोभा) ज ३१६,२२२ सोहिय (शोभित) ज २२१२ हंत (हन्त) ज २२२४.२७,२६,३४ से ३७,४१,६४, ६६४१२७३,५४६८ से ७०७३६,३७,१०१ हंता (हन्त) ५ ११११,१५१४३:१७।१६६,२०११०, २२,२८३ उ ५५३२ हंदि (दे०) ज ३।२४।११,३१११,५।२७,७२,७३ हंभो (दे०) उ१।११५,११६, ३१५८,६०,३६,७६ Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० हंस ( हंस ) प ११२० १४, ७९ ज २११२, १५ उ५१५ हंसगम्भ ( हंसगर्भ ) ज ५५ हंसण ( हंसलक्षण ) जराEE हंसस्सर ( हंसस्वर ) ज २।१६; ५/५२ हक्कार ( हाकार ) ज २१६० √ हक्कार ( आ + कारय् ) हक्कारेंति ज५।५७ हट्ठ ( हृप्ट ) ज २४, १४६, ३।५, ६, ८, १३, १५, १६, २६,३१,४२, ५०, ५२, ५३, ५६,६१,६२,६७, ६६,७०,७५,८४,६१,१००, ११४, १३७, १४१, १४२,१४८,१५०,१६५.१६६,१७३, १८१, १८६,१६२,१६६,२०८, २१३५१५, १५, २१, २३, २७ से २६,४१,५५,५७,७० १ २१, ४२,४५,१०८,३।१३,१०१, १०३, ११३,१३४, १३६,१४७,१६०, ४।११,१४, २०:५।१५,३८ हडप्पाह ( 'हडप्प' ग्राह) ज ३ । १७८ हढ ( हठ ) प १४६, ११४८१६, ११६२ हणमाण (घ्नत्) ३११३० हणुगा (हनुका) ज२११५ हत्थ (हस्त ) प २३०, ३१, ४१, ४१ ज २२६५ ; ३१६,२४१४,३७१२, ४५१२, १०६, १३११४, १८६, २०४५।२१३७ १२८,१२६११,१३३।२,१३६, १४०,१४,१६४ सू १०१२ से ६,१६,२३, ४६,६२,७१,७५,८३,१११,१२०,१३१,१३२, १५६; १२१२४ उ ११८८८६ ३१५१,५६,६८; ४।२१ से २३ हत्थग ( हस्तक ) ज ४ ३०५१५ हत्थाय ( हस्तगत ) ज ३३६,२१,३४, ८५ से ८७ ५८ से ११,५७ हस्थसंठिय] ( हस्तसंस्थित ) सू १०/४६ हरिथ ( हस्तिन ) प १२६५१११२१ ज २।३५, ६५,३३३१,६८,१६७,१७८ ; ५५७ उ १३१२१, १३१५/१८ हस्थिबंध ( हरितस्कन्ध ) ज ३१८,७८, १३, १८०, २१२,२१३ हत्यिणपुर ( हस्तिनापुर ) उ३।१७१ हरियणाउर ( हस्तिनापुर ) उ३।७१ हंस-हरिकं तदीव हत्थिणिया ( हस्तिनिका ) प १११२३ हत्थितावस ( हस्तितापस ) ३३१५० हत्थमुह ( हस्तिमुख ) प १८६ हत्थिरयण ( हस्तिरल) ज ३१५, १७,२०,३१,३३, ५४,६३,७१,७७, ६१, १२, १४३, १५१,१६६. १७३, १७५, १७७,१७८, १८२,१८३,१८६, १६६, २०२, २०४, २१४, २१७, २२० उ १।१२३० १३१ हत्थिरयणत्त (हरितरत्नल ) प २०१५.६ हरिथसोंड ( हस्तिशीण्ड ) प ११५० हृदमाण ( हदमान ) उ३।१३० हम्ममाण ( हन्यमान) उ १११३० हम्मिय (हम्यं ) ज २२० हम्मियतलसंटित (हयंतलसंस्थित) सु४१२ हय ( हय ) प २(३०, ४१ ज २२६५, ३१३, १५, १७, २१,२२,३१,३४,३६,७७, ७८,६१,१०८ से १११,१७३, १७५, १७७,१८५, १८७, १६६, २०६,२१८१।१२३, १३८५११,७,१८ हय ( हत ) ज २१६० से ६२: ३।२२१७ १८४ उ ११२२, १४०, ३११२३,१२६ कण्ण ( हा कर्ण ) प १८६ यच्छाया ( यच्छाया ) प १६१४७ हयपोसण ( हयपोषण ) ज ३१३ ह्यरूवधारि (हयरूपधारिन्) ज ७ १७८ हयलाला (लाला) ज ३१२११;५/५८ यति (पति) ज ३।