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________________ देवगतिय-देविंद देवगतिय ( देवगतिक ) प १३ । १५ देवगामि ( देवगामिन् ) ज १।२२, ५०; २२५८, १२३, १२८,१४८,१५१,१५७; ४।१०१ देवच्छंद (देवच्छंदक) ज ४२१६ देवच्छंद (देवच्छंदक ) ज १ ४ ० ४ १३६, १४७, २१६ देवजुइ ( देवद्युति) ज ३।२६,३६,४७, १२२, १२६, १३३ देवजुति ( देवद्युति) ज ५।४४ उ ३८५,१२२ देवज्जु ( देवद्युति) उ३।१२३ देवड्ढि ( देवद्धि) ज ३।२६,३६,४७,१२२,१३३ देवता ( देवता ) चं ५१२ सू १६२ देवत्त (देवत्व ) प १५/६६ से १०१, १०४ से १०६, १०८,११२,११४ से ११७,११६ से १२३, १२५,१२७ से १२६,१३१,१३२,१४३, उ २११२,३।१५०,१६१५।२८,४१ देवदारु (देवदारु ) प ११४०२ देवदाली (देवदाली ) प १।३६१२,१७११३० देवदालिपुप्फ (देवदालीपुष्प ) प १७।१३० dagegen (क) ज ५।५७ देवदूत (देवदूष्य ) ज २२६५, १००, २११, ५।५८ उ ३।१४,८३,१२०,१६१; ४/२४ देवपव्य ( देवपर्वत) ज ४१२१२ देवमs ( देवमति ) ज ३।१०६ देव (देवता) प ४८ ज ७ १२७११,१६७१ देवय ( दैवत ) ज २२६७,३८१ सू १८१२३, उ १११७,७२,८८,६२,५।३६ देवा (देवता) ३१३२,१०४, १०५ : ४।५३, १०६,२०४,२१०७/३० सू १०७८ से ५३ देवराय ( देवराज ) प २३५० से ५६ ज १३१; २१८६ से ९३,६५,६७,६६, १०१, १०३, १०५, १०७,१०,१११, ११३, ११४,११७ से ११६, १८६,२१७, ४२२१५।१८२० से २३,२६ से २६,३६ से ४१,४३ से ४८,५४,५६,६०, ६१,६२,६५ से ६८, ७१ से ७३३।१२२, Jain Education International ६५१ १५० देवलोग ( देवलोक ) प २०१६१ ज २२४६, १५६; ३।१ उ २।१३,३।१८,८६,१२५, १५२,१६५; ४।२६;५।३०,४३ देवलोय ( देवलोक ) ज २।४६ उ५१४ देवसंघाय ( देवसंघात ) ज ७ १७६ देवसयणिज्ज (देवशयनीय ) उ ३११४,८३,१२०, १६१; ४/२४ देवसयस हस्सीसर (देवशतसहस्रेश्वर ) ज ३११२६३ देवसिरि ( देवश्री ) उ ३११७१ देवाय (देवायुष्क ) प २०६३, २३१८,३७,८०, १४६,१७० देवानंदा (देवानन्दा) ज ७।१२० सू १०३८८३ उ ३।११३ : ४।२० देवाप्पिय ( देवानुप्रिय ) ज २६५,६७,१०१, १०५, १०७, १०६,१११, ११४,१४६ : ३१५,७, १२,१५,१८,२१,२६,२८,३१,३४,३६,४१, ४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४,६६, ६६,७२, ७४,७६,७७, ८३, ६०, ६१,६६,१०५, १०७, ११३,११४, १२५,१२६ ४,१२८, १३३,१३८, १४१,१४५,१४७,१५१,१५४, १५७, १६४, १६८, १७०,१७३, १७५, १८०, १८३, १८८, १६१,१६६,२०७,२१२:५।३,५,७,१४,२२, २६,२८,४६,५४,६८,६६,७२,७३३ १११७, ३७, ३६, ४१, ४४, ५४,५७,६६,७६,८८,१८, १०७,१०६,१११, ११३,११५, ११६, १२१, १२३, १२७,१२६,१३१३/१३,७८ से ५१, १०२,१०३, १०६, १०८, ११२, ११५,१३६, १३८,१३६,१४८; ४।११, १४ से १६,१६,२२, ५।१५,१८,२७,३२,४० देवा भाग (देवानुभाग ) ज ३११२६ देवा भाव (देवानुभाव) ज ३१२६,३६,४७, १२२, १३३,५१४४ उ ३१८५,१२२,१२३ देवाहिव (देवाधिप ) ज ५।५४ देवद (देवेन्द्र ) प २५० से ५६ ज ११३१:२८६ से ६५,९७,६६,१०१, १०३, १०५, १०७, १०६, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003571
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages745
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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