१२६१२ हयहेसिया ( यहेसिन ) ज ३१३१; ५।५७; ७ । १७८ हर (ह) हरेज्जा ज २६ हरओ ( हरतस् ) ज ४३१४० हरडय ( हरीतक ) प १।३५।२ हरतणय ( हरतनु ) प ११२३, १४८१६ हरि ( हरित् ) ज ३।३५,४१८४,६०,६।२१ सू २०१८, २०१८१४ हरिकंत (हरिकान्त ) प २२४०६ हरिकंतदीव ( हरिकान्नगी।) ज ४।७६ Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हरिकंतप्पवाय कुंड - हालिद्दय हरित वायकुंड (हरिकान्तापातकुण्ड ) ज ४।७५, हलीमुह (हलीमुख) ज ३ | ३५ हलीसागर (हलीसागर ) प १०५० ७६,७७ √ हव (भू) हवइ प २४७ २३६४६४ हरिकंता (हरिकान्ता ) ज ४।७३ से ७५,७७,७८, ८४,६०,२६२,२६८,६३२१ हरिकताकूड (हरिकान्ता कूट) ज ४७६ हरिकूड ( हरिकूट ) ज ४।६६,२१०।१ हरिगमसि (हरिर्नंगमेपिन् ) ज ५१२२,२३,४ε हरितग ( हरितक ) प १४४|१ ज ७।१३२१४,१७७१३ सू १६२२६ हति प ११३८१३, ११४८ ५८ ५६ ज ७ १७८ १,२ चं ३१३ सु १।७।३; १२।७१,१६३१।१, १६२२८,२१ हवति प १।३७ ३ ३५ | १११ ; ३६।६४ हवेज्ज प २२६४१४ हवेज्जा ५२१६४११६ हरिता (हरितक) ज २।१४४,१४५ हरिमेला (हरिमेला) ज ३११७८७ १७८ हरिय (हरित ) प १।२४।१ ज ३१२४ उ ३३५१,५३ हरियग (हरितक) उ ३०४६ हरिया (हरितक ) प १।३३११, ११४४ ज २ १४५, १४६ हरियाल (हरिताल ) प १।२०१२१७११२७ ज ३१११ हरियाल गुलिया ( हरितालगुलिका ) प १७।१२७ हरियालभेद ( हरितालभेद ) प १७।१२७ हरियालिया (हरितालिका) ज ५।१३ हरिवास (हरिवर्ष ) प १८७१६।३०१७ १६४ ज २६,४१६२,७७,८१ से ८६,१०२,२६५; ६६,२१ हरिवासकूड (हरिकूट ) ज ४७६, ६६ हरिस (हर्प ) प २२० से २७ ज ३३५,६,८,१५, १२,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, १४२,१६५, १७३, १८१, १८६, १६६, २१३, ५२१ २७,४१३ १।२१,४२,७१, ७२३ । १३१; ५।२२ हरिसह (हरिसह ) २२४० १७ ज ४११६२१, १६५, २१० हरि सहकूड ( हरिसहकूट) ज ४ १६५, २३६ हलउलेमाण (दे०) ३।११४ हलधरवसण ( हलधरसन ) प १७१२४ हलिपत्त (हरिद्रापत्र ) प १ ५१ हलिहा ( हरिद्रा ) प ११४८/२ हलिद्दी (हरिद्रा ) ज ३१११६ हलिमच्छ ( हलिमत्स्य ) प ११५६ हल्व (अर्वाच् ) प ३६।८१ ११२२,७०,८०, १०७, १०८,११५ से ११७,११६,१२७,१२८ ( हव्य ) ज २६, २४,३४,३५,३७,३।१०७, ११४७/२० से २५,७६,८२, २०२,२०४, २०६ सू २३; २०१७ ह १०६१ V हस (हस् ) हसति ज २१७ हसंत ( हसत् ) ज ३।१७८ हसमाण ( हसत् ) उ ३११३० हसित ( हसित) सू २०७ हसिय ( हसित ) प २१४१ ज २१५,३११३८ हस ( ह्रस्व ) प २६४|४; १३१२३ हस्ततर (हस्त्रतर ) ज ४|५४ हाण (मल्लिप्राण) ज ३।१०६ हायमाणय ( हीयमानक) प ३३१३५ हार ( हार ) १ २ ३०,३१,४१,४६,६४ ज ३६, ६, १८,२६,३५,६३,१८०,२११,२२२, ४/२३, ३८, ६५.७३, ६०, ६१; ५।२१,३८,६७ १६,१०२ से ११७,११६ हारितग ( हारितक) ज ३।११६ हारोस (दे० हारोष ) प ११८६ हालाहल ( हालाहल ) प १।५० हालिद्द ( हारिद्र ) प १२४ से ६३५१५, ७, २०५; ११ ५३; २३११०२,२८/२६,३२,६६ ज ४२६ सू २०१२ हालिगुलिया (हारिद्रगुलिका ) प १७।१२७ हालिद्दमत्तिया ( हारिद्रमृत्तिका ) प १११६ हालय (हारिद्रक ) प १७ १२६ Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ हालिवण्णाभ (हारिद्रवर्णाभ) सू २०१२ हात्ति (हारिद्रसुत्रक) प १७ ११९ हालिद्दा (हरिद्रा ) ११७ १२७ हालिद्दाभेद (हरिद्राभेद ) प १७११२७ हास ( हास ) प २४१, २२४७ ३; १११३४११ ; २३१३६,७६,१४४ ज २२६६,७० हासकार (हासकारक ) ज ३।१७८ हासपिस्सिया (हासनिश्रिता ) प ११।३४ हासरइ ( हासरति ) प २२४७३ हासा (हासा) ज ५।११११ हाहाभूय (हाहाभूत) ज २।१३१,१३६ हिंगुरुक्ख ( हिंगुरूक्ष ) प ११४३१२ हिंगुल ( हिंगुलक ) प १।२०१२ ज ३।११ हिंगुलुग ( हिंगुलुक) ज ३।३५ हिट्टिम (अधस्तन ) प २।२७।१ हिट्ठ (अधस् ) प २२४ से २७ रू १८१२,३; १६२२११७ हिटि (अधस् ) ज ७ १६८१ हिट्ठिल ( अधस्तन ) ज ७ । १७५ हिलिग (अधस्तन ) ज ७।१७५ हिल्लि (अवरतन ) सू १८/७ हितकर ( हितकर ) ज ३१८८ ह्रिदय (हृदय) ज ३|१३८ हिमय (हिमक) १२३ हिमवंत (हिमवत्) ज ११२६, ३१२,३५,४।१७७ ३१ १०,२६,६६, ५1११ हिमकूड (हिमकूट) ज ४।२३६ हिमसीतल (हिमशीतल) सू २०१२ हिप (हित) ज २६४,७१३१८८५।२६ हिसर (हृदयेश्वर) ज ३११२६।३ हियकर ( हितकर ) ज ३ । १६७ ferntra ( हितकारक ) ज ५१५, ४६ हिय (हृदय) ज ३५,६,८,१५,१६,३१,३५, ५३,६२,७०,७७,८४,२१,१००, ११४, १४२, १६५,१७३, १८१,१८५, १६, १८६१६६, २१३:५।२१,२७,४१,५८ गु २०६१ हालिद्दवण्णाभ हु उ १।२१, ४२; ३।१३१ हियगमणिज्ज (हृद गमनीय ) ज २२६४, ३।१८५, २०६३५३५८ हिपल्हाणिज्ज (हृदयप्रह्लादनीय) ज २२६४ ३११८५, २०६५१८ हिययमाला (हृदयमाला) ज २२६५, ३११८६, २०४ हिययसूल ( हृदयशूल ) ज २१४३ हिरण्ण (हिरण्य) ज २१२४,६४,६६,४१२७३; ५।६० से ७० हिरण्णवय (हैरण्यवत ) १८७ हिरण्णवास (हिरण्यवास ) अ ३।१८४३५१५७ हिरण्णविहि (हिरण्यविधि) ज ५५७ हिरि (ही) ज ४६४; ५१११।१ उ ४१२/१ हिरिकूड ( ह्रीकूट ) ज ४ उ हिरिसिरिधकित्तिधारक (ह्रीश्रीश्रीकीर्तिधारक ) ज ३११२६।१ हिरिसिरिपरिवज्जिय ( ह्रीश्रीपरिवजन ) ज ३।२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ हिलियमाण (अभिलीयमान ) ज ३।१०६ हिल्लिय (दे० ) प ११५० हीण ( हीन) २२६४ ४, ५५, १०, २०, ३०,३२, १०२. १२६,१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४,२२८ होणपुण्णचाउद्दस ( हीनपुर चातुर्दश) ज ३२६, ३६,४७, १०७, ११४,१२२,१२४,१३३ हीणपुण्णचाउसिय ( हीनपुर : चतुर्दशिक ) १८६, ११५,११६ हीणस्सरता (हीनस्वरता ) प २३२० होनस्तर ( हीनरवर ) ज २११३३ हीर (हीर ) प ११४८।२० से २६ हीरमाण (ह्रियमाण ) ज ७।३१, ३३ सू ४ ४, ७ √ हील (हेलय् ) हीति उ ३।११७ होलिज्माण (हेल्यमान ) ३३१११८ √हु (भू) तिज १ १७,४।१४२११७।१३४।१,४; १७२ १ चं ४३ सु ११८१३,१६१२२२४,५,१५, Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हुंड-होरभा १०६३ २०,२३,२७,३१ हुंड (हुण्ड) प १५।१८,३०,३५,२११२५ से ३३, ३५ से ३७,५८,५६, २३।४६ हुंबउट (दे०) उ ३१५० हुडुक्क (हुडुक्क) ज ३।२०६ । हुण (हु) हुणड उ ३.५१ हुत (हुत) उ ३।४८,५० हुतवह (हुतवह) ज ३।१०६ हुयवह (हुतवह) ज २१३१ हुहुय (हुहुक) ज २१४ हुहुयंग (हुहुकाङ्ग) ज २१४ हूण (हूण) प ११८६ हेउ (हेतु) प १११०१।५ उ ३६ हेट्ठ (अधम् ) प २।२१ से २३,३० से ३६,४१ से ४३,४६,१२१३२३६१६१ ज ३११८३, ४११३४ हेट्ठा (अधस्) सू १२।३०; १७।१२०१६ हेट्ठिम (अधस्तन) १ २१६२।१; ३३१६ हेटिठमउरिम (अधस्तन उपरितन) प २८1८६ हेटिठमउवरिमगेवेज्जग (अधस्तन उपरितनग्नवयक) प १११३७,४१२७३ से २७५, ७।२२ हेमिग (अधस्तन) ज ७:१३६।१ हेटिठमगेवेज्ज (अधस्तनग्न वेय) प ६३६ हेटिठमगेवेज्जग (अधस्तन वेयक) ५ रा६० से ६२,३।१८३,६५६ हेछिममज्झिम (अधस्तनमध्यम) प ४१२७१; २८1८८ हेठिममज्झिमगेवेज्जग (अधस्तनमध्यम वेय.) ___ ११३७ ; ४१२७०,२७२,७१ हेटिठमहेमि (अधस्तनाधल्तन) प ८१२६८,२६६ हेटिठमहेटिठमगज्जग (अधस्तनाधस्तन बरक) प ११३७,४।२६७,७१२०,२८८७ हेटिठल्ल (अधस्तन) प १६६३४२११९०:३३।१६, १७ ज २११३, ४१२५३,२५४,२५७,७१७४, २५५ सू १८१ हेतु (हेतु) ३०।२५,२६ सू १११४,१६,२१,२४, २७,२।३,४१४,७, ६११ हेम (हेम) प २१५० ज ४१६१:५११८ हेमंत (हमन्त) ज २०७०,८८,७४१६० रा १६३ सू ८।११०१६७ से ७०,१२११४ उ १२५ हेमंती (हेमन्ती) सू १२।२४ से २८ हेमंतीय (हैभन्तीक) स १२१८ हेमजाल (हेमजाल) ज ३१४७ हेमव (हेगवन्) ७.११४११ सू१०।१२४१२ हेमवय (हैमवत) ११८७, १६।३०।१७।१६३ ज ३११७५,४१,४२,५३,५५,५६,५७.६१,६२, ७१,७६,१०२,२३८,२७१६९,२० हेमवयकूड (मतकूट) ४१४८,७६ हेमाभ (हेमाम) उ १।२६,१४० हेरगणवय (हरण्यवत) १६३० ४११०२, २६४।१,२६८,२७१ से २७४,६१६,२० हेरण्णवयकूड (हैरण्य-कूट) ज ४२६६,२७५ हो (भू) हाइ ११४८१५२,१८१ से १०,१२ से ३७,३६,४१ से १.१,५४ से ५६,६१६०, ६२ से ११४,११६,११७,११६,१२०.१२२, १२३,१२५ से १२७११६७।४,८,३१६, ११६४।१४२१२७११२११,१८२१२, १५११२,१७७।१,२ सु १६।२२६६,७,१७,२८, २६;२०१८1८ उ ४।०१ हाई १ १५१०११८ २।२७१ होउ उ ११६३राह हानि ११४७२,११४८१४७,४६,१।७५७, ६१।१२।२७१३,२१४०१८ से ११ २०६४।६; २।२५ ज १११६:४११५.११२,७४११३।१, १७२१ सू१०।१२।२,५,२०८।३,२०१६ उ रा२२ होज । २१०।२८१०६ होज्जा ११६.१०,११,१३,१५,९१,१७११२२२१२३ २४१४,५,८,११,१२,२५१५२६।४,६,६,१०, २७३ हादिप ११४३१२,१।४।२६,५०; २१४०।१,२१६४।६,१०११४१११२।२२११ १८।१०२,१८१५६ ४ ७1१1१७२११, सुहा२११६ हान्था १२:२१६६ चं६ गू११ उ १।१२।४।६।६४।८।४ होतए (तिम्) 3 ८२२ । होत्तिय (हानिक ५११४२११३ ३१५०... होमाण (भवत्) ५ १७१११२,११३ होरंभा (होरम्भा) ज ३।३१ Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुध्दि पत्र १४२ १५४ 9 १७४ १६६ १७६ १८० अशुद्ध पण्णवणा संठाओ कोलोभामा परमममुह अभिः गब्भक्कं० बण्णादि देवेहतो सोतोसिणा पडूच्च परिमंडलस्य ओसपप्पि पडुप्पणं वाणमंतरणं एणणं पुविक्क० पुच्छए बधेलग० जस्सस्थि बा ०सरीकाय ०मीससरीर० आहाग. मीसारीर० पुरिस होज्चा ur . x x ० ० ० 91 Wo ० ० ० ० ० ० or or ० ० ० / १८२ संठाणओ कालोभासा परमभसुह आभि० गब्भवक्कं० वण्णादि ० देवेहितो सीतोसिणा पडुच्च परिमंडलस्स ओसप्पि पडुप्पण वाणमंतराणं एणठेणं पुढविक्क० দ্যায় बधेल्लग जस्सत्थि वा सरीरकाय० ० मीसासरीर० आहारग० मीसासरीर० पुरिसे होज्जा २२६ Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६५ २३१ २३२ २४३ २५६ २५६ २८१ भवेतारूवे पोंडरीय इथिवेदे तिरिक्खजोणिय० गबभवक्क० छवि० जहा २८५ २८६ २६२ २६७ भवेतारुवे पोंडरिय० इत्थवेदे तिरिक्ख० गठभक्क० छहन्वि० जाव पण्णत्ते द सागरोव० सागारोव सरीरा सरीर० समुग्घया ० उवण्णगा जंबुद्दीव पह्मगोरे महावीस्स ३२४ ३४१ ३४१ ३४२ ३४३ सागरोवम सागारोव० सारीरा सारीर. समुग्घाया ०उववण्णगा ३५६ ३५६ ०पम्हगोरे महावीरस्स ३६६ ३७६ ०कुडे मत्तंगाणाणं मणम० वोवाह मत्तंगाणाम मणाम ur"० ०० mmmmmm SY वीवाह ना अंतिम ३६५ ३६६ ४०८ ४१२ ४१३ इणट्टे अज्झावसत्ता दूसमणाम अभिरमाणा निग्घोषणा मिसिमिस खिप्पमेव महाहिम खिप्पमेव ० इंदणी० अणुप्पबाए अटटारस वा इण? अज्झावसित्ता दूसमाणाम अभिरममाणा निग्घोसणा० मिसिमिसे खिप्पामेव महामहिम खिप्पामेव ०इंदणील० अणुप्रवाए अटठारस ४१४ AMRG WWी ४१५ ४२० Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ل ४२२ ४२२ ا २१ वासिणी पीइदाणं उस्सुक्क ار ا वासिण्णो पीइदिणं उस्स पुरंत पवयभि० णेयववो हरि० पुरेत س بل अन्तिम پر ४३६ पा०४ (म) ४४२ पा०२ पव्वयाभि० यम्बो हिरि० (म) अस्थमंतमेत्त (शा व पा) जं० संपट्ठियं तए णं सद्दावेत्ता ०पीठं फलिहा धूव० मपंद्वियं तणं २ सदधावेत्ता ४४५ ४४५ ४४५ ४६० ४६३ ४६३ ४६६ ४६८ ०पीढ़ धणु फहिलह धव० धण जंव विहफइ पणत्ताओ जंबू विहप्फई पण्णत्ताओ ५७० सुरपण्णत्ति जोयय० मुहुता oXWWW जोयण मुहुत्ता वावट्ठि समुद वराभरण विताए ०धूम बावट्टि ससुदं वराभण० विताए धुम० उवंगा मवंतीकरणेणं सवण्णीकरण (क) ०वंक० पुडिबुद्धा पाबयणं पारिया पा० ५ ७२३ ७३४ ७८० ७८१ १८४ सवण्णीकरण सवंतीकरणेणं (ग) ०वकं पडिबद्धा पावयणं परिया Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शब्दकोश कमांक स्थल अशुद्ध अंगपरियारिया * अगरुयलहुयपज्जव अट्ठावग्ण * अपज्जुवासणया अप अओज्झ (अंगप्रतिचारिका) अगच्छमाण ज २१६३ (अष्टपञ्चाशत् ) अधम्मस्थिकाय (अपर्युपासन) अप्पा (अल्पा) अप्पिण (आ+स्फोट्य) अिभंग अभंतरपुक्खरद्ध अब्भुक्ख ॥ अष्फोड अउज्झ (अंगपरिचारिका) अगक्छमाण ज २११६३ (अष्टपञ्चाशत) अधमथिकाय (अपर्युपासना) अप्प (अल्प) जवासा अप्पिण (आ+स्फोट्य) अभंग अब्भतरपुरक्खरद्ध अब्भुक्ख अब्भुट्ठ अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल) (आरारकशरीरक) (इच्छामनस) (निर्झरबहुल) (उत्तमपुरु) उत्पन्न (उपदर्शयितुभ) (ओधमेघ) ओलंग कक्खंत्तर (कछभी) अन्भुटु १७. १८, १६. २०. आगासथिग्गल आहारगसरीरय ভূমিকা उज्झरबहुल उत्तमपुरिस अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल') (आहारकशरीरक) (इच्छामनस्) (उज्झरबहुल) (उत्तमपुरुष) उप्पन्न (उपदर्शयितुम्) (ओघमेघ) ओलंब कक्खंतर (कच्छपी) उवदंसित्तए ओघमेघ २४. २६. २७. कच्छभी Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ २८. कलंबुया कल (कल) (कदम्बक) कहिचि कहिय कालहेसि (कालहेसिन्) (कौंम्भिक) (कलम) (कलम्बुका) कहिंचि कहिय ३१. कुंभिक्क Mr mmmmm mr mr r m कुमुदा गरह गवेस गा गाह गिण्ह गुणड्ढ़ चउपएसिय (कौम्भिक) (कुमुदा) गिरह ‘गवेस केगा गाह गिह गुणड्ढ -गेवेज्ज (चतुःप्रदेशिक) चिय चिय चिर इचि चित (क्षुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाच्छाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छेद गेवज्ज चातु प्रदेशिक चय चय चर ४३ ४४. XK चुल्लहिमवंत चित (चुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाछाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छायाछाया छिन्नसोय छेद ८ XCCCCC जटियायलय छेय (दे० जटिकायिलक) जा जाणियत्व जोयणसत्तपुहत्तिय (निवऱ्या) (निवृत्त) णिन्वाण (नरयिकासंजयायुष) (त्रपुसीमिजिका) ५६. ६०. णिवुड्ढत्ता णिवत्त (दे० जटिकायलक) जा जाणियव्व जोयणसतपुहत्तिय (निवृध्य) (निवृत्त) णिव्वाय (नेरयिकासंज्ञयायुष्क) (त्रपुसीमज्जिका) नीती जेरइयअसण्णिआउय तउसी मिजिया Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६ ६५. तिंडव (त्वष्टदेवता) (त्वष्ट) ६७. ६८. तंडव तदेवया (त्वष्ट्रदेवता) तठ्ठ (त्वष्ट्र) तित्तीस (प्रयस्त्रिशत्) ज० ४११८ तिरिक्खजोणियअसण्णिआउय (तिर्यगयोनिकासंज्ञयायुष) तिरियाज्य (तिर्यगायुष) दलयित्ता (दत्वा) दाऊण (दत्वा ) ६६. ७०. (तिर्यग्योनिकासंज्ञयायुप्क) (तिर्यगायुष्क) (दत्त्वा ) (दत्त्वा ) दु? ७३. ७४, ७५. दुरभि दुहट्ट देवअसण्णिाज्य पंचसतर पच्चोसक्कित्ता पडि सेहित्तए ७८. ८०. u r 9 9 9 9 9 9 9 9 9 90155555550 0 0 0 0 0 0 0 0 ८ पल्हायणिज्ज (दुरभि) (दुधाट्ट) (देवासंघ्यायुष्) पञ्जसप्तति प्रत्यवकष्क्य प्रतिषेध्दु (पद्म) २५१ परिणित्वा परियाण परिवय परिहा (प्रहृलदनीय) पिट्ठीय पुक्खलाई (पुष्पपटलक) पुस्वरत्त पूजित 'पेहण' मञ्जिका प्रौष्टपदी प्रोष्ठपदी प १३.१ से ३१ प१४१४७ ज० ३३६५५६ (भवोवपघातगति) प३२१२,........१०८ ज ५७ iਚਰਚn tia} (दुर्घट्ट) (देवासंघ्यायुष्क) पञ्चसप्तति प्रत्यवष्वक्य प्रतिषेद्धम् (पद्म) ४।२५१ परिणिव्वा परियाण पिरिचय अपरिहा (प्रहृलादनीय) पिट्टि पुक्खलावई (पुष्पपटलक) पुत्ररत्त पूजित पेहुणमज्जिका प्रोष्ठपदी प्रोष्ठपदी प १३।१ से १३,२१ से ३१ प०११४८४१ ज० ३१३,६,५५५ (भवोक्पपातगति) प ३३१२,१०८ जा५७ पुप्फपडलग पूइय पेहुणमिजिया पोट्ठवई पोवती १५. भणित भत्तिचित्त भवोववायगति भासम भूमिचवेउ मंहलवता ६७. Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०० १०१. १०२. १०३. १०४. १०५. माणवग मालवंतपरियाय मेहुणसण्णा रयण (वासा) रयणिय रिसह लोम ० १०७. १०८. वरदामतित्थाधिपति ० (माणवक) (माल्यवत्पर्याय) मथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रन्निक) (वृपभ) (लोमन) वरगंधघर (वरदामतीर्थधिपति) वालिघाण कपिथ्य (संवृत्त) सगोत सत्तण उत्ति सम्माणियदोहद सय (सिलीन्ध्र) (सुदर्लभ) स्यपुच्छ सुसमससमा बालुंक संवत्त ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११६. (मानवक) (माल्यवत्पर्याय) मैथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रलिक) (वृषभ) (लोमन्) वरगंधधर (वरदामतीर्थाधिपति) वालिधाम कपित्थ (संवर्त) सगोत्त सत्तणउति सम्माणियदोहल सिय (सिलीन्ध्र) (सुदुर्लभ) सुयपुच्छ सुसमसुसमा अट्टरूसग (अटरूषक) प२३७४४ एरावा (ऐरावत) प ११३७६४ प११४८1५० सिलिंध सुदुल्लह १२१ केहण णल (नड) १० ११४१।१ पोवलइ (दे०)" १९४८१३ वेणु (वेणु) प १४१४६ Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Fon Private & Personal use only